Modi needs 400 seats to stop the conspiracies of Congress and the INDI Alliance: PM Modi in Dhar
Congress intends to prioritize minorities in sports as well: PM Modi in Dhar

सारा भाई काजे राम राम ! वारलु छे की नर्मदा मैया की जय ! कोटेश्वर और बालीपुर के संतों को मेरा प्रणाम!

आप सब अपना समय निकालकर मुझे आशीर्वाद देने आए हैं, ये मेरे लिए बहुत बड़े सौभाग्य की बात है। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। आप सब मेरा प्रणाम स्वीकार करिए।

साथियों,

आज सुबह मैं मेरा कर्तव्य निभाने गया था और सुबह मैं वोट करके आपके पास आया हूं। और मेरा हमेशा मत रहा है कि ये लोकतंत्र का उत्सव है। उत्सव को हमने, नागरिकों ने उत्सव के रूप में मनाया चाहिए और आज मैं धार में देख रहा हूं कि मेरी माताएं-बहनें-बेटियां जिस प्रकार से परंपरागत वेशभूषा में आई हैं जैसे अपने परिवार में कोई अवसर हो वैसे, ये लोकतंत्र का मिजाज है। आपने ये और मैं पक्का मानता हूं कि मीडिया वाले मुझे तो बहुत पब्लिसिटी देते हैं लेकिन थोड़ा आज ये उत्सव का माहौल बनाकर यहां जो मैं बहन-बेटियां देख रहा हूं क्या बढ़िया-बढ़िया वस्त्र पहनकर के आई है, लोकतंत्र का उत्सव मना दिया इन सबने। और लोकतंत्र और चुनाव ये महापर्व होता है लोकतंत्र का। और चुनाव में उत्सव का माहौल जब बन जाता है ना तो मतदान तो बढ़ता ही बढ़ता है लेकिन जो 18 साल से कम उम्र के बच्चे हैं घर में उनको लोकतंत्र का महात्म्य क्या है? चुनाव का महात्म्य क्या है? वोट देने का मतलब क्या होता है? एक प्रकार से चुनाव ये संस्कार संक्रमण की प्रक्रिया भी है। लोकतंत्र के प्रति समर्पण को और अधिक प्रभावी बनाने का ये उत्तम से उत्तम अवसर है और धार के मेरे भाई-बहनों ने आज ये माहौल जो बना दिया है उत्सव का, मैं धार के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। (यहां कुछ लोग ये फोटो वगैरह लेके आए हैं, आप सबके फोटो मैंने देख लिए हैं। अगर आप बैठ जाएंगे तो मेरे पे बड़ी कृपा होगा। क्योंकि पीछे सबको परेशानी होती है। मैंने देख लिया है, आप तस्वीर लाए हैं, कृपा करके आप बैठिए। नहीं बैठेंगे, उन तस्वीरों को नीचे रखिए, आराम से नीचे बैठिए। मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आप इतनी मेहनत करके चित्र बनाकरके यहां लाए हैं। लेकिन आप आराम से बैठिए, थक जाएंगे।)

बोलो, भारत माता की। भारत माता की। भारत माता की।

साथियों,

4 जून में अब एक महीना भी नहीं बचा है। आज तीसरे चरण की वोटिंग चल रही है। पहले चरण में विपक्ष पस्त पड़ गया था। दूसरे चरण में विपक्ष ध्वस्त हो गया था। आज तीसरे चरण के बाद जो इधर-उधर कुछ छोटे-छोटे टिमटिमाते तारे दिखते हैं वो भी अब अस्त होना तय हो जाएगा। क्योंकि पूरे देश ने ठान लिया है- फिर एक बार...मोदी सरकार। फिर एक बार...मोदी सरकार। फिर एक बार...मोदी सरकार।

साथियों

यहां से महू ज्यादा दूर नहीं है। महू में ही बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म हुआ था। ये भूमि मेरे जैसे कितने ही लोगों के लिए किसी तीर्थ स्थली से कम नहीं है। और मैं तो अगर स्वार्थ की भाषा में बोलूं, मुझे बोलना नहीं चाहिए लेकिन अगर स्वार्थ भाषा में बोलूं तो मैं कहूंगा बाबा साहेब का संविधान न होता तो मोदी इस जगह पर नहीं होता। ये बाबासाहेब का संविधान जिसके कारण आप मुझे यहां तक पहुंचा पाए। नहीं तो आज भी एक ही परिवार का राज देश में चल रहा होता। नामदार ही नामदार होते, कामदार का कोई हिसाब ही नहीं होता। लेकिन ये बाबा साहेब के संविधान की ताकत है कि नामदार को हटा के देश ने एक कामदार को बिठा दिया। और यही वजह है कि कांग्रेस बाबा साहेब से नफरत करती है? इसी नफरत में अब कांग्रेस ने एक और चाल चली है। कांग्रेस चाहती है कि संविधान बनाने का श्रेय बाबा साहेब को ना मिले। इसलिए अब कांग्रेस ने कहना शुरू कर दिया है कि बाबा साहेब का योगदान तो बहुत कम था...ये संविधान बनाने में सबसे ज्यादा भूमिका, सबसे बड़ी भूमिका ये उनके चाचा देश के पंडित नेहरू जी की थी। क्या ये बात आपके गले उतरती है क्या। हिंदुस्तान का बच्चा भी आज जानता है न भारत का संविधान बनाने में सबसे बड़ा योगदान बाबा साहेब अंबेडकर का था कि नहीं था। लेकिन इन परिवारवादियों ने पहले देश का इतिहास तोड़ा-मरोड़ा, आजादी के महान सपूतों को भुलवा दिया। इन परिवारवादियों ने अपना महिमामंडन करने के लिए, अपने ही गीत गाने के लिए, अपनी ही वाहवाही करने के लिए झूठा इतिहास लिखा। और अब ये संविधान को लेकर भी झूठ गढ़ने लगे हैं और उसको भी कब्जा करने के मिजाज में हैं। सच तो ये हैं कि कांग्रेस का ये परिवार बाबा साहेब से घोर नफरत करता है। कांग्रेस ने आंबेडकर जी की राजनीति को खत्म करने की हर साजिश रची। मैं इसे भाजपा सरकार का सौभाग्य मानता हूं। भाजपा के समर्थन वाली केंद्र सरकार ने कुछ वर्ष पहले बाबा साहेब को भारत रत्न दिया। ये जब गए तब मौका मिला। मैं इसे भी अपना सौभाग्य मानता हूं कि मुझे बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित करने का अवसर मिला।

साथियों,

हार की हताशा में आजकल कांग्रेस और इंडी गठबंधन के लोग एक नई अफवाह उड़ा रहे हैं। ये कहते हैं मोदी को 400 सीटें मिल गईं, तो वो संविधान बदल देगा। ऐसा झूठ चलाते हैं न। ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस वालों की बुद्धि पर वोट बैंक का ताला पड़ गया है। अब इनको मैं बुद्धिमानी कहूं या न कहूं ये भी मेरे लिए सवाल है। अरे इनको पता होना चाहिए। 2019 से 2024 ये जो पांच साल मैंने सरकार चलाई न और 2019 में जो आपने वोट दिया था। 2019 से 2024 मोदी के पास एनडीए प्लस के रूप में 400 सीटों का समर्थन था ही था। अब ये इनको इतनी भी याद नहीं है। जनता ने इनको ऐसा मारा है कि अभी तक होश नहीं आया है। 2019 के बाद करीब-करीब 360 सीटें तो NDA के ही पास थीं। इसके अलावा तीन-चार क्षेत्रीय पार्टियों और निर्दलीय, पूरे पांच साल हमारे साथ खड़े रहे, ये सब अगर मैं मिला लूं, एनडीए प्ल्स का हिसाब लगा हूं तो ये करीब-करीब 400 पहुंच जाता है। और मोदी ने इन 400 सीटों का उपयोग किसलिए किस काम के लिए किया? मोदी ने 400 सीटों का उपयोग 370 हटाने के लिए किया। मोदी ने 400 सीटों का उपयोग SC/ST के आरक्षण को 10 साल आगे बढ़ाने के लिए किया। मोदी ने 400 सीटों का उपयोग आदिवासी बेटी को राष्ट्रपति बनाने के लिए किया। मोदी ने 400 सीटों का उपयोग महिला आरक्षण के लिए किया। और मोदी 400 सीटें क्यों मांग रहा है, ये भी देश को जानना जरूरी है। मोदी को 400 सीटें, यानि 2019 से 24 तक जो दिया उसको रिपीट करने के लिए मैं कह रहा हूं। मोदी 400 सीटें चाहिए ताकि मैं कांग्रेस और इंडी गठबंधन की हर साजिश को रोक सकूं। मोदी को 400 सीटें चाहिए ताकि कांग्रेस कश्मीर में धारा 370 को फिर से वापस लाकर चिपका न दे, खेल बिगाड़ न दे। मोदी को 400 सीटें चाहिए ताकि कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर पर बाबरी ताला ना लगा दे। मोदी को 400 सीटें चाहिए ताकि कांग्रेस देश की खाली जमीन, खाली द्वीप, दूसरे देशों को ना सौंप दे। मोदी को 400 सीटें चाहिए ताकि कांग्रेस SC-ST-OBC से उनको जो आरक्षण मिला है न, बाबा साहेब अंबेडकर ने जो आरक्षण दिया है, भारत के संविधान ने जो आरक्षण दिया है, ये वोटबैंक के लिए डाका न डालें इसलिए 400 सीट चाहिए। मोदी को 400 सीटें चाहिए ताकि कांग्रेस अपने वोटबैंक की सभी जातियों को रातोंरात OBC ना घोषित कर दे। ओबीसी कोटा में डाका न डाले। 

साथियों

पिछले दो सप्ताह से 14 दिन हो गए जब मैंने कांग्रेस को तीन बातें लिखकर देने की चुनौती दी थी। मैंने कहा था- 140 करोड़ देशवासियों को लिखकर दो- धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दोगे। मैंने सही कहा कि नहीं कहा। मैंने कहा था- लिखकर दो- SC-ST-OBC का आरक्षण कभी नहीं छीनोगे। मैंने कहा था- लिखकर दो- कांग्रेस की राज्य सरकारें OBC कोटे से रातोंरात डाका डालकर मुसलमानों को आरक्षण नहीं देंगी। मेरे तीन सवाल, बहुत सिंपल सवाल है, लेकिन कांग्रेस चुप करके बैठ गई है। मुंह पर ताला लगा दिया है उसने। ये चुप्पी खतरे वाली चुप्पी है। उनके अंदर खेल है और मैंने उनके दिमाग का एक्सरे निकाला है। वो आपका एक्सरे निकालने वाले हैं न, तो मैंने सोचा पहले इनके दिमाग को देखूं अंदर है क्या। तो उसमें वोटबैंक ही नजर आ रही है, हर चीज में वोट बैंक।  

साथियों

कांग्रेस तो चुप है लेकिन आज इनके एक बड़े साथी ने इंडी-गठबंधन के इरादों पर मुहर लगा दी। उनके एक नेता जो चारा खाने के कारण जेल में हैं। जो पशुओं का चारा खा रहे हैं, और अदालत ने जिनको सजा दिया है। सुप्रीम कोर्ट तक सबने मान्य किया है कि इन्होंने भ्रष्टाचार किया है। इनकी बेशर्मी देखो, अभी वो जमानत पर आए हैं बाहर, तबियत के कारण। जेल में कैद थे, कैदी हैं। गुनहगार है, अदालत ने उनको गुनहार बना दिया है। अरे आपके गांव में कोई छह महीने साज काटकर आए न, तो गांव वाले दूर रहते हैं। बेटी का व्यवहार करने से दूर रहते हैं। ये कांग्रेस वाले इतने गिर चुके हैं उनको माथे पर बिठा के नाच रहे हैं। अच्छा उन्होंने क्या कहा, अभी-अभी कहा है पिछले 24 घंटे में ही। उन्होंने कहा- मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए। और सिर्फ आरक्षण नहीं मिलना चाहिए, वो कहते हैं कि पूरा का पूरा आरक्षण मुसलमानों को मिलना चाहिए। इसका मतलब क्या हुआ? यानि SC/ST/OBC समाज को जितना आरक्षण मिला है, वो छीनकर, ये लोग पूरा का पूरा आरक्षण मुसलमानों को देना चाहते हैं। आखिर ये लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि यही वोट बैंक उसी के सहारे वो अपने सांस गिन रहे हैं। बाकी तो उनका सब खतम हो चुका है, कुछ बचा नहीं है। बारी-बारी से सब छोड़कर भाग गए। 

बताइए साथियों,

मोदी तो इतने दिनों से सिर्फ यही कह रहा था...कि ये आपके हक में से कुछ हिस्सा काटकर धर्म के आधार पर बांट देंगे। लेकिन इनकी साजिश तो और गहरी है। ये लोग अब डंके की चोट पर कह रहे हैं, जिस दिन वोटिंग हो रही है उस दिन कह रहे हैं। SC/ST/OBC का पूरा आरक्षण, ये मुस्लिम समाज को देना चाहते हैं। मैं आप से पूछ रहा हूं भाइयों-बहनों, ये धार की धरती है, राजा भोज की धरती है। आप मुझे बताइए, ये जो इंडी अलायंस वाले, कांग्रेस वाले और उनके चट्टे-बट्टे ये जो खेल कर रहे हैं। क्या आपको ये मंज़ूर है क्या? सबके सब हाथ ऊपर करके बताइए मंजूर है क्या। आप इसको मंजूरी दे सकते हैं क्या। ये आपके हकों को लूटना चाहते हैं, ऐसे लोगों का जमानत जब्त होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। इनको हमेशा-हमेशा राजनीतिक जीवन से दूर करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। जो बाबा साहेब को मंज़ूर नहीं था...जिसका बाबा साहेब ने अपने युग में विरोध किया था। क्या आप इसका विरोध करेंगे। इस बार ये कांग्रेस और उनके सब साथियों को चुन-चुन करके राजनीति में साफ कर देना ये बाबा साहेब अंबेडकर को बड़ी श्रद्धांजलि होगी। क्योंकि उन्होंने बाबा साहेब आंबेडकर की पीठ में छुरा घोंपा है। इन्होंने भारत के संविधान की पीठ में छुरा घोंपा है। मोदी ने इस चुनाव में कांग्रेस के सारे वादों-इरादों की पोल खोल दी है।

साथियों

कांग्रेस तुष्टिकरण के दलदल में ऐसा धंस चुकी है कि उसे और कुछ नजर नहीं आता है। कांग्रेस की चली तो कांग्रेस कहेगी कि भारत में जीने का पहला हक भी उसके वोटबैंक को है। अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने लिखा है, कांग्रेस सरकारी टेंडर में भी अल्पसंख्यकों को हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगे। यानि कांग्रेस ठेकेदारी में भी धर्म के आधार पर कोटा देगी। कांग्रेस का इरादा खेलों में भी अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता का है। यानि क्रिकेट टीम में कौन रहेगा, कौन नहीं रहेगा, ये कांग्रेस अब धर्म के आधार पर तय करेगी। मैं आज कांग्रेस से पूछता हूं। अगर ऐसा करना ही था तो 1947 में जब देश आजाद हुआ तो कांग्रेस ने देश का भारत माता का तीन टुकड़े क्यों कर दिए। भारत मां की भुजाएं क्यों काट दी। देश का बंटवारा क्यों किया। 47 में ही आप पूरा देश पाकिस्तान बना देते। उसी समय भारत का नामोनिशान मिटा देते। मैं आज दो टूक कह रहा हूं। और ये कांग्रेस वाले और उसके चट्टे-बट्टे जरा कान खोलकर सुन लो। और मैं बराबर पूरी ताकत से कह रहा हूं। कांग्रेस वाले और उनके सारे इंडी अलायंस वाले कान खोलकर सुन लो, जब तक मोदी जिंदा है...नकली सेक्यूलरिज्म के नाम पर भारत की पहचान मिटाने की कोई भी कोशिश मोदी सफल नहीं होने देगा। और ये हजारों वर्ष पुराने भारत को, उसकी इस संतान की गारंटी है।

भाइयों और बहनों,

मोदी भारत को विकसित बनाने के मिशन पर निकला हुआ है। मोदी आया तो करोड़ों परिवारों को पहली बार पक्का घर मिला, माता-बहनों को टॉयलेट मिला। मोदी ने दलित, आदिवासी परिवारों की माताओं-बहनों को गरिमापूर्ण जीवन का अवसर दिया। 50 साल तक गरीबी हटाओ का सिर्फ नारा लगाने वाली कांग्रेस अब गरीब को मिल रही सुविधाओं से भी नाराज है। कांग्रेस के नेता कहते हैं कि मुफ्त इलाज की योजना को बंद कर देंगे।  कांग्रेस के नेता कहते हैं कि मुफ्त अनाज की योजना को बंद करेंगे। मोदी मुफ्त अनाज देता है, क्यों, क्योंकि गरीब के घर का चूल्हा जलता रहना चाहिए। गरीब के घर का चूल्हा बुझना नहीं चाहिए। गरीब का बच्चा भूखा सोना नहीं चाहिए। और कांग्रेस कहती है अनाज देना बंद कर देंगे। इलाज मुफ्त करना बंद कर देंगे। आप मुझे बताइए, क्या आप कांग्रेस को ऐसा करने देंगे? क्या कांग्रेस को MP में एक भी सीट जीतने देंगे?

भाइयों और बहनों,

कांग्रेस के समय में गरीब अगर कुछ भी करना चाहता था, तो सबसे बड़ा सवाल होता था, गरीब की गारंटी कौन लेगा? आप उस दर्द को, गरीब की उस बेबसी को समझिए। उस गरीब के मन में कुछ करने की, कुछ बनने की इच्छा होती थी। लेकिन कांग्रेस की सरकार, कांग्रेस की बनाई व्यवस्था, उस गरीब पर भरोसा नहीं करती थी। कांग्रेस सोचती थी, गरीब पैसा लेकर भाग जाएगा ! महलों में रहने वाले कांग्रेस के नेताओं को पता नहीं, गरीब भागता नहीं है, गरीब मेहनत करता है, गरीब सूखी रोटी खा लेगा लेकिन गरीब कर्ज लेकर घी नहीं पीता।

साथियों

ये मोदी, ये गरीब का बेटा है, जिसने देश के हर गरीब की गारंटी ली है। मोदी ने 50 करोड़ से अधिक बैंक अकाउंट खोले। मोदी ने गरीब से बिना गारंटी लिए मुद्रा योजना के तहत उन्हें लगभग 30 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया। मोदी ने बिना गारंटी लिए रेहड़ी-ठेले-फुटपाथ पर काम करने वाले गरीबों को बैंकों से 11 हजार करोड़ रुपए की मदद दिलवाई।

भाइयों और बहनों,

भाजपा विकास भी, विरासत भी के मंत्र पर चलती है। लेकिन कांग्रेस ने विरासत के, आस्था के हमारे हर काम का विरोध किया। महाकाल महालोक का निर्माण भाजपा ने किया। कांग्रेस ने इसका कदम-कदम पर विरोध किया। देश की धरोहरों को संरक्षण देना और उससे रोज़गार पैदा करना ये भाजपा का प्रयास रहता है। इसलिए ही धार की भोजशाला, बाग गुफाएं, मांडू का जहाज महल ऐसी जगहों पर भाजपा सरकार सुविधाओं का विस्तार कर रही है।

साथियों,

बीते 10 सालों में यहां इंफ्रास्ट्रक्चर के इतने सारे काम हुए हैं। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे बनने से सबका जीवन आसान हो गया है। अभी कुछ दिन पहले यहां पर एक टेक्सटाइल पार्क का भी शिलान्यास हुआ है। ये पार्क बन जाने के बाद एक तो यहां के कपास किसानों को बहुत फायदा होगा। यहां पिथमपुर इंडस्ट्रियल ज़ोन है। आने वाले 5 सालों में यहां नए उद्योग आएंगे। और इन सबका लाभ इस क्षेत्र के मेरे नौजवानों को होने वाला है। 

साथियों

13 मई को आपको महिलाशक्ति को प्रणाम करते हुए वोट करना है। धार से बहन सावित्री ठाकुर और रतलाम से बहन अनीता नागर सिंह चौहान, इन दोनों को हर बूथ पर जिताना है। ज्यादा से ज्याद मतदान करवाएंगे, हर पोलिंग बूथ जीतेंगे। महिलाओं का मतदान पुरुषों से ज्यादा करवाएंगे। पोलिंग बूथ के सारे रिकार्ड तोड़ेंगे। अच्छा मेरा एक काम करेंगे, सब के सब बताओ, तब बोलूंगा। जरा हाथ ऊपर करके बताओ, मेरा एक काम करोगे। देखिए, घर-घर जाइएगा, कोई घर छूटना नहीं चाहिए, हर परिवार में जाइए और हर परिवार में जाकर कहिएगा कि अपने मोदी जी धार आए थे और मोदी जी ने सबको राम-राम कहा है। मेरा राम पहुंचा दोगे। हर बुजुर्ग को मेरा राम-राम पहुंचेगा, हर माता-पिता को मेरा राम-राम पहुंचेगा, हर दादा-दादी को मेरा राम-राम पहुंचेगा। हर परिवार में मेरा राम-राम पहुंचेगा। 

बोलिए, भारत माता की। भारत माता की। भारत माता की।

बहुत बहुत धन्यवाद

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!