I am always eager to interact with youth, understand their hopes and aspirations and work accordingly: PM Modi 
Between the 19th and 20th century, there was a collective resolve among people to defeat the forces of colonialism: PM Modi 
Election results of Northeastern states have given the entire a nation a reason to rejoice: PM Modi 
There was a sense of alienation among the people of Northeast earlier, but it has changed in the last four years. There is now an emotional integration: PM 
Only integration can counter radicalization, says PM Modi
India is a youthful nation, 65% of its population is under the age of 35. The youth has the potential to transform the nation: PM Modi 
Since forming government in 2014, we have initiated steps that are youth-centric: PM Narendra Modi 
Innovation is the bedrock to build a better future: PM Modi

परम श्रद्धेय स्वामी गौतमानंद जी महाराज, स्वामी जीतकामानंद जी महाराज, स्वामी निर्भयानंद सरस्वतीजी, स्वामी विरेशानंद जी सरस्वतीमहाराज, स्वामी परमानंद जी महाराज, देश के कोने-कोने से उपस्थित ऋषि-मुनि-संतगणऔरहजारों की संख्या में उपस्थित मेरे नौजवान साथी।

शतायुषि परमपूज्य सिद्दगंगा महास्वामी जी

यवरगे प्रणाम गळु

तुमकूरु रामकृष्ण आश्रमइप्पत ऐदू वर्ष

स्वामी विवेकानंद शिकागो संदेशानूरा इप्पत ऐदू वर्ष

भगीनी निवेदितानूराएवतने जन्म वर्ष

निम्म युवा समावेशा -  त्रिवेणी संगमा

श्री रामकृष्णा, श्री शारदा माते

स्वामी विवेकानंदर संदेश वाहकराद नन्नु प्रीतय सोदर सोदरियेरगी प्रीतिया शुभाषयगळू

तुमकूरूका ये स्टेडियम इस समय हजारों विवेकानंद, हजारों भगिनी निवेदिता की ऊर्जा से दमक रहा है। हर तरफ केसरिया रंग इस ऊर्जा को और बढ़ा रहा है। आपकी इस ऊर्जा का आशीर्वाद मैं भी प्रत्‍यक्ष आकरके प्राप्त करना चाहता था, इसलिए जब तीन दिन पूर्व स्वामी विरेशानंद जी सरस्वतीजी का पत्र आया, तो मैं आपकेबीच आने के लिए सहर्षलालायति था, लेकिन समय समय की कुछ मर्यादाएं रहती हैं। और आप जानते हैं कल से संसद का सत्र भी प्रारंभ हो रहा है, और इसलिए मेरे लिए यहां से निकलना थोड़ा मुश्किल था। साक्षात आपके बीच मैं नहीं आ पा रहा हूं। लेकिन आधुनिक विज्ञान, आधुनिक टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से आप सबके बीच जुड़ने का मुझे सौभाग्‍य मिला है।

युवा पीढ़ी के साथ किसी भी तरह का संवाद हो, उनसे हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है,और इसलिए मैं यथासंभव प्रयास करता हूं कि युवाओं से ज्यादा से ज्यादा मिलूं, उनसे बात करूं, उनके अनुभव सुनूं। उनकी आशाएं, उनकी आकांक्षाएं जानकर, उनके मुताबिक कुछ कार्य कर सकूं, और इसके लिए मैं निरंतर प्रयास करता रहता हूं।

ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस विशाल युवा महोत्सव और साधु-भक्त सम्मेलन का शुभारंभ करने का आज अवसर मिला है। तीन साल पहले जब मैंपूज्‍य शिवकुमार स्वामी जी का आशीर्वाद लेने तुमकूरू आया था तो वहां के लोगों से और विशेषकर नौजवानों से जो स्नेह प्राप्त हुआ था, वो मैं कभी भूल नहीं सकता। भगवान वसवेश्वर और स्वामी विवेकानंद जी के आशीर्वाद से पूज्‍य शिवकुमार स्वामी जी राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में समर्पित हैं। अपना शरीर का पल-पल, क्षण-क्षण, यानि उन्‍होंने देश पर न्‍योच्‍छावर कर दिया है। मैं उनके बेहतर स्वास्थ्य और उनकी दीर्घायु के लिए हमेशा परमात्‍मा को प्रार्थना करता रहता हूं।

साथियों, ऐसा बहुत कम होता है, जब तीन महान अवसरों का उत्सव एक साथ मनाया जाए। लेकिन तुमकूरू में उत्सव की इस त्रिवेणी का भी अपना दिव्य संयोग बना है। तुमकूरू में रामकृष्ण आश्रम की स्थापना के 25 वर्ष, शिकागो में स्वामी विवेकानंद जी के संबोधन के 125 वर्ष और भगिनी निवेदिता जी के जन्म के 150 वर्ष पर हो रहा ये आयोजन अपने आप में बहुत विशेष हैं,मैं ऐसा अनुभव करता हूं। इन तीन अवसरों की त्रिवेणी में डुबकी लगाने के लिए कर्नाटक के हजारों नौजवानों का यहां युवा महोत्सव में एकत्रित होना, ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा achievement है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस महोत्सव के लिए, पूज्‍य स्‍वामीजी को, रामकृष्‍ण मिशन को, हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं, और वरिष्‍ठों को प्रणाम करता हूं।

आज के तीनों आयोजनों के केंद्र बिंदु स्वामी विवेकानंद हैं। और हम भलीभांति जानते हैं कि कर्नाटक पर तो स्वामी विवेकानंद जी का विशेष स्नेह रहा है। अमेरिका जाने से पहले, कन्याकुमारी जाने से पहले वो कर्नाटक में कुछ दिन रुके थे। और स्‍वामी विवेकानंद जी ने हमारे आध्‍यात्मिक विस्‍तार को समय की आवश्‍यकताओं के साथ जोड़ा था। उन्‍होंने हमारे गौरवमयी इतिहास को हमारे वर्तमान के साथ जोड़ा था। मुझे बहुत खुशी है कि आज का ये कार्यक्रम साधु-भक्‍त सम्‍मेलन के तौर पर हमारे आध्‍यात्मिक विस्‍तार और युवा महोत्‍सव के तौर पर हमारे वर्तमान के साथ एकजुट हो करके, कंधे से कंधा मिला करके, रेल की पटरी की तरह आज देश को आगे बढ़ाने के लिए सोच रहा है।

देशभर से संत-समाज भी जुटा है और नौजवान भी। और यहां तीर्थों की बात हो रही है, तो Technology की भी चर्चा है।यहां, ईश्वर की भी बात हो रही है और नए Innovations की भी चर्चा है।कर्नाटक मेंSpiritual Festival और Youth Festival का एक मॉडल विकसित हो रहा है।मुझे आशा है कि ये आयोजन देशभर में दूसरों को प्रेरणा देगा, भविष्‍य की तैयारियों के लिए हमारी ऐतिहासिक परम्‍पराओं और वर्तमान युवा शक्ति का ये समागम अद्भुत है।

अगर हम अपने देश के स्वतंत्रता आंदोलन पर ध्यान दें, उन्नीसवी और बीसवी शताब्दी के उस कालखंड पर गौर करें, तो पाएंगे कि उस समय भी अलग-अलग स्तर पर एक संयुक्त संकल्प  देखने को मिला था। ये संयुक्त संकल्प था देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए। तब संत हो या भक्‍त हो, आस्तिक हो या नास्तिक हो, गुरू हो या शिष्‍य हो, श्रमिक हो या प्रोफेशनल हो; समाज के सभी अंग एक ही संकल्‍प से जुड़े, इसी संकल्‍प से जुड़ गए थे।

उस समय हमारा संत समाज ये स्पष्ट देख रहा था कि अलग-अलग जातियों में बंटा हुआ समाज, अलग-अलग वर्ग में विभाजित समाज अंग्रेजों का मुकाबला नहीं कर सकता। इसी कमजोरी को दूर करने के लिए उस दौरान देश में अलग-अलग हिस्सों में भक्ति आंदोलन चले, सामाजिक आंदोलन चले। इन आंदोलनों के माध्यम से देश को एकजुट किया गया, देश को उसकी आंतरिक बुराइयों से मुक्त करने का एक अभियान चलाया गया। इन आंदोलनों की कमान संभालने वालों ने देश के सामान्य जन को एकसमान, सबको बराबरी का बना दिया, हरेक को समान सम्मान दिया। उन्होंने देश की आवश्यकता को समझते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा को राष्ट्र निर्माण की यात्रा के अंदर निहित कर दिया, जोड़ दिया, समर्पित कर दिया। जनसेवा को ही उन्होंने प्रभु सेवा का माध्यम बनाया।

साथियों, लगभग यही वो दौर था जब अलग-अलग क्षेत्रों से बड़ी संख्या मेंstudents और Professionals स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, वकील हो, शिक्षक हो, वैज्ञानिक हो, डॉक्टर हो, इंजीनियर हो। इन प्रोफेशनल्स ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी और स्वतंत्रता के बाद भी राष्ट्र निर्माण की नींव मजबूत की।

ये दो प्रयास जब एक साथ चले तो देश बौद्धिक और सामाजिक रूप से उठ खड़ा हुआऔर भारत के एकजुट लोगों ने अंग्रेजों को खदेड़ करके ही दम लिया, स्वतंत्रता के संयुक्त संकल्प को सिद्ध करके दिखाया।

स्वतंत्रता के अनेक दशकों के बाद अब देश में एक बार फिर वैसी ही संकल्प शक्ति उजागर हो, वैसी ही संकल्‍प शक्ति नजर आए, और नजर आ रही है। और उस संकल्‍प शक्ति के कभी-कभी दर्शन भी होते हैं। अभी-अभी आपने देखा, कल ही नॉर्थ-ईसट में हमने देखा और आपने देखा कि परसों पूरा देश होली के रंग में रंगा हुआ था। लेकिन कल नॉर्थ-ईस्‍ट के चुनावों के नतीजों ने फिर एक बार पूरे देश में एक उत्‍सव का वातावरण पैदा किया है।

आपको लगता होगा कि मैं इस कार्यक्रम में इस बात का उल्‍लेख  क्‍यों कर रहा हूं? मुझे लगता है कि आपके बीच में मेरे मन के भाव मुझे जरूर कहने चाहिए। देखिए नॉर्थ-ईस्‍ट में कल जो चुनाव हुआ है और जो नतीजे आए हैं; मैं इसे कौन जीता, कौन हारा, किस पार्टी की जीत थी, एक पार्टी की हार थी या दूसरी पार्टी की जीत थी; मैं इसे राजनीतिक दलों के जय-पराजय के तराजू से नहीं देखता।

महत्‍वपूर्ण ये है कि नॉर्थ-ईस्‍ट के लोगों की खुशी में पूरा देश शामिल हुआ है। ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं कि नॉर्थ-ईस्‍ट की कोई सिद्धि देश की सिद्धि बन जाए। और आज- कल जब हमने देखा कि पूरा देश नॉर्थ-ईस्‍ट के लोगों के सपनों के अनुरूप, उनकी भावनाओं के अनुरूप सुबह से टीवी के सामने बैठ गया है। जैसे वो खुद ही वहां चुनाव के जंग में हों, वैसा हर हिन्‍दुस्‍तानी अनुभव करने लगा।

मैं समझता हूं कि मेरे उत्‍तर-पूर्व के भाइयों, बहनों के‍ लिए, और उन्‍होंने जो जनादेश दिया है, ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा बदलाव है। रामकृष्‍ण मिशन हो, विवेकानंद केंद्र हो, हजारों कार्यकर्ता, जीवन समर्पित करने वाले नौजवान, साधु-संत नॉर्थ-ईस्‍ट के जनकल्‍याण के कार्यों में लगे हैं, और इसके कारण यहां जो बैठे हुए हैं, आप लोगों को वहां की Ground reality क्‍या है, आप लोगों को भली-भांति पता है। और इसलिए मैं कहता हूं कि नॉर्थ-ईस्‍ट के चुनावों के नतीजे के बाद देश ने जो मिजाज दिखाया है, वो हर नॉर्थ-ईस्‍ट के व्‍यक्ति के दिल में पूरा भारत उनकी भावनाओं के साथ जुड़ा है, उसका एक ताकतवर संदेश दिया है। देश की एकता के लिए, एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत के लिए, ये भावनाओं की ताकत बहुत बड़ी होती है।

साथियो, पहले हमारे यहां नीतियां और निर्णय ऐसे हुए कि उत्‍तर-पूर्व कि लोगों में alienation की भावना घर कर गई। लोग विकास की नहीं, विश्‍वास और अपनत्‍व की मुख्‍य धारा से भी खुद को कटा हुआ महसूस करने लगे। कितनी समस्‍याओं की वजह ये भावना भी थी। पिछले चार वर्षों में हमारी सरकार की नीतियां, निर्णयों ने इस खाई को भरने का प्रयास किया, इस अलगाव के भाव को भरने का प्रयास किया। हमने नॉर्थ-ईस्‍ट के भावनात्‍मक integration का संकल्‍प लिया। और इसे सिद्ध करके दिखाया है।

मैं आपको त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में जो नतीजे आए हैं, ये भी मुझे एक बहुत बड़ा संतोष देते हैं और मैं उसका जरा आपको विशेष रूप से बताना चाहता हूं। साथियो, त्रिपुरा के इतने छोटे से राज्‍य में 20 विधानसभा की सीटें हैं। आदिवासी बहुल इलाकों में हैं। और हमारे यहां एक भ्रम फैलाया जाता है कि जहां आदिवासी हैं, वहां माओवाद है, वहां naxalism है, left wing extremism है, बहुत बातें होती हैं। और ये भ्रम फैला करके उनको भी अलग-थलग करने का एक लगातार प्रयास हो रहा है। ताकि देश को तोड़ने की कोशिश करने वालों को वहां अच्‍छी जमीन तैयार हो जाए। लेकिन कल त्रिपुरा के नतीजों ने एक अलग मिसाल कायम की है। उत्‍तर-पूर्व में आदिवासी भाई-बहनों ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में एकतरफा मतदान करके नफरत की राजनीति को नकार दिया है।

साथियो, radicalization जवाब integration से ही दिया जा सकता है। देश का कोई भी विभाग, कोई भी वर्ग खुद को मुख्‍य धारा से कटा हुआ महसूस न करे, इसके लिए हमारी सरकार द्वारा संकल्‍पबद्ध होकर लगातार प्रयास किया जा रहा है लेकिन सारे देश ने भी एकता के मंत्र को प्रतिपल ताकतवर बनाना ही होता है।संकल्पशक्तिकायेप्रवाहइससमयकर्नाटककेस्टेडियममेंभीमहसूसकियाजासकताहै।जोश्रध्येयगणमंचपरहैं, वोइसेऔरज़्यादामहसूसकररहेहोंगे।

साथियों, राष्ट्र निर्माण को समर्पित इस संकल्प को स्वामी विवेकानंद जी के एक संदेश से और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। स्‍वामीजी ने कहा था-

"Life is short, but the soul is immortal and eternal, and one thing being certain, death, let us therefore take up a great idea and give up our whole life to it."

जीवन बहुत छोटा है, जीवन अनिश्चित होता है, मृत्यु निश्चित है। और इसलिए हमें एक संकल्प तय करके उस पर अपना जीवन न्योछावर कर देना चाहिए।

आज हजारों युवाओं के बीच, मैं आप सभी से ये प्रश्न करना चाहता हूं कि ये एक संकल्प क्या होना चाहिए? कई बार में देखता हूं कि किसी युवा से अचानक पूछा जाए कि उसके जीवन का लक्ष्‍य क्‍या है? तो वो सीधा उत्‍तर नहीं दे पाता है। वो अपने purpose of life को लेकर ही confuse है। साथियो, हमारे जीवन में जब संकल्‍प और लक्ष्‍य स्‍पष्‍ट होंगे, तभी हम कुछ सिद्ध भी कर पाएंगे, देश को मानवता को कुछ दे पाएंगे।जब संकल्प भ्रमित होगा, confused होगा, तो लक्ष्य को प्राप्त करना भी संभव नहीं होगा। रेलवे प्‍लेटफार्म पर पहुंचने के बाद ढेर सारी गाड़िया खड़ी हैं, और पता ही नहीं कि किस ट्रेन में बैठना है तो न आप मंजिल पर पहुंच सकते हैं, न आप यात्रा का रास्‍ता तय कर सकते हैं।

स्‍वामी विवेकानंद जी भी, उनका एक बहुत मशहूर कथन है, और वो कहते थे- “take  up one idea. Make that one  idea your life, think of it, dream of it, live on that idea, let the brain, muscles, nerve, every part of your body be full of that idea and just leave every other idea alone. This is the way to success.”

मेरा आज इस युवा महोत्सव में आए प्रत्येक युवा से आग्रह है कि अपने संकल्प को लेकर स्पष्ट रहें, उसे जीवन में क्या करना है, उसको ले करके हमेशा स्‍पष्‍ट रहना चाहिए।

भाइयों और बहनों, आज हमारा भारत पूरी दुनिया का सबसे नौजवान देश है। 65 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की आयु 35 वर्ष से कम है। युवा शक्ति की ये अपार ऊर्जा देश का भाग्य बदल सकती है, पूरे देश को ऊर्जावान बना सकती है। 2014 में सरकार बनने के बाद और इसलिए हमारी सरकार नेYouth Power को ध्यान में रखते हुए, इस ऊर्जा का राष्ट्र निर्माण में इस्तेमाल करने के लिए अनेक फैसले लिए और ये प्रकिया निरंतर जारी है।

आपको ध्‍यान होगा कि हम लोग सरकार में आए और आने के कुछ ही समय बाद ही देश के भविष्‍य के लिए देश के नौजवानों के Skill development के लिए एक स्‍वतंत्र मंत्रालय बना दिया गया। पहले भी Skill development होता था लेकिन सरकार में ये 40-50 मंत्रालयों में बिखरा पड़ा होता था, अलग-अलग होता था। हरेक की दिशा भी अलग होती थी। कभी-कभी तो हरेक की दिशा एक-दूसरे से टकराव करती थी। अब एक मंत्रालय देश भर में Skill development का काम देख रहा है। इस मंत्रालय की निगरानी में देश के हर जिले में Skill developmentcentre खोले जा रहे हैं। युवाओं को industry की जरूरत को देखते हुए short term और long term training दी जा रही है। युवा अपने दम पर अपना बिजनेस शुरू कर सकें, उन्‍हें बिना बैंक गारंटी कर्ज मिल सके, इसके लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना चलाई जा रही है। मुद्रा योजना के तहत अब तक देश में करीब-करीब 11 करोड़ लोनदिए गए हैं।कर्नाटक के नौजवानों के भी एक करोड़ 14 लाख से ज्‍यादा लोन स्‍वीकृत किए गए हैं। इस योजना की वजह से ही देश को लगभग तीन करोड़ नए उद्यमी भी मिले हैं। मेरे नौजवानों ये बहुत बड़ी महत्‍व की बात है कि इतने कम समय में तीन करोड़ नए उद्यमी देश की अर्थव्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं।

Skill Development और Self Employmentको बढ़ावा देने के साथ ही हमारी सरकार ने नौजवानों केproductsके लिए बाजार बनाने काभी काम किया है।सरकार ने नीतिगत परिवर्तन किया ताकि सरकार की सरकारी खरीद में स्थानीय उत्पादों को ही प्राथमिकता दी जाए। इसके अलावा एक और व्यवस्था विकसित की गई है GEM यानिGovernment e Market.Government -Market के नाम सेइस online platform के माध्यम से अब कोई भी नौजवान, कोई भी महिला, कोई भी गांव का व्‍यक्ति अपनी कंपनी के या अपने घर में भी बनाए हुए Product  हों,या वो कोईServices देना चाहता है, तो वो सरकार को अगर जरूरत है, तो सरकार को कोइ्र बिचौलियों की जरूरत नहीं, टेंडर की जरूरत नहीं, बड़ी-बड़ी कम्‍पनियों की जरूरत नहीं; सामान्‍य मानवी से वो चीजें खरीद सकती है। हम राज्‍य सरकारों को भी प्रोत्‍साहित कर रहे हैं कि वो भी अपने राज्‍य मेंनौजवान उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए इस पोर्टल से जुड़ें। देश की 20 राज्य सरकारें इस अभियान में केंद्र सरकार के साथ आ चुकी हैं।

साथियों, हमारी सरकार के निरंतर प्रयास की वजह से ही देश में अब एक माहौल बना है जहां युवा आज की औद्योगिक जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग लेकर, अपने दम पर कुछ कर सकता है और अपने product को बाजार में बेच भी सकता है। ये माहौल कितना ज्यादा आवश्यक है, इसे कर्नाटक के नौजवान और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। आप जैसे करोड़ों नौजवानों की आशाओं-आकांक्षाओं को समझते हुए ही सरकार स्टार्ट अप इंडिया-स्टैंड अप इंडिया जैसे कार्यक्रम भी चला रही है।

पहली बार हमारी सरकार ने रोजगार को Tax Incentive से जोड़ा है। जो कंपनियां नौजवानों को अपने यहां apprenticeship करा रही हैं, उन्हेंसरकार द्वारा टैक्स में छूट दी जा रही है। नौजवानों का जो Pprovident Fundकटता है, उसमें सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जा रही है। जिन युवाओं की कंपनियां 2 करोड़ रुपए तक के turnover, वहां तक सीमित हों और जिनमें डिजिटिल तरीके से ही पेमेंट किया जाता हो, उन्हें भी टैक्स के अंदर छूट दी जा रही है।

मैं मानता हूं कि हमारे देश के युवाओं में Sense of Mission की कोई कमी नहीं है। वो अपने ideas को, innovative solutions को इस तरह जमीन पर उतारना चाहते हैं कि चीजें और efficient हों और economical हों। इसलिए उसे जिस तरह प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है, वो करने का काम हमारी सरकार कर रही है।

साथियों, Innovation ही बेहतर भविष्य का आधार है।हमारी शिक्षा व्यवस्था में इस सोच के साथ हीInnovation को स्कूली संस्कृति का हिस्सा बनाने के लिए काम किया जा रहा है। स्कूलों में कम उम्र के बच्चों के Ideas को Innovation में बदलने के लिए सरकार ने Atal Innovation Missionकी शुरुआत की है–AIM. अब तक देशभर में दो हजार चार सौ से ज्यादा Atal Tinkering Labs को स्वीकृति दी जा चुकी है।

केंद्र सरकार एक और बहुत ही बड़े मिशन पर काम कर रही है और वो है देश में 20 वर्ल्ड क्लास शिक्षा संस्थान बनाने का काम। देश में 20 Institutes of Eminenceबनाने का काम। इस मिशन के तहतपब्लिक सेक्टर के selected 10 संस्थानों को एक तय अवधि में कुल 10 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। ये Institutes of Eminenceआधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में भारत को अपनी जगह फिर दिलाएंगे।

इस बजट में हमने RISE नाम से एक नई योजना भी शुरूआत की है। इसके तहत हमारी सरकार अगले चार साल में देश के education system को सुधारने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।

बजट में सरकार द्वारा Prime Minister’s Research Fellowsस्कीम का भी ऐलान किया गया है।इसके तहत देश के एक हजार होनहार इंजीनियरिंग के जो छात्र हैं और होनहार हैं, उनको PhD programme के लिए पाँच साल तक 70 से 80 हजार रुपए महीने की आर्थिक मदद दी जाएगी।

भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, हमारे HumanResource की शक्ति को ध्यान में रखते हुए, केंद्र द्वारा शुरू की गई अनेक योजनाओं का लाभ कर्नाटक के युवाओं को मिलना भी उतना ही आसान है, उतना ही संभव है। केंद्र सरकार द्वारा Innovation के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इसके लिए किए जा रहे कार्य पूरे कर्नाटक के युवाओं के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल रहे हैं। खासतौर पर स्मार्ट सिटी मिशन से  देशभर में कर्नाटक के प्रतिभाशाली युवाओं की पहुंच को आसान बनाया है, उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित किया है।

साथियों, भगिनी निवेदिता जी ने एक बार टिप्पणी की थी कि आखिर ऐसा क्या किया जाए कि भारतवर्ष के छात्र किसी दूसरे देश की कॉपी न करें, नकल न बनकर स्‍वयं में पूर्ण हों। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्‍होंने कहा था-

“Your education should be an education of the heart and the spirit, and of the spirit as much of the brain; it should be a living connection between yourselves and your past as well as the modern world!”

यानि अपने इतिहास, अपने वर्तमान और अपने भविष्य के बीच कनेक्ट बनाना बहुत आवश्यक है। अपनी परंपराओं से जितना ये कनेक्ट मजबूत होगा, उतना ही देश का युवा, खुद को मजबूत महसूस करेगा।

भाइयों और बहनों, अपनी परंपराओं को सम्मान की ये भावना केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई खेलो-इंडिया, खेलो-इंडिया योजना में भी दिखाई देती है। और मैं तो कहता हूं- जो खेले वही खिले। इसके लिए हमने नीति में एक बहुत बड़ा बदलाव किया है। Sports में गुरु-शिष्य परंपरा को बढ़ावा देने के लिए सरकार सिर्फ वर्तमान कोच का ही नहीं, बल्कि हर उस गुरु का सम्मान करेगी जिसने खिलाड़ी को उँगली पकड़कर चलना सिखाया। अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने की स्थिति में अब पहले के गुरुओं को भी सम्मान राशि का कुछ हिस्सा दिया जाएगा।

परंपराओं से इसी जुड़ाव को ध्यान में रखते हुए खेलो इंडिया कार्यक्रम में कबड्डी और खो-खो जैसे स्वदेशी खेलों पर भी जोर दिया जा रहा है। इस योजना के तहत देश के कोने-कोने से Talent को पहचान कर सरकार उसे sports का आधुनिक platformदेने का प्रयास कर रही है। और सरकार ने तय किया है कि हर साल एक हजार युवा खिलाड़ियों को चुनकर, उन्हें Modern Sports Infrastructure के बीच प्रशिक्षण के लिए 5 लाख रुपए की वित्तीय सहायता हर साल दी जाएगी।

साथियों, “विद्यार्थी देवो भव:”सिर्फ आपका ही नारा नहीं, हमारा भी मंत्र है। बल्कि मैं तो आपकी स्वीकृति से इसमें ये भी जोड़ना चाहूंगा- “युवा देवो भव: -युवाशक्ति देवो भव:”।

युवा को मैं दैवीय शक्ति के तुल्य इसलिए समझता हूं क्योंकि युवा को मैं परिस्थिति नहीं, आयु की एक अवस्था नहीं बल्कि एक मानसिक अवस्‍था मानता हूं, मानसिक स्थिति मानता हूं। युवा सिर्फ ये नहीं सोचता कि जो पहले अच्छा था, वही बेहतर था। युवा ये सोचता है कि पुराने से सीख लेकर वर्तमान और भविष्य को और बेहतर कैसे बनाया जाए। इसलिए वो देश को बदलने के लिए काम करता है, दुनिया को बदलने के लिए प्रयास करता है। युवा चाहता है कि भविष्य- वर्तमान और अतीत दोनों से ज्यादा बेहतर और मजबूत हो।

इसलिए मैं देश के नौजवानों की शक्ति को फिर से नमन करता हूं। एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत- आपने शब्‍द सुने होंगे। सरदार वल्‍लभ भाई पटेल- देश को एक करने का भगीरथ काम किया। एक भारत को श्रेष्‍ठ भारत बनाना, ये हम लोगो की जिम्‍मेदारी है। और इसलिए मैं तो चाहूंगा यहां इतने नौजवान बैठे हैं- आप में से कई लोग होंगे जिनका मन करता होगा French language सीखें; आपमें से कई होंगे जिनका मन करता होगा Spanish language सीखें; अच्‍छी बात है। दुनिया की कोई भी भाषा सीखना अच्‍छी बात है। लेकिन क्‍या कभी हमारे मन में उठता है कि जो देश, इतना बड़ा देश, 100 भाषाएं, 1700 dialect; 10-12 भाषाएं हम भी तो सीखें, 5-50 वाक्‍य हमारे देश की भाषा के तो बोलना सीखें। दो-चार किसी और राज्‍य की भाषा के गीत गुनगुनाना सीखें। मैं समझता हूं देश को एक करने के लिए ये सामर्थ्‍य बहुत जरूरी  है और ये हम एक सहज स्‍वभाव के रूप में विकसित कर सकते हैं। मैंने भी अभी टूटी-फूटी भाषा में कहो- लेकिन जैसे ही कन्‍नड़ में कुछ बातें कहीं, आपके दिल को छूने लगीं। आप उसमें ये नहीं देखते थे कि मोदीजी के pronunciation ठीक थे या नहीं, व्‍याकरण ठीक था कि नहीं, आपको यही लगता था कि हमारे साथ जुड़ने के लिए कितना अपनेपन से मेहनत कर रहा है। यही देश को एक करने की ताकत रखता है। यही देश को जोड़ता है।

संकल्प से सिद्धि की जिस यात्रा पर देश चल रहा है, न्यू इंडिया के जिस सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है, उसकी बड़ी जिम्मेदारी मेरे देश के युवाओं पर है। उन्हें भविष्य की बहुत-बहुत शुभकामनाओं के साथ, मैं फिर एक बार नौजवानों को कहता हूं, हम स्‍वामी विवेकानंद जी को स्‍मरण रखें।  हम भगिनी निवेदिता जी को स्‍मरण रखें। जन सेवा ही प्रभु सेवा- जीव में शिव को देखें, यही एक तत्‍वज्ञान हमारे देश के बदलाव में- चाहे वो स्‍वच्‍छ भारत हो, चाहे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ हो, चाहे बुजुर्गों के लिए अरोग्‍य की सेवाओं का काम हो, किसानो को आधुनिक टेक्‍नोलॉजी की मदद पहुंचाने का काम हो- एक काम ले करके  हम भी अपने-आप को जोड़ें। और मुझे विश्‍वास है कि आप सभी नौजवान इन संतों- महान संतों और तुमकूरू की पवित्र भूमि है जहां ऐसे वरिष्‍ठ संत बैठे हुए हैं; ऐसी भूमि से एक नई प्रेरणा ले करके आप चलेंगे।

आप सबको नरेंद्र मोदी एप्‍प, आप जुड़े हुए होंगे। और मुझे भी मन करता है मैं आपसे जुड़ूं। आप नरेंद्र मोदी एप्‍प से मेरे से जुड़िए। मुझसे बातें कीजिए, अपनी भावनाओं को मेरे तक पहुंचाइए। और मैं आज आपको बताता हूं- ये ठीक है कि मैं कन्‍नड़ भाषा बोल नहीं सकता, मुझे हिन्‍दी में बोलना पड़ा। लेकिन आपका मन करता होगा कि यही बातें कन्‍नड़ में देखनी हैं, सुननी हैं- तो मैं मेरी टीम को बताता हूं कि नरेंद्र मोदी एप्‍प पर अभी जो मैंने आपसे बातें की हैं, उसके जो मुख्‍य अंश हों, वो कन्‍नड़ भाषा में भी उस पर रख दें। ताकि आप कन्‍नड़ भाषा में, अपनी भाषा में मेरे इन भावों को पकड़ पाएं और इस बात को आगे बढ़ाएं।

मैं आज दस त्रिवेणी संगम के लिए, इस आयोजन केलिए, रामकृष्ण-विवेकानंद आश्रम को फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं और मैं सभी संतगण को यहां से प्रणाम करता हूं। शिवगिरी मठ को नमन करता हूं, और आप सब नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत- बहुत धन्यवाद !!!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।