ഗുജറാത്തിൽ വികസനത്തോടൊപ്പം പരിസ്ഥിതി സംരക്ഷണവും കാണാൻ കഴിയുന്നു: പ്രധാനമന്ത്രി
ഗുജറാത്തിലെ ജലസംരക്ഷണത്തിന് മൈക്രോ ഇറിഗേഷൻ സഹായിച്ചിട്ടുണ്ട്: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
സർദാർ പട്ടേലിന്റെ ദർശനാത്മകമായ നേതൃത്വം ഇന്ത്യയെ ഏകോപിപ്പിക്കാൻ സഹായിച്ചു: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി

मेरे साथ बोलिए दोनो हाथ ऊपर करके बोलिए.. ... नर्मदे.... नर्मदे... नर्मदे... सर्वदे ... नर्मदे.... नर्मदे... नर्मदे... ।

गुजरात के राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत जी, यहां के मुख्‍यमंत्री श्रीमान विजयभाई रूपाणी, उपमुख्‍यमंत्री नितिन भाई ... मंच पर उपस्थित सभी महानुभव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों।

किसी समय मुझे फोटोग्राफी की जरा आदत हुई थी। मन करता था फोटो निकालूं ... बाद में तो सब छूट गया लेकिन आज जब मैं यहां बैठा था, तो मेरा मन करता था कि अच्‍छा होता आज मेरे हाथ में भी कैमरा होता। ऊपर से मैं जो दृश्‍य देख रहा हूं। नीचे जनसागर है, पीछे जलसागर है और मैं इन सब कैमरा वालों से भी प्रार्थना करूंगा कि हमारी तस्‍वीरें बहुत निकाल दी जरा उधर की तरफ कैमरा कीजिए... कैसे जनसागर और जलसागर का मिलन है। शायद फोटोग्राफी की दुनिया वालों के लिए ऐसा दृश्‍य बहुत rare मिल सकता है। और मैं यहां के व्‍यवस्‍थापकों को भी इस location के लिए उनकी aesthetic sense के लिए विशेष बधाई देता हूं।

आज के दिन मां नर्मदा के दर्शन का अवसर मिलना, पूजा-अर्चना का अवसर मिलना इससे बड़ा सौभाग्‍य क्‍या हो सकता है, मैं गुजरात सरकार का आप सभी का आभारी हूं कि आपने मुझे नमामी देवी नर्मदा समारोह में आने का निमंत्रण दिया और उसका हिस्‍सा बनाया। मैं सभी गुजरातवासियों को भी इस उत्‍सव के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं और आज ये ऐसा अवसर है जिसका लाभ मध्‍यप्रदेश को, महाराष्‍ट्र को, राजस्‍थान को और गुजरात को.. इन चार राज्‍यों के लोगों को, किसानों को, उस राज्‍य की जनता को इस योजना का लाभ मिल रहा है।

साथियों, हमारी संस्कृति में हमेशा माना गया है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए भी विकास हो सकता है। प्रकृति हमारे लिए आराध्य है, प्रकृति हमारा आभूषण है, हमारा गहना है। पर्यावरण को संरक्षित करते हुए कैसे विकास किया जा सकता है, इसका जीवंत उदाहरण अब केवड़िया में देखने को मिल रहा है।

आज सुबह से मुझे अनेक जगहों पर जाने का अवसर मिला। और हर स्‍थान पर मैंने प्रकृति और विकास का अदभुत तालमेल भी अनुभव किया है। एक तरफ सरदार सरोवर बाँध है, बिजली उत्पादन के यंत्र हैं तो दूसरी तरफ एकता नर्सरी, बटर-फ्लाई गार्डन, कैक्टस गार्डन जैसी इको-टूरिज्म से जुड़ी बहुत ही सुंदर व्यवस्थाएं हैं। इन सबके बीच सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी की भव्य प्रतिमा जैसे हमें आशीर्वाद देती नजर आती है। मैं समझता हूं कि केवड़िया में प्रगति, प्रकृति, पर्यावरण और पर्यटन का अदभुत संगम हो रहा है और यह सभी के लिए बुहत बड़ी प्रेरणा है।

साथियों, आज ही निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा जी की जयंती भी है। नए भारत के निर्माण के जिस संकल्प को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं, उसमें भगवान विश्वकर्मा जैसी सृजनशीलता और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की इच्छाशक्ति बहुत आवश्यक है। भगवान विश्‍वकर्मा का भारत पर आर्शीवाद बना रहे हम सबकी यही प्रार्थना है। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो सरदार सरोवर बाँध और सरदार साहब की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, दोनों ही उस इच्छाशक्ति, उस संकल्पशक्ति के प्रतीक हैं।

मुझे विश्वास है कि उनकी प्रेरणा से हम नए भारत से जुड़े हर संकल्प को सिद्ध करेंगे, हर लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। साथियों, आज का ये अवसर बहुत भावनात्मक भी है। सरदार पटेल ने जो सपना देखा था, वो दशकों बाद पूरा हो रहा है और वो भी सरदार साहेब की भव्य प्रतिमा की उन आंखों के सामने हो रहा है। हमने पहली बार सरदार सरोवर बाँध को पूरा भरा हुआ देखा है। एक समय था जब 122 मीटर के लक्ष्य तक पहुंचना ही बहुत बड़ी सिद्धि माना जाता थी। लेकिन आज 5 वर्ष के भीतर-भीतर 138 मीटर तक सरदार सरोवर का भर जाना, अद्भुत है, अविस्मरणीय है।

साथियों, आज की स्थिति तक हमें पहुंचाने के लिए लाखों लोगों का योगदान रहा है। सामान्‍य से सामान्‍य नागरिक का योगदान रहा है। साधु-संतों की भूमिका रही है। अनेक सामाजिक संगठनों का योगदान रहा है। आज का दिन उन लाखों साथियों का आभार व्‍यक्‍त करने का है। जिन्‍होंने इस सरदार सरोवर परियोजना के लिए अपना योगदान दिया है। ऐसे हर साथी को मैं नमन करता हूं।

साथियों, केवडि़या में आज जितना उत्‍साह है उतना ही जोश पूरे गुजरात में है। आज नालों, तालाबों, झीलों, नदियों की साफ-सफाई का काम किया जा रहा है। आने वाले दिनों में बड़े स्‍तर पर, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपन का भी कार्यक्रम होना है। ये निश्चित रूप से अभिनंदनीय है, सराहनीय कार्य है। यही वो प्रेरणा है जिसके बल पर जल-जीवन मिशन आगे बढ़ने वाला है। और देश में जल संरक्षण का आंदोलन सफल होने वाला है। गुजरात में हो रहे सफल प्रयोगों को, जनभागीदारी के प्रयोगों को, जनभागीदारी से जुड़े हुए अनेक महत्‍वपूर्ण कामों को हमें और आगे बढ़ाना है। गुजरात के गांव-गांव में जो इस प्रकार के जनभागीदारी से, जनसर्मथन से उसके अभियान से दशकों से जुड़े हैं। ऐसे साथियों से मैं आग्रह करूंगा कि वो पूरे देश में अपने अनुभवों को साझा करें।

साथियों, आज कच्‍छ और सौराष्‍ट्र के उन क्षेत्रों में भी मां नर्मदा की कृपा हो रही है। जहां कभी कई-कई हफ्तों तक पानी नहीं पहुंच पाता था। गुजरात में दशकों पहले के वो दिन भी जब पानी की लड़ाई में गोलिया तक चली थीं। बेटियों-बहनों को पीने के पानी के इंतजाम के लिए 5-5, 10-10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। गर्मी शुरू होते है सौराष्‍ट्र और उत्‍तर गुजरात के लोग अपने-अपने पशुधन को लेकर सैंकड़ो किलोमीटर जहां पानी की संभावना होती थी। वहां पर वो घर, गांव, खेत, खलिहान छोड़कर चले जाने के लिए मजबूर हो जाते थे। मुझे याद है साल 2000 इतनी भंयकर गर्मियों में ये हालत हो गई थी। कि राजकोट को सूर्य नगर, जाम नगर पानी पहुंचाने के लिए हिन्‍दुस्‍तान में पहली बार पानी के लिए special water train चलाने की नौबत आई थी।

साथियों, आज जब उन पुराने दिनों को याद करते हैं तो लगता है कि गुजरात आज इतना आगे निकल आया है। आपको गर्व होता है कि नहीं होता है, आपको खुशी होती है। आपने जब मुझे यहां का दायित्‍व दिया तब हमारे सामने दोहरी चुनौती थी सिंचाई के लिए, पीने के लिए, बिजली के लिए डेम के काम को तेज करना था। दूसरी तरफ नर्मदा केनाल के नेटवर्क को और वैकल्पिक सिंचाई व्‍यवस्‍था को भी बढ़ाना था। आप सोचिए साल 2001 तक मुख्‍य नहर का काम सिर्फ 150 किलोमीटर तक ही हो पाया था। सिंचाई व्‍यवस्‍था और नहरों का जाल अधूरा-अधूरा बिखरा हुआ, लटका पड़ा हुआ था। लेकिन आप सभी ने, गुजरात के लोगों ने कभी भी हिम्‍मत नहीं हारी।

आज सिंचाई की योजनाओं का एक व्यापक नेटवर्क गुजरात में खड़ा हो गया है। बीते 17-18 सालों में लगभग दोगुनी जमीन को सिंचाई के दायरे में लाया गया है। भाईयो-बहनों, आप कल्‍पना कर सकते हे टपक सिंचाई, माइक्रो इरिगेशन का दायरा साल 2001 में सिर्फ 14 हज़ार हेक्टेयर था और करीब-करीब 8 हज़ार किसान परिवारों ही इसका लाभ उठा पाते थे। per drop more drop का अभियान चलाया, पानी बचाने का अभियान चलाया, micro irrigation पर बल दिया, टपक सिंचाई पर बल दिया। और एक जमाने में सिर्फ 12-14 हजार हेक्‍टेयर था आज 19 लाख हेक्‍टेयर जमीन मैं गुजरात की बात कर रहा हूं। आज 19 लाख हेक्‍टेयर जमीन micro irrigation के दायरे में है। और करीब 12 लाख किसान परिवारों को इसका लाभ मिल रहा है। ये आप सबके सहयोग के बिना संभव नहीं था। गुजरात के गांवों में बैठे हुए किसानों की संवेदनशीलता के बिना ये संभव नहीं था। नए विज्ञान, टेक्‍नॉलोजी को स्‍वीकार करने के गुजरात के किसानों के स्‍वभाव का परिणाम था कि हम इतना बड़ा सपना सिद्ध कर पाए। per drop more drop ये गुजरात के हर खेत में बात पहुंच गई। अभी कुछ समय पहले IIM अहमदाबाद ने इस बारे में स्‍टडी की थी। मैं आपको और देश को इसके बारे में भी बताना चाहता हूं।

साथियों, इस स्‍टडी से सामने आया कि micro irrigation के कारण टपक सिंचाई और टविंकलर के कारण ही गुजरात में 50 प्रतिशत तक पानी की बचत हुई है। 25 प्रतिशत तक fertilizer का उपयोग कम हुआ। 40 प्रतिशत तक मजदूरी का खर्चा labour cost कम हुई और बिजली की बचत हुई वो तो अलग। इतना ही नहीं एक तरफ बचत हुई तो दूसरी तरफ फसल की पैदावार में भी 30 प्रतिशत तक की बढ़ोत्‍तरी पाई गई। साथ ही प्रति हेक्‍टेयर हर किसान परिवार की आय में लगभग साढे पंद्रह हजार रुपये की बढ़ोत्‍तरी भी हुई्र।

साथियों, मुझे याद में कि जब कच्‍छ में नर्मदा का पानी पहुंचा था। तब मैंने कहा था कि पानी कच्‍छ के लिए पारस साबित होगा आज मुझे खुशी है कि मां नर्मदा का जल सिर्फ कच्‍छ ही नहीं सौराष्‍ट्र ही नहीं गुजरात के एक बड़े हिस्‍से के लिए पारस सिद्ध हो रहा है, नर्मदा का पानी सिर्फ पानी नहीं है वो तो पारस है पारस। जो मिट्टी को स्‍पर्श करते ही मिट्टी को सोना बना देता है। नर्मदा जल की वजह से सिंचाई की सुविधा तो बढ़ी ही है नल से जल का दायरा भी बीते दो दशकों में करीब तीन गुना बढ़ा है। साल 2001 में गुजरात के सिर्फ 26 प्रतिशत घरों में नल से जल आता था। यानी जब से देश में घर में नल से जल पहुचाने का काम शुरू हुआ है तब से 2001 तक यानी करीब-करीब 5 दशक तक सिर्फ 26 प्रतिशत घर कवर हुए थे। आज आप सभी के प्रयासों का असर है, गुजरात की योजनाओं का प्रभाव है कि राज्य के 78 प्रतिशत घरों में नल से पानी आता है। अब इसी प्रेरणा से हमें देश भर में हर घर जल के लक्ष्य को प्राप्त करना है।

भाईयो-बहनों, आज सोनी योजना हो, सुजलाम-सुभलाम योजना हो आज गुजरात के गांव और शहर तेजी से पानी के नेटवर्क से जुड़ रहे हैं। मैं गुजरात सरकार को पहले पूर्व मुख्‍यमंत्री आनंदीबेन की अगुवाई में और अब रूपानी जी के नेतृत्‍व में हर घर को, हर खेत को, जल से जोड़ने के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए मैं उन सभी सरकारों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, सिंचाई की सुविधा मिलने से एक और लाभ गुजरात के किसानों को हुआ है। पहले किसान पारंपरिक फसलें ही उगाते थे। लेकिन सिंचाई की सुविधा मिलने के बाद नकदी फसलों की पैदावार शुरु हुई, हॉर्टिकल्चर की तरफ झुकाव बढ़ा। नकदी काम होने लगा। हाल में एक और अध्‍ययन सामने आया है जिससे पता चला है कि इस परिवर्तन से अनेक किसान परिवारों की आय बढ़ी है।

भाईयो और बहनों, गुजरात सहित देश के हर किसान परिवार की आय को 2022 तक दोगुना करने के लिए अनेक दिशाओं में अनेक प्रयास चल रहे है। नई सरकार बनने के बाद बीते 100 दिनों में इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। पीएम किसान सम्‍मान निधि का लाभ अब गुजरात के हर किसान परिवार को मिल रहा है।

कुछ दिन पहले छोटे किसानों और छोटे दुकानदारों, छोटे व्‍यापारियों के लिए पेंशन योजना की भी शुरुआत हो चुकी है। इसका लाभ भी गुजरात के और देश के किसान परिवारों को होने वाला है।

साथियों, गुजरात के किसानों, व्यापारियों और दूसरे नागरिकों के लिए पानी के माध्यम से ट्रांसपोर्ट की भी एक व्यापक व्यवस्था तैयार की जा रही है। घोघा-दहेज रो-रो फेरी सेवा, इसकी शुरूआत करने का मुझे सौभाग्‍य मिला है। मुझे बताया गया है कि अब तक इस फेरी सुविधा का सवा तीन लाख से ज्यादा यात्री उपयोग कर चुके हैं। इतना ही नहीं करीब-करीब 70 हजार गाडिया भी इसकी मदद से ट्रांसपोर्ट की गई हैं। सोचिए पहले कहां सड़क से साढ़े तीन सौ किलोमीटर का चक्‍कर लगाना पड़ता था। अब समंदर से सिर्फ 31 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। कहां साढ़े तीन सौ किलोमीटर और कहां 31 किलोमीटर की यात्रा इस सुविधा ने लोगों की सुविधा तो बढ़ाई है उनका समय भी बचाया है। पर्यावरण की भी रक्षा की है। आर्थिक रूप से भी मदद हुई है।

साथियों, इसी प्रकार की सेवा मुंबई से हजीरा के बीच उसमें भी विचार किया जा रहा है। गुजरात सरकार ने इस पर संवैधानिक सहमति दे दी है। बहुत ही जल्‍द इस पर काम शुरू हो जाएगा। रो-रो फेरी जैसे प्रोजेक्‍ट से गुजरात के वाटर टूरिज्‍म को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों, टूरिज्म की बात जब आती है तो स्टेच्यु ऑफ यूनिटी की चर्चा स्वभाविक है। इसके कारण केवड़िया और गुजरात पूरे विश्व के टूरिज्म मैप पर प्रमुखता से छा गया है। अभी इसका लोकार्पण हुए सिर्फ 11 महीने ही हुए है एक साल भी नहीं हुआ है लेकिन 11 महीनों में अब तक 23 लाख से अधिक पर्यटक देश और दुनिया के पर्यटक हमारे सरदार पटेल का स्टेच्यु ऑफ यूनिटी देखने आए हैं।

हर दिन औसतन साढ़े 8 हज़ार टूरिस्ट यहां आते हैं। मुझे बताया गया है कि पिछले महीने जन्माष्टमी के दिन तो रिकॉर्ड 34 हज़ार से अधिक पर्यटक यहां इस धरती पर पहुंचे थे। जब इतनी बड़ी उपलब्धि है इसका अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अमेरिका के स्टेच्यु ऑफ लेबेरटी को देखने औसतन 10 हजार लोग प्रतिदिन पहुंचते हैं जबकि स्टेच्यु ऑफ लेबेरटी को 133 साल हो चुके हैं और स्टेच्यु ऑफ यूनिटी को सिर्फ 11 महीनें और प्रतिदिन साढ़े 8 हज़ार लोगों का आना 11 महीने में 23 लाख लोगों का आना ये अपने-आपमें बड़ा अजूबा है।

भाईयो और बहनों, स्टेच्यु ऑफ यूनिटी आज यहां के आदिवासी भाईयो और बहनों और युवा साथियों के रोजगार का माध्‍यम भी बनती जा रही है। आने वाले समय में जब यहां के रास्ते, यहां टूरिज्म से जुड़े दूसरे project complete हो जाएंगे तो रोज़गार के अवसर और अधिक बढ़ जाएंगे। आज यहां मैं पूरा समय जो-जो यहां प्रोजेक्‍ट हो रहे हैं उसको देखने गया था। यहां आने में मुझे देरी इसलिए हुई कि मुझे देखते-देखते और मेरे लिए तो जरा ट्रेफिक भी नहीं था, तेज जा रहा था, तो भी चार घंटे लग गए और अभी भी मैं पूरा देख नहीं पाया हूं। यहां इतना बड़ा व्‍यापक रूप से काम... जब भविष्‍य में टूरिस्‍ट यहां आएंगे, दो-दो, चार-चार दिन रहने के लिए उनका मन कर जाएगा। यहां सब्जी, फल-फूल, दूध उत्पादन करने वाले आदिवासी साथियों को बहुत बड़ा मार्केट यहीं उपलब्ध होने वाला है

हमें बस एक ध्‍यान रखना है इस क्षेत्र को प्लास्टिक से बचाना है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति के लिए पूरा देश प्रयास कर रहा है। मुझे जानकारी है कि आप सभी स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत इस काम में जुटे हुए हैं। लेकिन और हम ये न भूलें हमारा जल, हमारा जंगल और हमारी जमीन प्लास्टिक से मुक्‍त रहे, इसके लिए हमारी कोशिशें और तेज़ होनी चाहिए, हर नागरिक का शपथ होना चाहिए, प्रतिबद्धता होनी चाहिए।

साथियों, विश्‍वकर्मा दिवस जैसा मैंने प्रारंभ में कहा 17 सितंबर ये विश्‍वकर्मा दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन 17 सितंबर के साथ ही आज के दिन का एक और महत्‍व भी है आज 17 सितंबर, आज के दिन का एक दूसरा महत्‍व भी है, 17 सितंबर के दिन..... ये दिन सरदार साहब और भारत की एकता के लिए जो प्रयास किए गए उनके प्रयासों का 17 सितंबर एक स्वर्णिम पृष्ठ लिखा गया है। आज हैदराबाद मुक्ति दिवस भी है। आज के ही दिन 1948 में हैदराबाद का विलय भारत में हुआ था और आज हैदराबाद देश की उन्नति और प्रगति में पूरी मजबूती से योगदान दे रहा है।

कल्पना कीजिए अगर सरदार बल्लभ भाई, उनकी जो दूरदर्शिता अगर वो तब ना होती सरदार साहब के पास ये काम न होता, तो आज भारत का नक्शा कैसा होता और भारत की समस्याएं कितनी अधिक होतीं। भाईयो और बहनों, एक भारत, श्रेष्ठ भारत के सरदार के सपने को आज देश साकार होते हुए देख रहा है। आज़ादी के दौरान, आजादी के बाद के सालों में जो काम अधूरे रह गए थे, उनको पूरा करने का प्रयास आज हिन्‍दुस्‍तान कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को 70 साल तक भेदभाव का सामना करना पड़ा है। इसका दुष्परिणाम, हिंसा और अलगाव के रूप में, अधूरी आशाओं और आकांक्षाओं के रूप में पूरे हिन्‍दुस्‍तान ने भुगता है। सरदार साहेब की प्रेरणा से एक महत्वपूर्ण फैसला देश ने लिया है। दशकों पुरानी समस्या के समाधान के लिए नए रास्ते पर चलने का निर्णय लिया गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर के लद्दाख और कारगिल के लाखों साथियों के सक्रिय सहयोग से हम विकास और विश्‍वास की नई धारा बहाने में सफल होने वाले हैं।

साथियों, भारत की एकता और भारत की श्रेष्‍ठता के लिए आपका ये सेवक पूरी तरह प्रतिबद्ध है बीते सौ दिन में अपनी इस प्रतिबद्धता को हमनें और मजबूत किया है। बीते सौ दिनों में एक के बाद एक कई बड़े फैसले लिए गए हैं। इसमें किसानों के welfare से लेकर infrastructure और अर्थव्‍यवस्‍था को सशक्‍त करने के समाधान भी शामिल हैं।

मैंने चुनाव के दौरान भी आपसे कहा था, आज फिर कह रहा हूं। हमारी नई सरकार, पहले से भी तेज गति से काम करेगी, पहले से भी ज्यादा बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करेगी।

एक बार फिर मैं पूरे गुजरात को सरदार साहेब की भावना के साकार होने पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपने मुझे इस अवसर का हिस्सा बनाया इसके लिए बहुत-बहुत आभार। आप सबने आज मुझ पर जो आर्शीवाद बरसाये हैं। गुजरात के लोगों ने, देश के लोगों ने, दुनिया में बसे हुए सबने मैं आज यहां माता नर्मदा की साक्षी से खड़े रह करके सर झुका करके उनको भी नमन करता हूं, उनका भी धन्‍यवाद करता हूं। फिर से एक बार दोनो हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए.. ... नर्मदे....आवाज कच्‍छ तक पहुंचनी चाहिए, नर्मदे... नर्मदे... नर्मदे... ।

भारत माता की जय,

भारत माता की जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद सबका

Explore More
78-ാം സ്വാതന്ത്ര്യ ദിനത്തില്‍ ചുവപ്പ് കോട്ടയില്‍ നിന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി ശ്രീ നരേന്ദ്ര മോദി നടത്തിയ പ്രസംഗം

ജനപ്രിയ പ്രസംഗങ്ങൾ

78-ാം സ്വാതന്ത്ര്യ ദിനത്തില്‍ ചുവപ്പ് കോട്ടയില്‍ നിന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി ശ്രീ നരേന്ദ്ര മോദി നടത്തിയ പ്രസംഗം
Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait

Media Coverage

Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.