These elections are between those that neglected the needs and aspirations of the people of Arunachal for decades or those that have worked tirelessly since 2014 to develop Arunachal: PM Modi in Pasighat
The people know well how to differentiate between the falsehood of Congress and the honest efforts of the BJP and so they will not repose their trust in such deceptive politicians: Prime Minister Modi
The NDA government is continuously working to ensure strong and equitable development for the North-East at par with other regions of the country and aim to make Arunachal Pradesh the gateway to East Asia: PM Modi

जय हिन्द..

जय हिन्द..

जय हिन्द..  

पासीघाट सहित अरुणाचल ईस्ट लोकसभा सीट के तहत आने वाले सभी क्षेत्र के साथियों को मेरा प्रणाम। मंच पर विराजमान यहां के लोकप्रिय और युवा मुख्यमंत्री पेमा जी हमारे उम्मीदवार सभी, सभी वरिष्ठ नेता गण और विशाल संख्या में हमें आशीर्वाद देने के लिए पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयो और बहनो।  

30 मार्च को मैं आलो आया था, वहां से अरुणाचल के हर वासी का आपके सहयोग के लिए आपके विश्वास के लिए आभार व्यक्त किया था। आज एक बार फिर आपके प्यार के लिए मैं हाथ जोड़ कर के आपका अभिवादन करता हूं।

साथियो, आपका प्यार और उसी का ये परिणाम है की आज हम अरुणाचल में गांव-गांव में सड़कें हो, नेशनल हाईवे हो, रेलवे हो या फिर एयरवे, कनेक्टिविटी को मजबूत करने में बहुत काम कर पाए हैं।

आप मुझे बताइए, अगर आपका मुझे साथ न मिला होता तो ये काम मैं कर पाता क्या? अरुणाचल का भला हो सकता था क्या, विकास के काम हो सकते थे क्या? कनेक्टिविटी के काम हो सकते थे क्या? ये आपके सहयोग से हुआ की नहीं हुआ?आपको अच्छा  लगा की नहीं लगा?

तेजू और पासीघाट में एयरपोर्ट नाहरलागुन और गुवाहाटी के बीच चलने वाली अरुणाचल एक्सप्रेस,  ऐसे अनेक प्रोजेक्ट्स आपके मजबूत विश्वास का ही परिणाम है।

अब यही जगह देख लीजिए, मैं 2014 में यहां आया था तब ये खेत था खेत और उस कोने से उस खेत में कुछ लोग आए थे, उनको मैंने संबोधित किया था। आज देखते ही देखते ये एक शानदार स्टेडियम बन गया। अब अरुणाचल से फुटबॉल के तगड़े खिलाड़ी निकलेंगे की नहीं निकलेंगे? पासीघाट का नाम रोशन होगा की नहीं होगा? आपने साथ दिया तभी हम पासीघाट और ईटानगर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठा पाए हैं।

आपके मजबूत विश्वास का ही नतीजा है, कि आज अरुणाचल में शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर अनेक संस्थान बन रहे हैं। आपके विश्वास का ही परिणाम है कि आजादी के 7 दशक बाद, अरुणाचल के सभी गांवों तक बिजली पहुंचा पाए हैं, हर घर को रोशन कर पाए है।

 

भाइयो-बहनो, ईटानगर और दिल्ली में विकास का डबल इंजन आप सभी लोगों ने लगाया। इसी का परिणाम है की आज विकास के नए रास्ते पर अरुणाचल चल पड़ा है।

भाइयो-बहनो, जिन लोगों ने 70 साल तक राज किया, एक परिवार ने 55 साल तक राज किया देश पर लेकिन फिर भी ये कोई दावा नहीं कर सकते हैं की उन्होंने हिंदुस्तान के सारे काम पूरे कर दिए है । मुझे तो 5 साल अभी होने बाकी है तो मैं भला ये तो दावा नहीं कर सकता हूं की मैंने सारे काम पुरे कर दिए है लेकिन मैं इतना जरूर समाधान कर सकता हूं कि मैं हर चुनौती को चुनौती देने वाला इंसान हूं । मुश्किल से मुश्किल काम हाथ में लेने की तैयारी रखने वाला इंसान हूं और जो काम हाथ में लेता हूं उसको पूरा करने के लिए जी-जान से जुटा रहता हूं। आपने कभी सुना है की आपका ये सेवक कभी छुट्टी पे चला गया है, सुना है , कभी छुट्टी ली है, कभी आराम किया है, कभी मौज मस्ती में टाइम बिगाड़ा है? आप ही के लिए लगा हूं की नहीं लगा हूं ? सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए लगा हूं की नहीं लगा हूं?  ये आपका आशीर्वाद है आपका प्रेम है जो मुझे दिन-रात आपके लिए काम करने की नई ऊर्जा देता है।

ट्रांसपोर्ट से ट्रांसफॉर्मेशन का हमारा संकल्प मजबूत है। अरुणाचल और नॉर्थ ईस्ट को ईस्ट एशिया का गेटवे बनाने का हमारा लक्ष्य है। नए अरुणाचल के लिए बीजेपी का विजन है, संपर्क संसाधन और सम्मान, इसी संकल्प को पूरा करने के लिए एक बार फिर आप सभी का आदेश लेने के लिए मैं और मेरे तमाम साथी आज आप सभी के बीच आये हैं। मैं जरा पूछना चाहता हूं, क्या आप आपके इस चौकीदार से खुश है ना? नखुश है ना ?

बराबर खुश है ना ? ऐसे ही तो नहीं बोल रहे?

आप मेरे युवा मित्र पेम खांडू जी और अरुणाचल के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं चौकीदारों की, उनकी पूरी टीम के लिए खुश हैं की नहीं है? सब खुश है, आपको संतोष है?

भाइयो और बहनो, इस बार का चुनाव वादों और इरादों के बीच का चुनाव है। ये चुनाव संकल्प और साजिश के बीच का चुनाव है। ये चुनाव भरोसे और भ्रष्टाचार के बीच का चुनाव है। ये अरुणाचल, नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए दिन-रात एक करने वालों और दश्कों तक अरुणाचल,नॉर्थ ईस्ट की उपेक्षा करने वालों का चुनाव है।

मैं आपकी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, आपके गौरव की रक्षा करने वालों और आपके परिधानों, आपकी परंपराओं का मजाक उड़ाने वालों, आपका अपमान करने वालों के बीच इसका चुनाव होना है। एक तरफ आपकी परंपराओं का अपमान करने वाले है और दूसरी तरफ आपकी सारी परंपराओं को गौरव के साथ स्वीकार करने वाला, आपकी परंपरा को मेरी परंपरा मानने वाला आपका एक चौकीदार आपके साथ खड़ा है।

वो दल जिन्होंने कभी देश की आशाओं-आकांक्षाओं को नहीं समझा, जिन्होंने देश पर राज करने की नीयत से सत्ता पर कब्जा जमाए रखा। जबकि आपका ये चौकीदार, आपके सेवक की तरह हमेशा आपकी सेवा में तैयार है, आपकी आशाओं, उम्मीदों आपकी जरूरतों को समझते हुए, मैं काम करने की सफलता पाने की सुविधा बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा हूं। हम सिर्फ एक वादा कर के उससे दशकों तक लटकाए रखने वाले लोग नहीं है, बल्कि आपके जीवन को आसान बनाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करने वाले लोग है।

साथियो, हमने तो हर घर को टॉयलेट के सपने नहीं दिखाए थे लेकिन आज हर घर में शौचालय के निर्माण का लक्ष्य प्राप्त करने की तरफ हम पूरी तरह सफलता देख रहे हैं। हमने तो कभी गरीब बहनों की रसोई को धुएं से मुक्त करने का ढोल नहीं पीटा था लेकिन आज 7 करोड़ से अधिक गरीब बहनों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिल चूका है।

हमने कभी किसानों की आंखों में धूल झोंक कर, किसानों के नाम पर वोट मांगने का पाप नहीं किया था। फिर भी हमने किसानों के लिए बीज से बाजार तक व्यवस्थाएं बनाईं, तमाम सुधार किए और पीएम किसान सम्मान योजना भी लागू कर दी।

साथियो, हमने ये भी नहीं कहा था कि देश के 12 करोड़ किसान परिवारों को, अरुणाचल के 50 हजार से अधिक किसानों को, हर वर्ष हजारों करोड़ रुपए सीधे बैंक खाते में जमा करेंगे। लेकिन आज देश के 3 करोड़ से अधिक किसान परिवार के खाते में पहली किश्त के पैसे जमा भी हो गए हैं। हमने स्वास्थ्य के नाम पर बड़ी-बड़ी लुभावनी बातें नहीं की थी, लेकिन फिर भी दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना, आयुष्मान भारत योजना लागू की। आज इस योजना की वजह से अरुणाचल के 3 लाख गरीब परिवारों को हर वर्ष 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध हुई है और मेरे अरुणाचल के भाइयो-बहनो, ये स्वास्थ्य योजना इतनी बड़ी है, इतनी बड़ी है। ये दुनिया की सबसे बड़ी योजना है।

अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको इनकी जो टोटल पापुलेशन है, टोटल जनसंख्या है उससे भी ज्यादा ये भारत में आयुष्मान के लाभार्थी है।

साथियो, स्वच्छता तो वो विषय था जिस पर हमारे देश में कभी चर्चा ही नहीं होती थी। संसद में तो कभी ये बात ही नहीं उठी, कभी किसी मेनिफेस्टो का अहम मुद्दा भी नहीं बना लेकिन हमने स्वच्छ भारत बनाने की ठानी और देश के लोगों के सहयोग से आज स्वच्छ भारत की सच्चाई दुनिया के सामने, देश के सामने है।

आज दुनिया के देश, चीन समेत भारत के स्वच्छता अभियान का ये मॉडल का अध्यन कर रहे हैं। ये आपको खुशी हो रही है कि नहीं हो रही है? अच्छा लग रहा है कि नहीं लग रहा है? मैं सही दिशा में काम कर रहा हूं कि नहीं कर रहा हूं?

साथियो, एक तरफ इरादों वाली सरकार है और दूसरी तरफ सिर्फ और सिर्फ झूठे वादों वाले नामदार हैं। इन लोगों की तरह ही इनका घोषणापत्र भी भ्रष्ट होता है, बेईमान होता है, ढकोसलों से भरा होता है और इसीलिए उसे घोषणापत्र नहीं ढकोसलापत्र कहना चाहिए।

 

साथियो,सर्दी, गर्मी, बारिश, कैसा भी मौसम हो, कैसी भी परिस्थिति हो, चौकीदार पहरा देते हुए ये भी कहता है-जागते रहो। इसलिए आपका ये चौकीदार भी आपको जागते रहो कह रहा है, इनके भ्रष्ट वादों  से आपको आगाह कर रहा है। आपको एक उदाहरण मैं दूंगा, 2004 के ये ढकोसला पत्र में ये महामिलावटी लोगों ने ये कांग्रेस पार्टी ने ये इन्होंने कहा था की 2009 तक, ये बराबर उनका लिखा हुआ है देख लेना। ये 2004 में कहा था आज मैं 2019 में बात कर रहा हूं, बीच में 15 साल बीत गए। 2004  में उन्होंने लिखित में कहा था की 2009 तक देश के हर घर में बिजली पहुंचाने का वादा उन्होंने किया था। इसके लिए बाकायदा एक प्रोग्राम भी घोषित किया था लेकिन 2014 में जब मैं आया तब तक देश के 18 हजार गांव अंधेरे में थे और करोड़ों परिवार उन्होंने बिजली नहीं देखी थी। साल 2009 में फिर इनका एक और ढकोसलापत्र आया, पहले के वादे का क्या हुआ, कोई जवाब नहीं दिया और उनके जो चेले चपाटे है, उन्होंने भी उनको कभी सवाल नहीं पूछा। फिर 2014 का चुनाव आया और फिर एक वादा दोबारा दोहराया की शहरों में शत-प्रतिशत बिजली देंगे और गांवों में बिजली 90 प्रतिशत तक पहुंचाएंगे। 4 में कहते थे सबको पहुंचाएंगे, 9 में कहने लगे कुछ छूट जायेंगे और न 4 में किया न 9 में किया न 14 तक किया। अरे भाई! 2004 में जो वादा किया था उसके बारे में तो जरा बता देते।

साथियो, इनके झूठे वादों की स्थिति ये थी की अरुणाचल और नॉर्थ ईस्ट के 1800 से अधिक गांव और देश के 3 करोड़ से अधिक परिवार, 2014 में अंधेरे में जीने के लिए मजबूर थे। और देश के अंदर 18000 गांव, जिन्होंने कभी बिजली नहीं देखी थी। आपके इस चौकीदार ने हजार दिन के भीतर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा और हजार दिन के भीतर वादा पूरा कर दिखाया है। इतना ही नहीं देश के 2.5  करोड़ से अधिक घरों को भी इस चौकीदार की सरकार रोशन कर चुकी है, अंधेरा मिटा चुकी है।

भाइयो और बहनो, इतना ही नहीं, कांग्रेस ने देश में अलगाववाद बढ़ाने के लिए, हिंसा को प्रोत्साहन देने के लिए, देश को गाली देने वालों को प्रोत्साहन देने की भी एक योजना बनाई है। जो तिरंगे झंडे को जलाते हैं, उसका अपमान करते हैं, जो आपकी तरह ‘जय हिंद’ नहीं, लेकिन भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाते हैं। जो विदेशी ताकतों के हाथों में खेलते हैं, जो हमारी विरासत का अपमान करते हैं, जो बाबा साहब अंबेडकर जैसे मनीषियों की मूर्तियां तोड़ते हैं, ऐसे लोगों से भी कांग्रेस को सहानुभूति है। जो भारत के संविधान को, भारत के कानून को दायरे को नहीं मानते, ऐसे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का जो कानून देश में है। उसको खत्म करने का वादा कांग्रेस पार्टी ने किया है।

आप मुझे बताइए, क्या देशद्रोह करने वालों को सजा मिलनी चाहिए की नहीं मिलनी चाहिए? देशद्रोहियों के लिए कठोर कानून होना चाहिए की नहीं होना चाहिए? अगर देशद्रोहियों को खुली छूट दे दी जाएगी तो आप लोगों को मुसीबत आएगी की नहीं आएगी? देश में संकट आएगा की नहीं आएगा? इनको क्या हो गया है भाइयो।

साथियो, एक तरफ आपका ये चौकीदार, देश के वीर सपूत, देश को तोड़ने वालों के खिलाफ खड़ा हो रहा है। देश के भीतर हो या देश के बाहर, भारत मां पर हमला करने वालों के खिलाफ आपका ये चौकीदार कठोर कार्रवाई कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ विचारों से दिवालिया हो चुकी कांग्रेस, सत्ता में वापसी की छटपटाहट में आज इतनी नीचे गिर चुकी है। क्या ये देश में अलगाव की आवाज को मजबूत करने की कोशिश नहीं है?

कांग्रेस का हाथ, देश के साथ है या देशद्रोहियों के साथ है। इस चुनाव में देश का नागरिक कांग्रेस पार्टी के इन बातों का पूरा जवाब मांग कर के रहेगा। आप सभी मिल कर कांग्रेस और महागठबंधन के नाम पर बना महामिलावटी लोग, उनकी जमानत जब्त कराएंगे कि नहीं? उनको पूरी तरह हराएंगे कि नहीं हराएंगे, उनको हमेशा के लिए घर भेज देंगे की नहीं भेज देंगे?

भाइयो, अरुणाचल को बचाने के लिए अरुणाचल को आगे बढ़ाने के लिए पेमा खांदू जी के हाथ मजबूत करना जरुरी है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार  बनाना जरुरी है। दिल्ली में भी कमल का इंजन हो, अरुणाचल में भी कमल का इंजन हो फिर देखिये आप अरुणाचल की गाड़ी कैसे तेज चलती है। आप आश्वस्त रहिए, जब तक ये चौकीदार है, तब तक देश को तोड़ने के बारे में सोचने वालों को सौ बार सोचना पड़ेगा। हम एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए जीने-मरने वाले लोग है। यही अरुणाचल के आप सभी साथियों की प्रेरणा है यही 130 करोड़ भारतवासियों का प्रण है।

साथियो, अपने कांग्रेस और उसके सहयोगियों के 60 वर्ष भी देखे और चौकीदार के 60 महीने भी देखे हैं। बताइए कांग्रेस के नामदारों ने कितनी बार अरुणाचल की सुध ली थी, कोई कोंग्रेसी आता था क्या अरुणाचल में ? दिल्ली के नेताओं को फुर्सत थी क्या? अरे! यहां के नेता जाते थे हफ्ते-हफ्ते भर उनको दिल्ली में रुकना पढ़ता था। अरुणाचल की जनता के पैसों से वहां होटलों में रहते थे। वहां के नेता को मिलने का टाइम नहीं देते थे, मिलने का टाइम नहीं देते थे। कांग्रेस के इतने प्रधानमंत्री हुए वो कितनी बार अरुणाचल आए थे, किसी को याद भी नहीं होगा। आपने कांग्रेस के इतने सालों तक  प्यार दिया। क्या उन्होंने आपके प्यार को सम्मान दिया क्या?

भाइयो-बहनो, यही कांग्रेस की हकीकत है। यही नामदारों की असलियत है उनके लिए वोटबैंक ही सब कुछ है। यही कारण है की इतने वर्षों तक अरुणाचल और नॉर्थ ईस्ट को उन्होंने भुला दिया था। उनके ढकोसला पत्र में देखिए, नॉर्थ ईस्ट कहां होता है, उनके बजट उठा कर देख लीजिए नॉर्थ ईस्ट को वो कितना स्पेस देते थे, आपकी आवश्यकताओं को कितना सम्मान देते थे। ये कांग्रेस ही है जिसने नॉर्थ ईस्ट को न तो दिल में जगह दी और न ही दिल्ली में जगह दी। दूसरी तरफ भाजपा है, जिसने नॉर्थ ईस्ट के दिल को भी जोड़ा और दिल्ली को आपके पास लेकर चली आई।

साथियो, ये अटल जी ही थे, जिन्होंने पहली बार नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए अलग मंत्रालय बनाया। अटल जी ने जो काम शुरु किया, आपको, आपके इस चौकीदार की सरकार ने आगे बढ़ाया और हर 15 दिन में कोई न कोई केंद्रीय मंत्री की ड्यूटी नॉर्थ ईस्ट में लगाई हमने।

बीते 5 वर्षों में, मैं खुद 30 से ज्यादा बार और सैकड़ों बार केंद्र सरकार के मंत्री, हमारे इस नॉर्थ ईस्ट के पूरे क्षेत्र में आ चुके हैं। साथियो, हम बार-बार आपके बीच आते हैं, क्योंकि हमें मां भारती के कोने-कोने से प्यार है, जन-जन से लगाव है। कांग्रेस सिर्फ वोट के लिए, सत्ता के लिए आपको याद करती है, क्योंकि वहां सिर्फ एक ही परिवार से लगाव है। कांग्रेस की ये नीति एक वोटबैंक बनाने की रही है, वो इसी वोट बैंक के लिए काम करती है। फिर चाहे उससे देश का नुकसान क्यों ना हो, उससे अलगाव क्यों न पैदा हो।

भाइयो और बहनो, अरुणाचल प्रदेश पूरी मजबूती के साथ 11 अप्रैल को विकास के डबल इंजन को कमल छाप डबल इंजन को शक्ति देगा, अरुणाचल और देश की चौकीदारी को सशक्त करेगा। इसी विश्वास के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।  

मेरे साथ एक नारा बोलेंगे...? पूरी ताकत से बोलेंगे..? दोंनो हाथ ऊपर कर के बोलेंगे?

मैं कहूंगा मैं भी, आप बोलिए चौकीदार हूं।

मैं भी...चौकीदार हूं

मैं भी...चौकीदार हूं

मैं भी...चौकीदार हूं

गांव-गांव चौकीदार, गांव-गांव चौकीदार, गली-गली चौकीदार, गांव-गांव चौकीदार, गली-गली चौकीदार, नौजवान चौकीदार, माता-बहनें चौकीदार, खेत खलिहान चौकीदार, बाग-बगान में चौकीदार, पूरा हिंदुस्तान चौकीदार, सीमा पार चौकीदार, गली-गली में चौकीदार।

भाइयो और बहनो, सवा सौ करोड़ देश का हिंदुस्तान, हर हिंदुस्तानी चौकीदार इसी भाव के साथ आओ देश को बचाएं देश को आगे बढ़ाए।

भारत माता की...जय

भारत माता की...जय

भारत माता की...जय

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!