Paradip refinery is the Vikas Deep for Odisha and the youth of Odisha: PM Modi

Published By : Admin | February 7, 2016 | 14:22 IST
Paradip refinery is the Vikas Deep for Odisha and the youth of Odisha: PM Modi
People dependent on firewood for fuel, would get access to LPG with the opening of Paradip refinery: PM Modi
#MUDRA Yojana, #StartUpIndia has given opportunity to India's youth to stand on their own feet & become job creators: PM
Paradip refinery has established a records of sorts when it comes to #makeinindia: PM Modi

जय जगन्‍नाथ! ओडिशा के राज्यपाल श्री जमीर जी, राज्य के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक जी , मंत्रिपरिषद में मेरे साथी , संसद में मेरे साथी और विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों।

सरकारी कार्यक्रम तो हमने बहुत देखे हैं, लेकिन ऐसा माहौल कभी देखा नहीं है। मेरी जहां भी नज़र जा रही है, लोग ही लोग है। यह इस बात का सबूत है कि ओडिशा का हर नागरिक जनता है कि इस पारादीप रिफाइनरी का उनके जीवन में कितना महत्‍व है,ओडिशा के विकास के लिए कितना महत्‍व है। वो हर ओडिशा का नागरिक जानता है। मैं आप सब को हृदय से धन्‍यवाद करता हूं कि आप इतनी बड़ी संख्‍या में, विकास के इस काम में भागीदार बनने के लिए हमारे बीच आए हैं।

ओडिशा, ये उत्‍कल मणि, पंडित गोकोवंद दास जी, उत्‍कल गौरव मधुसूदन दास जी, सुरेन्‍द्र जी एवं महाराष्‍ट्र के कृष्‍ण चंद्र गतपति जैसे महान महापुरुषों को, आत्‍माओं को मैं नमन करता हूं।

सैंकड़ों सालों तक ओडिया व्‍यवसायी, साधव समुद्री रास्‍ते से दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्‍न देशों के विभिन्‍न स्‍थानों जैसे – जावा, बाली, सुमात्रा, बॉरनियो कहां-कहां पहुंचते थे ओडिशा के व्‍यापारी। इसकी याद में हर साल आज भी पवित्र कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रदेश के कोने-कोने में बोइत वंदना की जाती है। पारंपरिक रूप से यहां के बंदरगाह विश्‍व के अन्‍य भागों से व्‍यापार के लिए बहुत ही vibrant हुआ करते थे। महाकवि कालिदास ने रघुवंशम काव्‍य में कलिंग के राजा को महोदधिपति यानी lord of the sea, इस रूप में वर्णन किया है। मैं इस पारादीप जगतसिंहपुर जिले की माटी को भी पावन क्षेत्र मानता हूं। यही धरती है जहां शुद्र मुनि सारलादास ने संपूर्ण महाभारत की रचना की और यह संस्‍कृत के अलावा किसी भी भारतीय भाषा में सबसे पहले लिखी गई महाभारत थी।

अत्‍यधिक विनम्रता के साथ मैं आज उत्‍कल केसरी हरि कृष्‍ण मेहता और उत्‍कल के महान पुत्र श्री बीजू बाबू को याद करना चाहता हूं। यही तो महापुरुष थे जिन्‍होंने पारादीप को बचाने के लिए बंदरगाह की स्‍थापना में महत्‍वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था। इस जगतसिंहपुर जिले की मिट्टी में ओडिशा के पूर्व मुख्‍यमंत्री श्रीमान नबकृष्‍ण चौधरी, स्‍वतंत्रता सेनानी गोकबंधु जी, मालती देवी जी और सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक प्राण कृष्‍ण परिजा, ये ऐसे महापुरुष है, जिनको याद करके मैं सर झुकाता हूं, उनको नमन करता हूं।

भाइयों-बहनों, यह मेरे लिए विशेष सौभाग्‍य का विषय है कि 35,000 करोड़ रुपए की लागत से बनी हुई हिन्‍दुस्‍तान की रिफाइनरियों में सिरमौर। एक रिफाइनरी का लोकार्पण करने का मुझे अवसर मिला है और खुशी की बात यह है कि इसका शिलान्‍यास हमारे मार्गदर्शक, हमारे प्रेरणा पुरुष, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी ने किया है। जिस काम को वाजपेयी जी ने प्रारंभ किया, उस काम को परिपूर्ण करने का सौभाग्‍य मिले, इससे बड़ा जीवन का आनंद और क्‍या हो सकता है।

भाइयों-बहनों, यह ऐसी योजना है जिसके कारण यहां के लाखों नौजवानों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होने वाले है। और इसलिए यह पारादीप रिफाइनरी एक प्रकार से ओडिशा का विकासदीप है। यह पारादीप रिफाइनरी ओडिशा के नौजवानों का भाग्‍यदीप है। यह पारादीप रिफाइनरी हिन्‍दुस्‍तान की कोटि-कोटि गरीब महिलाएं, जो लकड़ी का चूल्‍हा जलाकर के खाना पकाती है, धुंए के कारण बच्‍चे बीमार हो जाते हैं, खुद बीमार हो जाती है। ऐसी गरीब माताओं को एक नई आशा जगाने वाली पारादीप रिफाइनरी है जहां से गैस सिलेंडर गरीब के घर तक पहुंचने वाले हैं।

सरकार जब काम करती है तो किस तेजी से कर सकती है, इसका उदाहरण आपने देखा है। हमारे देश के कई प्रोजेक्‍ट, 40-50 साल किसी को विचार आए, 10 साल के बाद कागज पर उतरे, और 5-10 साल बीत जाए योजना बनते-बनते, फिर शिलान्‍यास हो और उसको करते-करते तो पीढ़ियां बीत जाए, लेकिन वो काम पूरा नहीं होता है। आजकल मैं कहीं किसी योजना का उद्घाटन करने जाता हूं तो खासकर के हमारे कांग्रेस के मित्र तुरंत ब्‍यान देते है – ये तो हमारे जमाने में शुरू हुआ था। भाइयों-बहनों, अगर मेरे हाथ से किसी योजना का उद्घाटन करने का अवसर मिले, मुझे आनंद होगा स्‍वाभाविक है। लेकिन देश के प्रधानमंत्री के नाते मुझे आनंद नहीं होता है। मुझे तो आनंद तब होता कि यह काम अगर 15 साल पहले पूरा हो गया होता, यहां के लाखों लोगों को रोजगार मिला होता।

हमारे यहां योजनाओं को रुकावटें, विलंब, कभी कोर्ट-कचहरी, कभी टेंडर प्रक्रिया, कभी जन आंदोलन, न-जाने ऐसी-ऐसी मुसीबतों से गुजरना पड़ता है कि हमारी योजनाएं बहुत महंगी हो जाती हैं। देश के अंदर प्रगति करने के लिए देशवासियों ने, bureaucracy ने, उद्योग जगत ने, सामान्‍य नागरिकों ने, नीति निर्धारकों ने, एक ऐसे culture को जन्‍म देने की जरूरत है कि जहां योजनाएं समय पर शुरू हों, निर्धारित समय से आगे बढ़े और निर्धारित समय में पूर्ण हो ताकि देश को उसका लाभ मिले, समय से पहले लाभ मिले।

भाइयों बहनों हम वो work culture पर लाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि कभी विलंब के कारण देश को गंभीर नुकसान न हो। भाईयों बहनों, इस रिफाइनरी में 78 करोड़ kg एलपीजी का निर्माण होने वाला है। 500 करोड़ लीटर पेट्रोल का उत्‍पादन होने वाला है। 660 करोड़ लीटर डीजल का उत्‍पादन होने वाला है। केरोसीन और एटीएफ मिला करके दो सौ पचास करोड़ लीटर का उत्‍पादन होने वाला है। 27 लाख क्विंटल सल्‍फर का उत्‍पादन होने वाला है। 120 लाख क्विंटल पेट्रोलियम कोक निर्माण होने वाला है। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि इन सारे उत्‍पादनों के कारण देश के आर्थिक विकास में कितनी बड़ी गति आएगी।

हिंदुस्‍तान के पूर्वी छोर पर ओडि़शा की धरती से कोई समय था भारत की पहली सूरज की किरण यहां आती थी अब भारत को नई ऊर्जा यहां से प्राप्‍त होने वाली है। यह ताकत पारादीप ने दिखाई है। भाईयों-बहनों इसके कारण लाखों नये रोजगार की संभावनाएं पैदा हुई है। इसमें से वो raw material तैयार होगा, उस raw material के कारण छोटे-छोटे प्‍लास्टिक के अनेक उद्योग लग सकते हैं। और उसके लिए skill development का काम सरकार कर रही है। मुद्रा योजना के द्वारा पैसे दे रही है। Start-up India, Stand-up India के लिए, नौजवानों को नया अविष्‍कार करके काम करने के लिए सरकार सहूलियत दे रही है। पारादीप रिाफाइनरी इसके साथ एक विकास की पूरी लम्‍बी यात्रा चलने वाली है, जो ओडि़शा का भाग्‍य बदलने का काम करने वाली है।

भईयों-बहनों आज हमारे देश में लाखों गरीबों परिवार करोड़ों गरीब परिवार उनको खाना पकाना है तो लकड़ी का चूल्हा जलाना पड़ता है और लकड़ी के चूल्हे के जलने से वैज्ञानिकों का कहना है कि एक घंटा उस चूल्हे के धुएं में अगर कोई रहता है तो 400 सिगरेट पीने जितना धुंआ उनके शरीर में चला जाता है। उन गरीब मां-बहनों की health का क्‍या होता होगा, उनके स्‍वास्‍थ्‍य का क्‍या होता होगा। हमारी कोशिश है इन गरीब माताओं के पास एलपीजी का गैस सिलेंडर पहुंचे। वो लकड़ी के चूल्हे से, धुएं से मुक्ति पाएं। और यह पारादीप रिफाइनरी में इतनी बड़ी मात्रा में एलपीजी गैस का निर्माण होने वाला है कि वो संभव होगा।

भाईयों-बहनों हमारे देश के किसान को यूरिया चाहिए। fertilizer के लिए यूरिया चाहिए। यूरिया के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उनमें एक चीज की जरूरत होती है गैस की। अगर पूरी मात्रा में गैस उपलब्‍ध हो, तो यूरिया का उत्‍पादन बढ़ता है। हमारे देश के किसान को समय पर यूरिया पहुंच सकता है। और इसलिए हम इसी पारादीप योजना के तहत आने वाले दिनों में पूर्वी हिंदुस्‍तान के विकास के लिए fertilizer के कारखानों को आरंभ करना चाहते हैं, ताकि इस इलाके के किसानों को आवश्‍यक मात्रा में यूरिया मिले। हमारे देश में आने वाले दिनों में ऊर्जा के इन क्षेत्रों में किसानों की भलाई के लिए हमाने एक ओर योजना बताई है। यह बात सही है कि रिफाइनरी की जरूरत है, रिफाइनरियां बढ़नी भी चाहिए। हम चाहते हैं कि विदेशों से जो हमें तेल आयात करना पड़ रहा है उसमें कमी कैसे लाएं। मैंने सरकार के अधिकारियों की एक दिन मीटिंग की। मैंने उनसे कहा जब देश आजाद हो करके 75 साल मनाएगा, 2022 में हिंदुस्‍तान की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। मैंने कहा कि जब आजादी के 75 साल हम मनाएंगे, तब आप यह जो विदेशों से हमें oil लाना पड़ता है, उसमें 10 प्रतिशत कमी कर सकते हो क्‍या? मैंने उनके सामने चुनौती रखी है। और मुझे विश्‍वास है कि हमारी oil कंपनियां, हमारा पेट्रोलियम डिपार्टमेंट पूरी ताकत लगा करके भारत को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाएंगे। अभी जो हमारा oil आता है, वो ज्‍यादातर खाड़ी के देशों से आता है। लेकिन हमारा सपना है खाड़ी का भी तेल हो, झाड़ी का भी तेल हो। खाड़ी का तेल और झाड़ी का तेल उसको हमने मिलाना है। और इसलिए हमने कहा है कि हमारे देश के किसान जो गन्‍ने की खेती करते हैं और उस गन्‍ने के रस में से एथेनोल बन सकता है। जितनी चीनी की जरूरत है, sugar की जरूरत है, उतनी sugar बनाए और जो अतिरिक्‍त sugar cane से एथेनोल बनाएं। और यह एथेनोल का हमारे पेट्रोलियम पैदावर के बीच मिक्‍स करें, ताकि हमारी गाडि़यां भी तेज चलें और पर्यावरण की भी रक्षा हो और देश में बहुत बड़ी मात्रा में यह झाड़ी का तेल का एथेनोल sugar cane से निकलने वाला process करके बनाया गया, उसकी प्रकार से मेरे छत्‍तीसगढ़ के आदिवासी बहुत बड़ी मात्रा में जट्रोफा की खेती करते हैं। हमारे पड़ोस में ओडि़शा के जट्रोफा से भी जो तेल निकाला जाता है वो तेल भी हमारी पेट्रोलियम पैदाइशों की आवश्‍यकता में जुड़ सकता है। हम झाड़ी के तेल की तरफ भी भरपूर कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ सोलर एनर्जी पर बल दे रहे हैं, ताकि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनें। भारत अपने पैरों पर खड़ा हो, दुनिया में किसी पर आश्रित न रहना पड़े। यह पारदीप रिफाइनरी उस काम को बल देने के लिए एक महत्‍वपूर्ण कदम इस सरकार के द्वारा उठाया गया है।

भाईयों-बहनों हमारे देश में किसी भी किसान परिवार को पूछोगे, सौ एकड़ भूमि होगी। उसके बाद भी अगर किसान को पूछोगे कि आपके तीन बेटे हैं क्‍या सोच रहे हो बेटों को आगे कहां ले जाना चाहते हो, तो किसान बाप कहता है एक बेटे को तो खेती में लगाऊंगा, लेकिन दो बेटे उनको तो शहर में भेज दूंगा वो अपना रोजी-रोटी कमा लेंगे, वहां कई नौकरी-धंधा कर लेंगे। यानी किसान भी अपने तीन बेटों को अब खेती में लगाना नहीं चाहता। किसान भी अपने एक बेटे को खेती दे करके दो बेटों को किसी दूसरे काम में लगाना चाहता है। यह दूसरा काम किसान के बेटे को कब मिलेगा। क्‍या किसान का बेटा बेरोजगार रहे, क्‍या किसान का बेटा कर्ज़दार बनता चले, अगर हमारे गावं के किसान के बेटे को भी रोजगार देना है तो हमारे देश में हमें उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। 

अगर यह पारादीप रिाफाइनरी न बनती। यह तीन हजार एकड़ भूमि अगर इस काम के लिए न लगाई गई होती , तो लाखों लोगों को रोजगार के अवसर पैदा नहीं होते। पूरे ओडि़शा के भाग्‍य बदलने में हमें यह जमीन काम न आती। यह पारादीप रिफाइनरी है, जिसके कारण यह ज़मीन आज हिंदुस्‍तान के गरीब किसान के बेटे को रोजगार देने का कारण बन रही है। और इसलिए भाइयों बहनों हम नौजवानों के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़े। क्‍योंकि हिंदुस्‍तान जवान हैं, दुनिया का सबसे जवान देश हिंदुस्‍तान है।

65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की है। जिस देश के पास इतने जवान होते हैं, उस देश के सपने भी जवान होते हैं, उस देश के इरादे भी जवान होते हैं। उस देश के संकल्‍प भी जवान होते हैं और उस देश को आगे बढ़ाने के लिए ताकत भी लगती हैं, वो जवान ताकत होती है, जो भारत के भाग्‍य को बदलती है। और इसलिए हमने मुद्रा योजना के द्वारा नौजवानों को अपने पैरों पर खड़े रहने के लिए, रोजगार उपलब्‍ध कराने के लिए अवसर मिले। हम नहीं चाहते कि हमारे देश का नौजवान Job Seeker बने, Job पाने के लिए बेचारा इधर-उधर भटकता रहे, हम चाहते हैं ऐसा माहौल कि हमारा देश का नौजवान Job Seeker नहीं, Job Creator बनें। एक को, दो को, पांच को रोजगार दें, ऐसी नौजवान को ताकत मिले। और इसलिए मुद्रा योजना के तहत बहुत बड़ी मात्रा में धनराशि आज नौजवानों को देने की दिशा में हमने कदम उठाया है।

करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपया पिछले दिनों हमने दिया है। इतने कम समय में देश के सामान्‍य परिवार के लोगों को एक लाख करोड़ रुपया मुद्रा योजना में मिलना कोई छोटी बात नहीं है। मुझे अभी धर्मेंद जी बता रहे थे कि पूरे ओडि़शा में पिछले 60 साल में 26 लाख लोगों को गैस सिलेंडर मिला। 60 साल में 26 लाख। धर्मेंद्र प्रधान जी मंत्री बनने के बाद एक साल के भीतर-भीतर 11 लाख गरीब परिवारों में गैस का सिलेंडर अकेले ओडि़शा में पहुंचा दिया। काम तेज गति से कैसे होता है, इसका यह उदाहरण है। 60 साल में 26 लाख, एक साल में 11 लाख, यह काम किया जाता है, यह काम यह सरकार कर रही है और इसलिए हमारी कोशिश है कि हमारे देश के नौजवानों को रोजगार की नई संभावनाएं पैदा हों। अब तक हमारे देश के अर्थ कारण की पंडित लोग चर्चा करते हैं तो दो बातें हमेशा कहते हैं। बड़े-बड़े अर्थशास्‍त्री जो लिखते हैं, वो कहते हैं एक पब्‍लिक सेक्‍टर, दूसरा कहते हैं प्राइवेट सेक्‍टर। मैं तीसरे सेक्‍टर पर बल दे रहा हूं। Economy में अगर पब्‍लिक सेक्‍टर का महत्‍व है, प्राइवेट सेक्‍टर का महत्‍व है तो तीसरे महत्‍वपूर्ण क्षेत्र को भी बल देने की जरूरत है। वो है personal सेक्‍टर। एक –एक individual स्‍वयं बलबूते पर खड़ा होकर के आगे बढ़े और इसलिए एक-एक व्‍यक्‍ति को आगे बढ़ाना, एक-एक परिवार को आगे बढ़ाना। उस प्रकार की आर्थिक नीतियों को बल देकर के यह सरकार आगे बढ़ रही है।

भाइयों-बहनों, मुझे हमारे वैज्ञानिकों को, हमारी युवा पीढ़ी को आज विशेष रूप से बधाई देनी है और वो बधाई है - पारादीप रिफाइनरी में ‘मेक इन इंडिया’ का एक नया रिकॉर्ड प्रस्‍थापित कर दिया । इस क्षेत्र में दुनिया के कई देश आगे है, लेकिन भारत के वैज्ञानिकों ने Indmax की जो योजना थी और raw material में से process करने की technique में भारत के वैज्ञानिकों द्वारा, भारत में बना हुआ, भारत के टैक्‍निशियनों द्वारा निर्मित किया गया प्रोजेक्‍ट, आज पारादीप में लगा है।

दुनिया के लोगों को अचरज हो रहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में outcome देने वाला, इतनी तेज गति से outcome देने वाला, इतना perfect process करने वाला, इतनी बारीकी से हर element का division करने वाला, यह technology develop करने के लिए पूरे विश्‍व के technician, वैज्ञानिकों को भारत ने अचंभे में डाल दिया है और यह काम यह पारादीप रिफाइनरी में हो रहा है।

पूरी तरह Indigenous technology का उपयोग करके और उसके कारण LPG के उत्‍पादन में बहुत बड़ी बढ़ोतरी होने वाली है। हमारी economy को कम खर्चे में ज्‍यादा बल देने का कारण बनने वाली है। और इसलिए भाइयों-बहनों, वे सभी वैज्ञानिक, वे सभी technician भी इस बात के लिए अभिनंदन के बहुत-बहुत अधिकारी हैं। मैं श्रीमान धर्मेन्‍द्र प्रधान जी को, उनकी पूरी टीम को इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाकर के 18 महीने के भीतर-भीतर पूर्णता पर पहुंचाने के लिए हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। उनका साधुवाद करता हूं।

भाइयों-बहनों, यह पारादीप, ऐसा दीप प्रज्‍ज्‍वलित हुआ है जो विकास की नई संभावनाओं को लेकर के आया है। सदियों पहले, ओडिशा स्‍वर्णिम युग का कालखंड रहा है। यह पारादीप के बाद ओडिशा में फिर से एक बार उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का कालखंड प्रारंभ हो रहा है और भारत सरकार इस काम के लिए जितना करना होगा, कभी पीछे नहीं हटेगी।

भारत सरकार की पूरी मदद रहेगी क्‍योंकि ओडिशा के नौजवान हिन्‍दुस्‍तान का भाग्‍य बदलने के लिए है। उनको अवसर मिलना चाहिए और अवसर उपलब्‍ध कराने का काम यह सरकारी कर रही है।

मेरी आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं है। फिर एक बार आप सब को,

जय जगन्‍नाथ, जय जगन्‍नाथ , जय जगन्‍नाथ।
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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.