Shri Saibaba's teachings inspire us to build a strong unified society: PM Modi

Published By : Admin | October 19, 2018 | 12:49 IST
PM Modi hands over keys to mark the Grihapravesh of Prime Minister Awas Yojana- Grameen (PMAY-G) beneficiaries in Maharashtra
Being amongst people during the auspicious occasion of Dussehra gives me energy and renewed vigour to work for the betterment of the country: PM Modi
Shri Saibaba's teachings gives usthe mantra to build a strong unified society and toserve humanity with love: PM Modi
People getting their own homes is a big step towards the fight against poverty: PM Modi
In the last four years, our Government has built over 1.25 crore houses: PM Modi
PM Modi appreciates people of Maharashtra for making the state Open Defecation Free
Under Ayushman Bharat (PMJAY), modern medical infrastructure is getting readied: PM Modi
PM Modi underlines the efforts taken by the Government to deal with drought faced by Maharashtra

मंच पर विराजमान महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल श्रीमान विद्यासागर राव जी, महाराष्‍ट्र मुख्‍यमंत्री श्री देवेंद्र जी, विधानसभा के स्‍पीकर हरिबाबू जी, मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी श्री सुभाष धामरे जी, साईबाबा संस्‍थान ट्रस्‍ट के चेयरमैन श्रीमान सुरेश हावरे जी, महाराष्‍ट्र के तमाम मंत्रीगण, सांसद के मेरे साथी, महाराष्‍ट्र के विधायकगण और यहां विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों आप सभी को पूरे महाराष्‍ट्र को, पूरे भारत वर्ष को, देश के जन-जन को दशहरे की विजयादशमी की बहुत-बहुत बधाई।

हम सभी का ये प्रयास रहता है। कि हर वर्ष पर्व को अपनों के साथ मनाएं। मेरी भी ये कोशिश रहती है कि हर त्‍यौहार देशवासियों के बीच जाकर के मनाऊं। इसी भावना के साथ आज आप सभी के बीच उपस्थित होने का मुझे सौभाग्‍य मिला है। जिस प्रकार आप सभी दशहरे के पावन अवसर पर भारी संख्‍या में यहां मुझे आशीर्वाद देने आए हैं। और मैं देख रहा हूं कहीं जगह ही नहीं बची, आधे लोग तो धूप में खड़े हैं। मैं आप सबका और आपका यही अपनत्‍व, यही मेरी सामर्थ्‍य है कि आपके इस प्‍यार के लिए, आपका ये प्‍यार निरंतर नई ऊर्जा का संचार करता है। मुझे शक्ति देता है।

साथियों, दशहरे के साथ-साथ हम आज शिरडी की इस पावन भूमि पर एक और पवित्र अवसर के साक्षी बन रहे हैं। साईंबाबा की समाधि के शताब्‍दी समारोह को भी आज संपन्‍न होने का, पूर्ण होने का, समापन का ये अवसर था। थोड़ी देर पहले ही मुझे साईंबाबा के दर्शन में, उनके आर्शीवाद प्राप्‍त करने का अवसर मिला। मैं जब भी पूज्‍य साईंबाबा का दर्शन करता हूं, उनका स्‍मरण करता हूं तो करोड़ों श्रद्धालुओं की तरह जैसे आप लोगों के दिल में भावना जगती है वैसी ही जनसेवा की भावना, और जनसेवा के लिए खुद को समर्पित करने का एक नया उत्‍साह इस भूमि पर से मिलता है।

भाईयो और बहनों शिरडी के कण-कण में साईं के मंत्र उनकी सीख है। जनसेवा, त्‍याग और तपस्‍या की जब बात आती है तो शिरडी का उदाहरण हर कोई प्रस्‍तुत करता है। ये हमारा शिरडी तात्‍या पाटिल जी की नगरी है, ये दादा कोते पाटिल जी की नगरी है। ये माधवराव देशपांडे, माल्‍सापति जैसे महापुरुष इसी धरती ने दिए हैं। काशीराम शिपि और अप्‍पा जागले साईंबाबा के अंतिम समय तक सेवा करते रहे। कोंडा जी, गवा जी और तुका राम को कौन भूल सकता है। इस पावन धरा के महान सपूतों को मैं नमन करता हूं।   

भाईयो और बहनों साईं का मंत्र है सबका मालिक एक है। सार्इं के चार शब्‍द जैसे समाज को एक करने का सूत्र वाक्‍य बन गए हैं। साईं समाज के थे और समाज साईं का था। साईं ने समाज की सेवा के कुछ रास्‍ते बताए थे और मुझे प्रसन्‍नता है कि साईंबाबा के दिखाए रास्‍ते पर श्री साईंबाबा संस्‍थान, ट्रस्‍ट निरंतर समाज की सेवा कर रहा है।

शिक्षा के माध्‍यम से समाज को सशक्‍त करना हो अध्‍यात्‍म के जरिए सोच में परिवर्तन करना हो। समाज में समरसता और सहभाव का संचार करना हो इसके लिए आपका प्रयास बहुत ही वंदनीय है।

आज भी इस धरती पर आस्‍था, अध्‍यात्‍म और विकास से जुड़े अनेक प्रोजेक्‍ट की शुरुआत हुई है। और मैं महाराष्‍ट्र सरकार को बधाई देता हूं। कि गरीबों के कल्‍याण की इतनी बड़ी योजना के लिए इससे बढ़कर के कोई जगह नहीं हो सकती। साईं के चरणों में बैठकर के गरीबों के लिए काम करना इससे बड़ी धन्‍यता क्‍या हो सकती है। और इसलिए महाराष्‍ट्र सरकार बधाई के पात्र हैं। दर्शनार्थियों के लिए बनने वाले नए परिसर के भूमिपूजन के मौके पर मौजूद होने पर मुझे प्रसन्‍नता हो रही है। आज ही के दिन साईंबाबा इंगलिश मीडियम स्‍कूल कन्‍या विद्यालय और कॉलेज की नींव रखी जा रही है। मुझे पूरा विश्‍वास है कि साईं के जीवन और दर्शन को लेकर शुरु होने वाले साईं नॉलेज पार्क से लोगों को साईं की सीख समझने में और आसानी होगी।

साथियों आज यहां दस मेगावॉट की एक सोलर यूनिट का भी काम शुरु हुआ है। इससे संस्‍थान के संसाधन बढ़ेंगे। और clean एनर्जी में संस्‍थान की बहुत भागीदारी होगी। एक प्रकार से साईं ट्रस्‍ट की तरफ से करोड़ो श्रद्धालुओं के लिए इस दशहरा को विजयादशमी का एक बहुत बड़ा तोहफा है।

साथियो, नवरात्र से लेकर दीपावली तक साल का ये वो समय होता है जब देशवासी घर, गाडी, गहनें जैसे अनेक सामान की खरीद करते हैं। जिसका जितना सामर्थ्‍य होता है वो उस हिसाब से पैसे बचाता है और अपने परिवार को उपहार देता है। मुझे खुशी है कि दशहरे के इस पावन अवसर पर मुझे महाराष्‍ट्र के ढाई लाख भाईयो और बहनों को अपना घर सौंपने का अवसर मिला है।

मेरे वो भाई-बहन जिनके लिए खुद का घर हमेशा ही सपना रहा है। अपने इस विशाल परिवार के सदस्‍यों को एक साथ गृह प्रवास कराने से इससे बड़ी अपने गरीब भाईयो और बहनों की सेवा मैं समझता हूं, दशहरे की पूजा भला मेरे लिए इस सेवा से बड़ी क्‍या हो सकती है। आप सभी जनों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने इस नये घरों की, आपके जीवन में आए इस शुभ अवसर की, आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। ये नए घर आपके अपने सपनों के प्रतीक तो है ही। आपकी आकांक्षाओं को नया आयाम देने वाले भी हैं। अब आपका जीवन, आपके बच्‍चों का जीवन सार्थक बदलाव के पथ पर आगे बढ़ चुका है। ये गरीबी पर जीत की तरफ का एक बहुत बड़ा पहला अहम कदम है।

साथियों, अपना घर जीवन को आसान बना देता है। और गरीबी से लड़ने का नया उत्‍साह पैदा करता है। एक सम्‍मान का भाव पैदा होता है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए हमने सोचा है कि 2022, भारत की आजादी के 75 साल होंगे। देश के हर बेघर गरीब परिवार को उसका खुद का घर देने का लक्ष्‍य रखकर के हम काम कर रहे हैं।

मुझे खुशी है कि करीब-करीब आधा रास्‍ता हम इतने कम समय में पार कर चुके हैं। भाईयो और बहनों गरीब हो या मध्‍यम वर्ग का परिवार बीते चार वर्षों में उसे झुग्‍गी से, किराए के मकान से निकाल कर अपना घर देने की तरफ सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं। कोशिशें पहले भी हूईं है लेकिन दुर्भाग्‍य से उनका लक्ष्‍य गरीबों को घर देकर गरीबों को सशक्‍त करने की बजाय एक विशेष परिवार के नाम का प्रचार करना यही उनका मकसद था। वोट बैंक तैयार करना यही उनका मकसद था। घर अच्‍छा हो, उसमें शौचालय हो, बिजली हो, पानी हो, गैस का कनेक्‍शन हो। इस पर पहले कभी सोचा ही नहीं गया। जब किसी योजना के मूल में राजनीतिक स्‍वार्थ वो केंद्र में नहीं होता है। राजनीतिक स्‍वार्थ के बजाय सिर्फ और सिर्फ गरीब का कल्‍याण होता है तो उसके जीवन को आसान बनाने की प्रेरणा मिलती है। तब काम की गति कैसे बढ़ती है। ये आज देश के सामने जीता-जागता उदाहरण है।

साथियों, पहले जो सरकार थी, उस पिछली सरकार ने अपने आखिरी चार साल के वर्षों में पूरे देश में सिर्फ 25 लाख घर बनाए थे। चार साल में 25 लाख......, कितने ..... जरा बोलिए न क्‍या हुआ.....  चार साल में कितने घर बनाए थे? चार साल में कितने घर बनाए थे? 25 लाख, जबकि बीते चार वर्षों में हमारी सरकार बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्‍व वाली सरकार के केंद्र में आने के बाद 1 करोड़ 25 लाख घर बनाए हैं। उनके चार साल के 25 लाख और हमारे चार साल के 1 करोड़़ 25 लाख।

अगर वही सरकार होती तो इतने घर बनाने के लिए 20 साल लग जाते...20 साल और आपको भी 20 साल तक इस घर के लिए इंतजार करना पड़ता। तेज गति से काम करने वाली सरकार गरीबों को तेज गति से कैसे काम देती है इसका ये उदाहरण है। और आप देखिए सब कुछ तो वही है। वहीं साधन, वही संसाधन, वही लोग लेकिन साफ नीयत से, गरीब की सेवा के भाव से जब काम होता है तो ऐसे ही तेज गति से नतीजे भी मिलते हैं।

भाईयो और बहनों पहले की सरकार ने एक मकान बनाने में करीब-करीब 18 महीने लगते थे, डेढ़ साल लगता था इस सरकार में एक साल के अंदर-अंदर 12 महीने से भी कम समय में घर तैयार हो जाता है। समय तो कम हुआ ही है हमनें घर का आकार भी बढ़ाया है। इसके साथ-साथ घर बनाने के लिए सरकारी मदद को भी 70 हजार रुपये से बढ़ाकर के 1 लाख 20 हजार रुपये कर दिया गया है। सबसे अहम बात ये कि पैसे सीधे बैंक खाते में जमा हो रहे हैं। और लाभार्थियों का चयन वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीके से हो रहा है। इतना ही नहीं ये घर टिकाऊ हो, उनमें शौचालय समेत सारी मूलभूत सुविधाएं हों। इसका भी विशेष ध्‍यान रखा जा रहा है।

मैं एक बार फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आज अपना घर प्राप्‍त करने वाले लोगों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मुझे जब आज कुछ परिवारों से अलग-अलग जिलों में बात करने का मौका मिला। उन बहनों का आत्‍मविश्‍वास इनके चेहरे की खुशी मुझे कितना आनंद देती थी आप कल्‍पना नहीं कर सकते। जब मेरा कोई गरीब परिवार उसके चेहरे पर खुशी दिखाई देती है तो जीवन काम करने का जैसे धन्‍य हो जाता है। नया काम करने की ऊर्जा मिल जाती है। आज इन सभी बहनों ने जो आर्शीवाद दिए मैं फिर एक बार उस संकल्‍प को दोहराता हूं कि आपकी सेवा के लिए हम पल-पल अपना जीवन आपके लिए खपाते रहेंगे।

भाईयो और बहनों देश के हर घर को शौचालय की सुविधा से जोड़ने का अभियान अब अंतिम पड़ाव पर है। महाराष्‍ट्र ने तो इस मामले में प्रशंसनीय कार्य किया है। आप सभी ने पूरे महाराष्‍ट्र ने खुद को खुले में शौच से मुक्‍त घोषित कर लिया है। इसके लिए राज्‍य के 11 करोड़ नागरिकों को भी मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। इससे महाराष्‍ट्र के गांव और गलियां साफ-सुथरी तो रहेंगी ही साथ में डायरिया जैसी अनेक बीमारियों से गरीब किसान परिवारों के बच्‍चों का जीवन सुरक्षित रहेगा।

साथियों, जब गरीबों के जीवन और स्‍वास्‍थ्‍य की बात आती है। जो आजकल पूरी दुनियां में आयुषमान भारत यानी PMJAY प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना की बड़ी चर्चा हो रही है इसके तहत हर वर्ष देश के करीब 50 करोड़ नागरिकों को गंभीर बीमारी के स्थिति में मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया गया है।

महाराष्‍ट्र के भी लाखों परिवारों तक इस योजना का लाभ पहुंच रहा है। अभी तो इसको शुरु हुए महीना भी नहीं हुआ है। लेकिन देश भर के अस्‍पतालों में करीब-करीब 1 लाख मरीज इसका लाभ ले चुके हैं। इस योजना की वजह से किसी गरीब की पथरी का मुफ्त इलाज हुआ है। तो किसी गरीब के ट्यूमर को हटाया गया है। किसी का 50 हजार का मेडिकल का बिल भरा गया तो किसी का तीन लाख का।

साथियों, इस योजना के तहत अब तक जो क्‍लेम दिया गया है वो औसतन प्रति व्‍यक्ति लगभग 20 हजार रुपये दिया गया है। अब आप सोचिए। हजारों की ये राशि उस गरीब को अपनी जेब से खर्च करनी पड़ रही थी। वो कर भी नहीं पाता था। इसी वजह से वो अस्‍पताल जाने से बचता था। अब सरकार उस गरीब के साथ खड़ी है। कि पैसे कि चिंता मत करिए। पहले अपना इलाज करवाइए।

साथियों, आयुषमान भारत योजना की वजह से देश में आधुनिक मेडिकल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का नया ढांचा तैयार हो रहा है। विशेषकर tier II, tier III शहरों में हजारों नए अस्‍पताल खुलने की संभावना बनी है। ये अस्‍पताल देश के नौजवानों के लिए रोजगार के लाखों नए अवसर भी लेकर कर आएंगे।

भाईयो और बहनों समाज का हर वर्ग, हर जन सुखी हों, सबका जीवन सरल और सुलभ हो इसी लक्ष्‍य के साथ सरकार काम कर रही हैं। मेरी जानकारी है कि राज्‍य के हिस्‍से हमारे महाराष्‍ट्र में वरुण देव की कृपा कुछ कम हुई है, बारिश कम हुई है। मैं आपको आशवस्‍त करता हूं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उसके माध्‍यम से आपको जल्‍द से जल्‍द राहत मिलेगी ही। इसके अतिरिक्‍त महाराष्‍ट्र सरकार जो कदम उठाएगी उसमें केंद्र भी कंधे से कंधा मिलाकर के पूरा सहयोग करेगी।   

भाईयो और बहनों पानी के इसी संकट से देश के किसानों को निकालने के लिए सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बरसों से अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने का काम कर रही है। इसके तहत महाराष्‍ट्र में भी अनेक बड़े प्रोजेक्‍ट पर काम चल रहा है। महाराष्‍ट्र सरकार ने भी अपने जलयुक्‍त शिविर अभियान के माध्‍यम से जलसंकट से निपटने का एक अभुतपूर्व प्रयास किया है। ये बहुत संतोष की बात है कि इस अभियान की वजह से राज्‍य के 16 हजार गांव सूखा मुक्‍त हो चुके हैं और करीब 9 हजार गांव को सूखा मुक्‍त करने का काम तेजी से चल रहा है।

मैं महाराष्‍ट्र के लोगों की इस बात के लिए भी प्रशंसा करुंगा कि उन्‍होंने सिंचाई टैंकों की सफाई Desiltation के अभियान को बहुत सफलता पूर्वक चलाया है। Irrigation टैंकों से 9 करोड़ क्‍यूबिक मीटर की silt निकालने का काम आसान नहीं है। लेकिन आप लोगों ने जन-भागीदारी से एक अभुतपूर्व काम करके पूरे देश को रास्‍ता दिखाया है। मुझे बताया गया है कि यही काम अगर किसी contractor को दे देते तो छ: सौ करोड़ से भी ज्‍यादा खर्च होता। लेकिन यही काम आपने अपने परिश्रम से कर दिखाया है।

साथियों अगर फसल अधिक भी हो और उसका उचित दाम भी मिले इसके लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। ये हमारी सरकार है जिसने एमएसपी को लेकर किसानों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया है। सरकार ने गन्‍ने समेत खरीफ और रबी की 21 फसलों को समर्थन मूल्‍य में लागत के ऊपर 50 प्रतिशत का लाभ तय किया है। इस ऐतिहासिक फैसले से इस साल देश के किसानों को हजारों करोड़ रुपयों के अतिरिक्‍त आय सुनिश्चित होगी।

साथियों, खेती के साथ-साथ सरकार टूरिज्‍म को भी बढ़ावा दे रही है। महाराष्‍ट्र में तो शिरडी जैसे आस्‍था से जुड़े बड़े स्‍थान भी, तो दूसरी तरफ अजंता एलोरा जैसे आर्कषक स्‍थान भी हैं। जहां दुनिया भर के टूरिस्‍ट खींचे चले आते हैं। आस्‍था, अध्‍यात्‍म और इतिहास को युवाओं के रोजगार से जोड़ने को एक बहुत बड़ा अभियान हमनें शुरु किया है।     

देश के टूरिस्‍ट सर्किट को आपस में जोड़ा जा रहा है। वहां सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। यहां शिरडी में ही पिछली बार जब ये शताब्‍दी समारोह की शुरुआत करने हमारे मान्‍य राष्‍ट्रपति जी आए थे उन्‍होंने एयरपोर्ट का उपहार दिया था। मुझे कहा गया है कि यहां से अब जो फ्लाइट चल रही है उनमें आने वाले समय में और बढ़ोतरी की जाएगी। ताकि देश और दुनिया का हर साईं भक्‍त आसानी से यहां आकर के दर्शन कर सके।

भाईयो और बहनों महाराष्‍ट्र की धरती ने हमेशा सामाजिक समरसता का पाठ देश को पढ़ाया है। वीर शिवाजी हो, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हो या फिर पूज्‍य  महात्‍मा ज्‍योतिबा फूले हो सबने उन मूल्‍यों की स्‍थापना की जो समता और एकता को सामाजिक शक्ति मानते हैं। आपने इन महान संत पुरुषों का सबक हमेशा याद रखना और स्‍वार्थ के लिए समाज में भेद करने वाली हर शक्ति, हर बुराई को हमनें पराजित करना है। तोड़ना आसान होता है जोड़ना बहुत मुश्किल होता है। हमें जोड़ने वाली शक्ति को सशक्‍त करना है तोड़ने वाली ताकतों को परास्‍त करना है। सबका साथ, स‍बका विकास और एक भारत श्रेष्‍ठ भारत का यही संकल्‍प इसी विजयदशमी को हमें लेना है। और इसलिए मैं आप सभी से आग्रह करुंगा कि हम सब इस संदेश को लेकर के आगे बढ़ें और इसी संदेश के रास्‍ते हमें आगे चलना है। साईंबाबा ने जो मार्ग दिखाया है उसी मार्ग पर हमें आगे चलना है। मुझे बहुत खुशी हूई।

साथियों, आज मैं इस पवित्र स्‍थान पर हूं शताब्‍दी समारोह का समापन कर रहा हूं। इस 31 अक्‍टूबर को राज्‍य में आप सभी की सरकार चार वर्ष पूरे करने वाली है। मैं देवेंद्र फडणवीस जी और उनकी पूरी टीम को अग्रिम बधाई देता हूं। आप यूं ही पूरी शक्ति से महाराष्‍ट्र वासियों की सेवा करते रहें। और आपको यहां के जन-जन का आशीर्वाद मिलता रहे। मेरी यही कामना है।

इसी विश्‍वास के साथ एक बार फिर उन सभी परिवारों को बहुत-बहुत बधाई जिनको आज दशहरे के दिन खुद का अपने मन का अपने सपनों का आज घर मिला है। ये नए घर आपके सपनों को पूरा करने का माध्‍यम बने, इन घरों में रहते हुए आप और आपका परिवार जीवन में और आगे बढ़़ें, तरक्‍की करे, आपके बच्‍चे सफलता की नई ऊंचाइयों पर पहुंचें। इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं और आप सबको इस पावन अवसर पर यहां बुलाने के लिए, इस सेवा का अवसर देने के लिए मैं श्री साईं ट्रस्‍ट का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आने वाला हर त्‍यौहार आप सभी के जीवन में खुशियां लेकर के आए। इसी शुभकामना के साथ आप सभी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

धन्‍यवाद

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!