Quoteমীফম অসিনা নোর্থ ইস্তর্ন কাউন্সিলগী গোল্দন জুবিলীগী থৌরম ওইরি
Quoteসরকারনা ‘লুক ইস্ত’ পোলিসীবু ‘এক্ত ইস্ত’ ওন্থোকপগী মথক্তা হেন্না পাইখৎখি, হৌজিক মাগী পোলিসী অসি ‘এক্ত ফার্স্ত ফোর নোর্থইস্ত’ অমসুং ‘এক্ত ফর্স্ত ফোর নোর্থইস্ত’ ওইরে
Quoteপি.এম.না অৱাং নোংপোক্কী চাউখৎ-থৌরাংগী য়ুম্ফম ওইরিবা য়ুম্বী ৮গী মতাংদা খন্ন-নৈনখি
Quoteজি২০ মীফমশিং অসি লমদম অসিগী মহৌশাগী ফজবা, নাৎ অমসুং মতিক-ময়াই উৎথোক্নবা চপ চারবা খুদোংচাবা অমনি: পি.এম.

প্রধান মন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা ঙসি অঙনবদা শিল্লোংদা পাঙথোকখিবা নোর্থ ইস্তর্ন কাউন্সিল (এন.ই.সি.)গী মীফমদা ৱা ঙাংখ্রে। মীফম অসিনা ইং কুমজা ১৯৭২দা হৌনবী মতুং ইন্না শেমিবা নোর্থ ইস্তর্ন কাউন্সিলগী গোল্দন জুবিলীগী পালন থৌরম ওইরি।

অৱাং নোংপোক লমদমগী চাউখৎ থৌরাংদা এন.ই.সি.না শরুক তমখিবা অদুবু থাগৎলদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি মদুদি এন.ই.সি.গী গোল্দন জুবিলীগী থৌরম অসি আজাদী কা অমৃত মহোৎসব চত্থরিঙৈদা চান্ননা তাররে। লমদম অসিগী রাজ্য ৮বু মহাক্না অস্ত লক্ষ্মী হায়না তোইনা কৌই ফোঙদোক্লদুনা মহাক্না হায় সরকার অসিনা মাগী চাউখৎ-থৌরাংগী য়ুম্ফম ওইরিবা য়ুম্বী ৮দা থবক পাইখৎকদবনি মখোয় অদুদি, শান্তি, শক্তি, তুরিজম, ফাইবজি কন্নেক্তিবিতী, নাৎ, মহৌশাগী লৌউ পথাপ, শান্ন-খোৎনবা, মতিক ময়াইনি।

প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি মদুদি অৱাং নোংপোক অসি খা নোংপোক এসিয়াগী গেৎৱানি অমসুং অপুনবা লমদম অসিগী চাউখৎ-থৌরাংগী ময়োললম অমা ওইবা য়াগনি। অমসুং লমদম অসিগী মতিক ময়াই অসি মঙফাওনবা ঙম্নবা ইন্দিয়ন-ম্যান্মার-থাইলেন্দ ত্রাইলেতরেল হায়ৱে অমসুং অগরতলা-অখৌরা রেল প্রোজেক্তগুম্বা প্রোজেক্তশিংদা থবক পাইখৎলি। প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি সরকারনা‘লুক ইস্ত’ পোলিসীবু ‘এক্ত ইস্ত’ ওন্থোকপগী মথক্তা হেন্না পাইখৎখি, হৌজিক মাগী পোলিসী অসি ‘এক্ত ফার্স্ত ফোর নোর্থইস্ত’ অমসুং ‘এক্ত ফর্স্ত ফোর নোর্থইস্ত’ ওইরে। লমদম অসিদা শান্তি পুরক্নবা থৌশিলশিং মাইপাকপা অদুগী মতাংদা পল্লদুনা মহাক্না হায়খি পীচ এগ্রীমেন্ত কয়া খুৎয়েক পীনখ্রে, ইন্তর-স্তেৎ বাউন্দরী এগ্রীমেন্তশিং অয়াবা পীখ্রে অমসুং এক্সত্রিজমগী থৌওংশিংদা চাউনা হন্থরকপা উবা ফংখি।

নেৎ জিরো ওইহন্নবা মাইকৈদা ভারতকী ফিরেপকী মতাংদা খন্নরদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায় অৱাং নোংপোক্না হাইদ্রোপাৱরগী পাৱরহাউস ওইবা ঙমগনি। মসিনা লমদম অসিসী রাজ্যশিংবু পাৱর সর্প্লস ওইহনগনি, ইন্দস্ত্রীশিং পাকথোক চাউথোকহনবা ঙমগনি অমসুং থবক মশিং য়াম্না পীবা ঙমগনি। লমদম অসিগ তুরিজমগী মতিক-ময়াইগী মতাংদা খন্নরদুনা মহাক্না হায় লমদম অসিগী নাৎ অমদি মহৌশা অনিমক্না মালেম শিনবা থুংবদগী লমকোইবশিংগী মীৎয়েং চীংশিনগনি। মহাক্না মখা তারদুনা হায় লমদম অসিদা তুরিজম সর্কিৎশিং মশক খঙদোক্লি অমসুং শেমগৎলি।  মহাক্না তোঙান-তোঙানবা লমদমশিংগী মীয়ামবু নকশিন্নবদা মতেং পাংনবা য়ুনিভর্সিতী ১০০দগী মহৈরোয়শিংবু অৱাং নোংপোক্তা থানবগী মতাংদসু খন্নখি। মহৈরোয়শিং অসিনা লমদম অসিগী এম্বেসেদরশিং ওইবা য়াগনি।

লমদম অসিদা কন্নেক্তিবিতী শাহৌ পীনবগী মতাংদা ৱা ঙাংলদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি দিকেদ কয়াদগী পন্দুনা লৈরকখিবা মমিং লৈরবা থোংগী প্রোজেক্তশিং হৌজিক্তি লোইশিনবা ঙম্লে। হৌখিবা চহি ৯ অসিদা লমদম অসিদা এয়রপোর্তশিংগী মশিং ৯দগী ১৬তা হেনগৎহনবা ঙমখি অমসুং ফ্লাইৎশিংগী মশিংসু ২০১৪দা ৯০০ লৈরম্বদগী ১৯০০রোমদা হেনহনখি। অহানবা ওইনা রেলৱে মেপতা অৱাং নোংপোক্কী রাজ্য কয়া য়াওবা ফংজরে অমসুং ৱাতরৱেশিংসু পাকথোক চাউথোকহন্নবা খোঙথাংশিং লৌখৎলি। লমদম অসিদা ২০১৪দগী হৌনা নেস্নেল হায়ৱেশিংগী অশাংবা অসি ৫০% হেনগৎহনখি। মহাক্না হায়খি পি.এম.-দিভাইন স্কিম হৌদোকপগা লোয়ননা অৱাং নোংপোক্কী ইনফ্রাস্ত্রকচর প্রোজেক্তশিং অসি চাউনা খুমাং চাউশিনখি। মহাক্না মখা তারদুনা হায় মদুদি সরকার অসিনা ওপতিকেল ফাইবর নেৎৱার্কশিং হেনগৎহন্দুনা অৱাং নোংপোক্তা দিজিতেল কন্নেক্তিবিতী হেনগৎহন্নবগী থবকসু পাইখৎলি। আত্মনির্ভর ফাইবজি ইনফ্রাস্ত্রকচর চাউখৎলক্লিবা অসিগী মতাংদা ৱা ঙাংলদুনা মহাক্না হায় ফাইবজিনা লমদম অসিদা স্তার্তঅপ ইকোসিস্তেম, সর্ভিস সেক্তর অমদি অতোপ্পা কয়া চাউখৎহনবদা হেন্না মতেং পাংলগনি। মহাক্না হায়খি সরকার অসিনা অৱাং নোংপোকপু ইকনোমিক গ্রোথ খক্তা নত্তনা কলচরেল গ্রোথকী সেন্তর অমা ওইহন্নবা হোৎনরি।

লমদম অসিগী লৌউ-শিংউগী মতিক ময়াইগী মতাংদা ঙাংলদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি মহৌশাগী লৌউ-পথাপকী লম অসিনা অৱাং নোংপোক্তা মরু ওইবা থৌদাং অমা লৌরগনি। মহাক্না হায়খি মদুদি কৃশি উরানগী খুত্থাংদা লমদম অসিগী লৌমীশিংনা মখোয়গী প্রদক্তশিংবু লৈবাক শিনবা থুংনা অমদি মালেমগী তোঙান-তোঙানবা শরুকশিংদা থাবা ঙম্লে। মহাক্না অৱাং নোংপোক্কী রাজ্যশিংদা হৌজিক চত্থরিবা নেস্নেল মিসন ওন ইদিবল ওইল্স – ওইল পামদা শরুক য়াবীনবা হায়খি। মহাক্না দ্রোনশিংনা লৌমীশিংবু লমিৎ-তুমিৎকী ওইবা শীংনবশিং কোকহনবদা অমসুং মখোয়গী পোত্থোকপু কৈথেলদা য়ৌহনবদা করম্না মতেং পাংবগে হায়বগী মতাংদসু ৱা ঙাংখি।

লমদম অসিনা শান্নখোৎনবগী লমদা শরুক তম্লিবা অসিগী মতাংদা মহাক্না হায় সরকার অসিনা অৱাং নোংপোক্তা লৈরিবা ভারতকী অহানবা স্পোর্তস য়ুনিভর্সিতী চাউখৎহনবগী খুত্থাংদা লমদম অসিগী শান্নরোয়শিংদা মতেং পাংনবগী মাইকৈদা থবক তৌরি। লোয়ননা খেলো ইন্দিয়া সেন্তর ২০০ হেন্না লমদম অসিগী রাজ্য ৮দা অয়াবা পীখ্রে অমসুং লমদম অসিগী শান্নরোয় কয়ানা তোপ্স স্কিমগী মখাদা কান্নবশিং ফংলি।

প্রধান মন্ত্রীনা ভারতকী জি২০ প্রসিদেন্সীগী মতাংদা খন্নখি অমসুং মীফমশিং অসিদা অৱাং নোংপোক্তা মালেম শিনবা থুংবদগী মীওই কয়ানা লাকপা উবা ফংলগনি হায়খি। মহাক্না হায়, মসিনা লমদম অসিগী মহৌশাগী ফজবা, নাৎ অমসুং মতিক-ময়াই অদু উৎথোক্নবা চপ চারবা খুদোংচাবা অমা ওইরগনি।

 

  • Reena chaurasia August 31, 2024

    बीजेपी
  • Narayan Singh Chandana January 15, 2023

    जय हो
  • Anil Kumar January 12, 2023

    नटराज 🖊🖋पेंसिल कंपनी दे रही है मौका घर बैठे काम करें 1 मंथ सैलरी होगा आपका ✔25000 एडवांस 5000✔मिलेगा पेंसिल पैकिंग करना होगा खुला मटेरियल आएगा घर पर माल डिलीवरी पार्सल होगा अनपढ़ लोग भी कर सकते हैं पढ़े लिखे लोग भी कर सकते हैं लेडीस 😍भी कर सकती हैं जेंट्स भी कर सकते हैं Call me 📲📲8768474505✔ ☎व्हाट्सएप नंबर☎☎ 8768474505🔚🔚. आज कोई काम शुरू करो 24 मां 🚚🚚डिलीवरी कर दिया जाता है एड्रेस पर✔✔✔
  • CHANDRA KUMAR December 24, 2022

    मोहनपुर+2 विद्यालय देवघर, झारखंड में, जेसीईआरटी उपनिदेशक प्रदीप चौबे ने निरीक्षण किया। इस दौरान, 1. 2019 से निर्माणाधीन विद्यालय का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ था और 2. विद्यालय के मुख्य गेट पर विद्यालय का नाम लिखा हुआ नहीं था। 3. विकाश कोष रोकड पंजी अद्यतन नहीं था। अब आप सोचेंगे की 2019 से निर्माणाधीन विद्यालय का निर्माण अधूरा क्यों है, क्योंकि उस विद्यालय का निर्माण खराब सीमेंट से किया गया है, विद्यालय का भवन कभी भी गिर सकता है। ऐसे में प्रश्न उठता है की प्रभारी प्रधानाध्यापक महोदय 5000 बच्चे को कहां बैठाते हैं। तो बात यह है की विद्यालय में इंटर के छात्र पढ़ने नहीं आते हैं, केवल रजिस्ट्रेशन कराने और फॉर्म भरने आते हैं। विद्यालय में एक लाख रुपए मासिक वेतन लेने वाले शिक्षक केवल गप्प करके समय बिता देते हैं। ई विद्या वाहिनी पर बच्चों की उपस्थिति हजार में दिखाया जाता है, लेकिन सचमुच में यदि हजार बच्चे विद्यालय पहुंच जाएं, तब उनके लिए कमरे तथा बेंच कम पड़ जायेंगे। अब प्रश्न उठता है की जब कमरे नहीं है, बेंच नहीं हैं, तब इतने बच्चे का नामांकन क्यों लिया जाता है। दरअसल प्रभारी प्रधानाध्यापक विकास कोष का पैसा लेने , नामांकन के समय, रजिस्ट्रेशन के समय, फॉर्म जमा करते समय, नाम सुधार करवाते समय, प्रायोगिक परीक्षा के समय अतिरिक्त पैसा लेते हैं। जितना अधिक छात्र, उतना अधिक आमदनी। छात्रों रशीद देते हैं और कभी कभी नहीं भी देते हैं, ऐसे में अतिरिक्त पैसे और बढ़ जाते हैं। अब देखिए, निरीक्षण में गड़बड़ी मिला, लेकिन फाइल मैनेज करने के लिए समय दे दिया, नकली रशीद और नकली हिसाब किताब तैयार किया जा रहा है। इस विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक पुरुषोत्तम चौधरी, झारखंड के झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी को प्रतिवर्ष लाखों रुपए का चंदा देता है,बदले में दुमका में पेट्रोल पंप मिला है, करोड़ों की संपत्ति और कई फॉर व्हीलर गाडियां है, लेकिन इनकम टैक्स चोरी करना आम बात है। जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय उसका गुलाम है और राज्य का निरीक्षण टीम भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं किया है, जबकि उसे कई अनियमितता मिला है। दरवाजे पर, विद्यालय का मुख्य गेट पर विद्यालय का नाम नहीं लिखने का कारण यह है की कोई भी निरीक्षण टीम को पता न चल सके की विद्यालय कहां है। बाहर से देखने पर, जंगल के बीच में एक बॉउंड्री जैसा दिखेगा। ऐसे कोई निरीक्षण टीम जल्दी विद्यालय नहीं पहुंच पाता है। केंद्रीय जांच दल को जाकर इस विद्यालय का निरीक्षण करना चाहिए, तभी इस विद्यालय को आदर्श विद्यालय का दर्जा देना चाहिए। सुशील कुमार वर्मा इस विद्यालय के वरीय पीजीटी शिक्षक हैं, लेकिन टीजीटी शिक्षक पुरुषोत्तम चौधरी, अवैध तरीके से इस विद्यालय का प्रभारी बना हुआ है और छात्रों के पैसे से अपना जेब भर रहा है। कई बार नोटिफिकेशन जारी होने के बावजूद, अपने रूतबे का इस्तेमाल करके वह प्रभारी बने हुए हैं। देश में, अन्य कई ऐसे विद्यालय हैं, यदि बीजेपी सरकार, सरकारी विद्यालय के नेतृत्व और निरीक्षण पर ध्यान दे, तो तस्वीर बदल सकती है। और जनता बीजेपी की प्रशंसक बन सकती है।
  • CHANDRA KUMAR December 23, 2022

    भारत जोड़ो यात्रा, एक हुडदंग से ज्यादा कुछ भी नहीं है। कांग्रेस पार्टी अपनी बची हुई जमा पूंजी दांव पर लगा चुकी है। बीजेपी सेल्फ गोल करने के लिए बैचेन लग रहा है। भाई , उसने भारत जोड़ो यात्रा किया, आप धर्म जोड़ो (हिंदू सिख बौद्ध जैन आदिवासी देवता आदि) यात्रा का आयोजन कीजिए, परिवार जोड़ो यात्रा का आयोजन कीजिए। आप बेवजह एक हारे हुए व्यक्ति को क्यों हराना चाहते हैं, आपको मालूम होना चाहिए की जब आप एक हिंसक व्यक्ति को मारेंगे, तब सब कोई आपके साथ होगा, लेकिन जब आप एक निहत्थे आदमी को मारेंगे, तब कोई आपके साथ नहीं होगा। सबकी सहानुभूति निहत्थे व्यक्ति के साथ होगा। बीजेपी क्या चाहती है की भारतीय जनता राहुल गांधी को अगला महात्मा गांधी मान ले। यदि नहीं, तो राहुल गांधी पर अभी हमला मत कीजिए। राहुल गांधी अभी पदयात्रा कर रहा है। जनता को उससे अभी सहानुभूति है। थोड़ा इंतजार कीजिए, एक वर्ष बाद लोकसभा चुनाव है, तब तक भारतीय जनता भूल जायेगी, की राहुल गांधी ने पदयात्रा भी किया था। लेकिन यदि बीजेपी ने राहुल गांधी को परेशान किया, तो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तरह, 2024 का लोकसभा चुनाव भी हारेगी। यह अच्छा हुआ कि कांग्रेस पार्टी का पदयात्रा 2023 में खत्म हो जायेगा, अन्यथा यदि यह पदयात्रा 2024 तक जारी रहता तो बीजेपी के खिलाफ भी माहौल बन सकता था। राहुल गांधी भुला हुआ कल है, उन्हें याद करने लायक मत बनाइए। राहुल गांधि का विरोध बंद कीजिए। अन्यथा राहुल गांधी, महात्मा गांधी बन जायेगा, यदि आप गोडसे बनने का कोशिश किए। राहुल गांधी को बस नजरंदाज कीजिए, वह कोई भी बयान दे, उस पर ध्यान मत दीजिए। तब भारतीय मीडिया और भारतीय जनता भी , उस पर ध्यान नहीं देगी। जब राहुल गांधी की पदयात्रा, भारत जोड़ो यात्रा, खत्म हो जाए, तब मालूम कीजिए, की इस तूफान ने बीजेपी के वोट बैंक का कितना नुकसान किया। फिर उस नुकसान के भरपाई का उपाय , उसी अनुसार से खोजिएगा।
  • Mohit Pandey December 23, 2022

    Good Morning Honourable Prime Minister Sir, It was 3-4 years back in one of your speech you've Said 'Kuch Likhte Wikhte hain' and laughed On that Speech then I started writing skills, ideas, and Connected dots from every sector how to make india 6 Trillion Economy till 2022 and unfortunately I throwed that notebook with taped in silver adhesive tape and droped in Guptar Ghat Kanpur dustbin 3 years back and now this time I've prepared 5 Trillion Economy alone means 5 Trillion Total 8-9+ Trillion in my notebook (Memory card') for next 3-4 years (indian economy) but there is no proper mechanism or channel whom I can handover and it goes in right hand either Finance Minister or to your Administrative team in kanpur and trying it from last 6 Months here but can't write too much cause it's risky if any spam caught this So now this time I wanted to burn the 'Magic Memory card' ( Best possible ways to generate economy) or will be dropped wherever you tell by car number or proper mechanism please consider into this matter it's urgent and very important for our economy and growth. Please send anyone to collect this Magic Memory card. Thank you, Modi JI 🙏, 🇮🇳 Jai Hind.
  • Biplab Biswas December 22, 2022

    জয় মোদীজি
  • dharmveer December 22, 2022

    jayshriramji
  • dharmveer December 22, 2022

    jaysgriramji
  • Sujit Kumar December 22, 2022

    shillong mei. bharat ki chhavi badhaya apne
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India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
QuoteIndia's achievements and successes have sparked a new wave of hope across the globe: PM
QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
QuoteYouth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!