भारत माता की 'जय'!

अमेरिका में बसे हुए मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों!

आज इस समारोह में विशेष रूप से उपस्थित अमेरिका की राजनीति के सभी श्रेष्‍ठ महानुभाव और भारत में भी टीवी और इंटरनेट के माध्‍यम से कार्यक्रम को देख रहे सभी भाईयों-बहनों!

आज कई लोग इस सभागृह में पहुंच नहीं पाएं है, वो बाहर खड़े हैं, उनका भी मैं स्‍मरण करता हूं। आप सब को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

नवरात्रि का पर्व, ये शक्ति उपासना का पर्व है। नवरात्रि का पर्व शुद्धिकरण का पर्व है। नवरात्रि का पर्व समर्पण भाव को अधिक तीव्र बनाने का पर्व है। ऐसे पावन पर्व पर मुझे आप सबसे मिलने का अवसर मिला है, मैं बहुत भाग्‍यशाली हूं कि मेरे देशवासी, जिन्‍होंने हजारों मील दूर यहां रहकर के भारत की इज्‍जत को बढ़ाया है। भारत की आन-बान-शान को बढ़ाया है। वरना एक जमाना था, हमारे देश को सांप-सपेरों वालों का देश माना जाता था। अगर आप न होते, हमारे देश की युवा पीढ़ी न होती, Information Technology के क्षेत्र में आप लोगों ने जो कमाल करके दिखाया है, वो न होता तो आज भी दुनिया शायद हमें सांप-सपेरों का ही देश मानती।

मैं कुछ वर्ष पहले ताइवान गया, तब तो मैं मुख्‍यमंत्री नहीं था, प्रधानमंत्री नहीं था। एक Interpreter मेरे साथ था। कुछ दिन साथ रहने के बाद परिचय हो गया। एक दिन वो मुझे पूछता है कि आपको अगर बुरा न लगे तो मैं आपको एक सवाल पूछना चाहता हूं। मैंने कहा मुझे बुरा नहीं लगेगा, पूछिए क्‍या पूछना चाहते हैं। उसने बोला, आपको बुरा नहीं लगेगा न! मैंने कहा नहीं लगेगा, पूछिए क्‍या पूछना चाहते हैं। फिर भी वो झिझक रहा था। फिर उसने कहा कि मैंने सुना है कि भारत में तो काला जादू होता है, Black Magic होता है। सांप-सपेरे का देश है। लोग सांप को ही खेल करते रहते हैं, यही है क्‍या? मैंने कहा नहीं! हमारे देश का अब बहुत Devaluation हो गया है। मैंने कहा हमारे पूर्वज तो सांप के साथ खेलते थे, लेकिन हम Mouse के साथ खेलते हैं। हमारे नौजवान Mouse को घुमाते हैं, सारी दुनिया को डुलाते हैं।

आप सबने अपने व्‍यवहार के द्वारा, अपने संस्‍कारों के द्वारा, अपनी क्षमता के द्वारा अमेरिका के अंदर बहुत इज्‍जत कमाई है। आपके माध्‍यम से, न सिर्फ अमेरिका में, बल्कि अमेरिका में बसने वाले और देशों के लोगों के कारण भी, दुनिया में भी भारत के लिए एक सकारात्‍मक पहचान बनाने में आपकी बहुत बड़ी अहम भूमिका रही है। भारत में अभी-अभी चुनाव हुए। आपमें से बहुत लोग होंगे जिनको चुनाव में मतदान करने का सौभाग्‍य नहीं मिला। लेकिन आप सभी होंगे, जिस दिन नतीजे आए होंगे, आप सोये नहीं होंगे।

यहां एक भी व्‍यक्ति ऐसा नहीं होगा जो उस रात सो पाया होगा। जितना जश्‍न हिन्‍दुस्‍तान मना रहा था, उससे भी कई गुणा ज्‍यादा जश्‍न दुनिया भर में फैला हुआ भारतीय समाज मना रहा था। आपमें से बहुत सारे लोग भारत के चुनाव अभियान के साथ जुड़े थे, वो आए थे, अपना समय दिया था। मैं उनको मिल कर Thanks भी नहीं कह पाया था। आज, मैं सबको Thanks कहता हूं, रूबरू आकर कहता हूं कि आप आए, हिन्‍दुस्‍तान के गांवों में महीनों तक रहे। भारत के लोकतंत्र में एक अभूतपूर्व विजय की घटना घटी। इसे चरितार्थ करने में आपका योगदान रहा।



30 साल के बाद! आप लोग 30 साल के बाद से परिचित हैं। 30 साल के बाद भारत में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी। ये चुनाव नतीजे, हिन्‍दुस्‍तान के किसी Political पंडित के गले ये परिणाम नहीं उतरते थे। Opinion Makers भी Opinion बनाने में असफल रहे। हिन्‍दुस्‍तान के गांव, गरीब, अनपढ़ लोगों ने Opinion Maker का Opinion बना दिया। गरीब से गरीब व्‍यक्ति की भी लोकतंत्र में कितनी निष्‍ठा है, लोकतंत्र में उसकी कितनी अहमियत है, इसका उदाहरण, ये भारत के चुनाव ने बताया है। लेकिन चुनाव जीतना, वो सिर्फ पद ग्रहण नहीं होता। चुनाव जीतना, वो किसी कुर्सी पर विराजने का कार्यक्रम नहीं होता। चुनाव जीतना, एक जिम्‍मेदारी होती है।

जब से मैंने इस कार्य का दायित्‍व संभाला है, 15 मिनट भी vacation नहीं लिया। हम एक भी vacation नहीं लेंगे और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। हिंदुस्‍तान में आपने मुझे जो दायित्‍व दिया है, देशवासियों ने जो दायित्‍व दिया है, हम ऐसा कभी कुछ भी नहीं करेंगे, जिनके कारण आपको नीचा देखने की नौबत आए। हमारे देश में एक ऐसा उमंग और उत्‍साह का माहौल है। देश के लोग बदलाव चाहते हैं। देश बदलाव चाहता है। विश्‍व जिस प्रकार से आर्थिक गतिविधियों से आगे बढ़ रहा है, भारत का गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी कहने लगा है, कब तक ऐसे जियेंगे। बदलाव चाहता है, और मेरे सारे देशवासियों, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, भारत की आर्थिक स्थिति को बदलने में, भारत के सामाजिक जीवन में सामर्थ देने में, भारत के व्‍यक्तिगत जीवन में quality of life के लिए आपने जिस सरकार को चुनाव है, वह कोई कमी रखेगी।

मैं इस बात को भली-भांति जानता हूं कि यहां बैठे हुए आप सब के मन में भी भारत के लिए वर्तमान सरकार से अनेक-अनेक अपेक्षाएं हैं। भारत के नागरिकों के मन में भी भारत के लिए वर्तमान सरकार से अनेक-अनेक अपेक्षाएं हैं। लेकिन मैं विश्‍वास से कह सकता हूं, ये सरकार अपने कार्यकाल के दरम्यान जन सामान्‍य की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में शत-प्रतिशत सफल होगी।

जब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था तो एक बार मैंने एक कार्यक्रम में कहा था, मैंने कहा- जिसको हिंदुस्‍तान वापस आना है, जल्‍दी आइए, देर मत कीजिए।तब मुझे पता नहीं था कि ये दायित्‍व मेरे जिम्‍मे आपने वाला है लेकिन अब यहां रहने वाला हर व्‍यक्ति, कितने ही सालों से अमेरिका में बसा हो अब उसको भी लगने लगा है, एक पैर तो हिंदुस्‍तान में रखना ही चाहिए। मेरे प्‍यारे देशवासियों, सारा विश्‍व इस बात में convince है कि 21वीं सदी एशिया की सदी हैं। अमेरिका के भी गणमान्‍य राजनेताओं ने पब्लिकली ये कहा है कि 21वीं सदी, कोई कहता है एशिया की सदी है, कोई कहता है हिंदुस्‍तान की सदी है।

ऐसे ही नहीं कहा जाता है, भारत के पास वो सामर्थ्‍य है, वो संभावनाएं है, और अब संजोग भी है। इसलिए आप कल्‍पना कीजिए, आज हिंदुस्‍तान दुनिया का सबसे नौजवान देश है। दुनिया की सबसे पुरातन संस्‍कृति वाला देश और दुनिया का सबसे नौजवान देश। एक ऐसा अद्भुत मिलन है, ऐसा अद्भुत संयोग पैदा हुआ है, आज भारत में 65% population 35 age group से नीचे है। 35 से कम आयु के 65% जिस देश के पास नौजवान हो, जिसके पास ऐसी सामर्थ्‍यवान भुजाएं हों, जिसकी अंगुलियों में कंप्‍यूटर के माध्‍यम से दुनिया से जुड़ने की ताकत पड़ी हो, जिस देश का नौजवान अपने सामर्थ से अपना भविष्‍य बनाने के लिए कृत संकल्‍प हो, उस देश को पीछे मुड़कर के देखने की आवश्‍यकता नहीं है।

निराशा का कोई काम नहीं है साथियों। मैं बहुत विश्‍वास के साथ कहता हूं, ये देश बहुत तेज गति से आगे बढ़ने वाला है। इन नौजवानों के सामर्थ से आगे बढ़ने वाला है। भारत के पास तीन ऐसी चीजें हैं आज जो दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है। लेकिन हमारा दायित्‍व बनता है कि हमारी इन तीन शक्तियों को हम पहचानें। हमारी इन तीन शक्तियों को विश्‍व के सामने प्रस्‍तुत करें। हमारी इन तीन शक्तियों को एक-दूसरे के साथ जोड़कर के mobilise करें, तीव्र गति से आगे बढ़े।

वो तीन चीजें हैं, जब सवा सौ करोड़ देशवासियों ने आर्शीवाद दे दिया तो वो ईश्‍वर का ही आर्शीवाद होता है। जनता जनार्दन ईश्‍वर का रूप होता है। जनता जनार्दन वो भगवान का रूप होता है और जब जनता जनार्दन का आर्शीवाद होता है तो वह स्‍वयं परमात्‍मा का आर्शीवाद होता है। वो तीन चीजें, जिसके लिए भारत गर्व कर सकता है और जिसके आधार पर भारत आगे बढ़ सकता है।

एक डेमोक्रेसी, लोकतंत्र। ये हमारी सबसे बड़ी ताकत है, सबसे बड़ी पूंजी है। मैं देख रहा था, जब चुनाव अभियान, मई महीने की भयंकर गर्मी। बदन पर कपड़े ना हो, ऐसा गरीब व्‍यक्ति भी जनसभाओं में सुनने के लिए पहुंचाता था, उस आशा के साथ पहुंचता था। यही लोकतंत्र है, जिस लोकतंत्र के माध्‍यम से आशा आकाक्षाओं को पूर्व करता है। भारत में लोकतंत्र सिर्फ व्‍यवस्‍था नहीं है। भारत में लोकतंत्र आस्‍था है। आस्‍था है, विश्‍वास है।

दूसरी ताकत है Demographic Dividend. जिस देश के पास 35 से कम उम्र के 65 प्रतिशत नौजवान हों, इससे बड़ा इस देश को और क्‍या चाहिए! इससे बड़ी क्‍या सम्‍पदा हो सकती है! और तीसरी बात, demand. पूरा विश्‍व भारत की तरफ नज़र कर रहा है। क्‍यों! क्‍योंकि उसे मालूम है सवा सौ करोड़ का देश है, बहुत बड़ा बाजार है, बहुत ज्‍यादा demand है। ये तीनों चीज़ें किसी एक देश के पास हो, ऐसा आज दुनिया में कहीं नहीं है। इसी सामर्थ्‍य के आधार पर, इसी शक्ति के भरोसे भारत नई ऊंचाईयों को पार करेगा, ये मेरा विश्‍वास है।

अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। सारी दुनिया के लोग अमेरिका में आ करके बसे हैं और भारत के लोग सारी दुनिया में जा करके बसे हैं। दुनिया का कोई कोना नहीं होगा जहां आपको भारतीय न मिले। अमेरिका का कोई शहर ऐसा नहीं है जहां दुनिया का कोई नागरिक न मिले। कितनी मिली-जुली बातें हैं! और इसलिए भाईयों-बहनों! भारत आने वाले दिनों में ……मेरा स्‍पष्‍ट मत रहा है कि सरकारें विकास नहीं कर पाती है। सरकार ज्‍यादा से ज्‍यादा अपनी स्‍कीम लागू कर सकती है। रोड बना लेगी, अस्‍पताल बना लेगी, स्‍कूल बना लेगी। उसकी बजट की सीमाएं होती हैं। विकास तब होता है जब जन-भागीदारी होती है। दुर्भाग्‍य से अब तक हमारे देश में सरकारों ने development का ठेका लिया था। हमने, development की जिम्‍मेदारी, मिलजुल कर सवा सौ करोड़ देशवासी और सरकार मिल करके करेंगे, ये रास्‍ता हमने अपनाया।

हमारे देश में एक और दिक्‍कत है.. और अगर देश को प्रगति करनी है तो सरकार का दायित्‍व बनता है- Good Governance. आप लोग भी.. आपकी क्‍या शिकायत होती होगी- यही न कि साहब, airport पर उतरे थे.. ऐसा हुआ; Visa लेने गए थे.. पता नहीं । भले ही मैं हज़ारों मील दूर रहता हूं आपसे, लेकिन आपके दर्द को भी भलीभांति जानता हूं। आपकी पीड़ा को मैं भलीभांति जानता हूं और इसलिए भाईयो-बहनों! हमारी ये कोशिश है कि हम विकास को एक जन-आंदोलन बनाएं और जब मैं विकास को जन-आंदोलन बनाने की बात कहता हूं….!

हम लोग आज़ादी के इतिहास से भलीभांति परिचित हैं। अंग्रेज़ लोग हमारे देश में शासन करते थे, उसके पहले कई लोगों ने हमारे देश पर शासन किया। करीब हज़ार 12 सौ साल तक हम गुलाम रहे, लेकिन अगर इतिहास देखेंगे, हर समय कोई न कोई ऐसा महापुरूष मिला है, जिसने देश के लिए बलिदान दिया है। आप सिक्‍ख परम्‍परा के सभी गुरूओं के नाम लो, एक के बाद एक! देश के लिए कितना बलिदान! भगत सिंह त‍क उस परम्‍परा को देखिए। आज भी सीमा पर हमारे सरदार देश के लिए जीने-मरने को तैयार होते हैं।

हर युग में, हर युग में महापुरूषों ने देश के लिए बलिदान दिए हैं। लेकिन! वो बलिदान देते थे, फांसी पर चढ़ जाते थे, विदेशियों की गोलियों का शिकार हो जाते थे। फिर कोई नया पैदा होता था, फिर वो कुछ करता था, फिर वो खत्‍म होता था, फिर कोई तीसरा पैदा होता था। मरने वालों की संख्‍या कम नहीं थी, लेकिन वो अकेला आता था देश के लिए जी-जान से लड़ जाता था, शहीद हो जाता था। पांच-पचास अपने यार-दोस्‍तों की टोली ले करके लड़ पड़ता था। लेकिन महात्‍मा गांधी जी ने क्‍या किया!

महात्‍मा गांधी जी ने आज़ादी को जन-आंदोलन बना दिया। कोई खादी पहनता है, तो आज़ादी के लिए पहनता है, कोई किसी बच्‍चे को पढ़ाता है तो आज़ादी के लिए पढ़ाता है, कोई किसी भूखे को खाना खिलाता है तो आज़ादी के लिए खिलाता है, कोई सफाई करता है, झाडू लगाता है तो आज़ादी के लिए। उन्‍होंने हर व्‍यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार, ये दिशा दी, ये सामर्थ्‍य दिया और हर हिन्‍दुस्‍तानी को लगने लगा कि मैं भी आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा हूं। ये महात्‍मा गांधी का सबसे बड़ा contribution था।

आज़ादी की जंग में पूरे हिन्‍दुस्‍तान को, हर नागरिक को अपने काम के माध्‍यम से ही.. ये मैं देश के लिए करता हूं ये भाव जगा करके आज़ादी के आंदोलन को एक नई ताकत दी थी। भाईयों-बहनों! जिस प्रकार से आज़ादी का आंदोलन एक जन-आंदोलन था, वैसे ही विकास.. ये जन-आंदोलन बनना जरूरी है। हिन्‍दुस्‍तान के सवा सौ करोड़ देशवासियों को लगना चाहिए कि मैं बच्‍चों को अच्‍छी तरह शिक्षा देता हूं, मैं भले ही शिक्षक हूं, मैं देश की सेवा कर रहा हूं, मैं प्रधानमंत्री से भी अच्‍छा काम कर रहा हूं। एक सफाई करने वाला सफाई कर्मचारी होगा, वो अच्‍छी सफाई करता है, क्‍यों! क्योंकि मेरे देश के शान बान के लिए काम करता हूं। यहां गंदगी नहीं होनी चाहिए। यह देश सेवा होगी। एक डाक्‍टर भी गरीब परिवार के मरीज की सेवा करेगा, और सेवाभाव से करेगा। गरीब की जिंदगी भी मूल्‍यवान होती है और वह डॉक्‍टर भी राष्‍ट्रभक्ति के लिए काम करता है।

मेरी कोशिश यह है कि विकास एक जन आंदोलन बने। सवा सौ करोड़ देशवासी, ये विकास के जन आंदोलन का हिस्‍सा बने। और हर कोई, जो भी करता है, मैं देश के लिए करूं। मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा, जिसके कारण मेरे देश को नुकसान हो, ये भाव मुझे जगाना है। और मुझे विश्‍वास है और मुझे विश्‍वास है कि फिर एक बार वो दिन आए। फिर एक बार माहौल बना है, हर कोने में हिन्दुस्तानी को लगता है कि अब देश को आगे ले जाना है। इसी सवा सौ करोड़ देशवासियों की इच्‍छाशक्ति, यही मेरा संबल है, यही मेरी ताकत है। इसी पर मेरा भरोसा है, जिसके कारण 21वीं सदी का नेतृत्‍व हिंदुस्‍तान के करने की पूरी संभावना है।

हमारे नौजवान, आने वाले दिनों में, आप लोग जो पढ़ते होंगे, उनको पता होगा, 2020 के समय आते-आते दुनिया में इतनी बड़ी मात्रा में वर्ककोर्स की जरूरत पड़ने वाली है। इनके यहां सब बूढ़े-बूढ़े सब लोग होंगे। दुनिया के पास काम करने वाले लोग नहीं होंगे। हम पूरी दुनिया को workforce supply कर पाएंगे। आज पूरे विश्‍व को नर्सिंग क्षेत्र में इतनी मांग है। अगर भारत से हम नर्सिंग की training करके दुनिया में भेजें तो उनके लिए बहुत बड़ा उपकार है। आज विश्‍व को teachers की मांग है। Maths और Science के teachers नहीं मिलते। क्‍या भारत ये teachers export नहीं कर सकता है। जिस देश के पास नौजवान हो, वह नौजवानों की क्षमता बढ़ा करके, विश्‍व में जिस प्रकार के manpower की जरूरत है, भारत अपनी युवा शक्ति के माध्‍यम से दुनिया में छा जाने की ताकत रखता है। दुनिया में जगह बनाने की ताकत रखता है।

भारत के नौजवानों का talent, दुनिया को उसका लोहा मानना पड़ेगा मेरे भाइयों-बहनों। आप लोगों ने यहां आकर के क्‍या कमाल नहीं किया है। आखिरकर जो अनाज खाकर के आप आए हैं, जो पानी पीकर के आप आए हैं, वही तो अनाज-पानी हम भी तो खा रहे हैं। अगर आप कर सकते हैं तो हम क्‍यों नहीं कर सकते? हम भी कर सकते हैं। talent देखिए इस देश की।

आपको अहमदाबाद में अगर एक किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो करीब 10 रुपये खर्च होते हैं। एक किलोमीटर अगर ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो 10 रुपए खर्च होते हैं। भारत के talent का कमाल देखिए 650 million किलोमीटर, 65 करोड़ किलोमीटर Mars की यात्रा की हमने और सारा Indigenous, छोटे-छोटे कारखानों में पुर्जें बने थे, उसको इकट्ठा करके Mars का प्रयोग किया गया। अहमदाबाद में 1 किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो 10 रुपये लगते हैं, हमें मार्स पर पहुंचने में सिर्फ 7 रुपये लगे एक किलोमीटर पर। 7 रुपये में 1 किलोमीटर, यह हमारी talent नहीं है तो क्‍या है। यह हमारे नौजवानों का सामर्थ्‍य नहीं है तो क्‍या है? इतना ही नहीं, दुनिया में हिंदुस्‍तान पहला देश है जो पहले ही प्रयास में Mars पर पहुंचने में सफल हुआ है।

अमेरिका और भारत सिर्फ नीचे ही बात कर रहे हैं, ऐसा नहीं है, Mars में भी बात कर रहे हैं। 22 तारीख को अमेरिका पहुंचा, 24 को हम पहुंच गए और इतना ही नहीं, हॉलीवुड की फिल्‍म बनाने का जितना बजट होता है, उससे कम बजट में Mars पर पहुंच गया।

जिसके पास ये talent हो, जिस देश के पास ये सामर्थ्‍य हो, वह देश कई नई ऊंचाइयों को पार कर सकता है और उसको पार करने के लिए हमने एक बीड़ा उठाया है, Skill Development। हमारे नौजवानों में, उसके हाथ में हुनर हो, काम करने का अवसर हो, तो एक आधुनिक हिंदुस्‍तान खड़ा करने की उसकी ताकत होती है। इसलिए Skill Development पर हमने बल दिया है। नई सरकार बनने के बाद Skill Development के लिए अलग ministry बना दी गई है। और पूरी शक्ति और हम इसमें दुनिया के देशों के अनुभव को भी share करने वाले हैं। हम उनको निमंत्रण देने वाले है, आइए, Skill Development में हमारे साथ जुडि़ये। विश्‍व की Skill Universities हैं, आए, हमारे साथ जुड़े। हम इस प्रकार का Skill Development करना चाहते हैं, जिसमें हमारे दो इरादे है। एक वो Skill Development जो लोग तैयार होकर के Job Creator बने, दूसरा वो जिनकी Job Creator बनने की संभावना नहीं है, पर Job पाने के लिए पहली पसंद में पसंद हो जाए, उस प्रकार का वो नौजवान तैयार हो।

हमारे यहां कुछ वर्षों पहले बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण हुआ था, Nationalisation हुआ था बैंकों का। इस इरादे से हुआ था कि गरीब से गरीब व्‍यक्ति को, भारत की जो मुख्‍य धारा है आर्थिक, बैंकिंग क्षेत्र, Financial क्षेत्र, उसका उन्‍हें सदभाग्‍य मिला और बहुत बड़ा राजनीतिक एजेंडा बन गया था। जो लोग 70’s के इतिहास के कालखंड को जानते होंगे, उनको मालूम होगा। देखिए हुआ क्‍या, इतनी सारी बैंक होने के बाद भी भारत में 50% परिवार ऐसे हैं, जिनका बेचारों को बैंक में खाता ही नहीं है और उसके कारण वह साहूकार से ब्‍याज पर पैसे लेता है। गरीब आदमी को साहूकार कैसे लूटता है, आपको मालूम है।

मेरे गौरा समाज के लोग यहां बैठे है, उनको पता है। क्‍या सरकारी खजाना गरीबों की भलाई के लिए नहीं उपयोग होना चाहिए? क्‍या सरकारी खजाना सिर्फ अमीरों के लिए होना चाहिए। इसलिए हमने एक आते ही प्रधानमंत्री जनधन योजना को लांच किया और मैं आज बड़े गर्व के साथ कहता हूं। सरकार चलती है, इसका सबूत क्‍या है? सिर्फ दो सप्‍ताह के भीतर भीतर 4 करोड़ परिवारों के खाते खोलने में ये बैंक वाले घर-घर गए थे। आपने कभी सोचा है कि बैंक वाला आपके घर आए। पोस्‍ट वाला तो आता है बेचारा, बैंक वाला कभी नहीं आता है। स्थिति बदली जा सकती है, लोगों को Motivate किया जा सकता है और परिणाम प्राप्‍त किया जा सकता है।

हमने यह कहा था कि zero-balance से account खोला जाएगा। लेकिन मेरे देश के नागरिकों की ईमानदारी देखिए! मोदी ने भले ही कहा कि जीरो बैलेंस से अकांउट खोलूंगा लेकिन इन नागरिकों ने 15 सौ करोड़ रुपया बैंक में जमा करवाया। अब मुद्दा इस बात का है कि गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी देश के विकास में अपनी भागीदारी को किस प्रकार से करता है उसका ये जीता-जागता उदाहरण है। यही चीज़ें हैं जो बदलाव लाती है।

भारत के पास बहुत संभावनाएं हैं। मैंने अभी एक कार्यक्रम launch किया है और पूरे विश्‍व को निमंत्रण देता हूं, मैं यहां बैठे हुए आपको भी निमंत्रण देता हूं। मेरा निमंत्रण इस बात के लिए है- Make In India. अगर आज, आपको Human Recourses चाहिए, आपको Effective Governance चाहिए, अगर आपको Low Cost Production चाहिए तो भारत से बड़ी कोई अवसर की जगह नहीं हो सकती भाईयों! हम इस पर बल दे रहे हैं और ‘Make in India’ के लिए…..!

आखिरकार बाहर से आते समय लोग क्‍या कहते है.. कि साहब, आते तो हैं लेकिन सरकार में इतने धक्‍के खाने पड़ते हैं, इधर जाएं, उधर जाएं। अब मैं आपको कहता हूं- वो दिन चले गए। Online सारी व्‍यवस्‍था है और इस ‘Make In India’ Campaign से तो आप अपने मोबाइल फोन से सरकार के साथ जुड़ सकते हैं, यहां तक उसको Develop किया है। आप अपना application, अपनी बातें, अपनी requirement मोबाइल फोन के जरिए भारत सरकार को दे सकते है।

यहां जो नौजवान हैं, जो देश के लिए कुछ करना चाहते हैं, यहां जो पहली पीढ़ी के लोग हैं, जो बुर्जुग लोग हैं, जिनके मन में है कि देश के लिए कुछ करना है उनसे मैं आग्रह करता हूं कि मेरी एक Website है- www.mygov.in उसमें मैंने आपके सुझावों के लिए, आप अगर जुड़ना चाहते हैं, उसके लिए बहुत अच्‍छी व्‍यवस्‍था रखी है। मैं चाहता हूं कि आज इसको आज, यहां से जाने के बाद आप चेक किजिए और देखिए कि आप कहां मेरे साथ जुड़ सकते हैं। आप आईये। भारत का भाग्‍य बदलने के लिए हम सब की इच्‍छा है। आप उसके साथ जुडि़ए। Technology का सर्वाधिक प्रयोग करके हम अपनी ताकत का परिचय कर सकते हैं, हम अपनी ताकत का Contribution भी कर सकते हैं।

‘Make in India’, ease of business. हमारे यहां पहली जो सरकारें थी वे इस बात का गर्व करती थीं कि हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया, हमने फलाना कानून बनाया, हमने ढिकाना कानून बनाया। आपने पूरे चुनाव के Campaign में देखा होगा, यही बातें चलती थीं। हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया। मैंने काम दूसरा शुरू किया है। मैंने, कानून जितने पुराने हैं, बेकार कानून हैं, सबको खत्‍म करने का काम शुरू किया है। इतने out-dated कानून! ऐसा कानूनों का जाल! कोई भी व्‍यक्ति बेचारा एक बार अंदर गया तो बाहर नहीं निकल सकता। मैंने Specially Expert लोगों की कमेटी बनाई है, उनको कहा है- निकालो! अगर हर दिन एक कानून मैं खत्‍म कर सकता हू्ं तो मुझे सबसे ज्‍यादा आनंद होगा।

अगर Good Governance की बात मैं बात करता हूं तो Governance easy हो, effective हो और Governance जन-सामान्‍य की आशाओं, आकांक्षाओं की पूर्ति लिए होना चाहिए, उस पर हम बल दे रहे हैं।

आपने अखबारों में पढ़ा होगा। अखबारों में छपता था कि आजकल दिल्‍ली में सरकारी अफसर समय पर दफ्तर पहुंचते हैं। अब मुझे बताइये भइया, कि ये कोई न्‍यूज़ है क्‍या! लेकिन हमारे देश में ये खबर थी सरकारी अफसर समय पर दफ्तर जाते हैं। ये समाचार मुझे इतनी पीड़ा देते थे कि क्‍या समय पर जाना जिम्‍मेदारी नहीं है क्‍या? ये कोई खबर होती है क्‍या! लेकिन हालात ऐसे बने हुए थे।

इन दिनों मैंने एक अभियान चलाया है- सफाई का अभियान। मैं जानता हूं आपको, सबको ये प्रिय होगा। लोगों को लगेगा कि प्रधानमंत्री को तो कितने बड़े-बड़े काम करने चाहिए। ये काम कोई प्रधानमंत्री के करने के काम हैं! भाईयों मैं नहीं जानता कि करने वाले काम हैं या नहीं लेकिन मैंने तय किया है कि टॉयलेट बनाने का काम करुंगा।

कभी-कभी लोग मुझसे पूछते हैं- मोदी जी बड़ा vision बताओ ना! बड़ा vision! मैंने उनको कहा देखिए, मैं चाय बेचते-बेचते यहां आया हूं। मैं एक बहुत ही छोटा इंसान हूं। मैं बहुत ही सामान्य इंसान हूं। मेरा बचपन भी ऐसा ही बीता है और छोटा हूं इसलिए मेरा मन भी छोटे-छोटे काम करने में लगता है। छोटे-छोटे लोगों के लिए काम करने में मेरा मन लगता है। लेकिन छोटा हूं इसलिए छोटे-छोटे लोगों के लिए बड़े-बड़े काम करने का इरादा रखता हूं।

अब देखिए हमारे देश में, गंगा.. आप मुझे बताइए आप में से कोई ऐसा होगा जिसके मन की यह इच्छा नहीं होगी कि अपने मां-बाप को कभी न कभी तो गंगा स्नान के लिए ले जाए। हर एक के मन की यह इच्छा रही होगी। लेकिन जब पढ़ता है कि गंगा इतनी मैली हो गई है, उसको लगता है कि……!

आप मुझे बताइए भैया, हमारी गंगा शुद्ध होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए गंगा? गंगा साफ होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। सफाई में सारे देशवासियों को मदद करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए। आप लोगों के भी गंगा सफाई में मेरी मदद करनी है कि नहीं करनी है। पक्का करोगो?

भाइयों-बहनों, हजारों करोड़ रुपए अब तक खर्च हो चुके हैं। मैंने जब ये बात उठाई तो लोग कहते हैं मोदी जी आप अपने आप को मार रहे हो। ऐसी चीजों को क्यों हाथ लगाते हो? अगर सरल चीजों को हाथ लगाना होता तो लोग मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाते। मुश्किल कार्यों को तो हाथ लगाने के लिए ही तो मुझे बनाया है। मेरी सवा सौ करोड़ देशवासियों की गंगा के प्रति जो आस्था है, उस आस्था में मेरी भी आस्था है और गंगा की सफाई, ये आस्था से जुड़ा हुआ विषय तक सीमित नहीं है।

आज दुनिया में climate को लेकर जितनी चिंता होती है, पर्यावरण को लेकर के जितनी चिंता होती है, उस दृष्टि से भी गंगा की सफाई आवश्यक है। इतना ही नहीं, गंगा के किनारे की जो आवस्था है, उत्तराखंड हो, उत्तर प्रदेश है, बिहार हो, बंगाल हो। करीब-करीब भारत की 40 प्रतिशत जनसंख्या की आर्थिक गतिविधि ये गंगा मैया पर निर्भर है। अगर वह गंगा फिर से प्राणवान बनती है, सामर्थवान बनती है, तो मेरे सारे 40 प्रतिशत जनसंख्या वहां का किसान होगा, वहां का कारीगर होगा, उनकी जिदंगी में बदलाव आएगा और इसलिए यह एक बहुत बड़ा economic agenda भी है ये।

150 वर्ष हो रहे हैं महात्मा गांधी को, 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती आ रही है। महात्मा गांधी ने हमें आजादी दी, हमने महात्मा गांधी क्या दिया। मुझे बताइए, ये सवाल हमें, हर हिंदुस्तानी को पूछना चाहिए कि नहीं पूछना चाहिए। जिस गांधी ने हमें आजादी दी, उस गांधी को हमने क्या दिया। कभी गांधी मिल जाएंगे, जब पूछेंगे तो जवाब कुछ दे पाएंगे क्या? और इसलिए 2019 में जब महात्मा गांधी के 150 वर्ष पूरे हों, तब पूरा भारत ये संकल्प करे, हम महात्मा गांधी को जो सबसे प्रिय जो चीजें थी, वह दें।

एक उनको प्रिय था हिंदुस्तान की आजादी और दूसरा उनको प्रिय था सफाई। गांधी जी स्वच्छता में कभी Compromise नहीं करते थे। बड़े अडिग रहते थे। गांधीजी ने हमें आजादी दिलाई थी। भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त किया। क्या भारत मां को गंदगी से मुक्त करना, यह हमारी जिम्मेवारी है या नहीं है। क्या हम 2019 में जब गांधीजी की 150 वीं जयंती आए, तब महात्मा गांधी के चरणों में स्वच्छ-साफ हिंदुस्तान उनके चरणों में दे सकते हैं कि नहीं दे सकते हैं? जिस महापुरुष ने हमें आजादी दी, उस महापुरुष को हम ये दे सकते हैं कि नहीं दे सकते हैं? देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? ये जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि नहीं उठानी चाहिए? अगर एक बार सवा सौ करोड़ देशवासी तय कर लें कि मैं गंदगी नहीं करुंगा, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हिंदुस्तान को गंदा कर सकती है।

सन 2022 में हमारी आजादी के 75 साल होंगे। हमारे यहां जब 75 साल होते हैं जीवन में, बड़ा महत्व होता है। भारत की परंपरा में 75 साल बड़े महत्वपूर्ण माने जाते हैं। आजादी के 75 साल कैसे मनाएं जाए। अभी से तैयारी क्यों न करें? हमारे मन में एक सपना है और आप सबके आशीर्वाद से वह सपना पूरा होगा। मेरे मन में सपना है, मेरे मन में सपना है कि 2022 में, जब भारत के 75 साल हो तब तक हमारे देश में कोई परिवार ऐसा न हो, जिसके पास रहने के लिए अपना घर न हो। ये ऐसी छोटी-छोटी बातें मैं आपसे बता रहा हूं, लेकिन यही छोटी-छोटी बातें हैं, जो भारत का भाग्य बदलने वाली हैं और भाग्य बदलने के काम में हम सब मिल कर के जुड़े हैं।

2015, अगला वर्ष, बड़ा महत्वपूर्ण वर्ष है। आप सब प्रवासी भारतीय हैं, क्योंकि आप भारत से बाहर आए हैं, आपकी तरह एक M K Gandhi भी थे, मोहनदास करमचंद गांधी। ये भी प्रवासी भारतीय थे। महात्मा गांधी जनवरी 1915 में भारत वापस आए थे। जनवरी 2015 गांधी के भारत आने के 100 साल हो रहे हैं। 8-9 जनवरी, हिंदुस्तान में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। आप में से कई लोग उसमें आते हैं। इस बार प्रवासी भारतीय दिवस अहमदाबाद में होने वाला है। महात्मा गांधी के भारत आने को शताब्दी हो रही है, इसलिए हर प्रवासी भारतीय, जो कि हिंदुस्तान से बाहर गया है…… महात्मा गांधी, विदेश गए, बैरिस्टर बने, सुख-वैभव की पूरी संभावनाएं थीं। लेकिन देश के लिए जीना पसंद किया।

मैं आपसे अनुरोध करता हूं, उन सबसे प्रेरणा लेकर के आइए, हम भी अपने वतन का, अपनी मातृभूमि का, जिस धरती पर जन्म लिया, उसका कर्ज चुकाने के लिए अपनी तरफ से कोई न कोई प्रयास करें। अपने हिसाब से कोई न कोई कोशिश करें।

कुछ बातें मुझे कहनी हैं आप लोगों से , प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ बातें मेरे मन में आई हैं, उसको ध्यान में रखते हुए कुछ बातें मैं कहना चाहता हूं। एक तो PIO card holder जो हैं, उनकी visa की कुछ समस्याएं हैं। हमने निर्णय लिया है, PIO card holder को आजीवन visa दिया जाएगा। खुश?

उससे भी आगे जो लंबे समय तक हिंदुस्तान रहते हैं, उनको पुलिस थाने जाना पड़ता है। अब उनको पुलिस थाने जाना नहीं पड़ेगा। उसी प्रकार से मुझे बताया गया कि PIO तथा OCI स्कीमों के प्रावधानों में फर्क होने के कारण भारतीय मूल के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विशेषकर Spouse के भारतीय मूल के न होने पर, कठिनाई और बढ़ जाती है। किसी ने यहां शादी कर ली बेचारा मुसीबत में फंस जाता है। मेरे साथियों मैं आपको खुशखबरी देता हूं कि कुछ ही महीनों में हम PIO तथा OCI schemes मिलाकर के एक बना देते हैं। एक नई scheme, जो कठिनाइयां हैं उनको दूर करके एक नई स्‍कीम आने वाले कुछ ही महीनों में, उसको हम तैयार कर देंगे।

तीसरी बात है.. अभी इंतजार कीजिए, मैं बोल रहा हूं। अमेरिका में हमारे दूतावास और consulate, भारत में पर्यटन की इच्‍छा से आने वाले US Nationals के लिए हम long term visa प्रदान करेंगे। चौथी बात, बिना किसी कठिनाई के अमेरिकी टूरिस्‍ट भारत की यात्रा कर सके, इसके लिए हमने ‘Electronic Travel authorisation’ तथा ‘Visa on arrival’ की सुविधा को बहुत ही निकट भविष्‍य में इसको भी लागू कर देंगे।

इन चीजों को सुनिश्चित करने के लिए सेवाओं की speed भी बढ़े। यहां भारतीयों की संख्या भी बहुत है। अब धन की इतनी मात्रा है कि हर छोटे-मोटे काम में लोग आते जाते रहते हैं। और जो outsourcing service है, वह कम पड़ जाती है, और इसलिए हमने कहा है कि जो outsourcing services हैं, उसका दायरा बढ़ाया जाएगा ताकि आपका ज्यादा समय न जाए, ज्यादा कठिनाइयां न हों और सरलता से आपको visa प्राप्त हो। यह साफ-साफ हमने कहा है। और मुझे विश्वास है कि आपकी जो कठिनाइयां मेरे ध्यान में आई थी, मैंने यहां से आने से पहले ही इस विषय में विस्तार से निर्णय करके इन चीजों को पूरा किया है।

आप इतनी बड़ी संख्या में आए, नवरात्रि के पवित्र त्योहार पर आए। और मैं भी बोलता ही चला जा रहा हूं। घड़ी की ओर नहीं देख रहा हूं।

मैं हृदय से आप सबका बहुत आभारी हूं। आपने मुझे बहुत प्यार दिया है। शायद, शायद मैं पिछले 15 साल से देख रहा हूं, शायद इतना प्यार हिन्दुस्तान के किसी राजनेता को नहीं मिला। मैं आपका बहुत आभारी हूं। मैं, मैं ये कर्ज चुकाउंगा। ये कर्ज चुकाउंगा। आपके सपनों का भारत बना करके कर्ज चुकाउंगा।

हम मिल कर के, हम सब मिल कर के भारत मां की सेवा करें, हमसे जो हो सके, हमारे देशवासियों के लिए करें। अपने वतन के लिए करें। जिस धरती पर जन्म लिया, जिस स्कूल में हमने शिक्षा पाई, इसमें जो हो सकता है, करें। इसी एक अपेक्षा के साथ फिर एक बार हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

बहुत बहुत धन्यवाद।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।