Quoteആര്‍.ഇ.ആര്‍.എ ഉപഭോക്താക്കളും റിയല്‍ എസ്‌റ്റേറ്റ് ഡെവലപ്പേഴ്‌സും തമ്മിലുള്ള വിശ്വാസ്യത ശക്തമാക്കി: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
Quoteഇന്ത്യയില്‍ വ്യാപാരം സുഗമമാക്കല്‍ ഉറപ്പുവരുത്താന്‍ ഗവണ്‍മെന്റ് പ്രതിജ്ഞാബദ്ധമാണ്: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
Quoteഒരു ഗവണ്‍മെന്റ് നയങ്ങള്‍ രൂപീകരിച്ചാല്‍ അത് അഴിമതിയെ ഇല്ലാതാക്കുന്നന്നതിനും മികച്ച ഫലം നല്‍കുതിനും വഴിവയ്ക്കും: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി

CREDAI से जुड़े आप सभी नौजवान साथियों और वरिष्‍ठ महानुभव का बहुत-बहुत अभिनंदन। ये Youthcon एक ऐसे अवसर पर हो रहा है जब न्‍यू इंडिया की तरफ बढ़ते हमारे कदम नए पढ़ाव की तरफ निकल पड़े हैं, अभी-अभी पार्लियामेंट का सत्र समाप्‍त हुआ है, मैं आपके बीच में आया हूं। आप सभी साथी नए भारत के नए और बुलंद सपनों की एक महत्‍वपूर्ण कड़ी हैं। आप सामान्‍य मानवी के अपने घर के सपने को पूरा करने में जुटे हैं।

साथियों, CREDAI बीते दो दशकों से हर देशवासी के अपने घर के जो सपने हैं उसको पूरा करने में जुटा है। मुझे बताया गया है कि 23 राज्‍यों के 205 शहरों में आपके संगठन का विस्‍तार हुआ है। देश भर में आपके 12 हजार से अधिक मेंबर है। जिस रफ्तार से देश में रियल स्‍टेट सेक्‍टर का विस्‍तार हुआ है। उसी प्रकार आपका संगठन भी बढ़ा है। मुझे खुशी है कि आपने श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के आशीर्वाद से अपनी यात्रा शुरू की थी। और उनके शुभ आशीष से आज आप इस स्थिति में पहुंचे है।

साथियों, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सबसे पहले शहरों में गरीबों और मध्‍यम वर्गों के परिवारों को घरों के सपनों को पूरा करने का एक बीड़ा उठाया था। अटल जी ने इन शहरों में झुग्गियों में रहने वालों को घर देने के लिए 2001 में लखनऊ में वाल्‍मीकि अंबेडकर आवास योजना शुरू की थी। इतना ही नहीं ये अटल जी की ही सरकार थी। जिसने देश में घरों की आवश्‍यकता को देखते हुए हाऊसिंग और अर्बन डेवलपमेंट सेक्‍टर को प्राइवेट सेक्‍टर के लिए खोला था। अब आप लोगों को याद है कि नहीं मुझे मालूम नहीं है

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साथियों, केंद्र की वर्तमान एनडीए सरकार अटल जी के प्रयासों को विस्‍तार देने में जुटी है। देश का गरीब हो, देश का मध्‍यम वर्ग हो, उसके घर का सपना पूरा हो, 2022 तक जब आजादी के 75 साल होंगे, 2022 तक हर बेघर को अपना पक्‍का घर मिले इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आज देश के गांव और शहरों में लगभग डेढ़ करोड़ गरीबों के घर बनाए जा चुके हैं। जिसमें से लगभग 15 लाख घर शहरी गरीबों के लिए बनाए जा चुके हैं।

साथियों, जब भी मैं घर बनाने का ये आंकड़ा देता हूं तो हमारे राजनीतिक जो प्रतिद्वंदी है और मीडिया में मेरे कुछ ज्‍यादा ही चाहने वाले लोग भी है। उनके जरा प्‍यार की वर्षा बहुत रहती है मुझ पर, वो पूछते हैं कि इसमें नया क्‍या किया है इस तरह की योजना तो पहले भी चलती थी ये बात सही है ये योजनाएं पहले भी चलती थीं, जरूर चलती थी। लेकिन सच्‍चाई है कि ये भी सबके सामने सच्‍चाई है कि प्रधानमंत्री आवास योजना और पहले की ये आवास योजनाओं में सबसे पहला अंतर तो नीयत का है।

साथियों, ये योजना ऐसी है जिसमें किसी के नाम को अमर करने की कोशिश नहीं है। सिक्‍का मारने की कोशिश नहीं है। जो भी प्रधानमंत्री बनेगा चलता रहेगा। अब इसमें नियत की..... मुझे कहना पड़ेगा कुछ क्‍या........किसी नामदार की, पब्लिसिटी के लिए ये योजना नहीं है। जब आप किसी योजना से नाम का या स्‍वार्थ का भाव निकाल देते हैं तो आपकी नीति स्‍पष्‍ट हो जाती है और इसलिए इसमें करप्‍शन का, अपने-पराये का, मेरा-तेरा का... ये सारा भाव खत्‍म हो जाता है।

अब वैज्ञानिक तरीके से तकनीक का उपयोग कर लाभार्थियों का चयन होता है। किसी के कहने पर लिस्‍ट में नाम कटने या जोड़ने का काम जो होता था उसकी एक बड़ी दुकान चलती थी। बड़े मशहूर खिलाड़ी होते थे और actually मकान बनाने वालों से ज्‍यादा, मकान दिलाने वाले कमाते थे। अभी ये दुकानें बंद हो गईं, हो सकता है उसमें आपमें भी कोई तकलीफ वाले लोग हो सकते हैं। लेकिन अब आपने प्रधानमंत्री ऐसा बनाया है तो क्‍या करें।

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साथियों, तीसरा काम गुणवत्‍ता का है, पहले जो घर बनते थे उनका लक्ष्‍य उसमें रहने वालों की सुविधा की बजाय... मैं बड़ी जिम्‍मेवारी के साथ कहता हूं, नामदारों के प्रचार-प्रसार का ही रहता था। इसलिए सिर्फ चारदीवारें खड़ी की जाती थी। हाल में मैंने एक टीवी रिपोर्ट में देख रहा था, मुझे नहीं पता आप लोगों ने ये देखा होगा कि नहीं, यूपी में अमेठी करके एक स्‍थान है क्‍यों आपको इससे एतराज है क्‍या। मुझे लगता है आप लोग मुझसे ज्‍यादा जानते हैं।

देश के नामदार परिवार के किसी न किसी सदस्‍य को वहां के लोगों ने भरपूर प्‍यार दिया है, आंखे बंद करके प्‍यार दिया है। कभी कोई सवाल नहीं पूछा है। उस अमेठी की रिपोर्ट में एक दलित बस्‍ती के बारे में बताया गया है वहां के लोगों को दस वर्ष पहले सांसद आवास दिलवाए और अपना नाम भी हर जगह पर चिपका दिया। लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि जिस दीवारों पर नाम लटकाए गए थे, दस साल के भीतर वो दीवार ही नहीं बची।

साथियों, अब उन्‍हीं बस्तियों में प्रधानमंत्री आवास योजना के घर बन रहे हैं, ये घर पहले से भी बड़े हैं, इनमें टायलेट भी है, किचन में एलपीजी गैस कनेक्‍शन भी है, बिजली का कनेक्‍शन भी है यानि‍ सरकार की अनेक योजनाओं का समावेश इस घर में अपने आप ही उस व्‍यवस्‍था की तहत हो रहा है। गरीब को वहां-कहां भागने की जरूरत नहीं है।

साथियों, चौथा परिवर्तन जो पहले की तुलना में किया गया है वो स्‍पीड का है, स्‍केल का है। पिछली सरकार के दस वर्षों में शहरी गरीबों के लिए 13 लाख घर स्‍वीकृत हुए हैं। बीते साढ़े चार वर्षों में 73 लाख यानि लगभग छह गुना, पिछली सरकार के दस वर्षों में शहरी गरीबों के घरों के लिए लगभग 38 हजार करोड़ रुपये स्‍वीकृत हुए हैं और बीते साढ़े चार वर्षों में लगभग 4 लाख करोड़ यानि कि दस गुना अधिक पिछली सरकार के दस वर्षों में शहरों में गरीबों के लिए 8 लाख घर बनकर तैयार हुए और बीते साढ़े चार वर्षों में लगभग 15 लाख घर बनकर तैयार हो चुके हैं यानि लगभग दो गुना ज्‍यादा। यही गति है जिसके बल पर हम 2022 तक हर बेघर को छत देने की बात कर रहे हैं। हवा हवाई दावों वाला काम हमारा नहीं है।

साथियों, गरीबों के घर के सपनों को साकार करके ही हम दम लेने वाले है। देश के मध्‍यम वर्ग के घर के लिए भी किसी सरकार ने पहली बार सोचा है। हमने इसके लिए Credit links scheme यानीCLSS को विस्‍तार दिया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मध्‍यम वर्ग के परिवारों को जिनकी आय 18 लाख रुपये प्रतिवर्ष तक है। होम लोन के ब्‍याज में छूट दी जा रही है। ये पहली बार हुआ है। इस योजना के तहत घर खरीदने वालों को पांच साढे पांच लाख रुपया और अभी जैसे बताया था छह साढे छह लाख रुपये तक की उसकी बचत होने वाली है। अब ये एक मध्‍यम वर्ग के परिवार का घर बने और उसके बजट में छह साढे छह लाख रुपया बच जाए मध्‍यम वर्ग की जिंदगी की बहुत बड़ी ताकत होती है। पिछले वर्ष ही हमने एलआईजी और एमआईजी के तहत आने वाले घरों का साइज भी बढ़ा दिया है।

साथियों, मध्‍यम वर्ग के बहन भाई विशेष तौर पर हमारे युवा साथी अपने घर के सपने को पूरा करे इसके लिए हाल में बजट में कुछ बड़े प्रावधान किए गए हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है पांच लाख रुपये तक की टैक्‍सेबल इनकम पर टैक्‍स जीरो कर दिया गया है। इससे युवा साथी अपने कैरियर की शुरुआत के दौर में अपना घर खरीदने के लिए और अधिक प्रोत्‍साहित होंगे। टैक्‍स माफ होने का घाटा सरकार को हुआ लेकिन फायदा आपको हुआ है। लेकिन ताली आपकी दम वाली नहीं है। ये दम वाली क्‍यों नहीं थी, ये ताली दम वाली क्‍यों नहीं थी उसका कारण है क्‍योंकि आप 5 लाख वाले की रेंज से बाहर हैं। लेकिन आपको ये समझ नहीं आया 5 लाख जाने से.... उसका जो पैसा बचा है वो घर खरीदने में जाने वाला है, वो आपकी झोली भरने वाला है। ठीक से समझ आ गया पक्‍का। मैं आपकी बिजनेस में आने वाला नहीं हूं, कम्‍पीटीटर नहीं हूं आप चिंता मत करो।

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पहले 1 लाख 80 हजार तक के किराए पर टैक्‍स नहीं कटता था। लेकिन अब ये बढ़ाकर 2 लाख 40 हजार कर दिया गया है। फिर ताली में दम नहीं है। क्‍योंकि आपको समझ ही नहीं आया, आपको किसी ने समझाया नहीं कि इस बजट ने ये हाऊसिंग इंडस्‍ट्री वालो को कितना फायदा किया है इसके लिए प्रधानमंत्री को खुद को समझाना पड़ रहा है। अच्‍छा अब समझ आया क्‍या, अगर उसको टैक्‍स फ्री किराया गिना जाएगा तो उसको नया मकान बनाना, ज्‍यादा मकान बनाना, किराए पर देना उसके लिए एक व्‍यवसाय का हिस्‍सा बन जाएगा। तो मकान कौन बनाएगा वो बनाएगा क्‍या वो मकान किससे खरीदेगा मोदी से खरीदेगा क्‍या। अच्‍छा हुआ मैं आप लोगों को मिला... नहीं तो मैं यही मानता था कि मेरा बजट तो सबको समझ आ गया। संसद में हमें तकलीफ होती थी समझाने में.... इसके अलावा जो परिवार अपनी आवश्‍यकताओं को देखते हुए दो घर खरीदते थे उनके अनुमानित किराए पर पहले इनकम टैक्‍स देना पड़ता था अब इनकम टैक्‍स नहीं देना होगा। इसका मतलब क्‍या... मालूम नहीं, आपको इतना ही मालूम है जीएसटी का क्‍या हुआ, आपका कांटा जीएसटी में ही अटका हुआ है।

इसी तरह जो लोग पुराने घर के बदले पुराना घर बेच देते हैं, पैसे आते हैं उनको लगता है कि अब उस जगह पर है अच्‍छे पैसे मिल जाएगें थोड़ी दूर जाएगें तो सस्‍ते में घर मिल जाएगा। अब वो सोचते है बच्‍चे बड़े हो रहे हैं एक घर से नहीं चलेगा तो दो चाहिए तो एक घर ज्‍यादा कीमत में बेच करके बदले में दो छोटे नए घर बनाते हैं, खरीदना चाहते थे, अब उनको भी टैक्‍स में बहुत बड़ी राहत दी गई है। अब कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स बचाने के लिए लोग घर की बिक्री से मिली रकम को एक की जगह दो घरों में लगा सकते हैं। अब तक घर की बिक्री से मिली रकम को साल भर के भीतर दूसरे घर को खरीदने पर कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स छूट पहले एक घर पर मिलती थी वो दो घरों को मिलने वाली है। अब ये आपका काम है कि जहां पर आप पुराना बंगलों लेकर फ्लैट की स्‍कीम रखते हो उसको समझाओं... मुझे इस एडवाइज का कोई टैक्‍स नहीं लगेगा चिंता मत कीजिए।

साथियों, हर भारतीय के अपने घर के प्रति हमारे इसी आग्रह में आपसे जुड़े सेक्‍टर का भी उज्‍ज्‍वल भविष्‍य छुपा हुआ है। भारत में तेजी से न्‍यू मीडिल क्‍लास का दायरा बढ़ रहा है। देशवासियों के सपने और आंकाक्षाएं अभूतपूर्व ऊंचाई पर है, इन सपनों की शुरुआत अपने घर से ही होती है। जिसका जिम्‍मा आप सभी के पास है।

सारे दुनिया के रिपोर्ट आपने पढ़े होंगे कि भारत में बहुत तेजी से लोग गरीबी से बाहर आ रहे हैं और जो न्‍यू मीडिल क्‍लास है उसके aspiration बहुत होते हैं। आप उसकी psycho और परिस्थिति को समझ करके अपनी स्‍कीम लेकर के जाओगे। मैं आपको कहता हूं, आपको मालूम होगा निरमा का उदाहरण... बड़ी-बड़ी multinational companies थीं उसने सस्‍ता साइकिल पर बेच करके ऐसा साबुन पाऊडर बना दिया डिर्टजेंट उसने सारा मीडिल क्‍लास और लोअर मीडिल क्‍लास का मार्केट कब्‍जा कर लिया, multinational को चैलेंज कर दिया था। ये आपके लिए वक्‍त है कि अब आपकी स्‍कीम का टारगेट ये न्‍यू मीडिल क्‍लास होना चाहिए। और अगर मेरी बिजनेस एडवाइज गलत निकले तो मेरे बैंक खाते में जो कुछ भी है वो आपका... मुझे मालूम है कि आपको interest नहीं है क्‍योंकि उसमें कुछ है ही नहीं।

आप उस न्‍यू मीडिल क्‍लास की aspiration को समझिए, अपनी मार्किट स्‍ट्रेटजी को, बिजनेस स्‍ट्रेटजी को उससे जोडि़ए। मैं विश्‍वास से कहता हूं कि आपकी दो साल, पांच साल पुरानी भी कंपनी क्‍यों न होगी आप दस बीस साल बाद उससे आगे निकल जाएंगे.. क्‍योंकि एक बहुत बड़ा मार्किट आपका इंतजार कर रहा है।

साथियों, आपमें से बहुत लोग हैं जो डेवलपर्स की अगली पीढ़ी है लिहाजा आप next generation की जरूरतों को भी समझते हैं। और नए भारत के नए संस्‍कारों को भी समझ सकते हैं। आप सभी के कंधे पर देश के रियल एस्‍टेट सेक्‍टर को नए भारत की आंकाक्षाओं और संवेदनाओं के आधार पर बदलने की जिम्‍मेवारी है।

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साथियों, केंद्र सरकार रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में एक सार्थक बदलाव के लिए बीते साढ़े चार वर्षों के निरंतर कोशिश कर रही है। ease of doing business सुनिश्चित करने के साथ-साथ कुछ गलत परंपराओं को रोकने के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। मैं समझता हूं कि रियल एस्‍टेट को बीते कुछ दशकों में सबसे अधिक समस्‍या भरोसे की कमी से आई है। साढ़े चार वर्ष पहले तक स्‍थिति ये थी कि मध्‍यम वर्ग का परिवार घर पर पैसा लगाने से पहले सौ बार सोचता था हमने देखा है कि कैसे लाखों लोगों को अपने घर के लिए कोर्ट कचहरी के चक्‍कर लगाने पड़ते थे। खून-पसीने की कमाई कुछ लोगों की बेइमानी के कारण फंस गई थी। साथियों, इसी भरोसे को फिर से लौटाने के लिए सिलसिलेवार अनेक तरीके से अनेक प्रयास किए गए। नोटबंदी का जो फैसला था उसका बहुत बड़ा लाभ रियल एस्‍टेट को ये हुआ कि जो गलत पैसे से भ्रष्‍टाचार की कमाई से यहां फलने-फूलने की सोच रहे थे उनके लिए रास्‍ते बंद हो गए। अब वही लोग इस सेक्‍टर में आगे बढ़ पाएंगे जो ईमानदारी से मुनाफे को ऊपर रख रहे हैं। और मैं मानता हूं कि जो पांच साल का आपका अनुभव है वो गुजरात वालों को 13 साल का अनुभव है.... मेरा, मेरे कामकाज का, मेरे कार्यकाल की विशेषता रही है, मेरे हर निर्णय को प्रारंभ में बहुत मुसीबतें झेलनी पड़ी है, हमेशा हुआ है क्‍योंकि मैं समय से थोड़ा पहले चल पड़ता था। और वहां समझ पहुंचने से पहले मुसीबत झेलता था।

मैंने गुजरात में एक बार हमारे यहां किसान बिजली मांगते थे। मैंने बोला पहले तय करो किसान को बिजली चाहिए या पानी चाहिए। वो कह रहे थे पहले बिजली मुफ्त दो सब political पार्टियां दे रही है मैंने कहा कि वो जो कर रही है... कर रही है, मुझे बताओ बिजली चाहिए कि पानी चाहिए। आज तक मैंने कहा कि उन पालिटिशियनों ने बिजली का तार पकड़वा कर मरवा दिया है मैंने तुम्‍हें पानी पहुंचा करके जिंदा रखना चाहता हूं। और आप हैरान हो जाएंगे, मेरे अपने साथी अनशन पर बैठ गए थे, मेरे अपने लोग हर गांव में पुतला जलाते थे। किसान की नाराजगी मोदी को कहां ले जाएगी, इस प्रकार की चर्चा थी। और चुनाव में मुझ पर दबाव था कि अगर आप बिजली माफ कर दीजिए, मैंने कहा मैं पानी के लिए सब कुछ करूंगा और आपको आश्‍चर्य होगा... शुरू में जो लोग मेरी बात को नहीं मानते थे, जब अनुभव करने लगे... आज वो भी इसके वकील बन गए हैं per drop more crop, drip irrigation, पानी बचाओ, पानी पहुंचाओ इसमें ऐसे लगे है कि एग्रीकल्‍चर ग्रोथ गुजरात में लगातार 10 प्रतिशत रहा जबकि गुजरात एग्रीकल्‍चर की दुनिया वाला गुजरात नहीं है वो तो desert भूमि है, समझने में देर लगती है.... आपको भी.... अभी नहीं समझ आया होगा, अभी भी आपको लगता होगा ये मोदी कितने दिन है... इकट्ठा करके रखो फिर कभी काम आएगा, कुछ बचने वाला नहीं है दोस्‍तों मैं बताता हूं। और मुझमें हिम्‍मत है चुनाव सामने है आपके घर में आकर के आपको बात बताने की ताकत के साथ कह रहा हूं। देश के लिए कह रहा हूं, हिन्‍दुस्‍तान की आने वाली पीढ़ी के लिए कह रहा हूं, भारत के भविष्‍य के लिए कह रहा हूं और इसलिए मुझे विश्‍वास है... अब आप देखिए बेनामी संपत्ति उस कानून से भी ईमानदारी की व्‍यवस्‍था को बल मिल रहा है।

साथियों, real-estate regulation act के माध्‍यम से ग्राहक और आपके बीच का भरोसा मजबूत बनाने में इस सरकार ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है अगर आप गहराई से उस बात को देखोगे तो आप इसे महसूस कर पाओगे। और मैं चाहूंगा कि आपके हाथ में इन सारी चीजों की वर्कशॉप हो, आपको एजुकेट किया जाए। कि आखिर इन निर्णयों ने आपकी ताकत, आपकी हैसियत कितनी बढ़ा दी है। आज आप दुनिया के किसी भी देश में जाते हो, पहले भी जाते होंगे, आप तो छुट्टिया बाहर ही मनाते हो, आप थोड़ा ये व्‍हाइट पेपर है, जो टूरिज्‍म है उसमें आप जाते होंगे, पहले जो मिलता होगा, आप हाथ मिलाते होगे, आपकी बात मैं जानता हूं आप चिंता मत कीजिए। पहले आप विदेश में कहीं जाते होंगे, किसी से हाथ मिलाते होंगे, जरा अच्‍छी सी प्रसनेलिटी, बढि़या सी जैकेट-वैकेट पहना होगा, टाई अच्‍छी होगी...... वो भी पहनी और जैसे ही कहां से आए हो, तो धीरे धीरे हाथ ढीला पड़ जाता होगा। और आज... आज जैसे ही कह दोगे इंडिया..... वो हाथ छोड़ता नहीं है आपका। ऐसा होता है कि नहीं होता है दुनिया में जहां जाते हैं आपका माथा ऊंचा रख सकते हैं कि नहीं रख सकते। दुनिया आपसे आंख मिला करके बात करने में उत्‍सुक है कि नहीं है। कैसे हुआ..... एक निर्णय प्रक्रिया होती है, एक कार्यशैली होती है, जिसका सीधा संबंध आपसे नहीं आता है। लेकिन उसका ईको इफेक्‍ट ऐसा होता है हर हिन्‍दुस्‍तानी की आन-बान-शान बढ़ जाती है। जो आज दुनिया में देख सकते हैं। और एक ऐसा इंसान जिसको चुनाव के पहले यही सवाल पूछा जाता था। आप अगर याद शक्ति ठीक हो तो देख लीजिए 2013-2014 के अखबार टीवी डिबेट देख लीजिए एक ही चर्चा थी...ये क्‍या करेगा आदमी। हिन्‍दुस्‍तान में इसको कौन जानता है।

गुजरात के बाहर उसकी क्‍या पहचान है। और विदेश नीति में तो जीरो है जीरो। कुछ लोग तो ऐसे कहते थे वो चम्‍मच कांटा कैसे पकड़ना है ये भी इसको नहीं आता है... ये क्‍या करेगा। और तब मैंने कहा था ये बात सही है कि मेरे पास कोई अनुभव नहीं है। लेकिन मेरे जीवन में एक मंत्र है जो भी करूंगा देश के लिए करूंगा परिणाम मिला है कि नहीं मिला, मिला है कि नहीं मिला। यही ताकत है इन सारे निर्णयों से आपको भी परिणाम मिलेगा और इसलिए मैं कहता हूं कि कभी इन निर्णयों को आपके अपने व्‍यवसाय के perspective में आपकी main team को एजुकेट करना चाहिए। उससे आपको पता चलेगा कि सरकारें ऐसे ही कानून नहीं बना देती, नियम नहीं बना देती है और मैं इन सारी प्रक्रियाओं से लोगों से पूछता हूं, जुड़ता हूं, समझता हूं और उसी का परिणाम है कि धरती पर से हम बीज बोते हैं जो हम चाहते है वो उगा करके रखते हैं।

आज real estate regulatory authority यानि रेरा वाला कानून अभी जैसे बता रहे थे ये सब रेरा का पालन करने वाले लोग हैं। आप जक्‍सय की बात पर हंस रहे हैं। आपकी हंसी में भी मुझे कुछ समझ में आता है। लेकिन मैं इतना विश्‍वास करता हूं कि आपके दिल में इरादा है उस मिशन में जाने का और इसके लिए मैं आपको अभिनंदन करता हूं। मैं मानता हूं अभी भी आपमें से कुछ लोगों के पैर कच्‍चे होंगे, हो सकता है लेकिन अब आपका मन पक्‍का हुआ होगा, पक्‍के जमीन पर पैर रखने का और मुझे उसी में विश्‍वास है। मैं बीते हुए कल पर गुजारा करने वाला इंसान नहीं हूं। आने वाले कल के विश्‍वास पर नई इमारत खड़ी करने पर विश्‍वास करता हूं। यानी रेरा 28 राज्‍यों में notify किया जा चुका है। 21 राज्‍यों में तो ट्रिबनल भी काम कर रहा है। आज देश भर में करीब 35 हजार रियल एस्‍टेट प्रोजेक्‍टस और 27 हजार रियल एस्‍टेट एजेंटस इससे रजिस्‍टर्ड हो चुके हैं। इन प्रोजेक्‍ट के तहत लाखों नए फ्लैटस निर्माण किए जा रहे हैं। इस बात से बहुत बड़ा लाभ क्‍या होगा। मैं आपको एडवाइज नहीं दे रहा हूं। लेकिन अगर आप मुझे अपना मित्र बताते हैं, मानते हैं तो मैं कड़वी बात बोलना चाहता हूं। बोलूं ..... अब प्रधानमंत्री के सामने कौन मना करेगा..... देखिए ये एक ऐसा फील्‍ड है आपका जो मुनष्‍य की जीवन की एक महत्‍वपूर्ण आंकाक्षा से जुड़ा हुआ है। यानी घर बनाना जीवन के अंत काल तक उसके मन में रहता है। पहले ये घर बने फिर ये है तो अच्‍छा बने, फिर ये है तो अच्‍छा है तो बड़ा बने। फिर है ये तो बड़ा बने ये इसके साथ ये एक ऐसी व्‍यवस्‍था है जिसका कहीं अंत ही नहीं है। और उसके साथ आप जुड़े हुए हैं। ये आपको अंदाज है क्‍या....

आप वो लोग हैं, उस क्षेत्र में हैं जो सबसे अधिक लोगों को रोजगार देते हैं और सिर्फ जो इमारत बनाने में राज मिस्‍त्री काम करता है उसे मैं नहीं कह रहा हूं अगर आप सीमेंट इस्‍तेमाल करते हैं तो वहां भी रोजगार मिलता है। आप स्‍टील का उपयोग करते हैं तो वहां भी रोजगार मिलता है। यानी वहां अगर एक अच्‍छी सोसाइटी बन गई वहां कोई माली लगा देते है तो उसको भी रोजगार मिल जाता है वहां पर अखबार डालने वाला आना शुरू हो जाता है तो उसको भी रोजगार मिलता है। दूध बेचने वाला.... यानी आप एक रोजगार के ईको सिस्‍टम को आप कैटेलिक एजेंट का काम करते हैं। इतना सारा करने वाले लोगों के लिए आप मुझे बताइए जितनी इज्‍जत होनी चाहिए, उतनी है क्‍या। क्‍यों चुप हो गए भई..... क्‍यों ऐसा हुआ.... कौन जिम्‍मेवार है। मैं आज भी मानता हूं दोस्‍तों और आपकी भागीदारी ऐसे-ऐसे लोगों से है कि कोई आप पर हाथ डालता नहीं है, आपको सुधरने के लिए कहता नहीं हैं, और इसी लोगों ने आपको बरबाद किया है।

मैं मानता हूं आपका ये जो प्रयास चल रहा है मैं जक्‍सय को बचपन से जानता हूं और मुझे भरोसा भी है। आप ये जो प्रयास कर रहे हैं। मुझे सबसे बड़ी अपेक्षा क्‍या है आपसे मैं पहले गुजरात जो डायमंड इंडस्‍ट्री है उसके लोगों से बहुत बाते करता था तब मैं राजनीति में नहीं था। लेकिन मैं उनको कहता था अपनी छोटी उम्र में डायमंड कटिंग, पॉलिसिंग के लिए आए, अब एक्‍सपोर्टर बन गए, कंपनी के मालिक बन गए, पांच-पांच, दस-दस हजार करोड़ का आपका एक्‍सपोर्ट होता है, आपका बड़ा कारोबार चल रहा है लेकिन आपकी छवि क्‍यों बदलती नहीं है। ये मैं उनको लगातार पूछते था मैं आज से 20-25 साल पहले की बात बता रहा हूं। ये बात मैं लगातार कहते-कहते और आप देखिए 25 साल पहले डायमंड से जुडे लोगों की जो यानी कोई मकान किराए पर नहीं देता था मैं बताऊं... आप मानोगे नहीं इस बात को 25-30 साल पहले मकान किराए पर देने से पहले लोगों को लगता था कि पता नहीं वो.... आज कोई भी फंक्‍शन होगा तो मंच पर जो विशेष अतिथि होगें तीन डायमंड वाले होते हैं। इज्‍जत कैसे बनी उन्‍होंने बिल्‍कुल सिस्‍टमैटिक प्रयास किया मैंने भी उनके साथ जुड़ा रहा, मैं मानता हूं आपका क्षेत्र ऐसा है, आप पढ़े-लिखे हो जरूरी नहीं है, आप बहुत धनवान हो जरूरी नहीं है, आप एक ऐसी युवा पीढ़ी हो और मैं एक मित्र के रूप में बात कर रहा हूं। मैं प्रधानमंत्री के रूप में नहीं कह रहा हूं। आपकी priority होनी चाहिए इस क्षेत्र की प्रतिष्ठा, आपकी प्रतिष्ठा ये बहुत मायने रखती है दोस्‍तों, आप कुछ भी मकान कैसा बनाते हो, हो सकता है आपकी पहचान हो जाए... यार बहुत अच्‍छी स्‍कीम बनाई है, डिजाइन बहुत अच्‍छी थी, मैटेरियल बहुत अच्‍छा था दिखता बहुत अच्‍छा था, ये सब... अगर आप एक बार credibility बन जाए, आप देखिये क्‍या आसमान आपके सामने झुकना शुरू कर देगा। इतना बड़ा क्षेत्र, इतना बड़ा महत्‍वपूर्ण क्षेत्र उसकी एक सामाजिक प्रतिष्ठा, सामाजिक स्‍वीकृति कोई भी व्‍यक्ति जीवन में इतनी मेहनत करके बचाता है। तो पहले सोचता है बच्‍चों को पढ़ाई, बाद में सोचता है बच्‍चों की शादी हो जाए लेकिन उसके साथ-साथ सोचता है अपना एक घर हो जाए यानी अपनी पूरी जिंदगी आपके चरणों में डाल देता है। और उसमें जब धोखा होता है, धोखा एक करता है, मुसीबत सौ को झेलनी पड़ती है। अगर आप इस चुनौती को समझ करके उसका रास्‍ता खोजोगे.... आप देखिए बहुत बड़ा बदलाव आएगा।

साथियो, इसी तरह construction permit सहित तमाम दूसरी permission अब पहले की तुलना में तेजी से मिल रही है। जिसका परिणाम ये हुआ है। ease of doing business के ranking में देश ने 67 रैंक की छंलाग बीते साढ़े चार वर्ष में लगाई है।

दुनिया के लिए अचरज है इतना बड़ा देश, developing country ये इतना बड़ा jump लगा सकता है मुझे world bank के president ने एक दिन फोन किया। world bank का president फोन करे तो हो सकता है सरकारी कोई काम होगा, उन्‍होंने फोन मुझे इस बात के लिए किया कि मैं कल्‍पना नहीं कर सकता हूं developing country जो इतना विशाल देश निर्धारित लक्ष्‍य में इतना तेजी से आगे बढ़ सकता है। उनके लिए surprise था। उन्‍होंने टीम को यहां मुझे अभिनंदन करने के लिए भेजा था, world bank की पूरी टीम आई थी। इन चीजों का लाभ अगर आप नहीं लेते हैं, तो देश का बहुत नुकसान होगा। और इसलिए मैं चाहता हूं कि मौका छोडि़ए मत जी।

जीएसटी ने भी रियल एस्‍टेट के कारोबार को developers और ग्राहक, दोनों के लिए बहुत आसान किया है। आप जानते हैं कि पहले construction sector पर 15 से 18 पर्सेंट का टैक्‍स लगता था, ऊपर से जो सामान है- जैसे, पेंट, टाइलें, टाइलें होती हैं, टॉयलेट होता है, शावर होता है, केबल होता है, वायर होता है, ऐसी तमाम चीजों पर 30 प्रतिशत से ज्‍यादा टैक्‍स लगा करता था।

साथियो, जीएसटी के लागू होने के बाद मध्‍यम वर्ग के घरों के लिए तो टैक्‍स 8 प्रतिशत और दूसरे घरों के लिए 12 प्रतिशत; commercial property पर भी टैक्‍स बहुत कम हुआ है। इसी तरह construction material पर भी जीएसटी को बहुत कम किया गया है। पेंट, वायर, इलेक्ट्रिकल फिटिंग से जुड़ा सामान, सेनेटरी वेयर, प्‍लाईवुड, टाईल जैसे अनेक सामान पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत लाया गया है; वहीं ईंटों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। नहीं बजेगी ताली, मुझे मालूम है। मैं सुनाने नहीं आया हूं, मैं आपको समझने आया हूं। और मुझे इतना काफी है कि क्‍या चल रहा है।

साथियो, आज सभी मध्‍यम वर्ग के लिए सही कीमत पर अच्‍छे घर बना पाएं, इसके लिए इनकम टैक्‍स में भी छूट दी गई है। साल 2016 में सेक्‍शन 80आईबीए जोड़ा गया था, जिसके तहत affordable housing project के profit में शत-प्रतिशत deduction का प्रावधान किया गया। अब ऐसे projects को पूरा करने की समय अवधि को भी तीन वर्ष से पांच वर्ष किया गया है। इसी वर्ष affordable housing project के approval के लिए टाइम पीरियड को 31 मार्च, 2019 की बजाय एक साल यानी 31 मार्च, 2020 तक कर दिया गया है। Unsold inventory की समस्‍या को ध्‍यान में रखते हुए national rental income पर अब दो वर्ष तक टैक्‍स नहीं लिया जाएगा। ऐसे अनेक प्रावधान मध्‍यम वर्ग के घरों को बल देने के लिए बीते साढ़े चार वर्ष से किए जा रहे हैं।

सा‍थियो, रियल एस्‍टेट और housing sector के लिए धन की कमी न हो, इसके लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। दो वर्ष पहले ही real estate यानी infrastructure investment trust को debt market से फंड जुटाने की permission दी गई थी, ऐसे ट्रस्‍टों को 2017 से ही dividend distribution tax से छूट दे दी गई है। Housing finance कम्‍‍पनियों को विदेशों से फंड जुटाने में आसानी हो, इसके लिए sectoral remittance को भी पिछले वर्ष हटा दिया गया है।

साथियो, ये तमाम प्रयास मध्‍यम वर्ग के घरों को, infrastructure को गति देने के लिए तो किए ही जा रहे हैं, साथ में रोजगार निर्माण को भी इनसे बल मिला है। इस सेक्‍टर में करोड़ों साथी काम कर रहे हैं जो अधिकतर unorganized sector का हिस्‍सा हैं। घर के निर्माण में जुटे इन परिवारों के लिए सरकार एक बहुत बड़ी योजना इस बजट में लाई है। अब 15 हजार रुपये महीना से कम कमाने वाले इन साथियों को 60 साल के बाद 3000 रुपये तक की पेंशन तय है। इस योजना से जुड़ने के लिए इन श्रमिक साथियों को एवरेज hundred rupees हर महीने जमा करने होंगे और उतने ही पैसे केन्‍द्र सरकार उनके पेंशन खाते में जमा करेगी।

साथियो, मेरा आप सबसे आग्रह है कि आप आपके बिजनेस को देश के मध्‍यम वर्ग के सपनों को पूरा करने वाले साथियों का भी आप अवश्य ध्‍यान रखें। आप इनको इस पेंशन योजना से जोड़ने के लिए अपनी तरफ से भी योगदान दें। मैं समझता हूं इसी तरह आप ये भी देखेंगे कि आपके ये साथी प्रधानमंत्री जीवन-ज्‍योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना से अवश्‍य जुड़ें हैं। ये देखना चाहिए, 90 पैसों का इंश्‍योरेंस है जी। कभी-कभी एक मित्र के साथ बात करते-करते गाड़ी चालू रखते हैं तो फालतू में आप इतने का पेट्रोल जला देते हैं।

अगर आप अपने साथियों का इतना सा कर लें; उसके जीवन में कोई संकट आएगा तो दो-दो लाख रुपये के इंश्‍योरेंस उसके परिवार को कितनी बड़ी ताकत दे देते हैं जी। हजारों करोड़ रुपये ऐसे परिवारों को पहुंच चुके हैं, इस योजना से; करोड़ों परिवार इससे जुड़े हैं। आप देखिएगा, आपके यहां कोई गरीब परिवार, उसको इसका ज्ञान है क्‍या। आप उसको फायदा दिलवाइए। सरकार देने के लिए तैयार है। ये प्रयास सामाजिक दायित्‍वों को लेकर आप जो काम कर रहे हैं, उनको और नया विस्‍तार देंगे जी। मुझे बताया गया है कि आप गरीब बच्‍चों की शिक्षा और skill development से लेकर स्‍वच्‍छ भारत अभियान तक अपना योगदान दे रहे हैं, मैं इसके लिए आपको हृदय से बहुत बधाई देता हूं।

साथियो आप जैसे next generation leaders ही न्‍यू इंडिया को सेफ करने वाले हैं। आपके नए विचार, आपके सामर्थ्‍य के बल पर ही मैं बड़े और मुश्किल लक्ष्‍य रख पाता हूं। ये आपकी मजबूती के कारण मैं कर पा रहा हूं। और मुझे विश्‍वास है ये मजबूती देश को और मजबूत बनाने के लिए आगे भी काम आने वाली है, ये मेरा विश्‍वास है। मुझे विश्‍वास है कि घरों को और affordable कैसे बनाया जाए, इसको लेकर इस कार्यक्रम में गंभीर मंथन होगा और नए ideas सामने आएंगे। विशेष तौर पर housing sector में sustainable development और innovative technology का अधिक उपयोग कैसे हो, इसके बारे में चर्चा जरूरी है।

Green और clean energy, energy efficiency, water conservation, construction material का reuse और अपार्टमेंटस में आधुनिक waste management system को बढ़ावा देना भी आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही, construction के लिए नई technology का प्रभावी और व्‍यापक इस्‍तेमाल भी जरूरी है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगभग 12 लाख घरों का निर्माण नई technology के माध्‍यम से किया जा रहा है। हाउसिंग सेक्‍टर में इस technology को विस्‍तार देने से construction cost तो कम होगी ही, घरों का निर्माण भी तेजी से होगा। दुनिया की best housing technology की पहचान करने के लिए global housing technology challenge से जुड़ी conference भी अगले महीने यहां दिल्‍ली में आयोजित की जा रही है। आप सभी इस challenge का हिस्‍सा बन सकते हैं।

साथियो, आपसे देश को अपने घर का सपना संजोए हर सामान्‍य मानवी को बहुत आशाएं हैं। आप इन आशाओं पर खरे उतरेंगे, इसी विश्‍वास के साथ मैं आज आपको बहुत कुछ बताता रहता था, लेकिन मैं कुछ और बातें भी जोड़ना चाहता था। मैं अभी पूछ रहा था जक्‍सय को कि आपके यहां इतने सारे नौजवान हैं, कोई competition वगैरह होता है क्‍या? तो उन्‍होंने कहा, नहीं अभी तो हमने सोचा नहीं है। मैं आपको एक विचार देता हूं- क्‍या CREDAI संस्‍था construction की दुनिया में जो technology में innovation करे, ऐसे innovation करने वाले कुछ startups हों, यहां आपके यहां जो काम करने वाले लोग हैं, उन्‍होंने अपने तरीके से कुछ नया किया हो, कोई climate के संदर्भ में अपने construction की दुनिया को आगे बढ़ाता हो, कुछ जो pro- environment हो। आपके यहां ऐसे लोग हों जो waste में से best बनाने की तकनीक को प्रयोग करते हों और ऐसे-ऐसे waste का उपयोग करके construction के काम में लाते हों। Waste में से wealth create करते हों। ऐसे तरीके जो आप ही के क्षेत्र से जुड़े हुए हों, इनको जोड़ने की, innovations की, new practices की competition करके, ऐसे जब आपके event हों, उसमें एक ज्‍यूरी बना करके ऐसे लोगों को प्राइज देने की कल्‍पना सोचनी चाहिए।

दूसरा एक काम- और मैं मानता हूं शायद आपको अच्‍छा लगेगा, क्‍योंकि आपके यहां भी जरूर women organization है, लेकिन वो शायद actually इस फील्‍ड में काम करने वाले women हैं, उनका organization है, लेकिन ज्‍यादातर ऐसे organization हों तो उनकी पत्नियां या परिवार के लोग कुछ संगठनों में होते हैं। हो सके तो ऐसा एक और संगठन बनाना चाहिए जिसमें आपके परिवार की महिलाएं हों, जो बिजनेस में नहीं हैं, लेकिन अपने घर काम करती हैं, घर संभालती हैं। मैंने एक प्रयोग किया था, जब मैं गुजरात में था, मुख्‍यमंत्री था। हमने झुग्‍गी–झोंपड़ी की जगह पर फ्लैट बनाए, बहुत बड़ी मात्रा में काम किया था। लेकिन मैं अनुभव कर रहा था, साइक्‍लोजिकल, आपने बहुत पहले एक मूवी देखा होगा, मैंने देखा था- मुझे नाम याद नहीं रहा- लेकिन आपको याद आ जाएगा। कमल हसन उसमें कलाकार थे और वो कहीं झोंपड़ी में रहते थे, बगल में रेलवे जाती थी तो उनको वो गाड़ी की आवाज से नींद आती थी। अब उनका घर बदल गया तो उनको अब गाड़ी की आवाज बंद हो गई तो नींद नहीं आ रही थी। तो उन्‍होंने टैप किया गाड़ी का आवाज और रात को टैप चला करके वो सोते थे तो गाड़ी की आवाज से नींद आती थी।

कहने का मतलब है कि जो गरीबी में जिंदगी गुजारता है, वो जब नए मकान में जाता है तो वो अपने-आपको एडजस्‍ट नहीं कर पाता है। अगर उसको उचित समय पर guidance मिल जाए, उसकी ट्रेनिंग हो जाए तो उसका जीवन बदल जाएगा; दीवारें बदलने से जीवन नहीं बदलता। उसके लिए मैंने एक एनजीओ से बात की और किया क्‍या- ये जो गरीब परिवार के लोगों को जो पक्‍के घर मिले तो मैंने उनकी परिवारों की ट्रेनिंग शुरू करवाई- टॉयलेट का उपयोग कैसे करें, उनको मालूम नहीं था, वो सोचते थे ये है क्‍या- पहले तो वहीं से पूछते थे क्‍योंकि देखा नहीं था। और मैं बताऊं- हमारे देश में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हमे सुनते भी आश्‍चर्य होता है क्‍योंकि हमने उस जिंदगी को जिया नहीं है जी, हमें पता नहीं है। तो उनको सिखाया गया, ये टॉयलेट होता है, ऐसे उपयोग करते हैं। नल को ऐसे करना, बंद करना, ढिंगना करना; खिड़की है- एक तो शीशे वाली खिड़की है तो क्‍या करोगे। पुरानी साड़ी है- चलो परदा बना देते हैं। आपके घर में कोई आएगा तो पैर पोंछकर आना चाहिए- अच्‍छा चलो पुराना घर में कोई थैली-वैली है तो उसमें से अपना कोई बना देते हैं। ऐसी चीजों का एक एनजीओ के द्वारा मैंने ट्रेनिंग शुरू किया। तीन हफ्ते वो लगाते थे, उनका confidence इतना बदल गया कि फिर वो पैसे बचाने लगे, फिर एकाध प्‍लास्टिक की चेयर ले आए,‍ फिर एक दरी ले आए, परदा ठीक करने; उनको जीवन जीने का आनंद आने लगा। फिर उनका मन कर गया रेडियो लाएंगे, टीवी लाएंगे।

अगर आप मकान बनाने की योजना के साथ-साथ अपने ही परिवारजनों का कोई एनजीओ बना करके, ये बाद में जीना कैसे- जीना कहां हो गया, अब जीना कैसे, ये एक आप अगर one step आगे चले जाएं, उन परिवारों की ट्रेनिंग करें, जीना सिखाएं उनको- आप देखिए, आपको इस मकान बनाने से ज्‍यादा उसकी बदली हुई जिंदगी आपके जीवन को सबसे ज्‍यादा संतोष देगी, सबसे ज्‍यादा खुशी देगी।

ऐसी कुछ innovative चीज आप करेंगे और आप युवाजन हैं, चीजों को रिसीव करने की आपकी ताकत ज्‍यादा होती है और मेरा दिमाग बड़ा युवा है। मैं बहुत तेजी से दौड़ने वाला और करने वाला इंसान हूं और इसलिए मेरा-आपका matching बहुत जल्‍दी हो जाता है; मुझे कुछ दूरी महसूस नहीं होती है। न मुझे पद की दूरी होती है, न ही उम्र की दूरी होती है, न मेरे background की दूरी होती है। दिल में एक ही आग होती है- आपसे मिलूं, आपसे बात करूं, आपके लिए सोचूं, आपके साथ काम करूं, मिल करके देश के लिए काम करूं।

इसी एक भावना के साथ मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं और जिस कलाकार ने मुझसे भी ज्‍यादा मुझे सुन्‍दर बना करके चित्र बनाया है, उस कलाकार को बहुत-बहुत बधाई। मैंने जक्‍सय से कहा है कि उसका मुझे address देना, मैं जरूर उस साथी को चिट्ठी लिखूंगा, जिसने इस प्रकार से अपना काम किया।

मैं फिर एक बार आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। मैंने जो बातें बताई हैं, देश के संदर्भ में बताई हैं- आपको अच्‍छी लगें ले जाना, बुरी लगें मेरे लिए छोड़ जाना। मैं ठीक से उसको ठीकठाक करूंगा, फिर परोसने आऊंगा।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

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PM to visit Gujarat on 26th and 27th May
May 25, 2025
QuotePM to lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth around Rs 24,000 crore in Dahod
QuotePM to lay the foundation stone and inaugurate development projects worth over Rs 53,400 crore at Bhuj
QuotePM to participate in the celebrations of 20 years of Gujarat Urban Growth Story

Prime Minister Shri Narendra Modi will visit Gujarat on 26th and 27th May. He will travel to Dahod and at around 11:15 AM, he will dedicate to the nation a Locomotive manufacturing plant and also flag off an Electric Locomotive. Thereafter he will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth around Rs 24,000 crore in Dahod. He will also address a public function.

Prime Minister will travel to Bhuj and at around 4 PM, he will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth over Rs 53,400 crore at Bhuj. He will also address a public function.

Further, Prime Minister will travel to Gandhinagar and on 27th May, at around 11 AM, he will participate in the celebrations of 20 years of Gujarat Urban Growth Story and launch Urban Development Year 2025. He will also address the gathering on the occasion.

In line with his commitment to enhancing connectivity and building world-class travel infrastructure, Prime Minister will inaugurate the Locomotive Manufacturing plant of the Indian Railways in Dahod. This plant will produce electric locomotives of 9000 HP for domestic purposes and for export. He will also flag off the first electric locomotive manufactured from the plant. The locomotives will help in increasing freight loading capacity of Indian Railways. These locomotives will be equipped with regenerative braking systems, and are being designed to reduce energy consumption, which contributes to environmental sustainability.

Thereafter, the Prime Minister will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth over Rs 24,000 crore in Dahod. The projects include rail projects and various projects of the Government of Gujarat. He will flag off Vande Bharat Express between Veraval and Ahmedabad & Express train between Valsad and Dahod stations. Prime Minister will also inaugurate the gauge converted Katosan- Kalol section and flag off a freight train on it.

Prime Minister will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth over Rs 53,400 crore at Bhuj. The projects from the power sector include transmission projects for evacuating renewable power generated in the Khavda Renewable Energy Park, transmission network expansion, Ultra super critical thermal power plant unit at Tapi, among others. It also includes projects of the Kandla port and multiple road, water and solar projects of the Government of Gujarat, among others.

Urban Development Year 2005 in Gujarat was a flagship initiative launched by the then Chief Minister Shri Narendra Modi with the aim of transforming Gujarat’s urban landscape through planned infrastructure, better governance, and improved quality of life for urban residents. Marking 20 years of the Urban Development Year 2005, Prime Minister will launch the Urban Development Year 2025, Gujarat’s urban development plan and State Clean Air Programme in Gandhinagar. He will also inaugurate and lay the foundation stone for multiple projects related to urban development, health and water supply. He will also dedicate more than 22,000 dwelling units under PMAY. He will also release funds of Rs 3,300 crore to urban local bodies in Gujarat under the Swarnim Jayanti Mukhyamantri Shaheri Vikas Yojana.