Our focus is all-round development of India & North east cannot stay behind in this journey: PM Modi
We want to ensure that youth here gets the opportunities to fulfil their dreams: PM
We would set up Central Institute of Technology for better technical education, Kokrajhar to get deemed university status: PM
Assam gave a PM for 10 years, Congress ruled here for 15 years, still the state faces problems: PM
We want to Act East. Be it rail, roads or waterways, we want to connect our North east with entire India: PM
Our aim is housing for all by 2022 & 24/7 electricity and water: PM Modi during rally in Assam
I assure our Govt would leave no stone unturned in developing the North east region: PM Modi

मंच पर विराजमान बीटीसी के चीफ़ श्रीमान अग्रमा मोहिलरी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी और जनप्रिय नेता श्रीमान सर्वानंद जी सोनमल, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी और डोनर के मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह जी, बीटीसी के डिप्टी चीफ़ श्रीमान खम्पा जी, श्रीमान हेमंत विश्व शर्मा जी, सांसद श्रीमान विश्वजीत और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों एवं बहनों।

मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगता हूँ क्योंकि मुझे आने में विलंब हुआ। मैं सिक्किम में था मुझे निकलने में देर हुई और आपको काफ़ी इंतज़ार करना पड़ा लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मुझे इतनी देरी नहीं हुई है जिस कारण आपको विकास के लिए इंतज़ार करना पड़े, आपको अपने हक़ के लिए लड़ाई करनी पड़े। मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर यहाँ के लोगों की भलाई करने आया हूँ, आपके शक्ति, सामर्थ्य, सपनों, यहाँ के युवाओं को अवसर मिले और वे विकास की नई ऊंचाईयों को प्राप्त करें।

मैं आपके बीच में एक ऐसे समय आया हूँ जब यहाँ पर एकता और सद्भावना का माहौल है। यहाँ के राजनीतिक गुट भी अपने वाद-विवादों को पीछे रखते हुए यहाँ के लोगों की भलाई और उनके विकास के लिए आगे आए हैं। मैं इसके लिए यहाँ के नेतृत्व को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और जो लोग जुड़ रहे हैं, उनका मैं तहे दिल से स्वागत करता हूँ। अग्रमा जी, खम्पा जी मेरे घर पर आये थे, दिल खोलकर बातें हुई थी। उनसे मिलकर मुझे यहाँ की समस्याओं को समझने का अवसर मिला तभी उन्होंने कहा कि मोदी जी, जो देना है, वो दिल खोलकर दे दीजिए क्योंकि बातें भी तो दिल खोलकर हुई थीं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि दिल में आप समा गए हैं।

12-15 साल से जो वादे आपको किये गए, उन वादों का भी निपटारा नहीं हुआ। मैं यह तो मान सकता हूँ कि इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन आप हर बार वादे करें और फ़िर वादों को भुला दें, नए-नए वादें करें इस तरह के वादाखिलाफी से गुस्सा आता है, ये आपकी नाराजगी का प्रदर्शन है।

मैं आपको इतना ही कहने आया हूँ कि जो बात मैं कर रहा हूँ, उसे पूरा करने के लिए मैं जी-जान से जुड़ जाता हूँ, खप जाता हूँ। मैं हैरान हूँ कि एक पार्टी जिसने यहाँ 15 साल राज किया, ये असम प्रदेश जिसने 10 साल के लिए देश को प्रधानमंत्री दिया, 15 साल कांग्रेस ने लगातार राज किया; देखा जाए तो 60 साल तक वो ही सरकार चलाते रहे, मैं तो यह सोच रहा था कि असम में तो अब कोई समस्या हो ही नहीं सकती क्योंकि 10 साल यहाँ से प्रधानमंत्री रहे हैं और 15 साल से एक मुख्यमंत्री यहाँ सरकार चला रहे हैं। जिन्हें अपने काम का हिसाब देना चाहिए, वे सवाल पूछ रहे हैं तो फिर उन्होंने किया क्या? ये सब विफलताओं की दस्तक है। उन्हें यह स्वीकार करना पड़ रहा है कि उनका अपना प्रधानमंत्री था, असम से मनमोहन सिंह जी को भेजा था लेकिन अभी समस्याओं की लंबी लिस्ट है आपकी।

भाईयों-बहनों, वे 15 साल में कुछ नहीं कर पाए और मुझसे अपेक्षा करते हैं कि मैं 15 दिन में सबकुछ कर दूँ। मुझे बताईये कि क्या ये मेरे साथ न्याय है? ये आपलोगों को गुमराह करने के लिए है लेकिन मेरा आप पर भरोसा है कि आप गुमराह नहीं होंगे। आपने उनके 15 साल देखे हैं और आपने हमारे 15 महीने भी देखे हैं। मेरे सामने कुछ बातें रखी गई थीं और आज मैं बड़े संतोष के साथ कहना चाहता हूँ कि असम के कार्बी मिकिर जनजाति को मैदानी इलाके में अनुसूचित जनजाति के रूप में और असम के बोडो काछारी जनजाति को ट्राइब आंगलोंग और एनसी हिल ऑटोनोमस काउंसिल के इलाके में अनुसूचित जनजाति के रूप में घोषित किये जाने का मुद्दा काफ़ी समय से लंबित है। अब दोनों ही मसलों की रजिस्ट्रार सेंट्रल ऑफ़ इंडिया और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग द्वारा सिफ़ारिश कर दी गई है। आने वाले कुछ समय में ये मामला कैबिनेट में अप्रूव हो जाएगा और उसके बाद संसद में इसे पारित किया जाएगा। वर्षों से आपकी इस समस्या का समाधान निकाला जा रहा है।

आपके नेता ने जब मुझे इस समस्या के बारे में बताया तो मैंने कहा कि मैं पहले इसका समाधान निकालूँगा, फ़िर आऊंगा। इस क्षेत्र के छात्रों को उच्च गुणवत्ता की तकनीकी शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिए, औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, कोकराझार को एक वर्ष की अवधि में डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया जाएगा। इस कार्य से यूनिवर्सिटी को और अधिक अकादमिक तथा प्रशासनिक अधिकार प्राप्त होंगे।

मेरे सामने एक मसला आया था, एयरपोर्ट का बहुत पहले एक एयरपोर्ट सेना के साथ मिलकर काम कर रहा था, फ़िर वो बंद हो गया। अब राज्य सरकार ज़मीन नहीं दे रही है मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि जैसे ही ज़मीन का मसला पूरा हो जाएगा, रूपसी एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना और आम जनता के लिए संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा।

कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन के रूट का बराक वेली में सिलचर तक विस्तार किया जाएगा और मैं आने वाले दिनों में बहुत जल्द उस ट्रेन को आरंभ करने जा रहा हूँ। मुझे एक और कठिनाई बताई गई कि हमारे लिए बजट में इतना आवंटन होता है लेकिन पता नहीं कहाँ जाता है। जनता की पाई-पाई जनता के ही पास जानी चाहिए; जो अब तक लूटा गया है और अब लूटने का अवसर नहीं मिल रहा है इसलिए ये लोग हमसे परेशान हैं। दिल्ली आजकल हिसाब मांगता है।

दिल्ली में अटल जी के समय में नार्थ-ईस्ट के विकास के लिए एक विशेष मंत्रालय - डोनर बना था। अटल जी की सरकार के जाने के बाद इनकी सरकार में क्या-क्या होता है, ये आप सभी को मालूम ही है। हमने डोनर मंत्रालय को एक नया काम दिया है जिससे यहाँ के कुछ नेता लोग काफ़ी परेशान हैं। पहले यहाँ के लोगों को दिल्ली जाना पड़ता था, मिनिस्ट्री खोजनी पड़ती थी, सामान्य लोग वहां जा नहीं पाते थे, शिकायत पहुंचाई नहीं जा सकती थी, क्या चल रहा है, सच-झूठ का पता ही नहीं चलता था। रुपये तो आते थे लेकिन ज़मीन पर कोई काम दिखाई नहीं देता था।

राजीव गाँधी सही कहते थे कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है और गाँव में जाते-जाते 15 पैसे हो जाता है। इसलिए हमने तय किया कि डोनर मिनिस्ट्री, उसके अधिकारी महीने में एक बार नार्थ-ईस्ट के राज्यों में जाएंगे, पूरा सचिवालय दिल्ली से गुवाहाटी जाएगा। दिनभर वहां बैठेंगे, सरकार ने जो पैसे दिये, उसका हिसाब मांगेंगे, रुपये कहाँ जा रहे हैं, उसकी पूछताछ होगी और यह काम डॉ. जितेन्द्र सिंह की टीम बखूबी कर रही है। इसके कारण यहाँ लोगों को परेशानी हो रही है कि मोदी हिसाब मांग रहे हैं और आजकल फैशन हो गया है, अपने काम का हिसाब नहीं देना। जब हिसाब मांगते हैं तो कोई और ही आरोप लगाना शुरू कर देते हैं इसलिए नार्थ-ईस्ट की सभी सरकारों को पैसे का हिसाब देना पड़ेगा क्योंकि ये जनता का पैसा है और ये जनता के काम आना चाहिए और इसलिए मैं इन लोगों को बुरा लगता हूँ।

मैं अपना समय इस लिए बर्बाद नहीं करता कि मैं अच्छा लगूं यां बुरा लगूं; मैं अपना समय खपाता हूँ ताकि मेरा देश अच्छा बने। हमारे देश का भविष्य बदलने के लिए मेरा तीन सूत्रीय कार्यक्रम है – विकास, विकास और सिर्फ़ विकास। सारी समस्याओं का समाधान विकास में ही है। पिछले दिनों आपने देखा होगा कि जब दिल्ली में पुलिस की भर्ती हुई तो मैंने आग्रह रखा कि नार्थ-ईस्ट राज्यों के नौजवानों को दिल्ली में पुलिस में भर्ती करना चाहिए और आज बहुत बड़ी संख्या में यहाँ के नौजवानों को दिल्ली में रक्षा के लिए ले जाया गया। एक बार जो बात कही, उसे लागू करने के लिए जी-जान से लगे रहते हैं, पूरी कोशिश करते हैं।

हमें अगर विकास करना है तो इस इलाके की सबसे पहली ज़रूरत है – इंफ्रास्ट्रक्चर, चाहे सड़क हो, रेल हो, या जलमार्ग हो और इसलिए हमारी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाई है। इस पॉलिसी के माध्यम से नार्थ-ईस्ट राज्यों को भारत की विकासधारा में जोड़ना है, रास्तों का नेटवर्क बनाना है। पिछले बजट में आपने देखा होगा कि जैसा आवंटन हुआ था, वैसा पहले कभी नहीं किया गया होगा, उतने रुपये हम नार्थ-ईस्ट में सड़क और रेल में लगा रहे हैं।

देश की आज़ादी के इतने साल बीत गए और मैं सोच रहा था कि अब तक तो देश के सभी गांवों में बिजली पहुँच गई होगी लेकिन मुझे हिसाब मिला कि अभी भी 18,000 गाँव ऐसे हैं जहाँ बिजली का खंभा भी नहीं है। हमने बीड़ा उठाया, 15 अगस्त को लाल किले से हमने घोषणा की कि मेरी सरकार जी-जान से काम करेगी और 1,000 दिन में 18,000 गाँव में बिजली पहुंचाऊंगा। आप अपने मोबाइल पर इसका पूरा विवरण देख सकते हैं। इसके लिए एक अलग वेबसाइट बनाई है कि कहाँ-कहाँ बिजली पहुंची और दिन-प्रतिदिन का हिसाब रखा जाता है और हर दिन किसी-न-किसी गाँव में बिजली पहुँच रही है। गाँव में बिजली पहुँचने के बाद लोगों को अहसास होता होगा कि आज़ादी किसे कहते हैं। मैं तो मीडिया के मित्रों को भी कहता हूँ कि बिजली पहुँचने के बाद गाँव में जो लोगों का उत्साह है, उसे लोगों को दिखाएं। इससे देश के साथ-साथ काम करने वालों का भी हौसला बुलंद होगा।

बिजली पहुँचने से शिक्षा और जीवन-व्यवस्था में सुधार होगा और हमारा सपना है 2022 में भारत की आज़ादी के 75 साल होने पर सब जगह लोगों को 24 घंटे बिजली मिले जो आज नहीं मिल रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि 2022 तक हम यह काम करके रहेंगे।

हमारा एक और सपना यह है कि देश के गरीब परिवारों को अपना घर मिले। हमने ठान लिया है कि 2022 में देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के पास भी ख़ुद का रहने का घर हो और घर भी ऐसा जिसमें बिजली हो, पानी आता हो, शौचालय भी हो और बच्चों के लिए नजदीक में स्कूल भी हो। जब इतने मकान बनेंगे, रास्ते बनेंगे, रेल का काम होगा तो बहुत सारे लोगों को रोजगार भी मिलेगा, काम के अवसर बढ़ेंगे।

हमने तय किया था कि हम गरीब से गरीब व्यक्ति का बैंक खाता खोलेंगे; प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की। लोगों को लगता था कि जो काम 70 साल में नहीं हुआ, वो मोदी जी कैसे करेंगे। आज बताते हुए मुझे ख़ुशी हो रही है कि जन-धन योजना के अंतर्गत हमने 20 करोड़ लोगों के खाते खोल दिए हैं। हमने उन्हें अर्थव्यवस्था के धारा में जोड़ा, बैंक तक उनका रास्ता खोला। मैंने कहा था कि पैसे नहीं होंगे तो भी खाते खुलेंगे लेकिन मुझे ख़ुशी है कि गरीबों ने भी सोच लिया कि मुफ़्त में नहीं करना है, बैंक में कुछ तो जमा करेंगे और लोगों ने करीब-करीब 30 हज़ार करोड़ रुपये जमा किये। ये ताकत है देश के आम जन की और इस ताकत को लेकर हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

मेरा एक ही इरादा है कि हिन्दुस्तान में और जगहों पर जितना विकास हुआ है, यहाँ भी उतना ही विकास होना चाहिए। ये काम मुझे करना है और इसलिए मैं आपके पास आशीर्वाद लेने आया हूँ। आज लाखों की तादाद में मैं यह जनसैलाब देख रहा हूँ। मैंने असम में बहुत दौरे किये हैं। लोकसभा के चुनाव में भी आपने भरपूर आशीर्वाद दिया है लेकिन ऐसा नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं देखा, ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा। आपके इसी आशीर्वाद से मुझे ताकत मिलती है, आपके लिए दिन-रात दौड़ने की मुझे प्रेरणा मिलती है। मुझे ख़ुशी है कि मुझे नए साथियों के साथ काम करने का मौका मिला है और मैं विश्वास दिलाता हूँ कि यहाँ की जितनी रुकी समस्याएं हैं, उनके समाधान के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। मैं आप सभी का आभारी हूँ, बहुत-बहुत धन्यवाद!       

            

Explore More
প্রধান মন্ত্রীনা শ্রী রাম জন্মভুমি মন্দির দ্বাজরোহন উৎসবতা পীখিবা ৱারোলগী মৈতৈলোন্দা হন্দোকপা

Popular Speeches

প্রধান মন্ত্রীনা শ্রী রাম জন্মভুমি মন্দির দ্বাজরোহন উৎসবতা পীখিবা ৱারোলগী মৈতৈলোন্দা হন্দোকপা
Why The SHANTI Bill Makes Modi Government’s Nuclear Energy Push Truly Futuristic

Media Coverage

Why The SHANTI Bill Makes Modi Government’s Nuclear Energy Push Truly Futuristic
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
‘Restoring Balance’ is a global urgency: PM Modi highlights global health challenges at WHO Global Summit on Traditional Medicine
December 19, 2025
It is India’s privilege and a matter of pride that the WHO Global Centre for Traditional Medicine has been established in Jamnagar: PM
Yoga has guided humanity across the world towards a life of health, balance, and harmony: PM
Through India’s initiative and the support of over 175 nations, the UN proclaimed 21 June as International Yoga Day; over the years, yoga has spread worldwide, touching lives across the globe: PM
The inauguration of the WHO South-East Asia Regional Office in Delhi marks another milestone. This global hub will advance research, strengthen regulation & foster capacity building: PM
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
Restoring balance is no longer just a global cause-it is a global urgency, demanding accelerated action and resolute commitment: PM
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।