QuotePM Modi attends 50th Raising Day celebrations of CISF, salutes their valour
QuoteVIP culture sometimes creates hurdle in security architecture. Hence, it's important that the citizens cooperate with the security personnel: PM
QuotePM Modi praises the CISF personnel for their contributions during national emergencies and disasters

देश की संपदा और सम्मान की रक्षा,

सुरक्षा में जुटे CISF के सभी साथी,

यहां उपस्थिति सभी वीर परिवारजन,

देवियों और सज्जनों !!!

स्वर्ण जयंति के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंचने के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई!!

एक संगठन के नाते आपने जो 50 वर्ष पूरे किए हैं, वो अपने आप में बहुत प्रशंसनीय उपलब्धि है। और इस कार्य को यहां तक पहुँचाने में, आज जो CISF की व्यवस्था में हैं, उनका तो योगदान है ही, लेकिन 50 साल के कालखंड में जिन-जिन महानुभावों ने अपना दायित्व निभाया है, इसका नेतृत्व किया है। एक Institution को लगातार नई ऊँचाइयों पर ले जाने का काम किया है, इस से जुड़े हुएHuman resource development, इसकी भरसक कोशिश की है औऱ इसलिए आज जह हम इसके 50 वर्ष मना रहे है तब, ये golden jubilee बना रहे है तब वे भी अभिनंदन के अधिकारी हैं जिन्होंने पचास साल तक कभी न कभी इस institute को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया है, उसमें से कुछ महानुभाव यहां उपस्थित हैं। मैं उनका गौरव गान करता हूँ, मैं उनका अभिनंदन करता हूँ। देश की ऐसी महत्वपूर्ण ईकाई को इतनी ऊँचाईंयों पर ले जाने के लिए वे सचमुच में अनेक-अनेक अभिनंदन के अधिकारी हैं।

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लेकिन भाईयों और बहनों, आपकी ये उपलब्धि इसलिए और महत्वपूर्ण बन जाती है क्योंकि जब पड़ोसी बहुत hostile हो, युद्ध लड़ने की उसकी क्षमता न हो और भारत के भीतर ही अलग अलग प्रकार के षड़यंत्रों को, वहां से पनाह मिलती हो, बल मिलता हो , आतंक का रूप , घिनौना रूप अलग-अलग स्वरूप में प्रकट होता है, तब ऐसी मुश्किल चुनौती के बीच देश की रक्षा, देश के संसाधनों की रक्षा,देश के संसाधनों की रक्षा और सुरक्षा ये अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती है।

थोड़ी देर पहले जब यहां परेड चल रही थी तो मैं वो ऊर्जा, वो संकल्प अनुभव कर पा रहा था, जो वैभवशाली भारत के निर्माण के लिए आवश्यक है। इस शानदार प्रदर्शन के लिए मैं परेड कमांडर,परेड में शामिल सभी जवानों और अधिकारियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज यहां पर अनेक साथियों को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए मेडल भी दिए गए हैं। इसके लिए आपको बधाई। इसके अलावा गणतंत्र दिवस पर घोषित पुलिस पदक और जीवन रक्षक पदक विजेताओं को भी मैं बधाई देता हूं।

साथियों,

CISF से जुड़े आप सभी लोगों ने राष्ट्र की संपदा को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई है।

नए भारत की नई और आधुनिक व्यवस्थाओं को सुरक्षित करने के लिए, देश की आशाओं और आकांक्षाओं को सशक्त करने के लिए आप निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।

हम जानते हैं कि बहुत सारी सुरक्षा की व्यवस्थाएं है, उसका formation, mechanism, structure, ये अंग्रजों के जमाने से हमें विरासत में मिला है। समयानुकूल उसमें परिवर्तन भी हुए। लेकिन बहुत कम संस्थाएं ऐसी हैं जिन्होंने आवश्यकता के अनुसार आजादी के बाद जन्म लिया। वे एक प्रकार से स्वतंत्र भारत की पैदाईश है। स्वतंत्र भारत की सोच की पैदाइश है। स्वतंत्र भारत के सपनों को साकार करने के लिए पैदाइश हुई है। और उसंमें CISF एक बहुत महत्तवपूर्ण ईकाइ है। और इसलिए इसका जन्म, लालन-पालन, इसका विकास, इसका विस्तार, ये सारी बाते धीरे-धीरे एक प्रकार सेprogressive unfoldment के रूप में जिन जिन लोगों ने इसका नेतृत्व किया है। इन्होंने इसको आगे बढ़ाया है और यह एक प्रकार से golden jubilee year में सबसे बड़े गौरव की बात है।

ऐसी संस्था, शासन में बैठे हुए लोग कैबिनेट में बैठकर एक फाइल को मंजूर कर दे, ऐसा नही होता, पचास साल तक लगातार हजारों लोगों ने आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही इसे विकसित किया है तब जाकर के ही ऐसी संस्था बनती है और देश के लिए विश्वास का एक बहुत बड़ा संबल बन जाती है। और इसलिए आपको जितनी बधाई दूं, उतनी कम है।

राजेश रंजन जी कह रहे थे कि हमारे लिए सुखद है और surprise की बात है कि प्रधानमंत्री जी हमारे कार्यक्रम में आए, मेरा मन करता है, शायद मैं इसमें न आता तो मैं बहुत कुछ गवाँ देता।

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पचास साल की तपस्या यह कम नहीं होती। बहुत बड़ी तपस्या होती है और एकाध घटना यानि 365 दिन आँखे खुली रखकर के, दिमाग को चौकन्ना रखते हुए, हाथ, पैर, शरीर को आठ-आठ नौ-नौ घंटों तक बराबर तैयार रखकर के सैंकड़ों दुर्घटनाओं से, भयानक घटनाओं से देश को बचाया हो। और एकाध ऐसी घटना हो जाए, सारी तपस्या को पानी में मिला दे ऐसे कठिन दबाव में आप लोगों को काम करना पड़ता है और यह सामान्य काम नहीं है और मैं इस बात को भलीभांति समझता हूं क्योंकि प्रधानमंत्री के नाते हमें भी सुरक्षा कवच मिलता है लेकिन किसी व्यक्ति को सुरक्षा कवच देना बहुत मुश्किल काम नहीं है, माफ करना एक व्यक्ति को प्रोटेक्ट करना और उसके लिए व्यवस्था करना मुश्किल काम नहीं है, लेकिन एक इंस्टिट्यूशन को प्रोटेक्ट करना जहां तीस लाख लोग आते-जाते हो, जहां आठ लाख लोग आते-जाते हों, जहां हर चेहरा नया हो, हर एक का व्यवहार अलग हो, उनके सामने इस इंस्टिट्यूट को प्रोटेक्ट करना शायद कितने ही बड़े वीआईपी के प्रोटेक्शन से लाखों गुना ज्यादा मुश्किल काम है, जो आप लोग कर रहे हैं और आप उस इंस्टीट्यूशन की दीवारों को संभालते हैं। ऐसा नहीं है, आप उसके दरवाजे पर खड़े रहते हैं, ऐसा नहीं है

आप लोग भारत की विकास यात्रा की सुरक्षा कर रहे हैं, आप भारत की विकास यात्रा को एक नया विश्वास देते हैं और मेरा तो अनुभव है कि आप लोगों की सेवा में अगर सबसे बड़ी कोई कठिनाई है, सबसे बड़ी मुसीबत है तो वह मेरे जैसे लोग हैं, मेरी बिरादरी के लोग हैं, जो अपने आप को बड़े शहंशाह मानते हैं। बड़ा वीआईपी मानते हैं, हवाई अड्डे पर अगर आपका जवान उनको रोक करके पूछ लेता है तो उनका पारा चढ़ जाता है, गुस्सा कर देते हैं, आपको अपमानित कर देते हैं यहां तक कहते हैं कि मैं देख लूंगा, आप हाथ पैर जोड़कर को समझाते हो कि साहब की यह मेरी ड्यूटी है लेकिन उसका तो पता नहीं, ये वीआईपी कल्चर होता है।

मैं एक घटना सुनाता हूं आपको, मैं पार्टी का काम करता था तो पूरे देश में मैं भ्रमण करता था लगातार दौरा लगता रहता था एक बार हमारे सीनियर नेता भी मेरे साथ थे, अब हमारे देश में कुछ एयरपोर्ट ऐसे हैं जहां पर सिक्योरिटी की वजह से डबल चेक होता है, श्रीनगर है, किसी जमाने में गुवाहाटी हुआ करता था, आजकल है कि नहीं मुझे मालूम नहीं है। मेरे साथ जो हमारे सीनियर नेता थे वह बड़े थे और जाने-माने चेहरा था लेकिन जो जवान खड़ा था एयरपोर्ट पर उनको पहचान नहीं पाया तो उसने उनको रोका और रोक कर के जैसे कि उनकी ड्रिल होती है उस ड्रिल के अनुसार चेक करने लगे, जैसे-जैसे वह चेक करता रहा उनका पारा गरम होता रहा। अंदर सीट पर बैठने के बाद भी वह कम नहीं हुआ, मेरे से भी बात नहीं कर रहे थे।

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मैंने देखा कि क्या साइकोलॉजी है इनकी जब अगली जगह पर हमको जाना था तो मैंने कहा कि आप आगे मत चलिए, मेरे पीछे चलिए, पहले मैं चेक-इन करवाता हूं और मैंने क्या किया कि मैं वहां गया और आपका जवान वहां खड़ा था उसके आगे मैं हाथ ऊपर करके खड़ा हो गया और मैंने कहा अरे चलो भाई जल्दी आरती उतारो तो उसने कहा कि मैं तो आपको जानता हूं लेकिन मैंने कहा कि पहचानते हो तो क्या हुआ आरती नहीं उतारोगे तो मैं नहीं जाऊंगा। आप लोग मेटल डिटेक्टर से ऐसे घूमाते हो न, जो मैंने उनको कहा कि आप मन में क्यों रखते हो जब चैकिंग हो रही होती है। यह सोचो कि वह आप की आरती उतार रहा है, गर्व कीजिए। इन सुरक्षा के जवानों को सहयोग दीजिए। यह वीआईपी कल्चर सुरक्षा के लिए कभी-कभी सबसे बड़ा संकट पैदा हो जाता है और इसलिए मैं आज इस जगह पर से यह कहने की हिम्मत करता हूं क्योंकि मैं खुद डिसिप्लिन को फॉलो करने वाला इंसान रहा, परंतु मेरा डिसिप्लिन कभी मेरे बीच में नहीं आता और यह हम सब नागरिकों का कर्तव्य होता है।

आज आप डेढ़ लाख लोग हैं अगर आप 15 लाख भी हो जाएं लेकिन जब तक नागरिक डिसिप्लिन में नहीं रहता, नागरिक सहयोग नहीं करता है तो आपका काम और मुश्किल हो जाता है इसलिए इस गोल्डन जुबली ईयर में हम नागरिकों को कैसे प्रशिक्षित करें, नागरिकों को इतनी बड़ी व्यवस्था के महत्व के बारे में कैसे समझाएं, मैं समझता हूं यह एक बहुत बड़ी आवश्यकता है और इसलिए मैं जब परेड का निरीक्षण कर रहा था तो मेरे मन में कुछ विचार चल रहे थे कि आज आपके साथ क्या बात करूंगा, तो मेरे मन में विचार आया कि एयरपोर्ट पर, मेट्रो स्टेशन पर हम एक डिजिटल म्यूजियम बनाएं, स्क्रीन पर लगातार चलता रहे कि सीआईएसफ का जन्म कैसे हुआ, उसका विकास और विस्तार कैसे हुआ, वह किस प्रकार से सेवा कर रहा है नागरिकों से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं, मेट्रो में जाने वाले तीस लाख लोग कभी ना कभी तो देखेंगे।

हवाई अड्डे पर आने वाले 7-8 लाख लोग कभी ना कभी तो इसे देखेंगे। उनको समझ आएगा कि यह 24 घंटे काम करने वाले लोग हैं, जरा सम्मान कीजिए इनका गौरव दीजिए, इनका आदर कीजिए, इनको प्रशिक्षित करना बहुत आवश्यक है जितना अधिक नागरिकों का प्रशिक्षण होगा उतनी ही ताकत सुरक्षाबलों की बढ़ेगी और इस काम की ओर बल देने का प्रयास मेरी तरफ से पूरा आपको सहयोग रहेगा।

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सीआईएसफ में बाकी केंद्रीय बलों की तुलना में बेटियों की संख्या सबसे ज्यादा है यह देश की ताकत को निश्चित रूप से नया आयाम दे रही हैं और मैं इसलिए इस क्षेत्र में आने के लिए उन बेटियों का अभिनंदन करता हूं, उस मां-बाप का भी अभिनंदन करता हूं और विशेष रूप से उस मां का भी अभिनंदन करना चाहता हूं जिस ने बेटी को यूनिफॉर्म पहना करके देश की विकास यात्रा को सुरक्षित करने का जिम्मा उठाया है। यह बेटियां लाख-लाख अभिनंदन की अधिकारी हैं। साथियों, सुरक्षा और सेवा के जिस भाव के साथ आप आगे बढ़ रहे हैं बहुत महत्वपूर्ण है।

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नए भारत के लिए जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है,

पोर्ट बन रहे हैं,

एयरपोर्ट बन रहे हैं,

मेट्रो का विस्तार हो रहा है,

जो बड़े-बड़े उद्योग-धंधे लगाए जा रहे हैं,

उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आप सभी पर है।

डेढ़ लाख से अधिक कर्मियों की ये मजबूत शक्ति आज देशवासियों को,

भारत आने वाले दुनियाभर के नागरिकों को,

सुरक्षित वातावरण देने में जुटी हैं।

साथियों,

एयरपोर्ट और मेट्रो में संपूर्ण सुरक्षा का अहसास हर कोई करता है।

ये सबकुछ संभव हो पा रहा है तो आपके समर्पण से,

आपकी सतर्कता से, आप पर जनता के विश्वास से।

अभी तो एयरपोर्ट हो या फिर मेट्रो सेवा इसमें बहुत अधिक विस्तार हो रहा है।

दोनों क्षेत्रों में हम दुनिया में इस तरह की सेवा देने वाला सबसे बड़ा देश बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों,

मुझे भी अनेक बार मेट्रो में सफर करने का अवसर मिला है।

तो मैं देखता हूं कि आप सभी कितनी मेहनत करते हैं।

किस प्रकार घंटों तक निरंतर आपको हर व्यक्ति पर,

हर सामान पर नज़र गड़ाए रखनी पड़ती है।

सामान्य व्यक्ति जो इस प्रकार मेट्रो या हवाई जहाज में सफर करता है,

उसको आपकी ये मेहनत दिखती है।

लेकिन ये भी सही है कि अक्सर कुछ लोग सोचते हैं कि आपका काम बस इतना ही है। कोई आया, उसको देखा और छोड़ दिया बस इतना ही।

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साथियों,

देश को ये जानना भी ज़रूरी है कि CISF का हर सुरक्षा कर्मी,

सिर्फ चेकिंग के काम से नहीं जुड़ा है बल्कि सुरक्षा के हर पहलू और मानवीय संवेदनाओं के हर पक्ष में वह भागीदार है।

साथियों,

आपदाओं की स्थिति में भी आपका योगदान हमेशा से सराहनीय रहा है।

पिछले वर्ष केरल में आई भीषण बाढ़ में आप में से अनेक साथियों ने राहत के काम में,

बचाव के काम में, दिन रात एक करके हजारों लोगों का जीवन बचाने में मदद की।

देश में ही नहीं विदेश में भी जब मानवता संकट में आई है तब CISF ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है।

नेपाल और हैती में भूकंप के बाद आपके योगदान की सराहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई है।

इतना ही नहीं, मुझे बताया गया है कि सफर के दौरान परिवार से बिछड़े हुए लोगों को,

बच्चों को अपने परिवारों से मिलाने या फिर उनको सही जगह तक पहुंचाने का काम आप सभी पूरी संवेदना के साथ कर रहे हैं।

इसी प्रकार बेटियों को सुरक्षित वातावरण देने के लिए भी आपके प्रयास बहुत ही प्रशंसनीय हैं।

इन्हीं सब कारणों से आपको देश का इतना विश्वास मिला है।

साथियों,

आज के इस अवसर पर जब हम इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंचे हैं,

तब हमें अपने उन सहयोगियों को भी याद करना चाहिए जो अपनी ड्यूटी के लिए,

देश की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है, देश की सुरक्षा के लिए शहीद हो गए।

आतंक और हिंसा को बढ़ावा देने वाली ताकतों से, आपने देश को,

हमारी अमूल्य धरोहर,

हमारी संपदा को बचाने के लिए सर्वोच्च त्याग किया है, बलिदान दिया है।

CISF हो,

CRPF सहित दूसरे सशस्त्र बल हों,

आपके समर्पण,

आपके बलिदान से ही आज नए भारत का सपना हम देख पा रहे हैं।

अब तक केंद्रीय पुलिस बल के 4 हज़ार से अधिक शहीदों सहित,

पुलिस के 35 हज़ार से ज्यादा साथियों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है।

मैं इन सभी शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।

लेकिन मैं इन सुरक्षा बलों से जुड़े इन लोगों से कहना चाहूँगा कि मैं मन से, emotionally मैं feel करता हूँ कि खाखी वर्दी में जो ये लोग हैं उनकी मेहनत को देश में जितना मान सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिला है। जितना उनको रिकॉग्नाइज करना चाहिए, सामान्य मानवीय के द्वारा वह नहीं हुआ और इसलिए आजादी के बाद पहली बार लाल किले पर एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसने 35 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की शहादत की वकालत की। यह मुझे करने का मन इसलिए हुआ क्योंकि सामान्य मानवीय को मालूम नहीं होता, उसके दिमाग में तो कॉस्टेबल ने उसके साथ क्या व्यवहार किया और उसी के आधार पर पूरी व्यवस्था का मूल्यांकन करता है। हम जितना गौरव बढ़ाएंगे, हमारे सुरक्षा बलों का जितना सम्मान बढ़ाएंगे जितनी प्रतिष्ठा बनाएंगे यह देश के लिए बहुत आवश्यक है और उसी का एक हिस्सा है यह पुलिस मेमोरियल बनाना और मैं चाहता हूं कि हर स्कूल के बच्चे को कभी न कभी वहां जाना चाहिए, वे देखें तो सही हमारे लिए मरने वाले लोग कौन हैं, जरा जाने तो सही और इसी दिशा में हमें निरंतर प्रयास करना है, इतना ही बड़ा त्याग इतनी बड़ी तपस्या राजसुरक्षा से जुड़े आप सभी लोगों का परिवार करता है, इसको शब्दों से बयान करना मुश्किल है और मुझे खुशी हुई कि जब मैं यहां खुली जीप से जा रहा था, कल मुझे मुझे तीन पीढ़ी के दर्शन करने का मौका मिला। यहां आपके परिवार की तीन-तीन पीढ़ियां मौजूद है। वयोवृद्ध, तपोवृद्ध लोग भी हैं। आज इस अवसर पर यहां मौजूद हैं कुछ पुराने सेवानिवृत्त लोग भी हैं आज उनके भी दर्शन करने का मुझे मौका मिला मैं इन सभी परिवारजनों को भी आदर पूर्वक नमन करता हूं क्योंकि इन परिवारों का त्याग - बलिदान , ड्यूटी पर लगे हुए लोगों को काम करने की ताकत देता है।

साथियों

गर्मी हो,

सर्दी हो,

बरसात हो,

आप अपने मोर्चे पर बिना विचलित हुए खड़े रहते हैं।

देश के लिए होली,

दीवाली और ईद होती है,

तमाम त्योहार होते हैं,

लेकिन आप सभी के लिए अपनी ड्यूटी ही त्योहार बन जाती है।

हमारे सुरक्षाकर्मी का परिवार भी तो बाकियों की तरह ही होता है।

उसके भी सपने हैं,

आकाक्षाएं हैं।

उसकी भी शंकाएं,

आशंकाएं होती हैं।

लेकिन राष्ट्र रक्षा का भाव जब मन में आ जाता है तो वो हर मुश्किल पर जीत हासिल कर लेता है।

जब किसी मासूम द्वारा तिरंगे में लिपटे अपने पिता को सलामी देने की तस्वीरें सामने आती हैं,

जब कोई वीर बेटी अपने जीवन साथी के जाने के दुख को,

आंसुओं को पीकर, ................

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PM chairs 48th PRAGATI meeting
June 25, 2025
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Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 48th meeting of PRAGATI, the ICT-enabled, multi-modal platform aimed at fostering Pro-Active Governance and Timely Implementation, by seamlessly integrating efforts of the Central and State governments, at South Block, earlier today.

During the meeting, Prime Minister reviewed certain critical infrastructure projects across the Mines, Railways, and Water Resources sectors. These projects, pivotal to economic growth and public welfare, were reviewed with a focus on timelines, inter-agency coordination, and issue resolution.

Prime Minister underscored that delays in project execution come at the dual cost of escalating financial outlays and denying citizens timely access to essential services and infrastructure. He urged officials, both at the Central and State levels, to adopt a results-driven approach to translate opportunity into improving lives.

During a review of Prime Minister-Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission (PM-ABHIM), Prime Minister urged all States to accelerate the development of health infrastructure, with a special focus on Aspirational Districts, as well as remote, tribal, and border areas. He emphasized that equitable access to quality healthcare must be ensured for the poor, marginalized, and underserved populations, and called for urgent and sustained efforts to bridge existing gaps in critical health services across these regions.

Prime Minister emphasised that PM-ABHIM provides a golden opportunity to States to strengthen their primary, tertiary and specialised health infrastructure at Block, District and State level to provide quality health care and services.

Prime Minister reviewed exemplary practices fostering Aatmanirbharta in the defence sector, undertaken by various Ministries, Departments, and States/UTs. He lauded these initiatives for their strategic significance and their potential to spur innovation across the defence ecosystem. Underscoring their broader relevance, Prime Minister cited the success of Operation Sindoor, executed with indigenous capabilities, as a powerful testament to India’s advancing self-reliance in defence sector.

Prime Minister also highlighted how the States can avail the opportunity to strengthen the ecosystem and contribute to Aatmanirbharta in defence sector.