Congress only believes in 'Atkana', Latkana' & 'Bhatkana': PM Modi

Published By : Admin | October 29, 2017 | 19:23 IST
PM Modi dedicates the 110km Bidar-Kalaburgi railway track to the nation
We have started direct benefit transfer scheme & successfully eliminated middlemen: PM
PM Modi slams Congress, says it only believes in ‘Atkana’, Latkana’ & ‘Bhatkana’
PM Modi said lakhs of shell companies have been de-registered, post demonetisation
Several initiatives started by the Government must benefit the common citizens, says the PM

मंच पर विराजमान संसद में मेरे वरिष्ठ साथी और कर्नाटक प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान यदुरप्पा जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्री अनंत कुमार जी, श्री सदानंद जी, भारत के रेल मंत्री श्रीमान पीयूष गोयल जी, श्रीमान जगदीश जी, ईश्वरप्पा जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी रमेश जी, अनंत कुमार हेगड़े जी, सांसद श्रीमान प्रहलाद जोशी, श्रीभगवंत खुवा, विधायक केवी शेनप्पा, श्री रघुनाथ मलकापुर, श्रीमान प्रभु चौहान, मंच पर बैठे हुए सभी वरिष्ठ महानुभाव, विधायक श्री वीजे पाटिल जी और इतनी बड़ी संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

आप सब इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए, इसके लिए मैं आपका ह्रदय से बहुत-बहुत आभारी हूं। अभी कुछ देर पूर्व मुझे बिदर से कुलबर्गी रेल के प्रस्थान कराने का अवसर मिला। कितने सालों से आपका ये सपना था कि बिदर को ऐसी रेल कनेक्टिविटी मिले ताकि बंगलुरू भी उसको नजदीक लगे और मुंबई भी नजदीक लगे। जब अटल बिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री थे, तब इस रेल लाइन के विषय में निर्णय किया गया था। आज उस बात को करीब-करीब 20 साल बीत गए।

20 साल के बाद, एक तरफ खुशी होती है कि चलो भाई, आखिरकार रेल चल पड़ी। दूसरी तरफ पीड़ा होती है कि हमने देश को कैसे चलाया है? जो प्रोजेक्ट 400 करोड़ रुपए से भी कम खर्च में पूरा होने वाला था, 300 प्रतिशत उसकी लागत बढ़ गई। जो काम तीन साल में होना था, उसे पूरा होने में 20 साल लग गए। कई वर्षों तक ये पूरा प्रोजेक्ट अटका पड़ा रहा। आधा अधूरा काम, कुछ प्रारंभ हुआ पिछली सरकार के समय, उन्होंने भी गंभीरता से लिया होता। आवश्यक धनराशि बांटी होती तो ये प्रोजेक्ट भी आज से कम से कम सात साल पहले पूरा हो गया होता। लेकिन वो भी पूरा नहीं हुआ। जब हमें आपलोगों ने हमें जिम्मेदारी दी। आपके सांसद हमारे खुबा जी बड़े सक्रिय सांसद हैं। पूरी कर्नाटक की टोली, सारे सांसद मिलकरके आते थे कि रेललाइन को आगे बढ़ाओ, आगे बढ़ाओ। 60-65 प्रतिशत काम हमारी सरकार के आने के बाद हुआ।

मैं येदुरप्पा जी को भी बधाई देता हूं कि जब ये मुख्यमंत्री थे और दिल्ली में बैठी हुई सरकार ने अपना हाथ ऊपर कर लिया था। तब येदुरप्पा जी ने जरा अपना मिजाज दिखाया दिल्ली को। और उन्होंने कहा कि पचास प्रतिशत धन कर्नाटक खर्च करेगा लेकिन मुझे ये रेल चाहिए। बहुत बड़ा फैसला किया उन्होंने। लेकिन उसके बाद भी काम में जो गति आनी चाहिए शायद उस सरकार का काम करने का तरीका यही है। लोगों को लगना चाहिए कि थोड़ा बहुत काम चल रहा है। कांग्रेस की कार्य-संस्कृति रही है कार्य को लटकाना, अटकाना और भटकाना। हिन्दुस्तान में आपको हजारों ऐसे प्रोजेक्ट मिलेंगे। वो शुरुआत कर देते थे ताकि पोलिटिकल माइलेज मिल जाए, फिर लटके पड़े रहते थे, अटके पड़े रहते थे। कभी-कभी तो भटक जाते थे।

 

भाइयों बहनों।

अगर देश को आगे बढ़ाना है तो ये अटकाना, लटकाना, भटकाना। इस कार्यपद्धति को तिलांजलि दिए बिना, देश अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है। और हमने बीड़ा उठाया है। न अटकाना चलेगा, न लटकाना चलेगा और न भटकाना चलेगा। जब दिल्ली में मेरी जिम्मेदारी आई तो मैं जरा रिव्यू लेता था कि कौन सा काम कैसे चलता है, क्या हो रहा है।  और फिर मैं कहता हूं, बताओ भाई कब होगा। तो ज्यादातर अफसर जवाब देते हैं साहब। नहीं-नहीं बहुत जल्दी हो जाएगा। नहीं-नहीं, तुरंत शुरू कर देंगे।

मैं कहता, तुरंत तुरंत, नहीं-नहीं कोई डेट बताओ। समय सीमा में, जिम्मेदारी तय होना चाहिए। अगर जन धन एकाउंट खोलने हैं तो समय सीमा में खुलना चाहिए। देश के हर गरीब का बैंक एकाउंट खुलना चाहिए। हमने खोल दिए हैं।

सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए टॉयलेट होना चाहिए। बच्चियों के लिए टॉयलेट होना चाहिए। होती है, चलती हैं, देखते हैं, करते हैं। ये रास्ता हमें मंजूर नहीं था। हमने फैसला लिया। हिन्दुस्तान के स्कूलों में समय सीमा के भीतर टॉयलेट होना चाहिए। और हमने बना दिए।

18 हजार गांव 18वीं शताब्दी में जीने के लिए मजबूर थे। बिजली नहीं थी। आप कल्पना कर सकते हो, 21वीं सदी में मेरे देश। 18 हजार गांव आज भी अंधेरे में गुजारा करते हैं। मैंने अफसरों को पूछा। उन्होंने कहा, 7 साल, 8 साल लगेंगे। मैं सुनता रहा। मैंने कहा, कुछ कम करो। बोले, नहीं साहब। बहुत मुश्किल है। मैंने कहा, नहीं-नहीं कुछ तो कम करो। और वो मेरी तरफ देखते रहे, कुछ जवाब दिया नहीं।

एक बार मैंने 15 अगस्त को लाल किले से घोषित कर दिया। एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा देंगे। फिर सारा डिपार्टमेंट लग गया। अभी हजार दिन हुए नहीं हैं लेकिन 15 हजार से अधिक गांव में बिजली पहुंच गई है। और हजार दिन होते-होते बाकी गांवों में भी पहुंच जाएगी।

इस देश में किसानों के नाम पर आंसू बहाने वालों की कमी नहीं है। किसान को अगर पानी मिल जाए तो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है। लेकिन आप हैरान होंगे। ये अटकाना, लटकाना, भटकाना वालों ने इस देश में अनेक पानी के प्रोजेक्ट, अनेक जलाशय, कहीं न कहीं अधूरा छोड़ दिया। कहीं जलाशय बन गया तो पानी आने का मार्ग तैयार नहीं किया। कहीं पानी आने का मार्ग तैयार किया, पानी भर गया तो किसान तक पानी पहुंचाने का काम नहीं किया। अटकाना, लटकाना, भटकाना, यही उनकी कार्यशैली। हमने बीड़ा उठाया। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना। किसान को पानी कैसे मिले। प्रथम चरण में, अटके पड़े, लटके पड़े और भटक गए 90 प्रोजेक्ट को उठाया। हजारों करोड़ रुपए की लागत से उसको पूरा करने का काम तेजी से चल रहा है। और किसान के खेत तक पानी पहुंचे, इसके लिए हमने बीड़ा उठाया  है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। बीमा योजनाएं आती थी लेकिन किसान का विश्वास नहीं पनपता था। उससे जुड़ना नहीं चाहता था। किसान की सुनकरके, उसकी समस्याओं का समाधान करते हुए एक ऐसे पैकेज की जरूरत थी ताकि सच्चे अर्थ में, किसान को संकट की घड़ी में उसको सुरक्षा मिले। मैं हमारे सांसद श्रीमान खुवा जी का अभिनंदन करता हूं। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को हर किसान के घर तक बात पहुंचाई। किसानों को प्रेरित किया। एक लाख से अधिक किसान इस योजना से जुड़ गए। और उन्हें इस योजना के तहत मुआवजा एक सौ पचास करोड़ रुपया मिला। इस इलाके किसानों को एक सौ पचास करोड़ मिला।  

भाइयों बहनों।

सरकार किसके लिए होती है। अगर कोई अमीर बीमार हो जाए तो उसे सरकार की क्या जरूरत है। सैकड़ों डॉक्टर उसके घर पर कतार में लगाकरके खड़े हो जाएंगे। एयर एंबुलेंस से बड़ी से बड़ी अस्पताल ले जाया जाएगा। सरकार की जरूरत है, गरीब को बीमारी में अस्पताल में उसको दवाई मिले, उसकी चिंता हो, ये सरकार की जिम्मेदारी है। अमीर के बेटे को अगर पढ़ना है तो बड़े से बड़े टीचर उसके घर में कतार लगाकरके खड़े हो जाएंगे बच्चे को पढ़ाने के लिए। गरीब के लिए सरकार की जिम्मेवारी होती है कि अच्छी स्कूल चले। सरकार गरीब के लिए होती है। और इसलिए हमने जितनी योजनाओं को बनाया। ये सारी योजनाएं। आखिरी छोर पर बैठे हुए गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए। उस पर हमने बल दिया।

आप हैरान होंगे। मैंने एक प्रगति कार्यक्रम शुरू किया। उस प्रगति कार्यक्रम में मैं वीडियो कांफ्रेंसिंग से देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिव, भारत सरकार के सभी सचिव उनके साथ बैठता हूं। और पुराने जमाने के अटके पड़े, लटके हुए, भटके हुए प्रोजेक्ट को उठाता हूं। और मैं पूछता हूं कि ये कितने साल से लटका पड़ा है, क्यों लटका पड़ा है। पहले तीन सौ, चार सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिया और 20 साल में कोई काम नहीं हुआ। ऐसा क्यों हुआ। सरकारी दफ्तर में इसका कोई जवाब नहीं होता है। तीस-तीस, चालीस-चालीस साल पुराने प्रोजेक्ट, संसद में घोषित किया हुआ हो, बजट में धन आवंटन हुआ हो, नेताजी ने जाकरके शिलान्यास किया हुआ हो, तस्वीरें अखबार में छप चुकी हो लेकिन प्रोजेक्ट कागज पर लटकता है। मैं हर महीने बैठता हूं, पुरानी चीजें निकालता हूं।

बिदर के मेरे भाइयों और बहनों। आपको खुशी होगी, मेहनत रंग ला रही है। अब तक करीब 9 लाख करोड़ रुपए से अधिक के इन लटके हुए, अटके हुए, भटके हुए प्रोजेक्ट को मैं फिर से पटरी पर लाया हूं। और काम चालू करवाया। जो काम हजार रुपए में होना चाहिए था। आज लागत की कीमत बढ़ते बढ़ते लाख रुपए तक जा पहुंची है। ये गुनाही का काम, ये क्रिमिनल नेगलिजेंस, पुरानी सरकार ने किया हुआ है।  

और इसलिए भाइयों बहनों।

ऐसा नहीं है कि देश के पास ताकत नहीं है। ऐसा नहीं है कि देश के लोगों के पास सपने नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि देश के लोग त्याग और तपस्या करके देश को आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। सब प्रकार की संभावनाएं मौजूद है लेकिन वो कार्यपद्धति ऐसी थी, पॉलिसी पारेलिसिस था, जिसके कारण कोई काम पूरा नहीं होता था।

भाइयों बहनों।

आप हैरान होंगे कि किस प्रकार से देश चलाया इन लोगों ने। रेलवे, रेलवे में एक बड़ा काम होता है, डबल लाइन करना। पहले की सरकार, उनके आखिरी तीन साल में जो काम किया, उस काम को पहले तीन साल में कैसे किया। वे नई रेल लाइन तीन साल में, उनके आखिरी तीन साल में 11 सौ किमी नई रेल लाइन डाली थी। हमने आकरके 3 साल में 21 सौ किमी नई रेललाइन डाली है। यानि लगभग डबल रफ्तार से काम किया है।

एक काम होता है रेलवे में आगे बढ़ाने के लिए, दोहरीकरण, डबल लाइन करना। जैसे नई लाइन हमने डबल किया वैसे दोहरी लाइन करना, डबल लाइन करना ताकि ट्रैफिक जाम न हो, गुड्स ट्रेन जा सके, ट्रेन को समय पर पहुंचाया जा सके। पहले की सरकार तीन साल में 13 सौ किमी डबलिंग का काम करते थे। हमने तीन साल में 26 सौ किमी करके दिखाया। वो काम भी हमने डबल करके दिखाया। उसी प्रकार से देश की रेल को आधुनिक बनाने के लिए, डीजल से मुक्ति दिलाकर के बिजली से चलने वाली रेल की पटरियां लगे, रेललाइन लगे, इंजन लगे, इलेक्ट्रिफिकेशन का काम हो, बिजलीकरण के इस काम में पुरानी सरकार ने 3 साल में 25 सौ किमी का काम किया।

बिदर के नौजवान आपको खुशी होगी। हमने तीन साल में 4 हजार 3 सौ किमी का काम पूरा किया है। ये काम करने के लिए धन भी लगता है, इस काम को करने के लिए जन भी लगता है। नौजवान को नए रोजगार करने के लिए नए अवसर मिलते हैं। पहले जितने लोगों को काम मिलता था, उससे डबल लोगों को काम मिलता है।  धन भी सही जगह पर सही लोगों के लिए उपयोग होता है। तब जाकरके देश प्रगति करता है।

हमने डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर शुरू की। पहले अलग-अलग योजनाएं गरीबों के नाम पर चलती थी। लेकिन पता ही नहीं चलता है उस गरीब को मिलती थी कि नहीं मिलती थी। ऐसी ऐसी विधवाओं को पेंशन जाता था, जो बच्ची पैदा न हुई हो, लेकिन सरकारी दफ्तर में वो विधवा हो जाती थी और उसको सरकारी खजाने से पैसे मिलते रहते थे।

हमने डायरेक्ट ट्रांसफर बेनीफिट योजना शुरू की। आधार नंबर से वैरिफिकेशन करना शुरू किया। और अभी तो पूरा नहीं किया। अभी तक शुरुआत की है। बहुत कम योजनाओं पर लागू कर पाए अभी तो। मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। आप खुश हो जाओगे। कितनी चोरी होती थी, कैसे-कैसे पैसे को लोग मार लेते थे। कैसे चोरी करते थे। गरीब के हक का कैसे लूट लिया जाता था। हमने डायरेक्ट ट्रांसफर बेनीफिट से परिणाम ये हुआ है। जो सही हकदार है, अब उसी को पैसा मिलना शुरू हुआ है। जो बिचौलिये थे, उनकी बादवाकी हो गई है। बिचौलिये हटाओ, ये अभियान हमने सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। उसका परिणाम क्या है, आपको पता है। 57 हजार करोड़ रुपया, ये आंकड़े कम नहीं है। 57 हजार करोड़ रुपया जो सरकारी खजाने से हकदार पहुंचने से पहले चोरी हो जाता था वो सारे 57 हजार करोड़ रुपया हमने बचा लिया है जो हकदार लोगों को पहुंचाया जाएगा। अब मुझे बताओ भाई। ये 57 हजार करोड़ रुपया जिनकी जेब में जाता था, अब उनके जेब में जाना बंद हो गया। उनकी दुकानें बंद हो गई, उनकी दलाली बंद हो गई। अब ऐसे लोग मोदी को प्यार करेंगे क्या ...। करेंगे क्या ...। मोदी पर गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। जहां मौका मिले, मोदी पर वार करेंगे कि नहीं करेंगे ...।  

ये दिनरात जो मोदी उपर हमले हो रहे हैं ना, उसका कारण ये नहीं है कि मैंने देश का कुछ नुकसान किया है। इसका कारण ये है कि उनके और उनके चेले चपाटों का मैंने भारी नुकसान किया है। आप मुझे बताइए। क्या देश के पैसे लूटने देना चाहिए ...। क्या देश के पैसे लूटने देने देना चाहिए ...। क्या बेईमानों के हाथ में पैसे जाने देना चाहिए ...। इसे रोकना चाहिए कि नहीं रोकना चाहिए ...। ये लड़ाई लड़ने चाहिए कि नहीं चाहिए ...। आपका आशीर्वाद मेरे साथ है ...। आपका आशीर्वाद मेरे साथ है ...। आपका आशीर्वाद मेरे साथ है ...। ये लड़ाई आगे बढ़ेगी। देश की जनता का पाई-पाई का हिसाब देश की जनता को मिलना चाहिए।

और इसलिए भाइयों बहनों। हम विकास की यात्रा को तेज चला रहे हैं। देश का नौजवान इंटरप्न्योर बने। वो रोजगार खोजने वाला नहीं, मेरा नौजवान रोजगार देने वाला बनना चाहिए। हमने मुद्रा योजना लागू की। उस मुद्रा योजना से देश का नौजवान जो अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है। होनहार बेटियां जो अपने बलबूते पर आगे बढ़ना चाहती है। बिना कोलैटरल गारंटी, हमने बैंकों से ऐसे युवक-युवतियों को पैसे, लोन देना शुरू किया। आपको खुशी होगी। करोड़ों नौजवान इनको बैंक से लोन मिला है। उन्होंने नए कारोबार शुरू किए हैं। और लाखों करोड़ों रुपए की लागत से वे स्वयं करोड़ों नौजवानों को रोजगार देने की दिशा में सफल हुए हैं।

गांव गरीब किसान, उसकी जिंदगी में बदलाव आए, उसके जीवन में परिवर्तन आए। उस दिशा में, देश को आगे ले जाने की दिशा में काम कर रहे हैं। देश को आगे बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत अहम रोल होता है। रोड नेटवर्क चाहिए, रेल नेटवर्क चाहिए, हाईवे भी चाहिए, आई वे भी चाहिए। रेलवे भी चाहिए, एयर वे भी चाहिए, वाटर वे भी चाहिए। आज के युग में प्रगति के लिए इसकी जरूरत है।

अभी तीन दिन पहले कैबिनेट में, हमने बहुत अहम फैसला लिया है। 2022, जब आजादी के 75 साल होंगे। करीब करीब 84 हजार किमी। 84 हजार किमी सड़कों का काम हाथ में लिया जाएगा। 7 लाख करोड़ रुपए की लागत से, ये रास्तों का नेटवर्क पूरे देश में खड़ा कर दिया जाएगा।

हाईवे, रेलवे, देश में नए-नए एयरपोर्ट को जिंदा करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। उड़ान योजना के तहत, छोटे छोटे शहर। वहां से लोग हवाई सफर करें। हमारा सपना है, जो हवाई चप्पल पहनता है वो भी हवाई जहाज में उड़ना चाहिए। और ये काम हम करके रहेंगे। देश में टायर टू, टायर थ्री सिटी, छोटे-छोटे शहर उनको हवाई जहाज के नेटवर्क से जोड़ने का हमारा इरादा है। आने वाले एक साल में सैकड़ों नए जहाज जुड़ने वाले हैं भारत में।

आप कल्पना कर सकते हैं। आज ट्रैफिक में ग्रोथ हो रहा है, उसका लाभ सामान्य वर्ग के, मध्यम वर्ग के, निम्न वर्ग के परिवार को मिलने वाला है। हम जब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी संवेदनाहीन बन गई है। मैं हैरान था। गुजरात में भयंकर बाढ़ आई थी। शायद ऐसी बाढ़ पच्चीस-तीस साल में पहले नहीं आई थी। उसी समय राज्यसभा में चुनाव चल रहा था। गुजरात के लोग बाढ़ में मर रहे थे। खेत बह चुके थे। पशु मर चुके थे। किसान तबाह था, गांव बर्बाद था। उनके सारे चुने हुए विधायक बंगलुरू में मौज कर रहे थे। और उसी समय एक मंत्री के यहां रेड पड़ गई इनकम टैक्स की। नोटों की गड्डियां की गड्डियां मिल गई। देश की जनता नोटों के थैले भर भरके कारोबार चलाने वालों को माफ नहीं करने वाली है।

रह रहकरके उनको याद आता है। ये डिमोनेटाइजेशन किया, हमारा लूट गया, लूट गया। महीने में दो-तीन बार तो वो चिल्लाए बिना रहते नहीं कि इतना लूट गया इन लोगों का कि वे बड़े परेशान हैं। आप हैरान होंगे। नोटबंदी के कारण जो नोटें बैंकों में जमा हुई। उसकी पूछ मैंने उस समय भी भाषण में कहा था। कौन कहां से आता है, कहां जाता है, कहां रखता है। उसको बराबर ध्यान में रखा है।

3 लाख कंपनियां। आप हैरान हो जाओगे भाइयों। 3 लाख कंपनियां बोगस कंपनियां हाथ में आई है, जो ये काला धन, बैंकों में लेन-देन करते थे, हवाला करते रहते थे। एक-एक कंपनी एक हजार बैंक खातों को चलाती है। 3 लाख कंपनियों पर  हमने ताला लगा दिया लेकिन इस देश में कोई मोदी का पुतला नहीं जलाया। कैसे पापी लोग होंगे। 3 लाख कंपनियां बंद हो जाए। मोदी हिम्मत के साथ ताले लगा दे।

देश को लूटने वालों को कटघरे में लाकरके खड़ा कर दे लेकिन कोई आवाज नहीं उठ रही है भाइयों बहनों। ये तीन लाख कंपनियों को बंद किया। अभी टेक्नीक की मदद से अफसर लोग लगे हैं। तीन लाख में से 5 हजार कंपनियों को बारीकी से जांच की। आप जानकर चौंक जाओगे। 5 हजार कंपनियों की जांच में 4000 करोड़ रुपए का कारोबार बेईमानी से चलता हुआ पकड़ा गया है। ये पैसा इस देश के गरीब का है कि नहीं है ....। ये पैसा इस देश के नागरिक का है कि नहीं है ...। ये पैसा ईमानदार नागरिकों का है कि नहीं है ...।

ये पैसा ईमानदारी से कमाने वाले नागरिकों का है कि नहीं है ...। क्या मैं इसे लुटने दूं ...। इसे लुटने दूं ...। और इसलिए मैं लड़ाई लड़ रहा हूं भाइयों बहनों।

हम देश में जीएसटी लाए। ये जीएसटी के सारे निर्णय में देश की सभी सरकारें, राज्य सरकारें भागीदार होती है। सभी राजनीतिक दल भागीदार होते हैं। निर्णय प्रक्रिया पूर्णतया संघीय ढांचे के तहत हो रही है। और मेरे देश के सभी व्यापारी आलम ने जीएसटी का विरोध नहीं किया है। उसको स्वीकार किया है। उसने अगर शिकायत की है तो उसमें जो छोटी-मोटी कमियां है, उसकी की है। और वो भी हमारे ध्यान में लाता है कि साहब ये तो ठीक है लेकिन ये थोड़ा सुधारना पड़ेगा। हम भी व्यापारी आलम से कहते हैं, आप सुझाव दीजिए। ये मेरी सरकार खुले मन से चलती है। हम सारे सुधार करने के लिए तैयार हैं।

मैंने ये भी कहा है सरकार को। अब जो ईमानदारी का माहौल बना है। कई व्यापारी हैं जो पहले बिना बिल काम करते थे। वो कहते हैं कि हमें अब ऐसा काम नहीं करना है। हमको कानून और नियम से चलना है लेकिन उनको डर रहता है कि अगर वह कानून और नियम का पालन करें और बाबू लोग आकरके अगर ये कहे कि 2016-17 में इतना हुआ है मतलब 2010-11 में हुआ होगा, 2011-12 को में इतना हुआ, 12-13 में इतना हुआ होगा, 13-14 में इतना हुआ होगा, 14-15 में इतना होग। अब तुम्हारा कच्चा चिट्ठा खोलते हैं। मैं व्यापारी आलम को विश्वास देता हूं कि कोई भी बाबू, कोई भी सरकारी अफसर आपके पुराने दफ्तर को नहीं खोलेगा।

जो देश के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं, इनको पूरी सुरक्षा दी जाएगी भाइयों बहनों। भूत काल में हो गया सो हो गया। अब हमें नए सिरे से सही राह पर चलने वालों का स्वागत है। उनको सुरक्षा दी जाएगी। देश में ईमानदारी की ओर जाने का एक माहौल पैदा हुआ है। और सरकार का काम है उन सबको मदद करना। और इसलिए मैं हर छोटे-मोटे हर व्यापारी को विश्वास दिलाता हूं कि आप चिंतामुक्त हो जाइए। फिर भी कोई बाबू आपको परेशान करता है, गड़बड़ करता है तो आप मुझे चिट्ठी लिखिए। आपकी लड़ाई मैं लडूंगा।

भाइयों बहनों।

मैं जानता हूं कि कई लोगों को परेशानियां होती है लेकिन उन परेशानियों के बावजूद भी हम आज आगे बढ़ना चाहते हैं। बीदर एक ऐसी धरती है, जिस धरती से सरदार पटेल को बार-बार याद किया जाता है। जब देश आजाद हुआ और आजाद हिन्दुस्तान जश्न मना रहा था तब यहां पर वो सद्भाग्य प्राप्त नहीं हुआ था। निजाम की सल्तनत आजादी की राह में रोड़े डाल रही थी। तब ये सरदार वल्लभ भाई पटेल थे, जिन्होंने साम दाम दंड भेद की ताकत का परिचय कराया। और इस पूरे भूभाग को स्वतंत्र कराने का बीड़ा उठाया। और यहां के लोग, और खासकरके गौराटा। कितने लोगों ने बलिदान दिए, कितने लोगों ने लड़ाई लड़ी।

मैं खास करके भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को, यहां के युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं कि गौराटा में शहीदों का भव्य स्मारक निर्माण करने में लगे हुए हैं। इतिहास को कभी भूलने नहीं देना चाहिए। इतिहास को हमेशा जीने का प्रयास करना चाहिए। भाइयों बहनों। आज इतनी बड़ी संख्या में आकरके आपने स्वागत सम्मान किए, आशीर्वाद दिये, प्यार दिये। मैं आपका ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। दो मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मारतम।



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Chess champion Gukesh D meets Prime Minister
December 28, 2024

Chess champion Gukesh D met the Prime Minister Shri Narendra Modi today. Shri Modi lauded his determination and dedication and said his confidence was truly inspiring. He remarked that their conversation today revolved around the transformative potential of yoga and meditation.

In a thread post on X, Shri Modi wrote:

“Had an excellent interaction with chess champion and India’s pride, @DGukesh!

I have been closely interacting with him for a few years now, and what strikes me most about him is his determination and dedication. His confidence is truly inspiring. In fact, I recall seeing a video of his few years ago where he had said he would become the youngest world champion— a prediction that has now clearly come true thanks to his own efforts.”

“Along with confidence, Gukesh embodies calmness and humility. Upon winning, he was composed, basking in his glory while fully understanding how to process this hard-earned victory. Our conversation today revolved around the transformative potential of yoga and meditation.”

“In the success of every athlete, their parents play a pivotal role. I complimented Gukesh’s parents for supporting him through thick and thin. Their dedication will inspire countless parents of young aspirants who dream of pursuing sports as a career.”

“I am also delighted to have received from Gukesh the original chessboard from the game he won. The chessboard, autographed by both him and Ding Liren, is a cherished memento.”