यहां उपस्थित सभी भाइयो और बहनों।
साथियो, आमतौर पर बड़ी business summit के साथ इस प्रकार के आयोजन हम विदेश में ही देखते थे। अब vibrant Gujarat के साथ ही Ahmadabad Shopping Festivalकी शुरूआत, जैसा मैंने कहा- एक सराहनीय पहल है। इस आयोजन के प्रति आपके उत्साह को मैं अनुभव कर सकता हूं।
मुझे बताया गया है कि गुजरात के अलग-अलग हिस्सों से street vendor से लेकर shopping mall तक के व्यापारी इस festival में शामिल हुए हैं। हस्तशिल्पियों से ले करके इलेक्ट्रॉनिक और होटल, रेस्तरां से जुड़े कारोबारी अपने उत्पादों का प्रचार-प्रसार करने यहां पहुंचे हैं।
खादी और दूसरी हस्तकला से जुड़े कारीगरों और शिल्पियों के लिए तो यहां सरस मेला का भी आयोजन किया गया है। जब थोड़ी देर पहले मैं stalls में गया था तो गुजरात की परम्परा और गुजरात के हस्तशिल्प की बेहतरीन झलक मुझे देखने को मिली।
Festival में गुजरात के बाहर से आए बहुत से उद्यमी भी हिस्सा ले रहे हैं। कपड़े हों, गहने हों, इलेक्ट्रॉनिक्स हों, हमारी पुरातन संस्कृति और आधुनिकता का एक अद्भुत समावेश इस festival में नजर आ रहा है, खासतौर पर विरासत मेले से। और मैं सबसे कहूंगा कि विरासत मेले में जरूरत जाइए। कम समय है तो भी विरासत मेले में जरूर जाइए।
पाटन का पटोला हो, बांधनी साड़ी हो, कच्छ का हेंडीक्रॉफ्ट हो, मिरर वर्क हो, आदिवासी क्षेत्रों की कलाकृतियों का, बांस से बनी चीजें हो, जूट से बनी चीजे हों; इतना बड़ा जूट का झोला। और यहां मैंने देखा खम्बात से पत्थरों से बनी वस्तुएं भी, आदिवासियों के द्वारा बनी वार्ली पेंटिंग; ये गुजरात की सांस्कृतिक समृद्धि का एक बेहतरीन उदाहरण है।
हमारे देश में ऐसी वस्तुओं का इतना व्यापक और विशाल संग्रह है, भंडार है कि पूरी दुनिया में हम बहुत तेजी के साथ अपनी पहचान को और मजबूत कर सकते हैं। इस तरह के festival निश्चित तौर पर छोटे उद्यमी को बड़ा मार्केट पाने में बहुत मददगार होते हैं। उन्हें ऐसे आयोजनों से एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म मिलता है।
साथियो, देश में व्यापार और कारोबार के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए सरकार नित्य नए प्रयास कर रही है। बीते साढ़े चार वर्षों में सैंकड़ो नियमों को आसान बनाया गया है।पुराने कानूनों को समाप्त किया गया और पारदर्शिता को व्यवस्था कहा हिस्सा बनाया जा रहा है। इन्हीं सबका नतीजा है कि चार वर्ष पहले जहां हम ease of doing business ranking में 142वें नंबर पर थे, आज 77वीं rank पर हम पहुंच चुके हैं; यानी 65 rank का रिकॉर्ड जंप। बदलाव, बिजली पानी का कनेक्शन हो, पर्यावरण की clearance हो, construction permit हो, transportation के नियम हों- करीब-करीब हर व्यवस्था पहले की तुलना में बहुत आसान हुई है।
गुड्स और सर्विस टैक्स यानी जीएसटी भी देश में एक ईमानदार व्यापार व्यवस्था बनाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। पहले जो दर्जनों टैक्स लगते थे, उनको अब एक में ही समेट दिया गया है।
हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने एक फैसला लिया कि अब 40 लाख रुपये टर्नओवर तक; यहां सारे व्यापारी लोग हैं, उनके काम की बात है; 40 लाख रुपये टर्नओवर तक उन सारे व्यापारियों के लिए GST registration अनिवार्य नहीं है। पहले ये सीमा 20 लाख रुपये की थी।
साथियो, जीएसटी की व्यवस्था को और सशक्त, और सरल करने के प्रयास लगातार चल रहे हैं। आप जैसे व्यापारियो, ग्राहकों के सुझावों पर और अनुभवों के आधार पर निरंतर सुधार की प्रक्रिया चल रही है।
भाइयो और बहनों, छोटे और मझले उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। भारत जितना export करता है, उसमें 40 से 45 प्रतिशत का योगदान देश के छोटे और मध्यम वर्ग के उद्यमियों का होता है। आप जैसे उद्यमियों का, उनको और मजबूत करने के लिए सरकार छोटे-छोटे उत्पादों के export पर भी बल दे रही है।
एक बहुत बड़़ा बाजार भारत के बाहर भी हिन्दुस्तान का इंतजार कर रहा है। वो ग्लोबल मार्केट में अपनी जगह बना सकें, भारत की बढ़ती साख का फायदा उठा सकें; इसके लिए केन्द्र सरकार छोटे उद्यमियों की हर संभव मदद कर रही है।
सरकार दे दो-ढाई महीने पहले ही निर्णय लिया है कि जीएसटी पंजीकृत हर MSME को एक करोड़ रुपये तक के नए कर्ज या incremental loan की रकम पर ब्याज में दो प्रतिशत की छूट दी जाएगी। विशेषकर अपने exporter भाइयों, बहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निर्यातकों को pre-shipment और post-shipment की अवधि में जो लोन मिलता है, उसकी ब्याज की दर में छूट को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।
इसके अलावा इस साल की शुरूआत में भी सरकार ने छोटे उद्योगों से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। इस फैसले से टेक्सटाइल, लैदर, हैंडीक्रॉफ्ट मशीनरी से जुड़े छोटे उद्यमियों को बहुत लाभ होगा।
साथियो, pre और post-shipment रूप में क्रेडिट में जो ब्याज की राहत दी जाती थी, उसका लाभ manufacturing sector से जुड़े उद्यमों को ही मिलता था। बहुत दिनों से मांग हो रही थी कि इसमें merchant exporters- उनको भी जोड़ा जाए। जिनकी MSME sector में बड़ी भूमिका है।
दो हफ्ते पहले सरकार ने ये मांग मान ली है और इसका बहुत बड़ा फायदा export से जुड़े छोटे-छोटे कारोबारियों को होने जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक करीब-करीब 600 करोड़ रुपये का लाभ ये export करने वाले छोटे कारोबारियों को मिलेगा।
सरकार द्वारा छोटे और मध्यम उद्योगों को नया मार्केट मिले, cash flow में दिक्कत न आए, कैश पैसा कहीं फंसे न; इसके लिए तमाम नई व्यवस्था भी शुरू की गई है।
साथियो, सरकार ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म GEM (जैम) यानी government e-market place भी बनाया गया है। इस प्लेटफॉर्म की विशेषता ये है कि केन्द्र सरकार के हर विभाग में अधिकतर खरीददारी इसी GEM Portal से होती है। सरकार ने ये भी नियम बनाया है कि करीब 25 प्रतिशत खरीददारी छोटे और लघु उद्योगों से ही की जाए।
इसका लाभ ये हुआ है कि अब देश के दूर-सुदूर के गांव में रहने वाला कोई छोटा उद्यमी भी, कोई गृहणी भी, अपने उत्पाद सीधे सरकार को बेच सकते हैं। जिसका परिणाम है कि इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से अब तक लगभग साढ़े 16 हजार करोड रुपये का कारोबार हो चुका है। साढ़े 16 हजार, ये रकम छोटी नहीं है और इतने कम समय में हुआ है।
साथियो, सरकार का प्रयास है कि छोटे उद्यमियों के लिए प्रक्रियाओं को जितना आसान किया जा सकता है, उतना किया जाए। हम उस व्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं जब जीएसटी और जो दूसरे रिटर्न हैं, उन्हीं के आधार पर बैंक छोटे उद्यमियों को ऋण की सुविधा दें।
छोटे उद्यमियों को बैंकों के चक्कर न लगाने पड़ें, इसी सोच के साथ सरकार ने एक portal शुरू किया है, जिसके माध्यम से उद्यमियों को सिर्फ fifty nine minute में एक करोड़ रुपये तक के ऋण की सैद्धांतिक मंजूरी मिल रही है; एक घंटा भी नहीं उनसठ मिनट में।
साथियो, हैंडलूम, पॉवरलूम, हैंडीक्राफ्ट- इससे जुड़े लाखों परिवारों के कौशल का प्रचार भी हो रहा है, उसका प्रसार भी हो रहा है। इसके लिए सरकार ने अनेक योजनाएं लागू की हैं। देशभर में हाट मेलों की व्यवस्था तो की जा रही है, प्रदर्शनियों के लिए विश्व स्तर के भी सेंटर बनाए जा रहे हैं। जैसा मैंने पहले कहा, इस तरह के आयोजन उन्हें एक बड़ा मार्केट तलाशने, उनका export बढ़ाने में, उससे मदद मिलती है।
भाइयो और बहनों, एक और विरासत है जिसका गुजरात सहित पूरे देश से एक भावात्मक लगाव है। ये विरासत बापू के सत्याग्रह से भी जुड़ी है और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए किए गए त्याग और तप और बलिदान से भी। ये विरासत खादी की है, जिसका स्मरण मात्र ही स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ देता है।
इसलिए हमारी सरकार ने खादी को फिर से शिखर पर ले जाने का बीड़ा उठाया और आज सरकार की नीतियों का ही नतीजा है कि खादी देश के साथ-साथ विदेश के फैशन का भी हिस्साबन चुका है। आज देश में खादी की अभूतपूर्वक बिक्री हो रही है।
साथियो, सरकार पूरी निष्ठा के साथ आप सभी की आकांक्षाओं को साकार करने में जुटी है। टूरिज्म हो, मैन्युफैक्चरिंग हो या हमारा सर्विस सेक्टर; रोजगार के करोड़ों अवसर बीते साढ़े चार वर्ष में बने हैं।Make in India आज Global brand बन चुका है।
भाइयो और बहनों, देशवासियों के विश्वास के कारण विकास की गति अब रुकने वाली नहीं है। जवान हो, किसान हो या फिर नौजवान; हर किसी के सपनों का नया भारत सामने है। हमें हर नकारात्मक से बचते हुए सकारात्मता और ईमानदार प्रयास करने की जरूरत-भर है। और इसलिए उन दिशा में जब हम आगे बढ़ रहे हैं तब मैं सभी व्यापारी साथियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
आज मैं दोपहर को आया, ये मेरा चौथा कार्यक्रम है। गांधीनगर में एक international trade fair का उद्घाटन किया गया। अब अहमदाबाद का गौरव, गुजरात का गौरव, ऐसा सरदार वल्लभ भाई अस्पताल- आधुनिक अस्पताल, बेहतरीन अस्पताल- ये लोकार्पण करने का अवसर मिला और इसी साबरमती की नदी के तट पर बैठ करके एक बालक जो पढ़ाई किया करता था और जिसने साइंस और टैक्नोलॉजी की दुनिया में देश का नाम रोशन कर दिया, space की दुनिया में भारत की जगह बन गई; ऐसे इसी धरती की संतान, इस शहर का गौरव, देश की शान डॉक्टर विक्रम साराभाई की प्रतिमा का भी मुझे लोकार्पण करने का अवसर मिला है।
ये वर्ष डॉक्टर विक्रम साराभाई की जन्मशती का वर्ष है और डॉक्टर विक्रम साराभाई की जन्मशती का वर्ष हमारे गुजरात के बालकों में विज्ञान के प्रति आकर्षण पैदा करे, scientific temperament की तरफ हम लोगों को ले जाए; मैं समझता हूं ये उनको बहुत बड़ी श्रद्धांजलि होगी। और मैंने देखा, वाकई ऐसा लगता है कि विक्रम साराभाई खुद वहां बैठ करके अपना अध्ययन कार्य कर रहे हैं। कला की दृष्टि से भी उत्तम जगह इस river front की शान को बढ़ा रही है। मेरे लिए खुशी की बात थी कि आज वहां मुझे उसका उद्घाटन करने का अवसर मिला।
आज जब ये shopping festival का प्रारंभ हो रहा है तो मैं गुजरात सरकार को, अहमदाबाद को और हमारे शैलेश भाई पटवारी जैसे मित्रों से आग्रह करूंगा कि इसको हर वर्ष का एक निश्चित कार्यक्रम बनाया जा सकता है क्या? और उसी समय हर वर्ष हो, लेकिन इसके साथ आपने देखा होगा दुनिया में कई जगह इस प्रकार के shopping festival बहुत popular हुए हैं।
जिन लोगों ने न्यूयार्क का ये shopping festival देखा होगा, उसके साथ एक event जुड़ा हुआ है और उसको कहते हैंMessage Day Parade, ये बहुत popular है।सारे व्यापारी अपनी-अपनी चीजों को इस प्रकार के माध्यम से इसको आगे बढ़ाते हैं।Message Day Parade की जो परेड होती है, दुनिया के लोग उसको देखने के लिए आ जाते हैं।
क्या हम भी एक निश्चित तारीख तय करके हमारे सारे उत्पादों का; चाहे गांव का गरीब छोटा सा एक शिल्पकार बनाता हो- तो भी उसको प्रतिष्ठा मिले और message parade में सब लोग जुटें, एक बहुत बड़ा फेस्टिवल के रूप में popular हो जाए और दूसरे दिन festival की शुरूआत हो जाए।
मैं समझता हूं कि इस काम को करने की दिशा में शैलेश भाई और उनकी टीम काम पर लगें। काफी young नौजवानों ने इसे बड़े उत्साह से आयोजित किया है1 मुझे विश्वास है कि इसको और आगे बढ़ाएंगे।
और मेरा दूसरा आग्रह रहेगा- देखिए, एक जमाना था गुजरात की छवि क्या थी- हमारी पहचान एक सामान्य trader की थी। Trader भी कैसा, एक जगह से माल लेना, दूसरी जगह पर बेचना और बीच में से जो अपनी मेहनत का दलाली का मिला, उतना लेना। उसी को वो अपना कारोबार चलाता था। वहां से धीरे-धीरे-धीरे आज गुजरात manufacturing state बन गया।
Trader state से manufacturing state बनना अपने आप में गुजरात की एक बहुत बड़ी, लम्बी सफल यात्रा का नतीजा है। और इसलिए इस ताकत को समझते हुए गुजरात अपने आप में एक प्रकार से global community है। गुजरात के लोगों को ग्लोबल एक्सपोजर है। हर तहसील में, जिले में, नजदीक के गांव में कोई न कोई परिवार विदेश में गया हुआ है, रहता है; उसको दुनिया की जानकारियां रहती हैं।
गुजरात का व्यापारी 200, 400 साल पहले छोटे-छोटे नाव लेकर दुनिया में अपना माल बेचने की ताकत रखता था। मैं एक बार अस्तराखान गया; Russia में एक जगह है, एक स्टेट है। मैंने वहां देखा कि जो अच्छे से अच्छी दुकान है, बहुत अच्छा मोल है- तो उसका नाम बड़े आग्रह से ‘ओखा’ रखा जाता है। हमारा द्ववारिका के पास जो ‘ओखा’ है, वो। क्यों? 400 साल पहले हमारे लोग व्यापार करने के लिए वहां जाते थे और वहां जो माल बड़ा गौरव से बिकता था तो माना जाता था ‘ओखा’ से आया है। आज भी पीढ़ियां चली गईं लेकिन ‘ओखा’ ब्रांड लग गया तो माल बिल्कुल अच्छा; ये हम लोगों की परम्परा है।
मैं मानता हूं कि अब गुजरात और गुजरात की धरती पर काम करने वाले हर लोग, विश्व व्यापार में अपनी जगह बनानी चाहिए। हमारा export कैसे बढ़े, target करें और ये छोटी-छोटी चीजों की बाजार में ताकत बहुत बड़ी होती है। छोटे-छोटे पुर्जे, छोटे-छोटे हैंडीक्राफ्टस; इसके लिए बहुत बड़ा मार्केट होता है। अगर इसका फायदा हम उठा लेते हैं तो गुजरात के लिए एक नया अवसर पैदा होगा।
और हमारे पास natural links हैं। Fear of unknown जिसको कहते हैं, वो गुजरातियों के लिए नहीं हैं कहीं पर भी, कहीं न कहीं, कोई न कोई परिचित है। हम कोशिश करें, सामूहिकता का प्रयास करें, incentive का लाभ उठाएं और दुनिया के बाजार में हम अपना डंका बजाएं; इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर एक बार आज अहमदाबाद, बदला हुआ अहमदाबाद; इस काम को किया है।
मैं ग्राहकों को इस shopping के अंदर सबसे ज्यादा फायदा उठाने के लिए आग्रह करूंगा। और अहमदाबादी, मुझे पक्का विश्वास है, इसका फायदा उठाएगा।Discount की खबर अपने-आप में बहुत बड़ी होती है और उसमें भी लॉटरी का नंबर; फिर तो double bonanza जैसा हो जाता है। तो मैं अहमदाबादियों को और गुजरात के लोगों को और इस समय विदेशों से आए हुए मेहमानों को भी इस अवसर का बहुत फायदा उठाने के लिए आग्रह करता हूं।
फिर बहुत-बहुत शुभकमानाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।