These elections are about scripting a bright future for people of Bengal: PM Modi
Never did the Congress, Left or TMC thought about welfare of people of Bengal: PM Modi
West Bengal voted for TMC, thought there would be 'Paribartan' in the state but in turn there has been 'Paribartan' in the TMC itself: PM
Left and Congress are contesting against each other in Kerala but are allies in West Bengal: PM Modi
A party that once had around 440 seats in Parliament is today reduced to merely 40 seats: PM
TMC leaders have looted the money of innocent people, they are found indulged in corruption, accepting bribes: PM Modi
Industries have been shut, Bengal now lacks job opportunities: PM Modi
We want Bengal to develop...A country cannot be called developed until all the states are developed: PM Modi
I have only three agendas -Development, fast-paced development & all-round development for Bengal: PM Modi
Jan Dhan Yojana is transforming lives of people, Rs. 20000 crore deposited: PM Modi

मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए कोलकाता के मेरे प्यारे भाईयों एवं बहनों

मेरे प्यारे मतदाता, ये चुनाव कौन एमएलए बने, कौन न बने; किसकी सरकार बने, किसकी न बने, इस सीमित उद्देश्य से नहीं है; ये चुनाव बंगाल और यहाँ के नौजवानों का भविष्य संवारने के लिए है। आज़ादी के 70 साल होने को हैं, कांग्रेस, लेफ़्ट और टीएमसी ने अपनी-अपनी सरकारें चलाईं। इस चुनाव के मैदान में चार दल हैं, एक तरफ़ भाजपा है, दूसरी तरफ़ कांग्रेस और लेफ़्ट का गठबंधन है और तीसरी तरफ़ टीएमसी है। आपने बाकी तीनों पार्टी की सरकारें और उनके कारनामे देखे हैं। क्या अब भी आप ऐसे लोगों पर भरोसा करने की गलती करेंगे?

हिंदुस्तान में जितने उदार लोग पश्चिम बंगाल में हैं, शायद ही हिंदुस्तान में ऐसे स्वभाव के लोग नज़र आएंगे। अगर किसी और राज्य में सरकारों ने ऐसी दुर्दशा की होती तो वहां की जनता उनका मुंह तक नहीं देखती लेकिन आप इतने उदार हैं कि वे माफ़ी मांग लें, हाथ जोड़ लें तो आप मान लेते हैं और इसी का भरपूर दुरूपयोग करने में ये माहिर हो गए हैं। अंग्रेजों ने भी आने के बाद अपना प्रवास यही बनाया क्योंकि उन्होंने पाया कि यहाँ के लोग भले हैं। आज़ादी के बाद कांग्रेस ने भी कभी आपकी परवाह नहीं की। उसके बाद लेफ़्ट वाले ने भी तीन दशकों तक कुछ नहीं किया। कांग्रेस और लेफ़्ट को जब जनता ने हटा दिया तो आप देख लीजिये कि उनका भविष्य खतरे में है। पश्चिम बंगाल के लोग परिवर्तन के लिए बड़ी आशा के साथ दीदी को लेकर आए लेकिन उन्हीं में परिवर्तन हो गया।

मेरा आपसे यही कहना है कि जब तक आप बर्बाद करने वालों को सजा नहीं देंगे, इनमें से कोई भी सुधरने वाले नहीं हैं और एक बार उन्हें सजा देना शुरू करें, उन्हें 5 साल के अपने काम का हिसाब देना पड़ेगा और वे अच्छा काम करने के लिए मज़बूर हो जाएंगे। पश्चिम बंगाल के लोग भले एवं संवेदनशील हैं और आदर्शों एवं मूल्यों पर जीने वाले लोग हैं लेकिन लेफ़्ट और कांग्रेस ये मानती है कि नई पीढ़ी मूर्ख है तो ये उनकी भारी गलती है।

विचारधारा से अगर झगड़ा होता है तो ये केरल में भी होना चाहिए और वहां भी आमने-सामने लड़ना चाहिए लेकिन लेफ़्ट का कमाल देखो कि केरल में वे कांग्रेस को गाली दे रहे हैं और उनसे लड़ रहे हैं और बंगाल में कांग्रेस को समर्थन देते हैं। समझ नहीं आ रहा कि केरल में कुश्ती और पश्चिम बंगाल में दोस्ती? केरल में दोनों एक-दूसरे को गालियां देते हैं और बंगाल में कहते हैं कि बहुत अच्छे हैं और सबका भला करेंगे। ये जनता के साथ धोखा है। गठबंधन करना है तो केरल में भी करो नहीं तो बंगाल में भी नहीं करो लेकिन ये गठबंधन बंगाल की भलाई या आदर्शों के लिए नहीं हो रहा बल्कि इसलिए हो रहा कि मरता क्या न करता।

कांग्रेस कभी 440 सीटों के साथ पार्लियामेंट में बैठती थी और आज 44 पर आ गई है और इसलिए वे सहारा ढूंढ रहे हैं। ये बंगाल को बचाने के लिए नहीं खुद को बचाने के लिए खेल खेले जा रहे हैं। देश ने 60 सालों में अलग-अलग प्रकार के सरकार के मॉडल देखे हैं। अब समय की मांग है कि कुछ पैरामीटर तय कर दिए जाएं तो मैं दावे के साथ कहता हूँ कि जहाँ-जहाँ भाजपा को सेवा करने का मौका मिला है, वहां आमूल परिवर्तन आया है और विकास हुआ है।

लेफ़्ट को यहाँ जनता का भरपूर सहयोग मिला लेकिन इसके जवाब में उन्होंने क्या दिया? बंगाल हिंदुस्तान का सिरमौर हुआ करता था और अब क्या कर दी इस राज्य की स्थिति। जो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ सड़कों पर उतरती थीं, अब ‘नारदा’ पर कुछ नहीं बोलतीं। क्या कारण है कि इससे जुड़े लोगों को बख्शा जा रहा है? केरल में लेफ़्ट और कांग्रेस आमने-सामने हैं, बंगाल में दोनों साथ हैं और दिल्ली में लेफ़्ट, कांग्रेस और टीएमसी, तीनों साथ हैं। इतना ही नहीं, लोकसभा में एथिक कमिटी ने ‘नारदा’ की जाँच करवाने की बात कही लेकिन यही चीज़ राज्यसभा में नहीं हुई क्योंकि राज्यसभा में हम बहुमत में नहीं हैं। वहां लेफ़्ट, कांग्रेस और टीएमसी की चलती है और वहां एथिक कमिटी के सामने ‘नारदा’ की जाँच की बात नहीं हुई।

कैमरे के सामने पैसे लेना और डील करना; इसे देखकर पूरा हिंदुस्तान चौंक गया। जनता के पैसों को लूटा गया है। इसलिए मैं विशेष आग्रह करता हूँ कि ऐसे लोगों को एक पल भी सरकार में रहने का हक़ नहीं है। विवेकानंद ब्रिज गिरा और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, क्या गुनाह था उन लोगों का? जो लोग ‘नारदा’ में नज़र आते हैं, वही लोग ‘शारदा’ में नज़र आते हैं। ये सारे लोग पाप की परंपरा से जुड़े हुए हैं। आप यह समझ कर चलें कि लेफ़्ट ने जो छोड़ा था, दीदी ने उसी को आगे बढ़ाया है। अगर हमें देश में विकास कर रहे राज्यों की बराबरी में आना है तो बंगाल को इन तीनों से मुक्ति दिलानी पड़ेगी।

कोलकाता का नौजवान रोजगार के लिए कहाँ जाएगा? हिन्दुतान के पश्चिमी छोर पर विकास दिखता है लेकिन क्या कारण है कि पूरा पूर्वी हिंदुस्तान मुसीबतें झेल रहा है। चलने या आगे बढ़ने की बात को छोड़ दीजिए, अपने पैरों पर भी खड़ा नहीं हो सकता। पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार, ओडिशा, असम, बंगाल का हाल देख लीजिए। मेरा एक सपना है – जैसे शरीर में अगर एक अंग दुर्बल है तो हम स्वस्थ नहीं कहला सकते लेकिन जब शरीर के सभी अंग ठीक हो, हमें स्वस्थ माना जाता है। उसी तरह ये मेरी भारत माता तब तक स्वस्थ और समृद्ध नहीं बन सकती जब तक संपूर्ण हिंदुस्तान का विकास न हुआ हो।

कभी-कभी तो लगता है कि इन पार्टियों ने बंगाल को ओल्ड ऐज होम बनाकर रख दिया है। जवान लोग अपना गाँव-शहर छोड़कर अपनी रोजी-रोटी कमाने जा रहे हैं और बूढ़े मां-बाप यहाँ बचे हुए हैं। कौन अपने गाँव, घर, खेत-खलिहान, मां-बाप को छोड़कर जाना चाहेगा लेकिन आज बंगाल के नौजवानों को कमाने के लिए बड़े शहरों की झुग्गी-झोपड़ियों में गुजर-बसर करना पड़ता है। एक ज़माना था जब हिंदुस्तान के लोग बंगाल आने के लिए लालायित रहते थे। कोलकाता में जीवन बिताने पर लोग गर्व करते थे। आज हालत यह हो गई है कि यहाँ के नौजवान अपनी धरती को छोड़ने पर मज़बूर हैं। इन समस्याओं का समाधान है और इसलिए इन समस्याओं से बचने के लिए मेरा तीन एजेंडा है।  

मेरा 3 एजेंडा है – पहला विकास, दूसरा तेज़ गति से विकास और तीसरा चारों तरफ विकास। जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ तो कांग्रेस वालों ने कहा था कि बैंक गरीबों के लिए होने चाहिए। जब मैं प्रधानमंत्री बना तो इस देश के 40 प्रतिशत गरीब ऐसे थे जिन्होंने कभी बैंक का दरवाज़ा नहीं देखा। इसका परिणाम हुआ कि गरीब अपनी कमाई बाहर रखने को मजबूर था और इसलिए वो अपने पैसे शारदा चिटफंड में रखने को लाचार हो गया। गरीबों के सिर्फ़ पैसे नहीं गए उनके सपने चूर-चूर हो गए। अगर कांग्रेस और लेफ़्ट ने गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे खोल दिए होते तो गरीबों को शारदा चिटफंड की ओर नहीं जाना पड़ता और उनके साथ जो धोखाधड़ी हुई, वो नहीं हुई होती।

हमने इसका उपाय सोचा और प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत गरीबों का खाता खोला और वो भी ज़ीरो बैलेंस अकाउंट। बैंक वाले गरीबों के घर जाकर उनके खाते खोले। गरीबों की अमीरी देखिए, गरीबों ने ज़ीरो बैलेंस अकाउंट खोलने के बजाय कुछ-न-कुछ पैसे डालकर अपने खाते खोले और लगभग 20 हज़ार करोड़ रूपया प्रधानमंत्री जन-धन अकाउंट में जमा कराया। व्यवस्थाएं कैसे बदली जाती हैं, ये हमने दिखाया है।

देश में अगर किसी को गैस का सिलिंडर भी लेना हो तो सिफ़ारिश लगानी पड़ती थी। बहुत लोग होंगे जिनके घर में आज भी गैस का सिलिंडर नहीं होगा। गरीबों के नाम पर राजनीति करने वाले लोग चुनाव आते ही गरीब-गरीब की माला जपते हैं, उन्हें कभी ये समझ नहीं आया कि सच्चे अर्थ में गैस सिलिंडर की ज़रूरत किसको है। लकड़ी के चूल्हे के समीप एक दिन बिताने का मतलब है 400 सिगरेट पीना; इतना धुँआ जाता है शरीर में। इससे गरीब मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। मैंने इसके लिए अभियान चलाया पिछले एक वर्ष में 1 करोड़ गरीब परिवारों को गैस का सिलिंडर दे दिया गया। आज़ादी के बाद ये एक रिकॉर्ड है। हिंदुस्तान में कुल करीब 25 करोड़ परिवार है। उसमें से करीब 1 करोड़ गरीब परिवारों को गैस का सिलिंडर मिला। इसकी सफ़लता के बाद मैंने तय किया और इस बार के बजट में भी है कि आने वाले 3 सालों में 5 करोड़ गरीब परिवारों के घर में गैस का चूल्हा होगा। गरीबों के लिए काम कैसे होता है, ये इसका उदाहरण है।

इनको सत्ता की राजनीति, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, मेरे-तेरे के अलावा कुछ करने नहीं आता। मैं पूरे देश में मेक इन इंडिया का अभियान चला रहा हूँ। विदेशों से बड़े स्तर पर एफडीआई आ रहा है। वर्ल्ड बैंक हो, आईएमएफ़ हो या रेटिंग एजेंसी हो, सब कह रहे हैं कि आज पूरी दुनिया में अगर कोई देश तेज़ गति से चल रहा है तो हिंदुस्तान चल रहा है। इस आर्थिक विकास की यात्रा का लाभ नौजवानों को मिलना चाहिए। हमारी सारी योजनाओं के केंद्र में रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में काम तेज़ गति से चल रहा है।

मैं बंगाल का भाग्य बदलने के लिए एवं यहाँ के विकास के लिए वोट मांगने आया हूँ। काम करने वाली सरकार और अच्छी सरकार किसे कहते हैं, ये आपको पता चल जाएगा। आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी देश में 18 हज़ार गाँव ऐसे हैं जहाँ बिजली का एक खंभा भी नहीं है। मैंने 1 हज़ार दिन में इन 18 हज़ार गाँवों में बिजली पहुँचाने का निर्णय किया और जिस प्रकार से हम इस काम में लगे हैं, हो सकता है कि हम इसे 1 हज़ार दिन से पहले पूरा कर लें।

समय की मांग है - बच्चों की पढ़ाई, नौजवानों की कमाई, बुजुर्गों की दवाई। हम इन मूलभूत बातों को लेकर पश्चिम बंगाल में आपकी सेवा करने चाहते हैं। लोकतंत्र में जय-पराजय तो चलता रहता है। दीदी के मन में पराजय का इतना भय पैदा हो गया है कि वे चुनाव आयोग से लड़ पड़ी, ये उनकी पराजय की स्वीकृति है। खेल के मैदान में भी कभी अंपायर को चुनौती नहीं दिया जाता है और आप अंपायर को चुनौती दे रहे हो। दीदी को नोटिस गया लेकिन जवाब दे रहा है, पश्चिम बंगाल का मुख्य सचिव। पार्टी और सरकार में कोई फ़र्क है कि नहीं? ये जवाब पार्टी को देना चाहिए था। ये दिखाता है कि सरकार का कितना दुरूपयोग किया जा रहा है।

लेफ़्ट और कांग्रेस की धोखेबाजी लोकतंत्र में नहीं चलेगी। इसलिए मेरे भाईयों-बहनों, आपके सामने एक नया विकल्प आया है। देश और दिल्ली आपकी पूर्ण मदद के लिए तैयार है। मैं आपको निमंत्रण देता हूँ कि आप पूरी तरह समर्थन देकर भाजपा के उम्मीदवारों को विजयी बनाईए और पश्चिम बंगाल का भविष्य तय कीजिए।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं! धन्यवाद!

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.