Infrastructure is extremely important for development: PM Modi

Published By : Admin | May 26, 2017 | 12:26 IST
QuoteInfrastructure is extremely important for development: PM Modi
QuoteDhola-Saadiya Bridge enhances connectivity between Assam and Arunachal Pradesh, and opens the door for economic development: PM
QuoteEastern and north-eastern parts of the country have the greatest potential for economic development: PM
QuoteEnhanced connectivity between the North-East and other parts of the country is a priority for the Union Government: PM

आज अनेक वर्षों से आप जिसकी प्रतीक्षा कर रहे थे, वो दलोंग का निर्माण हो गया, लोकार्पण हो गया। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं इस खुशी के समय आप अपना मोबाइल फोन बाहर निकालइये, अपने मोबाइल फोन का लाइटफ्लैश किजिए और सबको यह सिगनल दीजिए कि कितना बड़ा उत्‍सव मना रहे हैं आप लोग, हर कोई अपने मोबाइल फोन का फ्लैश चालू करें। शाबाश। हर कोई। चारों तरफ, हर कोई। लगना चाहिए कि कोई बड़ा उत्‍सव मना रहेहैं आप हर किसी की लाइट जलनी चाहिए। हां, वहां पीछे भी हो रहा है। वाह। देखिए कैसा उत्‍सव मनाया जा रहा है। ये सारे कैमरा वाले भी आप ही को ले रहे हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद आप सबका। भाईयों-बहनों यह मेरा सौभाग्‍यहै कि मुझे आज उस स्‍थान पर आने का सौभाग्‍य मिला है, जो कभी कुंडिलनगर के रूप में जाना जाता था, और द्वारका के नाथ श्री कृष्‍ण यहां पधारे थे। मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ, जहां पर द्वारिका जी हैं और श्री कृष्‍णभगवान का नाता कुंडिल नगर से रहा और आज यह मेरा सौभाग्‍य है कि उस विरासत पर आ करके पिछले पांच दशक से आप सब जिसकी प्रतीक्षा कर रहे थे, वह ब्रिज आज आपको प्राप्‍त हो रहा है। अगर अटल बिहारी वाजपेयीकी सरकार 2004 में दोबारा चुन करके आई होती तो यह ब्रिज आज से दस साल पहले आपको मिल गया होता। 29 मई, 2003 उस समय के हमारे विधायक जगदीश भोयन ने एक चिट्टी लिख करके इस ब्रिज के लिए आग्रह किया।और अटल जी की सरकार ने इसकी feasibility रिपोर्ट के लिए काम सुपर्द कर दिया  गया। गंभीरता से लिया गया। अगर उसके तुरंत बाद यह काम चला होता, तो आज से दस साल पहले आपको ब्रिज मिल गया होता। लेकिन बीचमें सरकार बदल गई, रूकावटें आई, होती है, चलती है, ऐसा ही चला और उसके परिणाम आपका सपना डगमगाता रहा, लेकिन पिछले तीन साल में अटल जी ने जो सपना देखा था, उसको पूरा करने के लिए लगातार प्रयास हुएऔर आज जब असम में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को एक वर्ष पूर्ण हो रहा है। सर्बानंद जी के नेतृत्‍व में असम अनेक समस्‍याओं से मुक्‍त तो होता चला जा रहा है। ऐसे अवसर पर यह ब्रिज आपको समर्पित करते हुए नसिर्फ असम की जनता के लिए गर्व का विषय है, लेकिन यह पूरे हिंदुस्‍तान के लिए गर्व का विषय है कि इतना हिंदुस्‍तान का सबसे लम्‍बा ब्रिज आज असम के दूसरे छोर पर बन रहा है।

यह बात निश्चित है अगर विकास को स्‍थायी रूप देना है, स्‍थायी रूप से विकास को गति देनी है, तो infrastructure पहली आवश्‍यकता होती है। physically infrastructure, social infrastructure यह दो पटरी पर संतुलितविकास संभव होता है। अगर हम infrastructure का महत्‍वमय नहीं समझेंगे तो छुटमुट प्रयासों का परिणाम बहुत ही अल्‍पकालीन होता है, अस्‍थायी होता है और इसलिए हमारी सरकार का यह लगातार प्रयास है कि विकास कोस्‍थायी रूप दिया जाए, व्‍यवस्‍थाएं विकसित की जाए और जिसके कारण जिस सपने को ले करके देश आगे बढ़ाना चाहता है। उन सपनों को हम भलिभांति पूर्ण कर पाएं। अरूणाचल प्रदेश और असम को यह ब्रिज जोड़ दे रहा है, निकट ला रहा है। 165 किलोमीटर का अंतर कम होना व्‍यक्ति के जीवन के मूल्‍यावान 6-7 घंटे बच जाना और एक बार ऐसी व्‍यवस्‍था खड़ी होती है तो आर्थिक विकास के भी नये द्वार खुल जाते हैं।

अब हमारा सदिया, वहां का अदरक, वहां के किसान जो ginger पैदा करते हैं। उत्‍तम कक्षा का ginger जहां पैदा होता है पूरी भूमि पर, अब यह ब्रिज बनने के बाद एक बहुत बड़े मार्केट के लिए इन किसानों के लिए नया रास्‍ता खुलजाएगा। उनकी कमाई में वृद्धि होगी। और मुझे विश्‍वास है कि north-east में सदिया जैसा क्षेत्र जहां ginger उच्‍च कोटि का अदरक माना जाता है। अगर यहां के किसान organic की तरफ चले गए तो यहां के ginger का ग्‍लोबलमार्केट खड़ा हो सकता है। दुनिया में उसका एक बड़ा मार्केट खड़ा हो सकता है। और इसलिए यह ब्रिज सिर्फ पैसे बचाएगा, समय बचाएगा ऐसा नहीं, लेकिन यह ब्रिज एक नई अर्धकांति का अधिष्‍ठान ले करके आता है। एक नईeconomical revolution का base बनने वाला है, और इसलिए आज के इस ब्रिज का लोकार्पण पूरे हिंदुस्‍तान के लोगों का इस पर ध्‍यान है कि भारत में इतना बड़ा निर्माण कार्य होता है किसी भी हिंदुस्‍तानी को एक गर्व देने वालाकाम है। भाईयों-बहनों दो राज्‍यों के विकास में यह ब्रिज कड़ी बन रहा है। अरूणाचल का विकास, असम का विकास और एक प्रकार से हमारा जो सपना है कि भारत को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाने में सबसे बड़ी ताकतप्राप्‍त करने की अगर कोई जगह हैं संभावना है तो वो पूर्वी हिंदुस्‍तान है। पूर्वोत्‍तर हिंदुस्‍तान है। ईस्‍टर्न इंडिया है, नॉर्थ ईस्‍ट भी है। और इसलिए हमने हमारे विकास की जो योजनाएं लागू की है, उन सबमें पूर्व हिंदुस्‍तान को बलदेना, north-east को व्‍यवस्‍थाएं देना, north-east के अंदर वो ताकत है अगर उनको थोड़ी सी भी व्‍यवस्‍थाएं मिल जाए तो बहुत बड़ा चमत्‍कार कर सकते हैं। और इसलिए हमने हमेशा इस बात पर बल दिया है कि विकास को नईऊंचाईयों पर ले जाने के लिए इसको प्रयास किया जाए।

प्रति दिन सिर्फ डीजल की बचत से इस इलाके के नागरिकों का रोजाना दस लाख रुपया बचने वाला है, इस ब्रिज के कारण। समय तो मूल्‍यावान है ही है, लेकिन डीजल की बचत से भी रोजाना 10 लाख रुपये की बच‍त सामान्‍यनागरिक के जेब में पैसे बचने वाले हैं। यह अपने आप में सामान्‍य मानव के जीवन में...पहले हम फैरी सर्विस से जाते थे, अगर मौसम ठीक नहीं रहा तो फैरी सर्विस बंद हो जाती थी। ब्रह्मपुत्रा रूठ गई हो फैरी सर्विस रूक जाती थी।अब यह ब्रिज के कारण 24/7, 365 days हमारे लिए व्‍यवस्‍था बन गई है और इसलिए प्राकृतिक प्रकोप से हमारी गति को कभी रूकावट नहीं आएगी। यह काम इसके द्वारा हुआ है। और इसके कारण इसके साथ-साथ जैसानितिन जी बता रहे थे कि देश में हम लोगों ने रास्‍तों का महत्‍व, पूल का महत्‍वमय, ब्रिजेज का महत्‍वमय, रेल का महत्‍वमय, हवाई यात्रा के महत्‍वमय अब उसके साथ-साथ water way को भी बल देने की दिशा में हम प्रयासकर रहे  हैं। बड़ा महत्‍वकांक्षी कार्यक्रम है कि जहां-जहां नदी है, पानी है क्‍यों न हमारे transportation को उस तरफ shift कर दिया जाए। enviornment freindly होगा, आर्थिक रूप से कम खर्चें वाला होगा और जो समय की बर्बादीहोती है, उससे भी बचाव होने वाला हो उस काम को भी इसी ब्रह्मपुत्रा के इसी छोर पर से बहुत तेज गति से आगे बढ़ाने की दिशा में हजारों करोड़ रुपयों की लागत से वो काम यहां हो रहा है और आने वाले दिनों में एक नया क्षेत्र जलपरिवहन का भी यही से आगे बढ़ने वाला है। तब जा करके आप कल्‍पना कर सकते हैं। यह पूरा क्षेत्र विकास की एक ऐसी नई ऊंचाईयों को पार करेगा इसका आप भलिभांति अंदाज कर सकते हैं।

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भाईयों-बहनों,

यह खर्च जब हम कर रहे हैं तब पूरे north-east के विकास के लिए भी, चाहे बिजली के infrastructure की बात हो, चाहे optical fiber network के infrastructure की बात हो, चाहे road के infrastructure की बात हो, चाहे रेल केinfrastructure की बात हो, पूरे north-east को हिंदुस्‍तान के हर कौने से जोड़ना, हिंदुस्‍तान के हर कौने के लोगों को हमारे इस पूर्वोत्‍तर भातर के साथ जोड़ना उस दिशा में हम तेज गति से आगे चल रहे हैं। जो काम 15-15, 20-20 सालों में नहीं होते हैं। जो धन 15-15, 20-20 सालों में नहीं खर्च किया जाता है, हमारी सरकार ने आ करके उतनी बड़ी मात्रा में धन north-east के infrastructure और विकास के कामों के लिए खर्च करने की दिशा में हमने बल दियाहै।

Act East Policy के तहत अगर हम इस क्षेत्र को एक विश्‍वस्‍तरीय infrastructure के नमूने के रूप में तैयार करे तो पूरे south-east एशिया उसकी economy के केंद्र बिंदु में भारत का यह भू-भाग बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा करसकता है। और इसलिए हम उस vision के साथ पूरे south-east एशिया के अंदर भारत किस प्रकार से जुड़े आर्थिक-व्‍यापारिक व्‍यवस्‍थाओं में हमारा यह क्षेत्र के साथ केंद्रवर्ती बने, एक economical activity का hub कैसे बने औरइसके लिए जिन-जिन व्‍यवस्‍थाओं का विकास करना चाहिए उसी के तहत हम बल दे रहे हैं। और जिसके परिणाम आने वाले दिनों में आपको नजर आने वाले हैं।

भाईयों-बहनों,

रेलवे का महत्‍वमय आजादी के 50 सालों के बाद भी रेलवे को जितना महत्‍व देना चाहिए था  north-east में हमने उसको प्राथमिकता दी है, ताकि एक सुरक्षित यातायात की व्‍यवस्‍था हम निर्माण कर सके। north-east Tourism के लिए भी एक बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है। यहां की प्रकृति मां कामाख्‍या के दर्शन करने हो या कोहिमा तक जाना हो यह ऐसा सुंदर प्रदेश है जिससे आज हिंदुस्‍तान के बहुत लोग अनभिज्ञ है। अगर देश से लाखों लोग हर सालइस भू-भाग पर आना शुरू कर दें तो यहां की economy को कितनी बड़ी ताकत मिल सकती है, जिसका हमें पूरा अंदाजा है और इसलिए इन व्‍यवस्‍थाओं के विकास के द्वारा हिंदुस्‍तान के कौने कौने से और धीरे-धीरे विश्‍वभर केलोगों को टूरिज्‍म की दृष्टि से आकर्षिक करने के लिए यह क्षेत्र एक बहुत बड़ी हमारी प्राकृतिक सम्पदा का हिस्‍सा है और उसको बल देने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।

भाईयों-बहनों,

आज जब मैं इस महत्‍वपूर्ण ब्रिज का लोकार्पण कर रहा हूं, तो आपके यहां इसको धौला, सदिया, दलंग के नाम से जानते हैं आप लोग। आज एक ऐसा अवसर है कि हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि इस दलंग को अब से हमइसी धरती की संतान जिसकी आवाज़ ने हिंदुस्‍तान को आज भी प्रेरणा दी है और इसी धरती की संतान श्रीमान भूपेन हजारिका यह इस ब्रिज का नाम भारत सरकार ने भूपेन हजारिका के नाम से करने का तय किया है। इस धरतीकी संतान को यह हमारी उत्‍तम श्रद्धांजलि है आने वाली पीढि़यों को प्रेरणा देने वाला यह नाम, वो ब्रह्मपुत्र के सपूत थे, वे ब्रह्मपुत्र के उपासक थे उनकी हर बात में ब्रह्मपुत्र का गुणागान हुआ करता था। वो जिये भी ब्रह्मपुत्र कागुणगान करते हुए, वो जीवनभर ब्रह्मपुत्रा को देश और दुनिया में परिचित कराने का अद्भुत काम उस महापुरूष ने किया था, आज उसी महापुरूष के नाम पर इस सेतु का नाम भी, इस ब्रिज का नाम, इस दलंग का नाम भूपेनहजारिका के नाम से जोड़ने का हमने तय किया है। मैं फिर एक बार श्री मान सर्बानंद जी को उनकी पूरी टीम को असम की एक साल की सरकार को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं संतोष प्रकट करता हूं कि एक साल में ऐसी-ऐसी कठिन बातों को उन्‍होंने स्‍पर्श किया है, हाथ लगाया है और रास्‍ते खोजने का प्रयास किया है। 

पहली बार सरकार बनी हो, पहली बार मुख्‍यमंत्री का दायित्‍व आया हो और 15 साल तक असम का जो हाल हुआ था। ऐसी परिस्थिति में से असम को बाहर निकालने के लिए जो मेहनत यहां की सरकार कर रही है। यहां केमुख्‍यमंत्री और उनकी टीम काम कर रही है, मैं उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं और जिस गति से, जिस लगन से एक साल में काम करके दिखाया है, 5 साल के भीतर-भीतर तो असम इन सारी कठिनाईयों से बाहर निकलकररहेगा यह मैं अपना विश्‍वास प्रकट करता हूं। और भारत सरकार कंधे से कंधा मिलाकर A for असम, यह जो हमने सपना देखा था उसको पूरा करने के लिए कंधे से कंधा मिला करके काम करेंगे। इसी एक विश्‍वास के साथ मैंफिर एक बार आप सबका धन्‍यवाद करता हूं। भारत माता की जय।

  • Rathore Puran February 21, 2024

    sir ji hamare rajsthan district rajamand me rojgaar ki Kami hai
  • Babla sengupta January 26, 2024

    Babla sengupta
  • Madhuri Mishra January 05, 2024

    जय श्री राम
  • Madhuri Mishra January 05, 2024

    जय हो
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QuoteThe government is focusing on modernizing the sports infrastructure in the country: PM
QuoteThe sports budget has been increased more than three times in the last decade, this year the sports budget is about Rs 4,000 crores: PM
QuoteWe have made sports a part of mainstream education in the new National Education Policy with the aim of producing good sportspersons & sports professionals in the country: PM

बिहार के मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनसुख भाई, बहन रक्षा खड़से, श्रीमान राम नाथ ठाकुर जी, बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी जी, विजय कुमार सिन्हा जी, उपस्थित अन्य महानुभाव, सभी खिलाड़ी, कोच, अन्य स्टाफ और मेरे प्यारे युवा साथियों!

देश के कोना-कोना से आइल,, एक से बढ़ के एक, एक से नीमन एक, रउआ खिलाड़ी लोगन के हम अभिनंदन करत बानी।

साथियों,

खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान बिहार के कई शहरों में प्रतियोगिताएं होंगी। पटना से राजगीर, गया से भागलपुर और बेगूसराय तक, आने वाले कुछ दिनों में छह हज़ार से अधिक युवा एथलीट, छह हजार से ज्यादा सपनों औऱ संकल्पों के साथ बिहार की इस पवित्र धरती पर परचम लहराएंगे। मैं सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। भारत में स्पोर्ट्स अब एक कल्चर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। और जितना ज्यादा भारत में स्पोर्टिंग कल्चर बढ़ेगा, उतना ही भारत की सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स इस दिशा में, देश के युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बना है।

साथियों,

किसी भी खिलाड़ी को अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए, खुद को लगातार कसौटी पर कसने के लिए, ज्यादा से ज्यादा मैच खेलना, ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिताओं में हिस्सा, ये बहुत जरूरी होता है। NDA सरकार ने अपनी नीतियों में हमेशा इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज खेलो इंडिया, यूनिवर्सिटी गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया यूथ गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया विंटर गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया पैरा गेम्स होते हैं, यानी साल भर, अलग-अलग लेवल पर, पूरे देश के स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर लगातार स्पर्धाएं होती रहती हैं। इससे हमारे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, उनका टैलेंट निखरकर सामने आता है। मैं आपको क्रिकेट की दुनिया से एक उदाहरण देता हूं। अभी हमने IPL में बिहार के ही बेटे वैभव सूर्यवंशी का शानदार प्रदर्शन देखा। इतनी कम आयु में वैभव ने इतना जबरदस्त रिकॉर्ड बना दिया। वैभव के इस अच्छे खेल के पीछे उनकी मेहनत तो है ही, उनके टैलेंट को सामने लाने में, अलग-अलग लेवल पर ज्यादा से ज्यादा मैचों ने भी बड़ी भूमिका निभाई। यानी, जो जितना खेलेगा, वो उतना खिलेगा। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान आप सभी एथलीट्स को नेशनल लेवल के खेल की बारीकियों को समझने का मौका मिलेगा, आप बहुत कुछ सीख सकेंगे।

साथियों,

ओलंपिक्स कभी भारत में आयोजित हों, ये हर भारतीय का सपना रहा है। आज भारत प्रयास कर रहा है, कि साल 2036 में ओलंपिक्स हमारे देश में हों। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भारत का दबदबा बढ़ाने के लिए, स्पोर्टिंग टैलेंट की स्कूल लेवल पर ही पहचान करने के लिए, सरकार स्कूल के स्तर पर एथलीट्स को खोजकर उन्हें ट्रेन कर रही है। खेलो इंडिया से लेकर TOPS स्कीम तक, एक पूरा इकोसिस्टम, इसके लिए विकसित किया गया है। आज बिहार सहित, पूरे देश के हजारों एथलीट्स इसका लाभ उठा रहे हैं। सरकार का फोकस इस बात पर भी है कि हमारे खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा नए स्पोर्ट्स खेलने का मौका मिले। इसलिए ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गतका, कलारीपयट्टू, खो-खो, मल्लखंभ और यहां तक की योगासन को शामिल किया गया है। हाल के दिनों में हमारे खिलाड़ियों ने कई नए खेलों में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया है। वुशु, सेपाक-टकरा, पन्चक-सीलाट, लॉन बॉल्स, रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में भी अब भारतीय खिलाड़ी आगे आ रहे हैं। साल 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला टीम ने लॉन बॉल्स में मेडल जीतकर तो सबका ध्यान आकर्षित किया था।

साथियों,

सरकार का जोर, भारत में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी है। बीते दशक में खेल के बजट में तीन गुणा से अधिक की वृद्धि की गई है। इस वर्ष स्पोर्ट्स का बजट करीब 4 हज़ार करोड़ रुपए है। इस बजट का बहुत बड़ा हिस्सा स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है। आज देश में एक हज़ार से अधिक खेलो इंडिया सेंटर्स चल रहे हैं। इनमें तीन दर्जन से अधिक हमारे बिहार में ही हैं। बिहार को तो, NDA के डबल इंजन का भी फायदा हो रहा है। यहां बिहार सरकार, अनेक योजनाओं को अपने स्तर पर विस्तार दे रही है। राजगीर में खेलो इंडिया State centre of excellence की स्थापना की गई है। बिहार खेल विश्वविद्यालय, राज्य खेल अकादमी जैसे संस्थान भी बिहार को मिले हैं। पटना-गया हाईवे पर स्पोर्टस सिटी का निर्माण हो रहा है। बिहार के गांवों में खेल सुविधाओं का निर्माण किया गया है। अब खेलो इंडिया यूथ गेम्स- नेशनल स्पोर्ट्स मैप पर बिहार की उपस्थिति को और मज़बूत करने में मदद करेंगे। 

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साथियों,

स्पोर्ट्स की दुनिया और स्पोर्ट्स से जुड़ी इकॉनॉमी सिर्फ फील्ड तक सीमित नहीं है। आज ये नौजवानों को रोजगार और स्वरोजगार को भी नए अवसर दे रहा है। इसमें फिजियोथेरेपी है, डेटा एनालिटिक्स है, स्पोर्ट्स टेक्नॉलॉजी, ब्रॉडकास्टिंग, ई-स्पोर्ट्स, मैनेजमेंट, ऐसे कई सब-सेक्टर्स हैं। और खासकर तो हमारे युवा, कोच, फिटनेस ट्रेनर, रिक्रूटमेंट एजेंट, इवेंट मैनेजर, स्पोर्ट्स लॉयर, स्पोर्ट्स मीडिया एक्सपर्ट की राह भी जरूर चुन सकते हैं। यानी एक स्टेडियम अब सिर्फ मैच का मैदान नहीं, हज़ारों रोज़गार का स्रोत बन गया है। नौजवानों के लिए स्पोर्ट्स एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं बन रही हैं। आज देश में जो नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बन रही हैं, या फिर नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बनी है, जिसमें हमने स्पोर्ट्स को मेनस्ट्रीम पढ़ाई का हिस्सा बनाया है, इसका मकसद भी देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ बेहतरीन स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स बनाने का है। 

मेरे युवा साथियों, 

हम जानते हैं, जीवन के हर क्षेत्र में स्पोर्ट्समैन शिप का बहुत बड़ा महत्व होता है। स्पोर्ट्स के मैदान में हम टीम भावना सीखते हैं, एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ना सीखते हैं। आपको खेल के मैदान पर अपना बेस्ट देना है और एक भारत श्रेष्ठ भारत के ब्रांड ऐंबेसेडर के रूप में भी अपनी भूमिका मजबूत करनी है। मुझे विश्वास है, आप बिहार से बहुत सी अच्छी यादें लेकर लौटेंगे। जो एथलीट्स बिहार के बाहर से आए हैं, वो लिट्टी चोखा का स्वाद भी जरूर लेकर जाएं। बिहार का मखाना भी आपको बहुत पसंद आएगा।

साथियों, 

खेलो इंडिया यूथ गेम्स से- खेल भावना और देशभक्ति की भावना, दोनों बुलंद हो, इसी भावना के साथ मैं सातवें खेलो इंडिया यूथ गेम्स के शुभारंभ की घोषणा करता हूं।