Work is being done with intentions as pure as Gangajal: PM Modi

Published By : Admin | November 30, 2020 | 15:14 IST
Decades of deceit make farmers apprehensive but now there is no deceit, work is being done with intentions as pure as Gangajal: PM
New agricultural reforms have given farmers new options and new legal protection and at the same time the old system also continues if someone chooses to stay with it: PM
Both MSP and Mandis have been strengthened by the government: PM

हर-हर महादेव!

मेरी काशी के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

आप सबके प्रणाम बा!

विशेषकर राजातालाब, मिर्जामुराद, कछवा, कपसेठी, रोहनिया, सेवापुरी क्षेत्र के अन्नदेवता लोगन के प्रणाम हौ !

आप सभी को देव दीपावली और गुरपरब की ढेरों बधाइयां और शुभकामनाएं !!

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्रीमान योगी आदित्‍यनाथ जी, उप मुख्‍यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी, संसद में मेरे साथी भाई रमेश चंद जी और विशाल संख्‍या में पधारे हुए काशी के मेरे प्‍यारे बहनों और भाइयों,

देव दीपावली और गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर आज काशी को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और उपहार मिल रहा है। इसका लाभ काशी के साथ ही प्रयागराज के लोगों को भी होगा। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।

मुझे याद है, साल 2013 में मेरी पहली जनसभा इसी मैदान पर हुई थी और तब यहां से गुजरने वाला हाईवे 4 लेन का था। आज बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से, ये हाईवे 6 लेन का हो चुका है। पहले जो लोग पहले हंडिया से राजातालाब आते-जाते थे, उन्हें पता है कि इस हाईवे पर कितनी ज्यादा मुश्किलें आती थीं। जगह-जगह जाम, बहुत धीमे ट्रैफिक, दिल्ली और दूसरे शहरों से भी जो लोग आते थे, वो इस रास्ते पर आकर परेशान हो जाते थे। 70 किलोमीटर से ज्यादा का वो सफर अब आराम से होगा, तेज रफ्तार में होगा। इस हाईवे के चौड़ा होने से काशी और प्रयाग के बीच का आना जाना अब और आसान हो गया है। कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को और इस क्षेत्र के लोगों को जो परेशानी होती थी, अब वो भी समाप्त हो जाएगी। इतना ही नहीं, इसका लाभ कुंभ के दौरान भी मिलेगा।

भाइयों और बहनों,

आस्था से जुड़ी जगह हो या फिर किसी विशेष काम की, लोग कहीं भी आने-जाने से पहले ये जरूर देखते हैं कि वहां आना-जाना कितना आसान है। इस प्रकार की सुविधाएं देशी-विदेशी, हर तरह के टूरिस्टों और श्रद्धालुओं को भी प्रोत्साहित करती हैं। बीते वर्षों में काशी के सुंदरीकरण के साथ-साथ यहां की कनेक्टिविटी पर जो काम हुआ है, उसका लाभ अब सब दूर दिखाई दे रहा है। नए हाईवे बनाना हो, पुल-फ्लाईओवर बनाना हो, ट्रैफिक जाम कम करने के लिए रास्तों को चौड़ा करना हो, जितना काम बनारस और आसपास के इलाके में अभी हो रहा है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ। बनारस का सेवक होने के नाते, मेरा प्रयास यही है कि बनारस के लोगों की दिक्कतें कम हों, उनका जीवन और आसान बने। पिछले 6 वर्षों में बनारस में हज़ारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे किए गए हैं और बहुत सारी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। एयरपोर्ट से शहर को जोड़ने वाली सड़क आज बनारस में विकास कार्यों की पहचान बन गई है। रेलवे स्टेशन की कनेक्टिविटी भी बेहतर हुई है। यहां से कुछ दूरी पर ही रिंग रोड फेज-2 का भी कार्य तेजी से चल रहा है। इसके पूरा होने से सुल्तानपुर, आजमगढ़ और गाजीपुर से आने-जाने वाले भारी वाहन शहर में एंट्री लिए बिना, सीधे इस नए सिक्स लेन हाईवे से निकल सकेंगे। वहीं जिन दूसरे हाईवे पर निर्माण कार्य चल रहा है वो भी जल्द ही पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इन हाईवे के बनने से वाराणसी, लखनऊ, आज़मगढ़ और गोरखपुर की यात्रा और आसान हो जाएगी।

भाइयों और बहनों,

अच्छी सड़कें, अच्छे रेलमार्ग, अच्छी और सस्ती हवाई सुविधाएं, ये समाज के हर वर्ग को सुविधा देती हैं। विशेषतौर पर गरीब को, छोटे उद्यमियों को, मध्यम वर्ग को, इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलता है। जब निर्माण कार्य चलता है तो अनेक लोगों को रोज़गार मिलता है। जब ये प्रोजेक्ट बनकर तैयार होते हैं, तो समय बचता है, खर्च कम होता और परेशानी भी कम होती है। कोरोना के इस समय में भी श्रमिक साथियों के लिए रोज़गार का बहुत बड़ा माध्यम इंफ्रास्ट्रक्चर के ये प्रोजेक्ट्स ही बने हैं।

भाइयों और बहनों,

मुझे खुशी है कि उत्तर प्रदेश में योगी जी और उनकी पूरी टीम ने सरकार बनने के बाद यहां भी इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में अभूतपूर्व तेज़ी आई है। पहले उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति क्या थी, ये आप सभी भलीभांति जानते हैं। आज उत्तर प्रदेश की पहचान एक्सप्रेस प्रदेश के रूप में सशक्त हो रही है। यूपी में कनेक्टिविटी के हजारों करोड़ के 5 मेगा प्रोजेक्ट्स पर एक साथ काम चल रहा है। आज पूर्वांचल हो, बुंदेलखंड हो, पश्चिमी उत्तर प्रदेश हो, हर कोने को एक्सप्रेसवे से जोड़ा जा रहा है। देश के 2 बड़े और आधुनिक डिफेंस कॉरिडोर में से एक हमारे उत्तर प्रदेश में ही बन रहा है।

भाइयों और बहनों,

रोड ही नहीं, बल्कि एयर कनेक्टिविटी को भी सुधारा जा रहा है। 3-4 साल पहले तक यूपी में सिर्फ 2 बड़े एयरपोर्ट ही प्रभावी रूप से काम कर रहे थे। आज करीब एक दर्जन एयरपोर्ट यूपी में सेवा के लिए तैयार हो रहे हैं। यहां वाराणसी के एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का काम चल रहा है। प्रयागराज में एयरपोर्ट टर्मिनल जितनी तेजी से बना, उसने एक नया रिकॉर्ड ही बना दिया था। इसके अलावा कुशीनगर के एयरपोर्ट को भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। नोएडा के जेवर में इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पर भी तेज़ी से काम चल रहा है।

साथियों,

जब किसी क्षेत्र में आधुनिक कनेक्टिविटी का विस्तार होता है, तो इसका बहुत बड़ा लाभ हमारे किसानों को भी होता है, खेती को होता है। बीते वर्षों में निरंतर ये प्रयास हुआ है कि गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ-साथ भंडारण की, कोल्ड स्टोरेज की आधुनिक व्यवस्थाएं खड़ी की जाएं। हाल में इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए का स्पेशल फंड भी किसानों के लिए बनाया गया है। इसी साल देश के इतिहास में पहली बार चलते-फिरते कोल्ड स्टोरेज यानि किसान रेल शुरु की गई हैं। इन प्रयासों से किसानों को नए बाजार मिल रहे हैं, बड़े शहरों तक उनकी पहुंच और बढ़ रही है और इसका सीधा प्रभाव ये पड़ रहा है यानि कि उनकी आय पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है।

साथियों,

वाराणसी सहित पूर्वांचल में ही जो बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है, उसका बहुत अधिक लाभ इस पूरे क्षेत्र को हुआ है। वाराणसी में पेरिशेबल कार्गो सेंटर बनने के कारण अब यहां के किसानों को अब फल और सब्जियों को स्टोर करके रखने और उन्हें आसानी से बेचने की बहुत बड़ी सुविधा मिली है। इस स्टोरेज कैपेसिटी के कारण पहली बार यहां के किसानों की उपज बड़ी मात्रा में विदेशों में निर्यात हो रही है। आज बनारस का लंगड़ा और बनारस की दशहरी आम लंदन और मिडिल ईस्ट में अपनी खुशबू बिखेर रहा है। अब बनारस के आम की डिमांड विदेशों में भी निरंतर बढ़ रही है। अब यहां जो पैकेजिंग की सुविधाएं तैयार हो रही हैं, उस वजह से पैकिंग के लिए दूसरे बड़े शहरों में जाने की ज़रूरत अब नहीं रहेगी। आम के अलावा इस साल यहां की ताज़ा सब्जियां भी दुबई और लंदन पहुंचीं हैं। ये एक्सपोर्ट हवाई मार्ग से हुआ है। यानि बेहतर हवाई सेवाओं का सीधा लाभ यहां के छोटे से छोटे किसानों को हो रहा है। गंगा जी पर जो देश का पहला इनलैंड वॉटरवे है, इसका उपयोग किसानों की उपज के ट्रांसपोर्ट के लिए अधिक से अधिक कैसे हो, इस पर भी काम हो रहा है।

साथियों,

सरकार के प्रयासों औऱ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल-ब्लैक राइस है। ये चावल चंदौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर के आ रहा है। चंदौली के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए 2 साल पहले काले चावल की एक वैरायटी का प्रयोग यहां किया गया था। पिछले साल खरीफ के सीज़न में करीब 400 किसानों को ये चावल उगाने के लिए दिया गया। इन किसानों की एक समिति बनाई गई, इसके लिए मार्केट तलाश किया गया। सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं यहां बेहतरीन काला चावल 300 रुपए तक बिक रहा है। बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 8 सौ रुपए किलो के हिसाब से। यानि जहां धान का MSP 1800 रुपए है वहीं काला चावल साढ़े 8 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल बिका है। मुझे बताया गया है कि इस कामयाबी को देखते हुए इस बार के सीज़न में लगभग 1000 किसान परिवार काले चावल की खेती कर रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

किसान को आधुनिक सुविधाएं देना, छोटे किसानों को संगठित करके उनको बड़ी ताकत बनाना, किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास निरंतर जारी हैं। बीते सालों में फसल बीमा हो या सिंचाई, बीज हो या बाज़ार, हर स्तर पर काम किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से देश के लगभग 4 करोड़ किसान परिवारों की मदद हुई है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से लगभग 47 लाख हेक्टर ज़मीन माइक्रो इरिगेशन के दायरे में आ चुकी है। लगभग 77 हज़ार करोड़ रुपए के इरिगेशन प्रोजेक्ट्स पर तेज़ी से काम चल रहा है।

लेकिन साथियों, सफल प्रकल्प ही काफी नहीं होते। इसके साथ-साथ किसानों को उस बड़े और व्यापक मार्केट का लाभ भी मिलना चाहिए जो हमारा देश, दुनिया के बड़े बाजार हमारे किसानों को उपलब्ध कराते हैं। इसलिए विकल्प के माध्यम से किसानों को सशक्त करने का रास्ता अपनाया गया है। किसान हित में किए गए कृषि सुधार ऐसा ही विकल्प किसान को देते हैं। अगर किसान को कोई ऐसा खरीदार मिल जाए जो सीधा खेत से उपज उठाए। जो ट्रांसपोर्ट से लेकर लॉजिस्टिक्स के हर प्रबंध करे और बेहतर कीमत दे, तो क्या किसान को अपनी उपज उसे बेचने की आज़ादी मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक किसान की पहुंच होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन को ठीक समझता है तो, उस पर भी इस कानून में कहां कोई रोक लगाई है भाई?

साथियों,

नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण ही तो दिए गए हैं। पहले तो मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी माने जाते थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ अक्सर धोखा होता था, विवाद होते थे। क्योंकि छोटा किसान तो मंडी पहुंच ही नहीं पाता था। अब ऐसा नहीं है। अब छोटे से छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। यानि किसान को अब नए विकल्प ही नहीं मिले हैं और छल से, धोखे से, उसे बचाने के लिए कानूनी संरक्षण भी मिला है। किसानों को प्रकल्प के साथ ही नए विकल्प देने से ही हमारे कृषि क्षेत्र का कायाकल्प हो सकता है। सरकार की तरफ से प्रकल्‍प, किसान के लिए विकल्‍प और दोनों साथ-साथ चलें, तभी देश का कायाकल्‍प होता है।

साथियों,

सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाते हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है। लेकिन पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है। काशी के आप सभी जागरुक साथियों ने भी ये ज़रूर अनुभव किया होगा। पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन बीते कुछ समय से हम एक नया ट्रेंड देख रहे हैं, हम अब देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि भ्रम फैलाकर, आशंकाएँ फैलाकर, फिर तो भविष्‍य में ऐसा होगा, अब तो ये होने वाला है, उसको आधार बनाया जा रहा है। अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन पता नहीं इससे आगे चलकर क्‍या-कया होगा और फिर कहते हैं ऐसा होगा। जो अभी हुआ ही नहीं है, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर यही खेल खेला जा रहा है। हमें याद रखना है, ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है। अब जैसे, MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी। घोषणाएं होती थी, खरीद नहीं होती थी। सालों तक MSP को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे। यानि कर्ज़माफी को लेकर भी छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं। लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते हैं।

 

यानि योजनाओं के नाम पर छल। किसानों के नाम पर, खाद पर बहुत बड़ी सब्सिडी दी गई। लेकिन ये फर्टिलाइज़र खेत से ज्यादा काला बाज़ारियों के पास पहुंच जाता था। यानि यूरिया खाद के नाम पर भी छल। किसानों को Productivity बढ़ाने के लिए कहा गया लेकिन Profitability किसान के बजाय किसी और की सुनिश्चित की गई। पहले वोट के लिए वादा और फिर छल, यही खेल लंबे समय तक देश में चलता रहा है।

साथियों,

जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें बड़ी स्वभाविक हैं। पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का या लंबा छल का इतिहास है और दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना एक प्रकार से आदात बन गई है, मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था वैसा ही अब भी होने वाला है क्‍योंकि उन्‍होंने ऐसा ही किया था इसलिए वो ही formula लगाकर के आज भी देख रहे हैं। लेकिन जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखोगे तो सच आप के सामने खुलकर के आ जाएगा। हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाज़ारी रोकेंगे और किसानों को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। पहले तो यूरिया ब्‍लैक में लेना पड़ता है, यूरिया के लिए रात-रात लाईन ला करके रात को बाहर ठंड में सोना पड़ता था और कई बार यूरिया लेने वाले किसानों पर लाठी चार्ज की घटनाएं होती थी। आज ये सब बंद हो गया। यहां तक कि कोरोना लॉकडाउन तक उस में भी जब लगभग हर गतिविधि बंद थी, तब भी हमने यूरिया पहुंचाने में दिक्कत नहीं आने दी गई। हमने वादा किया था कि स्नामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा MSP देंगे। ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही नहीं, ये वादा हमने पूरा किया और इतना ही नहीं किसानों के बैंक खाते तक पैसे पहुंचे, इसका प्रबंध किया।

साथियों,

सिर्फ दाल की ही बात करें, pulses की बात करें, 2014 से पहले के 5 सालों में, हमारे जो पहले वाली सरकार थी उसके 5 सालों में लगभग 650 करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गई थी, कितनी 650 करोड़, कितना भैया जरा आप बताइये पूरे देश में कितना, 650 करोड़। लेकिन हमने 5 साल में क्‍या किया आ करके, हमारे 5 सालों में हमने लगभग 49 हज़ार करोड़ यानि करीब-करीब 50 हजार करोड़ रुपए की दालें MSP पर खरीदी हैं यानि लगभग 75 गुणा बढ़ोतरी। कहां 650 करोड़ और कहां करबी-करीब 50 हजार करोड़। 2014 से पहले के 5 सालों में, उनकी आखिरी सरकार की मैं बात कर रहा हूँ, 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था पूरे देश में, 2 लाख करोड़ का, MSP पर। लेकिन हमने हमारे 5 साल में धान के लिए 5 लाख करोड़ रुपए MSP के रूप में किसानों तक हमने पहुंचा दिये हैं साथियों। यानि लगभग ढाई गुणा ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है। 2014 से पहले के 5 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला। डेढ़ लाख करोड़, उनकी सरकार के 5 साल। हमने 5 साल में गेहूं पर 3 लाख करोड़ रुपए किसानों को MSP का मिल चुका है यानि लगभग 2 गुणा। अब आप ही बताइए कि अगर मंडियाँ और MSP को ही हटाना था, तो इतनी बड़ी हम ताकत क्‍यों देते भाई? हम इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को और आधुनिक बनाने के लिए, मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।

भाइयों और बहनों,

आपको याद रखना है, यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर ये लोग हर गली-मौहल्‍ले में, हर press conference में, हर twitter में सवाल उठाते थे। ये लोग अफवाह फैलाते थे, ये मोदी है, ये चुनाव है न इसलिए ये किसान सम्‍मान निधि ले के आया है। ये 2000 रुपया एक बार दे देगा, दुबारा कभी नहीं देगा। दूसरा झूठ चलाया कि ये 2000 अभी दे रहा है लेकिन चुनाव पूरा हो गया तब ब्‍याज समेत वापस ले लेगा। आप हैरान हो जाएंगे, एक राज्‍य में तो इतना झूठ फैलाया, इतना झूठ फैलाया कि किसानो ने कहा कि हमें 2000 रुपया नहीं चाहिए, यहां तक झूठ फैलाया। कुछ राज्‍य ऐसे भी हैं, एक राज्‍य जो किसान के नाम से बाते कर रहे हैं, उन्‍होंने ने तो प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि योजना को अपने राज्‍य में लागू ही नहीं होने दिया क्‍योंकि अगर ये पैसा किसानों के पास पहुंच गया और कहीं मोदी का जय-जयकार हो गया तो फिर तो हमारी राजनीति ही खत्‍म हो जाएगी। किसानों के जेब में पैसा नहीं जाने दिया। मैं उन राज्‍य के किसानों से कहना चाहता हूँ आने वाले समय में जब भी हमारी सरकार बनेगी, ये पैसा भी मैं वहां के किसानों को दे के रहूँगा।

साथियों,

देश के 10 करोड़ से ज्‍यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मद्द दी जा रही है और यह प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि के द्वारा लगातार चल रहा है। साल में तीन बार देते हैं और अब तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपया सीधा किसानों के बैंक खाते में पहुंच चुका है।

साथियों,

हमने वादा किया था कि किसानों के लिए पेंशन योजना बनाएंगे। आज पीएम किसान मानधन योजना लागू है और बहुत कम समय में ही 21 लाख किसान परिवार इसमें जुड़ भी चुके हैं।

भाइयों और बहनों,

वादों को ज़मीन पर उतारने के इसी ट्रैक रिकॉर्ड के बल पर किसानों के हित में नए कृषि सुधार कानून लाए गए हैं। किसानों को न्याय दिलाने में, ये कितने काम आ रहे हैं, ये आए दिन हम जरूर देखेंगे, हम अनुभव करेंगे और मुझे विश्‍वास है मीडिया में भी इसकी सकारात्‍मक चर्चाएं होगी और हमें देखने भी मिलेगा, पढ़ने को भी मिलेगा। मुझे ऐहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। किसानों का दोष नहीं है, लेकिन मैं देशवासियों को कहना चाहता हूँ, मैं मेरे किसान भाई-बहनों को कहना चाहता हूँ और माँ गंगा के घाट पर से कहना चाहता हूँ, काशी जैसी पवित्र नगरी से कह रहा हूँ अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है।

भाइयों और बहनों,

आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं, तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने लग जाते हैं। 24/7 उनका यही काम है। देश के किसान, इस बात को भली-भांति समझते हैं। जिन किसान परिवारों की अभी भी कुछ चिंताएं हैं, कुछ सवाल हैं, तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है, समाधान करने का भरपूर प्रयास कर रही है। मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत की अगुवाई करेगा। मुझे विश्वास है, आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे, ये मेरा पक्‍का विश्‍वास है।

अंत में फिर एक बार फिर, आप सभी को इस आधुनिक हाईवे के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। काशी का रूप और स्वरूप यूं ही भव्य बनता रहे, इसके लिए हमारे प्रयास निरंतर चलते रहेंगे। अभी मेरे बनारस में और भी कार्यक्रम हैं, वहां भी कई विषयों पर विस्तार से बात करूंगा। कोरोना के कारण इस बार मुझे आने में थोड़ा विलम्‍ब हुआ लेकिन आज आप के दर्शन हो गए, मुझे नई ऊर्जा मिल गई। आपके आशीर्वाद मिल गए, काम करने की नई ताकत मिल गई। आप इतनी बड़ी मात्रा में आकर आशीर्वाद दे रहे हैं, यही मेरी ऊर्जा है, यही मेरे लिए आशीर्वाद है। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ। मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए भारत माता की जय।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।