PM launches Saansad Adarsh Gram Yojana

Published By : Admin | October 11, 2014 | 13:17 IST
Quote"PM: This scheme will open the door for "good politics""
Quote"PM: Rural development should be demand driven, participative"
Quote"श्री मोदी ने कहा कि इससे अच्छी राजनीति के द्वार खुलेंगे"
Quote"ग्रामीण विकास मांग और भागीदारी पर आधारित होना चाहिए"

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today launched the Saansad Adarsh Gram Yojana, calling it a scheme that would open the door for good politics, and inviting all MPs to select a village to develop on a demand-driven, rather than a supply-driven model, with people`s participation. 

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The Prime Minister said that development in villages was often supply-oriented. The Saansad Adarsh Gram Yojana, would however have three distinct features - it would be (a) demand driven (b) inspired by society (c) based on people`s participation. The Prime Minister said that while democracy and politics were inseparable, damage was often caused by bad politics. This scheme would inspire a movement towards good politics, with MPs acting as facilitators and catalytic agents, the Prime Minister said.

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Addressing the gathering after releasing the guidelines for the scheme, the Prime Minister said that from independence till now, all Governments have worked for rural development. These attempts should be progressively modified with time, in tune with changes happening around the world. He said though government schemes were working across the country, in each state there were a few villages that the state could be proud of. This shows that there was something extra that the leadership and people in those villages had done, beyond government schemes. The Prime Minister said this "something extra" is the spirit behind Saansad Adarsh Gram Yojana.

(11)-684 The Prime Ministerial sought inspiration from Loknayak Jayaprakash Narain on his anniversary, saying that people`s participation in development was essential in building an Adarsh Gram. He also paid tribute to Nanaji Deshmukh, who had worked towards the concept of village self-sufficiency.

(8)-684 The Prime Minister said the Saansad Adarsh Gram Yojana will work through the leadership of Parliamentarians. He said that by 2016, one village will be developed by the MPs, and then by 2019, two more villages will be taken up. He said that if states also encouraged their legislators to take up the scheme - five to six more villages could be added in this timeframe. He said if even one village per block is developed, it has a cascading effect on other villages in that block.

(14)-684 The Prime Minister said that various government schemes often worked in isolation - and this scheme would help MPs point out the bottlenecks in these schemes, leading to an outcome-oriented approach. 

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The Prime Minister said MPs were free to pick up any village in their constituency, except their own village or their in-laws village.

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Stating that the Saansad Adarsh Gram Yojana would provide a flexible approach towards development, the Prime Minister expressed hope that the "Adarsh grams" would become places of pilgrimage for people interested in learning about rural development.

(17)-684 The Minister for Rural Development, Shri Nitin Gadkari, and the MoS for Rural Development Shri Upendra Kushwaha, also spoke on the occasion. 

Text of Prime Minister Shri Narendra Modi’s address at the launch of Saansad Adarsh Gram Yojana
मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान नितिन गडकरी जी, श्रीमान उपेंद्र जी कुशवाहा, मंचस्थ महानुभाव सभी आदरणीय सांसद महोदय और सभी देशवासी,

देश आजाद हुआ तब से अब तक ग्रामीण विकास के संदर्भ में सभी सरकारों ने अपने-अपने तरीके से प्रयास किए हैं। और ये प्रयास निरंतर चलते रहने चाहिए। समयानुकूल परिवर्तन के साथ चलते रहने चाहिए। बदलते हुए युग के अनुकूल योजनाएं बननी चाहिए, बदलते हुए विश्व की गति के अनुसार परिवर्तन की भी गति तेज होनी चाहिए और ये न रुकने वाली प्रक्रिया है। लेकिन हर बार उस प्रक्रिया को और अधिक तेज बनाने के लिए, उस प्रक्रिया में प्राण-शक्ति भरने के लिए कुछ नए Element हर बार जोड़ते रहना जरूरी होता है।

हमारे देश में हर राज्य में 5-10, 5-10 गांव जरूर ऐसे हैं कि जिसके विषय में हम गर्व कर सकते हैं। उस गांव में प्रवेश करते ही एक अलग अनुभूति होती है। अगर सरकारी योजना से ही ये गांव बनते, तो फिर तो और भी गांव बनने चाहिए थे। और नहीं बने, कुछ ही बने, इसका मतलब ये हुआ कि सरकारी योजनाओं के सिवाय भी कुछ है। सरकारी योजनाओं के सिवा जो है वो ही इस सांसद आदर्श ग्राम योजना की आत्मा है।

योजनाएं तो सभी गांव के लिए हैं। लेकिन कुछ ही गांवों ने प्रगति की क्योंकि उस गांव में कुछ लोग थे जिनकी सोच भिन्न थी। कोई नेता थे जिन्होंने एक अलग ढंग से Lead किया और उसी के कारण ये परिवर्तन आया है। ऐसा नहीं है कि हम जो सोच रहे हैं उससे भी ज्यादा अच्छे गांव नहीं हैं। उससे भी ज्यादा अच्छे गांव हैं, लोगों ने बनाए हैं। आवश्यकता ये है कि हमें अगर निर्णय की प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन लाना है तो कहीं से हमें शुरू करना चाहिए।

आज श्रद्धेय जय प्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती का पावन पर्व है। आजादी के आंदोलन में मुखर युवा शक्ति, और आजादी के बाद राजनीति से अपने आप को भिन्न रखते हुए रचनात्मक कामों में अपने आप को आहूत करते हुए, उन्होंने अपने जीवन को जिस प्रकार से जिया, हम सबके लिए प्रेरणा बने हैं। जय प्रकाश जी की एक बात.. उनके विचारों पर गांधी, विनोबा की छाया हमेशा रहती थी। लोहिया की छाया भी रहती थी। उन्होंने एक बात कही कि ग्राम धर्म एक महत्वपूर्ण बात है और जब तक एक समाज की तरह गांव सोचता नहीं है, चलता नहीं है, तो ग्राम धर्म असंभव। है और अगर ग्राम धर्म संभव है, तो ग्राम नई ऊंचाईयों को पाने का रास्‍ता अपने आप चुन सकता है।

महात्‍मा गांधी के जीवन में गांव का जिक्र हर बात में आता है। गांधी जी 1915 में विदेश से वापस आए। दो साल के भीतर-भीतर उन्‍होंने जो कुछ भी अध्‍ययन किया, वही बिहार के चंपारण में जाकर के गांव के लोगों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ना शुरू कर दिया। जन भागीदारी के साथ कर दिया। इतने बड़े आजादी के आंदोलन का बीज गांव में बोया गया था, गांधी के द्वारा। आज जयप्रकाश नारायण जी के अनन्‍य साथी श्रीमान नानाजी देशमुख की भी जन्‍म जयंति है। नानाजी देशमुख ने जयप्रकाश नारायण और उनकी श्रीमती जी प्रभा देवी, उनके नाम से चित्रकूट के पास जयप्रभा नगर के विकास के लिए अपने आप को आछूत किया था। जयप्रभा नगर के मॉडल के आधार पर उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश के कई गांवों में, गांवों के जीवन को self sufficient बनाना, इस मकसद को लेकर उन्‍होंने काम किया था।

हमारे पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल कलाम जी स्‍वयं उन गांवों का विजिट करने गए थे और उन्‍होंने बड़े विस्‍तार से अपनी बातों में उसका उल्‍लेख कई बार किया है। कहने का तात्‍पर्य यह है, कि आज हम जब आदर्श ग्राम योजना और वो भी सांसद के मार्गदर्शन में, सांसद के नेतृत्‍व में, सांसद के प्रयत्‍नों से, इसको हमें आगे बढ़ाना है। फिलहाल तो इस टर्म में Total 3 गांवों की कल्‍पना की है। 16 तक एक गांव का मॉडल खड़ा हो जाए, उसके अनुभव के आधार पर 19 तक दो और गांव हो जाए और आगे चलकर के फिर हर वर्ष एक गांव सांसद करे। करीब-करीब हम 800 सांसद है। अगर 19 के पहले हम तीन-तीन गांव करते हैं तो ढ़ाई हजार गांव तक पहुंच पाते हैं।

इसी योजना के प्रकाश में अगर राज्‍य भी विधायकों के लिए अगर कोई स्‍कीम बनाती है, और विधायक के नेतृत्‍व में आदर्श ग्राम… तो छह-सात हजार गांव और जुड़ सकते हैं। और, अगर एक ब्‍लॉक में, एक ब्‍लॉक में, एक गांव अच्‍छा बन जाता है तो बात वहां रूकती नहीं है। अगल-बगल के गांवों को भी हवा लगती है, वहां भी चर्चा होती है कि भई देखो वहां यह हुआ, हम भी कर सकते हैं। यहां ये प्रयोग हुआ, हम भी कर सकते हैं। इसका viral effect शुरू हो सकता है। इसलिए सबसे महत्‍वपूर्ण बात हम किस प्रकार से इसकी नींव रखते है।

हमारे देश में लंबे अरसे से आर्थिक क्षेत्र में चर्चा करने वाले, विकास के क्षेत्र में चर्चा करने वाले, एक बहस लगातार चल रही है। और वह चर्चा है कि भई विकास का model top-to-bottom हो कि bottom-to-top हो? यह चर्चा हो रही है। अब चर्चा करने वालों का काम… चर्चा करनी भी चाहिए। उसमें से नई-नई चीजें निकलती हैं। लेकिन काम वालों का काम है – कि चलो भाई, हम कहीं से शुरू तो करें। तो top-to-bottom जाना है कि bottom-to-top जाना है, वह चर्चा जहां होती है, होती रहे। देखिए हम तो कम से कम bottom में बैठकर के एक गांव को देखें तो सही।

इसका सबसे बड़ा लाभ यह होने वाला है, जिसका अंदाजा बहुत कम लोगों को है। आज सांसद अपने क्षेत्र के विकास के लिए, अपने क्षेत्र की जन समस्‍याओं के लिए जुटा रहता है, किसी भी दल का क्‍यों न हो, वह accountable होता है, उसे काम करते रहना पड़ता है। हर पल उसको जनता के बीच रहना पड़ता है। लेकिन ज्‍यादातर उसकी शक्ति और समय तत्‍कालीन समस्‍याओं को सुलझाने में जाता है। दूसरा, उसका शक्ति और समय सरकार से काम निकलवाने के लिए अफसरों के पीछे लगता है। मैं आज एकदम से इन स्थितियों को बदल पाऊंगा या नहीं, कह नहीं रहा। लेकिन इस प्रयोग के कारण… MPLADS fund होता है, उसमें भी होता क्‍या है? उसको, इलाके के लोग कहते हैं, मुझे यह चाहिए, यह चाहिए। फिर वो बांट देता है। सरकारी अफसर को दे देता है, देखों भाई ज्‍यादा से ज्‍यादा गांव खुश हो जाए ऐसा कर लेना जरा। छोटी-छोटी स्कीम… आखिरकार होता यही है।

ये काम ऐसा है कि जहां आज उसको एक Focussed activity के द्वारा ये लगने लगेगा कि, हां भई, उस गांव के साथ आने वाले दशकों तक उसका नाम जुड़ने वाला है। वो गांव हमेशा याद करेगा कि, भई, पहले तो हमारा गांव ऐसा था लेकिन हमारे एक MP बने थे, उनके रहते हुए ये बदलाव आ गया।

आज सरकारी योजनाएं बहुत सारी हैं। टुकड़ों में शायद एक सांसद उन योजनाओं से संपर्क में आता है लेकिन सभी योजनाओं की धाराएं एक जगह पर ले जाने में कठिनाइयां क्या हैं? कमियां क्‍या हैं? और अच्छा बनाने का रास्ता क्या है? ये सारी बातें, जब एक सांसद एक गांव को लेकर चर्चा शुरू करेगा, तो सरकारी व्यवस्थाओं की बहुत सी कमियां उजागर होने वाली हैं।

ये मैंने छोटा Risk नहीं लिया है। लेकिन बहुत समझदारी, जानकारी और अनुभव के आधार पर मैं कहता हूं - एक बार सांसद जब उसमें जुड़ेगा, सारी कमियां उभरकर के सामने आएगीं। और फिर जाकर के व्यवस्था में परिवर्तन शुरू होगा। फिर सबको लगेगा, “हां देखो यार! उस गांव में हमने इतना बदल किया तो सब जगह पर हम कर सकते हैं।“ आज होता क्या है, एक गांव में एक योजना होती है, टंकी एक जगह पर बन जाएगी, पानी का ट्यूबवैल दूसरी जगह पर होगा। जहां टंकी वहां ट्यूबवैल नहीं, जहां ट्यूबवैल है वहां टंकी नहीं। खर्चा हुआ? हुआ! Output हुआ? हुआ! Outcome हुआ? नहीं हुआ! इसलिए, Outcome पर Focus देने के लिए एक बार सांसद, गांव के जीवन की सभी बातों से वो जुड़ने वाला है।

इसमें इतनी Flexibility है, इस कार्यक्रम में, कि वो अपनी मर्जी से कोई गांव चुन ले। हो सके तो तीन हजार, पांच हजार की बस्ती में हो लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कहीं 2800-2600 हैं तो लेना नहीं। और कहीं 5200 हो गए तो हाथ मत लगाओ। यह Flexible है लेकिन मोटा-मोटा अंदाज रहे कि तीन हजार-पांच हजार की बस्ती रहे तो एक व्यवस्था गढ़ी जाए। जहां पहाड़ी इलाके हैं, Tribal इलाके हैं वहां इतने बड़े गांव नहीं होते, तो वहां एक हजार और तीन हजार के बीच की संख्या हो।

सिर्फ एक शर्त रखी है मैंने, वो शर्त ये रखी है कि ये उसका अपना गांव नहीं होना चाहिए। या अपना सुसराल नहीं होना चाहिए। इसके सिवाए वो कोई भी गांव Select कर ले। वहां के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकर के करे। मुझे भी बनारस के लिए गांव अभी Select करना बाकी है। आज एक Guidelines आ गई हैं। मैं भी बनारस जाऊंगा, बात करूंगा और सबका मन बनाकर के मैं भी एक गांव Select करूंगा।

ये पूरी योजना.. आजकल हमारी एक सबसे बड़ी समस्या ये रही है कि हमारा विकास का मॉडल Supply-driven रहा है। दिल्ली में या लखनऊ में या गांधीनगर में योजना बन गई। फिर वही Inject करने का प्रयास होता है। हम इस आदर्श ग्राम के द्वारा Supply-driven से Shift करके Demand-driven बनाना चाहते हैं। गांव में urge पैदा हो। गांव कहे कि हां, ये करना है। अब ये चीज ऐसी नहीं, गांव में एक Bridge बना देना है या गांव के अंदर एक बुहत बड़ा तालाब बना देना है। इस प्रकार का नहीं है।

हमारी आज के स्थितियों में बदलाव लाया जा सकता है कि नहीं लाया जा सकता है। अब कोई मुझे बताए, गांव के स्कूल हों, गांव का पंचायत घर हो, गांव का कोई मंदिर हो, गांव का कोई और तीर्थ क्षेत्र हो, पूजाघर हो - कम से कम वहां सफाई हो। अब इसके लिए बजट लगता है क्या? लेकिन मैं खुद गांवों में जाता था।

मेरा ये भाग्य रहा है कि शायद, शायद राजनीतिक जीवन में काम करने वालों में बहुत कम लोगों को ये सौभाग्य मिला होगा, जो मुझे मिला है। मैंने 45 साल तक भ्रमण किया है। मैं 400 से अधिक गांवों में… Sorry, 400 से अधिक जिलों में… मुझे हिंदुस्तान में रात्रि मुकाम का अवसर मिला है। इसलिए मुझे, मुझे धरती की सच्चाई का पता है। गुजरात के बाहर कम से कम 5000 से अधिक गांव ऐसे होंगे, जहां कभी न कभी मेरा जाना हुआ होगा। और इसलिए मैं स्‍व-अनुभव से इन चीजों को जानता हूं, समझता हूं। और उसके आधार पर मैं कहता हूं कि हम एक बार गांव में विश्‍वास पैदा करें। गांव को तय करवायें कि हां, ये करना है।

अब मुझे बताइए, किसी गावं में, 3000-5000 की बस्‍ती हो, एक साल में डिलीवरी कितनी होती है। Maximum 100। उसमें 50-60 महिलाएं ऐसी होंगी, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्‍छी होगी। 25-30 महिलाएं ऐसी होगी, जिनको इस गर्भावस्‍था में, अगर पोषण की व्‍यवस्‍था गांव कर दे, तो कभी भी कुपोषित बच्‍चा पैदा होने की संभावना नहीं है। माता के मरने की संभावना नहीं है।

अगर यही काम भारत सरकार को करना है तो Cabinet का note बनेगा, Department का Comment आएगा, Cabinet पास करेगी, Tender निकलेगा, Tender निकलने के बाद क्‍या होगा, सबको मालूम है। फिर छह महीने के बाद अखबार में खबर आएगी कि ये हुआ। इसमें न Tender लगेगा न बजट लगेगा, न कोई Cabinet की जरूरत पड़ेगी, न मंत्री की जरूरत पड़ेगी। गांव के लोग मिलके तय करेंगे कि हर वर्ष 25 महिलाएं अगर गर्भावस्‍था है, गरीब है तो उनको तीन महीने-चार महीने Extra Nutritional food के लिए हम गांव के लोग मिलकर के काम करेंगे।

मैं बताता हूं, यह काम आसान है साथियों। हमें मिजाज बदलने की आवश्‍यकता है। हमें जन-मन को जोड़ने की आवश्‍यकता है। और सांसद महोदय भी, यूं Political Activity करते होंगे, लेकिन उस गांव में जब जाएंगे, तो No Political Activity। पारिवारिक संबंध, पूरा परिवार जाए, बैठे, गांव के लोगों के साथ बैठे। आप देखिए, चेतना आएगी, गांव जुड़ जाएगा। समस्‍याओं का समाधान हो जाएगा।

हमारे यहां सरकार की योजना से मध्‍याह्न भोजन चलता है। अच्‍छी बात है, चलाना भी चाहिए। लेकिन गांव में भी 80-100 परिवार ऐसे होते हैं जो अपना जन्‍मदिन, अपने पिताजी की पुण्‍यतिथि, कुछ-न-कुछ मनाते हैं। अगर थोड़ा उनसे संपर्क कर कहा जाए कि आप भले मनाते हो, लेकिन आपको जीवन का अच्‍छा प्रसंग हो तो आप परिवार के साथ स्‍कूल में आइए। घर से कुछ मिठाई-विठाई लेकर के आइए। और बच्‍चे जब मध्‍याह्न भोजन करते हैं, आप भी उनके साथ बैठिए, आप भी अपना कुछ साथ बांटिए। मुझे बताइए, Social Harmony का कितना बढि़या Movement चल सकता है। At the same time, मध्‍याह्न भोजन की Quality में change लाने के लिए यह Input काम में आ सकता है कि नहीं आ सकता है? कोई बहुत बड़े circular की जरूरत नहीं पड़ती है। बहुत बड़ी योजना की जरूरत नहीं पड़ती। ये तिथि भोजन का कार्यक्रम हम आगे बढ़ा सकते हैं कि नहीं बढ़ा सकते हैं?

गांवों में सरकार की योजना है, गोबर गैस के प्‍लांट लगाने की। होता क्‍या है, हम सबको मालूम है। कोई बेचारा एक-आध व्‍यक्ति लगा देता है, पैसे हैं, सरकारी पैसा लाने की ताकत है, लगा देता है, लेकिन गोबर नहीं मिलता है। फिर साल, दो साल में वो स्‍मारक बन जाता है। अब ये स्‍मारक बनाना, कितना बनाते रहोगे आप? लेकिन अगर मान लीजिए, गांव की ही गोबर बैंक बना दी जाए। एक जगह पर, गांव में जितना गोबर हो, जिस तरह बैंक रुपया जमा करते है, गोबर बैंक में गोबर जमा करा दें, उसका एक common Gas Plant बने। पूरे गांव में Gas supply हो, धुएं से चूल्‍हें में काम करते-करते हमारी माताएं-बहनें परेशानी झेलती हैं, बिना खर्च के संभावना है कि नहीं है? पूरी संभावना मैं देख रहा हूं। और जो गोबर जमा करे, जब खेती का मौसम आए तो उतना ही गोबर उसे वापस दे दिया जाए Fertilizer के रूप में। गांव की गंदगी जाएगी। Fertilizer मिल जाएगा। Gas मिल जाएगा। और पूरा गांव साफ-सुथरा होने के कारण जो Health Parameter में सुधार आएगा, वह Extra Benefit है। मेरा कहने का तात्पर्य ये है, कि हम खुद Interest लेकर के गांव में एक माहौल बनाएं।

मैं कभी सोचता हूं, कि गांव के लोग अपने गांव के प्रति गर्व करें, ऐसा माहौल हम बनाते हैं क्या? जब तक हम ये पैदा नहीं करेंगे, बदलाव नहीं आएगा जी। ये बहुत आवश्यक होता है। गांव का अपना भी तो जन्मदिन होता है। उसको एक उत्सव के रूप में गांववाले क्यों न मनाएं? उस गांव के लोग पढ़े-लिखे जितने शहरों में गए हैं उस दिन खास गांव में क्यों न आएं? सब मिलकर के आएंगे तो सोचेंगे, “यार अपने गांव में ये नहीं है, चलो मिलकर के ये कर दें। ये गांव में ये कर दें, ये कर दें।“ ये जब तक हमारा मिजाज नहीं बने… और मैं मानता हूं, आदर्श ग्राम योजना के मूल में सरकारी योजनाएं पहले भी थीं, परिवर्तन नहीं आया है। जो कमी थी उसको भरने के लिए ये “एक” प्रयोग है। यही एक Ultimate है, ये अगर मैं सोचूंगा, तो मैं मुनष्य की बुद्धि शक्ति पर ही भरोसा नहीं करता हूं, ये अर्थ होता है। कोई पूर्ण सोच नहीं होती है। हर सोच पूर्णतया की ओर आगे बढ़ती है।

इसलिए मैं उस तत्व में विश्वास करता हूं कि कुछ भी Ultimate नहीं है। जो जब तक हुआ, अच्छा है। जो आज हो रहा है, एक कदम आगे है। आगे कोई और आएगा और अच्छा करेगा। अगर हम इसी को पूर्ण विराम मानेंगे तो काम नहीं चलता। लेकिन कहने का हमारा तात्पर्य यह है कि एक… वहां की Requirement के अनुसार, लचीलेपन के साथ सरकारी तंत्र भी हुक्म से काम न करवाए, प्रेरित करे। प्रेरित करके करवाएं। मैं विश्वास से कहता हूं, 2016 के बाद जिस सांसद ने काम किया होगा वो अपने रिश्तेदारों के लिए हमेशा उस गांव को तीर्थ क्षेत्र के रूप में बनाएगा। रिश्तेदारों को कहेगा कि चलो-चलो मैंने जो गांव बनाया है, देखने के लिए आइए। ये जो Satisfaction level है ना, वो किसी भी व्यक्ति को जीवन में समाधान देता है।

जय प्रकाश नारायण जी ने एक महत्वपूर्ण बात बताई थी। मैं समझता हूं, आज के युग में ये बहुत ही हम लोगों के लिए प्रेरक है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और राजनीति को अलग नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र का स्वभाविक स्वभाव है, राजनीति का होना। ये आवश्यक है। लेकिन गंदी राजनीति के कारण हम परेशान हैं। गंदी राजनीति के कारण बदनामी हुई। पूरे राजनीतिक क्षेत्र की बदनामी हुई है। मुद्दा ये पार्टी, वो पार्टी नहीं है। एक विश्वास के माहौल को चोट पहुंची है। तो जय प्रकाश नारायण जी ने एक अच्छी बात बताई थी। उन्होंने कहा था कि राजनीति से मुक्ति, ये मार्ग नहीं है। मार्ग ये है, गंदी राजनीति की जगह उदार और अच्छी राजनीति इतनी तेजी से आए कि उसकी जगह ले ले।

मैं मानता हूं, सांसद आदर्श ग्राम योजना एक रचनात्मक राजनीति का नया द्वार खोल रही है।

उस गांव में हमें वोट मिले या न मिले, उस गांव की कोई बिरादरी हमारा सहयोग करे या न करे, मेरी उस गांव के किसी नेता के साथ पटती हो या न पटती हो, इन सबसे परे होकर के, एक गांव के लिए.. एक गांव के लिए ये सारे बंधन, सब गांव के बाहर छोड़कर आ जाऊंगा। यहां तो गांव एक Community है, वो एक सामूहिक समाज है, एक रस समाज है, एकत्व की अनुभूति से काम करने वाला है और सपनों को पूर्ति करने के लिए मैं एक catalytic agent के रूप में, मैं एक Facilitator के रूप में, मैं उनका साथी बनकर के काम कर सकता हूं क्या।

जब 2016 में, इस अनुभव के आधार पर, जब संसद में चर्चा होगी.. मैं जानता हूं कि इस अनुभव के बाद जो सांसद Parliament में बोलेगा, अनुभव के आधार पर बोलेगा - कितनी भी असंवेदनशील सरकार होगी उसको भी उस सांसद के अनुभव को मानना पड़ेगा। कितनी भी बहुमत वाली सरकार क्यों न हो, उसको अपनी नीतियों को बदलना पड़ेगा। सांसद की बात का महात्‍म्‍य बढ़ जाने वाला है।

कोई सरकार नकार नहीं पाएगी.. कि भई तुम तो फलानी पार्टी के हो, ठीक है आलोचना कर दो। नहीं होने वाला है..क्योंकि वो कह रहा है, मैं उस गांव में गया था, मैं काम कर रहा हूं, मेरे गांव में ये दिक्कत आ रही है, आपकी सरकार की नीतियां गलत हैं, आपकी योजनाएं गलत हैं, आपको अफसरों को समझ नहीं है… वो बोलेगा!

उस बोलने में जो वजन होगा, जो ताकत होगी वो सरकार की नीतियां बदलने के लिए कारण बन जाएगी और ये देश को… Bottom-to-top वाला जो रास्ता हैं न, वो उसी से चुना जाने वाला है। Academic world में Bottom to top, Top to bottom चर्चा होती रहेगी। हम कहीं से शुरूआत करना चाहते हैं और इसलिए मैं कहता हूं Supply-Driven नहीं, Demand-Driven हम विकास को ले जा सकते हैं। सरकार के द्वारा नहीं, समाज के द्वारा विकास का रास्ता चुन सकते हैं क्या? सरकारी सहायताओं के साथ-साथ जन-भागीदारी के महत्व को बढ़ा सकते हैं क्या?

हम अभी एक आंध्र के गांव को देख रहे थे। इतने छोटे से गांव में उन्होंने 28 कमिटियां बनाई हैं। सारी कमिटियां functional हैं, ऐसा नहीं कि सिर्फ मालाएं पहनने के लिए। सारी कमिटियां Functional है और उन्‍होंने इन काम को करके दिखाया है। अगर हम ये प्रेरणा दें। और अगर आज सांसद के द्वारा, कल MLA के द्वारा, अगर हर वर्ष हम सात-आठ हजार गांवों को आगे बढ़ाते हैं, देखते-ही-देखते ऐसा Viral effect होगा कि हम पूरे ग्रामीण परिसर के विकास के Model को बदल कर रख देंगे।

हम यह समझ कर चलें कि गांव के व्‍यक्ति के aspirations भी शहर के लोगों से कम नहीं हैं। वह दुनिया देख रहा है। वह अपनी Quality of life में बदलाव चाहता है। उसको भी बच्‍चों के लिए अच्‍छी शिक्षा चाहिए। उसको भी अगर long distance education मिलता है, तो उसको चाहिए।

अब हम मानो, कहते हैं कि भाई, Drip irrigation। पानी का संकट है दुनिया में कौन इंकार करता है? हर कोई कहता है, पानी का संकट है। क्‍या मैं जिस आदर्श ग्राम को चुनूंगा, वहां पर जितने किसान होंगे, वहां का एक भी खेत ऐसा नहीं होगा, जहां पर मैं drip irrigation न लगवाऊं। सरकार की जितनी स्‍कीमें होंगी, वो लाऊंगा। बैंक वालों से बोल कर उनको Loan दिलवा दूंगा। लेकिन Drip irrigation करके मैं उनके Product को बढ़ावा दे सकता हूं क्‍या? गांव की Economy बदल जाएगी। वहां भी पशुपालन होगा। Milk productivity बढ़े, पशु की स्थिति में सुधार आए, उसका scientific development हो - मैं अफसरों को लाउंगा, समझाऊंगा, मैं खुद उनको समझाऊंगा। मैं बदलाव ला सकता हूं।

मित्रों, मैं मानता हूं ग्रामीण परिसर के जीवन को बदला जा सकता है। जो लोग शहर से MP चुनकर आए हैं - एक भी गांव नहीं है। मेरी उनसे प्रार्थना है, आप अपने शहरी क्षेत्र के नजदीक का कोई गांव है, उसकी तरफ ध्‍यान दीजिए। आप जिम्‍मा लीजिए। आप उसपे काम कीजिए। जो राज्‍यसभा के मित्र हैं, वे उस राज्‍य के अंदर, जहां से वे चुनकर आए हैं, जो भी उनको मनमर्जी पड़े गांव select कर लें, जो Nominated MPs है, वे हिंदुस्‍तान में जहां उन्‍हें ठीक लगे, कोई गांव पसंद करें। एक गांव को करें। लेकिन हम सब मिलके एक रचनात्‍मक राजनीति का द्वार खोलने का काम करेंगे और राजनीतिक छूआछूत से परे हो के काम करेंगे।

जयप्रकाश नारायण जी का, महात्‍मा गांधी का, राम मनोहर लोहिया जी का, पंडित दीन दयाल उपाध्‍याय जी का। ये ऐसी पिछली शताब्‍दी की विचार धारा का प्रतीक है, जिनकी छाया किसी न किसी राजनीतिक जीवन पर आज भी है। सबकी सब पर नहीं होगी, लेकिन किसी ना किसी की किसी पर है। उनसे प्रेरणा लेकर के हम इस काम को आगे बढ़ाये, यही मेरी आपसे अपेक्षा है।

मैंने 15 अगस्‍त को कहा था कि 11 अक्‍टूबर, जयप्रकाश जी के जन्‍म दिन पर इसकी guidelines पेश करेंगे। कुछ मित्रों में मुझे उसी शाम को Email करके, कि मैंने एक गांव Select किया है, ऐसा मुझे बताया था। और वे भाजपा के ही लोग थे, ऐसा नहीं है। भाजपा के सिवा MP ने भी, कॉंग्रेस के MPs ने भी मुझे लिखकर के दिया है। तभी मुझे लगा था कि बात में दम है। राजनीति से परे होकर के सबको इसको गले लगा रहे हैं।

लेकिन बहुत सारे… जैसे मुझे, मुझे भी अभी गांव तय करना, मेरे इलाके में अभी बाकी है। क्योंकि मैं भी चाहता था कि Guidelines तय होने के बाद मैं, मेरे बनारस के लोगों से मिलकर के, बैठकर के, वहां के अफसरों से भी मिलकर के, बैठकर के एकाध गांव Select करूंगा। आने वाले 15-20 दिन में मैं जरूर कर लूंगा। लेकिन हम मिलकर के अपने यहां विश्वास जताएं कि हम करेंगे और उनको विश्वास भेजिए, कि आप MP रहेंगे तो आगे भी और गांव होंगे। एक model बन रहा है। और फिर और गांववालों को उस model को दिखाने के लिए लाने का प्रबंध करोगे तो अपने आप में बदलाव आ जाएगा। लेकिन हम अपने प्रयत्नों से ग्राम विकास.. यह मूल मद्दा है। अपने प्रयत्नों से, अपने हुक्म से नहीं। चिट्ठी लिख दी ये बात छूटी, ये ऐसा नहीं है। ये काम, मैं एक MP के नाते सवाल पूछ लूं पूरा हो जाए, ऐसा नही है। हम मिलकर के एक गांव करेंगे।

मैं समझता हूं भारत मां की बहुत बड़ी सेवा करने का एक नया तरीका हम आजमा रहे हैं। मैं सभी सांसदों का हृदय से अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने बड़े उमंग के साथ सभी दल के महानुभावों ने इसको स्वीकार किया है, स्वागत किया है और सबके मार्गदर्शन में… यह कोई योजना Ultimate नहीं है, इसमें बहुत बदलाव आएंगे। बहुत सुधार आएंगे, बहुत Practical बातें आएंगी। लेकिन ये रुपए-पैसों वाली योजना नहीं है। यह योजना People-Driven है, People's Participation से होने वाली है और सांसद मार्गदर्शन में होने वाली है। उसको आगे बढ़ायें, इसी अपेक्षा के साथ, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

फिर एक बार जय प्रकाश जी को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

Thank you.

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PM reviews status and progress of TB Mukt Bharat Abhiyaan
May 13, 2025
QuotePM lauds recent innovations in India’s TB Elimination Strategy which enable shorter treatment, faster diagnosis and better nutrition for TB patients
QuotePM calls for strengthening Jan Bhagidari to drive a whole-of-government and whole-of-society approach towards eliminating TB
QuotePM underscores the importance of cleanliness for TB elimination
QuotePM reviews the recently concluded 100-Day TB Mukt Bharat Abhiyaan and says that it can be accelerated and scaled across the country

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired a high-level review meeting on the National TB Elimination Programme (NTEP) at his residence at 7, Lok Kalyan Marg, New Delhi earlier today.

Lauding the significant progress made in early detection and treatment of TB patients in 2024, Prime Minister called for scaling up successful strategies nationwide, reaffirming India’s commitment to eliminate TB from India.

Prime Minister reviewed the recently concluded 100-Day TB Mukt Bharat Abhiyaan covering high-focus districts wherein 12.97 crore vulnerable individuals were screened; 7.19 lakh TB cases detected, including 2.85 lakh asymptomatic TB cases. Over 1 lakh new Ni-kshay Mitras joined the effort during the campaign, which has been a model for Jan Bhagidari that can be accelerated and scaled across the country to drive a whole-of-government and whole-of-society approach.

Prime Minister stressed the need to analyse the trends of TB patients based on urban or rural areas and also based on their occupations. This will help identify groups that need early testing and treatment, especially workers in construction, mining, textile mills, and similar fields. As technology in healthcare improves, Nikshay Mitras (supporters of TB patients) should be encouraged to use technology to connect with TB patients. They can help patients understand the disease and its treatment using interactive and easy-to-use technology.

Prime Minister said that since TB is now curable with regular treatment, there should be less fear and more awareness among the public.

Prime Minister highlighted the importance of cleanliness through Jan Bhagidari as a key step in eliminating TB. He urged efforts to personally reach out to each patient to ensure they get proper treatment.

During the meeting, Prime Minister noted the encouraging findings of the WHO Global TB Report 2024, which affirmed an 18% reduction in TB incidence (from 237 to 195 per lakh population between 2015 and 2023), which is double the global pace; 21% decline in TB mortality (from 28 to 22 per lakh population) and 85% treatment coverage, reflecting the programme’s growing reach and effectiveness.

Prime Minister reviewed key infrastructure enhancements, including expansion of the TB diagnostic network to 8,540 NAAT (Nucleic Acid Amplification Testing) labs and 87 culture & drug susceptibility labs; over 26,700 X-ray units, including 500 AI-enabled handheld X-ray devices, with another 1,000 in the pipeline. The decentralization of all TB services including free screening, diagnosis, treatment and nutrition support at Ayushman Arogya Mandirs was also highlighted.

Prime Minister was apprised of introduction of several new initiatives such as AI driven hand-held X-rays for screening, shorter treatment regimen for drug resistant TB, newer indigenous molecular diagnostics, nutrition interventions and screening & early detection in congregate settings like mines, tea garden, construction sites, urban slums, etc. including nutrition initiatives; Ni-kshay Poshan Yojana DBT payments to 1.28 crore TB patients since 2018 and enhancement of the incentive to ₹1,000 in 2024. Under Ni-kshay Mitra Initiative, 29.4 lakh food baskets have been distributed by 2.55 lakh Ni-kshay Mitras.

The meeting was attended by Union Health Minister Shri Jagat Prakash Nadda, Principal Secretary to PM Dr. P. K. Mishra, Principal Secretary-2 to PM Shri Shaktikanta Das, Adviser to PM Shri Amit Khare, Health Secretary and other senior officials.