Be it the Congress or JMM or their other allies in the ‘Mahamilawat,’ their entire election agenda is based on hurling personal abuses at Modi and spreading falsehood: PM Modi .
Despite ruling the nation for decades, the Congress party treated the tribal communities as a mere vote-bank, without doing anything for their welfare: PM Modi
The BJP has always been inspired by Atal Ji’s vision for the tribal people which not only led him to create a separate state of Jharkhand but also a separate ministry for furthering tribal welfare: Prime Minister Modi

मंच पर विराजमान प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी, यहां के पूर्व मुख्यमंत्री भाई अर्जुन जी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री, इस चुनाव में सभी भारतीय जनता पार्टी के सभी उम्मीदवार, मंच पर विराजमान हमारे सभी नेतागण, एनडीए के सभी नेतागण और हम सब को आशीर्वाद देने के लिए आए हुए मेरे प्यारे भाइयो और बहनो। जितने लोग यहां हैं उतने ही वहां हैं मुझे मालूम नहीं वहां सुनाई देता होगा की नहीं देता होगा। ये इतनी विशाल जनसभा, 23 तारीख को क्या होने वाला है इसका ये जीता-जागता उदाहरण है।

भाइयो-बहनो, बाबा बैद्यनाथ और बाबा बासुकीनाथ की कृपा हम सभी पर बनी हुई है, बाबा के चरणों में अपना वंदन अर्पित करता हूं।

साथियो, बाबा के आशीर्वाद से देश ये तय कर चुका है की फिर एक बार...मोदी सरकार, फिर एक बार...मोदी सरकार। बाबा धाम में आज मैं आपसे ये आशीर्वाद लेने आया हूं की हम देश के विकास के अपने संकल्प को पूरा करें, हर कसौटी पर हम खरा उतरे। भाइयो और बहनो, मुझे पूरा विश्वास है की संथाल परगना 19 मई को बाकी देश की तरह महामिलावट को पूरी तरह से साफ कर देगा।

साथियो, बीते पांच सालो में भाजपा-एनडीए की मजबूत और ईमानदार सरकार ने कैसे काम किया है ये पूरे देश ने देखा है। 23 मई को क्या नतीजे आने वाले है ये देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस भी अब भलीभांति समझ चुकी है। इसीलिए उसने नतीजों की तैयारी शुरू कर दी है अब आप सोच रहे होंगे जब विजय भाजपा-एनडीए की होने जा रही है तो फिर कांग्रेस क्या तैयारी करेगी।

भाइयो बहनो, कांग्रेस तैयारी कर रही है कि हार के बाद उसका ठीकरा पार्टी में किसके सिर पर फोड़ें? नामदार को बचाने के लिए क्या किया जाए, इसके लिए वहां एक्सरसाइज चल रही है। अब कांग्रेस ये तो कह नहीं सकती कि नामदार की वजह से चुनाव हार गए। ये तो वंशवाद के उसूलों के खिलाफ होगा, इसलिए आपने देखा होगा कि पांचवें चरण के बाद ही नामदार परिवार के दो सबसे करीबी दरबारियों ने अपनी तरफ से बैटिंग शुरू कर दी। वरना इनकी हिम्मत नहीं है कि बिना कप्तान से पूछे, मैच खेलने मैदान में उतर जाएं।

 

भाइयो और बहनो, एक बल्लेबाज तो नामदार के गुरु हैं, जिन्हें पहले मैदान में उतरा गया है। उन्होंने सिखों की भावनाओं का मजाक उड़ाते हुए कहा कि 84 का सिख दंगा हुआ तो हुआ, हुआ तो...हुआ। ये जानते हुए कि सिख भाई-बहनो के पुराने जख्म हरे होंगे, नामदार ने अपने गुरु से ये बयान दिलवाया। दूसरे बल्लेबाज, गुजरात चुनाव के दौरान हिट विकेट होने के बाद से ही मैदान से बाहर थे। मुझे गाली देने के बाद से परदे के पीछे छिपे हुए थे। वो भी दो दिन से मैदान में पहुंच गए और जमकर के मुझे गालियां दे रहे हैं। भाइयो और बहनो, कांग्रेस में इस समय बड़ी-बड़ी बैठकें चल रही हैं, व्यूह रचना की जा रही है कि कैसे नामदार को बचाया जाए, कुछ भी करके कांग्रेस अपने नामदार पर हार की जिम्मेदारी नहीं आने देना चाहती। इसलिए कांग्रेस में अभी नाखून काटकर शहीद होने वालों की होड़ मची हुई है।

भाइयो और बहनो, कांग्रेस के एक परिवार की 55 साल की सरकार और मोदी को दी हुई 55 महीने की सरकार का फर्क आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया महसूस कर रही है। आज देश में तेजी से विकास हो रहा है तो साथ ही गरीबी उतनी ही तेजी से कम हो रही है। हमने पांच साल एक ईमानदार, एक पारदर्शी सरकार चलाकर दिखाई है। घोटाले का एक दाग, इस सरकार पर नहीं है और जब मैं ये बात बाबा धाम में कह रहा हूं तो मुझे इस बात पर गर्व होता है की उनके भक्त को ईमानदार सरकार का नेतृत्व करने का देश की जनता ने सौभाग्य दिया है।

भाइयो और बहनो, कांग्रेस हो या झारखंड मुक्ति मोर्चा, इन महामिलावटी लोगों के पास सिवाय झूठ, प्रपंच, ठगी कुछ नहीं सोच सकते है। इनकी पूरी रणनीति और पूरी राजनीति अफवाहों पर आधारित है। मैं बाबा के पवित्र धाम से अपने आदिवासी भाई-बहनो को वनों में रहने वाले साथियो को फिर बता दूं की वोट के लिए ये महामिलावटी किसी को भी ठग सकते हैं। आप आश्वस्त रहिए, जब तक मोदी है, जब तक भारतीय जनता पार्टी है तब तक आपकी जमीन आपके हक को कोई हाथ भी नहीं लगा पाएगा।

साथियो, कांग्रेस ने इतने वर्षों तक देश में शासन किया, लेकिन उसने हमेशा आदिवासी समुदाय को सिर्फ एक वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल किया है। जबकि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आदिवासी हितों को ध्यान में रखते हुए झारखंड राज्य ही नहीं बनाया बल्कि जनजातीय मंत्रालय भी उन्हीं की सरकार की देन था। भाइयो और बहनो, आपका ये सेवक अटल जी की प्रेरणा से ही आज डगर-डगर पर आगे बढ़ रहा है। उन्हीं की प्रेरणा से हमने जनजातीय समुदाय को वनसंपदा में अधिकार सुनिश्चित कराया है। खनन से होने वाले लाभ का एक हिस्सा उसी इलाके में खर्च हो। इसके लिए हमने बाकायदा कानून बनाया है और इसकी वजह से झारखंड को भी करीब-करीब 6 हजार करोड़ रुपया अतिरिक्त मिल पाए हैं। इन पैसो से यहां स्कूल, शौचालय, पीने का पानी, सड़क और रोजगार के दूसरे साधन बनाए जा रहे हैं।

साथियो, वन धन और जन-धन योजना के माध्यम से वन उपज का ज्यादा से ज्यादा लाभ आदिवासियों को मिले, उन्हें बिचौलियों से मुक्ति मिले, हम ये सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। हमने वन उपज पर MSP का दायरा भी बढ़ाया है। पहले 10 वन उपजों पर ही MSP मिला करता था, अब इसकी संख्या बढ़ाकर 50 कर दी गई है।

साथियो, यहां के किसानों का जीवन आसान बनाने के लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं। पीएम किसान योजना के तहत हम सीधे किसानों के खाते में मदद जमा कर रहे हैं। झारखंड में तो रघुवीर जी की सरकार भी मदद दे रही है ऐसे में यहां के किसानों को डबल लाभ हो रहा है।

साथियो, बाबा धाम का विकास करने के लिए यहां सुविधाओं के निर्माण के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यही कारण है की यहां रेल और ऋण के साथ-साथ एयरपोर्ट की सुविधा भी विकसित की जा रही है। एयरपोर्ट के बनने से यहां टूरिज्म के क्षेत्र में और अधिक अवसर पैदा होंगे। वहीं साहिबगंज में गंगा जी पर बन रहा मल्टी मॉडल बंदरगाह इस क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा देगा, रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

साथियो, देवघर स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भी एक बड़ा केंद्र बन कर के उभर रहा है। यहां बन रहा AIIMS तो पूरे संथाल परगना सहित ओडिशा और पश्चिम बंगाल तक के लोगों के काम आने वाला है। इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को आदिवासियों को पिछड़ो, वंचितों को पांच लाख रुपए तक मुफ्त इलाज पहले से ही मिलना शुरू हो गया है।
 

भाइयो-बहनो, गरीब मेहनत करके जब गरीबी से बाहर निकलने की कोशिश करता है, कुछ किनारे पर पहुंचता भी है लेकिन अगर परिवार में एक बीमारी आ जाए तो गरीब पूरी पीढ़ी फिर से गरीब बन जाती है। मैं इन गरीबों के बीच से आया हूं और इसीलिए मैंने तय किया है बीमारी के कारण अब गरीब, गरीब नहीं रहेगा। वो गरीबी से बाहर आएगा और बीमारी की चिंता ये मोदी करेगा, ये मैंने आपको वादा किया है।

भाइयो और बहनो, एक तरफ हम झारखंड के विकास के लिए समर्पित हैं, वहीं दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के लोग घुसपैठियों के साथ खड़े हैं। लेकिन भाजपा का स्पष्ट मत है कि हम देश में एक-एक घुसपैठिए की पहचान करेंगे। ये हमारे संसाधनों के साथ-साथ हमारी सुरक्षा के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है और हमें जागना जरूरी है। भाइयो और बहनो, राष्ट्र रक्षा जैसे विषय पर भी कांग्रेस और उसके साथी उनके मुंह पर वोट बैंक का ताला लग गया है, चुप हैं। अभी हाल में आपने देखा की ईस्टर के पवित्र अवसर पर श्रीलंका में क्या हुआ। आतंकियों ने चर्च में, होटलों में, बम धमाके करके सैकड़ों लोगों की जान ले ली।

साथियो, आतंकवाद ऐसी चुनौती है जिसका बहुत कड़ाई से मुकाबला किया जाना जरूरी है लेकिन कांग्रेस और उसके साथियो की नीतियां ऐसी रही है की वो आतंकवाद और नक्सलवाद को कुचल नहीं सकती।

भाइयो बहनो, मैं जरा आपसे पूछना चाहता हूं, आप जवाब देंगे? सब के सब देंगे? आपने देखा होगा जो 8 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, वो भी अभी कपड़े सिलाई करवा रहे हैं प्रधानमंत्री बनने के लिए। जो 20 सीट पर चुनाव लड़ रहे है वो भी कपड़े तैयार कर रहे है प्रधानमंत्री बनने के लिए, जो 40 सीट लड़ रहे है वो भी कर रहे है। ये जितने चेहरे प्रधानमंत्री बनने की कतार में खड़े हैं, जरा एक-एक चेहरे को याद करो, कोई बहन हो, कोई भाई हो, जो भी हो याद करो और मुझे बताओ, इनमें से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने की ताकत कौन रखता है, कौन रखता है? आतंकवाद से कौन भीड़ सकता है? आतंकवाद को खत्म कौन कर सकता है और कोई ये न समझे, मैं दुनिया के लोगों को कई वर्षों से कह रहा हूं, कोई ये मत सोचिएगा की आतंकवाद तो अभी वहां आया है कल हमारे यहां नहीं आएगा। ये श्रीलंका में देख लीजिए ईस्टर का पर्व चल रहा था और आतंकवादियों ने चर्च में जा करके हमले कर दिए। जिसको भी बचना होगा उन सब को आतंकवाद को खत्म करने वाली ताकतों के साथ आना ही पड़ेगा। कांग्रेस अब देशद्रोह का कानून भी खत्म करना चाहती है, यानी पत्थरबाजों, आतंकियों और उनके समर्थकों, नक्सलियों और उन्हें खाद पानी देने वालों को कांग्रेस, खुली छूट देना चाहती है। लेकिन साथियो, भाजपा इन्हें ऐसा कतई करने नहीं देगी। हम नई रीति, नई नीति पर चल पड़े हैं। हमारी सरकार के दौरान देश के वीर सपूतों ने आतंकियों को घर में घुसकर करके मारा है। सही किया कि नहीं किया? मोदी ठीक कर रहा है? आतंकवाद के खिलाफ ऐसे ही लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए?

साथियो, जिस आदिवासी समाज ने अंग्रेजों से लोहा लिया, जहां भगवान बिसरा मुंडा की एक समृद्ध विरासत है, वो समाज और देश को तोड़ने वाली महामिलावटी सोच को कतई स्वीकार नहीं कर सकता।
साथियो, कांग्रेस की इन साजिशों के बीच आपका ये सेवक हमारे सैनिकों और हमारे जनजातीय नायकों को सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। यही कारण है की झारखंड सहित देश के अनेक राज्यों में जनजातीय नायकों के स्मारक बनाए जा रहे हैं। भाइयो और बहनो, विकास का ये रास्ता सशक्त हो, मजबूत हो इसके लिए संथाल परगना में पूरी शक्ति से कमल खिलाना है। और भाइयो बहनो, आप सोचिए जो धरती से जुड़े हुए लोग होते हैं वो कैसे निर्णय करते हैं? ये हमारा संथाल परगना, हमारी यहां की परंपरा हमारी यहां की विशेषता, हमारी संस्कृति ये बहुमूल्य है। ये भारत का गौरव गान है यहां पर लेकिन दिल्ली में बैठे हुए लोगों को इसकी परवाह ही नहीं थी, परवाह ही नहीं थी। हमने रेलवे में जो अनाउंसमेंट होता है अब वो संथाली भाषा में शुरू किया। मैंने देखा की जब संथाली भाषा में बोलते हैं डिब्बे में जितने लोग होते है ताली बजाते हैं। अब ये काम, ये काम पहले नहीं हो सकता था क्या, नहीं हो सकता था? क्या ये काम मुश्किल था क्या? लेकिन उनके अंदर अहंकार भर है उनको संथाली, संथाली यही सोचते हैं, ये इसी के कारण ये दुर्दशा हुई है।

मेरे दिल में भाइयो बहनो, बचपन में यानी कुछ साल पहले, मैंने एक सिने कलाकार का इंटरव्यू पढ़ा था। वो फिल्म कलाकार, यहां संथाल में कुछ उनका शूटिंग चल रहा था उसके अनुभव लिखे थे तो मृगया फिल्म बनी थी यहां पर तो उसका शूटिंग चल रहा था और वो जो कलाकार था उसने जनजातीय वेश में अपना तीर चलाने का कार्यक्रम कर रहा था और हमारे संथाल के सारे लोग दूर-दूर शांति से बैठ कर के शूटिंग देख रहे थे और बहुत डिसिप्लिन से देख रहे थे। दो-दो, तीन-तीन दिन शूटिंग चला, सब शांति से चला और एक दिन वो कोई दृश्य चल रहा था तीर चलाने का, सारे लोग गुस्से से एक दम से दौड़ पड़े, एक दम से झगड़ा करने लगे तो इन्होंने कहा भैया क्या हो गया? दो-तीन दिन से शूटिंग चल रहा है शांति से चल रहा है और आज अचानक ये सब नाराज क्यों हो गए, तो नाराजगी क्या थी? तो ये जब मैंने पढ़ा, मेरे संथाल के लोगों के प्रति मेरा मान-सम्मान इतना बढ़ गया है जी तब तो मैं राजनीति में नहीं था जी। क्या घटना थी, वो जो कलाकार था वो तीर चला रहा था तो तीर चलाते समय वो अपने अंगूठे का उपयोग करता था तो ये संथाल के जवानों ने आकर के उसको रोका की तुम हमारी परम्पराओं का अपमान करते हो। अंगूठे का उपयोग कर के हम संथाल के लोग तीर नहीं चलाते है क्योंकि एकलव्य ने अंगूठे दान में दे दिया, उसके बाद हम उसके वंशज उस अंगूठे का उपयोग नहीं करते है।

जिस धरती पर, जिस धरती पर ये गौरव संस्कृति के ये गौरव पड़ा हो भाइयो, उसके लिए हम जो करें वो कम है, जो करे वो कम है। और इसीलिए मुझे, मुझे आप प्रधानमंत्री की बजाए आपका अपना मान लीजिए भाइयो, मैं आपका अपना हूं। मैं आपके लिए हूं और विकास शायद 70 साल में इस इलाके ने नहीं देखा है। ये मोदी कर के देगा, ये मैं आपको वादा करने आया हूं।

भाइयो बहनो, कमल के फूल पर पड़ा आपका हर वोट मोदी के खाते में आएगा और इसीलिए आप 19 तारीख को भारी मतदान कीजिए और जो फिर एक बार मोदी सरकार बनने वाली है। आप भी वो सरकार बनाने वाले हो इस विश्वास के साथ कमल पर बटन दबाइए। भाइयो बहनो, नई जो पार्लियामेंट बनेगी, उसमें झारखंड के सारे के सारे कमल सुशोभित होने चाहिए। अब तक जो मतदान हुआ है, सारी की सारी बैठकें भारतीय जनता पार्टी जीत रही है और 19 को जो मजदान होगा, उसमें भी भाजपा और हमारे साथी दल सारी की सारी सीटें जीतने वाले हैं। और इसीलिए भाइयो बहनो, मैं फिर एक बार आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। आप इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए मैं हृदय से आपका अभिनंदन करता हूं। मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की...जय
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बहुत बहुत धन्यवाद।

 

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!