भारत माता की… जय !
मंच पर विराजमान असम के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान सर्बानंद सोनोवाल जी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्रीमान राम माधव जी, नेडा के अध्यक्ष डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा जी, असम प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान रंजीत दास जी, हमारे पुराने वरिष्ठ नेता आदरणीय कवीन्द्र पुरकायस्थ जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए हुए मेरे प्यारे भाइयो और बहनो...
मुझे दस दिन के भीतर-भीतर दूसरी बार आप सबके बीच आने का सौभाग्य मिला है। बराक वैली के कोने-कोने से आप यहां पधारे हैं, आप में से अनेक लोगों को लंबा सफर भी करना पड़ा होगा, और मुझे बताया गया कि ज्यादातर लोग तो ग्यारह बजे से आकर बैठे हैं। इसके बावजूद आपका उत्साह, आपके चेहरे की चमक हमें भी प्रेरणा देने वाली है, आनंदित करने वाली है। इस अभूतपूर्व आशीर्वाद के लिए मैं हृदय से आप सबका आभार व्यक्त करता हूं ! भाइयो और बहनो, बराक और ब्रह्मपुत्र नदियां, यह क्षेत्र असम और देश के लिए प्रेरणा का श्रोत है ही, यहां के महान व्यक्तित्वों ने देश और समाज के लिए अपना योगदान दिया है। स्वातंत्र्य सेनानी उल्लासकर दत्ता जी हों, द्वारिका प्रसाद तिवारी जी हों, अरुण कुमार चंदा जी हों, इंदुप्रभा देवी जी हों, ऐसी तमाम महान विभूतियों को मैं आपके बीच आकर उनका पुण्य स्मरण करते हुए श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं।
साथियो, आप सभी भारतीय जनता पार्टी और एनडीए को, हमारी सरकारों को निरंतर प्रोत्साहित करते रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले जो पंचायत चुनाव हुए हैं, उसमें भी आपने भारतीय जनता पार्टी और हमारे सहयोगियों को भरपूर समर्थन दिया है। हम जिला परिषदों में कुछ नहीं थे, नाम मात्र के कुछ लोग थे, आज तेज गति से पंचायतों में भी आपने भारतीय जनता पार्टी को विश्वास दिया, आशीर्वाद दिया और ये भी इतने कम समय में, पंचायत से लेकर पार्टियामेंट तक विकास के हमारे इरादों पर आपने जो विश्वास जताया है। बराक वैली सहित पूरे असम के जन-जन का मैं विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं। भाइयो और बहनो, आपके इस स्नेह का, इस प्यार का कर्ज मेरे ऊपर है, जिसको ईमानदारी से विकास के रास्ते पर चलते हुए चुकाने के प्रयास में कोई कमी नहीं रखूंगा। अभी मुख्यमंत्री जी मुझे बता रहे थे कि यहां पर सरकार बनने के बाद सिर्फ बराक वैली में मेरा 16 बार आना हुआ है। जिन्हें आपने यहां से भेजा और उन्हें प्रधानमंत्री का पद मिला था, वो भी शायद इतनी बार नहीं आए। एक्चुअली, मैं आता नहीं हूं, ये आपका प्यार है जो मुझे खींचकर ले आता है। असम की अस्मिता और आकांक्षाएं हों, या फिर देश की सुरक्षा और सामर्थ्य- आपके विश्वास के कारण ही सरकार कड़े फैसले भी लेती है और बड़े फैसले भी लेती है।
भाइयो और बहनो, असम और देश की सुरक्षा के लिए आपसब का योगदान अभूतपूर्व है। दशकों से अटके हुए एक महत्वपूर्ण फैसले पर अमल के लिए आपसब जो प्रयास कर रहे हैं, उसको आने वाली पीढ़ियां गौरव के साथ याद करेंगी। बराक वैली के साथ-साथ असम के कोने-कोने से जो संदेश जाएगा वो पूरे देश के भविष्य को अलौकिक करने वाला है। यहां से एक स्पष्ट संदेश जाएगा कि भारत के लिए अपने नागरिकों की सुरक्षा, अपने नागरिकों का सम्मान और अपने नागरिकों की समृद्धि सर्वोपरि है।
साथियो, मैं यहां आप सभी को ये भरोसा दिलाने के लिए आया हूं कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप NRC, आपको फिर से भरोसा देता हूं कि कोई भी हिन्दुस्तानी नागरिक, कोई भी भारतीय नागरिक उसमें से नहीं छूटेगा, ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। आपको मेरी बात पर भरोसा है ? पूरा भरोसा है ? आपके इतने आशीर्वाद हैं तो ये सब होकर रहेगा। आपमें से अनेक लोगों को इस पूरी प्रक्रिया के दौरान दिक्कतें आई हैं, कुछ कठिनाइयां हुई हैं, कुछ चिंता रही है। मुझे इसका पूरा-पूरा एहसास है। लेकिन, दशकों से लटका ये फैसला अगर जमीन पर उतर पा रहा है, तो इसके पीछे आप सभी का त्याग और समर्पण- यही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। मैं श्रीमान सर्बानंद सोनोवाल जी की सरकार को, उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। वो तमाम चुनौतियों के बावजूद इस बड़े काम को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी हुई है। सामान्य नागरिकों को कम से कम परेशानी हो, सबकी सुनवाई हो, इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
साथियो, एनआरसी की पूरी प्रक्रिया आसान हो, इसके लिए हमने सुप्रीम कोर्ट से विशेष आग्रह किया था। सरकार ने रिलिफ इलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट, कैंप इनमेट सर्टिफिकेट और अन्य सरकारी रसीदों, नोटिस, सरकारी आदेशों को भी नागरिकता के क्लेम के लिए स्वीकार करने को कहा था और मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस आग्रह को माना, जिससे लाखों लोगों की मश्किलें आसान हुई हैं।
भाइयो और बहनो, हमारी सरकार सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पर भी आगे बढ़ रही है। ये बिल भावनाओं से जुड़ा हुआ है, लोगों की जिंदगियों से जुड़ा हुआ है। पूरे विश्व में यदि कहीं भी मां भारती में आस्था रखने वाले किसी बेटे-बेटी को प्रताड़ित किया जाएगा, वो कहां जाएगा ? क्या उसके पासपोर्ट का रंग ही देखा जाएगा? क्या रक्त का कोई रिश्ता नहीं होता है ? देश का विभाजन हुआ, लोगों ने विभाजन करने वालों पर भरोसा किया, कुछ लोगों को वहां की धरती से लगाव था, अपने घरों से लगाव था। उन्होंने वहीं रुकने का फैसला किया, वो वहीं बसे रहे। लेकिन, जिन इरादों के साथ विभाजन किया गया था, उन्हीं इरादों से उनके जेहन को तोड़ने का प्रयास किया गया। ऐसी परिस्थिति में क्या मां भारती अपने बेटे-बेटी को, अपने बच्चों को अपने आंचल में जगह नहीं देगी ? उनकी पुकार नहीं सुनेगी ? ठीक है, अतीत में गलतियां हुई होंगी। विभाजन के समय की नीतियों में जो कमियां रहीं, मैं उनके विस्तार में नहीं जाना चाहता। लेकिन, उन गलतियों का प्रायश्चित आवश्यक है।
साथियो, इसी सोच के साथ बहुत मंथन के बाद, हर कसौटी पर कसने के बाद, हर पहलू पर सोचने के बाद, अथक परिश्रम के बाद 2016 में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल लाया गया। सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल, ये कोई उपकार नहीं है। यह, अतीत में जो अन्याय हुआ है, उसका प्रायश्चित है। जो मां भारती में श्रद्धा रखते हैं, उन पर ये बड़ा दायित्व है। मुझे उम्मीद है कि ये बिल जल्द-से-जल्द संसद से पास होगा और भारत मां में आस्था रखने वालों के सभी हितों की रक्षा करेगा।
भाइयो और बहनो, आज आपसे बात करते हुए मैं आपको बधाई भी देना चाहता हूं। आप बधाई के पात्र हैं कि आपने उन सभी शक्तियों की साजिशों को असफल कर दिया, जो समाज में दरार डालना चाहती थी, यही असम की पहचान है, यही असम की परिपाटी रही है। दुख तो तब होता है जब कुछ राजनीतिक दल असम और देश के स्वभाव को आंकने में असमर्थ रहते हैं। इन दलों को असम ने, देश ने लंबे समय तक सामान्य मानवी से जुड़ी समस्याओं के समाधान करने के लिए अवसर दिया। लेकिन, उन्होंने सिर्फ वोट बैंक की चिंता की, तुष्टीकरण की चिंता की। असम के लोगों की चिंता नहीं की।
साथियो, वोट के लिए देश की संप्रभुता, देश की सुरक्षा, देश के संसाधनों और देश की सांस्कृतिक विरासत से समझौता हमारे रहते हुए कभी नहीं होगा और इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। असम सिर्फ एक भू-भाग नहीं है, बल्कि अपार संसाधनों से भरा हुआ और समृद्ध संस्कृति, एक जीवंत जीता-जागता प्रतीक है। यहां की परंपरा, यहां की भाषा, यहां का खान-पान, यहां के संसाधन यानी असमिया हकों को पूरी तरह संरक्षित रखते हुए ‘सबका साथ सबका विकास’ के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके लिए जो भी प्रावधान संविधान में, कानून में सरकार को करने पड़ेंगे, वो भी किए जाएंगे।
भाइयो और बहनो, इसी भावना को ध्यान में रखते हुए असमिया का जो प्राइड है, बराक वैली का प्राइड है, ब्रह्मपुत्र वैली का प्राइड है, उसे ध्यान में रखते हुए दो दिन पहले ही सरकार ने असम के लिए एक बहुत बड़ा फैसला किया है। असम एकॉर्ड, कब हुआ था, आपको याद है न ? असम एकॉर्ड के क्लॉज 6, जो तीस-पैंतीस साल से लटका हुआ था, उसको लागू करने का फैसला हमारी सरकार ने कर लिया है। इससे, असम की सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषा और विरासत को सुरक्षा, संरक्षण और सशक्त करने का मार्ग मजबूत होगा। एक उच्चस्तरीय कमेटी यहां के सभी स्टेकहोल्डर से बात करके आगे का रास्ता साफ करेगी, रोडमैप तैयार करेगी। आप सभी को, असम के हर नागरिक को, लंबे इंतजार के बाद मिली इस सुरक्षा के लिए मैं सभी असमवासियों को आज रूबरू आकर के हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं फिर कहूंगा, असम के हर वर्ग, हर कोने के समग्र और संतुलित विकास के लिए भारतीय जनता पार्टी, एनडीए की सरकार समर्पित है।
साथियो, एक सोच वो है, जो अपने परिवार के भविष्य के लिए विरासत छोड़ती है, धन छोड़ती है, संसाधन छोड़ती है। हमारे संस्कार वैसे नहीं हैं, हमारे लिए सत्ता से भी ऊपर, हमारा देश है, हमारा हिन्दुस्तान है, हमारे 130 करोड़ नागरिक हैं। हम देश के बेहतर वर्तमान और शानदार भविष्य के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की विरासत तैयार करना चाहते हैं। हमारा प्रयास है कि देश के लोगों का जीवन आसान हो, व्यापार-कारोबार करना सरल हो, कोई भी क्षेत्र हो या व्यक्ति, सबका संतुलित विकास हो, बेहतर रोजगार का निर्माण हो, यही एक रास्ता है नए भारत की युवा ऊर्जा और युवा आकांक्षाओं को पूरा करने का। आपके आशीर्वाद से हमारी सरकार एक ईमानदार कोशिश कर रही है।
भाइयो और बहनो, न्यू इंडिया का नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में हम निरंतर जुटे हुए हैं। इसमें भी देश का पूर्वी हिस्सा, हमारा नॉर्थ-ईस्ट अगुवाई करने वाला है। नॉर्थ-ईस्ट के कोने-कोने में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने का एक गंभीर प्रयास बीते साढ़े चार वर्षों से चल रहा है। दस दिन पहले ही मैं बोगीबील में था। वहां भारत के सबसे लंबे रेल-रोड ब्रिज का लोकार्पण किया गया। आप सभी ने भी देखा होगा, उस एक प्रोजेक्ट की चर्चा किस प्रकार देश और दुनिया में हुई है। बोगीबील हो या फिर भूपेन हजारिका सेतु- देश के ये दोनों बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट यहीं हमारी असम की धरती पर हैं। बरसों से लटके इन दोनों प्रोजेक्ट को पूरा करने और देश को समर्पित करने का सौभाग्य हमारी सरकार को ही मिला है।
भाइयो और बहनो, असम और नॉर्थ-ईस्ट के जीवन को आसान करने के लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इसी सोच के साथ, ब्रह्मपुत्र पर नए पुलों का निर्माण करने का काम सरकार कर रही है। दूर-दराज के क्षेत्रों को शहरों की बेहतर सुविधाओं से जोड़ा जाए, इसके लिए कोशिश की जा रही है। हाइवे हो, रेलवे हो, एयरवे हो, वाटरवे हो या फिर आइवे हो- हर स्तर पर कनेक्टिविटी को मजबूत किया जा रहा है। बीते साढ़े चार वर्ष के दौरान असम में 3000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से करीब 700 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। इसके अलावा, लगभग साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से 400 किलोमीटर से अधिक की सड़कों पर तेजी से काम चल रहा है।
साथियो, यहां बराक वैली में भी नेशनल हाइवे, पुलों और गांवों की कनेक्टिविटी के अनेक प्रोजेक्ट बीते साढ़े चार वर्षों में पूरे हो चुके हैं और अनेक प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। अटल जी ने बराक वैली को ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से जोड़ने के लिए जिस फोर-लेन हाइवे का सपना देखा था, वो भी जल्द ही तैयार होने वाला है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बराक वैली में सवा सौ से ज्यादा पुलों समेत 1000 किलोमीटर से अधिक की ग्रामीण सड़कों को स्वीकृति दे दी गई है। मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार के कनेक्टिविटी के प्रयासों को असम की सरकार और मजबूती दे रही है।
साथियो, सड़क के अलावा रेलवे की कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करने के लिए भी तेज गति से काम किया जा रहा है। आज नॉर्थ-ईस्ट की करीब-करीब सभी रेल लाइनों का चौड़ीकरण पूरा हो चुका है। लमडिंग-सिलचर की रेल लाइन भी इसमें से एक है। इसके बाद रेल मंत्रालय ने बराक वैली में नई पैसेंजर ट्रेनें शुरू की हैं।
भाइयो और बहनो, असम की देश और दुनिया से एयर कनेक्टिविटी और मजबूत हो, इसके लिए भी कोशिश जारी है। गौहाटी एयरपोर्ट में 1200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से नई इंटिग्रेटेड बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट के रनवे को विस्तार देने की प्रक्रिया भी चल रही है। इससे डिब्रूगढ़ में बड़े हवाई जहाज आसानी से उतर पाएंगे। इसके अलावा, करोड़ों रुपये की लागत से असम में नदी मार्गों के निर्माण का काम भी तेजी से चल रहा है। वहीं, असम की बिजली व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये का प्रावधान केंद्र सरकार ने किया है।
भाइयो और बहनो, हमारा विजन ‘एक्ट ईस्ट और एक्ट फास्ट ऑन ईस्ट’ का है। यहां से पूर्वी और दक्षिण एशिया तक हमारे व्यापार और कारोबार को शक्ति मिले, जनसंपर्क के नए रास्ते खुलें, इस दिशा में हम तेजी के साथ काम कर रहे हैं। भारत-म्यांमार-थाइलैंड हाइवे हो, अगरतला-अखौरा रेल लाइन हो, पारो-सिंगापुर वाया गौहाटी फ्लाइट हो, गौहाटी में खुले भूटान और बांग्लादेश के कंसुलेट हो- ऐसे अनेक प्रयास चल रहे हैं।
साथियो, कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के ये तमाम प्रोजेक्ट असम के जनजीवन को आसान तो बनाएंगे ही, आने वाले समय में यहां नए-नए उद्योग-धंधे लगेंगे, टूरिज्म सेक्टर का विस्तार होगा, जिससे युवा साथियों को रोजगार के अनेक अवसर मिलेंगे। टूरिज्म के लिए असम में भरपूर संभावनाएं हैं। यहां काजीरंगा अभयारण्य भी है, तो कामाख्या शक्तिपीठ भी यहीं है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद’ स्कीम के तहत असम में सुविधाओं का निर्माण करने के लिए सवा दो सौ करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। यहां के युवाओं को टूरिज्म से जुड़ी, होटल और दूसरी सेवाओं से जुड़ी बेहतर ट्रेनिंग मिले, इसके लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। गौहाटी और जोरहाट के होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में सुविधाओं को बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये का आवंटन किया गया है। नौगांव के फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट के लिए भी वित्तीय मदद में बढ़ोतरी की गई है।
भाइयो और बहनो, केंद्र और राज्य सरकार असम और देश में विकास की पंचधारा- बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, किसानों को सिंचाई, और जन-जन की सुनवाई, ये सुनिश्चित करने में जुटी है। चाय के बागानों में काम करने वाले लाखों बहन-भाइयो समेत करीब डेढ़ करोड़ असमिया लोगों के पहली बार बैंकों में खाते खुलवाए गए हैं। करीब पचास लाख मुद्रा लोन असम के युवा साथियों को अपने उद्यम लगाने के लिए बैंकों से दिलवाए गए हैं। असम के करीब 25 लाख लोग प्रधानमंत्री जीवन ज्योति और सुरक्षा बीमा योजना से जुड़े हैं। ढाई लाख से अधिक असम के कामगार बहन-भाई अटल पेंशन योजना से जुड़े हैं। साथियो, असम की 24 लाख गरीब बहनों को मुफ्त गैस के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। जिसका परिणाम है कि असम में साढ़े चार वर्ष से पहले तक जहां करीब 40 प्रतिशत घरों में गैस सिलिंडर था, वहीं आज ये दायरा दोगुना करीब 80 प्रतिशत हो चुका है। इसी प्रकार, असम के हर गरीब-बेघर परिवार को, मध्यम वर्गीय परिवार को अपना घर देने का प्रयास किया जा रहा है। आयुष्मान भारत योजना के तहत असम के लाखों गरीब परिवारों को हर वर्ष पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित हुआ है।
साथियो, आज जनहित के ये जो भी काम हो पा रहे हैं, वो तभी संभव हो पा रहे हैं, जब सरकार ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाई है। ईमानदारी की व्यवस्था खड़ी की जा रही है। बिचौलियों को व्यवस्था से हटाया जा रहा है। कांग्रेस की सरकार ने दलालों को हर सौदे, हर कारोबार यानी व्यवस्था का हिस्सा बना दिया था।
और भाइयो-बहनो, पिछले दिनों विदेश से एक राजदार को पकड़ कर लाए हैं। हेलिकॉप्टर के मसले में, दलाली के मसले में, रुपये किसको दिए, कितने दिए, कैसे दिए, कितना बड़ा खजाना देश का लूटकर किसने पहुंचाया- एक-एक चीज बारीकी से निकल रही है। और आपने देखा होगा जेल में तो वो राजदार है, पूछताछ राजदार की हो रही है, लेकिन जैसे उस राजदार को पकड़ कर ले आए, कांग्रेस का वकील उसको बचाने के लिए पहुंच गया। इतना ही नहीं, कोर्ट ने इजाजत दी थी कि वकील को मिलने दिया जाए, तो मिलने के समय विडियोग्राफी होती थी, पुलिस के जवान बैठे रहते थे, तो उन्होंने चोरी-छुपे एक चिट्ठी की लेन-देन की, वकील ने और इस राजदार ने। आपको मालूम होगा, बोफोर्स के मसले में एक कांग्रेस के विदेश मंत्री थे, माधव सिंह सोलंकी, वो यहां से एक चिट्ठी लेकर गए थे और वो बात बाहर आई तो उनकी नौकरी चली गई थी, मंत्रिपद उनका चला गया था। ये दूसरा चिट्ठी का कारोबार हाथ लगा है। ये राजदार और वकील के बीच में चिट्ठी का लेनदेन हो रहा था। भाइयो-बहनो, जब से राजदार आया है, आपने नामदार का चेहरा देखा होगा, आंखें फटी-फटी रहती हैं, चेहरा उदास रहता है, नींद गायब हो गई है। दिन गिन रहे हैं, दिन ! – ये कुछ बोल देगा तो, कुछ बात खुल जाएगी तो पता नहीं क्या होगा। और इसलिए, बौखलाते चले जा रहे हैं, बौखलाते चले जा रहे हैं, और पता नहीं, अनाप-शनाप भाषा पर उतर आए हैं।
लेकिन भाइयो-बहनो, बताइए, देश का जो धन लूटा गया है, ये लौटना चाहिए कि नहीं लौटना चाहिए ? लूटने वालों को पहचानना चाहिए कि नहीं पहचानना चाहिए ? लूटने वालों की जो जगह होती है, वहां पहुंचाना चाहिए कि नहीं पहुंचाना चाहिए ? देश को लूटने वालों को सजा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ? ये काम मोदी को करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए ? ये चौकीदार की जिम्मेवारी है कि नहीं है ? चौकीदार को जागते रहना चाहिए कि नहीं जागते रहना चाहिए ? चौकीदार जमके काम कर रहा है कि नहीं कर रहा है ? चौकीदार के कारण लोग परेशान हैं कि नहीं हैं। ये चौकीदार जम करके खड़ा है, इसी के कारण परेशानी फैल रही है। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं, मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं, जो-जो भी ऐसे राजदार हैं, खोज-खोज करके लाया जाएगा। देश के हक की चीज, देश के करोड़ों नागरिकों के हक की चीज, उसको बाहर निकाली जाएगी और चौकीदार के नाते हमारा काम करते ही रहेंगे, ये मैं देश को विश्वास दिलाता हूं। गरीब के हक का पैसा, सरकारी योजनाओं का पैसा बिचौलियों की जेब में डालने की संस्कृति, ये कांग्रेस की देन थी।
भाइयो और बहनो, असम का हर युवा, देश का युवा एक भ्रष्टाचारमुक्त नया भारत चाहता है। वीआईपी कल्चर से मुक्त एक पारदर्शी व्यवस्था चाहता है। हर व्यक्ति की सरकार तक पहुंच हो, ऐसी व्यवस्था के निर्माण के लिए हम पूरी तरह से संकल्पबद्ध हैं। आप सभी साथियो, असम के हर बहन-भाई के सहयोग से हम अपने संकल्प को सिद्ध कर पाएंगे- इसी एक विश्वास के साथ आप सभी का फिर से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। भाइयो-बहनो, आपने देखा होगा 2018 की 30 दिसंबर को मैं अंडमान-निकोबार गया था, आपने टीवी पर देखा होगा। 1943 में 30 दिसंबर को नेताजी सुभाष बाबू ने वहां हिन्दुस्तान का झंडा फहराया था। उस घटना के पचहत्तर साल हुए और हमने अंडमान-निकोबार के एक टापू को नेताजी सुभाष बोस के नाम से पहचानने का फैसला किया है। इस देश के लिए जीने वाले-मरने वाले हर किसी का सम्मान करना- ये हमारा संकल्प है।
भाइयो-बहनो, मैं फिर एक बार ब्रह्मपुत्र वैली हो या बराक वैली हो, यही मेरे असम की ताकत है, यही मेरे असम का भविष्य है। मिलजुल करके, कंधे से कंधा मिलाकर के हमने असम को, A FOR ASSAM- ये मेरा जो सपना है, A FOR ASSAM, ये करके रहना है। मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। भारत माता की...जय !