The next five years will be about building a magnificent country with the strong foundations built since 2014: PM Modi in Gondia
The Congress ‘Dhakosala-Patra’ is a manifesto for Pakistan’s propaganda. It is a manifesto for demoralising our armed forces: Prime Minister Modi
The BJP government will fulfill the growing aspirations and provide stable growth of an emerging economy like India: PM Modi

भारत माता की जय...जय
भारत माता की जय...जय
भारत माता की जय...जय

मराठी नववर्ष गुड़ी पड़वा की अग्रिम शुभकामनाएं। आज सुबह से मैं निकला हूं। हिदुस्तान के पूर्वी छोर पर अरूणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक वहां से फिर महाराष्ट्र में आपके बीच लेकिन आज मैं कह सकता हूं कि जिन-जिन राज्यों में जाने का मौका मिला है। चुनाव प्रचार मैंने 2013-14 में भी किया था। चुनाव प्रचार मैंने अलग अलग राज्यों की विधानसभा में भी किया था लेकिन ऐसी लहर पहले कभी देखी नहीं है।

ये ऐसा चुनाव है जो देश की जनता लड़ रही है। ये ऐसा चुनाव है जो देश के दुश्मनों के लिए नरमी बताने वालों को जनता ने सबक सिखाने की ठान ली है। ऐसा लग रहा है - जैसे एक रैली दूसरी रैली का रिकार्ड तोड़ती जा रही है। अगर अभी देवेंद्र जी ने आप सब से मोबाइल की लाइट ऑन नहीं करवाई होती, तो मैं भी यहां बैठे-बैठे अंदाज नहीं कर सकता कि कितने दूर दूर तक लोग है, जब लाइट हुई तो पता चला कि कहीं नजर नहीं पहुंच रही है।

महाराष्ट्र के मन में क्या है, देश के मन में क्या है वो सब बाते आपके जोश में दिख रही है। इस बार महायुति महाराष्ट्र से महामिलावट को पूरी तरह साफ करने जा रही है। आपने जो लहर पैदा की है...विकास विरोधी, प्रगति विरोधी, परिवारवादी, वंशवादियों को उखाड़ने फैंकनें का जो फैसला किया है। इसके लिए दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए -

भारत माता की...जय
भारत माता की...जय

मा मांडव देवी.....मां मांडव देवी का जिस धरती पर आशीर्वाद हो, और नागरा के भोले शिव जहां कि रक्षा करते हो ऐसी वीरों की भूमि को प्रणाम करता हूं। साथियो, पिछली बार जब मैं गोंदिया आया था तो मैंने आप से वादा किया था कि आपके आशीर्वाद और आपके प्यार को मैं सूद समेत ब्याज समेत वापस करूंगा याद है ना, ऐसा मैंने कहा था और मैंने ये भी कहा था कि मैं ब्याज समेत लौटाउंगा और विकास करके लौटाउंगा। आज मैं आपके बीच आया हूं हिसाब देने के लिए लेकिन हिसाब देने से पहले में आपका आभार व्यक्त करना चाहता हूं.और गोंदिया की इस घरती से महाराष्ट्र के सभी नागरिकों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं और यहां से मैं हिंदुस्तान के सभी नागरिकों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं।

आप सभी भंडारा गोंदिया और महाराष्ट्र की जनता के साथ और सहयोग से पांच वर्ष तक बिना रूके बिना थके मैं निरंतर काम कर पाया। अनेक महत्वपूर्ण फैसलें लिए देश को बदलने के लिए भरसक कोशिश की। गरीब के घर में टायलेट बनाने से लेकर के अंतरिक्ष में सेटेलाइट को मार गिराने तक, जल हो, थल हो, नभ हो,अतरिक्ष हो पांच साल लगातार लगा रहा ये संभव हुआ है आपके आशीर्वाद के कारण, आपके समर्थन के कारण।

अगर आप देशवासियों ने 2014 में मेरा साथ ना दिया होता, मुझे आशीर्वाद दिए न होते तो क्या ये हो सकता था। और इसलिए आज पांच साल के बाद देश की जनता के पास निकला हूं तो मेरा सबसे पहला कर्तव्य बनता है कि दोनों हाथ जोड़कर के आप सबका धन्यवाद करूं और आगे के पांच साल के लिए आपके आशीर्वाद की कामना करने आया हूं।

साथियो, आपके विश्वास का ही परिणाम है कि 72 साल के गड्ढों को हम भर पाएं। जब मैं आया था तो मैंने सरकार में व्यवस्था में तिजोरी में ऐसे-ऐसे गड्ढे देखे, ऐसे-ऐसे गड्ढे देखें पांच साल उन गड्ढों को भरने में चले गए। अब आपके सहयोग से विकास का नया हाइवे बनेगा, आपके भरोसे से ही भारत का दुनिया में एक नई पहचान बनी। अब महाशक्तियों के साथ कदमताल का काम भी आपके साथ से ही होने वाला है। आप बताइए आपके इस चौकीदार के प्रयासों से आप मेरे गोदिया भंडारा के भाई बहन इस चौकीदार के प्रयासों से आप संतुष्ट हैं...

ऐसा नहीं पूरी ताकत से बताओ पता चले? चौकीदार की निष्ठा और नीयत पर आपको विश्वास है? देश सही दिशा में जा रहा है, आपको भरोसा है?

आपका ये विश्वास यही मेरी पूंजी है। ये आपका यही विश्वास देश में बड़े और कड़े फैसलें करा रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक याद है ना आतंकियों को कैसे घर में घुसकर मारा याद है ना।
आजकल दिल्ली के एयरकंडीशन कमरे में बैठे हुए लोग नई-नई कथाएं बाजार में छोड़ते रहते हैं। जिनको मोदी शब्द सुनते ही नींद हराम हो जाती है। ये लोग चला रहे हैं - ये जो बालाकोट की घटना है ना, अब महीना हो गया लोग भूल रहे हैं, भूल रहे हैं...आपको क्या लग रहा है भूल रहे हैं क्या...याद है क्या देश...अरे ये देश 1962 की लड़ाई भी नहीं भूला है तो बालाकोट कैसे भूल सकता है।

साथियो, जब बात देश की होती है तो हमारे लिए देश प्रथम, पार्टी उसके बाद में। हमारे लिए दल से बड़ा देश है लेकिन सच्चाई ये भी है कि हमारा देश दशकों तक एक ऐसी उल्टी दिशा में ही चला है। आतंकियों पर कार्रवाई के बजाए तुष्टिकरण के नाम पर उन्हें बचाने का काम किया गया है। अब देश में अपनी दिशा भी बदली है और आगे बढ़ने की गति भी बदली है लेकिन महाराष्ट्र के साथियो, गोंदिया के भाईयों बहनों कांग्रेस द्वारा देश को एक बार फिर अस्थिर करने की साजिश... आप देख रहे है इनका एक आदत है या तो पूरा कब्जा करों नहीं तो फिर कंफ्यूजन करो और आज वो देश में कंन्फ्यूजन पैदा करने में लगे हैं। क्योंकि उनको मालूम है मोदी है तो लोगों की भलाई हो रही है और उनकी मलाई छू हो रही है। अब मुझे बताइए मुझे भलाई वालों के लिए काम करना चाहिए या मलाई वालों के लिए। कल इन लोगों ने जो ढकोसला पत्र जारी किया है। वो राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ का दस्तावेज है, कांग्रेस का ढकोसला पत्र पाकिस्तान की साजिशों का योजना पत्र है, कांग्रेस का ढकोसला पत्र देश के वीर जवानो को तोड़ने का षड़यंत्र है, कांग्रेस का ढकोसला पत्र भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाने वालों का साजिश पत्र है।

साथियो, इस क्षेत्र में नक्सली हिंसा से निपटने में हमारे जवान निरंतर डटे हुए है। महाराष्ट्र में हिंसा फैलाने वालों के दिन अब गिन चुके हैं। लेकिन मेरे प्यारे भाईयों-बहनों आपको सावधान रहना होगा अगर थोड़ी सी भी चूक हुई, अगर इन महामिलावट करने वालों को जरा भी मौका मिला, तो नक्सल माओवादी आंदोलन को ओर गति मिलने वाली है।

साथियो, जब हमारी सरकार हिंसा के लिए उकसाने वाले अरबन नक्सलियों को सजा दिलाने का प्रयास कर रही है तब कांग्रेस और एनसीपी के नेता कैसे उनके साथ खड़े हो जाते हैं। ये आपने भली भांति देखा है, अब तो कांग्रेस ने खुलकर घोषणा की है कि अगर कोई अरबन नक्सली देश विरोधी काम करता पकड़ा जाए तो उस पर देश द्रोह का केस नहीं चलेगा।

मेरे प्यारे भाईयों बहनों आपको यह बात मंजूर है - ये कांग्रेस सही कर रही है, एनसीपी सही कर रही है। मुझे बताइए देश का हाल क्या होगा। क्या आपके रहते हुए देश का ऐसा हाल होने देंगे। ये देशद्रोहियों को मुक्ति दिलाने वालों को आप मौका देंगे क्या? क्योंकि कांग्रेस ने देशद्रोह से जुड़े कानून को ही हटाने का फैसला किया है।

क्या देशद्रोह का कानून हटना चाहिए? क्या देशद्रोह का कानून हटना चाहिए? मेरी माताएं बहनें बहुत बड़ी संख्या में यहां बैठी है बताइए क्या देशद्रोह का कानून हटना चाहिए?
भारत को तोड़ने की कोशिश करने वालों को खुला लाइसेंस मिलना चाहिए क्या? हजारों जवानों के बलिदान का अपमान करने वाली कांग्रेस और उसकी साथी एनसीपी को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैं तो देश के रक्षा मंत्री रहे श्रीमान शरद पवार जी से पूछना चाहता हूं कि क्या वो कांग्रेस के ढकोसला पत्र से सहमत है क्या?

अरे आप तो रक्षा मंत्री रहे हैं अरे आपका जन्म छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती पर हुआ है। क्या मूंह पर ताले लगाकर बैठ गए हो इतनी क्या कारण हैं। कांग्रेस के इन पापों को ढो रहे हो मुझे समझ नहीं आ रहा है क्या वो देश की सेना को देश के सुरक्षा बलों को कमजोर करने के कांग्रेस के फैसलें से सहमत हैं? ये शरद राव ने जवाब देना पड़ेगा।

साथियो, अपने राजनीतिक अस्तित्व को खोने की बौखलाहट में ये महामिलावटी लोग आए दिन सुबह शाम ये चौकीदार को गाली देने में जुटे हैं। उनकों मेरे काम से ज्यादा मेरे नाम से समस्या है। पहले चायवाले इतिहास से उनको दिक्कत थी अब चौकीदार से हो गई है। मैंने क्या किया इससे ज्यादा उनको इस बात की चिंता है मैं कहां पैदा हुआ, किस परिवार और किस समाज से उठकर मैं ऊपर आया। यही गणित यही अहसास दिलाने का ये प्रयास कदम कदम पर ये कर रहे है मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं कांग्रेस के नामदार जगह-जगह कहते फिर रहे हैं कि मोदी जैसे तो हम अमीरों के यहां चौकीदारी करते हैं। क्या ये शब्द शोभा देते हैं क्या?

कांग्रेस के एक राग दरबारी मुझे शौचालय का चौकीदार बोल रहे हैं। शरद पवार जी के पार्टी के नेता चौकीदार को जाहिल बता रहे हैं। जम्मू कश्मीर में इनकी महामिलावट के एक साथी कहते हैं कि मोदी को देश चलाना नहीं आता है?
भाइयो-बहनो देश कैसे चलना चाहिए? क्या वैसा चलना चाहिए था जैसा 2014 से पहले चल रहा था?
जब जवान भी परेशान था, किसान भी परेशान था और नौजवान भी निराशा में डूबा था। यूरिया के लिए लंबी लंबी कतारे लगा करती थी किसानों को लाठियां खानी पड़ती थी। विदर्भ के किसानों के लिए पैकेज घोषित होते थे। वो बिचोलियों की जेब में चले जाते थे। किसान के पानी के हजारों करोड़ रूपये एनसीपी और कांग्रेस के लोगों की जेब में चला जाता था। क्या देश ऐसे चलना चाहिए था?
झीलों के शहर, इस शहर को जिन्होंने अपने कुशासन से बूंद-बूंद पानी के लिए तरसा दिया। क्या ऐसे देश चलना चाहिए था?
हम इन परियोजनाओं को पूरा कर रहे हैं जिससे यहां के किसानों कि दिक्कत दूर की जा सके। इसका फायदा आपको मिलना शुरू भी हो गया है।

साथियो, मोदी को देश ने चौकीदारी दी तो उसके पीछे की भावना स्पष्ट थी। इसी भावना के अनुरूप काम करते हुए आपके इस चौकीदार ने धान, तूर सहित 22 फसलों का MSP लागत का डेढ़ गुना तय कर दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस-एनसीपी की जब सरकार थी तो पांच वर्षों महाराष्ट्र में इन्होंने जितनी दाल खरीदी उससे पंद्रह गुना ज्यादा दाल इस चौकीदार की सरकार ने खरीदी है। अभी हमारे देवेंद्र जी आंकड़े दे रहे थे कि उनके समय कितने कोटी का काम हुआ, इनके समय कितना कोटी का काम हुआ - हिसाब साफ-साफ है भाइयों। इससे किसानों को तो अच्छे दाम मिले ही हैं, गरीबों को उचित मूल्य पर दाल भी उपलब्ध हो पाई है।

साथियो, 2022 तक जब हिंदुस्तान की आजादी के 75 साल होंगे। ये मेरा सपना है और आपके आशीर्वाद से पूरा भी होने वाला है। 2022 आजादी के जब 75 साल होंगे। तब दो सपनें मुझे पूरे करने हैं। एक मेरे देश के किसानों की आय दोगुनी हो और दूसरा हिंदुस्तान में एक भी परिवार ऐसा ना हो, जिसको रहने के लिए पक्का घर न हो। आपका वोट हर गरीब को घर देने वाला है और जब जिसको घर मिलेंगे उसके आशीर्वाद आपको मिलने वाले हैं। किसानों की आय दोगुनी हो सके, इसके लिए भी एक ऐतिहासिक फैसला चौकीदार की सरकार ने किया है। पीएम किसान सम्मान योजना के माध्यम से 75 हजार करोड़ रुपये हर वर्ष करीब 12 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खाते में जमा किया जा रहा है। इसमें गोंदिया सहित पूरे महाराष्ट्र के सवा करोड़ किसान परिवार हैं। इनमें से 16 लाख से अधिक किसानों के बैंक खाते में पहली किश्त आ भी चुकी है और बाकियों के खाते में भी जल्द ही पैसे पहुंच जाएंगे।

भाइयो और बहनो हमारी सरकार की नीति और नीयत दोनों आपके सामने खुली किताब की तरह है। “सबका साथ, सबका विकास” हमारा प्रण हैं और सबको सम्मान ये हमारी प्रतिबद्धता है। इसी सोच के साथ हमने पांच साल से काम किया है यही कारण है हमने दलित, आदिवासी, वंचित, पीडित, शोषित हर समाज को ऊपर उठाने का एक प्रयास किया है। जिन बाबा साहेब अंबेडकर को कांग्रेस ने अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देशभर में उनसे जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ में बदलने का काम इस चौकीदार की सरकार ने किया है। हमारे आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान को संजोने के लिए देशभर में स्मारकों का निर्माण भी हमारी ही सरकार कर रही है।

भाइयो और बहनो मैंनें आपके बीच आकर कभी दावा नहीं किया कि मैंने सारे काम पूरे कर दिए, अरे जो 70 साल सरकार चला चुके है वो नहीं कर पाए तो ये पांच साल वाला क्या कर सकता है। लेकिन अनेक क्षेत्रों में हमने महत्वपूर्ण काम किए, अनेक क्षेत्रों में काम तेज गति से आगे बढ़ रहे है और बहुत सारे काम निकट भविष्य में पूर्णता पर हैं। आपका ये चौकीदार पूरी ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभा रहा है। आज हम जो भी काम कर रहे है वो जब पूरा होने की तरफ बढेंगे तो देश समर्थ होगा, देश सक्षम होगा, देश सुरक्षित होगा।

भाइयो और बहनो मुझे विश्वास है 11 अप्रैल को आप इस चौकीदार के प्रयासों पर मोहर लगाएंगे कमल के निशान पर बटन दबाएंगे। और भाइयो और बहनो आपका हर कमल हर वोट सीधा-सीधा मोदी को मिलने वाला है।और भाइयो ये एनसीपी के नेता बड़े-बड़े खैरखां...जरा उनको ये भी कभी पूछ लेना। मैं आज बड़ी सारी चीजें बताना नहीं चाहता हूं लेकिन उनको पूछ लीजिए कि आजकल उनकों नींद क्यों नहीं आती...पूछोंगे...कि आपको नींद क्यों नहीं आती। नींद न आने का कारण है...उनकी नींद आजकल दिल्ली की तिहाड़ जेल में जमा पड़ी है। उनको डर सता रहा है कि जो अंदर गया है वो कुछ बोल देगा तो होगा क्या? बड़े परेशान है और वो दिन दूर नहीं है जब सारी चीजें खुलकर बाहर आएंगी भाइयो।

प्यारे भाइयो-बहनो आप इतनी बड़ी तादाद में हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए। मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं और मेरे साथ आप जरूर बोलिए....मैं कहूंगा मैं भी....आप कहेंगे चौकीदार।

कहेंगे...पूरी ताकत से कहेंगे, हाथ ऊपर उठाकर करके करेंगे आवाज जहां तक पहुंचनी चाहिए वहां तक पहुंचाएंगे।
मैं भी – चौकीदार, मैं भी – चौकीदार, मैं भी – चौकीदार, गांव-गांव – चौकीदार, गली-गली – चौकीदार, शहर-शहर – चौकीदार, डाक्टर भी – चौकीदार, शिक्षक भी – चौकीदार, इंजीनियर भी – चौकीदार, युवा भी – चौकीदार, महिला भी – चौकीदार, बच्चे भी – चौकीदार, बुजूर्ग भी – चौकीदार, किसान भी – चौकीदार, कलाकार भी – चौकीदार, हिंदुस्तान – चौकीदार, हिंदुस्तान – चौकीदार, सीमापार – चौकीदार,सीमा की रक्षा करने वाले – चौकीदार।

भाईयों-बहनों इन सभी चौकीदारों का गौरव करते हुए मेरे साथ बोलिए।

भारत माता की जय
भारत माता की जय
बहुत-बहुत धन्यवाद।

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November 25, 2024
PM launches the UN International Year of Cooperatives 2025
PM launches a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement
For India, Co-operatives are the basis of culture, a way of life: PM Modi
Co-operatives in India have travelled from idea to movement, from movement to revolution and from revolution to empowerment: PM Modi
We are following the mantra of prosperity through cooperation: PM Modi
India sees a huge role of co-operatives in its future growth: PM Modi
The role of Women in the co-operative sector is huge: PM Modi
India believes that co-operatives can give new energy to global cooperation: PM Modi

भूटान के प्रधानमंत्री मेरे छोटे भाई, फिजी के डिप्टी पीएम, भारत के सहकारिता मंत्री अमित शाह, International Cooperative Alliance के President, United Nations के सभी प्रतिनिधिगण, दुनियाभर से यहां आए Co-Operative World से जुडे सभी साथी, देवियों और सज्जनों।

आज आप सबका जब मैं स्वागत कर रहा हूं, तो ये स्वागत मैं अकेला नहीं करता और ना ही मैं अकेला कर सकता हूं। मैं भारत के करोड़ों किसानों, भारत के करोड़ों पशुपालकों, भारत के पशुपालकों, मछुआरों, भारत के Eight Hundred Thousand यानि 8 लाख से ज्यादा सहकारी संस्थानों, सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी Hundred Million यानि 10 करोड़ महिलाओं, और सहकारिता को टेक्नोलॉजी से जोड़ने वाले भारत के नौजवानों, सभी की तरफ से आपका भारत में स्वागत करता हूं।

Global Conference of The International Cooperative Alliance का आयोजन भारत में पहली बार हो रहा है। भारत में इस समय हम Co-Operative मूवमेंट का नया विस्तार दे रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारत की फ्यूचर Co-Operative Journey के लिए ज़रूरी इनसाइट मिलेगी, और साथ ही भारत के अनुभवों से Global Co-Operative मूवमेंट को भी 21st सेंचुरी के नए Tools मिलेंगे, नई स्पिरिट मिलेगी। मैं यूनाइटेड नेशन्स को भी, साल 2025 को International Year of Cooperatives घोषित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

दुनिया के लिए Co-Operatives एक मॉडल है, लेकिन भारत के लिए Co-Operatives संस्कृति का आधार है, जीवन शैली है। हमारे वेदों ने कहा है- सं गच्छध्वं सं वदध्वं यानि हम सब एक साथ चलें, एक जैसे बोल बोलें। हमारे उपनिषदों ने कहा- सर्वे संतु सुखिन: यानि सभी सुखी रहें। हमारी प्रार्थनाओं में भी सह-अस्तित्व ही रहा है। संघ और सह, ये भारतीय जीवन के मूल तत्व हैं। हमारे यहां फैमिली सिस्टम का भी यही आधार है। और यही तो Co-Operatives का भी मूल है। सहकार के इसी भाव के साथ भारतीय सभ्यता फली-फूली है।

साथियों,

हमारे आज़ादी के आंदोलन को भी सहकारिता ने प्रेरित किया है। इससे आर्थिक सशक्तिकरण में तो मदद मिली, स्वतंत्रता सेनानियों को एक सामूहिक मंच भी मिला। महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज ने सामुदायिक भागीदारी को फिर से नई ऊर्जा दी। उन्होंने खादी और ग्रामोद्योग जैसे क्षेत्रों में सहकारिता के माध्यम से एक नया आंदोलन खड़ा किया। और आज खादी और ग्रामोद्योग को हमारी Co-Operatives ने बड़े-बड़े ब्रांड्स से भी आगे पहुंचा दिया है। आजादी के इसी दौर में सरदार पटेल ने भी किसानों को एकजुट किया, मिल्क को-ऑपरेटिव्स के माध्यम से आज़ादी के आंदोलन को नई दिशा दी। आज़ादी की क्रांति से पैदा हुआ अमूल आज टॉप ग्लोबल फूड ब्रांड्स में से एक है। हम कह सकते हैं, भारत में सहकारिता ने...विचार से आंदोलन, आंदोलन से क्रांति और क्रांति से सशक्तिकरण तक का सफर किया है।

साथियों,

आज भारत में हम सरकार और सहकार की शक्ति को एक साथ जोड़कर भारत को विकसित बनाने में जुटे हैं। हम सहकार से समृद्धि के मंत्र पर चल रहे हैं। भारत में आज 8 लाख यानि Eight Hundred Thousand सहकारी समितियां हैं। यानि दुनिया की हर चौथी सहकारी समिति आज भारत में है। और संख्या ही नहीं, इनका दायरा भी उतना ही विविध है, उतना ही व्यापक है। ग्रामीण भारत के करीब Ninety Eight Percent हिस्से को Co-Operatives कवर करती हैं। करीब 30 करोड़-Three Hundred Million लोग…यानि दुनिया में हर पांच में से और भारत में हर पांच में एक भारतीय सहकारिता सेक्टर से जुड़ा है। शुगर हो, फर्टिलाइजर्स हों, फिशरीज हों, मिल्क प्रॉडक्शन हो...ऐसे अनेक सेक्टर्स में Co-Operatives की बहुत बड़ी भूमिका है।

बीते दशकों में भारत में Urban Cooperative Banking और Housing Cooperatives का भी बहुत विस्तार हुआ है। आज भारत में लगभग Two Hundred Thousand यानि 2 लाख, हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटीज़ हैं। बीते सालों में हमने को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर को भी मजबूत बनाया है, उनमें रिफॉर्म्स लाए हैं। आज देशभर में करीब 12 लाख करोड़ रुपए...Twelve Trillion Rupees को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा हैं। को-ऑपरेटिव बैंकों को मज़बूत करने के लिए, उन पर भरोसा बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने अनेक रिफॉर्म्स किए हैं। पहले ये बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया-RBI के दायरे से बाहर थे, हम इनको RBI के दायरे में लेकर आए। इन बैंकों में डिपॉजिट पर कवर के इंश्योरेंस को भी हमने प्रति डिपॉजिटर 5 लाख रुपए तक बढ़ाया। Co-Operative बैंकों में भी डिजिटल बैंकिंग को विस्तार दिया गया। इन प्रयासों से भारत सहकारी बैंक पहले से कहीं ज्यादा अधिक Competitive और Transparent हुए हैं।

साथियों,

भारत अपनी फ्यूचर ग्रोथ में, Co-Operatives का बहुत बड़ा रोल देखता है। इसलिए, बीते सालों में हमने को-ऑपरेटिव्स से जुड़े पूरे इकोसिस्टम को, और उसे ट्रांसफॉर्म करने का काम किया है, भारत ने अनेक रिफॉर्म्स किए हैं। हमारा प्रयास है कि Co-Operative Societies को Multipurpose बनाया जाए। इसी लक्ष्य के साथ भारत सरकार ने अलग से Co-Operative Ministry बनाई...सहकारी समितियों को मल्टीपरपज बनाने के लिए नए मॉडल bylaws बनाए गए। हमने सहकारी समितियों को IT Enabled Eco System से जोड़ा है। इनको डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल पर Cooperative Banking Institutions से कनेक्ट किया गया है। आज ये समितियां भारत में किसानों को लोकल सोल्यूशन देने वाले सेंटर चला रहे हैं। ये सहकारी समितियां पेट्रोल और डीजल के रिटेल आउटलेट चला रही हैं। कई गाँवों में ये Co-Operative Societies, Water Management का काम भी देख रही हैं। कई गावों में Co-Operative Societies सोलर पैनल लगाने का काम कर रही हैं। Waste To Energy के मंत्र के साथ आज Co-Operative Societies गोबरधन स्कीम में भी मदद कर रही है। इतना ही नहीं, सहकारी समितियां अब कॉमन सर्विस सेंटर के तौर पर गांवों में डिजिटल सर्विसेज़ भी दे रही हैं। हमारी कोशिश यही है कि ये Co-Operative Societies ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनें, इनके मेंबर्स की आय भी बढ़े।

साथियों,

अब हम 2 लाख ऐसे गांवों में Multipurpose सहकारी समितियों का गठन कर रहे हैं, जहां अभी कोई समिति नहीं है। हम मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विस सेक्टर में Co-Operatives का विस्तार कर रहे हैं। भारत आज कॉपरेटिव सेक्टर में दुनिया की सबसे बड़ी ग्रेन स्टोरेज स्कीम पर काम कर रहा है। इस स्कीम को भी हमारे Co-Operatives ही Execute कर रहे हैं। इसके तहत पूरे भारत में ऐसे वेयर हाउस बनाए जा रहे हैं जिसमें किसान अपनी फसल रख सकेंगे। इसका फायदा भी सबसे ज्यादा छोटे किसानों को होगा।

साथियों,

हम अपने छोटे किसानों को FPO’s यानि फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइज़ेशन के रूप में संगठित कर रहे हैं। छोटे किसानों के इन FPO’s को सरकार, ज़रूरी फाइनेंशियल सपोर्ट भी दे रही है। ऐसे करीब 9 हज़ार FPO’s काम करना शुरु कर चुके हैं। हमारा प्रयास है कि हमारे जो फार्म को-ऑपरेटिव्स हैं, उनके लिए फार्म से लेकर किचन तक, फार्म से लेकर मार्केट तक, एक सशक्त सप्लाई और वैल्यू चेन बने। इसके लिए हम आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम Open Network for Digital Commerce- ONDC जैसे पब्लिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से Co-Operatives को अपने प्रोडक्ट बेचने का नया माध्यम दे रहे हैं। इसके माध्यम से हमारे Co-Operatives सीधे, कम से कम कीमत में Consumer को प्रोडक्ट डिलीवर करते हैं। सरकार ने जो GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस नाम का डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है...उससे भी कॉपरेटिव सोसायटीज को काफी मदद मिली है।

साथियों,

इस सदी में Global Growth में एक बहुत बड़ा Factor, महिलाओं की भागीदारी का होने वाला है। जो देश, जो समाज जितनी अधिक भागीदारी महिलाओं को देगा, उतना ही तेज़ी से ग्रो करेगा। भारत में आज Women Led Development का दौर है, हम इस पर बहुत फोकस कर रहे हैं और Co-Operative Sector में भी महिलाओं को बड़ी भूमिका है। आज भारत के Co-Operative सेक्टर में 60 परसेंट से ज्यादा भागीदारी महिलाओं की है। महिलाओं के कितने ही कॉपरेटिव्स आज इस सेक्टर की ताकत बने हुए हैं।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि Co-Operatives की मैनेजमेंट भी महिलाओं की भागीदारी उसमें बढ़े। इसके लिए हमने मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसायटी ऐक्ट में संशोधन किया है। अब मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसायटी के बोर्ड में Women Directors का होना ज़रूरी कर दिया गया है। इतना ही नहीं, सोसायटीज़ को और इंक्लूसिव बनाने के लिए वंचित वर्गों के लिए भी रिजर्वेशन की व्यवस्था की गई है।

साथियों,

आपने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के रूप में भारत के एक बहुत बड़े Movement के बारे में भी ज़रूर सुना होगा। Women Participation से Women Empowerment का ये बहुत बड़ा आंदोलन है। आज भारत की 10 करोड़ यानि 100 मिलियन महिलाएं... सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की मेंबर्स हैं। बीते एक दशक में इन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को सरकार ने 9 लाख करोड़ रुपए यानि Nine Trillion Rupees का सस्ता लोन दिया है। इससे इन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स ने गांवों में बड़ी वेल्थ जेनरेट की है। आज दुनिया के कितने ही देशों के लिए ये महिला सशक्तिकरण का बड़ा मॉडल बन सकता है।

साथियों,

21वीं सदी में अब समय है कि हम सभी मिलकर अब ग्लोबल Co-Operative Movement की दिशा तय करें। हमें एक ऐसे Collaborative Financial Model के बारे में सोचना होगा, जो Cooperatives की Financing को आसान बनाए और ट्रांसपेरेंट बनाए। छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर Cooperatives को आगे बढ़ाने के लिए, Financial Resources की Pooling बहुत जरूरी है। ऐसे Shared Financial Platforms, बड़े प्रोजेक्ट्स की फंडिंग और को-ऑपरेटिव्स को लोन देने का माध्यम बन सकते हैं। हमारे Cooperatives भी Procurement, Production और Distribution में भागीदारी करके सप्लाई चेन को बेहतर कर सकते हैं।

साथियों,

आज एक और विषय पर मंथन की आवश्यकता है। क्या Globally हम ऐसे बड़े Financial Institutions बना सकते हैं, जो पूरी दुनिया में Co-Operatives को Finance कर सकें? ICA अपनी जगह पर अपना रोल बखूबी निभा रहा है, लेकिन भविष्य में इससे भी आगे बढ़ना ज़रूरी है। दुनिया में इस वक्त के हालात Co-Operative Movement के लिए एक बड़ा अवसर हो सकते हैं। Co-Operatives को हमें दुनिया में Integrity और Mutual Respect का Flag Bearer भी बनाना होगा। इसके लिए हमें अपनी Policies को Innovate करना होगा और Strategize करना होगा। Cooperatives को Climate Resilient बनाने के लिए उन्हें Circular Economy से जोड़ा जाना चाहिए। Co-Operatives में स्टार्ट अप्स को हम कैसे बढ़ावा दे सकते हैं, इस पर भी चर्चा जरूरी है, चर्चा की आवश्यकता लगती है।

साथियों,

भारत का ये मानना है कि co-operative से global co-operation को नई ऊर्जा मिल सकती है। विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों को जिस प्रकार की ग्रोथ की ज़रूरत है, उसमें co-operatives मदद कर सकती हैं। इसलिए आज co-operatives के इंटरनेशनल collaboration के लिए हमें नए रास्ते बनाने होंगे, innovations करने होंगे। और इसमें इस कॉन्फ्रेंस की बहुत बड़ी भूमिका मैं देख रहा हूं।

साथियों,

भारत आज सबसे तेज़ी से विकसित होने वाली Economy है। हमारा मकसद, High GDP ग्रोथ के साथ-साथ, इसका लाभ गरीब से गरीब तक पहुंचाने का भी है। दुनिया के लिए भी ये ज़रूरी है कि ग्रोथ को ह्यूमेन सेंट्रिक नजरिए से देखे। भारत का ये लक्ष्य रहा है कि देश में हो या फिर ग्लोबली, हमारे हर काम में ह्यूमेन सेंट्रिक भाव ही प्रबल हो। ये हमने तब भी देखा जब पूरी मानवता पर कोविड का इतना बड़ा संकट आया। तब हम दुनिया की उस आबादी के साथ खड़े रहे, उन देशों के साथ खड़े रहे, जिनके पास रिसोर्स नहीं थे। इनमें से अनेक देश ग्लोबल साउथ के थे, जिनके साथ भारत ने दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। तब Economic Sense कहती थी कि उस स्थिति का फायदा उठाया जाए। लेकिन मानवता का भाव कहता था...जी नहीं...वो रास्ता सही नहीं है। सेवा का ही मार्ग होना चाहिए। और हमने, हमने मुनाफा का नहीं मानवता का रास्ता चुना।

साथियों,

Co-Operatives का महत्व सिर्फ स्ट्रक्चर से, नियमों-कानूनों भर से ही नहीं है। इनसे संस्थाएं बन सकती हैं, कानून, नियम, स्ट्रक्चर संस्थाएं बन सकती है, उनका विकास और विस्तार भी शायद हो सकता है। लेकिन Co-Operatives की स्पिरिट ये सबसे महत्वपूर्ण है। यही Co-Operative Spirit ही, इस मूवमेंट की प्राणशक्ति है। ये सहकार की संस्कृति से आती है। महात्मा गांधी कहते थे कि Cooperatives की सफलता उनकी संख्या से नहीं, उनके सदस्यों के नैतिक विकास से होती है। जब नैतिकता होगी, तो मानवता के हित में ही सही फैसले होंगे। मुझे विश्वास है कि International Year Of Co-Operatives में इसी भाव को सशक्त करने के लिए हम निरंतर काम करेंगे। एक बार फिर मैं आप सभी का अभिनंदन और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। ये पांच दिन का समिट अनेक विषयों पर चर्चा करके इस मंथन से वो अमृत निकलेगा जो समाज के हर वर्ग को, दुनिया के हर देश को Co-Operative के स्पिरिट के साथ आगे बढ़ाने में सशक्त करेगा, समृद्धि देगा। इसी एक भावना के साथ मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

धन्यवाद।