Our Government is working with the mantra of ‘Sabka Saath Sabka Vikas’: PM Modi
In just 100 days since its inception over 7 lakh poor patients have been benefited through Ayushman Bharat Yojana: PM Modi
130 crore Indians are my family and I’m is committed to working for their welfare: PM Modi

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों।

आज प्रधान सेवक के तौर पर मैं फिर एक बार आपके बीच हूं। लेकिन उससे पहले भी यह दमन हो, दीव हो, सिलवासा हो, यहां के गांव हो यह मेरे लिए नये नहीं है। कई बार आने का अवसर मिला है। दादरा नगर हवेली और दमन दीव की सड़कों पर कभी स्‍कूटर पर घूमने का मौका मिलता था। यहां के खान-पान, रीतिरिवाज, यहां की नागली, सबकुछ जब यहां आता हूं तो पुरानी बातें याद आती है। आपके प्‍यार ने मुझे अभिभूत किया है।

साथियों 2017 में जब अप्रैल के महीने में मैं आपके बीच आया था तो अनेक योजनाओं का शिलान्‍यास किया था। मुझे खुशी है कि इतने कम समय में अधिकांश कार्य पूरा कर लिया गया है और उनमें से कई का आज लोकार्पण किया जा रहा है। आज एक बार जब फिर आपके बीच हूं तो यहां 1400 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्‍ट का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। यह परियोजनाएं, यहां की connectivity, infrastructure, स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा, पर्यटन, संस्‍कृति, विरासत इन सब अनेक पहलुओें से जुड़ी यहां के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आज यहां नई Industrial Policy और नयी IT Policy भी launch की गई है। नये वर्ष पर इन उपहारों के लिए आप सबको बहुत-बहुत बधाई।

भाईयों और बहनों, सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर चल रही केंद्र की सरकार विकास की पंचधारा के लिए पूरी तरह से समर्पित है। बच्‍चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, किसानों को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई यह हमारे लिए विकास का राजमार्ग है। मुझे देखकर भी खुशी होती है कि पिछले पांच वर्षों में दमन, दीव और दादरा नगर हवेली का विकास नई ऊंचाई पर पहुंचा है। इन दोनों ही क्षेत्रों की एक नई पहचान बनी है। अनेक विषयों में यह दोनों केंद्र संघ प्रदेश व्‍यवस्‍थाओं में अपूर्णता से निकल करके पूर्णता की तरफ आगे बढ़े हैं। आज दमन, दीव और दादरा नगर हवेली दोनों ही खुद को खुले में शौच से मुक्‍त घोषित कर चुके हैं। आज दोनों ही क्षेत्रों के हर घर में LPG connection है और दोनों ही केरोसिन फ्री घोषित किए जा चुके हैं। आज दोनों यूनियन टेरीटरी के सभी घरों में बिजली कनेक्‍शन है। पानी का कनेक्‍शन है आज इन दोनों क्षेत्रों में रहने वाले वो गरीब जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर पाने के योग्‍य थे, उन्‍हें घरों की मंजूरी दी जा चुकी है। आज दोनों ही क्षेत्रों के वो लोग जिन्‍हें आयुष्‍मान भारत योजना का लाभ मिलना है Gold Card जारी किये जा चुके हैं।

साथियों, अगर मैं बीते तीन वर्षों की ही बात करूं तो इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में करीब-करीब नौ हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। नौ हजार करोड़ आप कल्‍पना कर सकते हैं अब हमारा क्षेत्र कहां से कहां पहुंच रहा है। इस राशि से अनेक परियोजनाएं शुरू की गई है। अनेक को पूरा किया गया है। इसी कड़ी में आज यहां स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े अनेक प्रोजेक्‍ट का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। आपकी एक बहुत पुरानी मांग भी पूरी हुई है। दादरा नगर हवेली दमन और दीव को आजादी के इतने दशकों के बाद अपना पहला मेडिकल कॉलजे मिला। आज तक दोनों केंद्रशासित राज्‍यों को साल में सिर्फ 15 सीटें ही अलग-अलग जगहों पर मिलती थी। अब प्रयास से 150 सीटें एक ही जगह पर इस नई मेडिकल कॉलेज में प्रारंभ हो रहा है। इसका मतलब यह नहीं कि आगे चल करके डेढ़ सौ पर ही रूकेगा। जैसे काम बढ़ेगा students की संख्‍या भी बढ़ेगी।

भाईयों और बहनों, कोशिश यह भी हो रही है कि बिना समय गवाएं एक वैकल्पिक बिल्डिंग से इसी वर्ष से ही मेडिकल कॉलेज शुरू किया जा सके। मुझे भी बताया गया है कि Medical Education को बढ़ावा देनेके लिए सिलवासा में पैरा मेडिकल की करीब ढ़ाई सौ और दमन में नर्सिंग की 50 सीटों की भी व्‍यवस्‍था की गई है। इन प्रयासों से से युवा साथियों का लाभ तो होगा ही यहां की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओंको बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी।

साथियों, 200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस कॉलेज के अलावा Health and Wellness Centre का जो Network यहां बनाया जा रहा है, उससे सामान्‍य बीमारियों का उत्‍तम ईलाज भी घर के पास ही संभव हो पाएगा। आयुष्‍मान भारत योजना के तहत 15 दर्जनों ऐसे Health and Wellness Centre का भी लोकार्पण यहां किया गया है।

भाईयों और बहनों, थोड़ी देर पहले यहां आयुष्‍मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना उनके कुछ लाभार्थियों को कार्ड दिए गए हैं। दुनिया की इस सबसे बड़ी Health Care योजना की चर्चा आज पूरे विश्‍व में हो रही है। लोग इसे Modicare कह रहे हैं। कारण यह है कि इस योजना के तहत हर दिन देश में लगभग 10 हजार से भी ज्‍यादा गरीबों का मुफ्त ईलाज सुनिश्चित हो रहा है। अब इसको 100 दिन से थोड़ा ऊपर ही समय हुआ है। इतने कम समय में ही लगभग सात लाख गरीब मरीजों का अस्पताल में ईलाज हो चुका है।

साथियों, दवाई के साथ-साथ पढ़ाई की सुविधा का भी विस्‍तार किया जा रहा है। थोड़ी देर पहले यहां शिक्षा से जुड़े नये संस्‍थान आपको समर्पित किए गए हैं। दीव का Education Hub इसके तमाम व्‍यवस्‍थाएं यहां के युवाओं को घर के पास ही अच्‍छी शिक्षा उपलब्‍ध कराने में मदद करेगी।

भाईयों और बहनों, दवाई और पढ़ाई के साथ-साथ सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी गरीब बेघर न रहे। बिना छत के उसकी जिंदगी न हो, उसको रहने के लिए पक्‍का घर हो। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव और शहरों के गरीबों को अपना पक्‍का घर देने का एक व्‍यापक अभियान देशभर में चल रहा है। इस संकल्‍प की तरफ एक कदम ओर बढ़ाते हुए दादरा नगर हवेली और दीव दमन में आज अनेक घरों का लोकार्पण किया गया है। इसके अलावा नये घरों के निर्माण कार्य का शिलान्‍यास भी थोड़ी देर पहले किया गया है। जिसमें दमन के industrial area में काम करने वाले कामगार परिवारों के लिए बना Housing Project भी शामिल है। आज जिनके घर का सपना पूरा हुआ है और जिनके घर बनने शुरू हुए हैं उनको मेरी तरफ से बहुत-बहुत हृदयपूर्वक बधाई देता हूं। नये साल में नये घर का उनका सपना पूरा हुआ है।

साथियों, बीते साढ़े चार वर्षों में दादरा नगर हवेली जैसी छोटे से क्षेत्र में एक हजार से अधिक शहरी गरीबी आवास के लिए काम किया गया है, बनाए जा चुके हैं। बीते साढ़े चार वर्षों में जिस कमेटमेंट के साथ जिस फीड और स्‍केल पर गरीबों के घर बनाने का काम चल रहा है वो अभूतपूर्व है। पहले की सरकार जहां अपने 5 साल में सिर्फ 25 लाख घर बनवा सकी थी, वहीं हमारी सरकार अब 5 साल में एक करोड़ 25 लाख से अधिक घरों का निर्माण पूरा कर चुकी है। कहां 5 साल में 25 लाख और कहां 5 साल में एक करोड़ 25 लाख से भी ज्‍यादा।

भाईयों और बहनों, यह भी सिर्फ चार दीवारियों ही नहीं, इसमें सौभाग्‍य योजना के तहत बिजली का मुफ्त कनेक्‍शन भी मिलता है। टॉयलेट भी होता है। किचन में उज्‍जवला योजना के अंतर्गत मुफ्त LPG गैस कनेक्‍शन भी दिया जाता है। दादरा नगर हवेली की बात करूं तो यहां 13 हजार बहनों को मुफ्त गैस कनेक्‍शन दिये जा चुके हैं। इस प्रकार की तमाम सुविधाएं गरीब के आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रही है। साथियों, सामान्‍य मानव का जीवन सरल और सुगम हो इसके लिए देश के Smart व्‍यवस्‍थाओं का निर्माण हो रहा है। सिलवासा और दीव शहर को smart city बनाने के लिए अनेक योजनाओं पर काम चल रहा है। यहां सड़के हो, गलियां हो, सीवर और पानी की व्‍यवस्‍था हो, साफ-सफाई की सुविधा हो हर स्‍तर पर काम हो रहा है। थोड़ी देर पहले smart city से जुड़े अनेक प्रोजेक्‍ट का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है।

साथियों, सिलवासा तो इस पूरे क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों का ऊर्जा केंद्र है, अनेक उद्योग यहां पर है और भविष्‍य में भी यहां उद्योगों के लिए अनेक संभावनाएं है। सिलवासा नगर निगम का भवन हो, सीवेज treatment plant हो, कनेक्टिविटी को सुगम करने वाले प्रोजेक्‍ट हो, यह सभी यहां के जीवन को आसान बनाने वाले हैं।

साथियों, सिलवासा के साथ-साथ दमन और दीव भी विकास को रफ्तार दे गए हैं। दमन गंगा पर बने नये पूल, नई सीवेज लाइन और treatment plant जैसी सुविधाओं से दमन वासियों का जीवन सुगम होने वाला है। वहीं मोटी दमन में बनी सी वॉल अब सागर की लहरों से आपकी सुरक्षा करने वाली है। इससे मिट्टी के कटान की समस्‍या बहुत कम होने वाली है। साथियों पिछली बार जब मैं यहां आया था तो अनेक आदिवासी परिवारों को जमीन के पट्टे बांटे गए। आज भी कुछ साथियों को जमीन के अधिकार पत्र सौंपने का अवसर मुझे मिला है।

भाईयों और बहनों, जमीन हों, जंगल की पैदावर हो, पढ़ाई-लिखाई हो, खेल से जुड़ी प्रतिभा हो, हर स्‍तर पर आदिवासियों के कल्‍याण के लिए व्‍यापक प्रयास किये जा रहे हैं। वंधन योजना के तहत जो जंगल की उपज है उसमें value addition और उसके उचित प्रचार-प्रयास के लिए देशभर में सेंटर बनाये जा रहे हैं। जंगल से जो उपज आदिवासी बहन-भाई इक्‍ट्ठा करते हैं उनका सही मूल्‍य मिल सके। इसके लिए समर्थन मूल्‍य का दायरा बढ़ाया गया है।

साथियों, आदिवासी की कमाई के साथ-साथ culture के संरक्षण के लिए भी गंभीर प्रयास हो रहे हैं। आज भी यहां इतिहास और सांस्‍कृतिक विरासत से जुड़े अनेक प्रोजेक्‍ट का प्रारंभ हुआ है। cultural centre हो, पुराने किलों का संरक्षण हो, दीव में आईएनएस खुखरी से जुड़े स्‍मारक स्‍थल हो, यह निश्चित तौर पर स्‍थानीय संस्‍कृति के संरक्षण और उसके प्रचार-प्रसार में सिद्ध होने वाले हैं।

साथियों, संस्‍कृति और गौरव, इतिहास के यह स्‍मारक हमारी भावनाओं के प्रहरी तो है ही युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर भी बनाते हैं। यह टूरिज्‍म को ताकत देते हैं। दादरा और नगर हवेली में पर्यटन के लिए बहुत संभावनाएं है। इस क्षेत्र को टूरिस्‍ट मैप पर लाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सिलवासा में बने दमन गंगा river front के पीछे की भावना भी यही है। अब यहां आने वाले पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण का केंद्र यहां बनकर तैयार है। इसके अलावा यहां पर 200 square km का रिजर्व forest area भी है। यह forest area Tourism Industrial के लिए वरदान है। मधुबन डैम के catchment area में water sports की activity को बढ़ाया जा सकता है। दादरा और नगर हवेली की internet connectivity भी बेहतर हो इसके लिए यहां के प्रमुख टूरिस्‍ट सेंटरों और अहम जगहों पर फ्री वाई-फाई की सुविधाओं देनेका प्रयास चल रहा है।

साथियों, टूरिज्‍म के साथ पारंपरिक रोजगार के साधनों और संसाधनों को भी मजबूती दी जा रही है। Blue revolution scheme के तहत मछुआरों की आय बढ़ाने के लिए सरकार काम कर रही है। मछुआरें बहन-भाईयों के लिए मछली पकड़ना आसान हो, मार्केट तक पहुंच आसान हो इसके लिए कौशिक की जा रही है। मछुआरों की पारिवारिक नांवों को आधुनिक मोटर बोट्स में बदलने का काम चल रहा है। मछली के उत्‍पादन से लेकर व्‍यापार तक की व्‍यवस्‍थाओं को बेहतर बनाने के लिए मछुआरों को आसान और सस्‍ते ऋण के लिए एक विशेष फंड बनाया गया है। इस फंड के माध्‍यम से करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपये की व्‍यवस्‍था की गई है।

भाईयों और बहनों आज गरीबों के लिए आदिवासियों के लिए, मध्‍यम वर्ग के लिए जितनी भी योजनाएं चल रही है उनके मूल में सबका साथ, सबका विकास यही हमारी प्रेरणा है, जबकि वो दल जिसने दशकों तक देश में सरकार चलाई, वो हर काम में अपनी या अपने परिवार की संभावनाएं देखता था। यही कारण है कि वहां काम से ज्‍यादा नाम पर जोर दिया गया है।

साथियों, इस पुराने सरकारी संस्‍कारको आदतों को हमने बदला है। हमने नाम की बजाय काम पर ध्‍यान दिया है। आज सरकारी योजनाओं का नाम क्‍या होता है आयुष्‍मान भारत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ऐसी तमाम योजनाएं हैं, लेकिन कहीं पर भी मोदी का नाम नहीं है। यह दिखाता है कि हमारी नीयत जनता के विकास की है, परिवार के विकास की हमारी न संस्‍कृति है, न हमारा इरादा है। और मेरे लिए तो यह सवा सौ करोड़ देशवासीयही मेरा परिवार है और इन सवा सौ करोड़ देशवासियों का कल्‍याण यही मेरे लिए कलयाण का मार्ग है।

साथियों, यही साफ नीयत और स्‍पष्‍ट नीति इनको जरा खटक रही है। मोदी सरकारों के पुराने संस्‍कारों को क्‍यों बदल रहा है इससे इनको तकलीफ हो रही है। इन्‍हें दिक्‍कत है कि मोदी भ्रष्‍टाचार के खिलाफ इतनी कड़ी कार्रवाई क्‍यों कर रहा है। करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए, भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए? देश को भ्रष्‍टाचार से मुक्ति दिलानी चाहिए कि नहीं दिलानी चाहिए? इन्‍हें परेशानी है कि सत्‍ता के गलियारों में घूमने वाले बिचौलियों को मोदी ने बाहर क्‍यों निकाल दिया। इन्‍हें गुस्‍सा आ रहा है कि मोदी गरीबों का अधिकार छीनने वाले, उनके राशन उनकी पेंशन, उनके मिलने वाले हक़ इसके हड़पने वाले बिचौलिए दलालों को बाहर क्‍यों कर रहा है। और अपने इसी गुस्‍से की वजह से अब यह लोग एक महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालत यह है कि जो पहले कांग्रेस को पानी पी-पी कर कोसते थे, वो भी एक मंच पर आ गए हैं।

साथियों, यह महागठबंधन सिर्फ मोदी के खिलाफ ही नहीं, यह देश की जनता के भी खिलाफ है। अभी तो यह पूरी तरह सब आए भी नहींहै। लेकिन हिस्‍सेदारी पर कैसे मोलभाव चल रहे हैं, लेखा-जोखा चल रहा है, लेनदेन चल रही है यह भी देश का नौजवान, देश का किसान, देश की महिलाएं पहली बार वोट डालने वाला हमारे देश का युवा इन बातों को बहुत बारीकी से देख रहा है और इन लोगों की आंख में कोई धूल झोंक नहीं पाएगा।

साथियों, इन लोगों की दुनिया मोदी से नफरत से शुरू होती है और मोदी को गाली दे करके समाप्‍त हो जाती है। मेरी दुनिया, मेरी सुबह सवा सौ करोड़ देशवासियों के कल्‍याण के संकल्‍प के साथ होती है और दिनभर पसीना बहा करके जब रात को सोने जाता हूं, आज कितना अच्‍छा काम किया इसी पर लगा रहता हूं। मेरा आदि भी वही है, मेरा अंत भी वही है। इनकी दुनिया अपने परिवार को अपने भाई-भतीजों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है और बड़े गर्व के साथ घोषित किया जा रहा है। भाईयों-बहनों, मेरी दुनिया तो मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी आगे बढ़े, उसी के लिए समाहित है। इनकी दुनिया में भारत के विकास के लिए विजन नहीं है। भारत के भविष्‍य की बात नहीं है, वहीं मेरी कोशिश भारत को 21वीं सदी में दुनिया का श्रेष्‍ठतम देश बनाने की है।

भाईयों और बहनों अपने परिवार, अपनी सलतनत को बचाने के लिए यह कितने गठबंधन बना लें अपने कर्मों से यह नहीं भाग सकते, उनके कुकर्म डगर-डगर पर उनका पीछा कर रहे हैं, वो बच नहीं सकते। सिर्फ मोदी का विरोध इनकी स्‍वार्थ की राजनीति को अखबारों में जगह दे देगा, मीडिया में चमकते रहेंगे, लेकिन देश की जनता के दिलों में, देश को तबाह करने वाले कभी भी जगह नहीं बना पाएंगे। भाईयों-बहनों आपको शायद पता नहीं है, जो लोग जनता से उखड़ जाते हैं, जनता जब उनका मिजाज बदल देती है, जब उनके पैरों की जमनी खींसकने लगती है तो आकुल-व्‍याकुल हो जाते हैं। अभी कलकत्‍ते में आप देखिए... पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का सिर्फ एक MLA है, सिर्फ एक, कितने? एक, लेकिन वहां बीजेपी से बचने के लिए पूरे हिन्‍दुस्‍तान के सारे लोग इक्‍ट्ठे हो गए हैं। एक MLA वाली पार्टी, उसकी नींद हराम करके रख दी है, क्‍योंकि यह सत्‍य के मार्ग पर चलने वाले हम लोग हैं। एक MLA होने के बावजूद भी हिन्‍दुस्‍तान की सारी जमात वहां के इक्‍ट्ठे हो करके बचाओ, बचाओ, बचाओ के नारे लगा रही है। मैं पश्चिम बंगाल की जनता को बधाई देता हूं, मैं पश्चिम बंगाल की भारतीय जनता पार्टी को बधाई देता हूं एक अकेले MLA ने, इतनी छोटी सी पार्टी ने गलत काम करने वालों की नींद हराम कर दी है, उनी जमीन खिसक गई है, डर के मारे इक्‍ट्ठे हो रहे हैं।

भाईयों-बहनों ये लोग तानाशाह ही नहीं, पश्चिम बंगाल हो, केरल हो, डगर-डगर पर जुल्‍मशाही है। जिस पश्चिम बंगाल में political party को उसको कार्यक्रम करने के लिए रोक लगा दी जाती है। हर प्रकार की लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं की जाती है। लोकतंत्र का गला घोट दिया जाता हो, फिर वहां इक्‍ट्ठे हो करके लोकतंत्र को बचाने के भाषण देते हैं, तब मुझे इतना ही कहना है जब पूरे पश्चिम बंगाल का चित्र देखता हूं तो मैं तो इतना ही कहूंगा कि लोकतंत्र का गला घोटने वाले पंचायत के चुनाव में नामांकन करने वालों को मौत के घाट उतारने वाले जब लोकतंत्र बचाने की बात करते हैं, तब देश के मुंह से निकलता है वाह, क्‍या सीन है। साथियों यह लड़ाई सकारात्‍मक सोच और नकारात्‍मक रवैये के बीच की है। यह लड़ाई विकास और भ्रष्‍टाचार के बीच की है, यह लड़ाई जनता और महागठबंधन के बीच की है। भाईयों और बहनों सकारात्‍मक सोच के साथ सही प्रयास ही नये भारत के निर्माण का रास्‍ता है। इसी रास्‍ते पर हम सभी को देश के जन-जन को तेज गति से चलना है। यह positivity नये वर्ष में हमारे मन-मस्तिष्‍क में देश के कौने-कौन में बढ़ रही है। इसी कामना के साथ, देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने के निर्णय के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं और भाईयों-बहनों आप देख रहे हैं मैं सुबह से चल पढ़ा हूं। भारत की सेना को 'मेक इन इंडिया' का लाभ मिले, भारत की सेना के पास मजबूत टैंक देश से बनी हुई हो, कभी सुबह जा करके उनकी चिंता करता हूं देश की सेना, ताकत बढ़ाने के लिए तो आज अभी यहां दीव दमन में आ करके यहां की जन सुरक्षा के लिए, यहां की युवा पीढ़ी को मेडिकल कॉलेज मिले इसके लिए काम कर रहा हूं। भाईयों-बहनों कलकत्‍ते में लोग मिल करके दल बचाने का जुगाड़ कर रहे हैं और मैं आपके बीच आ करके देश को आगे बढ़ाने के लिए जी-जान से लगा हुआ हूं, यह फर्क साफ है दोस्‍तों। यह फर्क साफ है। वो खुद को बचाने के लिए सहारा ढूंढ रहे हैं, मैं देश को आगे बढ़ाने के लिए सबका साथ, सबका विकास ले करके चल पड़ा हूं और आज इतने छोटे से दीव दमन में लाखों की तादाद में आ करके आपने जो आशीर्वाद दिया, जो प्‍यार दिया यही हिन्‍दुस्‍तान का मिजाज़ है। यह दीव दमन यह लघु भारत है। हिन्‍दुस्‍तान का कोई कोना ऐसा नहीं है जिसके लोग यहां नहीं रहते हो। मैं अभी आ रहा था, मैं गाड़ी से आ रहा था, लेकिन दोनों तरफ एक लघु भारत मैंने देखा, हिन्‍दुस्‍तान के हर राज्‍य के लोग अपने-अपने पहनावे के साथ खड़े हुए थे, मैं पैदल चल के उनको प्रणाम करते हुए आपके बीच पहुंच गया भाईयों, क्‍योंकि हमें देश को आगे बढ़ाना है।

भाईयों-बहनों दल के लिए मरने-मिटने वाले बहुत लोग होंगे, देश के लिए मरने-मिटने वाले हम आपके सपनों को पूरा करने के लिए आपको समर्पित हैं। आपके आशीर्वाद के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद करते हुए मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये .

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!