Effort in every booth will win BJP record seats, says PM Modi to party karyakartas
The festival of democracy is going on in Karnataka. The BJP has always celebrated elections as a festival of democracy: PM Modi
Many times, I refer to Karnataka because people need to know how the people of the state have made awe-inspiring progress, which I feel everyone needs to know to: PM Modi
We have to destroy the politics of bribery and appeasement to witness true development in the state and nation: PM Modi

नमस्कार।
कर्नाटका में लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है। बीजेपी ने तो हमेशा चुनावों को लोकतंत्र के महोत्सव के रूप में सेलिब्रेट किया है। आप तो दुनिया को डेमोक्रेसी के सूत्र समझाने वाले भगवान बस्वेश्वर की धरती से हैं। कर्नाटका की समृद्ध परंपरा के प्रतिनिधि और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत बीजेपी के कार्यकर्ता होने का डबल गौरव आप सभी को प्राप्त है। इसलिए आप सभी पर दायित्व भी डबल है। और मुझे विश्वास है, हर बूथ पर किया गया आपका प्रयास, बीजेपी को कर्नाटका में रिकॉर्ड सीटों से जिताएगा। जब बूथ विजयी होता है, तब चुनाव में विजय अवश्य मिलती है। बूथ पर विजय दिलाने की आपकी भावना ही पार्टी को चुनाव जिताती है। पार्टी का एक अनुशासित कार्यकर्ता होने के नाते दो दिन बाद मैं भी आप सभी कार्यकर्ताओं के बीच आ रहा हूं। कर्नाटका की जनता के दर्शन करने के लिए आ रहा हूं। कर्नाटका की जनता के आशीर्वाद लेने के लिए आ रहा हूं।

साथियों,
बीते दिनों मैं सरकारी कार्यक्रमों के दौरान कर्नाटका में जहां भी गया, वहां की जनता ने, हम सभी पर खूब आशीर्वाद बरसाया, खूब आशीर्वाद बरसाया। आजकल चुनाव प्रचार के दौरान भी बीजेपी नेताओं पर, जो भी नेता वहां जाकर के आते हैं, जो बताते हैं, कर्नाटका के लोग अपना अपार स्नेह बरसा रहे हैं। हर छोटे-मोटे कार्यकर्ता पर स्नेह बरसा रहे हैं। ये दिखाता है कि कर्नाटका की जनता का कितना विश्वास बीजेपी पर है। मैं आज कर्नाटका बीजपी का भी अभिनंदन करूंगा कि उन्होंने इस बहुत बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया। और पूरी तरह संगठन की शक्ति का जोर लगाया। चुनाव की इस हलचल के बीच कार्यकर्ताओं से बात करके मुझे भी काफी कुछ सीखने को मिलेगा। आइए, मैं लंबा भाषण न करते हुए आप ही से संवाद करना चाहता हूं। मुझे पहला सवाल भेजा है विरूपक्क्षप्पा जी का है। वो शिवमोगा से हैं। उनका सवाल है- मैं अपना बूथ जीतकर अपनी पार्टी की जीत को और मजबूत बनना चाहता हूं। कुछ बूथ हमेशा से दूसरी पार्टियों के किले रहे हैं, गढ़ रहे हैं। ऐसे में अगले 10 दिन में क्या करें इस बार हमारी पार्टी ये बूथ जीत सके?

विरूपक्क्षप्पा जी, सबसे पहले तो मैं आपको बधाई देना चाहता हूं कि आप विजय के विश्वास से भरे हुए हैं। आप अपना बूथ जिताने के लिए इतने उत्सुक हैं। और भी वहां जो आप कहते हैं कि औरों का गढ़ है। कार्यकर्ता का ये जज्बा, सभी का यही जज्बा बीजेपी को दूसरी पार्टियों से अलग बनाता है। आपको बूथ जीतना है तो सबसे पहले एक काम करिए। आप के जैसे ही कर्मठ और विजय का विश्वास रखने वाले 10 पुरुष कार्यकर्ताओं और 10 महिला कार्यकर्ता, 20 लोगों की जोड़ी बनाइए और मजबूत जोड़ी बनाइए, टीम बनाइए। कर्नाटका के उज्जवल भविष्य के लिए, कर्नाटका नौजवानों के उज्जवल भविष्य के लिए, भाजपा की केंद्र सरकार हो या भाजपा की राज्य सरकार हो ये मिलकर के कैसे काम कर रही है, इसकी सारी जानकारी आपके मोबाइल में होनी चाहिए, आपकी डायरी में होनी चाहिए और डायरी हमेशा साथ होनी चाहिए और ये सारी बातें आपके दिलो-दिमाग में भी होनी चाहिए।

गरीब हो, दलित हो, पिछड़े हो, महिला हो, किसान हो, नौजवान हो, इन सभी के लिए जो काम हमारी सरकार ने किए हैं, ये सारी जानकारी आपके पास उपलब्ध होनी चाहिए। करोगे न। इन जानकारियों के साथ-साथ आप और आपका बनाया 10-10 लोगों का ग्रुप, यानी दो-दो लोगों की जोड़ी, एक पुरुष कार्यकर्ता एक महिला कार्यकर्ता, जब आपके बूथ के लोगों के पास जाएगा, परिवार के अंदर जाना चाहिए, वो बाहर ही पैंपलेट देकर निकल जाते हैं, ऐसा नहीं। घर में जाकर के, एक पुरुष कार्यकर्ता एक महिला कार्यकर्ता दोनों साथ जाए। एक घर में जाकर के बैठें। बुजुर्ग लोग हैं तो उनको जरा प्रणाम कीजिए। बच्चों को प्यार कीजिए। परिचय पूछिए घर में, क्या करते हैं, कहां के हैं, कैसे करते हैं, क्या व्यवस्था है। सारी बातें उनसे सुनिए। फिर कहिए देखिए हम तो भाजपा के कार्यकर्ता हैं। आप कुछ पूछना चाहते हैं क्या। आप कुछ कहना चाहते हैं क्या। फिर जो हमारे काम हैं, सकारात्मक काम हैं, उनके साथ वन टू वन बात कीजिए। एक परिवार में आधा-पौना-एक घंटा बिताइए। बहुत फायदा होगा।

बूथ जीतने की शुरुआत तब होती है जब कार्यकर्ता बूथ से जुड़े परिवारों को जीत लेता है, उनके दिल को जीत लेता है। आप लोगों से जब बातें करेंगे, कई स्तर पर चर्चा कर सकते हैं। जैसे दुनिया के अनेक देशों में अर्थव्यवस्था की हालत खराब है लेकिन हमने कैसे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती से संभाले रखा है। लोग देख रहे हैं, लोगों को पता होता है। दुनिया के अनेक देश, कोरोना से लड़ने में पस्त हो गए लेकिन भारत ने सफलता से कोरोना से लड़ाई लड़ी है। आज देश गरीबी के खिलाफ लड़ रहा है, आज देश इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिकार्ड निवेश कर रहा है। आज देश किसानों को किस तरह से लाखों करोड़ रुपए किसान सम्मान निधि के माध्यम से भेजकर उन्हें ब्याजखोरों से बचा रहा है।

बीजेपी और दूसरी पार्टियों में सबसे बड़ा फर्क अप्रोच का है। बीजेपी आने वाले 25 साल में विकसित भारत के रोडमैप पर काम कर रही है। आप देखें, हमारे जो विरोधी हैं उनका क्या एजेंडा है, उनका एजेंडा है सत्ता हथियाना। हमारा एजेंडा क्या है 25 साल में देश को विकसित बनाना। गरीबी से मुक्त बनाना। नौजवानों के सामर्थ्य को सबसे आगे बढ़ाना। आने वाले 25 साल में कर्नाटका की विकास यात्रा को नेतृत्व देने के लिए बीजेपी एक युवा टीम का निर्माण कर रही है। हमारी कोशिश है कर्नाटका में बैंगलुरु जैसे अनेक ग्लोबल हब बन सकें, भारत की स्टार्ट अप क्रांति को कर्नाटका लीड करता रहे। आप अपने बूथ के First Time Voters से भी जरूर मिलिए। उनका एक सम्मेलन भी कर सकते हैं। उनकी कोई स्पर्धा, साइकिल स्पर्धा जैसा कार्यक्रम भी बना सकते हैं। आप उन्हें भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित कीजिए। लंबे अरसे से कर्नाटका में बीजेपी का बड़ा जनाधार रहा है। आप पूर्ण बहुमत की स्थिर बीजेपी सरकार के लिए वोट मांगेंगे तो कर्नाटका की जनता ज़रूर आशीर्वाद देगी। उनको समझाइए कि कर्नाटका में लगातार अस्थिरता से कितना नुकसान हुआ है। और दिल्ली में पिछले नौ साल से आपने मजबूत स्थिर सरकार बनाई इसका कितना लाभ हुआ है। इस बार भी वहां मजबूत और स्थिर सरकार बनाइए।

चलिए आइए, मैंने काफी लंबी बात कर ली शिवमोगा के हमारे साथियों से, अब दूसरा सवाल जो मुझे मिला है। वो फकीरप्पा जिंदे जी का है। वो चित्रदूर्गा जिले से हैं। और वो पूछते हैं- हम लोग हमेशा डबल इंजन सरकार की बात करते हैं। डबल इंजन सरकार की परिभाषा आपके लिए क्या है? डबल इंजन सरकार से कर्नाटका के विकास को क्या लाभ होगा? चलिए, फकीरप्पा जी ने बहुत ही अच्छा सवाल पूछा है। डबल इंजन सरकार के संबंध में पूछा है। और उसका सीधा और साधारण मतलब है, विकास की डबल रफ्तार।

बीते 9 वर्षों का देश का अनुभव रहा है कि जहां-जहां बीजेपी की डबल इंजन सरकार है, वहां-वहां गरीब कल्याण की योजनाएं तेज़ी से ज़मीन पर उतरी हैं। हर घर जल योजना में कर्नाटका देश के अग्रणी राज्यों में है। क्योंकि यहां भी भाजपा सरकार है, वहां भी भाजपा सरकार है। इसीलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि यहां डबल इंजन सरकार है। आपको मैं बताऊं, जो राज्यों में भाजपा सरकार नहीं है, लोकतंत्र में स्वाभाविक है, लेकिन करते क्या हैं...केंद्र सरकार की कोई भी योजना उनके यहां सफल न हो, उनको डर लगता है कि अगर सफल हो गई तो मोदी का जय-जयकार हो जाएगा। कुछ लोग तो योजना से जुड़ते ही नहीं हैं। कुछ राज्य ऐसे हैं वो योजना का नाम बदल देते हैं, स्टिकर नया लगा देते हैं। आप हैरान हो जाएंगे, गरीबों को अनाज देने के लिए वन नेशन वन राशन कार्ड, सुप्रीम कोर्ट को हुकुम करना पड़ा, क्यों क्योंकि डबल इंजन की सरकार उस राज्य में नहीं थी। देखिए, पीएम किसान सम्मान निधि में यहां कर्नाटका सरकार 4 हजार रुपए अपनी तरफ से भी जोड़ रही है। भारत सरकार 6 हजार रुपए दे रही है, राज्य सरकार 4 हजार रुपए दे रही है, दोनों भाजपा की सरकार, किसान को क्या मिल रहा, 10 हज़ार रुपए मिल रहा है। तो हुआ ना डबल लाभ।

आप देख रहे हैं कि बीते 9 वर्षों में भारत दुनियाभर के निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बना है। रिकॉर्ड निवेश भारत में हो रहा है। डबल इंजन सरकार के कारण इसका बहुत बड़ा लाभ कर्नाटका को मिला है। अगर यहां ऐसी सरकार आएगी, जो बात-बात पर केंद्र सरकार से लड़ती रहेगी, योजनाओं को रोकती रहेगी, जनता-जनार्दन का जो भी हो जाए, उनकी राजनीति चलती रहेगी। अगर यही हुआ तो सारे इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स को वो लटकाती रहेगी, हम रोड बनाना चाहेंगे, वो जमीन संपादन का काम ही धीरे-धीरे करेगी। तो कैसे निवेश आएगा? निवेश नहीं आएगा तो कर्नाटका में नए रोज़गार कैसे बन पाएंगे? यानि डबल इंजन की सरकार ना रहने पर जनता पर डबल मार पड़ती है।

और आप सामान्य नागरिक से बात करें तो ये भी बता सकते हैं कि देखो भाई ट्रैक्टर है, बहुत बढ़िया काम करता है। लेकिन ट्रैक्टर का एक पहिया आप मारुति कार का लगा दें तो बताइए वो ट्रैक्टर चलेगा क्या? किसी के काम आएगा क्या। वो खुद ही अपनी बर्बादी करेगा कि नहीं करेगा। जैसे एक ही प्रकार की व्यवस्था गति तेज देती है वैसे ही डबल इंजन की सरकार गति तेज देती है। छोटी-छोटी बातें, लोगों के साथ बैठकर के समझाइए। मतदाताओं के साथ चर्चा करके बताना चाहिए। और बूथ लेवल पर बताना चाहिए। लंबे-लंबे बड़े भाषण करने की जिम्मेवारी जिनकी है वो करेंगे। हम कार्यकर्ताओं को तो बूथ को ही जीतना है। और बूथ पर ही हमारी शक्ति हमें लगानी है। तब डबल इंजन सरकार का असली मतलब समझ लोगों को आ जाएगा।

साथियों,
जब भी भाजपा को सेवा करने का मौका मिलता है, तो विकास की स्पीड और स्केल, दोनों बढ़ जाती है। अब जैसे कुछ पार्टियां कह सकती हैं कि जब वो सत्ता में थीं तो वो भी आवास से जुड़ी योजनाएं चलाती थीं। तो ऐसे में भाजपा अगर आवास से जुड़ी योजना चला रही है तो इसमें नया क्या है। इसका ही उत्तर है स्पीड औऱ स्केल, सोच और अप्रोच। अब मैं आपको बताता हूं कि आवास योजनाओं में हमने क्या बदलाव किए। मैं ये छोटी-छोटी बातें इसलिए बताता हूं कि आप कार्यकर्ताओं को मतदाताओं के बीच जाकर के बताने में सुविधा हो जाएगी। 2014 से पहले की योजनाओं में एक घर बनने में 300 दिन लगते थे। अब हमारी योजना में 100 दिन से भी कम समय में घर बन जाता है। पहले घर का आकार 20 वर्ग मीटर होता था, अब घर का आकार 25 वर्ग मीटर होता है। पहले की योजना में एक घर को 70-75 हजार रुपए की मदद दी जाती थी। अब यह मदद 1 लाख 30 हजार रुपए यानि करीब-करीब डबल कर दी गई है। इससे भी बड़ी बात ये है कि ये पैसे अब सीधे लाभार्थी के बैंक अकाउंट में भेजे जाते हैं। कोई बिचौलिया नहीं, कोई कटकी कंपनी नहीं। पहले की आवास योजना में लाभार्थी की पसंद का बिलकुल ध्यान नहीं दिया जाता था। हमारी सरकार की आवास योजना में, घर उसमें रहने वाले परिवार की पंसद के हिसाब से बनता है। पहले की आवास योजना में चार दीवारें खड़ी करके घर देने का दावा किया जाता था। आज घर, बिजली, नल से जल, टॉयलेट, एलपीजी कनेक्शन जैसी अनेक योजनाओं को साथ-साथ दिया जाता है।

मैं आपको स्पीड और स्केल का एक और उदाहरण देता हूं। देश में, देखिए हेल्थ कितना महत्वपूर्ण विषय है, आरोग्य कितना महत्वपूर्ण है। कैसा हाल रहा। देश में पहला एम्स 1956 में शुरु हुआ। कांग्रेस ने उसका भरपूर श्रेय लिया। ढोल बजाते रहे, बजाते रहे बस। लेकिन दूसरा एम्स कब शुरु हुआ? पहला तो 56 में बना, दूसरा कब शुरू हुआ। इसके बारे में कांग्रेस कुछ नहीं बोलती है, मुंह पर ताला लग जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दूसरा एम्स बनने में करीब-करीब 50-60 साल लग गए। वर्ष 2003 में जब अटल जी की सरकार आई तो उन्होंने और ज्यादा एम्स बनाने के बारे में योजना बनाई। ये योजना स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए बनाई गयी थी। इस योजना को भी यूपीए सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। बहुत ज्यादा मांग बढ़ने और देश की जनता की मांग करने पर आधे अधूरे मन से काम किया गया। किसी तरह 2014 तक देश में एम्स की संख्या बढ़कर के 7 पहुंची। याद रखो। यानी 60 साल में एम्स की संख्या 1 से बढ़कर 7 हुई। लेकिन अगले 9 वर्षों में जब हम आए तो हमने देश में एम्स की संख्या को तीन गुना बढ़ा दिया। अब बताइए डबल इंजन सरकार की ताकत है कि नहीं है। अब देश में 7 नहीं 20 एम्स हैं। इसके साथ ही देश में 3 नए एम्स पर तेजी से काम भी चल रहा है। यही हाल देश में मेडिकल कालेजों का भी था। आजादी से लेकर वर्ष 2014 तक देश में मेडिकल कालेजों की संख्या 380 थी। 400 से भी कम। हमें आने के बाद, पिछले 9 साल में देश में मेडिकल कालेजों की संख्या 600 से ज्यादा हो चुकी है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी पहले और अब में बहुत बड़ा फर्क है। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार मिटाने में कोई रुचि नहीं दिखाई क्योंकि वो खुद ही भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा स्त्रोत रही है। वर्ष 2014 के बाद करप्शन से लडा़ई में कितनी तेजी आई है ये पूरा देश देख रहा है जनधन, आधार और मोबाइल का जो त्रिशूल है न, इस त्रिशूल ने भ्रष्टाचार पर बहुत बड़ा वार किया है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ने देश के 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए, याद रखिए, पौने तीन लाख करोड़ रुपए, जो चोरी होते थे, गलत हाथों में चले जाते थे, भ्रष्टाचार होता था, वो पैसे बचा लिए गए। जो आज गरीबों के, देश के, युवाओं के काम आ रहे हैं। ये जनता के वो पैसे हैं जो बिचौलियों की जेब में चले जाया करते थे। हमने गर्वनेंस के हर क्षेत्र में स्केल, स्पीड, सोच और अप्रोच में आमूलचूल बदलाव किया है।

आइए अब देखते हैं, दो साथियों से बात हुई, अब तीसरा सवाल लेते हैं। सवाल मुझे चंद्रशेखर जी का है। और चंद्रशेखर जी विजयनगर से हैं। उनका सवाल है कि आपने...ये मुझे पूछ रहे हैं... आपने हमेशा से कहा कि कर्नाटका रामदूत हनुमान की नगरी है और संस्कृति से भरे प्रदेश का देश है। और विकास...देश के विकास में ये बहुत बड़ा योगदान देने वाला प्रदेश है। कर्नाटका की Soft Power में आप कितनी संभावनाएं देखते हैं?

अगर मुझे एक वाक्य में कहना है चंद्रशेखर जी, तो मैं यही कहूंगा कि मैं बहुत ही संभावनाएं देखता हूं। और इस अर्थ में आपका सवाल भी बहुत महत्वपूर्ण लगता है। देखिए, भाषा, संस्कृति, साहित्य और इतिहास की गौरवशाली धरोहरों में कर्नाटका बहुत समृद्ध है। आप वहां रहने वालों का ध्यान खींचना चाहते होंगे, हम जब बाहर से आते हैं न, हम तो अभिभूत हो जाते हैं। कर्नाटका की दो बातें मुझे हमेशा से अपनी ओर खींचती हैं। आध्यत्मिकता में कर्नाटका का कोई मुकाबला नहीं और यहां पर आध्यात्मिकता लोगों को एक साथ लाकर सामाजिक जागरुकता की तरफ जाने को प्रेरित करती है। यहां अध्यात्म और सामाजिक उत्थान दोनों साथ-साथ चलती है। चाहे वो कनकदास जी की भक्ति हो या फिर शिवशरण के वचन हों, कर्नाटका के लोग भक्ति की शक्ति का उपयोग समाज के निर्माण में लगाते हैं। भविष्य के निर्माण में लगाते हैं।

दूसरी बात यह कि कर्नाटका के लोग समय के साथ और कई बार तो समय से भी आगे चलते हैं। आधुनिकता के साथ चल कर भी कर्नाटका के लोग अपने साहित्य अपनी भाषा से जुड़े रहते हैं। यहां के युवा कोडिंग भी करते हैं और कूवेम्पू जी की कविता भी पढ़ते सुनते हैं। आज भी कर्नाटका के युवाओं में कन्नडा साहित्य पढ़ने की संस्कृति जीवित है। कर्नाटका अपने गौरवशाली अतीत के प्रति सजग है और कर्नाटका देश के भविष्य को गढने में पूरी तरह जुटा हुआ है। मेरा और कर्नाटका का नाता भी पुराना है। कर्नाटका के लोगों के स्नेह को मैं दशकों से महसूस कर रहा हूं। मुझे दशकों से आशीर्वाद मिलता रहा है। ये तब का स्नेह है जब मैं किसी पद पर नहीं था और यहां पार्टी के काम के लिए एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में आया करता था। इतना ही नहीं, इसके भी पहले, जब मैं राजनीति में भी नहीं था। श्रद्धेय राव जी जोशी जी के चरणों में आकर बैठने का सौभाग्य मिलता था। उस दिन से मेरा जो कर्नाटका और कर्नाटका के लोगों के साथ जो मेरा नाता जुड़ा वो तो लगातार वो और मजबूत होता जा रहा है। इसलिए ही अक्सर मैंने मन की बात कार्यक्रम में कर्नाटका की संस्कृति की बात की है।

कर्नाटका के कितने ही लोग हैं, जो कर्नाटका के विकास के पुण्य कार्य में अपना जीवन लगा रहे हैं। ऐसे लोगों की तपस्या को सबके सामने लाने का प्रयास, मैं मन की बात में भी मौका नहीं छोड़ता हूं। जब भी मौका मिले मन की बात में मैं कर लेता हूं। और आप सबको मालूम है अब इस रविवार को मन की बात का सौवां एपिसोड है। सेंचुरी लगाने का, वो आपके आशीर्वाद से संभव है। देशवासियों के आशीर्वाद से संभव है। और मैं तो इसके लिए देशवासियों को बधाई देता हूं। साथियों, आज भारत अपनी विरासत पर गौरव के साथ ही अपनी संस्कृति, अपनी आस्था, अपने इतिहास से जुड़े प्रसिद्ध स्थानों को आधुनिक अवतार के सामने ला रहा है। इसमें कर्नाटका की सॉफ्ट पावर की भी उतनी ही बड़ी भूमिका है। कर्नाटका में इसके लिए अनेक संभावनाएं हैं, जिनको डबल इंजन सरकार ही अवसरों में बदल सकती है।

चलिए अब देखते हैं, हमारे चौथा सवाल भी हो रहा है। ये अरुण शेट जी का सवाल है। अब वो दक्षिण कन्नड़ा से हैं। उनका सवाल है- कांग्रेस ने हर जगह मुफ्त की रेवडियों का वादा किया है। मुफ्त की रेवडियों की राजनीति पर आपके क्या विचार हैं, हमारा मार्गदर्शन करिए। देखिए, हमारे देश में कुछ राजनीतिक दलों ने राजनीति को सिर्फ सत्ता और भ्रष्टाचार का साधन बना दिया। इसको हासिल करने के लिए वो साम-दाम-दंड-भेद हर तरह का तरीका अपना रहे हैं। इन राजनीतिक दलों को देश के भविष्य की, आने वाली पीढ़ियों की, मेरे कर्नाटका के बच्चों की, मेरे कर्नाटका के नौजवानों की, मेरे कर्नाटका के नौजवान बेटियों की, उनको कोई चिंता नहीं है। मुफ्त की रेवड़ी की राजनीति की वजह से, कई राज्य इतना बेतहाशा खर्च अपनी दलगत राजनीति की भलाई के लिए कर रहे हैं, राज्य कर्ज में डूबते चले जा रहे हैं, और आने वाली पीढ़ियों का भी वो खा जा रहे हैं। देश ऐसे नहीं चलता, सरकार ऐसे नहीं चलती। सरकार को पीढ़ियां बनाने के लिए काम करना होता है। सरकार को वर्तमान के साथ-साथ भविष्य का भी सोचना पड़ता है। सरकार सिर्फ सुबह-शाम, रोजमर्चा की रोजी-रोटी कमाने वाली जिंदगी पर नहीं चल सकती। बल्कि उसको asset creation पर काम करना पड़ता है, संपदा बनानी पड़ती है, ताकि दशकों-दशक तक देश के हर परिवार का जीवन ठीक से चलता रहे। इसलिए बीजेपी शॉर्टकट नहीं बल्कि विकसित भारत के निर्माण के लिए काम कर रही है। और आप कभी रेलवे स्टेशन पर गए होंगे तो देखते होंगे कुछ लोग एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाना है तो ऊपर ब्रिज छोटा सा चढ़कर के जाते हैं। और जल्दी में नीचे ही कूदकर के पटरी क्रास कर के भागने की कोशिश करते हैं। वहां लिखा होता है- शार्टकट विल कट यू शार्ट। ये सब जगह पे लागू होता है।

साथियों, बीजेपी सिर्फ 5 साल के लिए नहीं, सिर्फ हमारी सत्ता के लिए नहीं, बल्कि हम देश के लिए सोचते हैं। हम दल के लिए नहीं, देश के लिए सोचते हैं। हम सिर्फ हमारी आज की चुनाव की राजनीति के लिए नहीं, हम 25 साल में भारत को कहां ले जाएंगे इस सपने को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। हां, कुछ तात्कालिक चुनौतियों से निपटने के लिए देश के गरीब परिवारों को हर संभव सहायता दी जा रही है, वो सरकार का दायित्व है। अब कोरोना वैक्सीन के समय, हमें जरूरत लगी, तो हमने मुफ्त वैक्सीन दिया देश को। क्योंकि जिंदगी बचानी थी। और वो आज मेरे देश को आगे बढ़ाने में काम कर रहे हैं। मुफ्त राशन देने की जरूरत पड़ी, देना था, दिया। क्योंकि देश में कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहना चाहिए। लेकिन देश को आगे बढ़ाना है तो हमें ये रेवड़ी कल्चर से मुक्त होना ही पड़ता है।

बीजेपी सरकार आज पूरे देश में आधुनिक फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश कर रही है। यही आज की पीढ़ी के साथ-साथ भविष्य की पीढियों के भी काम आने वाला है। अब देखिए, रोड, रेल, एयरपोर्ट, पोर्ट, सोलर पार्क, गरीबों के घर, पानी की लाइनें, गैस पाइपलाइन, मेडिकल कॉलेज, एम्स, IIT, ट्रिपल आईटी, IIM, ऐसी संपदा बनाने पर हमारा फोकस है। अब आज से 25 साल पहले, अगर मेडिकल कॉलेजें बनाई होती तो आज देश के पास लाखों डॉक्टर होते। हमें डॉक्टरों की कमी नहीं होती। नर्सेज की कितनी कमी है। अगर आज से 20-25-30 साल पहले आवश्यकता के अनुसार नर्सेज के कॉलेज बन गई होती तो आज देश में बच्चियों को अपना भविष्य बनाने के लिए कितना काम आता। लेकिन उन्होंने उस समय की राजनीति की, भविष्य का सोचा नहीं, अब आज हम कितना ही दौड़ लगाएं, लेकिन जो 25 साल बर्बाद हो गए वो तो हो गए। और इसीलिए मेरी नौजवानों से खास विनती है, ये जो रेवड़ी बांटने वाले आपको मूरख बनाने की कोशिश करते हैं न। आप अपने उज्ज्वल भविष्य, अपने संतानों की भविष्य के लिए सोचिए। और मैं पक्का कहता हूं, जिस दिशा में हम चल रहे हैं जिन मजबूती पर चल रहे हैं, इसका लाभ कर्नाटका को भी मिल रह है। अब फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की बात करें, एफडीआई की, और मेरी तो एफडीआई की दूसरी भी व्याख्या है। एफडीआई का पापुलर क्या है... फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट। और मेरी एक और व्याख्या है...फर्स्ट डेवलप इंडिया। अब देखिए कांग्रेस के शासनकाल में एफडीआई का क्या हाल था। 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश आया, जबकि बीजेपी के चार साल में 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश आया है।

कांग्रेस की झूठ की रेवड़ियों का पर्दाफाश करने के लिए आपको कांग्रेस शासित दूसरे राज्यों की सच्चाई भी लोगों को बतानी होगी। और आपको ये सारा नेट पर देखोगे तो मिल जाएगा। आंकड़ों के साथ मिल जाएगा। हिमाचल के लोग...अभी-अभी चुनाव हुआ है न...एक साल हो गया...हिमाचल के लोग आज तक कांग्रेस की गारंटी पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। वादे किए, किया कुछ नहीं। राजस्थान के लोग भी कांग्रेस की गारंटी पर आज आंदोलन कर रहे हैं, भई क्या हुआ...सरकार का चार साल बीत चुका है। अभी तक गारंटी, गारंटी ही रह गई। कांग्रेस मतलब झूठ की गारंटी। कांग्रेस मतलब भ्रष्टाचार की गारंटी। कांग्रेस मतलब भाई-भतीजावाद की गारंटी। कांग्रेस अब उस स्थिति में है जब वो ना कोई सच्ची गारंटी दे सकती है और आपको तो मालूम है मेरे नौजवान दोस्तों, कांग्रेस की वारंटी तो बहुत पहले ही एक्सपायर हो चुकी है। जिसकी वारंटी एक्सपायर हो चुकी है उसकी गारंटी का मतलब क्या है जी।

आइए देखते हैं, अब हमें और भी कुछ सवाल आ रहे हैं। देखिए पांचवें हमारे कार्यकर्ता मुझे सवाल पूछ रहे हैं। श्री डी. आऱ योगिश जी हैं। वो तो बैंगलुरू से हैं। और उनका सवाल है- कि सरकार बनने के बाद हम आने वाले 5 साल में कर्नाटका को कहां देख सकते हैं? बैंगलुरू के नौजवान हैं तो लंबा सोचने वाले होते ही होते हैं। अच्छा सोचने वाले हैं कर्नाटका के नौजवान। देखिए, देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आने वाले 24-25 साल देश के लिए अमृत काल है। इनकी शुरुआत इन्हीं पांच वर्षों से होने वाली है। ये किसी सरकार की बात नहीं हैं, ये किसी दल की बात नहीं है। ये देश की बात है। इन पांच वर्षों की प्रगति हमारे अमृतकाल की नींव होने वाली है। ऐसे में मतदाताओं को उन्हें चुनना चाहिए जिनके पास अमृतकाल के लिए कुछ ब्लूप्रिंट हो।

अब देखिए, मैं आपको एक आजादी के पहले चित्र आपके सामने रखता हूं। हमारे देश में 800 हजार साल की गुलामी के कालखंड में इस देश का एक भी वर्ष ऐसा नहीं था कि आजादी के लिए किसी ने कोई जंग न किया हो। इस देश का कोई इलाका ऐसा नहीं था जो कभी न कभी आजादी के जंग का बिगुल न बजाया हो, लड़ाई न लड़ी हो। लेकिन 1920 के बाद पूज्य बापू के नेतृत्व में जो बातें शुरू हुई। अब पूज्य महात्मा गांधी ने आजादी ले के रहूंगा का जो मुद्दा आगे बढ़ाया। क्विट इंडिया का मुद्दा आगे बढ़ाया। 25 साल के भीतर-भीतर...यानि 800 साल से हम लड़ रहे थे...लेकिन वो 25 साल ऐसे महत्व के बन गए कि 1947 में आजादी आई। अनेक परिवारों ने काम किया। नेताजी के नेतृत्व ने काम किया। भगत सिंह जैसे वीरों की शहादत ने काम किया। वीर सावरकर जी के पूरे परिवार के बलिदान जैसे महापुरुषों ने काम किया। लेकिन गांधी का उस नेतृत्व देश के सामान्य मानवी को आंदोलित कर दिया। वो 25 साल का कालखंड जैसे आजादी दिला सका। वैसे ही मेरे साथियों, ये 25 साल का कालखंड, ये अमृतकाल समृद्ध भारत की गारंटी है। मेरे शब्द लिखकर रखिए, दोस्तों। ये विकसित भारत की गारंटी है। और हमारी सरकार ने तो अभी से इस पर काम करना शुरू कर दिया है।

कर्नाटका हमारे इस विकास अभियान का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। कर्नाटका के विकास से भारत का विकास, फिर से मैं कहता हूं- कर्नाटका के विकास से भारत का विकास। हमारी सरकार, इसी मंत्र के साथ चल रही है। आज पूरी दुनिया भारत को मैन्युफेक्चरिंग के हब के रूप में देख रही है। आने वाले समय में बहुत सारी मेगाफैक्ट्रियां भारत में आने वाली हैं। इसका बहुत बड़ा लाभार्थी कर्नाटका का युवा होने वाला है। इसके लिए हमें बहुत तेज़ गति से कर्नाटका के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना है, तेज़ गति से मल्टीमोडल बनाना है। आज देखिए, बैंगलुरु का इंटरनेशनल एयरपोर्ट कितना आधुनिक कितना शानदार बन चुका है। रेलवे स्टेशन भी एयरपोर्ट से कम नहीं हैं। बैंगलुरु मेट्रो की प्रशंसा भी पूरे देश में हो रही है। बैंगलुरू-मैसुरू एक्सप्रेसवे बहुत शानदार बना है।

आज पूरे कर्नाटका में ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। अब देखिए... शिमोगा एयरपोर्ट, बीदर एयरपोर्ट, तुमकुर में एचएएल फैक्ट्री, ऐसे अनेक प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। बाकी प्रोजेक्ट पर भी हमें बहुत कम समय में काम पूरा करना है। इसके लिए डबल इंजन सरकार और वो भी कर्नाटका में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा की स्थिर और मजबूत सरकार होना बहुत आवश्यक है। हम अगले पांच साल में ऐसा कर्नाटका बनाने वाले हैं जहां मेरे गांव का सामर्थ्य, मेरे किसानों का सामर्थ्य, मेरी माताओं-बहनों का सामर्थ्य, मेरे नौजवानों का सामर्थ्य, मेरे दलित भाई-बहनों का सामर्थ्य, मेरे आदिवासी भाई-बहनों का सामर्थ्य, ये शक्ति, ये सामर्थ्यवान बनें, सशक्त बनें, समर्थ हो, संवेदनशील हो और हम सब मिलकर के दिल्ली की सरकार हो या कर्नाटका की सरकार मैं हूं या आप हो, कर्नाटका का विकास, देश का विकास, देश को गति देने के लिए कर्नाटका का विकास। हमें पूरी सक्षमता के साथ आगे बढ़ना है। विश्वास के साथ आगे बढ़ना है।

साथियों,
इन्हीं वजहों से आज कर्नाटका की जनता बीजेपी की पूर्ण बहुमत की स्थिर और मजबूत सरकार बनाने के लिए तैयार है। साथियों, ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सब से आज बूथ लेवल के लाखों कार्यकर्ताओं के दर्शन करने का भी सौभाग्य मिला है। आपसे बातचीत करने का भी सौभाग्य मिला है। और मैं आश्वस्त हो गया हूं कि इस बार सारे रिकार्ड तोड़ करके भारतीय जनता पार्टी को कर्नाटका की जनता विजय बनाने वाली है। ये आशीर्वाद देने वाली है। लेकिन साथियों, जनता के आशीर्वाद, उसको हमें पोलिंग बूथ तक पहुंचाना पड़ता है। आंधी कितनी ही तेज क्यों न हो, लेकिन साइकिल ट्यूब लेकर खड़े हो जाएं तो हवा नहीं भरती है, पंप लगता है। वैसे ही आंधी है, आशीर्वाद का प्रवाह है। लेकिन पोलिंग बूथ तक ले जाने के लिए कार्यकर्ता डटे रहना चाहिए। बूथ कमेटी डटी रहनी चाहिए। बूथ की शक्ति लगनी चाहिए। और आप देखिए बूथ विजय निश्चित हो जाएगा। और जब बूथ विजय हो जाएगा तो कर्नाटका के उज्जवल भविष्य की गारंटी भी पक्की हो जाएगी। और इसीलिए हमें एक पल भी निश्चिंत नहीं होना है। अब कुछ लोग कहेंगे...मोदी जी आपने सार्वजनिक रूप से इतनी सारी बातें बता दी। तो और पार्टियां भी उसका फायदा उठाएंगी। मुझे कोई प्राब्लॉम नहीं है साथियों। सच्चे अर्थ में जनता के बीच ईमानदारी से काम करने का हरेक को अधिकार है। लेकिन मुझे पक्का मालूम है, मैं सब पब्लिकली बता रहा हूं, तरीके बता रहा हूं, कोई सीक्रेट नहीं रखता हूं। लेकिन मुझे मालूम है कि उन लोगों की आदतें ऐसी है कि इस रास्ते पर चल ही नहीं सकते। तपस्या है तपस्या। और भाजपा कार्यकर्ता तपस्या कर सकता है इसीलिए ऐसी बातें कहने की मेरी हिम्मत हो जाती है। और मुझे विश्वास है कि आपकी तपस्या, आपका संघर्ष, आपका सामर्थ्य, बूथ पर ही ताकत लगाने का आपका संकल्प बूथ को विजय बनाकर रहेगा। बूथ विजय होगा तो कर्नाटका विजय होने वाला है। बूथ विजय होगा तो भाजपा सरकार पक्की बनने वाली है। और डबल इंजन सरकार वापस आएगी, ये मेरा पूरा विश्वास है। लोकतंत्र के इस उत्सव में आपकी भागीदारी, आपके परिश्रम को सशक्त करने के लिए मैं भी आपके साथ एक कार्यकर्ता के नाते जुटने वाला हूं। बीजेपी के एक कार्यकर्ता के नाते मुझसे जो कुछ भी बन पड़ेगा। आप कार्यकर्ता जो भी मुझे आदेश करेंगे। मैं भी कंधे से कंधा मिलकार आपके साथ खड़ा रहूंगा, काम करूंगा। और कर्नाटका की जनता का आशीर्वाद लेना ये मेरे लिए बहुत बड़ा सौभाग्य होता है। आने वाले दिनों में हम घर-घर जाकर बीजेपी के प्रति हर कन्नड़िगा, हर मेरे कन्नड़िगा भाई को उनके विश्वास को और मजबूत करेंगे।
आपको पूरे विश्वास के साथ फ्रंटफुट पर खेलना है।
हमें हर बूथ, हर पन्ने तक पहुंचना है।
आप सभी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
बहुत बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 23, 2024
It is a moment of pride that His Holiness Pope Francis has made His Eminence George Koovakad a Cardinal of the Holy Roman Catholic Church: PM
No matter where they are or what crisis they face, today's India sees it as its duty to bring its citizens to safety: PM
India prioritizes both national interest and human interest in its foreign policy: PM
Our youth have given us the confidence that the dream of a Viksit Bharat will surely be fulfilled: PM
Each one of us has an important role to play in the nation's future: PM

Respected Dignitaries…!

आप सभी को, सभी देशवासियों को और विशेषकर दुनिया भर में उपस्थित ईसाई समुदाय को क्रिसमस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, ‘Merry Christmas’ !!!

अभी तीन-चार दिन पहले मैं अपने साथी भारत सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन जी के यहां क्रिसमस सेलीब्रेशन में गया था। अब आज आपके बीच उपस्थित होने का आनंद मिल रहा है। Catholic Bishops Conference of India- CBCI का ये आयोजन क्रिसमस की खुशियों में आप सबके साथ जुड़ने का ये अवसर, ये दिन हम सबके लिए यादगार रहने वाला है। ये अवसर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी वर्ष CBCI की स्थापना के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मैं इस अवसर पर CBCI और उससे जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

पिछली बार आप सभी के साथ मुझे प्रधानमंत्री निवास पर क्रिसमस मनाने का अवसर मिला था। अब आज हम सभी CBCI के परिसर में इकट्ठा हुए हैं। मैं पहले भी ईस्टर के दौरान यहाँ Sacred Heart Cathedral Church आ चुका हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सबसे इतना अपनापन मिला है। इतना ही स्नेह मुझे His Holiness Pope Francis से भी मिलता है। इसी साल इटली में G7 समिट के दौरान मुझे His Holiness Pope Francis से मिलने का अवसर मिला था। पिछले 3 वर्षों में ये हमारी दूसरी मुलाकात थी। मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया है। इसी तरह, सितंबर में न्यूयॉर्क दौरे पर कार्डिनल पीट्रो पैरोलिन से भी मेरी मुलाकात हुई थी। ये आध्यात्मिक मुलाक़ात, ये spiritual talks, इनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो सेवा के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाती है।

साथियों,

अभी मुझे His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड से मिलने का और उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला है। कुछ ही हफ्ते पहले, His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को His Holiness Pope Francis ने कार्डिनल की उपाधि से सम्मानित किया है। इस आयोजन में भारत सरकार ने केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में आधिकारिक रूप से एक हाई लेवल डेलिगेशन भी वहां भेजा था। जब भारत का कोई बेटा सफलता की इस ऊंचाई पर पहुंचता है, तो पूरे देश को गर्व होना स्वभाविक है। मैं Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को फिर एक बार बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज आपके बीच आया हूं तो कितना कुछ याद आ रहा है। मेरे लिए वो बहुत संतोष के क्षण थे, जब हम एक दशक पहले फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार को युद्ध-ग्रस्त अफगानिस्तान से सुरक्षित बचाकर वापस लाए थे। वो 8 महीने तक वहां बड़ी विपत्ति में फंसे हुए थे, बंधक बने हुए थे। हमारी सरकार ने उन्हें वहां से निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया। अफ़ग़ानिस्तान के उन हालातों में ये कितना मुश्किल रहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन, हमें इसमें सफलता मिली। उस समय मैंने उनसे और उनके परिवार के सदस्यों से बात भी की थी। उनकी बातचीत को, उनकी उस खुशी को मैं कभी भूल नहीं सकता। इसी तरह, हमारे फादर टॉम यमन में बंधक बना दिए गए थे। हमारी सरकार ने वहाँ भी पूरी ताकत लगाई, और हम उन्हें वापस घर लेकर आए। मैंने उन्हें भी अपने घर पर आमंत्रित किया था। जब गल्फ देशों में हमारी नर्स बहनें संकट से घिर गई थीं, तो भी पूरा देश उनकी चिंता कर रहा था। उन्हें भी घर वापस लाने का हमारा अथक प्रयास रंग लाया। हमारे लिए ये प्रयास केवल diplomatic missions नहीं थे। ये हमारे लिए एक इमोशनल कमिटमेंट था, ये अपने परिवार के किसी सदस्य को बचाकर लाने का मिशन था। भारत की संतान, दुनिया में कहीं भी हो, किसी भी विपत्ति में हो, आज का भारत, उन्हें हर संकट से बचाकर लाता है, इसे अपना कर्तव्य समझता है।

साथियों,

भारत अपनी विदेश नीति में भी National-interest के साथ-साथ Human-interest को प्राथमिकता देता है। कोरोना के समय पूरी दुनिया ने इसे देखा भी, और महसूस भी किया। कोरोना जैसी इतनी बड़ी pandemic आई, दुनिया के कई देश, जो human rights और मानवता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो इन बातों को diplomatic weapon के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जरूरत पड़ने पर वो गरीब और छोटे देशों की मदद से पीछे हट गए। उस समय उन्होंने केवल अपने हितों की चिंता की। लेकिन, भारत ने परमार्थ भाव से अपने सामर्थ्य से भी आगे जाकर कितने ही देशों की मदद की। हमने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में दवाइयाँ पहुंचाईं, कई देशों को वैक्सीन भेजी। इसका पूरी दुनिया पर एक बहुत सकारात्मक असर भी पड़ा। अभी हाल ही में, मैं गयाना दौरे पर गया था, कल मैं कुवैत में था। वहां ज्यादातर लोग भारत की बहुत प्रशंसा कर रहे थे। भारत ने वैक्सीन देकर उनकी मदद की थी, और वो इसका बहुत आभार जता रहे थे। भारत के लिए ऐसी भावना रखने वाला गयाना अकेला देश नहीं है। कई island nations, Pacific nations, Caribbean nations भारत की प्रशंसा करते हैं। भारत की ये भावना, मानवता के लिए हमारा ये समर्पण, ये ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच ही 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

Friends,

The teachings of Lord Christ celebrate love, harmony and brotherhood. It is important that we all work to make this spirit stronger. But, it pains my heart when there are attempts to spread violence and cause disruption in society. Just a few days ago, we saw what happened at a Christmas Market in Germany. During Easter in 2019, Churches in Sri Lanka were attacked. I went to Colombo to pay homage to those we lost in the Bombings. It is important to come together and fight such challenges.

Friends,

This Christmas is even more special as you begin the Jubilee Year, which you all know holds special significance. I wish all of you the very best for the various initiatives for the Jubilee Year. This time, for the Jubilee Year, you have picked a theme which revolves around hope. The Holy Bible sees hope as a source of strength and peace. It says: "There is surely a future hope for you, and your hope will not be cut off." We are also guided by hope and positivity. Hope for humanity, Hope for a better world and Hope for peace, progress and prosperity.

साथियों,

बीते 10 साल में हमारे देश में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। ये इसलिए हुआ क्योंकि गरीबों में एक उम्मीद जगी, की हां, गरीबी से जंग जीती जा सकती है। बीते 10 साल में भारत 10वें नंबर की इकोनॉमी से 5वें नंबर की इकोनॉमी बन गया। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने खुद पर भरोसा किया, हमने उम्मीद नहीं हारी और इस लक्ष्य को प्राप्त करके दिखाया। भारत की 10 साल की विकास यात्रा ने हमें आने वाले साल और हमारे भविष्य के लिए नई Hope दी है, ढेर सारी नई उम्मीदें दी हैं। 10 साल में हमारे यूथ को वो opportunities मिली हैं, जिनके कारण उनके लिए सफलता का नया रास्ता खुला है। Start-ups से लेकर science तक, sports से entrepreneurship तक आत्मविश्वास से भरे हमारे नौजवान देश को प्रगति के नए रास्ते पर ले जा रहे हैं। हमारे नौजवानों ने हमें ये Confidence दिया है, य़े Hope दी है कि विकसित भारत का सपना पूरा होकर रहेगा। बीते दस सालों में, देश की महिलाओं ने Empowerment की नई गाथाएं लिखी हैं। Entrepreneurship से drones तक, एरो-प्लेन उड़ाने से लेकर Armed Forces की जिम्मेदारियों तक, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहां महिलाओं ने अपना परचम ना लहराया हो। दुनिया का कोई भी देश, महिलाओं की तरक्की के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। और इसलिए, आज जब हमारी श्रमशक्ति में, Labour Force में, वर्किंग प्रोफेशनल्स में Women Participation बढ़ रहा है, तो इससे भी हमें हमारे भविष्य को लेकर बहुत उम्मीदें मिलती हैं, नई Hope जगती है।

बीते 10 सालों में देश बहुत सारे unexplored या under-explored sectors में आगे बढ़ा है। Mobile Manufacturing हो या semiconductor manufacturing हो, भारत तेजी से पूरे Manufacturing Landscape में अपनी जगह बना रहा है। चाहे टेक्लोलॉजी हो, या फिनटेक हो भारत ना सिर्फ इनसे गरीब को नई शक्ति दे रहा है, बल्कि खुद को दुनिया के Tech Hub के रूप में स्थापित भी कर रहा है। हमारा Infrastructure Building Pace भी अभूतपूर्व है। हम ना सिर्फ हजारों किलोमीटर एक्सप्रेसवे बना रहे हैं, बल्कि अपने गांवों को भी ग्रामीण सड़कों से जोड़ रहे हैं। अच्छे ट्रांसपोर्टेशन के लिए सैकड़ों किलोमीटर के मेट्रो रूट्स बन रहे हैं। भारत की ये सारी उपलब्धियां हमें ये Hope और Optimism देती हैं कि भारत अपने लक्ष्यों को बहुत तेजी से पूरा कर सकता है। और सिर्फ हम ही अपनी उपलब्धियों में इस आशा और विश्वास को नहीं देख रहे हैं, पूरा विश्व भी भारत को इसी Hope और Optimism के साथ देख रहा है।

साथियों,

बाइबल कहती है- Carry each other’s burdens. यानी, हम एक दूसरे की चिंता करें, एक दूसरे के कल्याण की भावना रखें। इसी सोच के साथ हमारे संस्थान और संगठन, समाज सेवा में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नए स्कूलों की स्थापना हो, हर वर्ग, हर समाज को शिक्षा के जरिए आगे बढ़ाने के प्रयास हों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामान्य मानवी की सेवा के संकल्प हों, हम सब इन्हें अपनी ज़िम्मेदारी मानते हैं।

साथियों,

Jesus Christ ने दुनिया को करुणा और निस्वार्थ सेवा का रास्ता दिखाया है। हम क्रिसमस को सेलिब्रेट करते हैं और जीसस को याद करते हैं, ताकि हम इन मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकें, अपने कर्तव्यों को हमेशा प्राथमिकता दें। मैं मानता हूँ, ये हमारी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी भी है, सामाजिक दायित्व भी है, और as a nation भी हमारी duty है। आज देश इसी भावना को, ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के संकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। ऐसे कितने ही विषय थे, जिनके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया, लेकिन वो मानवीय दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा जरूरी थे। हमने उन्हें हमारी प्राथमिकता बनाया। हमने सरकार को नियमों और औपचारिकताओं से बाहर निकाला। हमने संवेदनशीलता को एक पैरामीटर के रूप में सेट किया। हर गरीब को पक्का घर मिले, हर गाँव में बिजली पहुंचे, लोगों के जीवन से अंधेरा दूर हो, लोगों को पीने के लिए साफ पानी मिले, पैसे के अभाव में कोई इलाज से वंचित न रहे, हमने एक ऐसी संवेदनशील व्यवस्था बनाई जो इस तरह की सर्विस की, इस तरह की गवर्नेंस की गारंटी दे सके।

आप कल्पना कर सकते हैं, जब एक गरीब परिवार को ये गारंटी मिलती हैं तो उसके ऊपर से कितनी बड़ी चिंता का बोझ उतरता है। पीएम आवास योजना का घर जब परिवार की महिला के नाम पर बनाया जाता है, तो उससे महिलाओं को कितनी ताकत मिलती है। हमने तो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नारीशक्ति वंदन अधिनियम लाकर संसद में भी उनकी ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की है। इसी तरह, आपने देखा होगा, पहले हमारे यहाँ दिव्यांग समाज को कैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें ऐसे नाम से बुलाया जाता था, जो हर तरह से मानवीय गरिमा के खिलाफ था। ये एक समाज के रूप में हमारे लिए अफसोस की बात थी। हमारी सरकार ने उस गलती को सुधारा। हमने उन्हें दिव्यांग, ये पहचान देकर के सम्मान का भाव प्रकट किया। आज देश पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर रोजगार तक हर क्षेत्र में दिव्यांगों को प्राथमिकता दे रहा है।

साथियों,

सरकार में संवेदनशीलता देश के आर्थिक विकास के लिए भी उतनी ही जरूरी होती है। जैसे कि, हमारे देश में करीब 3 करोड़ fishermen हैं और fish farmers हैं। लेकिन, इन करोड़ों लोगों के बारे में पहले कभी उस तरह से नहीं सोचा गया। हमने fisheries के लिए अलग से ministry बनाई। मछलीपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं देना शुरू किया। हमने मत्स्य सम्पदा योजना शुरू की। समंदर में मछलीपालकों की सुरक्षा के लिए कई आधुनिक प्रयास किए गए। इन प्रयासों से करोड़ों लोगों का जीवन भी बदला, और देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिला।

Friends,

From the ramparts of the Red Fort, I had spoken of Sabka Prayas. It means collective effort. Each one of us has an important role to play in the nation’s future. When people come together, we can do wonders. Today, socially conscious Indians are powering many mass movements. Swachh Bharat helped build a cleaner India. It also impacted health outcomes of women and children. Millets or Shree Anna grown by our farmers are being welcomed across our country and the world. People are becoming Vocal for Local, encouraging artisans and industries. एक पेड़ माँ के नाम, meaning ‘A Tree for Mother’ has also become popular among the people. This celebrates Mother Nature as well as our Mother. Many people from the Christian community are also active in these initiatives. I congratulate our youth, including those from the Christian community, for taking the lead in such initiatives. Such collective efforts are important to fulfil the goal of building a Developed India.

साथियों,

मुझे विश्वास है, हम सबके सामूहिक प्रयास हमारे देश को आगे बढ़ाएँगे। विकसित भारत, हम सभी का लक्ष्य है और हमें इसे मिलकर पाना है। ये आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उन्हें एक उज्ज्वल भारत देकर जाएं। मैं एक बार फिर आप सभी को क्रिसमस और जुबली ईयर की बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।