Bഉത്തർപ്രദേശിൽ ബിജെപി മാഫിയരാജും ഗുണ്ടാരാജും അവസാനിപ്പിച്ചുവെന്ന് സീതാപൂർ റാലിയിൽ പ്രധാനമന്ത്രി മോദി പറഞ്ഞു
സന്ത് രവിദാസ് ജി ജനിച്ച കാശിയിലെ എംപിയാണ് ഞാൻ എന്നത് സന്തോഷമുള്ള കാര്യമാണ്: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി സീതാപൂരിൽ
നേരത്തെ ദരിദ്രരുടെ റേഷൻ മാഫിയകൾ കൊള്ളയടിച്ചിരുന്നു, ഇപ്പോൾ അതു ഉണ്ടാകില്ലെന്ന് ഞങ്ങൾ ഉറപ്പാക്കി: പ്രധാനമന്ത്രി നരേന്ദ്ര മോദി സീതാപൂരിൽ

भारत माता की
भारत माता की

नमस्कार।

मैं देख रहा हूं मेरी नजर जहां पहुंच रही है उससे भी उस पार मैं इतना बड़ा जनसागर देख रहा हूं। आप इतनी बड़ी तादाद में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। और यहां तो मैं देख रहा हूं कर्टेन के भी पीछे यहां लोगों को तकलीफ हो रही है, लेकिन खड़े हैं। ऋषियों-मुनियों की तपोस्थली सीतापुर, और आसपास से आए सभी बहनों-भाइयों को मेरा सिर झुकाकर प्रणाम। आपका ये उत्साह बता रहा है कि यूपी में अगले पांच चरणों में भी बीजेपी का ही परचम लहराएगा। अब आप सभी को मिलकर के भाजपा को रिकॉर्ड सीटों से जिताना है। 2017 में जो रिकॉर्ड यूपी के लोगों ने बनाया, अब आपको अपना ही रिकॉर्ड तोड़ना है। तोड़ोगे ना, पक्का। आप याद रखिए, यूपी में भाजपा सरकार होने का मतलब है- दंगाराज, माफियाराज, गुंडाराज इन पर बराबर कंट्रोल। है कि नई है। है कि नई है। यूपी में भाजपा सरकार का मतलब है- पूजा के दिन हों, पर्वों के दिन हों, पूजा-पर्वों को मनाने की खुली स्वतंत्रता। यूपी में भाजपा सरकार का मतलब है- बहनों-बेटियों की मनचलों से सुरक्षा। यूपी में भाजपा सरकार का मतलब है- गरीब के कल्याण के लिए निरंतर काम। यूपी में भाजपा सरकार का मतलब है- केंद्र की योजनाओं पर डबल स्पीड से काम।

साथियों,

आज संत रविदास जी की जन्म जयंती भी है। रविदास जी के अनेकों मंदिरों में उनके भक्त जुटे हुए हैं। आज सुबह मुझे भी दिल्ली में संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास विश्रामधाम मंदिर में जाने का सौभाग्य मिला। मान्यता है कि जब एक बार गुरू रविदास जी राजस्थान जा रहे थे तो दिल्ली में उसी स्थान पर उन्होंने विश्राम किया था। मेरे लिए दोहरी खुशी ये भी है कि मैं उस काशी का सांसद हूं, जहां संत रविदास जी का जन्म हुआ था। ये भी मेरा सौभाग्य है कि बनारस में उनके मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य, एक पवित्र कार्य करने के लिए ईश्वर ने मुझे निमित्त बनाया। मुझे एक माध्यम के रूप में इतने सालों से जो काम नहीं हुआ था, वो काम मुझे उस स्थान पर करने का, रविदास जी के पूरे मंदिर परिसर को सजाने का मौका मिला। दशकों से रविदास जी के भक्त, हर सरकार से इसकी मांग करते थे। हर व्यक्ति से इसकी मांग करते थे, लेकिन चुनाव आता था। लंगर चखना और फोटू निकालना और भाग जाना यही होता था। भाजपा सरकार वहां संत रविदास जन्मस्थली विकास परियोजना पर भी तेजी से काम कर रही है। रविदास जी के श्रद्धालुओं के लिए अनेक सुविधाएं वहां विकसित की गई हैं। आज वहां उनके भव्य मंदिर में दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंच रहे हैं। मुझे विश्वास है कि संत रविदास जी की जन्मस्थली पर भाजपा सरकार जो सुविधाएं बना रही है, उससे श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिलेगा। हालांकि मुझे ये देखकर भी तकलीफ होती है कि यहां पहले जिन्होंने पांच साल तक सरकार चलाई, 2017 से पहले, उन्हें संत रविदास जी के नाम से भी कितनी चिढ़ रही है। ये मुझसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के लोग जानते हैं।


साथियों,

संत रविदास जी की प्रेरणा से हमारी सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर चल रही है। हमारी योजनाओं के केंद्र में गरीब है, दलित-शोषित-पिछड़े-वंचितों का कल्याण है। आप सब जानते हैं भाइयो-बहनो, पूरी दुनिया पिछले दो साल से, 100 साल में नहीं आई ऐसी भयंकर महामारी की चपेट में है पूरी दुनिया। इस महामारी के इस काल में, भाजपा सरकार ने गरीब का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। संत रविदास जी भी कह गए थे-और आप, मैं जो रविदास जी कहकर गए थे, वो तो बताउंगा और आपको भी विश्वास होगा कि हमारा काम करने का तरीका, पूज्य संत रविदास जी ने सदियों पहले जो मार्गदर्शन किया था, उसी नक्शेकदम पर चल रहे हैं। संत रविदास जी ने क्या कहा था, संत रविदास जी ने कहा था, ऐसा चाहूं राज मैं, यानी मैं ऐसा राज चाहता हूं,...ऐसा चाहूं राज मैं, मिले सबन को अन्न। छोट-बड़ो सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न। यानि मैं एक ऐसा राज चाहता हूं, रविदास जी ने कहा है, मैं एक ऐसा राज चाहता हूं, जिसमें सभी को अन्न मिले, हर कोई एक समान, समरस होकर रहे। इसी सोच के साथ, यूपी के करोड़ों लोगों को करीब-करीब दो साल से मुफ्त राशन दिया जा रहा है। इसमें सवा 9 करोड़ से अधिक साथी पिछड़े वर्ग से हैं। अनुसूचित वर्ग के हमारे 3 करोड़ भाइयों और बहनों को भी भाजपा सरकार मुफ्त राशन दे रही है। करीब 3 करोड़ साथी सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के भी हैं। अल्पसंख्यक समाज के भी लाखों साथियों को इसका लाभ मिल रहा है। जब गरीब की तकलीफ का ऐहसास हो, तो ऐसे ही काम होता है, ऐसे ही काम किया जाता है। गरीब का राशन जो पहले माफिया लूट लेता था, उसका एक-एक दाना आज गरीब के घर पहुंच रहा है। इस पूरे कोरोना काल में मैं एक बात पर ध्यान केंद्रित रहा कि किसी गरीब के घर में ऐसा दिन नहीं आना चाहिए कि घर का चूल्हा न जला हो। गरीब के घर में रात को किसी को भूखा न सोना पड़े। इसके लिए हम जागते रहे हैं और सरकार इस पर 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है। गरीब भले ही किसी भी वर्ग का हो, दलित हो, पिछड़ा हो, वो जानता है कि किसने संकट के समय में साथ दिया और कौन संकट के समय लापता हो गया था। ये गरीब बराबर अपने दिमाग में भरकर रखता है।

साथियों,

कोरोना के इस समय में, गरीबों को मुफ्त वैक्सीन का भी हमारी सरकार ने पूरा ध्यान रखा है। पहले की सरकारों के समय कभी ऐसे अभियान चलाकर, इतना बड़ा अभिया चलाकर, समयसीमा में गरीबों को मुफ्त वैक्सीन नहीं दी गई है। आजादी के बाद इतने सालों में ये पहली बार हुआ है। पहले तो हालत ये थी कि पहले की सरकारों का वैक्सीनेशन कार्यक्रम हमारे गांवों तक, आदिवासी इलाकों तक ठीक से पहुंच ही नहीं पाता था। बरसों-बरस कार्यक्रम चलते थे, गरीबों को वैक्सीन की एक डोज नहीं लग पाती थी। आज ये भाजपा सरकार है जो देश के कोने-कोने में गरीब से गरीब को मुफ्त वैक्सीन लगवा रही है। भाइयो-बहनो मैं आपसे पूछना चाहता हूं, जरा जवाब देंगे। मैं सवाल पूछूं तो जवाब देंगे। जरा जोरों से बताएंगे तो पता चले। इधर वाले देंगे। यहां वाले देंगे....आप मुझे बताइये कि आपने वैक्सीन लगवाई है। हाथ ऊपर करके बताइये, लगवाई है। आपको वैक्सीन के लिए एक भी पैसा खर्च करना पड़ा है। आपके घर-घर सरकार ने चिंता की है कि नहीं की है। इतनी बड़ी महामारी में आपके, आपके परिवार के आपके गांव के लोगों की जिंदगी बचाने के लिए हमने जी-जान लगा दी कि नहीं लगा दी। विदेशों में कोरोना का यही टीका बहुत ज्यादा कीमत पर लग रहा है। लेकिन भारत में भाजपा की सरकार, हमारे लिए तिजोरी नहीं मेरे देश की जिंदगी बहुत उत्तम है कीमती है, तिजोरी खाली कर देंगे, लेकिन टीका घर-घर पहुंचाके रहेंगे यह काम हमने किया है। ये इसलिए क्योंकि हमें गरीब की, दलित की, हर पीड़ित-शोषित-वंचित की चिंता है, उसकी परवाह है। इस पर भी हमारी सरकार हजारों करोड़ रूपये खर्च कर रही है भाइयो बहनो, हजारों करोड़ रुपये... इस कोरोना काल में गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का भी बहुत लाभ मिला है। जो गरीब पहले अच्छे अस्पताल में इलाज की सोच भी नहीं सकता था, और मैंने तो देखा है क्योंकि मैं भी आप ही की तरह एक बहुत सामान्य परिवार से आया हूं। मैंने गरीबी के भाषण नहीं सुने, मैं गरीबी जीकर के आया हूं। गरीब की जिंदगी क्या होती है, ये मैं उससे गुजरकर के आपके बीच में पहुंचा हूं,

भाइयो-बहनो,

गरीब के घर में मां अगर बीमार होती है तो सालों साल तक दर्द सहती है, किसी को बताती तक नहीं है घर में और दर्द हद से बाहर हो जाए और डॉक्टर के पास ले जाएं बच्चें और डॉक्टर आपरेशन के लिए कहे तो मां कहती है मुझे ऑपरेशन नहीं करवाना है, इसलिए नहीं की वो ऑपरेशन से डरती थी वो इसलिए ऑपरेशन नहीं करवाती थी कि वो सोचती थी कहीं बच्चे कर्ज लेकर के मेरा ऑपरेशन करवाएंगे और मेरे बाद उनके सर पर इतना कर्ज बना रहेगा और वो जिंदगी नहीं जी पाएंगे और इसलिए मां खुद बीमार रहना पसंद करती थी, लेकिन बच्चों के माथे पर कर्ज नहीं आने देती थी। ये सही है कि नहीं है भाईयों, ऐसा ही होता है कि नहीं होता है। इस दुख को कौन दूर करेगा भाईयों...ये गरीब की चिंता कौन करेगा। अगर गरीब मां बीमार है तो उस मां का इलाज कौन करवाएगा औऱ इसलिए हमने प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना लाकर के हर गरीब परिवार के व्यक्ति को पांच लाख तक का अगर खर्च आता है तो उसका सारा जिम्मा हमने उठा लिया ताकि मेरा कोई गरीब परिवार दवाई के अभाव में ड़ॉक्टर के अभाव, अस्पताल के अभाव में दम तोड़ ना दे भाइयो। आखिर सरकार होती किसके लिए है सरकार गरीबों के लिए होती है। अरे अमीर तो बीमार हो जाएगा तो 10 डॉक्टर उसके घर कतार लगा कर खड़े हो जाएंगे। हवाई जहाज में उठाकर उसको ले जाएंगे जहां अच्छी अस्पताल होगी, लेकिन गरीब कहां जाएगा। और इसलिए भाइयो-बहनो डबल इंजन की सरकार, डबल शक्ति से यूपी को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए, गरीब को सशक्त करने के लिए काम कर रही है। हमारे गरीब, पिछड़े, दलित भाई-बहनों का बहुत बड़ा सपना था कि उनके पास भी पक्का घर हो। भाजपा सरकार ने अपने पांच साल में सिर्फ उत्तर प्रदेश में, मेरे भाइयो-बहनो आंकड़ा याद रखना जरा, पांच साल में उत्तर प्रदेश में 34 लाख, 34 लाख पक्के घर बनाकर हमने गरीबों को दिए हैं। और आज गरीब पक्के घर में रहने लगा है भाइयों-बहनों। और जिनको अभी घर मिला नहीं है, उनको भी मैं विश्वास दिलाता हूं, ये काम अभी भी तेजी से चल रहा है। आने वाले दिनों में आपका भी नंबर लगने वाला है, ये मोदी है कर के रहेगा, दे के रहेगा। और मेरे लिए खुशी की बात है, मेरे अब मंत्रि परिषद में, पंकज चौधरी जैसे वित्त मंत्री हैं, फाइनेंस मिनिस्टर हैं एमओएस, इस बार के बजट की पूरे हिंदुस्तान में तारीफ हो रही है, ये बजट किसने दिया है, ये पंकज चौधरी जी ने दिया है। और उन्होंने भी आपके दुख-दर्द को जानते हैं। इस बजट में भी गरीबों को लाखों घर देने के लिए कोटि-कोटि रुपयों का प्रावधान कर दिया है। मैं पंकज जी को अभिनंदन देता हूं।

भाइयों- बहनों।

गरीब माताओं-बहनों-बेटियों को खुले में शौच के अपमान से, पीड़ा से मुक्ति चाहिए थी। कैसे दिन थे, आजादी के सात-सात दशक के बाद, मेरी गरीब मां, अंधेरे का इंतजार करती थी। शौच जाना है तो सुबह सूरज उगने से पहले भागती थी। कितनी ही ठंड हो जाना पड़ता था, कहीं जगल में और शाम को सूरज ढलने के बाद जा पाती थी, पीड़ा सहन करती थी शौचालय की सुविधा नहीं मिलती थी। ये मेरी मां का दर्द, मेरे इन गरीब परिवारों का दर्द, गरीबी से आया हुआ उनका बेटा ही जान सकता है। भाजपा सरकार ने यूपी में दो करोड़ से ज्यादा इज्जत घरों का-शौचालयों का निर्माण करके उनके जीवन की बहुत बड़ी परेशानी दूर की। और मैं उत्तर प्रदेश की बहनों का एक विशेष कारण से आभार व्यक्त करता हूं, क्योंकि शौचालय को इज्जतघर जो नाम मिला है न, वो मेरी उत्तर प्रदेश की बेटियों ने दिया है। मैं पहली बार जब उत्तर प्रदेश में दौरा कर रहा था, शौचालय बनाने के बाद मैं एक गांव भी चला गया था क्योंकि शौचालय बनाने का जो काम कर रहा था मैं उसके साथ जुड़ा था, तो बेटियों ने इसे इज्जत घर शब्द दिया था, और मैं समझ गया था कि मेरी बहन बेटियों के लिए, ये शौचालय कितना बड़ा महत्वपूर्ण है। ये दिल्ली में आज तक शासन करने वालों को गरीब की जिंदगी में शौचालय क्या होता है, ये इनकी समझ के बाहर है भाइयों-बहनों, मुझे इसकी समझ है।


भाइयो-बहनों

रसोईघर के धुएं को उसी में जिंदगी जीना हमारी माताओं-बहनों ने उसे ही अपना भाग्य समझ लिया था, दिन भर चूल्हे की आग से निकलते हुए धुएं, उसमें खाना पकाना, धुएं के कारण बच्चों की आंखें जल रही हैं बच्चे रो रहे हैं, मां के शरीर में हर दिन चार सौ सिगरेट जितना धुआं उसके शरीर में जा रहा है, कितना दर्द झेलती होगी। हमने ऐसी करोड़ों बहनों को इस दर्द से मुक्ति के लिए, उज्ज्वला योजना के तहत गैस का कनेक्शन दिया। भाइयो-बहनों हमारे देश में आज से सात साल पहले गैस का कनेक्शन स्टेटस सिंबल हुआ करता था। एमपी, एमएलए, मंत्री उनकी सिफारिश से गैस कनेक्शन मिलता था। सिर्फ प्रधानमंत्री बदल गया सोच बदल गई और सामने से गैस का कनेक्शन देना शुरू कर दिया भाइयों । जिन करोड़ों बहनों-बेटियों का अधिकतर समय पीने के पानी के इंतजाम में बीत जाता है, मैं तो एक ऐसे राज्य से आता हूं, जहां 10 साल में 7 साल सूखा रहता था, पानी की किल्लत रहती थी मैं उस दर्द को जानता हूं, और इसलिए मैं देखता था मेरी माताएं, बहनें…बच्चियां स्कूल नहीं जाती थी… क्यों… क्योंकि तीन-तीन किलोमीटर पानी लेने जाना पड़ता था।

भाइयों-बहनों

आज नल से जल का ये बड़ा अभियान चलाया है। और पानी की सुविधा घर में पहुंचे सरकार इसकी चिंता कर रही है। हर घर जल अभियान इस पर यूपी में तेजी से काम किया जा रहा है। भाइयो-बहनो, आप ये भी जान लीजिए, आपको कई नेता मिल जाएंगे, बहुत बड़ी बातें कहेंगे, हम आपको इतने पैसे दे देंगे। दूसरा आएगा हम वो हजार दे रहा है तो मैं ग्यारह सौ दे दूंगा। तीसरा आएगा, ये एक चीज मुफ्त देता है तो मैं दो चीज मुफ्त देगा। ऐसे ही राजनीति में खेल चल रहा है। लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं, जरा मुझे जवाब देना दोस्तो। आपके पास घर है शानदार बंगलो है गाड़ी है उद्योग है व्यापार है। खेत है, खलिहान है सुख ही सुख है दुख का नामौनिशान नहीं है, लेकिन आपका जवान बेटा या जवान बेटी घर से बाहर गई है और शाम को उसका डेड बॉडी, उसका मृत देह घर आ जाए तो ये घर किस काम का। ये बंगलो किस काम का, ये पैसे- मिल्कियत किस काम की... आपको चाहिए सुरक्षा, सुरक्षा चाहिए कि नहीं चाहिए। सुरक्षित जीवन होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। आपको सुरक्षा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। जब कानून का राज नहीं होता, तो सबसे ज्यादा पिसना मेरे गरीब को ही पड़ता है। असुरक्षा की जिंदगी जीनी पड़ती है। माफियाओं के राज में गरीब की सुनवाई नहीं होती। उत्तर प्रदेश में पहले जो घोर परिवारवादियों की सरकार रही, उन्होंने यूपी का यही हाल बना रखा था। हमारे दुकानदार, व्यापारी-कारोबारी कभी नहीं भूल सकते कि की कैसे पहले की सरकार के समय गुंडागर्दी चरम पर थी। हर एक दुकानदार, स्थानीय गुंडों की घुड़की और धमकी सुनने के लिए मजबूर रहता था। कारोबार के सिलसिले में शहर के दुकानदारों का गांव आना, गांव के दुकानदारों को शहर जाना लगा ही रहता है। लेकिन पहले आए दिन व्यापारियों से, दुकानदारों से पैसा लूट लिए जाने की खबरें अखबारों में छाई रहती थीं।

भाइयो और बहनो,

यहां तो हालत ये थी कि अगर कोई त्योहार बिना तनाव, बिना कर्फ्यू के निकल जाता था, तो लोग राहत की सांस लेते थे। अब योगी जी की सरकार यूपी के लोगों को, इन दंगाइयों से, अपराधियों से, मुक्ति दिलाने का काम कर रही है। और इसलिए, इसलिए आज पूरा यूपी कह रहा है, आज पूरा यूपी कह रहा है- जो कानून का राज लाए हैं, हम उनको लाएंगे।


साथियों,

उत्तर प्रदेश में तो पारंपरिक लघु और कुटीर उद्योगों की एक समृद्ध विरासत है। सीतापुर की सूती और ऊनी दरी, तो देशभर में मशहूर है। और आज मुझे भी तोहफा मिल गया। मैं आपका आभारी हूं। वैसे मैं बताऊं जी, मैं जब छोटा था, तो मैंने बड़े-बड़े शहरों के नाम तो सुने थे, लेकिन सीतापुर का नाम बहुत सुना था। मेरे गांव में, शायद वर्तमान पीढ़ी को मालूम नहीं होगा, जब मैं छोटा था तो मैं मेरे गांव में सीतापुर नाम सुनता था। तब ये भी मालूम नहीं था कि सीतापुर कहां पड़ता है। हम तो सोच रहे थे कि गुजरात के किसी कोने में होगा। क्योंकि जो थोड़े अच्छे घर के लोग होते थे और उनको आंख की तकलीफ होती थी तो वे सीतापुर आते थे। मेरे गुजरात से आंख की बीमारी से दवाई के लिए लोग सीतापुर आते थे। और आज हालत ये है, मैं इसका वर्णन नहीं करता हूं, योगी जी ने इसे ठीक करने के लिए पांच साल बड़ी मेहनत की है भाई। अब मेरे सीतापुर के बुनकर साथियों का ये जो दरी वाला काम है जो उनका परिश्रम है, ये दुनिया भर में जाए इसके लिए हम एक जनपद-एक उत्पाद योजना लेकर आए हैं। मुझे बताइये भइया, अगर मैं वोकल फॉर लोकल…वोकल फॉर लोकल, वोकल फॉर लोक ये बार-बार चीख-चीखकर बोलता रहता हूं। दीवाली आए तब भी बोलता हूं, होली आए तब भी बोलता रहता हूं। शिवरात्रि आए तब भी बोलता हूं। शादी की सीजन आए तब भी बोलता हूं….क्यों बोलता हूं। मेरा तो कोई कारखाना है नहीं, मैं मेरा माल बेचने के लिए नहीं कर रहा हूं। क्योंकि मुझे मालूम है कि हिंदुस्तान के हर जिले में ऐसे उत्पाद हैं, उनके लिए मैं बोलता रहूंगा। दुनिया में बेचता रहूंगा, ताकि सीतापुर की दरी दुनिया के बाजार में बिकना शुरू हो जाए।

आप मुझे बताइये भइया, अगर कोई भी राजनीतिक दल का नेता अगर ये बोलेगा, कोई भी राजनीतिक दल का नेता कि भई वोकल फॉर लोकल, स्थानीय चीजें खरीदीए, तो बताइये उस पार्टी का कोई नुकसान होगा क्या, कोई नुकसान होगा क्या। अगर वो ऐसा बोलते हैं और आपकी दस-बारह, पचास दरी ज्यादा बिकती है तो आपका भला होगा कि नहीं होगा। आपका भला होगा कि नहीं होगा, लेकिन उनको तो इसमें भी दर्द है कि अगर वोकल फॉर लोकल बोल दिया और सीतापुर की दरी ज्यादा बिक गई और सीतापुर के लोग सुखी हो गए तो क्रेडिट तो योगी जी को मिलेगा। क्रेडिट तो मोदी जी को मिलेगा। इसलिए बोलना ही नहीं।

भाइयो और बहनो

मैं आपके लिए बोलता हूं। आपके परिश्रम के लिए बोलता हूं। आपके हुनर के लिए बोल रहा हूं भाइयो। ये घोर परिवारदियों की सोच ने तो इतने वर्षों तक अपने कारीगरों के हुनर के बजाए विदेश से आयात पर ही बल दे दिया। अब तो हमने झांसी से लेकर अलीगढ़ तक डिफेंस कॉरिडोर का जो काम शुरू किया है ना…हमने तो हमारे बजट में पंकज जी ने बहुत बढ़िया काम कर दिया है। उन्होंने बजट में कह दिया है कि रक्षा क्षेत्र में भी इतने रुपयों का माल तो हिंदुस्तान में से ही लेना होगा, बाहर से नहीं ला सकते हो। इसके कारण हमारे देश में जो लोग तैयार करते हैं चीजें, वो बिकेंगी।

भाइयो और बहनो,

आज हम वोकल के लिए लोकल की बात कर रहे हैं। इसके पीछे यही हमारा प्रयास है। हमारी कोशिश है कि देश में अधिक से अधिक उत्पादन हो। अधिक से अधिक नए रोजगार के नए अवसर बनें। आपको याद होगा सात-आठ साल पहले मोबाइल फोन कितना महंगा होता था। उस समय ज्यादातर मोबाइल फोन विदेश से ही आते थे। भाजपा सरकार की कोशिशों की वजह से आज भारत मोबाइल फोन बनाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा, दूसरा सबसे बड़ा देश आज भारत बन गया है। आज भारत में मोबाइल फोन बहुत सस्ता हुआ है। इंटरनेट सस्ता हुआ है। गरीब से गरीब की पहुंच में है। और ये मोबाइल फोन मेरे देश के नौजवान बेटे-बेटियां बना रही हैं और मेरे देश में माल तैयार हो रहा है और बिक रहा है और लोगों को रोजगार मिल रहा है। आपको सस्ता मोबाइल मिल रहा है।

साथियो,

नीयत साफ हो, प्रयास ईमानदार हों, दिल में सेवा का भाव हो तो रास्ते तो निकलते ही हैं। आप ये भी याद करिए, आपके घर में जो एलईडी बल्ब आता है, वो छह साल पहले तीन सौ-चार सौ रूपये में एक लट्टू आता था, हमने देश में ही इनका बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादन करने पर जोर दिया। आज ये बल्ब, ये लट्टू पचास-साठ रूपये में मिल रहा है। सिर्फ बल्ब सस्ता नहीं हुआ, बल्कि बिजली का बिल भी कम हुआ। यूपी के लोगों के भी सैकड़ों करोड़ रूपये एलईडी बल्ब की वजह से बचे हैं।

भाइयों और बहनों,

योगी जी के नेतृत्व में रोज़गार और स्वरोज़गार की दिशा में भी अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। मैं एक और आकंड़ा देना चाहता हूं जो कोरी बातें करने वालों की पोल खोलने के लिए बहुत जरूरी है। 2007 से लेकर 2017 तक के 10 सालों में इन्होंने 2 लाख से भी कम सरकारी नौकरियां यूपी के युवाओं को दी थीं। कितनी नौकरियां भइया, दो लाख से भी कम, कितनी-दो लाख से भी कम। कितनी-कितनी-कितनी दो लाख से कम और कितने समय में, पांच साल में। जबकि योगीजी की सरकार ने अपने अपने 5 साल में साढ़े 4 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं। और आप ये भी याद करिए कि घोर परिवारवादियों की सरकार में नौकरियां किस तरह मिलती थीं, लोगों को क्या-क्या पापड़ बेलना पड़ता था। ये मेरे उत्तर प्रदेश के नौजवान जानते हैं।

भाइयों और बहनों,

2017 से पहले खनन माफिया और भूमाफिया का ही राज चलता था। माफियावादियों को तब बार-बार बाढ़ से जूझते सीतापुर के गांवों की चिंता क्या कभी हो सकती है क्या ? जो लूटने में लगे हैं, योगी जी की सरकार ने इस चुनौती के समाधान के लिए ईमानदार प्रयास किए हैं। नैमिषारण्य को लेकर भी घोर परिवारवादियों का रवैया क्या था वो आप मुझसे ज्यादा जानते हैं। हमारी सरकार ने नैमिषारण्य के विकास के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

साथियों,

जिन्होंने यूरिया तक के लिए किसानों पर लाठियां चलाईं, वो गांव-किसान का हित नहीं सोच सकते। सीतापुर के किसान कभी नहीं भूल सकते कि कैसे गन्ना बेचने आए किसानों पर मिल के फाटक के सामने लाठियां बरसाई गई थीं। ये सीतापुर की बात आपको याद होगी भाइयो। इनका ट्रैक रिकॉर्ड गन्ना फैक्ट्रियों को बंद करने का भी रहा है, योगी सरकार नई गन्ना फैक्ट्रियां भी लगा रही हैं और पुरानी फैक्ट्रियों की क्षमता भी बढ़ा रही है। आज गन्ना किसान को पर्ची घर बैठे अपने मोबाइल पर ही मिल रही है। हम इथेनॉल के उत्पादन पर भी जोर दे रहे हैं ताकि गन्ना किसानों को आय का एक और विकल्प मिले। पशुपालन से गांव के किसान की आमदनी बढ़े, इसके लिए भी हम ईमानदार प्रयास कर रहे हैं। हम बेसहारा पशुओं के लिए पशु-शालाएं बनवा रहे हैं ताकि किसानों की दिक्कत कम हो। कोशिश ये भी है कि पशुओं के गोबर से भी अतिरिक्त आय किसान मिलना शुरू हो जाए।

साथियों,

यूपी का विकास वो लोग नहीं कर सकते जो दंगाइयों को, गुंडों को, माफियाओं को बढ़ावा देते हों। उत्तर प्रदेश के जागरूक लोग इस बात को भली-भांति जानते हैं। इसीलिए उत्तर प्रदेश के लोग जी-जान से कह रहे हैं- आएगी तो भाजपा ही, आएगी तो भाजपा ही आएंगे तो योगी ही ! लेकिन आपको एक बात का ध्यान रखना है। ये दंगावादी, आप लोगों को बांटने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आपको एकजुट रहना है। एकजुट होकर के मतदान करना है। और आप याद रखिए, पहले मतदान, कमल निशान, फिर दूसरा कोई काम।
मेरे साथ जोर से बोलिए....

भारत माता की जय
भारत माता की जय

मेरी उम्मीदवारों से प्रार्थना है, जरा आगे आ जाएं और पंकज जी भी उनके साथ आ जाएं जरा। हमारे एमपी साहब भी थोड़ा आगे आ जाएं। मेरे साथ हाथ ऊपर करके बोलिए

भारत माता की जय
भारत माता की जय
बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!