नमस्कार।
आज की इस बैठक से पूर्व कुछ दिन पहले हरियाणा में स्थानीय स्वराज के प्रतिनिधियों से बातचीत करने का मुझे अवसर मिला था। आज आप सभी प्रतिनिधि पश्चिम बंगाल में जुटे हैं। और जैसा अभी हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी बता रहे थे कि मोदी जी को जब कहें, कितनी ही व्यस्तता हो, लेकिन वो पार्टी के लिए, कार्यक्रम के लिए समय निकालते हैं। हकीकत तो ये है कि जब मैं पार्टी के कार्यक्रम में आता हूं, पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलता हूं तो हमेशा मुझे एक नई प्रेरणा मिलती है। नया उत्साह मिलता है। क्योंकि लाखों कार्यकर्ता दिन-रात कोई पद की अपेक्षा के बिना मां भारती का जय-जयकार करने के लिए पूरी शक्ति से जुटी है। परिवार के परिवार जुटे हैं। और जब इतने त्यागी तपस्वी कार्यकर्ताओं का समूह उनके दर्शन से ही एक नई प्रेरणा और ऊर्जा मिल जाती है। मेरी तो कोशिश भी रहती है कि जहां हो सके फिजिकली भी आपके बीच रहूं। लेकिन अब कार्यक्रमों की विविधता और बंधन इतने हैं, समय की सीमाएं बन गई हैं तो कुछ कार्यक्रम मुझे वीसी से करने पड़ते हैं। लेकिन इसमें भी इतना तो लाभ है मुझे आपके दर्शन करने का तो मौका मिल ही जाता है।
साथियो,
मेरा हमेशा से मानना है कि पूर्वी भारत में देश के विकास का एक मजबूत स्तंभ, देश के विकास का एक मजबूत इंजन, उसका पूरा-पूरा सामर्थ्य है। हमारे पूर्वी भारत के क्षेत्र में है। वहां प्राकृतिक संसाधन भी भरमार है और वहां ऊर्जावान, तेजस्वी, ओजस्वी हमारे नागरिकों का भी एक बहुत बड़ा सामर्थ्य है। इसलिए पूर्वी भारत के आप सभी प्रतिनिधियों से मिलना, बात करना, अपने आप में बहुत अहम हो जाता है।
साथियों,
हम आज ऐसे समय में मिल रहे हैं जब देश में विश्वास और आत्मविश्वास का एक उत्तम से उत्तम माहौल है। आप सबको पता है अभी दो दिन पहले ही देश की संसद से, 140 करोड़ देशवासियों के आर्शीवाद से नया विश्वास, नई प्रेरणा, नई ऊर्जा, देश पूरा संसद के साथ जुड़ा हुआ था। आपने देख है कि हमने संसद में विपक्ष के अविश्वास को भी हराया, और देशभर में निगेटिविटी फैलाने का जो ये सिलसिला चला है उसका भी करारा जवाब दिया। और हालत ये थी कि विपक्ष के लोग, चर्चा में लोकतंत्र का दायित्व होता है कि जब आप बोलते हैं तो दूसरे को सुनना चाहिए। लेकिन बीच में से ही भाग गए, सदन छोड़कर चले गए। बहानेबाजी कुछ भी करी हो लेकिन सच्चाई ये थी कि वो अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से डर गए थे। वो लोग नहीं चाहते थे कि वोटिंग हो। क्योंकि वोटिंग होती तो ये घमंडिया गठबंधन की पोल खुल जाती, कौन किसके साथ है, ये दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता। और इसीलिए बचने के लिए ये भाग गए।
साथियों,
ये लोग सदन से भाग गए, ये पूरे देश ने देखा है। लेकिन ये बहुत ही दुखद है कि इन लोगों ने मणिपुर के लोगों के साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया। सत्र प्रारंभ होने से पहले देश के गृह मंत्री, उन्होंने इन राजनीतिक दलों से चिट्ठी लिखकर के कहा था कि वो तत्काल मणिपुर की चर्चा करना चाहते हैं। और अकेले मणिपुर पर चर्चा हो ये जरूरी है। इतने संवेदनशील विषय पर पक्ष-विपक्ष में विस्तार से बात होती तो जरूर मणिपुर के लोगों को भी मरहम लगता और समस्या के समाधान के लिए नए-नए कुछ रास्ते भी निकल आते। लेकिन, ये लोग मणिपुर पर चर्चा नहीं चाहते थे। क्योंकि उनको मालूम था कि मणिपुर का सच सबसे ज्यादा उनरको चुभने वाला है। उनको मणिपुर के नागरिकों की, उनके दुख-दर्द की पीड़ा नहीं थी, परवाह भी नहीं थी। उनके लिए उनकी राजनीति देश से बड़ा दल, वो नहीं चाहते थे मणिपुर, इसीलिए क्या किया मणिपुर की चर्चा तो टाल दी, अविश्वास प्रस्ताव लाकरके राजनीतिक बहस को ही उन्होंने प्राथमिकता दी। राजनीतिक मुद्दों को लेकर ही सदन का तीन दिन में, विपक्ष में बैठे हुए साथी अपना स्कोर करने की कोशिश कर रहे थे। और उन्होंने इतने सारे विषय उठाए, इतने सारे विषय उठाए, और तरह-तरह के अनर्गल आरोप लगाए, सिर-पैर बिना की बातें की, क्यों क्योंकि मणिपुर का विषय किनारे हो जाए। साथियों, ये सदन में भले ही व्यवधान डाल लें, लेकिन हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने, हम सभी भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने जनता के बीच जाकर के सच्चाई और उसको बहुत बारीकी से, सच्चाई के हर पहलू से तैयार होकरके लोगों के पास जाना ही जाना है। हमें जनता के बीच सच्चाई और गहराई के साथ इस विषय को लेकर जाना है।
साथियों,
आप सभी भारत के लोकतंत्र की एक बड़ी मजबूत ईकाई, एक मजबूत कड़ी, उसका नेतृत्व कर रहे हैं। जिला परिषद का अध्यक्ष राज्य के कैबिनेट मिनिस्टर से भी ज्यादा ताकत रखता है, राज्य के कैबिनेट मिनिस्टर से भी ज्यादा काम कर सकता है। भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर भी, आप अपने जिले में, राज्य में पार्टी की नींव मजबूत करने में भी अपने काम के जरिये, अपने व्यवहार के जरिये, पद पर रहते हुए भी, घमंड के बिना काम करते हुए आज आप लोगों का दिल जीत रहे हैं और इसके लिए बार-बार लोग भाजपा पर विश्वास जता रहा है।
साथियों,
इसके लिए हमारे दाएं-बाएं जो हमारे कार्यकर्ता खड़े हैं। हमारे आगे-पीछे हमारा जो नेतृत्व खड़ा है, उन सभी कार्यकर्ताओं को पसीना भी निरंतर बहा है, इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ये भारत मां के इस पवित्र धरती को अपने खून से सींचा है। कई बार संघर्ष किए हैं, और पश्चिम बंगाल के मेरे साथियों को विशेष तौर पर आज के परिदृश्य में, जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल के कार्यकर्ता मां भारती के लिए, पश्चिम बंगाल के उज्जवल भविष्य के लिए, पश्चिम बंगाल के गरीब भाई बहनों के लिए जिस प्रकार से संघर्ष कर रहे हैं, एक प्रकार से साधना कर रहे हैं। अपने आप तिल-तिल जलाकरके ये हमारे कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल के पुराने वैभव को वापस लाने के लिए काम कर रहे हैं। अभी-अभी वहां पंयायत चुनाव हुए हैं। इन चुनावों में टीएमसी ने कैसा खूनी-खेल खेला, ये भी देश ने देखा है।
पहले चुनाव में, इनका तरीका क्या है। पहले तो चुनाव की तैयारी के लिए समय मत दो, बहुत ही जल्दी-जल्दी फार्म भरने की तारीख घोषित कर दो, फिर कोई भी विरोधी दल का, कोई भी बीजेपी का व्यक्ति पर्चा ही न भर सके इसके लिए जो कुछ भी कर सकते हैं करो। और अगर मानो उसने चातुर्य पूर्वक फार्म भरने के लिए जगह पर पहुंच भी गया तो फिर चुनाव लड़ने में अडंगे डालना। उनको घर-घर जाने नहीं देना, प्रचार करने नहीं देना, धमकियां देना, और सिर्फ भाजपा के कार्यकर्ताओं को धमकाना ऐसा नहीं, वोटरों को भी भयभीत कर देना और बीजेपी के जो समर्थक रिश्तेदार है उनको भी जीना मुश्किल कर देना। घर से निकलने नहीं देना। और जब वोटिंग होती है तो उस वोटिंग में थप्पेबाजी करना, ये टोलाबाजों की फौज थप्पेबाजी की फौज बन जाती है। सारे गुंडों को कांट्रैक्ट दिया जाता है, कितने पोलिंग बूथ को कौन कैप्चर करेगा, मतपेटियां उठाकर भागना। और फिर जब काउंटिंग होता है, तो एक-एक वोट पर अडंगे डालना, भय का वातावरण बनाना। काउंटिंग में से बीजेपी कार्यकर्ताओं को उठाकर बाहर ले जाना। बैठने नहीं देना। इतने जुल्म के बाद भी ये पश्चिम बंगाल की जनता है उसका प्यार है कि वे बीजेपी के कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद देते रहे हैं और बीजेपी के प्रत्याशी जीतते जा रहे हैं। और जब जीत जाते हैं तो जुलूस नहीं निकालने देना, कोई जुलूस निकालने की कोशिश करे तो हमले बोल देना, जानलेवा हमले करना।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी की राजनीति का यही तरीका है। वहां हमारी बहनों को, आदिवासी साथियों को कैसे प्रताड़ित किया जाता है, ये हम भली-भांति जानते हैं। इन हालातों में भी भाजपा के जो प्रतिनिधि जीतकर आए हैं, मैं उन्हें और आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। जो लोग लोकतन्त्र के चैम्पियन बनते हैं, आए दिन ईवीएम से छुटाकारा पाने के लिए मनगढंत कथाएं चलाते हैं, ईवीएम पर सवाल उठाते हैं, आपने उनका नकाब देश के सामने उतार दिया है। आज की ये बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आप सब देश के पूर्वी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। और मैं नड्डा जी को और भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि उन्होंने ये अभ्यास वर्ग का सिलसिला जो भारतीय जनता पार्टी के चरित्र की सबसे बड़ी ताकत है, पद प्राप्त करने के बाद भी वो सिलसिला चलता रहता है। अभी बता रहे थे सभी पंचायत सदस्यों का अभ्यास वर्ग 35 जगहों पर चल रहा है। जिला परिषद के अध्यक्षों का अभ्यास वर्ग चल रहा है। और अभ्यास वर्ग में हम गेट-टूगेदर के लिए नहीं आते हैं। कुछ न कुछ नया सीखने के लिए आते हैं। एक-दूसरे की बेस्ट प्रैक्टिस को समझने के लिए आते हैं। किसी जिले में हमारे साथी ने कोई अच्छा काम किया है तो उसमें से सीख करके अपने जिले में लागू करने के लिए आते हैं। हम निरंतर नया सीखना, नई पद्धतियों को जोड़ना, नई आवश्यक दिशाओं की ओर जाना, इसीलिए अभ्यास वर्ग एक बहुत बड़ी ताकत होता है, बहुत उपयोगी होता है। और मुझे विश्वास है जो बातें आपको बताई जाएगी उसके उपरांत जब आप अपने साथियों से गप्पे मारोगे भोजन के समय, चाय के समय, उनके अनुभव सुनोगे तब आपको बहुत कुछ नई-नई चीजें जानने मिलेगी कि काम करने का कौन सा तरीका ज्यादा उपयोगी होता है।
साथियों,
पूर्वी भारत एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हमेशा से भाजपा की प्राथमिकता रही है। भाजपा के लिए सबसे प्राथमिक क्षेत्र है। इस क्षेत्र की जनता ने भाजपा पर हमेशा अपना भरोसा भी जताया है। इसलिए, इस क्षेत्र की आकांक्षाओं को पूरा करने की हम सबकी विशेष ज़िम्मेदारी है और वो जिम्मेदारी दिनो दिन बढ़ती चली जा रही है। और जैसे-जैसे जिम्मेवारी बढ़ती है, हमें भी अपनी क्षमता बढ़ानी है। मैं हमेशा कहता हूँ, आज़ादी के बाद पूर्वी भारत की जो उपेक्षा हुई है, उसने देश की प्रगति को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है। हम इस खाईं को पाटने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। बीते 5 वर्षों में अगर साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, तो इसमें एक बहुत बड़ा हिस्सा पूर्वी भारत का है। और नड्डा जी ने अभी बड़ा विस्तार से इसका वर्णन भी किया। मैं चाहूँगा कि आप इन आंकड़ों से खुद भी परिचित हों, और अपने क्षेत्र में लोगों को भी इस बदलाव के बारे में बताएं। इससे उनका विश्वास और बढ़ेगा। देश को आगे ले जाने में वो एक ताकत बन जाएंगे।
साथियों,
हमारे देश में पिछले पचास साल से, हम एक नारा सुनते आए हैं, चारो तरफ वही बोला जाता है और चुनाव के समय तो जरा चिल्ला-चिल्ला करके बोला जाता है, चीख-चीख करके बोला जाता है। क्या नारा है.. गरीबी हटाओ। कितनी बार सुना है। कितनी पीढ़ियों ने सुना है। नारे...नारे...नारे...बस नारे देते गए। लेकिन जिन्होंने ये नारा दिया, उन्होंने कभी गरीब की सुध नहीं ली। गरीबों की परवाह नहीं की और न ही वो गरीबी हटा पाए। एक स्वभाविक सा प्रश्न है कि जो काम पांच दशकों में नहीं हो सका, वो भाजपा सरकार ने इतने कम समय में कैसे करके दिखाया है? इसके पीछे वजह है कि, हमने सामान्य मानवी के जीवन की मूलभूत कठिनाइयों को कम किया है। और हमलोग वो लोग हैं जो गरीबी को जीकर के आए हैं। गरीबी की समस्या की जड़ें कहां-कहां है इसका हमलोगों को भली-भांति ज्ञान है, अनुभव है, इसीलिए हम उन जड़ों से गरीबी को काट करके गरीबों को गरीबी से मुक्त करने का सफल अभियान चला पा रहे हैं।
आप देखिए, सरकार ने देश में उन 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई है, जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची थी। इनमें से लगभग 13 हजार गांव पूर्वी भारत के ही तो थे। और ये लोग जो मणिपुर-मणिपुर करके राजनीति करने में लगे हैं न उनको कभी ये विचार नहीं आया कि नार्थ-ईस्ट और पूर्वी भारत में 13 हजार गांव अंधेरे में डूबे पड़े थे। हमने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी। तब देश के 20 प्रतिशत से भी कम ग्रामीण परिवारों तक नल से जल की सुविधा थी। आज 60 प्रतिशत से भी ज्यादा ग्रामीण परिवारों को नल से जल, नल से पानी मिल रहा है। आप से कई लोग ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि मिजोरम जैसे राज्य में 4 साल पहले तक केवल 6 प्रतिशत घरों में पाइप से पानी पहुंचता था। आज ये संख्या 90 प्रतिशत से ज्यादा है। बिजली पानी की तरह ही पीएम आवास योजना ने भी गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। बिहार में पिछले 9 वर्षों में 50 लाख से ज्यादा पक्के घर पीएम ग्रामीण आवास योजना के तहत बने हैं। 50 लाख। ये हमारे पश्चिम बंगाल में...ये सरकार काम भी नहीं करने देती तो भी... लगभग 45 लाख गरीब परिवारों को पक्का घर देने का काम हम कर पाए हैं। उधर असम में भी गरीबों के लिए 20 लाख घर बने हैं। इन योजनाओं से गरीब की ताकत बढ़ी है, उसे नए अवसर मिले हैं, और वो अब गरीबी में रहना नहीं चाहता है, गरीबी से बाहर निकलने के लिए वो भी हमारे साथ कदम से कदम मिलाकरके मैदान में उतर चुका है। देश ने अब ऐसी सभी योजनाओं के saturation का टार्गेट रखा है। शत-प्रतिशत जो भी इसके हकदार है, जिनको मिलना चाहिए वो शत-प्रतिशत काम पूरा होना चाहिए। इसलिए मेरा सुझाव है कि आपके पास अपनी पंचायत के एक एक लाभार्थी का डेटा होना चाहिए। जितनी भी योजनाओं का लाभ मिलता है। हर गाम के अनुसार उसकी सूची होनी चाहिए। उन्हें इन योजनाओं से जोड़ने के लिए आपको समयसीमा तय करके काम करने की जरूरत है। हर सप्ताह इसका एक चार्ट बना करके अफसरों से रिपोर्टिंग लेना चाहिए। डिटेल में उनसे जानकारी लेनी चाहिए, बताओ भाई ये योजना इस हफ्ते कहां पहुंची, ये योजना इस हफ्ते कहां पहुंची, फलाने तहसील में क्यों कम रह गए। फलाने गांव में क्यों कुछ नहीं हुआ। आप जितनी पूछताछ बढ़ाओगे, और पूछताछ मतलब किसी को कटघड़े में खड़ा करना नहीं होता है। प्यार से बातचीत करके उनका ध्यान आकर्षित करना होता है। तो उससे अफसरों का भी काम करने का उत्साह बढ़ जाता है। तू-तू मैं-मैं करने से कभी फायदा नहीं होता।
साथियों,
आज हम सभी साक्षी हैं कि पूर्वी भारत में कितनी तेज गति से विकास हो रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए, असम के गुवाहाटी से लेकर पश्चिम बंगाल के कल्याणी तक, झारखंड देवघर से लेकर बिहार में दरभंगा तक, इस प्लानिंग के साथ नए-नए एम्स खोले गए हैं ताकि लोगों को इलाज के लिए सैकड़ों किमी दूर न जाना पड़े। पिछले 9 वर्षों में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा को 31 मेडिकल कॉलेज भी मिले हैं। नॉर्थ ईस्ट में भी मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में भी, पश्चिम बंगाल के कल्याणी में, बिहार के भागलपुर में, और झारखंड के रांची में ‘ट्रिपल आईटी’ खोला गया है। त्रिपुरा के अगरतला और मणिपुर के सेनापति में भी ट्रिपल आईटी खुला है। ओड़ीसा और बिहार को IIM संबलपुर और IIM बोधगया जैसे संस्थान मिले हैं। झारखंड के धनबाद में IIT की भी स्थापना हुई है। इन संस्थानों से प्रतिभाशाली युवा निकलने वाले हैं। जो देश के भाग्य को बदलने में बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले हैं। उन्हें रोजगार और आसानी से मिलने वाले हैं। और इसमें पूर्वी भारत का औद्योगिक विकास भी बड़ी भूमिका निभाएगा। बरौनी, सिंदरी, गोरखपुर और तलचर में फर्टीलाइजर कारखाने खुलने से ना सिर्फ पूर्वी भारत के किसानों को फायदा हुआ है बल्कि बड़ी संख्या में रोजगार का भी निर्माण हुआ है।
भाइयों बहनों,
पूर्वी भारत की अपार खनिज सम्पदा को पहले की सरकारों ने लूट का जरिया बनाया हुआ था। हमने इस सम्पदा को औद्योगिक संभावनाओं से जोड़ने के लिए इनफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्ण काम किया है। पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में करीब दो लाख करोड़ के डेढ़ सौ से ज्यादा प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं। साढ़े 14 लाख करोड़ के करीब साढ़े 12 सौ प्रोजेक्ट्स पर आज काम तेज गति से चल रहा है। बहुत जल्द ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से खनिज और पोर्ट्स का समान देश के दूसरे हिस्सों तक पहुंचेगा। बीते वर्षों में अथक परिश्रम करके पूर्वोत्तर की रेल लाइनों को भी ब्रॉडगेज में बदला जा चुका है। मेजर पोर्ट्स की कैपेसिटी में भी बीते 9 वर्षों में काफी इजाफा हुआ है। इस क्षेत्र में नए-नए वॉटरवेज का निर्माण भी किया जा रहा है। ये वॉटरवेज नेशनल और इंटरनेशनल ट्रेड के लिए पूरब को भारत का बिज़नस गेटवे बना रहे हैं। बेहतर एयर कनेक्टिविटी के लिए पूर्वी भारत में 9 एयरपोर्ट्स भी विकसित किए जा रहे हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, कितना बड़ा देश का पूर्वी हिस्सा कितने बड़े transformation का गवाह बनने जा रहा है।
साथियों,
आज दुनिया तेजी से बदल रही है। गाँव-शहर के बीच की दूरियाँ तेजी से खत्म हो रही हैं। आज जो लोकल है, उसकी डिमांड ग्लोबल है। इसीलिए, वोकल फॉर लोकल जैसे अभियान के साथ देश ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना को लॉंच किया। आपके जिले की जो खासियत है, उसे बेहतर प्रॉडक्ट के रूप में मार्केट तक लाने के लिए पंचायतों की एक बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। इसमें जिले से लेकर देश तक, आर्थिक विकास के अनंत अवसर जुड़े हैं। आप प्रयास करिए, कि छोटे छोटे कामगारों को, उद्योगों को बाज़ार से जोड़ा जा सके, वो GEM पोर्टल से जुड़ सकें। और मैं तो आप सब से भी आग्रह करूंगा कि आपकी जिला परिषद, आपकी जिला पंचायत वो जल्द से जल्द GEM पोर्टल से जुड़ जानी चाहिए। आपके जिला पंचायत में जो भी खरीदना है वो GEM पोर्टल से खरीदना चाहिए। पैसे भी बचेंगे, भ्रष्टाचार जाएगा और अच्छी क्वालिटी का निर्णय आप आसानी से कर सकते हैं।
साथियों,
लोकल प्रॉडक्ट की सफलता के लिए आज ग्लोबली GI टैग की चर्चा होती है। कौन सी चीज GI टैग है, अगर GI टैग है तो उसका अपने आप बहुत बड़ा मार्केट बन जाता है। हमारे पूर्वी भारत के पास ऐसी अनेक प्रोडक्ट है जिसे हमें प्रमोट करने की जरूरत है। और इसीलिए हमारे यहां की ऐसी विशेष चीजें हैं, उनको GI टैग कैसे मिले, आपके अफसरों को लगाइए, कि ऐसी चीजें, GI टैग के लिए कैसे करना होता है सब उनको बताया जाए। आज कई सारे पारंपरिक हुनर उपेक्षा के कारण, बाज़ार न मिलने के कारण लुप्त हो रहे हैं। इन्हें बचाने में पंचायतें सबसे प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं। आपके क्षेत्र में स्किल इंडिया मिशन एक मुहिम बने, कारीगरों को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट मिले, इसके लिए रोडमैप बनाकर काम करिए।
साथियों,
आज देश में हमारी बहनों के 80 लाख से भी ज्यादा स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं। करीब 10 करोड़ महिलाएं इन समूहों से जुड़ी हैं। आप जिला स्तर पर इनका संघ बनाने में पहल करें, इनकी हर जरूरत आप पूरी करें। आप जहां भी प्रवास करें, जिले में, और मैं मानता हूं सप्ताह में कम से कम तीन दिन आपको प्रवास करना चाहिए। कम से कम दो रात जिले के किसी न किसी स्थान पर आपको रुकना चाहिए। और वहां जब जाएं तो ये महिलाओं से जरूर मीटिंग करनी चाहिए। उनके काम को समझना चाहिए।
साथियों,
महिलाएं मुद्रा लोन जैसी योजनाओं का लाभ लेकर आगे बढ़ें, इसमें भी आप अहम भूमिका निभा सकते हैं। आपको ये भी टार्गेट सेट करना चाहिए कि हम हमारी पंचायत को पावर consumer की जगह power प्रोड्यूसर बनाएँगे। निर्माता बनाएँगे, वो सिर्फ खरीदार नहीं होगा। बिना धुएँ के ईंधन का इस्तेमाल हो, बिजली के लिए LED बल्ब ही प्रयोग किए जाएँ, इसका आपका पूरा मानीटरिंग होनी चाहिए। खेतों में, और मैं तो कहता हूं नार्थ-ईस्ट जो है न वो हिंदुस्तान का आर्गेनिक कैपिटल है मेरे हिसाब से। उसको और मजबूत बनाना है। केमिकल खेती की जगह किसान organic और natural खेती से जुड़ें, किसान सिंचाई के लिए per drop more crop की तकनीक से जुड़ें, जल संरक्षण के लिए घर और खेतों में इंतजाम हों, सूखे तलाबों सरोवरों को पुनर्जीवित किया जाए, और आपके इलाके में तो अगर तालाबों का रखरखाव किया जाए तो मत्स्य पालन करने वाले गरीब परिवारों को भी बहुत लाभ होता है। अमृत सरोवर के अभियान में आपका जिला सबसे आगे होना चाहिए। आप तय कीजिए, पूरे राज्य में आपका जिला अमृत सरोवर बनाने में, अमृत सरोवर के रखरखाव में, अमृत सरोवर के सौंदर्य में, हर प्रकार से आप नंबर एक होंगे। और आपको हिसाब लगाना चाहिए, लोगों को कहना चाहिए फोटो अपलोड करे आपकी जो वेबसाइट हो वहां। उसी प्रकार से ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण किया जाए, ये सभी काम, मैं समझता हूं अगर सप्ताह में एक दिन आपके काम में इस प्रकार के काम जैसे एक-दो घंटे स्वच्छता अभियान में जुड़ना ही जुड़ना है, सब कार्यकर्ताओं को समाज को लेकर, किसी न किसी इलाके में, जहां गए हैं वहां, स्वच्छता का अभियान करें। ऐसे अनेक काम आप बड़े प्रभावी तरीके से करते आए हैं और मुझे विश्वास है आगे भी करेंगे। स्वच्छ भारत के संकल्प को भी हमें पंचायत स्तर पर शत-प्रतिशत पूरा करना है। मैं तो पहले भी जैसे कहा कि स्वच्छता हमारी भी प्राथमिकता होनी चाहिए। और स्वच्छता के साथ-साथ आप अपने क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को भी निखार सकते हैं, पार्कों का विकास हो, स्थानीय स्मारकों की देखरेख हो, होमस्टे बनाना हो, ऐसे अनेक विषयों पर आप लोगों की मदद कर सकते हैं।
साथियों,
15 अगस्त अब बिलकुल दरवाजे पर दस्तक दे रही है। और हम सबका दायित्व है कि इस बार भी हर घर तिरंगा कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा घरों की भागीदारी सुनिश्चित कराएं। देश में शहीदों के सम्मान में चल रही अमृत कलश यात्रा से अपने गांव को जोड़ें, हर परिवार को जोड़ें, आपके गांव का कोई बेटा मां भारती के सम्मान के लिए शहीद हो गया है तो उसके परिवार का सार्वजनिक अभिनंदन करें। साथियों अभी नड्डा जी ने विस्तार से बताया कि आने वाली 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस है, ये बड़ा दुखद दिवस है, दर्दनाक दिवस है। और पश्चिम बंगाल में तो वो दर्द आज भी चीख रहा है। पश्चिम बंगाल के लोगों ने कितना झेला है, विभाजन का दंश आज भी उनको चैन से बैठने नहीं देता है। हमें उन्हीं की संवेदना के साथ, उनके दर्द के साथ जुड़ करके उन्हें भी जोड़ना है। मुझे पूरा विश्वास है ढाई लाख से ज्यादा पंचायतों और 30 लाख निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ हम इन लक्ष्यों के लिए काम करेंगे। मैं आप सभी को इस कार्यशाला के लिए, वर्कशाप के लिए, शुभकामनाएं देता हूं। नड्डा जी और टीम का भी बहुत अभिनंदन करता हूं। क्योंकि मेहनत करके इतना बढ़िया सा कार्यक्रम की रचना की है। और पश्चिम बंगाल के लोग अनेक संकटों के बीच आपके स्वागत सम्मान में भी कोई कमी नहीं रखेंगे, ये मुझे पक्का विश्वास है। मैं सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं।