বি.জে.পি.না ঝারখন্দ অসি নক্সাল লৈতবা মফম অমা ওইনবা হোৎনরিঃ দাল্তোনগঞ্জদা প্রধান মন্ত্রী মোদী
বি.জে.পি.গী লুচীং মখাদা, মসি ঝারখন্দগী য়াম্না মরু ওইবা অমনি মদুদি মফম অসিদা অকনবা অমদি অচেৎপা সরকার অমা শেম্লে।
প্রধান মন্ত্রী মোদীনা হায়খ্রে, হৌখিবা চহি মঙা অসিদা ঝারখন্দ সরকারনা শেঞ্জা-থুমজা মুথৎনবা অহিং নুংথিল নাইদনা কন্না হোৎনখি
দাল্তোনগঞ্জদা প্রধান মন্ত্রী মোদীনা হায়খ্রে মদুদি রাম জন্মভুমিগী মতাংদা খন্ন-নৈনবদা কংগ্রেস সরকারনা অথিংবা পীখি
গুমলাদা প্রধান মন্ত্রী মোদীনা হায়খ্রে, বি.জে.পি.গী ৱাশক্তি ২০১৪ ফাওবগী মনুংদা য়ুমথোং খুদিং ঈশিং ফংহনবনি

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। 

वो जो सारे नौजवान वहां चढ़ गए हैं, उनसे मेरी प्रार्थना है कि आप नीचे आइए। देखिए उसमें बिजली का तार होता है और अगर आप को कुछ हो गया तो मुझको सबसे ज्यादा दुख होगा। हां जल्दी नीचे आ जाइए, यहां के सारे नवजवान बहुत समझदार हैं, जरा उनको नीचे आने में मदद कीजिए भाई, बहुत लोग ऐसे होते हैं चढ़ जाने के बाद नीचे आना नहीं आता है। शाबाश, आखिरी एक वीर सपूत बच गया है, वो भी आ रहा है, मैं आपका बहुत आभारी हूं दोस्तो। बस आपका यही प्यार है जो मुझे काम करने की ताकत देता रहता है।

मंच पर विराजमान झारखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री और भावी मुख्यमंत्री श्रीमान रघुवर दास जी, संसद में मेरे साथी भाई सुनील कुमार सिंह जी, श्रीमान बीडी राम, भारतीय जनता पार्टी के हमारे वरिष्ठ साथी श्रीमान ओम माथुर जी, आदित्य साहू जी, श्री मनोज सिंह, सुबोध कुमार सिंह, श्रीमान अशोक शर्मा जी, लाल अमित नाथ जी, ओम प्रकाश केसरी जी, नरेंद्र पांडे जी, प्रदीप शर्मा जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार, पार्टी से श्रीमान शशि भूषण मेहता जी, विश्रामपुर से श्रीमान रामचंद्र चंद्रवंशी जी, डॉल्टनगंज से उम्मीदवार श्रीमान आलोक चौरसिया जी, छत्तरपुर से श्रीमति पुष्पा देवी जी, होसिनाबाद से श्रीमान विनोद सिंह जीगढ़वा से श्रीमान सत्येंद्र तिवारी जी, भवनाथपुर से श्रीमान भानुप्रताप साही जी, मनिका से श्रीमान रघुपाल सिंह जी, लातेहार से श्रीमान प्रकाश राम जी, छत्रा से श्रीमान जनार्दन पासवान जी, मेरे साथ भारत माता की जय बोलकर के मेरे इन सभी साथियों को आशीर्वाद दीजिए। भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, बहुत-बहुत धन्यवाद। 

राजा मेदनी राय वीर, यहां के सपूत नीलांबर-पीतांबर की धरती पर, भगवान बंशीधर को भी मेरा नमन। तीन दिन पूर्व लातेहार में नक्सली हमले में शहीद पुलिस वालों को मैं अपनी श्रद्धांजलि देता हूं। उनके परिवार वालों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। साथियो, आप सभी इतनी भारी संख्या में इतनी दूर-दूर से आए हो, काफी देर से आप इंतजार कर रहे हैं। आपका यही प्यार, यही अपनापन मेरी ऊर्जा का स्रोत है। मुझे बार-बार झारखंड आने के लिए प्रेरित करता रहता है। आपका प्यार इतना है कि मैं खींचा चला आता हूं, ऐसे में आज यहां डॉल्टनगंज के झारखंड विधानसभा की शुरुआत करते हुए मैं विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं।

साथियो, झारखंड की धरती और उसमें भी पलामू भाजपा के लिए हमेशा से एक मजबूत किला रहा है। आज अगर पूरे भारत में कमल शान से खिला है तो इसकी बहुत बड़ी भूमिका यहां की जनता-जनार्दन, यहां के भाजपा के कार्यकर्ता और आप सबके आशीर्वाद हैं। यहां का जनजातीय समुदाय, यहां के पिछड़े, दलित, वंचित, व्यापारी, कारोबारी, हर वर्ग कमल के निशान के साथ खड़ा रहा है। मैं ये हाल फिलहाल की बात नहीं कर रहा हूं बल्कि 80 के दशक में भी जब भाजपा का जनाधार इतना व्यापक नहीं थायहां तक कि कांग्रेस के लोग हमारा मजाक उड़ाया करते थे तब भी इस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी मजबूत थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि भगवान बिरसा मुंडा की इस धरती पर राष्ट्रवाद के प्रति, स्वराज के प्रति, अपनी परंपरा और संस्कृति के प्रति हमेशा से ही प्रबल भावना रही है। इसी भावना के साथ भाजपा भी, झारखंड की सेवा करने, झारखंड का विकास करने का प्रयास करती रही है। साथियो, इसी भावना को आपने 2014 में भी व्यक्त किया और कुछ महीने पहले लोकसभा के चुनाव में भी आपने भारी समर्थन किया। आज यहां जो जन सैलाब, चारों तरफ लोग ही लोग नजर आ रहे हैं उत्साह से भर हुए, उमंग से भर हुए संकल्पवान नागरिक, उसने इस बार विधानसभा चुनाव का नतीजा भी स्पष्ट कर दिया है। 

भाइयो-बहनो, भाजपा की अगुवाई में एक स्थिर और मजबूत सरकार का दोबारा बनना यहां बहुत जरूरी है क्योंकि झारखंड के लिए ये समय बिल्कुल वैसा ही जैसा हमारे परिवार में बच्चों के जीवन में आता है। 19-20 साल की उम्र में ही परिवार में बच्चों का भविष्य तय हो जाता है, झारखंड राज्य भी युवा अवस्था में है इस दौरान यहां जो दिशा मिलेगी उसका झारखंड के भविष्य पर बहुत प्रभाव पड़ेगा। बीते पांच वर्ष में दिल्ली और रांची के डबल इंजन ने झारखंड के विकास को जो गति दी है उसे बनाए रखने की जरूरत है, बीते पांच वर्षों में यहां की भाजपा सरकार ने नए झारखंड के लिए सामाजिक न्याय के पांच सूत्रों पर काम किया है। पहला सूत्र है स्थिरता, दूसरा सूत्र है सुशासन, तीसरा सूत्र है समृद्धि, चौथा सूत्र है सम्मान और पांचवां सूत्र है सुरक्षा। साथियो, भाजपा ने झारखंड को एक स्थिर सरकार दी है, झारखंड में भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए दिन-रात काम किया है, पारदर्शी व्यवस्थाएं बनाई हैं, भाजपा ने झारखंड को लुटने से बचाया है, यहां समृद्धि का मार्ग खोला है, भाजपा ने हर समाज के हर व्यक्ति को सम्मान से जीने का हक दिलाया है, उसका गौरव बढ़ाया है। भाजपा ने झारखंड को नक्सलवाद और अपराध से मुक्ति दिलाने के लिए, भयमुक्त वातावरण के लिए प्रयास किया है। भाइयो-बहनो, आप याद कीजिए पांच वर्ष पहले झारखंड में क्या स्थिति थी, अस्थिरता, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, सब कुछ चरम पर था। यहां पलामू में तो कई इलाकों में शाम 6 बजे ही जीवन थम जाता था, शाम ढलने के बाद रांची से पलामू आना-जाना बंद हो जाता था अगर कभी मजबूरी पड़ जाती तो परिवार पूरी रात प्रार्थना और इंतजार में बिताता था लेकिन आज यहां स्थिति करीब-करीब सामान्य हो रही है। आज रात भर लोग सामान्य आवागमन कर रहे हैं, पलामू के जीवन में इससे बड़ा बदलाव आया है। साथियो, झारखंड में नक्सलवाद की ये समस्या इसलिए भी बेकाबू हुई है क्योंकि यहां राजनीतिक अस्थिरता थी, यहां सरकारें पिछले दरवाजे से बनती और बिगड़ जाती थीं क्योंकि उनके मूल में स्वार्थ होता था करप्शन होता था। इन स्वार्थी लोगों में झारखंड की सेवा की कोई भावना नहीं है, इन स्वार्थी लोगों के गठबंधन का एक मात्र एजेंडा है सत्ताभोग और झारखंड के संसाधनों का दुरुपयोग। और इसी फिराक में ये एक बार फिर आपको भ्रमित कर रहे हैं, आपसे वोट मांग रहे हैं।

साथियो, जिस तरह की स्थिति इन भ्रष्ट राजनीतिक दलों ने यहां की बना दी थी, उसमें यहां सड़क, बिजली, पानी का इंतजाम कैसे हो सकता था, नए उद्योग कैसे लगते, नए रोजगार का निर्माण कैसे होता, किसान के खेत को सिंचाईं, उपज से उचित कमाई और बच्चों की पढ़ाई, अस्थिरता के वातावरण में कैसे संभव हो पाती। इन लोगों की नजर यहां की मिट्टी के नीचे जो संपदा थी ना, उस पर थी। उन्हें जमीन पर बसे इंसान के जीवन की कोई परवाह नहीं थी, अनिश्चितता की स्थिति का लाभ ऐसे लोगों ने उठाया जिनकी दुकान हिंसा पर चलती थी। यही उद्योग यहां भरपूर फला-फूला। साथियो, बीते पांच वर्ष में इस स्थिति को काफी हद तक बदलने में केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार ने मिलकर सफलता पाई है। झारखंड के इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब पूरे पांच वर्ष तक रघुवर दास जी के रूप में एक ही मुख्यमंत्री यहां रहे हैं। भाजपा सरकार के ईमानदार प्रयासों की वजह से ही आज झारखंड के गांव-गांव में सड़कें पहुंच रही हैं, गांव-गांव में बिजली पहुंच रही है। बदलते हुए हालात में अब यहां रोजगार के नए साधन तैयार हो रहे हैं। नई बसें, ट्रक, टेंपो के माध्यम से तो रोजगार मिल ही रहा है, अब यहां एक नया स्टील प्लांट भी जल्द ही तैयार होने वाला है। इतना ही नहीं, यहां से जो बॉक्साइट निकल रहा है उसका बड़ा हिस्सा यहीं के विकास में लगे इसका भी प्रावधान पहली बार भाजपा की सरकार ने ही किया है। हमने डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड बनाया है ताकि आदिवासी इलाकों की संपदा से उन इलाकों के लोगों का विकास हो सके। इसके तहत करीब पांच हजार करोड़ रुपए झारखंड में आदिवासियों के कल्याण के लिए मिले हैं। इसी फंड से यहां स्कूल, अस्पताल और दूसरी सुविधाएं बनाने में मदद मिल रही हैं। यही नहीं जंगल में रहने वाले साथियों के जमीन से जुड़े क्लेम भी तेजी से सेटेल किए जा रहे हैं। मुझे बताया गया है कि यहां कुल एक लाख से ज्यादा क्लेम किए गए हैं, इसमें से करीब 60 हजार का निपटारा कर दिया गया है, बाकियों के लिए भी तेजी से प्रयास किया जा रहा है। विरोधी हताशा में कुछ भी कहें लेकिन आपके जल, जंगल और जमीन की रक्षा, आपके हितों पर भाजपा दीवार बनकर खड़ी रहेगी, कोई आंच नहीं आने देगी ये मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं।

बहनो और भाइयो, हमारा प्रयास है कि मेदनी राय जी ने जिस प्रकार प्रजा हितकारी शासन चलाया वैसा ही साधन, झारखंड देश को दें। कहते हैं कि मेदनी राय जी घरों में जा-जाकर पता करते थे कि किस परिवार को क्या समस्या है। आपने भी ऐसी सरकारें देखी हैं जिसमें आपको सरकारों के पीछे चक्कर लगाना पड़ता था, भागना पड़ता था। अब हमारी सरकार खुद चलकर आपके पास आती है, आपकी कठिनाइयों को समझने का प्रयास करती है। आज हम तकनीक की मदद से खुद देश के आम नागरिक देश के लोगों तक सीधे पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि आज हर गरीब परिवार को अपना पक्का आवास मिल रहा है, जिनको अबी नहीं मिला है उनको मैं विश्वास दिलाता हूं काम तेजी से चल रहा है और 2022 जब आजादी के 75 साल होंगे, आजादी के लिए लड़ाई लड़ने वाले, जीवन देने वाले बिरसा मुंडा जी को याद करते हुए हिंदुस्तान के एक भी गरीब को अपने घर ना हो ऐसी स्थिति हम रहने नहीं देंगे। और अगर सरकारें बदलती हैं तो मैं बताना चाहता हूं कि क्या हाल होता है। उत्तर प्रदेश में पहले और लोगों की सरकार थी, भारत सरकार गरीबों के लिए घर बनाने के लिए दबाव डाल रही थी लेकिन तब उत्तर प्रदेश में ऐसी सरकार थी, वो कागज पर भी लिस्ट बनाने के लिए भी परवाह नहीं करती थी। जब तक पुरानी सरकार रही, भारत सरकार ने पैसे दिए, दबाव डाला, योजनाएं कीं लेकिन घर बनाने का काम नहीं हुआ। जैसे ही योगी जी की सरकार आई और हमारे मंत्री महोदय काम पर लग गए।

आज पूरे देश में सबसे ज्यादा घर बनाने का काम उत्तर प्रदेश में हम कर पाए हैं। इसलिए भाइयो-बहनो, झारखंड में भी हम ये गरीबों के लिए काम इसलिए कर पा रहे हैं कि यहां आपने भाजपा की सरकार बनाई है, कोई और आएंगे तो उनको इन चीजों की परवाह ही नहीं है। अगर उनको परवाह होती तो आजादी के 70 साल ऐसे बर्बाद नहीं होते भाइयो-बहनो। हर गरीब परिवार को आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है, अभी तक झारखंड के पौने 2 लाख गरीब मरीजों को इसका लाभ मिल भी चुका है और हां ये झारखंड के लिए गौरव की बात है कि पूरे देश को आयुष्मान बनाने से जुड़ी इस ऐतिहासिक योजना की शुरुआत झारखंड से ही की गई थी। झारखंड ने ही इस योजना को अपनाकर पूरे देश को दिशा दिखाई है। दिल्ली और रांची में डबल इंजन की सरकार में झारखंड को एक्स्ट्रा फायदा भी हुआ है यानी केंद्र और राज्य की योजनाओं का डबल लाभ मिल रहा है। इसके भी उदाहरण, आज इतने उत्साही लोग हैं तो मेरा भी उत्साह बढ़ जाता है बताने के लिए। उज्जवला योजना से, गरीब से गरीब के घर में मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, जिसका लाभ देश के 8 करोड़ परिवारों को मिला है। इसके साथ ही झारखंड के 33 लाख और पलामू के 50 हजार से अधिक परिवार को दूसरा सिलिंडर राज्य की भाजपा सरकार ने फ्री दिया है। बताइए, ये डबल इंजन का लाभ हुआ कि नहीं हुआइसी तरह पीएम सम्मान निधि के तहत भी देश के हर किसान परिवार के बैंक खाते में सीधी मदद पहुंच रही है लेकिन झारखंड देश का ऐसा राज्य है जहां छोटे किसानों को जिनके पास पांच एकड़ तक की जमीन है उनको 25 हजार रुपए तक की मदद अतिरिक्त मिल रही है, बताइए डबल फायदा हुआ कि नहीं हुआ, डबल इंजन का लाभ मिला कि नहीं मिला, आपके घर तक फायदा पहुंचा कि नहीं पहुंचा? डबल इंजन का यही लाभ होता है क्योंकि विकास में निरंतरता होती है, अवरोध या रुकावट के राजनीतिक खेल नहीं खेले जाते हैं वरना अगर दिल्ली में एक सरकार होती और राज्य में दूसरी तो ऐसे लाभ मिलना मुश्किल था।

साथियो, आज भी पश्चिम बंगाल के किसानों को लाभ नहीं पहुंच सकामध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के किसानों को लाभ पहुंचने में दिक्कत आ रही है, राजस्थान के किसानों को उनका हक पहुंचने में रुकावटें डाली जाती हैं, क्यों? क्योंकि दूसरी सरकार है और उनको लगता है कि ये किसानों को मिल गया तो मोदी का जय-जयकार होगा, अरे मोदी का नाम मत लो लेकिन किसान को तो दो। इसलिए भाइयो-बहनो, कोई रुकावट डाले ऐसे लोगों को आज ही रोक दीजिए, उनको रांची पहुंचने ही मत दीजिए। ये चुनाव सिर्फ दलों के बीच का, व्यक्तियों के बीच का नहीं है बल्कि झारखंड को लूटने वालों और झारखंड की सेवा करने वालों के बीच में है। ये चुनाव दो कार्य संस्कृतियों के बीच का है, दो धाराओं के बीच का है। वोट डालने से पहले इस बात को समझना बहुत जरूरी है, किसने क्या काम किया, किस मंशा से काम किया और आगे उसकी बातों पर किसका विश्वास किया जा सकता है। साथियो, भाजपा ने जो भी वादे किए, जो भी ऐलान किए थे वो एक के बाद एक जमीन पर उतार रहे हैं। चाहे वे कितने भी मुश्किल रहे, चाहे उनमें कितनी भी समस्याएं रही हों, झारखंड को, देश को साथ लेते हुए उनका समाधान खोजा है जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस और उसके साथी हैं जो सिर्फ रेवड़ियां बांटना जानते हैं। उनके पास समस्याएं हैं, हमारे पास समाधान है। उनके पास सिर्फ झूठे आरोप हैं, हमारे पास अपने काम की रिपोर्ट है। उनके पास कोरी घोषणाएं हैं और हमारे पास विकास का प्रमाण है।

भाइयो और बहनो, याद करिए उत्तर कोयल जलाशय योजना 40-42 साल से अटकी हुई थी, तब जो दल सत्ता में थे उन्होंने कभी गंभीर कोशिश ही नहीं की, कि इस परियोजना को पूरा किया जाए। बरसों तक पलामू, लातेहार और गढ़वा के लाखों किसान परेशान रहे लेकिन कांग्रेस और उसके साथी दलों ने उनकी चिंता नहीं की। लेकिन किसान की मेहनत, किसान के सपने, किसान की गरिमा क्या होती है ये भाजपा समझती है। दिल्ली और रांची में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस प्रोजेक्ट से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया गया। हमारा प्रयास होगा कि सरकार में वापसी के बाद इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। साथियो, कांग्रेस और उसके साथी दलों के काम करने का तरीका ही यही है कि समस्याओं को टालते रहे और उनके नाम पर वोट बटोरते रहो। इसी वजह से इन लोगों ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 का मामला लटका कर के रखा हुआ था। सोचिए जम्मू-कश्मीर में झारखंड सहित देश के अन्य जवान आज भी वहां तैनात हैं। जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए यहां के अनेक वीर जवानों को बलिदान देना पड़ा, अनेक माताओं को अपने सपूत खोने पड़े। इन सब के जिम्मेदार थी कांग्रेस और उसके सहयोगी दल, भाजपा ने आपसे इस चुनौती के समाधान का वादा किया था और अपना वादा पूरा करके दिखाया। 

भाइयो-बहनो, भागवान राम की जन्मभूमि अयोध्या का विवाद भी इन लोगों ने दशकों से लटकाया हुआ था। कांग्रेस अगर चाहती तो उसका समाधान निकाल सकती थी लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया, कांग्रेस ने अपने वोट बैंक की ही परवाह की। कांग्रेस की सोच से देश और समाज का नुकसान हुआ, समाज में दरारें बनी, दीवारें बनी। साथियो, भाजपा ने देश से वादा किया था कि इसका भी जल्द से जल्द समाधान निकालेंगे और ये सब काम हम एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। भारत एक हो, भारत श्रेष्ठ हो, जन-जन से जुड़ा हुआ हो इसलिए एकता के मंत्र को लेकर के आगे बढ़ रहे हैं और आज देखिए, आज राम जन्मभूमि से जुड़ा विवाद हल हो चुका है और समस्या का समाधान होता है तो हर किसी को आनंद होता है। 

साथियो, भाजपा कोई संकल्प लेती है तो उसे सिद्ध करती है, गरीब, आदिवासी, पिछड़े, देश के लिए जीने वाले एक-एक व्यक्ति की मान-मर्यादा, सामाजिक न्याय भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिकता है। इसी सोच के चलते ही अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आदिवासी समाज को, पिछड़े-वंचित समाज को ये झारखंड देने का बहुत बड़ा काम किया है भाइयो। इसी कमिटमेंट के कारण उन्होंने पहली बार अलग से जनजातीय मंत्रालय बनाया ताकी जंगलों में रहने वाले हर साथी की समस्याओं का समाधान हो सके। सोचिए आजादी के बाद पांच दशक तक देश की एक बड़ी आबादी से जुड़े मामलों की देख-रेख के लिए अलग मंत्रालय ही नहीं था, इतना ही नहीं आजादी के इतने वर्षों तक पिछड़ों के लिए, ओबीसी के लिए जो आयोग बना था वो भी सिर्फ नाम मात्र का था। उसको संवैधानिक दर्जा देने के लिए तब भी कोई पहल नहीं हुई जब आरजेडी के सहयोग से दिल्ली में कांग्रेस की सरकार चलती थी। ये भाजपा की सरकार ही है जिसने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है। लेकिन साथियो, सामाजिक न्याय तब तक अधूरा होता जब तक सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को भी इससे नहीं जोड़ा जाता। आजादी के इतने वर्षों तक कांग्रेस और उनके सहयोगियों की सरकारें इसे भी टालती रहींये भाजपा की सरकार है जिसने सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को भी सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में दस प्रतिशत का आरक्षण देने का काम किया। 

साथियो, सबका साथ-सबका विकास के प्रति हमारा ये समर्पण और समस्या के समाधान के लिए हमारी प्रतिबद्धता यही झारखंड के हर वोटर को आश्वस्त करती है। अभी भी यहां जो कुछ पुरानी समस्याएं बाकी हैं उनका समाधान भी दिल्ली और रांची, भाजपा की सरकार ही बची-कुची समस्याओं का समाधान कर सकती है। इसके लिए आप सभी की भागीदारी बहुत जरूरी है। 30 नवंबर को आपको सिर्फ एक ही बात याद रखनी है, आपको सिर्फ और सिर्फ कमल का फूल याद रखना है, कमल के फूल का बटन दबाना है। आप अपना वोट डालें और अगले पांच वर्ष तक फिर एक मजबूत भाजपा सरकार यहां बनाएं। आप यहां भारी संख्या में हम सभी को आशीर्वाद देने के लिए पधारे इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। दोनों हाथ ऊपर करके, मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिए भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!