कनाडा के लोकप्रिय एवं सफल प्रधानमंत्री,मेरे परम मित्र श्री स्टीफन हार्पर जी ,श्रीमती लौरें हार्पर जी और विशाल संख्या में आये हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों

PM Modi - Indian Diaspora Event, at Ricoh Coliseum, Toronto Canada (13)

 कनाडा की जनता उनका हृदय से धन्‍यवाद करता हूं... जिस प्रकार से कनाडा ने मेरा स्‍वागत किया है सम्‍मान किया है,जिस उमंग और उत्‍साह के साथ उन्‍होंने अपने प्‍यार को प्रकट किया है मैं इसके लिए प्रधानमंत्री जी का और कनाडा का हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद व्‍यक्‍त करता हूं,लेकिन यह सम्‍मान किसी व्‍यक्ति का नहीं है,यह सम्‍मान नरेंद्र मोदी का नहीं है,यह सम्‍मान सवा सौ करोड़ हिंदुस्‍तानियों का है और कनाडा में भारत की पहचान नरेंद्र मोदी ने नहीं बनाई है,कनाडा में भारत की पहचान आप सब मेरे देशवासियों ने बनाई है। आपकी बदौलत,आपका पुरूषार्थ,आपका जीवन,मिलजुलकर के सबको साथ लेकर के चलने की हमारी परंपरा,उसको आपने भलीभांति यहां पर जीकर के दिखाया है। कनाडा का हर नागरिक आपके प्रति गौरव अनुभव करता है। आदर-सत्‍कार के साथ आपका नाम लेता है और जब दुनिया के किसी भी देश में किसी भारतीय की पराक्रम की गाथा सुनते हैं तो सीना चौड़ा हो जाता है और कनाडा में बसने वाले हमारे भारतीयों ने अपने सफल कारोबार के माध्‍यम से,अपने सफल जीवन के माध्‍यम से भारत की आन,बान,शान को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। इस शहर के साथ तो मेरा नाता पुराना रहा है। पहले भी आना हुआ है और तब मैं कुछ नहीं था। कोई जानता भी नहीं था। तब भी इस शहर ने मुझे जो प्‍यार दिया था,इतने ढेर सारे कार्यक्रम मेरे हुए थे। इतने लोगों से मेरा मिलना हुआ था और इसलिए आज मैं उस धरती पर फिर से एक बार आकर ,नई जिम्‍मेदारी के साथ आया हूं,तब मैं यहां रहने वाले मेरे सभी भारतीय भाईयों और बहनों का हृदय से अभिनंदन करता हूं।

मेरा कनाडा के कारोबार से बड़ा अच्‍छा संबंध रहा,मेरा बहुत अच्‍छा अनुभव रहा। मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री रहा कई वर्षों तक और मुख्‍यमंत्री के कालखंड में मैं एक Vibrant Gujrat InvestorSummitकरता था। 2003 में पहली बार किया। पूरी कल्‍पना नई थी और मैं आज गर्व से कहता हूं कि कनाडा वो देश है जो 2003 से गुजरात का partner countryबना। एक developed countryके लिए किसी देश के छोटे से राज्‍य के साथ partner countryबनना यह निर्णय छोटा नहीं होता है,लेकिन कनाडा ने वो निर्णय किया और अब तक निभाया है। मैं इसके लिए कनाडा का बहुत-बहुत आभारी हूं। मैं कल रात यहां पहुंचा,कल रात चला जाऊंगा लेकिन कनाडा के प्‍यार को मैं कभी भुला नहीं पाऊंगा। आज कल तो विमानों की सेवा इतनी अच्‍छी हो गई है कि 15-17-20..... घंटे में आप भारत से कनाडा पहुंच सकते हो। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को आने में 42 साल लग गए। ये भी बड़ी विचित्रता देखिए कि भारत और कनाडा मिलकर स्पेस में तो प्रगति कर रहे हैं, लेकिन धरती पर कतराते रहते थे। जिस बात को 42 साल बीत गए, उसको मैंने दस महीने के भीतर-भीतर कर दिया।

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मैं जानता हूं कि भारत की शक्ति और भारत की आवश्‍यकता ....कनाडा की संपत्ति और कनाडा का सामर्थ्‍य : इंडिया प्‍लस कनाडा; आप कल्‍पना कर सकते हो। हम दुनिया में कितनी बड़ी ताकत के रूप में उभर सकते हैं| भारत को जिन-जिन प्राकृतिक संपदाओं की जरूरत है उन सारी प्राकृति संपदाओं की पूर्ति कनाडा से हो सकती है। मेरे हिंदुस्‍तान में किसान खेत में मजदूरी करता है, मेहनत करता है, पसीना बहाता है और जब उसको फर्टीलाइजर की जरूरत होती है तो पोटाश कनाडा से आता है। यहां पर इतनी प्राकृतिक संपदा है.. एक बार यहां के एक राज्‍य के प्रीमियर गुजरात आये थे। मैंने उनसे कहा कि मेरा राज्‍य ऐसा है.. तब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था। मैंने कहा कि मेरे यहां हीरे की खदानें नहीं हैं, लेकिन मेरे लोगों का कौशल ऐसा है, Entrepreneurshipमें इतना दम है कि दुनिया में दस में से नौ हीरे ऐसे हैं जिस पर किसी न किसी भारतीय का हाथ लगा हुआ होता है। उनको मैंने कहा कि आपके पास हीरे की खदानें हैं, कच्‍चा हीरा मुझे दे दीजिए। मैं आपको मूल्‍य वृद्धि करके वापस लौटा दूंगा और आपके कच्‍चे हीरे पर हिंदुस्‍तान के पसीने की महक दुनिया में आपकी ताकत को चार गुना बढ़ा देगी। यह सामर्थ्‍य है दोनों देशों में। इस सामर्थ्‍य को जोड़ने का एक नया युग आज प्रारंभ हुआ है। आज जो हमने निर्णय किए हैं, मिल बैठ करके, खुलकर के बातें हुईं हैं और एक मित्रतापूर्ण माहौल में हुई हैं। एक दूसरे को समझने में अब हमें कोई तकलीफ नहीं है और इसलिए मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि इंडिया और कनाडा का यह संसार बहुत लंबा चलने वाला है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री और मेरे मित्र श्रीमान हार्पर का हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं|

 भाईयों और बहनों पिछले वर्ष जब भारत में चुनाव का मौसम था, चुनाव तो वहां चल रहे थे लेकिन नारे यहां से सुनाई देते थे। नतीजे तो वहां आये थे। लेकिन मिठाई यहां बांटी जा रही थी। वहां पर लोग दिन में खुशी मना रहे थे, आप आधी रात में मना रहे थे। मेरे भाईयों  और बहनों, दस महीने पहले सिर्फ सरकार बदली थी। लेकिन आज मैं दस महीनों के बाद कह सकता हूं कि जन-जन का मन भी बदला है। सरकार बदली है, उससे क्‍या होगा?ये तो समय कहेगा, लेकिन मन के बदलने से क्‍या कुछ हो सकता है इसको मैं भली-भांति समझ सकता हूं।

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हम लोग जब छोटे थे, तो सिनेमा का एक गीत सुना करते थे – “देख तेरे संसार की हालत क्‍या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान।“  उस समय एक पीड़ा थी, व्‍यथा की बात थी, उस गीत में। मैं आज उस गीत को नए रूप में देख रहा हूं कि इंसान बदला है। उस समय पीड़ा थी कि कितना बदल गया इंसान और मैं आज गर्व से कहता हूं कि कितना अच्‍छा बन गया इंसान। बदला है, बदला है। कोई कल्‍पना कर सकता है? मैंने देश के गरीब भाईयों और बहनों को कहा कि आप बैंक में खाता खोलिए। हमारे यहां मेरे जन्‍म से पहले ही बैंक तो चल रही थी, देश आजाद होने के बाद भी बैंक चल रही थी, कांग्रेस सरकार ने श्रीमति इंदिरा गांधी की सरकार थी तब बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण कर दिया था, ताकि बैंक गरीबों के काम आये। लेकिन इसके बावजूद भी दस करोड़ से अधिक परिवार ऐसे थे यानी करीब-करीब 40 प्रतिशत से अधिक जनता ऐसी थी, जिनके नसीब में बैंक का खाता खोलना नहीं था। मैंने 15 अगस्‍त को घोषणा की थी कि मुझे बैंक में खाते खुलवाने हैं और.. एक जमाना था.. आप भी हिन्‍दुस्‍तान में रहे हैं, बैंक में जाते थे तो बैंक का अफसर नीचे से ऊपर देखता भी नहीं था और अगर आप उसका ध्‍यान आकर्षित करने की कोशिश करें, तो काटने के लिए आता था – देखते नहीं हो मैं काम कर रहा हूं!  इंसान बदल गया, बैंक वाले भी बदल गये, यही बैंक के कर्मचारी.. आज मैं उन पर गर्व करता हूं,  उनका अभिनंदन करता हूं कि वो गांव-गांव गये, गरीब के घर गये और 14 करोड़ बैंक खाते खोले| 14 करोड़ ! मतलब कि करीब करीब तीन कनाडा और यह काम सौ दिन में पूरा किया उन्होंने ..सौ दिन में | इंसान बदला है !! भारत का जन मन जो बदला है यह उसका उदाहरण है सरकार सिर्फ नहीं बदली है..जन मन बदला है | जब बैंक खाते खोलने की बारी आई तो.. गरीब के पास पैसे नहीं, बैंक खाता क्‍या खोलेगा और इसलिए हमने कहा था कि जीरो बैलेंस से एकाउंट खोलेंगे। जीरो बैलेंस| बैंक वालों को शुरू में तो थोड़ा ये था कि भई ये क्‍या कर रहे हो आप? हमने कहा कि भई क्‍या जाता, है दो कागज पर उनका नाम लिखना है, बैंक एकाउंट खोलना है, जाता क्‍या है तुम्‍हारा। वो बोलें कि कुछ तो देना चाहिए उन्‍हें। हमने कहा क्‍या देना है, उसने पसीना बहाया है, क्या लेना है , दे दो बैंक का खाता दे दो। मैंने गरीबों को कहा था कि आपको पैसे बैंक में रखने की जरूरत नहीं है, खाता खोल दीजिए, फिर आगे देखेंगे। लेकिन मेरे नौजवान साथियों, दोस्‍तों। जन-मन बदला है, तो कैसे बदला है.. मैंने गरीब को कहा था कि तुम्‍हें बैंक में पैसे डालने की जरूरत नहीं है, मुफ्त में खाता खोल देंगे। लेकिन गरीब की अमीरी भी तो कुछ चीज होती है। गरीब की अमीरी की भी अपनी एक ताकत होती है और मैं आज गर्व से कहता हूं, उन गरीबों के सामने सर को झुकाकर उनका अभिनंदन करता हूं, उन्‍होंने 14 हजार करोड़ रूपया बैंक में जमा करवाया। ये गरीबों की अमीरी, ये बदले हुए जन-मन की निशानी है। देश में एक नया विश्‍वास पैदा हुआ है। सरकार बदली है, इसलिए सब बदलेगा ऐसा नहीं है। बदलने का मेरा विश्‍वास इसलिए है कि जन-मन बदला है । “जन मन गण अधिनायक” जो  कहते हैं न, वो जन-मन बदला है। हमारे देश में आप जब विदेश से आते थे, एयरपोर्ट पर उतरने ही आपकी शिकायत क्‍या रहती थी? कि गंदगी बहुत है, सफाई नहीं है, ऐसा ही लगता था न? हमने तय किया कि काम कठिन है, लेकिन करना चाहिए और हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा? जिनको गंदगी करनी थी वे गंदगी करके चले गए लेकिन हम सफाई करके जाएंगे। आज जन-मन ऐसा बदला है कि हर दिन एकाध खबर तो कहीं-कहीं से आती है कि फलाने बैंक के सारे Employee Saturday-Sundayको सफाई करने निकले हैं, फलाने कॉलेज के Studentsसफाई करने के लिए निकले हैं, फलाने मंदिर के सारे संत सफाई करने के लिए निकले हैं, फलाना एम. एल. ए. सफाई कर रहा है, एम पी सफाई कर रहा है, चारों तरफ कहीं न कहीं से खबर आ रही है। मैंने देखा.. आप कभी सचिन तेंदुलकर की वेबसाइट पर जाओगे तो उन्‍होंने अपना एक वीडियो रखा है। उन्‍होंने मुंबई में एक फुटपाथ तय की, रोज सुबह चार बजे जाते थे अपने दोस्‍तों को ले करके। महीने भर गए और पूरी उसकी सफाई करके उसको बढि़या से पार्क में Convert कर दिया। लोग आकर बैठते हैं। सरकार ने नहीं किया, नागरिक कर रहे हैं। दो बेटियां.. एक नगालैंड से और एक बनारस से, दो बेटियां बनारस में एकठ्ठी हुईं और उनका मन कर गया कि काशी की घाटों की सफाई करें और आज मैं हैरान हूं कि उन दो बेटियों ने काम शुरू किया, धीरे-धीरे नौजवान जुड़ते गए और उन्‍होंने पूरे प्रभु घाट को साफ कर दिया। आज लोग जा करके, विदेश के लोग वहां जा करके घंटों तक गंगा के सामने बैठते हैं। देश विशाल है, गंदगी बहुत है, पुरानी है, वक्‍त लगेगा लेकिन जन-मन बदला है, उसका ये उदाहरण है। हमने कहा कि स्‍कूल में टॉयलेट बनाना है, उसमें भी Girl Childके लिए टॉयलट बनाना है। लोगों को लगता है कि प्रधानमंत्री का काम होता है ये क्‍या ? लेकिन ये थोड़ा अलग सा प्रधानमंत्री है, औरों को जो बनाना है बना दें, मुझे तो ऐसे ही छोटे-छोटे काम करने हैं। लोगों को लगता है कि यह प्रधानमंत्री का काम होता है क्‍या,लेकिन यह थोड़ा अलग सा प्रधानमंत्री है। औरों को जो बनाना है बना दे,मुझे तो ऐसे ही छोटे-छोटे काम करने है। और बूंद-बूंद से जैसे समुद्र भर जाता है, छोटे-छोटे कामों से हिंदुस्‍तान की शक्‍ल सूरत बदल जाएगी यह मेरा विश्‍वास है| दोस्‍तों और मेरा विश्‍वास है सवा सौ करोड़ देशवासी एक कदम भी चलें तो देश सवा सौ करोड़ कदम आगे बढ़ जाता है। एक दिन मेरे मन में विचार आया कि जिसके पास पैसे हैं सप्‍ताह में दो दिन तो Dinner किसी बढि़या से होटल में करता होगा। 15-20 हजार को बिल देकर के वापस आता है। क्‍या ऐसे लोगों ने भी गैस सिलेंडर की सब्सिडी लेनी चाहिए क्‍या?उनको शोभा देता है क्‍या?एम.पी है,एम.एल.ए हैं,मंत्री हैं 400 रुपये की सब्सिडी । मैंने ऐसे ही बातों बातों में कह दिया कि भई यह अच्‍छा नहीं लगता,हमारे जेब में दम है तो हमने क्‍यों लेनी चाहिए,गरीब लें,गरीब को मिलनी भी चाहिए। लेकिन जिसके पास संभावना है वो क्‍यों ले?और सब्सिडी से पका हुआ खाना शोभा देता है क्‍या?मैंने सार्वजनिक रूप से नहीं कहा था दोस्‍तों। ऐसे ही बातों बातों में अपने साथियों से बीच बात कर रहा था तो बात फैलनी लगी और बात फैलने लगी आज भी मेरे साथियों का जन मन बदला है। बदला हुआ जन मन ने क्‍या किया?करीब चार लाख लोगों ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी। यानी करीब-करीब देश की तिजोरी में 200 करोड़ रुपये बच गया। Two hundred crore rupees. कोई हुकुम नहीं,कानून नहीं,कुछ नहीं,हर व्‍यक्ति को लगने लगा है कि अब देश इंतजार नहीं करेगा। देश को आगे बढ़ना है और हम बढ़ाएंगे यह जन-मन का विश्‍वास बढ़ा है और मैं यह जितनी बातें बता रहा हूं वो मोदी ने नहीं की है। देश के सामान्‍य नागरिक ने की है। सामान्‍य नागरिक के मन में एक नया मिजाज पैदा हुआ है। एक आनंददायक घटना मैं देख रहा हूं और मैंने फिर Publicly एक बार Announce किया। Publicly ऐसा कहा मैंने लोगों से सार्वजनिक रूप से अभी 5-6 दिन पहले ही कहा है। मैंने कहा कि मेरा सबसे आग्रह है कि जिसके जेब में दम है,वो गैस की सब्सिडी लेना छोड़ दे। मुझे विश्‍वास है कि लोग छोड़ देंगे। लेकिन मैंने उनसे एक बात और कही। मैंने कहा कि जो लोग गैस की सब्सिडी छोड़ेंगे,वो पैसा मैं सरकार की तिजोरी में नहीं डालूंगा,इसका मतलब यह नहीं कि मेरी जेब में डालूंगा। मैंने कहा कि जो गरीब परिवार है, जिनके घर में लकड़ी से जलने वाला चूल्‍हा है, जहां गरीब माँ लकड़ी से चूल्‍हा जलाती है। पूरे घर में धुंआ होता है, छोटे बच्‍चे दिन-रात रोते रहते हैं, धुएं में बैठ नहीं पाते, बीमार हो जाते हैं। मैं यह गैस सिलेंडर उन गरीब परिवारों को दूंगा और उससे उस परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य को लाभ होगा। लकड़ी जलना बंद होगा तो जंगल बचेंगे, धुंआ नहीं होगा तो पर्यावरण बचेगा।जंगल बचेगा तो पर्यावरण में वृद्धि होगी, एक इंसान सब्सिडी छोड़ता है, कितने फायदे हो सकते हैं, जिसका आप अनुमान लगा सकते हैं और जन-मन बदला है, उसके कारण यह परिणाम आ रहा है। आपको हैरानी होगी, सबसे बड़ी सरप्राइज घटना बता दूं, मेरे लिए भी सरप्राइज है। लेकिन वो सुखद.. आश्‍चर्य है मेरे लिए। एक अखबार के मालिक ने मुझे चिट्ठी लिखी है। बताईये सुखद आश्‍चर्य है या नहीं है। अखबार के मालिक ने चिट्ठी लिखी है और उसमें मुझे लिखा है कि मोदी जी, जो देश मूड है उससे लगता है.. और हमने हमारे अखबार की एक नीति बनाई है और वो नीति ये है कि सप्‍ताह में एक दिन हमारा अखबार सिर्फ और सिर्फ पॉजिटिव न्‍यूज ही छापेगा। ये छोटी घटना नहीं है मित्रों ! भले आज एक अखबार ने काम शुरू किया है लेकिन खुद हो करके, सामने हो करके कहना और ये विचार मैंने नहीं दिया है। अब्‍दुल कलाम हमारे पूर्व राष्‍ट्रपति जी वो बार-बार कहते थे कि पॉजिटिव का कॉलम बनाईए, मैंने कभी कहने की हिम्‍मत नहीं की थी। लेकिन मुझे खुशी हुई कि बदले हुए जन-मन.. कहां-कहां उसका फैलाव हो रहा है, कैसे बात पहुंच रही है, उससे लगता है कि देश.. आप जिन सपनों को लेकर जीते हैं, आप ही आंखों के सामने वो सपने साकार होते हुए आप देखेंगे ये मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं।

PM Modi - Indian Diaspora Event, at Ricoh Coliseum, Toronto Canada (6)

हमारे देश में कई समस्‍याएं हैं लेकिन उन समस्‍याओं का समाधान एक ही जड़ी-बूटी में है। सब दु:खों की दवाई एक ही जड़ी-बूटी है। वो जड़ी-बूटी मोदी नहीं है, उस जड़ी बूटी का नाम है- विकास। हमारी सभी समस्‍याओं का समाधान है कि हम देश में विकास के एजेंडा पर आगे बढ़ें। हम विकास करें और मैं बताता हूं भाईयों और बहनों कि भारत के अंदर ताकत है, सिर्फ अवसर चाहिए। पिछले दस साल में हमारे देश में प्रति दिन जो रोड का Construction होता था वो 2 किलोमीटर होता था Per Dayऔर पिछले दस महीने से  Per Day 11 किलोमीटर होता है यानी आप देख सकते हैं कि विकास.. 11 किलोमीटर है ...यानी बहुत बड़ी बात नहीं बता रहा लेकिन तुलनात्‍मक रूप से पता चलेगा कि हम कैसे आगे बढ़ रहे हैं। भाईयों और बहनों, विकास का रास्‍ता ही देश को आगे ले जाएगा।

आप कल्‍पना कीजिए कि भारत के पास आज कौन सी बड़ी संपत्ति है? मेरे नौजवान साथियों: भारत के पास वो संपत्ति है, जो दुनिया में किसी के पास नहीं है और वो है –भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 से कम उम्र की है। हिंदुस्तान नौजवान है| 80 करोड़ नौजवान जिस देश के पास हों.. 160 करोड़ मजबूत भुजाएं हों, 80 करोड़ सपने हों, वो देश क्‍या नहीं कर सकता?यह एक बहुत बड़ी संपत्ति है हमारी और इसलिए विकास के केंद्र में, मेरे दिमाग में ये 80 करोड़ नौजवान हैं, जिनके हाथ में हुनर हो, जिनको रोजगार के अवसर हों, वे मिट्ठी में से सोना बनाने की ताकत रखते हैं और देश सोने की चिडि़या फिर एक बार बन सकता है दोस्‍तों। ये आत्‍मविश्‍वास उन सवा सौ करोड़ देशवासियों के आर्शीवाद से पनपा है। ये आत्‍मविश्‍वास उन 80 करोड़, 35 साल से कम उम्र के नौजवानों की आंखों में से पैदा हुआ है और मैं दुनिया को कहता हूं कि दुनिया कल्‍पना करे , प्रगतिशील देश कल्‍पना करें, समृद्ध देश कल्‍पना करें, 2030 : 2030 के बाद उनके पास कितने ही कारखाने होंगे, कितने ही काम होंगे, उनके पास Work Force होगा क्‍या ? दुनिया के सभी समृद्ध देशों में उम्र बहुत तेजी से बढ़ रही है। जवानी मुरझा रही है और तब अगर जवानी मुरझा गई तो उस देश को चलाने की ताकत बाहर से लानी पड़ेगी। पूरे विश्‍व को 2030 के बाद जो Work Force की जरूरत होने वाली है वो एक ही जगह से मिलने वाला है, उस जगह का नाम है – हिन्‍दुस्‍तान | इसलिए हम अभी से इस बात पर ध्‍यान केंद्रित कर रहे हैं और उसमें हमारी प्राथमिकता है Skill Development... हमारा मिशन है Skill India| पहले भारत की पहचान थी- Scam India। हम बनाना चाहते हैं Skill Indiaऔर इसलिए Skill Development  को प्राथमिकता देना चाहते हैं और Skill Development में भी मेरे मन में अलग-अलग कल्‍पनाएं हैं। एक तो हम अभी से दुनिया का Mapping करना चाहते हैं कि किस देश को किस प्रकार के मानव बल की आवश्‍यकता होगी। दुनिया के कई देश हैं, जिनको Maths और Science के Teachers की जरूरत होगी। दुनिया के कई देश हैं, जिनको Nurses चाहिएं। दुनिया के कई देश हैं जहां हाथ से काम करने वाले कारीगर चाहिए। अलग-अलग प्रकार की आवश्‍यकताएं हैं। दुनिया की Mapping करके, जिसको जिस प्रकार के Work Force की जरूरत पड़ेगी उसका अनुमान लगाया जा सकता है, उस प्रकार का Work Force अभी से तैयार करने के लिए Skill Development मिशन.. और Skill Development में दुनिया में आज जिसके पास बढि़या से बढि़या Skill Development की व्‍यवस्‍थाएं, योजनाएं हैं सबको मैं भारत में लाना चाहता हूं, दूसरा Skill Development वो हो जिसमें Enterpreneur तैयार हो। नए स्टार्ट अप, नई पीढ़ी, नए-नए व्‍यवसाय में खुद जुटें, स्‍वरोजगार में आगे आए किसी से नौकरी पाने के लिए इंतजार न करे, वो Job Seeker न बने, वो Job Creater बने। भले दो को नौकरी दें, पांच को दें लेकिन वो Job Creater बने। उनके लिए जो Skill Development होनी चाहिए, उस पर बल देना चाहिए, तीसरा जो खुद रोजी-रोटी कमाने के लिए कुछ करना चाहते हैं। उनके लिए उस प्रकार का Skill Development| इस तरह Skill Development पर बल दे करके, Value Addition करके.. और हमारे देश में दुर्भाग्‍य से कोई कितना भी बदमाश व्‍यक्ति क्‍यों न हो? लेकिन अगर खादी का बढि़या कुर्ता पहन करके, लंबा कुर्ता पहन करके आ जाए या कोट पैंट और टाई पहन करके आ जाए और अपने घर की घंटी बजाए, तो हम कहेंगे कि आइये-आइये बैठिए, क्‍या काम है? लेकिन कोई बेचारा गरीब मजदूर, ऑटो रिक्‍शा वाला, कपड़े गंदे हों और वो आ करके घंटी बजाए और पूछे कि फलाने भाई कहां गये तो हम कहते हैं कि अरे चलो चलो ! ये कोई टाईम है क्‍या? भागो शाम को आना!क्‍यों? हमारे मन में Labour के प्रति जो Dignity चाहिए, उसका अभाव भर गया है। जब तक एक सामान्‍य व्‍यक्ति की Dignity.. ये हमारा स्‍वभाव नहीं होगा, Dignity of Labour, ये हमारी प्रकृति नहीं होगी, तो शायद दुनिया जो हमसे मांग रही है उसको हम गौरव से नहीं कर पाएंगे। मैं आज गर्व से कहता हूं कि दुनिया में जिस प्रकार से युवा पीढ़ी को हम देख रहे हैं, भारत की युवा पीढ़ी भी जो भी काम मिले, बिना शर्म के, बिना संकोच के, वह करने को तैयार है। कोई संकोच नहीं, कोई शर्म नहीं, वो मेहनत करने को तैयार है। ये जन-मन बदला है, उसी का परिणाम है। नौजवान का मिजाज बदला है,वो मेहनत करने को तैयार है, काम करने को तैयार है, हम उसे अवसर देना चाहते हैं, Human Resources Development, इस पर हम ध्‍यान केंद्रित करना चाहते हैं, उसके साथ-साथ हम थोड़ा ऊपर के लेयर का भी सोच सकते हैं। भारत के पास Talent है।Talent में कोई कमी नहीं है।हमारे टैलेंट का सबसे बड़ा सबूत है- भारत ने अभी मंगलयान भेजा है। Mars पर हम गये और छोटी-छोटी जगहों पर वे Mars पर जाने वाले सारे पुर्जे तैयार हुए। हिंदुस्‍तान के पांच छह राज्‍यों में छोटे-छोटे Small Scale Industry वालों के यहां एक-एक पुर्जा बना। हमारे Scientist जो हैं, नौजवान हैं, उनका Talent देखिए। उन्होंने  पहुंचा दिया मंगलयान।दुनिया में हम पहला देश हैं जो पहले ही Trial में सफल हो गये और मंगलयान में हमारे Talent का कमाल देखिए। हॉलीवुड की फिल्‍म पर जितना खर्चा होता है न, उससे कम खर्चे में मंगलयान पहुंच गया। आप अगर दिल्‍ली में, लखनऊ में, कानपुर में, हैदराबाद में, बंगलोर में ऑटो रिक्‍शा में अगर जाते हैं तो एक किलोमीटर का करीब दस रूपया खर्चा आता है। मंगलयान पर हमारा खर्चा सिर्फ सात रूपया किलोमीटर आया है। मैं कहना यह चाहता हूं कि देश के पास Talent है। क्‍या कारण है कि आईटी की दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान के नौजवानों ने नाम रोशन किया। कनाडा में भी हिंदुस्‍तान के आईटी के नौजवान अपना करतब  दिखा रहे हैं। अमेरिका में भी हिंदुस्‍तान के नौजवान आईटी में अपना करतब दिखा रहे हैं। उंगलियां तो उनकी हैं, लेकिन मेरे नौजवान दोस्‍तों जवाब हमें खोजना पड़ेगा कि बुद्धि वहां से है, उंगलियां उसकी चल रही हैं, लेकिन Googleभारत की गोद से पैदा क्‍यों नहीं होता? Microsoftभारत की गोद से पैदा क्‍यों नहीं होता?

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Talentवो ही है काम वही कर रहे हैं, मुझे वो माहौल बदलना है, ये हमारे TalentedYouthको अवसर देना है, ताकि वो Innovationकरें। आने वाले दिनों में दुनिया को क्‍या चाहिए? अपने Innovationसे वो दें। इसलिए छोटे-छोटे से काम के लिए एक मजदूर को जिस प्रकार का Skill Development चाहिए वो हमारे Talented Youthके लिए, Innovation के लिए अवसर चाहिए। उस दिशा में हम काम कर रहे हैं। हमने इस बार हमारे बजट में कार्यक्रम रखा है –AIM –Atal Innovation Mission. हम नौजवानों को अवसर देना चाहते हैं। कहने का तात्‍पर्य यह है कि देश को आगे ले जाने के लिए हमारी युवा शक्ति का जो सामर्थ्‍य है, जो हमारी सबसे बड़ी संपदा है और यह संपदा केवल भारत के अपने लिए नहीं, पूरे विश्‍व के अंदर काम आने वाली संपदा हमारे पास है। भले हमारे पास हीरे की खदानें नहीं होगी, भले हमारे पास गैस के भंडार नहीं होंगे, भले हमारे पास पेट्रोलियम के भंडार नहीं होंगे, हमें यू‍रेनियम बाहर से लाना पड़ता होगा, लेकिन हमारे पास जो ताकत है उस ताकत के भरोसे हम दुनिया में देश की ताकत बढ़ाना चाहते हैं। ये विश्‍वास ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं।

आज हमने कनाडा में एक बहुत महत्‍वपूर्ण निर्णय लिया। मेरी इस यात्रा में एक महत्‍वपूर्ण निर्णय हमने फ्रांस में किया, दूसरा महत्‍वपूर्ण निर्णय आज हमने कनाडा में किया, बाकी तो बहुत महत्‍वपूर्ण हुआ है, लेकिन दो चीज ऐसी हैं, जिनकी तरफ लोगों का ध्‍यान नहीं गया है। पता नहीं जब मैं वापस पहुंचूंगा तो तब जाएगा कि नहीं जाएगा या तो कहीं और ध्‍यान होगा अभी लोगों का लेकिन हो सकता है कि चार छह महीने के बाद ध्‍यान दें। फ्रांस में एक महत्‍वपूर्ण निर्णय हुआ, वो यह हुआ कि हम लोग Nuclear Energyके लिए दुनिया भर से रियेक्‍टर मांगते थे। हर कोई देश हाथ ऊपर कर देता था, बात चलती थी, दो चार साल बात चलती थी, फिर बात ऊपर हो जाती थी। बहुत लंबे अरसे से विषय Pendingथा, कोई देने को तैयार नहीं था क्‍योंकि सबको लगता है कि कहीं बम न बना दें और जो बनाते हैं उनको कोई रोकता नहीं है, रोक पाते भी नहीं। जो गांधी का देश है, जिसने कभी दुनिया में किसी पर आक्रमण नहीं किया, जिसने शांति के शहादत मोल ली है। ऐसे हम लोग हैं| उनको कई वर्षों के लिए भटकना पड़ता है। इस बार हमने फ्रांस के अंदर एक कंपनी के साथ भारत की एक कंपनी का MOUहुआ है। मेरे लिए खुशी की बात है कि सबसे बड़ा काम होने वाला है कि अब वो रियेक्‍टर भारत में बनेगा। अब रियेक्‍टर तो बनेगा लेकिन NuclearEnergyके लिए यूरेनियम चाहिए। यूरेनियम आपका कनाडा मुझे देगा। पूरी दुनिया GlobalWarmingके कारण परेशान है,Climate Changeकी चर्चा है, Air Conditionedकमरों में सर्वाधिक एनर्जी का उपयोग करके Climateकी चर्चा की Meetingहुआ करती है। भारत अगर Environment Protectionमें सफल होता है तो दुनिया का 1/6 जिम्मा हम अकेले उठा सकते हैं। उसमें सबसे बड़ा काम है Clean Energyऔर उस Clean Energyमें Nuclear Energyकी ताकत बहुत है। इसलिए हम रियेक्‍टर बनाएंगे, हम कनाडा से यूरेनियम लेंगे, हम Nuclear Energyबनाएंगे और दुनिया को जिस चीज की चिंता है- Climate Changeकी उसमें मददगार होने का काम हिंदुस्‍तान बीड़ा उठाएगा।

भारत के राष्‍ट्र ध्‍वज में चार रंग हैं। हम बोलते हैं तिरंगा, रंग चार हैं, लेकिन वो हमारी विशेषता है। मैं एक चतुर्रंगी क्रांति का सपना ले करके चल रहा हूं, चतुर्रंगी क्रांति का। भारत का तिरंगा झंडा, जिसको देखते हम जिसमें कि चार रंग हैं –Saffron है, Whiteहै, Green है और बीच में Blueहै। अशोक चक्र है Blue Colourका। मैं चतुर्रंगी क्रांति का सपना देख करके चल रहा हूं। चतुर्रंगी क्रांति का सपना देख रहा हूं.. केसरिया रंग.. अब कुछ लोगों को तो केसरिया रंग का अर्थ भी ढंग से मालूम नहीं है। वो अपनी मन-मर्जी का अर्थ करते रहते हैं, वो उनका काम है करते रहें। Saffron Colour,ये ऊर्जा का रंग है, Energy का रंग है। सूर्य का सात घोड़ों का रथ देखते हैं तो Saffron Colourका दिखाई देता है। ये ऊर्जा क्रांति करनी है हिंदुस्‍तान में। इसलिए Nuclear Energy, Solar Energy,Wind Energy, Biomassसे बनने वाली Energy, Energy Saving,इन सारे विषयों को एक साथ चलाया है।

PM Modi - Indian Diaspora Event, at Ricoh Coliseum, Toronto Canada (5)

हमारे देश में कुछ तो Terminologyएक दम से बदल रही है। भारत कभी भी.. ज्‍यादा से ज्‍यादा चर्चा मेगावाट की करता था, कि भई इतने मेगावाट, इतने मेगावाट। पहली बार देश में गीगावाट की चर्चा होनी शुरू हुई है। वरना हमारा.. क्रिकेट में भी Lastके जो बॉलर वगैरह खेलने जाते हैं, सेंचुरी की कहां चर्चा करते हैं?.. तो मेगावाट के आस-पास खेलते थे, पहली बार सरकार गीगावॉट की परिभाषा ले करके चल रही है और 175 गीगावाट Renewable Energyकी तरफ हम जा रहे हैं, 100 गीगावाट Solar Energy, 75 गीगावाट Wind Energy| यह सपना देखा है। Energysaving.. LED Bulbका एक पूरा मूवमेंट खड़ा किया है। स्‍कूलों में बच्‍चों को बताते है, बिजली बचाने के लिए अपने घर में माहौल बनाओ। LED Bulbऔर Transparency.. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक साल पहले जो सरकार थी, उस समय 2012-13 के कार्यक्रम में LEDका Bulbसरकार 350 रूपये में लेती थी। कितना? ये सरकार 85 रूपये में लेती है। ये Transparencyहै कि नहीं है, है कि नहीं है, भ्रष्‍टाचार गया कि नहीं गया, ईमानदारी आई कि नहीं आई, ईमानदारी से काम हो सकता है कि नहीं हो सकता। हर छोटी चीज में यदि ध्‍यान बारीकी से रखा जाए,तो बदलाव लाया जा सकता है। जन-मन बदला है दोस्‍तों इसलिए परिस्थितियां पलट रही हैं। दूसरा Revolutionहै –White Revolution.हमारे देश में, दुनिया में दूध देने वाले पशुओं की तुलना में हमारे यहां Productivityबहुत ज्‍यादा नहीं है। जो काम दो दूध देने वाले पशुओं से होना चाहिए,उतना काम करने के लिए हमको 20 पशु पालने पड़ते हैं, क्योंकि उसका लालन-पालन करने के लिए जिन चीजों को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ाना चाहिए, हम नहीं बढ़ा पाते। गांव के गरीब के पास यदि एक पशु हो,तो उसको जिंदगी में कभी देखना न पड़े, उसकी Productivityकैसे बढ़े, वैज्ञानिक तौर-तरीके कैसे आएं और हिंदुस्‍तान में सेकेंड White Revolutionकैसे हो,उस पर हम बल दे रहे हैं। तीसरा, Green Revolution .. Green Revolutionमें वही बात, अब जमीन पहले पांच एकड़ थी, दो भाई थे, अब पांच एकड़ में दस भाई हो गए, दो भाई के बच्‍चे हो गए, उनके बेटे हो गए, अब इतना बड़ा परिवार दस बीघा जमीन में कैसे चलेगा? वो परिवार तब चलेगा कि हम सीमित जमीन में भी Productivityकैसे बढ़ाएं। इसके लिए एक काम हमने उठाया है –Soil Health Card.इंसान की Healthके लिए जैसे HealthCardहोता है,  वैसे धरती माता की तबीयत के लिए Health Cardहो । कहीं हमारी पृथ्‍वी मां बीमार तो नहीं है?  हमारी पृथ्‍वी मां को जो खाना चाहिए, वो नहीं खिलाते,कुछ और खिला दिया, ऐसा तो नहीं है? माँ को कैसे बचाएं, इसलिए हमने अभियान उठाया है धरती मां की रक्षा करने का। Soil Health Cardका मिशन चलाया है। पानी बचाना, ये दुनिया पर बहुत बड़ा जिम्‍मा आ पड़ा है। Per Drop More Cropएक-एक बूंद से फसल कैसे ज्‍यादा पैदा हो?उस पर हम बल देना चाहते हैं, जो पैदा हो उसका Value Additionकैसे हो, मूल्‍य वृद्धि कैसे हो?किसान का माल .. Forward Linkageकैसे उसको मिले, Green Revolution.. हिंदुस्‍तान में सेकेंड Green Revolutionके लिए, भारत का जो पूर्वी हिंदुस्‍तान है, जिसकी जब चर्चा होती है, तो गरीबी के नाम पर होती है, वो सबसे समृ‍द्ध बन सकता है। बिहार हो, ओडि़शा हो, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, पश्चिम बंगाल हो, असम हो, जहां विपुल मात्रा में पानी है। इसलिए हमारा फोकस है सेकेंड Green Revolutionऔर स्‍पेशल फोकस है हिंदुस्‍तान के पूर्वी इलाके में, वहां के किसान और गांव की जिंदगी को बदलना है। चौथा है, Blue Revolution, Blueक्रांति करनी है। BlueRevolutionजब मैं कहता हूं तब, एक नीला आसमान। पर्यावरण के संकटों से मुक्‍त नीला आसमान। Environment Protectionकी चिंता करते हुए नीला आसमान। मैं Manufacturing में कहता हूं – Zero Defect,  Zero Effectजो पैदा करें,उसमें कोई Defect न हो और ऐसे पैदा करे कि Environmentपर Effectन हो। Zero Defect,  Zero Effect,नीला आसमान। और दूसरा नीला समुंदर के पानी का रंग। नीला आसमान भी चाहिए, वो भी Revolutionकरना है और सामुद्रिक शक्ति का भी Revolutionहोना चाहिए। मेरे मछुआरे, उनकी आर्थिक स्थिति सुधरनी चाहिए। समंदर के अंदर प्राकृतिक संपदा पड़ी है। गैस और पेट्रोलियम के भंडार पड़े हैं। इन प्राकृतिक संपदाओं का सर्वाधिक उपयोग मानव जाति के लिए कैसे हो, Blue Revolutionकरना है, Saffron  Revolution, WhiteRevolution, Blue Revolution,Green Revolution, Blue Revolution| जल-थल नभ सबकुछ.. और इसलिए भाईयों और बहनों विकास की उन नई-नई ऊचाईयों को पार कर रहे हैं। आप कनाडा के भाईयों और बहनों कुछ बातें हैं जो मैं आपको जानकारी देना चाहता हूं। ओसीआई और पीआईओ.. मैंने जब Madison Squareपर बोल रहा था,तो मैंने वादा किया था। इन दोनों को Mergeकर देंगे, वो काम पूरा कर दिया है। हर किसी को पीआईओ कार्ड हो, वो ओसीआई की तरह ही, उसको सारी सुविधाएं दी जाएंगी। दूसरी बात है, ओसीआई पूरे जीवन के लिए मिलेगा। पहले वो सिर्फ 15 साल के लिए था। आपको पता होगा, आप में से जो बड़ी आयु के लोग वहां आ करके रहते होंगे, छुट्टियों में, तो हमारे यहां यह नियम था, उसको हर 15 दिन में एक बार पुलिस थाने ले जा करके बताना पड़ता था कि मैं वही हूं और कुछ गलत नहीं कर रहा हूं। मुझे बताइये कि आप पर मुझे भरोसा करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए?  करना चाहिए कि नहीं चाहिए? जन-मन बदला है दोस्‍तों! इसलिए हमने तय किया है कि ओसीआई कार्ड वालों को पुलिस थाने में हाजिरी लगाने की जरूरत नहीं है। ओसीआई को चार पीढ़ी तक विदेश गए लोग.. अब उनको इसमें समाहित कर दिया गया है। चार पीढ़ी तक को स्‍वीकार कर लिया गया है। कुछ जगह पर अभी कुछ चीजें Processमें हैं। अगले पांच छह महीनों में सारी प्रक्रियाएं पूरी हो जाएंगी।

 एक ई-पोर्टल हमने शुरू किया है, जिसका आप फायदा ले सकते हैं। ट्रैकिंग, मॉनिटरिंग, फीडबैक ये सारी चीजें ई-पोर्टल के अंदर हैं। ई-पोर्टल का नाम है, मदद। एक ई-माइग्रेट पोर्टल शुरू किया है, जिसके द्वारा भी आपको कोई शिकायत हो, कोई कठिनाई हो तो इमीग्रेशन ऑफिस जाना नहीं पड़ेगा। आप उसी के द्वारा अपना काम कर सकते हैं, आपका समय बच सकता है। जो भारत के बाहर रहने वाले लोग हैं, जिनको ऑनलाइन अप्‍लीकेशन करने हैं,वे ई-माइग्रेशन इस व्‍यवस्‍था के तहत कर सकते हैं। आपने देखा है कि दुनिया में कुछ न कुछ देशों में संकट चलते रह‍ते हैं और हमारे भारतीय भाई-बहन बड़े उदार रहते हैं, उनको हम समझाते हैं कि भई निकलो, मुसीबत आ रही है। उनको लगता है नहीं-नहीं ये तो अच्‍छे लोग हैं, हमें कुछ नहीं होगा। वो निकलते नहीं हैं। हम यमन में जनवरी महीने से कह रहे थे कि निकलो!निकलो! कहते थे नहीं। आखिरकार,हमें अभी निकालना पड़ा चार हजार लोगों को, मुश्किल से ले करके आये हैं। पिछले दस महीने में West Asia में जो मुसीबतें आईं हैं, करीब 17 हजार भारतीयों को सुरक्षित बचा करके वापस लाने का काम किया है। देशवासियों मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं, संकट की घड़ी में हम पासपोर्ट के रंग नहीं देखते हैं। अपनों के लिए जो भी करना पड़ता है, पूरी शक्ति लगा करके करते हैं। लेकिन विश्‍व में रहने वाले भारतीयों से भी हमारा आग्रह रहेगा कि हम संकटों में फंसे नहीं, समय रहते हम जागरूकता पूर्वक अपने विषयों को आगे बढ़ाये तो अच्‍छा होगा।

PM Modi - Indian Diaspora Event, at Ricoh Coliseum, Toronto Canada (7)

पहली बार हमने प्‍लानिंग कमीशन की जगह पर नीति आयोग बनाया है और नीति आयोग में एक पैराग्राफ.. प्रवासी भारतीयों को भी एक शक्ति के रूप में माना गया है। वो भी एक बहुत बड़ी भारत की विकास की ताकत है और उसके लिए भी भारत को सोचते रहना चाहिए। ये पहली बार एक Specific काम उनके लिए तय किया है। उसके चार्टर में इसको लिखा गया है। कनाडा के मित्रों के लिए एक खुश खबरी है। इलैक्‍ट्रोनिक टूरिस्‍ट वीजा, इसकी व्‍यवस्‍था हमने कर दी है, बहुत ही जल्‍द इसका लाभ आपको मिलेगा। दूसरी बात, मुझे मालूम है कि आप बोलेंगे नहीं,लेकिन कभी-कभी आपको भी वीजा लेने में तकलीफ पड़ती है, पड़ती है न? अब हमने तय किया है कि दस साल के लिए देंगे। अगर जन-मन बदला है,तो भरोसा भी बढ़ना चाहिए और भरोसे से दुनिया चलती है मेरे दोस्तों ! इसको ले करके हम चलने वाले हैं और चल रहे हैं। भाईयों और बहनों,काफी लंबी बातें कर ली आपसे, मुझे आनंद आया, आपने स्‍वागत किया, सम्‍मान किया। मैं आप सबसे आग्रह करूंगा कि हमारा देश, हम जो भी पढ़े हैं, जो भी अनुभव पाया है, दुनिया में कहीं से भी जो Disciplineसीखें हैं, जो भी अच्‍छा है हमारे पास, कहीं से भी मिला हो, वो हमारे देश के लिए भी काम आना चाहिए, हमारे देश के उन गरीबों के लिए भी काम आना चाहिए। जो हमारे लोग यहां आये हैं, हम ये न भूलें कि आज जो हम पहुंचें हैं जहां पर उसके मूल में किसी न किसी गरीब ने हमारे लिए कुछ न कुछ तो छोड़ा होगा। किसी न किसी ने कष्‍ट झेला होगा,तब हमारी जिंदगी बनी है। मानवता का तो यही तकाजा है कि जिन्‍होंने हमें दिया है हमें उनको भी तो कुछ लौटाना है। इस बात को ले करके आप चलें। भारत के प्रति हमारी भक्ति अपरमपार बनी रहे। मैं फिर एक बार, कनाडा ने मेरा जो स्‍वागत किया, सम्‍मान किया, प्रधानमंत्री जी ने इतना समय दिया, उनके मंत्रि-परिषद के इतने वरिष्‍ठ लोग आ करके बैठे, यहां के सभी सांसद आ करके बैठे, मैं उनका सबका हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं। कनाडा और भारत की दोस्‍ती एक ऐसी युक्ति है, जो शक्तियों का संवर्धन करती है और ये ऐसी शक्ति है.. मान लीजिये हम Mathematic में a2 + b2करें तो Result क्‍या आता है? लेकिन मान लीजिए (a+b)2 तो Resultआता है a2 +2ab+b2 ... Extra 2ab मिलता है कि नहीं मिलता है? ये Extra 2ab कहां से आया? तो भारत और कनाडा जब मिलता है तो Extra 2ab निकलता है। यह हमारी ताकत है। उस ताकत को लेकर आगे बढ़ें। इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर एक बार आप सबका धन्‍यवाद करता हूं। मेरी तरफ से आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं और समाज के सब लोगों ने मेरा इतना सम्‍मान किया, आशीर्वाद दिए, मैं सदा सर्वदा आपके इस प्रेम को याद रखूंगा। आपके आशीर्वाद की ताकत को याद रखूंगा। मैं आपको सबको वंदन करते हुए मेरी बात को विराम करता हूं। दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए –भारत माता की जय। ऐसे नहीं, आवाज हिंदुस्‍तान तक जानी चाहिए।

भारत माता की जय।

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PM Modi’s remarks at the BRICS session: Environment, COP-30, and Global Health
July 07, 2025

Your Highness,
Excellencies,

I am glad that under the chairmanship of Brazil, BRICS has given high priority to important issues like environment and health security. These subjects are not only interconnected but are also extremely important for the bright future of humanity.

Friends,

This year, COP-30 is being held in Brazil, making discussions on the environment in BRICS both relevant and timely. Climate change and environmental safety have always been top priorities for India. For us, it's not just about energy, it's about maintaining a balance between life and nature. While some see it as just numbers, in India, it's part of our daily life and traditions. In our culture, the Earth is respected as a mother. That’s why, when Mother Earth needs us, we always respond. We are transforming our mindset, our behaviour, and our lifestyle.

Guided by the spirit of "People, Planet, and Progress”, India has launched several key initiatives — such as Mission LiFE (Lifestyle for Environment), 'Ek Ped Maa Ke Naam' (A Tree in the Name of Mother), the International Solar Alliance, the Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, the Green Hydrogen Mission, the Global Biofuels Alliance, and the Big Cats Alliance.

During India’s G20 Presidency, we placed strong emphasis on sustainable development and bridging the gap between the Global North and South. With this objective, we achieved consensus among all countries on the Green Development Pact. To encourage environment-friendly actions, we also launched the Green Credits Initiative.

Despite being the world’s fastest-growing major economy, India is the first country to achieve its Paris commitments ahead of schedule. We are also making rapid progress toward our goal of achieving Net Zero by 2070. In the past decade, India has witnessed a remarkable 4000% increase in its installed capacity of solar energy. Through these efforts, we are laying a strong foundation for a sustainable and green future.

Friends,

For India, climate justice is not just a choice, it is a moral obligation. India firmly believes that without technology transfer and affordable financing for countries in need, climate action will remain confined to climate talk. Bridging the gap between climate ambition and climate financing is a special and significant responsibility of developed countries. We take along all nations, especially those facing food, fuel, fertilizer, and financial crises due to various global challenges.

These countries should have the same confidence that developed countries have in shaping their future. Sustainable and inclusive development of humanity cannot be achieved as long as double standards persist. The "Framework Declaration on Climate Finance” being released today is a commendable step in this direction. India fully supports this initiative.

Friends,

The health of the planet and the health of humanity are deeply intertwined. The COVID-19 pandemic taught us that viruses do not require visas, and solutions cannot be chosen based on passports. Shared challenges can only be addressed through collective efforts.

Guided by the mantra of 'One Earth, One Health,' India has expanded cooperation with all countries. Today, India is home to the world’s largest health insurance scheme "Ayushman Bharat”, which has become a lifeline for over 500 million people. An ecosystem for traditional medicine systems such as Ayurveda, Yoga, Unani, and Siddha has been established. Through Digital Health initiatives, we are delivering healthcare services to an increasing number of people across the remotest corners of the country. We would be happy to share India’s successful experiences in all these areas.

I am pleased that BRICS has also placed special emphasis on enhancing cooperation in the area of health. The BRICS Vaccine R&D Centre, launched in 2022, is a significant step in this direction. The Leader’s Statement on "BRICS Partnership for Elimination of Socially Determined Diseases” being issued today shall serve as new inspiration for strengthening our collaboration.

Friends,

I extend my sincere gratitude to all participants for today’s critical and constructive discussions. Under India’s BRICS chairmanship next year, we will continue to work closely on all key issues. Our goal will be to redefine BRICS as Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability. Just as we brought inclusivity to our G-20 Presidency and placed the concerns of the Global South at the forefront of the agenda, similarly, during our Presidency of BRICS, we will advance this forum with a people-centric approach and the spirit of ‘Humanity First.’

Once again, I extend my heartfelt congratulations to President Lula on this successful BRICS Summit.

Thank you very much.