Ours is a party committed to Rashtra Bhakti: PM Narendra Modi

Published By : Admin | February 18, 2018 | 11:45 IST
Ours is a party committed to Rashtra Bhakti: PM Modi
Generations of Karyakartas have given their life for building the BJP: PM Modi
Jan Sangh and BJP leaders have always been at the forefront of all leading mass movements after Independence, says Shri Modi
In thought, in action and in implementation, the BJP's core is truly democratic: PM Narendra Modi
The NDA government under Atal Ji ignited a ray of hope among Indians: PM Narendra Modi

आदरणीय राष्ट्रीय अध्यध श्री अमित शाह जी, श्रद्धेय लाल कृष्ण आडवाणी जी, डॉ जोशी, मंच पर विराजमान पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतृत्वगण और पार्टी के विकास की यात्रा में लगातार जुड़े रहे सभी साथी बंधु भगिनी।

मैं सबसे पहले अमित भाई और उनकी पूरी टीम को बहुत ह्रदयपूर्वक बधाई देना चाहता हूं कि समय सीमा में कार्यालय का निर्माण, जो सपना देखा था उसके अनुरूप कार्यालय और भवन के साथ-साथ ही उसकी भूमिका, उसकी भव्यता और उसकी भावी योजना, ये सबकुछ इसके साथ ही तैयार है। इतना एक उत्तम तरीके से इस कार्य को संपन्न करने के लिए, ये काम सिर्फ बजट की व्यवस्था से नहीं होता है। ये काम तब होता है जब एक सपना हो, कार्य करने वालों का समूह हो, वो भी टीम स्प्रिट के साथ हो, तब जाकर के इस प्रकार की बातें पूर्ण होती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष की नेतृत्व में संगठन टोली ने इस काम को बखूबी निभाया है, परिपूर्ण किया है।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, इन महापुरुषों के मार्गदर्शन ने जिस यात्रा को हमारे लोगों ने प्रारंभ किया, आगे बढ़ाया। कहीं पर दूसरी पीढ़ी, कहीं पर तीसरी पीढ़ी, कभी पर चौथी पीढ़ी काम कर रही है। और इन सबने एक लक्ष्य के साथ, देश के लिए कुछ करने के इरादे के साथ जिस यात्रा को आगे बढ़ाया। वे सभी महानुभाव जहां भी होंगे, उनकी आत्मा को सर्वाधिक संतोष का ये पल होगा।  उनको खुशी होती होगी, जिस बीज को उन्होंने बोया था, आज वटवृक्ष बनके कोटि-कोटि जनों को छाया दे रहा है।

भारत के लोकतंत्र का ये गुलदस्ता बहुत सुहावना लगता है, प्यारा लगता है।  भांति-भांति रंग रूप, फूल, सुगंध, विचार भिन्न-भिन्न होंगे लेकिन ये हमारे लोकतंत्र की खुबसूरती है। कि बहुदलीय हमारा लोकतंत्र, जो सदन में बैठे हुए अलग-अलग दलों के बंधु हैं। वे जन सामान्य के आशा आकांक्षाओं को अपने नजरिये से प्रकट करते रहते हैं। भारत के लोकतंत्र की विशेषता में अपने चुनाव भी है। सभी दल जनता जनार्धन के पास अपनी बात लेकरके जाते हैं। लेकिन अभी भी हमारे देश में लोकतांत्रिक दलों की रचना, उनकी कार्यशैली, इन विषयों में बहुत कुछ होना जरूरी है। दुनिया में अनेक देशों में राजनीतिक दलों को चलाने के अलग-अलग तरीके हैं। भारत के पास जितने राजनीतिक दल हैं, उनके अपने तरीके हैं।

आजादी के आंदोलन से जुड़े हुए दल भी आज हिन्दुस्तान के राजनीतिक जीवन में हैं। आजादी के बाद पैदा हुए वे राजनीतिक दल भी आज देश की सेवा में हैं। हमारे देश का एक कालखंड ऐसा था कि जब आजादी के आंदोलन के दरम्यान देशभक्ति का जो ज्वार था, जो भावनाएं थी, उसी की प्रेरणा में से अलग-अलग तरीके से राजनीति में आने के लिए सहज हुए। अपने-अपने तरीके से उन्होंने नेतृत्व ने भी किया। आजादी के आंदोलन में शायद कांग्रेस दल के साथ जुड़े हुए होंगे लेकिन आजादी के बाद राजनीतिक जीवन में अलग विचार, अलग दल की रचना की। बाद में एक कालखंड ऐसा आया। जिसमें बहुत तेजी से देश में एक तंदुरुस्त लोकतंत्र परंपरा की आवश्यकता के लिए राष्ट्रव्यापी मजबूत दलों का निर्माण होना चाहिए, एक दो दल और होने चाहिए। देश में से आवाज उठी थी।

भारतीय जनसंघ के रूप में हिन्दुस्तान के हर कोने में एक दल का निर्माण करने का संगठनात्म काम शुरू हुआ। जन समर्थन और जनता की कसौटी पर कसना अभी बाकी था। लेकिन संगठन के तौर पर राष्ट्रव्यापी उपस्थिति दर्ज होने लगी। देश की एकता, अखंडता, देश के किसान, देश के गरीब, देश के मजदूर, उनके समन्वय, एक ही भाषा में, एक ही स्वर में, अलग-अलग लोगों के द्वारा आवाज उठने लगी। ये जनसंघ का बहुत बड़ा योगदान था, एकसूत्रता थी, वैचारिक अधिष्ठान था। राष्ट्र के प्रति देखने का नजरिया साफ था। और उसको करने के लिए एक संगठनात्मक रचना के द्वारा और फिर राजनीतिक कसौटी पर कसते जाना, हर तराजू पर तुलते जाना, संकटों के घेरे से निकलते जाना, संघर्ष के मार्ग को कभी न छोड़ना, न कभी हिम्मत हारना और जिन आदर्शों और मूल्यों को लेकर चले थे। उसमें से हम हटे नहीं, इसी एक मात्र संतोष से नई ऊर्जा प्राप्त करके आगे बढ़ते रहना, ये विशेषता रही। आजादी के बाद इस देश में, जितने भी राष्ट्रीय हित आंदोलन हुए। राष्ट्रीय, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रवादिता इन सभी तराजू से तुले हुए जितने भी आंदोलन हुए, आजादी के बाद उन सारे आंदोलन का नेतृत्व जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी ने किया है। और इस बात का हम लोगों को गर्व है। और इसलिए हमारी पार्टी एक प्रकार से राष्ट्रभक्ति की रंग से रंगी हुई है। राष्ट्रहित के लिए मरने मिटने वाली, जूझने वाली, त्याग तपस्या की पराकाष्ठा करने वाली हमारी एक पार्टी की रचना हुई। अलग-अलग दल हैं, अलग-अलग प्रकार हैं।

भारतीय जनता पार्टी और मुझे बराबर याद है आडवाणी जी, संगठनात्मक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं, उसके विषय में गहन अध्ययन करते रहते थे। भंडारी जी बराबर कोई समझौता किए बिना, बिल्कुल संविधान के तहत पार्टी के कैसे चले, सदस्यता कैसे बढ़े, प्रक्रियाएं कैसे सही हो, इसके लिए बहुत बारीकी से काम करने वाला हमारे पास नेतृत्व था। इन्हीं चीजों के कारण आज भी भारतीय जनता पार्टी का पिंड, शत प्रतिशत लोकतांत्रिक पिंड है हमारा। और लोकतंत्र के लिए भी, भारत जैसे विविधताओं पूर्ण देश के लिए भी, अलग-अलग इलाकों के अलग-अलग एस्प्रेशन हैं तब, लोकतांत्रिक पिंड होना, सोचने में लोकतंत्र, काम करने में लोकतंत्र, निर्णय प्रक्रिया में लोकतंत्र, निर्णय को लागू करने में लोकतंत्र, ये जो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में हम लोगों की शिक्षा-दिक्षा होती है। वो आज जब हम जनता ने सत्ता के माध्यम से सेवा करने का मौका दिया है तो ये लोकतांत्रिक संस्कार बहुत काम आ रहे हैं।

सबको साथ लेकर चलने का प्रयास। हिन्दुस्तान में जब बहुदलीय व्यवस्था रही तो एक स्वभाविक था कि गठबंधन की राजनीति बहुत स्वभाविक हुई। स्वार्थवश इकट्ठा आना-जाना अलग बात है लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से साथियों को साथ लेकर चलने का एक अलग ही अभ्यास जरूरी होता है। अटल जी के नेतृत्व में, एनडीए के रूप में साथियों को साथ लेकरके गठबंधन की राजनीति में राजनीतिक दलों के सामर्थ्य को जोड़ते हुए क्षेत्रीय एस्प्रेशन के बीच बैलेंस बनाते हुए देश में एक नई आशा कैसे जगाई जा सकती है, ये प्रयोग भी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में सफल हुआ। 1997 में संयुक्त मोर्चा के नाम से थोड़े प्रयास हुए थे लेकिन ऐसी सफलता और उसका मूल कारण, हमारे रग-रग में लोकतंत्र है। हमारी आचार में, हमारे विचार में, हमारे संस्कार में लोकतंत्र है। और उसी के कारण आज सबके साथ चलने में हमलोग यथासंभव सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं।

आज ये भवन का निर्माण हुआ है। ये ईंट-पत्थरों से बनी हुई इमारत नहीं है। जनसंघ से जन्म हुआ तब से लेकर आज तक की ये सैकड़ों, हजारों, लाखों कार्यकर्ताओं की जो श्रंखलाएं जो बनती रही जो अब 11 करोड़ तक पहुंची है। उनके सबके परिश्रम का परिणाम है। उन सबकी आशा आकांक्षाएं जुड़ी हुई है, अपेक्षाएं जुड़ी हुई है। और इसलिए ये चारदीवारी का कार्यालय, शायद हमारी कर्मभूमि होगी। हर एक्सक्यूटिव एक्टिविटी के लिए हम दीवारों से बंधे होंगे। लेकिन भारत की सीमा ही हमारे कार्य की सीमा है। और हमें यहां से ऊर्जा और व्यवस्था लेकर के भारत की सीमा को ही हमारा कार्य क्षेत्र प्रतिपल महसूस करते हुए आगे बढ़ते रहना, ये हम लोगों का दायित्व है।

कार्यालय, ये भाजपा कार्यालय है या ये मेरा कार्यालय है। भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता के दिल से यही आवाज निकलनी चाहिए कि ये मेरा कार्यालय है। ये अपनापन, इसकी अपनी ताकत होती है, उसका एक सामर्थ्य होता है। ये मेरा कार्यालय है। जब मेरे का भाव बन जाता है तब उसके साथ एक इमोशनल एटैचमेंट की तीव्रता बढ़ जाती है। हम अपने सपनों को, अपनी आशा आकांक्षाओं, व्यक्तिगत राजनीति और रोडमैप की पूर्ति के लिए ये कार्यालय नहीं है। ये कार्यालय सिर्फ और सिर्फ इस देश की कोटि-कोटि जनों की आशा आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए है।

ये व्यक्तियों के राजनीतिक मैप की और रोडमैप की पूर्ति के लिए हमारे हजारों और लाखों लोगों ने नहीं बनाया है। और इसलिए इस कार्यालय की आत्मा हमारे कार्यकर्ता हैं। इस कार्यालय का सपना कोटि-कोटि देशवासी है, उनका कल्याण है। उनके जीवन की आशा आकांक्षाओं को पूर्ण करने का संकल्पबद्ध होने का एक पवित्र स्थान हो, उस भूमिका से इस कार्यालय को देखते हुए, हम अपने जीवन को भी इस कार्यालय के सांचे में ढालने का प्रयास करेंगे।

मुझे विश्वास है, इमारत कितनी ही बड़ी क्यों न हो, हो सकता है हम दुनिया में बड़े हों, लेकिन ये विश्वास से कहता हूं कि कार्यकर्ताओं को अपना घर लगता हो, ऐसा कार्यालय, शायद ही भारतीय जनता पार्टी जहां परिवार भाव होता है, वही संभव होता है। और ये होके रहेगा। इस विश्वास के साथ इस नए भवन को राष्ट्र के 11 करोड़ से अधिक हमारे कार्यकर्ताओं को समर्पित करता हूं। कोटि-कोटि देशवासियों की आशा अपेक्षाओं को समर्पित करता हूं। अमित भाई और उनकी पूरी टीम ने इसको संपन्न किया। अब तक भारतीय जनता पार्टी और जनसंघ का जिन-जिन महानुभावों ने अपना नेतृत्व किया है, इसके लिए अपना जीवन खपा दिया है, अपनी जवानी खपा दी है, उन सभी महापुरुषों को आज नमन करते हुए आप सबको बधाई देता हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

Explore More
প্রধান মন্ত্রী, শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা 78শুবা নীংতম নুমিত্তা লাল কিলাগী ফম্বাক্তগী লৈবাক মীয়ামদা থমখিবা ৱারোল

Popular Speeches

প্রধান মন্ত্রী, শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা 78শুবা নীংতম নুমিত্তা লাল কিলাগী ফম্বাক্তগী লৈবাক মীয়ামদা থমখিবা ৱারোল
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...

Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.