Oneness with people makes buildings made of bricks and cement centres of inspiration: PM
Let us make NISER campus India's greenest: PM Modi
India's space mission has made a mark across the world: PM Modi
It is important to develop a scientific temper among students: PM Modi
Innovation is the need of the hour, for every society and every era: PM

जय जगन्‍नाथ,

ओडिशा के राज्यपाल डॉक्टर जमीर जी, ओडि़शा के मुख्यमंत्री श्रीमान नवीन बाबू ,केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान जुएल ओराम जी, मंत्रिपरिषद के मेरे युवा साथी धर्मेन्द प्रधान जी, कृषि विभाग के मंत्री और मेरे साथ पीएमओ में काम रहे डॉक्टेर जीतेन्द्र सिंह जी,संसद सदस्य डॉक्टर प्रसन्नद कुमार सिंह जी, Atomic commission के चेयरमैन डॉक्टर शेखर बसु जी,नायसिर के प्रोफेसर चन्द्र शेखर जी, यहां पधारे हुए इस क्षेत्र के सभी ज्ञाता महानुभाव सभी नौजवान मित्रों...

यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्र को एक बहुत बड़ी विरासत सौंपने का अवसर मिला है। ईमारतें तो बहुत बनती हैं, भवन भी बहुत बनते हैं। लेकिन ईंट, पत्थर चूने से बने हुए भवन और ईमारत तब तक प्रेरणा के केंद्र नहीं बनते जब तक कि उसके साथ जुडे़ हुए लोगों के साथ आत्मा उनके साथ जुड़ती नहीं है। और इसलिए व्यवस्थाओं का महत्व होते हुए भी व्य्वस्थाओं के भीतर प्राण होने चाहिए। और मुझे इस बात की खुशी है कि विज्ञान और technology के क्षेत्र में हमारे scientist,हमारे प्रोफेसर, हमारे Students इन दिनों जी-जान से जुटे हुए हैं। कुछ न कुछ नया करने का इरादा हर किसी के मन में होता है। हर किसी के नसीब में नोबेल प्राइज नहीं हो सकता है। लेकिन कोई रिसर्च, कोई innovation किसी गरीब की जिंदगी में बदलाव लाना है तो उससे बड़ा कोई नोबेल प्राइज नहीं होता है और इसलिए हम जिस दिशा में जाना चाहे तब हमारी प्राथमिकता यह रहे कि आने वाले दिनों में हम ऐसी कैसी व्यावस्थाएं विकसित करके दें,ऐसा कैसा विज्ञान, ऐसी कैसी Technology लोगों के लिए लाएं जो affordable हो Sustainable हो, और मेरा तो हमेशा आग्रह रहता है Zero effect, Zero defect, Zero effectका मेरा तात्पर्य यह रहता है कि दुष्‍प्रभाव किसी भी प्रकार से न हो। चाहे Environment पर हो, चाहे Climate का विषय हो। चाहे Global warming का विषय हो। या व्यक्ति की जिन्दगी हो या प्राकृतिक संपदा हो, इस पर कोई Side effect न हो। और हमारा Product भी ऐसा हो जो Zero defect हो, ताकि वो न सिर्फ भारत में globally accepted हो और इसलिए हम सिर्फ खोज करे, नया सोचे, इतने से नहीं है। हमें इसे सामान्य जन तक पहुंचाना यह भी एक बहुत बड़ा चुनौती होती है। मैंने देखा भव्य Campus है। लेकिन दो काम मैं आपसे चाहता हूं और विशेष करके खजाने से नहीं, तिजोरी से नहीं, बजट से नहीं, आप लोगों के अपने प्रयास से, क्या एक Campus हिन्दुस्तान का सबसे Greenest Campus बन सकता है क्या,? मैं देख रहा था यहां आते ही एक छोटा-सा टीला देखा मैंने पहाड़ी तो नहीं कह सकता हूं लेकिन पेड़ नजर नहीं आ रहे हैं।अगर वही जो Construction चलते समय ही साथ-साथ कर लिया होता। क्या अब हम तय कर सकते हैं कि दो साल के भीतर-भीतर उसे पूरी तरह हम ग्रीन बना देंगे। हर Student अपने परिवार जन आये तो परिचय करने के लिए जाएं, हां यह मेरा परिवार का एक सदस्य‍ है। यह पांच महोदय मेरे हैं। मैं इसका लालन-पालन कर रहा हूं, मेरे माता-पिता मुझे मिलने आएंगे। तो मैं उनको दिखाने के लिए ले जाऊंगा। देखिए संकल्प करना होता है, अगर आप संकल्प करें तो हिंदुस्तान का ये educational complex The Greenest Campus बना करके आप उसको हिंदुस्तान में एक सिरमौर जगह दे सकते हैं।

उसी प्रकार से दूसरा विषय है आप विज्ञान के विद्यार्थी हैं Technology से जुडे हुए हैं। यह पूरी तरह Greenery के संदर्भ में तो Green बने, ही बने। लेकिन Environment के संबंध में भी यह पूरा भवन solar Technology Zero discharge इन सारे विषयों को अपने मे समाहित करके हम Develop कर सकते हैं क्या ? यह चुनौतियां हमने सहज रूप से स्वीकार करनी चाहिए। और यह अगर हम करते हैं तो आप देखिए इस Campus के साथ अपनापन लगेगा। इसकी हर ईंट, पत्थर, दीवार हमें अपनी लगेगी और जब तक हम उसे पूजाघर के रूप में नहीं देखते हैं हमारी आत्मा उसके साथ जुड़ती नहीं है और इसलिए मैंने प्रारंभ में कहा था ईमारतों से परिणाम नहीं आते हैं, परिणाम तब आते हैं जब ईमारतों के साथ आत्माएं जुड़ते हैं। जीवन समर्पित हो जाता है, तब परिणाम आता है।

कभी-कभार यह भी विवाद रहता है कि उत्तसम laboratory होगी, उत्तम साधन होंगे, तभी विज्ञान में प्रगति होगी। उसमें सच्चाई है लेकिन यह भी पहलू है कि आज पूरी दुनिया में भारत का Space Mission उसने अपनी एक इज्जत बनाई हैं, जगह बनाई हैं। Mars mission में दुनिया में सबसे पहले सफल होने वाले हमारे देश के नौजवान रहे। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि जब Space science में हमारे यहां काम शुरू किया गया तब उसके Equipment साइकिल पर उठा करके ले जाये जाते थे और मोटर के गैरेज में काम किया जाता था और उससे जा करके आज Space science में हमने जगह बनाई है। उत्तम भवन नहीं थे, उत्तम व्यवस्थाएं नहीं थी, लेकिन उस समय काम करने वाले लोगों का एक सपना था, एक मिशन था, समर्पण था, जिसके कारण आज Space के अंदर भारत का झंडा लहरा रहा है। उन लोगों के परिश्रम और पुरुषार्थ के कारण लहरा रहा है। और इसलिए हमारे भीतर मुझे कुछ देके जाना है। कुछ करके जाना है, किसी के लिए जीके जाना है। यह भाव जब तक प्रबल नहीं होता है हम नयापन दुनिया को दे नहीं सकते हैं। मानवजात का एक स्वतभाव रहा है, इन निरंतर परिवर्तनशील होता है। हर युग में उसने अपने आप में बदलाव लाया है,खुद ने बदलाव में अपने आप को ढाला है। Innovation अगर बंद हो जाता है तो जीवन स्थगित हो जाता है। व्यवस्थाएं निष्‍प्राण हो जाती है, व्यवस्थाएं अगर निष्‍प्राण होती हैं तो जीवन कभी प्राणवान हो नहीं सकता है और इसलिए innovation यह हर समाज की हर युग की आवश्यकता है। हमें innovation का Environment बनाना पड़ेगा। और यह आपकी Institute है NISER और Yes सर नहीं है। जहां yes sir आए वहां विज्ञान अटक जाता है, जहां NISER है वहां विज्ञान आगे बढ़ता है। हर बात में कहते हैं No सर इसका तो कुछ और होना चाहिए। यह जो curiosity है। यह नया सवाल मन में उठते रहते हैं वहीं से तो खोज पैदा होती है। Question Mark यह खोज की जननी बन जाता है। वहीं गर्भाधान करता है। और इसलिए हमारा Yes सर वाला Institute नहीं है, NISER वाला Institute है जो कहेगा No सर ऐसा होगा। यह environment create करना होगा। अगर यह environment create होता है तो हर चीज नई बनती है।

हमारे सामने कई challenges हैं। और ऐसा नहीं है कि challenges का उपाय हमारे पास नहीं है। अब हम ओडि़शा में Black Diamond के मालिक हैं। विपुल भंडार भरा पड़ा है हमारे पास। लेकिन दुनिया में जो बदलाव आ रहा है कहीं ऐसा न हो जाए कि Black Diamond हमारा बोझ बन जाए। क्योंलकि दुनिया climate को लेकर चर्चा कर रही है। fossil fuel के विरूद्ध में एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो रहा है कि हम समय रहते विज्ञान के माध्यlम से टेक्नोलॉजी के माध्यम से ऐसी व्यवस्‍था विकसित करें कि हम coal gasification करके हम clean energy की दिशा में कैसे जाए और वो सस्तीै टेकनोलॉजी की दिशा में हमारी institution कैसे काम करें। हमारे नौजवान केसे काम करें। हमारे सामने काम है। हमारा समुद्री तट, ओडि़शा का समुद्री तट, हिंदुस्ता्न का समुद्री तट। Blue Economy यह आने वाले समय में एक बहुत बड़ा क्षेत्र बनने वाला है। और मैं हमेशा कहता हूं भारत का जो तिरंगा झंडा है और उसमें एक blue colour का चक्र है। यह चतुर क्रांति का मार्ग दर्शक है। हमें saffron revolution चाहिए, हमें white revolution चाहिए, हमें green revolution चाहिए, हमें Blue revolution चाहिए।

जब मैं saffron revolution कहता हूं, energy का colour है saffron, मैं white revolution कहता हूं तब मैं डेरी फार्मिंग, पशुपालन, किसान, milk product उसकी बात करता हूं। मैं green revolution कहता हूं तब मैं environment की बात भी करता हूं, agriculture revolution की भी बात करता हूं और जब मैं Blue revolution की बात करता हूं तब हमारा समुद्री संपदा जो है और हमारा जो नीला आसमान है इन दोनों की ओर हमारा ध्यारन रहे हमारा आसमान नीला कैसे बना रहे। और हमारी समुद्री संपदा जिसको जितनी मात्रा में हमें खोजना चाहिए नहीं खोज पाए हैं। क्या कारण है कि हमारे पूर्वजों ने इसको रत्नाकर कहा था। अगर वो रत्नाकर है तो रत्न के भंडार पड़े हैं। उन रत्नों के भंडार है तो हमने क्याह खोजा। हमारी सामुद्रिक संपदा का उपयोग हम राष्ट्र के लिए कैसे कर सकते हैं। हमारे मछुआरे भाई-बहन साल में छह महीने, आठ महीने रोजगार मिलता है। लेकिन उसी समुद्री तट पर अगर seaweed की खेती करते हैं। और seaweed में value addition करने की दिशा में हम काम करते हैं, हमारे bio technology में काम करने वाले, biology में काम करने वाले sea bead पर कैसे काम किया जा सकता है। वो nutrition value बहुत होने के बावजूद भी उस पर हमारा ध्यारन नहीं है। हो सकता है हमारे मछुआरे की आय का वो कारण बन सकता है।

हम वैसी विज्ञान के कौनसी चीजों की ओर चलें जो हमारे देश के Requirement को पूरा कर सके। Energy मानव जीवन के लिए अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। उसके बिना जीवन असंभव हो रहा है और Energy के Resource की मर्यादाएं हैं। अब आप देखिए पहले की Energy सिटी में आए LED Bulb, Innovation हुआ Research हुआ Energy Saving उसके साथ-साथ आई और सहज रूप से और मुझे हमारे डिपार्टमेंट के लोग बता रहे थे कि भारत में तो इन दिनों LED का बहुत बड़ा Movement चल पड़ा है। कई शहरों ने अपनी स्ट्रीट लाइट LED की है। 100 Cities का MOU किया है भारत सरकार ने। 100 Cities के लाइट को LED करते हैं और 100 Cities में घरों में हम LED पहुंचाते हैं, तो मुझे बताया गया कि 20,000 मेगावॉट बिजली बचेगी। अब भारत जैसे गरीब देश में 20,000 मेगावॉट बिजली पैदा करना है तो लाखों करोड़ों रुपया चाहिए, लेकिन 20,000 मेगावॉट बिजली बचानी है तो एक LED Bulb लेकर के एक जागृति लानी चाहिए, परिवर्तन आता है। यानी Affordable Sustainable Technology किस प्रकार से बदलाव ला सकती है LED एक बहुत बड़ा उदाहरण है हमारे सामने। और इसलिए आप नौजवानों से आग्रह करूंगा कि हम विज्ञान को किस रूप में Innovation को Science को किस रूप में ले जाएं, जो हमारी जो Energy की समस्याएं हैं उसको हम समाधान करें। 175 Giga Watt Renewal Energy की दिशा में हम जा रहे हैं। Climate Justice इस पर हमारा बल है लेकिन 175 Giga Watt Renewal Energy पर जाना है तो आज जो पद्धति है वो इतनी Costly है कि भारत के लिए वो मुश्किल हो सकता है।

लेकिन हमने रास्ता खोजने का तय भी कर लिया है और क्यों मेरे इन नौजवानों में भरोसा है जो आने वाले दिनों में सोलर Energy के क्षेत्र में नए रीसर्च करेंगे। आज हमारे सामने चैलेंज है सोलर एनर्जी को कैसे प्रीजर्व करना, उसको कैसे रखे रखना। दिन में सूर्य है रात में भी उस बिजली का उपयोग कर कर और वह सारी व्यवस्था कैसे चीप हो सस्ती हो, ये हमारे सामने चुनौती है। अगर एक बार हम सोलार पावर को संभालने की व्यवस्था में हम मास्टरी पा लेंगे मैं नहीं मानता हूं और कोई रीसोर्सेस की जरूरत पड़ेगी। और इसलिये भारत और अभी हमनें बहुत बड़े दो काम किये। अभी COP-21 जब फ्रांस में हुआ। सारी दुनिया ने भारत की बड़ी तारीफ की है कि भारत ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की कि भारत ने बड़ा लीड रोल किया। लेकिन वहां दो और चीजें हुई है जिसकी तरफ दुनिया का ध्यान नहीं गया। COP 21 में हिंदुस्तान, अमेरीका, फ्रांस एंड बिल गेट्स का एक एनजीओ है, सब मिलकर के सोलर के क्षेत्र में, Renewal Energy के क्षेत्र में, Innovation पर बहुत बड़ा बल देने का काम शुरू करने वाले हैं। तीनों देश और एनजीओ काफी पूंजी लगाने वाले हैं। Innovation के लिए इस दिशा में बहुत काम होने वाला है।

दूसरा काम जो पेरिस में तय हुआ COP -21 में, दुनिया के 122 Country ऐसे हैं कि जहां 300 दिन से ज्यादा सोलार पावर Available है। सूर्य की शक्ति Available है। ओड़िशा तो सूर्यदेव की धरती है, कोणार्क का सूर्य मंदिर दुनिया के लिए प्रेरणा देने वाला है। दुनिया के 122 देश इकट्ठे आये हैं और एक International Solar Alliance नाम का संगठन खड़ा किया है और जिसका कैपिटल उसका हैडक्वार्टर हिन्दुस्तान में रहने वाला है और फ्रांस के भी राष्ट्रपति आए थे। उसके सचिवालय का उद्घाटन भी किया है। कहने का हमारा तात्पर्य है कि बहुत बड़ी मात्रा में ये काम चल रहा है। स्वच्छ भारत ये मिशन हमनें उठाया है। लेकिन स्वच्छ भारत की सफलता उस बात पर निर्भर करती है कि हम Waste में से Wealth Create करने के लिए कैसे Innovation करें कैसी Technology लायें|

हमें 2022 में हिन्दुस्तान के गरीब से गरीब व्यक्ति को उसको अपना घर देने का हमारा सपना है। 2022 में हिन्दुस्तान गरीब से गरीब व्यक्ति को घर देना है, तो मैं वो कौनसा मटेरियल खोज सकता हूं जो आज Waste में से Wealth बन सकता है और हमारी इमारतों को बनाने के लिए मजबूती देने वाला काम कर सकता है। हम ऐसे कैसे रीसर्च कर सकते हैं हम विज्ञान का क्या उपयोग कर सकते हैं कि हम 2022 में हमारा आर्किटेक्चर हो हमारा इंजीनियरिंग हो मटेरियल साइंस हो। हम इन चीजों का उपयोग करके इस प्रकार की कैसी व्यवस्था दे सकें कि 2022 जबकि देश हिन्दुस्तान आज़ादी के 75 साल मनाता होगा। तब हमारे महापुरुषों ने जिन्हेंने हमें देश की आज़ादी दी। हम उनको ऐसा हिन्दुस्तान दें। जिसमें हर गरीब को अपना घर हो। और घर बनाने में हमारे इन वैज्ञानिकों का बहुत बड़ा रोल हो।

Waste में से Wealth Create करना आज अगर सोलिड Waste में से Energy बनानी है तो बहुत Costly है। लेकिन क्या हम इस प्रकार के Innovation कर सकते हैं Technology को Develop कर सकते हैं, जिसके कारण हम Waste में से Wealth Create करने में और सुविधा पैदा कर सकें। तो स्वच्छ भारत का जो अभियान है। उस अभियान को बहुत तेजी मिलेगी। और एक प्रकार से स्वच्छता ये अपने आप में एक Entrepreneurship का क्षेत्र बन जाएगा। नए रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। और इसलिये मैं नौजवानों से आग्रह करता हूं। हम आने वाले दिनों में डीजिटल वर्ल्ड में जीने वाले हैं। और ये कोई फेसबुक, वॉट्स्अप पर सीमित नहीं रहने वाला। जीवन में बहुत बड़ा प्रभाव होने वाला है। हम डीजिटल इंडिया की दुनिया में हम अपना क्या Contribution दें, ताकि हम भारत के सामान्य मानवीय तक इन व्यवस्थाओं को पहुंचा सकें।

यहां पर मैथमैटिक पर काफी काम हो रहा है। मुझे एक बार प्रोफेसर मंजुल भार्गव से बातचीत करने का अवसर मिला। मैथमैटिक की दुनिया में छोटी आयु में उन्होंने बहुत बड़ा योगदान किया है। कई सारे अवॉर्ड मिले हैं। मैंने उनका एक इंटरव्यू देखा तो मेरा मन कर गया कि मैं उनसे मिला था। वो कहता है कि मेरे पिताजी संस्कृत के शिक्षक थे। मेरे घर में संस्कृत का माहौल था। तो मैं संस्कृत के सारे पुराने लिटरेचर से परिचित था। और मैंने देखा कि उसमें mathematically बहुत कुछ था। तो मैंने उस ancient ज्ञान का उपयोग किया। modern knowledge के साथ उसको interface किया। और उसमें से मैंने नई चीजों को पनपाया जो दुनिया के लिए अचरज बन गया और आज मुझे मैथमैटिक की दुनिया में एक Authority मान लिया गया। कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे ancient philosophy में कुछ न कुछ ऐसा होगा, मैं तो नहीं जानता हूं मैं उसका मास्टर नहीं हूं। लेकिन अगर होगा तो हम लोगों का काम है उसको विज्ञान के तराजू पर तराशना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को वो ज्ञान काम आ सकता है तो उसको हमने विज्ञान और Technology में convert करना चाहिए। और उस दिशा में अगर हम काम कर सकते हैं तो हम मानवजात की बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं। और उस दिशा में हम लोगों ने प्रयास करना चाहिए।

ये भी सही है कि हम लोगों के लिए खासकर के Formative age में स्कूली बच्चों में Scientific Temper कैसे Develop हो ये हमारे लिए बहुत आवश्यक होता है। और इसलिये क्या हम ओड़िशा के जो साइंस टीचर है उनको 5 दिन का 7 दिन का 10 दिन का NISER में कोई कोर्सेस कर सकते हैं, ताकि गांव के स्कूल के साइंस के टीचर भी और उनको यहां के जो आपके 700-800 स्टूडेंट हैं उनके ग्रुप के साथ जोड़ना चाहिए, ताकि ये नये स्टूडेंट जो हैं, जो नया विज्ञान जानते हैं हम जो नई चीजें जानते हैं वो उनसे बातें करें। नहीं तो क्या होता है पुराने जो हमारे पिताजी पढ़े हुए हैं हमारे पिताजी के पिताजी जो पढ़े होंगे वो जो नोटबुक होती है उसी से प्रोफेसर अभी भी पढ़ाते हैं। देखिये बदलाव स्वीकार करना पड़ेगा। हमें नयापन लाना पड़ेगा। हर चीज में Innovation चाहिए। और इसलिये उस Innovation के लिए हम हमारे उसी प्रकार के साइंस फेयर होते हैं। हर राज्य में स्टूडेंट्स के साइंस फेयर लगते हैं। क्या कभी उन स्कूलों के साथ मेंटर के रूप में हमारे NISER के स्टूडेंट को अटैच किया जा सकता है। कि भई हमारे 10 स्टूडेंट फलाने जिले की सबसे टॉप स्कूल है उस साथ अटैच रहेंगे। वो साल में दो बार पांच बार सात बार वहां जाएंगे। स्कूल के टीचर स्टूडेंट के साथ बैठेंगे। और साइंस फेयर में द बेस्ट कोई इनोवेटिव चीज लेकर के जाएंगे, तो स्टूडेंट के दिमाग में विज्ञान के प्रति भाव जगेगा। और जो हमारे स्टूडेंट जो यहां काम कर रहे हैं उनको पढ़ते – पढ़ते सीखने का और सिखाने का स्वभाव बन जाएगा। उसकी वो ताकत बन जाएगा। हम एक ऐसी सहज व्यवस्थाएं कैसे विकसित करें ताकि हम NISER का सच्चे अर्थ में लोकोपयोगी तरीके से उपयोग कर सकें। आज मेरे लिये गर्व का विषय है। कि राष्ट्र को खास कर के देश की युवा पीढ़ी को, खास कर के भारत के ज्ञान और टैक्नॉलॉजी को ये भव्य संकुल समर्पित करने का मुझे अवसर मिला है। मैं राष्ट्र को ये भव्य संकुल समर्पित करता हूं और सभी नौजवानों को हृदय से बहुत – बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM Modi to inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 on 25th November
November 24, 2024
PM to launch UN International Year of Cooperatives 2025
Theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi”

Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 and launch the UN International Year of Cooperatives 2025 on 25th November at around 3 PM at Bharat Mandapam, New Delhi.

ICA Global Cooperative Conference and ICA General Assembly is being organised in India for the first time in the 130 year long history of International Cooperative Alliance (ICA), the premier body for the Global Cooperative movement. The Global Conference, hosted by Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited (IFFCO), in collaboration with ICA and Government of India, and Indian Cooperatives AMUL and KRIBHCO will be held from 25th to 30th November.

The theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi” (Prosperity through Cooperation). The event will feature discussions, panel sessions, and workshops, addressing the challenges and opportunities faced by cooperatives worldwide in achieving the United Nations Sustainable Development Goals (SDGs), particularly in areas such as poverty alleviation, gender equality, and sustainable economic growth.

Prime Minister will launch the UN International Year of Cooperatives 2025, which will focus on the theme, “Cooperatives Build a Better World,” underscoring the transformative role cooperatives play in promoting social inclusion, economic empowerment, and sustainable development. The UN SDGs recognize cooperatives as crucial drivers of sustainable development, particularly in reducing inequality, promoting decent work, and alleviating poverty. The year 2025 will be a global initiative aimed at showcasing the power of cooperative enterprises in addressing the world’s most pressing challenges.

Prime Minister will also launch a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement. The stamp showcases a lotus, symbolising peace, strength, resilience, and growth, reflecting the cooperative values of sustainability and community development. The five petals of the lotus represent the five elements of nature (Panchatatva), highlighting cooperatives' commitment to environmental, social, and economic sustainability. The design also incorporates sectors like agriculture, dairy, fisheries, consumer cooperatives, and housing, with a drone symbolising the role of modern technology in agriculture.

Hon’ble Prime Minister of Bhutan His Excellency Dasho Tshering Tobgay and Hon’ble Deputy Prime Minister of Fiji His Excellency Manoa Kamikamica and around 3,000 delegates from over 100 countries will also be present.