In every state there are a few districts where development parameters are strong. We can learn from them and work on weaker districts: PM
A spirit of competitive and cooperative federalism is very good for country: PM Modi
Public participation in development process yields transformative results: PM Modi
Essential to identify the areas where districts need improvement and then address the shortcomings: Prime Minister

आदरणीय सुमित्रा ताईजी, मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान आनंद कुमार, डिप्‍टी स्‍पीकर श्रीमान थंबीदुरई जी, देशभर से आए हुए सभी विधानसभाओं के आदरणीय स्‍पीकार महोदय, सभी राजनीतिक दलों के सभी वरिष्‍ठ नेतागण, सांसदगण, विधायकगण।

मैं सबसे पहले सुमित्राजी का आभार व्‍यक्‍त करना चाहूंगा इस कार्यक्रम की रचना के लिए। हम लोगों को पता है कि हमारे सामान्‍य जीवन में हम लोगों का मन करता है किसी बड़े तीर्थ क्षेत्र में जाएं, अपने माता-पिता को ले जाएं, और जब बड़े तीर्थक्षेत्र में जाते हैं तो वहां जा करके मन में एक संकल्‍प भी करते है कि भई मैं जीवन में ये करूंगा या परिवार में ये करूंगा; कोई न कोई संकल्‍प लेते हैं। हर कोई अपने-अपने तीर्थ क्षेत्र में करते हैं।

आज आप सब सिर्फ एक कार्यक्रम में नहीं हैं। आप कल्‍पना कीजिए- आप कहां बैठे हैं? ये वो सदन है जहां मैंने जीवन में पहली बार 2014 के मई महीने में प्रवेश किया था, उसके पहले मैंने सेंट्रल हॉल देखा नहीं था। मुख्‍यमंत्री आ सकते हैं यहां, कोई रोक नहीं थी मुख्‍यमंत्रियों के लिए, लेकिन मुझे कभी ऐसा अवसर आया नहीं। और जब देश ने बहुमत दिया और यहां नेता का चुनाव होना था तो उस दिन मैं इस सेंट्रल हॉल में आया था। ये वो सेंट्रल हॉल है, जहां पर सविंधान सभा की विस्‍तार से मीटिंगें हुईं, सालों तक हुईं। आप उस जगह पर बैठे हैं जहां पर कभी वहां उसी जगह पर पंडित नेहरू बैठे होंगे, कभी बाबा साहेब अंबे‍डकर बैठे होंगे, कहीं सरदार वल्‍लभ भाई पटेल बैठे होंगे, राजगोपालाचार्य बैठे होंगे, डॉक्‍टर राजेंद्र बाबू बैठे होंगे, कमा मुंशी बैठे होंगे।

यानी देश में ऐसे महापुरुष- जिनके नाम हमारे भीतर एक नई प्रेरणा देते हैं- वो यहां कभी बैठते थे, संविधान सभा की चर्चा करते थे, उस जगह पर आज आप बैठे हैं। यानी अपने आप में एक पवित्रता का एहसास, अगर इन बातों को हम स्‍मरण करें- तो अपने-आप होता है।

संविधान निर्माताओं ने और खास करके बाबा साहेब अंबेडकर ने हमारे संविधान को एक सामाजिक दस्‍तावेज के रूप में उसका वर्णन किया। और ये बात सही है, दुनिया में हमारे संविधान की विशेषता है, सिर्फ धाराओं के कारण नहीं है, अधिकारों के कारण नहीं है, कार्यों के बंटवारे के कारण नहीं है; लेकिन देश में सदियों से जो बुराइयां घर कर गई थीं, उससे मुक्ति दिलाने की एक जद्दोजहद में से, एक मंथन में से जो अमृत निकला, वो हमारे संविधान के अंदर शब्‍द रूपी उसने स्‍थान पाया है; और वो बात थी सामाजिक न्‍याय की। अब ज्‍यादातर हम सामाजिक न्‍याय की चर्चा करते हैं तो समाज की अवस्‍था तक ही सीमित रहते हैं, आवश्‍यक भी है, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि सामाजिक न्‍याय का एक और दायरा भी है।

कोई मुझे बताए कि एक घर में बिजली है, बगल वाले घर में बिजली नहीं है- क्‍या सामाजिक न्‍याय हम पर ये जिम्‍मेदारी नहीं बनाता है कि उसके घर में भी बिजली होनी चाहिए? एक गांव में बिजली है, लेकिन बगल वाले गांव में बिजली नहीं है- क्‍या सामाजिक न्‍याय का वो संदेश नहीं है कि अगर इस गांव में बिजली है तो उस गांव में भी होनी चाहिए? एक district फला-फूला है, बहुत आगे बढ़ा है लेकिन दूसरा district पीछे रह गया है- क्‍या सामाजिक न्‍याय की बात करने में हमारी बाध्‍यता नहीं है कि वो district भी तो कम से कम बराबरी में तो आएं? और इसलिए सामाजिक न्‍याय का सिद्धांत हम सबको इस दायित्‍व के लिए प्रेरित करता है।

हो सकता है कि देश, जो सबकी अपेक्षा हुई- वहां नहीं पहुंचा होगा, लेकिन हमारे ही राज्‍य में पांच district बहुत अच्‍छे पहुंचे हैं लेकिन तीन district बहुत पीछे रह गए हैं, इसका मतलब पांच तक तो पहुचने की क्षमता है ही है, उन तीन को भी पांच की बराबरी में लाया जा सकता है। अगर राज्‍य के अंदर कुछ पैरामीटर्स में कुछ district बहुत अच्‍छा कर सकते हैं, मतलब उस राज्‍य के अंदर potential है, लेकिन कुछ district पीछे रह गए हैं, क्‍या हम तय कर सकते हैं क्‍या?

हमारे देश में हमारा स्‍वभाव क्‍या है, हम exam देते हैं जब स्‍कूल में पढ़ते हैं तो, अगर geography में हम weak हैं तो हम सोचते हैं यार mathematic में इतना जोर लगा लूंगा ताकि geography में marks कम आएंगे तो compensate  कर लूंगा लेकिन first class में निकल जाऊंगा। हर कोई इसी प्रकार से, हम लोग पले-बढ़े ही ऐसे हैं। राज्‍य को भी जब target आते हैं, या भारत सरकार भी कोई target तय करती है तो क्‍या करते हैं? जो easily result देने वाले लोग हैं, उन्‍हीं को ताकत लगाते हैं, यार कर लो। और उसका परिणाम ये आता है- जो अच्‍छा करते हैं वो तो लगातार अच्‍छे से अच्‍छे होते चले जाते हैं और आंकड़ों के हिसाब से रिजल्‍ट भी अच्‍छा लगता है कि वाह बढ़िया हो गया, इतना पर्सेंट तय कयिा था हो गया, लेकिन जो पिछड़ गए हैं वो और पिछड्ने की दशा में आ जाते हैं। और इसलिए strategically हमें अपना development model को थोड़ा और बारीकी की ओर जाने की आवश्‍यकता पैदा हुई है। हम राज्‍यों के हिसाब से देखें तो अच्‍छा हआ है। एक competitive cooperative federalism  का माहौल बना है। और मैं इस दृश्‍य को भी मानता हूं। ये दृश्‍य अपने-आप में federalism का एक जीता-जागता रूप है- जहां पार्लियामेंट के मेंबर, विधायक के साथ बैठ करके इलाके की, राज्‍य की और देश की चिंता और चर्चा कर रहे हैं। ये अपने-आप में एक federalism को एक नया आयाम मिला है इस अवसर से।

क्‍या न हम- cooperative federalism के कारण राज्‍यों के बीच तो तुलना होने लगी है और कोई राज्‍य पीछे रह गया तो आलोचना भी होती है। उनको भी लगता है नहीं हम भी कुछ करेंगे- ये माहौल तो बना है, लेकिन देश जो अपेक्षाएं करता है, अगर उन अपेक्षाओं को पूरा करना है तो हम उसी पैरामीटर के हिसाब से और उसी इकाई के हिसाब से चलेंगे तो शायद उचित परिणाम नहीं मिलेगा।

एक अनुभव आया स्‍वच्‍छता अभियान का। स्‍वच्‍छता का जब ranking शुरू हुआ- नगर-नगर के बीच हुआ; महानगर-महानगर के बीच होने लगा, तो एक स्‍पर्धा पैदा हुई और एक अगर नगर पीछे रह गया तो गांव के लोग ही आवाज उठाने लगे, कि भई क्‍या कारण है, वो नगर तो आगे बढ़ गया, हम क्‍यों गंदे रह गए? उसमें से एक आंदोलन खड़ा हुआ, एक competition पैदा हुआ है।

जब इस विषय को देखा तो भई आखिरकार देश में जो कुछ तो बहुत अच्‍छी प्रगति कर रहे हैं, फिर भी देश आगे क्‍यों नहीं बढ़ रहा है? स्थितियां बदली क्‍यों? तो उसमें से एक विचार आया कि क्‍यों न हम देश में उन डिस्ट्रिकों को छांटे, कुछ पैरामीटर तय करें और जो officially publication जिसका हो चुका है, उन्‍हीं आंकड़ों को आधार लें। कुछ आंकड़े 2011 के मानदंड पर हैं, उसके बाद के सर्वे नहीं हैं, लेकिन जो भी उपलब्‍ध हैं। forty eight अल्‍प–अल्‍प पैरामीटर निकाले और उसमें से देखा कि भई इन 48 पैरामीटर्स में पीछे हैं, वैसे डिस्ट्रिक्‍ट कौन से हैं? और अनुभव आया कि जो पांच-दस पैरामीटर में पीछे हैं, ज्‍यादातर वो सब पैरामीटर में पीछे हैं।

होता क्‍या है- राज्‍य में भी 10 district मेहनत करके आगे बढ़ रहे हैं लेकिन पांच district पीछे हैं तो वो उसको pool करते हैं- आगे गए हुए को भी पीछे खींचने का काम करते हैं। सब district , push करें, ये व्‍यावहारात्‍मक दृष्टि से बहुत आवश्‍यक है और उसी में से विचार आया कि निश्चित पैरामीटर के साथ identify करें कि कौन district जहां काम करने के लिए विशेष ध्‍यान देने zative ertilzm दस्‍तावेजन की आवश्‍यकता है। करीब साल भर से इसके लिए होमवर्क चला है। अलग-अलग स्‍तर पर चर्चाएं हुईं, मीटिंगें हुईं, identification हो गया। बाद में उन 115 district, जो डीएम हैं, कलेक्‍टर है, district magistrate कहते हैं कहीं पर, उनको यहां बुलाया गया। उनका दो दिन का workshop किया गया कि भई समस्‍या कहां है?

अब राजनीति- जैसा स्‍वभाव है हम लोगों, उसमें आप और मैं कोई अलग नहीं हैं, सब एक ही हैं। हम लोगों का स्‍वभाव क्‍या बना हुआ है, अच्‍छा ठीक है- बजट बताओ, पैसे कहां हैं? लेकिन कभी अगर ध्‍यान से देखेंगे तो उपलब्‍ध संसाधनों से ही अगर एक district आगे गया है, उसी संसाधन मौजूद होने के बावजूद दूसरा पीछे रह गया है; मतलब संसाधन issue नहीं है, शायद governance is a issue, leadership is a issue, coordination is a issue, effective implementation is a issue, और इसलिए हम इन चीजों को कैसे बदलें? और उसमें से सभी कलेक्‍टर मे साथ मैं भी बैठा, बातचीत की, भारत सरकार के सभी वरिष्‍ठ अधिकारी, उनके साथ बैठे।

एक चीज मेरे ध्‍यान में आई, मैं किसी की आलोचना करने के लिए नहीं कह रहा हूं, लेकिन एक सदन में ऐसे लोग आज बैठे हैं कि जिनके सामने अगर मैं खुल करके कुछ बात करूं तो बुरा नहीं होगा। मै हैरान था, आमतौर पर district collector जो होते हैं उनकी average उम्र 27, 28, 30 के करीब-करीब होती है। यंग आईएस अफसर होते हैं, उनको तीन-चार साल में वहां जाने का अवसर मिल जाता है, लेकिन ये 115 district मैंने देखे, उसमें 80 पर्सेंट से ज्‍यादा district कलेक्‍टरों को मैं मिला, वे 40 प्‍लस थे, कोई 45 तक वाले थे।

अब मुझे बताइए 40-45 की उम्र का अफसर उस district में है, वो बच्‍चे बड़े हुए, उसकी एडमिशन की चिंता कर रहा है, बड़े शहर में काम मिल जाए, उसके दिमाग में रहता है; बच्‍चों की पढ़ाई का कुछ हो जाए- उसके दिमाग में वो ही रहता है। दसूरा- ज्‍यादातर ये स्‍टेट कैडर के जो promote officer होते हैं, उन्‍हीं को वहां जाने का, मतलब सोच में ही बैठ गया है कि ये तो बैकवर्ड हैं, district बैकवर्ड है, इसी को भेज दो यार गाड़ी चल जाएगी- वहीं से शुरूआत होती है। अगर हम सब मिल करके तय करें कि नहीं 115 district में आने वाले पांच साल तक फ्रेश अफसरों को लगाएंगे जिसमें ऊर्जा है, करने का जज्‍बा है, आप देखिए चीजें बदलना शुरू हो जाएंगी।

मैं मुख्‍यमंत्रियों से बात कर रहा हूं कि आप, और उसको विश्‍वास दीजिए कि भई कि तुम्‍हें चैलेंज दे रहे हैं। वहां भेजा- मतलब अफसर लोग ही अंदर-अंदर चर्चा करने लगते हैं- मर गया तू। क्‍या करें- कोई political link नहीं है यार? क्‍या हुआ तुझे क्‍यों यहां डाल दिया? यही psyche शुरू होती है।

कभी-कभी लगता है हमको संसाधन। अब कोई मुझे बताए कि भई एक district में vaccination  का बहुत अच्‍छा काम हो रहा है लेकिन बगल वाले में नहीं हो रहा है। क्‍या कमी है? मैं नहीं मानता हूं कोई कमी है। लेकिन जो motivation चाहिए, जो एक perfect planning चाहिए, people’s participation चाहिए, उसका अभाव है कि vaccination  नहीं है, vaccination  नहीं है तो बीमारियों के लिए दरवाजा खुल गया है, दरवाजा खुल गया है तो बीमारियां आती रहती हैं; वो एक के बाद एक बढ़ता चला जा रहा है।

School dropout- स्‍कूल है? है। टीचर है? है। बिल्डिंग है? है। सब कुछ है। बजट है? है। लेकिन यहां पर dropout कम है, वहां पर, बगल में ही दो दृष्टि। कहने का तात्‍पर्य है कि मामला संसाधन पर अटका हुआ नहीं है।

दूसरा आपने देखा होगा जहां पर अफसरों ने और लोकल लीडरशिप ने एक mission mode  में लीडरशिप दी है, लोगों को जोड़ा है; आप देखिए- देखते ही देखते बहुत बड़ा परिणाम मिलता है।

जनभागीदारी और सभी एक दिशा में- क्‍या हमारे पंचायत के प्रधान हों, पंचायत के सदस्‍य हों, नगरपालिका के सदस्‍य हों, नगरपालिका के प्रधान हों, डिस्ट्रिक्‍ट पंचायत हो, तहसील पंचायत हो, इन सारे जो भी अपने समाज जीवन में जिनके पास प्रतिनिधित्‍व का अवसर मिला है, एक विधायक के रूप में, एक सांसद के रूप में मेरे क्षेत्र में अगर इस प्रकार का aspirational district आया है, हम तय करेंगे कि हम सब एक दिशा में चार काम तो पूरा करके रहेंगे, ये दस काम तो पूरा करके रहेंगे, हम ताकत लगाएंगे, हम लोगों को जोड़ेंगे। आप देखिए, बदलाव शुरू होगा।

कभी-कभी बारीकी में जाने से कैसा बदलाव आता है- कोई एक व्‍यक्ति अच्‍छा-खासा तंदुरुस्‍त, दौड़ता-कूदता, काम करने वाला व्‍यक्ति; खाना ठीक से खा रहा है, फैमिली लाईफ ठीक है, व्‍यवस्‍थाएं अच्‍छी हैं कोई दुविधा नहीं है- लेकिन धीरे-धीरे-धीरे weight कम हो रहा है। तो उसको लगता है नहीं, नहीं- शुरू में तो वो कह देता है नहीं मैं थोड़ा डायटिंग करता हूं। पहले से जरा फिट लग रहा हूं। फिर भी weight कम होता है, तो उसको लगता है यार क्‍या हुआ? तभी weakness शुरू होने लगती है, फिर भी जिंदगी अपनी वैसे ही जी रहा है, मस्‍त जी रहा है। लेकिन कोई अच्‍छा अनुभवी डॉक्‍टर कहता है अरे भाई एक बार चैक करवाओ। और जब चैक करवाता है, पता चलता है यार डाय‍बिटीज है, और उसी के कारण इतना बढ़िया सा तंदुरुस्‍त शरीर, एक बार अगर डायबिटीज enter कर गया, और जैसे ही उसने डायबिटीज को address किया, उसने जो भी दवाएं लेनी शुरू कीं, डायबिटीज तो था-गया नहीं- कंट्रोल हुआ बाकी सारे पैरामीटर्स ठीक होने लगे।

मैं समझता हूं हमारे districts का भी यही हाल है। हम एक बार देखें कि वो कौन सी चीज है जो इस districts को weak करती चली जा रही है, हम उसको address करें और उसमें से परिवर्तन लाने का प्रयास करें; आप देखिए कोई district पीछे नहीं रहेगा।

कल्‍पना कीजिए 115 district, उसमें 30-35 left wing extremism के हैं, जिसको होम मिनिस्‍ट्री को मैंने specially कहा है कि उसमें कोई विशेष ध्‍यान दे करे हम उस समस्‍याओं का समाधान कैसे कर सकते हैं, लेकिन बाकी करीब-करीब 80-90 districts ऐसे हैं कि जिसको हम बड़ी आसानी से address कर सकते हैं। अब district का प्‍लानिंग भी कैसा होना चाहिए? एक district में भी आपने देखा होगा, एक तहसील होगा, हो सकता है vaccination में बहुत अच्‍छा जाता होगा, एक तहसील ऐसा होगा कि जो शायद dropout के अंदर बहत पोजिटिव सिगनल देता होगा, dropout बहुत कम होते होंगे। कहीं न कहीं उसमें भी strength होगी। उसमें जो weak point वाले इलाके हैं, धीरे-धीरे से गांव की ओर नजर करें, भई इस गांव में तीन चीजें तो बहुत अच्‍छी हैं लेकिन दो चीजें कम हैं, उस दो को address करें।

एक बार, और ये ज्‍यादा मेहनत नहीं लगेगी। 115 district की कमियों को, और आपको जब नीति आयोग के लोग presentation देंगे, मैंने अभी दो दिन पहले सभी मंत्रियों के साथ बैठ करके presentation देखा। सरकार के presentation में पिछले 20 साल से देखता आया हूं, लेकिन इतना सटीक, इतना स्‍पष्‍ट और एक layman को भी समझ आए कि भई हां इसका रास्‍ता ये है, इतना बढ़िया presentation मैंने अमिताभ कान्त ने दिया अभी, नीति आयोग का presentation था, I was so impressed वो आपको भी देने वाले हैं, आपको भी दिखाने वाले हैं।

उसमें एक विषय है कि भई आपका ये डिस्ट्रिक, इस विषय में आपके राज्‍य की जो एवरेज स्थिति है, उससे इतना पीछे है, आपके राज्‍य का जो best performing district है, उससे इतना है। नेशनल एवरेज से इतना पीछे है और nation  का best performing district से इतना पीछे। इन चार पैरामीटर्स से उसको बार-बार देखा जाता है। आपको भी लगेगा कि अगर मेरे देश के 200 district आगे बढ सकते हैं तो मेरा district भी आगे बढ़ सकता है। मेरे देश के हजार तहसील आगे बढ़ सकते हैं तो मेरा तहसील भी आगे बढ़ सकता है। और ये बात हम मानकर चलें, हम यहां सभी राजनीतिक दल के लोग बैठे हैं। कोई एक जमाना था जब देश में hard core politics, दिन-रात पॉलिटिक्‍स, आंदोलन की राजनीति, बयान की राजनीति, संघर्ष की राजनीति; ये बहुत काम आती थीं। आज वक्‍त बदला है, आप सत्‍ता में हैं या विपक्ष में, जनता के काम आते हैं कि नहीं आते हैं, इस बात को जनता देखती है।

आप कितनी लड़ाई लड़ी, कितने मोर्चे निकाले, कितनी बार जेल गए, वो आज से 20 साल पहले matter करता था आपके political carrier में, आज स्थिति बदल चुकी है। आज तो वो चाहता है, और आपने देखा होगा, जो बार-बार चुन करके आते हुए प्रतिनिधि हैं, उनका अगर आप analysis करोगे, तो इसलिए नहीं चुन कर आते कि उन्‍होंने कितनी बार संघर्ष किया, लेकिन आप बिल्‍कुल देखना-उनके जीवन में एक-दो चीज ऐसी होती हैं जो बिल्‍कुल राजनीति से परे, सत्‍ता संघर्ष से परे, जनता के सुख-दुख से जुड़ी हुईं और वो उसमें identify होता है, ऐसा वो तो पहुंच गया होता है। वो हर बार उसके विषय में कुछ न कुछ करता है, चाहे अस्‍पताल जाता होगा, मिलता होगा; उस छवि से उसकी बाकी राजनीति चल जाती है।

हमें भी कोशिश करनी होगी कि hard core politics, आप छोड़ दें- ऐसा मैं नहीं कहता हूं, लेकिन समाज की रचना ही छुड़वा रहीं है। समाज में जो जागृति आई है, वो ही छुड़वा रही है। वे चाहते हैं‍ कि मेरे सुख-दुख के समय कौन मेरे साथ है? मेरे जीवन में बदलाव लाने के लिए कौन मेरे साथ है? इसका बहुत बड़ा प्रभाव होता है। हम अपने क्षेत्र में तय करें कि भई मैं girl child education में 100 percent काम करूंगा। मैं अपना initiative एक चीज बदलाव करेंगे, अपने आप सिस्‍टम बदलना शुरू कर देगा।

कोई कहेगा कि भई इंद्रधनुष योजना है, वैक्‍सीनेशन की डेट है, उस दिन तो मैं फील्‍ड में रहूंगा ही रहूंगा, मेरे volunteers को रखूंगा, हमारे समाज जीवन में जो लोग हैं उनको भी इकट्ठा करूंगा। इंद्रधनुष स्‍कीम के तहत मैं वैक्‍सीनेशन का काम पूरा करूंगा। अब पहले हमारे यहां वैक्‍सीनेशन 30 पर्सेंट, 40 पर्सेंट, 50 पर्सेंट; सरकार खर्चा नहीं करती थी, ऐसा नहीं था- सरकार खर्चा करती थी। बजट खर्च करते थे। गुलाम नबी जी जब हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री देखते थे तब भी होता था। लेकिन जन-भगीदारी के अभाव में वो चीजें अटक जाती थीं।

इंद्रधनुष योजना के तहत एक विशेष प्रयास आरंभ किया, अब वैक्‍सीनेशन करीब 70-75 तक इसे पहुंचाया। लेकिन क्‍या हम 90 पर्सेंट तक पहुंचा सकते हैं? एक बार 90 पर्सेंट पहुंचाएंगे तो 100 पर्सेंट में मुसीबत नहीं आएगी। और अगर वैक्‍सीनेशन हो गया pregnant women का और बच्‍चों का, पोलियो मुक्ति अपने-आप हो जाएगी और गंभीर प्रकार की बीमारियों से बचने का काम अपने-आप हो जाएगा।

व्‍यवस्‍थाएं है, योजना है और कोई आवश्‍यकता नहीं है कि नए बजट की जरूरत है। जो बजट है, जो resources हैं, जो man power है, वहीं अगर mission mode में काम करें तो परिणाम उत्‍तम मिल सकता है, इसी एक भूमिका के साथ aspiration और उसको मैंने backward शब्‍द प्रयोग करने से मना किया है, वरना psyche वहीं से शुरू होती है।

आपको मालूम होगा पहले हमारे यहां रेलवे में तीन क्‍लास हुआ करते थे। First class, second class and third class. फिर बाद में सरकार ने आज से 20-25 साल पहले थर्ड क्‍लास कैंसिल कर दिया। डिब्‍बे में कोई फर्क नहीं किया लेकिन सार्इक्‍लोजीकली बहुत बड़ा चेंज आया कि जो आदमी उसमें बैठता था उसके प्रति नफरत, अच्‍छा ये थर्ड क्‍लास में जा रहा है? अब वो बदलाव आ गया। डिब्‍बा वो ही है, बैठने की जगह वो ही है, और इसलिए अगर हम backward शब्‍द करेंगे तो फिर, यार छोड़ो यार, मैं तो उस backward district का‍ विधायक हूं। अच्‍छा-अच्‍छा तुम भी backward हो? वहीं से शुरू हो जाता है। हमें देश में backward की स्‍पर्धा नहीं करनी है, हमें देश में स्‍पर्धा forward की करनी है। और हम, हमारे इन इलाकों को, इन क्षेत्रों का विकास सामाजिक न्‍याय का काम है, अगर उस district का डेवलेपमेंट हआ, मतलब अपने आप सामाजिक न्‍याय का हक बन ही जाएगा।

अगर सब बच्‍चों को शिक्षा मिलती है हमारे क्षेत्र में, इसका मतलब सामाजिक न्‍याय का एक कदम हआ। अगर सब घरों में बिजली है, मतलब सामाजिक न्‍याय का एक कदम हुआ। सामाजिक न्‍याय की जो विभावना इसी सदन के इसी सभागृह में हमारे महापुरुषों ने हमारे सामने रखी थी, उसको एक नए स्‍वरूप में, और जिसमें संघर्ष की संभावना बहुत कम है- तुझे मिला, मुझे नहीं मिला, भाव का कम है, सबके लिए करना- इस भाव को लेकर चलते हैं तो कितना बड़ा परिणाम हम प्राप्‍त करें सकते हैं।

और मुझे विश्‍वास है सभी राजनीतिक दल के नेता यहां मौजूद हैं। उन्‍हीं क्षेत्र के विधायक और सांसद यहां मौजूद हैं। एक बार आप ठान लें। अभी मैं मेरा दौरा करता हूं, तो मै aspirational district के जो अफसर मुझे मिले थे पहले, जिनका दो महीने पहले अभ्‍यासवर किया था, उनको मैं वहां बुलाता हूं, पूछता हूं। अभी मैं परसों झुंझनू था, तो मैंने राजस्‍थान के पांच aspirational district को भी बुला लिया था और हरियाणा के एक थे, उनको भी बुला लिया था। मैंने पूछा, बताओ भाई- आधा घंटा बैठा था उनके साथ, बताओ भाई क्‍या हुआ? मैं देख रहा हूं कि अगर हम लोग भी उनका एक helping hand के रूप में काम करेंगे, हम हिसाब-किताब मांगें तो वो थक जाएंगे।  क्‍यों नहीं हुआ? मेरे इलाके में क्‍यों नहीं हुआ? फलानां, वो ठीक है, वो राजनीति का अपना स्‍वभाव है- लेकिन, अरे भई तम चिन्‍ता न करो, मैं रहूंगा। अच्‍छा लोग मदद नहीं करते, मैं आता हूं तुम्‍हारे साथ, चलो, उसका हौसला बुलंद हो जाएगा। हम उस सरकार में बैठे हुए लोगों को उनका हौंसला बुलंद करें।

जन-भागीदारी को बढ़ाएं। क्‍यों न हम उस इलाके के जितने एनजीओ हैं, उनको इकट्ठा करें? जितनी युवा की activity हैं, उनको इकट्ठा करें, कि देखो भाई ये स्थिति बदलनी है हमें। हमारे पास resources हैं, परिणाम नहीं आ रहा है। हमें बीच की खाई भरनी है और हम करेंगे। शासन व्‍यवस्‍था अपने-आप दौड़ने लग जाएगी क्‍योंकि उनको भी जब परिणाम मिलने लगता है तो उनका हौंसला बुलंद हो जाता है। तभी तो आप हैरान होंगे 115 districts में कुछ district ऐसे हैं कि जिसका नाम सुनते ही हम भड़क जाएंगे, अच्‍छा ये भी बैकवर्ड है? यहां तो इतना बड़ा industrial development हुआ और ये नाम बैकवर्ड है? कारण क्‍या- वो industrial development या किसी एक चीज के कारण इसका तामझाम इतना बड़ गया कि नीचे जैसे वो डायबिटिक पेशेंट का होता है ना, बाकी चीजों का कोई ध्‍यान ही नहीं रहा, एक ही बड़ी चीज का जय-जयकार होता गया। ऐसे भी district ध्‍यान में आए, कि अपने-आप में बहुत नाम कमाया हुआ district, लेकिन बारीकी में देखें तो पैरामीटर में लड़खड़ा गया था। और वो एक ऐसी चीज उसके पास थी कि वो कोई भी जाकर अभिभूत हो जाता है, वाह- इतना बढ़िया है? लेकिन नीचे गड़बड़ होती थी।

तो ऐसी भी कुछ चीजें ध्‍यान में आई हैं। कुछ लोगों के मन में ये रह सकता है कि भई मेरा district नहीं आया, मेरा ऐसा है। मैं समझता हूं अभी तो एक 2011 के जो figures थे, उसके आधार पर कुछ लिया है, कुछ figures बाद में मिले। राज्‍यों को भी बताया गया‍ कि भई ये district आपके select किए हैं, आपको अगर लगता है कि बदलना चाहिए तो, एक पांच-छह राज्‍य ऐसे हैं जिन्होंने district change करवाया था।

बाकी एक इसको कोई राजनीतिक रंग न दिए बिना- उसका हुआ, मेरा नहीं हुआ- उस भाव को छोड़ करके, हम सब मिल करके, एक साल- मैं ज्‍यादा नहीं कर रहा हूं दोस्‍तो- एक साल, अगर एक साल हम सब लग जाएं और ये अगर पैरामीटर बदल जाए तो आपके राज्‍य के पैरामीटर्स बदल जाएंगे, देश का चित्र बदल जाएगा। Your human development index, दुनिया में हम 130-131 नंबर पर खड़े हैं।

आज विश्‍व में भारत की अगर जिस प्रकार की आशा-अपेक्षाएं बनी हैं, हम human development index की दृष्टि से उसको अगर हम अपना improvement करते हैं, और ये 115 district  में improvement होगा तो देश का improvement अपने-आप होने वाला है, extra कुछ करना नहीं पड़ेगा।

और इसको अगर करके चलेंगे, योजनाओं का फायदा भी है। देखिए, कभी-कभी क्‍या लगता है- जैसे मनरेगा है- गरीब, जहां रोजगार नहीं है, उनको रोजगार मिले- ये उसका मूलभूत लक्ष्‍य है। अनुभव ये आया है कि जहां सबसे ज्‍यादा गरीबी है, वहां कम से कम मनरेगा होता है, और जहां समृद्धि है, वहां ज्‍यादा मनरेगा होता है। ज्‍यादा लोगों काम-क्‍यों? कारण यही है कि जो अच्‍छे स्‍टेट हैं वहां गुड गवर्नेंस  है जो उसका natural benefit मनरेगा में भी जाना जाता है और जहां पर गरीबी भी है, मजदूरी की जरूरत भी है, मनरेगा का पैसा भी है, लेकिन गवर्नेंस में weakness  है, तो पैसा उन गरीबों तक पहुंचता नहीं है।

हकीकत में जो देश के अच्‍छे, आर्थिक समृद्धि वाले राज्‍य हैं, वहां तो मनरेगा का minimum पैसा जाना चाहिए और जहां गरीबी है, उन राज्‍यों में सबसे ज्‍यादा जाना चाहिए, लेकिन संसाधन समस्‍या नहीं है। Good governance is a problem, coordination is a problem, focus activities is a problem. इन चीजों को अगर बल देते हैं तो हम बहुत बड़ा परिणाम ला सकते हैं।

मैं फिर एक बार सुमित्रा जी का हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि एक अच्‍छे समागम के माध्‍यम से, दो दिन के मंथन से, इन 115 districts के भाग्‍य को बदलने का काम- संविधान सभा जहां बैठी थी, जहां हमारे महापुरुषों ने बैठ करके चिंतन किया था, राष्‍ट्र के लिए जो सपना देखा था; उसी सदन में बैठ करके आज हम अपने एक नए आयाम की ओर कदम रख रहे हैं। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। मैं फिर एक बार यहां आने के लिए आप सबका हृदय से धन्‍यवाद करता हूं।

Thank you.

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।