QuoteAgriculture sector needs to be developed in line with the requirements of the 21st century: PM Modi
QuoteUnion Government has taken a number of steps for farmers’ welfare in the last three years: PM Modi
Quote‘Panch Tatva’ of railways, highways, airways, waterways, & i-ways will give wings to people’s aspirations in Northeast: PM

मेरे प्यारे भाइयो और बहनों। 

2014 में लोकसभा के चुनाव के दौरान मुझे आपके बीच आने का सौभाग्य मिला और तब में सर्बानन्द जी के लिये प्रचार करने आया था। और इतने कम समय में आपने सर्बानन्द जी को मुख्यमंत्री बना दिया। और इसलिये मैं असम की जनता का हृदय के अभिनन्दन करता हूं। असम में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को एक वर्ष पूर्ण हुआ। सोनोवाल जी के नेतृत्व में बहुत ही कठिन परिस्थितियों में असम का हाल क्या था वो मुझसे ज्यादा आप जानते हैं। एक चुनौती थी असम इतने बड़े गेहरे गड्ढे में डूबा हुआ था। उसको कैसे निकालेंगे आपने हम सब पर भरोसा किया। असम में सरकार बनाने का अवसर दिया। और मैं जब आज सरकार को एक साल हो गया है, तो सर्बानन्द  जी उनके सारे मंत्री परिषद के साथी, सभी राजनीतिक हमारे साथी दल, असम सरकार के सभी बंधु वहिनी और असम की जनता को इस एक वर्ष पूर्ण होने पर सफलता पूर्वक आगे बढ़ने पर गड्ढे में से असम को बाहर निकालने के सफल प्रयत्नों के लिये सर्बानन्द  जी और पूरे असम को पूरे हृदय से बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूं, बधाई देता हूं। 

भाइयो बहनों आज मुझे यहां एक अत्यंत महत्वपूर्ण काम के लिये उसके शिलान्यास के लिये आपके बीच आने का अवसर मिला। ये शिलान्यास ये कोई संस्था का शिलान्यास ऐसा नहीं है। ये शिलान्यास कोई एक व्यवस्था खड़ी हो रही है ऐसा नहीं है। आज जिस काम का यहां शुभारम्भ होने जा रहा है। वो आने वाले दिनों में न सिर्फ असम का न सिर्फ north-east का लेकिन ये पूरे हिन्दुस्तान के ग्रामीण जीवन का भाग्य बदलने वाला शिलान्यास है। 

भारत एक कृषि प्रधान देश है। हम ऐसे भाग्यवान लोग हैं कि हमें सब प्रकार की ऋतुओं का लाभ मिलता है। विश्व में तो शायद तीन ऋतुओं से लोग परिचित होंगे लेकिन हम उससे भी ज्यादा अनेक ऋतुओं से परिचित हैं। जिस देश का जीवन कृषि प्रधान माना गया हो। महात्मा गांधी ने जिस देश में ग्राम राज्य से राम राज्य की कल्पना की हो। उस देश में 21वीं सदी के अनुकूल बदले हुए युग के अनुकूल हमारे लिये कृषि जगत को, ग्रामीण जगत को बदलने की जरूरत है। पुरानी पद्धति से हम यहां तक पहुंचे हैं। बीच में छोटे मोटे प्रयास हुए हैं नई चीजें जोड़ी गई हैं। लेकिन अब वक्त धीरे धीरे बढ़ने का नहीं है। समय ज्यादा इंतजार नहीं करता है। विज्ञान और टेक्नॉलॉजी जो पिछले 100 साल में नहीं बदली होगी। वो पिछले 25 साल में बदल चुकी है। जब इतनी तेज गति से बदलाव आ रहा है तब इसका लाभ हमारे किसानों को मिलना चाहिए। हमारे कृषि जगत को मिलना चाहिए। हमारे ग्रामीण जीवन को मिलना चाहिए। हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है। भाषा और पहनवेश में ही मिलता है ऐसा नहीं है। यहां की जमीन, यहां की खेती की पद्धति, यहां के पाकों की, फलों की, फूलों की हर इलाके की अलग –अलग विशेषता है और इसलिये अब हमें उस क्षेत्र की विशेष की विशेषताओं को ध्यान में रख कर के वैज्ञानिक Research कैसे हो, वैज्ञानिक बदलाव कैसे हो, आधुनिक टैक्नॉलॉजी का Intervention  कैसे हो, हमारे Agriculture में Mechanize करने की दिशा में कौन से कदम उठाए जाएं एक Holistic Approach  के साथ हम हमारे कृषि जीवन में आधुनिकता लाना चाहते हैं। नई ऊंचाई को पार करना चाहते हैं। 

हमने एक बहुत बड़ा सपना देखा है।  और ये सपना हिन्दुस्तान के हर किसान के भाग्य को बदलने का सपना है। हमारा सपना है, 2022 जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे। आजादी के 75 साल जब हो हमारे देश के किसान की आय डबल होनी चाहिए दो गुना होनी चाहिए और उसके लिये हम काम कर रहे हैं। पांच साल का हमारे पास समय है। पांच साल में हम वो बदलाव चाहते हैं, वो प्रगति करना चाहते हैं के जिसके कारण हमारे देश में जो हमारे किसानों की आय दो गुना करने का जो सपना देखा है उस सपने को हम पूरा कर सकें। 

भाइयो बहनों, 

गत तीन वर्ष में अनेक महत्वपूर्ण कदम हमारी सरकार ने उठाए हैं। तीन साल का समय इतने बड़े देश में बहुत कम समय होता है। लेकिन कम समय में भी कमाल करके दिखाने का काम पिछले तीन साल में देश ने देखा है। 112 साल पुरानी संस्था दिल्ली में बैठी है। अगर वो हिन्दुस्तान के अलग अलग क्षेत्र से Research करे जुड़े तो कितना बड़ा लाभ हो सकता है। क्योंकि देश में साउथ की प्रकृति अलग है North की प्रकृति अलग है, North East की प्रकृति अलग है, वेर्स्‍टन पार्ट की प्रकृति अलग है। और उसी विचार में से हमनें दो नये Research Institute चालू करने का प्रयास किया है। उसमें से एक आज आपके यहां उसका शिलान्यास हो रहा है। और उसके कारण किस क्षेत्र की विशेषताओं पर Research ज्यादा होगा। यहां के लोगों के अनुभव को जोड़ा जाएगा। यहां के जो वैज्ञानिक हैं यहां के जो नौजवान हैं उनको Research करने का अवसर मिलेगा। और जो Research यहां होगी वो यहां के लोगों से भी परिचित होगी तब उसको Lab to Land, laboratory  से जमीन पर उतारने का काम बड़ी आसानी से हो पायेगा। और इसलिये हमारी सरकार की सोच इस प्रकार की है कि व्यवस्थाओं को भी विकेन्द्रित करे स्थल, काल, परिस्थिति के अनुसार उसके ढांचे को तैयार करे। ताकि वो त्वरित परिणाम देने के लिये सक्षम हो। हमने पिछले दिनों बीज से बाजार तक किसानों को बीज से लेकर के किसानों को बाजार बेचने तक एक पूरी चेन कहीं पर भी रुकावट के बिना Seamlessly ये पूरी प्रक्रिया को जोड़ना जरूरी था। हमनें इस पर ध्यान केन्द्रित किया जब बीज से बाजार तक मैं कह रहा हूं और तीन साल के भीतर भीतर हमनें Soil Health Card पर बल दिया। हमारे किसान को पता नहीं था कि उसकी जमीन की तबियत कैसी है। आज हम बीमार हो जाते हैं तो डॉक्टर कहता है लेबोरिट्री में जाइये ब्लड का टेस्ट करवा कर आइये और उससे वो तय करता है कि क्या अन्दर क्या कमी है क्या बीमारी है क्या मुसीबत है। जैसा मनुष्य के शरीर को है वैसा ही ये हमारी धरती माता का भी है। जैसे शरीर बीमार है  शरीर में क्या कमी है शरीर में क्या अच्छाई है, वो लेबोरिट्री में ब्लड टेस्ट करके यूरीन टेस्ट करके पता चलता है, वैसे हमारी धरती माता में क्या क्षमता है, क्या कमी है, किस फसल के लिये ये धरती उपयुक्त है कौन सी दवाई की जरूरत है कौन सी खाद की फर्टलाइजर की जरूरत है। ये सारी चीजें लेबोरिट्री में तय हो सकता है। और इसलिये हमने तय किया हिन्दुस्तान के हर किसान को Soil Health Card मिले। बड़ा अभियान चलाया है। 

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भाइयों बहनों, 

Soil Health Card ये विज्ञान ने हमें बताया है ऐसा थोड़ा है। पुरानी सरकार को भी पता था। वैज्ञानिक हमारे आने के बाद जन्म लिया ऐसा थोड़ा है। वैज्ञानिक पहले भी थे। लेकिन Tokenism से देश में परिवर्तन नहीं आया। पहले सिर्फ 15 Soil Health Card की लैब थी। इतने बड़े हिन्दुस्तान में 15 Soil Health Card की लैब, लेबोरिट्री अगर एक दिन में 15 किसानों का भी काम करे, तो महीने में कितना करेगा। इतने बड़े देश की आवश्यकता पूरी कैसे होगी। भाइयों बहनों में हमनें बड़ा Movement चलाया। आज देश में 9000 से ज्यादा Soil Health Card की लेबोरिट्रियां तैयार कर दी है। और उसको और आगे बढ़ाने की दिशा में नौजवानों को हम निमंत्रित कर रहे हैं। हमनें स्टार्टअप के लिये हिन्दुस्तान में नौजवानों को कहा कि ऐसे छोटे छोटे मशीन बनाइये ताकि किसान के घर में भी लैब का काम करे वो जमीन डाले ऊपर उसको जवाब मिल जाए। आपकी जमीन किस काम की है। कौन सी फसल के लिये उपयोगी है। और स्टार्टअप वाले नौजवानों ने ऐसे नये नये मशीन भी बनाए हैं जो आने वाले दिनों में हर गांव में हो सकता है दो चार घरों के अंदर अपने आप ऐसी मशीन से लैब का काम शुरू हो जाएगा। कितना व्यापक काम किया जा सकता है। इसका ये नमूना है। 

भाइयों बहनों,

मैं किसानों से आग्रह करूंगा। जैसे हम बीमान होते हैं और लोबोरेट्री में ब्लड टेस्ट कराते हैं हर वर्ष हम भी हमारी जमीन का क्या बीमारी आई है क्या कमी आई है इसका लेबोरेट्री में टेस्ट कराके Soil Health Card निकाले और उस Soil Health Card में जो सुझाव हो उसके अनुसार फसल पैदा करें। आप देखना कम खर्चे में जानदार फसल अच्छी फसल का आपका द्वार खुल जाएगा। ये काम हम कर रहे हैं। 

भाइयों बहनों, 

हमारे देश के किसान को अगर पानी मिल जाए तो मिट्टी में से सोना पैदा कर दे। और इसलिये हमने प्रधानमंत्री कृषि सींचाई योजना पर बल दिया है। ये प्रदेश ऐसा है कि जहां पानी भरपूर होता है। और इसलिये पानी की कीमत कभी कभी समझ नहीं आती है। लेकिन जिन इलाकों में बरसात नहीं होती है कम वर्षा होती है, नदियां नहीं है। उनको पता है पानी का मूल्य क्या होता है। हमारी कोशिश है per drop  more crop, Micro irrigation, sprinkler, टपक सिंचाई। इस देश में हमनें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई का अभियान चलाया है।  करीब 90 ऐसी योजनाएं हाथ लगाई हैं। हजारों करोड़ रुपयों की लागत आने वाली है। यहां से खेत तक पानी पहुंचे और किसान उस पानी को Micro irrigation के उपयोग करे देश की वो भू-भाग जहां पर पानी के आभाव में खेती नहीं होती है उस जमीन को पानी पहुंचे और उसका काम हो उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

भाइयो बहनों, 

हमने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दी है। हमारे देश का किसान ईश्वर की कृपा पर जिन्दगी जीता है। बारिश ज्यादा आ जाए तो भी परेशान बारिश कम आ जाए तो भी परेशान ओले गिर जाए तो भी परेशान तेज आंधी चल जाए तो भी परेशान ऐसे किसान को सुरक्षा मिलनी चाहिए। पहली बार देश में ऐसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आई है और किसानों को इतनी पसंद आई है। ये जो बैंक लोन नहीं लेते हैं ऐसे भी किसान जो फसल बीमा लेने लगे हैं। उसमें भी 7 गुना बढ़ोतरी हुई है। किसानों की प्रिये योजना बन गई है। और उसके कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होगा बीमे के कारण उस किसान को साल भर के लिये जो आवश्यक है उतना धन उसे मिल जाएगा। हर मुसीबत का सामना करने के लिये एक फसल बीमा योजना काम आए आज पूरे देश में इसको लागू करने कि दिशा में हम काम कर रहे हैं।

भाइयो बहनों,

हमारे देश में खासकर के North East में ऑर्गेनिक फार्मिंग की बड़ी संभावना है। और जा दुनिया में ऑर्गेनिक खेती उससे उत्पादित चीजों का एक बहुत बड़ा आकर्षण है एक बहुत बड़ा मार्केट है। सामान्य फसल एक रूपये में बिकती है। लेकिन अगर वो ऑर्गेनिक है तो एक डॉलर में बिकती है। मैं चाहता हूं मेरे असम के मेरे North East के मेरा आसपास के प्रदेश और सिक्किम हमारे सामने उदहारण है। सिक्किम ने अपने पूरे राज्य को ऑर्गेनिक स्टेट बनाया है। अगर North East ऑर्गेनिक की दिशा में चल पड़े तो हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा दुनिया का सबसे बड़ा ये ऑर्गेनिक फार्मिंग का एक केन्द्र बिन्दु बन सकता है। और दुनिया को ऑर्गेनिक चीज लेनी है तो North East की तरफ देखना पड़ेगा। असम की तरफ देखना पड़े इस मिट्टी की सुगंध के साथ खाना खाने को मिले ये संभावना मैं देख रहा था और इसलिये भाइयों बहनों कम्पोस्‍ट के लिये भी बहुत बड़ा अभियान चलाया है। हजारों की तादाद में लाखों की तादाद में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिये खाद को मुहैया कराने के लिये कूड़े कचरे से waste में से best बनाने की दिशा में कम्पोस्‍ट बनाने का काम चल रहा है। जो भी किसान इसमें आगे आना चाहते हैं। सरकार उनको मदद कर रही है। और उसका लाभ हमारी जमीन की सुधार में हमारे कृषि के सुधार में हमारे उत्पादन की वृद्धि में और हमारे किसान की आय दोगुना करनी है उस दिशा में काम आएगा।

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भाइयो बहनों,

कृषि के साथ साथ जब मैं न्यू इंडिया की बात करता हूं। अब तक हम फर्स्ट ग्रीन रिवोल्यूशन के गीत गाते रहे हैं। हम सैकेंड ग्रीन रिवोल्यूशन की चर्चा करते रहे हैं। लेकिन मैं साफ देख रहा हूं कि न्यू इंडिया में हमें सैकेंड ग्रीन रिवोल्यूशन से अटकना नहीं है। हमें एवर ग्रीन रिवोल्यूशन की ओर आगे बढ़ना है। सिर्फ सैकेंड ग्रीन रिवोल्यूशन नहीं एवर ग्रीन रिवोल्यूशन सदा काल हरित काल सदा काल हरित काल इस मिजाज से हमें देश में कृषि विज्ञान को आगे बढ़ाना है। और ये जो Research की संस्था है उसका लाभ हमें मिलने वाला है। उस दिशा में कृषि के साथ जुड़ी हुई कौन सी चीज है। किसान को खर्च कम कैसे हो। अब जैसे बहुत बड़ा अभियान चलाया है सोलार पम्प का सोलार एनर्जी से चलने वाला पम्प धीरे धीरे उसकी कीमत भी कम होती जा रही है। खेत में ही सोलार पैनल लगाकर के चालू किया जा सकता है। बिजली का खर्चा कम हो जाएगा। किसान का बहुत बड़ा बोझ कम हो जाएगा। उस दिशा में काम चल रहा है। किसान के अपने खेत के कोर्नर पर किनारे पर सोलार पैनल लगाकर के खेती के काम के लिये जितनी बिजली चाहिए। वो खुद पैदा कर सकता है। उसको हम प्रोत्साहन दे रहे हैं। किसान अपने खेत के किनारे पर टिम्बर की खेती करे हमारे देश में आज भी फर्नीचर के लिये घर के लिये विदेशों से टिम्बर लाना पड़ता है। अगर हमारे किसान को हम उस दिशा में ले जाएंगे तो हमारे देश को बाहर से टिम्बर नहीं लाना पड़ेगा। हम अपने खेतों में आवश्यक टिम्बर खेती का नुकसान किये बिना हम उत्पादन कर सकते हैं। उसको हम बल देना चाहते हैं। हम कृषि के क्षेत्र में पशु पालन को बल देना चाहते हैं। व्हाइट रिवोल्यूशन की चर्चा तो बहुत सुनी है। लेकिन आज भी दुनिया में  प्रति पशु कम दूध देने वाले कोई देश है तो उसमें हमारी गिनती है। पशु की संख्या बढ़ाने की बजाय पशु की दूध देने की क्षमता बढ़ाना वैज्ञानिक तरीके से पशु पालन हो। पशु के आहार में वैज्ञानिकता हो। पशु के के आरोगय के लिये वैज्ञानिक व्यवस्था हो। ये सारे Research के काम भी हम उस पर बल देकर के आगे बढ़ाना चाहते हैं। मत्स उद्योग, पोट्री, हनी बी, शहद मधुमक्खी, ये ऐसे क्षेत्र हैं। जो किसान अपने काम के साथ साथ अपनी आय बढ़ा सकता है। हम उस पर भी  बल देने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।

भाइयो बहनों,

आज जब मेरी सरकार को तीन वर्ष हुए हैं। तो मैं आज आपके सामने देश के लिये खास कर के कृषि क्रांति की दिशा में एक योजना की भी राष्ट्र के सामने घोषणा करना चाहता हूं। समर्पित करना चाहता हूं। उस योजना का नाम है सम्पदा। एग्रो प्रोडक्ट के value addition के लिये, मूल्य वृद्धि के लिये हमारे देश में बहुत संभावनाएं पड़ी हैं। प्रारम्भ में 6000 करोड़ रुपया की लागत से और बाद में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को एफडीआई को फोरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के रास्ते खोल दिये हैं। इस सम्पदा योजना का पूरा शब्द है। स्कीम फोर एग्रो मर्रीन प्रोसेसिंग एंड डेवलप्मेंट ऑफ एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर सम्पदा। ये काम हमारे जो कृषि उत्पादन है। उसकी मूल्य वृद्धि कैसी है। हम आम बेचते हैं कम पैसा मिलता है। लेकिन आम का आचार बनाकर के बेचें ज्यादा पैसा मिलता है। हम टमाटर बेचें कम पैसा मिलता है। लेकिन टमाटर का कैचप बनाकर के बेचें ज्यादा पैसे मिलेंगे। हम फल उत्पादित करें लेकिन फलों का रस बनाकर के बेचें तो ज्यादा पैसा मिलता है। और इस लिये हमारे देश की जो एग्रो प्रोडक्ट है उसकी मूल्य वृद्धि हो। एग्रो प्रोसेसिंग को बल मिले। और इसलिये आज जब मेरी सरकार को 3 साल हुए हैं तब मेरे विशाल देश के किसानों का भाग्य बदलने के लिये ये सम्पदा योजना के द्वारा फूड प्रोसेसिंग को महत्व देते हुए विश्व भर से फोरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट यहां लाकर के किस प्रकार के उद्योगो को लगा कर के जो ग्रामीण जीवन में बदलाव लाए नौजवान को रोजगार दें। उस दिशा में काम करने की दिशा में भी हमारी सरकार ने आगे बढ़ने का फैसला किया।

भाइयो बहनों,

आने वाले दिनों में कृषि विकास के द्वारा हम जब आगे बढ़ने के लिये सोच रहे हैं तब हमारा North East ये अस्ट लक्ष्मी का प्रदेश उसको आगे बढ़ाने की दिशा में हमनें पंच पथ निर्धारित किये। इन पंच पथ के द्वारा हम इस पूरे North East को हिन्दुस्तान के साथ आने वाले भविष्य के साथ नौजवानों के आशा आकांक्षाओं के साथ जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। और ये जो हमारे पंच पथ हैं। वो मूलतः 21वीं सदी के अनुकूल इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हुए हैं। हाईवे पहला पथ, रेलवे दूसरा पथ, वॉटर वे तीसरा पथ, एयर वे चौथा पथ, और पांचवा पथ हाईवे इन्फरमेशन वे। Optical Fiber Network इन पांच पथ के द्वारा आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की जड़ें जमा कर के ये अस्ट लक्ष्मी प्रदेश जो कल तक North East कहा जाता था। वो North East का मतलब न्यू इंडिया में बदल जाएगा और North East का एन ई का मतलब हो जाएगा न्यू इकॉनॉमी। एनई का मतलब हो जाएगा न्यू एनर्जी। एनई का मतलब हो जाएगा न्यू एम्पॉवरमेंट। ये एक प्रकार से न्यू इंजिन हिन्दुस्तान के ग्रोथ का न्यू इंजिन पूर्वी भारत पूर्वोत्तर भारत, North East, न्यू इंजिन इस न्यू इंडिया को लेकर के आगे बढ़ेगा। इसी एक विश्वास के साथ मैं इतने कोने कोने से आए हुए लाखों की तादाद में आए हुए मेरे किसान भाइयों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और ये Research Institute आपके सपनों को साकार करेगी। ऐसा पूरा विश्वास देता हूं। मैं फिर एक बार सर्बानन्द जी को उनकी पूरी टीम को असम की जनता को एक वर्ष की सफल यात्रा के लिये बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और बाकी रहे चार साल में असम अपने सपनों को पूरा करने के लिये तेज गति से आगे बढ़े ये शुभकामनाएं देता हूं। और मैं असम की जनता को विश्वास दिलाता हूं। दिल्ली सरकार असम का भाग्य बदलने के लिये कंधे से कंधा मिलाकर आपके साथ चलेगी। बहुत ताकत पड़ी है यहां। ये ताकत सिर्फ असम के भाग्य बदलेगी ऐसा नहीं है। ये ताकत हिन्दुस्तान के भाग्य को बदलने में काम आएगी। इस भाव के साथ आगे बढना है। मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद !

  • Reena chaurasia September 03, 2024

    ram
  • Reena chaurasia September 03, 2024

    bjp
  • MLA Devyani Pharande February 16, 2024

    जय हो
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    जय श्री राम 🙏🚩🚩
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🙏
  • Laxman singh Rana March 09, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷🌹
  • Laxman singh Rana March 09, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷
  • Laxman singh Rana March 09, 2022

    नमो नमो 🇮🇳
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Let us build a strong and resilient future for the world: PM Modi
June 07, 2025
QuotePM outlines 5 key global priorities to strengthen Disaster Resilience
QuoteIndia established a tsunami warning system benefiting 29 countries: PM
QuoteIndia's recognises the Small Island Developing States as Large Ocean Countries and the need for special attention to their vulnerabilities: PM
QuoteStrengthening Early warning systems and coordination is crucial: PM
QuoteA global digital repository of learnings and best practices of building back from disasters would be beneficial for entire world: PM

Excellencies,

Distinguished delegates, Dear friends, Namaskar.

Welcome to the International Conference on Disaster Resilient Infrastructure 2025. This conference is being hosted in Europe for the very first time. I thank my friend, President Macron and the Government of France for their support. I also extend my wishes for the upcoming United Nations Oceans Conference.

Friends,

The theme of this conference is ‘Shaping a Resilient Future for Coastal Regions'. Coastal regions and islands are at great risk due to natural disasters and climate change. In recent times, we saw: Cyclone Remal in India and Bangladesh, Hurricane Beryl in the Caribbean, Typhoon Yagi in South-east Asia, Hurricane Helene in the United States, Typhoon Usagi in Philippines and Cyclone Chido in parts of Africa. Such disasters caused damage to lives and property.

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Friends,

India also experienced this pain during the super-cyclone of 1999 and the tsunami of 2004. We adapted and rebuilt, factoring in resilience. Cyclone shelters were constructed across vulnerable areas. We also helped build a tsunami warning system for 29 countries.

Friends,

The Coalition for Disaster Resilient Infrastructure is working with 25 Small Island Developing States. Resilient homes, hospitals, schools, energy, water security and early warning systems are being built. Given the theme of this conference, I am glad to see friends from the Pacific, Indian Ocean and the Caribbean here. Further, I am happy that the African Union has also joined the CDRI.

Friends,

I would like to draw your attention to some important global priorities.

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First: Courses, modules and skill development programmes on disaster resilience need to become part of higher education. This will build a skilled workforce that can tackle future challenges.

Second: Many countries face disasters and rebuild with resilience. A global digital repository of their learnings and best practices would be beneficial.

Third: Disaster resilience requires innovative financing. We must design actionable programmes and ensure developing nations have access to finance.

Fourth: We consider Small Island Developing States as Large Ocean Countries. Due to their vulnerability, they deserve special attention.

Fifth: Strengthening early warning systems and coordination is crucial. This helps timely decisions and effective last-mile communication. I am sure that discussions in this conference will consider these aspects.

Friends,

Let us build infrastructure that stands firm against time and tide. Let us build a strong and resilient future for the world.

Thank You.