Had these family-oriented parties been in the government, they would have got the vaccine first by breaking all the lines, says PM Modi
If any decision is against the interest of the country, opposition do not hesitate to take that decision. They act only to remain in power: PM Modi on vote bank politics
Congress or Samajwadi Party, has remained hostage to one family for the past several decades: PM Modi on ‘Parivarvad’ in politics

नमस्कार !

अमेठी और सुल्तानपुर के यहां के लोग जब प्यार देते हैं, तो जमकर के देते हैं। आज भी मैं वही स्नेह, वही अनुराग, वही अपनापन अनुभव कर रहा हूं और इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। साथियो, उत्तर प्रदेश चुनाव के 4 चरण पूरे हो चुके हैं। चारों ही चरणों में लोगों ने एकजुट होकर बीजेपी को अपना आशीर्वाद दिया है। जो घोर परिवारवादी सोच रहे हैं, कि यूपी के लोग बंट जाएंगे, बिखर जाएंगे। देशहित को भूल जाएंगे। उत्तर प्रदेश के हितों को भूल जाएंगे। अपने इलाकों के हितों को भूल जाएंगे। उन सबके सारे गणित उल्टे पड़ गए हैं। उन्हें सच्चाई का पता 10 मार्च को लग जाने वाला है भाइयो। और इसलिए इस बार उत्तर प्रदेश रंगों वाली होली 10 को ही मनाना शुरू कर देगा। अमेठी-सुल्तानपुर के लोग तो जानते ही हैं कि परिवारवादियों की हमेशा से ही ये दिक्कत रही है। ये लोग जमीनी हकीकत से इतना दूर हैं, इतने आसमान में हैं, कि जमीन पर क्या चल रहा है, इन्हें दिखाई ही नहीं देता है। 

साथियो, 

आज दशकों बाद यूपी में ऐसा चुनाव हो रहा है जब कोई सरकार अपने किए विकास कार्यों के आधार पर, गरीबों के हित में किए गए कार्यों के आधार पर आज आपसे वोट मांग रहा है। वर्षों बाद ऐसा हुआ है जब यूपी की सरकार, सुधरी हुई कानून-व्यवस्था पर वोट मांग रहा है। वर्षों बाद ऐसा हुआ है जब यूपी में दंगे रुके हैं, अपराधियों की हिम्मत पस्त हुई है। वर्षों बाद ऐसा हुआ है जब मुख्यमंत्री अपने परिवार को आगे बढ़ाने, भ्रष्टाचार का आरोप ऐसी किसी भी मुसीबत को इस चुनाव के मैदान में झेल नहीं रहा है। और, वर्षों बाद ऐसा हुआ है, जब गरीब, मध्यम वर्ग, खुद आगे आकर कह रहा है- आएगी तो एनडीए ही, आएगी तो एनडीए ही, आएंगे तो योगी ही। 

भाइयो और बहनो, 

जो ये परिवारवादी लोग होते हैं, वो सत्ता में इसलिए आना चाहते हैं ताकि अपनी और अपने परिवार की ताकत बढ़ा सकें, और राजा-महाराजा की तरह आप पर राज कर सकें। हमें किसी ताकत के लिए सत्ता नहीं चाहिए, ना ही हमारी ताकत कोई बाहुबली या माफिया है। हमारी ताकत उत्तर प्रदेश की जनता है, उत्तर प्रदेश का गरीब है। उत्तर प्रदेश की माताएं-बहनें हैं। वो आज देख रहा है कि कैसे बीते पांच सालों में भाजपा सरकार ने उसकी भलाई के लिए काम किया है। वो जानता है कि हर सुख-दुख में हमारी सरकार उनके साथ खड़ी रही है। वो जानता है कि सरकार का योजनाओं का लाभ देने में, हम कभी भी न  जाति देखते हैं न मजहब देखते हैं। हम सिर्फ ईमानदारी से जो भी गरीब है, जो भी योजना का हकदार है,  उसकी आवश्यकता की पूर्ति का प्रयास करते हैं। इसलिए आज यूपी के लोग भाजपा को दिल से इतना आशीर्वाद दे रहे हैं।

भाइयो और बहनो, 

आज का दिन 24 फरवरी मेरे जीवन का विशेष दिन है क्योंकि आज ही पीएम किसान सम्मान निधि को तीन साल पूरे हुए हैं। जब 2019 में हमने ये योजना शुरू की थी तो कई लोग अफवाहें फैला रहे थे, भ्रम फैला रहे थे कि ये तो 2019 के चुनाव के पहले मोदी लाया है। एक बार चुनाव हो जाएगा, फिर मोदी बंद कर देगा। और कुछ हमारे विरोधी लोग हैं ना वो तो दिन-रात इसको चला भी रहे थे। लेकिन भाइयो और बहनो, हम जो भी काम करते हैं सोच-समझ कर करते हैं। ईमानदारी से करते हैं और लोगों की भलाई के लिए करते हैं। और आपने देखा, चुनाव हो गया, हम जीत भी गए और जो योजना शुरू की गई थी, तीन साल से अनवरत इस योजना का पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में जा रहा है। यहां अमेठी के किसानों को भी 450 करोड़ रुपये, साढ़े चार सौ करोड़ रुपये से ज्यादा इस योजना से सीधे मेरे किसानों के खाते में जमा हुए हैं। सुल्तानपुर के किसानों को भी 430 करोड़ रुपये से ज्यादा पीएम किसान योजना के मिले हैं। ये योजना कितने ही किसानों का, और खासकर के मेरे छोटे किसान भाई-बहनों का, उनका ये संबल बनी है। 

साथियो, 

आज आपके बीच आया हूं तो एक और बात भी बताना चाहता हूं। आज से 20 साल पहले, 24 फरवरी की ही वो तारीख थी, जब मैं पहली बार विधायक बना था। पहली बार, पहली बार जीवन में अचानक चुनाव के मैदान में आना पड़ा था और राजकोट के लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिए और सेवा का यह सिलसिला शुरू हुआ।  मैंने जीवन में कभी सोचा नहीं था कि कभी मैं चुनावी दंगल में जाउंगा, चुनावी राजनीति में जाउंगा। जिस रास्ते पर जाने का मैंने कभी सोचा तक नहीं था, उस रास्ते पर चलने की शुरुआत 24 फरवरी को हुई थी, मैंने अपना पहला कदम बढ़ाया था। जनता-जनार्दन का सेवक बनकर, उनके लिए काम करने का वो संकल्प हर दिन के साथ और सशक्त हुआ है। यही सेवा भावना, भारतीय जनता पार्टी की पहचान है और चुनावी दुनिया में आने के बाद जिस तरह यूपी ने मुझे अपना लिया,  मां गंगा ने मुझ पर जिस प्रकार से स्नेह वर्षा की, आप लोगों ने  मुझे गले लगाया, इससे बड़ा जीवन में कोई सौभाग्य नहीं होता है। आपका ये स्नेह, आपका ये आशीर्वाद, मेरे जीवन की बहुत बड़ी पूंजी है। और पूंजी के नाम पर आपका प्यार ही तो यही एक मेरी अमानत है।

भाइयो और बहनो, 

आज यूपी में आपको ऐसे परिवार खोजना मुश्किल होगा, जिसकी हमारी सरकार ने सेवाभाव से सहायता ना की हो। 100 साल के इस सबसे बड़े संकट में, ये कोरोना की महामारी, पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। पूरी मानव जात, दुनिया के हर कोने में, इस महामारी ने क्या से क्या कर दिया, लेकिन हिंदुस्तान में भाजपा सरकार ने सबकी मदद का प्रयास अविरल जारी रखा। आज यूपी के 16 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज मुफ्त लग चुकी है। करीब-करीब 12 करोड़ लोगों को दूसरी डोज भी मुफ्त लग गई है। भाइयो और बहनो, आप मुझे बताइये, आपको वैक्सीन का टीका लग गया, टीका लग गया, सबको लग गया, आपको कोई पैसा देना पड़ा, एक रुपया भी आपकी जेब से खर्चा करना पड़ा। टीका लगवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ी। आपको कोई तकलीफ हुई। भाइयो और बहनो, इतनी तेजी से वैक्सीनेशन हमारे देश में पहले कभी नहीं हुआ है। इसी वैक्सीन ने कोरोना से लड़ने की ताकत हर एक नागरिक में बढ़ा दी है। इसी के कारण आज दुकानें खुली हैं, व्यापार खुला है, स्कूल-कॉलेज खुले हैं, फैक्ट्रियां खुलीं हैं। 

साथियो,

इन परिवारवादियों का वैक्सीन को लेकर जो रवैया रहा है, वो भी पूरे उत्तर प्रदेश, पूरे देश ने देखा है। इन लोगों ने भारत में बनी वैक्सीन को बदनाम करने की भरपूर कोशिश की और यहां तक कह दिया, आपको याद है न, यहां तक कह दिया ये भाजपा की वैक्सीन है। ये तो भाजपा की वैक्सीन है। और कुछ लोगों ने कहा ये तो भाजपा की वैक्सीन है, हम नहीं लगाएंगे। कोशिश यही थी, उनका इरादा यही था कि लोग डर जाएं, राजनीति का रंग लग जाए और लोग वैक्सीन ना लगवाएं और वैक्सीन न लगे, कोरोना का हमला होता रहे। लोग मुसीबत में फंसते रहें और मोदी बदनाम होता रहे, योगी बदनाम होता रहे, तबाही होती रहे। भाइयो-बहनो क्या ये सोच अच्छी है क्या। किसी का बुरा सोचना, ये अच्छी बात है क्या , क्या ऐसे लोगों को माफ किया जा सकता है क्या। इन्होंने गुनाह किया कि नहीं किया है। ऐसे गुनहगारों को आपका वोट मांगने के हक है क्या।  लेकिन इन लोगों की इज्जत ही इतनी ही जमीन पर पहुंच गई है। इनकी  क्रेडिबिलिटी इतनी खराब है कि खुद इनकी पार्टी के लोगों ने भी, उनके कार्यकर्ताओं ने भी इनकी बात नहीं सुनी और वैक्सीन लगवा दी। ये परिवारवादी बहकाते रहे, लेकिन उनके कार्यकर्ताओं ने भी रजिस्ट्रेशन करवाया और उन्होंने भी कोरोना वैक्सीन की डोज ले ली।

साथियो, 

भारत ने जिस तरह दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाया, उस पर हर भारतीय को गर्व है। पहले दिन से ये अभियान नियमों के अनुसार चला। Discipline से चला। कोई भगदड़ नहीं, कोई ब्लैक मार्केटिंग नहीं। कोई मेरा तेरा नहीं, सब कुछ नियम से हुआ। इतने बड़े देश में जब कोरोना के कारण मुसीबतें सामने खड़ी हों, फिर भी सारा काम discipline से चले, ये हिंदुस्तान के लिए सिर ऊंचा करने की घटना है भाइयो। बहुत बड़ी बात है। और आप खुद भी गवाह हैं कि जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ…जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ, तो मोदी खुद दौड़कर सबसे पहले वैक्सीन लगवाने के लिए नहीं पहुंचा। हमने पहले स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों को, सफाई कर्मचारियों को,  बुजुर्गों को,  गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को वैक्सीन लगवाने का मौका दिया। ये परिवारवादी सरकार में होते तो सारी लाइनें तोड़कर खुद सबसे पहले वैक्सीन लगवाते। आप ये भी देखिए, मैंने भी वैक्सीन तब लगवाई जब नियम से मेरा नंबर आया। आप सबको मालूम होगा,  मेरी मां सौ साल की उम्र है। उन्होंने भी लाइन नहीं तोड़ी। उन्होंने भी जब उनका नंबर आया नियम से तब वैक्सीन लगवाई,  इतना ही नहीं अभी बूस्टर डोज, तीसरे डोज की चर्चा चल रही है। मेरी मां ने नहीं लगवाया,  क्योंकि उम्र सौ साल है लेकिन कोई और बीमारी नहीं होने के कारण उनका नंबर नहीं लगता है, तो उन्होंने नहीं लगवाई। कानून नियमों का पालन प्रधानमंत्री भी करता है, प्रधानमंत्री की 100 साल की उम्र की मां भी करती है। ये परिवारवादी होते तो पहले खुद का वैक्सीनेशन होता और सामान्य लोग पीछे रह जाते।

साथियो, 

यूपी के 15 करोड़ लाभार्थियों को इस मुश्किल समय में मुफ्त राशन का डबल बेनिफिट मिल रहा है। यूपी के एक करोड़ 65 लाख गरीब परिवारों को हमारी सरकार ने मुफ्त गैस कनेक्शन दिया है। यूपी के 34 लाख गरीब परिवारों को हमारी सरकार ने पक्का घर बनाकर के दिया है। और ये जो घर मिल रहे हैं ना, वो भी हमारा आग्रह है, वो मकान का मालिकाना हक उस परिवार की महिला के नाम पर हो। महिलाओं को उसका हक मिले। यूपी की लाखों बहनें बीते 5 साल में अपने घर की मालकिन हो गई हैं, लखपति हो गई हैं। 

साथियो, 

भाजपा सरकार की स्वामित्व योजना की वजह से आज यूपी के गांवों में लाभार्थियों को एक बहुत बड़ा वर्ग, जिनको लगातार उनके हक की चीजें सामने से उनके घर पहुंच रही हैं।  ये वो वर्ग है जिसको पहले की सरकारों के समय अपने घर, अपनी ज़मीन पर कब्ज़े की चिंता आए दिन सताती थी। अब हम ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि कोई भूमाफिया, कभी आपका घर और आपकी जमीन को छू  भी नहीं सकेगा, ये व्यवस्था हम कर रहे हैं। हम आपके घर, आपकी ज़मीन का पक्का कानूनी दस्तावेज़, टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार करके आपको घरौनी दे रहे हैं। पीएम स्वामित्व योजना के तहत यूपी के लाखों ग्रामीणों को घरौनी दी जा चुकी है। और आगे भी काम चल रहा है। बाकी  गांवों में भी ड्रोन के माध्यम से काम, ये आचार संहिता के कारण अफसर जरा दूसरे कामों में, इलेक्शन कमीशन की सेवा में हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव का काम पूरा होगा, दनादन ये काम फिर से शुरू हो जाएगा। 

भाइयो और बहनो, 

आज अमेठी के लोगों के सामने, सुल्तानपुर के लोगों के सामने, मैं ऐसे दो विषयों की भी चर्चा करूंगा, जिसके हमारे देश के नागरिक, हमारे उत्तर प्रदेश के नागरिक, हमारे सुल्तानपुर-अमेठी के नागरिक इसके भुक्तभोगी रहे हैं। परेशानियां झेली हैं। ये विषय है, और वो देश के सामने है। लोकतंत्र के सामने है। बहुत बड़ी चुनौती है। और मैं चाहूंगा कि मेरे जो नवजवान हैं,  मेरी इस बात पर गौर करें, उस पर जरूर ध्यान दें। साथियो, ये विषय हैं,  पहला- वोटबैंक की पॉलिटिक्स और दूसरा परिवारवादी राजनीति। जब मैं दो विषयों की चर्चा करता हूं, तो ये परिवारवादी लोग मुंह पर ताले लगा देते हैं। और उनके जो इकोसिस्टम है ना वो भी बात को उलटकर दूसरी दिशा में ले जाती है।  आप देखिएगा, ये लोग कभी इसका जवाब नहीं देते, क्योंकि इनके दिल में खोट है। साथियो, वोटबैंक की पॉलिटिक्स और परिवारवादी राजनीति, दोनों ने देश का बहुत ज्यादा नुकसान किया है। जब आप वोटबैंक की पॉलिटिक्स करते हैं, किसी का तुष्टिकरण करते हैं तो इसका सीधा मतलब ये होता है कि समाज के एक बड़े वर्ग से आप विकास का हक छीन रहे हैं। जब आप परिवारवादी राजनीति करते हैं तो इसका सीधा मतलब ये होता है कि आप किसी साधारण व्यक्ति से आगे बढ़ने का अधिकार छीन रहे हैं। 

साथियो,

एक समय था जब इन नेताओं ने वोटबैंक पॉलिटिक्स को, तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया। उसे खाद-पानी दिया। आज वोट बैंक की इसी पॉलिटिक्स ने, तुष्टिकरण की इसी राजनीति ने इन नेताओं को, इन राजनीतिक दलों को अपना बंधक बना दिया है। बंधक बना दिया है। अब वोट बैंक की पॉलिटिक्स ही इन दलों की, नेताओं की मजबूरी बन गयी है। इसलिए आज भी उनका हर फैसला इसी वोटबैंक की पॉलिटिक्स के हिसाब से ही होता है। ये फैसला अगर देशहित के खिलाफ हो तो भी ये नेता उस फैसले को लेने में जरा भी हिचकते नहीं हैं। उनको देश की नहीं, वोट बैंक की चिंता रहती है और इसलिए आप लोग देखते हैं कि ये लोग हमारी सेनाओं का अपमान करते हैं, हमारे पुलिस फोर्सेस का अपमान करते हैं। उनके मनोबल को तोड़ने की बातें करते हैं। क्योंकि ऐसी बातें करने से उनकी वोट को खुशी होती है। इसी सोच की वजह से ये लोग हमारे संविधान की परवाह नहीं करते, देश की संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल खड़े करते हैं। 

अभी आपने देखा है 56, ये आंकड़ा छोटा नहीं है 56 निर्दोष लोगों को कुछ ही मिनटों में अलग-अलग जगह बम धमाके करके 56 लोगों को मार दिया गया था, सैकड़ों लोगों को अपाहिज कर दिया था। ऐसा भयंकर मानवता के खिलाफ कृत्य करने वाले आतंकवादियों को,  38 आतंकवादियों को गुजरात की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। अब मैं देख रहा हूं, मैंने कहा कि अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है आप सब तालियां बजाने लगे गए, आपको अच्छा लगा कि नहीं लगा, न्याय मिला उससे आपको संतोष हुआ कि नहीं हुआ, आपको न्याय में विश्वास है कि नहीं है लेकिन आप देखिये, मानवता के दुश्मनों को फांसी हो गई। लेकिन वोटबैंक के डर से, वोट बैंक खिसक जाएगी तो क्या होगा, इन पार्टियों ने, अदालत के फैसले का स्वागत करने की भी हिम्म्त नहीं दिखाई, उनके मुंह पर ताले लग गए हैं भाइयो। जो लोग गुनहगार सिद्ध हो चुके हैं, उनके लिए भी अगर रहम नजर रखते हैं, क्या ऐसे लोगों को राजनीति में सत्ता में आने का हक है क्या? ऐसे लोगों को बाहर करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए?

भाइयो और बहनो, 

जहां तक दूसरी बात है परिवारवादी राजनीति की, तो उससे भी देश का बहुत नुकसान होता है। परिवारवादी राजनीति में पार्टी का अध्यक्ष परिवार का होता है, पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पदों पर परिवार के लोग ही जमकर बैठे होते हैं। महत्वपूर्ण पदों पर दावेदारी भी उसी परिवार के सदस्यों की होती है, पार्टी में कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं होता। पिता के बाद बेटा, फिर बेटे का बेटा,  या बेटी, बहू उन्हीं लोगों को पद पर रहने का हक मिल जाता है, ये परिवारवादी पार्टियां यही पहले पक्का कर लेती हैं। इन पार्टियों में जो परिवार को समर्पित होता है, उसी को वहां कुछ अवसर मिलता है। उनके लिए संविधान सुप्रीम नहीं होता है, परिवार का सुप्रीमो ही सुप्रीम होता है। वहां वो खुद के लिए कुछ नहीं कर पाता, देश के लिए कुछ नहीं कर पाता, उसको तो सिर्फ और सिर्फ परिवार के हित में ही काम करना होता है। ऐसी परिवारवादी पार्टियों में कार्यकर्ता के लिए स्पष्ट संदेश होता है- मेहनत आप करिए, फल हम खाएंगे।

साथियो,

इन घोर परिवारवादियों ने, सरकार चलाने का भी एक बहुत बड़ा फिक्स फॉर्मूला बना रखा है।  ये लोग अलग-अलग जिलों से मंत्री-वंत्री तो बना लेते हैं। अपने वोट बैंक के हिसाब से मंत्री भी ले आते हैं, लेकिन उन मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं होता है। वो क्या करते हैं अपने परिवार के लोग जो चुनाव जीतकर के नहीं आये हैं। जो संविधान की व्यवस्था में नहीं हैं। उनको इलाके बांट देते हैं। भतीजों को कहते हैं ये दो जिले तुम्हारे,  भांजे को कहते हैं ये जिले तुम्हारे, बहन को कहते हैं ये जिला तुम्हारा। और अफसरों को भी मालूम होता है जो मंत्री बनाये हैं वो तो नाम के हैं, असली मंत्री तो परिवार में जिनको बनाया है सब कुछ उसी को। ये सुपर मिनिस्टर, मिनिस्टर के ऊपर सुपर मिनिस्टर वो परिवार का होता है, फिर जो विभाग होते हैं। खनन का काम भांजा देखेगा। हेल्थ का काम भतीजा देखेगा। विभागों को भी परिवार के सुपर मिनिस्टर को बांट दिया जाता है। और इसलिए नीचे सरकारी तंत्र को भी मालूम होता है। कोई काम-वाम करने की जरूरत नहीं, जनता का भला करने की जरूरत नहीं है। बस इस सुपर मिनिस्टर को संभालो। अपना CR ठीक रहेगा। अच्छा अच्छा पोस्टिंग मिलता रहेगा। और इसलिए सरकारी तंत्र भी बर्बाद हो जाता है।  

भाइयो और बहनो,

इस तरह चुपचाप परिवार में बैठे-बैठे लोग, सरकार में सुपर मिनिस्टर के नाते सारा कब्जा कर के बैठ जाते हैं। चोरी-छिपी से फाइलें भी तब तक क्लीयर नहीं होती है, जब तक की सुपर मिनिस्टर ने हां ना कहा हो। यानि मंत्री कोई भी हो, लेकिन परिवार का सदस्य ही उस मंत्रालय को चलाता है। उसी के काम से बात आगे बनती है। भाइयो-बहनो, क्या ये लोकतंत्र के लिए, संविधान के लिए सामान्य मानवी के आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ये रास्ता उचित है क्या ? भाइयो-बहनो,  और इन सब परिस्थिति में वहां के अधिकारियों को परिवार का सदस्य ही कंट्रोल करता है। ट्रांसफर, पोस्टिंग भी वो सुपर मिनिस्टर कहेगा तभी होगी। जो संविधान के मर्यादाओं के बाहर बैठा हुआ है। भाइयो-बहनो, वही सुप्रीम होता है, परिवार की इच्छा आदेश वही सुप्रीम। इसलिए परिवारवादी पार्टियां डगर-डगर पर संविधान का अपमान करती हैं, संविधान को नकार देती हैं।

साथियो, 

परिवारवादी पार्टियां अगर सबसे ज्यादा नुकसान करती हैं तो वो है हमारी युवा प्रतिभा का, युवा टैलेंट का। जबकि आप देखेंगे, भाजपा में आज कोई अध्यक्ष है, कल कोई और अध्यक्ष बन जाता है। आज कोई एक भूमिका निभा रहा है कल कोई और वही भूमिका निभा सकता है। भाजपा, पिता एंड सन्स की प्राइवेट पार्टी नहीं है, और ना ही कभी हो सकती है। भाजपा में कौन किस परिवार का है इसका कोई महत्व नहीं है। हमारे यहां कार्यकर्ता का परिवार नहीं उसकी कर्मठता, उसका समर्पण, जनता के लिए सेवा करने का भाव, उसी को हम ध्यान में रखकर के हम पार्टी का विस्तार और विकास करते हैं।  और आप जनसंघ के जमाने से इसे देख सकते हैं।  हमारे यहां हमने इसी लोकतांत्रिक परंपरा को आज भी हम जीते हैं और आगे भी जीने का वादा करते हैं। 

भाइयो और बहनो,

भारतीय जनता पार्टी को जन्म हुए करीब चार दशक हो गए हैं। इन चार दशक में आप देखिए हमारे यहां पार्टी अध्यक्ष, सभी पार्टी अध्यक्ष अलग-अलग बने हैं, अलग-अलग इलाके के बने हैं। कोई  किसी परिवार के प्रभाव में हमारा अध्यक्ष नहीं बना है। जबकि पिछले चार-पांच दशकों में हमने कांग्रेस पार्टी में करीब-करीब एक ही परिवार का अध्यक्ष देखा है। साथियो, आजादी की लड़ाई के समय में कांग्रेस में कम-अधिक मात्रा में लोकतंत्र बचे हुए थे। जब बड़े-बड़े स्टॉलवर्ड लीडर हुआ करते थे, तब वहां अध्यक्ष बदले जाते थे, वहां लोकतंत्र बचा हुआ था, लेकिन कांग्रेस में आजादी के बाद जो दिक्कत आना शुरू हुई, जब एक ही परिवार ने पार्टी पर कब्जा शुरू कर दिया। कांग्रेस की देखा-देखी पूरे देश में बहुत सारी पार्टियां, ये कांग्रेस को देखकर के सीख गईं और पूरे लोकतंत्र को दीमक की तरह बहुत बड़ा नुकसान कर दिया। यहां यूपी में भी घोर परिवारवादियों ने कांग्रेस कल्चर को ही खुद में पूरा का पूरा उतार लिया है, उसी रंग में रंग गए हैं।  बीते कई दशकों से कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी, एक ही परिवार की बंधक बनी हुई है। 

साथियो,

परिवारवादी पार्टियों का एक बहुत बड़ा नुकसान ये भी है कि जब परिवार के लोग कोई गलती करते हैं, बुरा काम करते हैं, भ्रष्टाचार करते हैं तो परिवार की इको सिस्टम ही उनको बचाने में काम में लग जाती है। उनको कोई सुधारने के लिए भी काम नहीं करता है। उनको संभालने का काम होता है। आखिर जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है वो भी परिवार के सदस्य होते हैं। इसलिए कोई कुछ नहीं कर सकता है और कार्रवाई करनी है तो पारिवारिक रिश्ते, फैसलों के आड़े आ जाते हैं। भ्रष्टाचार अगर परिवार का सदस्य कर रहा हो तो उससे चुपचाप स्वीकार कर लिया जाता है। उसके बाद यही भ्रष्टाचार उस पार्टी का, उस सरकार का, रोजमर्रा का व्यवहार बन जाता है। इससे भी देश का बहुत नुकसान होता है। इसी ने उत्तर प्रदेश का भी दशकों तक बहुत नुकसान किया है। इसलिए यूपी के लोगों को वोटबैंक की पॉलिटिक्स करने वालों से, परिवारवाद की राजनीति करने वालों से बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। और मेरे नौजवान आपको ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। और अमेठी के लोग तो जानते हैं कि ये लोग किसी के नहीं होते हैं। आपने जिन्हें बरसों तक सर-आंखों पर बिठाया, सम्मान दिया, और जैसे ही आपने उनको भगाया, तो उन्होंने केरल में जाकर आपकी ही बुद्धि को कोसने की शुरुआत कर दी, आपकी समझ पर ही सवाल उठाने लगे।

भाइयो और बहनो,

विरोध और अवरोध जिनकी राजनीति है, वो ये करते ही रहेंगे, हम विकास की नीति, उस पर तेज़ गति से चलते रहेंगे। बीते 5 साल में अमेठी में ही पीएम आवास योजना के 60 हजार से ज्यादा घर बनाकर गरीबों को दिए गए हैं। बीते 5 साल में अमेठी में करीब-करीब 2 लाख शौचालय, जिसे हमारे उत्तर प्रदेश की बेटियों ने इज्जत घर नाम दिया है, दो लाख शौचालय बनवाए हैं। ये हमारी ही सरकार है जिसने अमेठी में मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू करवाया है। ये हमारी ही सरकार है जिसने पुलिस लाइन स्वीकृत की है, गौरीगंज और जगदीशपुर में पुलिस फायर स्टेशन स्वीकृत किया है। घोर परिवारवादियों ने यहां की रायफल फैक्ट्री का क्या हाल बना रखा था, ये भी अमेठी के लोग जानते हैं। हमारी सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि अमेठी की फैक्ट्री में बनी एके-203 आधुनिक रायफल, देश की सुरक्षा बढ़ाएगी, पूरे अमेठी का नाम रोशन करेगी। ये काम पहले भी हो सकते थे। लेकिन परिवारवादियों के अपने स्वार्थ से फुरसत मिलेगी तभी तो आप लोगों के बारे में सोचेंगे।

साथियो,

योगी जी सरकार ने अमेठी और सुल्तानपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा है। आपका लखनऊ और दिल्ली का सफर भी आसान हो गया है। यहां के किसानों और पशुपालकों का दूध, फल-सब्ज़ी, तेज़ी से बड़े बाज़ारों तक पहुंचने का रास्ता बना है। अब हम इसके इर्दगिर्द बहुत बड़ा औद्योगिक गलियारा भी बनाने वाले हैं। इससे रोज़गार-स्वरोज़गार के अनेकों अवसर यहां खुलने वाले हैं।

साथियो, 

ये जितनी भी योजनाओं-परियोजनाओं पर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है, वो तभी पूरी हो सकती हैं, जब यहां कानून का राज होगा। उत्तर प्रदेश का कोई भी मतदाता यहां ऐसी सरकार नहीं चाहता, जो यूपी के संकल्पों के सामने रोड़ा बनकर के खड़ी हो जाए। और आप ध्यान रखिए, आज हमारी योजनाओं से गरीबों को जो लाभ मिल रहा है, ये घोर परिवारवादी, उन योजनाओं को, या तो अपने चहेतों की बंदरबांट करेंगे या तो उसको ताले लगा देंगे। केंद्र की योजनाएं यूपी में लागू ना हों, क्या ऐसे दिन आप उत्तर प्रदेश में चाहते हैं। डबल इंजन सरकार का डबल बेनिफिट मिलते ही रहना चाहिए, ये हमारा संकल्प है। इसलिए आपको भारी संख्या में भाजपा के पक्ष में वोट डालना है, अपना दल हमारा साथी दल है, निषाद पार्टी हमारा साथी दल है, उनके उम्मीदवारों को भी जिताना है। आप सब इतनी बड़ी तादाद में हमें आशीर्वाद देने आए, मैं देख रहा हूं कि दूर-दूर तक लोग खड़े हैं। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। मेरे साथ बोलिए..

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!