BJP's Rashtriya Sadasyata Abhiyan is to strengthen the country: PM Modi

Published By : Admin | September 2, 2024 | 17:15 IST
QuoteFrom Bharatiya Jana Sangh till now, we have tried our best to bring a new political culture in country: PM Modi
QuoteWe are those people who painted lotus on the walls with devotion: PM Modi
QuoteThe lotus painted on the walls will someday be painted on the hearts too: PM Modi
QuoteBJP is only party that expands its work by following democratic processes in letter and spirit: PM Modi

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारतमाता की जय

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान नड्डा जी, राजनाथ जी, अमित भाई और सभी साथी। आज सदस्यता अभियान का एक और दौर प्रारंभ हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर के अब तक, हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से, या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से, देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है। वो इकाई, वो संगठन, वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है। आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है, तो वैसी स्थिति बनती है, जो आज देश के कई दलों की हम देख रहे हैं। और जैसा अमित भाई ने कहा हिंदुस्तान में एकमात्र यही दल है, जो अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार अक्षरक्ष: लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को, उसका पालन करते हुए अपने कार्य का विस्तार कर रहा है। और जन सामान्य की आशा-आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए अपने-आपको निरंतर योग्य बनाता रहता है।

यह दल ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा है। अनेकों पीढ़ियां खप गई हैं। वर्तमान पीढ़ी के अनेक कार्यकर्ता हैं, जिनके नाम भी नहीं जानते होंगे। ऐसे लोगों ने अपना जीवन खपाया, तब जाकर के ये दल, लोगों के दिलों में जगह बना पाया है। मैं जब राजनीति में नहीं था। उस जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ अपने कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक, उस समय जनसंघ का निशान था। उसको पेंट करते थे और कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषणों में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक पेंट करने से सत्ता के गलियारों के तक नहीं पहुंचा जा सकता। ऐसा कहते, मजाक उड़ाते थे। हम वो लोग हैं, जिन्होंने दीवारों पर कमल पेंट किया। लेकिन इतनी श्रद्धा से पेंट किया कि विश्वास था, ये दीवारों पर पेंट किया हुआ कमल कभी ना कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा।

और कुछ लोग हमेशा हमारी मजाक उड़ाते रहे हैं। जब संसद में हमारे दो सदस्य थे। तब भी इतना भद्दा मजाक हमारे लिए उड़ाया गया था। कुछ लोगों का चरित्र ही ऐसा होता है। और उनको लगता है कि ऐसा करने से वो बड़े बन जाते हैं। लेकिन ऐसी सब प्रकार की आलोचनाओं को झेलते हुए जन सामान्य के कल्याण के लिए समर्पित होकर के, नेशन फर्स्ट की भावना को जीते हुए, हम चलते ही रहे और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने हमें मंत्र दिया था चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति, चलते रहो। एक समय था, जब जनसंघ और भाजपा के कार्यकर्ता की पहचान और आज भी कुछ राज्यों में भारतीय जनता पार्टी, उसी जीवन को जीते हैं और अपने आदर्शों के लिए जूझते हैं।

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हमारे कार्यकर्ताओं के लिए क्या कहा जाता था, चाहे वह जनसंघ का कार्यकर्ता हो या भाजपा का। उसका एक पैर रेल में होता है और दूसरा पैर जेल में होता है। रेल में इसलिए कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता निरंतर भ्रमण करता था। प्रवास करता था। जहां भी उसको जाना होता, वो दौड़ता रहता था। और समाज की समस्याओं के समाधान के लिए, सत्ता पर बैठे हुए लोगों के सामने संघर्ष करता था और इसलिए कभी जेल, तो कभी बाहर, ये उसकी स्थिति रहती थी। मुझे याद है करीब 50 साल पहले की बात होगी। जनसंघ के लोग अहमदाबाद में सत्याग्रह कर रहे थे। और एक अपनी कार्यकर्ता बहन जो जेल गई थी। करीब-करीब एक महिला लोग सब जेल में रहे थे, सिर्फ आंदोलन करने के लिए। और उसकी गोद में नौ महीने का बच्चा हाथ में लेकर के वो जेल में एक महीना गुजार करके आई थी। ऐसे जुल्म सहकर के पार्टी यहां पहुंची है। और ये जुल्म करने वाले लोग, एक छोटे से जुलूस को भी स्वीकार करने को तैयार नहीं होते थे। जेल में बंद कर देते थे। सत्ता का नशा उतना था उनको।

साथियों,

मैंने सालों तक संगठन में ही काम किया है। मैं भी कभी इसी प्रकार की बैठक लिया करता था, दौरा किया करता था। सदस्यता अभियान का हिसाब-किताब किया करता था। और मेरी ट्रेनिंग इस काम के लिए प्रमुख रूप से हमारे माननीय सुंदर सिंह जी भंडारी जी ने की थी। और वे इस विषय में बहुत आग्रही रहते थे। थोड़ा-सा भी वो इधर-उधर स्वीकार नहीं करते थे। कभी-कभी लोगों को ऐसा भी लगता था कि भई एक स्ट्रक्चर बना देने से क्या होगा। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि उसी स्ट्रक्चर ने देश के आशा-अपेक्षा को पूर्ण करने के लिए एक माध्यम बना दिया। अब हम सदस्यता के लिए जाएंगे।

साथियों,

ये सदस्यता कर्मकांड नहीं है। हमारे लिए सदस्यता यानी, अपने परिवार का विस्तार है। हमारे परिवार में अगर किसी का जन्म होता है तो जितनी खुशी होती है। हमारे परिवार में शादी कर करके कोई बहु आती है। तो परिवार के विस्तार का जो आनंद होता है, वो आनंद बीजेपी में जो कोई नया सदस्य बनता है। परिवार के विस्तार का आनंद होता है। और इसलिए यह सदस्यता अभियान आंकड़ों का खेल नहीं दोस्तों। कितने नंबर हम पार कर जाएंगे, ये नहीं है। ये सदस्यता अभियान एक पूर्ण रूप से वैचारिक आंदोलन भी है और भावनात्मक आंदोलन भी है। और हमने संगठन की गाड़ी को उस पटरी पर दौड़ाना है, जिसमें वैचारिक धार भी हो और भावनाओं से भरपूर भी हो। क्योंकि हमारी भावनाएं देशभक्ति से प्रेरित हैं। मां भारती के कल्याण के लिए 140 करोड़ देशवासियों के कल्याण के लिए।

ये जो सदस्यता अभियान होगा, संगठन की रचना होगी। बूथ कमेटियां बनेगी। पहले हम सदस्यता अभियान करते थे और अब सदस्यता अभियान करें, कुछ चीजें हम नए तरीके से सोच सकते हैं क्या। जैसे, ये जो सदस्य अभियान होगा, उसी समय जो संगठन की रचना होगी। उसी कालखंड में विधानसभाओं में और लोकसभा में 33 परसेंट रिजर्वेशन लागू हो गया होगा। महिलाओं के लिए अगर यह 33 परसेंट रिजर्वेशन इसी कालखंड में आने वाला है, तो क्या मेरी सदस्यता अभियान में, मैं ऐसे सभी लोगों को जोड़ूंगा, जो मेरे पार्टी के इतने महत्त्वपूर्ण निर्णय में अधिकतम महिलाओं को विजयी बनाकर के एमएलए, एमपी बना सके।

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साथियों,

हमारे देश में पूरे विश्व के लिए, खास करके ग्लोबल साउथ के देशों के लिए, डेवलपिंग कंट्रीज के लिए, एक मॉडल रूप काम हमने किया है। और वो है, एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट। एस्पिरेशनल ब्लॉक। और हम चाहते हैं कि जो अब तक, जिसकी कोई चिंता कोई नहीं करता था, परवाह नहीं करता था। मुलाजिम भी वहां पर नौकरी करने के लिए जाने को तैयार नहीं होता था। पिछड़े रहते थे। हमने उसने उसे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक बनाया है। और हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द उस राज्य की जो पैरामीटर हैं, उसमें जरा भी पीछे ना हो। हो सके तो उससे भी आगे जाए। और हो सके तो नेशनल लेवल पर भी जो पैरामीटर्स में आ जाए। और इतना सुखद अनुभव रहा है कि एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में गवर्नेंस पर फोकस करने के कारण, जन भागीदारी के कारण, जनसामान्य की आकांक्षा-अपेक्षाओं को चिन्हित करकर उस पर काम करने के कारण आज देश की एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक करीब-करीब स्टेट में टॉप की बराबरी करने लग गए हैं। क्या हम अपना संगठन की रचना करते समय ये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक उसमें विशेष अभियान चला करके, वहां के हर पोलिंग बूथ में, अपना झंडा गाड़ सकते हैं दोस्तों। और हमें कागज लेकर बैठना पड़ेगा, भई मेरे इलाके में ये एस्पिरेशनल ब्लॉक है। उन एस्पिरेशनल ब्लॉक के अंदर इतने पोलिंग बूथ हैं। उस पोलिंग बूथ के अंदर मुझे इतनी मेंबरशिप का टारगेट है। मैं उसको करूंगा। हम प्रयास करें।

आपने देखा होगा, हमने एक बहुत बड़ा आमूलचूल परिवर्तन किया है। किसी समय हिंदुस्तान के आखिरी गांव के रूप में सीमावर्ती गांव जाने जाते थे। और नेगेटिविटी का जन्म उस शब्दों में ही शुरू हो जाता था। हमने तय किया कि आखिरी गांव नहीं है, ये मेरे देश के पहले गांव हैं। अगर ये गांव हिंदुस्तान के सीमा के छोर पर है। अगर सूरज की पहली किरण आएगी, पूर्व में होगा तो पहले उसी को स्पर्श करते हुए हम तक पहुंचेगी। वो पहला गांव है और इसलिए हमने पूरी तरह बदला है विचार। क्या हम एक स्पेशल इकाई बनाएं, जो-जो राज्य सीमावर्ती राज्य हैं, वे ये जो पहला गांव है। उसमें सबसे पहले मेंबरशिप का अभियान चलाएं। और पूरे के पूरे गांव को भारतीय जनता पार्टी का किला बना सकते हैं। और जो सीमा के आखिरी छोर पर बैठा हुआ वो गांव जब भारतीय जनता पार्टी का किला बनता है ना, तब वह भारत का किला अपने-आप बन जाता है। तो मेरे लिए सदस्यता ये सिर्फ पार्टी का नंबर बढ़ाने के लिए नहीं, मेरी सदस्या मेरे देश को मजबूत बनाने के लिए भी है और इसलिए मैं उन गांवों को किला बना के छोडूंगा। ये सब, ये सब मुमकिन है लाखों कार्यकर्ताओं के तपस्या के कारण।

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साथियों,

उसी प्रकार से जहां दो राज्य की सीमाएं मिलती हैं। क्या अभी से प्लान कर सकते हैं, कि उन दो राज्य की सीमा पर डेट निश्चित करके, मान लीजिए महाराष्ट्र और गुजरात की सीमाएं मिलती हैं। तो महाराष्ट्र के कार्यकर्ता उनकी सीमा पे आएंगे। गुजरात के कार्यकर्ता उस दिन उनकी सीमा पर जाएंगे। और एक सीमा पर उनके गांव, इसके गांव साथ मिलकर के मेंबरशिप बनाएंगे। महाराष्ट्र का गांव होगा वहां गुजरात के लोग भी नजर आएंगे। गुजरात का गांव होगा, महाराष्ट्र के लोग नजर आएंगे। और उस स्टेट के बॉर्डर के सभी गांवों को मैं कवर कर सकता हूं। मैं जब मैं कहता हूं एक भारत, श्रेष्ठ भारत, मेरे एक भारत श्रेष्ठ भारत की ये जो यह जो रेखाएं बनी हुई हैं नक्शे पर। मेंबरशिप के द्वारा मैं महाराष्ट्र के गांव को, गुजरात के गांव को, वहां के दिलों को जोड़ने के लिए मैं मेरा कमल खिला सकता हूं क्या।

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और इसलिए मैं कहता हूं, साथियों यह सदस्यता अभियान मेरे देश का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए है। हमने हमारे ट्राइबल इलाके, मुझे याद है एक सदस्यता अभियान के समय में हिमाचल में, मेरा दौरा था। ये नड्डा जी के इलाके में। और मैं पहाड़ी क्षेत्रों में जाना चाहता था। एक पोलिंग बूथ पर जाने में मेरा एक दिन लगता था। पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता था। और वहां जाकर के 20-22 का लोगों की मीटिंग करके मैं नीचे उतरता था। पूरा दिन मेरा चला जाता था, लेकिन मुझे आनंद होता था कि वहां कोई तो होता था, जो पूछता था कि साहब ठंड बहुत है। पहले चाय पी लीजिए। यानी किसी ने तो तपस्या की थी। किसी ने तो मेहनत की थी। क्या हम हमारे जो ट्राइबल बेल्ट है, उसमें दूरदराज के जो क्षेत्र हैं, उसमें भी, अभी जैसे आपने देखा होगा पीएम जन मन योजना शुरू की है। यह पीएम जन मन योजना हमारे आदिवासी क्षेत्रों में भी, ऐसे-ऐसे इलाके हैं। ऐसे- ऐसे समूह हैं, जहां व्यवस्थाएं इतने सालों के बाद भी पहुंच नहीं पाईं थीं।

हमने पीएम जनमन योजना बनाकर के स्पेशल एफर्ट शुरू किया है। वो पॉलिटिकल वोट बैंक होने की ताकत नहीं है। क्योंकि बहुत छोटी संख्या में है। लेकिन साथियों, अगर उंगली का नाखून भी पक जाता है ना तो पूरे शरीर में दर्द होता है। वह भी तो मेरा शरीर के हिस्से हैं। वो दुखी हो, वो दुखी हो, पीड़ित हो, मेरे देश में मुझे भी उसकी पीड़ा होती है। इस पीड़ा का अनुभव करते हैं, तब जाकर के पीएम जन मन योजना जन्म लेती है। सरकार तो पहुंचेगी, रोड भी बन जाएंगे, बच्चों का स्कूल में एडमिशन भी हो जाएगा, लेकिन कमल कौन खिलाएगा कौन खिलाएगा। कौन खिलाएगा। और इसलिए साथियों, हम इस प्रकार से फोकस करके इन समाजों तक हम पहुंच सकते हैं क्या।

आज देश में वो लोग, जिन्होंने तीन-तीन, चार-चार पीढ़ी में पक्का घर नहीं देखा था। जिनका कोई अता-पता नहीं था। वो झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी गुजारते थे। वो फुटपाथ पर जिंदगी गुजारते थे। आज यहां तो कल वहां। ऐसा ही उनका बसेरा हुआ करता था। ऐसे चार करोड़ परिवारों को हमने एड्रेस दिया है। और जब जिंदगी में घर का पता तय हो जाता है ना, तो मंजिल का पता भी अपना आप बनने लग जाता है। जिनको घर मिला है। जिनकी जिंदगी में अब अपना एक स्थाई, पीढ़ियों के बाद, चार-चार, पांच-पांच पीढ़ी में कभी उन्होंने पक्के घर में जिंदगी नहीं गुजारी होगी। क्या यह मौका नहीं है दोस्तों उनके पास जाने का। लिस्ट लेकर के उनके पास जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए। क्या उसको नहीं लगना चाहिए कि जिस कमल ने घर की दीवारें बनाई हैं। उस कमल को मैं अब दिल के अंदर जगह दे दूं। ये भाव उसके अंदर पैदा नहीं हो सकता है और इसलिए मैंने कहा कि हमारे लिए ये हमारा जो परिवार का विस्तार है, वो विस्तार अपने-आपको फैलाने का है, ऐसा नहीं है। अनेक लोगों को अपने-आप में समाने का है। हमारे भीतर समाहित करना है। हमारे सुख- दुख का साथी बनाना है। और तब जाकर के एक ऐसा भाजपा परिवार पूरे देश में निर्माण होता है, जो राष्ट्र के सपनों को पूरा करने के लिए एक कैटेलिक एजेंट के रूप में बहुत बड़ी सेवा कर सकता है।

और इसलिए साथियों इस सदस्यता अभियान को एक पवित्र कार्य मान करके हमने करना चाहिए। और जब कोई व्यक्ति सदस्य बनता है ना, जैसे कोई नया बच्चा स्कूल जाता है तो मां-बाप कैसा माहौल बनाते हैं। तिलक करेंगे, मिठाई खिलाएंगे, अच्छे कपड़े पहनाएंगे। उसी भाव से सदस्य बनना चाहिए। और मुझे अच्छा लगा आज मुझे इस वातावरण में सदस्य बनने का मौका मिला। उत्सव के वातावरण में, मैं सदस्य बन रहा हूं। हम भी सदस्यता अभियान को उत्सव में परिवर्तित करें। सामने वाला हमारे परिवार में जुड़ रहा है, मतलब हम बड़े गौरव अनुभव कर रहे हैं कि आप हमारे यहां आए। हमें यह भाव नहीं लाना चाहिए कि हमने उपकार किया है तुम्हें मेंबर बना के। नहीं, आपने देश हित के लिए आगे आए हैं, हमारे लिए गौरव की बात है। आप हमारे एक साथी बन गए हैं। जीवन में इससे हमें और क्या धन्यता चाहिए।

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साथियों,

आज जो 18-20 साल की उम्र के लोग हैं। उन्होंने वो अखबार नहीं पढ़े हैं, जिसकी हेडलाइन हुआ करती थी कि आज इतने लाख का घोटाला हो गया। आज इतने करोड़ का घोटाला हो गया। आज ये हो गया, ये हो गया, ये हो गया। आज जो 18-20 साल के बच्चे हैं उन्होंने ये पढ़ा नहीं है। उन्हें पता नहीं है कि 10 साल 11 साल के पहले देश के हालत क्या थे। उसने एक नया हिंदुस्तान देखा है और इसलिए उसके सपने भी वहीं से शुरू हो जाते हैं। और तब जाकर के हमारी जिम्मेवारी अनेक गुना बढ़ जाती है। क्या हमारा दायित्व नहीं है कि 18 से 25 साल की एक पूरी पीढ़ी को टारगेट करके, प्लान करके भारतीय जनता पार्टी से जोड़ें, ताकि उनको भी पता चले उनके माता-पिता ने कितने बुरे दिन देखे थे। उनके माता-पिता कितनी मुसीबतों से गुजरते थे। एक टेलीफोन का कनेक्शन लेने के लिए उनको एमएलए, एमपी के घर में चक्कर काटने पड़ते थे। एक गैस का कनेक्शन लेने के लिए उनको सालों तक इंतजार करना पड़ता था। कभी बिजली का कनेक्शन नहीं मिल पाता था। अंधेरे में जिंदगी गुजर जाती थी। बच्चों के लिए पढ़ाई का प्रबंध नहीं था। 18 से 25 साल के उन हमारे देश के बेटे-बेटियों ने अपने मां-बाप किस मुसीबतों से गुजरते थे, जिंदगी जीते थे, उससे वो अनभिज्ञ हैं। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता का काम है कि उसे भारतीय जनता पार्टी में हमारा मेंबर बनाकर के साथी बना करके उसे, हम कहां से कहां देश को ले गए हैं, ये आत्मविश्वास से भरने की जरूरत है।

साथियों,

18 से 25 का उम्र का व्यक्ति, मेरे लिए भाजपा के मतदाता जैसे सीमित स्वार्थी विचार से मैं उसकी चर्चा नहीं कर रहा। मेरे सामने 18-25 साल का उम्र का नौजवान, वो मेरे 2047 के सपने का सबसे बड़ी शक्ति का स्रोत है। 2047 में मेरा देश विकसित भारत बनेगा। आज जो 18-20, 22-25 साल का नौजवान है। वो उस समय 50 साल का हुआ होगा। उसकी जीवनी की सबसे ऊर्जावान समय देश विकसित भारत की यात्रा में होगा। उस समय उसकी जीवन की यात्रा चलती होगी। एक इतना बढ़िया संजोग होगा कि उसका सामर्थ्य हमें विकसित भारत बनाने के सपने पूरे करने में काम आएगा। और इसलिए विकसित भारत के सपने पूरे करने के लिए जिस सामर्थ्य की मुझे जरूरत है। वह 18 से 25 साल का मेरा नौजवान है। उसे हमने इस विचार से जोड़ना है, नेशन फर्स्ट के लिए जीने के लिए जोड़ना है।

हम सिर्फ चुनावी मशीन नहीं है। हम वो खाद-पानी है, जो देशवासियों को सपनों को हम सींचा करते हैं। हम वो खाद पानी हैं, जो अपने-आप को खपा करके देश के सपनों को संकल्प और संकल्प को सिद्धि तक ले जाने की यात्रा में अपने-आपको डुबो देते हैं जी। और इसलिए भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता चुनाव, कुछ लोगों ने कह दिया है, मशीन ये तो चुनावी मशीन है भाजपा के पास। इससे बड़ा भाजपा का कोई अपमान नहीं हो सकता है। अरे चुनाव जीतना ये तो मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं के निरंतर पुरुषार्थ और प्रयास के परिणाम एक बाय प्रोडक्ट है। और इसलिए साथियों, हमें निरंतर नई पीढ़ियों को भी तैयार करना है। और एक बात मान के चलिए, जो ये सोचता है कोई आएगा तो मेरा क्या होगा। वो मान के चल रहे हैं, कोई आएगा तो नहीं, लेकिन तुम जहां हो, वहां से कहीं ऊपर जा नहीं सकते हो। जैसे-जैसे नीचे तुम नए लोगों को लाते जाओगे। वैसे-वैसे तुम ऊपर चले जाओगे। ऊपर जाने का तरीका यही है कि नीचे जितनी मजबूती देते हैं, उतना ऊपर जाने की गारंटी पक्की हो जाती है। कुछ लोगों की मानसिकता रहती है कि अरे यार, ये आएगा तो मेरा क्या होगा। वो आएगा तो आपकी मजबूती बढ़ेगी। आपकी इज्जत बढ़ेगी। और आपके द्वारा इच्छित कामों को परिणाम लेने में वो आपका साथी बन कर के काम करेगा।

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साथियों,

लोकतांत्रिक मूल्यों को जीने वाली हमारी पार्टी है। हम व्यवस्था में भी लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं। हम विचार में भी लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं। हम संस्कार में भी लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं। हमारा ये सदस्यता अभियान उस नई ऊंचाइयों को पार करने वाला बने। समाज के अधिकतम लोग के, मैं तो शुरू यही चाहूंगा, आप अपने इलाके में कि जिस पोलिंग बूथ में सी ग्रेड का पोलिंग बूथ मानते हैं ना। सदस्य अभियान वहीं से शुरू करो। जिसे आप पिछले दो-तीन चुनाव में जिसको सी ग्रेड का पोलिंग बूथ मानते हैं। जहां पर आपको मिनिमम वोट मिले हैं। सदस्यता अभियान वहीं शुरू करना चाहिए। दोस्तों, चुनौती को चुनौती देना, ये तो भारतीय जनता पार्टी की रगों में है। जहां सरस सरलता है, जहां स्वीकार्यता है, जहां सम्मान है, आदर-सत्कार है, वहां तो मेंबरशिप करना आसान हो जाएगा। उसको करते भी रहना है, लेकिन जहां चुनौती है, वहीं दिलों में कमल खिलाना है। और हमारी कसौटी इसी में है।

साथियों,

आज देश के गरीब का सबसे अधिक विश्वास हमारी नीतियों में है, हमारे निर्णयों में है। हमने लिए हुए रास्ते से मिले परिणामों में है। और इसलिए हमें उस सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ना है। मुझे पक्का विश्वास है नड्डा जी के नेतृत्व में पार्टी की संगठन की शक्ति पूरी तरह लगी है, तब ये सदस्यता अभियान पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ेगी। ये सदस्यता अभियान अनेक नए बूथों तक पहुंचेगी। ये सदस्यता अभियान देश के सबसे पहले गांव है, वहां पर भाजपा का झंडा हम यहां से देख सकें, ऐसे बनेगी। इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारत माता की जय

वंदेमातरम-वंदेमातरम।

  • Chandrabhushan Mishra Sonbhadra November 05, 2024

    jay Shri Ram
  • Chandrabhushan Mishra Sonbhadra November 05, 2024

    jay shree Ram
  • शिवानन्द राजभर October 19, 2024

    जय श्री बजरंग बली
  • Rampal Baisoya October 18, 2024

    🙏🙏
  • Amrendra Kumar October 15, 2024

    जय भाजपा, तय भाजपा
  • Vivek Kumar Gupta October 14, 2024

    नमो ..🙏🙏🙏🙏🙏
  • Vivek Kumar Gupta October 14, 2024

    नमो .....….................🙏🙏🙏🙏🙏
  • Neeraj Varshney October 13, 2024

    यह संयोग मेरे भोले बावा विश्वनाथ जी के आशीर्वाद से हुआ है। हर-हर महादेव जी ! हर-हर महादेव जी!! नीरज वार्ष्णेय [ काका जी ] अलीगढ़( उ० प्र० ) मो०न०- 9045617660
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • Lal Singh Chaudhary October 07, 2024

    हर हर महादेव
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India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
QuoteIndia's achievements and successes have sparked a new wave of hope across the globe: PM
QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
QuoteYouth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!