QuoteDevelopment is the only solution for all problems related to poverty and unemployment: PM
QuoteIndia will progress only through the development of the States and for this the Centre and States have to work together: PM

देवियों और सज्‍जनों,

आज यहां अनेक शिलान्‍यास के और उद्घाटन के कार्यक्रम हुए। हम सब इस बात को अब भलीभांति समझने लगे हैं कि विकास का कोई पर्याय नहीं है। अगर हमें गरीबी से लड़ना है तो विकास करना होगा, हमें बेरोजगारी से लड़ना है, तो विकास करना होगा, हमें अशिक्षा से लड़ना है तो विकास करना होगा, यदि हमें आरोग्‍य की सुविधाएं मुहैया करानी होंगी तो विकास करना होगा। सब दुखों की अगर कोई एक दवाई है तो वो दवाई है – विकास। यह अच्‍छी बात है कि इन दिनों राज्‍यों के बीच भी विकास को लेकर एक स्‍पर्धा का माहौल बनता चला जा रहा है। राज्‍यों को लगने लगा है कि वो राज्‍य उस बात में मुझसे आगे निकल गया, अब हम कुछ कोशिश करेंगे, हम आगे निकलेंगे। आखिरकार देश को आगे बढ़ाना है तो राज्‍यों के विकास से ही आगे बढ़ने वाला है। इसलिए देश के विकास के लिए राज्‍यों का विकास.. इस मूलमंत्र को ले करके, केंद्र हो या राज्‍य हो, सबने मिलकर के काम करना, काम को आगे बढ़ाना, यह आवश्‍यक होता है।

विकास के कामों में राजनीति कितना नुकसान करती है उसका ब्‍यौरा आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी ने विस्‍तार से दिया। अटल जी के समय में जो काम.. छ: महीने मिलते तो पूरा हो जाता, उसको पूरा होते-होते आज 2015 आ गया। मैं नीतीश जी की बात से सहमत हूं कि अटल जी की सरकार का चुनाव यदि थोड़ी देर से होता, छ: महीने मिल जाते तो उस समय अटल जी के मार्गदर्शन में.. और यही के रेल मंत्री थे नीतीश जी, यह काम पूरा हो गया होता। वो सही बोल रहे हैं। लेकिन बाद में सरकार बदल गई और रेल मंत्री यहां से ऐसे आए कि काम को रोक दिया गया और हमारे आने के बाद उसको चालू किया गया। अब, राजनीति जो करते हैं करें लेकिन नुकसान बिहार का हुआ, बिहार की जनता का हुआ। नीतीश कुमार की इस व्‍यथा के साथ मैं भी अपना स्‍वर मिलाता हूं।



लेकिन मैं इस मत का हूं कि हमें विकास की यात्रा को निरंतर गति देना चाहिए। आज नीतीश जी ने बहुत अच्‍छी बातें बताई कि भई IIT है, हमें यहां की आवश्‍यकताओं के अनुसार और यहां की क्षमता के अनुसार नई-नई faculties को लाना चाहिए। मुझे विश्‍वास है कि नए परिसर की क्षमता इतनी है, 500 बीघा ज़मीन है.. यह होगा। हम तो कोशिश यह कर रहे हैं कि दुनिया में जो top cost faculties हों उनको भी भारत में लाया जाए ताकि भारत के हमारे युवकों को देश के लिए जो आवश्‍यक है, जिस राज्‍य में IIT हैं, वहां जो आवश्‍यक है, उन विषयों को बल दिया जाए। सिर्फ दिल्‍ली में बैठ करके योजनाएं बनाने का वक्‍त पूरा हो गया। अब तो राज्य के मन में जो भाव उठते हैं, उसकी जो आवश्यकताएं होती हैं, उसके अनुसार ही दिल्ली को ढलना चाहिए, ये मेरी सोच है औऱ मैं उसी को आगे बढ़ा रहा हूं।

आज यहां एक Incubation centre का प्रारंभ हो रहा है। ये Incubation centre मैं मानता हूं, ये एक बहुत बड़ा नजराना है। IIT complex, इमारत से भी ज्यादा, ये Incubation centre बहुत बड़ा महत्वपूर्ण हमारा initiative है। इसलिए मैं इस बात से convince हूं। मैं जिस प्रदेश से आया हूं, लोगों ने परिश्रम किया होगा, परमात्मा ने कृपा की होगी, लक्ष्मी ने वहां जाना पसंद किया होगा लेकिन ये भूमि है, जहां सरस्वती वास करती है। यहां के नौजवान तेजस्‍वी हैं। और मैं मानता हूं, यहां की जो तेजस्विता है वो पूरे हिंदुस्तान को तेजस्वी बना सके, ऐसी तेजस्विता इस धरती पर है। ..और मुझे विश्वास है कि ये जो Incubation centre हम सोच रहे हैं, बनाने जा रहे हैं, वो भी एक विशेष मकसद से है।

आज हम देख रहे हैं कि Medical services, health sector ये सिर्फ डॉक्टर नाड़ी पकड़ लें, चार सवाल पूछ लें और निर्णय नहीं होता कि बीमारी क्या है, दवाई क्या दें? ढेर सारे मशीनों के अंदर से शरीर को गुजारा जाता है, भांति-भांति मशीनों को शऱीर पर लगाया जाता है उसके बाद बीमारी तय होती है, उसके बाद उपचार तय होता है। पूरे Health Sector में Technology का प्रभाव इतना बढ़ा है, इतने नये-नये संसाधनों का आविष्‍कार हो रहा है। आज भारत को गरीब व्‍यक्ति को अगर इन संसाधनों को मुहैया कराना पड़े.. विदेशों से लाना बहुत महंगा पड़ रहा है। इस पटना की धरती पर बिहार के मेरे नौजवानों की प्रतिभा को एक अवसर दिया जा रहा है कि इस incubation centre में प्रमुख रूप से Electronic and Digital mechanics के साथ किस प्रकार से हम Health Sector के नये विषयों में आविष्‍कार करें, उसका उत्‍पादन करें ताकि हमारे गरीब से गरीब के लिए हमारे अस्‍पतालों में भारत में बने हुए उत्‍तम से उत्‍तम साधन तैयार हों, जिसका लाभ गरीब को मिले, उस दिशा में हम काम करें। इसलिए यह incubation Centre भले ही पटना की धरती पर बनने वाला हो, लेकिन वह हिंदुस्‍तान के गरीबों के आरोग्‍य की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने का एक अहम कार्यक्रम बनेगा, यह मैं देख रहा हूं।

आखिरकार विकास करना है तो infrastructure का बहुत महत्‍व होता है। अगर infrastructure को बहुत महत्‍व नहीं दिया गया तो हम बहुत पिछड़कर रह जाएंगे। बिहार में चाहे rail हो, road हो air हो, उसको infrastructure मिलें, उसकी connectivity बढ़े, capacity बढ़ें, इस पर हम बल दे रहे हैं। हिंदुस्‍तान में शायद अधिकतम रेलमंत्री यदि किसी राज्‍य ने दिये है तो बिहार ने दिये हैं। जमाने से जैसे यह रेल डिपार्टमेंट बिहार के लिए reservation है। रेल मंत्री तो मिले हैं, रेल देने का काम मेरे दिमाग में भरा पड़ा है। मैं रेल के माध्‍यम से बिहार के दूर-सुदूर इलाकों को कैसे जोड़ पाऊं, मुख्‍य धारा में विकास की.. यहां infrastructure आता है, उसको कैसे आगे बढ़ाऊं, इस दिशा में योजनाएं लेकर के आगे चल रहा हूं।

आज एक महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम हमने launch किया है। वैसे नीतीश जी ने धर्मेंद्र प्रधान जी की इतनी तारीफ कर दी है, उसी से मुझे समझ आता है कि इस प्रोजेक्‍ट का कितना महत्‍व है। नीतीश जी की बात सही है, आने वाले दिनों में जिस प्रकार से रोड का महत्‍व है, रेल का महत्‍व है वैसे ही गैस ग्रिड का भी महत्‍व है। पूरी economy में गैसे आधारित economy shape ले रही है और गैस पहुंचाने के लिए महंगा खर्चीला नेटवर्क खड़ा करना पड़ता है, infrastructure बनाना पड़ता है। मैं देख रहा हूं कि energy के sector में गैस की उपलब्धि उस देश की पूरी economy को बदल देती है। बिहार की economy को बदलने का एक बहुत बड़ा ताकतवर प्रयास.. गंगा तो हमारे पास है ही है, हम ऊर्जा गंगा को लेकर के आ रहे हैं आपके पास।



गैस पाइप लाइन बिछाएंगे सैंकड़ों किलोमीटर। पटना में पाइप लाइन से घर-घर गैस कैसे पहुंचे.. जैसे हमारे घर में गृहणी के kitchen में tap चालू करते ही पानी आता है, वैसे ही tap चालू करते ही गैस आ जाए, इसके लिए यह योजना है। हर परिवार को यह पहुंचे हैं .. सैंकड़ों किलोमीटर से दूर से पाइप लाइन आएगी, हां बड़ा महंगा कारोबार है लेकिन एक बार अगर वह लग गया तो सालों साल तक यहां के जीवन को भी लाभ होगा और यहां के quality of life में भी बहुत बड़ा फायदा होगा, economy में भी फायदा होगा।

जैसा नीतीश जी ने कहा कि बिजली का पैसा तक माफ कर दिया है, fertilizer कारखाने का। उस समय हमारे सुशील जी आया करते थे कि साहब हमसे 300 करोड़ क्‍यों ले रहे हो। लेकिन फिर भी बिहार ने तकलीफ झेल करके भी इस काम को किया है। वित्‍त मंत्री थे हमारे सुशील जी, कठिनाई होने के बावजूद भी किया। यह करने के बावजूद भी 10 साल बीत गए साहब, fertilizer कारखाने की किसी को याद नहीं आई। क्‍या गुनाह है बिहार का? बिहार की जेब से पैसा निकाल करके यहां की सरकार ने तकलीफ होने के बावजूद भी दिया लेकिन उसको रोक दिया गया। हमने तय किया है कि यह बिहार का यह हक है। यह fertilizer का काम चालू होगा। यहां के किसानों को सस्‍ता fertilizer मिले, यह काम हम करेंगे। बिहार की जनता का या बिहार की सरकार का कोई दोष नहीं था। बिहार की सरकार आगे आई थी। लेकिन काम रोक दिया गया। लेकिन भाईयों बहनों मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि यह काम भी पूरा होगा और नौजवानों को रोजगार भी मिलेगा और किसान को fertilizer भी पहुंचेगा, इसका पूरा प्रबंध करके हम आगे बढ़ेंगे।

भाईयों बहनों, विकास की इस अवधारणा में हमने यह भी हमेशा निरंतर प्रयास किया है, cooperative federalism का। हमारा मत है कि राज्‍यों को अगर सहायता मिले, राज्‍यों को अगर अवसर मिले तो देश के आगे बढ़ने की ताकत बहुत बढ़ जाएगी। इसलिए 14th finance commission जो कि लागू हुआ है, उसके कारण बहुत बड़ा लाभ राज्‍यों को हो रहा है। एक राज्‍य को हो रहा है, एक को नहीं हो रहा है, ऐसा नहीं है। सभी राज्‍यों को हो रहा है। इसलिए कोई बिहार को कम मिला, अधिक मिला, किसी और राज्‍य को कम मिला, अधिक मिला, ऐसा नहीं है। क्‍योंकि हमारी योजना है। आज स्थिति ऐसी है.. एक जमाना था भारत का खजाना जो था, केंद्र का और राज्‍य का उसमें से 65-70% खजाना दिल्‍ली की सरकार की तिजौरी में रहता था। 38-35% सभी राज्‍यों की मिला करके तिजौरी में रहता था। हमने ऐसा एक महत्‍वपूर्ण फैसला किया है, कठिन काम लिया है सर पर। लेकिन जैसा नीतीश जी ने कहा कि मोदी जी आप पर हमारी आशा है, उसको पूरा करने के लिए हमने एक महत्‍वपूर्ण फैसला किया है। वो फैसला है vote in finance commission जिसके कारण आने वाले दिनों में बिहार को .. अगर पांच साल के finance commission का मैं देखूं तो बिहार को 2015 से 2020 के दरम्यिान finance commission के द्वारा करीब-करीब पौने चार लाख करोड़ के करीब रुपया मिलने वाले हैं। पौने चार लाख करोड़ के करीब रुपया मिलने वाले हैं, जो पहले सिर्फ बीते हुए समय में सिर्फ डेढ़ लाख करोड़ रुपया मिला था। डेढ़ लाख का पौने चार लाख करोड़ रुपया आने वाले दिनों में.. क्‍योंकि हम मानते हैं कि यह प्रदेश आगे बढ़ना चाहिए।

मेरा यह विश्‍वास है कि पूरब में जब तक प्रगति नहीं होती है, देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता। चाहे बिहार हो, चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे ओडि़शा हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, चाहे झारखंड हो असम हो, नागालैंड हो, मिजोरम हो, यह सारा हिंदुस्‍तान का पूर्वी भाग यह जब विकसित नहीं होता है, यह भारत माता हमारी समृध नहीं हो सकती है। इसलिए बिहार का विकास, यह हमारा प्राइम एजेंडा है। पूर्वी भारत का विकास, हमारा मकसद है, हमारा लक्ष्‍य है। उसको आगे बढ़ाने के लिए अनेक विध हम नई योजनाएं लाने वाले हैं, उसको पूरा करेंगे।

आने वाले कुछ दिनों में हमारे कुछ साथियों से मैंने कहा है कि आप जाइये, शिलान्‍यास कीजिए, उद्घाटन कीजिए, काम को आगे बढ़ाइये। जैसे मुजफ्फरपुर स्‍वर्ण-वर्ष नेशनल हाइवे, 77 किलोमीटर को double lane करने का काम पूर्ण हो चुका है। करीब छ: सौ करोड़ रुपया की लागत लगी है। पटना-गया-डोबी रोड के four laning का काम मंजूर हो गया है। करीब 1231 करोड़ रुपये की लागत है। पटना-कोयलावर-भोजपुर और भोजपुर-बक्‍सर रोड के भी four laning का काम मंजूर हो चुका है। लागत है करीब 2012 करोड़ रुपया। भागलपुर बाइपास का काम मंजूर हो गया है। लागत है करीब 230 करोड़ रुपया। शिवहरी-सीतामढ़ी-जयनगर-निरहिया रोड का भी सुधार मंजूर कर दिया गया है। लागत है करीब 701 करोड़ रुपया। फतवा-हरनोद-बारा रोड का काम भी मंजूर कर दिया है। लागत है करीब 590 करोड़ रुपया। यह सारे नेशनल हाइवे के प्रोजेक्‍ट जो इस सरकार ने already मंजूर कर दिये हैं, इन सबकी लागत होती है करीब-करीब पांच हजार करोड़ रुपया। क्‍योंकि मैं जानता हूं कि बिहार को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए इन चीजों का भरपूर उपयोग होना चाहिए। और हम इसको करना चाहते हैं।



आपको याद होगा पिछले लोकसभा के चुनाव में मैं यहां आया था। गांधी मैदान में बम धमाकों के बीच, मैं भाषण कर रहा था। उस समय मैंने कहा था कि केंद्र में हम सत्‍ता में आएंगे तो बिहार को विशेष पैकेज देंगे। उस समय मैंने घोषणा की थी.. चुनाव के पहले मैंने घोषणा की थी, मैंने कहा था कि 50 हजार करोड़ रुपयों का पैकेज बिहार को दिया जाएगा। भाईयों बहनों मैं जब दिल्‍ली में बैठा, बारीकी से चीजों को देखा तो मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि मेरे दिल दिमाग में बिहार की जो कल्‍पना है, बिहार को अगर मुझे उस ऊंचाई पर ले जाने में बिहार को साथ लेकर के चलना है तो 50 हजार करोड़ से बात बनने वाली नहीं है। उसे और अधिक करने की आवश्‍यकता है। मैं आज उसकी घोषणा नहीं करूंगा, मैं सही समय पर आ करके उसकी घोषणा करूंगा, लेकिन मैं इतना कहता हूं कि मैंने जो वादा किया उसको तो निभाऊंगा, उससे भी आगे मामला ले जाऊंगा, यह आपको मैं वादा करने आया हूं। ताकि बिहार को विकास की यात्रा में कोई रूकावट नहीं आनी चाहिए और विकास की यात्रा तेज गति से आगे बढ़नी चाहिए।

इसी एक अपेक्षा के साथ, मुझे विश्‍वास है कि आज जिन योजनाओं का आरंभ हुआ है, जिन कार्यक्रमों की शुरूआत हो गई है, और भी हमारे मंत्रिगण के लोग आने वाले हैं, वो इस बात को आगे बढ़ाएंगे। आज यहां पर देशभर के कृषि वैज्ञानिकों को मैंने बुलाया है, पटना की धरती पर। अब इस कार्यक्रम के बाद उनके साथ बैठने वाला हूं, क्‍योंकि मैं मानता हूं कि हिंदुस्‍तान की second green revolution की संभावना अगर कहीं है, तो हिंदुस्‍तान के पूर्वी इलाके में हैं। बिहार में है, बंगाल में है, असम में है, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में है। second green revolution की संभावना इस इलाके में है। इसलिए मैंने देशभर के कृषि वैज्ञानिकों को आज पटना की धरती पर बुलाया है। वो यहां बैठ करके विचार-विमर्श करने वाले हैं। आने वाले दिनों में यहां के कृषि क्षेत्र को एक नई ताकत देने की दिशा में प्रयास करने वाले हैं।

मैं फिर एक बार बिहार सरकार का, बिहार की जनता-जर्नादन का, यहां के मुख्‍यमंत्री जी का स्‍वागत सम्‍मान के लिए हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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जय जिनेन्द्र,

मन शांत है, मन स्थिर है, सिर्फ शांति, एक अद्भुत अनुभूति है, शब्दों से परे, सोच से भी परे, नवकार महामंत्र अब भी मन मस्तिष्क में गूंज रहा है। नमो अरिहंताणं॥ नमो सिद्धाणं॥ नमो आयरियाणं॥ नमो उवज्झायाणं॥ नमो लोए सव्वसाहूणं॥ एक स्वर, एक प्रवाह, एक ऊर्जा, न कोई उतार, न कोई चढ़ाव, बस स्थिरता, बस समभाव। एक ऐसी चेतना, एक जैसी लय, एक जैसा प्रकाश भीतर ही भीतर। मैं नवकार महामंत्र की इस अध्यात्मिक शक्ति को अब भी अपने भीतर अनुभव कर रहा हूं। कुछ वर्ष पूर्व मैं बैंगलुरू में एैसे ही एक सामूहिक मंत्रोच्चार का साक्षी बना था, आज वही अनुभूति हूई और उतनी ही गहराई में। इस बार देश विदेश में एक साथ, एक ही चेतना से जुड़े लाखों करोड़ों पुण्य आत्माएं, एक साथ बोले गए शब्द, एक साथ जागी ऊर्जा, ये वाकई अभुतपूर्व है।

श्रावक-श्राविकाएं, भाईयों – बहनों,

इस शरीर का जन्म गुजरात में हुआ। जहां हर गली में जैन धर्म का प्रभाव दिखता है और बचपन से ही मुझे जैन आचार्यों का सानिध्य मिला।

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साथियों,

नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं है, ये हमारी आस्था का केंद्र है। हमारे जीवन का मूल स्वर और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक सबको राह दिखाता है। जन से जग तक की यात्रा है। इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, प्रत्येक अक्षर भी अपने आपमे एक मंत्र है। जब हम नवकार महामंत्र बोलते हैं, हम नमन करते हैं पंच परमेष्ठी को। कौन है पंच परमेष्ठी ? अरिहंत-जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया, जो भव्य जीवों को बोध कराते हैं, जिनके 12 दिव्य गुण हैं। सिद्ध-जिन्होंने 8 कर्मों का क्षय किया, मोक्ष को प्राप्त किया, 8 शुद्ध गुण जिनके पास हैं। आचार्य- जो महावृत का पालन करते हैं, जो पथ प्रदर्शक हैं, 36 गुणों से युक्त उनका व्यक्तित्व है। उपाध्याय – जो मोक्ष मार्ग के ज्ञान को शिक्षा मे ढालते हैं, जो 25 गुणों से भरे हुए हैं। साधु – जो तप की अग्नि में खुद को कसते हैं। जो मोक्ष की प्राप्ति को, उस दिशा में बढ़ रहे हैं, इनमें भी हैं 27 महान गुण।

साथियों,

जब हम नवकार महामंत्र बोलते हैं, हम नमन करते हैं 108 दिव्य गुणों का, हम स्मरण करते हैं मानवता का हित, ये मंत्र हमें याद दिलाता है – ज्ञान और कर्म ही जीवन की दिशा है, गुरू ही प्रकाश है और मार्ग वही है जो भीतर से निकलता है। नवकार महामंत्र कहता है, स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो, दुशमन बाहर नहीं है, दुशमन भीतर है। नकारात्मक सोच, अविश्वास, वैमन्सय, स्वार्थ, यही वे शत्रु हैं, जिन्हें जीतना ही असली विजय है। और यही कारण है, कि जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया नहीं, खुद को जीतने की प्रेरणा देता है। जब हम खुद को जीतते हैं, हम अरिहंत बनते हैं। और इसलिए, नवकार महामंत्र मांग नहीं है, ये मार्ग है। एक ऐसा मार्ग जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है। जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है।

साथियों,

नवकार महामंत्र सही माइने में मानव ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि का मंत्र है। इस मंत्र का एक वैश्विक परिपेक्ष्य है। यह शाश्वत महामंत्र, भारत की अन्य श्रुति–स्मृति परम्पराओं की तरह, पहले सदियों तक मौखिक रूप से, फिर शिलालेखों के माध्यम से और आखिर में प्राकृत पांडुलिपियों के द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा और आज भी ये हमें निरंतर राह दिखाता है। नवकार महामंत्र पंच परमेष्ठी की वंदना के साथ ही सम्यक ज्ञान है। सम्यक दर्शन है। सम्यक चरित्र है और सबसे ऊपर मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग है।

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हम जानते है जीवन के 9 तत्व हैं। जीवन को ये 9 तत्व पूर्णता की ओर ले जाते हैं। इसलिए, हमारी संस्कृति में 9 का विशेष महत्व है। जैन धर्म में नवकार महामंत्र, नौ तत्व, नौ पुण्य और अन्य परंपराओं में, नौ निधि, नवद्वार, नवग्रह, नवदुर्गा, नवधा भक्ति नौ, हर जगह है। हर संस्कृति में, हर साधना में। जप भी 9 बार या 27, 54, 108 बार, यानि 9 के multiples में ही। क्यों? क्योंकि 9 पूर्णता का प्रतीक है। 9 के बाद सब रिपीट होता है। 9 को किसी से भी गुणा करो, उत्तर का मूल फिर 9 ही होता है। ये सिर्फ math नहीं है, गणित नहीं है। ये दर्शन है। जब हम पूर्णता को पा लेते हैं, तो फिर उसके बाद हमारा मन, हमारा मस्तिष्क स्थिरता के साथ उर्ध्वगामी हो जाता है। नई चीज़ों की इच्छा नहीं रह जाती। प्रगति के बाद भी, हम अपने मूल से दूर नहीं जाते और यही नवकार का महामंत्र का सार है।

साथियों,

नवकार महामंत्र का ये दर्शन विकसित भारत के विज़न से जुड़ता है। मैंने लालकिले से कहा है- विकसित भारत यानि विकास भी, विरासत भी! एक ऐसा भारत जो रुकेगा नहीं, ऐसा भारत जो थमेगा नहीं। जो ऊंचाई छूएगा, लेकिन अपनी जड़ों से नहीं कटेगा। विकसित भारत अपनी संस्कृति पर गर्व करेगा। इसीलिए,हम अपने तीर्थंकरों की शिक्षाओं को सहेजते हैं। जब भगवान महावीर के दो हजार पांच सौ पचासवें निर्वाण महोत्सव का समय आया, तो हमने देश भर में उसे मनाया। आज जब प्राचीन मूर्तियां विदेश से वापस आती हैं, तो उसमें हमारे तीर्थंकर की प्रतिमाएं भी लौटती हैं। आपको जानकर गर्व होगा, बीते वर्षों में 20 से ज्यादा तीर्थंकरों की मूर्तियाँ विदेश से वापस आई हैं, ये कभी न कभी चोरी की गई थी।

साथियों,

भारत की पहचान बनाने में जैन धर्म की भूमिका अमूल्य रही है। हम इसे सहेजने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं नहीं जानता हूं, आपमे से कितने लोग नया संसद भवन देखने गए होंगे। और गए भी होंगे तो ध्यान से देखा होगा, कि नहीं देखा होगा। आपने देखा, नई संसद बनी लोकतंत्र का मंदिर। वहाँ भी जैन धर्म का प्रभाव साफ दिखता है। जैसे ही आप शार्दूल द्वार से प्रवेश करते हैं। स्थापत्य गैलरी में सम्मेद शिखर दिखता है। लोकसभा के प्रवेश पर तीर्थंकर की मूर्ति है, ये मूर्ति ऑस्ट्रेलिया से लौटी है। संविधान गैलरी की छत पर भगवान महावीर की अद्भुत पेंटिंग है। साउथ बिल्डिंग की दीवार पर सभी 24 तीर्थंकर एक साथ हैं। कुछ लोगों में जान आने में समय लगता है, बड़े इंतजार के बाद आता है, लेकिन मजबूती से आता है। ये दर्शन हमारे लोकतंत्र को दिशा दिखाते हैं, सम्यक मार्ग दिखाते हैं। जैन धर्म की परिभाषाएं बड़े ही सारगर्भित सूत्रों में प्राचीन आगम ग्रंथों में निबद्ध की गर्ई हैं। जैसे- वत्थु सहावो धम्मो, चारित्तम् खलु धम्मो, जीवाण रक्खणं धम्मो, इन्हीं संस्कारों पर चलते हुए हमारी सरकार, सबका साथ-सबका विकास के मंत्र पर आगे बढ़ रही है।

साथियों,

जैन धर्म का साहित्य भारत के बौद्धिक वैभव की रीढ़ है। इस ज्ञान को संजोना हमारा कर्तव्य है। और इसीलिए हमने प्राकृत और पाली को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया। अब जैन साहित्य पर और रिसर्च करना संभव होगा।

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और साथियों,

भाषा बचेगी तो ज्ञान बचेगा। भाषा बढ़ेगी तो ज्ञान का विस्तार होगा। आप जानते हैं, हमारे देश में सैकड़ों साल पुरानी जैन पांडुलिपियाँ मैन्यूस्क्रिप्ट्स हैं। हर पन्ना इतिहास का दर्पण है। ज्ञान का सागर है। "समया धम्म मुदाहरे मुणी" - समता में ही धर्म है। "जो सयं जह वेसिज्जा तेणो भवइ बंद्गो"- जो ज्ञान का गलत इस्तेमाल करता है, वो नष्ट हो जाता है। "कामो कसायो खवे जो, सो मुणी – पावकम्म-जओ।" "जो काम और कषायों को जीत लेता है, वही सच्चा मुनि है।"

लेकिन साथियों,

दुर्भाग्य से अनेक अहम ग्रंथ धीरे-धीरे लुप्त हो रहे थे। इसलिए हम ज्ञान भारतम मिशन शुरू करने जा रहे हैं। इस वर्ष बजट में इसकी घोषणा की गई है। देश में करोड़ों पांडुलिपियों का सर्वे कराने की तैयारी इसमे हो रही है। प्राचीन धरोहरों को डिजिटल करके हम प्राचीनता को आधुनिकता से जोड़ेंगे। ये बजट में बहुत महत्वपूर्ण घोषणा थी और आप लोगों को तो ज्यादा गर्व होना चाहिए। लेकिन, आपका ध्यान पूरा 12 लाख रुपया इन्कम टैक्स मुक्ति इस पर गया होगा। अकलमंद को इशारा काफी है।

साथियों,

ये जो मिशन हमने शुरू किया है, ये अपने आपमे एक अमृत संकल्प है! नया भारत AI से संभावनाएँ खोजेगा और आध्यात्म से दुनिया को राह दिखाएगा।

साथियों,

जितना मैंने जैन धर्म को जाना है, समझा है, जैन धर्म बहुत ही साइंटिफिक है, उतना ही संवेदनशील भी है। विश्व आज जिन परिस्थितियों से जूझ रहा है। जैसे युद्ध, आतंकवाद या पर्यावरण की समस्याएं हों, ऐसी चुनौतियों का हल जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में समाहित है। जैन परम्परा के प्रतीक चिन्ह में लिखा है -"परस्परोग्रहो जीवानाम" अर्थात जगत के सभी जीव एक दूसरे पर आधारित हैं। इसलिए जैन परम्परा सूक्ष्मतम हिंसा को भी वर्जित करती है। पर्यावरण संरक्षण, परस्पर सद्भाव और शांति का यह सर्वोत्तम संदेश है। हम सभी जैन धर्म के 5 प्रमुख सिद्धांतों के बारे में भी जानते हैं। लेकिन एक और प्रमुख सिद्धांत है- अनेकांतवाद। अनेकांतवाद का दर्शन, आज के युग में और भी प्रासंगिक हो गया है। जब हम अनेकांतवाद पर विश्वास करते हैं, तो युद्ध और संघर्ष की स्थिति ही नहीं बनती। तब लोग दूसरों की भावनाएं भी समझते हैं और उनका perspective भी समझते हैं। मैं समझता हूं आज पूरे विश्व को अनेकांतवाद के दर्शन को समझने की सबसे ज्यादा जरूरत है।

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साथियों,

आज भारत पर दुनिया का विश्वास और भी गहरा हो रहा है। हमारे प्रयास, हमारे परिणाम, अपने आपमे अब प्रेरणा बन रहे हैं। वैश्विक संस्थाएं भारत की ओर देख रही हैं। क्यों? क्योंकि भारत आगे बढ़ा है। और जब हम आगे बढ़ते हैं, ये भारत की विशेषता है, जब भारत आगे बढ़ता है, तो दूसरों के लिए रास्ते खुलते हैं। यही तो जैन धर्म की भावना है। मैं फिर कहूंगा, परस्परोपग्रह जीवानाम्! जीवन आपसी सहयोग से ही चलता है। इसी सोच के कारण भारत से दुनिया की अपेक्षाएँ भी बढ़ी हैं। और हम भी अपने प्रयास तेज कर चुके हैं। आज सबसे बड़ा संकट है, अनेक संकटों में से एक संकट की चर्चा ज्यादा है - क्लाइमेट चेंज। इसका हल क्या है? Sustainable लाइफस्टाइल। इसीलिए भारत ने शुरू किया मिशन लाइफ। Mission Life का अर्थ है Life Style for Environment’ LIFE. और जैन समाज तो सदियों से यही जीता आया है। सादगी, संयम और Sustainability आपके जीवन के मूल हैं। जैन धर्म में कहा गया है- अपरिग्रह, अब समय हैइन्हें जन-जन तक पहुँचाने का। मेरा आग्रह है, आप जहां हों, दुनिया के किसी भी कोने में हो, जिस भी देश में हो, जरूर मिशन लाइफ के ध्वजावाहक बनें।

साथियों,

आज की दुनिया Information की दुनिया है। Knowledge का भंडार नजर आने लगा है। लेकिन, न विज्जा विण्णाणं करोति किंचि! विवेक के बिना ज्ञान बस भारीपन है, गहराई नहीं। जैन धर्म हमें सिखाता है - Knowledge और Wisdom से ही Right Path मिलता है। हमारे युवाओं के लिए ये संतुलन सबसे ज़रूरी है। हमें, जहाँ tech हो, वहाँ touch भी हो। जहाँ skill हो, वहाँ soul भी तो हो, आत्मा भी तो हो। नवकार महामंत्र, इस Wisdom का स्रोत बन सकता है। नई पीढ़ी के लिए ये मंत्र केवल जप नहीं, एक दिशा है।

साथियों,

आज जब इतनी बड़ी संख्या में, विश्वभर में एक साथ नवकार महामंत्र का जाप किया है, तो मैं चाहता हूं- आज हम सब, जहां भी बैठे हों, इस कमरे में ही सिर्फ नहीं। से 9 संकल्प लेकर जाएं। ताली नहीं बजेगी, क्योंकि आपको लगेगा कि मुसीबत आ रही है। पहला संकल्प- पानी बचाने का संकल्प। आपमें से बहुत सारे साथी महुड़ी यात्रा करने गए होंगे। वहां बुद्धिसागर जी महाराज ने 100 साल पहले एक बात कही थी, वो वहां लिखी हुई है। बुद्धिसागर महाराज जी ने कहा था - "पानी किराने की दुकान में बिकेगा..." 100 साल पहले कहा। आज हम उस भविष्य को जी रहे हैं। हम किराने की दुकान से पानी पीने के लिए लेते हैं। हमें अब एक-एक बूँद की कीमत समझनी है। एक-एक बूँद उसे बचाना, ये हमारा कर्तव्य है।

दूसरा संकल्प- एक पेड़ माँ के नाम। पिछले कुछ महीनों में देश में 100 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगे हैं। अब हर इंसान अपनी मां के नाम एक पेड़ लगाएं, माँ के आशीर्वाद जैसा उसे सींचे। मैंने एक प्रयोग किया था, जब गुजरात की धरती पर आपने मुझे सेवा का मौका दिया था। तो तारंगा जी में मैंने तीर्थंकर वन बनाया था। तारंगा जी वीरान सी अवस्था है, यात्री आते तो बैठने की जगह मिल जाए और मेरा मन था, कि इस तीर्थंकर वन में हमारे 24 तीर्थंकर जिस वृक्ष के नीचे बैठे थे, उसको मैं ढूंढ कर लगाऊंगा। मेरे प्रयासों में कोई कमी नहीं थी, लेकिन दुर्भाग्य से मैं सिर्फ 16 वृक्ष इकट्ठे कर पाया था, आठ वृक्ष मुझे नहीं मिले। जिन तीर्थंकरों ने जिस वृक्ष के नीचे साधना की हो और वो वृक्ष विलुप्त हो जाएं, क्या हमें दिल में कसक होती है क्या? आप भी तय करें, हर तीर्थंकर जिस वृक्ष के नीचे बैठे थे, वो वृक्ष मैं बोऊंगा और मेरी मां के नाम वो पेड़ बोऊंगा।

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तीसरा संकल्प- स्वच्छता का मिशन। स्वच्छता में भी शूक्ष्म अहिंसा है, हिंसा से मुक्ति है। हमारी हर गली, हर मोहल्ला, हर शहर स्वच्छ होना चाहिए, हर व्यक्ति को उसमें योगदान करना चाहिए, नहीं करोगे? चौथा संकल्प- वोकल फॉर लोकल। एक काम करिए, खास करके मेरे युवा, नौजवान, दोस्त, बेटियां, अपने घर में सुबह उठने से लेकर के रात को सोने तक जो चीजें उपयोग करते होंगे ब्रश, कंघी, जो भी, जरा लिस्ट बनाइए कितनी चीजें विदेशी हैं। आप स्वयं चौंक जाएंगे, कि कैसी-कैसी चीजें आपकी जिंदगी में घुस गई है और फिर तय करिए, कि इस वीक में तीन कम करूंगा, अगले वीक में पांच कम करूंगा और फिर धीरे-धीरे हर दिन नौ कम करूंगा और एक-एक कम करता जाऊंगा, एक एक नवकार मंत्र बोलता जाऊंगा।

साथियों,

जब मैं वोकल फॉर लोकल कहता हूं। जो सामान बना है भारत में, जो बिके भारत में भी और दुनिया भर में। हमें Local को Global बनाना है। जिस सामान को बनाने में किसी भारतीय के पसीने की खुशबू हो, जिस सामान में भारत की मिट्टी की महक हो, हमें उसे खरीदना है और दूसरों को भी प्रेरित करना है।

पांचवा संकल्प- देश दर्शन। आप दुनिया घूमिए, लेकिन, पहले भारत जानें, अपना भारत जानें। हमारा हर राज्य, हर संस्कृति, हर कोना, हर परंपरा अद्भुत है, अनमोल है, इसे देखना चाहिए और हम नहीं देखेंगे और कहेंगे कि दुनिया देखने के लिए आए तो क्यों आएगी भई। अब घर में अपने बच्चों को महात्मय नहीं देंगे, तो मोहल्ले में कौन देगा।

छठा संकल्प- नैचुरल फार्मिंग को अपनाना। जैन धर्म में कहा गया है- जीवो जीवस्स नो हन्ता - "एक जीव को दूसरे जीव का संहारक नहीं बनना चाहिए।" हमें धरती माँ को केमिकल्स से मुक्त करना है। किसानों के साथ खड़ा होना है। प्राकृतिक खेती के मंत्र को गांव-गांव लेकर जाना है।

सातवां संकल्प- हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना। खानपान में भारतीय परंपरा की वापसी होनी चाहिए। मिलेट्स श्रीअन्न ज्यादा से ज्यादा थालियों में हो। और खाने में तेल 10 परसेंट कम हो ताकि मोटापा दूर रहे! और आपको तो हिसाब-किताब आता है, पैसा बचेगा काम को और कम का।

साथियों,

जैन परंपरा कहती है – ‘तपेणं तणु मंसं होइ।’ तप और संयम से शरीर स्वस्थ और मन शांत होता है। और इसका एक बड़ा माध्यम है- योग और खेल कूद। इसलिए आठवां संकल्प है- योग और खेल को जीवन में लाना। घर हो या दफ्तर, स्कूल हो या पार्क, हमें खेलना और योग करना जीवन का हिस्सा बनाना है। नवां संकल्प है- गरीबों की सहायता का संकल्प। किसी का हाथ थामना,किसी की थाली भरना यही असली सेवा है।

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साथियों,

इन नव संकल्पों से हमें नई ऊर्जा मिलेगी, ये मेरी गारंटी है। हमारी नई पीढ़ी को नई दिशा मिलेगी। और हमारे समाज में शांति, सद्भाव और करुणा बढ़ेगी। और एक बात मैं जरूर कहूंगा, इन नव संकल्पों में से एक भी मैंने मेरे भले के लिए किया है, तो मत करना। मेरी पार्टी की भलाई के लिए किया हो, तो भी मत करना। अब तो आपको कोई बंधन नहीं होना चाहिए। और सारे महाराज साहब भी मुझे सुन रहे हैं, मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि मेरी ये बात आपके मुहं से निकलेगी तो ताकत बढ़ जाएगी।

साथियों,

हमारे रत्नत्रय, दशलक्षण, सोलह कारण, पर्युषण आदि महापर्व आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वही विश्व नवकार महामंत्र, ये दिवस विश्व में निरंतर सुख, शांति और समृद्धि बढ़ाएगा, मेरा हमारे आचार्यों भगवंतों पर पूरा भरोसा है और इसलिए आप पर भी भरोसा है। आज मुझे खुशी है, जो खुशी मैं व्यक्त करना चाहता हूं, क्योंकि मैं इन बातों से पहले भी जुड़ा हुआ हूं। मेरी बहुत खुशी है, कि चारों फिरके इस आयोजन में एक साथ जुटे हैं। यह स्टैंडिंग ओवेशन मोदी के लिए नहीं है, ये उन चारों फिरकों के सभी महापुरुषों के चरणों में समर्पित करता हूं। ये आयोजन, ये आयोजन हमारी प्रेरणा, हमारी एकता, हमारी एकजुटता और एकता का सामर्थ्य की अनुभूति और एकता की पहचान बना है। हमें देश में एकता का संदेश इसी तरह लेकर जाना है। जो कोई भी भारत माता की जय बोलता है, उसको हमें जोड़ना है। ये विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा है, उसकी नींव को मजबूत करने वाला है।

साथियों,

आज हम सौभाग्यशाली हैं, कि देश में अनेक स्थानों पर हमें गुरू भगवंतों का भी आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। मैं इस ग्लोबल इवेंट के आयोजन के लिए समस्त जैन परिवार को नमन करता हूं। आज पूरे देश में, विदेश में जो हमारे आचार्य भगवंत, मारा साहेब, मुनि महाराज, श्रावक-श्राविका जुटे हैं, मैं उन्हें भी श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूं। और मैं विशेष रूप से JITO को भी इस आयोजन के लिए बधाई देता हूं। नवकार मंत्र के लिए जितनी ताली बजी, उससे ज्यादा JITO के लिए बज रही है। जीतो Apex के चेयरमैन पृथ्वीराज कोठारी जी, प्रेसीडेंट विजय भंडारी जी, गुजरात के गृहमंत्री हर्ष सांघवी जी, जीतो के अन्य पदाधिकारी और देश-दुनिया के कोने-कोने से जुड़े महानुभाव, आप सभी को इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए ढेरों शुभकामनाएं। धन्यवाद।

जय जिनेन्द्र।

जय जिनेन्द्र।

जय जिनेन्द्र।