Abhidhamma is contained in Dhamma,to understand Dhamma in its essence, knowledge of Pali language is necessary:PM
Language is not just a medium of communication,Language is the soul of civilization and culture:PM
Every nation associates its heritage with its identity, unfortunately, India was left far behind in this direction, but the country is now moving ahead free from inferiority complex, taking big decisions:PM
Ever since youth of the country got the option of studying in their mother tongue under the New Education Policy, languages are becoming stronger:PM
Today India is engaged in fulfilling both the resolutions of rapid development and rich heritage simultaneously:PM
In the renaissance of the Lord Buddha's legacy, India is reinventing its culture and civilization:PM
India has not given the world war, but Buddha:PM
Today on Abhidhamma Parva, I appeal to the whole world to find solutions not in war but in teachings of Lord Buddha paving the path of peace:PM
Lord Budha’s message of prosperity for everyone is the way for humanity:PM
The teachings of Lord Buddha will guide us in the roadmap that India has made for its development:PM
The teachings of Lord Buddha are at the center of Mission LiFE, the path to a sustainable future will emerge from every person's sustainable lifestyle:PM
India is moving towards development and also strengthening its roots, the youth of India should not only lead the world in science and technology but also be proud of their culture and values:PM

नमो बुद्धाय!

संस्कृति मंत्री श्रीमान गजेंद्र सिंह शेखावत जी, माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्टर श्री किरण रिजिजू जी, भंते भदंत राहुल बोधी महाथेरो जी, वेनेरेबल चांगचुप छोदैन जी, महासंघ के सभी गणमान्य सदस्य, Excellencies, Diplomatic community के सदस्य, Buddhist Scholars, धम्म के अनुयायी, देवियों और सज्जनों।

आज एक बार फिर मुझे अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्य मिला है। अभिधम्म दिवस हमें याद दिलाता है कि करुणा और सद्भावना से ही हम दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं। इससे पहले 2021 में कुशीनगर में ऐसा ही आयोजन हुआ था । वहां उस आयोजन में भी मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला था। और ये मेरा सौभाग्य है कि भगवान बुद्ध के साथ जुड़ाव की जो यात्रा मेरे जन्म के साथ ही शुरू हुई है, वो अनवरत जारी है। मेरा जन्म गुजरात के उस वडनगर में हुआ, जो एक समय बौद्ध धर्म का महान केंद्र हुआ करता था। उन्हीं प्रेरणाओं को जीते-जीते मुझे बुद्ध के धम्म और शिक्षाओं के प्रसार के इतने सारे अनुभव मिल रहे हैं।

पिछले 10 वर्षों में, भारत के ऐतिहासिक बौद्ध तीर्थ-स्थानों से लेकर दुनिया के अलग-अलग देशों तक नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के दर्शन, मंगोलिया में उनकी प्रतिमा के अनावरण से लेकर श्रीलंका में वैशाख समारोह तक....मुझे कितने ही पवित्र आयोजनों में शामिल होने का अवसर मिला है। मैं मानता हूँ, संघ और साधकों का ये संग, ये भगवान बुद्ध की कृपा का ही परिणाम है। मैं आज अभिधम्म दिवस के इस अवसर पर भी आप सभी को, और भगवान बुद्ध के सभी अनुयायियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ। आज शरद पूर्णिमा का पवित्र पर्व भी है। आज ही, भारतीय चेतना के महान ऋषि वाल्मीकि जी की जन्म जयंती भी है। मैं समस्त देशवासियों को शरद पूर्णिमा और वाल्मीकि जयंती की भी बधाई देता हूं।

आदरणीय साथियों,

इस वर्ष अभिधम्म दिवस के आयोजन के एक साथ, एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी जुड़ी है। भगवान बुद्ध के अभिधम्म, उनकी वाणी, उनकी शिक्षाएँ...जिस पाली भाषा में ये विरासत विश्व को मिली हैं, इसी महीने भारत सरकार ने उसे क्लासिकल लैंग्वेज, शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। और इसलिए, आज ये अवसर और भी खास हो जाता है। पाली भाषा को क्लासिकल लैंग्वेज का ये दर्जा, शास्त्रीय भाषा का ये दर्जा, पाली भाषा का ये सम्मान...भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है। आप सभी जानते हैं, अभिधम्म धम्म के निहित है। धम्म को, उसके मूल भाव को समझने के लिए पाली भाषा का ज्ञान आवश्यक है। धम्म यानी, बुद्ध के संदेश, बुद्ध के सिद्धान्त...धम्म यानी, मानव के अस्तित्व से जुड़े सवालों का समाधान...धम्म यानी, मानव मात्र के लिए शांति का मार्ग...धम्म यानी, बुद्ध की सर्वकालिक शिक्षाएँ.....और, धम्म यानी, समूची मानवता के कल्याण का अटल आश्वासन! पूरा विश्व भगवान बुद्ध के धम्म से प्रकाश लेता रहा है।

लेकिन साथियों,

दुर्भाग्य से, पाली जैसी प्राचीन भाषा, जिसमें भगवान बुद्ध की मूल वाणी है, वो आज सामान्य प्रयोग में नहीं है। भाषा केवल संवाद का माध्यम भर नहीं होती! भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा होती है। हर भाषा से उसके मूल भाव जुड़े होते हैं। इसलिए, भगवान बुद्ध की वाणी को उसके मूल भाव के साथ जीवंत रखने के लिए पाली को जीवंत रखना, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने बड़ी नम्रता पूर्वक ये ज़िम्मेदारी निभाई है। भगवान बुद्ध के करोड़ों अनुयायियों को, उनकी लाखों भिक्षुकों की अपेक्षा को पूरा करने का हमारा नम्र प्रयास है। मैं इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए भी आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

आदरणीय साथियों,

भाषा, साहित्य, कला, आध्यात्म...,किसी भी राष्ट्र की ये धरोहरें उसके अस्तित्व को परिभाषित करती हैं। इसीलिए, आप देखिए, दुनिया के किसी भी देश में कहीं कुछ सौ साल पुरानी चीज मिल भी होती है तो उसे पूरी दुनिया के सामने गर्व से प्रस्तुत करता है। हर राष्ट्र अपनी हेरिटेज को अपनी पहचान के साथ जोड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य से, भारत इस दिशा में काफी पीछे छूट गया था। आज़ादी के पहले भारत की पहचान मिटाने में लगे आक्रमणकारी....और आज़ादी के बाद गुलामी की मानसिकता के शिकार लोग...भारत में एक ऐसे ecosystem का कब्जा हो गया था जिसने हमें उल्टी दिशा में धकेलने के लिए काम किया। जो बुद्ध भारत की आत्मा में बसे हैं...आज़ादी के समय बुद्ध के जिन प्रतीकों को भारत के प्रतीक चिन्हों के तौर पर अंगीकार किया गया....बाद के दशकों में उन्हीं बुद्ध को भूलते चले गए। पाली भाषा को सही स्थान मिलने में 7 दशक ऐसे ही नहीं लगे।

लेकिन साथियों,

देश अब उस हीनभावना से मुक्त होकर आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मगौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, देश इसकी बदौलत बड़े फैसले कर रहा है। इसीलिए, आज एक ओर पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा, क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा मिलता है, तो साथ ही यही सम्मान मराठी भाषा को भी मिलता है। और देखिए कितना बड़ा सुभग संयोग है कि बाबा साहेब आंबेडकर से भी ये सुखद रूप से जुड़ जाता है। बौद्ध धर्म के महान अनुयायी हमारे बाबा साहब आंबेडकर….पाली में उनकी धम्म दीक्षा हुई थी, और वो स्वयं उनकी मातृभाषा मराठी थी। इसी तरह, हमने बांग्ला, असमिया और प्राकृत भाषा को भी शास्त्रीय भाषा, क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया है।

साथियों,

भारत की ये भाषाएँ ही हमारी विविधता को पोषित करती हैं। अतीत में, हमारी हर भाषा ने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। आज देश ने जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनाई है, वो भी इन भाषाओं के संरक्षण का माध्यम बन रही है। देश के युवाओं को जब से मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प मिला है, मातृभाषाएं और ज्यादा मजबूत हो रही हैं।

साथियों,

हमने अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए लालकिले से ‘पंच प्राण’ का विज़न देश के सामने रखा है। पंच प्राण यानी- विकसित भारत का निर्माण! गुलामी की मानसिकता से मुक्ति! देश की एकता! कर्तव्यों का पालन! और अपनी विरासत पर गर्व! इसीलिए, आज भारत, तेज़ विकास और समृद्ध विरासत के दोनों संकल्पों को एक साथ सिद्ध करने में जुटा हुआ है। भगवान बुद्ध से जुड़ी विरासत का संरक्षण इस अभियान की प्राथमिकता है। आप देखिए, हम भारत और नेपाल में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों को बुद्ध सर्किट के रूप में विकसित कर रहे हैं। कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी शुरू किया गया है। लुम्बिनी में India International Centre for Buddhist Culture and Heritage का निर्माण हो रहा है। लुम्बिनी में ही Buddhist University में हमने डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर Chair for Buddhist Studies की स्थापना भी की है। बोधगया, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, सांची, सतना और रीवा जैसे कई स्थानों पर कितने ही development projects चल रहे हैं। तीन दिन बाद 20 अक्टूबर को मैं वाराणसी जा रहा हूं...जहां सारनाथ में हुए अनेक विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया जाएगा। हम नए निर्माण के साथ-साथ अपने अतीत को भी सुरक्षित कर रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में हम 600 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों, कलाकृतियों और अवशेषों को दुनिया के अलग-अलग देशों से वापस भारत लाए हैं, 600 से ज्यादा । और इनमें से कई अवशेष बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। यानि बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में, भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता को नए सिरे से प्रस्तुत कर रहा है।

आदरणीय साथियों,

भारत की बुद्ध में आस्था, केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता की सेवा का मार्ग है। दुनिया के देश, जो भी बुद्ध को जानने और मानने वाले लोग हैं, उन्हें हम इस मिशन में एक साथ ला रहे हैं। मुझे खुशी है, दुनिया के कई देशों में इस दिशा में सार्थक प्रयास भी किए जा रहे हैं। म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड समेत कई देशों में पाली भाषा में टीकाएं संकलित की जा रही हैं। भारत में भी हम ऐसे प्रयासों को तेज कर रहे हैं। पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ हम पाली को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, डिजिटल आर्काइव्स और ऐप्स के जरिए भी प्रमोट करने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। भगवान बुद्ध को लेकर मैंने पहले भी कहा है- “बुद्ध बोध भी हैं, और बुद्ध शोध भी हैं”। इसलिए, हम भगवान बुद्ध को जानने के लिए आंतरिक और अकैडमिक, दोनों तरह की रिसर्च पर जोर दे रहे हैं। और मुझे खुशी है कि इसमें हमारे संघ, हमारे बौद्ध संस्थान, हमारे भिक्षुकगण इस दिशा में युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।

आदरणीय साथियों,

21वीं सदी का ये समय….आज विश्व की geopolitical परिस्थिति...आज एक बार फिर विश्व कई अस्थिरताओं और आशंकाओं से घिरा है। ऐसे में, बुद्ध न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि अपरिहार्य भी बन चुके हैं। मैंने एक बार यूनाइटेड नेशन्स में कहा था- भारत ने विश्व को युद्ध नहीं, बुद्ध दिये हैं। और आज मैं बड़े विश्वास से कहता हूँ- पूरे विश्व को युद्ध में नहीं, बुद्ध में ही समाधान मिलेंगे। मैं आज अभिधम्म पर्व पर पूरे विश्व का आवाहन करता हूं- बुद्ध से सीखिए...युद्ध को दूर करिए...शांति का पथ प्रशस्त करिए...क्योंकि, बुद्ध कहते हैं- “नत्थि-संति-परम-सुखं”। अथवा अर्थात्, शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है। भगवान बुद्ध कहते हैं-

“नही वेरेन वैरानि सम्मन्तीध कुदाचनम्

अवेरेन च सम्मन्ति एस धम्मो सनन्ततो”

वैर से वैर, दुश्मनी से दुश्मनी शांत नहीं होती। वैर अवैर से, मानवीय उदारता से खत्म होता है। बुद्ध कहते हैं- “भवतु-सब्ब-मंगलम्” ।। यानी, सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो- यही बुद्ध का संदेश है, यही मानवता का पथ है।

आदरणीय साथियों,

2047 तक के ये 25 वर्ष का कार्यकाल, इस 25 वर्ष को अमृतकाल की पहचान दी है। अमृतकाल का ये समय भारत के उत्कर्ष का होगा। ये विकसित भारत के निर्माण का कालखंड होगा। भारत ने अपने विकास का जो रोडमैप बनाया है, उसमें भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ हमारा पथप्रदर्शन करेंगी। ये बुद्ध की धरती पर ही संभव है कि आज दुनिया की सबसे बड़ी आबादी संसाधनों के उपयोग को लेकर सजग है। आप देखिए, आज क्लाइमेट चेंज के रूप में इतना बड़ा संकट दुनिया के सामने है। भारत इन चुनौतियों के लिए न केवल खुद समाधान तलाश रहा है, बल्कि उन्हें विश्व के साथ साझा भी कर रहा है। हमने दुनिया के कई देशों को साथ जोड़कर मिशन LiFE शुरू किया है। भगवान बुद्ध कहते थे- “अत्तान मेव पठमन्// पति रूपे निवेसये”।। अर्थात्, हमें किसी भी अच्छाई की शुरुआत स्वयं से करनी चाहिए। बुद्ध की यही शिक्षा मिशन LiFE के केंद्र में है। यानी, sustainable future का रास्ता हर व्यक्ति की sustainable lifestyle से निकलेगा।

भारत ने जब दुनिया को इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसा मंच दिया….भारत ने जब जी-20 की अपनी अध्यक्षता में Global Biofuel Alliance का गठन किया...भारत ने जब One Sun, One World, One Grid का विजन दिया...तो उसमें बुद्ध के विचारों का ही प्रतिबिंब दिखता है। हमारा हर प्रयास दुनिया के लिए sustainable future को सुनिश्चित कर रहा है। India-Middle East- Europe Economic corridor हो, हमारा ग्रीन हाइड्रोजन मिशन हो, भारतीय रेलवे को 2030 तक नेट जीरो करने का लक्ष्य हो, पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग को बढ़ाकर 20 परसेंट तक करना हो...ऐसे कई तरीकों से हम इस धरती की रक्षा का अपना मजबूत इरादा दिखा रहे हैं, जता रहे हैं।

साथियों,

हमारी सरकार के कितने ही निर्णय, बुद्ध, धम्म और संघ से प्रेरित रहे हैं। आज दुनिया में जहां भी संकट की स्थिति होती है, वहां भारत first responder के रूप में मौजूद रहता है। यह बुद्ध के करुणा के सिद्धांत का ही विस्तार है। चाहे तुर्किए में भूकंप हो, श्रीलंका में आर्थिक संकट की स्थिति हो, कोविड जैसी महामारी के हालात हों, भारत ने आगे बढ़कर मदद का हाथ बढ़ाया है। विश्वबंधु के रूप में भारत सबको साथ लेकर चल रहा है। आज योग हो या मिलेट्स से जुड़ा अभियान, आयुर्वेद हो या नैचुरल फार्मिंग से जुड़ा अभियान, हमारे ऐसे प्रयासों के पीछे भगवान बुद्ध की भी प्रेरणा है।

आदरणीय साथियों,

विकसित होने की तरफ बढ़ रहा भारत, अपनी जड़ों को भी मजबूत कर रहा है। हमारा प्रयास है कि भारत का युवा, साइंस और टेक्नॉलॉजी में विश्व का नेतृत्व करे। और साथ ही, हमारा युवा, अपनी संस्कृति और अपने संस्कारों पर भी गर्व करे। इन प्रयासों में बौद्ध धर्म की शिक्षाएं हमारी बड़ी मार्गदर्शक हैं। मुझे भरोसा है, हमारे संतों और भिक्षुकों के मार्गदर्शन से, भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से हम सब साथ मिलकर निरंतर आगे बढ़ेंगे।

मैं आज के इस पवित्र दिवस पर, इस आयोजन के लिए आप सभी को एक बार फिर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। और पाली भाषा शास्त्रीय भाषा बनने के गौरव के पल, गौरव के साथ-साथ उस भाषा के संरक्षण, संवर्धन के लिए हम सबकी एक सामूहिक जिम्मेवारी भी बनती है, उस संकल्प को हम लें, उसे पूरा करने का प्रयास करें, ये ही अपेक्षाओं के साथ मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

नमो बुद्धाय!

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NM on the go

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...
Text of PM’s address at Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 23, 2024
It is a moment of pride that His Holiness Pope Francis has made His Eminence George Koovakad a Cardinal of the Holy Roman Catholic Church: PM
No matter where they are or what crisis they face, today's India sees it as its duty to bring its citizens to safety: PM
India prioritizes both national interest and human interest in its foreign policy: PM
Our youth have given us the confidence that the dream of a Viksit Bharat will surely be fulfilled: PM
Each one of us has an important role to play in the nation's future: PM

Respected Dignitaries…!

आप सभी को, सभी देशवासियों को और विशेषकर दुनिया भर में उपस्थित ईसाई समुदाय को क्रिसमस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, ‘Merry Christmas’ !!!

अभी तीन-चार दिन पहले मैं अपने साथी भारत सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन जी के यहां क्रिसमस सेलीब्रेशन में गया था। अब आज आपके बीच उपस्थित होने का आनंद मिल रहा है। Catholic Bishops Conference of India- CBCI का ये आयोजन क्रिसमस की खुशियों में आप सबके साथ जुड़ने का ये अवसर, ये दिन हम सबके लिए यादगार रहने वाला है। ये अवसर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी वर्ष CBCI की स्थापना के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मैं इस अवसर पर CBCI और उससे जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

पिछली बार आप सभी के साथ मुझे प्रधानमंत्री निवास पर क्रिसमस मनाने का अवसर मिला था। अब आज हम सभी CBCI के परिसर में इकट्ठा हुए हैं। मैं पहले भी ईस्टर के दौरान यहाँ Sacred Heart Cathedral Church आ चुका हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सबसे इतना अपनापन मिला है। इतना ही स्नेह मुझे His Holiness Pope Francis से भी मिलता है। इसी साल इटली में G7 समिट के दौरान मुझे His Holiness Pope Francis से मिलने का अवसर मिला था। पिछले 3 वर्षों में ये हमारी दूसरी मुलाकात थी। मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया है। इसी तरह, सितंबर में न्यूयॉर्क दौरे पर कार्डिनल पीट्रो पैरोलिन से भी मेरी मुलाकात हुई थी। ये आध्यात्मिक मुलाक़ात, ये spiritual talks, इनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो सेवा के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाती है।

साथियों,

अभी मुझे His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड से मिलने का और उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला है। कुछ ही हफ्ते पहले, His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को His Holiness Pope Francis ने कार्डिनल की उपाधि से सम्मानित किया है। इस आयोजन में भारत सरकार ने केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में आधिकारिक रूप से एक हाई लेवल डेलिगेशन भी वहां भेजा था। जब भारत का कोई बेटा सफलता की इस ऊंचाई पर पहुंचता है, तो पूरे देश को गर्व होना स्वभाविक है। मैं Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को फिर एक बार बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज आपके बीच आया हूं तो कितना कुछ याद आ रहा है। मेरे लिए वो बहुत संतोष के क्षण थे, जब हम एक दशक पहले फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार को युद्ध-ग्रस्त अफगानिस्तान से सुरक्षित बचाकर वापस लाए थे। वो 8 महीने तक वहां बड़ी विपत्ति में फंसे हुए थे, बंधक बने हुए थे। हमारी सरकार ने उन्हें वहां से निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया। अफ़ग़ानिस्तान के उन हालातों में ये कितना मुश्किल रहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन, हमें इसमें सफलता मिली। उस समय मैंने उनसे और उनके परिवार के सदस्यों से बात भी की थी। उनकी बातचीत को, उनकी उस खुशी को मैं कभी भूल नहीं सकता। इसी तरह, हमारे फादर टॉम यमन में बंधक बना दिए गए थे। हमारी सरकार ने वहाँ भी पूरी ताकत लगाई, और हम उन्हें वापस घर लेकर आए। मैंने उन्हें भी अपने घर पर आमंत्रित किया था। जब गल्फ देशों में हमारी नर्स बहनें संकट से घिर गई थीं, तो भी पूरा देश उनकी चिंता कर रहा था। उन्हें भी घर वापस लाने का हमारा अथक प्रयास रंग लाया। हमारे लिए ये प्रयास केवल diplomatic missions नहीं थे। ये हमारे लिए एक इमोशनल कमिटमेंट था, ये अपने परिवार के किसी सदस्य को बचाकर लाने का मिशन था। भारत की संतान, दुनिया में कहीं भी हो, किसी भी विपत्ति में हो, आज का भारत, उन्हें हर संकट से बचाकर लाता है, इसे अपना कर्तव्य समझता है।

साथियों,

भारत अपनी विदेश नीति में भी National-interest के साथ-साथ Human-interest को प्राथमिकता देता है। कोरोना के समय पूरी दुनिया ने इसे देखा भी, और महसूस भी किया। कोरोना जैसी इतनी बड़ी pandemic आई, दुनिया के कई देश, जो human rights और मानवता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो इन बातों को diplomatic weapon के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जरूरत पड़ने पर वो गरीब और छोटे देशों की मदद से पीछे हट गए। उस समय उन्होंने केवल अपने हितों की चिंता की। लेकिन, भारत ने परमार्थ भाव से अपने सामर्थ्य से भी आगे जाकर कितने ही देशों की मदद की। हमने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में दवाइयाँ पहुंचाईं, कई देशों को वैक्सीन भेजी। इसका पूरी दुनिया पर एक बहुत सकारात्मक असर भी पड़ा। अभी हाल ही में, मैं गयाना दौरे पर गया था, कल मैं कुवैत में था। वहां ज्यादातर लोग भारत की बहुत प्रशंसा कर रहे थे। भारत ने वैक्सीन देकर उनकी मदद की थी, और वो इसका बहुत आभार जता रहे थे। भारत के लिए ऐसी भावना रखने वाला गयाना अकेला देश नहीं है। कई island nations, Pacific nations, Caribbean nations भारत की प्रशंसा करते हैं। भारत की ये भावना, मानवता के लिए हमारा ये समर्पण, ये ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच ही 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

Friends,

The teachings of Lord Christ celebrate love, harmony and brotherhood. It is important that we all work to make this spirit stronger. But, it pains my heart when there are attempts to spread violence and cause disruption in society. Just a few days ago, we saw what happened at a Christmas Market in Germany. During Easter in 2019, Churches in Sri Lanka were attacked. I went to Colombo to pay homage to those we lost in the Bombings. It is important to come together and fight such challenges.

Friends,

This Christmas is even more special as you begin the Jubilee Year, which you all know holds special significance. I wish all of you the very best for the various initiatives for the Jubilee Year. This time, for the Jubilee Year, you have picked a theme which revolves around hope. The Holy Bible sees hope as a source of strength and peace. It says: "There is surely a future hope for you, and your hope will not be cut off." We are also guided by hope and positivity. Hope for humanity, Hope for a better world and Hope for peace, progress and prosperity.

साथियों,

बीते 10 साल में हमारे देश में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। ये इसलिए हुआ क्योंकि गरीबों में एक उम्मीद जगी, की हां, गरीबी से जंग जीती जा सकती है। बीते 10 साल में भारत 10वें नंबर की इकोनॉमी से 5वें नंबर की इकोनॉमी बन गया। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने खुद पर भरोसा किया, हमने उम्मीद नहीं हारी और इस लक्ष्य को प्राप्त करके दिखाया। भारत की 10 साल की विकास यात्रा ने हमें आने वाले साल और हमारे भविष्य के लिए नई Hope दी है, ढेर सारी नई उम्मीदें दी हैं। 10 साल में हमारे यूथ को वो opportunities मिली हैं, जिनके कारण उनके लिए सफलता का नया रास्ता खुला है। Start-ups से लेकर science तक, sports से entrepreneurship तक आत्मविश्वास से भरे हमारे नौजवान देश को प्रगति के नए रास्ते पर ले जा रहे हैं। हमारे नौजवानों ने हमें ये Confidence दिया है, य़े Hope दी है कि विकसित भारत का सपना पूरा होकर रहेगा। बीते दस सालों में, देश की महिलाओं ने Empowerment की नई गाथाएं लिखी हैं। Entrepreneurship से drones तक, एरो-प्लेन उड़ाने से लेकर Armed Forces की जिम्मेदारियों तक, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहां महिलाओं ने अपना परचम ना लहराया हो। दुनिया का कोई भी देश, महिलाओं की तरक्की के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। और इसलिए, आज जब हमारी श्रमशक्ति में, Labour Force में, वर्किंग प्रोफेशनल्स में Women Participation बढ़ रहा है, तो इससे भी हमें हमारे भविष्य को लेकर बहुत उम्मीदें मिलती हैं, नई Hope जगती है।

बीते 10 सालों में देश बहुत सारे unexplored या under-explored sectors में आगे बढ़ा है। Mobile Manufacturing हो या semiconductor manufacturing हो, भारत तेजी से पूरे Manufacturing Landscape में अपनी जगह बना रहा है। चाहे टेक्लोलॉजी हो, या फिनटेक हो भारत ना सिर्फ इनसे गरीब को नई शक्ति दे रहा है, बल्कि खुद को दुनिया के Tech Hub के रूप में स्थापित भी कर रहा है। हमारा Infrastructure Building Pace भी अभूतपूर्व है। हम ना सिर्फ हजारों किलोमीटर एक्सप्रेसवे बना रहे हैं, बल्कि अपने गांवों को भी ग्रामीण सड़कों से जोड़ रहे हैं। अच्छे ट्रांसपोर्टेशन के लिए सैकड़ों किलोमीटर के मेट्रो रूट्स बन रहे हैं। भारत की ये सारी उपलब्धियां हमें ये Hope और Optimism देती हैं कि भारत अपने लक्ष्यों को बहुत तेजी से पूरा कर सकता है। और सिर्फ हम ही अपनी उपलब्धियों में इस आशा और विश्वास को नहीं देख रहे हैं, पूरा विश्व भी भारत को इसी Hope और Optimism के साथ देख रहा है।

साथियों,

बाइबल कहती है- Carry each other’s burdens. यानी, हम एक दूसरे की चिंता करें, एक दूसरे के कल्याण की भावना रखें। इसी सोच के साथ हमारे संस्थान और संगठन, समाज सेवा में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नए स्कूलों की स्थापना हो, हर वर्ग, हर समाज को शिक्षा के जरिए आगे बढ़ाने के प्रयास हों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामान्य मानवी की सेवा के संकल्प हों, हम सब इन्हें अपनी ज़िम्मेदारी मानते हैं।

साथियों,

Jesus Christ ने दुनिया को करुणा और निस्वार्थ सेवा का रास्ता दिखाया है। हम क्रिसमस को सेलिब्रेट करते हैं और जीसस को याद करते हैं, ताकि हम इन मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकें, अपने कर्तव्यों को हमेशा प्राथमिकता दें। मैं मानता हूँ, ये हमारी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी भी है, सामाजिक दायित्व भी है, और as a nation भी हमारी duty है। आज देश इसी भावना को, ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के संकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। ऐसे कितने ही विषय थे, जिनके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया, लेकिन वो मानवीय दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा जरूरी थे। हमने उन्हें हमारी प्राथमिकता बनाया। हमने सरकार को नियमों और औपचारिकताओं से बाहर निकाला। हमने संवेदनशीलता को एक पैरामीटर के रूप में सेट किया। हर गरीब को पक्का घर मिले, हर गाँव में बिजली पहुंचे, लोगों के जीवन से अंधेरा दूर हो, लोगों को पीने के लिए साफ पानी मिले, पैसे के अभाव में कोई इलाज से वंचित न रहे, हमने एक ऐसी संवेदनशील व्यवस्था बनाई जो इस तरह की सर्विस की, इस तरह की गवर्नेंस की गारंटी दे सके।

आप कल्पना कर सकते हैं, जब एक गरीब परिवार को ये गारंटी मिलती हैं तो उसके ऊपर से कितनी बड़ी चिंता का बोझ उतरता है। पीएम आवास योजना का घर जब परिवार की महिला के नाम पर बनाया जाता है, तो उससे महिलाओं को कितनी ताकत मिलती है। हमने तो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नारीशक्ति वंदन अधिनियम लाकर संसद में भी उनकी ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की है। इसी तरह, आपने देखा होगा, पहले हमारे यहाँ दिव्यांग समाज को कैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें ऐसे नाम से बुलाया जाता था, जो हर तरह से मानवीय गरिमा के खिलाफ था। ये एक समाज के रूप में हमारे लिए अफसोस की बात थी। हमारी सरकार ने उस गलती को सुधारा। हमने उन्हें दिव्यांग, ये पहचान देकर के सम्मान का भाव प्रकट किया। आज देश पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर रोजगार तक हर क्षेत्र में दिव्यांगों को प्राथमिकता दे रहा है।

साथियों,

सरकार में संवेदनशीलता देश के आर्थिक विकास के लिए भी उतनी ही जरूरी होती है। जैसे कि, हमारे देश में करीब 3 करोड़ fishermen हैं और fish farmers हैं। लेकिन, इन करोड़ों लोगों के बारे में पहले कभी उस तरह से नहीं सोचा गया। हमने fisheries के लिए अलग से ministry बनाई। मछलीपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं देना शुरू किया। हमने मत्स्य सम्पदा योजना शुरू की। समंदर में मछलीपालकों की सुरक्षा के लिए कई आधुनिक प्रयास किए गए। इन प्रयासों से करोड़ों लोगों का जीवन भी बदला, और देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिला।

Friends,

From the ramparts of the Red Fort, I had spoken of Sabka Prayas. It means collective effort. Each one of us has an important role to play in the nation’s future. When people come together, we can do wonders. Today, socially conscious Indians are powering many mass movements. Swachh Bharat helped build a cleaner India. It also impacted health outcomes of women and children. Millets or Shree Anna grown by our farmers are being welcomed across our country and the world. People are becoming Vocal for Local, encouraging artisans and industries. एक पेड़ माँ के नाम, meaning ‘A Tree for Mother’ has also become popular among the people. This celebrates Mother Nature as well as our Mother. Many people from the Christian community are also active in these initiatives. I congratulate our youth, including those from the Christian community, for taking the lead in such initiatives. Such collective efforts are important to fulfil the goal of building a Developed India.

साथियों,

मुझे विश्वास है, हम सबके सामूहिक प्रयास हमारे देश को आगे बढ़ाएँगे। विकसित भारत, हम सभी का लक्ष्य है और हमें इसे मिलकर पाना है। ये आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उन्हें एक उज्ज्वल भारत देकर जाएं। मैं एक बार फिर आप सभी को क्रिसमस और जुबली ईयर की बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।