Our aim is to build a $5 trillion economy: PM Modi

Published By : Admin | July 6, 2019 | 11:31 IST
This Budget is a budget for the ‘New India’ that we aspire to build, an India which is a 5 trillion dollar economy: PM Modi
The role of farmers and traders will be the most crucial in realising India’s 5-trillion dream: Prime Minister Modi
The latest Budget includes measures that will facilitate agricultural exports as well greater social security for small traders: PM Modi in Varanasi

हर-हर महादेव ।

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमान जे पी नड्डा जी, राज्यय के लोकप्रिय एवं यशस्वीकमुख्यपमंत्री श्रीमान योगी आदित्यडनाथ जी, प्रदेश के अध्यक्ष और मंत्री परिषद के मेरे साथी डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय जी, मंच पर उपस्थित अन्य् महानुभाव और मेरे प्रिय भाइयो और बहनो। काशी की पावन धरती से देशभर में भारतीय जनता पार्टी के हर समर्पित कार्यकर्ता हर सदस्य का मैं अभिवादन करता हूं। आज मुझे काशी से भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान को आरंभ करने का अवसर मिला है। हमारे प्रेरणा पुंज डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम का शुभारंभ होना, सोने में सुहागा है। उनके सपनों को हम पूरा कर सकें इस आशा के साथ डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं, श्रद्धांजलि देता हूं। और ये भी सहयोग है की भवन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर है और ये देशभर का कार्यक्रम का आरंभ, ये कार्यक्रम अमृत प्राप्त हमारी काशी में हो रहा है। यानी एक त्रिवेणी बनी है जिसे आशीर्वाद लेकर के हम सदस्यता अभियान की शुरु कर रहे हैं। काशी के आप सभी कार्यकर्ताओं, देशभर के कार्यकर्ताओं को एक सफल सदस्यता अभियान के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अब से कुछ देर पहले मुझे एयरपोर्ट पर स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा का अनावरण करने का मुझे सौभाग्य मिला है उसके बाद वृक्षारोपण का एक बहुत बड़ा अभियान आदरणीय योगी जी के नेतृत्व में आज आरंभ हुआ है, उस पवित्र कार्य का भी मैं हिस्सा बना।

साथियो, आज सदस्यता अभियान पर आप लोगों से विस्तार से बात करने से पहले मैं भी एक बहुत बड़े लक्ष्य पर आपसे और प्रत्येक देशवासी से बात करना चाहता हूं। ये लक्ष्य सिर्फ सरकार का नहीं है ये लक्ष्य हर भारतीय का है।

भाइयो और बहनो, कल आपने बजट में और उसके बाद टीवी पर, चर्चाओं में और आज अखबारों में एक बात पढ़ी, सुनी, देखी होगी- एक शब्द गूंज रहा है चारों तरफ, हर कोई बोलना शुरू किया है, देखते ही देखते कानों-कान बात पहुंचने लगी है और वो क्या है? फाइवट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी। आखिर फाइवट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य का मतलब क्या है? एक आम भारतीय जिंदगी का, हर एक भारतवासी का इससे क्या लेना-देना है, ये आपके लिए, सबके लिए जानना भी और जान करके घर-घर जाकर के बताना भी बहुत जरूरी है। जरूरी इसलिए भी है क्योंकि कुछ लोग हैं जो हम भारतीयों के सामर्थ्य पर शक कर रहे हैं, वो कह रहे हैं कि भारत के लिए ये लक्ष्य प्राप्त करना बहुत मुश्किल है, आपने सुना होगा कल से चर्चा चल रही है।

साथियो, जब ऐसी बातें सुनता हूं तो काशी के इस बेटे के मन में कुछ अलग ही भाव जगते हैं। आशा और निराशा में उलझे लोगों तक मैं अपने मन के भाव पहुंचाना चाहता हूं।

वो जो सामने मुश्किलों का अंबार है,
वो जो सामने मुश्किलों का अंबार है,
उसी से तो मेरे हौसलों की मीनार है,
उसी से तो मेरे हौसलों की मीनार है।
चुनौतियों को देखकर घबराना कैसा,
इन्हीं में तो छिपी संभावना अपार है।
चुनौतियों को देखकर, घबराना कैसा
इन्हीं में तो छिपी संभावना अपार है।
विकास के यज्ञ में परिश्रम की महक है,
यही तो मां भारती का अनुपम श्रृंगार है।
विकास के यज्ञ में, परिश्रम की महक है,
यही तो मां भारती का अनुपम श्रृंगार है।
गरीब-अमीर बनें नए हिंद की भुजाएं
गरीब-अमीर बनें नए हिंद की भुजाएं
बदलते भारत कीयही तो पुकार है।
देश पहले भी चला और आगे भी बढ़ा।
अब न्यू इंडिया दौड़ने को बेताब है,
दौड़ना ही तो न्यू इंडिया का सरोकार है।

तो साथियो, बात होगी हौसलों की, नई संभावनाओं की, विकास के यज्ञ की, मां भारती की सेवा की और न्यू इंडिया के सपने की, ये सपने बहुत हद तक जुड़े हुए हैं फाइवट्रिलियनइकॉनमी के लक्ष्य से।

साथियो, फाइवट्रिलियन का मतलब होता है पांच लाख करोड़ डॉलर और अगर रुपए के संबंध में बात करें तो समझिए उसका भी 65 -70 गुना, दूसरे शब्दों में कहे तो आज हमारी अर्थव्यवस्था का जो आकार है उसका लगभग दोगुना। आप सोच रहे होंगे की कार्यकर्ता सम्मेलन में कहां मैं अर्थशास्त्र की इतनी गूण बातें करने लग गया।

देखिए दोस्तों, मैं खुद भी कोई अर्थशास्त्री नहीं हूं मुझे अर्थशास्त्री का अ भी नहीं आता है। लेकिन सच्चाई यही है की आज जिस लक्ष्य की मैं आपसे बात कर रहा हूं वो आपको नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर करेगा, नया लक्ष्य और नया उत्साह भरेगा, नए संकल्प और नए सपने लेकर हम आगे बढ़ेंगे और यही मुसीबतों से मुक्ति का मार्ग है।

साथियो, अंग्रेजी में एक कहावत होती है कि size of the cake matters यानी जितना बड़ा केक होगा उसका उतना ही बड़ा हिस्सा लोगों को नसीब होगा, लोगों को मिलेगा और इसलिए हमने भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियनडालर की अर्थव्यवस्था, ये बनाने का लक्ष्य तय किया है उस पर जोर दिया है।

अर्थव्यवस्था की साइज और आकार जितना बड़ा होगा, स्वाभाविक रूप से देश की समृद्धि उतनी ही ज्यादा होगी। हमारे यहां गुजराती में कहावत है, पता नहीं हिंदी में क्या होगा कहावत ऐसी है ‘अगर कुएं में है तो हवाड़े में आएगा’। मतलब अगर कुआं भरा पड़ा है तो फिर छोटे-छोटे तालाब है तो उसमें पानी पहुंचेगा, खेत तक पहुंचेगा, अगर कुंए में नहीं होगा तो कहां पहुंचेगा। यही समृद्धि हर परिवार की, हर व्यक्ति की आय और जीवन स्तर में भी परिवर्तन लाती है। अब सीधी सी बात है की परिवारों की आमदनी जितनी ज्यादा होगी, परिवार के सदस्यों की आमदनी उसी अनुपात में ज्यादा होगी और उनकी सुख सुविधाओं का स्तर भी उसी अनुपात में ऊंचा होगा।

साथियो, आज जितने भी विकसित देश हैं, उनमें ज्यादातर के इतिहास को देखें, तो एक समय में वहां भी प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा नहीं होती थी लेकिन इन देशों के इतिहास मेंएक दौर ऐसा आयाजब कुछ ही समय में प्रति व्यक्ति आय ने जबरदस्त छलांग लगाई। यही वो समय था, जब वो देश विकासशील से विकसित यानीडेवलपिंग से डेवलप्डनेशन की श्रेणी में आ गए। भारत भी लंबा इंतजार नहीं कर सकता है।

भाइयो-बहनो, भारत भी ऐसा कर सकता है और 21वीं सदी में आज जब भारत दुनिया का सबसे युवा देश है तो ये लक्ष्य भी मुश्किल नहीं है।

साथियो, जब किसी भी देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो वो खरीद की क्षमता बढ़ाती है। खरीद की क्षमता बढ़ाती है तो डिमांड बढ़ाती है, मांग बढ़ाती है। डिमांड बढ़ती है, तो सामान का उत्पादन बढ़ता है, सेवा का विस्तार होता है और इसी क्रम में रोजगार के नए अवसर बनते हैं। यही प्रति व्यक्ति आय में वृद्धिउस परिवार की बचत या सेविंग को भी बढ़ाती है।

साथियो, जब तक हम कम आय कम खर्च के चक्र में फंसे रहते हैं तब तक ये स्थिति पानी बहुत मुश्किल होती है और पता नहीं किसी न किसी कारण से हमारे दिल दिमाग में गरीबी एक वर्चू बन गया है। कभी हम सत्यनारायण कथा सुनते थेबचपन में तो वहां शुरू क्या होता था, एक बेचारा गरीब ब्राह्मण, वहीं से शुरू होता था। यानी गरीबी में गर्व करना पता नहीं कैसे हमारी मनोवैज्ञानिक अवस्था बन गई है। देश को उसे बहार लाना चाहिए कि नहीं लाना चाहिए? बहार निकलना चाहिए कि नहीं निकलना चाहिए? सपने बड़े देखने चाहिए कि नहीं देखने चाहिए? सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प करना चाहिए की नहीं चाहिए? संकल्प को सिद्ध करने के लिए जी जान से जुटना चाहिए की नहीं चाहिए? पसीना बहाना चाहिए कि नहीं बहाना चाहिए? सिद्धि मिल सकती है कि नहीं मिल सकती है? और इसीलिए कल जो बजट प्रस्तुत किया गया उसमें आपने गौर किया होगा की सरकार ने ये नहीं कहा की इस मद में इतना पैसा डाला, इसमें इतना डाल दिया, इतना खर्च यहां करेंगे, इतना खर्च वहां करेंगे, वो लिखित तो था लेकिन बोलने के समय में अलग से बात थी। पांच ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के लक्ष्य को देश कैसे प्राप्त कर सकता है इसकी एक दिशा बजट में हमने दिखाई है और उसे जुड़े फैसलों का एलान किया गया है और देश को ये भी विश्वास किया गया है की पांच साल एक सरकार एक कंटीन्यूटि में है। ये भी विश्वास दिया गया है की आने वाले दस साल के विजन के साथ हम मैदान में उतरे हैं।

साथियो, उसका एक पड़ाव है ये पांच वर्ष आने वाले पांच वर्ष में पांच ट्रिलियन डॉलर की विकास यात्रा में अहम हिस्सेदारी होगी हमारे किसान भाइयोबहनो की, खेती की गांव की। आज देश खाने-पीने के मामले में आत्मनिर्भर है, तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ देश के किसानों का पसीना है, सतत परिश्रम है। अब हम किसान को पोषक से आगे निर्यातक यानीएक्सपोर्टर के रूप में देख रहे हैं। अन्न हो, दूध हो, फल-सब्जी, शहद या ऑर्गेनिक उत्पाद, ये हमारे पास निर्यात की भरपूर क्षमता है। और इसलिए बजट में कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए माहौल बनाने पर बल दिया गया है। फूडप्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर निवेश बढ़ाया गया है। इसी सोच के साथ यहां आप सबको मालूम है, राजा तालाब और गाजीपुर घाट में जो पेरिशेबलकार्गो का निर्माण किया गया है उसके नतीजे दिखाई देने लगे हैं।

आप लोगों को यह जानकर खुशी होगी कि अब तक यहां से फल सब्जियों के 11 शिपमेंट विदेश भेजे गए हैं। यानी एक शुरुआत हुई है और इसका सीधा लाभ यहां के किसानों को हुआ है। यहां जो प्याज और केला होता है उसे ले जाने के लिए स्पेशल रेल कंटेनरों की व्यवस्था भी की गई है। अब हमारा प्रयास है कि यहां एक क्लस्टर विकसित किया जाए, जिसमें सरकार के अलग-अलग विभाग मिलकर एक्सपोर्ट को आसान बनाने के लिए सारी सुविधाओं का निर्माण करे।। यहां जो बनारसडेयरी की शुरुआत हमारे यहां की गई है, वो भी आज छह हजार किसानों से 11 हजार से ज्यादा लीटर दूध इकट्ठा कर रही है। ये तो शुरुआत है, पहले बहुत से किसानों को कम कीमत पर दूध बेचना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें भी इस डेयरी का लाभ मिल रहा है, ज्यादा पैसे मिल रहे हैं।

भाइयो और बहनो.. किसान जो कुछ भी उगाता है उसमें वैल्यूएडिशन कर के उसको दुनिया के बाजारों में निर्यात करने के लिए निर्यात नीति भी हम बना चुके हैं। किसानों को अतिरिक्त आय हो इसके लिए भी तमाम फैसले लिए गए हैं। अन्नदाता को ऊर्जादाता के रूप में तैयार करना इसी रणनीति का हिस्सा है। खेत में ही सौर ऊर्जा प्लांट सोलरएनर्जी प्लांट लगाने से किसान को अपने उपयोग के लिए बिजली तो मुफ्त मिलेगी ही अतिरिक्त बिजली वो बेच भी सकेगा, इससे सिंचाई की लागत कम होगी और बिजली बेचने से किसान को अतिरिक्त आय भी होगी।

भाइयो और बहनो, खेती के साथ-साथ ब्ल्यूइकोनॉमी पर भी हमारा विशेष बल है। समुद्री संसाधनों, तटीय क्षेत्रों में पानी के भीतर जितने भी संसाधन है उनके विकास के लिए बजट में विस्तार से बात की गई है। इन संसाधनों का एक बहुत बड़ा हिस्सा है मछली के व्यापार का। बीते पांच वर्षों में इस दिशा में हमने बहुत प्रगति की है, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में पूरी क्षमता से काम करने की अनेक संभावनाएं बनी हुई हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मछली से जुड़े हुए कारोबार, मछुआरों को आने वाली समस्याओं को सुलझाने के लिए हमने एक नया विभाग बनाया है। उसी प्रकार से एक योजना इस बार बजट में आपने देखी होगी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत गहरे समंदर में मछली पकड़ना, स्टोरेज, उनकी वैल्यूएडिशन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे मछली के एक्सपोर्ट में हमारी भागीदारी कई गुना बढ़ेगी, जिससे देश को विदेशी मुद्रा भी मिलेगी और मछुआरों को अधिक दाम भी मिल पाएंगे।

साथियो, विकास की एक और जरूरी शर्त है पानी, और इसलिए जल संरक्षण और जल संचयन के लिए पूरे देश को एकजुट होकर के खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। हमारे सामने पानी की उपलब्धता से भी अधिक पानी की फिजूलखर्ची और बरबादी बहुत बड़ी समस्या है। लिहाजा घर में उपयोग हो या फिर सिंचाई में, पानी की बरबादी को रोकना आवश्यक है। इसके लिए माइक्रोइरिगेशन को बढ़ावा देना, रिहायशी कॉलोनी से निकले पानी को ट्रीट कर के सिंचाई के लिए उपयोग करना या फिर घर में ही पानी कि रिसाइक्लिंग जैसे अनेक उपाय पर आगे हम सब को मिलकर के काम करना है। घर हो, किसान हो, उद्योग हो हर कोई जब पानी का सदुपयोग करता है तो उससे पानी के साथ-साथ बिजली की भी बचत होती है।

साथियो, पानी के संरक्षण और संचयन के साथ-साथ घर-घर पानी पहुंचाना भी जरूरी है। देश के हर घर को जल, कभी शौचालय के लिए सोचा, कभी आवास के लिए लगे, कभी स्वच्छता के लिए लगे। अब सपना लेकर के निकले हैं ‘हर घर को जल’। देश के हर घर को जल मिल सके, इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय हमने निर्मित किया है, अलग मंत्री बनाए हैं और पूरा डेडिकेटेड पूरी सरकार संकलित रूप से पानी पर काम करना शुरू किया है। जल शक्ति अभियान भी शुरू किया गया है। इसका बहुत बड़ा लाभ, सबसे पहले सबसे बड़ा लाभ होगा हमारी माताओं और बहनों को मिलेगा जो पानी जुटाने के लिए अनेक कष्ट उठाती हैं। बजट में राष्ट्रीय स्तर पर जल ग्रिड बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। मुझे विश्वास है इस प्रकार की व्यवस्था से देश के हर उस क्षेत्र को पर्याप्त जल मिल पाएगा, जिसको पानी के अभाव का सामना करना पड़ता है।

भाइयो और बहनो, 5 ट्रिलियन डॉलर पांच ट्रिलियन डॉलर के इस सफर को आसान बनाने के लिए हम स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, सुंदर भारत बनाने पर भी फोकस कर रहे हैं। बीते वर्षों में स्वच्छता के लिए देश के हर नागरिक ने जो योगदान दिया है उससे स्वस्थ भारत बनाने की हमारी कोशिश को बल मिला है। हर घर को शौचालय से जोड़ने, हर जगह स्वच्छता रखने भर से ही बीमारियों में कमी देखने को मिल रही है। रिसर्च बताती है कि स्वच्छता के कारण हर परिवार के स्वास्थ्य से जुड़े खर्च में भी कमी आई है। ये बचत उस परिवार को अन्य जरूरतों को पूरा करने में काम आ रही है।

साथियो, स्वच्छ भारत बनाने के लिए आयुष्मान भारत योजना भी बहुत मददगार सिद्ध हो रही है। देश के करीब 50 करोड़ गरीबों को हर वर्ष पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज सुनिश्चित हो रहा है। अब तक लगभग, समय बहुत कम हुआ है, लेकिन इतने कम समय में लगभग 32 लाख गरीब मरीजों को अस्पतालों में इसका लाभ मिल चुका है। मुफ्त इलाज के साथ-साथ देश के गांव-गांव में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए जा रहे हैं। इससे गांव के पास ही उत्तम स्वास्थ्य सुविधा मिल पाएगी, जिससे सामान्य परिवार की बचत और बढ़ेगी। यही नहीं, ( क्या हो गया भाई, बड़े उत्साही वालंटियर्स दिखते हैं, बैठिए… बैठिए)

साथियो, यही नहीं, योग और आयुष के उपयोग को बढ़ावा देने से भी स्वास्थ्य के खर्च में कमी आ रही है। योग और आयुष का जिस स्तर पर हम प्रचार कर रहे हैं उससे हेल्थटूरिज्म की दृष्टि से भी भारत अहम सेंटर बन रहा है।

भाइयो और बहनो, स्वच्छता का संबंध स्वास्थ्य से तो है ही सुंदरता से भी है। जब देश सुंदर होता है तो टूरिज्म भी बढ़ता है। यहां काशी में भी स्वच्छता और सुंदरता का लाभ हम सभी को देखने को मिल रहा है। मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है? ऐसा नहीं मैं हूं इसलिए बताया ऐसा नहीं, ऐसे बताइए कि देशवासी सुन रहे हैं आप को। मिल रहा है? देखिए गंगा घाट से लेकर सड़कों और गलियों तक में साफ सफाई के कारण यहां आने वाले पर्यटक बेहतर अनुभव कर रहे हैं। थोड़ी देर पहले ही काशी की हरियाली को बढ़ाने के लिए बच्चों के साथ मुझे भी वृक्षारोपण का अवसर मिला है। यहां हरियाली बढ़ने से काशी की सुंदरता तो बढ़ेगी ही, पर्यावरण भी शुद्ध होगा। इससे यहां के पर्यटन को और गति मिलेगी। जब पर्यटन बढ़ता है तो भी स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलती है, रोजगार का निर्माण होता है। और टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहां कम से कम पूंजी निवेश से ज्यादा से ज्यादा रोजगार की संभावनाएं होती हैं। आज-कल होम स्टे का जो एक नया कल्चर बढ़ रहा है, और मैं तो मानता हूं कि प्रवासी भारतीय दिवस के समय काशीवासियों ने लोगों ने अपने घरों में ऱखने के लिए, मेहमानों के लिए जो माहौल बनाया था, अब उसको कॉमर्शियल रूप दिया जा सकता है। एक प्रकार से लोग आएं, रहे और कमाई भी हो।

आपकी ट्रेनिंग हो चुकी है, काशीवासी बहुत बड़ा फायदा उठा सकते हैं। और बहुत लोग तो ऐसे होते हैं, जो काशी में महीना-महीना भर रहने के लिए आना चाहते हैं। काशी में तो यह बहुत बड़ा माहौल मिल सकता है। आज-कल होम स्टे का जो नया कल्चर बढ़ रहा है उससे भी रोजगार और कमाई के नए साधन बन रहे हैं। यानी 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी, 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए टूरिज्म का बड़ा रोल रहने वाला है। लेकिन भाइयो और बहनो, अर्थव्यवस्था में गति तब तक संभव नहीं है, जब तक इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर ना हो। यही कारण है कि 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार हम पूरे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहे हैं। गांव में उपज के भंडारण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर हो या फिर शहरों में आधुनिक सुविधाओं का निर्माण हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

हाईवेज, रेलवेज, एयरवेज, वाटरवेज, आईवेजडिजिटलइन्फ्रास्ट्रक्चर, गांवों में ब्रॉडबेंड की सुविधा। आने वाले पांच वर्षों में सौ लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, सौ लाख करोड़ रुपये का निवेश, इन्फ्रास्ट्रक्चर में। आने वाले कुछ वर्षों में सिर्फ गांवों में ही लगभग सवा लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा। साथियो, साल 2022 तक हर गरीब बेघर के सिर पर पक्की छत हो इसके लिए सिर्फ गांवों में ही लगभग 2 करोड़ घरों का निर्माण किया जाएगा। गरीबों के साथ-साथ मध्यम वर्ग के घर के सपने को पूरा करने के लिए भी बजट में प्रावधान किया गया है। सस्ते घरों के लिए मिडिल क्लास, जो होम लोन लेता है उसके ब्याज पर इनकम टैक्स की छूट में डेढ़ लाख रुपये की वृद्धि की गई है। यानी अब होम लोन के ब्याज पर साढ़े तीन लाख रुपये तक की छूट मिल पाएगी। इससे 15 वर्ष की लोन अवधि तक 7 लाख रुपये तक का लाभ एक परिवार उठा सकता है। यह बहुत बड़ा काम है। इतना ही नहीं किराए पर घर खोजने में जो असुविधा होती है उसके समाधान के लिए भी कदम उठाए गए हैं। रेंटलहाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार एक मोरलटेनेंसी कानून राज्य सरकार को बनाकर भेजने वाली है।

साथियो, गांव से लेकर शहरों तक जब इतने बड़े स्तर पर निर्माण कार्य होगा तो रोजगार का निर्माण होगा। सामान्य परिवार की जेब में पैसा जाएगा, इससे देश में स्टील, सीमेंट सहित हर सामान की मांग बढ़ेगी। इस सामान को ट्रांसपोर्ट करने के लिए गाड़ियों की मांग बढ़ेगी। देश में इस तरह डिमांड को पूरा करने के लिए हमें देश में ही सामान बनाना पड़ेगा। ऐसे में मेक इन इंडिया को गति देने के लिए बजट में बहुत सारे प्रस्ताव रखे गए हैं। इस अभियान को हम डिफेंस, रेलवे और मेडिकलडिवाइस के क्षेत्र में भी मजबूत कर रहे हैं। आज बड़ी मात्रा में हम रक्षा से जुड़े उपकरणों का निर्यात करना शुरू कर दिया है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिकमैन्यूफैक्चरिंग यानी मोबाइल फोन टीवी जैसे सामान बनाने में भी हम तेजी से प्रगति कर रहे हैं। बजट में स्टार्ट-अप और आप जानते ही हैं स्टार्ट-अप शब्द बड़ा महत्वपूर्ण हो गया है। नई अर्थव्यवस्था की धुरी स्टार्ट-अप बन रहा है। बजट में स्टार्ट-अपइकोसिस्टम को बहुत बल दिया गया है। चाहे टैक्स में छूट हो या फंडिंग से जुड़े मुद्दे हो, हर पहलू के समाधान का प्रयास किया गया है। और हमारे नौजवानों के सपने स्टार्ट-अप के साथ शुरू होते हैं, वो बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहता है। हमारे छोटे और मझले उद्योगों से लेकर जो हमारे पारंपरिक उद्योग हैं उनको भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

हमारे बुनकर, मिट्टी के कलाकार, हर प्रकार के हस्त शिल्पियों को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं। वहीं सौर ऊर्जा के लिए देश में ही सौर पैनल और बैट्री बने इसके लिए पूरी दुनिया की कंपनियों को निवेश का आकर्षक प्रस्ताव दिया गया है। बिजली से चलने वाली गाड़ियां बनाने, खरीदने और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इलेक्ट्रिकलवीहिकल बनाने वालों को टैक्स में छूट दी गई है, और इलेक्ट्रिकलवीहिकल का जाल इतना बढ़े हमारे मछुआरे भी इलेक्ट्रिकसिस्टम का ही उपयोग करे, तो उनका काफी खर्चा कम हो जाएगा। साथियो, सौर ऊर्जा से जुड़े उपकरण हो या फिर बिजली से चलने वाले वाहन ये जब भारत में ही बनेंगे तो आयात पर आने वाला खर्च कम होगा। साथ ही पेट्रोल-डीजल के आयात पर जो खर्च होता है वह भी कम होगा। सिर्फ तेल के आयात पर ही देश को हर वर्ष, यानी पेट्रोल-डीजल की बात मैं कर रहा हूं, हर वर्ष 5 से 6 लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है। इसके कम होने से कितनी बड़ी राहत देश को मिलेगी ये हम भलीभांति समझ सकते हैं।

साथियो, आयात से जुड़ा खर्च जब कम होगा तो वह देश के लिए एक बचत के रूप में ही काम करेगा यानी हमारी ही अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। यही कारण है कि अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को जितना संभव हो सके भारत में ही पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारे पास कोयला भी है सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा मौजूद है। इनसे बिजली उत्पादन की क्षमता को आधुनिक तकनीक के उपयोग से हम बढ़ा सकते हैं। ऐसे ही कचरे से ऊर्जा पैदा करने के अभियान को मजबूती देने के लिए भी बजट में प्रावधान किया गया है। स्वच्छता अभियान का एक कदम आगे। खेती से निकले अवशेषों को बायोफ्यूल में बदलने के लिए व्यापक प्रयास हो रहे हैं। साथियो, 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए जो भी प्रयास किए जाएंगे उसमें सरकार सिर्फ एक निमित्त मात्र है, एक सहयोगी रूप में है, एक कटले के एजेंट के रूप में है। कभी-कभी तो सरकार आड़े न आए तो भी देशवासी बहुत कुछ आगे ले जा सकते हैं, ये सामर्थ्य है उनमें।

सरकार सिर्फ एक निमित मात्र है, एक सहयोगी रूप में है, एक कैटेलिक एजेंट के रूप में है। कभी-कभी तो सरकार आड़े ना आए तो भी देशवासी बहुत कुछ आगे ले जा सकते हैं ये सामर्थ्य होता है। असल काम हम सभी एक नागरिक के नाते, देश के हर नागरिक कर सकते हैं और करके दिखाया भी है भूतकाल में, ये जो लक्ष्य आज कुछ लोगों को मुश्किल दिखता है उसको हम सब देशवासी मिलकर जन भागीदारी से संभव बनाने वाले हैं।
साथियो, जन भागीदारी की व्यवस्था को सशक्त करने के लिए देश में बहुत सारे क्षेत्रों में सामाजिक संस्थाएं काम कर रही हैं। कृषि हो, स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, कौशल विकास हो, ऐसे हर क्षेत्र में मानव सेवा और जन कल्याण की भावना के साथ अनेक संगठन काम करते हैं। हमारा प्रयास है कि इन संस्थाओं को अपने काम के लिए पूंजी जुटाने का एक माध्यम दिया जाए। यही कारण है कि बजट में स्टॉक एक्सचेंज की तर्ज पर ही एक इलेक्ट्रॉनिकफंडरेजिंग प्रोग्राम यानी एक सोशलस्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की घोषणा की गई है। आज अखबारों में देखा है, बड़ी चर्चा है इसकी बड़ी सराहना हो रही है। इस माध्यम से ये स्वयंसेवी संस्था अपनी लिंस्टिंग कर पाएंगे और जरूरत के मुताबिक पूंजी जुटा सकेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमारे सामूहिक प्रयास पांच वर्ष में पांच लाख करोड़ डॉलर के फाइवट्रिलियन डॉलर के आर्थिक पड़ाव तक हमें जरूर पहुंचाएंगे। लेकिन साथियो, कुछ लोग कहते हैं कि इसकी क्या जरूरत है, ये सब क्यों किया जा रहा है।

साथियो, ये वो वर्ग है जिन्हें हम प्रोफेशनलपेसेमिस्ट भी कह सकते हैं। ये पेशेवरनिराशावादी, और ये पेशेवरनिराशावादी सामान्य लोगों से अलग होते हैं कटे हुए होते हैं। मैं आपको बताता हूं कैसे। आप किसी सामान्य व्यक्ति के पास समस्या लेकर जाएंगे तो वो आपकी समस्या को समझ कर के उपाय खोजने में आपका साथी बन जाएगा और कभी-कभी समाधान देगा भी पर इन पेशेवरनिराशावादियों के पास अगर आप उनकी झपट में आ गए, उनके पास पहुंच गए। आप जाएंगे समाधान लेने के लिए वो आपको संकट में डाल देगा। समाधान को संकट में कैसे बदलना ये पेशेवरनिराशावादियों की उसमें बड़ी मास्टरी होती है।

साथियो, किसी भी विचार की विवेचना भी जरूरी होती है और आलोचना भी जरूरी होती है और फाइवट्रिलियन डॉलर के संबंध में देश में उत्साह भरना, ये भी तो जिम्मेवारी है। वरना यही रोते रहेंगे, ये नहीं हो सकता, ये मुश्किल है ये नहीं होगा, ऐसा सोचा जाता है क्या। आप याद करिए गंभीर से गंभीर बीमारी की स्थिति में भी डॉक्टर को पता है पेशेंट का क्या होगा लेकिन डॉक्टर हमेशा मरीज का उत्साह बढ़ाता है, आप चिंतामत कीजिए बस अभी ठीक हो जाएगा, बस दो दिन का मामला है। क्योंकि पेशेंट अगर उत्साह से भरा होगा तो बीमारी को भी परास्त करके निकल सकता है। लेकिन आपने देखा होगा कि कुछ लोग पेशेंट से मिलने जाते हैं और क्या करते हैं। हार्टअटैक हो गया, अरे देखिए ना हमारे मोहन चाचा के बेटे को, 40 साल की उम्र में चला गया। उधर गए थे उनका जवान बेटा, अभी तो शादी तय हुई थी चला गया। अब आप उसकी खबर पूछने गए हैं कि बर्बादी करने गए हैं, ये पेशेवरनिराशवादी मानसिकता है। उनको भी लगता नहीं कि वो गलत कर रहे हैं, वोपेशेंट के साथ बात कर रहे हैं, तुम अच्छे हो जाओगे नहीं कह रहे, कह रहे हैं यार वो भी तो गया था।

साथियो, सकारात्मक माहौल मरीज में भी नई ऊर्जा भर देता है। साथियो, देश को ऐसे नकारात्मक लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है। हां हमें ये चर्चा व्यापक रूप से करनी चाहिए, ये चर्चा होनी चाहिए कि मोदी जो कह रहे हैं वो दिशा सही है या नहीं है। जो स्टेप्स बता रहे हैं, जो संसाधनों की बात करते हैं, जो प्रक्रिया की बात करते हैं वो ठीक है कि नहीं है वो सब चर्चा होनी चाहिए और चर्चा करते हुए इसमें नए सुझाव भी देने चाहिए। लेकिन फाइवट्रिलियन का लक्ष्य ही नहीं होना चाहिए या कुछ हो ही नहीं सकता है, मैं समझता हूं ऐसा करने के बजाए कैसे किया जा सकता है, कौन से कदम उठाने चाहिए। पांच क्यों छ पर कैसे चल पड़ें ये मिजाज पैदा करने की जरूरत होती है। और इसे लेकर देश के आलोचकों, विवेचकों, अर्थशास्त्रियों का राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, उनका स्वागत है। और मैं इन चीजों को इसलिए महत्व देता हूं। मैं एक बहुत पुरानी सत्य घटना आपको सुनाता हूं, मैं सुबह बहुत जल्दी उठने वालों में से रहा हूं तो एक बार सुबह मैं स्कूटर पर जा रहा था, मुझे एक स्थान से दूसरे स्थान जाना था, अंधेरा भी था। अहमदाबाद में एक गरीब कोई व्यक्ति थे उन्होंनेहाथ ऊपर किया मैं खड़ा रहा गया। अकेले थे, ट्रैफिक भी नहीं था बिल्कुल सुबह-सुबह था तो वो मुझे पूछने लगे भाई साहब मैंसाबरमती जा रहा हूं, मैं जिस तरफ जा रहा हूं ठीक जा रहा हूं ना। मैंने कहा अरे भाई ये तो बहुत दूर है तुम पैदल जा रहे हो तो दो-तीन घंटे तो ऐसे ही लग जाएंगे, तुम थोड़ा इंतजार करो थोड़ी देर में बस शुरू हो जाएगी उसमें बैठकर के चले जाना तो उसने कहा 5 घंटे लगें, 6 घंटे लगें लेकिन मुझे ये तो बताओ मेरी दिशा सही है ना, मैंने कहा भाई लेकिन देर होगी। उस आदिवासी अनपढ़ ने मुझे पाठ पढ़ा दिया, उसने कहा भाई साहब ये बताओ मेरी दिशा सही है ना। मैंने कहा भाई तुम्हारी दिशा तो सही है, ये रास्ते जाओगे तो साबरमती पहुंचोगे। साथियो, हमारी दिशा सही है, मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर विश्वास भी बड़ा गजब है।

साथियो, जनता की ताकत असंभव को संभव बना सकती है, याद करिए एक समय था जब देश अनाज के संकट से जूझता था, विदेश से अनाज लाना पड़ता था। देशवासी, विदेश से अनाज कब आएगा उसका इंतजार करते थे कतार में खड़े रहते थे वो दिन थे लेकिन उसी दौर में इसी धरती की संतान लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान-जय किसान का आवाहन किया तो पूरे देश के किसानों ने अन्न के भंडार भर दिए। अगर हम हमारी यात्रा को उसी रूप में देखते तो शायद आज भी उस आंकड़ों पर लिखने वाले पेशेवरनिराशावादी कभी नहीं निकालते कि ये देश आत्मनिर्भर हो सकता है। अगर नकारात्मक और निराशावादियों की चली होती तो हम आज भी अनाज बाहर से ही मंगा रहे होते।

साथियो, 2000 के चुनाव में एक बड़ा मुद्दा था देश में दाल की स्थिति का, दाल के दाम अखबार में छाए रहते थे। 2014 में विजयी होने के बाद मैंने देश के किसानों को प्रार्थना की थी और मैं हैरान हूं, मेरे देश के किसानों ने दाल के भंडार भर दिए, रिकॉर्ड उत्पादन किया। अब मेरे मन में एक और विचार चल रहा है और जब मैं काशी की पवित्र धरती पर आया हूं गंगा के तट पर कड़ा हूं तो मैं जरूर ये बात आज किसानों से कह रहा हूं। हम जो खाद्य तेल, खाना बनाने में जो तेल इस्तेमाल होता है आज उसको लेकर भी यही बात है। आखिर क्यों हमारा देश खाने वाला तेल बाहर से क्यों लाए। मैं जानता हूं अगर देश का किसान ठान ले, अपनी जमीन के दसवें हिस्से को भी तिलहन के लिए समर्पित कर दे तो तेल आयात में बहुत बड़ा फर्क आ जाएगा।

भाइयो-बहनो, देश बड़े संकल्पों और बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति से ही आगे बढ़ता है। इच्छाशक्ति चाहिए कि जो ठान लिया वो ठान लिया फिर उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए खुद को समर्पित कर देना होता है। सोचिए अंग्रेज भी एक समय कहते थे, जब देश आजाद होने की चर्चा चल रही थी तो वो यही सोच कर के सपने देखकर के गए थे कि जैसे ही हम जाएंगे ये देश टुकड़ों-टुकड़ों में बिखर जाएगा, राजे-रजवाड़े सब मैदान में आ जाएंगे। ये देश बचेगा ही नहीं यही सोचकर के गए थे लेकिन एक सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ठान लिया कि देश की रियासतों को साथ लाना है, एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनाना है तो इस संकल्प को पूरा करके ही रुके थे। मैंने अपनी आंखों से देखा है 2001 में कच्छ के अंदर जब भूकंप आया था, पिछली शताब्दी का सबसे बड़ा भूकंप था, लोग कहते थे बस खत्म अब ये खड़ा नहीं हो सकता है आज वो खड़ा हुआ है और दौड़ रहा है और हिंदुस्तान के सबसे तेज दौड़ने वाले जिलों में उसने अपना नाम दर्ज कराया है, उन्होंने करके दिखाया। पांच-छे साल पहले जब उत्तराखंड में जब तबाही आई थी तो क्या स्थिति थी, कहा जाता था कि केदारनाथ में अब यात्री नहीं आ पाएंगे लेकिन अब देखिए पहले ये ज्यादा यात्री अब केदार के दर्शन के लिए जा रहे हैं।

साथियो, इस देश की ताकत को कम आंकना गलत है, देश ने 62 की लड़ाई और 65 की लड़ाई में, हमारा देश का नागरिक जितना खुद को प्यार करता है उतना ही सोने को प्यार करता है। सोना तो घर में होना ही चाहिए ये हमारी सोच है लेकिन जब 62 की लड़ाई हुई 65 की लड़ाई हुई इन्ही देशवासी ने अपने गहने, अपना सोना मां भारती के चरणों में डाल दिया। पिछले पांच साल में भी जन भागीदारी की ताकत देश ने देखी है। चाहे स्वच्छ भारत अभियान हो, गैस सब्सिडी छोड़ने की बा त हो या फिर सीनियरसिटिजन द्वारा रेलवे में कनसेशन का त्याग, ये जन भागीदारी के ही उदाहरण हैं ऐसे ही देश बनता है, ऐसे ही देश बन रहा है।

साथियो, चाहे 1 हजार दिन में देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने का संकल्प हो, सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन देना हो, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय का निर्माण हो, जन धन योजना के तहत गरीबों के अकाउंट खोलना हो, हमारी सरकार की पहचान संकल्प से सिद्धि की रही है। पिछले पांच वर्षों में देश के डेढ़ करोड़ से ज्यादा गरीबों को हमारी सरकार ने पक्के घर दिए हैं अगर पहले की सरकारों वाली रफ्तार होती तो शायद एक-दो पीढ़ी और इंतजार करने के बाद भी घर मिलता कि नहीं मिलता वो काम हमने पांच साल के भीतर-भीतर किया है। लेकिन हमने दिखाया कि तेज गति से काम कैसे किया जाता है। अब सरकार 2022 तक, जब आजादी के 75 साल मनाएंगे हर गरीब को घर देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उसी प्रकार से रसोई गैस, जितने गैस कनेक्शन 2014 से पहले 60-70 सालों में देश में दिए गए थे उससे ज्यादा गैस कनेक्शन हमने 5 सालों में देकर दिखा दिए हैं। जब संकल्प लेकर उसके लिए पूरी ईमानदारी से प्रयास किया जाता है तो संकल्प सिद्ध भी होते हैं। कुछ साल पहले क्या किसी व्यक्ति ने सोचा था कि ईज ऑफ डूइंग की रैंकिंग में भारत का जो 142वां स्थान था वो 77वां हो जाएगा। इसी तरह फॉरेनडॉयरेक्टइनवेस्टमेंट के लक्ष्यों को भी हमने प्राप्त करके दिखाया।

साथियो, आपने सुना होगा और ये श्लोक तो शायद काशी वालों को सिखाने की जरूरत नहीं है। हम स्कूलों में पढ़ते थे तब भी हमको सिखाया जाता था-

उद्यमेनहिसिध्यन्तिकार्याणि न मनोरथैः ।
न हिसुप्तस्यसिंहस्यप्रविशन्तिमुखेमृगाः ॥

यानी उद्यम से ही कार्य पूरे होते हैं केवल इच्छा करने से नहीं। सोते हुए शेर के मुंह में मृग स्वयं प्रवेश नहीं करते हैं। इस देश के कोटि-कोटि लोगों की इच्छाशक्ति ही देश को आगे ले जाएगी। उसे फाइवट्रिलियनइकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करेगी और ये भी याद रखिए भारतीय अर्थव्यवस्था का, ये आंकड़ा सुनकर के आपको जरूर लगेगा कि हां फाइवट्रिलियन हो सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में आजादी के बाद लगभग 55-60 साल लग गए। एक ट्रिलियन पहुंचते-पहुंचते 55-60 साल बीत गए और हमने 2014 से 2019 पांच साल के अंदर एक ट्रिलियन डॉलर नया जोड़ दिया दोस्तो। यानी एक तरफ एक ट्रिलियन में 55-60 साल और दूसरी तरफ एक ट्रिलियन पांच साल में, ये अपने आप में इस बात का सुबूत है कि ये लक्ष्य लेकर अगर सवासौ करोड़ देशवासी चल पड़ें, हर परिवार तय करे कि मुझे मेरी आमदनी बढ़ानी है, हर तहसील, हर जिला तय करे कि हमें हमारे तहसील, हर जिले की अर्थव्यवस्था को बढ़ाना है, कौन कहता है देश आगे बढ़ नहीं सकता है। और इसी विश्वास के साथ लक्ष्य ऐसा रखा है कि जो मेहनत के बिना हम पा नहीं सकते, मेहनत करनी पड़ेगा, देशवासियों को कुछ ना कुछ देना पड़ेगा लेकिन उसके फल पीढ़ियों तक देशवासियों को मिलते रहेंगे इस विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। और मैं चाहूंगा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के नाते और एक सजग भारतीय होने के नाते आप सब इस लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।

साथियो, आज से जो सदस्यता अभियान शुरू हो रहा है उसके मूल में भी यही भावना है। दल के साथ-साथ देश के दूत बनकर हमें काम करना है, सदस्यता अभियान को राष्ट्र की प्रगति के लिए विश्वास, दोस्ती और बंधुत्व का मजबूत सूत्र मानते हैं। दीनदयाल उपाध्याय जी का तो स्पष्ट विचार था कि कोई दल सिर्फ सत्ता के लिए इकट्ठा हुए कुछ लोगों का समूह नहीं होना चाहिए बल्कि लोगों को एक दल के रूप में इसलिए साथ आना चाहिए ताकि राष्ट्र के प्रति अपने साझा विश्वास और विचारों का सहयोग हो सके। इसी भावना को सामने रखते हुए नए भारत के निर्माण के लिए हमें अधिक से अधिक विचारों को भाजपा की धारा के साथ जोड़ना है और हमने देखा जो इसका मंत्र बनाया हुआ है। साथ आएं-देश बनाएं, हमने ये नहीं कहा कि साथ आएं सरकार बनाएं। यही फर्क है औरों में और हमारे में, हमने कहा है साथ आएं-देश बनाएं, सरकार तो एक व्यवस्था है जिसकी जरूरत है देश को बनाने के लिए इसलिए सरकार बनाएं।

साथियो, भारतीय जनता पार्टी, इसकी शक्ति सादगी और सदाचार की रही है। भारतीय परंपरा की ये चिर स्थाई मूल्य हमें विरासत में मिले हैं। अटल जी, अडवाणी जी, जोशी जी सहित अनेक भारतीय जनता पार्टी को हर स्तर पर हमारी पुरानी पीढ़ियों ने नेतृत्व दिया है। हर व्यक्ति ने इन मूल्यों को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है। सादगी और सदाचार भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों के लिए कार्यकर्ताओं के लिए मजबूरी नहीं बल्कि जरूरी है। देश स्वाभाविक रूप से हमसे ये अपेक्षा करता है। और इसलिए भाइयो, सदस्यता अभियान में जब जा रहे तब सर्वजनहितायसर्वजनसुखाय, इस मंत्र को लेकर जीने वाले हम लोग, समाज के हर वर्ग को भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बनाना है। हमारा संगठन सर्वव्यापी हो, हमारा संगठन सर्वस्पर्शी हो, हमारा संगठन सर्वसमावेशी हो, समाज का कोई भी वर्ग भाजपा के परिवार से बाहर नहीं रहना चाहिए। हर वर्ग का प्रतिनिधि भाजपा परिवार का हिस्सा बनना चाहिए।

साथियो, जब हम सरकार में होते हैं, जब संगठन जमीन की सच्चाई ऊपर तक पहुंचाता है और कार्यकर्ता के नाते वो जमीन से जुड़ा हुआ होता है, वो लोगों के सुख-दुख को जानता है, समाज की इस ताकत को व्यवस्था तक पहुंचाता है। गरीब हो, अमीर हो, पढ़ा लिखा हो, अनपढ़ हो, पढ़ा-लिखा हो, गांव में हो, शहर में हो, स्त्री हो-पुरुष हो, युवा हो हर एक के साथ हमें जुड़ना है, हर किसी को जोड़ना है। उस तबके के लोगों में क्या चल रहा है, उनकी अपेक्षाएं क्या है, क्या बदलाव चाहते हैं, जब हम उनसे जुड़ते हैं तब पता चलता है। और सरकार निर्जीव हो या सजीव हो, व्यवस्थाएं संगठन की सदा-सर्वदा जीवंत होती हैं जो जिंदगियों से जुड़ी हुई होती हैं।
भइयो-बहनो, एक कार्यकर्ता के तौर पर, भाजपा के सदस्य के नाते अपने आप को हमें कभी कम नहीं आंकना चाहिए। भाजपा का कार्यकर्ता कमाल कर सकता है, आज अगर हमें विजय मिल रही है तो उसके पीछे कार्यकर्ताओं का खून पसीना एक होता है। जहां कभी हमारा आधार भी नहीं था, वहां भी संगठन को मजबूत करने के लिए हमारे कार्यकर्ता निरंतर लगे रहे। इसी का परिणाम है कि आज उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारत में भी सबसे बड़े दल के रूप में हम उभरे हैं। इसी निरंतरता को हमें बनाए रखना है और जहां हम अभी भी नहीं पहुंच पाए वहां पहुंचना है।

भाइयो-बहनो, हमें अपने जीवन में एक और मंत्र कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम देश के लिए काम कर रहे हैं और हमारा दल देश के लिए ज्यादा से ज्यादा उपयोगी हो हमें उस दिशा में निरंतर काम करते रहना चाहिए।
साथियो, ये मान्यता है कि काशी में किए गए पुण्य कभी क्षीण नहीं होते। हम सभी आश्वस्त हैं कि भाजपा परिवार नए सदस्यों को जोड़ने का अभियान भी बहुत नई शक्ति के रूप में, राष्ट्रशक्ति के रूप में परिवर्तित होगा, सफल होगा। संपूर्ण देश में भाजपा का ये विस्तार, देश की विकास यात्री की ओर तेज गति लाने में बहुत बड़ा सहायक होगा। मां गंगा की अविरल धारा की तरह भाजपा की विचारधारा भी सतत बहती रहेगी, जन-जन को जोड़ती रहेगी, इसी विश्वास के साथ आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन, बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत आभार। हर-हर महादेव।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।