भारत माता की - जय
भारत माता की – जय
मैं कहूंगा बाबा साहेब आम्बेडकर – आप सब बोलेंगे दो बार- अमर रहे, अमर रहे।
बाबा साहेब आम्बेडकर – अमर रहे, अमर रहे।
बाबा साहेब आम्बेडकर – अमर रहे, अमर रहे।
बाबा साहेब आम्बेडकर – अमर रहे, अमर रहे।
बस्तर आऊर बीजापुर जो आराध्य देवी मां दंतेश्वरी, भैरम गढ़ चो बाबा भैरम देव, बीजापुर चो चिकटराज आउर कोदाई माता, भोपाल पट्टम छो भद्रकाली के खूबे खूब जुहार।
सियान, सजन, दादा, दीदी मन के जुहार। लेका-लेकी पढ़तो लिखतो, नोनी बाबू मन के खुबे-खुबे माया।
मंच पर उपस्थित मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान जे.पी.नड्डा जी, छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉक्टर रमण सिंह जी, राष्ट्रीय एसटी कमीशन के चेयरमैन श्री नंद कुमार साई जी, छत्तीसगढ़ सरकार के अन्य मंत्रीगण और भारी संख्या में यहां पधारे बीजापुर बस्तर के मेरे प्यारे भाइयो और बहनों।
मैं यहां की आदि देवी और देवताओं को सादर नमन करता हूं जिन्होंने बीजापुर ही नहीं बल्कि पूरे बस्तरवासियों को प्रकृति के साथ रहना सिखाया है। मैं आज बीजापुर की धरती से अमर शहीद गैन्सी को भी याद करना चाहता हूं जो बस्तर की धरती आज से लगभग दो सौ साल पहले अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे। ऐसा ही एक नेतृत्व करीब-करीब सौ वर्ष पूर्व महानायक वीर गुन्दाधुर के रूप में भी यहां अवतरित हुआ। गैन्सी हो या गुन्दाधुर, ऐसे अनेक लोकनायक की शौर्य गाथाएं आपके लोकगीतों में पीढ़ी दर पीढ़ी विस्तार पाती रही हैं।
मैं इस महान धरती के वीर सपूतों और वीर बेटियों को भी नमन करता हूं। इस धरती पर आज भी शौर्य और पराक्रम की नई गाथाएं लिखी जा रही हैं।
साथियों, स्थानीय चुनौतियों से मुकाबला करते हुए यहां के विकास के लिए प्रयत्नशील यहां के लोगों की सुरक्षा में अपना दिन-रात खपा देने वाले सुरक्षाबलों के अनेक जवानों ने अपनी जान तक की परवाह नहीं की है। ये जवान सड़क बनाने में, मोबाइल के टॉवर लगाने में, गांवों में अस्पताल बनाने में, स्कूल बनाने में, छत्तीसगढ़ के infrastructure को मजबूत करने में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के विकास में जुटे ऐसे अनेक सुरक्षाकर्मियों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। नक्सली माओवादी हमलों में शहीद उन वीर जवानों के लिए स्मारक का निर्माण किया गया है। मैं उन्हें नमन करता हूं, आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं।
साथियों, 14 अप्रेल का आज का दिन देश के सवा सौ करोड़ लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आज भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर की जन्म-जयंती है। आज के दिन आप सभी के बीच आकर आशीर्वाद लेने का अवसर मिलना, मेरे लिए ये बहुत बड़ा सौभाग्य है। बाबा साहेब आम्बेडकर की जन्म-जयंती पर आप दोनों हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए-
जय भीम – जय भीम
जय भीम – जय भीम
जय भीम – जय भीम
आप बस्तर और बीजापुर के आसमान में बाबा साहेब के नाम की गूंज हमें, आप सभी को धन्य कर रही है। बाबा साहेब के नाम की गूंज में जो आशा जुड़ी है, जो आकांक्षा जुड़ी है, उसे भी मैं प्रणाम करता हूं।
साथियों, हमारी सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी अर्बन मिशन की शुरूआत छत्तीसगढ़ की धरती से की थी। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का शुभारंभ भी इसी छत्तीसगढ़ की धरती से किया था। ये योजनाएं राष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रगति को गति देने का काम कर रही हैं।
आज जब मैं फिर एक बार छत्तीसगढ़ आया हूं तो ‘आयुष्मान भारत योजना’ के पहले चरण और ‘ग्राम स्वराज अभियान’ की शुरूआत करने के लिए आया हूं। केंद्र सरकार ने बीते चार साल में जो भी योजनाएं गरीब, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, पिछड़े, महिलाओं और आदिवासियों को ताकत देने के लिए बनाई हैं, उन योजनाओं का लाभ इन तबकों तक पहुंचे, इस अभियान से ये सुनिश्चित किया जा रहा है, ग्राम स्वराज अभियान पूरे देश में आज से 5 मई तक चलाया जाएगा।
मुझे विश्वास है कि बाबा साहेब की जयंती पर आज यहां केंद्र सरकार और राज्य सरकार की जिन योजनाओं की शुरूआत हई है वो भी विकास की जीवन धोरण बदलने की एक नए कीर्तिमान बनाने में कामयाब होगी।
भाइयो और बहनों, बाबा साहेब बहुत ही पढ़े-लिखे थे, उच्च शिक्षित थे। अगर वो चाहते तो दुनिया के समृद्ध-समृद्ध देशों में बहुत शानदार ऐशो-आराम की जिंदगी, सुख-चैन की जिंदगी बिता सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। विदेश की धरती पर पढ़ाई करके वो वापिस आए और उन्होंने अपना जीवन पिछड़े समाज के लिए, वंचित समुदाय के लिए, दलितों और आदिवासियों के लिए समर्पित कर दिया। वो दलितों को उनका अधिकार दिलाना चाहते थे। जो सदियों से वंचित थे उन्हें एक सम्माननीय नागरिक की तरह जीने का अवसर दिलाने की उन्होंने जिद ठान ली थी। विकास की दौड़ में जो पीछे छूट गए और जिनको पीछे छोड़ दिया गया, ऐसे समुदायों में आज चेतना जगी है, विकास की भूख जगी है, अधिकार की आकांक्षा पैदा हुई है। ये चेतना बाबा साहेब आम्बेडकर की ही देन है।
प्यारे भाइयो और बहनों, एक गरीब मां का बेटा, अति पिछड़े समाज से आने वाला ये आपका साथी अगर आज देश का प्रधानमंत्री भी है तो ये भी बाबा साहेब की ही देन है। साथियों मेरे जैसे लाखों-करोड़ों लोगों की आकांक्षाओं को, उनकी उम्मीदों को, उनके aspirations को, अभिलाषा को जगाने में बाबा साहेब का बहुत बड़ा योगदान था।
भाइयो और बहनों, आज यहां मेरे सामने बहुत से किसान हैं, खेत में काम करने वाले लोग हैं, नौकरी करने वाले लोग हैं, अलग-अलग दफ्तरों में जाने वाले लोग हैं। कुछ लोग स्वरोजगार करने वाले होंगे, हो सकता है कुछ विद्यार्थी भी हों। आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए- जोरों से नहीं देंगे तो चलेगा, मन में जरूर सोचिए- अगर किसी के जीवन में कुछ बेहतर होने की उम्मीद होती है, कुछ बनने का, कुछ पाने का मकसद होता है तो वो दोगुनी डबल मेहनत करता है कि नहीं करता है? करता है कि नहीं करता है? और जिसको कुछ करना ही नहीं, वो क्या करता है, सोया पड़ा रहता है कि नहीं पड़ा रहता है? जिसके मन में कोई सपना होता है वो ही जागता है कि नहीं जागता है? वो ही मेहनत करता है कि नहीं करता है? आप खुद से सवाल पूछिए।
भाइयो, बहनों, किसान को भरोसा हो कि इस बार अच्छी बारिश होगी और बारिश की शुरूआत अच्छी हो जाए, तो आप मुझे बताइए किसान और जोर से ताकत से मेहनत करता है कि नहीं करता है? बारिश आ रही, बादल घिर गए, वो मेहनत करना शुरू कर देता है कि नहीं कर देता है? क्योंकि उन बादलों के साथ उसके सपने भी जुड़ जाते हैं।
भाइयो और बहनों, आज बाबा साहेब की प्रेरणा से मैं बीजापुर के लोगों में, यहां के प्रशासन में यही एक नया भरोसा जगाने आया हूं, एक नया विश्वास पैदा करने आया हूं, एक नई अभिलाषा जगाने आया हूं। मैं ये कहने आया हूं कि केंद्र की सरकार आपकी आशाओं, आकांक्षाओं, आपकी अभिलाषाएं, aspirations के साथ खड़ी है।
अब मैंने बीजपुर जिले को ही क्यों चुना, इसकी भी एक वजह है। मुझे ठीक से तो याद नहीं लेकिन आपको एक पुराना किस्सा सुनाता हूं। वैसे तो मैं पढ़ने-लिखने में बहुत तेज नहीं था। जब स्कूल में पढ़ता था तो ऐसे ही बड़ा मामूली सा विद्यार्थी था। लेकिन कुछ बच्चे मुझसे भी कमजोर थे। जब स्कूल पूरा हो जाता था, समय पूरा हो जाता था तो कई बार हमारे जो मास्टरजी थे, वो उन बच्चों को रोक लिया करते थे। उन्हें बहुत धैर्य के साथ फिर से पढ़ाते थे, एक-एक बच्चे पर ध्यान देते थे। उन्हें भरोसा दिलाते थे कि तुम पढ़ाई में कमजोर नहीं हो। मैंने देखा था कि ऐसे बच्चे, अगर मास्टरजी उसके कंधे पर हाथ रख रहे हैं, थोड़ा पुरस्कृत कर दें, थोड़ी हिम्मत दे दें; कुछ ही दिनों में बाकी विद्यार्थियों की बराबरी में आ जाते थे और कुछ तो उन्हें पीछे भी छोड़ करके आगे निकल करके नंबर ले आते थे।
मैं समझता हूं कि यहां पर बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने अपने जीवन में ऐसा होते देखा होगा। अलग-अलग क्षेत्रों में आपने देखा होगा कि जो कमजोर है, जो पीछे है; अगर उसे थोड़ा सा भी प्रोत्साहन दिया जाए तो वो दूसरों से आगे निकलने की ताकत ज्यादा रखता है और बड़ी जोर से निकल भी जाता है। आज मेरे बीजापुर आने की यही वजह है कि उस पर भी कमजोर होने का, पिछड़ा जिला होने का लेबल जो लगा दिया गया है और देश में बीजापुर ऐसा अकेला जिला नहीं है। सौ से ज्यादा जिलों में यही स्थिति है। स्वतंत्रता के बाद इतने वर्षों में भी ये जिले पिछड़े बने रहे। इसमें इनकी कोई गलती नहीं है। बाबा साहेब के संविधान ने इतने अवसर दिए, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया लेकिन फिर भी सौ से अधिक जिले विकास की दौड़ में पीछे क्यों छूट गए?
भाइयो और बहनों, क्या इन जिलों में रहने वाली माताओं को ये अधिकार नहीं था कि उनके बच्चे भी स्वस्थ हों? उनमें भी खून की कमी न हो? उनकी भी ऊंचाई ठीक से बढ़े? क्या इन जिलों के लोगों ने अपने देश से ये आशा नहीं रखी थी कि उन्हें भी विकास में साझीदार बनाया जाए? क्या इन क्षेत्र के बच्चों को, बेटियों को पढ़ाई का, अपने कौशल के विकास का अधिकार नहीं था क्या? क्या उनको उम्मीद नहीं थी क्या? अस्पताल, स्कूल, सड़कें, पीने का शुद्ध पानी, आजादी के बाद भी देश में बहुत कुछ होने के बावजूद भी अगर कोई कमी रह गई कि देश के सौ से ज्यादा जिले आज भी सामान्य से भी पीछे हैं। ये भी बहुत हैरत की बात है कि ये जो पिछड़े जिले कहे जाते हैं उनमें प्राकृतिक संसाधन बहुत प्रचुर मात्रा में हैं। आपके बीजपुर जिले के पास क्या नहीं है? सब कुछ है।
भाइयो और बहनों, मैं आज इसलिए बीजापुर आया हूं ताकि आपको बता सकूं, आपको भरोसा दिला सकूं कि आप जो पीछे थे, जिनके नाम के साथ पिछड़ा जिला होने का लेबल लगा दिया गया है, उनमें अब नए सिरे से, नई सोच के साथ, बड़े पैमाने पर काम होने जा रहा है। और मैं बीजापुर को एक और भी बधाई देना चाहता हूं कि मैंने जनवरी में ये सौ-सवा सौ डिस्ट्रिक के लोगों को बुलाया था और उनको मैंने कहा था कि आज जहां है, अगर तीन महीने में जो तेज गति से आगे बढ़ेगा, मैं 14 अप्रैल को उस जिले में आऊंगा। मैं बीजापुर जिले के अधिकारियों की पूरी टीम को हृदय से बधाई देता हूं, उन्होंने तीन महीने में ये जो सौ से अधिक पीछे थे, उसमें सुधरने में नंबर एक कर दिया और एक प्रकार से उन्होंने जो करके दिखाया है उसे मैं सलाम करने आया हूं, उसे मैं नमन करने आया हूं और यहां से देख करके एक नई प्रेरणा भी लेने आया हूं ताकि देश के उन 115 जिलों को पता चले कि अगर बीजापुर 100 दिन में इतनी प्रगति कर सकता है तो 115 जिले भी आने वाले महीनों में बहुत तेज गति से प्रगति कर सकते हैं।
मैं इन 115 aspirational डिस्ट्रिक को सिर्फ अभिलाषी नहीं, सिर्फ आकांक्षी नहीं, महत्वाकांक्षी जिले कहना चाहता हूं। अब ये जिले आश्रित नहीं, पिछड़े नहीं रहेंगे। ये परिणाम, पराक्रम और परिवर्तन के नए मॉडल बन करके उभरेंगे, इस विश्वास के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।
भाइयो और बहनों, आप सोच रहे होंगे कि मैं ये बात इतने दावे के साथ कैसे कर सकता हूं? यहां आने से पहले हमारी सरकार ने बीजापुर समेत 100 से ज्यादा जिलों का अध्ययन करवाया है और कुछ कार्यों को शुरू करके उसके नतीजों को परखा है। तीन महीने का हमारा अनुभव कहता है अगर जिले के सभी लोग, जिले का प्रशासन, जिले के जन-प्रतिनिधि, हर गली-मोहल्ला-गांव अगर इसी अभियान में साथ आ जाए; एक जनआंदोलन की तरह सब इसमें योगदान करें तो वो काम हो सकता है जो पिछले 70 साल में भी आजादी के बाद नहीं हुआ था, वो आज हो सकता है।
साथियों, पुराने रास्ते पर चलते हुए आप कभी भी नई मंजिलों तक नहीं पहुंच सकते। पुराने तौर-तरीकों से दुनिया नहीं बदल सकती। समयानुकूल तौर-तरीके भी बदलने पड़ते हैं। अगर नए लक्ष्यों को प्राप्त करना है तो नए तरीके से काम करना ही होता है। बीजापुर समेत जो देश के 115 पिछड़े जिले हैं, उनके लिए भी हमारी सरकार नई approach के साथ काम कर रही है। ये approach क्या है, इसका मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। यहां बहुत बड़ी मात्रा में किसान भाई बैठे हैं, बड़ी सरलता से उनको ये समझ आ जाएगा। हमारे किसान भाई धान की खेती करते हैं, मक्के की खेती करते हैं, दालें उगाते हैं। मैं जरा इन किसान भाइयो से पूछना चाहता हूं- क्या आप सभी फसलों में एक समान ही पानी देते हैं क्या? क्या धान के लिए जितना पानी देते हैं उतना ही मक्के के लिए देते हैं? उतना ही सब्जी के लिए देते हैं? इतना ही आप चावल के लिए देते हैं? आपका जवाब होगा ना, नहीं देते हैं। चावल के लिए ज्यादा देते हैं, इस फसल के लिए इतना देते हैं, इस फसल के लिए इतना देते हैं। अलग-अलग फसल के लिए आप अलग-अलग प्रकार से काम करते हैं कि नहीं करते हैं? सामान्य किसान भी ऐसा करता है। इसी तरह जब अलग-अलग आवश्यकताएं हैं तो उनकी दिक्कते भी, उनकी कमजोरियां भी, उनकी चुनौतियां भी अलग-अलग ही होंगी। इसी को ध्यान में रखते हुए हर जिले को उसके अपने हिसाब से आगे की रणनीति बनानी होगी, विकास का अपना खुद का प्लान तैयार करना होगा। स्थानीय संसाधनों के आधार पर करना होगा।
आपसे बात करके यहां का प्रशासन आपकी एक-एक आवश्यकताओं के बारे में, उनकी पूर्ति कैसे हो, इस बारे में योजना बनाएगा। बहुत छोटे-छोटे कदम आपको विकास की बड़ी दौड़ में अव्वल नंबर पर ले जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया में केंद्र और राज्य की टीम, गावं, ब्लॉक के लोग कंधे से कंधा मिला करके चलेंगे।
साथियों, आज यहां इस मंच से देश में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली, देश में सामाजिक असंतुलन खत्म करने वाली एक बहुत बड़ी योजना का शुभारंभ हुआ है। ‘आयुष्मान भारत’ इस योजना के पहले चरण को आज 14 अप्रैल, आम्बेडकर जी की जयंती के दिन इसी धरती से, छत्तीसगढ़ की धरती से, बीजापुर डिस्ट्रिक की धरती से, आज उसका प्रारंभ किया जा रहा है। उसके पहले चरण का प्रारंभ हुआ है। और पहले चरण में देश के प्राथमिक स्वास्थ्य से जुड़े विषयों में बड़े बदलाव लाने का प्रयास किया जाएगा। इसके तहत देश की हर बड़ी पंचायत में यानी लगभग डेढ़ लाख जगह पर, हिन्दुस्तान के डेढ़ लाख गांवों में sub-centre और primary health centers को Health and Wellness Centres के रूप में विकसित किया जाएगा। और मैं तो नौजवानों से कहता हूं कि mygov.in पर जा करके ये Health and Wellness Centre है। उसका हमारी सामान्य भाषा में क्या शब्दोप्रयोग करना चाहिए, मुझे सुझाव दीजिए, मैं जरूर उसका अध्ययन करूंगा। आज अभी तो नाम popular हुआ है Health and Wellness Centre लेकिन आगे चलकर गांव का गरीब एवं अनपढ़ व्यक्ति भी बोल सके, पहचान सके, ऐसा शब्द इस योजना को मैं देना चाहता हूं, लेकिन वो भी आपके सुझावों से देना चाहता हूं। गांव के लोगों के सुझाव से देना चाहता हूं।
सरकार का लक्ष्य इस काम को 2022 तक पूरा करने का है। आप कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा काम सिर पर लिया है। यानी जब देश आजादी के 75 साल का पर्व मना रहा होगा, तब तक देशभर में Health and Wellness Centre का एक जाल बिछा जा चुका होगा। इसमें भी उन 115 जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी जो अभी विकास की रेस में ओरों से थोड़ा पीछे हैं।
भाइयो और बहनों, इन वेलनेस सेंटरों की जरूरत क्यों है? इसे मैं विस्तार से आपको समझाना चाहता हूं। जब हम Health and Wellness Centre की बात करते हैं तब हमारा प्रयास सिर्फ बीमारी का इलाज करना नहीं है, बल्कि बीमारी को होने से रोकने का भी हमारा संकल्प है। हमारे देश में ब्लडप्रेशर हो, डायबिटीज, के मरीज बहुत बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। हृदय रोग की बीमारी से जुड़ी समस्या, मधुमेह, डायबिटीज, सांस लेने में परेशानी, कैंसर; ये ऐसी बीमारियां हैं जिनके चलते 60 प्रतिशत लोगों की दुखद मौत इन्हीं चार बीमारियों के रहते होती है। लेकिन ये वो बीमारियां हैं जिनको समय रहते अगर पकड़ लिया जाए तो इनको बढ़ने से रोका जा सकता है।
अब Health and Wellness Centres को भी ये नई व्यवस्था खड़ी की जा रही है। उसके माध्यम से तमाम तरह की जांच भी मुफ्त में करने का भरसक प्रयास किया जाएगा।
साथियों, सही समय पर होने वाली जांच कैसे फायदेमंद होती है, इसका भी उदाहरण मैं आपको दूंगा। मान लीजिए 35 साल का कोई युवा जांच कराए और उसे ब्लड प्रेशर की समस्या का पता चल जाए तो भविष्य में होने वाली कई गंभीर बीमारियों से पहले ही वो बच सकता है। अगर पहले से जांच कराकर, सही समय पर दवाई लेकर, योग, व्यायाम या फिर कुछ आवश्यक परहेज ; बड़े खर्चें और रिस्क दोनों से बचा सकती है।
मैं आज जब Wellness Centre का उद्घाटन कर रहा था तो 30-35 साल की एक बहन वहां पर मिली, उसको पता ही नहीं था, उसको डायबिटीज है। डॉक्टर को आ करके कहा कि मुझे बहुत पानी पीने की तलब लगती है, मुझे चक्कर आते हैं, मुझे थकान महसूस होती है; जब डॉक्टर ने जांच की तो पता चला कि उसकी डायबिटीज बहुत खराब हालत में है। 30-32 साल की बहन, उसे पता ही नहीं था कि उसको क्या बीमारी है। लेकिन आज Wellness Centre में आई तो उसको पता चल गया और अब उसको पता चलेगा क्या खाना, कैसे खाना, कैसे रहना। वो उसको कंट्रोल करके बाकी बीमारियों से अपने-आपको बचा पाएगी। इलाज से ज्यादा अहमियत को जोर देने वाली इसी सोच को ये Health and Wellness Centres गांव-गांव पहुचाने वाला है।
ये Health and Wellness Centres एक प्रकार से गरीबों के फैमिली डॉक्टर की तरह काम करेगा। पुराने जमाने में मध्यमवर्गीय और बड़े परिवारों में फैमिली डॉक्टर हुआ करते थे। अब ये Wellness Centre ऐसा हो जाएगा जैसे वो जैसे वो आपके परिवार का ही एक्सटेंशन है, वो रोजमर्रा की आपकी जिंदगी के साथ जुड़ जाएगा।
साथियों, आयुष्मान भारत की सोच सिर्फ सेवा तक सीमित नहीं है बल्कि ये जनभागीदारी का एक आह्वान भी है ताकि हम स्वस्थ, समर्थ और संतुष्ट न्यू इंडिया का निर्माण कर सकें। आज तो आयुष्मान भारत योजना के पहले चरण की शुरूआत हुई है। अब अगला लक्ष्य लगभग 50 करोड़ गरीब लोगों को गंभीर बीमारी के दौरान पांच लाख रुपये तक की, एक वर्ष में पांच लाख, आर्थिक सुरक्षा देने का है। इस पर बहुत तेजी से काम चल रहा है।
भाइयो और बहनों, परिवर्तन तब आता है जब प्रेरणा के साथ संसाधनों का भी सही उपयोग किया जाए। आज यहां मंच पर हमने अभिलाषी बीजापुर के साथ ही अभिलाषी छत्तीसगढ़ की भी बात की है। अटल जी के दिखाए रास्ते पर चलते हुए बीते 14 वर्षों में राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान रमन सिंह जी विकास से जुड़ी योजनाओं को पूरे परिश्रम के साथ, आप लोगों के सहयोग के साथ, आप लोगों के कल्याण के लिए आगे बढ़ा रहे हैं। चार साल पहले केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद उनके इन प्रयासों को, छत्तीसगढ़ के विकास संकल्प को और ताकत मिली है। यहां शासन-प्रशासन, जनता के निकट पहुंचा है। आदिवासी अंचलों के बारे में तेजी से विकास करने और अनेक जनहितकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करके छत्तीसगढ सरकार ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। बस्तर और सरगुजा में विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज; सहीधर जिलों में स्कूल, कॉलेज तथा स्किल डेवलपमेंट की शानदार संस्थाएं संचालित होना इन आंचलों में नई क्रांति का माध्यम बन गया है।
मुझे यहां एक बेटी मिली लक्ष्मी करके, उसने ड्रोन बनाया है। कोई कल्पना कर सकता है कि छत्तीसगढ़-रीवा के आदिवासी क्षेत्र में लक्ष्मी नाम की दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची ड्रोन बनाए। वो मुझे कह रही थी मैं 50 मीटर तक उड़ाती हूं और आगे-पीछे भी उसको ले जाती हूं। मुझे खुशी हुई।
आपने सुना होगा, हम जानते हैं नगरनार के स्टील प्लांट का काम पूरा हो रहा है, और स्टील प्लांट का काम, जल्दी ही वो प्लांट भी शुरू हो जाएगा। आज जब बस्तर के युवाओं को इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज ही नहीं, यूपीएससी और पीएससी में सफल होते देख रहा हूं तो मेरा विश्वास और पक्का हो जाता है कि आपका राज्य सही दिशा में प्रगति कर रहा है। जबसे छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनी है तब से स्वास्थ्य सेवा में भी क्रांतिकारी बदलाव आया है। कभी राज्य में दो मेडिकल कॉलेज यहां हुआ करते थे, आज मुझे बताया गया कि दस मेडिकल कॉलेज यहां हो चुके हैं। इससे मेडिकल सीटों की संख्या भी कई गुना बढ़ गई है। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि बीजापुर और आसपास के क्षेत्रों में अब स्वास्थ्य सुविधाओं में निरंतर सुधार हो रहा है। जिलों के अस्पतालों में लेकर हाट-बाजारों तक अब बड़े-बड़े विशेषज्ञ अब अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मैं उनके सेवा भाव की हृदय से प्रशंसा करता हूं। और मुझे यहां कई डॉक्टर मिले; कोई तमिलनाडु से आए हैं, कोई उत्तर प्रदेश से आए हैं और अपना पूरा समय इन जंगलों में खपा रहे हैं। जिस देश के पास ऐसे नौजवान डॉक्टरों की फौज हो, वहां मेरा गरीब अब बीमारी से पीड़ा को भोगने के लिए मजबूर नहीं होगा, ये मेरा विश्वास मजबूत हुआ है।
अब से कुछ समय पहले मुझे यहां के जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट का शुभारंभ करने का भी अवसर मिला है। मैं ये बताना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री डायलिसिस योजना के तहत अब देश के 500 से ज्यादा अस्पतालों में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसका लाभ लग्भग ढाई लाख मरीज उठा चुके हैं जिन्होंने लगभग 25 लाख डायलिसिस के सेशन किए हैं। छत्तीसगढ़ के नक्शे में सबसे नीचे दिखने वाला सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों में विकास का जो ताना-बाना बुना गया है, वो मैं प्रशंसा के पात्र हैं, मैं यहां की सरकार को बधाई देता हूं।
छत्तीगढ़ को विकास के रास्ते पर और तेजी से आगे ले जाने के लिए केंद्र सरकार दोहरी रणनीति पर काम कर रही है। पहला प्रयास इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विकास का है और दूसरा जो नौजवान भटके हुए हैं, उनको हर संभव तरीके से विकास की मुख्य धारा से वापस जोड़ने का है। पिछले चार वर्षों में छत्तीसगढ़ और विशेषकर बस्तर में विकास की अभूतपूर्व योजनाएं शुरू की गई हैं।
बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में चार सौ किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कों का जाल बिछाया गया है। जिन गांवों तक पहले जीप तक नहीं पहुंच पाती थी, वो अब नियमित चलने वाली बसों से जुड़ गए हैं|
सौभाग्य योजना के तहत बस्तर के हर घर में बिजली कनेक्शन सुनिश्चित किया जा रहा है। घरों में पहुंचा उजाला किसान, छात्र, दुकानदार, छोटे उद्यमी, हर किसी की जिंदगी में उजाला ले करके आएगा। बस्तर में हजारों की संख्या में सोलर पंप का वितरण भी किया जा रहा है। ये सोलर पंप किसानों की बहुत बड़ी मदद कर रहे हैं। आज इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में स्कूल, हॉस्पिटल, स्वास्थ्य केंद्र, सरकारी राशन की दुकानें, बैंकों की शाखाएं, एटीएम; से सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं। बस्तर अब रेल के माध्यम से रायपुर से जुड़ रहा है।
आज एक रेल सेक्शन का काम शुरू किया गया है। दो वर्ष के भीतर ये जगदलपुर तक पहुंच जाएगा। इस साल के अंत तक जगदलपुर में एक नया स्टील प्लांट भी काम करने लगेगा। इससे बस्तर के भी युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
जगदलपुर में नया एयरपोर्ट भी तैयार हो रहा है और ये अगले कुछ महीनों में काम भी शुरू कर देगा। हवाई जहाज से connectivity इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।
साथियो, बस्तर बदल रहा है। बीते दशकों में बस्तर के साथ जिस प्रकार की पहचान जोड़ दी गई थी, वो भी बदल रही है। भविष्य में बस्तर की नई पहचान एक economic hub के तौर पर होने वाली है, पर्यटन के बड़े केंद्र के तौर पर होने वाली है। ट्रांसपोर्ट के एक बड़े केंद्र के तौर पर होने वाली है। यहां से रायपुर ही नहीं, हैदराबाद, नागपुर और विशाखापट्टनम तक connectivity हो जाएगी।
न्यू इंडिया के साथ-साथ न्यू बस्तर यहां के लाखों लोगों की जिंदगी को आसान बनाएगा। दसों दशकों से उनके जीवन में जो अंधेरा था, उस अंधेरे से उन्हें बाहर निकालेगा। नया बस्तर, नई उम्मीदों का बस्तर होगा, नई आकांक्षाओं का बस्तर होगा, नई अभिलाषा का बस्तर होगा। अब ये कहा जा सकता है कि सूरज भले ही पूरब से निकलता हो लेकिन वो दिन दूर नहीं जब छत्तीसगढ़ में विकास का सूरज दक्षिण से उगेगा, बस्तर से उगेगा। इन क्षेत्रों में उजाला रहेगा तो पूरा प्रदेश प्रकाशमय रहेगा। यहां खुशहाली होगी तो पूरा प्रदेश खुशहाल होगा।
भाइयो और बहनों, सरकारी योजनाओं और सेवाओं को उन तक पहुंचाना, जिन्हें इनकी सही मायनों में आवश्यकता है; ये हमेशा से एक बहुत बड़ी चुनौती रही है। क्षेत्रीय असंतुलन के पीछे जो बड़े कारण हैं, उनमें ये भी एक है। और मुझे खुशी है कि रमण सिंह जी की सरकार इस मामले में संवदेनशील है, अच्छी पहल कर रही है।
थोड़ी देर पहले मुझे जांगला विकास केंद्र जाने का अवसर मिला। इस केंद्र के पीछे की भावना ये है कि क्षेत्र के लोगों के लोगों के लिए एक ही जगह सारी सरकारी सेवाएं मिलें ताकि यहां-वहां भागदौड़ करने में जनता का समय और ऊर्जा नष्ट न हो। चाहे ग्राम पंचायत का कार्यालय हो, सरकारी राशन की दुकान हो, पटवारी हो, अस्पताल हो, स्कूल हो; ये सारी सुविधाएं एक ही जगह पर देना एक बहुत बड़ी सेवा होगी।
मुझे बताया गया है कि पूरे प्रदेश में ऐसे 14 सेंटर बनाने की योजना सरकार की है। ये विकास केंद्र देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल की तरह काम कर सकते हैं।
साथियों, देश में क्षेत्रीय असंतुलन खत्म करने का एक तरीका connectivity बढ़ाना है। इसलिए हाइवे हो, रेलवे हो, airway हो या फिर आइवे हो- information way, connectivity पर बल दिया जा रहा है। जिस दौर में फोन और इंटरनेट सबसे बड़ी आवश्यकता बनते जा रहे हैं, उस दौर में अगर किसी क्षेत्र में संचार की अच्छी व्यवस्था न हो तो उसको आगे बढ़ना मुश्किल होगा। यही कारण है बस्तर को connect करने के लिए बस्तर नेट परियोजना फेज़ वन का लोकार्पण किया गया है। इस योजना के माध्यम से 6 जिलों में लगभग चार सौ किलोमीटर लंबा optical fiber network बिछाया गया है।
मुझे अभी जांगला के ग्रामीण बीपीओ में भी दिखाया गया कि कैसे इसका इस्तेमाल लोगों की आय को तो बढ़ाएगा ही, उनकी जिंदगी को भी आसान बनाने का काम करेगा। छत्तीसगढ़ में भारत नेट परियोजना पर भी तेजी से काम हो रहा है। मुझे बताया गया है कि दस हजार में से चार हजार ग्राम पंचायतें भारत नेट से जोड़ी जा चुकी हैं और बाकी का काम अगले साल तक पूरा करने की तैयारी है।
साथियों, connectivity का एक और माध्यम है रेलवे। आज दल्लीराजहरा भानुप्रताप ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि चालक से लेकर गार्ड तक; ये जो अभी हमने ट्रेन को झंडी दिखाई, इसका पूरा संचालन, ड्राइवर भी, गार्ड भी, सबकी सब महिलाएं चला रही थीं। ये देशवासियों के लिए भी खुशी की खबर होगी कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी जंगलों में ट्रेन चला रही हैं हमारी बेटियां। दल्लीराजहरा से रावगढ़ और रावगढ़ से जगदलपुर रेल लाइन, करीब 23 साल पहले ये इसका प्रस्ताव हुआ था, लेकिन लम्बे समय तक कोई कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया। किसी तरह दल्लीराजहरा से रावगढ़ के बीच काम शुरू तो हुआ लेकिन उसकी प्रगति न के बराबर थी।
हमने इस परियोजना की चिंता की, जिसके कारण बस्तर के उत्तरी क्षेत्र में नई रेल लाइन पहुंच गई है।
आज लगभग 1700 करोड़ की सड़कों का शिलान्यास भी किया गया है, 1700 करोड़ रुपये। ये सड़कें बीजापुर के अलावा कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, दंतेवाड़़ा, बस्तर, नारायणपुर और राजनांद गांव में रोड का आधुनिक नेटवर्क तैयार करेंगी। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत भी 2700 किलोमीटर, दो हजार सात सौ किलोमीटर से ज्यादा की सड़कों का निर्माण किया जाएगा। बस्तर और सरगुझा जैसे विशाल आदिवासी अंचलों को हवाई सुविधा से जोड़ने के लिए हवाई अड्डों का भी विकास किया जा रहा है। भविष्य में इन क्षेत्रों को भी उड़ान योजना से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
भाइयो और बहनों, बीजापुर में पानी की समस्या दूर करने के लिए पेयजल योजनाओं का भी आज शिलान्यास किया गया है। इसके अतिरिक्त इंद्रावती और मिघालचल नदियों पर दो पुलों के निर्माण का भी काम आज शुरू हुआ है।
भाइयों और बहनों, ये सरकार गरीबों, दलितों, पीडि़तों, शोषितों, वंचितों आदिवासियों की सरकार है। पिछले चार वर्ष के दौरान गरीब और आदिवासियों के कल्याण के लिए किए गए फैसले, नए कानून इस बात के गवाह हैं। इसी कड़ी में आज वन-धन योजना का शुभारंभ किया गया है। इसके तहत वन-धन विकास केंद्र खोले जा रहे हैं। सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि जंगल के उत्पादों का, वहां के उत्पादों का सही दाम मार्केट में जाते ही मिलना चाहिए। इन केंद्रों के माध्यम से वन से मिलने वाली उपज का प्रचार किया जाएगा, इनमें value addition किया जाएगा, और फिर इसके लिए बाजार खड़ा किया जाएगा।
साथियों, value addition, कितना लाभ होता है, ये मैंने आज यहां देखा। कच्ची इमली जो आज बेचते हैं तो 17-18 रुपये किलो के आसपास बिकती है। लेकिन जब आप इसमें से बीज निकाल देते हैं और इसको किसी अच्छी पैकिंग में बेचते हैं तो यही इमली, 17-18 रुपये वाली इमली 50-60 रुपये किलो तक पहुंच जाती है; यानी तीन गुना कीमत बढ़ जाती है।
भाइयो और बहनों, आज हमने यहां वन-धन योजना का आरंभ किया। प्रधानमंत्री जन-धन योजना, वन-धन योजना और तीसरा आपने सुना होगा, हमने बजट में कहा है गोवर्धन योजना। अगर गांव में गरीब से गरीब को वन-धन, जन-धन और गोवर्धन, इन तीन योजना मुहैया करा दें, गांव का अर्थ-जीवन बदल जाएगा, ये मैं आपको विश्वास से कह रहा हूं।
आदिवासियों के हितों को देखते हुए वन-अधिकार कानून को और सख्ती से लागू किया जा रहा है। हाल ही में एक और बड़ा फैसला इस सरकार ने लिया है, ये है बांस से जुड़े पुराने कानून में बदलाव। साथियों, वर्षों पुराना ये कानून था, जिसके तहत बांस को पेड़ की श्रेणी में रखा गया था। और पेड़ की श्रेणी में रखने के कारण बांस को काटने, बांस को कहीं ले आने में-जाने में कई कानूनी बाधाएं आती थीं, दिक्कतें होती थीं।
लेकिन अब केंद्र सरकार ने वन कानून में बदलाव करके बांस, जिसको अब तक पेड़ की लिस्ट में रखा गया था, हमने उसको हटा दिया है और अब आप बांस को बेरोकटोक उसका कारोबार कर सकते हैं, बांस की खेती कर सकते हैं, बांस को बेच सकते हैं।
भाइयों, बहनों, ये जल, ये जमीन और ये जंगल आपके हैं। इन पर आपका अधिकार है। इसी भावना को सरकार ने समझा और 60 साल तक जो एक व्यवस्था चल रही थी, उसमें भी बदलाव किया है। सरकार द्वारा खनन से जुड़े पुराने कानून में परिवर्तन किया गया है। हमने नियम बनाया है कि अब जो भी खनिज निकलेगा उसका एक हिस्सा स्थानीय निवासियों पर खर्च करना आवश्यक होगा। इसके लिए खनन वाले हर जिले में district mineral foundation की स्थापना की गई है।
कानून में बदलाव के बाद छत्तीसगढ़ को करीब-करीब 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त राशि इस नई व्यवस्था के कारण मिली है। सरकार ने ये भी नियम बनाया है कि प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत 60 प्रतिशत राशि पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, महिला और बाल कल्याण पर ही खर्च की जाएगी।
भाइयो और बहनों, आदिवासियों की कमाई के साथ-साथ पढ़ाई पर भी सरकार प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है। इस साल बजट में कई बड़ी योजनाओं की हमने घोषणा की है। सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि 2022 तक देश का वो हर ब्लॉक जहां आदिवासियों की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है या फिर कम से कम 20 हजार लोग इस वर्ग के वहां रहते हैं; वहां एक एकलव्य मॉडल रिहायशी residential school बनाया जाएगा।
इसके अलावा सरकार का एक बड़ा कार्य आदिवासी सम्मान, आदिवासी गर्व के साथ भी जुड़ा हुआ है। देश की स्वतंत्रता में आदिवासियों के योगदान को पहली किसी सरकार द्वारा इस तरह सम्मानित किया जा रहा है। सरकार ने तय किया है कि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में अलग-अलग राज्यों में जहां आदिवासियों ने आजादी के जंग में बलिदान दिए हैं, आजादी के जंग का इतिहास आदिवासियों के इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है; ऐसे स्थानों पर एक उत्तम प्रकार का म्यूजियम बनाया जाएगा, संग्रहालय बनाया जाएगा; ताकि आने वाली पीढ़ियों को पता चले कि देश की आजादी के लिए मेरे आदिवासी भाइयों, बहनों ने कितने बलिदान दिए हैं, कितनी स्वाभिमान की लड़ाई वो लड़े हैं।
साथियों, आर्थिक सशक्तिकरण और आर्थिक असंतुलन खत्म करने का एक बड़ा माध्यम है बैंक। आज बैंक का कारोबार अनिवार्य रूप से जीवन से जुड़ गया है। आज मुझे यहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक ब्रांच का उद्घाटन करने का भी मौका मिला। मुझे बताया गया है कि लोगों को बैंक में अगर काम होता था तो 20 किलोमीटर, 25 किलोमीटर दूर तक यात्रा करनी पड़ती थी। ऊपर से बैंकों में स्टाफ की कमी के कारण परेशानी और बढ जाती थी। अब इस ब्रांच के खुलने से एक बड़ी सुविधा आपको मिलने वाली है।
हमने पोस्ट ऑफिस को भी अब बैंक के काम के लिए खोल दिया है। तो जहां पोस्ट ऑफिस होगी, वहां भी बैंकिंग का काम होगा। हमने बैंकमित्र गांव में लगाए हैं, वो भी बैंक का कारोबार करते हैं। हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना के बाद बैंकिंग व्यवस्थाओं का spread गांव-गांव तक ले जाने के लिए नई-नई योजनाएं बनाई हैं। भीम एप के द्वारा अपने मोबाइल फोन से पूरा बैंकिंग का लेनदेन का काम हर नागरिक कर सकता है। उसको भी हमें आगे बढ़ाना है।
भाइयों, बहनों, बैंक में खाता होने का कितना लाभ होता है, ये वो लोग भलीभांति जानते हैं जिनके जनधन के खाते खुले हैं। सरकार के लगातार प्रयास की वजह से आज देश में 31 करोड़ से ज्यादा खाते खुले हैं। छत्तीसगढ़ में भी एक करोड़ 30 लाख से ज्यादा खाते खोले जा चुके हैं। ये वो लोग हैं जो गरीब हैं, दलित हैं, आदिवासी हैं, पिछड़े हैं, जिनको कभी कोई पूछता नहीं था।
आज मुझे एक छत्तीसगढ़ की बेटी सविता साहूजी की ई-रिक्शा पर सवारी का अवसर भी मिला। सविता जी के बारे में मुझे बताया गया कि परिवार में उनको कुछ दिक्कतें रहीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ई-रिक्शा चला करके अपना गुजारा किया। उन्होंने सदस्य समिति का रास्ता चुना। सरकार ने भी उनकी मदद की और अब वो एक सम्मान भरी जिंदगी जी रही है।
स्वच्छ भारत मिशन हो, स्वस्थ भारत मिशन हो, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना का विस्तार हो, सुकन्या समृद्धि योजना हो; ऐसी अनेक योजनाओं के माध्यम से बेटियों-बहनों को सशक्त करने का काम ये सरकार कर रही है।
उज्ज्वला योजना का भी छत्तीसगढ़ की महिलाओं को बड़ा लाभ मिल रहा है। अब तक राज्य में 18 लाख महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है। स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली योजनाओं के माध्यम से सरकार का प्रयास भटके हुए नौजवानों को मुख्य धारा से भी जोड़ने का है। इसलिए मुद्रा योजना के तहत बिना बैंक गारंटी लोन दिया जा रहा है। मेरी क्षेत्र के नौजवानों से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं।
मैं आज शासन-प्रशासन से जुड़े अफसरों, कर्मचारियों; उनको भी अपील करता हूं कि वो अपने जिलों को विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाने का संकल्प लें और उसे सिद्ध करके दिखाएं।
भाइयों और बहनों, सरकार सिर्फ योजना बनाने पर ही ध्यान नहीं दे रही बल्कि ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि उन तक इन योजनाओं को कैसे पहुंचाया जाए, आखिरी व्यक्ति को कैसे लाभ मिले। मेरा आपसे आग्रह है कि देश के अंतिम व्यक्ति के सशक्तिकरण के लिए जो ये सरकार काम कर रही है, उसको आगे बढ़ाने में बढ़-चढ़ करके हिस्सा लें। आपकी भागीदारी ही इस सरकार की ताकत है और यही ताकत 2022, जब आजादी के 75 साल होंगे, तब न्यू इंडिया बनाने का संकल्प सिद्ध करेगी। बाबा साहेब आम्बेडकर और महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों के सपनों को वो साकार करेगी।
आप सभी यहां आए, इसके लिए आप सभी का एक बार फिर मैं आभार व्यक्त करता हूं और मैं हिंसा के रास्ते पर गए हुए नौजवानों को आज बाबा साहेब आम्बेडकर की जन्म-जयंती पर कहना चाहूंगा- बाबा साहेब आम्बेडकर ने हमें संविधान दिया है, आपके हकों की रक्षा का पूरा ख्याल बाबा साहेब आम्बेडकर के संविधान में है। आपके हकों की चिंता करना सरकार का दायित्व है। आपको शस्त्र उठाने की जरूरत नहीं है, जिंदगी तबाह करने की जरूरत नहीं है। और मैं उन माताओं-पिताओं को कहना चाहता हूं कि आपके बच्चे, आपकी कुछ बेटियां इस राह पर चल पड़ी हैं। लेकिन जरा सोचिए उनके मुखिया कौन हैं। उनका एक भी मुखिया आपके इलाके का नहीं है, आपके बीच में पैदा नहीं हुआ है, वो कहीं बाहर से आए हैं। और वे मरते नहीं हैं, वो जंगलों में छिप करके सुरक्षित रहते हैं और आपके बच्चों को आगे कर-करके उनको मरवा रहे हैं। क्या ऐसे लोगों के पीछे आप अपने बच्चों को बर्बाद करेंगे? ये आपके राज्य से भी नहीं आते, ये बाहर से आते हैं। उनके सरनेम देखोगे, उनके नाम पढ़ोगे तो पता चलेगा कि वो कौन हैं और कहां से आए हैं। क्यों अपने बच्चों को मारने का अधिकार उनके हाथ में दे दिया जाए?
और इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा सरकार आपके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हमें विकास के रास्ते पर जाना है। आपके बच्चों को स्कूली शिक्षा मिले, आपकी फसलों का पूरा दाम मिले, आपको सम्मान की जिंदगी मिले। दवाई हो, पढ़ाई हो, कमाई हो; ये सारी आपकी आवश्यकताएं पूरी हों, और इसके लिए इन कामों को करने में सुरक्षाबल के जवान, आपके यहां स्कूल चालू रहे, टीचर आ सके, इसलिए वो जिंदगी खपा देता है। आपके यहां रास्ता बने, सड़क बने, इसलिए वो बलिदान मोल लेता है। आपके यहां टेलीफोन का टॉवर लग जाए, इसलिए वो गोलियां खाता है। विकास के लिए वो मुट्ठी में जिंदगी ले करके आपकी सेवा करने के लिए आया है।
आइए मेरे भाइयो, बहनों, विकास के रास्ते पर चल पड़ें। देश को नई ऊंचाइयों पर ले चलें। 115 अभिलाषी जिले हैं, महत्वाकांक्षी जिले हैं, आकांक्षा वाले जिले हैं, उनमें एक बदलाव लाने का संकल्प करें। आयुष्मान भारत का सपना पूरी मेहनत के साथ हम पूरा करें।
इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर एक बार आप सबको इतनी बड़ी तादाद में आने के लिए, इतना बड़ा शानदार-जानदार कार्यक्रम इन जंगलों में करने के लिए मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
जय भीम – जय भीम, जय हिंद।