Government is always open to suggestions, feedback and input on its schemes, because it is working for the nation and the poor: PM Modi
Not ‘New India’, Congress wants ‘Old India’ marked by corruption and scams: PM Modi
We are not name or game changers, but aim chasers: PM Modi
A paradigm shift has been ushered in the working of the Government; innovative projects are being thought and completed in time bound manner: PM
Why Congress is blocking the bill for OBC Commission and the anti-Triple Talaq Bill: PM questions the opposition

आदरणीय सभापति जी, आदरणीय राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव की विशद चर्चा इस सदन ने की है। करीब 38 मान्‍य सदस्‍य ने अपने विचार रखे हैं। Maiden speech के साथ श्रीमान अमित भाई शाह ने प्रस्‍ताव रखा विनय सहस्रबुद्धे जी ने समर्थन किया। श्रीमान ग़ुलाम नबी आजाद जी, डी पी त्रिपाठी जी, प्रमोद तिवारी जी, सरदार बलवंत सिंह जी, नरेश अग्रवाल जी,   दिलीप कुमार तिर्की जी, संजय राउत जी, आनंद शर्मा जी, डेरेक ओब्राईन  जी, डी राजा, संजय सिंह, सुखेन्दु शेखर राय जी, टी के रंगराजन जी, टी जी वेंकटेश जी अनेक सभी आदरणीय सदस्‍यों ने विचार रखे हैं।  रोजगार हो, भ्रष्‍टाचार हो, किसानों की आमदनी की बात हो, विदेश नीति हो, सुरक्षा व्‍यवस्‍था हो, आयुषमान भारत हो, ऐसे अनेक विषयों पर सबने अपने विचार रखे हैं। गुलाम नबी जी को तो मैंने यहां बैठकर के सुना था बाकियों को मैंने कमरे में सुना और इसलिए उनका body language भी देखने का अवसर मिला था। और जब वो वंशवाद पर चर्चा कर रहे थे और एक परिवार को बचाने के लिए काफी कुछ कह रहे थे, जो कह रहे थे वो तो ठीक है, लेकिन उस समय उनकी मासूमियत बड़ी अच्‍छी लग रही थी। और ज्‍यादातर मैंने देखा, अभी आनंद शर्मा जी को भी सुन रहा था। तो गुलाम नबी जी से लेकर के आनंद शर्मा जी तक ज्‍यादातर तो अपनी पुरानी सरकार की बात ही बताने का मौका ले रहे थे। बाहर तो कोई सुनता नहीं है तो यहां तो कहना ही पड़ेगा। खैर कांग्रेस पार्टी या इस राजनीतिक दल ने क्‍या करना चाहिए वो न ही मुझे कुछ कहने का हक बनता है ना ही मुझे। लेकिन आपने आयुषमान भारत योजना की चर्चा की और आपने उदाहरण दिया अमेरिका का और ब्रिटेन का। अब ये अमेरिका का मॉडल और ब्रिटेन का मॉडल और भारत की सामाजिक स्थिति दोनों में आसमान जमीन का अंतर है। कोई चीज वहां सफल हो हमारे यहां सफल नहीं हो सकती है, कोई चीजें वहां विफल हो हमारे यहां बेकार हो सकती है। ऐसा तर्क ठीक नहीं है।  हमें अपनी दृष्टि से सोचना है। अपने देश के लेकिन ये इसलिए होता है कि ज्‍यादातर अब करीब 50-55 साल सत्‍ता में रहना और जमीन से कट जाना बड़ा स्‍वा‍भाविक है। और उसके कारण इस प्रकार के विचार और मर्यादायें आना भी बहुत स्‍वा‍भाविक है। लेकिन मैं नहीं मानता इसमें से कोई इस बात से कोई अहसमत होगा कि हमारे देश में आरोग्‍य के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की आवश्‍यकता है। और बहुत कुछ करने की आवश्‍यकता है it does not mean कि गुलाम नबी जब Health Minister थे तब कुछ नहीं किया। कुछ तो किया ही होगा। लेकिन बहुत कुछ करने की आवश्‍यकता है इसका इन्‍कार तो नहीं कर सकते। और इसलिए हम चर्चा की इस बात को भी समझे कि देश की आशा-अपेक्षाओं के अनुरूप हम कुछ बात को कैसे कर सकते हैं। अब ये ठीक है कि हम आयुषमान भारत योजना लेकर के आए हैं। हो सकता है इसमें कमियां हों लेकिन आखिरकार ये योजना देश के लिए है। किसी दल के लिए है नहीं तो मैं चाहूंगा कि कांग्रेस के मित्र भी एक task force बनाएं और भी दल के लोग अपना task force बनाएं आयुषमान भारत योजना की study करें और उसमें कुछ कमियां हैं तो जरूर मैं समय दूंगा। मैं खुद समय दूंगा। ultimate उद्देश्‍य क्या है ? ultimate उद्देश्‍य ये हैं कि देश में गरीब और निम्‍न मध्‍यम वर्ग का परिवार अगर बीमारी उसके घर में आती है। जो कुछ भी उसने किया कराया है सब zero पर आकर अटक जाता है। negative चला जाता है। कभी सूदखोरों से ब्‍याज से पैसे लेकर उपचार करना पड़ता है। कभी वो सोचता है कि बेटों को कर्ज में डुबाना नहीं है बीमारी झेल लो जिंदगी कम हो जाए तो हो जाए। ये साइकी बनी हुई है। और किसने किया किसने नहीं किया 70 साल क्‍यों नहीं हुए ये सारे सवाल उठ सकते हैं। लेकिन मेरी चर्चा का विषय वो नहीं है। क्‍या हमें ऐसा कुछ करना चाहिए नहीं करना चाहिए। सरकार जो सोचती है मैं आप जैसे हमारी सोच नहीं है कि भगवान ने सब कुछ हमें ही दिया है। हम मानते हैं कि यहां सदन में हमसे भी कई विद्ववान और अनुभवी लोग हैं। उनकी विद्ववता और उनका अनुभव यहां तक की बाहर भी देश में बहुत विद्ववता और अनुभवी लोग हैं। हम बैठकर के, मिल बैठकर के ये आयुषमान भारत योजना को देश के 40-50 करोड़ लोगों को अच्‍छी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए एक विश्‍वास पैदा कर सकते हैं क्‍या? और अगर एक बार...और ये Insurance scheme है। और इसलिए मैं समझता हूं कि हम जानते हैं कि Insurance में किस प्रकार की व्‍यवस्‍था होती है। और इसलिए बजट के provision वगैहर की चर्चा करके अटकने की आवश्‍यकता नहीं है। उस पहलू से हम भली-भांति परिचित हैं। लेकिन देश के गरीब को इसका लाभ मिले। और मैं नहीं मानता हूं यहां किसी को दिक्‍कत नहीं होनी चाहिए। हां योजना लागू करने के बाद कुछ कमिया आई हों और ध्‍यान नहीं गया हो आलोचना कह लें वो ठीक है। अभी सुझाव के पीरियड पर एक योजना का प्राथमिक विचार प्रस्‍तुत हुआ है। हम मिलकर के उसको और अच्‍छा कैसे बनाएं और इसलिए मैं तो चाहूंगा कि अच्‍छे सुझाव आने चाहिए। और जो लोग आज के मेरे भाषणों को अगर सुनते होंगे टीवी पर उनसे भी मेरा आग्रह है कि इसमें कोई अच्‍छी परफेक्‍ट कुछ अच्‍छी चीजें आप दे सकते हैं तो दीजिए। देश के गरीब के लिए करना है ये इसमें कोई दल नहीं होता है जी और मैं मानता हूं कि हम सब मिलकर के इस बात को आगे बढ़ाएगें।

ये बात सही है कि अगर मैं यहां बैठकर के अंग्रेजी में 9 लिखता हूं मैं नहीं मानता यहां का कोई व्‍यक्ति इनकार करेगा ये 9 है। लेकिन वहां बैठने वाले को 6 दिखेगा। मैं अंग्रेजी में यहां 9 लिखूं, मैं गलत नहीं हूं लेकिन अब आपको 6 दिखता है तो मैं क्‍या करूंगा। क्‍योंकि आप वहां बैठे हैं। और इसलिए मैं समझता हूं कि अब कोई मुझे बताए कि हिन्‍दुस्‍तान का ease of doing business ये अगर ranking सुधार होता है। हमें दुख क्‍यों होना चाहिए। क्‍या ये इस देश के हर नागरिक को गर्व नहीं होना चाहिए कि ease of doing business हुआ। दुनिया में हमारी एक छवि बनी। देश के लिए एक अच्‍छी बात बनी। अब हमने किया, आपने किया वो मुद्दा हम जब चुनाव में जाएंगे तब खेल खेल लेंगे। लेकिन जब देश की बात होती है तो अच्‍छा है। अच्‍छा कोई हम यहां तक चले जाते हैं जी। कि कोई rating agency को दें तो अब हमपे हमला बोलना कभी संभव नहीं होता है। तो उस rating agency पर ही हमला बोल देते हैं। शायद दुनिया में ऐसा कहीं नहीं होता होगा। और इसलिए और कभी-कभी तो मैं अनुभव कर रहा हूं आपने भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करनी चाहिए। जमकर के करनी चाहिए। आपका हक है। मोदी की भी आलोचना करनी चाहिए। जमकर के करनी चाहिए। बाल नोंच लेने चाहिए। democracy में आपका पूरा हक है। लेकिन भाजपा की बुराईया करते-करते आप भूल जाते हैं। भारत की बुराई करने लग जाते हैं, खिसक जाते हैं आप। आप मोदी पर हमला बोलते-बोलते हिन्‍दुस्‍तान पर हमला बोल देते हैं जाकर के। जहां तक भाजप और मोदी पर करते हैं। राजनीति में आपका हक है और आपको करना भी चाहिए। लेकिन इसके कारण मर्यादा लांघ देते हैं। अब उससे देश का बहुत नुकसान होता है। तो मैं अब ये ठीक है कि आप कभी नहीं स्‍वीकार पाएंगे कि यहां हमारे जैसे लोग बैठे हुए हैं। कैसे स्‍वीकारेंगें। कभी नहीं स्‍वीकारेंगें। आपकी पीड़ा हम समझ सकते हैं। लेकिन मेहरबानी करके देश को नुकसान हो, देश की दुनिया में अब यहां पर एक विषय आया। अब राष्‍ट्रपति जी ने अपने भाषण में न्‍यू इंडिया की कल्‍पना की है। स्‍वामी विवेकानंद जी ने भी नए भारत की चर्चा की थी। महात्‍मा गांधी भी young India की बात करते थे। हमारे पूर्व राष्‍ट्रपति जी ने भी जब पद पर थे तब उन्‍होंने भी नए भारत की संकल्‍पना की बात कही थी। तो मुझे पता नहीं क्‍या परेशानी है। हमें New India नहीं चाहिए। हमें तो हमारा वो भारत चाहिए, हमें पुराना भारत चाहिए। मैं समझता हूं कि हमें गांधी वाला भारत चाहिए। मुझे भी गांधी वाला भारत चाहिए। क्‍योंकि गांधी ने कहा था कि आजादी मिल चुकी है अब कांग्रेस की कोई जरूरत नहीं है। कांग्रेस को बिखेर देना चाहिए। ये कांग्रेस मुक्‍त भारत मोदी का विचार नहीं, गांधी का है ये। हम तो उन पद-चिन्‍हों पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। अब आपको वो भारत चाहिए। आपको, कहते हैं कि हमें वो वाला भारत चाहिए। क्‍या सेना के जीप घोटाले वाला भारत, क्‍या पनडुब्‍बी घोटाले वाला भारत, क्‍या बोफार्स घोटाले वाला भारत, हेलीकाप्‍टर घोटाले वाला भारत। आपको न्‍यू इंडिया नहीं चाहिए आपको वो भारत चाहिए। आपको वो  भारत चाहिए इमरजेंसी वाला, आपातकाल वाला, देश को जेलखाना बना देने वाला। जयप्रकाश नारायण मोरारजी भाई देसाई लोगों को जेल में बंद करने वाला, देश के लाखों लोगों को जेल में बंद करने वाला, इमरजेंसी वाला भारत चाहिए। ये चाहिए आपको भारत। लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेना, देश की अखबारों पर ताले लगा देना। ये भारत आपको चाहिए। आपको… आपको कौन-सा भारत चाहिए वो भारत कि बड़ा पेड़ गिरने के बाद.... बड़ा पेड़ गिरने के बाद, हजारों निर्दोष सिक्‍खों का कत्‍लआम हो जाए।  आपको… आपको न्‍यू इंडिया नहीं चाहिए। आपको भारत चाहिए। वो भारत... आपको वो भारत चाहिए। आपको वो भारत चाहिए जो तंदूर कांड होता हो और रसूखदार लोगों के सामने प्रशासन घुटने टेकता हो। वो भारत चाहिए। हजारों लोगों की मौत का गुनाहगार विमान में बिठा करके...विमान में बिठा करके उसे देश के बाहर ले जाया जाए। ये आपको भारत चाहिए। डावोस में...डावोस में आप भी गए थे, डावोस में हम भी गए थे। लेकिन आप... आप किसी की चिट्ठी लेकर के किसी को भेजते हैं आपको वो भारत चाहिए। ये और इसलिए आपको न्‍यू इंडिया नहीं चाहिए।

यहां पर जनधन योजना का राष्‍ट्रपति जी ने उल्‍लेख किया है। अब आपने जनधन की भी आलोचना की है और ये कहा ये तो कुछ नहीं पहले हुआ था। मैं चाहूंगा कि कम से कम तथ्‍यों को हम स्‍वीकार करें। political जो बोलना है बोलते जाओ।  जो हम 31 करोड़ जनधन अंकाउट की बात करते हैं। वे सारे के सारे 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद जो हुई है उन्‍हीं की....और ये रिकॉर्ड कोई बदल नहीं सकता है। ये रिकॉर्ड उपलब्‍ध है और इसलिए मैं चाहता हूं कि आप तथ्‍यों को जरा ठीक कर लें तो अच्‍छा होगा आपने ये भी कहा कि हम तो नेम चेंजर हैं गेम चेंजर नहीं हैं।

हमारे कार्यकलापों को देखेंगे और सच्‍चाई से कहना होगा  तो आप कहेंगे कि हम तो Aim changer हैं। हम लक्ष्‍य का पीछा करने वाले लोग हैं और लक्ष्‍य प्राप्‍त करके रहते हैं। और इसलिए हम जो लक्ष्‍य निर्धारित करते हैं समय सीमा में पार करने के लिए रोड मैप तैयार करते है, resource mobilize करते हैं, कड़ी मेहनत करते हैं। ताकि देश को मुसीबतों से मुक्ति दिलाने की दिशा में कुछ हम भी योगदान करें। और इसलिए कांग्रेस का ये तरसना बहुत स्‍वाभाविक है भई... हमारा जय-जयकार करो, हमें बार-बार याद करो, हर जगह पे हमको याद करो आपकी इच्‍छा रहना बहुत स्‍वाभाविक है। और अब ये सुनते-सुनते आपको आदत भी लग गई है कि इसके सिवा कोई चीज अंदर फिट ही नहीं होती है।

मुझे खुशी होगी और आप रिकॉर्ड चेक कर लीजिए कि 15 अगस्त को लालकिले पर आपके जितने प्रधानमंत्रियों को, कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्री जो देश प्रधानमंत्री बने उनके भाषण में किसी और सरकार का, किसी और राज्‍य सरकार का, के द्वारा देश की भलाई के लिए कोई काम हुआ हो उसका उल्‍लेख किया हो। मैं हूं जो लालकिले पर से कहता हूं देश आज जहां पहुंचा है अब तक की सभी सरकारों का योगदान है सभी राज्‍यों सरकारों का योगदान है। और ये इसमें संकोच नहीं होना चाहिए। इसमें संकोच नहीं होना चाहिए। और हम इस बात के लिए तड़पते नहीं कि आप अटल जी का नाम याद करो, हम तड़पते नहीं है जी। आप मजबूरी में कहोगे तो ठीक है बाकि तो ठीक है। आपको जो ठीक लगे नाम आप दीजिए। और आपने ये भी कह दिया 2014 के पहले जो कुछ भी हुआ सब आपके खाते में गया। क्रेडिट लेने की बड़ी इच्‍छा हो रही है। और आपके नियम भी बड़े कमाल के हैं। जब हम छोटे थे गांव में क्रिकेट खेलने वालों को देखते थे तो छोटे-छोटे बच्‍चे  खेलते थे, तो बाद में हम देखते थे end में झगड़ा होता था। तो हमें बड़ा आश्‍चर्य होता था कि क्‍यों अभी तो खेल रहे थे  अब लड़ रहे हैं। तो फिर देखा...तो उनका एक नियम होता था जिसके हाथ में बैट होता था वो बैटिंग करता था और जैसे ही वो आउट होता था नहीं भई मैं चलता हूं। आप लोग भी यही है कि बैटिंग आप ही को मिलेगी क्‍या? और फिर अब बैटिंग नहीं मिली तो खेल पूरा, हम जाते हैं ऐसा नहीं होता है भई।

अब आपको आधार की बात आती है। तो आप कहते हैं कि काम हमारा और आप क्रेडिट ले रहे हो। अच्‍छा है अगर आप ये कहते हैं तो लेकिन आपको ये याद रहना चाहिए। और मैं चाहूंगा 7 जुलाई 1998 इसी सदन में और सभापति जी उस समय इस सदन के सदस्‍य थे। तो 7 जुलाई 1998 में उन्‍होंने एक सवाल पूछा था as a member और तब, तब के गृहमंत्री श्रीमान लाल कृष्‍ण आडवाणी जी ने जवाब दिया था इसी सदन में और उस जवाब में उन्‍होंने कहा था Multi Purpose National Identity Cards will also be used for Issuing Passports, Driving Licenses, Rashan Cards, Health Care, Admission & Educational Institution, Employment in Public Private Sector, Life and General Insurance as also for maintenance of Land records and Urban Property holdings.    आधार का बीज यहां है।

बीस साल पहले....

माननीय सभापति जी मेरी आपको प्रार्थना है कि रेणुका जी को कुछ मत कीजिए रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का आज सौभाग्‍य मिला है।

बीस साल पहले ये vision अटल बिहारी वाजपेयी जी का था। लेकिन कांग्रेस कहती है आधार उसने शुरू किया तो भी हमें आपको क्रेडिट देने में तकलीफ नहीं है। आधार आपका।

हमनें दल से आगे देश को रखा है। और हमारे निर्णय का आधार देशहित रहता है। आज क्रेडिट लेने के लिए आप बेताब है बहुत स्‍वाभाविक है। SIT बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया था। आपने तीन साल तक उसका निर्णय नहीं किया ये क्रेडिट आप ही को जाना चाहिए। और हमने पहला SIT ग्रहण किया लेकिन आप कह सकते हैं कि हमारे सामने ये विषय आया था।  

कालेधन के खिलाफ कार्रवाई करने का क्रेडिट भी कांग्रेस स्‍वीकार कर ले। कांग्रेस ने 28 साल तक बेनामी संपत्ति कानून को लागू नहीं किया। उसकी क्रेडिट भी आप ले लीजिए। और अब तक 35 सौ करोड़ रूपये से ज्‍यादा संपत्ति- आपको पता होना चाहिए, मान्‍य आनंद जी आप लंबे अरसे से यहां बैठे हैं और बोलने की आपकी एक विशेष स्‍टाइल भी है। और आप तो बर्फ पर छुरा बनाकर के घोंप सकते है पता भी न चला। लेकिन ये बेनामी संपत्ति का कानून 28 साल पहले पारित हो चुका था सभी सदनों में पारित हो चुका था। लेकिन उसके rules नहीं बनाए, notify नहीं किया और अटका हुआ था। किसने रोका ये कोई विपक्ष-विपक्ष नहीं था जिम्‍मेवार, जानकारी के लिए। मुझे अच्‍छा लगा आप जैसे विद्ववान को भी कुछ...

अब तक 35 सौ करोड़ रूपये की बेनामी संपत्ति जब्‍त की है। अब आपके काल खंड में इतनी बेनामी संपत्ति बनी तो क्रेडिट तो मिलना चाहिए... क्रेडिट तो मिलना चाहिए। आपके लिए ये सारी क्रेडिट है। सारी दुनिया बदली है, InSolvency code, Bankruptcy law  मैं  नहीं मानता ये कोई ज्ञान नहीं था आपको। लेकिन आपको क्रेडिट जानी चाहिए कि बहुत लोगों के लाभार्थ था, आपने इसको नहीं बनाया। क्रेडिट आपको जानी चाहिए। देश के Industrial Sector को Global Community को भारत के प्रति विश्‍वास पैदा हो, भारत के नियमों और कानूनों के प्रति विश्‍वास पैदा हो। हमनें ये निर्णय किए। One Rank One Pension चार दशक तक देश की आंख में धूल झोंकते रहे और 500 करोड़ का बजट देकर चुनाव में चले गए। हवा बन चुकी थी क्‍या करें। अब जब हम आए तो हमनें देखा कि रिकॉर्ड तक नहीं थे किसी चीज की, बारी‍की से अध्‍ययन तक नहीं हुआ था और जब हमनें ये लागू किया 11 हजार करोड़ रूपये की जरूरत पड़ी, 11 हजार करोड़ रूपये। आप 500 करोड़ से कैसे देते  तो अब ये क्रेडिट सारी आप ही को जाएगी। जीएसटी के लिए मध्‍य रात्रि को समारोह हुआ। कांग्रेस ने इसका बहिष्‍कार किया। सभी दल आए। और आपको ये लगा कि कहीं ये हमारे को क्रेडिट मिल जाएगी और आप मानों या ना मानों ये आप जो कुछ भी कर रहे हो जीएसटी के संबंध में इसकी जितनी negativity है वो आपके खाते में जमा हो रही है और होती रहेगी और देश के दिमाग में फिट हो जाएगा। आप लोग सोचिए कि क्रेडिट कोई ले न जाए इसकी चिंता और खुद की क्रेडिट मिलती रहे।   

अब neem coating की बात आई। आपकी तरफ से कहा गया हमनें शुरू किया देखिए चीज आप आधी-अधूरी शुरू करके छोड़ दें। और आप उसपर कैप लगा दें इससे आगे नहीं जाना है। तब उस योजना का लाभ होने से नुकसान ज्‍यादा होता है। आखिरकार neem coating के पीछे दो विषय थे। जो आपको भी ज्ञान था। एक युरिया की ताकत में वृद्धि होती है। इसलिए किसान को कम यूरिया से काम चल सकता है। दूसरा qualitative change आता है ताकि उत्‍पादन में वृद्धि होती है। ये मानी हुई बात थी। और दूसरा यूरिया किसानों के पास जाने के बजाय ये कारखानों में चला जाता था। बिल किसान के नाम पर पड़ता था। सब्सिडी किसान के नाम पर कटती थी। और चला जाता था कारखानों में। अब 100 प्रतिशत नीम कोटिंग होता है। तो ये किसी कारखानें में काम नहीं आएगा। आपको भी पता था। 35 प्रतिशत करने के बाद 65 प्रतिशत का दरवाजा किसके लिए खुला रखा। ये क्रेडिट मैं किसको दूं।

और इसलिए मैं समझता हूं कि 100 प्रतिशत के पीछे हम लगें। इतना ही नहीं Imported जो यूरिया आता है उसको भी आने से पहले उसका नीम कोटिंग होता है। ये इसलिए कि अब उसी का परिणाम है कि आज यूरिया की कोई किल्‍लत नहीं होती वरना मैं जब मुख्‍यमंत्री था मुझे हर वर्ष दो-तीन चिट्ठी प्रधानमंत्री को युरिया के लिए लिखनी पड़ती थी। मैं यहां आया तो शुरू में सभी Chief Minister से यूरिया की चिट्ठी आती थी। अब आज एक चिट्ठी नहीं आती है। न कहीं लाठीचार्ज होता है। यूरिया लोगों को मिल रहा है। कुछ चीजें बदली जा सकती हैं। मैं ये बताना चाहूंगा कभी-कभी राजनीति इतनी हावी रहती है और ये बात सही है कि बार-बार चुनाव, बार-बार चुनाव का ये नतीजा है कि योजना पूरी बनी हो न बनी हो हम पत्‍थर जड़ देते हैं। फीता काट देते है। तख्‍ती लगवा देते हैं। और उसका परिणाम क्‍या हुआ। अब देखिए हमें रेलवे के बजट में घोषनाएं बंद करनी पड़ी, अभी तो रेलवे का बजट मंजूर हो गया लेकिन क्‍यों जब मैंने देखा कि पुरानी सरकारों ने 15 सौ से ज्‍यादा ऐसे रेलवे की योजना घोषित कर दी थी जिसको बाद में कोई देखने वाला ही नहीं है। ऐसे ही, हो गई घोषित। कुछ दिन हाऊस में तालिया पड़ गई। किसी अखबार में छप गया। उसे एमपी ने घर जाकर के माला पहन ली बात पूरी हो गई। ये कल्‍चर से देश का बहुत नुकसान हुआ है।

और आप हैरान होगें जी मैंने एक प्रगति technology का उपयोग करते हुए initiative लिया। और मैं खुद सारे रूके पड़े project  का review करने लगा। सभी राज्‍यों के Chief Secretaries होते हैं online भारत सरकार के सभी सचिव होते हैं और मैं online सबके साथ बैठता हूं। आप हैरान होगें जी, ऐसे-ऐसे projects सामने आए हैं जो 30 साल 40 साल पहले तय हुए। शिलान्‍यास हो गया। बाद में कागज पर उसकी लकीर भी नहीं थी। ऐसे, अब मैं एक-एक को review करने लगा सब department को इकट्ठा करने लगा मैंने ये नहीं पुरानी सरकार थी मेरी क्‍या जिम्‍मेवारी है जी नहीं, आखिरकार ये देश है continuity,  सरकारें आए, जाए आप बैठे, दूसरा बैठे, तीसरा बैठे हम कोई इसको तो रोक नहीं सकते। लोकतंत्र है लेकिन सरकार में ये भाव नहीं चलता कि ये तो जयराम रमेश के समय हुआ था नहीं, मारो ताला। ऐसा नहीं होता है जी। हमनें खोजा आप हैरान होंगें- 9 लाख करोड़ से ज्‍यादा project मैंने अब तक ऐसे clear किए हैं। सारे Ministry को बैठाया कि जो भी हो 30 साल 40 साल पुराने हैं। अब यही project उस समय हो गया होता तो शायद कुछ हजार करोड़ों में होता। लेकिन आज 9 लाख 10 लाख करोड़ के project बन गए जी। और इसलिए ये काम जो हम कर रहे हैं। सरकार आपने भी चलाई है हम भी चला रहे है। और जो भी सरकार में बैठता है उनको चलानी होती है। उनकी जिम्‍मेवारी है। लेकिन चीजों का अच्‍छे ढंग से चलाते, और ये जो सब जगह पर पत्‍थर हैं आप लोगों के नाम हैं सब हैं जो शायद पत्‍थर लोग चोरी भी करके गए हैं। लेकिन क्रेडिट सब आपको जाता है। योजनाएं आपकी हैं जी।

अब यहां हमारे आजाद साहब ने food security bill की बात की और date के साथ बोले। मैं आपसे कोई भी पूछेगा जी आपने जो date दी हम तो उसके बाद आए हैं। एक साल बाद आए हैं। एक साल में आपने क्‍यों न होने दिया। और आपने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए पूछा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है। आपको पता होना चाहिए कि केरल जहां आपकी सरकार थी उसने इसको स्‍वीकार नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने डंडा मारा था। लेकिन अब आप वो भी हमारे सर पर डाल देते हैं। आपने करना चाहिए था। और मैं मानता हूं कि जो हम निर्णय करें उसको पूरा करने की  तैयारी के साथ करना चाहिए।    

अब fertilizer के कारखानें खोलने के लिए तो आप कह रहे हैं हमारे समय हुआ, हमारे समय हुआ, हमारे समय हुआ लेकिन बंद भी तो आपके समय हुआ। हजारों लोग बेरोजगार भी तो आप ही के समय हुए उसकी भी तो क्रेडिट लीजिए। और इसलिए आज हम उसको अगर लागू कर रहे हैं और नीतिगत बदलाव करके कर रहे हैं। आज देखिए हमनें यूपी में गोरखपुर, बिहार में बरौनी, झारखंड में सिंगरी, ये यूरिया के कारखानें जो बंद पड़े थे उसको तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं हम। जगदीशपुर हल्‍दिया, गैस पाइप लाइन उसके साथ हमनें उसको जोड़ा। ये नीतिगत बदलाव किया ताकि उनको गैस मिल जाए तो कारखानें को चलाने में सुविधा हो जाएगी। और ये वो इलाका है देश का जहां पर इस प्रकार की व्‍यवस्‍था करें तो पूर्वी भारत के विकास की संभावना बढ़ जाएगी। और ये वो स्‍टेट नहीं है जहां भारतीय जनता पार्टी का झंडा फहर रहा है। देश के लिए जरूरी है कि पूर्वी भारत के राज्‍यों का विकास होना चाहिए। देश का संतुलित विकास होना चाहिए। ये सीधी-साधी development की theory के आधार पर हम काम कर रहे हैं। और मुझे विश्‍वास है कि आप इन चीजों को appreciate करेंगे।

हमारे माननीय सदस्‍य श्रीमान अमित शाह का भाषण हुआ। और मुझे अच्‍छा लगा कि आजाद साहब ने उसमें से ये खोज के निकाला कि आप इतना भाषण बोले सरदार पटेल का नाम क्‍यों नहीं बोले। मुझे अच्‍छा लगा कि आपने सरदार साहब को याद किया।

अभी-अभी गुजरात में चुनाव हुए थे। उस चुनाव में हमारे बाबु भाई बैठे हैं यहां सरदार पटेल कांग्रेस पार्टी के हर literature में सरदार साहब थे। मुझे इतना अच्‍छा लगा कि चलो बहुत सालों बाद ये भी दिन आया। लेकिन और जब मैं ये सोचता था कि ये परंपरा बनी रहेगी लेकिन गुजरात का चुनाव समाप्‍त हुआ और यहां आपके पार्टी का कार्यक्रम था। अभी भी अब पुराने चित्र देख सकते हैं। बैकड्राप पर कहीं सरदार साहब नहीं है और उस समय अखबारों ने लिखा कि एक सप्‍ताह के बाद आपके यहां कार्यक्रम हो रहा है और सरदार साहब गायब है। और ये भी याद कीजिए हम सरदार साहब का नाम देना, हमारे अध्‍यक्ष जी ने उल्‍लेख नहीं किया। वो आपने उपयोग करने की कोशिश की ये भी याद करें कि सरदार साहब को और बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्‍न कब मिला। इतना समय बीच में क्‍यों चला गया। और इसलिए आप चर्चा करें आरोप करे। और ये राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण के बाहर का विषय था लेकिन फिर भी आपने उठाया तो अच्‍छी बात है, उठाया। लेकिन जब आप किसी चीज को उठाते हैं तो चार उंगलियां खुद की तरफ होती हैं ये आप न भूलें यही मेरा......आप हैरान होंगें जी… आपने इस प्रकार से काम हुए हमारे देश में, हो सकता है कि शायद आपकी कार्यशैली में इस प्रकार की बारीकियों में जाने का स्वभाव नही होगा।

मेरा सौभाग्‍य रहा कि मैं बहुत लंबे समय तक मुख्‍यमंत्री रहा। और इसके कारण आजाद साहब भी मुख्‍यमंत्री रहे तो पता है कि बहुत बारीकी में जाना पड़ता है। शरद राव लंबे समय तक मुख्‍यमंत्री रहे हैं इनको पता है कि बहुत बारीकी में जाना पड़ता हैमुख्‍यमंत्री इधर-उधर नहीं जा सकता है उसको बहुत detail में दीजिए। और हम सब जो मुख्‍यमंत्री रहे उनको पता है। लेकिन यहां मुख्‍यमंत्री तो बहुत कम आते हैं, आते हैं तो छोटे से department लेकर रहते हैं। मेरे जिम्‍मे एक बड़ा काम आ गया है। और इसलिए वो आदत मुझे मेरी काम आ रही है।

हमारे देश में पिछले वर्षों जो सिंचाई के project हुए जी dam बन गया होगा लेकिन ये पानी क्‍यों है? खेत के लिए है हमने network ही नहीं बनाया। 40-40 50-50 साल यानि कोई कल्‍पना कर सकता है कि छ: मंजिला बनाएं और staircase भी न हो lift भी न हो। कैसे ऐसे काम हो गया। मैंने उसमें से 99 को Identify किया। हजारों करोड़ रूपये की योजना से काम चालु किया। पानी किसानों को पहुंचे उस दिशा में काम किया है। और 50 योजनाएं पूरी हो चुकी है बाकी योजनाएं जल्‍दी से पूरी हो जाएं उस दिशा में काम चल रहा है।

सवाल है आपने बनाया-  बनाया, अच्‍छा काम किया- अच्‍छा किया, लेकिन सोच अधूरी काम अधूरी और रूपये गए, परिणाम नहीं मिला। और अच्‍छा होता अगर comprehensive होता, integrated approach होता, holistic view होता। तो आप ही के कालखंड में जो काम हुए हैं उसमें भी अगर पूरे किए होते तो देश का भला किया होता। आपने नहीं किए ये मैं नहीं कह रहा। लेकिन कुछ करने जैसे काम कैसे करने चाहिए उसमें बहुत बड़ी कमी रह गई है। जिन-जिन को अच्‍छा काम करने का अवसर मिला है उन लोगों का दायित्‍व बनता है कि चीज...

और इसलिए देखा होगा हमनें आकर के एक बड़ा बदलाव किया है.. हमनें हमारे देश में ज्‍यादातर बजट Allocation होना यानि वहीं से ज्‍यादातर संतोष माना जाता है। ताली बज जाती है वो Allocate हो जाता है। outlay की तरफ देखने वाली संख्‍या बड़ी कम है। output पर तरफ देखने वाली उससे भी कम है। और outcome की चर्चा ही नहीं होती थी। हमनें पूरा work culture ऐसा बना दिया है। इस सरकार ने आग्रह रखा है और Parliament में रखते हैं Outcome report ताकि रूपया जिस काम के लिए निकला था उसी काम में गया कि नहीं गया। और इसलिए outcome पर बल देने की दिशा में हमारा प्रयास रहना चाहिए।

अब किसानों की आमदनी बढ़ाने की विषय की यहां चर्चा हुई है। मैं हैरान हूं कि किसान की आमदनी डबल करने में किसको एतराज हो सकता है। कोई एतराज नहीं हो सकता है। और हम इसलिए नहीं कि उसके साथ कोई राजनीति है यहां बैठे हुए हर व्‍यक्ति के दिल में है कि भई ये एक ऐसा काम है जिसको हमें करना चाहिए। अब ये कैसे होगा। जमीन के टुकड़े बढ़ते जा रहे हैं। परिवार की संख्‍या बढ़ती है अगर उसकी 10 बीघा जमीन है तो बच्‍चों में बट जाती है तो 2 बीघा, 1 बीघा में आ जाता है तो कठिनाई है, तो हमनें Technology intervention agro tech की तरफ जाना ही पड़ेगा। हमें Modernise होना ही पड़ेगा। और ये अगर हम करते हैं तो बदलाव होगा। soil health card एक प्रयास है। per drop more crop, micro irrigation एक प्रयास है। sprinkler.. एक जमाना था हमारे देश में किसान flood irrigation के बिना sugar cane हो ही नहीं सकता इस conviction वाला था। वो यही मानता था कि गन्‍ने की खेती के लिए तो खेत एकदम लबालब पानी से भरा हुआ होना चाहिए। लेकिन अनुभव से...मैं तो गुजरात में था मेरा तो नियम था sprinkler से sugar cane हो रही है sugar  का level बहुत ऊंचा आया है। अब धीरे-धीरे देश भर में तो पानी बचेगा। अब ये ऐसे कई प्रयोग है। पहले सबको मालूम है केले की खेती जो करते थे। केले की खेती करने वाला केले का फल मिलने के बाद वो जो उसका थड़ खड़ा रहता है। उसको निकालने के लिए उसको पैसा देना पड़ता था। एक एकड़ पर 5 हजा, 10 हजार, 15 हजार देना पड़ता था।

हमारे यहां Agriculture University ने जो परिणाम दिया  - केले के थड़ में से उसने फाइबर बनाया, fabrics बनाया और कपड़े बनाए। और बहुत बढि़या quality के कपड़े बन रहे हैं। इतना ही नहीं जहां सूखी भूमि है वहां उधर उसको काट कर के डाल दिया तो 90 दिन तक बिना पानी वहां पेड़-पौधे आगे बढ़ सकते हैं। अब आज जो wastage था वो wealth  में create हुआ और आज उसको लेने के लिए लोग आते हैं और उसका 10 हजार, 15 हजार एकड़ का दे रहे हैं। हमारे देश में Agriculture का जो waste है उसी पर हम बल दें तो भी हम उनकी Income में मदद कर सकते हैं। और देश में भी अब sugar हमारे यहां sugar ज्‍यादा हो जाए तो भी किसान मरेगा, sugar कम हो जाए तो भी किसान मरेगा। sugar ज्‍यादातर किसानों के द्वारा चली हुई फैक्‍ट्रीया हैं। अब हमनें इंथोनल 10 प्रतिशत कर दिया। अब इसके कारण जिस समय ये प्रेशर आएगा sugar के market पर global impact रहता है तो इंथोनल पर divert करेंगे तो किसान को सुरक्षा की संभावना हो जाएगी।

हमनें किसान संपदा योजना भी, हमें मालूम है लाखों करोड़ों रूपया हमारा इसलिए बर्बाद हो रहा है कि खेत से लेकर के मार्किट तक चेन में कई  weak point है। Infrastructure के कई weak point है। हमारा बीज से बाजार तक का comprehensive approach होगा तब जाकर के प्रयास होगा और इसलिए हम उस दिशा में काम कर रहे हैं।

और मैं मानता हूं कि e-NAM योजना हो, e-NAM योजना अभी तो प्रारंभ हुआ है। कई राज्‍य हैं जिन्‍होंने अभी भी अपने APMC Act में बदलाव करना चाहिए नहीं किया है। लेकिन करीब-करीब 36 हजार करोड़ रूपये का कारोबार e-NAM के ऊपर किसानों ने Online बिक्री करके किया है। 36 हजार का कारोबार अपने आपमें बड़ा होता है शुभ शुरूआत है। वो मैं समझता हूं काफी आगे जाएगा।

हमें Value Addition पर जाना पड़ेगा। किसान अगर हरी मिर्च बेचता है तो बहुत कम मिलता है लेकिन मिर्ची अगर लाल होती है तो लाल होकर के पाऊडर होती है। पाऊडर होकर के पैकिंग होता है और वो भी अच्‍छे ढंग से ब्रांडिंग होता है तो किसान की आय बढ़ती है। हमें Value Addition पर जाना होगा।

हमारे किसान की Allied Activity आज खेत के अंदर Solar Energy का Farm जोड़ा जा सकता है किसान की आय बढ़ा सकता है। Solar pump उसकी बिजली भी पैदा कर सकता है। Solar pump चला सकता है। Diesel का खर्चा कम कर सकता है। बिजली का खर्चा कम कर सकता है। और वो बिजली राज्‍य सरकारें खरीद भी सकती हैं। तो उसका एक बहुत बड़े खर्चे में कमी होगी।

आज हमनें बांस Bamboo 90 साल से, आपका दोष नहीं है। 90 साल से कानून बना दिया कि ये तो tree है कोई काट नहीं सकता। जबकि सारी दुनिया में Bamboo Grass है। अब ये आपने करना चाहिए तो चलो क्रेडिट आपको जाता है। हमने सोचा, हमने उठाया, आज हमने Bamboo को Grass की category में रखा। आज किसान अपने खेत के बार्डर पर Bamboo की खेती कर सकता है। Bamboo की खेती से उसकी फसल को कोई नुकसान नहीं है। वो अतिरिक्‍त है। और Bamboo आज हिन्‍दुस्‍तान हजारों करोड़ का Bamboo Import करता है। हम दियासलाई के लिए Bamboo बाहर से लाते हैं, पतंग के लिए Bamboo बाहर से लाते हैं, अगरबत्‍ती के लिए Bamboo बाहर से लाते हैं। एक छोटा सा निर्णय है कि किसान की आय बढ़ाने की ताकत आ जाए।

हमारा किसान मधुमक्‍खी, अब मैं हैरान हूं जी मधुमक्‍खी के क्षेत्र में कितना काम हो सकता था हम उसको नहीं कर पाए। मैं हैरान हूं क्‍यों नहीं कर पाए। इन दिनों हमनें चार वर्ष में 11 Integrated bee keeping development centre खड़े किए हैं। और शहद के उत्‍पादन में 38 प्रतिशत increase हुआ है। और ये शहद अब दुनिया के बाजार में जाने लगा है। और सबसे बड़ी बात जिस पर हमें ध्‍यान देने की जरूरत है। आज दुनिया holistic health care की तरफ चली है। दुनिया Eco friendly life की तरफ conscious हुई है। और उसके कारण chemical wax के बजाय bee wax की मांग बढ़ रही है। हमारा ये honey bee का काम इतनी बड़ी मात्रा में bee wax को बल दे सकता है कि जिसके कारण आने वाले दिनों में हम बहुत बड़ा Global Market Capture कर सकते हैं। और हमारा किसान साइड में एक पेड़ के नीचे काम कर सकता है- पशु-पालन, fisheries, poetry, value addition ऐसी कई चीजें हैं जिसको हम एक साथ जोड़ करके किसानों के घर तक पहुंचाएंगे। मैं नहीं मानता हूं कि किसान की आय दोगुनी करने में कोई दिक्‍कत हो सकती है। किसान को ताकत मिल सकती है। प्रयास हम सबने करने होंगे और हम सब प्रयास करेंगे। तो परिणाम जरूर मिलेगा। और हमारा उस दिशा में प्रयास रहना चाहिए।

आज हमारे देश में स्‍वच्‍छ भारत अभियान का मजाक उड़ाया जा रहा है, Make in India का मजाक उड़ाया जा रहा है, जनधन योजना का मजाक उड़ाया जा रहा है, अंतरराष्‍ट्रीय योगा दिवस का मजाक उड़ाया जा रहा है, कालेधन पर हो रही कार्यवाही का मजाक उड़ाया जा रहा है, सर्जिकल स्‍ट्राइक पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

लेकिन अब आप मुझे बताइए ओबीसी कमीशन को संविधान का दर्जा मिला कौन इसका विरोध करना चाहिए कोई कारण बताइए इतने सालों से मांग थी। आपकी कोई मजबूरियां होंगी नहीं लाएं। इस सदन में हमनें इसको इस कमेटी में डालो, उस कमेटी में डालो, लटका पड़ा है। क्‍या हम इस काम को नहीं कर सकते ?

ये जब खुला विरोध करने की जब हिम्‍मत नहीं होती है, जनता जर्नाधन को फेस करने की ताकत नहीं होती है, आज जो ओबीसी समाज के अंदर जो aspirations जगे हैं, आज जो ओबीसी समाज जागरूक हुआ है, ओबीसी अपने हक के लिए मैदान में आया है। और आपकी राजनीति खुले आम बात करने की हिम्‍मत नहीं करती है इसलिए बहाने बाजी करके कर रहे हो। लेकिन इस देश का ओबीसी समाज देश को देने वालों में से है वो अगर अपना हक मांगता है तो मैं आग्रह करूंगा कि राजनीति छोड़ करके और नई-नई चीजें जोड़ने के नाम पर रोकने का प्रयास करने के बजाय इसको पारित करे। 

तीन तलाक... अगर आपको लगता है कि तीन तलाक के विषय पर आप जिस प्रकार का कानून चाहते हैं। किसने रोका था आपको 30 साल पहले मामला आपके हाथ में आया था। आपको जैसा चाहिए बनाना था करना तो था। लेकिन आपकी राजनीति... आप ही के मंत्री का भाषण था... था उसमें तीन तलाक क्‍यों जाना चाहिए। लेकिन जब चारों तरफ से आवाज उठी, राजनीति खतरे में आई वोट बैंक खतरे में पड़ गया और अचानक से उस मंत्री को भी जाना पड़ा और उस मिशन को भी जाना पड़ा। और इस‍लिए जो कारण दिए जा रहे हैं। हिन्‍दुस्‍तान के हर Criminal कानून के अंदर जहां सजा है जो logic दे रहे हैं लागू हो सकता है। कि भई उसने किसी की हत्‍या की घर का इकलौता बेटा है, 30 साल की उम्र है। अब उसको जेल जाने का कानून क्‍यों बनाया। बूढ़े मां-बाप क्‍या खाएगें। हिंदु दो शादी करे वो जेल चला जाए उसके लिए सजा हो। तब आपको विचार नहीं आया कि उसके परिवार के लोग क्‍या खाएगें। है सजा ? और इसलिए मैं नहीं मानता हूं कोई भी इसको अध्‍ययन करेगा तो उसको आश्‍चर्य होगा कि आप किस बात की बात कर रहे हो।

कभी-कभी मुझे लगता है शायद हमारे नरेश जी ने बड़ी हमदर्दी दिखाई थी कि वो चीर हरण कर रहे थे वो कहना कठिन है। लेकिन बहुत कुछ कह रहे थे। भय, जेल हम तो भुगत भोगी है, 15 साल तक क्‍या कुछ झेला है हमें मालूम है। लेकिन कानून-कानून का काम करे कि न करे और आप यहां कहें किसी के बेटे को फंसाया जा रहा है, उसको परेशान किया जा रहा है। कितना किया जा रहा है। और क्‍या मैं समझता हूं कि इस प्रकार की बातें करना कानून का उपहास कर रहे हैं कि नहीं कर रहे। कानून तय करेगा क्‍या होगा। और इसलिए मुझे जवाब कह कर मदद करो। ऐसे से हमें मदद करो।

एक कवि दुष्‍यंत कुमार की कविता के शब्‍द हैं

उनकी अपील है कि उन्‍हें हम मदद करें,

उनकी अपील है कि उन्‍हें हम मदद करें,

चाकू की पसलियों से गुंजारिश तो देखिए

महिलाओं पर अत्‍याचार, मैं नहीं मानता हूं महिला पर अत्‍याचार ये कांग्रेस, बीजेपी, ढिगनी पार्टी, फलानी पार्टी का विषय है। हो ही नहीं सकता और जो चिंता आपने जताई है वो चिंता बहुत स्‍वाभाविक है। जो आजाद साहब ने बताई है। और इसीलिए मैंने हिम्‍मत की थी लालकिले पर से कहने की...कि बेटियों के लिए तो बहुत कुछ कहा जाता है लेकिन कोई तो पूछो बेटा शाम को देर से घर क्‍यों आता है ? कोई तो पूछो बेटा शाम को कहां जाता है, किसको मिलता है? कोई तो चिंता करे कि बेटो को भी तो संस्‍कार करने की चिंता है। क्‍या हम सब एक स्‍वर से उन माताओं को झकझोर नहीं सकते, उन पिताओं को झकझोर नहीं सकते, उन शिक्षकों को नहीं झकझोर सकते कि आखिर किसी न किसी का तो बेटा है जो किसी बेटी के ऊपर अत्‍याचार कर रहा है। किसी न किसी का तो बेटा है। क्‍या हम सब एक स्‍वर में इस विषय पर समाज और आखिरकर ये सामाजिक दूषण और उसमें जितने ज्‍यादा हम मिलकर के करेगें और इसलिए मैं चाहता हूं कि हमने इन सारी चीजों में उज्जवला योजना, महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा काम, लेकिन हमनें भी ये सोचना होगा और मैं तो चाहूंगा कि सदन के माध्‍यम से देश के startup वालों से खास आग्रह करूंगा।

Clean Cooking ये हम मिशन मोड में काम देश में करना चाहिए। और हो सके तो solar आधारित नए ऐसे चूल्‍हे innovate हो ऐसे innovation हो ताकी गरीब को खाना पकाने का एक नया पैसा खर्चा न हो। और गैस ट्रांसपोटेशन के खर्चे बच जाएं। और अपने ही घर में solar की व्‍यवस्‍था हो। और आधुनिक ऐसे Innovation से चूल्‍हे बन सकते हैं। Clean Cooking ये हमारे समान्‍य जीवन के environment के लिए, महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आवश्‍यक है। और ये कोई राजनीतिक एजेंडा का कार्यक्रम नहीं है। देश हित के काम हैं। हम मिल बैठकर के इसको आगे बढ़ाए।

अब वहां चर्चा हुई कि ये स्‍वच्‍छ भारत की advertisement पर खर्चा इतना हुआ है। मैं चाहता नहीं हूं किसी को बुरा लगे ऐसी कोई बात बताने के लिए लेकिन आप सरकार में रहे हैं। आप सार्वजनिक जीवन में जीते हैं। शौचालय स्‍वच्‍छता ये विषय जितनी मात्रा में Infrastruture का issue है उससे ज्‍यादा Behavioural issue है। आदत का विषय है और इसलिए दुनिया में इस विषय का अध्‍ययन करने वाले हर किसी ने ये कहा है। आप जब सरकार में थे तब भी इसी पर फोकस था कि जब तक behavioural change नहीं आता है इसमें breakthrough नहीं होता है। अब advertisement जो है वो सरकार के कार्यक्रमों की जगमगाहट नहीं है। behavioural change के लिए छोटी-छोटी घटनाओं को लेकर के लोगों को शिक्षित करने का काम हो रहा है। और ये कहने से पहले हम ये न भूलें कि इस गरीब आदमी के पैसो से खजानें में आए हुए पैसे परिवार के कुछ लोगों के जन्‍म दिन पर अखबारों में एक-एक पेज की advertisement छपा करती थीं। कितने रूपये- देश का हिसाब लगा दीजिए। एक ही परिवार के लोगों के जन्‍म दिन के advertisement पर कितने रूपयों के खर्चे हुए चौक जाएगें और ये behavioural change के लिए है और हम सबको प्रयास करना पड़ेगा। आपकी भी जहां राज्‍य सरकारें है उनको भी आप कहिए कि behavioul change के लिए बजट allot करें। लोगों को शिक्षित करें।

आदरणीय सभापति जी हमारे राष्‍ट्रपति जी ने...

हमारे मान्‍य आजाद साहब ने बोफोर्स के मुद्दे को बड़ा विस्‍तार से कहा और क्रेडिट लेने की कोशिश की। मैं एक quote पड़ना चाहता हूं। ये quote कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री और बाद में निर्विवादित राष्‍ट्रपति श्रीमान आर वेंकटरमन जी की आत्‍मकथा का हि‍स्‍सा है। आत्‍मकथा है जब मैं राष्‍ट्रपति था - आर वेंकटरमन जी का, उन्‍होंने लिखा है- उन्‍होंने जे आर डी टाटा से मुलाकात हुई और मुलाकात का ब्‍यौरा उन्‍होंने किताब में लिखा है- लिखा है टाटा ने कहा कि तोप और दूसरे रक्षा सौदे में राजीव गांधी या उनके परिवार को लाभ हुआ हो या न हुआ हो लेकिन इसको नकारना मुश्किल होगा कि कांग्रेस पार्टी को कोई कमीशन नहीं मिला। उन्‍हें लगता था कि 1980 के बाद से ये मैं आर वेंकटरमन जी की किताब पढ़ रहा हूं मेरा कुछ नहीं है। उन्‍हें लगता था कि 1980 के बाद से उद्योगपतियों से चंदा नहीं मांगा गया है और पार्टी का खर्चा ऐसे सौदों से मिलने वाले कमीशन से चलता है।

और इसलिए ये तो आर वेंकटरमन जी थे। बड़े वरिष्‍ठ नेता रहे हैं आपके और राष्‍ट्रपति थे। यहां पर कभी परिवारवाद की बात आई तो बड़ा दुख हुआ, गुस्‍सा भी होता है बहुत स्‍वाभाविक है क्‍योंकि मैं नहीं चाहता हूं आपमें से किसी की राजनीति को चोट पहुंचे। मैं नहीं चाहूंगा। लेकिन आप ही के एक महाशय जिनका मीडिया में  रिपोर्टेड है। उन्‍होंने क्‍या कहा। sultanate gone but we behave like sultans सुल्‍तानी तो गई लेकिन हम अभी भी सुल्‍तान की तरह behave कर रहे हैं। मैं जयराम जी के खुलेपन के लिए बधाई देता हूं।

निम्‍न मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग देखिए महंगाई का सबसे बड़ा प्रभाव मध्‍यम वर्ग पर पड़ता है और पहले महंगाई कहां तक पहुंची थी वो आज सब जानते हैं। हमने कोशिश की है कि महंगाई 2 से 6 प्रतिशत के बीच नियत्रिंत रखें । अगर जिस तेजी से जिस क्रम से मंहगाई बढ़ रही है इसी क्रम से चलती तो  निम्‍न मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग का जीना कितना मुश्किल हो जाता ये आप कल्‍पना कर सकते हैं। इन कदमों से इनको सुरक्षित करने का काम मध्‍यम वर्गीय परिवारों को बचाने का काम हमने किया है। गरीब और  मध्‍यम वर्ग के परिवार अपने मकान बनाना चाहते हैं तो बैंक के ब्‍याज दर में कटौती करके उसको सब्सिडी देकर के उसको प्रोत्‍साहित करने का काम बड़ा महत्‍वपूर्ण काम इस सरकार ने किया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी उसमें नई categories हमनें निर्माण की है। और घर बनाने के लिए 9 लाख रूपये तक के कर्ज में 4 प्रतिशत की छूट दी है ये मध्‍यम वर्ग जिसका खुद का घर हो aspiratons होता है ये पूरा करने का काम हुआ है। और 12 लाख रूपये तक का मकान है तो 3 प्रतिशत ब्‍याज में रियायत देने का काम किया है। उसी प्रकार से गांव के अंदर पुराने घर है। अब परिवार बड़ा हुआ है उसको थोड़ा विस्‍तार करना है। एक कमरा बनाना है, दो कमरे बनाने हैं तो दो लाख रूपये तक कर्ज में हमने 3 प्रतिशत तक रियायत दी है। ये सारी चीजें निम्‍न मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग को अपनी aspirations को पूरा करने के लिए काम आने वाले विषय है।

उसी प्रकार Real Estate Regulating Act- RERA आज उसने जो मध्‍यम वर्ग का मानवी मकान बनाने में जो चिंतित रहता था। एक सुरक्षा प्रदान की गई है। हमनें कई उसमें नियम किए जिसका लाभ सामान्‍य मानवी को हमने consumer protection act और उसमें consumer empowerment पर भी बल दिया है।

लोगों को सस्‍ती दवा मिले, भारतीय जन औषधि और 800 से ज्‍यादा दवाईय बहुत सस्‍ते में दी है और आपने देखा होगा, जो लोग उन दवाईयों से उनका अनुभव कर रहे हैं उनको लगता है कि उनका 60-70 प्रतिशत खर्चा कम हुआ है। knee Implants  नए आपरेशन करवाने हैं खर्चा कम किया। stent का खर्चा कम किया। dialysis.. हमारे देश में इन दिनों किडनी की समस्‍या इतनी उजागर हुई। लेकिन हमारे यहां routine व्यवस्था में dialysis के लिए या तो district headquarter में या तो बड़े शहर में जाना पड़ता था। हमनें एक मिशन बोर्ड में काम किया। करीब 500 से अधिक जिलों में बहुत ही nominal charge से ये dialysis का movement  चला है अब तक वहां पहुंचे है और अब तक कि मेरी जानकारी है करीब 22 लाख्‍ से ज्‍यादा dialysis का session हुआ है। ये सारे मानवता की दृष्टि से करने वाले काम हैं। जिसको हमनें बल दिया है।

LED बल्‍ब के कारण क्‍या लाभ हुंआ है वो आप भली भांति जान रहे हैं। हजारों करोड़ रूपये मध्‍यम वर्ग की जेब में बच रहे हैं। करीब-करीब 15-15 हजार करोड़ रूपया बढ़ रहा है।

एक विषय राष्‍ट्रपति जी ने अपने भाषण में कहा है। और मेरा उस विषय में मत है कि कोई सरकार का काम नहीं है। और न ही ये किसी दल का काम है। देश की जिनकी चिंता है ऐसे सब लोगों का काम है। और इस सदन में बैठे हुए हर किसी का काम है। और सबका बराबर काम है। और विषय राष्‍ट्रपति जी ने स्‍पष्‍ट किया। पहले प्रणव दा जब राष्‍ट्रपति थे तब उन्‍होंने भी उल्‍लेख किया था। अब पहले भी कई लोगों ने इस विषय पर अपने विचार रखे हैं और वो है लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ करवाना। ये ठीक है राज्‍य सभा में जो आते हैं उनको ये चुनाव की आपाधापी क्‍या होती है, जो लोकसभा और राज्‍यसभा दोनों करके आए उनको पता है। कुछ लोग पराजित होकर के बाद में राज्‍य सभा में पहुंचते हैं उनको भी अनुभव है कि क्‍या कठिनाई रहती है। लेकिन कभी सोचना होगा कि एक स्‍वस्‍थ परंपरा क्‍योंकि भारत का लोकतंत्र काफी mature हुआ है। हम सब हिम्‍मत करके  स्‍वस्‍थ परंपरा की दिशा में हम जा सकते हैं क्‍या? और मैं चाहता हूं कि 1967 तक ये चला है। लोकसभा विधानसभा साथ हुए लगभग 1967 तक ये चला है। उसमें एक आध दो अपवाद हो सकते हैं लेकिन चला है। और उस समय कोई किसी को तकलीफ हुई नहीं। लेकिन बाद में किसी न किसी राजनीतिक कारणों से असं‍तुलन पैदा हुआ और आज हम देखते है एक चुनाव आया पूरा हुआ तो दूसरे की तैयारी हो जाती है दूसरा पूरा तीसरा। और उसका दबाव केंद्र सरकार पर राज्‍य सरकार पर रहता है। Federal infrastructure की एक सुखद atmosphere होना चाहिए। चुनाव के चार छ: महीने हम समझ सकते है तू-तू, मैं-मैं चल जाए। लेकिन चार साढे चार साल तो कम से कम हम मिल बैठकर के देश के लिए काम कर सके। हमारी पूरी शक्ति काम में लगे। उस दिशा में हमें काम करना चाहिए। और मैं चाहता हूं कि उस दिशा में एक व्‍यापक चर्चा हो। और आप देखेगें अब जब लोकसभा का चुनाव होगा। तो चार राज्‍य उसके साथ हैं। आंध्र, तेलगांना, अरूणाचल और उड़ीसा। कठिनाईया क्‍या है वो हम भली-भांति जानते है। 2009 में करीब-करीब 1 हजार करोड़ रूपया खर्चा हुआ लोकसभा के चुनाव में। 2014 में ये करीब-करीब 4 हजार करोड़ पहुंच गया। एक हजार से चार हजार। इतना ही नहीं 2014 के बाद जो assembly के चुनाव होते हैं उसमें अब तक करीब-करीब 3 हजार करोड़ खर्चा हुआ है।

अब ये हम कल्‍पना कर सकते हैं। भारत जैसा देश जहां गरीबों के लिए बहुत कुछ पहुंचाना हमारी जिम्‍मेवारी है। और हम चुनावों के अंदर हमारे यहां 1 करोड़ से ज्‍यादा लोग 9 लाख 30 हजार पोलिंग स्‍टेशनों पर उनकी डयूटी लगती है। बहुत मात्रा में security forces चुनाव प्रबंधन में ही लगे रहते हैं। security के मसले नई-नई challenge उभरती चली जाती है। और हमारा force बस उसी काम में लगा रहता है। ये पक्षा-पक्षी से परे का विषय है। देश हित के विषय में हो सकता है इसमें मतभेद भी हो लेकिन तर्क की चर्चा तू-तू मैं-मैं से न हो। एक प्रमाणिक पवित्रता से हम बहस करें। मिल बैठकर के कोई रास्‍ते खोजें। और मुझे लगता है हम इसको आगे बढ़ाने में सफल हो सकते हैं। हमनें ऐसे बहुत ऐसे निर्णय किए हैं जो बहुत दुनिया के देशों को अजूबा लगता है। इतनी पार्टियां और ऐसा निर्णय हो सकता है। लेकिन यही सदन में बैठे हुए लोगों ने भूतकाल में किए हैं। श्रेष्‍ठ निर्णय किए हैं। आने वाली पीढि़यों को लाभ करने वाले निर्णय किए हैं। मैं समझता हूं फिर एक बार दोनों सदन में बैठे हुए सभी महानुभव के सामने एक बड़ा सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ है कि हम इसको करें।

मान्‍य सभापति जी कई विषयों पर सभी महानुभावो ने कई विषय कहे हैं। राष्‍ट्रपति जी का अभिभाषण अपने-आप में एक पूर्ण अभिभाषण है। दिशा क्‍या है, गति क्‍या है, इरादें क्‍या है और सामान्‍य मानवी के हितों की दिशा में हम कैसे आगे बढ़ रहे हैं उसका एक जितनी समय सीमा रहती है उसका खाता रख सकते हैं। वो रखने का उन्‍होंने प्रयास किया है। हम सब सर्वसम्‍मति से आदरणीय राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण को स्‍वीकृति दें। और धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पारित करें। इसी एक अपेक्षा के साथ मेरा समर्थन देते हुए मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Minister Shri Narendra Modi participates in ‘Odisha Parba 2024’ celebrations
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

The Prime Minister Shri Narendra Modi participated in the ‘Odisha Parba 2024’ celebrations today at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. Addressing the gathering on the occasion, he greeted all the brothers and sisters of Odisha who were present at the event. He remarked that this year marked the centenary of the death anniversary of Swabhav Kavi Gangadhar Meher and paid tributes to him. He also paid tributes to Bhakta Dasia Bhauri, Bhakta Salabega and the writer of Oriya Bhagavatha, Shri Jagannath Das on the occasion.

“Odisha has always been the abode of Saints and Scholars”, said Shri Modi. He remarked that the saints and scholars have played a great role in nourishing the cultural richness by ensuring the great literature like Saral Mahabharat, Odiya Bhagawat have reached the common people at their doorsteps. He added that there is extensive literature related to Mahaprabhu Jagannath in Oriya language. Remembering a saga of Mahaprabhu Jagannatha, the Prime Minister said that Lord Jagannath led the war from the forefront and praised the Lord’s simplicity that he had partaken the curd from the hands of a devotee named Manika Gaudini while entering the battlefield. He added that there were a lot of lessons from the above saga, Shri Modi said one of the important lessons was that if we work with good intentions then God himself leads that work. He further added that God was always with us and we should never feel that we are alone in any dire situation.

Reciting a line of Odisha poet Bhim Bhoi that no matter how much pain one has to suffer, the world must be saved, the Prime Minister said that this has been the culture of Odisha. Shri Modi remarked that Puri Dham strengthened the feeling of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat'. He added that the brave sons of Odisha also showed direction to the country by taking part in the freedom struggle. He said that we can never repay the debt of the martyrs of Paika Kranti. Shri Modi remarked that it was the good fortune of the government that it had the opportunity to issue a commemorative postage stamp and coin on Paika Kranti.

Reiterating that the entire country was remembering the contribution of Utkal Kesari Hare Krishna Mehtab ji at this time, Shri Modi said that the Government was celebrating his 125th birth anniversary on a large scale. The Prime Minister also touched upon the able leadership Odisha has given to the country from the past till now. He added that Draupadi Murmu ji, hailing from a tribal community, was the President of India. And it was a matter of great pride for all of us. He further added that it was due to her inspiration, schemes worth thousands of crores of rupees for tribal welfare were implemented in India today and these schemes were benefiting the tribal society not only of Odisha but of the entire India.

Remarking that Odisha is the land of women power and its strength in the form of Mata Subhadra, the Prime Minister said that Odisha will progress only when the women of Odisha progress. He added that he had the great opportunity to launch the Subhadra Yojana for my mothers and sisters of Odisha a few days back which will benefit the women of Odisha.

Shri Modi highlighted the contribution of Odisha in giving a new dimension to India's maritime power. He noted that the Bali Jatra was concluded yesterday in Odisha, which was organised in a grand manner on the banks of the Mahanadi in Cuttack on the day of Kartik Purnima. Further, Shri Modi remarked that Bali Jatra was a symbol of India's maritime power. Lauding the courage of the sailors of the past, the Prime Minister said that they were brave enough to sail and cross the seas despite the absence of modern technology like today. He added that the traders used to travel by ships to places like Bali, Sumatra, Java in Indonesia, which helped promote trade and enhance the reach of culture to various places. Shri Modi emphasised that today Odisha's maritime power had an important role in the achievement of a developed India's resolve.

The Prime Minister underlined that today there is hope for a new future for Odisha after continuous efforts for 10 years to take Odisha to new heights. Thanking the people of Odisha for their unprecedented blessings, Shri Modi said that this had given new courage to this hope and the Government had big dreams and had set big goals. Noting that Odisha will be celebrating the centenary year of statehood in 2036, he said that the Government’s endeavour was to make Odisha one of the strong, prosperous and fast-growing states of the country.

Noting that there was a time when the eastern part of India including states like Odisha were considered backward, Shri Modi said that he considered the eastern part of India to be the growth engine of the country's development. Therefore, he added that the Government has made the development of eastern India a priority and today all the work related to connectivity, health, education in the entire eastern India had been expedited. Shri Modi highlighted that today Odisha was getting three times more budget than the central government used to give it 10 years ago. He added that this year, 30 percent more budget had been given for the development of Odisha as compared to last year. He assured that the Government was working at a fast pace in every sector for the holistic development of Odisha.

“Odisha has immense potential for port-based industrial development”, exclaimed the Prime Minister. Therefore, he added that trade will be promoted by developing ports at Dhamra, Gopalpur, Astaranga, Palur, and Subarnarekha. Remarking that Odisha was the mining and metal powerhouse of India, Shri Modi said that this strengthened Odisha's position in the steel, aluminium and energy sectors. He added that by focusing on these sectors, new avenues of prosperity can be opened in Odisha.

Noting that the production of cashew, jute, cotton, turmeric and oilseeds was in abundance in Odisha, Shri Modi said that the Government's effort was to ensure that these products reach the big markets and thereby benefit the farmers. He added that there was also a lot of scope for expansion in the sea-food processing industry of Odisha and Government’s effort was to make Odisha sea-food a brand that is in demand in the global market.

Emphasising that Government’s effort was to make Odisha a preferred destination for investors, the Prime Minister said that his government was committed to promoting ease of doing business in Odisha and investment was being promoted through Utkarsh Utkal. Shri Modi highlighted that as soon as the new government was formed in Odisha, an investment of Rs 45 thousand crore was approved within the first 100 days. He added that today Odisha had its own vision as well as a roadmap, which would promote investment and create new employment opportunities. He congratulated the Chief Minister Mohan Charan Manjhi ji and his team for their efforts.

Shri Modi remarked that by utilising the potential of Odisha in the right direction, it can be taken to new heights of development. Emphasising that Odisha can benefit from its strategic location, the Prime Minister said that access to domestic and international markets was easy from there. “Odisha was an important hub of trade for East and South-East Asia”, said Shri Modi and added that Odisha's importance in global value chains would further increase in the times to come. He further added that the government was also working on the goal of increasing exports from the state.

“Odisha has immense potential to promote urbanisation”, highlighted the Prime Minister and added that his Government was undertaking concrete steps in that direction. He further added that the Government was committed to build a large number of dynamic and well-connected cities. Shri Modi underscored that the Government was also creating new possibilities in the tier two cities of Odisha, especially in the districts of western Odisha where development of new infrastructure can lead to creation of new opportunities.

Touching upon the field of higher education, Shri Modi said that Odisha was a new hope for students across the country and there were many national and international institutes, which inspired the state to take the lead in the education sector. He added that these efforts were promoting the startup ecosystem in the state.

Highlighting that Odisha has always been special because of its cultural richness, Shri Modi said the art forms of Odisha fascinate everyone, be it the Odissi dance or the paintings of Odisha or the liveliness that is seen in the Pattachitras or the Saura paintings, a symbol of the tribal art. He added that one got to see the craftsmanship of Sambalpuri, Bomkai and Kotpad weavers in Odisha. The Prime Minister remarked that the more we spread and preserve the art and craftsmanship, the more the respect for Odia people would increase.

Touching upon the abundant heritage of architecture and science of Odisha, the Prime Minister remarked that the science, architecture and vastness of the ancient temples like Sun Temple of Konark, the Lingaraj and Mukteshwar amazed everyone with their exquisiteness and craftsmanship.

Noting that Odisha was a land of immense possibilities in terms of tourism, Shri Modi said there was a need to work across multiple dimensions to bring these possibilities to the ground. He added that today along with Odisha, the country also had a Government that respects Odisha's heritage and its identity. Underlining that one of the conferences of G-20 was held in Odisha last year, Shri Modi said that the Government presented the grand spectacle of the Sun Temple in front of the heads of states and diplomats of so many countries. The Prime Minister said he was pleased that all the four gates of the Mahaprabhu Jagannath Temple complex have been opened along with the Ratna Bhandar of the temple.

The Prime Minister emphasised that there was a need to undertake more innovative steps to tell the world about every identity of Odisha. He cited an example that Bali Jatra Day can be declared and celebrated to make Bali Jatra more popular and promote it on the international platform. He further added that celebrating Odissi Day for arts like Odissi dance could also be explored along with days to celebrate various tribal heritages. Shri Modi said that special events could be organised in schools and colleges, which would create awareness among people about the opportunities related to tourism and small scale industries. He added that Pravasi Bharatiya Sammelan was also going to be held in Bhubaneswar in the upcoming days and was a huge opportunity for Odisha.

Noting the rising trend of people forgetting their mother tongue and culture across the globe, Shri Modi was pleased that the Oriya community, wherever it lives, had always been very enthusiastic about its culture, its language and its festivals. He added that his recent visit to Guyana had reaffirmed how the power of mother tongue and culture kept one connected to their motherland. He added that about two hundred years ago, hundreds of labourers left India, but they took Ramcharit Manas with them and even today they are connected to the land of India. Shri Modi emphasised that by preserving our heritage, its benefits could reach everyone even when development and changes take place. He added that in the same way, Odisha can be propelled to new heights.

The Prime Minister underscored that in today's modern era, it was important to assimilate modern changes while strengthening our roots. He added that events like the Odisha Festival could become a medium for this. He further added that events like Odisha Parba should be expanded even more in the coming years and should not be limited to Delhi only. Shri Modi underlined that efforts must be undertaken to ensure that more and more people join it and the participation of schools and colleges also increases. He urged the people from other states in Delhi to participate and get to know Odisha more closely.

Concluding the address, Shri Modi expressed confidence that in the times to come, the colours of this festival would reach every nook and corner of Odisha as well as India by becoming an effective platform for public participation.

Union Minister for Railways, Information and Broadcasting, Electronics & IT, Shri Ashwini Vaishnaw and Union Minister for Education, Shri Dharmendra Pradhan, President of Odia Samaj, Shri Siddharth Pradhan were present on the occasion among others.

Background

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba was organised from 22nd to 24th November. It showcased the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains was conducted.