The coming 25 years is going to be extremely crucial as India journeys towards an Aatmanirbhar and a developed nation: PM Modi
NDA today stands for N-New India, D-Developed Nation and A-Aspiration of people and regions: PM Modi
When Coalition-led Governments encourage and prioritize corruption, dynastic politics, casteism, politics of convenience it only harms the interests of India: PM Modi
Coalition Governments formed in the past as a result of this have only led to policy paralysis, indecisiveness, creation of power-centers, mistrust and corruption: PM Modi
NDA has always believed in the ‘Coalition of Contributions’ unlike the Congress-led ‘Coalition of Compulsions’: PM Modi
Be it the Mudra loans or the Startups, women are now at the forefront of India’s economic progress. Women-led SHGs are the pioneers of rural development also promoting social inclusion: PM Modi
Every particle of my body, every moment of my time, is dedicated to serve the country: PM Modi

मैं हृदय से बहुत आभारी हूं, एक तरह से NDA, श्रद्धेय अटल जी की एक और विरासत है, जो हमें जोड़े हुए है। NDA के निर्माण में आडवाणी जी ने भी बहुत अहम भूमिका निभाई थी और वो आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। हमारे प्रकाश सिंह बादल जी हों, बाला साहेब ठाकरे जी हों, जॉर्ज फर्नांडीस जी हों, राम विलास पासवान जी हों, अजीत सिंह जी हों, शरद यादव जी हों, सभी ने अपनी-अपनी तरह से NDA को मजबूती देने का काम किया। आज प्रकाश सिंह बादल जी और बाला साहेब ठाकरे जी के सच्चे अनुयायी भी हमारे बीच में हैं। हाल में ही NDA के गठन के 25 साल पूरे हुए हैं। ये 25 वर्ष- देश की प्रगति को गति देने और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने के रहे हैं। यानि राज्यों के विकास से राष्ट्र का विकास- इस मंत्र को NDA ने निरंतर सशक्त किया है। इस यात्रा में, जो पुराने साथी रहे हैं, मैं उनका तहे दिल से अभिनंदन करता हूं। भविष्य की यात्रा के लिए जो नए साथी आए हैं, मैं उनका हृदय से स्वागत करता हूं।

साथियों,

NDA के 25 वर्षों की इस यात्रा के साथ एक और सुखद संयोग जुड़ा है। ये वो समय है जब हमारा देश, आने वाले 25 वर्षों में एक बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कदम बढ़ा रहा है। ये लक्ष्य विकसित भारत का है, आत्मनिर्भर भारत का है। कोटि-कोटि भारतीय आज नए संकल्पों की ऊर्जा से भरे हुए हैं। इस महत्वपूर्ण कालखंड में NDA की बहुत बड़ी भूमिका है। एक तरह से ये नई ऊर्जा से भरी हुई त्रिशक्ति है।
N से New India के लिए...
D से Developed Nation के लिए...
A से Aspiration of People and Regions के लिए...
आज देश का गरीब, देश का मध्यम वर्ग, देश के युवा, महिलाएं, दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, आदिवासी, सभी का विश्वास NDA पर है। हमारे जो समाजशास्त्री हैं, राजनीतिशास्त्री और अर्थशास्त्री हैं, वो भी भारत के विकास के लिए NDA को एक पॉजिटिव फोर्स के रूप में देख रहे हैं। हमारा संकल्प पॉजिटिव है, एजेंडा पॉजिटिव है, भावना पॉजिटिव है और हमारा रास्ता भी पॉजिटिव है। मैं अक्सर कहता हूं कि सरकारें बहुमत से बनती हैं, लेकिन देश सबके प्रयास से चलता है। इसलिए आज जब हम विकसित भारत के निर्माण में जुटे हैं, तब NDA, सबका प्रयास की इसी भावना का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

साथियों,

हमारे देश में राजनीतिक गठबंधनों की एक लंबी परंपरा रही है। लेकिन जो भी गठबंधन निगेटिविटी के साथ बने, वे सफल नहीं हो पाए। कांग्रेस ने नब्बे के दशक में देश में अस्थिरता लाने के लिए गठबंधनों को इस्तेमाल किया। कांग्रेस ने सरकारें बनाईं, सरकारें बिगाड़ीं। इसी दौर में 1998 में NDA का गठन हुआ था। लेकिन NDA क्यों बना? क्या तब सिर्फ सरकार बनाना या सत्ता हासिल करना ही NDA का लक्ष्य था? आप भी जानते हैं, ऐसा नहीं था। NDA, किसी के विरोध में नहीं बना था। NDA, किसी को सत्ता से हटाने के लिए नहीं बना था। बल्कि NDA का गठन, देश में स्थिरता लाने के लिए हुआ था। और जब देश में स्थिर सरकार होती है, तो देश वो फैसले करता है, जो कालजयी होते हैं, देश की दिशा बदलने वाले होते हैं। ये हमने अटल जी के कार्यकाल के दौरान भी देखा औऱ ये पिछले 9 वर्षों में भी हम बार-बार देख रहे हैं। भारत में स्थिर और मज़बूत सरकार होने से आज पूरे विश्व का भारत पर भरोसा बढ़ा है।

साथियों,

NDA की एक और विशेषता रही है। जब हम विपक्ष में थे, तब भी हमने हमेशा सकारात्मक राजनीति की। हमने कभी नकारात्मक राजनीति का रास्ता नहीं चुना। हमने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए, अपना हर दायित्व निभाया। हमने विपक्ष में रहकर सरकारों का विरोध किया, उनके घोटालों को सामने लाए, लेकिन कभी जनादेश का अपमान नहीं किया। हमने सरकारों का विरोध करने के लिए कभी विदेशी मदद नहीं मांगी। हम विपक्ष में रहे लेकिन हमने देश के विकास में ना रोड़े अटकाए और ना ही रुकावट बने। आजकल हम देखते हैं कि केंद्र सरकार की योजनाओं को विपक्ष की कई राज्य सरकारें अपने यहां लागू नहीं होने देंती। अगर ये योजनाएं लागू होती भी हैं तो उन्हें रफ्तार नहीं पकड़ने दी जाती। ये लोग सोचते हैं कि अगर उनके राज्यों में गरीबों को केंद्र की योजना का लाभ मिल गया, तो कैसे काम चलेगा? उनकी राजनीति कैसे चलेगी? मुझे याद है गरीबों के घर के लिए, हर घर जल के लिए, आयुष्मान भारत योजना के लिए, कितनी ही बार विपक्ष के मुख्यमंत्रियों को मुझे चिट्ठियां लिखनी पड़ती हैं। लेकिन ये लोग गरीब के कल्याण को भी राजनीतिक नफा-नुकसान से ही तौलते रहे हैं।

साथियों,

जब गठबंधन सत्ता की मजबूरी का हो, जब गठबंधन भ्रष्टाचार की नीयत से हो, जब गठबंधन, परिवारवाद की नीति पर आधारित हो, जब गठबंधन जातिवाद और क्षेत्रवाद को ध्यान में रखकर किया गया हो, तो वो गठबंधन देश का बहुत नुकसान करता है। 2014 से पहले की गठबंधन सरकार का उदाहरण हमारे सामने है। तमाम उठा-पटक के बीच वो गठबंधन सरकार किसी तरह अपने 10 साल खींच पाई। लेकिन देश को क्या मिला? प्राइम मिनिस्टर के ऊपर भी एक आलाकमान ! पॉलिसी पैरालिसिस ! निर्णय लेने में अक्षमता। भांति-भांति के पावर सेंटर्स। अव्यवस्था और अविश्वास! खींचतान और करप्शन! लाखों करोड़ों के घोटाले! आपको याद होगा, जब भी पिछली सरकार के कुशासन पर सवाल उठते थे, तो गठबंधन की मजबूरियां गिनाई जाती थीं। बहाना ये कि गठबंधन के कारण। क्रेडिट लेने के लिए तो हर कोई आगे आता था, लेकिन जैसे ही कुछ गड़बड़ होती थी, तुरंत अपने सहयोगियों पर दोष मढ़ दिया जाता था। हम सौभाग्यशाली हैं कि एनडीए की स्थिति इससे बिल्कुल विपरीत है अलग है। हमारे लिए गठबंधन मजबूरी का नहीं, बल्कि मज़बूती का माध्यम है। NDA, ‘coalition compulsions’ का नहीं, बल्कि ‘coalition contributions’ का प्रतीक है। क्रेडिट भी सबका है, दायित्व भी सबका है। NDA में कोई भी राजनीतिक दल बड़ा और कोई भी राजनीतिक दल छोटा नहीं है। हम सभी एक लक्ष्य के लिए आगे बढ़ रहे हैं। आपने देखा है, 2014 हो या फिर 2019, भाजपा को बहुमत से अधिक सीटें मिलीं। लेकिन सरकार NDA की ही रही, NDA की भागीदारी बनी रही।

साथियों,

NDA के गठन से लेकर ही हमारा संकल्प – समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का रहा है। जो वंचित है, जो शोषित है, उसको सशक्त करना हमारी प्राथमिकता है। आज देश की जनता देख रही है कि NDA में कौन-कौन से दल हैं? NDA में जितने भी दल हैं, वे समाज के ऐसे वर्गों के बीच काम करते हैं जो वंचित रहे हैं, शोषित रहे हैं। हमारे समूह में गांव, किसान, दलित, पिछड़े, आदिवासियों के बीच काम करने वाले ये सारे नेता हैं। NDA में जो दल हैं वे ऐसे क्षेत्रों में काम करते हैं, जिनकी पहले दिल्ली में सुनवाई तक नहीं होती थी। NDA, एक प्रकार से क्षेत्रीय आकांक्षाओं का बहुत ही खूबसूरत इंद्रधनुष है। NDA देश के लिए, देश के लोगों के लिए समर्पित है। NDA की विचारधारा है- Nation First, Security of Nation First. NDA की विचारधारा है- Progress First. NDA की विचारधारा है- Empowerment of People First.

साथियों,

आपको याद होगा, एनडीए की बैठक में हमने संकल्प लिया था कि हम देश की गरीबी को गरीबों की ताकत से ही गरीबी को परास्त करेंगे। इसलिए इन वर्षों में हमारा सबसे ज्यादा जोर गरीबों को सशक्त करने पर रहा। हमने श्रमयोगी को सम्मान दिया, डिग्निटी ऑफ लेबर पर बल दिया। हमने गरीब को सुरक्षा का ऐहसास दिया।
हमने गरीब को ये विश्वास दिया कि आपके हर प्रयास के पीछे NDA सरकार, एक भरोसेमंद साथी की तरह आपके साथ खड़ी है। जैसे किसान को अगर सही बीज और खाद-पानी मिल जाए तो वो पैदावार का रिकॉर्ड बना देता है। वैसे ही हमने गरीबों को सशक्त करने के लिए उन्हें हर संभव मदद की। इसका परिणाम क्या आया? अभी नीति आयोग की सबसे ताजा स्टडी आई है। आपमें से कुछ मित्रों ने इसका उल्लेख भी किया है। इस स्टडी के मुताबिक 2015-16 के बाद के 5 वर्षों में ही साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं।

इसके पूर्व पहले वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में सामने आया था कि कैसे बहुत कम समय में ही 40-42 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। IMF के मुताबिक एक्स्ट्रीम पॉवर्टी यानि अति गरीबी भी भारत में खत्म होने की कगार पर है। ये आईएमएफ की रिपोर्ट कह रही है।

साथियों,

यहां NDA के आप सभी साथी तो ज़मीन से जुड़े लोग हैं। आप देखिए, जब किसी गरीब को पक्का घर मिलता है, तो ये सिर्फ एक छत की ज़रूरत पूरा नहीं करता। बल्कि ये उस परिवार को सुरक्षा कवच देता है, उसके सपनों को पंख देता है। जब गरीबों को बैंक लोन देने के लिए सरकार अपनी तरफ से गारंटी देती है, तब उनको एक साथी मिलता है, एक सहारा मिलता है। और ऐसे में प्रगति के लिए, तरक्की के लिए उनके प्रयास दोगुने हो जाते हैं। जब गरीब को हम मुफ्त इलाज का भरोसा देते हैं, तो उससे एक परिवार ही नहीं, बल्कि उसकी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित हो जाता है। आप सभी जानते हैं कि पहले जब गरीब परिवार में बीमारी आती थी, तो उसके पास दो ही विकल्प होते थे। या तो अपनी आंखों के सामने अपनों को जीवन के लिए संघर्ष करते देखें, या फिर मकान, दुकान, खेत-खलिहान जो भी थोड़ा बहुत पास में हो, उसे बेचे, या गिरवी रखे। पीढ़ी दर पीढ़ी गरीब को गरीब रखने के इस कुचक्र को भी NDA सरकार की अनेक योजनाओं ने तोड़ दिया है। गांधी जी से लेकर बाबा साहेब आंबेडकर और लोहिया जी तक सभी ने जिस Social Justice की, सामाजिक न्याय की अवधारणा की थी, और मैं समझता हूं हम जो कर रहे हैं वो यही सच्चा सोशल जस्टिस है, सामाजिक न्याय है। NDA सरकार ने वोटबैंक की राजनीति को विकासवाद की राजनीति में बदला है। ये NDA शासन ही है जिसमें छोटे किसानों, रेहड़ी-पटरी-फुटपाथ वालों को पहली बार मदद मिल रही है। हमारे विश्वकर्मा साथियों को भी पहली बार ये विश्वास मिला है कि उनके लिए भी कोई सरकारी योजना बन सकती है।

साथियों,

गरीबी से भारत की इस लड़ाई का एक और पक्ष है। आप सब ये भी जानते हैं कि पहले हमारी माताओं-बहनों के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने का चलन कम ही था। वे एक प्रकार से घर के, समाज के आर्थिक फैसलों से कटी हुई थीं। देश की आधी आबादी और परिवार को चलाने वाली ताकत का जब ये हाल हो, तो गरीबी से पार पाना आसान कैसे हो सकता था। अब जब बहनों के नाम बैंक अकाउंट खुले, उनके नाम पर घरों की रजिस्ट्री हुई, उनके नाम पर ऋण मिलने लगे, तो एक नया सामर्थ्य समाज में पैदा हुआ। मुद्रा योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी हमारी बहनें हैं। स्टार्ट अप इंडिया की सबसे बड़ी लाभार्थी हमारी बेटियां हैं। जो देश में 9 करोड़ स्वयं सहायता समूह बने हैं, उनकी सबसे बड़ी लाभार्थी गांव में रहने वालीं, दलित-पिछड़े-आदिवासी समाज की बहनें हैं। मैं पिछले दिनों मध्य प्रदेश गया था, एक आदिवासी गांव में गया था, वहां ये स्वयं सहायता समूह की आदिवासी बहनों से मिलना हुआ, जितने समूह थे उन्होंने कहा अब तो हमारी पहचान है हम लखपति दीदी हैं। हमारा कारोबार इतना है कि हम लखपति बन गए हैं। ये बहुत बड़ा परिवर्तन है साथियों

साथियों,

NDA सरकार ने महिलाओं के कल्याण को, उनकी तकलीफ कम करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। जब घर में टॉयलेट बना तो, बहनों को सम्मान और सुरक्षा दोनों मिला। जब नल से जल आया, गैस का सिलेंडर आया, तो उनकी परेशानी कम हुई, उनके समय की बचत हुई। इस समय का वो अपने परिवार की आय बढ़ाने में उपयोग कर रही है। ये सिर्फ गरीबी से बाहर निकलने का प्रयास नहीं है, बल्कि women-led development का रास्ता है, जिसे NDA सशक्त कर रहा है। आज डिफेंस से लेकर माइनिंग तक हर सेक्टर को बेटियों के लिए खोल दिया गया है। देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति देने का सौभाग्य NDA को मिला है। साथियों, 9 साल में हमने केवल एक लक्ष्य के साथ काम किया है कि हम देशवासियों का, खासकर गरीब और वंचित का जीवन बेहतर बना सकें। मैं चाहूंगा कि जो लोग एकेडमिक्स से जुड़े हैं, गवर्नेंस स्टडीज से जुड़े हैं, वो इस दिशा में रिसर्च करें। किसी भी सरकार का फ्यूचर विजन क्या है, स्केल ऑफ़ वर्किंग क्या है, स्पीड ऑफ़ वर्किंग क्या है, उसकी वर्क स्पिरिट क्या है,

इसका मूल्यांकन किया जाए। इन सभी पैरामीटर्स पर एनडीए सरकार का काम न केवल असाधारण साबित होगा, बल्कि एक मॉडल के तौर पर उभरेगा। हम केवल आज की जरूरतों के लिए काम नहीं कर रहे हैं, हम आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी सुरक्षित बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। हमारे लिए बहुत आसान था कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर हम भी कोई स्मारक बना देते, दिल्ली में कोई ऐसी इमारत अपने नाम पर खड़ी कर देते या कोई मूर्ति लगवा देते। लेकिन हम देश के कोने-कोने में एक लाख अमृत सरोवर बना रहे हैं। हमारा स्केल, हमारी स्पीड, हमारी स्पिरिट, और इसकी वजह से हमारे काम का स्कोप, ये अभूतपूर्व है। हम विकास भी कर रहे हैं और विरासत को भी सहेज रहे हैं। हम Make In India पर भी बल दे रहे हैं और पर्यावरण की रक्षा भी कर रहे हैं।

साथियों,

हमारी नीयत साफ है, नीति स्पष्ट है और निर्णय ठोस हैं। NDA सरकार ने बीते 9 वर्षों में भ्रष्टाचार के हर रास्ते को बंद करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं। पहले सत्ता के गलियारे में जो बिचौलिए घूमते थे हमने उनको बाहर कर दिया है। हमने टेक्नॉलॉजी की मदद से लीकेज की हर संभावना को दूर किया है। जनधन आधार मोबाइल इसकी त्रिशक्ति से हमने करोड़ों फर्ज़ी लाभार्थियों को गरीबों का हक छीनने से रोका है। आप सोचिए, देश में करीब-करीब 10 करोड़ ऐसे फर्जी लाभार्थी थे, जिनका जन्म ही नहीं हुआ था और जिन्हें सरकारी मदद जा रही थी। ये पैसे मेरे किसी गरीब भाई-बहन के थे, किसी आदिवासी के थे, किसी पिछड़े और दलित साथी के थे। ये NDA सरकार है जिसने गरीब से हो रही इस लूट को बंद किया है। इन 9 वर्षों में 30 लाख करोड़ रुपए, ये आंकड़ा कोई छोटा नहीं है, 30 लाख करोड़ रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर DBT के जरिए सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचे हैं। ऐसा करके हमने गरीबों का कम से कम तीन लाख करोड़ रुपया गलत हाथों में जाने से बचाया है।

साथियों,

लोकतन्त्र में राजनीति अलग-अलग विज़न को देश के सामने रखने का एक माध्यम होती है। लेकिन, हर विज़न का, हर विचारधारा का मकसद एक ही होता है- गुड गवर्नेंस और देशवासियों की सेवा! पॉलिटिक्स में प्रतिस्पर्धा हो सकती है, लेकिन शत्रुता नहीं होती। आखिरकार, हम एक ही देश के लोग हैं, एक ही समाज का हिस्सा हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, आज विपक्ष ने अपनी एक ही पहचान बना ली है- हमें गाली देना, हमें नीचा दिखाना। बावजूद इसके, हम NDA के सभी साथियों ने हमेशा देश को दलों के हित से ऊपर रखा है। हमने राजनीतिक सौहार्द और शालीनता को बनाए रखने के लिए प्रयास किए हैं। ये एनडीए सरकार ही है जिसने प्रणब दा को भारत रत्न दिया। वो जीवन भर कांग्रेस में रहे थे, लेकिन हमने उन्हें ये सम्मान देने में संकोच नहीं किया। ये एनडीए सरकार ही है जिसने मुलायम सिंह यादव, शरद पवार, गुलाम नबी आज़ाद, तरुण गोगोई, एससी जमीर, मुज़फ्फ़र बेग ऐसे अनेक नेताओं को, जो राजनीतिक दृष्टि से हमारे साथ नहीं हैं, हमारे खिलाफ हैं, हमने पद्म सम्मान दिया है उन लोगों को। ये नेता भी कभी बीजेपी या NDA में नहीं थे। लेकिन, हमने देश सेवा में उनके लंबे योगदान को स्वीकार किया, उसे सराहा, और उन्हें सम्मानित किया। लोकतन्त्र की ये मूल भावना एनडीए की कार्यशैली में आपको हर जगह दिखेगी। इस समय भारत G-20 समिट को होस्ट कर रहा है। इससे जुड़े आयोजन देश के हर राज्य में, हर हिस्से में हो रहे हैं। हमने इन आयोजनों के venue तय करते समय कभी ये नहीं सोचा कि किस राज्य में कौन सी पार्टी की सरकार है। कोरोना के समय भी, मैंने लगातार सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ व्यक्तिगत संवाद किया, मीटिंग्स कीं। कौन मुख्यमंत्री किस पार्टी का है, ये विचार कभी हमारे बीच नहीं आया। इसी तरह, आप उन दिनों को भी याद करिए जब भाषा, लैंग्वेज लोगों को बांटने के एक टूल के तौर पर इस्तेमाल होती थी। लेकिन, एनडीए सरकार की सोच देखिए.. एनडीए सरकार ने मातृभाषा को बल देना शुरू किया और आज भाषाओं के माध्यम से मातृभाषा के माध्यम से मेरे युवा डॉक्टर और इंजीनियर बने इसका अवसर देने का जरिया भाषा बन रही है। हमने हमारी विरासत को, धरोहरों को ग्लोबल बनाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। यहां पर कई हमारे साथियों ने इसका उल्लेख किया। आज योग वैश्विक एकता का एक माध्यम बन गया है। आज मिलेट्स एक ग्लोबल ट्रेंड बन रहा है, श्रीअन्न की चर्चा हो रही है और इसका लाभ हमारे हर क्षेत्र के छोटे-छोटे किसानों को मिल रहा है। हम देश के लोगों को जोड़ते हैं, वो देश के लोगों को तोड़ते हैं।

साथियों,

विपक्ष के लोग जिस गलती को बार-बार दोहरा रहे हैं, वो है- देश के सामान्य मानवी की समझदारी को वे लोग underestimate करते हैं। लेकिन, देश की जनता सब कुछ खुली आंखों से देख भी रही है, और समझ भी रही है। जनता देख रही है कि- ये पार्टियां क्यों इकट्ठा हो रही हैं। जनता ये भी जान रही है कि- वो कौन सा Glue है-गोंद है जो इन लोगों को, इन पार्टियों को जोड़ रहा है। किस तरह, छोटे-छोटे स्वार्थ के लिए मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता किया जा रहा है। लोग देख रहे हैं कि केरल में लेफ्ट और कांग्रेस एक दूसरे के खून के प्यासे हैं। लेकिन, बेंगलुरु में दोनों पार्टियों के नेता हाथ में हाथ डालकर मुस्कुरा रहे हैं। लोग देख रहे हैं कि बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस के नेताओं पर, उनके कार्यकर्ताओं पर TMC हमले कर रही है। लेकिन, इनके नेता TMC के खिलाफ, कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। इसीलिए देश के लोग कह रहे हैं कि ये गलबहियाँ, मिशन नहीं हैं मजबूरियाँ हैं। इनकी सच्चाई आपको दूसरे राज्यों में भी दिखाई देगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पीडीपी के नेता एक दूसरे को कैसी-कैसी गालियां देते है! RJD और JDU के लोग कैसे-कैसे शब्दों से एक दूसरे को नवाजते थे! देश की जनता ने ये सब करीब से देखा है, और देख रही है। इसलिए, इनकी नूराकुश्ती हो या मजबूरी की दोस्ती, इसकी हकीकत 140 करोड़ देशवासियों के सामने आ चुकी है।

साथियों,

अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए “ये लोग पास-पास तो आ सकते हैं, लेकिन साथ नहीं आ सकते”। इन्हें अपने कार्यकर्ताओं की भी परवाह नहीं है। ये अपने कार्यकर्ताओं से उम्मीद करते हैं कि जीवन भर जिसका विरोध किया, उसका अचानक सत्कार करने लगें। अब ऐसे में इन दलों का कार्यकर्ता खुद भ्रमित है कि करें तो क्या करें? मैं तो आज ये भी कहूंगा कि जो लोग आज मोदी को कोसने के लिए इतना समय लगा रहे हैं, अच्छा होता वो देश के लिए सोचने में, गरीब के लिए सोचने में अपना समय लगाते। हम उनके लिए सिर्फ प्रार्थना ही कर सकते हैं।

साथियों,

24 का चुनाव बहुत दूर नहीं है। देश के लोग मन बना चुके हैं कि तीसरी बार फिर NDA को ही अवसर देना है। देश का मन आप जानते हैं, लेकिन विदेश का मन भी बहुत कुछ संकेत दे रहा है। आम तौर पर, जब भी किसी देश में चुनाव का समय निकट आता है, तो उसका बहुत बड़ा असर उसके वैश्विक संबंधों पर भी होता है। हरेक को लगता है कि भाई अब तो चुनाव का वर्ष है अब इस सरकार के साथ अभी रहने दो, एक बार चुनाव हो जाए नई सरकार आएगी तब सोचेंगे। स्वाभाविक है.. कोई भी दूसरा देश उस सरकार के साथ, जब चुनाव बिल्कुल निकट हो वहां संबंध बनाने से पहले, संवाद करने से पहले सौ बार सोचता है। फ़ॉरेन कंट्रीज़ हमेशा चुनाव के नतीजों का इंतज़ार करते हैं। लास्ट इयर जब होता है तो सोचते हैं कि एक बार नतीजे आ जाने तो फिर देखेंगे। जो सरकार जाने वाली होती है, उस पर कोई भी देश अपना टाइम और एनर्जी इन्वेस्ट करना नहीं चाहता। लेकिन, इस समय भारत का मामला कुछ अलग है। सबको पता है कि हमारे यहाँ कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। फिर भी, अनेकों महत्वपूर्ण देश, चाहे अमेरिका हो, फ़्रांस हो, ऑस्ट्रेलिया हो, जापान हो, UAE हो, यूके हो, सब NDA सरकार के प्रतिनिधियों को Invite कर रहे हैं। तमाम देश भारत को मान और सम्मान दे रहे हैं। कितने ही देश, भारत के साथ बड़े-बड़े और वो भी दूरगामी समझौते कर रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो भी जानते हैं कि भारत के लोगों का भरोसा NDA पर है। यानी, भारत में जनमत किसके साथ है, ये दुनिया के देशों को भी पता है।

साथियों,

NDA का विस्तार सिर्फ संख्या या भौगोलिक विस्तार का नहीं है। ये NDA का जो विस्तार है ये हमारे प्रति विश्वास का दायरा भी बढ़ा रहा है। जनता NDA की हिस्ट्री और कैमिस्ट्री दोनों को देख रही है। तभी तो हमारा गणित भी बड़ी आसानी से जुड़ता है। आप देखिए, 2014 में NDA को देश ने लगभग 38 प्रतिशत वोट दिए थे। लेकिन 2019 में हमारे सेवाभाव को देखते हुए देश ने हमें 45 प्रतिशत वोट दिए। और आपको जानकर के खुशी होगी, इनमें सवा दो सौ से अधिक सीटें ऐसी थीं, जो हम जीतकर के आए, सवा दो सौ से अधिक सीटें जहां 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर NDA को मिला है। NDA का हर सहयोगी जो मेहनत कर रहा है, उससे ये तय है कि 24 में NDA का वोट शेयर 50 प्रतिशत से भी ऊपर जाएगा। आपकी मेहनत रंग लाने वाली है, मैं विश्वास से कहता हूं। आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी, देश की जनता को आपके सबके नेतृत्व पर भरोसा है। पूरे देश में हमारे अनेक साथी, एक बड़ी ताकत बनकर उभरेंगे। हम हर भूभाग, हर वर्ग, हर समाज को विकसित भारत के मिशन से जोड़ेंगे।

साथियों,

हमें विकास के मुद्दे पर ही जनता के पास जाना है। हमारा एक ही लक्ष्य है- विकास, भारत का विकास। भारत के कोटि-कोटि लोगों की आशा-आकांक्षा ही हमारा एजेंडा है। हम पूरी शक्ति लगा देंगे, हम मेहनत करेंगे, ईमानदारी से काम करेंगे, और यही हमारी गारंटी है। लाल किले से मैंने कहा था- यही समय है, सही समय है। आज देश में एक माहौल बन चुका है। देश का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास आज अभूतपूर्व ऊंचाई पर है। जैसे कोई इमारत बनाने से पहले नींव का निर्माण होता है, वैसे ही पिछले 9 वर्षों में नए भारत की एक मजबूत नींव का निर्माण हो चुका है। इस मजबूत नींव पर हम सभी को नए भारत का, आत्मनिर्भर भारत का, विकसित भारत का निर्माण करके ही रहना है। और आपने मुझपर इतना विश्वास रखा है, इतना प्रेम बरसाया है, इतना स्नेह दिया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि मैं अपने परिश्रम में, अपने प्रयासों में कहीं कोई कमी नहीं रहने दूंगा। मुझसे गलती हो सकती है लेकिन बदनीयती से मैं दूर रहूंगा, बदनीयती से कोई काम नहीं करूंगा। और साथियों मेरा जीवन आप देखते हैं, देश देख रहा है..‘मेरे शरीर का हर कण, मेरे समय का हर क्षण, देश को ही समर्पित है’। आपका ये विश्वास, आपके ये आशीर्वाद, ये मेरी ऊर्जा है। और साथियों आप सब कह रहे थे कि 2014 में देश की इकोनॉमी 10वें नंबर पर थी, और आज पांचवें नंबर पर पहुंची है। और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि NDA के तीसरे टर्म में इस देश की इकोनॉमी दुनिया में तीसरे नंबर पर होके रहेगी। हर सपने संकल्प है और हर संकल्प सिद्धी के लिए हम जी-जान से जुटे हुए लोग हैं, समर्पित भाव से जुटे हुए लोग हैं। और आज जिस उमंग और उत्साह से आपको, एक-एक की बात जो मैंने सुनी मेरे लिए भी बड़ी प्रेरक थी, उत्साहवर्धक थी। आपका विश्वास, विजय का विश्वास, जन सामान्य की सोच को बखूबी व्यक्त करने का आपका तरीका वाकई प्रभावित करने वाला है। मैं मानता हूं कि 25 साल की यात्रा की आज की ये महत्वपूर्ण बैठक 25 साल बाद देश जब सौ साल की आजादी मनाएगा हमारे सामने भी 25 साल का नक्शा है दोस्तों। देश जब अमृत महोत्सव मना रहा है, तो हमें सेवा करने का मौका मिला है। और आप लिख के रखिए, यही लोग है, यही लोग है जब देश सौ साल की आजादी का पर्व मनाएगा आप ही के परिश्रम से आप ही के पुरुषार्थ से आप ही के नेतृत्व से ये संभव होने वाला है, ये मैं साफ देख रहा हूं दोस्तों।

इस विश्वास के साथ फिर एक बार आप सभी का इस इस बैठक में आने के लिए, NDA को सशक्त करने के लिए मैं हृदय से बहुत आभार व्यक्त करता हूं। जो सुझाव आए हैं, उन सुझावों को नड्डा जी और उनकी टीम जरूर उसको पूरा करेगी। साथियों पिछले नौ साल में मेरी व्यस्तता के कारण शायद कभी आप में से किसी ने संपर्क करने का प्रयास किया हो और मैं न कर पाया हूं। हो सकता है इन नौ साल में मेरे प्रवास के दरम्यान सारे एसपीजी और सिक्योरिटी के कारण आपको उचित स्थान न मिला हो, हो सकता है किसी इनविटिशन कार्ड में आपका नाम रह गया हो। नौ साल में ऐसा बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन आपने कभी भी शिकायत नहीं की, आपने कभी भी मन में बुरा नहीं माना, गलतिया हुई होंगी, कभी-कभी तो मेरे ध्यान में भी आई है, कार्यक्रम के बाद पता चलता है अरे वो तो वहां खड़े थे उन्हें तो यहां होना चाहिए था, लेकिन उसके बावजूद भी आपका प्रेम कभी कम नहीं हुआ। साथियों ये विश्वास मेरी बहुत बड़ी थाती है मेरी बहुत बड़ी पूंजी है। और आप ही के भरोसे आप ही के साथ चलने का मुझे बहुत अनुभव भी मिलता है, आनंद भी मिलता है। मैं फिर एक बार आप सभी साथियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं और मैं विश्वास दिलाता हूं कि हम देश की आशा और आकांक्षा को पूरा करने में एक टीम बनकर एकता के साथ, एकजुटता के साथ, आत्मविश्वास के साथ संकल्प के साथ चल पड़ेगे विजय होके रहेंगे, जनता के आशीर्वाद, पूर्व की तरह मिलते रहेंगे अपने कर्तृत्व के कारण, समर्पण के कारण, ध्येयनिष्ठा के कारण ये सब संभव होने वाला है। जनता जनार्दन है, जनार्दन में मेरा विश्वास है, उस विश्वास से परिणाम निश्चित है।

फिर एक बार आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।