Shri Narendra Modi's address at the Vivekananda NMO Conference

Published By : Admin | February 16, 2013 | 13:58 IST

मंच पर बिराजमान एन.एम.ओ. के सभी पदाधिकारी, भारत के भिन्न-भिन्न भागों से आए हुए सभी प्रतिनिधि बंधु और नौजवान मित्रों..!

हम लोग एक ही अखाड़े से आए हैं और इसलिए हम सबको अपनी भाषा का पता है, भावनाओं का पता है, रास्ता भी मालूम है, लक्ष्य का भी पता है और इसलिए कौन किसको क्या कहे, कौन किससे क्या सुने..? और इसलिए मैं कुछ ना भी बोलूं तो भी बात पहुँच जाएगी। मैं अनुमान लगा सकता हूँ कि मेरे यहाँ आने से पहले सुबह से अब तक आपने क्या किया होगा और मैं ये भी अनुमान लगा सकता हूँ कि कल क्या करोगे। मैं ये भी अंदाज कर सकता हूँ कि अगले अधिवेशन का आपका ऐजेन्डा क्या होगा, क्योंकि हम सब लोग एक ही अखाड़े से आए हैं..!

मित्रों, स्वामी विवेकानंद जी की जब बात होती है तो एक बात उभर करके आती है कि वो परिस्थिति के बहावे में बहने वाले शख्सियत नहीं थे। जिन लोगों ने स्वामी विवेकानंद जी को पढ़ा होगा और जिन्होंने उस कार्यकाल की समाज व्यवस्था के सूत्रधारों को पढ़ा होगा, तो वे भलीभाँति अंदाजा लगा सकते हैं कि विवेकानंद जी को कोई काम सरलता से करने का सौभाग्य ही नहीं मिला था। हर पल, हर छोटी बात के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा था। कोई चीज उन्हें सहज मिली नहीं थी और जब मिली तब स्वीकार्य नहीं थी। यह उनकी एक और विशेषता थी। रामकृष्ण परमहंस मिले, तो उनको भी उन्होंने सहज रूप से स्वीकार्य नहीं किया, उनकी भी उन्होंने कसौटी की..! काली के पास गए, रामकृष्ण देव की ताकत थी कि काली मिली, लेकिन स्वीकार करने से इनकार कर दिया। तो एक ऐसी शख्सियत की तरफ हम जाएं। हम जीवन में संघर्ष के लिए कितने कटिबद्घ हैं, कितने प्रतिबद्घ हैं..! थोड़ा सा भी हवा का रूख बदल जाए तो कहीं बैचेनी तो नहीं अनुभव करते, ऐसा तो नहीं लगता आपको कि यार, अब क्या होगा, हालात तो कुछ अनुकूल नहीं हैं..! तो मित्रों, वो जिंदगी नहीं जी सकते हैं, और जो खुद जिंदगी नहीं जी सकते वो औरों को जिंदगी जीने की ताकत कैसे दे सकते हैं..! और डॉक्टर का काम होता है औरों को जिंदगी जीने की ताकत देना। कोई डॉक्टर नहीं चाहेगा कि उसका पेशेन्ट हमेशा उस पर निर्भर रहे। डॉक्टर और वकील में यही तो फर्क होता है..! और वहीं पर सोचने की प्रवृति में अंतर नजर आता है। और अगर हमने उसको आत्मसात किया... मित्रों, जो सफल डॉक्टर है, उसका बंगला कितना बड़ा है, घर के आगे गाड़ियाँ कितनी खड़ी हैं, बैंक बैलेंस कैसा है... उसके आधार पर कभी भी किसी डॉक्टर की सफलता का निर्धारण नहीं हुआ है। डॉक्टर की सफलता का निर्धारण इस बात पर हुआ है कि उसने कितनी जिंदगी को बचाया, कितनों को नया जीवन दिया, किसी असाध्य रोग के मरीज के लिए उसने जिंदगी कैसे खपा दी, एक डिज़ीज़ के लिए चैन कैसे खोया..! मित्रों, इसलिए अगर मैं एन.एम.ओ. से जुड़ा हुआ हूँ, राष्ट्रीय भावना से भरा हुआ हूँ, सुबह-शाम दिन-रात भारत माँ की जय कहता हूँ, लेकिन भारत माँ के ही अंश रूप एक मरीज जो मेरे पास खड़ा है, वो मरीज सिर्फ एक इंसान नहीं है, मेरी भारत माँ का जीता-जागता अंश है और उस मरीज की सेवा ही मेरी भारत माँ की सेवा है, ये भाव जब तक भीतर प्रकटता नहीं है तब तक एन.एम.ओ. की भावना ने मेरी रगो में प्रवेश नहीं किया है..!

मित्रों, अभी देश 1962 की लड़ाई के पचास साल को याद कर रहा था। मीडिया में उसकी चर्चा चल रही थी। कौन दोषी, कौन अपराधी, किसकी गलती, क्या गलती... इसी पर डिबेट चल रहा था। मित्रों, अगर पचास साल के बाद भी इस पीढी को एक कसक हो, एक दर्द हो, एक पीड़ा हो कि कभी उस लड़ाई में हम हारे थे, हमारी मातृभूमि को हमने गंवाया था, तो उसमें विजय को प्राप्त करने के बीज भी मौजूद होते हैं। मित्रों, जिस स्वामी विवेकानंद जी की हम बात करते रहते हैं, जो सदा सर्वदा हमें प्रेरणा देते रहते हैं, लेकिन क्या कभी हमने सोचा कि जब आज उनके 150 साल मना रहे हैं और 125 साल पहले 25 साल की आयु में जिस नौजवान संन्यासी ने एक सपना देखा था कि मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूँ कि मेरी भारत माता जगदगुरू के स्थान पर विराजमान होगी, मैं उसका भव्य, दिव्य रूप खुद देख रहा हूँ..! ये विवेकानंद जी ने 25 साल की आयु में दुनिया के सामने डंके की चोट पर कहा था। किसके भरोसे कहा था..? उन्होंने व्याख्यायित किया था कि इस देश के नौजवान ये परस्थिति पैदा करेंगे..! 150 साल मनाते समय क्या दिल में कसक है, दिल में दर्द है, पीड़ा है कि ऐसे महापुरुष जिसके प्रति हमारी इतनी भक्ति होने के बावजूद भी, 25 साल की आयु में जिन शब्दों को उन्होंने कहा था, 125 साल उन शब्दों को बीत गए, वो सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ, क्या उसकी पीड़ा है, दर्द है..? पीढ़ियाँ पूरी हो गई, हम भी आए हैं और चले जाएंगे, क्या वो सपना अधूरा रहेगा..? अगर वो सपना अधूरा रहना ही है तो 150 साल मनाने से शायद ये कर्मकांड हो जाएगा और इसलिए मैं चाहता हूँ कि 150 साल जब मना रहे हैं तब, हम कुछ पा सकें या ना पा सकें, कुछ परिस्थितियां पलट सकें या ना पलट सकें, लेकिन कम से कम दिल में एक दर्द तो पैदा करें, एक कसक तो पैदा करें कि हमने समय गंवा दिया..!

मित्रों, ये महापुरूष ने जीवन के अंतकाल के आखिरी समय में कहा था कि समय की माँग है कि आप अपने भगवान को भूल जाओ, अपने ईष्ट देवता को भूल जाओ। अपने परमात्मा, अपने ईश्वर को डूबो दो। एकमात्र भारत माता की पूजा करो। एक ही ईष्ट देवता हो..! और पचास साल के लिए करो। और विवेकानंद जी के ऐसा कहने के ठीक पचास साल के बाद 1947 में ये देश आजाद हुआ था। मित्रों, कल्पना करो कि 1902 में जब स्वामी विवेकानंद जी ने ये बात कही थी, उस समय आज का मीडिया होता तो क्या होता..? आज के विवेचक होते तो क्या होता..? आज के आलोचक होते तो क्या होता..? चर्चा यही होती कि ये कैसा व्यक्ति है, जिसने ऐजेंडा बदल दिया और सिद्घांतो को छोड़ दिया..! जिस भगवान के लिए पांच-पांच हजार साल से एक कल्पना करके पीढ़ियों तक जो समाज चला, ये कह रहे हैं कि इसको छोड़ दो..! ये तो डूबो देगा देश को और संस्कृति को। सब छोड़ने के लिए कह रहा है, सब भगवान को छोड़ने के लिए कह रहा है..! पता नहीं उन पर क्या-क्या बीतती और बीती भी होगी, थोड़ा बहुत तो तब भी किया ही होगा..! हम जिस परिवार से आ रहे हैं, जिस परंपरा से आ रहे हैं, क्या हम इसमें से कुछ सबक सीखने के लिए तैयार हैं..? अगर सबक सीखने की ताकत होगी तो रास्ते अपने आप मिल जाएगें और मंजिल भी मिल जाएगी..! लेकिन इसके लिए बहुत बड़ा साहस लगता है दोस्तों, बहुत बड़ा साहस लगता है। अपनी बनी बनाई दुनिया को छोड़ कर के निकलने के लिए एक बहुत बड़ी ताकत चाहिए और अगर वो ताकत खो दें, तो हम शरीर से तो जिंदा होंगे लेकिन प्राण-शक्ति का अभाव होगा..! इसलिए जब विवेकानंद जी को याद करते हैं तब उस सामर्थ्य के आविष्कार की आवश्यकता है। उस सामर्थ्य को लेकर के जीना, सपनों को देखना, सपनों को साकार करना, उस सामर्थ्यता की आवश्यकता है।

आप एक डॉक्टर के नाते काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में जो विद्यार्थी मित्र हैं, वे डॉक्टर बनने वाले हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए आपने क्या कुछ नहीं छोड़ा होगा..! दसवीं कक्षा में इतने मार्क्स लाने के लिए कितनी रात जगे होंगे..! 12वीं के लिए माँ-बाप को रात-रात दौड़ाया होगा। देखिए पेपर्स कहाँ गए हैं, देखिए रिजल्ट क्या आ रहा है..! डोनेशन से सीट मिले तो कहाँ मिले, मेरिट पर मिले तो कहाँ मिले..! कोई बात नहीं, एम.बी.बी.एस. नहीं तो डेन्टल ही सही..! अरे, वो भी ना मिले तो कोई बात नहीं, फिज़ीयोथेरेपी सही..! ना जाने कितने-कितने सपने बुने होंगे..! और अब एक बार वहाँ प्रवेश कर गए..! मैं मेडिकल स्टूडेंट्स से प्रार्थना करता हूँ कि आप सोचिए कि 12वीं की एक्जाम तक की आपकी मन:स्थिति, रिजल्ट आने तक की आपकी मन:स्थिति या मेडिकल कॉलेज में एंट्रेंस तक की मन:स्थिति... जिन भावनाओं के कारण, जिन प्रेरणा के कारण आप रात-रात भर मेहनत करते थे, क्या मेडिकल में प्रवेश पाने के बाद वो ऊर्जा जिंदा है, दोस्तों..? वो प्रेरणा आपको पुरूषार्थ करने के लिए ताकत देती है..? अगर नहीं देती है तो फिर आप भी कहीं पैसे कमाने का मशीन तो नहीं बन जाओगे, दोस्तों..? इतनी तपस्या करके जिस चीज को आपने पाया है, ये अगर धन और दौलत को इक्कठा करने का एक मशीन बन जाए तो

मित्रों, 10, 11, 12वीं कक्षा की आपकी जो तपस्या है, आपके लिए आपके माँ-बाप रात-रात भर जगे हैं, आपके छोटे भाई ने भी टी.वी. नहीं देखा, क्यों..? मेरी बड़ी बहन के 12वीं के एक्जाम हैं। आपकी माँ उसके सगे भाई की शादी में नहीं गई, क्यों..? बेटी की 12वीं की एक्जाम है। मित्रों, कितना तप किया था..! मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ दोस्तों, उस तप को कभी भूलना मत। इस चीज को पाने के लिए जो कष्ट आपने झेला है, हो सकता है वो कष्ट खुद ही आपके अंदर समाज के प्रति संवेदना जगाने का कारण बन जाए, आपको बाहर से किसी ताकत की आवश्यकता नहीं रहे..! मित्रों, एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जब एक मरीज आता है, तो उस ऑर्थोपेडिक डॉक्टर को तय करना होगा कि उस मरीज में उसे इंसान नजर आता है कि हड्डियाँ नजर आती हैं..! मित्रों, अगर उसे हड्डियाँ नजर आती हैं तो बड़े एक्सपर्ट डॉक्टर के रूप में उसकी हड्डियाँ ठीक करके उसे वापिस भेज भी देगा, लेकिन अगर इंसान नजर आएगा तो उसका जीवन सफल हो जाएगा।

मित्रों, जीवन किस प्रकार से बदल रहा है, जीवन के मूल्य किस प्रकार से बदल रहे हैं..! अर्थ प्रधान जीवन बनता जा रहा है और अर्थ प्रधान जीवन के कारण स्थितियाँ क्या बनी हैं..? डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन दे दिया, हाथ को काटना पड़ा, हाथ चला गया... ठीक है, दो लाख का इन्श्योरेंस है, दो लाख का बीमा मंजूर हो जाएगा..! एक आंख चली गई, ढाई लाख का बीमा मंजूर हो जाएगा..! एक्सीडेंट हुआ, एक पैर कट गया... पाँच लाख मिल जाएंगे..! मित्रों, क्या ये शरीर, ये अंग-उपांग रूपयों के तराजू से तोले जा सकते हैं..? हाथ कटा दो लाख, पैर कटा पाँच लाख, आँख चली गई डेढ लाख दे दो..! मित्रों, आँख चली जाती है तो सिर्फ एक अंग नहीं जाता है, जिंदगी का प्रकाश चला जाता है। पैर कटने से शरीर का एक अंग नहीं जाता है, पैर कटता है तो जिंदगी की गति रूक जाती है। क्या जीवन को उस नजर से देखने का प्रयास किया है हमने..? और इसलिए मित्रों, सामान्य मानवी के मन में डॉक्टर की कल्पना क्या है..? सामान्य मानवी डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप मानता है, सामान्य मानवी मानता है कि जैसे भगवान मेरी जिंदगी बचाता है, वैसे ही अगर डॉक्टर के भरोसे मेरी जिंदगी रख दूँ तो हो सकता है कि वो मेरी जिंदगी बचा ले..! आप एक पेशेंट को बचाते हैं ऐसा नहीं है, आप कईयों के सपनों को संजो देते हैं, जब किसी कि जिंदगी बचाते हैं..! लेकिन ये महात्मा गांधी की तस्वीर वाली नोट से नहीं होता है, महात्मा गांधी के जीवन को याद रखने से होता है और ये भाव जगाने का काम एन.एम.ओ. के द्वारा होता है।

मित्रों, मुझे भूतकाल में गुजरात के एन.एम.ओ. के कुछ मित्रों से बातचीत करने का अवसर मिला है और विशेष कर के ये जब नार्थ-ईस्ट जाकर के आते हैं तो उनके पास कहने के लिए इतना सारा होता है, जैसे कंप्यूटर के ऊपर आप किसी स्विच पर क्लिक करो और सारी दुनिया उतर आती है, वैसे ही उनको पूछो कि नार्थ-ईस्ट कैसा रहा तो समझ लीजिए आपका दो-तीन घंटा आराम से बीत जाएगा..! वो हर गली-मोहल्ले की बात बताता है। मित्रों, नार्थ-ईस्ट के मित्रों को हमसे कितना लाभ होता होगा उसका मुझे अंदाजा नहीं है, लेकिन उनके कारण जाने वाले को लाभ होता होगा ये मुझे पूरा भरोसा है। अपनों को ही जब अलग-अलग रूप में देखते हैं, मिलते हैं, जानते हैं, उनकी भावनाओं को समझते हैं तो वो हमारी पूंजी बन जाती है, वो हमारी अपनी ऊर्जा शक्ति के रूप में कन्वर्ट हो जाती है और उसको लेकर के हम अगर आगे चलते हैं तो हमें एक नई ताकत मिलती है।

मित्रों, कभी-कभी हमारी विफलता का एक कारण ये होता है कि हमें अपने आप पर आस्था नहीं होती है, हमें खुद पर भरोसा नहीं होता है और ज्यादातर समस्या की जड़ में ये प्रमुख कारण होता है। अगर आपको अपनी ही बात पर आस्था नहीं हो और आप चाहो कि दुनिया इसको माने तो ये संभव नहीं है। होमियोपैथी डॉक्टर बन गया क्योंकि वहाँ एडमिशन नहीं मिला था। लेकिन क्योंकि अब डॉक्टर का लेबल लग गया है तो मैं होमियोपैथी नहीं, अब तो मैं जनरल प्रेक्टिस करूंगा और एलोपैथी का भी उपयोग करूँगा..! अगर मेरी ही मेरी स्ट्रीम पर आस्था नहीं है, तो मैं कैसे चाहूँगा की और पेशेंट भी होमियोपैथी के लिए आएँ..! मैं आयुर्वेद का डॉक्टर बन गया। पता था कि उसमें तो हमारा नंबर लगने वाला नहीं है तो पहले से ही संस्कृत लेकर रखी थी..! मुझे जानकारियाँ हैं ना..? मैं सही बोल रहा हूँ ना..? आप ही की बात बता रहा हूँ ना..? नहीं, आपकी नहीं है, जो बाहर है उनकी है..! आयुर्वेद डॉक्टर का बोर्ड लगा दिया, फिर इंजेक्शन शुरू..! हमारी अपनी चीजों पर हमारी अगर आस्था नहीं है तो हम जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते। मैं एन.एम.ओ. से जुड़े मित्रों से आग्रह करूंगा कि जिस रास्ते को हमने जीवन में पाया है, जहाँ हम पहुंचे हैं उसकी प्रतिष्ठा बढ़ाना भी हमारा काम है।

मित्रों, ये तो अच्छा हुआ है कि पूरी दुनिया में होलिस्टिक हैल्थ केयर का एक माहौल बना हुआ है। साइड इफैक्ट ना हो इसकी कान्शसनेस आई है और इसके कारण लोगों ने ट्रेडिशनल मार्ग पर जाना शुरू किया है और उसका बेनिफिट भी मिला है सबको। लेकिन व्यावसायिक सफलता एक बात है, श्रद्धा दूसरी बात है। और कभी-कभी डॉक्टर को तो श्रद्घा चाहिए, लेकिन पेशेंट को भी श्रद्घा चाहिए..! मैं जब संघ के प्रचारक के नाते शाखा का काम देखता था, तो बड़ौदा जिले में मेरा दौरा चल रहा था। वहां एक चलामली करके एक छोटा सा स्थान है, तो वहाँ एक डॉक्टर परिवार था जो संघ से संपर्क रखता था तो वहाँ हम जाते थे और उन्हीं के यहाँ रहते थे। वहाँ सभी ट्राइबल पेशेंट आते थे और सबसे पहले इंजेक्शन की माँग करते थे। और उनकी ये सोच थी कि डॉक्टर अगर इन्जेक्शन नहीं देता है तो डॉक्टर निकम्मा है, इसको कुछ भी आता नहीं है..! ये उनकी सोच थी और इन लोगों को भी उसको इंजेक्शन की जरूरत हो, ना हो, कुछ भी हो, मगर इंजेक्शन देना ही पड़ता था..! कभी-कभी पेशेंट की मांग को भी उनको पूरा करना पड़ता है। मित्रों, मेरे कहने का मतलब ये था कि हमें इन चीजों पर श्रद्घा होना बहुत जरूरी है। एक पुरानी घटना हमने सुनी थी कि पुराने जमाने में जो वैद्यराज होते थे, वो अपना सारा सामान लेकर के भ्रमण करते रहते थे। और अगर उनको पता हो कि इस इलाके में इतनी जड़ी-बूटियों का क्षेत्र है तो उसी गाँव में महीना, छह महीना, साल भर रहना और जड़ी-बूटियों का अभ्यास करना, दवाइयाँ बनाना, प्रयोग करना, उसमें से ट्रेडिशन डेवलप करना, फिर वहां से दूसरे इलाके में जाना, वहां करना... पुराने जमाने में वैद्यराज की जिंदगी ऐसी ही हुआ करती थी। एक बार एक गाँव में एक वैद्यराज आए तो एक पेशेंट उनको मिला, उसकी कुछ चमडी की बिमारी थी, कुछ कठिनाइ थी, कुछ ठीक नहीं हो रहा था। वैद्यराज जी को उसने कहा कि मैं तो बहुत दवाई कर-कर के थक गया, दुनिया भर की जड़ी-बूटी खा-खा कर मर रहा हूँ, मेरा तो कोई ठिकाना नहीं रहा है और मैं बहुत परेशान रहता हूँ..! तो वैद्यराज जी ने कहा कि अच्छा भाई, कल आना..! हफ्ते भर रोज आए-बुलाए, कोई दवाई नहीं देते थे, केवल बात करते रहते थे..! आखिर उसने कहा कि वैद्यराज जी, आप मुझे बुलाते हो लेकिन कोई दवाई वगैरह तो करो..! बोले भाई, दवाई तो है मेरे पास लेकिन उसके लिए परहेज की बड़ी आवश्यकता है, तुम करोगे..? तो बोला अरे, मैं इतना जिंदगी में परेशान हो चुका हूँ, जो भी परहेज है उसे मैं स्वीकार कर लूंगा..! तो वैद्यराज बोले कि चलो मैं दवाई शुरू करता हूँ। तो उन्होंने दवाई शुरू की और परहेज में क्या था..? रोज खिचडी और कैस्टर ऑइल, ये ही खाना। खिचड़ी और कैस्टर ऑयल मिला कर के खाना..! अब आपको सुन कर भी कैसा लग रहा है..! तो उसने कहा कि ठीक है। अब वो एक-दो महीना उसकी दवाई चली और उतने में वो वैद्यराज जी को लगा कि अब किसी दूसरे इलाके में जाना चाहिए, तो वो चल पड़े और उसको बता दिया कि ये ये जड़ी-बूटियाँ हैं, ऐसे-ऐसे दवाई बनाना और ऐसे तुमको करना है..! बीस साल के बाद वो वैद्यराज जी घूमते घूमते उस गाँव में वापस आए। वापिस आए तो वो जो पुराना मरीज था उसको लगा कि हाँ ये ही वो वैद्यराज है जो पहले आए थे। तो उसने जा कर के उनको साष्टांग प्रणाम किया। साष्टांग प्रणाम किया तो वैद्यराज जी ने सोचा कि ये कौन सा भक्त मिल गया जो मुझे साष्टांग  प्रणाम कर रहा है..! तो बोले भाई, क्या बात है..? तो उसने पूछा कि आपने मुझे पहचाना..? बोले नहीं भाई, नहीं पहचाना..! अरे, आप बीस साल पहले इस गाँव में आए थे और आपने एक मरीज को ऐसी-ऐसी दवाई दी थी, मैं वही हूँ और मेरा सारा रोग चला गया और मैं ठीक-ठाक हूँ..! तो वैद्यराज जी ने पूछा कि अच्छा भाई, वो परहेज तूने रखी..? अरे साब, परहेज को छोड़ो, आज भी वही खाता हूँ..! मित्रों, उस वैद्यराज की आस्था कितनी और इस पेशेंट की तपश्चर्या कितनी और उसके कारण परिणाम कितना मिला, आप अंदाज लगा सकते हैं। और इसलिए हम जिस क्षेत्र में हैं उस क्षेत्र को हमें उस प्रकार से देखना होगा।

मित्रों, हमारे यहाँ विवेकानंद जी की जब बात आती है तो दरिद्र नारायण की सेवा, ये सहज बात निकल कर आती है। आज हम स्वामी विवेकानंद जी के 150 वर्ष मना रहे हैं तब हम विवेकानंद जी की उसी भावना को अपने शब्दों में प्रकट करके आगे बढ़ सकते हैं क्या? विवेकानंद जी के लिए जितना माहात्म्य दरिद्र नारायण की सेवा का था, एक डॉक्टर के नाते मेरे लिए भी दर्दी नारायण है, ये दर्दी नारायण की सेवा करना और दर्दी ही भगवान का रूप है, ये भाव लेकर के अगर हम आगे बढ़ते हैं तो मुझे विश्वास है कि जीवन में हमें सफलता का आंनद और संतोष मिलेगा। विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती हमारे जीवन को मोल्ड करने के लिए एक बहुत बड़ा अवसर बन कर के रहेगी।

बहुत सारे मित्रों गुजरात के बाहर से आए हैं। कई लोग होंगे जिन्होंने गुजरात पहली बार देखा होगा। और अब आपको कभी अगर अमिताभ बच्चन जी मिल जाए तो उन्हें जरूर कहना कि हमने भी कुछ दिन गुजारे थे गुजरात में..! आप आए हैं तो जरूर गिर के लायन देखने के लिए चले जाइए, आए हैं तो सोमनाथ और द्वारका देखिए, कच्छ का रन देखिए..! इसलिए देखिए क्योंकि मेरा काम है मेरे राज्य के टूरिज्म को डेवलप करना..! और हम गुजरातियों के ब्लड में बिजनेस होता है, तो मैं आया हूँ तो बिजनेस किये बिना जा नहीं सकता। मेरा इन दिनों का बिजनेस यही है कि आप मेरे गुजरात में टूरिज्म का मजा लिजीए, आप गुजरात को देखिए, सिर्फ इस कमरे में मत बैठे रहिए। अधिवेशन के बाद जाइए, बीच में से मत जाइए..!

बहुत-बहुत धन्यवाद, मित्रों..!

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भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

श्रीकृष्णाच्या या पावन नगरीत भगवान श्रीकृष्णाला माझा साष्टांग दंडवत आणि तुम्हा सगळ्यांना राम राम !

राजस्थानचे राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, राजस्थानचे लोकप्रिय मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रिय मंत्रीमंडळातले माझे सहकारी सी. आर. पाटील, भगीरथ चौधरी, राजस्थानच्या उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, प्रेम चंद भेरवा आणि अन्य मंत्री, खासदार, राजस्थानचे आमदार, मान्यवर व्यक्ती तसंच राजस्थानमधल्या माझ्या प्रिय बंधु भगिनींनो,  

राजस्थानचे नागरिक, राजस्थानमधलं भाजपा सरकार यांना सरकारच्या कार्यकाळाच्या वर्षपूर्तीनिमित्त माझ्या अनेक शुभेच्छा. तुम्ही सगळे लाखोंच्या संख्येनं आशीर्वाद देण्यासाठी आलात त्याबद्दल मनःपूर्वक धन्यवाद. खुल्या जीपमधून इथे येताना मी तिकडे पाहात होतो तेव्हा मंडपात जितके लोक आहेत त्याच्या तिप्पट लोक मंडपाबाहेर थांबलेले दिसत आहेत. एवढ्या मोठ्या प्रमाणात तुमचे आशीर्वाद मला मिळतायत हे माझं भाग्यच आहे.  गेल्या वर्षभरात राजस्थानच्या विकासाला नवी दिशा आणि गती देण्यासाठी भजनलाल यांच्या सरकारनं खूप मेहनत घेतली आहे. हे पहिल्या वर्षानं एकप्रकारे भविष्याचा पाया रचला आहे. म्हणूनच आजचा उत्सव केवळ सरकारला एक वर्ष पूर्ण झाल्याचा नाही तर तो राजस्थानच्या कीर्तीप्रकाशाचा, विकासाचाही उत्सव आहे.

काही दिवसांपूर्वीच मी गुंतवणूकदार परिषदेसाठी राजस्थानमध्ये आलो होतो. देश-परदेशांतले मोठे गुंतवणूकदार इथं आले होते. आणि आता आज इथं 45-50 हजार कोटी रुपयांपेक्षा जास्त रकमेच्या प्रकल्पांचं लोकार्पण आणि कोनशीला समारंभ झाला. या प्रकल्पांमुळे राजस्थानमधल्या पाण्याच्या समस्येवर कायमस्वरुपी तोडगा निघेल. या प्रकल्पांमुळे संपर्कव्यवस्था सक्षम असलेल्या राज्यांमध्ये राजस्थानचा समावेश होईल. यामुळे राजस्थामध्ये गुंतवणूक वाढेल आणि रोजगाराच्याही असंख्य संधी निर्माण होतील. राजस्थानमधल्या पर्यटन क्षेत्राला, शेतकऱ्यांना आणि युवा पिढीला याचा खूप फायदा होईल.

 

मित्रांनो,

ज्या राज्यांमध्ये भाजपाचं डबल इंजिन सरकार आहे तिथे ते सरकार आता सुशासनाचं प्रतीक बनत आहे. केलेला संकल्प पूर्ण करण्यासाठी भाजप प्रामाणिकपणे प्रयत्न करतो. आता देशातले नागरिक असं म्हणायला लागलेत की भाजपा म्हणजे सुशासनाची हमी. आणि म्हणूनच लागोपाठ अनेक राज्यांमध्ये भाजपला मोठ्या प्रमाणात जनतेचा पाठिंबा मिळत आहे. लोकसभा निवडणुकीत बहुमतानं निवडून देऊन जनतेनं भाजपाला सलग तिसऱ्या वेळी देशाची सेवा करण्याची संधी दिली आहे. गेल्या 60 वर्षात हिंदुस्तानमध्ये असं कधीच झालं नाही. 60 वर्षांनंतर भारतीयांनी तिसऱ्या वेळी केंद्रात सत्ता स्थापन केली आहे, तेही सलग तिसऱ्यांदा. आम्हाला देशाची सेवा करण्याची संधी दिली, आशीर्वाद दिले.  आत्ता काही दिवसांपूर्वीच महाराष्ट्रात भाजपानं दुसऱ्यांदा सत्ता स्थापन केली. निवडणूक निकालांच्या पार्श्वभूमीवर खरंतर तिसऱ्यांदा भाजपाला बहुमत मिळालं आहे. तिथंही भाजपाचे आधीपेक्षा जास्त आमदार निवडून आले आहेत. याआधी हरियाणामध्ये सलग तिसऱ्यांदा भाजपाचं सरकार आलं आहे. हरियाणामध्येही लोकांनी आधीपेक्षा जास्त मतांनी आम्हाला निवडून दिलं आहे. नुकत्याच झालेल्या राजस्थानच्या पोटनिवडणुकीतही लोकांनी भाजपाला समर्थन दिल्याचं आपण पाहिलं आहेच. यातून हेच दिसून येतं की, भाजपाचं काम आणि भाजपा कार्यकर्त्यांच्या मेहनतीवर लोकांचा पूर्ण विश्वास आहे.     

मित्रांनो,

आमचं भाग्य आहे की राजस्थानमधल्या लोकांनी खूप वर्षांपासून भाजपाला सेवेची संधी दिली आहे. पहिल्यांदा भैरो सिंह शेखावत यांनी राजस्थानमधल्या विकासाचा पाया घातला.  त्यानंतर वसुंधरा राजेंनी सुशासनाची परंपरा पुढे चालू ठेवली आणि आता भजनलाल यांचं सरकार सुशासनाची ही परंपरा आणखी समृद्ध करण्यासाठी मेहनत घेत आहे. गेल्या एक वर्षाच्या कामातून याचाच प्रत्यय दिसून येत आहे.  मित्रांनो,

गेल्या वर्षभरात काय काय कामं झाली याबाबत इथं तपशीलवार माहिती दिली आहे. विशेष करुन गरीब कुटुंब, महिला-मुली, कष्टकरी लोक, कामगार, भटक्या परिवारांसाठी अनेक निर्णय घेतले गेले. इथल्या तरुण पिढीवर गेल्यावेळच्या काँग्रेस सरकारनं खूप अन्याय केला. पेपरफुटी आणि भरतीमधला घोटाळा ही राजस्थानची ओळख बनली होती. भाजपा सरकारनं सत्तेत येताच याची चौकशी सुरू केली आणि अनेक जणांना अटकही केली. एवढंच नाही तर भाजपा सरकारनं राजस्थानमध्ये गेल्या वर्षभरात मोठ्या संख्येनं भरती प्रक्रिया सुरू केली. राज्यात संपूर्ण पारदर्शक स्वरुपात परीक्षा घेतल्या, नियुक्त्या पण केल्या. गेल्या सरकारच्या काळात राजस्थानमध्ये इतर राज्यांच्या तुलनेत पेट्रोल, डिझेल महाग होतं. राजस्थानमध्ये भाजपा सरकार स्थापन झाल्यानंतर लगेचच इथल्या लोकांना दिलासा मिळाला. पंतप्रधान किसान सन्मान निधी योजनेअंतर्गत केंद्र सरकार थेट शेतकऱ्यांच्या बँक खात्यात रक्कम जमा करत आहे. आता राजस्थानमधल्या डबल इंजिन भाजपा सरकारनं त्यात आपली भर घालून शेतकऱ्यांना जास्तीची मदत द्यायला सुरुवात केली आहे. इथलं डबल इंजिन सरकार पायाभूत सुविधा क्षेत्रातली कामंही वेगानं पूर्ण करत आहे. भाजपानं जी आश्वासनं दिली होती त्यांची वेळेत पूर्तता केली जात आहे. आजचा हा कार्यक्रम देखील त्याचाच एक महत्त्वपूर्ण भाग आहे.   

 

मित्रांनो,

राजस्थानातल्या लोकांच्या आशीर्वादामुळे गेली दहा वर्ष केंद्रात भाजपाची सत्ता आहे. या दहा वर्षांत आम्ही लोकांना सुविधा पुरवण्यावर, त्यांच्या आयुष्यातल्या अडचणी कमी करण्यावर भर दिला. स्वातंत्र्य मिळाल्यानंतरच्या 50-60 वर्षांमध्ये काँग्रेसनं जितकं काम केलं त्याच्यापेक्षा जास्त काम आम्ही केवळ 10 वर्षातच करुन दाखवलं. राजस्थानचंच उदाहरण घ्या... पाण्याचं महत्त्व राजस्थानपेक्षा जास्त कुणाला समजू शकतं इथल्या अनेक भागात इतका भयंकर दुष्काळ पडतो आणि दुसरीकडे काही ठिकाणी आपल्या नद्यांचं पाणी न वापरताच समुद्रात वाहून जातं. म्हणूनच अटल बिहारी वाजपेयी यांच्या सरकारनं त्यावेळी नदीजोड प्रकल्पाची कल्पना मांडली होती. त्यांनी यासाठी एक विशेष समिती नेमली होती. या सगळ्याचा उद्देश हाच होता की, ज्या नद्यांमधलं पाणी वापराविना समुद्रात वाहून जातं ते दुष्काळग्रस्त भागापर्यंत पोहोचवणं.

यामुळे एकीकडे पुराची समस्या आणि दुसरीकडे दुष्काळाची समस्या या दोन्ही समस्या सोडवणे शक्य होते. याचं समर्थन करत सर्वोच्च न्यायालयानेही अनेकदा आपले मत व्यक्त केले आहे. मात्र तुमच्या जीवनातून पाण्याची समस्या दूर करण्याची काँग्रेसची कधीच इच्छा नव्हती. आपल्या नद्यांचे पाणी वाहत सीमेपलीकडे जायचे, पण त्याचा लाभ आपल्या शेतकऱ्यांना मिळत नसे. काँग्रेस तोडगा काढण्याऐवजी राज्यांमधील पाणी वादाला प्रोत्साहन देत राहिली. या कुटील धोरणामुळे राजस्थानचे बरेच नुकसान झाले आहे, इथल्या माता-भगिनींनी सोसले आहे. इथल्या शेतकऱ्यांना त्रास सहन करावा लागला आहे, 

मला आठवतंय, मी गुजरातमध्ये मुख्यमंत्री म्हणून जनतेची सेवा करीत असताना तिथे सरदार सरोवर धरण पूर्ण झालं, नर्मदा मातेचं पाणी गुजरातच्या विविध भागात पोहोचवण्यासाठी मोठी मोहीम राबवली, कच्छच्या सीमेपर्यंत पाणी पोहोचवलं गेलं. मात्र तेव्हा काँग्रेस आणि काही स्वयंसेवी संस्थांकडून ते रोखण्यासाठी वेगवेगळे डावपेच अवलंबले गेले. पण पाण्याचे महत्त्व आम्ही जाणून होतो. आणि माझ्यासाठी मी म्हणतो की पाणी हा परिस आहे, ज्याप्रमाणे परिस लोखंडाला स्पर्श करतो आणि लोखंडाचे सोन्यामध्ये रुपांतर होते, तद्वतच, जिथे पाणी स्पर्श करते तिथे ते नवीन ऊर्जा आणि शक्तीला जन्म देते.

मित्रांनो,

पाणी पोहोचवण्यासाठी मी निर्धाराने काम करत राहिलो, विरोध सहन करत राहिलो आणि टीकेला तोंड देत राहिलो, मात्र मला पाण्याचे महत्त्व माहित होते. नर्मदेच्या पाण्याचा लाभ फक्त गुजरातलाच मिळायला हवा असे नव्हे तर राजस्थानलाही नर्मदाजीच्या पाण्याचा लाभ मिळायला हवा. आणि यात कोणताही वादविवाद, कोणताही अडथळा, कोणतेही निवेदन, आंदोलने झाली नाहीत आणि जसे सरोवराचे काम पूर्ण झाले तसे आधी गुजरातला मिळूदे आणि मग राजस्थानला देऊ असेही नाही. गुजरातमध्येही पाणी पोहोचवायचे आणि त्याचवेळी राजस्थानमध्येही पाणी पोहोचवण्याचे काम आम्ही सुरू केले. आणि मला आठवते की जेव्हा नर्मदाजीचे पाणी राजस्थानात पोहोचले तेव्हा राजस्थानच्या जीवनात जल्लोष आणि उत्साह होता. आणि त्यानंतर काही दिवसांनी अचानकपणे मला मुख्यमंत्री कार्यालयात संदेश आला की भैरोसिंह जी शेखावत आणि जसवंत सिंह जी गुजरातमध्ये आले आहेत आणि त्यांची मुख्यमंत्र्यांची  भेट घेण्याची इच्छा आहे. आता मला माहित नव्हते की ते कोणत्या उद्देशाने आले आहेत. पण ते माझ्या कार्यालयात आले, मी विचारलं आपण कसे काय येणे केलेत तेव्हा ते म्हणाले की काही काम नाही, तुम्हाला भेटायलाच आलो आहोत. ते दोघेही माझे ज्येष्ठ नेते होते, आमच्यापैकी बरेच जण तर भैरोंसिंगजींचे बोट धरून मोठे झालो आहोत. आणि ते माझ्यासमोर येऊन केवळ बसले नाहीत तर त्यांना  माझा सन्मान करायचा होता, मीही थोडा संभ्रमात पडलो. पण त्यांनी माझा मानसन्मान केला, मात्र दोघेही भावूक झाले होते, त्यांचे डोळे पाणावले होते. ते म्हणाले, मोदीजी, पाणी देणे म्हणजे काय ते तुम्हाला माहीत आहे, तुम्ही गुजरातचे नर्मदेचे पाणी राजस्थानला इतक्या सहजतेने दिले, या घटनेने माझ्या मनाला स्पर्श केला. आणि म्हणूनच आज मी राजस्थानच्या करोडो जनतेच्या वतीने त्यांच्या भावना व्यक्त करण्यासाठी तुमच्या कार्यालयात आलो आहे.

 

मित्रांनो,

पाण्यात किती शक्ती असते याचा एक अनुभव आला. आणि मला आनंद आहे की माता नर्मदेचे पाणी आज जालोर, बारमेर, चुरू, झुंझुनू, जोधपूर, नागौर, हनुमानगड, अशा अनेक जिल्ह्यांना मिळत आहे.

मित्रांनो,

नर्मदाजीच्या पात्रात स्नान केल्यास, नर्मदाजी परिक्रमा केल्यास अनेक पिढ्यांची पापे धुऊन पुण्यप्राप्ती होते, असे आमच्या येथे सांगितले जायचे पण विज्ञानाचा चमत्कार पहा, एकेकाळी आपण माता नर्मदेच्या परिक्रमेला जायचो, आज माता नर्मदा स्वतः परिक्रमेसाठी बाहेर पडून हनुमानगढपर्यंत पोहोचली.

मित्रांनो,

पूर्व राजस्थान कालवा प्रकल्प ERCP ला काँग्रेसने किती विलंब लावला... हादेखील  काँग्रेसच्या हेतूचा थेट पुरावा आहे. ते शेतकऱ्यांच्या नावाने मोठमोठ्या गोष्टी करतात. मात्र, शेतकऱ्यांसाठी ते स्वतःही काही करत नाहीत आणि इतरांनाही काही करू देत नाहीत. भाजपचे धोरण वादाचे नाही तर संवादाचे आहे. आमचा विरोधावर नव्हे तर सहकार्यावर विश्वास आहे. आम्ही व्यत्ययावर नव्हे तर उपायांवर विश्वास ठेवतो, त्यामुळे आमच्या सरकारने पूर्व राजस्थान कालवा प्रकल्पाला मंजुरीही दिली आणि त्याचा विस्तारही केला आहे. मध्यप्रदेश आणि राजस्थानमध्ये भाजपचे सरकार स्थापन होताच पर्वती-कालीसिंध-चंबळ प्रकल्प, एमपीकेसी लिंक प्रकल्पाबाबत सामंजस्य करार झाला.

केंद्राचे जलमंत्री आणि दोन राज्यांचे मुख्यमंत्री हे जे चित्र तुम्ही पहात होतात ते चित्र सामान्य नाही. पुढची काही दशके हे चित्र भारताच्या कानाकोपऱ्यातील राजकारण्यांना प्रश्न विचारेल, प्रत्येक राज्याला हा प्रश्न विचारला जाईल की मध्य प्रदेश, राजस्थानने मिळून पाण्याचा प्रश्न, नदीच्या पाण्याची समस्या सामंजस्याच्या मार्गाने सोडवली तर तुम्ही असे कोणते राजकारण करत आहात की समुद्रात पाणी वाहून जात असताना तुम्ही एका कागदावर स्वाक्षऱ्या करू शकत नाही. हे चित्र, असे चित्र येत्या काही दशकांत संपूर्ण देश पाहणार आहे. जो जलाभिषेक होत होता, ते दृश्य मला सामान्य वाटत नाही.जे लोक देशाच्या हिताचा विचार करतात, त्यांना सेवा करण्याची संधी मिळते तेव्हा कोणी मध्य प्रदेशातून पाणी आणतात , कोणी राजस्थानातून पाणी आणतात, ते पाणी एकत्र करून माझ्या राजस्थानला सुजलाम-सुफलाम करण्यासाठी पुरुषार्थाची परंपरा सुरु केली जाते. हे दिसायला असामान्य आहे, हा एक वर्षाचा उत्सव आहे पण आगामी शतकांचे उज्ज्वल भविष्य आज या मंचावरून लिहिले जात आहे. या प्रकल्पात चंबळ आणि तिच्या उपनद्या पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रुपरेल, गंभीरी आणि मेज या नद्यांचे पाणी एकमेकांशी जोडले जाणार आहे.

मित्रांनो,

नद्या जोडण्याची ताकद काय असते हे मी गुजरातमध्ये दाखवून दिले आहे. नर्मदेचे पाणी गुजरातच्या विविध नद्यांना जोडले गेले. तुम्ही कधी अहमदाबादला गेलात तर तुम्हाला साबरमती नदी दिसते. आजपासून 20 वर्षांपूर्वी जर एखाद्या मुलाला साबरमतीवर निबंध लिहिण्यास सांगितले तर तो लिहायचा की साबरमतीमध्ये सर्कसचे तंबू लावले जातात. इथे खूप चांगली सर्कस दाखवली जाते. साबरमतीत क्रिकेट खेळायला मजा येते. साबरमतीमध्ये अतिशय चांगली माती आणि धूळ पहावयास मिळते..

कारण साबरमतीत पाणी दिसले नव्हते. आज नर्मदेच्या पाण्याने साबरमती जिवंत झाली आहे आणि अहमदाबादमध्ये रिव्हर फ्रंट तुम्ही पाहू शकता. या नद्यांना जोडण्यामुळे ही  ताकद निर्माण झाली आहे राजस्थानच्या अशाच सुंदर दृश्याची कल्पना मी माझ्या डोळ्यांनी करू शकतो.

 

मित्रांनो,

मी तो दिवस पाहत आहे जेव्हा राजस्थानमध्ये पाण्याची कमतरता भासणार नाही, राजस्थानमध्ये विकासासाठी पुरेसे पाणी असेल.  पार्वती-कालीसिंध-चंबळ प्रकल्प, याद्वारे राजस्थानमधील 21 जिल्ह्यांना सिंचनासाठी पाणी मिळेल आणि पिण्याचे पाणीही मिळेल.  यामुळे राजस्थान आणि मध्य प्रदेश या दोन्ही राज्यांच्या विकासाला गती मिळेल.

मित्रांनो,

आजच इसर्डा जोड प्रकल्पाची देखील  पायाभरणी झाली.  ताजेवाला येथून शेखावटीपर्यंत पाणी आणण्याबाबतही आज करार झाला आहे.  या पाण्यामुळे या करारामुळे हरयाणा आणि राजस्थान या दोन्ही राज्यांनाही फायदा होणार आहे.  मला विश्वास आहे की राजस्थानमध्येही नळाचे पाणी 100% घरांमध्ये लवकरात लवकर पोहोचेल.

मित्रांनो,

आमच्या सी.आर.पाटीलजींच्या नेतृत्वाखाली मोठी मोहीम सुरू आहे.  सध्या प्रसारमाध्यमांमध्ये आणि बाहेरही त्याबद्दल  कमी बोललं जातय.  पण मी या मोहिमेची ताकद ओळखून आहे.  लोकसहभागातून ही मोहीम राबवण्यात आली आहे.  पावसाचे पाणी साठवण्यासाठी पुनर्भरण विहिरी बांधल्या जात आहेत.  कदाचित तुम्हाला माहीत नसेल, पण मला सांगण्यात आले की आज राजस्थानमध्ये लोकसहभागातून दैनंदिन पावसाचे पाणी साठवण्यासाठी सोय (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स) केली जात आहे.  गेल्या काही महिन्यांत भारतातील ज्या राज्यांमध्ये पाण्याची कमतरता आहे तेथे सुमारे तीन लाख रेन हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स बांधण्यात आली आहेत. मला ठाम विश्वास आहे की  पावसाचे पाणी वाचवण्याचा हा प्रयत्न येत्या काळात आपल्या धरणी मातेची तहान भागवेल.  आणि इथे बसलेल्या… भारतात बसलेल्या कोणत्याही मुलाला किंवा मुलीला  आपल्या धरणी मातेला तहानलेलं ठेवणं आवडणार नाही. तहानेची जी तळमळ आपल्याला असते…..ज्या तहानेमुळे आपल्याला त्रास होतो…. तितकाच त्रास आपल्या धरणी मातेला होतो.  आणि म्हणूनच, या पृथ्वीची मुले म्हणून, आपल्या धरणीमातेची तहान भागवण्याची जबाबदारी आपल्या सर्वांची आहे.  पावसाच्या पाण्याचा प्रत्येक थेंब धरणी मातेची तहान भागवण्यासाठी वापरुया.  आणि एकदा का आपल्याला धरणी मातेचा आशीर्वाद मिळाला की जगातील कोणतीही शक्ती आपल्याला रोखू शकत नाही.

मला आठवते गुजरातमध्ये एक जैन महात्मा होते.  सुमारे 100 वर्षांपूर्वी त्यांनी लिहिले होते….बुद्ध सागर जी महाराज, जैन भिक्षू होते.  त्यांनी सुमारे 100 वर्षांपूर्वी लिहिले होते आणि त्या वेळी ते कोणी वाचले असते तर कदाचित त्यांच्या बोलण्यावर विश्वास बसला नसता.  त्यांनी 100 वर्षांपूर्वी लिहिले होते - एक दिवस येईल जेव्हा पिण्याचे पाणी किराणा दुकानात विकले जाईल.  100 वर्षांपूर्वी लिहिलं होतं, आज आपल्याला किराणा दुकानातून बिसलेरीच्या बाटल्या विकत घेऊन पाणी प्यावं लागतं…. 100 वर्षांपूर्वी हे म्हटलं होतं.

मित्रांनो,

ही एक दुःखप्रद कहाणी आहे.  आपल्या पूर्वजांनी आपल्याला वारसा म्हणून खूप काही दिले आहे. आपली ही जबाबदारी आहे की आता आपल्या भावी पिढ्यांना पाण्याअभावी मरावे लागू नये…आपण त्यांना… आपली सुजलाम सुफलाम धरणी माता… आपल्या भावी पिढ्यांच्या स्वाधीन करावी.  आणि तेच पवित्र कार्य करण्याच्या दिशेने काम करणाऱ्या मध्य प्रदेश सरकारचे,  आज मी अभिनंदन करतो.  मी मध्य प्रदेशातील जनतेचे अभिनंदन करतो.  मी राजस्थान सरकार आणि राजस्थानच्या जनतेचे अभिनंदन करतो.  आता आमचे हे काम आहे की हे काम कोणत्याही अडथळ्याविना पुढे न्यायचे आहे. जिथे गरज असेल त्या भागासाठी ही योजना लागू पडते.  लोकांनी पुढे येऊन पाठिंबा दिला पाहिजे.  मग योजना वेळेपूर्वी पूर्ण होऊ शकतात आणि या संपूर्ण राजस्थानचे नशीब बदलू शकते.

 

मित्रांनो,

21व्या शतकातील भारतासाठी महिलांचे सक्षमीकरण अत्यंत महत्त्वाचे आहे. अहो तो कॅमेरा…, त्याला कॅमेरा इतका आवडतो की त्याचा उत्साह वाढला आहे.  जरा त्या कॅमेरावाल्याला पलीकडे घेऊन जा….तो थकून जाईल.

मित्रांनो,

तुमचे हे प्रेम मला शिरसावंद्य आहे…. मी तुमचा आभारी आहे….. हा जोश आणि या उत्साहासाठी!  मित्रांनो, आम्ही महिला बचत गटाच्या चळवळीत स्त्री शक्तीचे सामर्थ्य पाहिले आहे.  गेल्या दशकात देशातील 10 कोटी भगिनी बचत गटांमध्ये सामील झाल्या आहेत.  यामध्ये राजस्थानमधील लाखो बहिणींचाही समावेश आहे.  या बचत गटांमध्ये सहभागी भगिनींना बळ देण्यासाठी भाजपा सरकारने अहोरात्र मेहनत घेतली आहे.  आमच्या सरकारने या गटांना प्रथम आधी बँकांशी जोडले, नंतर बँकांकडून मिळणारी मदत 10 लाखांवरून 20 लाख रुपये केली.  आम्ही त्यांना सुमारे 8 लाख कोटी रुपये मदत म्हणून दिले आहेत.  आम्ही त्यांच्यासाठी प्रशिक्षणाची व्यवस्था केली आहे.  महिला बचत गटांमध्ये उत्पादित वस्तूंना नवीन बाजारपेठ उपलब्ध करून दिली.

आज त्याचाच परिणाम म्हणून हे बचतगट ग्रामीण अर्थव्यवस्थेत मोठी ताकद बनले आहेत.  आणि मला बरं वाटतय…..मी इथे येत होतो, मंडपाचे  सर्व भाग ,सगळे भाग  माय-भगिनींनी भरलेले आहेत.  आणि एवढा जोश….एवढा उत्साह!  आता आमचे सरकार बचत गटातील तीन कोटी भगिनींना लखपती दीदी बनवण्याचे काम करत आहे.  मला आनंद आहे की सुमारे 1.25 कोटी बहिणी लखपती दीदी झाल्या आहेत.  म्हणजेच वर्षभरात त्यांना एक लाख रुपयांहून अधिक कमाई होऊ लागली आहे.

मित्रांनो,

महिला शक्ती बळकट करण्यासाठी आम्ही अनेक नवीन योजना तयार करत आहोत. आता जशी नमो ड्रोन दीदी योजना आहे.  याअंतर्गत हजारो भगिनींना ड्रोन पायलट म्हणून प्रशिक्षण दिले जात आहे.  हजारो गटांना आधीच ड्रोन मिळाले आहेत. भगिनी, ड्रोनच्या माध्यमातून शेती करत आहेत आणि त्यातून पैसेही कमावत आहेत.  राजस्थान सरकारही ही योजना पुढे नेण्यासाठी अनेक प्रयत्न करत आहे.

मित्रांनो,

नुकतीच आम्ही भगिनी आणि कन्यांसाठी आणखी एक मोठी योजना सुरू केली आहे.  ही योजना विमा सखी योजना आहे.  याअंतर्गत गावातील भगिनी आणि मुलींना विमा कामाशी जोडून त्यांना प्रशिक्षण दिले जाणार आहे.  या अंतर्गत, सुरुवातीच्या वर्षांत त्यांचे काम स्थिरस्थावर होईपर्यंत त्यांना एक लहान रक्कम मानक म्हणून दिली जाईल.  या अंतर्गत भगिनींना पैसा मिळेल आणि देशसेवेची संधीही मिळेल. आम्ही पाहिले आहे की आमच्या बँक सखींनी किती मोठा चमत्कार केला आहे ते 

आमच्या बँक सख्यांनी देशाच्या कानाकोपऱ्यात, प्रत्येक गावात बँकिंग सेवा दिली आहे, खाती उघडली आहेत आणि लोकांना कर्ज सुविधा उपलब्ध करुन दिल्या आहेत.  आता विमा सखी भारतातील प्रत्येक कुटुंबाला विमा सुविधांशी जोडण्यात मदत करतील.  कॅमेरामनला माझी विनंती आहे की, कृपया तुमचा कॅमेरा दुसरीकडे वळवा, इथे लाखो लोक आहेत…. त्यांच्यावर फिरवा.

मित्रांनो,

गावांची आर्थिक स्थिती सुधारण्यासाठी भाजप सरकार सातत्याने प्रयत्नशील आहे. विकसित भारत निर्माण करण्यासाठी हे खूप महत्वाचे आहे. म्हणूनच गावात कमाईच्या आणि रोजगाराच्या प्रत्येक साधनावर आम्ही भर देत आहोत. भाजप सरकारने राजस्थानमध्ये वीज क्षेत्रात अनेक करार केले आहेत. याचा सर्वाधिक फायदा आपल्या शेतकऱ्यांना होणार आहे. राजस्थान सरकारने येथील शेतकऱ्यांना दिवसाही वीज देण्याची योजना आखली आहे. शेतकऱ्यांना रात्रीच्या वेळी सिंचन करण्याच्या सक्तीतून मुक्त करण्याच्या दिशेने उचललेले हे मोठे पाऊल आहे.

 

मित्रांनो,

राजस्थानमध्ये सौरऊर्जेच्या वापराच्या अनेक शक्यता आहेत. राजस्थान या बाबतीत देशातील आघाडीचे राज्य बनू शकते. तुमचे वीज बिल शून्यावर आणण्यासाठी आमच्या सरकारने सौरऊर्जेला माध्यम बनवले आहे. केंद्र सरकार पीएम सूर्यघर मोफत वीज योजना राबवत आहे. या योजनेअंतर्गत घराच्या छतावर सौर पॅनल बसवण्यासाठी केंद्र सरकार सुमारे 75 ते 80  हजार रुपयांची मदत करत आहे. त्यातून निर्माण झालेली वीज तुम्ही वापरू शकता आणि जर ती तुमच्या गरजेपेक्षा जास्त असेल तर तुम्ही ती विकू शकता आणि ती वीज सरकार विकतही घेईल. आतापर्यंत देशातील 1 कोटी 40 लाख कुटुंबांनी या योजनेसाठी नोंदणी केली आहे, हे सांगताना मला आनंद होतो आहे. फारच कमी वेळात सुमारे सात लाख लोकांच्या घरात सौर पॅनल यंत्रणा बसवण्यात आली आहे. यामध्ये राजस्थानमधील 20 हजारांपेक्षा जास्त घरांचाही समावेश आहे. या घरांमध्ये सौरऊर्जेची निर्मिती सुरू झाली असून लोकांचे पैसेही वाचू लागले आहेत.

मित्रांनो,

घराच्या छतावरच नव्हे तर शेतातही सौरऊर्जा प्रकल्प राबवण्यासाठी सरकार मदत करत आहे. पीएम कुसुम योजनेंतर्गत राजस्थान सरकार आगामी काळात शेकडो नवीन सौर संयंत्रे बसवणार आहे. जेव्हा प्रत्येक कुटुंब ऊर्जा प्रदाता होईल, प्रत्येक शेतकरी ऊर्जा प्रदाता होईल, तेव्हा विजेपासून उत्पन्न होईल आणि प्रत्येक कुटुंबाचे उत्पन्नही वाढेल.

मित्रांनो,

राजस्थानला रस्ते, रेल्वे आणि विमान प्रवासाच्या सर्वात जास्त सुविधा असणारे राज्य बनवण्याचा आमचा संकल्प आहे. आपले राजस्थान, दिल्ली, वडोदरा आणि मुंबईसारख्या मोठ्या औद्योगिक केंद्रांच्या मधोमध वसलेले आहे. राजस्थानमधील लोकांसाठी आणि येथील युवा वर्गासाठी ही मोठी संधी आहे. ही तीन शहरे राजस्थानशी जोडण्यासाठी बांधण्यात येणारा नवा द्रुतगती मार्ग हा देशातील सर्वोत्तम द्रुतगती मार्गांपैकी एक आहे. मेज नदीवर मोठा पूल बांधल्यामुळे सवाई माधोपूर, बुंदी, टोंक आणि कोटा जिल्ह्यांना फायदा होणार आहे. या जिल्ह्यांतील शेतकऱ्यांना दिल्ली, मुंबई आणि वडोदरा येथील मोठ्या मंडई आणि बाजारपेठांपर्यंत पोहोचणे सोपे होणार आहे. त्यामुळे पर्यटकांना जयपूर आणि रणथंबोर व्याघ्र प्रकल्पापर्यंत पोहोचणेही सोपे होणार आहे. आजच्या काळात वेळेला खूप मोल आहे, हे आपल्या सर्वांना माहिती आहे. लोकांचा वेळ वाचवून त्यांना जास्त सोयी देण्याचा आमचा सर्वांचा प्रयत्न आहे.

मित्रांनो,

जामनगर-अमृतसर इकॉनॉमिक कॉरिडॉर, जेव्हा दिल्ली-अमृतसर-कटरा द्रुतगती मार्गाशी जोडला जाईल, तेव्हा राजस्थानला मातो वैष्णो देवी धामसोबत जोडेल. यामुळे उत्तर भारतातील उद्योग कांडला आणि मुंद्रा बंदरांशी थेट जोडले जातील. राजस्थानमधील वाहतूक क्षेत्राला याचा फायदा होईल, येथे मोठी गोदामे बांधली जातील. यामुळे राजस्थानच्या युवा वर्गाला जास्त काम मिळेल.

 

मित्रांनो,

जोधपूर रिंग रोडपासून जयपूर, पाली, बारमेर, जैसलमेर, नागौर आणि आंतरराष्ट्रीय सीमेपर्यंत पोहोचणे अधिक सोयीचे होणार आहे. यामुळे अनावश्यक वाहतूक कोंडीपासून शहर मुक्त होईल. जोधपूरमध्ये येणाऱ्या पर्यटक, व्यापारी आणि व्यावसायिकांचीही मोठी सोय होणार आहे.

मित्रांनो,

आज या कार्यक्रमात भाजपचे हजारो कार्यकर्तेही माझ्यासमोर उपस्थित आहेत. त्यांच्या मेहनतीमुळेच आपण आजचा हा दिवस पाहत आहोत. मला भाजप कार्यकर्त्यांकडेही आग्रहाने काही मागायचे आहे. भाजप हा जगातील सर्वात मोठा राजकीय पक्ष आहेच आणि त्याचबरोबर भाजप ही एक मोठी सामाजिक चळवळ सुद्धा आहे. भाजपसाठी पक्षापेक्षा देश मोठा आहे. भाजपचा प्रत्येक कार्यकर्ता देशासाठी जागरुकतेने आणि समर्पित भावनेने काम करत आहे. भाजपचा कार्यकर्ता केवळ राजकारणातच गुंतत नाही, तर सामाजिक समस्या सोडवण्यातही त्याचा सहभाग असतो. आज आपण अशा एका कार्यक्रमासाठी आलो आहोत, ज्याचा जलसंवर्धनाशी सखोल संबंध आहे. जलस्रोतांचे संवर्धन आणि पाण्याच्या प्रत्येक थेंबाचा अर्थपूर्ण वापर ही सरकारबरोबरच संपूर्ण समाजाची आणि प्रत्येक नागरिकाची जबाबदारी आहे. आणि म्हणूनच मी माझ्या भाजपच्या प्रत्येक कार्यकर्त्याला, प्रत्येक सहकाऱ्याला सांगेन की त्यांनी त्यांच्या दैनंदिन दिनचर्येतील काही वेळ जलसंधारणाच्या कामासाठी समर्पित करून मोठ्या निष्ठेने काम करावे. सूक्ष्म सिंचन, ठिबक सिंचनाशी संबंधित अमृत सरोवराच्या देखभालीसाठी मदत करा, जल व्यवस्थापनाची साधने निर्माण करा आणि जनतेला जागरूक करा. तुम्हीही शेतकऱ्यांना नैसर्गिक शेतीबाबतही जागरूक करा.

 

आपल्या सर्वांना माहित आहे की जितकी जास्त झाडे असतील तितकी पृथ्वीला पाणी साठवण्यात मदत होईल. या कामी ‘एक पेड मां के नाम’ ही मोहीम खूप मदत करू शकते. यामुळे आपल्या आईचा सन्मान वाढेल आणि पृथ्वी मातेचा सन्मानही वाढेल. पर्यावरणासाठी अशा अनेक गोष्टी करता येतील. उदाहरणार्थ, मी आधीच पीएम सूर्य घर अभियानाबद्दल सांगितले. भाजपचे कार्यकर्ते सौरऊर्जेच्या वापराबाबत लोकांना जागरूक करू शकतात, त्यांना ही योजना आणि योजनेच्या लाभांबद्दल सांगू शकतात. आपल्या देशातील लोकांचा एक स्वभाव विशेष आहे. जेव्हा देश पाहतो की एखाद्या मोहिमेचा हेतू योग्य आहे, मोहिमेचे धोरण योग्य आहे, तेव्हा लोक त्या मोहिमेची धुरा आपल्या खांद्यावर घेतात, त्या मोहिमेशी जोडले जातात आणि मोहिमेच्या कामात स्वतःला झोकून देतात. हे आपण स्वच्छ भारत मोहिमेमध्ये अनुभवले आहे. हे आपण बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियानात अनुभवले आहे. पर्यावरण संरक्षण आणि जलसंवर्धनातही आपल्याला असेच यश मिळेल, असा विश्वास मला वाटतो.

 

 

मित्रांनो,

आज राजस्थानमध्ये विकासाची जी आधुनिक कामे केली जात आहेत, ज्या पायाभूत सुविधा उभारल्या जात आहेत, त्या सध्याच्या आणि भावी पिढ्यांसाठी उपयुक्त ठरतील. राजस्थान विकसित करण्यासाठी याचा उपयोग होईल आणि जेव्हा राजस्थान विकसित होईल तेव्हा भारताचाही विकास वेगाने होईल. दुहेरी इंजिन सरकार येत्या काही वर्षांत अधिक वेगाने काम करेल. केंद्र सरकारही राजस्थानच्या विकासासाठी कोणतीही कमी भासू देणार नाही, याची मी खात्री देतो. पुन्हा एकदा, आपण सर्व एवढ्या मोठ्या संख्येने आशीर्वाद देण्यासाठी आलात, विशेषत: माता आणि भगिनी आल्या, मी माझे मस्तक झुकवून आपले आभार मानतो आणि आजची संधी तुमच्यामुळेच आहे आणि आजची संधी तुमच्यासाठी आहे. मी तुम्हा सर्वांना खूप खूप शुभेच्छा देतो. दोन्ही हात पूर्ण ताकदीनिशी वर करा आणि माझ्याबरोबर म्हणा –

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

अनेकानेक आभार !