Our focus is on development of Poorvanchal: PM

Published By : Admin | February 27, 2017 | 14:31 IST
As the elections are progressing, people of Uttar Pradesh have made up their minds to support the BJP: PM
Congress, SP and BSP must stop playing with the future of the people of Uttar Pradesh in the name of politics: PM
We would waive off loans of small farmers, if we come to power in Uttar Pradesh: PM
We are undertaking measures for welfare of our farmer brothers and sisters. We want their incomes to double by 2022: PM
Centre allotted funds for 24X7 power supply in Uttar Pradesh. But what stops the SP government from utilising those funds: PM

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान राधामोहन सिंह, श्री मनोज सिन्हा, श्री रामकृपाल यादव, श्री अर्जुन मेघवाल जी, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष श्रीमान उपेंद्र दत्त शुक्ला जी, संयुक्त प्रभारी रामेश्वर चौरसिया जी, संसद में मेरे साथी श्रीमान हरिनारायण राजभर जी, पूर्व मंत्री श्रीमान हरिद्वार दूबे जी, प्रदेश के उपाध्यक्ष श्रीमान सुरेश राणा जी, प्रदेश के उपाध्यक्ष श्रीमान अश्वनी त्यागी जी, जिलाध्यक्ष मऊ श्रीमान सुनील कुमार गुप्ता जी और इस चुनाव में हमारे सभी लोकप्रिय उम्मीदवार मधुवन से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान दारा सिंह जी चौहान,  मोहम्मदाबाद गोहाना से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान श्रीराम सोनकर जी, गोसी से उम्मीदवार भाजपा के श्रीमान फागू चौहान जी, रास्ता के भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान राम इकबाल सिंह जी, सगड़ी से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान देवेंद्र सिंह जी, जौहराबाद से भारतीय समाज पार्टी के हमारे साथी श्रीमान ओम प्रकाश राजभर जी, आजमगढ़ से भाजपा उम्मीदवार श्रीमान अखिलेश मिश्र जी और मऊ सदर से भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार श्रीमान महेंद्र राजभर जी, जखनियां से भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार श्रीमान त्रिवेणी राम जी, मुबारकपुर से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान लक्ष्मण मौर्य जी, जंगीपुर से श्रीमान रामनरेश कुशवाहा जी, बैंथला रोड से धनंजय कन्नौजिया जी और विशाल संख्या में पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले तो मुझे मऊ के भाइयों-बहनों की क्षमा मांगनी है। 2014, 10 मई को मैं यहां आने वाला था, सारी तैयारियां हो चुकी थीं। मेरा कार्यक्रम भी बन चुका था लेकिन उसी दिन हमारे एक बहुत ही होनहार साथीदार भाई सुशील राय अकस्मात उनका निधन हो गया। हम सबके लिए वह एक बहुत बड़ा गहरा शोक था आघात था। भारतीय जनता पार्टी का हर छोटा-मोटा कार्यकर्ता हिल गया, सदमे में थे और तुरंत ही चुनाव होना था लेकिन यहां के मतदाताओं ने सुशील को ऐसी श्रद्धांजलि दी कि हमारे हरिनारायण जी को लोकसभा का चुनाव जीता दिया।  

भाइयों-बहनों।

तब से मेरे मन में एक चुभन थी कि मैं जा नहीं पाया हूं और हमारे हरिनारायण जी बड़े सक्रिय सांसद हैं, बहुत ही एक्टिव रहते हैं। पार्लियामेंट में भी बहुत सक्रिय होते हैं और नम्रता भी बड़ी गजब की है। मैं भी कभी-कभी मेरी शर्मिंदगी महसूस करता था हरिनारायण जी के सामने। लेकिन आज इस क्षेत्र की जनसभा मऊ में आयोजित हुई और मुझे आप सबके दर्शन का सौभाग्य मिला और आप इतनी बड़ी तादाद में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार, भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार और हम सबको आशीर्वाद देने के लिए पधारे हैं। मैं आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं।

भाइयों-बहनों।

एक सभा तो देखी है लेकिन मैं आज देख रहा हूं। इसी मैदान में तीन-तीन सभाएं मुझे नजर आ रही हैं। एक तो ये हैं, दूसरी उधर दूर-दूर पूरी एक सभा से भी ज्यादा लोग खड़े हैं और इधर देखें साब, इतना दूर। पता नहीं कुछ सुनाई देता होगा कि नहीं। जहां भी मेरी नजर जा रही है, खेतों में भी लोग ऐसे आ रहे हैं। भाइयों-बहनों। ऐसा प्यार, ऐसे आशीर्वाद भारतीय जनता पार्टी और भारतीय समाज पार्टी आपका बहुत-बहुत आभार मैं व्यक्त करता हूं, इस प्यार के लिए, इस आशीर्वाद के लिए।

भाइयों-बहनों।

आज भी कुछ इलाकों में मतदान जारी है और सुबह जब मैं दिल्ली से निकला तो पता चला कि मतदान बहुत भारी मात्रा में हो रहा है। लोग उमंग और उत्साह से मतदान कर रहे हैं। अब तक जितने भी मतदान के दौर हो चुके हैं, जिस उमंग और उत्साह के साथ लोकतंत्र के इस पर्व में हमारे देश के नागरिक, उत्तर प्रदेश के भाई-बहन शरीक हुए हैं, शांतिपूर्ण मतदान हुआ है। मैं उन सभी मतदाताओं का ह्रदय से अभिनंदन करता हूं और पहले ही दौर से जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी और साथी दलों के लिए जन समर्थन उभरकर आया है और जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ते जा रहे हैं, पश्चिम से पूरब की तरफ जैस-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है। सब लोगों ने मान लिया है कि अब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और उनके साथी दलों की सरकार बन जाएगी।

भाइयों-बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश के सभी नागरिकों को विश्वास दिलाना चाहता हूं। हमारी एक परंपरा रही है जब संसद में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल गया तो कुछ लोगों ने हवा चलाई थी। अब तो मोदी को पूर्ण बहुमत मिल गया है। अकेला सरकार बना सकता है, साथी दलों की कोई जरूरत नहीं है। भांति-भांति की बातें कहते थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी का चरित्र अलग है। भारतीय जनता पार्टी के संस्कार अलग हैं जिनके साथ हम जुड़ते हैं, जीवन भर का नाता जोड़ देते हैं और इसलिए पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी जितने भी हमारे छोटे-मोटे साथी दल जीते थे। उन सबको भी हमने मंत्री परिषद में लेकर के सबको सम्मानित किया और उनकी सेवाएं भी आज देश को मिल रही हैं। मैं आज मऊ की धरती पर कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में अकेले को पूर्ण बहुमत मिलने वाला है, मिलेगा भी तो भी जितने छोटे-मोटे दल आज इस चुनाव में हमारे साथ हैं, वे भी सरकार का हिस्सा होंगे। वे भी सरकार चलाने में भागीदार होंगे।

भाइयों-बहनों।

हम सिर्फ चुनावी तिगड़म करने वाले लोग नहीं हैं। हम सबका साथ सबका विकास करने वाले लोग हैं और इसलिए हर छोटे-मोटे तबके के लोग जितने भी हमारे साथ आना चाहें, उन सबको साथ लेकर के सबका विकास के लक्ष्य को लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं। भाइयों-बहनों। जब चुनाव घोषित हो गया। समाजवादी पार्टी को डर लग गया कि अब जीत नहीं पाएंगे। किसी की मदद लग जाएगी और इसलिए आनन-फानन में वो कांग्रेस की गोद में जाकर के बैठ गए। एक डूबती हुई नाव में आकर के चढ़ गए। शुरू में तो टीवी-अखबारों में बराबर फोटो छपने लगी तो उनका भी हौसला जरा बुलंद हो गया वाह, जोड़ी जम रही है। ऐसे नशे में आ गए, ऐसे नशे में आ गए उनको लगता था कि कैमरा को मूर्ख बना देते हैं, वैसे ही जनता जनार्दन को मूर्ख बना लेंगे लेकिन उनको पता नहीं जनता का मिजाज कुछ और होता है। जनता इन तस्वीरों की चमक से कभी चौंक नहीं जाती है जनता तो दूध का दूध और पानी का पानी करना भलिभांति जानती है। और इसलिए गठबंधन करके जब निकले तो दो-तिहाई बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश में दोबारा आ जाएंगे ऐसा उनकी बातों से निकल रहा था लेकिन जैसे ही एक दौर समाप्त हो गया और अफवाहें चल रही थीं, फलाने प्रचार में आने वाले हैं, ढिकने प्रचार में आने वाले हैं। फलानी दो जोड़ियां निकलने वाली हैं, काफी बातें हुईं लेकिन जैसे ही पहले दौर का मतदान की खबर आ गई तो कुछ लोगों ने प्रचार में आने से ही अपने आपको बाहर कर दिया। जो दो-तिहाई बहुमत की बातें करते थे। दोबारा जीतकर आएंगे उसकी बातें करते थे। वे हाथ जोड़कर कहने लगे कि एक बार फिर से हमें अवसर दीजिए हम हमारी गलतियां ठीक कर देंगे। दूसरा दौर आते-आते उनको पता चल गया कि मामला जमने वाला नहीं है। फिर अपने इलाके में आए वहां उनको लग रहा था ये तो परंपरागत हमारा इलाका है। परिवार का सारे लोग यहां डटे हुए हैं लेकिन जब वहीं पर पिटाई हो गई, खुले आम लोगों ने उनके खिलाफ मतदान किया तो उनको लगा अब जीतने की संभावना नहीं है।

भाइयों-बहनों।

समाजवादी पार्टी, कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में जीतने के लिए प्रयास करे लोकतंत्र में उनका हक है। बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव को जीतने के लिए जी-जान से मेहनत ये उनका हक है। भारतीय जनता पार्टी को पराजित करने के लिए भांति-भांति की कोशिश करे लोकतंत्र में वाजिब है। लेकिन भाइयों-बहनों। सपा और बसपा दोनों को तीसरे दौर के बाद जब ये पक्का हो गया। अब उनके जीतने की संभावना नहीं है तो पिछले कुछ दिनों से इन्होंने एक नया खेल चालू किया है। एक नई तरकीब चालू की है और उन्होंने चालू क्या किया है। हम हारें तो भले हारें, हमारी सीटें कम हो जाएं तो हो जाएं लेकिन किसी को बहुमत नहीं मिलना चाहिए। मैं समाजवादी और बसपा के नेताओं से कहना चाहता हूं आप भारतीय जनता पार्टी को पराजित करने के लिए जितना करना है करिये कोई प्रॉब्लम नहीं है मुझे लेकिन उत्तर प्रदेश के भविष्य के साथ खिलवाड़ मत कीजिए। उत्तर प्रदेश पहले भी बहुत कुछ भुगत चुका है अब ज्यादा उसे परेशानियों में मत डालिये। आप सोचते होंगे कि त्रिशंकु असेंबली बनेगी। किसी को बहुमत नहीं मिलेगा तो आप लोगों को सौदाबाजी करने का मौका मिलेगा। ये उत्तर प्रदेश की जनता ने लोकसभा में बता दिया है, पूरे हिंदुस्तान को उन्होंने ऐसी ताकत दी थी कि पूर्ण बहुमत की दिल्ली को सरकार चाहिए उन्होंने दिया था। यही उत्तर प्रदेश इस चुनाव में भी भारी बहुमत से भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाएगी।

भाइयों-बहनों।

मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं। आप जवाब देंगे...? सब के सब देंगे…? वो दूर-दूर हैं वो भी देंगे ..? पूरी ताकत से देंगे….? आप बताइये भाइयों-बहनों। आज पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का जय-जयकार हो रहा कि नहीं हो रहा है ...? आज अमेरिका में भी हिंदुस्तान की बात हो रही है कि नहीं हो रही है ...? आज रशिया में भी हिंदुस्तान की जय-जयकार है कि नहीं है...? आज जापान में भी हिंदुस्तान का जय-जयकार हो रहा है कि नहीं हो रहा है...? आज इंग्लैंड में भी हिंदुस्तान का जय-जयकार हो रहा है कि नहीं हो रहा है...? दुनिया के हर कोने में हिंदुस्तान का जय-जयकार हो रहा है कि नहीं हो रहा है...? हो रहा है...? क्यों हो रहा है..? क्या कारण है…?  क्या कारण है…? क्या कारण है आज, आज पूरे दुनिया में वाहवाही हो रही है, क्या कारण है…? पूरी ताकत से बताइये क्या कारण है…? जी नहीं मोदी-मोदी नहीं ये जो दुनिया में जय-जयकार हो रहा है क्योंकि हिंदुस्तान की जनता ने तीस साल के बाद पूरे बहुमत की मजबूत सरकार बनाई और इसके कारण, इसके कारण मोदी आज दुनिया में जहां भी जाता है, दुनिया के जब बड़े से बड़े नेता से हाथ मिलाता है तो सामने वाले नेता को मोदी नहीं दिखता है उसको सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी दिखाई देते हैं और इसलिए, इसलिए हिंदुस्तान का जय-जयकार हो रहा है।

आप मुझे बताइये भाइयों-बहनों।

हम चाहते हैं कि हिंदुस्तान में फिर से एक बार उत्तर प्रदेश का भी जय-जयकार हो। आप चाहते हो उत्तर प्रदेश का भी जय-जयकार हो…? उत्तर प्रदेश का जय-जयकार होना चाहिए…? हिंदुस्तान के सभी राज्यों में होना चाहिए..? सब कोई उत्तर प्रदेश की वाहवाही करे ऐसा होना चाहिए ...? अगर ये करना है तो उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की भारतीय जनता पार्टी की मजबूत सरकार बनानी होगी। उनका तो बिगड़ा है, समाजवादियों की नाव डूब चुकी है, बसपा का कोई मेल ही नहीं बैठ रहा है। भतीजा भी कैसे बचूं इसका रास्ता खोज रहा है। बुआ भी परेशान है कि भतीजे ने क्या करके रख दिया। ना भतीजे का मेल बैठ रहा है ना भतीजे का मेल बैठ रहा है, अगर मेल बैठ रहा है तो उत्तर प्रदेश के गरीब लोगों का बैठ रहा है भाइयों-बहनों। और इसलिए भाइयों-बहनों इस चुनाव में भारी मतदान करके भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाना है। जब मैं लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा था तब मेरा भाषण है, कोई जाकर के देख सकता है आज भी, यू-ट्यूब पर वो भाषण मिल जाएगा और मैंने उस समय कहा हुआ है तब तो मैं प्रधानमंत्री बनूंगा या नहीं ये पता भी नहीं था। मैं गुजरात का एक मुख्यमंत्री था और गुजरात विकास की दृष्टि से उसका अपना ही नाम बना हुआ था लेकिन तब भी मैं कहता था अगर भारत को गरीबी से मुक्त करना है, भारत को पिछड़ेपन से मुक्त करना है, भारत को विकास की अगर नई ऊंचाइयों पर ले जाना है तो हमारा हिंदुस्तान का सर्वांगीण विकास होना चाहिए, सुदूर विकास होना चाहिए। अगर हम स्वस्थ शरीर की कल्पना करें कि कोई शरीर हो, वजन ठीक हो, ऊंचाई ठीक हो, ब्लड प्रेशर बराबर हो, ह्रदय दाब बराबर चलता हो, ऊंचाई बराबर हो लेकिन उसका एक हाथ लकवा मार गया हो, एक पैर लकवा मार गया हो, एक शरीर का हिस्सा दुर्बल हो तो उस शरीर को कोई स्वस्थ मानेगा क्या ...? मानेगा क्या ...? स्वस्थ शरीर का मतलब सभी अंग स्वस्थ होने चाहिए ना ...? सभी अंग मजबूत होने चाहिए ना ...? सभी ताकतवर होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए ...?

भाइयों-बहनों।

ये हमारी भारत माता ये स्वस्थ होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए …? भारत माता  मजबूत होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए …? लेकिन भारत मां हमारी देखें जरा नक्शा याद करें। अगर पश्चिम में हरियाणा मजबूत हो, दिल्ली मजबूत हो, राजस्थान मजबूत हो, गुजरात मजबूत हो, महाराष्ट्र मजबूत हो, गोवा मजबूत हो, कर्नाटक मजबूत हो और हमारा पूर्वी हिंदुस्तान, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, उडीसा ये अगर दुर्बल होंगे तो भारत माता मजबूत बनेगी क्या …?  बनेगी क्या …?  भाइयों-बहनों। जैसा हिंदुस्तान के पश्चिमी भाग कि विकास हुआ है वैसा ही हिंदुस्तान के पूर्वी इलाके का भी विकास वैसा ही होना चाहिए। दोनों बराबर आने चाहिए तब जाकर के हमारी भारत माता मजबूत होगी। इसलिए भाइयों-बहनों मैं पहले दिन से इस बात को लेकर के चला हूं कि हमारा पूर्वी उत्तर प्रदेश इसका विकास और राज्यों की बराबरी में आ जाना चाहिए तभी जाकर के उत्तर प्रदेश का विकास होगा, तभी जाकर के हिंदुस्तान का भी विकास होगा।

भाइयों-बहनों।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के पास क्या नहीं है। उत्तम जमीन है, भरपूर पानी है, मेहनतकश लोग हैं, नौजवानों के सपने हैं, अगर उनको अवसर दिया जाए तो ये पूर्वी उत्तर प्रदेश को भी हिंदुस्तान की आन-बान-शान बनाकर के रख सकते हैं भाइयों। भाइयों-बहनों। ऐसा नहीं है कि दिल्ली में बैठे हुए नेताओं को ये पूर्वी उत्तर प्रदेश के हालात का पता नहीं है। पता है पर परवाह नहीं है, पता होते हुए भी परवाह नहीं होना इससे बड़ा कोई गुनाह नहीं हो सकता है। हिंदुस्तान के भूतकाल के कांग्रेस के शासकों ने उत्तर प्रदेश को पिछड़ा रखकर के गुनाहित कृत्य किया है। इस कांग्रेस को भारी सजा देने की जरूरत है, वही काम समाजवादियों ने किया है उनको भारी सजा करने की आवश्यकता है। यही काम बहुजन समाज पार्टी ने किया है उनको भी वैसी ही सजा देना आवश्यक है।

भाइयों-बहनों।

जब पंडित नेहरू जिंदा थे, पार्लियामेंट के अंदर गाजीपुर के पूर्व सांसद श्रीमान विश्वनाथ जी, गहमरी जी 11 जून 1962 पचास साल से भी ज्यादा समय हो गया। 11 जून 1962 विश्वनाथ सिंह ने संसद के अंदर भाषण किया था। अपनी भली-भोली भाषा में बोले थे, पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांव के लोग बोलते हैं, ऐसी भाषा में बोले थे लेकिन जब उन्होंने भाषण किया तो पूरी पार्लियामेंट, सारी संसद उसकी आंख में आंसू थे। इसी इलाके के एक सांसद पूर्वी उत्तर प्रदेश के सांसद पंडित नेहरू के सामने बोल रहे थे और उन्होंने जो बात कही थी हिंदुस्तान की संसद में बैठा हुआ हर व्यक्ति रो पड़ा था और उन्होंने कहा देश के हुक्मरानों आपको पता है, पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग कैसी मुसीबतों से जिंदगी गुजार रहे हैं, कैसी भुखमरी है, कैसी बेरोजगारी है और उन्होंने वर्णन करते हुए कहा था कि संसद में बैठा हुआ कोई व्यक्ति इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाकों में ऐसे गरीब परिवार हैं जो गोबर होता है, गाय-भैंस जो गोबर छोड़ते हैं उस गोबर को धोकर के, उस गोबर में से जो अनाज के दाने निकलते हैं, उसको खाकर के अपना गुजारा करते हैं। ये पूर्वी उत्तर प्रदेश का हाल है। ये गाय जून महीने में गाजीपुर के सांसद श्रीमान विश्वनाथ जी ने पंडित नेहरू के सामने संसद में बोला था और हर किसी की आंख में आंसू थे। सारी पार्लियामेंट चिंतित हो गई और पंडित नेहरू जी ने एक पटेल कमेटी बिठाई। गुजरात के ही श्रीमान एचएम पटेल थे उनकी अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास के लिए क्या करना चाहिए, उस पटेल समिति ने अपना रिपोर्ट दिया, पंडित नेहरू के जीते-जी दिया था।  

भाइयों-बहनों।

50 साल हो गए, ये आपका भला करने वाले लोग ये गुनाहित मानसिकता देखिये। वो रिपोर्ट वैसे के वैसे डिब्बे में बंद पड़ा था भाइयों। आप कल्पना कर सकते हैं। मेरे देश के वासी गरीब गोबर को धोकर के उसमें से दाने खोज खोजकर के पेट भरते हो और पचास साल तक सत्ता में बैठे हुए लोग उस रिपोर्ट के उपर बैठ जाएं। आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया। हमने उस रिपोर्ट को बाहर निकाला, अध्ययन शुरू किया आपको हैरानी होगी। उस पटेल समिति ने एक काम कहा था, उसने कहा था, पटेल समिति ने कहा था मऊ, ताड़ीपुर-गाजीपुर रेल लाइन तुरंत लगानी चाहिए। अगर रेल लाइन लगेगी तो लोगों को काम मिलेगा और ये मुख्यधारा से इलाका जुड़ जाएगा तो विकास की संभावनाएं बनेगी।

भाइयों-बहनों।

ये आपका वोट मांगने से उनको शर्म आनी चाहिए। पचास साल हो गए, उन्होंने इस काम को नहीं किया। भाई मनोज सिन्हा रेल मंत्री बने, इसी इलाके से बने और हमने इस पटेल समिति का रिपोर्ट निकाला। आज में गर्व के साथ कहता हूं कि मैं खुद श्रीमान विश्वनाथ जी को श्रद्धांजलि देने के रूप में खुद यहां आया। पचास साल पुरानी उस पार्लियामेंट के भाषण को याद करते हुए आया और आज उस रेल का काम शुरू करवा दिया भाइयों-बहनों। आज काम चल रहा है। विकास कैसे होता है, विकास इस प्रकार से होता है। भाइयों-बहनों। इसी प्रकार से गंगा नदी के उपर रेल कम रोड इस ब्रिज की मांग यहां के विकास की आत्मा है। इसके कारण विकास की संभावनाएं बढ़ती हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की सबसे बड़ी नींव बन जाता है, लेकिन भाइयों-बहनों गंगा जी के उपर रेल और रोड ब्रिज वो काम भी अटका पड़ा। कभी सोचा नहीं गया। हमने आकर के करीब-करीब पौने दो हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा लागत से उस ब्रिज का काम भी शिलान्यास कर दिया, काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है।   

भाइयों-बहनों।

विकास ये यहां की पहली प्राथमिकता है। हमारा किसान गन्ने की खेती करता है, धान की खेती करता है, गेहूं की खेती करता है। भाइयों-बहनों मैं भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश इकाई को ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं। उन्होंने अपने चुनावी संकल्प पत्र में एक बहुत बड़ी अहम घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद हमारे यहां के जो छोटे किसान हैं उनकी फसल का जो कर्ज है, किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा।

भाइयों-बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश का सांसद हूं। अगर आज मैं प्रधानमंत्री बन सका हूं तो इसका कारण उत्तर प्रदेश का मजबूती के साथ मेरे साथ समर्थन है। उसको कारण देश को स्थिर सरकार मिली है। भाइयों-बहनों। उत्तर प्रदेश के सांसद के नाते, मऊ के मेरे प्यारे भाइयों-बहनों मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं। 11 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे, 13 मार्च को हम विजयी होली मनाएंगे। विजयी होली के रंग से रंग जाएगा, उत्तर प्रदेश और इसके बाद उत्तर प्रदेश को भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार मिलेगी। सरकार का सपथ समारोह होगा। सरकार का सपथ समारोह होने के बाद नई मंत्री परिषद की मीटिंग होगी और उत्तर प्रदेश के एमपी के नाते, सांसद के नाते आपको विश्वास दिलाता हूं कि नई सरकार की पहली मीटिंग में किसानों की कर्ज माफी का निर्णय कर लिया जाएगा। 14 दिन में गन्ना किसानों का बकाया भुगतान पूरा कर दिया जाएगा। आगे से नियम बनाया जाएगा कि गन्ना किसानों को 14 दिन से ज्यादा बकाया बाकी नहीं रहना चाहिए, इसकी व्यवस्था कर दी जाएगी भाइयों। सरकार ऐसे चलती है।

भाइयों-बहनों।

हमारा सपना है 2022 में, 2022 जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे। 2022 तक हम हमारे किसान की जो आमदनी है, उसकी जो कमाई है, वो डबल करना चाहते हैं, दोगुनी करना चाहते हैं। आज अगर वो 50 हजार रुपया कमाता है तो 2022 आते-आते वो लाख रुपया कमायें। आज अगर वो 10 हजार कमाता है तो 20 हजार कमायें। दोगुनी करना है भाइयों और उसके लिए हमने बड़ा अभियान छेड़ा हुआ है। ये हमारी भारत मां जिस पर हम खेती कर-कर के पेट भरते हैं लेकिन कभी हमने सोचा नहीं कि हमारी धरती माता की तबियत कैसी है। अरे जैसे हम बीमार हो जाते हैं ना वैसे धरती मां भी बीमार होती है। कभी उसका भी तो खयाल करना चाहिए। पहली बार एक ऐसी सरकार दिल्ली में आपने बिठाई है। हमने निर्णय किया कि हम सोयल हैल्थ कार्ड निकालेंगे। धरती की तबीयत का परीक्षण करेंगे। जैसे डॉक्टर लोग खून का परीक्षण करते हैं, पेशाब का परीक्षण करवाते हैं वैसे ही ये धरती माता की तबीयत का भी वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण हो सकता है और इसलिए हमने धरती माता का परीक्षण, हर खेत का परीक्षण और फिर वो धरती कैसी है, क्या बीमारी है, कौन सी खाद डालनी चाहिए, कौन सी दवाई डालनी चाहिए, ये धरती किस फसल के लिए ठीक है। गेंहूं के लिए अच्छी है कि चावल के लिए अच्छी है, कि गन्ने के लिए अच्छी है कि चने के लिए अच्छी है इसका निर्णय वैज्ञानिक तरीके से होकर के किसान को समझाया जाएगा कि भाई तुम ये फसल लेते हो उससे तुम्हारा ज्यादा फायदा नहीं होगा तुम जरा फसल बदल दो, ये तुम्हारी मिट्टी तुम्हारा काम कर देगी किसान का भला हो जाएगा। आज हमारा बेचारा किसान कैसे खेती करता है, अगर पड़ोस वाले किसान ने लाल डिब्बे वाली दवाई डाल दी तो उसको भी लगता है कि मैं भी लाल डिब्बे वाली दवाई डाल दूं। उसने अगर पीले डिब्बे वाली डाल दी दवाई तो उसको लगता है कि मैं भी पीले डिब्बे वाली डाल दूं लेकिन उसकी जमीन का एक स्वभाव है, तुम्हारी जमीन का दूसरा स्वभाव है। तुम्हारे पैसे भी जाते हैं, जमीन भी बरबाद होती है, फसल भी बरबाद होती है।

भाइयों-बहनों।

हम हर किसान का उसकी धरती कैसी है, जमीन, खेत की तबियत कैसी है उसका कार्ड निकाल करके किसान को सरकार की तरफ से दे रहे हैं ताकि किसान उसके आधार पर फसल बो सके। भाइयों-बहनों। हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए हैं। ये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ये ऐसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना है आजादी के बाद कभी हिंदुस्तान के किसान को ऐसी सुरक्षा की गारंटी कोई फसल बीमा योजना में नहीं थी। आपको भी खुशी होगी जो भी मेरे किसान भाई-बहन बैठे हैं यहां उनको बराबर समझ में आएगा। कभी-कभी बारिश के सीजन के पहले कितनी ही भयंकर गर्मी हो हम दिन-रात खेत में काम करके खेत को जोतते हैं। भयंकर गर्मी में जोतते हैं। कर्ज करके ट्रैक्टर किसी का मंगवा करके जुतवा थे। फसल के लिए बीज लाकर के रख देते हैं। सब कुछ कर देते हैं और सोचते हैं अब बस बारिश आएगी बुआई कर देंगे। जून महीना हुआ बारिश नहीं आई, जूलाई महीना हुआ बारिश नहीं आई, अगस्त महीना हुआ बारिश नहीं आई अब बेचारा किसान बुआई कैसे करेगा और खर्चा तो कर दिया, जोतने का खर्चा कर दिया, बीज खरीदने का खर्चा कर दिया, मजदूर लाने का खर्चा कर दिया लेकिन बुआई नहीं हो पाई तो किसान बेचारा भूखा मरेगा कि नहीं मरेगा। किसान को एक रुपये की भी कमाई होगी क्या? हम ऐसी फसल बीमा योजना लाए हैं कि आप बुआई नहीं कर पाए प्राकृतिक कारणों से तो भी आपको बीमा मिलेगा और आपका साल भर का जो खर्चा है उस बीमे के पैसे से निकल जाएगा भाइयों। इससे बड़ी किसान की सुरक्षा कोई दे सकता है। इतना ही नहीं हमने इससे भी आगे सोचा हमने कहा बुआई अच्छी हो जाए, बारिश अच्छी हो जाए, जब चाहे उतनी बारिश हो, जितनी चाहे उतनी बारिश हो, जब धूप निकले और जरूरत हो धूप निकल आए और सोला आनी फसल हो जाए सोला आनी। जीवन में बड़ी खुशी हो जाए, ऐसी फसल हो जाए। कटाई भी हो जाए खेल और खलिहान में सारा फसल वो कटाई करके उसका ठेर रख दिया हो, बस अब मंडी में ही जाने की तैयारी चल रही हो। आट ट्रैकटर आएगा तो मंडी चले जाएंगे, बैलगाड़ी आएगी तो मंडी लेकर चले जाएंगे, ट्रक वाला आएगा तो मंडी लेकर चले जाएंगे। रेडी पडा है, पूरा ठेर तैयार है और अचानक ओले गिर गए, और अचानक आंधी आ गई, और अचानक भयंकर बारिश आ गई। पकी-पकाई फसल प्राकृतिक कारणों से बरबाद हो गई। मंडी जाना ही था उससे पहले ही सब नष्ट हो गया।

भाइयों-बहनों।

हमने ऐसा बीमा दिया है, ऐसा बीमा दिया है कि कटाई के बाद खलिहान में चीजें रखी पड़ी हैं और अगर प्राकृतिक आपदा आ गई तो 15 दिन के भीतर-भीतर अगर आपदा आएगी तो भी आपको बीमा मिलेगा और किसान को बचा लिया जाएगा ये काम हमने किया है भाइयों। आप मुझे बताइये भाइयों-बहनों। ये बीमा का लाभ हमारे उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...? पूरा ताकत से बताइये मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...? किसानों की सुरक्षा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए …? और किसान को ज्यादा पैसा भी नहीं देना है अगर 100 रुपये बीमे का खर्चा है किसान को सिर्फ 2 रुपया देना है बाकी भारत सरकार देने वाली है। डेढ़ रुपया दो रुपया से ज्यादा किसान को नहीं देना है, उसके बावजूद भी ये काम बोलता है कह रहे हैं ना ये उनके कारनामे बोल रहे हैं, कारनामे देखो उन्होंने। जहां भाजपा की सरकारे हैं, जहां भाजपा की सरकारे हैं वहां 50/60 प्रतिशत किसानों का फसल बीमा हो गया। ये उत्तर प्रदेश 14 प्रतिशत से ज्यादा किसानों का फसल बीमा नहीं लिया गया।

भाइयों-बहनों।

ये किसानों के साथ अन्याय है कि नहीं ...? ये किसानों के साथ गुनाह है कि नहीं है ...। और भाइयों-बहनों। ये गुनाह करने वाली अखिलेश सरकार को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...? भाइयों-बहनों। भारत सरकार पैसे देती है, समर्थन मूल्य से आपका धान खरीदना, गेहूं खरीदना, दाल खरीदना सरकार भारत सरकार पैसे देती है लेकिन अखिलेश सरकार ने समर्थन मूल्य से किसानों से नहीं खरीदा। क्या गुनाह है किसानों का, क्यों गुस्सा है आपको किसानों के प्रति इतना, क्यों किसानों को मार रहे हो? जहां भाजपा की सरकार है 50/60 प्रतिशत समर्थन मूल्य से सरकार खरीदती है और ये उत्तर प्रदेश है। ये सरकार सोई पड़ी सरकार, किसान विरोधी सरकार तीन प्रतिशत से ज्यादा नहीं खरीदती है भाइयों, इससे बड़ा किसानों से अन्याय क्या हो सकता है। और इसलिए भाइयों-बहनों जो किसानों के विरूद्ध हो, जो विकास के विरूद्ध में हो जो सिर्फ जातिवाद का जहर फैलाकर के अपने राजनीति के उल्लू को सीधा करने में लगे हों ऐसे लोगों को उत्तर प्रदेश का नौजवान कभी माफ नहीं करेगा।  

मेरे नौजवान भाइयों-बहनों।

ये चुनाव मेरे नौजवान भाइयों-बहनों। ये चुनाव आपका भविष्य कैसा हो, उसके लिए निर्णय करने के लिए है। क्या आपके 15 साल बरबाद हुए, क्या और 5 साल बरबाद होने हैं ...? 15 साल सपा-बसपा की सरकारों ने आपको तबाह करके रखा है। क्या फिर से उसी चक्कर में जाना है क्या ...? क्या बेरोजगारी चाहिए ...?

भाइयों-बहनों।

ना हमें बेराजगारी चाहिए, ना हमें पलायन चाहिए। क्या कारण है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, मैं तो गुजरात में से आया हूं, गुजरात का कोई शहर ऐसा नहीं होगा जहां पूर्वी उत्तर प्रदेश के मेरे भाई-बहन वहां रहते ना हों। मैं उनको कभी पूछता हूं। बोले साब क्या करें ...? बूढ़े मां-बाप छोड़कर पेट भरने के लिए यहां आना पड़ा। रोजी रोटी कमाने आना पड़ा। गांव, खेत, खलिहान, भाई, बहन, मित्र सब कुछ छोड़कर के जाना किसको पसंद है?  क्या जनपद में ही मेरे नौजवान को रोजगार मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...? और इसलिए मेरे भाइयों-बहनों। पूर्वी उत्तर प्रदेश का विकास करना है औद्योगिक विकास करना पड़ेगा। उद्योग लगाने पड़ेंगे, कारखाने लगाने पड़ेंगे और कारखाने लगाने के लिए एक सबसे बड़ा महत्वपूर्ण काम होता है ऊर्जा का। बिजली मिलती है क्या …? बिजली मिलती है क्या …? पक्का नहीं मिलती है ना ...? आपके मुख्यमंत्री तो हिम्मत से कह रहे हैं बिजली मिलती है। आप लोग नसीबदार हैं, नसीबदार हैं मैं बताऊं कैसे? आपका चुनाव मतदान बड़ी देर से हो रहा है और देर से हो रहा है इसलिए आपको बिजली इस चुनाव में वो देने का प्रयास करते हैं लेकिन जहां, जहां पर चुनाव पूरा हो गया, मतदान हो गया वहां बिजली कट कर दी उन्होंने। आपके यहां भी 4 तारीख के बाद पक्का मान लीजिए कट करेंगे ही करेंगे। ये धोखा है कि नहीं है भाइयों ...? ये धोखा है कि नहीं है ...?  ये चालाकी है कि नहीं है ...? क्या जनता जनार्दन के साथ सरकार खुद चालाकी करे क्या?

भाइयों-बहनों।

अगर मुझसे गलती हो और मैं जनता जनार्दन के सामने आकर कह दूं कि ये मेरी गलती हो गई... तो जनता माफ करेगी कि नहीं करेगी ...? करेगी कि नहीं करेगी…? अरे मेरे देश की जनता उधार है भाई, हम लोग भी इंसान हैं, गलती होती है लेकिन जनता माफ करती है और उनको भरोसा होता है कि गलती स्वीकार करता है तो अच्छा करेगा, लेकिन तुम लोगों को तो इतनी गर्मी है, इतनी गर्मी है, इतना अहंकार है कि जनता को मूर्ख बनाने में लगे हो, झूठ फैला रहे हो।

भाइयों-बहनों।

भारत सरकार उत्तर प्रदेश को बिजली देने के लिए दरवाजे खटखटा रही थी कि आप बिजली लीजिए। बिजली लेते नहीं थे, सस्ते में बिजली भारत सरकार देती थी तो भी नहीं लेते थे। इतना ही नहीं हमने कहा घरों में अब गरीब से गरीब भी अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है। गरीब से गरीब भी अपने घर में एक छोटा सा टीवी लाना चाहता है। गरीब से गरीब भी गर्मी के दिनों में घर में पंखा चले ऐसी इच्छा करता है, करता है कि नहीं करता है भाइयों, करता है कि नहीं करता है। उसको बिजली चाहिए कि नहीं चाहिए ...। हमने कहा घरों में 24 घंटे बिजली के लिए भारत सरकार आपको पैसे देने के लिए तैयार है। आप हैरान हो जाओगे भाइयों-बहनों। 18000 करोड़ रुपया, 24 घंटे बिजली देने के लिए भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश को दिया। अभी भी आधे के करीब पैसे वो खर्च नहीं कर पाए, खर्च नहीं कर पाए। ऐसी कैसी सरकार है कि आपके घर में अंधेरा है, तिजोरी में पैसा पड़ा है, भारत सरकार बिजली दे रही है, भारत सरकार पैसे दे रही है लेकिन वो अपने घर में उजाला नहीं ले पा रहे हैं, ऐसा आपको अंधेरे में रहने के लिए मजबूर करने वाले लोग उनको एक दिन, एक दिन सरकार चलाने का हक नहीं है भाइयों।

भाइयों-बहनों।

आप मुझे बताइये। आज उत्तर प्रदेश में कोई बहन-बेटी अकेली शाम के समय घर के बाहर जा सकती है क्या ...? पूरी ताकत से बताइये। अकेली बहन-बेटी उत्तर प्रदेश में घर के बाहर निकल सकती है क्या …? वो बेटी सलामत रहेगी क्या …? वो बहन सलामत रहेगी क्या …? मां-बहनों को सुरक्षा मिलनी चाहिए कि नहीं चाहिए …? आए दिन बलात्कार, सोने की चेन भी है तो छीन लेना। मैं हैरान हूं। हत्या, लूट, बलात्कार, गुनाह भाइयों-बहनों। लोग कहते हैं यहां के पुलिस थाने वो समाजवादियों के दफ्तर बन गए हैं। ये पुलिस वाले भी घुटन महसूस करते हैं। आप जितने खुश होते हैं ना, ये पुलिस वाले भी खुश होते हैं कि भाजपा की सरकार आ जाए तो पुलिस थाना, पुलिस थाना बन जाए। उनको भी भरोसा है कि भाजपा की सरकार आएगी तो पुलिस थाना सच्चे अर्थ में पुलिस थाना बनेगा। आज जो समाजवादियों का दफ्तर बना है वो पुलिसवालों को बुरा करने के लिए मजबूर करते हैं भाइयों-बहनों। जब तक समाजवादी वाला ये आकर के कहे नहीं कि इसकी शिकायत दर्ज करो, तब तक शिकायत दर्ज नहीं होती है। शिकायत दर्ज करने का भी पैसा, न दर्ज करने का भी पैसा। आपको लगता है कि हवलदार लेता है, हवलदार के जेब में तो बेचारे को चने का भाव भी नहीं आता है, ये समाजवादी वाले ले जाते हैं, ये समाजवादी वाले। बदनाम हवलदार होता है, मलाई समाजवादी खाते हैं।

भाइयों-बहनों।

बंद होना चाहिए की नहीं होना चाहिए ...? और हमारे अखिलेश जी अभी कुछ दिन पहले बोल दिये कि गधे वाली बात तो मैंने मजाक-मजाक में कर दी थी। जब शीला दीक्षित जी ने कहा उनके नेता के लिए तो उनका भी ये बयान सुनकर ये मुझे भी लगा शायद यहां भी ऐसा ही है। भाइयों-बहनों। मैं जरा इस सरकार को पूछना चाहता हूं। क्या ये पुलिस थानों की दुर्दशा हुई है, क्या ये भी मजाक—मजाक में हो गई है क्या …? ये मां-बहनों के गले में चेन छीन ली जाती है। वो भी क्या मजाक-मजाक में होता है क्या …? ये छुरी-चाकू चलाकर के निर्दोषों को मार दिया जाता है, क्या ये भी मजाक-मजाक में भी होता है क्या ...? गैरकानूनी लोगों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाए, खेत के खेत हड़प कर दिये जाते हैं। क्या ये भी मजाक-मजाक में हो रहा है क्या …? निर्दोष लोग कहीं बाहर गए हो तो उसके घर का कब्जा कर लेना, अपने नाम कर देना, उसको बेचारों को फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर कर देना, क्या ये भी मजाक-मजाक में हो रहा है क्या …?

भाइयों-बहनों।

मोदी की मजाक करिये, मुझे कोई शिकायत नहीं है। अगर उससे आपको रात को ठीक नींद आती है और दस मजाक कर लीजिए मोदी आपकी नींद मिलती है तो खुश हो जाएगा। लेकिन कम से कम उत्तर प्रदेश को तो मजाक मत बनाइये। आपने पूरे उत्तर प्रदेश को पांच साल में मजाक बनाकर के रख दिया है। आपने उत्तर प्रदेश को तबाह कर के रख दिया है और इसलिए भाइयों-बहनों आप देखिये यहां कोई भी बाहुबली।

भाइयों-बहनों।

यहां कोई भी बाहुबली जेल जाता है तो मुस्कुराता हुआ जाता है। ऐसा क्यों भाई ...? ये जरा हमें समझाइये भाई। कोई जेल जाता है तो मुस्कुराता हुआ कैमरा के सामने फोटो निकालता हुआ जाता है क्या कारण है? ये इसलिए है कि यहां जेल गुनाहित काम करने के लिए, गैरकानूनी गतिविधि करने के लिए, अंदर बैठकर के बाहर अपनी गैंग से भयंकर से भयंकर कांड कराने के लिए जेल उनके लिए महल होता है। सारा सुख वैभव उनको जेल में उपलब्ध होता है उपर से कानूनी सुरक्षा मिल जाती है कि बाहर कोई भी गंभीर से गंभीर हत्या हो जाए, कांड हो जाए वो तो कोर्ट को कह देता है मैं तो जेल में था। ये बड़ी परफेक्ट व्यवस्था है।

भाइयों-बहनों।

जो लोग अभी जेल जाने से बाहर हैं वो और जो जेल में खाना-वाना पहुंचाते हैं उनके वो जरा यहां से मेरा मेसेज पहुंचा देना। मेरा संदेश पहुंचा देना। जमाना बदल चुका है, वक्त बदल चुका है। 11 मार्च को चुनाव नतीजे आने के बाद हम सच्चे अर्थ में जेल को जेल बनाकर रखेंगे फिर हम देखते हैं, कैसे गुजारा करते हैं, फिर कैसे मौज मस्ती करते हो, कैसे जेल से बाहर अपने खेल खेलते हो, 11 मार्च के बाद ये आपके सारे खेल खत्म हो जाएंगे।

भाइयों-बहनों।

कानून व्यवस्था की बातें चुनाव में करना और ऐसे बाहुबलियों टिकट देना,  क्या लोकतंत्र का मजाक नहीं है तो क्या है। भाइयों-बहनों एक चलचित्र आया था बाहुबली। अब बाहुबली जरा सिनेमा में तो अच्छे लगते हैं जरा, थोड़े समय जरा दम भी दिखता है उनका लेकिन कहते हैं कि बाहुबली फिल्म में एक कटप्पा करके पात्र था, कटप्पा। वो बाहुबली का सबकुछ उसने तबाह कर दिया था। ये छड़ी वाले में वो दम है जी, ये छड़ी वाले में वो दम है, ये छड़ी काफी है ये छड़ी जो है ना कानून का डंडा है, कानून का डंडा है। 11 मार्च को इसकी ताकत दिखाई देगी भाइयों। 11 मार्च को इसकी ताकत दिखाएगी और मैं मऊवासियों से कहता हूं मैं आपके साथ खड़ा रहूंगा।

भाइयों-बहनों।

लोकतंत्र को गुंडागर्दी के द्वारा दबोचने नहीं दिया जाएगा। लोकतंत्र की रक्षा होगी और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ऐसी सरकार देगी जो सामान्य मानवी को सुरक्षा की गारंटी देगी भाइयों। मैं आज आपके बीच अनुरोध करने आया हूं कि हमें पूरे पूर्वांचल का विकास करना है और विकास ऐसा करना है कि हिंदुस्तान का पश्चिमी छोर आज जहां पहुंचा है, मुझे उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के इलाकों को वहां लाकर के खड़ा कर देना है क्योंकि मैं यहां का सांसद हूं और सिर्फ काशी के लिए नहीं पूरे उत्तर प्रदेश के लिए काम करना है, हिंदुस्तान के लिए काम करना है लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश वो 62 में हुआ भाषण मैं भूल नहीं सकता हूं। 1962 में पंडित नेहरू के सामने जो भाषण हुआ है पार्लियामेंट में वो मैं कभी भूल नहीं सकता हूं इसलिए मैं पूर्वी उत्तर प्रदेश में मेरे लिए तो, मेरे लिए तो वो 62 का भाषण यही मेरे लिए आदेश है भले मैं उस समय बच्चा था लेकिन वो बात मेरे कान में आज भी गूंज रही है, वो जब में पढ़ता हूं तो ऐसा लग रहा है कि मैं संसद में उनको देख रहा हूं, मैं उनकी आवाज सुन रहा हूं। मुझे पूर्वी उत्तर प्रदेश को ऐसे आगे बढ़ाना है भाइयों। अच्छा होता ये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के दिमाग में विकास नाम की कोई चीज होती तो उनकी बात गुजरात के गधों तक नहीं अटक जाती। उनको पता होता कि गुजरात के समुद्री तट पर एक कंडला नाम का बंदरगाह है। गुजरात के समुद्री तट पर एक कंडला नाम का बंदरगाह है।        

भाइयों-बहनों।

कंडला से गोरखपुर करीब-करीब 2700 किलोमीटर लंबी गैस की पाइपलाइन बिछाई जा रही है। पांच हजार करोड़ रुपयों से एक गैस की पाइपलाइन बिछाई जा रही है। घरों में भी नलके से जैसे पानी आता है ना वैसे नलके से गैस आएगा। जब गैस आएगा तो यहां पर कारखाने लगेंगे क्योंकि ऊर्जा की सबसे बड़ा ताकत गैस के आधार पर पाई जाती है। विकास का एक बहुत बड़ा काम पांच हजार करोड़ रुपये से गुजरात के कंडला से पाइपलाइन से हम गैस लाएंगे। गुजरात को याद करना है तो गधों को याद कीजिए वो गधे भी तो शानदार हैं लेकिन कभी कंडला के गैस को भी याद करिये, कंडला के गैस को भी याद करिये जो उत्तर प्रदेश के जीवन को बदलने वाला है, ऊर्जा को देने वाला है ये विकास की हमारी दिशा है।

भाइयों-बहनों।

जो मां लकड़ी का चूल्हा जलाकर के खाना पकाती थी उस मां को आज हमने सामने से घर-घर जाकर के गैस का सिलेंडर, गैस का कनेक्शन देने की बीड़ा उठाया है। तीन साल में 5 करोड़ परिवारों को गैस पहुंचाना है। अकेले उत्तर प्रदेश में लाखों की तादाद में परिवारों को घर-घर गैस पहुंचाने का काम चल रहा है और आने वाले दिनों में भी ये काम तेजी से आगे बढ़ेगा। जो परिवार बाकी हैं उनको भी पहुंच जाएगा काम ऐसे होता है भाइयों। ये सरकार गरीब के लिए है, ये सरकार गरीब युवकों के लिए है, ये सरकार गरीब बच्चों के लिए है, ये सरकार गरीब बुज़ुर्गों के लिए है और इसलिए हम कहते हैं हमारा विकास का सूत्र साफ है किसान के लिए सिंचाई, युवाओं के लिए कमाई, बच्चों के लिए पढ़ाई और बुजुर्गों के लिए दवाई ये मंत्र लेकर के हम सबका साथ सबका विकास करना चाहते हैं।

भाइयों-बहनों।

आज बीमारी बड़ी मंहगी है। परिवार में एकाध व्यक्ति अगर ह्रदय रोग की बीमारी हो जाए, डायबिटीज हो जाए, कैंसर हो जाए तो पूरा परिवार कर्जदार हो जाता है। घर बेचना पड़ता है, खेत बेचना पड़ता है उसको बीमारी की दवाई करने के लिए बाद में बचेगा नहीं बचेगा कोई गारंटी नहीं है। इतनी महंगी दवाइयां बेचते थे। आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया तो मैंने दवाई बनाने वालों को बुलाया, मैंने कहा आओ भाई जरा और फिर मैंने उनको पूछा क्या-क्या अंदर डालते हो, कितना खर्चा होता है, फैक्ट्री का कितना होता है, पगार में कितना जाता है, किराया सब बताओ। साल भर पूछता रहा बताते ही नहीं थे, पूछता रहा, पूछता रहा, निकालता रहा। आखिरकर मैंने 800 दवाइयां जो लोगों के जीवन के लिए जरूरी थीं, गंभीर बीमारियों में जरूरी थी 800 दवाइयों की कीमत मैंने कम कर दी, 800 दवाइयां और कितनी कम की हैं। एक दवाई तो ऐसी थी जिसको महीने में एक बार गोली लेने पड़ती थी गोली की कीमत थी 30 हजार रुपया। एक गोली 30 हजार रुपया में गरीब कहां से खाएगा। क्या गरीब को ऐसे मरने दिया जाएगा, मैंने उन सारे दवाई बनाने वालों को कहा कि जो 30 हजार में गोली बिकती है वो 3 हजार में बिकनी चाहिए। जो गोली 80 रुपये में बिकती है वो 7 रुपये में बिकनी चाहिए, जो 200 रुपये में गोली बिकती है वो 12 रुपये में बिकनी चाहिए। 800 दवाइयों का भाव कम कर दिया भाइयों। बाद में आपने देखा होगा हार्ट अटैक आता है लोगों को, ह्रदय रोग की बीमारी होती है, दिल का दौरा पड़ जाता है तुरंत लोग दौड़ते हैं डॉक्टर के पास बड़ा जबरदस्त पेन होता है। अब डॉक्टर कहता कि भाई आपकी जो नली है ना उसमें खून का जाने का रास्ता बंद हो गया है, खोलना पड़ेगा। ह्रदय के अंदर स्टेंट लगाना पड़ेगा, यहां पूर्वी उत्तर प्रदेश में कहते हैं छल्ला लगाना पड़ेगा। ह्रदय की नली में छल्ला लगाना पड़ेगा, फिर वो गरीब आदमी बेचारा परिवार का स्वजन मृत्युशैया पर पड़ा हुआ है तो उसको लगता है हां चलो भाई कर्ज करेंगे लेकिन छल्ला लगवा दो। फिर डॉक्टर कहता है कि ये छल्ला लगवाओगे तो 45 हजार रुपया होगा तो पूछता है वो बेचारा रिश्तेदार, भई ये 45 हजार रुपया खर्चा तो करेंगे लेकिन ये बीमार जो है कितने दिन जिंदा रहेगा, वो कहते हैं 45 हजार वाला छल्ला लगाओगे तो 4,6 साल तो निकाल देगा, फिर कहता है ये दूसरा छल्ला है जो विदेश का है ये अलग लगाओगे तो डेढ़ लाख रुपया लगेगा लेकिन पूरी जिंदगी में कोई तकलीफ नहीं होगी। जब तक कुदरती मौत नहीं होगी इसको कोई तकलीफ नहीं होगी तो गरीब आदमी को लगता है चलो गहने बेच दो, घर बेच दो, खेत बेच दो, कर्च ले आओ, मजदूरी करके कर्ज चुकाएंगे इसकी जिंदगी बचा लो। भाइयों-बहनों इन छल्लों बनाने वालों को मैंने बुलाया, मैंने कहा आओ। मैंने कहा बताओ ये छल्ले में क्या-क्या रखते हो? कितने में आता है? कितना खर्चा करते हो?

भाइयों-बहनों।

अभी एक 15 दिन पहले मैंने हुक्म कर दिया कि अब 45 हजार रुपये में छल्ला नहीं बिकेगा, 7 हजार रुपये में छल्ला बेचना पड़ेगा। सवा लाख, डेढ़ लाख में ये विदेश के नाम पर छल्ले नहीं बेचे जाएंगे वो आपको 25, 27 हजार रुपये में बेचना पड़ेगा। गरीब को बेमौत मरने नहीं दिया जाएगा भाइयों-बहनों काम ऐसे होता है। ये सरकार गरीब के लिए है। अब आप मुझे बताइये मेरे जैसा इंसान, एक गरीब मां का बेटा, न जिसके पिता जी कभी प्रधानमंत्री थे न गांव के प्रधान थे बेचारे चाय बेच-बेचकर जिंदगी गुजारा करते थे। जिसकी मां अड़ोस-पड़ोस के घरों में पानी भरती थी, कचरा-झाड़ू करती थी उसके बेटे को आज प्रधानमंत्री बना दिया है। मैंने गरीबी देखी है, मैं गरीबी में जिया हूं। गरीब का दर्द क्या होता है, ये देखने के लिए मुझे टूर नहीं करनी पड़ती मैं उसका अनुभव करता हूं और इसलिए भाइयों-बहनों जब में गरीब के लिए लड़ाई लड़ता हूं तो कितने लोग दुश्मन बन जाएंगे इसका मुझे अंदाज है। आप मुझे बताइये। ये 500 और 1000 की नोट जिनकी गई वो मुझे आशीर्वाद देंगे क्या ...? नरेंद्र मोदी जी आपने बहुत अच्छा किया ऐसा कहेंगे क्या ...? मौका पड़ते ही मुझे ठीक करेंगे कि नहीं करेंगे ...? मेरे पीछे पड़ जाएंगे कि नहीं पड़ जाएंगे ...? जो दवाइयों के इतने रुपये लेते थे मैंने रुपये कम कर दिये वो क्या मुझे फूल-माला पहनाएंगे ...? जो छल्ले बनाकर के इतने रुपये लूटते थे मैंने बंद कर दिया वो क्या मेरी जय-जयकार करेंगे क्या ...? ये मेरे पीछे पड़ जाएंगे कि नहीं पड़ जाएंगे ...? लेकिन क्या मुझे ऐसे लोगों से डरना चाहिए क्या ...? डरना चाहिए क्या …? डरना चाहिए क्या ...? अरे गरीब के लिए जीना है जिसको जो करना है कर ले ये सरकार गरीब के लिए काम करेगी। निर्णय करने से रूकने वाली नहीं है।

भाइयों-बहनों।

70 साल तक देश का जिन्होंने लूटा है मैंने 500 और 1000 के नोट बंद करके उनको बैंकों में वापस रखने के लिए मजबूर कर दिया है। जो गरीब का लूटा है वो गरीब को लौटाने कर ही मैं रहने वाला हूं ये मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं। और इसलिए भाइयों-बहनों। उत्तर प्रदेश का भाग्य बदलने के लिए, उत्तर प्रदेश के नौजवानों का भविष्य बनाने के लिए, उत्तर प्रदेश के ईमानदार नागरिकों की सुरक्षा के लिए, कानून का राज्य बनाने के लिए मैं आपसे आग्रह करने आया हूं। भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाइये। 4 तारीख को भारी मतदान कीजिए नया इतिहास बना दीजिए और जेल वालों को बता दीजिए अब जेल, जेल बनकर रहेगी। बाहुबलियों का कोरबार नहीं चलेगा। इस विश्वास के साथ मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!