QuoteIndia will prosper only when development reaches every corner of the country: PM Modi #ParivartanRally
QuoteBihar needs 'Vikas-Raj' not 'Jungle-Raj': PM Modi #ParivartanRally
QuoteYouth of Bihar can do wonders. They are extremely talented: PM #ParivartanRally
QuoteThose who practise casteism & do vote bank politics can never think of developing Bihar: PM #ParivartanRally
QuoteI have a dream that by 2022, every Indian must have their homes, 24/7 electricity & water: PM #ParivartanRally
Quote'Mahaswarthbandhan' has ruined Bihar. NDA is dedicated to development of Bihar: PM Modi #ParivartanRally
QuoteBihar has no place for 'Shaitan': PM #ParivartanRally
QuoteAccording to police, there have been over 4000 kidnapping cases. This proves the situation of Bihar under 'Jungle-Raj': PM

भारत माता की जय, भारत माता की जय

मिथिला पावन धरती के नमन करै छी। मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान रविशंकर प्रसाद जी, भाजपा के लोकप्रिय सांसद श्रीमान नित्यानंद राय जी, लोजपा के नेता श्री रामचंद्र पासवान जी, भाजपा के सांसद श्रीमान कीर्ति आज़ाद जी, भाई मुकेश सहनी जी और जिनको हमने जीवन भर एक तपस्वी के रूप में काम करते देखा है, पांच-पांच पीढ़ी राजनीति में जिनसे प्रेरणा लेती रही है, वैसे कैप्टन निशाद जी आज हमें आशीर्वाद देने आये हैं, मैं उनका बहुत आभारी हूँ कल्याणपुर से लोजपा के उम्मीदवार प्रिंस राज, वारिसनगर से लोजपा के उम्मीदवार चंद्रशेखर यादव, समस्तीपुर से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमती रेणु कुशवाहा जी, रालोसपा के उम्मीदवार कुमार आनंद, मोरवा से भाजपा के उम्मीदवार सुरेश राय, सरायरंजन से भाजपा के उम्मीदवार श्री रंजीत निर्गुणी जी, मोइउद्दीन नगर से भाजपा के उम्मीदवार सत्येन्द्र सिंह जी, विभूतिपुर से लोजपा के उम्मीदवार रमेश कुमार राय, रोसड़ा से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमती मंजू हजारी जी, हसनपुर से रालोसपा के उम्मीदवार श्री विनोद चौधरी जी और मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव।

चारों तरफ़ जहाँ भी मेरी नज़र पहुँचती है, मुझे लोग ही लोग नज़र आ रहे हैं। इतनी भयंकर गर्मी में आप घंटों से तपस्या कर रहे हैं। आपमें से किसी को कुछ भी नहीं चाहिए फिर भी आप लोग इतना कष्ट उठा रहे हैं। इतने भयंकर ताप में तप रहे हैं क्योंकि आप बिहार की बेहाली से परेशान हैं और बिहार को बचाना चाहते हैं। मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपकी तपस्या कभी बेकार जाने नहीं दूंगा। बिहार के भाग्य को बदलने के लिए आपने जो यज्ञ शुरू किया है, इस यज्ञ में मेरी भी कुछ आहूति होगी।

समस्तीपुर की धरती, हम सब के प्रेरक एवं जिनका जीवन दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित लोगों के लिए प्रेरणा रहा है, ऐसे जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर की इस जन्मभूमि को मैं प्रणाम करता हूँ। मैं उनसे प्रार्थना करता हूँ कि वे जहाँ हैं, वहीँ से हमें आशीर्वाद दें ताकि हम आपके सपनों को पूरा कर सकें।

आज 8 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि है। ये राजनीति का रंग देखिये, सत्ता सुख के लिए राजनीति में रंग बदलने वाले लोगों को देखिये, उनके कारनामे देखिये ये वही लोग हैं जो कर्पूरी ठाकुर का नाम लेकर गरीबों के कल्याण की बातें करते थे, कांग्रेस के खिलाफ़ जंग लड़ने की बातें करते थे; ये लोग कभी जयप्रकाश नारायण के नाम के साये में अपना राजनीतिक कार्यक्रम चलाते थे। जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस के कुशासन एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक जंग छेड़ा था, देश के नौजवानों को प्रेरणा दी थी। कल तक जो लोकनायक के गीत गाते थे, कर्पूरी ठाकुर की बातें सुनाते थे, आज वे कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए हैं। मैं कल्पना कर सकता हूँ कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया जी की आत्मा जहाँ भी होगी, इन लोगों के आचरण के कारण उनकी आत्मा सबसे ज्यादा दुखी होती होगी।

कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देने का सही समय यह चुनाव है। ऐसे लोगों को उखाड़ कर फेंक देना ही कर्पूरी ठाकुर को सही श्रद्धांजलि होगी। मेरे बिहारवासी, आप बताएं कि बिहार में प्रगति, यहाँ का विकास होना चाहिए कि नहीं? नौजवानों को रोजगार मिलना चाहिए कि नहीं? कांग्रेस के नेता हों, लालू जी हों, यहाँ के मुख्यमंत्री जी हों, ये तीनों लोगों को जानना जरुरी है। कांग्रेस ने बिहार में 35 साल सरकार चलाई लेकिन क्या 35 साल राज करने के बाद भी बिहार का भला हुआ? जो 35 साल कुछ नहीं कर पाए, वे 5 साल में कुछ कर पाएंगे? लालू जी और यहाँ के मुख्यमंत्री जी, बड़ा भाई और छोटा भाई, बड़ा भाई ऐसा है जो छोटे भाई को कभी हत्यारा तो कभी तोता कहता है; इन्होंने बिहार में 25 साल राज किया लेकिन अगर 25 साल में कुछ नहीं कर पाए, वे 5 साल में कुछ कर पाएंगे क्या? इन तीनों ने मिलाकर बिहार में 60 साल राज किया है। 60 साल में कुछ भला हुआ क्या?

आप देखिये कि पहले ये तीनों एक-दूसरे के खिलाफ़ लड़ते थे, एक-दूसरे को बदनाम करते थे लेकिन आज ये तीनों सत्ता के लिए मिल गए बिहार की भलाई के लिए पहले कभी ये एक हुए क्या? ये सिर्फ़ सत्ता के लिए इकट्ठे हुए हैं। आप मुझे बताईये कि महास्वार्थबंधन के ये सारे कट्टे-बट्टे जब आपके पास वोट मांगने आएं तो इन्हें अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं? बिहार को क्या वादे किये थे, और कौन-कौन से वादे पूरे किए, ये उन्हें बताना चाहिए कि नहीं? मुझे बताईये कि चुनाव के इतने दिन हो गए, ये अपने काम का हिसाब दे रहे हैं क्या? जो अपने 60 साल के काम का हिसाब नहीं दे रहे हैं, उन्हें फिर से 5 साल के लिए मौका देना चाहिए क्या?

आज पहली बार दिल्ली में ऐसी सरकार आई है जो बिहार के लिए समर्पित है, बिहार का भाग्य बदलने के लिए समर्पित है और ये मैं आज से नहीं कह रहा। 2013 में सितम्बर महीने में भाजपा का अधिवेशन हुआ था। उस अधिवेशन का मेरा कोई भाषण निकाल कर देख ले, उसमें मैंने कहा था कि अगर हमें हिंदुस्तान का भाग्य बदलना है तो भारत के हर कोने, हर राज्य का विकास होना जरुरी है। अगर सिर्फ भारत के पश्चिमी छोर का विकास हो और पूर्वोत्तर का न हो तो भारत कभी महान नहीं बन सकता है। केरल, कर्नाटक, गुजरात, गोवा, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि आगे बढे और अगर उड़ीसा, बिहार, बंगाल, असम, पूर्वोत्तर क्षेत्र पीछे रह जाए तो मेरा देश कभी आगे बढेगा क्या? मैं मानता हूँ कि अगर हिंदुस्तान को आगे ले जाना है तो पूर्वी हिंदुस्तान को और गति, और ताक़त देनी पड़ेगी।

बिहार के लिए घोषित 1 लाख 65 हज़ार का विकास का पैकेज सिर्फ़ बिहार का भला करेगा ऐसा नहीं है, ये पैकेज जब बिहार की धरती पर काम में आएंगे तो ये पूरे हिंदुस्तान की शक्ल-सूरत बदलने में मदद करेंगे। एक बार बिहार आगे बढ़ गया तो हिंदुस्तान कभी पीछे नहीं रह सकता। ये ताक़त है बिहार की। इसलिए मेरी पूरी कोशिश है कि बिहार के नौजवान को अवसर कैसे मिले, बिहार को ताक़त कैसे मिले। बिहार की शक्ति अभूतपूर्व है। अभी मैं अमेरिका गया था वहां मुझे बिहार के नागरिकों का एक दल मुझसे मिला। जब मेरा उनसे परिचय हुआ तो एक से बढकर एक होनहार लोग मेरे देश के नौजवान अमेरिका में इतना काम कर रहे हैं और खासकर बिहार के, इतना आनंद हुआ देखकर। जब उनसे बातें हुई तो उन्होंने यही कहा कि साहब हम आशा कर रहे हैं कि चुनाव के बाद बिहार की काया-पलट होनी शुरू हो जाएगी। मैंने अमेरिका में भी बिहार की चिंता करने वाले बिहार के लोगों को देखा। मुझे लगा कि जिस राज्य के पास ऐसे सामर्थ्यवान, शक्तिवान नौजवान हो, वो राज्य कभी पीछे नहीं रह सकता।

हम बिहार की सभी आवश्यकताओं पर बल दे रहे हैं। चुनाव और राजनीति में उन राजनेताओं को हम भली-भांति जानते हैं जिन्होंने जातिवाद और सम्प्रदायवाद का जहर घोला है। ये जातिवाद और सम्प्रदायवाद का जहर फैलाकर राजनीति करने वाले लोग कभी भी बिहार का भला नहीं कर पाएंगे। और इसलिए बिहार को जो जंगलराज झेलना पड़ा है, उसके बाद मैं यह पूछना चाहता हूँ कि क्या हमें यह जंगलराज फिर से वापस लाना है? भाईयों-बहनों, अगर बिहार को आगे ले जाना है तो बिहार को चाहिए – विकासराज। जंगलराज से पीछा छुड़ाईए और विकासराज का रास्ता पकड़िए और मैं आपके पास विकास की सौगात लेकर आया हूँ।

मैं हैरान हूँ कि पिछले दिनों से महास्वार्थबंधन के लोग ऐसे गुस्से में हैं कि उन्होंने बिहार के यदुवंश के लोगों को घोर अपमानित कर दिया और क्या खाते हैं, ऐसा बोला है कि मैं तो अपने मुख से बोल नहीं सकता। ये पाप मैं नहीं कर सकता। जब यदुवंश के लोगों और मीडिया ने उन्हें घेर लिया तो उन्होंने कहा कि मेरे अन्दर शैतान आ गया था, इसलिए मैंने ऐसा बोला। अब मेरे मन में सवाल है कि सारी दुनिया में अरबों-खरबों लोग हैं, हिंदुस्तान में करोड़ों लोग हैं, बिहार में करोड़ों लोग हैं लेकिन मुझे आश्चर्य हो रहा है कि शैतान को इन्हीं का ठिकाना मिला क्या, यही पता मिला क्या।

आप देखिये कि अगर आपको हार्ट अटैक आता है और आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर कहता है कि आपकी ये आदत गलत है, बुरी है इसके कारण ये हुआ है। अगर आपको डायबिटिज है और आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर कहता है कि आपकी ये आदत गलत है, खाने का ये स्वभाव ख़राब है, काम करने की यह पद्धति गलत है और इसके कारण आपको डायबिटिज हुआ है। लालू जी, बिहार जानना चाहता है कि आपमें ऐसी कौन सी बुराई है जो शैतान आपके अन्दर प्रवेश कर गया। शैतान को यही ठिकाना क्यों मिला, यह बड़ी खोज का विषय है। बिहार की जनता खोज कर निकाले कि इन्हीं के पास शैतान क्यों गया। हमें उनलोगों को चुनना है जिनके पास इंसान और इंसानियत हो। जिनके पास शैतान आकर बसते हों, ऐसे लोगों के लिए बिहार में जगह नहीं है। मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूँ कि आप भाजपा के नेतृत्व में एनडीए के गठबंधन, जो बिहार के विकास के लिए काम करना चाहती है, को आशीर्वाद दें।

आप मुझे बताएं कि बिहार को रास्ते, अस्पताल, शिक्षक चाहिए कि नहीं? गरीबों को स्कूल, घर, नौजवान को रोजगार चाहिए कि नहीं? हमारा एक ही एजेंडा है कि बिहार विकास करे और इतना आगे बढे कि पूरा हिंदुस्तान आगे बढ़ जाए। मैं इसी सपने के साथ आपके पास आया हूँ। बिहार के लिए घोषित पैकेज बिहार के इतिहास की सबसे बड़ी घटना है और वो इसलिए है क्योंकि मैं बिहार की ताक़त को भली-भांति जानता हूँ। मैं तो कहता हूँ कि बिहार का पानी और बिहार की जवानी, इन दोनों का अगर सही उपयोग हो तो सिर्फ़ बिहार नहीं, पूरा हिंदुस्तान बदल जाएगा। यहाँ इतना पानी है लेकिन वही पानी कभी विनाश करता है तो कभी दूसरे इलाके में सूखे के लिए मजबूर करता है क्योंकि 60 साल यहाँ जिन्होंने राज किया, उन्हें यहाँ के पानी की परवाह नहीं थी। यहाँ की जवानी हिंदुस्तान या दुनिया में जहाँ भी जाती है, हिंदुस्तान का नाम रौशन कर देती है लेकिन उस जवानी को पलायन करना पड़ता है। अगर उन्हें बिहार में अवसर मिले तो बिहार बदल जाएगा कि नहीं? इसलिए भाईयों-बहनों, बिहार का पानी भी काम आना चाहिए और बिहार की जवानी भी काम आनी चाहिए।

मैं आज आपके पास विकास का मंत्र लेकर आया हूँ। हमारा सपना गरीबों को घर देने का है, उन घरों में बिजली पहुँचाने का सपना है। गरीबों की बातें करने वाले लोगों को कभी यह विचार आया था कि हमारी गरीब माताओं को खुले में शौच जाना पड़ता है और उन्हें अपमानित महसूस करना पड़ता है। गरीबों की बातें करने वाले लोगों ने कभी यह सोचा कि उनके लिए कम-से-कम शौचालय ही बना दें। इनमें से किसी को गरीबों के बारे में बात करने का अधिकार नहीं है जो 60 साल सरकार चलाने के बाद गरीबों को शौचालय तक नहीं दे पाए, वो हमें गरीबी सिखाने आए हैं।

इंदिरा गाँधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था और कहा था कि गरीबों के लिए बैंक अकाउंट खोलने होंगे, बैंकों का पैसा गरीबों को मिलना चाहिए। आप मुझे बताईये कि गरीबों को बैंक तक जाने का मौका मिला था क्या? बैंक के दरवाजे गरीब ने कभी देखे थे क्या? 60 साल तक गरीब बैंकों से दूर रहा। हमने एक साल के भीतर देश के सभी नागरिकों का बैंकों में खाता खुलवा दिया। गरीबों के लिए काम कैसे क्या जाता है, ये इसका उदाहरण है। आने वाले दिनों में मुझे गरीबों को रहने के लिए घर देना है। 2022 में जब देश की आज़ादी के 75 वर्ष होंगे तो देश के हर परिवार के पास अपना घर हो, ये सपना पूरा करने के लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए।

भाईयों-बहनों, आपके मुख्यमंत्री ने 2010 चुनाव में आपको बिजली देने का वादा किया था? बिजली मिली? उन्होंने ये कहा था कि अगर बिजली नहीं दूंगा तो 2015 में वोट मांगने नहीं आऊंगा, ये कहा था? अभी फिर से वोट मांगने आये न? बिजली आई क्या? उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ये अहंकार की भाषा देखिये, घर में बिजली नहीं पहुँचाने के बावजूद वे आज फिर से वोट मांगने आये हैं। ये झूठे और खोखले वादे करके बिहार को फिर से जंगलराज बनाने के खेल खेले जा रहे हैं।

मुझे बताईये कि जंगलराज में सबसे बड़ा उद्योग कौन सा चला – अपहरण का उद्योग, अपहरण करो और फिर फ़िरौती मांगो। क्या फिर से अपहरण का राज चलने देना है? जनवरी महीने से जुलाई तक बिहार सरकार की पुलिस के आंकड़े के अनुसार 4000 अपहरण की घटनाएँ घटी हैं। आने वाले दिनों में दुर्गापूजा का अवसर आएगा। जब जंगलराज था तो लोग शाम में रामलीला देखने नहीं जा पाते थे क्योंकि डर लगता था कि कहीं कोई आकर के तकलीफ़ न कर जाए। कोई नई गाड़ी नहीं खरीद सकता था क्योंकि डर था कि अगर किसी नेता को पता लग गया तो गाड़ी जाएगी, पैसा भी जाएगा और मांगने जाऊंगा तो पिटाई होगी वो अलग। यही कारोबार चला था न? मैं इससे मुक्ति के लिए आपके पास आया हूँ। हमें फिर से जंगलराज आने नहीं देना है।

मैं आपके पास विकास के लिए वोट मांगने आया हूँ। मुझे विश्वास है कि ये जो जन सैलाब मैं देख रहा हूँ, मैं साफ़ कहता हूँ कि बिहार की जनता ने अहंकारवादियों का जो हाल लोकसभा के चुनाव में किया, उनका उससे भी बुरा हाल होने वाला है। कांग्रेस का अहंकार सातवें आसमान पर था। एक समय था जब जनता ने इन्हें लोकसभा में 440 सदस्य दिए थे, लेकिन अहंकार इतनी सीमा पर पहुंचा कि इसी जनता-जनार्दन ने उन्हें 40 पर लाकर बिठा दिया। जो लोग अहंकार में जी रहे हैं, वे समझें कि ये जनता-जनार्दन सबकुछ जानती है। जनता गलतियों को माफ़ करती है लेकिन धोखा कभी माफ़ नहीं करती।

बिहार का भाग्य बदलने के लिए और इसे विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए पहली बार दिल्ली से सरकार कंधे से कंधा मिलाकर चलने आई है। हमें आशीर्वाद दीजिए और हमारे सभी उम्मीदवारों को विजयी बनाईए। सभी मेरे साथ मुट्ठी बंद करके बोलें –
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद

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Over the past 11 years, India has developed a governance model that is transparent, sensitive, and citizen-centric: PM Modi
August 06, 2025
QuoteKartavya Bhavan will guide the policies and direction of a developed India: PM
QuoteKartavya Bhavan embodies the resolve to fulfil the nation's dreams: PM
QuoteIndia is being shaped by a holistic vision, where progress reaches every region: PM
QuoteIn the past 11 years, India has built a governance model that is transparent, responsive and citizen-centric: PM
QuoteTogether, let us make India the world's third-largest economy and script the success story of Make in India and Aatmanirbhar Bharat: PM

केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल के सभी साथी, उपस्थित माननीय सांसदगण, सरकार के सभी कर्मचारी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

क्रांति का महीना अगस्त, और 15 अगस्त से पहले ये ऐतिहासिक अवसर, हम एक के बाद एक आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं। यहां राजधानी दिल्ली में ही कर्तव्य पथ, देश का नया संसद भवन, नया रक्षा भवन, भारत मंडपम्, यशोभूमि, शहीदों को समर्पित नेशनल वॉर मेमोरियल, नेताजी सुभाष बाबू की प्रतिमा और अब ये कर्तव्य भवन। ये केवल कुछ नए भवन और सामान्य इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं, अमृतकाल में इन्हीं भवनों में विकसित भारत की नीतियां बनेंगी, विकसित भारत के लिए महत्वपूर्ण निर्णय होंगे, आने वाले दशकों में यहीं से राष्ट्र की दिशा तय होगी। मैं आप सभी को, और सभी देशवासियों को कर्तव्य भवन की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मैं इसके निर्माण से जुड़े सभी इंजीनियर्स और सभी श्रमिक साथियों का भी आज इस मंच से धन्यवाद करता हूँ।

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साथियों,

हमने इस इमारत को बहुत मंथन के बाद ‘कर्तव्य भवन’ नाम दिया है। कर्तव्य पथ, कर्तव्य भवन, ये नाम हमारे लोकतंत्र की, हमारे संविधान की मूल भावना का उद्घोष करते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- न मे पार्थ अस्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन, नान-वाप्तं अ-वाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि॥ अर्थात्, हमें क्या प्राप्त करना है, क्या प्राप्त नहीं करना है, इस सोच से ऊपर उठकर हमें कर्तव्य भाव से कर्म करना चाहिए। कर्तव्य, भारतीय संस्कृति में ये शब्द केवल दायित्व या responsibility तक सीमित नहीं हैं। कर्तव्य, हमारे देश के कर्मप्रधान दर्शन की मूल भावना है। स्व की सीमा से परे, सर्वस्व को स्वीकार करने की विराट दृष्टि, यही कर्तव्य की वास्तविक परिभाषा है। और इसलिए, कर्तव्य, ये सिर्फ इमारत का नाम भर नहीं है। ये करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने की तपोभूमि है। कर्तव्य ही आरंभ है, कर्तव्य ही प्रारब्ध है। करुणा और कर्मठता के स्नेह सूत्र में बंधा कर्म, वही तो है - कर्तव्य। सपनों का साथ है- कर्तव्य, संकल्पों की आस है- कर्तव्य, परिश्रम की पराकाष्ठा है- कर्तव्य, हर जीवन में ज्योत जला दे, वो इच्छाशक्ति है- कर्तव्य। करोड़ों देशवासियों के अधिकारों की रक्षा का आधार है- कर्तव्य, मां भारती की प्राण-ऊर्जा का ध्वजवाहक है- कर्तव्य, नागरिक देवो भव: के मंत्र का जाप है- कर्तव्य, राष्ट्र के प्रति भक्ति भाव से किया हर कार्य है- कर्तव्य।

साथियों,

आजादी के बाद दशकों तक देश की Administrative machinery उन बिल्डिंगों से चलाई जाती रही है, जो ब्रिटिश शासनकाल में बनी थी। आप भी जानते हैं, दशकों पहले बने इन प्रशासनिक भवनों में वर्किंग कंडीशन कितनी खराब, और अभी video में कुछ झलक भी देखी हमने। यहाँ काम करने वालों के लिए ना पर्याप्त स्पेस है, ना रोशनी है, ना जरूरी वेंटिलेशन है। आप कल्पना कर सकते हैं, होम मिनिस्ट्री जैसी महत्वपूर्ण मिनिस्ट्री करीब 100 साल से एक ही बिल्डिंग में अपर्याप्त संसाधनों के साथ चल रही थी। इतना ही नहीं, भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालय, दिल्ली के 50 अलग-अलग जगहों से चल रहे हैं, इनमें से बहुत सारे मंत्रालय तो किराए की बिल्डिंग में हैं। इनके किराए पर जितने रुपए खर्च हो रहे थे, वो अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है। और वैसे पूरा हिसाब लगाए तो बहुत बड़ा है, लेकिन अगर मोटा-मोटा हिसाब लगाए तो डेढ़ हजार करोड़ रुपया प्रति वर्ष इसमें जाता है। इतनी बड़ी राशि भारत सरकार अलग-अलग मंत्रालयों के सिर्फ किराए पर खर्च कर रही है। इसके अलावा एक और दिक्कत। काम की वजह से स्वभाविक है कि कर्मचारियों का यहां से वहां आना-जाना भी होता है, अनुमान है कि हर रोज 8 से 10 हजार कर्मचारियों को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में आना-जाना पड़ता है। अब इसमें भी सैकड़ों गाड़ियों का मूवमेंट होता है, खर्च होता है, सड़कों पर traffic बढ़ता है, कितना समय खराब होता है, और इन सबसे काम में भी inefficiency के सिवाय कुछ नहीं रहता है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत को, 21वीं सदी की आधुनिक व्यवस्थाएं चाहिए, इमारतें भी चाहिए। ऐसी इमारतें जो टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से बेहतरीन हो। जहां कर्मचारी सहज हों, फैसले तेज हों, और सेवाएं सुगम हों। इसलिए कर्तव्य पथ के आसपास एक holistic विज़न के साथ कर्तव्य भवन जैसी विशाल इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। ये तो पहला कर्तव्य भवन पूरा हुआ है, अभी कई कर्तव्य भवनों का निर्माण तेजी से चल रहा है। ये ऑफिसेस जब आस-पास शिफ्ट होंगे, नजदीक-नजदीक हो जाएगी, तो इससे कर्मचारियों को सही work environment मिलेगा, जरूरी सुविधाएं मिलेंगी, उनका total work output भी बढ़ेगा। और सरकार जो डेढ़ हजार करोड़ रुपए किराए पर खर्च कर रही है, वो भी बचेगा।

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साथियों,

कर्तव्य भवन की ये भव्य बिल्डिंग, ये सभी प्रोजेक्ट्स, नए डिफेंस कॉम्प्लेक्स, देश के तमाम बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, ये देश के pace का सबूत तो हैं ही, ये भारत के वैश्विक विज़न का प्रतिबिंब भी हैं। हम दुनिया को जो विज़न दे रहे हैं, भारत खुद उन्हें किस तरह अंगीकार कर रहा है। ये हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर development में दिखाई दे रहा है। हमने दुनिया को मिशन LiFE दिया, हमने One Earth, One Sun, One Grid का आइडिया विश्व के सामने रखा, ये वो विज़न हैं, जिनसे मानवता के भविष्य की उम्मीद जुड़ी है। आज आप देख सकते हैं, कर्तव्य भवन जैसे हमारे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ये ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, जिनकी आत्मा, Pro-people है। और इनका स्ट्रक्चर pro-planet है। कर्तव्य भवन में भी रूफटॉप पर सोलर पैनल्स लगाए गए हैं, वेस्ट मैनेजमेंट के लिए advanced systems को इसमें integrate किया गया है। ग्रीन बिल्डिंग्स का विज़न अब भारत में विस्तार ले रहा है।

साथियों,

हमारी सरकार, एक होलिस्टिक विजन के साथ भारत के नव-निर्माण में जुटी है। देश का कोई भी हिस्सा आज विकास की धारा से अछूता नहीं है। अगर दिल्ली में संसद की नई इमारत बनी है, तो देश में 30 हजार से ज्यादा पंचायत भवन भी बने हैं। आज यहां एक ओर कर्तव्य भवन जैसी बिल्डिंग बन रही है, तो साथ ही गरीबों के लिए 4 करोड़ से ज्यादा पक्के घर भी बनाए गए हैं। यहां नेशनल वॉर मेमोरियल बना है, पुलिस मेमोरियल बना है, तो देश में 300 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज भी बनाए गए हैं। यहां भारत मंडपम बना है, तो देश में 1300 से ज्यादा नए अमृत भारत रेलवे स्टेशंस भी बनाए जा रहे हैं। यहां बने यशोभूमि की भव्यता पिछले 11 साल में बने करीब 90 नए एयरपोर्ट में भी नजर आती है।

साथियों,

महात्मा गांधी कहते थे, अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कर्तव्य के पालन से ही हमारे अधिकारों को बल मिलता है। हम नागरिक से कर्तव्य की अपेक्षा रखते हैं, लेकिन सरकार के तौर पर हमारे लिए भी कर्तव्य सर्वोपरि है। और जब कोई सरकार अपने कर्तव्यों को गंभीरता से पूरा करती है, तो वो गवर्नेंस में भी नजर आता है। आप सभी जानते हैं, पिछला एक दशक देश में Good Governance का दशक रहा है। Good governance और विकास की धारा reforms की गंगोत्री से ही निकलती है। Reforms एक consistent और time bound process है। इसलिए देश ने लगातार बड़े reforms किए हैं। हमारे reforms consistent भी हैं, dynamic भी हैं, और दूरदर्शी भी हैं। सरकार और जनता के बीच संबंधों को बेहतर बनाना, Ease of Living को बढ़ाना, वंचितों को वरीयता, महिलाओं का सशक्तिकरण, सरकार की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना, देश लगातार इस दिशा में innovative तरीके से काम कर रहा है। हमें गर्व है कि पिछले 11 साल में देश ने एक ऐसी शासन प्रणाली विकसित की है, जो पारदर्शी है, संवेदनशील है, और सिटिजन सेंट्रिक है।

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साथियों,

मैं दुनिया के जिस भी देश में जाता हूं, वहां जन-धन, आधार और मोबाइल, JAM त्रिनिटी की बहुत चर्चा होती है। दुनियाभर में इसकी प्रशंसा होती है। इसने भारत में सरकारी योजनाओं की डिलीवरी को ट्रांसपेरेंट और लीकेज फ्री बना दिया है। आज कोई भी ये जानकर हैरान रह जाता है कि देश में राशन कार्ड हो, गैस सब्सिडी पाने वाले हों, स्कॉलरशिप्स हों, ऐसी अलग-अलग योजनाओं के करीब 10 करोड़ लाभार्थी ऐसे थे, ये आंकड़ा सुनकर के चौंक जाओगे, 10 करोड़ लाभार्थी ऐसे थे, जिनका कभी जन्म ही नहीं हुआ था। इनके नाम पर पहले की सरकारें पैसे भेज रही थीं, और वो पैसा इन फर्जी लाभार्थियों के नाम पर बिचौलियों के खाते में जा रहा था। इस सरकार में इन सभी 10 करोड़ फर्जी नामों को हटा दिया गया है। और अभी ताजा आंकड़ा है कि इससे देश के 4 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा, ये पैसे गलत हाथों में जाने से बचे हैं। आप कल्पना करिए, 4 लाख 30 हजार करोड़ रुपए की चोरी, अब ये पैसा देश के विकास में काम आ रहा है। मतलब, लाभार्थी भी खुश हैं, और देश का संसाधन भी बचा है।

साथियों,

सिर्फ करप्शन और लीकेज ही नहीं, अनावश्यक नियम कायदे भी, नागरिकों को परेशान करते थे। इनसे सरकार की decision making process, slow होती थी। इसलिए हमने 1500 से ज्यादा पुराने कानून समाप्त कर दिए। कई कानून तो अंग्रेज़ों के जमाने के थे, जो इतने दशकों बाद भी रोड़ा बने हुए थे। हमारे यहां क़ानूनों के कंप्लायन्स का भी बहुत बड़ा बर्डन रहा है। कोई भी काम शुरु करना हो, तो दर्जनों कागज़ देने पड़ते थे। पिछले 11 साल में 40 हज़ार से अधिक कंप्लायंसेस को खत्म कर दिया गया है। और ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है, अभी भी लगातार जारी है।

साथियों,

यहां भारत सरकार के वरिष्ठ सचिव भी मौजूद हैं, आप इस बात से परिचित हैं कि पहले कितने विभागों और मंत्रालयों में किस तरह जिम्मेदारियों और अधिकारों की overlapping होती थी। इससे decisions अटक जाते थे, काम अटक जाता था। हमने अलग-अलग विभागों को जोड़कर डुप्लिकेशन खत्म किया। कुछ मंत्रालय को merge किया गया। जहां जरूरत थी, वहाँ नए मंत्रालय भी बनाए गए, वॉटर सेक्योरिटी सुरक्षित करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय बना, सहकारिता आंदोलन को सशक्त करने के लिए सहकारिता मंत्रालय बना, पहली बार फिशरीज़ का अलग मंत्रालय बनाया गया। हमारे नौजवानों के लिए skill development ministry बनी, इन फैसलों से आज सरकार की efficiency भी बढ़ी है, delivery भी तेज हुई है।

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साथियों,

हम सरकार के वर्क-कल्चर को भी अपग्रेड करने के लिए काम कर रहे हैं। मिशन कर्मयोगी, i-GOT जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म, हमारे government employees को इनके ज़रिए आज technically empower किया जा रहा है। ई-ऑफिस, फाइल ट्रैकिंग, डिजिटल अप्रूवल, एक ऐसी व्यवस्था बन रही है, जो फास्ट भी है, और traceable भी है।

साथियों,

जब हम किसी नए घर में जाते हैं, तो हमारे भीतर एक नया उत्साह होता है, हमारी ऊर्जा पहले से कई गुना ज्यादा हो जाती है। अब आप उसी जोश के साथ इस नए भवन में अपने दायित्वों को आगे बढ़ाएंगे। आप जिस किसी भी पद पर हैं, आप अपने कार्यकाल को यादगार बनाने के लिए काम करिएगा। जब आप यहां से जाएं, तो ये लगना चाहिए कि आपने देशसेवा में अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया है।

साथियों,

हमें फाइलों को लेकर अपने नजरिए को भी बदलने की जरूरत है। एक फाइल, एक शिकायत, एक आवेदन, ये देखने में बस एक रोजमर्रा का काम लग सकता है। लेकिन किसी के लिए वही एक कागज़, उनकी उम्मीद हो सकता है, एक फ़ाइल से कितने ही लोगों का पूरा जीवन जुड़ा हो सकता है। अब जैसे कोई फ़ाइल जो 1 लाख लोगों से जुड़ी है, अगर आपकी टेबल पर वो एक दिन भी delay होती है, तो उससे 1 लाख मानव दिवसों का नुकसान होता है। जब आप इस नजरिए से अपने काम को देखेंगे, तो आपको भी लगेगा, किसी भी सुविधा या सोच से ऊपर ये सेवा का कितना बड़ा अवसर है। आप अगर कोई नया idea generate करते हैं, तो हो सकता है, आप एक बड़े बदलाव की नींव रख रहे हों। कर्तव्य की इसी भावना के साथ हम सबको हमेशा राष्ट्र निर्माण में जुटे रहना है। हम सबको ये हमेशा याद रखना है- कर्तव्य की कोख में ही पलते हैं विकसित भारत के सपने।

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साथियों,

वैसे आज ये आलोचना का अवसर नहीं है, लेकिन ये अवसर आत्ममंथन का जरूर है। कितने ही देश जो हमारे साथ-साथ आजाद हुए थे, वो इतनी तेजी से आगे बढ़ गए। लेकिन, भारत तब उस गति से आगे नहीं बढ़ पाया, अनेक वजहें रहीं होगी । लेकिन अब हमारा दायित्व है कि हम समस्याओं को आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़कर के न जाएँ। पुराने भवनों में बैठकर हमने जो निर्णय लिए, जो नीतियाँ बनाईं, उनसे 25 करोड़ देशवासियों को गरीबी से निकालने का हौसला मिला। 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर आना, ये एक बहुत बड़ी सिद्धि है, लेकिन मैं हर काम के बाद भी कुछ न कुछ नया ही सोचता रहता हूं। अब नए भवनों में, ज्यादा efficiency के साथ, हमारी efficiency बढ़ाकर के, जितना ज्यादा हम देश को दे सकते हैं, उस मिजाज से इस भवन में हम वो काम करके दिखाएंगे कि भारत को गरीबी से पूरी तरह मुक्त करना है। इन्हीं भवनों से विकसित भारत का सपना साकार होगा। ये लक्ष्य हम सबके प्रयासों से ही पूरा होगा, हमें मिलकर भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाना है। हमें मिलकर मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की सक्सेस स्टोरी लिखनी है। हमारा संकल्प होना चाहिए, हम अपनी और देश की productivity को स्केल-अप करेंगे। जब टूरिज़्म की बात हो, पूरी दुनिया से लोग भारत आएं, जब brands की बात हो, तो दुनिया की नज़र इंडियन ब्रांड्स पर जाए, जब एजुकेशन की बात हो, तो विश्व से स्टूडेंट्स भारत आएं। हम भारत की ताकत को बढ़ाने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं, ये भी हमारे जीवन का ध्येय होना चाहिए।

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साथियों,

जब सफल राष्ट्र आगे बढ़ते हैं, तो अपनी सकारात्मक विरासत को त्यागते नहीं हैं। वो उसे संरक्षित करते हैं। आज ‘विकास और विरासत’ के इसी विज़न पर हमारा भारत आगे बढ़ रहा है। नए कर्तव्य भवन के बाद ये नॉर्थ और साउथ ब्लॉक भी भारत की महान विरासत का हिस्सा बनेंगे। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को देश की जनता के लिए 'युगे युगीन भारत’, इस संग्रहालय के रूप में बदला जा रहा है। देश का हर नागरिक यहाँ जा सकेगा, देश की ऐतिहासिक यात्रा के दर्शन कर सकेगा। मुझे विश्वास है, हम सब भी यहाँ भी, हम सब यहाँ की विरासत को, यहाँ की प्रेरणाओं को साथ लेकर कर्तव्य भवन में प्रवेश करेंगे। मैं एक बार फिर देशवासियों को कर्तव्य भवन की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।