Government removing old & obsolete laws from the statute books: PM Modi

Published By : Admin | April 24, 2016 | 10:59 IST
Common man has high level of faith in the judiciary: PM
Government & judiciary could work together to find solutions of troubles faced by the mechanism: PM
Government removing archaic laws from the statute books: PM Modi

सभी उपस्थित आदरणीय मुख्यमंत्रीगण सभी आदरणीय Judges,

प्रति वर्ष इस प्रकार की एक हमारी meeting होती है। इस बार काफी विस्तृत agendas, मुद्दे हैं। मुझे बताया गया है कि दो दिन Judges ने बड़े विस्तार से चर्चा की है काफी अच्छे सुझाव भी आए हैं और मुझे ये भी बताया गया कि बड़े commitment के साथ चीजों को आगे बढ़ाने का हर तरफ से प्रयास हुआ है। मैं इसके लिए आदरणीय ठाकुर साहब और उनकी पूरी टीम को हृद्य से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, ताकि इन चीजों को आगे बढ़ाने के लिए सार्थक प्रयास हो रहे हैं।

पिछले दिनों भोपाल में एक Retreat का कार्यक्रम हुआ जिसकी कल, मैं ठाकुर साहब से सुन रहा था, जिसकी मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। की Law point के बाहर भी एक बहुत बड़ा देश होता है तो उसको भी जानना-समझना और राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्या चल रहा है, क्या चुनौतियां हैं, क्या संभावनाएं हैं और देश के गणमान्य experts को बुलाया था। और सभी Judges उनको सुन रहे थे। Question-Answer कर रहे थे। मैं समझता हुं ये परम्परा अपने आप में, एक बहुत ही उत्तम परम्परा है। हो सकता है शायद राज्यों में भी आगे चलकर के इस प्रकार का प्रयास हो तो शायद जो ठाकुर साहब ने...बीच में हो रहा था, लेकिन कई वर्षों तक बंद रहा था। मैं समझता हूं काफी उत्प्रेरक होगी इस प्रकार की चीजें जुड़ने से।

कई विषयों की यहां पर चर्चा होने वाली है इसलिये उसकी बहुत गहराई में मैं जाता नहीं हूं। लेकिन ये सही है कि भारत के सामान्य नागरिक को आज भी न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। भरोसा क्या! एक आस्था है, श्रद्धा है। और ये हमारे देश की बहुत बड़ी पूंजी है। हम सबका ये दायित्व बनता है कि इस आस्था को बरकरार रखें। उसको हम बनाए रखें। ताकि कभी भी सामान्य मानव के जीवन में ऐसी स्थिति न आए के अब कहां जाएं। एक जगह है जहां उसको विश्वास है कि मैं जा सकता हूं। और वो स्थिति बनाने में सरकार की भी बहुत बड़ी जिम्मेवारी है। और मुझे विश्वास है कि सरकार अपनी जिम्मेवारियों को निभाने में कभी भी कोताई नहीं बरतेगी।

आज ठाकुर साहब ने सही कहा कि मैं इस Law की दुनिया का व्यवक्ति नहीं रहा हूं न ही मेरा ऐसा background रहा है तो सुप्रीम कोर्ट का जन्म कब हुआ, क्या हुआ वो सारा विस्तार से मुझे आज इस ज्ञान का भी लाभ मिला। और उनकी पीड़ा भी मैं समझ सकता हूं कि अगर 87 में जो बातें हुई, आज 2016 में भी वो 87 से अब तक जरूर कुछ कारण रहे होंगे या जरूर कुछ मजबूरियां रही होंगी। मैं तो कभी उसकी डीटेल में गया नहीं हूं कि 87 में क्या हुआ था, कैसे हुआ था। लेकिन ‘जब जगे तब सुबह’! आगे हम कुछ अच्छा करें। पीछे का जो भी बोझ है, उस बोझ को कम करते हुए हम आगे कैसे बढ़ें।

कई कारण होंगे और एक कारण का वर्णन अभी ठाकुर साहब ने किया कि strength अपने आप में एक बहुत बड़ा कारण है। लेकिन कुछ समाज जीवन भी बदलाव आते हैं। इस बदलाव हम लोगों को मालूम है कि एक जमाना था, जब गांव में एक वैद्यराज होता था और पूरा गांव स्वस्थ रहता था। अब आज आंख का डॉक्टर हो गया, कान का अलग हो गया, पैर का डॉक्टर अलग हो गया, heart का अलग हो गया, लेकिन बीमारी बढ़ती गई। तो ये समस्या समाज में भी कई प्रकार की आती होगी, कैसी होगी ये हम सबको चिंतन का विषय है कि क्या कारण है इसका?

सरकार में भी मेरा ये मत है कि कानून बनाते समय जितनी चौकसी बरतनी चाहिए उसमे हमारे यहाँ कमी महसूस होती है। Drafting से ले कर के, debate से ले कर के, कानून बनने तक, और वो एक बहुत बड़ा कारण बना है की court में interpretation को ले कर के, बहुत बड़ी मात्रा में चीजें जाती हैं। Otherwise कानून ऐसा हो कि कोई भी व्यक्ति निर्णय करे तो दुविधा कम रहे। धीरे-धीरे उस efficiency की और जाना पड़ेगा।

दूसरा एक है कि हमारे यहां कानूनों का ढेर बहुत है। मैंने आते ही एक काम शुरू किया है कि इन कानूनों के बोझ से कैसे मुक्ति दिलाई जाए, सामान्य मानव को, कानूनों की संख्या कैसे कम कराई जाए। एक कमैटी बिठाई थी करीब 1500 से 1700 ऐसे कानून ध्यान में आए हैं कि जो कभी 1800 साल के थे। कभी 1850 के, 80, 90 के ऐसे-ऐसे कानून यानी अब वो कोई irrelevant हो चुके हैं। तो ऐसा क्या होता है कि जिसको कोई काम रोकना है, तो 200 साल पुराने कानून दिखा देता है। देखिए ऐसा कानून था कि तुम्हारा ये नहीं होगा, तो फिर वो कोर्ट में जाता है। तो ऐसी चीजें व्यवस्थाओं में काफी अड़चने कर रही हैं। सफाई चल रही है। धीरे-धीरे मैं समझता हूं जितना समय मुझे मिला है, उस समय का भरपूर प्रयास हम करेंगे। प्रक्रियाएं तेज गति से हों, जल्दी हों और आवश्यकताओं की पूर्ति लिए प्रयास हो। ये सपने सबका काम हैं हम करते रहेंगे। करना चाहिए भी।

और मैं तो चाहूंगा अगर ठाकुर साहब को सुविधा हो शायद कोई संवैधानिक सीमाएं कठिनाइयां पैदा करती हों, तो कभी एकाद सरकार में से दो चार प्रमुख लोग और आपकी टीम के भी सभी लोग बैठ कर के कमरे में इन समस्याओं के समाधान के कंधे से कंधा मिलाकर के कैसे रास्ते निकाले जाएं। तो हो सकता है कुछ क्योंकि आपने जो बातें बताईं जो बड़ी महत्वपूर्ण हैं। और उन महत्वपूर्ण बातों का रास्ता भी तो खोजना होगा। सिर्फ मैं सुनकर के चला जाऊंगा ये ऐसा मैं इंसान नहीं हूं। मैं उसको seriously लेकर के कुछ रास्ते खोजने के प्रयास करूंगा। सफलता – असफलता तो अलग बात है लेकिन कोशिश करनी चाहिए। मैं कोशिश करना चाहूंगा। और मुझे विश्वास है कि आप जैसे अनुभवी लोगों का साथ मिला तो मैं तो इस field का हूं नहीं। ये मेरा लाभ भी है ये मेरा नुक्सान भी है। तो मुझे अगर आप लोगों की मदद मिलेगी, तो हम जरूर इसका रास्ता निकालेंगे।

मुझे याद है मैं 15 साल तक इस मीटिंग में आया हूं और हमेशा सामने बैठता था और बाद में जब ऊपर बैठते थे तो कैमेरा वगैरह रहते नहीं थे तो जरा खुलकर बात भी करता था मैं। और मैंने एक बार कह दिया था कि साहब कोर्ट का समय बढ़ाए तो कैसा रहे। Vacation कम करें तो कैसा रहे। और पता नहीं मेरे पर ऐसी आफत आ गई थी कि उसके बाद लंच था, तो लंच में कई Judges ने मुझे पकड़ा, क्या समझते हो अपने आपको। तब मैं तो उसी दिन से डर गया था जी। लेकिन फिर भी मैं मानता हूं कि जिसके पास जो जिम्मेवारी है, सब लोग ईमानदारी से, निष्ठा से, देश के ग़रीब आदमी के लिए भलाई से काम कर रहे हैं, ये विश्वास हम सबको होना चाहिए। और मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे देश की Judiciary उस दिशा में सक्रिय है, सजग है। मुझे पूरा भरोसा है। और हम सबको भरोसा रहेगा कि देश की समस्याओं का समाधान भी होगा। और हम मिल बैठकर के समाधान निकालेंगे भी, मेरा पुरा विश्वास है।

मैं फिर एक बार सभी आदरणीय मुख्यमंत्रियों ने और सारी बातों को सुना है। वे भी उतनी ही जिम्मेवारी के साथ सरकारें चलाते हैं। क्योंकि उनको भी जनता जनार्दन को जवाब होता है और हर पांच साल में एक बार देना पड़ता है और अब तो बार-बार चुनाव आते हैं, इसलिये किसी न किसी रूप में साल, पांच साल में तीन-तीन बार तो जाना ही पड़ता है। क्योंकि इस दिनों ये चर्चा चल रही है। सभी दल मुझे कह रहे हैं कि साहब ये चुनाव लोकसभा और विधानसभा के साथ-साथ कैसे हो। हर प्रकार से क्योंकि काफी समय जा रहा है। कई चीजें निर्णय में चालीस-चालीस, पचास-पचास दिन इसलिये रुक जाती है क्योंकि Code of Conduct लग जाता है। और देश में कोई न कोई जगह होती है जहां Code of Conduct होता है। तो इन दिनों मुझे विपक्ष के सभी लीडर मिले थे, तो वो भी कह रहे थे कि साहब कोई रास्ता निकालिए। इसलिये Assembly के और Parliament के चुनाव साथ-साथ हो, ताकि बाकि कुछ काम हो। तो है कुछ कठिनाईयां, उन सारी चीजों का रास्ता निकलना होगा, मिलबैठ करके निकलना होगा।

और मैं क्षमा मांगूगा कि ताकि मुझे आज यहां से झारखंड जाने के लिए निकलना है, लेकिन फिर मैं आप सबका बहुत स्वागत करता हूं, आभार व्यक्त करता हूं और आज दिन भर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक होगी और कुछ न कुछ बातें निकलेगी। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."