Text of PM’s address at inauguration ceremony of “Urja Sangam-2015”

Published By : Admin | March 27, 2015 | 18:18 IST

उपस्थित सभी महानुभाव और नौजवान साथियों।

आज ऊर्जा संगम भी है और त्रिवेणी संगम भी है। त्रिवेणी संगम इस अर्थ में है कि तीन महत्‍वपूर्ण initiative जिनको आज हम Golden Jubilee के रूप में मना रहे हैं। ONGC Videsh Limited, Engineer India Limited and Barauni Refinery Limited इन तीनों क्षेत्र में गत 50 वर्षों में जिन जिन महानुभाव ने योगदान दिया है। इस अभियान को आगे बढ़ाया है और भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में ताकत देने के लिए निरंतर प्रयास किया है। मैं उन तीनों संस्‍थाओं से जुड़े सभी महानुभवों को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि जब हम Golden Jubilee Year मना रहे हैं तब पीछे मुड़कर के वो कौन सी हमारी कार्यशैली थी, वो कौन से हमारे निर्णय थे, वो कौन सा हमारा दर्शन था, जिसके कारण हम आगे बढ़े, वो कौन सी कमियां थी, जिसके कारण अगर कोई कमी रह गई थी तो वो क्‍या थी और अब जाकर के जब हम 50 साल के turning point पर खड़े हैं तब आने वाला 50 साल का हमारा लक्ष्‍य क्‍या होगा। हमारा मार्ग क्‍या होगा, हमारी शक्ति संचय के रास्‍ते क्‍या होंगे और राष्‍ट्र को शक्तिवान बनाने के लिए हमारे पुरूषार्थ किस प्रकार का होगा, उसका भी आप लोग रोड मैप तैयार करोगे, इसका मुझे पूरा विश्‍वास है।

कोई देश तब प्रगति करता है, जब विचार के साथ व्‍यवस्‍थाएं जुड़ती है, अगर विचार के साथ व्‍यवस्‍था नहीं रहती है, तो विचार बांझ रह जाते हैं, उससे आगे कुछ निकलता नहीं है और इसलिए देश को अगर प्रगति करनी है तो हर Idea को Institutionalise करना होता है और देश्‍ लम्‍बे स्‍तर से तब स्‍थाई भाव से तब प्रगति करता है जब उसका Institutional Mechanism अधिक मजबूत हो। Institutional Mechanism में auto-pilot ऐसी व्‍यवस्‍था हो कि वो नित्‍य-नूतन प्रयोग करता रहता हो।

मैं समझता हूं कि हमारे पास आने वाले युग के लिए भी, नई व्‍यवस्‍थाओं के निर्माण की आवश्‍यकता है और वर्तमान में जो व्‍यवस्‍थाएं हमारे पास है जो Institutional Mechanism हैं, उस Institutional Mechanism को भी आने वाली शताब्‍दी के लिए किस प्रकार से अधिक आधुनिक बनाया जाए, नए innovation कैसे किये जाए, young man को कैसे incorporate किया जाए और न सिर्फ भारत की सीमाओं तक लेकिन Global Perspective में हम अपने विकास की दिशा कैसे तय करे और उन लक्ष्‍यों को कैसे पार करे, कैसे प्राप्‍त करे? उन बातों पर जितना हम ध्‍यान देंगे, तो विश्‍व की भारत के पास जो अपेक्षाएं हैं और दुनिया का 1/6 population, यह 1/6 population यह कहकर नहीं रोक सकता कि हमारी यह मुसीबत है, हमारी यह कठिनाई है। दुनिया के 1/6 population का तो यह लक्ष्‍य रहना चाहिए कि विश्‍व का 1/6 बोझ हम अकेले अपने कंधों पर उठाएंगे और विश्‍व को सुख-शांति देने में हमारा भी कोई न कोई सकारात्‍मक contribution होगा। यह Global Perspective के साथ भारत को अपने आप को सजग करना होगा, भारत को अपने आप को तैयार करना होगा और मुझे विश्‍वास है जिस देश के पास 65% जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की हो young mind जिनके पास हो, अच्‍छे सपने देखने का जिन लोगों में सामर्थ्‍य हो ऐसी ऊर्जावान देश के लिए सपने देखना।

…और सपने पूरा करना कठिन नहीं है और मुझे विश्‍वास है कि आज जब हम इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर ऊर्जा संगम के समारोह में मिले हैं, तब कल, आज और आने वाले कल का भी संगम हमारे मन-मस्तिष्‍क में स्थिर हो, ताकि हम नई ऊंचाईयों को पार करने के लिए विश्‍व के काम आने वाले भारत को तैयार करने में सफल हो सकें और इस अर्थ में आज मुझे आपके बीच आने का सौभाग्‍य मिला मैं आपको इसके लिए हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और आपके आगे की यात्रा बहुत ही उत्‍तम तरीके से राष्‍ट्र की सेवा में काम आएगी, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

नई सरकार बनने के बाद नये कई initiative लिये गये हैं। हम जानते हैं कि अगर हमें विकास करना है अगर हमें Global Bench Mark को achieve करना है तो हमारे लिये ऊर्जा के क्षेत्र में Self Sufficient होना बहुत अनिवार्य है। हमें किसी क्षेत्र में भी Growth करना है उसकी पहली आवश्‍यकता होती है ऊर्जा। आज Technology Driven society है और जब Technology Driven society है तो ऊर्जा ने अपनी अहम भूमिका स्‍थापित की है। ऊर्जा के स्रोत अलग-अलग हो सकते हैं, जो आज भी हमारे ध्‍यान में नहीं है वो भी शायद आने वाले दिनों में विश्‍व के सामने उजागर हो सकते है, लेकिन पूरे मानव जाति की विकास यात्रा को देखा जाए, तो ऊर्जा का अपना एक स्‍थान है, ऊर्जा एक प्रकार से विकास को ऊर्जा देने की ताकत बन जाती है और उस अर्थ में हमारे लिए ऊर्जा सुरक्षा ये आवश्‍यकता भी है और हमारी जिम्‍मेदारी भी है और उस जिम्‍मेदारी को पूरा करने की दिशा में हमने कुछ कदम उठाए हैं।

पिछले दस महीनों में इस क्षेत्र में हमने जो reform को बल दिया है और reform को बल देने के कारण कई महत्‍वपूर्ण बातें सामने आई है। हमारे यहां सामान्‍य नागरिक की चिंता करना यह हमारा पहला इरादा रहता है। हमारा मकसद है कि देश के common man को अधिक से अधिक सरलता से लाभ कैसे मिले।

सब्सिडी ट्रांसफर्स दुनिया की सबसे बड़ी गैसे सब्सिडी को ट्रांसफर करने की स्‍कीम में सिर्फ सौ दिन के कालखंड में हमने सफलता पाई है और मैं मानता हूं कि एक तो किसी चीज में शुरू करना, किसी चीज को achieve और किसी चीज को time-bound…समय रहते हुए चीजों को तोलते हुए देखें तो मैं विभाग के सभी मित्रों को सचिव श्री, मंत्री श्री को और उनकी टीम को सौ दिन के अल्‍प समय में दुनिया की सबसे बड़ी सब्सिडी ट्रांसफर स्‍कीम 12 करोड़ लोगों को बैंक खाते में सब्सिडी पहुंचना यह छोटा काम नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा काम है और जनधन Account जब खोल रहे थे तब तो कुछ लोग मजाक करने की हिम्‍मत करते थे, लेकिन अब नहीं करते, क्‍योंकि जनधन, जनधन के लिए नहीं था। जनशक्ति में परिवर्तित करने का प्रयास था और उसमें ऊर्जा शक्ति जोड़ने की प्रारंभ में करना था। कोई कल्‍पना कर सकता है कि beneficially को सीधा लाभ देकर के हमने कितना बड़ा leakage रोका है। मैं विशेषकर के Political पंडितों से आग्रह करूंगा कि जरा उसकी गहराई में जाए। मैं अपनी तरफ से claim करना नहीं चाहता हूं। जिस भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने के खिलाफ बाते तो बहुत होती है लेकिन भ्रष्‍टाचार से लड़ने के लिए Institutional Mechanism, Transparent Mechanism, Policy driven व्‍यवस्‍थाएं अगर निश्चित की जाए तो हम leakage को रोक सकते हैं और यह उत्‍तम उदाहरण cash transfer के द्वारा हमने सिद्ध किया है। पहले कितने सिलेंडर जाते थे अब कितने सिलेंडर जाते हैं, इससे पता चलेगा।

पिछली बार हमने Parliament में एक छोटा सा उल्‍लेख किया था कि जिनको यह affordable है उन्‍होंने सब्सिडी क्‍यों लेनी चाहिए। क्‍या देश में ऐसे लोग नहीं निकल सकते कि जो कहें कि भई ठीक है, अब तो ईश्‍वर ने हमें बहुत दिया है, देश में हमें बहुत दिया है और गैस सिलेंडर के लिए सब्सिडी की जरूरत नहीं है। हम अपने पसीने की कमाई से अपना खाना पका सकते हैं और अपना पेट भर सकते हैं। छोटा सा स्‍पर्श किया था विषय पर लेकिन स्‍पर्श को भी देश के करीब 2 लाख 80 हजार लोगों ने सकारात्‍मक response किया और इस “Give it up” movement में भागीदारी हुए। सवाल यह नहीं है कि दो लाख, तीन लाख इसमें लोग जुड़े, सवाल यह है कि देश हमें चलाना है तो देश भागीदारी करने को तैयार होता है। देश का हर नागरिक भागीदारी करने को तैयार होता है। उनको अवसर देना चाहिए। देश के नागरिकों पर भरोसा करना चाहिए। हमारी सबसे बड़ी पहल यह है कि हम हिंदुस्‍तान के नागरिकों पर भरोसा कर करके आगे बढ़ना चाहते हैं और आपको जानकर के आनंद होगा कि समाज के एक वर्ग ने जिसने कहा कि हां भई हम अब सब्सिडी से गैस अब लेना नहीं चाहते, हम अपना पैसा दे सकते हैं। करीब 2 लाख 80 हजार से ज्‍यादा लोगों ने इसका एक प्रकार से देश को लाभ दिया है। उससे कम से कम 100 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह 100 करोड़ रुपया किसी गांव में स्‍कूल बनाने के काम आएगा कि नहीं आएगा। किसी गरीब का बच्‍चा बीमार होगा तो उसके काम आएगा कि नहीं आएगा। जिसने भी यह काम किया है उसने एक प्रकार से गरीबों की सेवा करने का काम किया है। और यह जो सिलेंडर बचे हैं उन सिलेंडरों से हम पैसे बचाना नहीं चाहते, हम इसको गरीबों तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि आज वो धुएं में चुल्‍हा जलाते हुए जो मां परेशान रहती है उसको कोई राह मिल जाए, उसके बच्‍चे को आरोग्‍य का लाभ मिल जाए।

गरीब के घर तक गैस का सिलेंडर कैसे पहुंचे इसका हमने अभियान चलाया है और मैं आज विधिवत रूप से यह सफलता देखकर पहले तो हमने ऐसा ही कहा था कि चलो जरा कहे लेकिन जो response देश ने दिया है, मैं उन दो लाख 80 हजार लोगों से अधिक इस काम का जिम्‍मा लिया मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं और देशवासियों को अपील करता हूं कि जिसके लिए भी यह संभव है अपनी जेब से.. अपना खाना पकाने की जिनकी ताकत है वो कृपया करके यह गैस सिलेंडर में सब्सिडी न लें। देने का भी एक आनंद होता है, देने का भी एक संतोष होता है और जब आप गैस सिलेंडर की सब्सिडी नहीं लेंगे तब मन में याद रखिए यह जो पैसे देश में बचने वाले हैं वो किसी न किसी गरीब के काम आने वाले हैं। वो आपके जीवन का संतोष होगा, आनंद होगा और मैं विधिवत रूप से देशवासियों से आग्रह करता हूं।

जब मैं यह विचार कर रहा था, तब मैंने Department को पूछा था कि पहले जांच करो भई! मोदी के नाम का तो सिलेंडर कोई है नहीं न! मेरा सौभाग्‍य रहा कि मुझे कभी इस दुनिया से उलझना ही नहीं पड़ा है तो उसके कारण न कभी पहले लिया था न आज है तो फिर मैं एक moral ताकत से बोल सकता था हां भई हम यह कर सकते हैं और मैं आज विधिवत रूप से देशवासियों से अपील करता हूं कि अगर आपके पास इस देश ने जहां तक पहुंचाया है, देश का योगदान है। गरीब से गरीब का योगदान है आप यहां तक पहुंचने में, आपकी जेब भरने में गरीब के पसीने की महक है। आइए हम इस “Give it Up” movement में जुड़े, हम गैस सब्सिडी को छोड़ें, सामने से offer करे और इसमें भी नये नये लक्ष्‍य प्राप्‍त करके नये record स्‍थापित करे। मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं जो सिलेंडर, आप सब्सिडी छोड़ेंगे वो हम गरीबों को पहुंचाएंगे। यह गरीबों के काम आएगा।

हमने एक और काम किया है....5kg का सिलेंडर। जो विद्यार्थी पढाई के लिए शहर आता है...अब वो एक पूरा सिलेंडर लेकर के क्‍या करेगा, अब बेचारा एक कमरे में रहता है या तो कोई नौकरी के लिए गये हुए लोग है। यह जो घूमन जाति के लोग है, जो एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, उनको 5kg का सिलेंडर मिलेगा, तो ऐसे गरीब लोगों को वो affordable भी होगा और उसकी जरूरत पूरी करने की व्‍यवस्‍था होगी। हमने उस दिशा में प्रयास किया है।

हमने एक यह भी काम किया डीजल को deregulate किया। अब डीजल को deregulate करने के कारण reform के लिए एक महत्‍वपूर्ण माना जाता है। International दाम कम हुए थे तो थोड़ी सुविधा भी रही, लेकिन Market को तय करने दो, क्‍योंकि Global Market के दबाव में है और मैंने देखा है कि देश ने सहजता से इसको स्‍वीकार कर लिया है। कभी दाम ऊपर जाते हैं कभी दाम नीचे जाते हैं लेकिन लोगों को मालूम है कि भई इसमें सरकार का कोई रोल नहीं है। बाजार की जो स्थिति है वो उसी के साथ जुड़ गए है। तो भारत का नागरिक भी एक खरीदार के रूप में भी Global Economic का हिस्‍सा बनकर के अपनी जिम्‍मेदारियों को निभाने के लिए तैयार हुआ है। यह अपने आप में विकास के एक सकारात्‍मक दृश्‍य के रूप में मैं देख रहा हूं। मैं देख रहा हूं कि उसका भी लाभ होगा। हमने एक और महत्‍वपूर्ण निर्णय किया। जब ऊर्जा के क्षेत्र में चर्चा करते समय सभी क्षेत्रों में प्रयास करना पड़ेगा।

Ethanol के लिए पेट्रोल में उसको Mix करने के लिए हमने उसमें initiative लिया, विधिवत रूप से लिया। हमारे गन्‍ने की खेती करने वाले किसान परेशान है, क्‍योंकि उसकी लागत से चीनी की कीमत कम हो रही है, चीनी के कारखाने बंद हो रहे हैं। अगर उसके लिए एक नई व्‍यवस्‍था जोड़ दी जाए। अगर चीनी बनाने वाले चीनी.. उनके पास excess है, चीनी के दाम टूट रहे हैं दुनिया में कोई Import करने वाला नहीं है, तो ऐसी स्थिति में आप चीनी मत बनाइये Ethanol बनाइये, कुछ मात्रा में Ethanol बनाइये, उसको प्रट्रोल में blend कर दिया जाए। किसी समय यह petroleum lobby के बारे में ऐसा कहा जाता था कि इतनी powerful होती है कि कोई निणर्य नहीं कर सकता। हमने निर्णय किया। यहां कई लोग बैठे होंगे, शायद उनको अच्‍छा नहीं भी लगेगा, लेकिन हमने निर्णय किया है और उसके कारण हम climate की भी चिंता करते हैं, environment की भी चिंता करते हैं, at the same time हम economy की भी चिंता करते हैं। और हमारा गरीब किसान, गन्‍ने का किसान है। यह ethanol के द्वारा, अब उसकी बहुत बड़ी मदद कर रहे हैं। हमारा जो sugar sector है उसको ताकत देने का एक उत्‍तम रास्‍ता हमने किया है और पहले ethanol का MSP भी नहीं था। Minimum Support Price का निर्णय नहीं था। उसका कोई Price.. कोई कीमत तय नहीं था। हमने तय कर दिया 48.50 पैसा to 49.50 पैसा तक इसका रहेगा ताकि एक राज्‍य में एक भाव हो, दूसरे राज्‍य में दूसरा हो, तो स्थिति खराब न हो और उसके कारण कोई भी company direct ले सकती है। कोई टेंडर प्रोसेस में जाना नहीं पड़ेगा, मार्केट रेट फिक्‍स कर दिया है। मैं समझता हूं कि उसके कारण भी एक और लाभ होगा।

और एक काम हमने initiative लेने के लिए राज्‍यों से आग्रह किया है। जिन-जिन राज्‍यों में बंजर भूमि है। जहां पर अन्‍य फसल की संभावनाएं कम है, वहां पर Jatropha की खेती बहुत अच्‍छी हो सकती है। Jatropha की पैदावर अच्‍छी हो सकती है और Jatropha जैसे वो तिलहन है जिसमें से खाद्य तेल नहीं निकलता है, लेकिन कोई पदार्थ मिलता है, उसको बढ़ावा देना और उसको बायो डीजल के रूप में develop करना और जितनी मात्रा में हम बायो डीजल को मार्केट में लाएंगे, हमारा किसान जो खेत में पम्‍प चलाता है या ट्रेक्‍टर चलाता है उसको भी उसके कारण लाभ होगा। गरीब आदमी को किस प्रकार से लाभ हो, उस बल देने करने का हमारा प्रयास है।

देश में अगर हमें विकास करना है तो भारत का..और अगर सिर्फ पश्चिमी छोर का विकास हो, तो देश का विकास कभी संभव नहीं होगा। असंतुलित विकास भी कभी-कभी विकास के लिए खुद समस्‍या बन जाता है। विकास संतुलित होना चाहिए। हर राज्‍य का 19-20 का फर्क तो हम समझ सकते हैं। लेकिन 80-20 के फर्क से देश नहीं चल सकता। और इसलिए पश्चिम में तो हमें economic activity दिखती है, लेकिन पूरब जहां सबसे ज्‍यादा प्राकृतिक संपदा है, पूर्वी भारत पूरा, जहां पर समर्थ लोग हैं, उनकी शक्ति कम नहीं होती है, लेकिन उनको अवसर नहीं मिलता। देश को आगे बढ़ाना है तो हमारा लक्ष्‍य है कि भारत का पूर्वी इलाका चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, बिहार हो, उड़ीसा हो, असम हो, पश्चिम बंगाल हो, north east के इलाके हों, जहां पर विकास की विशाल-विपुल संभावना है, उस पर हमने बल देने का आग्रह किया है।

Second green revolution से भूमि अगर बनेगी, तो पूर्वी भारत बनेगा, मुझे साफ दिखाई दे रहा है। जहां विपुल मात्रा में पानी है, उसी प्रकार से औद्योगिकी विकास में भी बड़ा contribute करने की संभावना पूर्वी भारत में पड़ी है और इसके लिए गैस ग्रिड नेटवर्क ऊर्जा जरूरत है। अगर पटना के पास गैस पाइप लाइन से मिलेगा, तो पटना में उद्योग आएंगे। बिहार के उन शहरों में भी उद्योग जाएंगे। असम में भी जाएंगे, पश्चिम बंगाल में भी जाएंगे, कलकत्‍ता में भी नई ऊर्जा आएगी और इसलिए हमने गैस ग्रिड का पाइप लाइन के नेटवर्क का एक बहुत अभियान उठाना हमने तय किया है और इतना ही नहीं शहरों में क्‍योंकि शहरों के pollution की बड़ी चर्चा है। और उसके लिए हमने तय किया है कि हम परिवारों में पाइप लाइन से गैस का connection करें। यह हम देना चाहते है। अब तक हिंदुस्‍तान में 27 लाख परिवारों के पास पाइप लाइन से गैस connection है। हम आने वाले चार साल में यह संख्‍या एक करोड़ पहुंचाना चाहते हैं, एक करोड़ परिवार को। अब पूरे-पूरे पूर्वी भारत में गैस ग्रिड से गैस देने का हमारा लक्ष्‍य है। मैं जानता हूं हजारों करोड़ रुपये का हमारा investment है लेकिन यह investment करना है, क्‍योंकि अगर एक बार ऊर्जा के स्रोत वहां विपुल मात्रा में होंगे, तो हमारा पूर्वी भारत में भी उद्योग लगाने वाले लोग पहुंचेंगे, अगर गैस उनको मिलता है तो उद्योग लगाने के लिए जाएंगे और फिर ऊर्जा की गारंटी होनी चाहिए, उसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हमने इस क्षेत्र में विकास करना है तो skill development में भी बल देना पड़ेगा।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से IIT जैसे हमारे Institution के हमारे students को बुलाया है। हमारे देश में यह बहुत बड़ी challenge है कि इस क्षेत्र में innovation कैसे करें। हम अभी भी पुराने ढर्रे से चल रहे हैं। यह young mind की जरूरत है और young mind का एक लाभ है, वो बड़े साहसिक होते हैं वो प्रयोग करने के लिए ताकत रखते हैं। जो अनुभव के किनारे पहुंचे हैं वो 50 बार सोचते है कि करू या न करूं, करूं या न करूं। अच्‍छा कबड्डी का खिलाड़ी भी Retire होने के बाद जब कबड्डी का खेल देखने खड़ा होता है, तो उसको भी डर रहता है कि अरे यह कहीं गिर न जाए, वो चिंता करता रहता है और इसलिए young mind जिसकी risk capacity बहुत होती है। ऐसे young mind को आज विशेष रूप से बुलाया है।

मैं आग्रह करता हूं कि इस क्षेत्र में बहुत innovation की संभावनाएं है। innovation को हम किस प्रकार से ऊर्जा के क्षेत्र में हमारा mind apply करे। भारत को हम ऊर्जा क्षेत्र में सुरक्षित कैसे करे, स्‍वाबलंबी कैसे करें। उसकी पहली आवश्‍यकता है innovation, technology innovation, technology up-gradation, दूसरा है skill development. हमने skill development का एक अलग department बनाया है, लेकिन skill development को भी हम area specific, need specific and development specific बनाना चाहते हैं, requirement specific बनाना चाहते हैं।

अब हमने एक बार हिसाब लगाया कि सिर्फ हमारे पेट्रोलियम सेक्‍टर में जो काम करते हैं जैसे गैस की पाइप लाइन लगती है, अब गैस की पाइप लाइन लगाने वाला पानी की पाइप लाइन लगाने वाला नहीं चल सकता। उसके लिए एक special skill चाहिए। व्‍यक्ति वही होगा, extra skill की आवश्‍यकता है, value addition की आवश्‍यकता है। हमने ऐसे ही सरसरी नजर से देखा तो करीब-करीब 136 चीजें ऐसी हाथ में आई कि जो field level पर food-soldier जो है उनके skill के लिए करने की आवश्‍यकता है।

हमने एक अभियान चलाया है। आने वाले दिनों में इन सभी sectors में हम skill development को बल दे और सामान्‍य गरीब मजदूर भी है जो यह पेट्रोलियम सेक्‍टर में, ऊर्जा के सेक्‍टर में मान लीजिए solar energy पर हम initiative ले रहे हैं। अगर solar energy में initiative ले तो solar energy में वो wire-man काम करेगा कि solar energy में skill development का नये सिरे से सिलेबस बने, नये सिरे से उनके लिए कहीं एक व्‍यक्ति या दो व्‍यक्ति एक साल के दो साल के जो भी आवश्‍यक हो Skill Development Mission के साथ जोड़कर के हम पेट्रोलियम सेक्‍टर में भी ऊर्जा के सेक्‍टर में भी, ऐसी कितनी भी नई चीजें – और मैं तो चाहूंगा हम कंपनियों के साथ मिलकर के इसको करें। कंपनियां भी पार्टनर बनें और कंपनियों के साथ मिलकर के करेंगे तो Human Resource Development यह भी हमारे लिए उतना ही आवश्‍यक है जिसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं और मुझे विश्‍वास है कि हम आने वाले दिनों में एक प्रकार से innovation के लिए पूरा-पूरा अवसर, उसी प्रकार से इसको भी पाने का अवसर..।

2022 में भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। देश आजादी का अमृत पर्व बनाने वाला है। जिन महापुरूषों ने सपने देखे थे भारत को महान बनाने के और इसके लिए आजादी भी अपने आप को बलि चढ़ा दिया था, जवानी जेल में खपा दी थी, अपने-अपने परिवारों को तबाह कर दिया था, इसलिए कि हम आजादी की सांस ले सके, हम आजाद भारत में पल-बढ़ सके। हम वो भाग्‍यशाली लोग हैं, जो उनकी तपस्‍या और त्‍याग के कारण आज आजादी का आनंद ले रहे हैं। क्‍या हमारा जिम्‍मा नहीं है कि जिन महापुरूषों ने देश के लिए इतना बलिदान दिया हम उनको कैसा भारत समर्पित करेंगे। कैसा भारत देंगे। 2022 जबकि हिंदुस्‍तान की आजादी के 75 साल है। इस ऊर्जा के संगम में जो लोग आएं हैं मैं आपसे आग्रह करता हूं कि 2022 में जब देश आजादी का अमृत पर्व मनाए तब आज हम ऊर्जा के क्षेत्र में करीब 77% import करते हैं। तेल और गैस और पेट्रोलियम सेक्‍टर में। क्‍या आजादी के 2022 के पर्व पर, अमृत पर्व पर हम यह 77 में से कम से कम मैं ज्‍यादा नहीं कर रहा हूं, 10% import कम करेंगे, हम उतना 10% growth करेंगे, स्‍वाबलंबी बनेंगे यह सपना लेकर के आज हम कट कर सकते हैं क्‍या। एक बार हम 2022 में 10% import कमी करने में सफल हो जाते हैं, 10% growth करके हम उस ऊंचाई को पार कर सकते हैं तो मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि 2030 में हम यह import को 50% तक ला सकते हैं। लेकिन First Break-through होता है, पहला Break-through और मैं मानता हूं कि आजादी के दीवानों से बड़ी प्रेरणा क्‍या हो सकती है। आजादी के मरने-मिटने वालों को याद करके कह कि मैं इस क्षेत्र में काम कर रहा हूं, मैं मेरे देश को यह देकर के रहूंगा, आने वाले पांच-सात साल मेरे पास हैं। मैं पूरी ताकत लगा दूंगा और मैं देश में यह स्थिति पैदा करूं, ये सपने हम देखे कितने क्षेत्रों में initiative लिये है।

हम मेगावाट से बाहर नहीं निकलते, हम गीगावाट की चर्चा करने लगे हैं। 100 गीगावाट solar energy, 60 giga-watt renewable energy, wind energy की दिशा में जाना यह अपने आप में बहुत बड़े सपने हमने देखे हैं। इन सपनों से आगे बढ़ेंगे तो हमारा import कम होगा। और 10% Growth...वो तो हमारी growth requirement है..लेकिन हमारा जो Growth होगा वो 10% से ज्‍यादा लगेगा, तब जाकर के हम 77% से 10% कम कर सकते हैं। तो हमारे लक्ष्‍य ऊंचे होंगे, तब जाकर के हम इसको पूरा कर सकेंगे और मैं चाहूंगा कि उसके लिए हम प्रयास करें।

एक क्षेत्र की जितनी कंपनियां है, समय की मांग यह है कि हमारी ऊर्जा क्षेत्र की जितनी कंपनियां है Government हो चाहे वो Private कंपनियां हो, हम भारत के दायरे में ही अपने कारोबार को चलाकर के गुजारा करे यह enough नहीं है। हमारी इन कंपनियों को target करना चाहिए, जल्‍द से जल्‍द वो Multinational बने, क्‍योंकि ऊर्जा का एक पूरा Global Market बना हुआ है।

एक मैं देख रहा हूं कि इन दिनों energy diplomacy एक नया क्षेत्र उभर गया। वैश्विक संबंधों में energy diplomacy एक requirement बन गई है। हमारी कंपनियां जितनी Multinational बनेगी, उतना मैं समझता हूं इस क्षेत्र में अपनी पहुंच बना पाएंगे, अपनी जगह बना पाएंगे। उसी प्रकार से ऊर्जा के क्षेत्र में India and Middle East, India and Central Asia, India and South Asia Corridor बनाना और उसको गति देना हमारे लिए बहुत आवश्‍यक है। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में काम करने वाले हमारे सभी महानुभव इन चीजों पर focus करके कैसे काम करे। कुछ ऐसे अनछुए क्षेत्र हैं, जिसमें हम अपना पैर पसार सकते हैं, कि North America और Africa में Gas Power के रूप में हम स्‍थापित कर सकते हैं क्‍या? मुझे विश्‍वास है कि अगर इन सपनों को लेकर के हम अगर आगे बढ़ते हैं, उसी प्रकार से हमारे जो बंदरगाह है उसके साथ LNG terminal का network उसके साथ हम कैसे जोड़ सकते हैं। कई ऐसे विषय है कि जिसको अगर हम बल देंगे तो मैं समझता हूं कि हम इन चीजों को पार कर सकते हैं और यह बात निश्चित है कि ऊर्जावान भारत ही विश्‍व को नई ऊर्जा दे सकता है। अगर भारत ऊर्जावान बनेगा तो विश्‍व को नई ऊर्जा मिलने की संभावना है, तो 1/6 population के नाते दुनिया हमारे लिए क्‍या करती है इन सपनों से बाहर निकलकर के हम विश्‍व के लिए क्‍या करते हैं, यह सपने देखकर के चलेंगे तो देश का अपने आप भला होगा।

मैं फिर एक बार इन तीनों संस्‍थाओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, विभाग के इन सभी साथियों को उनके achievement के लिए हृदय से अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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We will reduce terrorists to dust, their handlers will face unimaginable punishment: PM Modi in Lok Sabha
July 29, 2025
QuoteVijay Utsav is a testament to the valour and strength of the Indian Armed Forces: PM
QuoteI have stood up in the House with the spirit of this Vijay Utsav to present India's perspective: PM
QuoteOperation Sindoor highlighted the power of a self-reliant India!: PM
QuoteDuring Operation Sindoor, the synergy of the Navy, Army and Air Force shook Pakistan to its core: PM
QuoteIndia has made it clear that it will respond to terror on its own terms, won't tolerate nuclear blackmail and will treat terror sponsors and masterminds alike: PM
QuoteDuring Operation Sindoor, India garnered widespread global support: PM
QuoteOperation Sindoor is ongoing. Any reckless move by Pakistan will be met with a firm response: PM
QuoteA strong military at the borders ensures a vibrant and secure democracy: PM
QuoteOperation Sindoor stands as clear evidence of the growing strength of India's armed forces over the past decade: PM
QuoteIndia is the land of Buddha, not Yuddha. We strive for prosperity and harmony, knowing that lasting peace comes through strength: PM
QuoteIndia has made it clear that blood and water cannot flow together: PM

आदरणीय अध्यक्ष जी,

इस सत्र के प्रारंभ में ही मैं जब मीडिया के साथियों से बात कर रहा था, तब मैंने सभी माननीय सांसदों को अपील करते हुए एक बात का उल्लेख किया था। मैंने कहा था कि यह सत्र भारत के विजयोत्सव का सत्र है। संसद का यह सत्र भारत का गौरव गान का सत्र है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जब मैं विजयोत्सव की बात कर रहा हूं, तब मैं कहना चाहूंगा कि यह विजयोत्सव आतंकी हेडक्‍वाटर्स को मिट्टी में मिलने का है। जब मैं विजयोत्सव कहता हूं, तो यह विजयोत्सव सिंदूर की सौगंध पूरा करने का है। मैं जब यह विजयोत्सव कहता हूं, तो यह भारत की सेना के शौर्य और सामर्थ्य का विजय गाथा कह रहा हूँ। जब मैं विजयोत्सव कह रहा हूं, तो 140 करोड़ भारतीयों की एकता, इच्छा शक्ति उसके प्रति जीत का विजयोत्सव की बात करता हूँ।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं इसी विजयी भाव से इस सदन में भारत का पक्ष रखने के लिए खड़ा हुआ हूं और जिन्हें भारत का पक्ष नहीं दिखता है, उन्हें मैं आईना दिखाने के लिए खड़ा हुआ हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं 140 करोड़ देशवासियों की भावनाओं में अपना स्वर मिलाने के लिए उपस्थित हुआ हूं। यह 140 करोड़ देशवासियों की भावना की जो गूंज है, जो इस सदन में सुनाई दी है, मैं उसमें अपना एक स्वर मिलाने खड़ा हुआ हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

ऑपरेशन सिंदूर के दरमियान जिस प्रकार से देश के लोगों ने मेरा साथ दिया, मुझे आशीर्वाद दिए, देश की जनता का मुझ पर कर्ज है। मैं देशवासियों का आभार व्यक्त करता हूं, मैं देशवासियों का अभिनंदन करता हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

22 अप्रैल को पहलगाम में जिस प्रकार की क्रूर घटना घटी, जिस प्रकार आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों को उनका धर्म पूछ-पूछ करके गोलियां मारी, यह क्रूरता की पराकाष्ठा थी। भारत को हिंसा की आग में झोंकने का यह सुविचारित प्रयास था। भारत में दंगे फैलाने की यह साजिश थी। मैं आज देशवासियों का धन्यवाद करता हूं कि देश ने एकता के साथ उस साजिश को नाकाम कर दिया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

22 अप्रैल के बाद मैंने एक सार्वजनिक रूप से और विश्व को समझ में आए, इसलिए कुछ अंग्रेजी में भी वाक्यों का प्रयोग किया था और मैंने कहा था कि यह हमारा संकल्प है। हम आतंकियों को मिट्टी में मिला देंगे और मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था, सजा उनके आकाओं को भी होगी और कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। 22 अप्रैल को मैं विदेश था, मैं तुरंत लौट कर आया और आने के तुरंत बाद मैंने एक बैठक बुलाई और उस बैठक में हमने साफ-साफ निर्देश दिए कि आतंक आतंकवाद को करारा जवाब देना होगा और यह हमारा राष्ट्रीय संकल्प है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमें हमारे सैन्य बलों की क्षमता पर पूरा विश्वास है, पूरा भरोसा है, उनकी क्षमता पर, उनके सामर्थ्य पर, उनके साहस पर… सेना को कार्यवाही की खुली छूट दे दी गई और यह भी कहा गया कि सेना तय करें, कब, कहां, कैसे, किस प्रकार से? यह सारी बातें उस मीटिंग में साफ-साफ कह दी गई और कुछ बातें उसमें से मीडिया में शायद रिपोर्ट भी हुई हैं। हमें गर्व है, आतंकियों को वह सजा दी और सजा ऐसी है कि आज भी आतंक के उन आकाओं की नींद उड़ी हुई है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं हमारी सेना की सफलता के उससे जुड़े भारत के उस पक्ष को सदन के माध्यम से देशवासियों के सामने रखना चाहता हूं। पहला पक्ष, पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तानी सेना को अंदाजा लग चुका था कि भारत कोई बड़ी कार्यवाही करेगा। उनकी तरफ से न्यूक्लियर की धमकियों के भी बयान आना शुरू हो चुके थे। भारत ने 6 मई रात और 7 मई सुबह जैसा तय किया था, वैसी कार्यवाही की और पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया। 22 मिनट में 22 अप्रैल का बदला निर्धारित लक्ष्य के साथ हमारी सेना ने ले लिया। दूसरा पक्ष, आदरणीय अध्यक्ष जी, पाकिस्तान के साथ हमारी लड़ाई तो कई बार हुई है। लेकिन यह पहली ऐसी भारत की रणनीति बनी कि जिसमें पहले जहां कभी नहीं गए थे वहां हम पहुंचे। पाकिस्तान के कोने-कोने में आतंकी अड्डों को धुआं-धुआं कर दिया गया। आतंक के घाट, कोई सोच नहीं सकता है कि वहां तक कोई जा सकता है। बहावलपुर और मुरीदके, उसको भी जमींदोज कर दिया गया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारी सेनाओं ने आतंकी अड़ों को तबाह कर दिया। तीसरा पक्ष, पाकिस्तान की न्यूक्लियर धमकी को हमने झूठा साबित कर दिया। भारत ने सिद्ध कर दिया कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग अब नहीं चलेगा और ना ही यह न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग के सामने भारत झुकेगा।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

चौथा पक्ष, भारत ने दिखाई अपनी तकनीकी क्षमता। पाकिस्तान के सीने पर सटीक प्रहार किया। पाकिस्तान के एयर बेस एसेट्स को भारी नुकसान हुआ और आज तक उनके कई एयर बेस आईसीयू में पड़े हैं। आज टेक्नोलॉजी आधारित युद्ध का युग है। ऑपरेशन सिंदूर इस महारथ में भी सफल सिद्ध हुआ है। अगर पिछले 10 साल में जो हमने तैयारियां की हैं, वह ना की होती, तो इस तकनीकी युग में हमारा कितना नुकसान हो सकता था, इसका हम अंदाजा लगा सकते हैं। पांचवा पक्ष, ऑपरेशन सिंदूर के दरमियान पहली बार हुआ जब आत्मनिर्भर भारत की ताकत को दुनिया ने पहचाना है। मेड इन इंडिया ड्रोन, मेड इन इंडिया मिसाइल, पूरे पाकिस्तान के हथियारों की पोल खोल करके रख दी।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

और भी एक महत्वपूर्ण काम जो हुआ है, वैसे जब राजीव गांधी जी थे, उस समय उनके जो एक डिफेंस का काम देखने वाले MoS थे। उन्होंने जब मैंने सीडीएस की घोषणा की, तो वह बहुत प्रसन्न होकर के मुझे मिलने आए थे और बहुत-बहुत प्रसन्न थे वह, इस समय ऑपरेशन में नेवी, आर्मी, एयरफोर्स, तीनों सेनाओं का ज्वाइंट एक्शन इसके बीच की सिनर्जी, इसने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आतंकी घटनाएं पहले भी देश में होती थी। लेकिन पहले आतंकवादियों के मास्टरमाइंड निश्‍चिंत होते थे और वह आगे की तैयारी में लगे रहते थे। उनको पता था, कुछ नहीं होगा। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अब हमले के बाद मास्टरमाइंड को नींद नहीं आती, उनको पता है कि भारत आएगा और मार कर जाएगा। यह न्यू नॉर्मल भारत ने सेट कर दिया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

दुनिया ने देख लिया कि हमारे कार्यवाही का दायरा कितना बड़ा है, स्केल कितना बड़ा है। सिंदूर से लेकर के सिंधु तक पाकिस्तान पर कार्यवाही की है। ऑपरेशन सिंदूर ने तय कर दिया कि भारत में आतंकी हमले की उसके आकाओं को और पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, अब यह ऐसे ही नहीं जा सकते।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

ऑपरेशन सिंदूर से स्पष्ट होता है कि भारत ने तीन सूत्र तय किए हैं। अगर भारत पर आतंकी हमला हुआ, तो हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर, अपने समय पर, जवाब देकर के रहेंगे। दूसरा, कोई भी, कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल अब नहीं चलेगा और तीसरा, हम आतंकी सरपरस्त सरकार और आतंकी आकाओं, उनको अलग-अलग नहीं देखेंगे।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

यहां पर विदेश नीति को लेकर के भी काफी बातें कहीं गई हैं। दुनिया के समर्थन को लेकर के भी काफी बातें कही गई हैं। मैं आज सदन में कुछ बातें पूरी स्पष्टता से कह रहा हूं। दुनिया में किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा में कार्यवाही करने से रोका नहीं है। संयुक्त राष्ट्र 193 कंट्रीज़, सिर्फ तीन देश, 193 कंट्री में सिर्फ तीन देश ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया था, ओनली थ्री कंट्रीज़। क्वाड हो, ब्रिक्स हो, फ्रांस, रूस, जर्मनी, कोई भी देश का नाम ले लीजिए, तमाम देश दुनिया भर से भारत को समर्थन मिला है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

दुनिया का समर्थन तो मिला, दुनिया के देशों का समर्थन मिला, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि मेरे देश के वीरों के पराक्रम को कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला। 22 अप्रैल के बाद, 22 अप्रैल के आतंकी हमले के बाद तीन-चार दिन में ही यह उछल रहे थे और कहना शुरू कर दिया कहां गई 56 इंच की छाती? कहां खो गया मोदी? मोदी तो फेल हो गया, क्या मजा ले रहे थे, उनको लगता था, वाह! बाजी मार ली। उनको पहलगाम के निर्दोष लोगों की हत्या में भी वह अपनी राजनीति तराशते थे। अपनी स्वार्थ की राजनीति के लिए मुझ पर निशाना साध रहे थे, लेकिन उनकी यह बयानबाजी, इनका छिछोरापन देश के सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा रहा था। कांग्रेस के कुछ नेताओं को ना भारत के सामर्थ्य पर भरोसा है और ना ही भारत की सेनाओं पर, इसलिए वह लगातार ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसा करके आप लोग मीडिया में हैडलाइंस तो ले सकते हैं, लेकिन देशवासियों के दिलों में जगह नहीं बना सकते।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

10 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत हो रहे एक्शन को रोकने की घोषणा की। इसको लेकर यहां भांति-भांति की बातें कही गईं। यह वही प्रोपेगेंडा है, जो सीमा पार से फैलाया गया है। कुछ लोग सेना द्वारा दिए गए तथ्यों की जगह पाकिस्तान के झूठ प्रचार को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं। जबकि भारत का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कुछ चीजें मैं जरा स्मरण भी करना चाहता हूं। जब सर्जिकल स्ट्राइक हुआ, उस समय हमने लक्ष्य तय किया था, हमारे जवानों को तैयार करके कि हम उनके इलाके में जाकर के आतंकियों के जो लॉन्चिंग पैड हैं, उनको नष्ट करेंगे और सर्जिकल स्ट्राइक एक रात के उस ऑपरेशन में हमारे लोग सूर्योदय होते-होते काम पूरा करके वापस आ गए। लक्ष्य निर्धारित था कि यह करना है। जब बालाकोट एयर स्ट्राइक किया, तो हमारा लक्ष्य तय था कि आतंकियों के जो ट्रेंनिंग सेंटर्स हैं, इस बार हम उसको तबाह करेंगे और हमने वह भी करके दिखाया। ऑपरेशन सिंदूर के समय हमारा लक्ष्य तय था और हमारा लक्ष्य था कि आतंक के जो एपिसेंटर हैं और पहलगाम के आतंकियों की जहां से पुरजोर योजना बनी, ट्रेनिंग मिली, व्यवस्था मिली, उस पर हमला करेंगे। हमने उनकी नाभि पर हमला कर दिया है। या जहां पहलगाम के आतंकियों का रिक्रूटमेंट हुआ, ट्रेनिंग होती थी, फंडिंग होता था, उन्हें ट्रैकिंग टेक्निकल सपोर्ट मिलता था, शस्‍त्र सारा इंतजाम मिलता था, उस जगह को आईडेंटिफाई किया और हमने सटीक तरीके से ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों की नाभि पर प्रहार किया।

और आदरणीय अध्यक्ष जी,

इस बार भी हमारी सेना ने शत-प्रतिशत लक्ष्‍यों को हासिल करके देश के सामर्थ्य का परिचय दिया है। कुछ लोग जानबूझकर के कुछ चीजें भूलने में इंटरेस्टटिड होते हैं। देश भूलता नहीं है, देश को याद है, 6 रात और 7 मई सुबह ऑपरेशन हुआ था और 7 मई को सुबह भारत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस हमारी सेना ने की और उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत ने स्पष्ट कर दिया था और पहले दिन से क्लियर था कि हम, हमारा लक्ष्य है आतंकी, आतंकियों के आका, आतंकियों की जो व्यवस्थाएं जहां से होती हैं वह और उनके अड्डे, उनको हम ध्वस्त करना चाहते थे और हमने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह दिया था, हमने हमारा काम कर दिया है। हमने जो तय किया था, पूरा कर दिया है। और इसलिए 6-7 मई को ऑपरेशन हमारा संतोषजनक होने के तुरंत बाद, कल जो राजनाथ जी ने कहा था, मैं डंके की चोट पर दोबारा दोहराता हूं, भारत की सेना ने पाकिस्तान की सेना को चंद मिनटों में ही बता दिया कि हमारा यह लक्ष्य था, हमने यह लक्ष्य पूरा कर दिया है, ताकि उनको पता चले और हमें भी पता चले कि उनके दिल दिमाग में क्या चलता है। हमने अपना लक्ष्य शत-प्रतिशत हासिल कर लिया था और पाकिस्तान में समझदारी होती तो आतंकियों के साथ खुलेआम खड़े रहने की गलती ना करता। उसने निर्लज होकर के आतंकवादियों के साथ खड़े रहने का फैसला किया। हम पूरी तरह तैयार थे, हम भी मौके की तलाश में थे, लेकिन हमने दुनिया को बताया था कि हमारा लक्ष्य आतंकवाद है, आतंकवादी आका हैं, आतंकवादी ठिकाने हैं, वह हमने पूरा कर दिया। लेकिन जब पाकिस्तान ने आतंकियों की मदद में आने का फैसला किया और मैदान में उतरने की हरकत की, तो भारत की सेना ने सालों तक याद रह जाए, ऐसा करारा जवाब देकर के 9 मई की मध्य रात्रि और 10 मई की एक प्रकार से सुबह, हमारी मिसाइलें उन्होंने पाकिस्तान के हर कोने में प्रचंड प्रहार किया, जिसकी पाकिस्तान ने कभी कल्पना नहीं की थी। और पाकिस्तान को घुटनों पर आने के लिए मजबूर कर दिया और आपने टीवी में भी देखा है, वहां से क्या बयान आते थे? पाकिस्तान के लोग अरे मैं तो स्विमिंग पूल में नहा रहा था, कोई कह रहा था, मैं तो दफ्तर जाने की तैयारी कर रहा था, हम कुछ सोचें इससे पहले तो भारत ने तो हमला कर दिया। यह पाकिस्तान के लोगों के बयान हैं और देश ने देखे हैं। स्विमिंग पूल में नहा रहा था और जब इतना कड़ा प्रहार हुआ, पाकिस्तान ने कभी सोचा तक नहीं था, तब जाकर के पाकिस्तान ने फोन करके, डीजीएमओ के सामने फोन करके गुहार लगाई, बस करो, बहुत मारा, अब ज्यादा मार झेलने की ताकत नहीं है, प्लीज हमला रोक दो। यह पाकिस्तान के डीजीएमओ का फोन था और भारत ने तो पहले दिन ही कह दिया था, 7 तारीख सुबह की प्रेस देख लीजिए कि हमने हमारा लक्ष्य पूरा कर दिया है, अगर आप कुछ करोगे, तो महंगा पड़ेगा। मैं आज दोबारा कह रहा हूं कि यह भारत की स्पष्ट नीति थी, सुविचारित नीति थी, सेना के साथ मिलकर के तय की हुई नीति थी और वह यह थी कि हम आतंक, उनके आका, उनके ठिकाने, यह हमारा लक्ष्य है और हमने कहा, पहले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि हमारा एक्शन नॉन एस्क्लेट्री है। यह हमने कहकर के किया है और इसके लिए साथियों हमने हमला रोका।

अध्यक्ष जी,

दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा। उसी दौरान 9 तारीख को रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जी ने मुझसे बात करने का प्रयास किया। वह घंटे भर कोशिश कर रहे थे, लेकिन मैं मेरी सेना के साथ मीटिंग चल रही थी। तो मैंने उनका फोन उठा नहीं पाया, बाद में मैंने उनको कॉल बैक किया। मैंने कहा कि आपका फोन था, तीन-चार बार आपका फोन आ गया, क्या है? तो अमेरिका के उपराष्ट्रपति जी ने मुझे फोन पर बताया कि पाकिस्तान बहुत बड़ा हमला करने वाला है। यह उन्होंने मुझे बताया, मेरा जो जवाब था, जिनको समझ नहीं आता है, उनको तो नहीं आएगा। मेरा जवाब था, अगर पाकिस्तान का यह इरादा है, तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा। यह मैंने अमेरिका के उपराष्ट्रपति को कहा था। अगर पाकिस्तान हमला करेगा, तो हम बड़ा हमला कर करके जवाब देंगे, यह मेरा जवाब था और आगे मेरा एक वाक्य था, मैंने कहा था, हम गोली का जवाब गोले से देंगे। यह 9 तारीख रात की बात है और 9 रात में और 10 सुबह हमने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति को तहस-नहस कर दिया था और यही हमारा जवाब था, यही हमारा जज्बा था। और आज पाकिस्तान भी भली-भांति जान गया है कि भारत का हर जवाब पहले से ज्यादा तगड़ा होता है। उसे यह भी पता है कि अगर भविष्य में नौबत आई तो भारत आगे कुछ भी कर सकता है और इसलिए मैं फिर से लोकतंत्र के इस मंदिर में दोहराना चाहता हूं, ऑपरेशन सिंदूर जारी है। पाकिस्तान ने दुस्‍साहस की अगर कल्पना की, तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज का भारत आत्मविश्वास, उससे भरा हुआ है। आज का भारत आत्मनिर्भरता के मंत्र को लेकर के पूरी शक्ति के साथ तेज गति से आगे बढ़ रहा है। देश देख रहा है, भारत आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। लेकिन देश यह भी देख रहा है कि एक तरफ तो भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेज गति से आगे बढ़ रहा है, लेकिन कांग्रेस मुद्दों के लिए पाकिस्तान पर निर्भर होती जा रही है। मैं आज पूरा दिन देख रहा था, 16 घंटे से जो चर्चा चल रही है, दुर्भाग्य से कांग्रेस को पाकिस्तान के मुद्दे इंपोर्ट करने पड़ रहे हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज के वॉरफेयर में इंफॉर्मेशन और नेरेटिव्स की बहुत बड़ी भूमिका है। नेरेटिव गढ़ करके, एआई का भी भरपूर उपयोग करके, सेनाओं के मनोबल को कमजोर करने के खेल भी खेले जाते हैं। जनता के अन्दर अविश्वास पैदा करने के भी भरपूर प्रयास होते हैं। दुर्भाग्य से कांग्रेस और उसके सहयोगी पाकिस्तान के ऐसे ही प्रपंच के प्रवक्ता बन चुके हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

देश की सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

देश की सेना ने सफलतापूर्वक सर्जिकल स्ट्राइक की तो तुरंत कांग्रेस वालों ने सेना से सबूत मांगे थे। लेकिन जब उन्होंने देश का मूड देखा, देश का मिजाज देखा, तो सुर उनके बदलने लगे और बदल करके क्या कहने लगे? कांग्रेस के लोगों ने कहा, यह सर्जिकल स्ट्राइक क्या बड़ी बात है, यह तो हमने भी की थी। एक ने कहा, तीन सर्जिकल स्ट्राइक की थी। दूसरे ने कहा, 6 सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तीसरे ने कहा, 15 सर्जिकल स्ट्राइक की थी। जितना बड़ा नेता, उतना बड़ा आंकड़ा चल रहा था।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

इसके बाद बालाकोट में सेना ने एयर स्ट्राइक की। अब एयर स्ट्राइक तो ऐसी थी कि वह कुछ कह नहीं सकते थे, इसलिए यह तो नहीं कहा कि हमने भी की थी। उसमें तो उन्होंने समझदारी दिखाई, लेकिन फोटो मांगने लगे। एयर स्ट्राइक हुई, तो फोटो दिखाओ। क्या कहां गिरा? क्या तोड़ा? कितना तोड़ा? कितने मरे? बस यही पूछते रहे! पाकिस्तान भी यही पूछता था, तो यह भी यही पूछते थे। इतना ही नहीं…

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जब पायलट अभिनंदन पकड़े गए, तब पाकिस्तान में तो खुशी का माहौल होना स्वाभाविक था कि उनके हाथ में भारत की सेना का एक पायलट उनके हाथ लगा था, लेकिन यहां पर भी कुछ लोग थे, जो कानों-कानों में कह रहे थे, अब मोदी फंसा, अब अभिनंदन वहां है, मोदी लाकर के दिखा दे। अब देखते हैं, मोदी क्या करता है? और डंके की चोट पर अभिनंदन वापस आया। हम अभिनंदन को ले आए, तो इनकी बोलती बंद हो गई। इनको लगा यार, यह नसीब वाला आदमी है! हमारा हथियार हाथ से निकल गया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

पहलगाम हमले के बाद हमारा बीएसएफ का एक जवान पाकिस्तान के कब्जे में गया, तो फिर उनको लगा कि वाह! बड़ा मुद्दा हाथ में आ गया है, अब मोदी फंस जाएगा। अब तो मोदी की फजीहत जरूर होगी और उनके इकोसिस्टम ने सोशल मीडिया में बहुत सारी कथाएं वायरल की कि यह बीएसएफ के जवान का क्या होगा? उसके परिवार का क्या होगा? वह वापस आएगा, कब आएगा? कैसे आएगा? ना जाने क्या-क्या चला दिया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

बीएसएफ का वह जवान भी आन-बान-शान के साथ वापस आ गया। आतंकवादी रो रहे हैं, आतंकवादियों के आका रो रहे हैं और उनको रोते देखकर यहां भी कुछ लोग रो रहे हैं। अब देखिए, सर्जिकल स्ट्राइक चल रही थी, उसके बाद उन्होंने एक खेल खेलने की कोशिश की, बात जमी नहीं। एयर स्ट्राइक हुई, तो दुसरा खेल खेलने की कोशिश की, वह भी जमी नहीं। जब यह ऑपरेशन सिंदूर हुआ, तो उन्होंने नया पैंतरा शुरू किया और क्या शुरू किया, रोक क्यों दिया? पहले तो मानने को ही तैयार नहीं थे कि यह कुछ करते है, अब कहते हैं रोक क्यों दिया? वाह रे बयान बहादुरों! आपको विरोध का कोई ना कोई बहाना चाहिए और इसलिए सिर्फ मैं नहीं, पूरा देश आप पर हंस रहा है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

सेना का विरोध, सेना के प्रति एक पता नहीं नेगेटिविटी, यह कांग्रेस का पुराना रवैया रहा है। देश ने अभी-अभी कारगिल विजय दिवस मनाया, लेकिन देश पूरी तरह जानता है कि उनके कार्यकाल में और आज तक कारगिल के विजय को कांग्रेस ने अपनाया नहीं है। ना कारगिल विजय दिवस मनाया है, ना कारगिल विजय का गौरव किया है। इतिहास साक्षी है अध्यक्ष जी, जब डोकलाम में सैन्य हमारा शौर्य दिखा रहा था, तब कांग्रेस के नेता चुपके-चुपके किससे ब्रीफिंग लेते थे, वह सारी दुनिया अब जान गई है। आप टेप निकाल दीजिए पाकिस्तान के सारे बयान और यहां हमारा विरोध करने वाले लोगों के बयान, फुल स्टॉप कोमा के साथ एक हैं। क्या कहेंगे इसको? और बुरा लगता है, सच बोलते हैं तो! पाकिस्तान के साथ सुर में सुर मिला दिया था।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

देश हैरान है, कांग्रेस ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है। उनकी यह हिम्मत और इनकी आदत जाती नहीं है। यह हिम्मत कि पहलगाम के आतंकी पाकिस्तानी थे, इसका सबूत दो। क्या कह रहे हो तुम लोग? यह कौन सा तरीका है? और यही मांग पाकिस्तान कर रहा है, जो कांग्रेस कर रही है।

और आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज जब सबूतों की कोई कमी नहीं है, सब कुछ आंखों के सामने दिखता है, तब यह हालत है। अगर यह सबूत ना होते, तो क्या करते यह लोग आप बताइए?

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अध्यक्ष जी, ऑपरेशन सिंदूर के एक पार्ट की तरफ तो चर्चा भी बहुत होती हैं, ध्यान भी जाता है। लेकिन देश के लिए कुछ गौरव की क्षणें होती है, ताकत का एक परिचय होता है, उसकी तरफ भी ध्यान जाना बहुत आकर्षित है। हमारे एयर डिफेंस सिस्टम, दुनिया में इसकी चर्चा है। हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोंस, उसको तिनके की तरह बिखेर दिया था।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं एक आंकड़ा आज बताना चाहता हूं। पूरा देश गर्व से भर जाएगा, कुछ लोगों का क्या होगा, मैं नहीं जानता, पूरा देश गर्व से भर जाएगा। 9 मई को पाकिस्तान ने करीब एक हजार, एक हजार मिसाइलों और आर्म्स ड्रोंस से भारत पर बहुत बड़ा हमला करने की कोशिश की, एक हजार। यह मिसाइलें भारत के किसी भी हिस्से पर गिरती, तो वहां भयंकर तबाही मचती, लेकिन एक हजार मिसाइल्‍स और ड्रोंस को भारत ने आसमान में ही चूर-चूर कर दिया। हर देशवासी को इससे गर्व हो रहा है, लेकिन जैसे कांग्रेस के लोग इंतजार कर रहे थे, कुछ तो गड़बड़ होगी यार, मोदी मरेगा! कहीं तो फंसेगा! पाकिस्तान ने आदमपुर एयरबेस पर हमले का झूठ फैलाया, उस झूठ को बेचने की भरपूर कोशिश की, पूरी ताकत भी लगा दी। मैं अगले ही दिन आदमपुर पहुंचा और खुद जाकर के उनके झूठ को मैंने बेनकाब कर दिया। तब जाकर के उनको अकल ठिकाने लगी कि अब यह झूठ चलने वाला नहीं है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जो हमारे छोटे दलों के साथी हैं, जो राजनीति में नए हैं, उनको कभी शासन में रहने का अवसर नहीं मिला है, उनसे कुछ बातें निकलती हैं, मैं समझ सकता हूं। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस देश में लंबे समय तक राज किया है। उसको शासन की व्यवस्थाओं का पूरा पता है, उन चीजों से वह निकले हुए लोग हैं, उनके लिए शासन व्यवस्था क्या होती है, इसकी समझ पूरी है। अनुभव है उनके पास, उसके बाद भी विदेश मंत्रालय तुरंत जवाब दें, उसको स्वीकारना नहीं। विदेश मंत्री जवाब दे, इंटरव्यू दे, बार-बार बोले, उसको स्वीकारना नहीं। गृहमंत्री बोले, रक्षा मंत्री बोले, किसी पर भरोसा ही नहीं। जिसने इतने सालों तक राज किया, उनको देश की व्यवस्थाओं पर अगर भरोसा नहीं है, तब शक उठता है कि क्या हालत हो गई है इनकी?

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अब कांग्रेस का भरोसा पाकिस्तान के रिमोट कंट्रोल से बनता है और बदलता है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

एक बिलकुल कांग्रेस के नए सदस्य यानी उनको तो क्षमा करनी चाहिए, नए सदस्य को तो क्या कहेंगे। लेकिन कांग्रेस के आका जो उनको लिखकर के देते हैं और उनसे बुलवाते हैं, खुद में हिम्‍मत नहीं है, उनसे बुलवाते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर, यह तो तमाशा था। यह आतंकवादियों ने जिन 26 लोगों को मौत के घाट उतारा था ना, उस भयंकर क्रूर घटना पर यह तेजाब छिड़कने वाला पाप है। तमाशा कहते हो, आपकी यह सहमति हो सकती है और यह कांग्रेस के नेता बुलवाते हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

पहलगाम के हमलावरों को कल हमारे सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव करके अपने अंजाम तक पहुंचाया है। लेकिन मैं हैरान हूं कि यहां ठहाके लगाकर के पूछा गया कि आखिरकार यह कल ही क्यों हुआ? अब यह क्या हो गया है, जो मुझे समझ नहीं आ रहा है जी! क्या ऑपरेशन के लिए कोई सावन महीने का सोमवार ढूंढा गया था क्या? क्या हो गया है इन लोगों को? हताशा-निराशा इस हद तक और देखिए मजा, पिछले कई सप्ताह से हां, हां, ऑपरेशन सिंदूर हो गया, तो ठीक है, पहलगाम के आतंकियों का क्या हुआ? पहलगाम के आतंकियों का और हुआ, तो कल क्यों हुआ? और कभी क्यों हुआ? क्या हाल है अध्यक्ष जी इनका?

आदरणीय अध्यक्ष जी,

शास्त्रों में कहा गया है, हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है, शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चिंता प्रवर्तते, अर्थात जब राष्ट्र शास्त्र से सुरक्षित होते हैं, तभी वहां शास्त्र की ज्ञान की चर्चाएं जन्म ले पाती हैं। जब सीमा पर सेनाएं मजबूत होती हैं, तभी लोकतंत्र प्रखर होता है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

ऑपरेशन सिंदूर बीते दशक में भारत की सेना के सशक्तिकरण का एक साक्षात प्रमाण है। यह ऐसे ही नहीं हुआ है। कांग्रेस के शासन के दौरान सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में सोचा तक नहीं जाता था। आज भी आत्मनिर्भर शब्द का मजाक उड़ाया जाता है। वैसे वह महात्मा गांधी से आया हुआ है, लेकिन आज भी मजाक उड़ाया जाता है। हर रक्षा सौदे में कांग्रेस अपने मौके खोजती रहती थी। छोटे-छोटे हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भरता, यह इनका कार्यकाल रहा है। बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विजन कैमरा तक नहीं होते थे और लंबा लिस्ट है। जीप से शुरू होता है, बोफोर्स, हेलीकॉप्टर, हर चीज के साथ घोटाला जुड़ा हुआ है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारी सेनाओं को आधुनिक हथियारों के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ा। आजादी के पहले और इतिहास गवाह है, एक जमाना था, जब डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में भारत की आवाज सुनाई देती थी। जिस समय तलवारों से लड़ा जाता था ना, तब भी तलवारें भारत की श्रेष्ठ मानी जाती थीं। हम डिफेंस से इक्विपमेंट में आगे थे, लेकिन आजादी के बाद जो एक मजबूत डिफेंस इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग का हमारा दायरा था, जो हमारा पूरा इकोसिस्टम था, उसको सोच समझकर के तबाह कर दिया गया, उसको दुर्बल किया गया। रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग के लिए रास्ते बंद कर दिए गए। अगर इसी नीति पर हम चलते, तो भारत इस 21वीं सदी में ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में सोच भी नहीं सकता था। यह हालत करके रखा हुआ था इन्होंने, भारत को सोचना पड़ता कि अगर कोई एक्शन लेना है, तो शस्त्र कहां से मिलेंगे? साधन कहां से मिलेगा? बारूद कहां से मिलेगा? समय पर मिलेगा कि नहीं मिलेगा? बीच बचाव में रुक तो नहीं जाएगा? यह टेंशन पालना पड़ता।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

बीते एक दशक में मेक इन इंडिया हथियार सेना को मिले, उन्होंने इस ऑपरेशन में बहुत निर्णायक भूमिका निभाई है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

एक दशक पहले भारत के लोगों ने संकल्प लिया, हमारा देश सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक राष्ट्र बने। रक्षा सुरक्षा हर क्षेत्र में बदलाव के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए गए। सीरीज ऑफ रिफॉर्म्स किए गए और देश में सेना में जो रिफॉर्म्स हुए हैं, जो आजादी के बाद पहली बार हुए हैं। चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति, यह विचार कोई नया नहीं था। दुनिया में प्रयोग भी चलते हैं, भारत में निर्णय नहीं होते थे। हमने यह बहुत बड़ा रिफॉर्म था, हमने किया और बहुत ही, मैं हमारी तीनों सेनाओं का अभिनंदन करता हूं कि इस व्यवस्था को उन्होंने दिल से सहयोग किया है, दिल से स्वीकार किया है। सबसे बड़ी ताकत, जॉइंटनेस और इंटीग्रेशन की, इस समय नेवी हो, एयरफोर्स हो, आर्मी हो, यह इंटीग्रेशन और जॉइंटनेस ने हमारी ताकत को अनेक गुना बढ़ा दिया और उसका परिणाम भी हमारी नजर में आया है, यह हमने करके दिखाया है। सरकार की जो डिफेंस प्रोडक्शन की कंपनियां थी, उसमें हमने रिफॉर्म किए। शुरुआत में वहां पर आग लगाना, आंदोलन करवाना, हड़ताल करवाने के खेल चल रहे थे, अभी भी बंद नहीं हुए हैं, लेकिन देश हित को सर्वोपरि मान करके उन डिफेंस इंडस्ट्री के हमारे जो लोग थे सरकारी व्यवस्था में, उन्होंने इसको मन से लिया, रिफॉर्म को स्वीकार किया और वह भी आज बहुत प्रोडक्टिव बन गए। इतना ही नहीं हमने प्राइवेट सेक्टर के लिए भी डिफेंस के दरवाजे खोल दिए हैं और आज भारत का प्राइवेट सेक्टर आगे आ रहा है। आज स्टार्टअप्‍स डिफेंस के क्षेत्र में हमारे 27-30 साल के नौजवान, टीयर टू, टियर थ्री सिटीज के नौजवान, कई कुछ जगह तो बेटियां स्टार्टअप्‍स का नेतृत्व कर रही हैं, डिफेंस के सेक्टर में सैकड़ों की तादाद में आज स्टार्टअप्‍स कम कर रहे हैं।

ड्रोंस एक प्रकार से मैं कह सकता हूं, ड्रोंस के जितने भी एक्टिविटीज हमारे देश में हो रही है, शायद एवरेज 30-35 की उम्र होगी, जो यह लोग कर रहे हैं। सारे लोग और सैकड़ों की तादाद में कर रहे हैं और उसकी ताकत क्योंकि इनका भी योगदान था इसमें, जिन्होंने इस प्रकार के प्रोडक्शन किए हैं और वह हमें ऑपरेशन सिंदूर में बहुत काम आए। मैं उन सबके प्रयासों को बहुत साधुवाद करता हूं और मैं उनको विश्वास दिलाता हूं, आगे बढ़िए, अब देश रुकने वाला नहीं है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया, यह नारा नहीं था। हमने इसके लिए बजट, पॉलिसी में जो परिवर्तन करना था, जो नए इनीशिएटिव लेने थे, वह नए इनीशिएटिव लिए और सबसे बड़ी बात क्लियर कट विजन के साथ हमने देश में मेक इन इंडिया डिफेंस सेक्टर के अंदर तेज गति से हम आगे बढ़ रहे हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

एक दशक में डिफेंस का बजट लगभग पहले से तीन गुना हुआ है। डिफेंस प्रोडक्शन में करीब-करीब 250 प्रतिशत वृद्धि हुई है, ढाई सौ प्रतिशत वृद्धि हुई है। 11 वर्षों में डिफेंस एक्सपोर्ट 30 गुना से भी ज्यादा बढ़ा है, 30 गुना से ज्यादा बढ़ा है। डिफेंस एक्सपोर्ट आज दुनिया के करीब 100 देशों तक हम पहुंचे हैं।

और आदरणीय अध्यक्ष जी,

कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो इतिहास में बहुत बड़ा प्रभाव छोड़ती हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने डिफेंस का जो मार्केट है, उसमें भारत का झंडा गाड़ दिया है। भारत के हथियारों की डिमांड आज बढ़ती चली जा रही है, मांग बढ़ रही है। यह भारत में भी उद्योगों को भी बल देगी, MSMEs को बल देगी। हमारे नौजवानों को रोजगार देगी और हमारे नौजवान अपनी बनाई चीजों से दुनिया में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर पाएंगे, यह आज दिख रहा है। मैं देख रहा हूं, डिफेंस के क्षेत्र में जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हम जो कदम उठा रहे हैं, मैं हैरान हूं, कुछ लोगों को आज भी तकलीफ हो रही है, जैसा उनका खजाना लूट गया, यह कौन सी मानसिकता है? देश को ऐसे लोगों को पहचानना होगा।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं स्पष्ट करना चाहता हूं, डिफेंस में भारत का आत्मनिर्भर होना, यह आज की शस्त्रों की स्पर्धा के काल में विश्व शांति के लिए भी जरूरी है। मैं पहले भी कह चुका हूं, भारत युद्ध का नहीं, बुद्ध का देश है। हम समृद्धि-शांति चाहते हैं, लेकिन हम यह कभी ना भूलें कि समृद्धि का और शांति का रास्ता सख्ती से ही गुजरता है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारा भारत, छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराजा रणजीत सिंह, राजेंद्र चोडा, महाराणा प्रताप, लसिथ बोरफुकान और महाराजा सुहेलदेव का देश है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हम विकास और शांति के लिए सामरिक सामर्थ्‍य पर भी फोकस करते हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस के पास नेशनल सिक्योरिटी का विजन ना पहले था और आज तो सवाल ही नहीं उठाता है। कांग्रेस ने हमेशा नेशनल सिक्योरिटी पर समझौता किया है। आज जो लोग पूछ रहे हैं, PoK को वापस क्यों नहीं लिया? वैसे यह सवाल मुझे ही पूछ सकते हैं और किसको पूछ सकते हैं? लेकिन इसके पहले जवाब देना होगा पूछने वालों को, किसकी सरकार ने PoK पर पाकिस्तान को कब्जा करने का अवसर दिया था? जवाब साफ है, जवाब साफ है, जब भी मैं नेहरू जी की चर्चा करता हूं, तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बिलबिला जाता है, पता नहीं क्या है?

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हम एक शेर सुना करते थे, मुझे ज्यादा इसका ज्ञान तो नहीं है, लेकिन सुनते थे। लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई। आजादी के बाद से ही जो फैसले लिए गए, उनकी सजा आज तक देश भुगत रहा है। यहां बार-बार एक बात का जिक्र हुआ और मैं फिर से करना चाहूंगा, अक्‍साई चीन की जो उस पूरे क्षेत्र को बंजर जमीन करार दिया गया। यह कह करके की बंजर है, देश की 38000 वर्ग किलोमीटर जमीन हमें खोनी पड़ी।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं जानता हूं, मेरी कुछ बातें चुभने वाली हैं। 1962 और 1963 के बीच कांग्रेस के नेता जम्मू-कश्मीर के पूंछ, उरी, नीलम वैली और किशनगंगा को छोड़ देने का प्रस्ताव रख रहे थे। भारत की भूमि…

आदरणीय अध्यक्ष जी,

और वह भी लाइन ऑफ पीस, लाइन का पीस के नाम पर किया जा रहा था। 1966 राणा कच्छ पर इन्हीं लोगों ने मध्यस्थता स्वीकार की। यह था उनका राष्ट्रीय सुरक्षा का विजन, एक बार फिर उन्होंने भारत का करीब 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप दिया, जिसमें क्षणबेट भी शामिल हैं, कहीं उसको क्षणाबेट भी कहते हैं। 1965 की जंग में हाजी पीर पास को हमारी सेना ने वापस जीत लिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे फिर लौटा दिया। 1971 पाकिस्तान के 93000 फौजी हमारे पास बंदी थे, पाकिस्तान का हजारों वर्ग किलोमीटर एरिया हमारी सेना ने कब्जा किया था। हम बहुत कुछ कर सकते थे, विजय की स्थिति में थे। उस दौरान अगर थोड़ी सा विजय होता, थोड़ी सी समझ होती, तो PoK वापस लेने का निर्णय हो सकता था। वह मौका था, वह मौका भी छोड़ दिया गया और इतना ही नहीं, इतना सारा जब सामने टेबल पर था, अरे कम से कम करतारपुर साहिब को तो ले सकते थे, वह भी नहीं कर पाए आप। 1974 श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप को गिफ्ट कर दिया गया, आज तक हमारे मछुआरे भाई-बहनों को इससे परेशानी होती है, उनकी जान पर आफत आती है। क्या गुनाह था तमिलनाडु के मेरे फिशरमैन भाई-बहनों का कि आपने उनका हक छीन लिया और दूसरों को गिफ्ट कर दिया? कांग्रेस दशकों से यह इरादा लेकर चल रही थी कि सियाचिन से सेना हटा दी जाए।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

2014 में देश ने इनको मौका नहीं दिया वरना आज सियाचिन भी हमारे पास नहीं होता।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आजकल कांग्रेस के जो लोग हमें diplomacy का पाठ पढ़ा रहे हैं। मैं उन्हें उनकी diplomacy याद दिलाना चाहता हूं। ताकि उनको भी कुछ याद रहे, पता चले। 26/11 जैसे भयंकर हमले के बाद, बहुत बड़ा आतंकी हमला था। कांग्रेस का पाकिस्तान से प्रेम नहीं रूका। इतनी बड़ी घटना 26/11 की हुई थी। विदेशी दबाव में हमले के कुछ हफ्तों के भीतर ही कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत शुरू कर दी।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस सरकार ने 26/11 की इतनी बड़ी घटना के बाद भी एक भी diplomat को भारत से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं की। छोड़ों इसे, एक वीजा तक कैंसिल नहीं किया, एक वीजा तक कैंसिल नहीं कर पाए थे। देश पर पाकिंस्तानी स्पांसर बड़े-बड़े हमले होते गए, लेकिन यूपीए सरकार ने पाकिस्तान को most favoured nation का दर्जा देकर रखा था, वो कभी वापस नहीं लिया था। एक तरफ देश मुंबई के हमले का ये न्याय मांग रहा था, दूसरी तरफ कांग्रेस पाकिस्तान के साथ व्यापार करने में लगी थी। पाकिस्तान वहां से खून की होली खेलने वाले आतंकियों को भेजते रहे और कांग्रेस यहां अमन की आस के मुशायरे किया करते थे, मुशायरे होते थे। हमने आतंकवाद और अमन की आश का ये वन वे ट्रैफिक बंद कर दिया। हमने पाकिस्तान का MFN का दर्जा रद्द किया, वीजा बंद किया, हमने अटारी वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

भारत के हितों को गिरवी रख देना, ये कांग्रेस की पार्टी की पुरानी आदत है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंधु जल समझौता है। सिंधु जल समझौता किसने किया? नेहरू जी ने किया और मामला किससे जुड़ा था, भारत से निकलने वाली नदियां, हमारे यहां से निकली हुई नदियां, उसका वो पानी था। और वो नदियां हजारों साल से भारत की सांस्कृतिक विरासत रही हैं, भारत की चेतन्य शक्ति रही हैं, भारत को सुजलाम-सुफलाम बनाने में उन नदियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। सिंधु नदी जो सदियों से भारत की पहचान हुआ करती थी, उसी से भारत जाना जाता था, लेकिन नेहरू जी और कांग्रेस ने सिंधु और झेलम जैसी नदियों पर विवाद के लिए पंचायत किसको दी? वर्ल्ड बैंक को दी। वर्ल्ड बैंक फैसला करे क्या करना है, नदी हमारी, पानी हमारा। सिंधु जल समझौता सीधा सीधा भारत की अस्मिता और भारत के स्वाभिमान के साथ किया गया बहुत बड़ा धोखा था।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज के देश के युवा ये बात सुनते होंगे तो उनको भी आश्चर्य होगा, कि ऐसे लोग थे हमारे देश का काम कर रहे थे। नेहरू जी ने strategically और क्या किया? ये जो पानी था, जो नदियां थीं, जो भारत से निकल रही थी, उन्होंने 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को देने के लिए वो राजी हो गए। और इतना बड़ा हिन्दुस्तान उसको सिर्फ 20 पर्सेंट पानी। कोई मुझे समझाए भई ये कौन सी बुद्धिमानी थी, कौन सा देशहित था, कौन सी डिप्लोमेसी थी, क्या हालत करके बनाकर रखा था आप लोगों ने। इतनी बड़ी आबादी वाला हमारा देश, हमारे यहां से निकलती हुई ये नदियां और सिर्फ 20 पर्सेंट पानी। और 80 प्रतिशत पानी उन्होंने उसको दिया, जो देश खुलेआम भारत को अपना दुश्मन करार देता रहता है, दुश्मन कहता रहता है। और ये पानी पर किसका हक था? हमारे देश के किसानों का, हमारे देश के नागरिकों का, हमारा पंजाब, हमारा जम्मू कश्मीर। देश के एक बहुत बड़े हिस्से को इन्होंने पानी के संकट में धकेल दिया, इस एक कारण से। और राज्यों के भीतर भी पानी को लेकर के आपस में संघर्ष पैदा हुए, प्रतिस्पर्धा पैदा हुई, और उनका जिस पर हक था, उस पर पाकिस्तान मौज करता रहा। और ये दुनिया में अपनी डिप्लोमेसी का पाठ पढ़ाते रहते थे।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अगर ये treaty न होती, तो पश्चिमी नदियों पर कई बड़ी परियोजनाएं बनती। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली वहां के किसानों को भरपूर पानी मिलता है, पीने के पानी की कोई समस्या नहीं रहती है। औद्योगिक प्रगति के लिए भारत बिजली बना पाता, इतना ही नहीं नेहरू जी ने इसके उपरांत करोड़ों रुपये भी दिए, ताकि पाकिस्तान नहर बना सके।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

इससे भी बड़ी बात देश चौंक जाएगा, ये चीजें छुपाई गई हैं, दबा दी गई हैं। कहीं भी बांध बनता है तो उसमें एक मैकेनिज्म होता है, उसकी सफाई का, desilting का, उसमें जो मिट्टी भर जाती है, बाकी घास वगैरह भर जाता है, तो उसकी कैपेसिटी कम होती है, तो उसकी सफाई के लिए, यानी इनबिल्ट व्यवस्था होती है। नेहरू जी ने पाकिस्तान के कहने पर ये शर्त स्वीकार की है, कि इन बांध में जो मिट्टी आएगी, कूड़ा–कचरा आएगा और बांध भर जाएगा, इसकी सफाई नहीं कर सकते, desilting नहीं कर सकते हैं। बांध हमारे यहां, पानी हमारा लेकिन निर्णय पाकिस्तान का। क्या आप desilting नहीं कर सकते इतना ही नहीं, जब इस बार में डिटेल में गया, तो एक बांध तो ऐसा है कि जहां desilting के लिए यह गेट होता है ना, उसको वेल्डिंग कर दिया गया है, ताकि कोई गलती से भी खोल करके मिट्टी को निकल ना दे। पाकिस्तान ने नेहरू जी से लिखवा लिया था कि, भारत बिना पाकिस्तान की मर्जी अपने बांधों में जमा होने वाली मिट्टी साफ नहीं करेगा, desilting नहीं करेगा। यह समझौता देश के खिलाफ था और बाद में नेहरू जी को भी यह गलती माननी पड़ी। इस समझौते में निरंजन दास गुलाटी करके एक सज्जन उसमें जुड़े हुए थे। उन्होंने किताब लिखी है, उस किताब में उन्होंने लिखा है कि फरवरी 1961 में, नेहरू ने उनसे कहा था, गुलाटी मुझे उम्मीद थी कि यह समझौता अन्य समस्याओं के समाधान का रास्ता खोलेगा, लेकिन हम वही हैं, जहां पहले थे, यह नेहरू जी ने कहा। नेहरू जी केवल तात्कालिक प्रभाव देख पा रहे थे, इसलिए उन्होंने कहा कि हम वहीं के वहीं हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस एग्रीमेंट के कारण देश बहुत पिछड़ गया, देश बहुत पीछे चला गया और देश का बहुत नुकसान हुआ, हमारे किसानों को नुकसान हुआ, हमारी खेती को नुकसान हुआ और नेहरू जी उस डिप्लोमेसी को जानते थे, जिसमें किसान का कोई वजूद ही नहीं था, यह हाल करके रखा था उन्होंने।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

पाकिस्तान आगे दशकों तक भारत के साथ युद्ध और छद्म युद्ध प्रॉक्सी वार करता ही रहा। लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने बाद में भी सिंधु जल समझौते की तरफ देखा तक नहीं, नेहरू जी की गलती को सुधारा तक नहीं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

लेकिन अब भारत ने पुरानी गलती को सुधारा है, ठोस निर्णय लिया है। भारत ने नेहरू जी द्वारा की गई बहुत बड़ी ब्लंडर सिंधु जल समझौते को देशहित में, किसानों के हित में, abeyance में रख दिया है। देश का अहित करने वाला यह समझौता अब इस रूप में आगे नहीं चल सकता। भारत ने तय कर दिया है, खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

यहां बैठे साथी आतंकवाद पर लंबी-लंबी बातें करते हैं। जब ये सत्ता में थे, जब इनको राज करने का अवसर मिला था, तब देश का हाल क्या है, क्या रहा था, वो आज भी देश भुला नहीं है। 2014 से पहले देश में असुरक्षा का जो माहौल था, अगर वो आज याद भी करे ना, तो लोग सिहर जाते हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हम सबको याद हैं, जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उनको पता नहीं है, हम सबको पता है। हर जगह पर अनाउंसमेंट होता था, रेलवे स्टेशन पर जाओ, बस स्टैंड पर जाओ, एयरपोर्ट पर जाओ, बाजार में जाओ, मंदिर में जाओ, कहीं पर भी जाओ जहां भी भीड़ होती है, कोई भी लावारिस चीज़ दिखे, छूना मत, पुलिस को तुरंत जानकारी देना, वह बम हो सकता है, हम 2014 तक यही सुनते आए थे, यह हालत करके रखा था। देश के कोने-कोने में यही हाल था। माहौल यह था कि जैसे कदम-कदम पर बम बिछे हैं और खुद को ही नागरिकों ने बचाना है, उन्होंने हाथ ऊपर कर दिए थे, अनाउंस कर दिया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस की कमजोर सरकारों के कारण देश को कितनी जानें गंवानी पड़ी, हमें अपनों को खोना पड़ा।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आतंकवाद पर यह लगाम लगाई जा सकती थी। हमारी सरकार ने 11 साल में यह करके दिखाया है, एक बहुत बड़ा सबूत है। 2004 से 2014 के बीच जो आतंकी घटनाएं होती थी, उन घटनाओं में बहुत बड़ी कमी आई है। इसलिए देश भी जानना चाहता है, अगर हमारी सरकार आतंकवाद पर नकेल कस सकती है, तो कांग्रेस सरकारों की ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि आतंकवाद को फलने फूलने दिया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस के राज में आतंकवाद अगर फला फूला है, तो उसका एक बड़ा कारण इनकी तुष्टिकरण की राजनीति है, वोट बैंक की राजनीति है। जब दिल्ली में बाटला हाउस एनकाउंटर हुआ, कांग्रेस के एक बड़ी नेता की आंख में आंसू थे, आतंकवादी मारे गए इसके कारण और वोट पाने के लिए इस बात को हिंदुस्तान के कोने-कोने में पहुंचाया गया।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

2001 में देश की संसद पर हमला हुआ था, तब कांग्रेस के एक बड़े नेता ने अफजल गुरु को बेनिफिट ऑफ डाउट देने की बात कही थी।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मुंबई में 26/11 का इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ। एक पाकिस्तानी आतंकी जिंदा पकड़ा गया। पाकिस्तान की मीडिया ने, दुनिया ने यह स्वीकार किया कि पाकिस्तानी है, लेकिन यहां कांग्रेस पार्टी इतना बड़ा पाकिस्तान का पाप, इतना बड़ा पाकिस्तानी आतंकी हमला और यह क्या खेल खेल रहे थे? वोट बैंक की राजनीति के लिए क्या कर रहे थे? कांग्रेस पार्टी इसको भगवा आतंक सिद्ध करने में जुटी हुई थी। कांग्रेस दुनिया को हिंदू आतंकवाद की थ्योरी बेचने में लगी हुई थी। कांग्रेस के एक नेता ने अमेरिका के बड़े राजनयिक को यहां तक कह दिया था, कि लश्कर-ए-तैयबा से भी बड़ा खतरा भारत के हिंदू ग्रुप हैं। यह कहा गया था। तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में भारत का संविधान, बाबा साहब अंबेडकर का संविधान, उसे जम्मू कश्मीर में पैर नहीं रखना दिए इन्होंने, घुसने नहीं दिया, उसे बाहर रखा। तुष्टिकरण और वोट बैंक के राजनीति के लिए कांग्रेस हमेशा देश की सुरक्षा की बलि चढ़ती रही।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

तुष्टिकरण के लिए ही कांग्रेस ने आतंकवाद से जुड़े कानूनों को कमजोर किया। गृहमंत्री जी ने आज विस्तार से सदन में कहां है, इसलिए मैं इसको रिपीट करना नहीं चाहता।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैंने इस सत्र की शुरुआत में आग्रह किया था, मैंने कहा था, कि दल हित में हमारे मत मिले ना मिले, दल हित में हमारे मत मिले ना मिले, देशहित में हमारे मन जरुर मिलने चाहिए। पहलगाम की विभीषिका ने हमें गहरे घाव दिए हैं, उसने देश को झकझोर दिया है, इसके जवाब में हमने ऑपरेशन सिंदूर किया, तो सेनाओं के पराक्रम ने हमारे आत्मनिर्भर अभियान ने देश में एक सिंदूर स्पिरिट पैदा किया है। ये सिंदूर स्पिरिट हमने तब भी देखी, जब दुनिया भर में हमारे प्रतिनिधिमंडल भारत की बात बताने गए। मैं उन सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपने बहुत ही प्रभावी ढंग से भारत की बात डंके की चोट पर दुनिया के सामने रखी। लेकिन मुझे दुख इस बात का है, हैरानी भी है, जो खुद को कांग्रेस के बड़े नेता समझते हैं, उनके पेट में दर्द हो रहा है कि भारत का पक्ष दुनिया के सामने क्यों रखा गया। शायद कुछ नेताओं को सदन में बोलने पर भी पाबंदी लगा दी गई।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

इस मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है। कुछ पंक्तियां मेरे मन में आती हैं, मैं अपने भाव व्यक्त करना चाहता हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

करो चर्चा और इतनी करो, करो चर्चा और इतनी करो,

की दुश्मन दहशत से दहल उठे, दुश्मन दहशत से दहल उठे,

रहे ध्यान बस इतना ही, रहे ध्यान बस इतना ही,

मान सिंदूर और सेना का प्रश्नों में भी अटल रहे।

हमला मां भारती पर हुआ अगर, तो प्रचंड प्रहार करना होगा,

दुश्मन जहां भी बैठा हो, हमें भारत के लिए ही जीना होगा।

मेरा कांग्रेस के साथियों से आग्रह है कि एक परिवार के दबाव में पाकिस्तान को क्लीन चिट देना बंद कर दें। जो देश के विजय का क्षण है, कांग्रेस उसे देश के उपहास का क्षण न बनाएं। कांग्रेस अपनी गलती सुधारे। मैं आज सदन में फिर स्पष्ट करना चाहता हूं, अब भारत आतंकी नर्सरी में ही आतंकियों को मिट्टी में मिलाएगा। हम पाकिस्तान को भारत के भविष्य से खेलने नहीं देंगे और इसलिए ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, ऑपरेशन सिंदूर जारी है और यह पाकिस्तान के लिए भी नोटिस है, वो जब तक भारत के खिलाफ आतंक का रास्ता रोकेगा नहीं, तब तक भारत एक्शन लेता रहेगा। भारत का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध होगा, यही हमारा संकल्प है। इसी भाव के साथ मैं फिर से सभी सदस्यों को सार्थक चर्चा के लिए धन्यवाद देता हूं और आदरणीय अध्यक्ष जी, मैंने भारत का पक्ष रखा है, भारत के लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया है, मैं सदन का फिर से आभार व्यक्त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।