प्‍यारे जवानों

आप सबको बड़ा सरप्राइज हुआ होगा कि मैं आज आपको बिना बताए आपका मेहमान बन गया। लेकिन मुझे लगता है कि मैं अपनों के बीच मेहमान कैसे बन सकता हूं और इसलिए मेरी इच्‍छा थी कि बिना बताए ही आपके बीच आ जाऊं। आप यहां परिवार से दूर, देश के लोग आनंद और उत्‍साह के साथ दिवाली मना सके, इसलिए इन बर्फीली पहाडि़यों के बीच, ये श्‍वेत चादर के बीच, जहां न कोई दीया जलाने की संभावना है, ऐसी दुर्गम परिस्थिति में अपने आप को खपा रहे हैं। अपनी जिंदगी देशवासियों की खुशी के लिए आप न्‍यौछावर कर रहे हैं। अपनी जवानी, भारत की जवानी गर्व कर सके, इसलिए आप हर पल, एक ही मंत्र को लेके, एक ही सपना लेकर के, एक ही संकल्‍प लेकर के, और वो है भारत माता की जय।यहां आपकी प्रेरणा, यही आपकी जिंदगी।

मैं समझता हूं, सभी देशवासियों के लिए आपके प्रति जो गौरव का मान है, उसका मूल कारण हर पल, हर परिस्थिति में देश के लिए जीना, देश के लिए मरना, यह आपका जीवन संदेश रहा है। इसलिए थलसेना हो, वायुसेना हो, नौसेना हो, देश के जवानों के प्रति सारा देश गर्व की अनुभूति करता है।

दुनिया का यह दुर्गम से दुर्गम क्षेत्र है, जहां भारत के जवान तैनात हैं। विश्‍व में कही भी पर इनकी कठिनाइयों वाला क्षेत्र नहीं है। विश्‍व में कही भी माइनस 30, माइनस 40 डिग्री temperature में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने आप को तैनात रखने का सौभाग्‍य विश्‍व को किसी को नहीं मिला है और आपने इसे उजागर करके दिखाया है।

मैं विशेष रूप से आया हूं, आपके बीच दिवाली के इस पावन पर्व पर, आपके बीच शरीक होने के लिए। मैं जानता हूं, कि परिवार के बीच दिवाली मनाने को जो आनन्‍द होता है, वह कुछ और होता है। लेकिन, आप तो भारत माता की भक्ति में ऐसे खप गये हैं, कि परिवार कहीं और दिवाली मना रहा है, आप कहीं और मातृभमि की रक्षा में तैनात हैं। मेरे यहां आने से आपके परिवार की कमी में भर नहीं सकता हूं, वह कमी तो रहनी ही रहनी है, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के प्रतिनिधि के रूप में, आपके बीच आ करके, मैं स्‍वयं गौरव अनुभव करता हूं। एक संतोष का भाव अनुभव करता हूं।

प्रधानमंत्री के रूप में मेरे लिए यह पहली दिवाली है। और पहली दिवाली को और अभी-अभी तो मैं चुनाव भी जीता हूं तो एक और भी तो उसमें जरा उमंग-उत्‍साह भरा हुआ है। इन सबको छोड़-छाड़ कर के मैंने दिवाली कुछ समय आपके साथ और कुछ समय श्रीनगर के बाढ़ पीडि़तों के बीच बिताने का तय किया है।

अभी जब श्रीनगर में बाढ़ भाई, जिस प्रकार से हमारे सेना के जवानों ने मानवता की ऊंचाई दिखाई है, हमारे कुछ जवानों को अपना जीवन देना पड़ा, उनकी जिंदगी बचाने के लिए और यही तो सबसे बड़ी मिसाल है। जो हमारे जवानों ने दिखायी है। आज भारत चैन से सोता है, क्‍योंकि आप दिन रात जगते हैं। वो सुख-शांति की जिंदगी जीता है, क्‍योंकि आप कष्‍ट झेलते हैं।

भाइयों-बहनों, अब तो सेना में भले ही कम मात्रा में, लेकिन महिलाओं ने भी अपना शौर्य-अपना सामर्थ दिखाना प्रारंभ किया है। यह हमें गौरव प्रदान करता है। सेना के जवानों के बीच आकर के मैं गर्व महसूस करता हूं। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि सियाचिन में, इन बर्फीली पहाडि़यों में, कितने कितने हमारे नौजवान शहीद हो चुके हैं। सफेद चद्दर ओढ़कर के सौ गए और किसी का शरीर 21 साल के बाद मिलता है। पता नहीं, कितने ही ऐसे जीवन होंगे, जिनका अभी भी परिवार वालों को इंतजार होगा।

आजादी के लिए फांसी के तख्‍त पर चढ़ने वाले लोग इतिहास में अमर हो जाते हैं। ये आजादी के लिए जिए, मरे और आजादी के लिए मरे। और, आप वे लोग हैं , जो देश आजाद रहे, देश का सामान्‍य मानव सुख-चैन की जिदंगी जिये, इसलिए अपने आप को अर्पित करने के लिए प्रति पल संकल्‍पबद्ध रहते हैं।

ये बलिदान कम नहीं है। ये त्‍याग, ये तपस्‍चर्या,ये Discipline हमें गर्व दिलाती है, देश को गर्व दिलाती है। विश्‍व के अनेक फौज के अंदर भारत के फौजियों का अपना एक सम्‍मान है, उनके जीवन और आचरण के कारण, डिसिप्लिन के कारण, सामान्‍य मानवों के प्रति उनके व्‍यवहार के कारण और संकट के समय उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर करके उनके सुख-दुख को बांटना।

भारत की फौज सिर्फ दुश्‍मनों के लिए खतरा बनकर जीने वाली फौज नहीं है, वह दुश्‍मनों के लिए जितना संकट पैदा करती है, उतना ही अपनों के लिए जीवन प्रदान करती है। कोई भी ऐसा प्राकृतिक संकट नहीं आया है, जिसमें हमारी सेना के जवान पहुंचे ना हों। दिन-रात मेहनत ना किये हों। भारत आपके प्रति गौरव का अनुभव करता है। जब तक कोई इन बर्फीले ग्‍लेशियर को नहीं देखेगा, माइनस 30-40 डिग्री में जवान कैसे तैनात होता है, इसे देखेगा नहीं, उसे कल्‍पना नहीं आ सकती है कि हमारे फौज, हमारे हवान कितनी कठिनाइयों के बीच, कितने दुर्गम इलाकों के बीच, मातृभूमि की रक्षा के लिए पुरूषार्थ कर रहे हैं।

मेरा एक सौभाग्‍य है आज कि भारत के एक प्रधान सेवक के रूप में मुझे आपके हालात को अपनी आंखों से देखने का अवसर मिला है। अनुभव करने का अवसर मिला है। मैं इन ऊंचाईयों पर जब पहुंचा तो हमारे साथ वाले डॉक्‍टर हर पल मुझे देख रहे थे। मेरा बीपी चैक कर रहे थे मेरा, oxygen चेक कर रहे थे। उसी से पता चलता है कि कितनी गंभीर अवस्‍था में आप लोग रहते हैं, कितनी कठिनाइयों में आप रहते है।

मैं विश्‍वास दिलाता हूं मेरे देश के जवानों को, चाहे वो सीमा पर तैनात हों या कैंटोनमेंट में हो, वो सेवारत हो या सेवानिवृत हों, सवा सौ करोड़ का देश आपके साथ खडा़ हुआ है। आपके सपने, आपकी जिम्‍मेवारी, ये देश के सपने और देश की जिम्‍मेवारी है। यहां से निकलने के बाद कभी आपको किसी चीज के लिए किसी पर निर्भर रहना पड़े, ये मुझे मंजूर नहीं है। सेना के जीवन के बाद भी आप और आपका परिवार गौरव से जिये, सम्‍मान से जिये, ऐसी व्‍यवस्‍था हमेशा रहे, ये मेरी प्रतिबद्धता है, ये मेरी इच्‍छा है।

One Rank-One Pension, कितने दशक बीत गए, ये सपना आपका पूरा करना मेरे ही भाग्‍य में लिखा हुआ है। इसलिए, और मेरा लगाव भी है, आप लोगों के सा,थ मेरा लगाव भी है। हमारे जवानों के लिए एक हमेशा emotional विषय रहा है कि एक National level का war Memorial क्‍यों ना हो? मेरे साथियों, विश्‍व में हम गर्व कर सकें, ऐसा war memorial बनाने का हमने निर्णय ले लिया है, budget में उसका allocation कर दिया है, काम उसका चल रहा है, उसकी डिजाइन-विजाइन के लिए बहुत तेज गति से काम चल रहा है। इसलिए देश के लिए जीने-मरने वाले फौजी के लिए उमंग और जो उत्‍साह होता है, उसकी जो प्रेरणा होती है, उसकी चिंता करना पूरे देश की जिम्‍मेदारी है, शासन की जिम्‍मेदारी है। इसे निभाने के लिए मैं संकल्‍पबद्ध हूं।

मैं देशवासियों को भी इस ऊंचाई से दीपावली की आज मैं शुभकामनाएं दे रहा हूं। शायद ऐसा पहले कभी नहीं हुआ होगा। मैं उन चोटियों तक हो आया हूं, जहां माइनस 30 डिग्री temperature रहता है। जहां हमारे जवान तैनात हैं। मैं इस ऊंचाई से भार‍तवासियों को, भारत के साथ जीने-मरने वाले जवानों के साथ खड़ा रह कर एक विशिष्‍ट रूप में दीपावली की शुभकामनाएं देता हूं। मैं विश्‍वास करता हूं कि आप जो दिवाली की दीया जला रहे हैं, उस रोशनी के मूल में हमारे इन जवानों का पसीना भी है, उनका त्‍याग भी है, तपस्‍या भी है। इसलिए दिवाली के इस पावन पर्व पर हम भी हमारी रक्षा करने वाले हमारा दीया कभी बुझ न जाए। इसमें जिदंगी खपाने वाले उन जवानों का स्‍मरण करते रहे, उनका गौरव करते रहें। एक स्‍वाभिमानी राष्‍ट्र के रूप में हम भी, जवान अगर सीमा की रक्षा करता है तो नागरिक सामान्‍य मानव के सपनों की चिंता करे और ये दोनों का साथ-साथ चलना ही राष्‍ट्र के उज्‍जवल भविष्‍य की गारंटी होती है।

मैं फिर एक बार आप सबको दिवाली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आपके बीच आने का मुझे अवसर मिला, ऐसी दुर्गम जगह पर आने का अवसर मिला, ये मेरा सौभाग्‍य रहा है। मैं आपका हूं, मैं आपके लिए हूं, आपके बीच हूं, प्रतिपल आपके साथ हूं, ये विश्‍वास दिलाने आया हूं और हम सब मिलकर के मां भारती की सेवा में लगे हैं और अच्‍छी भारत मां की सेवा करेंगे। इस विश्‍वास को आगे बढ़ाते चलेंगे, इसी भावना के साथ फिर एक बार आपको भी और इन दुर्गम पहाडि़यों से देशवासियों को भी मेरी दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

विश्‍वभर में फैले हुए भारतीय समाज को भी दीपावली की मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत बहुत धन्‍यवाद। भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरी सहयोगी अन्नपूर्णा देवी जी, सावित्री ठाकुर जी, सुकांता मजूमदार जी, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां आए सभी अतिथि, और सभी प्यारे बच्चों,

आज हम तीसरे ‘वीर बाल दिवस’ के आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। तीन साल पहले हमारी सरकार ने वीर साहिबजादों के बलिदान की अमर स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने की शुरुआत की थी। अब ये दिन करोड़ों देशवासियों के लिए, पूरे देश के लिए राष्ट्रीय प्रेरणा का पर्व बन गया है। इस दिन ने भारत के कितने ही बच्चों और युवाओं को अदम्य साहस से भरने का काम किया है! आज देश के 17 बच्चों को वीरता, इनोवेशन, साइंस और टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट्स और आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में सम्मानित किया गया है। इन सबने ये दिखाया है कि भारत के बच्चे, भारत के युवा क्या कुछ करने की क्षमता रखते हैं। मैं इस अवसर पर हमारे गुरुओं के चरणों में, वीर साहबजादों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। मैं अवार्ड जीतने वाले सभी बच्चों को बधाई भी देता हूँ, उनके परिवारजनों को भी बधाई देता हूं और उन्हें देश की तरफ से शुभकामनाएं भी देता हूं।

साथियों,

आज आप सभी से बात करते हुए मैं उन परिस्थितियों को भी याद करूंगा, जब वीर साहिबजादों ने अपना बलिदान दिया था। ये आज की युवा पीढ़ी के लिए भी जानना उतना ही जरूरी है। और इसलिए उन घटनाओं को बार-बार याद किया जाना ये भी जरूरी है। सवा तीन सौ साल पहले के वो हालात 26 दिसंबर का वो दिन जब छोटी सी उम्र में हमारे साहिबजादों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की आयु कम थी, आयु कम थी लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा था। साहिबजादों ने मुगल सल्तनत के हर लालच को ठुकराया, हर अत्याचार को सहा, जब वजीर खान ने उन्हें दीवार में चुनवाने का आदेश दिया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया। साहिबजादों ने उन्हें गुरु अर्जन देव, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह की वीरता याद दिलाई। ये वीरता हमारी आस्था का आत्मबल था। साहिबजादों ने प्राण देना स्वीकार किया, लेकिन आस्था के पथ से वो कभी विचलित नहीं हुए। वीर बाल दिवस का ये दिन, हमें ये सिखाता है कि चाहे कितनी भी विकट स्थितियां आएं। कितना भी विपरीत समय क्यों ना हो, देश और देशहित से बड़ा कुछ नहीं होता। इसलिए देश के लिए किया गया हर काम वीरता है, देश के लिए जीने वाला हर बच्चा, हर युवा, वीर बालक है।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये वर्ष और भी खास है। ये वर्ष भारतीय गणतंत्र की स्थापना का, हमारे संविधान का 75वां वर्ष है। इस 75वें वर्ष में देश का हर नागरिक, वीर साहबजादों से राष्ट्र की एकता, अखंडता के लिए काम करने की प्रेरणा ले रहा है। आज भारत जिस सशक्त लोकतंत्र पर गर्व करता है, उसकी नींव में साहबजादों की वीरता है, उनका बलिदान है। हमारा लोकतंत्र हमें अंत्योदय की प्रेरणा देता है। संविधान हमें सिखाता है कि देश में कोई भी छोटा बड़ा नहीं है। और ये नीति, ये प्रेरणा हमारे गुरुओं के सरबत दा भला के उस मंत्र को भी सिखाती हैं, जिसमें सभी के समान कल्याण की बात कही गई है। गुरु परंपरा ने हमें सभी को एक समान भाव से देखना सिखाया है और संविधान भी हमें इसी विचार की प्रेरणा देता है। वीर साहिबजादों का जीवन हमें देश की अखंडता और विचारों से कोई समझौता न करने की सीख देता है। और संविधान भी हमें भारत की प्रभुता और अखंडता को सर्वोपरि रखने का सिद्धांत देता है। एक तरह से हमारे लोकतंत्र की विराटता में गुरुओं की सीख है, साहिबजादों का त्याग है और देश की एकता का मूल मंत्र है।

साथियों,

इतिहास ने और इतिहास से वर्तमान तक, भारत की प्रगति में हमेशा युवा ऊर्जा की बड़ी भूमिका रही है। आजादी की लड़ाई से लेकर के 21वीं सदी के जनांदोलनों तक, भारत के युवा ने हर क्रांति में अपना योगदान दिया है। आप जैसे युवाओं की शक्ति के कारण ही आज पूरा विश्व भारत को आशा और अपेक्षाओं के साथ देख रहा है। आज भारत में startups से science तक, sports से entrepreneurship तक, युवा शक्ति नई क्रांति कर रही है। और इसलिए हमारी पॉलिसी में भी, युवाओं को शक्ति देना सरकार का सबसे बड़ा फोकस है। स्टार्टअप का इकोसिस्टम हो, स्पेस इकॉनमी का भविष्य हो, स्पोर्ट्स और फिटनेस सेक्टर हो, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग की इंडस्ट्री हो, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप की योजना हो, सारी नीतियां यूथ सेंट्रिक हैं, युवा केंद्रिय हैं, नौजवानों के हित से जुड़ी हुई हैं। आज देश के विकास से जुड़े हर सेक्टर में नौजवानों को नए मौके मिल रहे हैं। उनकी प्रतिभा को, उनके आत्मबल को सरकार का साथ मिल रहा है।

मेरे युवा दोस्तों,

आज तेजी से बदलते विश्व में आवश्यकताएँ भी नई हैं, अपेक्षाएँ भी नई हैं, और भविष्य की दिशाएँ भी नई हैं। ये युग अब मशीनों से आगे बढ़कर मशीन लर्निंग की दिशा में बढ़ चुका है। सामान्य सॉफ्टवेयर की जगह AI का उपयोग बढ़ रहा है। हम हर फ़ील्ड नए changes और challenges को महसूस कर सकते हैं। इसलिए, हमें हमारे युवाओं को futuristic बनाना होगा। आप देख रहे हैं, देश ने इसकी तैयारी कितनी पहले से शुरू कर दी है। हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, national education policy लाये। हमने शिक्षा को आधुनिक कलेवर में ढाला, उसे खुला आसमान बनाया। हमारे युवा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। छोटे बच्चों को इनोवेटिव बनाने के लिए देश में 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब शुरू की गई हैं। हमारे युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में व्यावहारिक अवसर मिले, युवाओं में समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाने की भावना बढ़े, इसके लिए ‘मेरा युवा भारत’ अभियान शुरू किया गया है।

भाइयों बहनों,

आज देश की एक और बड़ी प्राथमिकता है- फिट रहना! देश का युवा स्वस्थ होगा, तभी देश सक्षम बनेगा। इसीलिए, हम फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे मूवमेंट चला रहे हैं। इन सभी से देश की युवा पीढ़ी में फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। एक स्वस्थ युवा पीढ़ी ही, स्वस्थ भारत का निर्माण करेगी। इसी सोच के साथ आज सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की जा रही है। ये अभियान पूरी तरह से जनभागीदारी से आगे बढ़ेगा। कुपोषण मुक्त भारत के लिए ग्राम पंचायतों के बीच एक healthy competition, एक तंदुरुस्त स्पर्धा हो, सुपोषित ग्राम पंचायत, विकसित भारत का आधार बने, ये हमारा लक्ष्य है।

साथियों,

वीर बाल दिवस, हमें प्रेरणाओं से भरता है और नए संकल्पों के लिए प्रेरित करता है। मैंने लाल किले से कहा है- अब बेस्ट ही हमारा स्टैंडर्ड होना चाहिए, मैं अपनी युवा शक्ति से कहूंगा, कि वो जिस सेक्टर में हों उसे बेस्ट बनाने के लिए काम करें। अगर हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारी सड़कें, हमारा रेल नेटवर्क, हमारा एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम मैन्युफैक्चरिंग पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारे सेमीकंडक्टर, हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स, हमारे ऑटो व्हीकल दुनिया में बेस्ट हों। अगर हम टूरिज्म में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशन, हमारी ट्रैवल अमेनिटी, हमारी Hospitality दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम स्पेस सेक्टर में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारी सैटलाइट्स, हमारी नैविगेशन टेक्नॉलजी, हमारी Astronomy Research दुनिया में बेस्ट हो। इतने बड़े लक्ष्य तय करने के लिए जो मनोबल चाहिए होता है, उसकी प्रेरणा भी हमें वीर साहिबजादों से ही मिलती है। अब बड़े लक्ष्य ही हमारे संकल्प हैं। देश को आपकी क्षमता पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूँ, भारत का जो युवा दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की कमान संभाल सकता है, भारत का जो युवा अपने इनोवेशन्स से आधुनिक विश्व को दिशा दे सकता है, जो युवा दुनिया के हर बड़े देश में, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकता है, वो युवा, जब उसे आज नए अवसर मिल रहे हैं, तो वो अपने देश के लिए क्या कुछ नहीं कर सकता! इसलिए, विकसित भारत का लक्ष्य सुनिश्चित है। आत्मनिर्भर भारत की सफलता सुनिश्चित है।

साथियों,

समय, हर देश के युवा को, अपने देश का भाग्य बदलने का मौका देता है। एक ऐसा कालखंड जब देश के युवा अपने साहस से, अपने सामर्थ्य से देश का कायाकल्प कर सकते हैं। देश ने आजादी की लड़ाई के समय ये देखा है। भारत के युवाओं ने तब विदेशी सत्ता का घमंड तोड़ दिया था। जो लक्ष्य तब के युवाओं ने तय किया, वो उसे प्राप्त करके ही रहे। अब आज के युवाओं के सामने भी विकसित भारत का लक्ष्य है। इस दशक में हमें अगले 25 वर्षों के तेज विकास की नींव रखनी है। इसलिए भारत के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा इस समय का लाभ उठाना है, हर सेक्टर में खुद भी आगे बढ़ना है, देश को भी आगे बढ़ाना है। मैंने इसी साल लालकिले की प्राचीर से कहा है, मैं देश में एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिसके परिवार का कोई भी सक्रिय राजनीति में ना रहा हो। अगले 25 साल के लिए ये शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हमारे युवाओं से कहूंगा, कि वो इस अभियान का हिस्सा बनें ताकि देश की राजनीति में एक नवीन पीढ़ी का उदय हो। इसी सोच के साथ अगले साल की शुरुआत में, माने 2025 में, स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर, 'विकसित भारत यंग लीडर्स डॉयलॉग’ का आयोजन भी हो रहा है। पूरे देश, गाँव-गाँव से, शहर और कस्बों से लाखों युवा इसका हिस्सा बन रहे हैं। इसमें विकसित भारत के विज़न पर चर्चा होगी, उसके रोडमैप पर बात होगी।

साथियों,

अमृतकाल के 25 वर्षों के संकल्पों को पूरा करने के लिए ये दशक, अगले 5 वर्ष बहुत अहम होने वाले हैं। इसमें हमें देश की सम्पूर्ण युवा शक्ति का प्रयोग करना है। मुझे विश्वास है, आप सब दोस्तों का साथ, आपका सहयोग और आपकी ऊर्जा भारत को असीम ऊंचाइयों पर लेकर जाएगी। इसी संकल्प के साथ, मैं एक बार फिर हमारे गुरुओं को, वीर साहबजादों को, माता गुजरी को श्रद्धापूर्वक सिर झुकाकर के प्रणाम करता हूँ।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !