उद्योग जगत के सभी वरिष्‍ठ महानुभाव

मैं जेट्रो का आभारी हूं, निक्‍केइ का आभारी हूं, कि मुझे आज आप सबके साथ बातचीत करने का सौभाग्‍य मिला है। मैं जब यहां आ रहा था तो, ये सभी वरिष्‍ठ महानुभाव मुझे बता रहे थे और बड़े आश्‍चर्य के साथ बता रहे थे कि हमारे इतने सालों में इतना बड़ा गैदरिंग पहली बार हुआ है। मुझे कह रहे थे कि 4000 लोगों ने अप्‍लाई किया था, लेकिन हमारे पास एकोमोडेशन पूरी नहीं होने के कारण आधे लोगों को निराश करना पड़ा है। ये इस बात का संकेत है कि अब जैसे भारत ‘लुक ईस्‍ट’ पालिसी लेकर चल रहा है, वैसे जापान ‘लुक एट इंडिया’ इस मूड में आगे बढ़ रहा है।

जब वाजपेयी जी भारत के प्रधानमंत्री थे और एक्‍सीलेंसी मोरी जी यहां प्रधानमंत्री थे, तब से यह रिश्‍ता बड़ा सघन बना। मेरा भी सौभाग्‍य रहा, मैं पहले भी आया। मैंने हर बार देखा कि जापान जिस प्रकार की कार्य संस्‍कृति का आदी है, जापान जिस प्रकार के गवर्नेंस का आदी है, जापान ने जिस प्रकार से इफीशिएंसी और डिसीप्लिन को आत्‍मसात किया है, अगर उस इन्‍वायरमेंट को प्रोवाइड करते हैं तो जापान को भारत में भी अपनापन महसूस होगा।

तब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था, 2007 में, मैं यहां आया। जो बातें आप से सीखीं ,समझी, देखी, उसको मैंने भली-भांति वहां लागू किया था। 2012 में आया, मैंने दुबारा उसको और बारीकी से देखा फिर उसको लागू किया। आज परिणाम यह हुआ कि जब मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच आया हूं, तब मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं, कि आपको जापान के बाहर कहीं नजर डालनी है तो, मुझे नहीं लगता है कि अब आपको इधर-उधर देखने की जरूरत है।

अब एक ऐसी जगह है, जो आपकी चिर-परिचत है। सांस्‍कृतिक रूप से तो चिर-परिचित है, लेकिन अब अपने आप के विस्‍तार के लिए, अपने आप को ग्रो करने के लिए, आप जिस जगह की तलाश में हैं, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मैं आपको निमंत्रण देता हूं, शायद भारत से बढ़कर के आप के अनुकूल कोई जगह नहीं है। ये मैं विश्‍वास दिलाने आया हूं।

मुझे अभी सरकार में सिर्फ 100 दिन हुए हैं। एक्‍सीलेंसी मोरी जी के साथ भी मेरा संबंध बहुत पुराना है और प्रधानमंत्री आबे जी के साथ भी बहुत पुराना संबंध है। पिछले तीन दिनों में मैंने देखा है कि जापान का भारत के साथ जुड़कर के अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए बहुत सारी संभावनाएं हैं। उसमें हमारा विश्‍वास पक्‍का हो गया है। कल का हमारा ज्‍वाइंट स्‍टेटमेंट आपने देखा है। मैं समझता हूं, किसी भी जापान के उद्योगकार के लिए भारत में आकर के कार्य प्रारंभ करना, इससे बड़ा स्‍ट्रांग मैसेज कोई नहीं हो सकता है। मेरी सरकार बनने के बाद मैने एक विजन के रूप में लोगों के सामने रखा है, ‘मेक इन इंडिया’।

मैं छोटा था, तो कोई कहता था ‘मेड इन जापान’, तो हम लागों का मन करता था कि कुछ देखने की जरूरत नहीं है कि किस शहर में बना है, किस कंपनी में बना है। ले लो, ये प्रतिष्‍ठा थी। हम ‘मेक इन इंडिया’ कह रहे हैं, इसका मतलब यह है कि हम ऐसा इन्‍वायरमेंट आपको देना चाहते हैं, कि आपकी वैश्विक मांग है, जो आपके प्रोडक्‍ट की, उस वैश्विक मांग को अगर पूरा करना है तो आज जापान, जो कि हाई कॉंस्‍ट मैन्‍यूफैक्‍चरिंग की ओर चल पड़ा है, आपकी पूरी इकोनोमी हाई कॉस्‍ट एंड वाली बनती जा रही है। इसलिए आपके लिए बहुत अनिवार्य है कि लो कॉम्‍स्‍ट मैन्‍यूफैचरिंग की संभावनाएं हों। ‘ईज़ आफ बिजनेस’ का वातावरण हो। स्किल्‍ड क्‍वालिटी मैनपावर अवेलेबल हो।

तो मैं विश्‍वास से कहता, जो दस साल में मिरेकल आप जापान में रह कर के आपकी कंपनी का करते हैं, आप वो मिरेकल दो साल के भीतर-भीतर हिन्‍दुस्‍तान में कर सकते हैं। इतनी संभावनाओं का वो देश है आप विश्‍व में अपने प्रोडक्‍ट को अगर पहुंचाना चाहते हैं, और कंपीटिटिव भी मार्केट है। अगर विश्‍व में अगर प्रोडक्‍ट पहुंचाना चाहते हो तो, इट इज ए गॉड गिफ्टेड लोकेशन है, इंडिया का। हमारा बहुत ही वाइब्रेंट सी कोस्‍ट है, वहीं से आप वेस्‍टर्न पार्ट आफ दि वर्ल्‍ड, मिडिल ईस्‍ट से लेकर, आगे कहीं भी जाना है, मैं समझता हूं, इससे बढ़कर कोई सुविधा नहीं होती है।

जब सुजूकि, मारूति उद्योग के संबंध में लोग, मुझसे मिलने आते थे, तो मैंने उन्हे एक हिसाब समझाया था। मैंने कहा- आप गुड़गांवां में कार बनाते हैं और एक्‍सपोर्ट करते हैं, तो समुद्र तट पर जाने में आपकी कार को जाने में 9000 रुपए का खर्च लगता है। लेकिन समुद्र तट पर यदि आप गाड़ी बनाओगे तो हर कार पर आपका 9000 रुपए बच जाएगा। तो उन्‍होनें कहा कि मुझे तो यह व्‍यापारिक गुर किसी ने सिखाया ही नहीं और वह एक बात ऐसी थी कि उनको निर्णय करने में क्लिक कर गई।

पिछले दिनों में मैंने इतने वहां पर इतने महत्‍वपूर्ण निर्णय किये, जैसे – डिफेंस के सेक्‍टर में। एक समय था, मेरे यहां इतने सारे रिस्‍ट्रीक्‍शंस थे, डिफेंस इक्विपमेंट मैन्यूफैक्‍चरिंग में, यदि डिफेंस के लिए एक मुझे ट्रक चाहिए तो वो भी डिफेंस के रूल्‍स एवं रेगुलेशन के रिस्ट्रिक्‍शंस में पड़े हुए थे। हमने इन 100 दिन के अंदर-अंदर करीब-करीब 55 प्रतिशत ऐसी चीजों को उस सारी कानूनी व्‍यवस्‍था से बाहर निकाल दिया। हमने कहा कि आइए, ये सब आप जैसे सामान्यत: कोई भी चीज आप प्रोड्यूस करते हैं, आप कर सकते हैं और डिफेंस उसका परचेज करेगा। हमारा बहुत बड़ा मार्केट विदिन इंडिया है। डिफेंस मैन्‍यूफैक्‍चरिग सेक्‍टर में अगर आप आते हैं, तो मुझे विश्‍वास है कि आप न सिर्फ भारत की आवश्‍यकताएं, बल्कि विश्‍व के अनेक छोटे-छोटे देश हैं, जिनकी रिक्‍वायरमेंट को पूरा करने का, ऐसी मैन्‍यूफैक्‍चरिंग का काम आप हिंदुस्‍तान की धरती पर कर सकते हैं।

आपको जानकर के हैरानी होगी, भारत की पहचान साफ्टवेयर में है। हमारे टैलेंट, हमारे नौजवान साफ्टवेयर के क्षेत्र में बहुत बड़ी पहचान बनायी है। आपने हार्डवेयर में अपनी ताकत बनायी है। लेकिन साफ्टवेयर हार्डवेयर के बिना अधूरा है। हार्डवेयर साफ्टवेयर के बिना अधूरा है। भारत जापान के बिना अधूरा है, जापान भारत के बिना अधूरा है।

अगर हार्डवेयर इंडस्‍ट्री, भारत आपको निमंत्रण देता है। भारत के टैलेंट का साफ्टवेयर, आपकी बुद्धिमानी और मेहनत और बिजनेस एक्‍सीलेंस के कारण तैयार हुआ हार्डवेयर। अगर ये मेलजोल हो जाए, आप विश्‍व के अंदर बहुत बड़ा मिरेकल कर सकते हैं। मैंने देखा है कि स्‍मॉल स्‍केल इंडस्‍ट्रीज का एक बड़ा नेटवर्क ऐसा है, कि जो हार्डवेयर की दिशा में काम कर रहा है।

आज भारत का अपना इंपोर्ट इतना है। हमारा आज सबसे बड़ा इंपोर्ट पेट्रोलियम और आयल सेक्‍टर का है। हमारा एक अनुमान है कि 2020 में हमारा सबसे ज्‍यादा इंपोर्ट इलेक्‍ट्रानिक्‍स गुड्स का होने वाला है। आप कल्‍पना कर सकते हैं, कितना बड़ा मार्केट है। जापान का व्‍यापारी इंतजार करेगा क्‍य ? इतना बड़ा मार्केट आपका इंतजार कर रहा है। अगर आपका वहां लो कॉस्‍ट मैन्‍यूफैक्‍चरिंग होता है, आपको इफिशिएंट गवर्नेंस की अनुभूति होती है। मैं विश्‍वास से कहता हूं कि आपकी स्थिति बदल जाएगी।

आमतौर पर भारत की पहचान यह बन जाती है कि छोड़ो यार, वहां रेड टैप है। पता नहीं सरकारी कारोबार में कब गाड़ी चलेगी। मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं, आज भारत में रेड टैप नहीं, रेड कार्पेट है और रेड कार्पेट आपका इंतजार कर रही है।

हमने ईज़ आफ बिजनेस के लिए इतने सारे नए रेगुलेशन्‍स को लिबरल कर दिया है। शायद विश्‍व में इतनी तेज गति से लिबरलाइज मूड में, सारे हमारे पुराने रूल्‍स और रेगुलेशन्‍स में परिवर्तन लाने का किसी एक सरकार ने काम किया हो तो आज हिंदुस्‍तान की सरकार है। आखिरकार व्‍यापारी को, उद्योगकार को, इंवेस्‍टर को एक सिक्‍युरिटी चाहिए। उसको प्रोपरली ग्रो करने के लिए एक इन्‍वायरामेंट चाहिए।

आज भारत, किसी को भी आकर के ग्रो करने के लिए प्रोपर इन्‍वायरामेंट के लिए, बहुत तेज गति से आगे चल रहा है। जहां तक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का सवाल है, अब कभी, जो भी आज भारत में हमारे साथ काम करते हैं, और जिन्‍होंने गुजरात में मेरे साथ काम किया है, कई उद्योगकार हैं, जिन्‍होंने मेरे साथ काम किया है। जिस गति से हम इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को प्रोवाइड करने के लिए व्‍यवस्‍थाएं करते हैं, जिस गति से हम निर्णय करते हैं। मैं नहीं मानता हूं कि आज किसी भी उद्योगकार को उसके लिए कठिनाई हो सकती है।

आप कल्‍पना कर सकते हैं, हिंदुस्‍तान के आज 50 से अधिक छोटे शहर ऐसे हैं, जो मेट्रो रेल के लिए कतार में खड़े हैं। 50 शहरों में मेट्रो ट्रेन लगना, यानी इस फील्‍ड में काम करने वाले लोगों के लिए किसी एक देश में इतना बड़ा बिजनेस कभी सोचा है आपने ? इतना बड़ा बिजनेस अ‍बेलेबल है। आप कितना सारा काम वहां पर कर सकते हैं। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, और खास करके हम एस एम ईज को पोत्‍साहन देना चाहते हैं। स्‍मॉल स्‍केल इंडस्‍ट्रीज को हम इंवाइट करना चाहते हैं। ताकि जॉब क्रिएशन भी हो, मास स्‍केल पर प्रोडक्‍शन भी हो और एक ऐसी हेल्‍दी कंपीटिशन हो, जिसके कारण क्‍वालिटी प्रोडक्‍शन पर बल मिले। इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करने आया हूं कि आप आइए। और कल भी मैंने एक जगह कहा था, 21वीं सदी एशिया की सदी है। मतलब क्‍या है ? इसका मतलब ये है कि विश्‍व की आर्थिक गतिविधि का केंद्र ये बनने वाला है।

विश्‍व की आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनने वाला है तो कहां बनेगा ? मैं देख रहा हूं, आज विश्‍व के लोगों को तीन बातों के लिए शायद कोई एक जगह पर ऑपरच्‍युनिटी हो, वैसी विश्‍व में कोई जगह नहीं है। एक स्‍थान पर तीन ऑपरच्‍युनिटी, एक – डेमोक्रेसी, दूसरा – डेमोग्राफी, तीसरा – डिमांड। ये एक ही जगह ऐसी है, जहां डेमोक्रेसी है, जहां पर डिमांड है और जहां पर 65 प्रतिशत पोपुलेशन बिलो 35 एज ग्रुप की है, डेमोग्राफिक डिवीजन। तीनों जगह एक स्‍थान पर हो, वैसी विश्‍व में एक भी जगह नहीं नहीं है और डेमोक्रेसी सेफ्टी, सिक्‍योरिटी एंड जस्टिस की गारंटी देती है।

आखिरकर बाहर के व्‍यक्ति को ये चीजें चाहिए, जो हम प्रोवाइड करते हैं। उसी प्रकार से, किसी भी उद्योगकार को, मैन्‍यूफैचरर को यंग ब्रेन चाहिए, यंग माइंड चाहिए, यंग पोपुलेशन चाहिए। उत्‍साह-उमंग से भरी हुई जवानी, अगर उसके हाथ में स्किल हो तो मिरेकल कर देती है। भारत आज विश्‍व का सबसे युवा देश है। और डिमांड, आप कल्‍पना कर सकते हैं, सवा सौ करोड़ देशवासी कितना बड़ा मार्केट है। अकेले हिंदुस्‍तान के मार्केट को आप सर्व करें तो भी आज जहां है, वहां से अनेक गुना आपकी कंपनी ग्रो कर जाएगी। एक ऐसी सरकार आई है जो विकास के मुद्दे पर काम कर रही है। मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सैक्‍टर को हम बढ़ावा देना चाहते हैं।

हमारे 100 दिन का रिकॉर्ड देखिए आप। सिर्फ 100 दिन में हमारा जो जीडीपी था, 4.4 - 4.5 - 4.6 पर लुढ़क रहा था। पिछले ढ़ाई-तीन साल में जो हमने अचीव नहीं किया था, वह 100 दिन में कर दिया और 5.7 प्रतिशत का जीडीपी अचीव कर लिया। यह बताता है कि हमारी जो निर्णय हैं, हमारी जो पालिसीज हैं, ‘ईज़ आफ बिजनेस’ की हमारी जो सोच है, उसके कारण ये परिणाम मिल रहे हैं। इसलिए मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि आप आइए, हम सब मिल करके एशिया की पीस और प्रोग्रेस की गारंटी के लिए, जापान और भारत को कंधे से कंधा मिला कर के जितना आगे बढ़ने की जरूरत है। उसी प्रकार से हमने एशिया की समृधि के लिए, भारत जैसे देश की समृधि की दिशा में मिलकर के प्रयास करने की आवश्‍यकता है।

मैं आप सबको निमंत्रण देता हूं। आप भारत आइए। अपना नसीब आजमाइए। अपना कौशल्‍य आजमाइए। भारत पूरी तरह आपका स्‍वागत करने के लिए तैयार है। मुझे दुबारा एक बार यहां आने का मौका मिला। बार-बार मैं जेट्रो में आता हूं। मैं जब गुजरात में था तो एक जेट्रो का आफिस भी मेरे यहां मैंने खोल दिया था और हमारे कुछ मित्र हैं जो अब गुजराती बोलना भी सीख गए हैं।

मैं बारीक-बारीक चीजों का केयर करने वाला इंसान हूं। मैं जानता हूं कि ‘ईज़ आफ बिजनेस’ के लिए जितनी छोटी-छोटी चीजें, अगर दो चीजें आप भी ध्‍यान में लाएंगे तो हम तुरंत उसको करने के पक्ष में रहते है। इसलिए मैं आपको निमंत्रण देने आया हूं। फिर से आपने मुझे बुलाया, इतनी बड़ी संख्‍या में आपका यहां आना, ये बताता है कि आपका हिंदुस्‍तान के प्रति कितना विश्‍वास बढ़ा है। आपकी हिंदुस्‍तान के प्रति कितनी रूचि बढ़ी है और हिंदुस्‍तान और जापान मिलकर के एक नया इतिहास आर्थिक विकास के क्षेत्र में निर्माण कर सकते हैं। इस पूरे विश्‍वास के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

थैंक यू,थैंक यू वैरीमच।

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The history and legacy of the Chola Empire reflect the strength and true potential of our great nation: PM Modi
July 27, 2025
QuotePM releases a commemorative coin honouring one of the greatest emperors of India, Rajendra Chola I
QuoteRajaraja Chola and Rajendra Chola symbolise India's identity and pride: PM
QuoteThe history and legacy of the Chola Empire reflect the strength and true potential of our great nation: PM
QuoteThe Chola era was one of the golden periods of Indian history; this period is distinguished by its formidable military strength: PM
QuoteRajendra Chola established the Gangaikonda Cholapuram Temple; Even today, this temple stands as an architectural wonder admired across the world: PM
QuoteToday, our government is carrying forward the Chola-era vision of cultural unity through initiatives like the Kashi-Tamil Sangamam and the Saurashtra-Tamil Sangamam: PM
QuoteDuring the inauguration of new Parliament building, where the sacred Sengol has been placed, the saints from our Shaivite Adheenams led the ceremony spiritually: PM
QuoteThe Chola emperors were key architects of Shaivite legacy that shaped India's cultural identity. Even today, Tamil Nadu remains one of the most significant centres of Shaivite tradition: PM
QuoteThe economic and military heights India reached during the Chola era continue to inspire us even today: PM
QuoteRajaraja Chola built a powerful navy, which Rajendra Chola further strengthened: PM

वणक्कम चोळा मंडलम!

परम आदरणीय आधीनम मठाधीशगण, चिन्मया मिशन के स्वामीगण, तमिलनाडु के गवर्नर R N रवि जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी डॉ. एल मुरुगन जी, स्थानीय सांसद थिरुमा-वलवन जी, मंच पर मौजूद तमिलनाडु के मंत्री, संसद में मेरे साथी आदरणीय श्री इलैयाराजा जी, सभी ओदुवार्, भक्त, स्टूडेंट्स, कल्चरल हिस्टोरियन्स, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! नमः शिवाय

नम: शिवाय वाळघा, नादन ताळ वाळघा, इमैइ पोळुदुम्, येन नेन्जिल् नींगादान ताळ वाळघा!!

मैं देख रहा था कि जब-जब नयनार नागेंद्रन का नाम आता था, चारो तरफ उत्साह के वातावरण से एकदम से माहौल बदल जाता था।

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साथियों,

एक प्रकार से राज राजा की ये श्रद्धा भूमि है। और उस श्रद्धा भूमि में इलैयाराजा ने आज जिस प्रकार से शिवभक्ति में हम सबको डूबो दिया, सावन का मास हो, राज राजा की श्रद्धा भूमि हो और इलैयाराजा की तपस्या हो, कैसा अद्भुत वातावरण, बहुत अद्भुत वातावरण, और मैं तो काशी का सांसद हूं और जब ओम नम: शिवाय सुनता हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

साथियों,

शिवदर्शन की अद्भुत ऊर्जा, श्री इलैयाराजा का संगीत, ओदुवार् का मंत्रोच्चार, वाकई ये spiritual experience आत्मा को भाव विभोर देता है।

साथियों,

सावन का पवित्र महीना और बृहदेश्वर शिवमंदिर का निर्माण शुरू होने के, one thousand years का ऐतिहासिक अवसर, ऐसे अद्भुत समय में मुझे भगवान बृहदेश्वर शिव के चरणों में उपस्थित होकर के पूजा करने का सौभाग्य मिला है। मैंने इस ऐतिहासिक मंदिर में 140 करोड़ भारतीयों के कल्याण और भारत की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की है। मेरी कामना है- भगवान शिव का आशीर्वाद सबको मिले, नम: पार्वती पतये हर हर महादेव!

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साथियों,

मुझे यहां आने में विलंब हुआ, मैं यहां तो जल्दी पहुंच गया था, लेकिन भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय ने जो अद्भुत प्रदर्शनी लगाई है, ज्ञानवर्धक है, प्रेरक है और हम सब गर्व से भर जाते हैं, कि हजार साल हमारे पूर्वजों ने किस प्रकार से मानव कल्याण को लेकर के दिशा दी। कितनी विशालता थी, कितनी व्यापकता थी, कितनी भव्यता थी, और ये बताया गया मुझे पिछले एक सप्ताह से हजारों लोग ये प्रदर्शनी को देखने के लिए आ रहे हैं। ये दर्शनीय हैं और मैं तो सबको कहूंगा कि इसको आप जरूर देखें।

साथियों,

आज मुझे यहाँ चिन्मय मिशन के प्रयासों से तमिल गीता की एल्बम लॉंच करने का अवसर भी मिला है। ये प्रयास भी विरासत को सहेजने के हमारे संकल्प को ऊर्जा देता है। मैं इस प्रयास से जुड़े सभी लोगों को भी बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूँ।

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साथियों,

चोळा राजाओं ने अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार श्रीलंका, मॉलदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया तक किया था। ये भी एक संयोग है कि मैं कल ही मॉलदीव से लौटा हूं, और आज तमिलनाडु में इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हूं।

हमारे शास्त्र कहते हैं- शिव के साधक भी शिव में ही समाहित होकर उनकी ही तरह अविनाशी हो जाते हैं। इसीलिए, शिव की अनन्य भक्ति से जुड़ी भारत की चोळा विरासत भी आज अमर हो चुकी है। राजराजा चोळा, राजेन्द्र चोळा, ये नाम भारत की पहचान और गौरव के पर्याय हैं। चोळा साम्राज्य का इतिहास और विरासत, ये भारत के वास्तविक सामर्थ्य का true potential का उद्घोष है। ये भारत के उस सपने की प्रेरणा है, जिसे लेकर आज हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। मैं इसी प्रेरणा के साथ, राजेंद्र चोळा द ग्रेट को नमन करता हूं। पिछले कुछ दिनों में आप सभी ने आडी तिरुवादिरइ उत्सव मनाया है। आज उसका समापन इस भव्य कार्यक्रम के रूप में हो रहा है। मैं इसमें सहयोग करने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूं।

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साथियों,

इतिहासकार मानते हैं कि चोळा साम्राज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था। इस युग की पहचान उसकी सामरिक ताकत से होती है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत की परंपरा को भी चोळा साम्राज्य ने आगे बढ़ाया था। इतिहासकार लोकतन्त्र के नाम पर ब्रिटेन के मैग्नाकार्टा की बात करते हैं, लेकिन, कई सदी पहले चोळा साम्राज्य में कुडावोलई अमईप् से लोकतान्त्रिक पद्धति से चुनाव होते थे। आज दुनियाभर में water management और ecology preservation की इतनी चर्चा होती है। हमारे पूर्वज बहुत पहले से इनका महत्व समझते थे। हम ऐसे बहुत से राजाओं के बारे में सुनते हैं, जो दूसरी जगहों पर विजय प्राप्त करने के बाद सोना-चांदी या पशुधन लेकर आते थे। लेकिन देखिए, राजेंद्र चोळा की पहचान, वे गंगाजल लाने के लिए हैं, वो गंगाजल ले आए थे। राजेंद्र चोळा ने उत्तर भारत से गंगाजल लाकर दक्षिण में स्थापित किया। “गङ्गा जलमयम् जयस्तम्बम्” उस जल को यहां चोळागंगा येरि, चोळागंगा झील में प्रवाहित किया गया, जिसे आज पोन्नेरी झील के नाम से जाना जाता है।

साथियों,

राजेंद्र चोल ने गंगै-कोंडचोळपुरम कोविल की स्थापना भी की थी। यह मंदिर आज भी विश्व का एक architectural wonder है। ये भी चोळा साम्राज्य की ही देन है, कि मां कावेरी की इस धरती पर मां गंगा का उत्सव मनाया जा रहा है। मुझे बहुत खुशी है कि आज उस ऐतिहासिक प्रसंग की स्मृति में, एक बार फिर गंगाजल को काशी से यहां लाया गया है। अभी यहां मैं जब पूजापाठ करने के लिए गया था, विधिपूर्वक अनुष्ठान सम्पन्न किया गया है, गंगाजल से अभिषेक किया गया है और मैं तो काशी का जनप्रतिनिधि हूं, और मेरा मां गंगा से एक आत्मीय जुड़ाव है। चोळा राजाओं के ये कार्य, उनसे जुड़े ये आयोजन, ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के महायज्ञ को नई ऊर्जा, नई शक्ति और नई गति देते हैं।

भाइयों बहनों,

चोळा राजाओं ने भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया था। आज हमारी सरकार चोळा युग के उन्हीं विचारों को आगे बढ़ा रही है। हम काशी तमिल संगमम् और सौराष्ट्र तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के जरिए एकता के सदियों पुराने सूत्रों को मजबूत बना रहे हैं। गंगै-कोंडचोळपुरम जैसे तमिलनाडु के प्राचीन मंदिरों का भी ASI के जरिए संरक्षण किया जा रहा है। जब देश की नई संसद का लोकार्पण हुआ, तो हमारे शिव आधीनम के संतों ने उस आयोजन का आध्यात्मिक नेतृत्व किया था, सब यहां मौजूद हैं। तमिल संस्कृति से जुड़े पवित्र सेंगोल को संसद में स्थापित किया गया है। मैं आज भी उस पल को याद करता हूं, तो गौरव से भर जाता हूं।

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साथियों,

मैंने अभी चिदंबरम् के नटराज मंदिर के कुछ दीक्षितरों से मुलाकात की है। उन्होंने मुझे इस दिव्य मंदिर का पवित्र प्रसाद भेंट किया, जहां भगवान शिव की नटराज रूप में पूजा होती है। नटराज का ये स्वरूप, ये हमारी philosophy और scientific roots का प्रतीक है। भगवान नटराज की ऐसी ही आनन्द ताण्डव मूर्ति दिल्ली के भारत मंडपम की शोभा भी बढ़ा रही है। इसी भारत मंडपम में जी-20 के दौरान दुनिया भर के दिग्गज नेता जुड़े थे।

साथियों,

हमारी शैव परंपरा ने भारत के सांस्कृतिक निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। चोळा सम्राट इस निर्माण के अहम architect थे। इसीलिए, आज भी शैव परंपरा के जो जीवंत केंद्र हैं, तमिलनाडु उनमें बेहद अहम है। महान नयनमार संतों की लीगेसी, उनका भक्ति लिटरेचर, तमिल लिटरेचर, हमारे पूज्य आधीनमों की भूमिका, उन्होंने सोशल और spiritual फ़ील्ड में एक नए युग को जन्म दिया है।

साथियों,

आज दुनिया जब instability, violence और environment जैसी समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे में शैव सिद्धांत हमें solutions का रास्ता दिखाते हैं। आप देखिए, तिरुमूलर ने लिखा था — “अन्बे शिवम्”, अर्थात्, प्रेम ही शिव है। Love is Shiva! आज अगर विश्व इस विचार को adopt करे, तो ज़्यादातर crisis अपने आप solve हो सकती हैं। इसी विचार को भारत आज One World, One Family, One Future के रूप में आगे बढ़ा रहा है।

साथियों,

आज भारत, विकास भी, विरासत भी, इस मंत्र पर चल रहा है। आज का भारत अपने इतिहास पर गर्व करता है। बीते एक दशक में हमने देश की धरोहरों के संरक्षण पर मिशन मोड में काम किया है। देश की ancient statues और artifacts, जिन्हें चुराकर विदेशों में बेच दिया गया था, उन्हें वापस लाया गया है। 2014 के बाद से 600 से ज्यादा प्राचीन कलाकृतियां, मूर्तियां दुनिया के अलग-अलग देशों से भारत वापस आई हैं। इनमें से 36 खासतौर पर हमारे तमिलनाडु की हैं। आज नटराज, लिंगोद्भव, दक्षिणमूर्ति, अर्धनारीश्वर, नंदीकेश्वर, उमा परमेश्वरी, पार्वती, सम्बन्दर, ऐसी कई महत्वपूर्ण धरोहरें अब फिर से इस भूमि की शोभा बढ़ा रही हैं।

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साथियों,

हमारी विरासत और शैव दर्शन की छाप अब केवल भारत तक, या इस धरती तक ही नहीं। जब भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश बना, तो हमने चंद्रमा के उस पॉइंट को भी शिवशक्ति नाम दिया। चंद्रमा के उस अहम हिस्से की पहचान अब शिव-शक्ति के नाम से होती है।

साथियों,

चोळायुग में भारत ने जिस आर्थिक और सामरिक उन्नति का शिखर छूआ है, वो आज भी हमारी प्रेरणा है। राजराजा चोळा ने एक पावरफुल नेवी बनाई। राजेंद्र चोळा ने इसे और सुदृढ़ किया। उनके दौर में कई प्रशासनिक सुधार भी किए गए। उन्होंने लोकल एड्मिनिस्ट्रेटिव सिस्टम को सशक्त बनाया। एक मजबूत राजस्व प्रणाली लागू की गई। व्यापारिक उन्नति, समुद्री मार्गों का इस्तेमाल, कला और संस्कृति का प्रचार, प्रसार, भारत हर दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा था।

साथियों,

चोळा साम्राज्य, नए भारत के निर्माण के लिए एक प्राचीन रोडमैप की तरह है। ये हमें बताता है, अगर हमें विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें एकता पर ज़ोर देना होगा। हमें हमारी नेवी को, हमारी डिफेंस फोर्सेस को मजबूत बनाना होगा। हमें नए अवसरों को तलाशना होगा। और इस सबके साथ ही, अपने मूल्यों को, उसको भी सहेज कर रखना होगा। और मुझे संतोष है कि देश आज इसी प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

आज का भारत, अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि रखता है। अभी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा है कि कोई अगर भारत की सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला करता है, तो भारत उसे कैसे जवाब देता है। ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया है कि भारत के दुश्मनों के लिए, आतंकवादियों के लिए अब कोई ठिकाना सुरक्षित नहीं है। और आज जब मैं हेलीपेड से यहां आ रहा था, 3-4 किलोमीटर का रास्ता काटते हुए, और अचानक मैंने देखा एक बड़ा रोड शो बन गया और हरेक के मुंह से ऑपरेशन सिंदूर का जय-जयकार हो रहा था। ये पूरे देश में ऑपरेशन सिंदूर ने एक नई चेतना जगाई है, नया आत्मविश्वास पैदा किया है और दुनिया को भी भारत की शक्ति को स्वीकार करना पड़ रहा है।

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साथियों,

हम सब जानते हैं कि राजेन्द्र चोळा ने गंगै-कोंडचोळपुरम का निर्माण कराया, तो उसके शिखर को तंजावूर के बृहदेश्वर मंदिर से छोटा रखा। वो अपने पिता के बनाए मंदिर को सबसे ऊंचा रखना चाहते थे। अपनी महानता के बीच भी, राजेंद्र चोळा ने विनम्रता दिखाई थी। आज का नया भारत इसी भावना पर आगे बढ़ रहा है। हम लगातार मजबूत हो रहे हैं, लेकिन हमारी भावना विश्वबंधु की है, विश्व कल्याण की है।

साथियों,

अपनी विरासत पर गर्व की भावना को आगे बढ़ाते हुये आज मैं यहां एक और संकल्प ले रहा हूं। आने वाले समय में हम तमिलनाडु में राजराजा चोळा और उनके पुत्र और महान शासक राजेंद्र चोळा प्रथम की भव्य प्रतिमा स्थापित करेंगे। ये प्रतिमाएं हमारी ऐतिहासिक चेतना का आधुनिक स्तंभ बनेंगी।

साथियों,

आज डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि भी है। विकसित भारत का नेतृत्व करने के लिए हमें डॉक्टर कलाम, चोळा राजाओं जैसे लाखों युवा चाहिए। शक्ति और भक्ति से भरे ऐसे ही युवा 140 करोड़ देशवासियों के सपनों को पूरा करेंगे। हम साथ मिलकर, एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को आगे बढ़ाएँगे। इसी भाव के साथ, मैं एक बार फिर आज के इस अवसर की आप सबको बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

वणक्कम!