PM Modi, addressing a massive gathering in Krishnanagar, West Bengal, honours the legacy of Chaitanya Mahaprabhu, and extends his greetings to the revered mothers, sisters, and daughters present
Highlighting the developmental projects worth over Rs. 22,000 crores inaugurated in West Bengal, PM Modi emphasized their role in enhancing connectivity, electricity, and job opportunities for the youth
PM Modi criticizes TMC's oppression, autocracy, corruption, and nepotism, alleging betrayal of trust and reluctance to uplift the state's populace in West Bengal
PM Modi underscores BJP government's commitment to healthcare improvement, citing the doubling of government medical colleges in West Bengal in the past decade
PM Modi criticizes TMC's failure to implement central schemes for women's safety and empowerment, urges the youth for support in the upcoming Lok Sabha elections

हरे कृष्णा! हरे कृष्णा !
जय गौरांग महाप्रभु ! जय गौरांग महाप्रभु !
येखाने उपस्थित शबाई के नमोष्कार जानाई

सबसे पहले तो मैं भारतीय जनता पार्टी के हमारे सभी टीम का आभार व्यक्त करता हूं। क्योंकि बीच में से आपके बीच से निकल करके आपके दर्शन करने का मुझे सौभाग्य मिला। इतनी बड़ी तादाद में आप हमें आशीर्वाद देने आए हैं, मैं आप सबका आभार व्यक्त करता हूं। मैं यहां सबसे पहले तो आप सब भाई-बहनों से क्षमा चाहता हूं क्योंकि मैदान बहुत छोटा पड़ गया। और उसके कारण आपलोगों को बहुत दिक्कत हो रही है। लेकिन मेरी आपको प्रार्थना है अब मैदान में जरा भी जगह नहीं है, कृपा करके आप आगे आने की कोशिश मत करिए। आप जहां है वहां रुकिए। अब आगे जगह नहीं बची है जी। आप वहीं रुकिए, आप आगे नहीं आ पाएंगे। आप इतनी बड़ी तादाद में आए। पूरा मैदान छोटा पड़ गया। ये आपका प्यार, आपके आशीर्वाद के लिए मैं आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

ये धरती, भगवान श्री कृष्ण भक्ति के परम प्रचारक चैतन्य महाप्रभु की जन्म स्थली है। मैं चैतन्य महाप्रभु के चरणों में नमन करता हूं। और ये मेरा सौभाग्य है कि भगवान श्रीकृष्ण ने जो द्वारका नगरी बसाई थी जो समुद्र के अंदर डूब चुकी थी, मुझे अभी कुछ दिनों पहले समंदर की गहराई में जा करके उस पुरातन श्रीकृष्ण की भूमि को नमन करने का सौभाग्य मिला।

साथियों,
आप सभी ईश्वर-तुल्य जनता जनार्दन, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों को भी मेरा प्रणाम। आपका यहां इतनी बड़ी संख्या में यहां आना ये साफ-साफ संदेश दे रहा है -ऐई बार...चार शो पार, ऐई बार...चार शो पार, ऐई बार...चार शो पार, NDA शोरकर, चार शो पार !

साथियों,
पश्चिम बंगाल में भी आज मेरा ये दूसरा दिन है। इन दो दिनों में पश्चिम बंगाल के विकास से जुड़े 22 हज़ार करोड़ रुपए- Twenty Two Thousand Crore Rupees से ज्यादा के प्रोजेक्टस आपको सौंपने का अवसर मुझे मिला है। ये सारे प्रोजेक्ट, पश्चिम बंगाल की कनेक्टिविटी, बिजली और पेट्रोलियम के इंफ्रास्ट्रक्चर को, पोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेंगे। इससे यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आएगा, नौजवानों के लिए अधिक नौकरियां बनेंगी। स्वरोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे, क्षेत्र का भी विकास होगा। लेकिन, यहां जिस तरह TMC की राज्य सरकार चल रही है, उसने बंगाल को निराश कर दिया है। पश्चिम बंगाल की जनता ने बहुत उम्मीदों के साथ TMC को बार-बार इतना बड़ा जनादेश दिया है। लेकिन TMC अत्याचार और विश्वासघात का दूसरा नाम बन गई है। TMC के लिए बंगाल का विकास नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद ही प्राथमिकता है। TMC माने विश्वाशघात, औत्ताचार, TMC माने भ्रष्टाचार, पोरिवारवाद। TMC बंगाल के लोगों को गरीब बनाए रखना चाहती है, ताकि उसकी राजनीति चलती रहे, उसका खेल चलता रहे।

साथियों,
यहां की राज्य सरकार क्या काम कर रही है, इसका उदाहरण, पश्चिम बंगाल का पहला एम्स है। मोदी ने पश्चिम बंगाल को पहला एम्स देने की गारंटी दी थी। और मोदी की गारंटी मतलब गारंटी पूरा होने की गारंटी। आमार बांग्लार मानुष बुझलेन- मोदीर गारंटी माने गारंटी पूर्ण होवार गारंटी। नाडिया जिले के कल्याणी में बने इस एम्स का कुछ दिन पहले ही वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मैंने लोकार्पण किया है। लगभग 1 हज़ार बेड्स का ये आधुनिक अस्पताल बहुत सारी सुविधाएं लेकर आया है, रोजगार के अवसर लेकर आया है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार को कल्याणी एम्स के बन जाने से दिक्कत है। उसको परेशानी है। वो कह रही है कि इसकी परमीशन क्यों नहीं ली? पूरे पश्चिम बंगाल में TMC के तोलाबाज़ों को, भू-माफिया को, लूट की, गुंडागर्दी की खुली परमीशन है। लेकिन इतने बड़े अस्पताल को लेकर TMC सरकार पर्यावरण से जुड़ी परमीशन का अड़ंगा लगा रही है। कमीशन ना मिले तो TMC सरकार हर तरह की परमीशन रोक देती है। पहले कमीशन फिर परमीशन। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। भाजपा सरकार, आयुष्मान योजना के तहत गरीबों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देती है। लेकिन TMC की सरकार, गरीबों की इस योजना को भी यहां लागू नहीं होने दे रही। भाजपा, पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य सुविधा के लिए, नौजवानों के भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए यहां स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं। देश में जबसे मेडिकल कॉलेज बनने शुरु हुए हैं, तबसे लेकर 2014 तक पश्चिम बंगाल में सिर्फ 14 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे। बीते 10 वर्षों में सरकारी मेडिकल कॉलेज की संख्या 26 यानि लगभग दोगुनी हो गई है। (थैंक्यू बेटा, आप नीचे बैठो बेटा…थैंक्यू, थैंक्यू)।

साथियों,
ये क्षेत्र जूट किसानों, जूट उद्योगों के लिए मशहूर रहा है। लेकिन (मुझे मिल जाएगा बेटा…तुम बैठो…बैठो बेटा, ऐसा नहीं करते…शाबाश।) लेकिन टीएमसी, लेफ्ट और कांग्रेस की गलत नीतियों के चलते, जूट की खेती और उद्योग दोनों बर्बाद हो गए।भाजपा की केंद्र सरकार ने जूट की खेती और उद्योग दोनों के लिए लगातार बड़े निर्णय लिए हैं। ये भाजपा सरकार है जिसने गेहूं, चावल और चीनी की पैकिंग को…पहले जो बड़े-बड़े प्लास्टिक बैग होते थे, वो बंद करा दिए… जूट के बोरों में ही पैक करने का हमने कंपलसरी किया, अनिवार्य कर दिया। इससे यहां की जूट मिलों को हर साल कई हज़ार करोड़ रुपए के ऑर्डर मिलने लगे हैं। भाजपा सरकार जूट के MSP में भी लगातार वृद्धि कर रही है। पश्चिम बंगाल के 100 से अधिक ब्लॉक्स में 3 लाख-Three Lakhs से अधिक किसानों को जूट के सर्टिफाइड बीज दिए गए हैं। जूट किसान हो या फिर फूल की खेती से जुड़े किसान, सभी को पीएम किसान सम्मान निधि का भी बहुत लाभ मिल रहा है।

साथियों,
पश्चिम बंगाल में TMC ने मां, माटी और मानुष का नारा लगाकर, यहां की माताओं-बहनों का वोट लिया। उनको गुमराह किया। लेकिन आज मां-माटी और मानुष, सभी TMC के कुशासन में रो रहे हैं। संदेशखाली की बहनें इंसाफ की गुहार लगाती रहीं, लेकिन TMC सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। बंगाल में स्थिति ये है कि यहां पुलिस नहीं बल्कि अपराधी तय करते हैं कि उन्हें कब सरेंडर करना है, कब गिरफ्तार होना है। राज्य सरकार तो चाहती ही नहीं थीं कि संदेशखाली का गुनहगार कभी गिरफ्तार हो। लेकिन ये तो बंगाल की नारीशक्ति, दुर्गा बनकर खड़ी हो गई। भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता उनके साथ खड़ा हो गया, तब मजबूरन इस राज्य सरकार को झुकना पड़ा।

साथियों,
महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए जो भी योजना भारत सरकार लाती है, उसको भी TMC सरकार यहां ठीक से लागू नहीं होने देती। पूरे देश में…(भारत माता की…भारत माता की…नौजवानों आपका जोश मेरे सर आंखों पर…आपका प्यार मेरे सर आंखों पर…लेकिन दोस्तों मैं आपके दर्शन करके यहां आया हूं।अब आप आगे आने की कोशिश मत कीजिए, आपका प्यार मुझे मंजूर है। मैं इस प्यार को कभी भूलूंगा नहीं।लेकिन दोस्तों आप जहां हैं वहीं खड़े रहिए।ऐसा प्यार हर किसी को नसीब नहीं होता है, जो मुझे हो रहा है लेकिन मेरी आपसे प्रार्थना है खासकर नौजवान साथियों से कृपा करके जगह नहीं है, आगे आने की कोशिश मत करो दोस्तों। बोलिए भारत माता की…मेरी बात मानोगे न, पक्का मानोगे…इतने अच्छे लोग हैं बंगाल के…मैं उनको शत-शत प्रणाम करता हूं दोस्तों।) पूरे देश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चला। लेकिन पश्चिम बंगाल की सरकार ने इसे यहां लागू नहीं होने दिया। महिला सुरक्षा को सशक्त करने के लिए पूरे देश में महिला हेल्पलाइन स्थापित की गई है। लेकिन TMC सरकार इसे लेकर भी गंभीर नहीं है। बहनों को धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए पूरे देश में 10 करोड़ मुफ्त उज्जवला गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। गरीब परिवार की बहनों को केंद्र सरकार सस्ता सिलेंडर दे रही है। यहां पश्चिम बंगाल में भी इसके लिए 13 लाख एप्लीकेशन आई हैं। लेकिन इसके लिए हर जिले में जो उज्जवला कमेटी बनानी होती है, वो तक TMC सरकार नहीं बना रही है। ये चाहते हैं कि केंद्र की योजनाओं का लाभ किसे मिले, ये भी TMC के तोलाबाज़ ही तय करेंगे। गरीब के घर की योजना को भी ये लोग तोलाबाज़ों के अधीन देना चाहते हैं। हर घर नल की योजना में भी ये लोग तोलाबाज़ों का दखल चाहते हैं। आप सपने में भी नहीं सोच सकते, लेकिन यहां 25 लाख…ये मेरे बंगाल के नौजवान ये आंकड़ा याद रखिए और घर-घर जाके बताइए…बताएंगे? घर-घर जाके बताएंगे? मनरेगा में 25 लाख फर्ज़ी मनरेगा जॉब कार्ड बनवाए गए। जो पैदा नहीं हुआ था उसका कार्ड बना दिया। जो पैसा गांव में गरीब मजदूर को मिलना चाहिए था, उसको TMC के तोलाबाज़ों ने लूट लिया।

साथियों,
TMC की लगातार कोशिश है कि केंद्र सरकार की योजना पर अपना स्टीकर लगाए और हर स्कीम. को…जरा देशवासी भी सुन लें, ये बंगाल की क्या पहचान बन गई है…यहां की TMC ने कैसे बंगाल को बदनाम किया है। TMC में किस प्रकार के कारनामे चल रहे हैं।आप जानकर चौंक जाएंगे। ये TMC सरकार हर स्कीम को हर स्कीम को स्कैम में बदल देती है। स्कीम को स्कैम में बदलने में TMC की मास्टरी है। भाजपा की केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल के 6 करोड़ मेरे भाई-बहनों को मुफ्त राशन दे रही है। आने वाले 5 वर्ष तक ये योजना चलती रहेगी- ये मोदी की गारंटी है... एटा मोदीर गारंटी। लेकिन इस योजना पर भी TMC के लोग अपना स्टीकर लगाते हैं। ये लोग तो गरीबों का राशन लूटने से भी पीछे नहीं रह रहे हैं।

साथियों,
आने वाले 5 वर्षों में भाजपा सरकार, पूरे देश में निवेश और नौकरी के अनगिनत नए अवसर बनाने वाली है। ये समय पश्चिम बंगाल के लिए भी अभूतपूर्व बदलाव का है। लेकिन इसके लिए आपको शुरुआत इसी लोकसभा चुनाव से करनी होगी। करेंगे…करेंगे…करेंगे। बांग्लार विकाश होबे, तबेई देशेर विकाश होबे। इसलिए, इस बार 42 की 42 सीटों पर कमल खिलना चाहिए। और देश में, अबकी बार...400 पार, ज़रूर होगा। ऐई बार...चार शो पार, ऐई बार...चार शो पार, NDA शोरकर, चार शो पार ! भाइयों-बहनों, अब TMC का मतलब ही बदल गया है। TMC का मतलब है तू, मैं करप्शन ही करप्शन।

साथियों,
आप सब मेरा एक काम करेंगे। मेरा एक काम करेंगे। पक्का करेंगे। सभी नौजवान करेंगे। पक्का, वादा…करने वाले हैं। देखिए गांव-गांव जाना होगा। अगले 100 दिन तक एक-एक घर जाएंगे? 100 दिन तक लोगों को मिलते रहेंगे। मिलकर ये बताएंगे मैं जो कहूंगा वो। उनको बताना मोदी जी आए थे मोदी जी ने आपको प्रणाम भेजा है। कह देंगे? मेरा प्रणाम पहुंचा देंगे। पक्का पहुंचा देंगे।
मेरे साथ बोलिए…भारत माता की…भारत माता की…भारत माता की…
मैं फिर एक बार जगह कम पड़ने के कारण आपको जो दिक्कत हुई है, संख्या बहुत बड़ी आई है, आप आगे आने की कोशिश भी कर रहे हैं लेकिन बहुत ही मुश्किल हो गया आपलोगों को इसलिए जो आपको दिक्कत हुई है मैं आपका सेवक हूं, सेवक नाते मैं फिर एक बार क्षमा मांगता हूं
मेरे साथ बोलिए…भारत माता की…भारत माता की…भारत माता की…
बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!