DigiDhan movement is the fight to end menace of corruption: PM Modi

Published By : Admin | April 14, 2017 | 14:31 IST
#BHIMAadhaar will revolutionise Indian economy, says Prime Minister Modi
#BHIMAadhaar will boost digital payments in the country: PM Modi
DigiDhan movement is a ‘Safai Abhiyan’ aimed at sweeping out the menace of corruption: PM Modi
Dr. Ambedkar did not have even a trace of bitterness or revenge in him. He added that this was Babasaheb Ambedkar's speciality: PM

धम: चक्र परावर्तने च कार्य, य: दीक्षा भूमिवर डॉक्‍टर बाबा साहेब अम्‍बेडर जी ने केला य: भूमिला माझे प्रणाम। काशी प्राचीन ज्ञान नागरिया है, नागपुर बनु सकता क्या?

आज एक साथ इतनी लम्‍बी बड़ी लिस्‍ट है सबके नाम बोल नहीं रहा हूं। काफी लोगों ने बोल दिए, आपको याद रह गए होंगे।

एक साथ इतने सारे प्रकल्‍प आज नागपुर की धरती से देश को समर्पित हो रहे हैं। और आज.. आज 14 अप्रैल डॉक्‍टर बाबा साहेब अम्‍बेडर की जन्‍म जयंती का प्रेरक अवसर है। यह मेरा सौभाग्‍य रहा कि आज प्रात: दीक्षाभूमि में जा करके उस पवित्र भूमि को नमन करने का अवसर मिला। एक नई ऊर्जा, नई प्रेरणा ले करके मैं आपके बीच आया हूं।

इस देश के दलित, पीडि़त शोषित, वंचित गांव, गरीब, किसान हर किसी के जीवन में आजाद भारत में उनके सपनों का क्‍या होगा? उनकी आशाओं, आकांक्षाओं का क्‍या होगा? क्‍या आजाद भारत में इन लोगों की भी कोई पूछ होगी कि नहीं होगी? इन सारे सवालों के जवाब भीम राव अम्‍बेडकर जी ने संविधान के माध्‍यम से देशवासियों को दिए थे, गारंटी के रूप में दिए थे। और उसी का परिणाम है कि संवैधानिक व्‍यवस्‍थाओं के कारण आज देश के हर तबके के व्‍यक्ति को कुछ करने के लिए अवसर सुलभ है और वही अवसर उसके सपनों को साकार करने के लिए उमंग और उत्‍साह के साथ जी और जान से जोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

व्‍यक्तिगत रूप से मैंने जीवन में.. मैं हमेशा अनुभव करता हूं कि आभाव के बीच में पैदा हो करके भी किसी भी प्रकार के प्रभाव से प्रभावित हुए बिना अभावों के रहते हुए भी प्रभावी ढंग से जीवन के यात्रा को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है और वो प्रेरणा बाबा अम्‍बेडर राव से मिलती है। आभाव का रोना नहीं रोना और प्रभाव से विचलित नहीं होना, यह संतुलित जीवन दबे-कुचले हर किसी के लिए एक ताकत बन जाती है और वो ताकत देने का काम बाबा साहेब अम्‍बेडरक ने अपने जीवन से दिया है। कभी-कभार व्‍यक्ति के जीवन में अविरत रूप से जब कटु अनुभव रोज की जिंदगी का हिस्‍सा बन जाता है, अपमानित होना है, प्रताडि़त होना है, तिरस्‍कृत होना। अगर इंसान छोटे मन का हो तो ये चीजें घर में, मन-मंदिर में, मन-मस्तिष्‍क में किस प्रकार से कटुता के रूप में भर जाती है। और मौका मिले तो कभी लगता है अरे इसको दिखाऊंगा मैं। यह मेरे साथ हुआ था, बचपन में मेरे साथ यह हुआ था, स्‍कूल गया तो यह हुआ था, नौकरी करने गया तो यह हुआ था। क्‍या कुछ मन में नहीं था, लेकिन ये भीमराव अम्‍बेडकर थे, इतनी बुराइयों से सामना करना पड़ा। इतनी प्रताड़ना झेलनी पड़ी, लेकिन खुद के जीवन में जब मौका आया रत्‍तीभर इस कटुता को बाहर आने नहीं दिया। बदले का भाव अंश भर भी न संविधान में कभी प्रकट हुआ, न कभी उनकी वाणी में प्रकट हुआ, न उनके कभी अधिकार क्षेत्र में प्रकट हुआ। व्‍यक्ति की ऊंचाई ऐसे समय कसौटी कसने पर पता चलता है, कैसा महानतम व्‍यक्तित्‍व होगा। हम शिवजी को जब उनकी महानता की चर्चा सुनते हैं तो कहते है जहर पी लिया था। बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जीवन में हर पल जहर पीते-पीते भी हम लोगों के लिए अमृत वर्षा की थी। और इसलिए उस महापुरूष की जन्‍म जयंती पर और वो भी जिस धरती पर उनका नव जन्‍म हुआ उस दीक्षा भूमि पर प्रणाम करते हुए देश के चरणों में एक नई व्‍यवस्‍था देने का आज प्रयास हम कर रहे हैं।

आज अनेक योजनाओं का प्रारंभ हो रहा है, नये भवनों का प्रारंभ हो रहा है। करीब दो हजार मेगावाट बिजली के कारखानों का लोकार्पण हुआ। ऊर्जा जीवन का अटूट अंग बन गई है। विकास का कोई भी सपना ऊर्जा के अभाव में संभव नहीं है। और 21वीं सदी में ऊर्जा एक प्रकार से हर नागरिक का हक बन गया है। लिखित हो या न हो, बन चुका है। देश को 21वीं सदी की प्रगति की ऊंचाईयों पर ले जाना है अगर भारत को आधुनिक भारत के रूप में देखना है, तो ऊर्जा उसकी पहली आवश्‍यकता है। और एक तरफ पर्यावरण की चिंता के कारण विश्‍व Thermal Power को चुनौती दे रहा है तो दूसरी तरफ विकसित देशों के लिए वही एक सहारा है। वैश्विक स्‍तर पर इतनी बड़े conflict के बीच में जब रास्‍ता निकालना है तब भारत ने भी बीड़ा उठाया है कि हम पूरे विश्‍व को परिवार मानने वाले लोग है, पूरे ब्रह्माण को अपना मानने वाले लोग हैं, हमारे द्वारा हम ऐसा कुछ नहीं होने देंगे, जो भावी पीढ़ी के लिए कोई संकट पैदा करे और इसलिए भारत ने 175 गीगावाट renewable energy का सपना देखा है। Solar Energy हो, Wind Energy हो, Hydro के projects हो और जब नितीन जी बड़े गर्व के साथ बता रहे थे कि नागपुर वासियों को जो गंदा पानी है, वो बिजली के उत्‍पादन में काम लाया जाता है, recycle किया जाता है। एक प्रकार से पर्यावरण के अनुकूल जो initiative है, मैं इसके लिए नागपुर को बधाई देता हूं। और देश के अन्‍य भागों में भी zero waste का concept धीरे-धीरे पनप रहा है।

आज यहां आवास निर्माण का भी एक बहुत बड़ा कार्यक्रम हाथ में लिया गया, उसका भी प्रारंभ हुआ है। 2022 आजादी के 75 साल हो गए। पल भर के लिए हम 75 साल की पहले की जिंदगी के जीने का प्रयास करके देखे। हम उस कल्‍पना में अगर पहुंचे 1930, 40, 50 के पहले का कालखंड जब देश के लिए लोग जान की बाजी लगा देते थे। हिंदुस्‍तान का तिरंगा फहराने के लिए फांसी के तख्‍ते पर चढ़ जाते थे। मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्‍त कराने के लिए जवानी जेल में खपा देते थे। मृत्‍यु का आलिंगन करते थे। हंसते-हंसते देश के लिए मर मिटने वालों की कतार कभी बंद नहीं हुई थी। इस देश के वीरों ने वो ताकत दिखा थी कि फांसी के फंदे कभी कम पड़ जाते थे, लेकिन मरने वाले देश के लिए शहादत देने वालों की संख्‍या कभी कम नहीं हुआ करती थी। अनगिनत बलिदानों का प्रणाम था कि भारत मां हमारी आजाद हुई है। लेकिन आजादी के दीवानों ने भी तो कुछ सपने देखे थे उन्‍होंने भी भारत कैसा हो, एक इरादा रखा था। उनको तो वो सौभाग्‍य मिला नहीं आजाद हिंदुस्‍तान में सांस लेने का। हमें सौभाग्‍य मिला नहीं उस आजादी के आंदोलन में अपनी जिंदगी खपाने का, लेकिन हमें मौका मिला है, देश के लिए मरने का मौका न मिला, देश के लिए जीने का मौका मिला है।

क्‍या 2022 जब आजादी के 75 साल हो रहे है। आज हम 2017 में खड़े हैं। पांच साल का समय हमारे पास हैं। सवा सौ करोड़ देशवासी अगर संकल्‍प करे कि जिन महापुरूषों ने आजादी के लिए जीवन लगा दिया, उनके सपनों का भारत बनाने के लिए मेरी तरफ से इतना योगदान होगा। मैं भी कुछ करके रहूंगा, और संकल्‍प करके रहूंगा और सही दिशा में करके रहूंगा, मैं नहीं मानता हूं कि 2022 आते-आते देश विश्‍व के सामने खड़े होने की ताकत के साथ खड़ा नहीं होगा, मुझे कोई आशंका नहीं है। और उसमें एक सपना है हमारा 2022 जब आजादी के 75 साल हो तब मेरे देश के गरीब से गरीब का अपना घर हो। इस देश का कोई गरीब ऐसा न हो, जिसको अपना रहने के लिए अपना घर न हो, अपनी छत न हो। और घर भी ऐसा हो, जिसमें बिजली हो, पानी हो, चूल्‍हा हो, गैस का चूल्‍हा हो, नजदीक में बच्‍चों के लिए स्‍कूल हो, बुजुर्गों के लिए नजदीक में अस्‍पताल हो ऐसा हिन्‍दुस्‍तान क्‍यों नहीं देख सकते। क्या सवा सौ देशवासी मिल करके हमारे देश के गरीब के आंसू नहीं पोंछ सकते? भीम राव अम्‍बेडकर जी ने जिन सपनों को ले करके संविधान में रचना की है, उन संविधान को जी करके दिखाने का अवसर आया है। हम 2022 के लिए संकल्‍प करे, कुछ कर-गुजरने का इरादा लेकर चल पड़े। मैं मानता हूं कि यह सपना पूरा होगा।

मैं महाराष्‍ट्र सरकार को बधाई देता हूं कि भारत सरकार की योजनाके साथ महाराष्‍ट्र भी कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ रहा है। और बहुत बड़ी मात्रा में घर बनाने की दिशा में काम चल रहा है और उससे लोगों को रोजगार भी बहुत मिलने वाला है। गरीब को घर मिलेगा, लेकिन घर बनाने वालों को रोजगार भी मिलेगा। सीमेंट बनाने वालों को काम मिलेगा, लोहा बनाने वालों को काम मिलेगा, हर व्‍यक्ति को काम मिलेगा। एक प्रकार से रोजगार के सृजन की भी बड़ी संभावना है। और हिन्‍दुस्‍तान के हर कौने में अपने-अपने तरीके से घर बनाने का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। आज उसका भी प्रारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

21वीं सदी ज्ञान की सदी है। और मानव इतिहास इस बात का गवाह है जब-जब मानवजात ज्ञान युग में रहा है, तब-तब हिंदुस्‍तान ने नेतृत्‍व किया है। 21वीं सदी ज्ञानका युग है। भारत को नेतृत्‍व देने का एक बहुत बड़ा अवसर है। आज यहां एक साथ IIIT, IIM, AIIMS एक से बढ़कर एक और यहां नये भवनों के निर्माण पर यह सारी institutions चलेगी। महाराष्‍ट्र के और देश के नौजवानों को अपना भाग्‍य बनाने के लिए, आधुनिक भातर बनाने के लिए अपनी योग्‍यता बढ़ाने की इन संस्‍थानों के द्वारा अवसर मिलेगा। मेरी युवा पीढ़ी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। यह आज जब मैं उनको, मेरी देश की युवा पीढ़ी को यह अर्पित कर रहा हूं, मेरी उन सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

आज...पिछले कुछ दिनों से डिजिटल इंडिया की दिशा में हम काम कर रहे हैं और बहुत व्‍यापक रूप से काम कर रहे हैं। उसका एक फलक है – डिजि-धन, और मेरा मत है वो दिन दूर नहीं होगा। गरीब से गरीब व्‍यक्ति कहने लगेगा डिजि-धन, निजि-धन। यह डिजि-धन, निजि-धन यह गरीब की आवाज बनने वाला है। मैंने देखा बड़े-बड़े विद्वान विरोध करने के लिए ऐसा विरोध कर रहे थे कि मोदी जी अब कह रहे हैं कि कैशलैस सोसायटी, फलाना-ढिंकाना। मैंने ऐसे-ऐसे भाषण सुने आपको फिर मुझे बड़ा व्‍यंग विनोद के लिए और कुछ करना नहीं पड़ा था। उनको याद कर लेता था तो मुझे बड़ा.. मैं हैरान था मतलब विद्वान लोग क्‍या बोल रहे हैं।

कम कैश घर में भी आपने देखा होगा धनी से धनी परिवार होगा, बेटा होस्‍टल में रहता होगा तो भी मां-बाप के बीच चर्चा होती है। एक साथ ज्‍यादा पैसा मत भेजो, कहीं बेटे की आदत बिगड़ जाये। धनी से धनी परिवार भी, गरीब से गरीब परिवार भी बेटा कहेगा मां मुझे आज पांच रुपया दो, तो बाप समझाता है नहीं-नहीं बेटा ऐसा कर दो रुपया ले जाओ। कम कैश जीवन में भी महत्‍व रखती है, यह हम परिवार में अनुभव करते आए हैं। सुखी से सुखी परिवार भी बंडल के बंडल बेटों को नहीं देते, क्‍योंकि उनको मालूम है इससे क्‍या-क्‍या होता है। अच्‍छा कम होता है, बुरा ज्‍यादा होता है। जो व्‍यक्ति के जीवन में है वही समाज के जीवन में होता है, वहीं राष्‍ट्र के जीवन में होता है, वही अर्थव्‍यव्‍सथा के भी जीवन में होता है। यह सीधी-सीधी सरल समझ को हमने व्‍यवहार में लाना चाहिए। कम कैश, कम नगद इससे कारोबार चलाया जा सकता है और कोई एक जमाना था जब सोने की ही लगड़ी ही करेंसी रहती थी। सोने की गिनी हुआ करती थी, बदलते-बदलते कभी चमड़े का भी आया, कागज़ का भी आया, न जाने कितने बदलाव आए। और हर युग ने हर बदलाव को स्‍वीकार किया है। हो सकता है उस समय भी कुछ लोग रह होंगे, जो कुछ कहते होंगे शायद उस समय अखबार नहीं होंगे, इसलिए छपता नहीं होगा, लेकिन कुछ कहते तो होंगे ही होंगे उस समय भी। विवाद भी रह होंगे, लेकिन बदलाव भी हुए होंगे। अब वक्‍त बदला है। आपके पास alternate व्‍यवस्‍थाएं available, सुरक्षित व्‍यवस्‍थाएं available हैं और उसमें से BHIM App. और मैं मानता हूं भारत के संविधान में सामान्‍य मानव को हक देने का काम जिस तरीके से भीमराव अम्‍बेडकर ने किया है, उसी तरीके से BHIM App अर्थव्‍यवस्‍था के महारथी के रूप में काम करने वाली है। यह मेरे शब्‍द लिख करके रखिए। कोई रोक नहीं पाएगा, यह होकर रहने वाला है।

आप हैरान होंगे हिन्‍दुस्‍तान जैसे देश में करेंसी छापना, छाप करके पहुंचाना, सुरक्षित पहुंचाना अरबो-खरबों रुपया का खर्च होता है। अगर इन व्‍यवस्‍थाओं से पैसे बच जाए, तो कितने गरीबों के घर बन जाए दोस्‍तो। कितनी बड़ी देश सेवा हो जाए। और यह सब संभव है इसलिए करना है, न होता तो नहीं करना है। वो भी गुजारा करते थे, पहले वो व्‍यवस्‍था थी, जरूरी थी, करते थे। अगर कम कैश की दिशा में हम तय करे आप देखिए बदलाव संभव है। मैं तो हैरान हूं एक-एक एटीएम की रक्षा के लिए पांच-पांच पुलिस वाले लगे रहते हैं। एक इंसान को सुरक्षा के लिए पुलिस देने में दिक्‍कत होती है, एटीएम के लिए खड़ा रहना पड़ता है। अगर कम कैश का कारोबार हो जाए, आपका मोबाइल फोन ही आपका एटीएम बन जाए। और वक्‍त दूर नहीं है जब premises-less and paper-less banking जीवन का हिस्‍सा बनने वाला है। जब premises-less and paper-less banking जीवन का हिस्‍सा बनने वाला है इसका मतलब हुआ कि आपका मोबाइल फोन यह सिर्फ आपका बटुआ नहीं, आपका मोबाइल फोन आपका अपना बैंक बन जाएगा। Technology का revolution आर्थिक जीवन का हिस्‍सा बन रहा है। और इसलिए 25 दिसंबर को जब यह डिजिधन योजना को लॉन्‍च किया गया था। जिस दिन लॉन्‍च किया था क्रिसमस की शुरूआत थी। Happy Christmas के साथ शुरू किया था। सौ दिन तक सौ शहरों में चला। और आज उसकी पुर्नाणावति एक प्रकार से इधर 14 अप्रैल बाबा अम्‍बेडकर साहेब की जन्म जयंती, BHIM App का सीधा संबंध और दूसरी तरफ गुड फ्राइडे का दिन। Christmas के दिन प्रारंभ किया था, हंसी-खुशी के साथ शुरू किया था। यात्रा करते-करते अब तक चल पड़े।

आज तभी लोगों को लगता था कि जिसके पास मोबाइल फोन नहीं है, क्‍या करेंगे। मैंने Parliament में बहुत भाषण पढ़े, interesting भाषण हैं सब। देश के पास स्‍मार्ट फोन नहीं हैं, ढिंगना नहीं है, फलाना नहीं है। हमने उनको समझाया भई 800-1000 रुपया वाले फीचर वाले फोन से भी गाड़ी चलती है, लेकिन जिसको समझना नहीं उसको कैसे समझाए! लेकिन अब तो आपको मोबाइल फोन की आवश्‍यकता नहीं है, अब आप यह नहीं पूछोगे कि भई क्‍या करेंगे। आपके पास अंगूठा तो है न। एक जमाना था अनपढ़ होने की निशानी हुआ करती थी। युग कैसे बदल गया है, वही अंगूठा आपकी शक्ति का केंद्र बिंदू बनता जा रहा है। यहां सारे नौजवान दिन में दो-दो घंटे अंगूठे पर लगे रहते होंगे। मोबाइल फोन ले करके मैसेज लिखते होंगे। टेक्‍नोलॉजी ने अंगूठे को ताकतवर बना दिया है। और इसलिए BHIM-AADHAR भारत गर्व कर सकता है। दुनिया के टेक्‍नोलॉजी के लिए advance देश के पास भी यह व्‍यवस्‍था नहीं है, जो हिंदुस्‍तान के पास है।

अब जो लोग BHIM App पर विवाद करने के बाद भी लोग स्‍वीकार करते गए, तो वो आधार पर विवाद करने में लगे हुए हैं। वो उनको काम करते रहेंगे। आपके पास मोबाइल फोन हो या न हो, आपका अगर आधार नंबर है। आप स्‍वयं किसी दुकानदार के यहां गए हैं और उसके पास छोटा सा instrument होगा। बड़ा PoS मशीन की भी जरूरत नहीं होगा, छोटा सा एक होगा दो इचं बाय दो इंच का, वो आपका अंगूठा वहां लगवा देगा और उससे अगर आपका पहले से ही बैंक के साथ आपका आधार नंबर जुड़ा हुआ है। अगर आपने दस रुपया का माल लिया है, दस रुपया आपका automatic कट हो जाएगा। एक रुपया साथ में ले जाने की जरूरत नहीं। कहीं आपका कारोबार रूकेगा नहीं, कितनी उत्‍तम व्‍यवस्‍था की दिशा में हम जा रहे हैं। और इसलिए जो आज भीम आधार एक ऐसा version.. और आप देखना जी वो दिन दूर नहीं होगा दुनिया की बड़ी-बड़ी युनिवर्सिटी इस BHIM-AADHAR का case study करने के लिए भारत -- आएगी। सारे नौजवान study करेंगे। दुनिया में आर्थिक बदलाव क्‍या हो सकता है इसका यह आधार बनने वाला है। यह reference बनने वाला है।

और मैं कल ही हमारे रविशंकर जी को कहता था कि भारत सरकार ने इसका patent करवाया कि नहीं करवाया, क्योंकि यह होने वाला है, दुनिया इस विषय को अपना विषय बनाने के लिए.. मुझे अभी अफ्रीकन देशों के जितने मुखिया लोग मिले, उन्‍होंने मेरे से इसकी जिज्ञासा भी की और यह भी चाहा था कि हमारे देश के लिए आप कर सकते हैं क्‍या? धीरे-धीरे इसका वैश्विक विस्‍तार का कारण भी बन सकता है और भारत एक बहुत बड़े Catalytic Agent के रूप में काम कर सकता है।

इस डिजिधन योजना के तहत हिन्‍दुस्‍तान के सौ अलग-अलग शहरों में कार्यक्रम किए गए। लाखों लोगों ने बढ़-चढ़ करके हिस्‍सा लिया। टेक्‍नोलॉजी को समझने का प्रयास किया, स्‍वीकार करने का प्रयास किया। और बहुत बड़ी मात्रा में लोगों को ईनाम मिले और आज जिन लोगों को ईनाम मिला उनमें से एक सज्जन चेन्‍नई के उन्‍होंने तो घोषणा कर दी कि मुझे जो ईनाम मिला है, वो मैं गंगा सफाई के लिए समर्पित कर देता हूं। मैं उनका अभिनंदन करता हूं। और वैसे भी यह डिजिधन सफाई अभियान ही है। भ्रष्‍टाचार, कालेधन के खिलाफ लड़ाई का एक बहुत बड़ा माजा रखता है।

और मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं कम cash विचार आपको पसंद आए या न आए। cash-less society का सपना आपको अच्‍छा लगे या न लगे। नोटो के बिना जिंदगी कैसे गुजरेगी आपके मन में सवाल या निशान हो या न हो, लेकिन इस देश में कोई ऐसा इंसान नहीं होगा, जिसके दिल, दिमाग में भ्रष्‍टाचार के प्रति गुस्‍सा न हो। देने वाला भी गुस्‍सा करता होगा, और कभी लेने वाला भी रात को जा करके सोचता होगा कि यार अभी मोदी आया है कहीं फंस जाऊंगा तो क्‍या होगा? बहुत बुरा हआ है, लेकिन आगे बुराई से बचने के लिए एक उत्‍तम साधन है। जो भी BHIM-AADHAR के सहारे मदद करेंगे मेरी, वो एक प्रकार से भ्रष्‍टाचार और कालेधन की लड़ाई लड़ने के सिपाही हैं मेरे लिए। यह बहुत बड़ी ताकत है मेरे लिए। और इसलिए मैं इसे निमं‍त्रण देता हूं मेरे नौजवानों! और इसमें दो नई चीजें जोड़ी है इस बार। और तो योजना यह है कि वो 14 अक्‍तूबर तक हम चलाएंगे। आज 14 अप्रैल है। 14 अक्‍तूबर इसलिए 14 अक्‍तूबर को बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने दीक्षा ली थी। बाबा साहेब अम्‍बेडकर का दीक्षा का वो पवित्र अवसर था, 14 अक्‍तूबर। और इसलिए आज 14 अप्रैल से 14 अक्‍तूबर तक एक विशेष योजना है। आज देखा होगा आपने अच्‍छे परिवार के नौजवान भी उनके दिमाग में भी है कि हम vacation में कुछ न कुछ काम करे और खुद कमाई करे। धनी परिवार के बच्‍चे भी अपनी पहचान छुपा करके ऐसी जगह पर जाते हैं और ऐसे काम करते हैं खुद को trained करना चाहते हैं। जिस सर्कल में वो पैदा हुए हैं वहां वो मौका नहीं बनता है। वो होटल में जाते हैं, बर्तन साफ करते हैं, चाय परोसते हैं इस प्रकार से काम करतेहैं। कई पेट्रोल पम्‍प पर जा करके काम करते हैं। एक गर्व से जीने का.. आज नई पीढ़ी के दिमाग में यह चीजें आ रही है।

पहले हम सुनते थे विदेश में नौजवान सब रात को जा करके दो-दो तीन-तीन घंटे ऐसी मेहनत काम करते हैं टैक्‍सी चलाते हैं, ढिंकाना करते हैं, फलाना करते हैं। कुछ कमाई करते हैं और फिर पढ़ते रहते हैं। आज हिंदुस्‍तान में यह चीज आई नहीं है, ऐसा नहीं है। हमारा ध्‍यान नहीं है। इस BHIM-AADHAR के तहत मैं इस vacation में मैं मेरे देश के नौजवानों को निमंत्रित करता हूं। इसमें एक योजना है referral यानी अगर आप किसी को भीम एप के संबंध में समझाएंगे। किसी merchant को समझाएंगे, किसी नागरिक को समझाएंगे, उसके मोबाइल फोन पर भीम एप download करवाएंगे। और आपकी प्रेरणा से वो तीन transaction करेगा, कभी पचास रुपयेकी चीज़ खरीदेगा, कभी 30 रुपये की, कभी 100 रुपये की खरीदेगा। यह आपके द्वारा अगर हुआ है तो एक अगर आपने व्‍यक्ति को इसमें जोड़ा तो सरकार की तरफ से आपके खाते में 10 रुपया जमा हो जाएगा। अगर एक दिन में आप 20 लोगों को भी यह कर लें, तो शाम को आपकी जेब में 200 रुपया खाते में आएंगे। अगर vacation के तीन महीने तय कर लें कि 200 रुपया कमाना है, बताइये मेरे नौजवान साथियों यह कोई मुश्किल काम है क्‍या आपके लिए? सामने से कुछ लेना-देना नहीं उसको सिर्फ सिखाना है, समझाना है और जो व्‍यापारी अपने दुकान पर BHIM-App को लागू करेगा कारोबार उससे शुरू करेगा, तो उसको जो उसकी minimum जो रैंक है उसको करेगा, तो उसको 25 रुपया मिलेगा। उसके खाते में 25 रुपये जमा हो जाएंगे। यानी जिसको आपको समझाना है उसको समझा सकते हैं। लेकिन मुझे तो 10 मिल रहा है, लेकिन तेरे को 25 मिलने वाला है। और यह योजना 14 अक्‍तूबर तक चलेगी बाबा साहेब अम्‍बेडकर का दीक्षा प्राप्‍त करने वाला दिवस था। छह महीने हमारे पास है। हर नौजवान इस vacation में 10 हजार, 15 हजार आराम से कमा सकता है। और आप भ्रष्‍टाचार के खिलाफ की लड़ाई जीतने के लिए मेरे सबसे बड़े मददगार बन जाएंगे, इसलिए मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि इस योजना में उसकी बारीकी जो लिखित होगी वो ही फाइनल मैं समझाने के लिए थोड़ा plus-minus बोल रहा हूं। लेकिन जब आप लिखिल पढ़ेंगे तो पक्‍की योजना आपको समझ आ जाएगी। और मैं चाहता हूं, मैं देश के नौजवानों को चाहता हूं कि अब exam हो गई है, मोबाइल फोन उठाइये, इस व्‍यवस्‍था को समझिए और per day 20 लोग, 25 लोग, 30 लोग लग जाइये। आप शाम को 200-300 रुपये कमा करके घर चले जाएंगे और पूरे vacation में आप करेंगे अगली साल की आपका खर्चा पढ़ाई का pocket खर्चा अपने निकल जाएगा। कभी गरीब मां-बाप के पास से एक रुपया मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह revolution लाने का प्रयास है। 

आज यहां 75 township कम कैश वाली उसका लोकार्पण हुआ। इसका मतलब यह हुआ कि जहां पर township में लोग रहते हैं, अलग-अलग fertilizer कंपनियों की township है, कहीं रेलवे वालों की township है, कहीं फौज वालों की township है ऐसी 75 ने पूरी तरह अपने आप को कम कैश वाला किया है। तो जब मैंने इसकी पहली एक township कम कैश वाली बनी तो मैं उसका presentation ले रहा था। मैंने कहा सब्‍जी वाले का क्‍या interest है, वो क्‍यों यह कारोबार में आया। उसने बड़ा interesting जवाब दिया सब्‍जी वाले ने, उसने कहा पहले यह जो township में यह जो बैचने के लिए मैं फुटपाथ पर बैठता हूं, सब्‍जी बैचता हूं, तो जो महिलाएं सब्‍जी खरीदने आती हैं अगर बिल बन गया 25 रुपया 80 पैसा तो कहती है कि चलो 25 रुपये ले लो, काम चल जाएगा, वो 80 पैसे नहीं देती। कितनी भी अमीर परिवार की महिला हो, बड़े से बड़े बाबू की पत्‍नी हो। वो 80 पैसा नहीं देती थी। ले लो 25 रुपया, चलो ठीक है, छुट्टा छोड़ दो। बोले इसके कारण क्‍या हुआ है मुझे पूरा 25 रुपया 80 पैसा मिलता है। और बोला शाम को जो मेरा 15-20 रुपया कम पड़ जाता था अब मेरा 15-20 रुपया मेरी extra income ऐसे ही हो गई। अब देखिए कितना फायदा एक गरीब आदमी ने अपने में से ढूंढ लिया। लेकिन यह 75 township एक अच्‍छी शुरूआत है। यह हम लोगों की कोशिश रहनी चाहिए कि हम कम कैश की ओर देश को ले चले, हम इसमें योगदान दे और यह जो revolution हो रहा है। उसके हम स्‍वयं एक सिपाही बने। उस बात को हम आगे बढ़ाएं।

मुझे विश्‍वास है कि आज जिन लोगों को ईनाम मिला है और इतने कार्यकाल में करीब ढाई सौ करोड़ रुपये से ज्‍यादा ईनाम मिले हैं। वे ईनाम प्राप्‍त कर करके संतोष न माने। हजारों की तादाद में नागरिकों को ईनाम मिला है वे भी इसके एम्‍बेसेडर बने, वे भी इस काम को आगे बढ़ाए। यह देश में परिवर्तन लाने का नागरिकों की मदद से होने वाला एक बहुत बड़ा सफल अभियान है। मैं रविशंकर जी और उनके विभाग की पूरी टीम को नीति आयोग को बड़ी बधाई देता हूं कि full-proof technology के लिए उन्‍होंने भरसक कोशिश की। दुनिया में जितने प्रकार की technology में innovation हुए हैं इन सारी चीजों को स्‍टडी किया है और उसमें से उत्‍तम से उत्‍तम क्‍या हो सकता है। भारत के सामान्‍य मानव को गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी इसको अपने कारोबार से चला सके। इतना user friendly विश्‍वस्‍त यह व्‍यवस्‍था विकसित हुई है। मैं फिर एक बार विभाग के सभी साथियों को बधाई देता हूं। मैं महाराष्‍ट्र सरकार का अभिनंदन करता हूं कि इस कार्यक्रम की रचना के लिए नागपुर को उन्‍होंने जजमान के रूप में उत्‍तम सेवा की। बहुत बड़ी मात्रा में आप सब से मुझे मिलने का अवसर मिला। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
প্রধান মন্ত্রী, শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা 78শুবা নীংতম নুমিত্তা লাল কিলাগী ফম্বাক্তগী লৈবাক মীয়ামদা থমখিবা ৱারোল

Popular Speeches

প্রধান মন্ত্রী, শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা 78শুবা নীংতম নুমিত্তা লাল কিলাগী ফম্বাক্তগী লৈবাক মীয়ামদা থমখিবা ৱারোল
India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report

Media Coverage

India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!