Our focus is on VIKAS - Vidyut, Kanoon, Sadak: PM

Published By : Admin | February 5, 2017 | 19:44 IST
QuoteSince coming to power in 2014, we have undertaken measures to curb corruption & take action against the corrupt: PM
QuoteLocks of Aligarh are famous. But due to lack of concern of the UP government, the industries in the state are shut & locked: PM
Quote”Our focus is on VIKAS - Vidyut (electricity), Kanoon (law), Sadak (proper connectivity), says the Prime Minister
QuoteCriminals in Uttar Pradesh do not fear law. People must remove those from power who shelter criminals: PM Modi
QuoteWe want our farmers to prosper. We will undertake every possible measure that benefits them: PM

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान, नौजवान अध्यक्ष, संसद में मेरे साथी श्रीमान केशव प्रसाद मौर्य जी, श्रीमान रमेश सिंघल जी, सांसद श्रीमान राजबीर सिंह, बृज क्षेत्र के अध्यक्ष श्रीमान बीएल वर्मा जी, सांसद श्रीमान सतीश गौतम जी, सांसद श्रीमान राजेश दिवाकर जी, श्रीमान पुरुषोत्तम खंडेलवाल जी, कोल से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान अनिल पराशर जी, अतरौली से उम्मीदवार श्रीमान संदीप सिंह, अलीगढ़ से उम्मीदवार श्रीमान संजीव राजा जी, इगलास से उम्मीदवार श्रीमान राजवीर सिंह दिलेर, छर्रा से उम्मीदवार रविंद्र पाल सिंह, बरौली से उम्मीदवार श्रीमान दिलावर सिंह, खैर से उम्मीदवार श्री अनूप बाल्मिकी जी, अलीगढ़ शहर से श्री विवेकश्री सारस्वत जी, मेयर शकुंतला भारती जी, श्रीमान भानूप्रताप सिंह, देवराज सिंह, रजनीकांत जी और विशाल संख्या में पधारे हुए अलीगढ़ के मेरे प्यारे भाइयों-बहनों। दोनों हाथ उपर करके पूरी ताकत से बोलिये ...। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मैं कल भी उत्तर प्रदेश में था। आज दूसरी बार इस महत्वपूर्ण चुनाव अभियान में आप सबके बीच मुझे आने का सौभाग्य मिला है। नरेंद्र और इंद्र दोनों साथ-साथ आए हैं। मैं आज अलीगढ़ के लोगों से एक शिकायत करना चाहता हूं। करूं? अलीगढ़ के लोग बुरा तो नहीं मानेंगे न ...? ये चुनाव का मौसम है। कहीं आप लोग रूठ जाएं तो हमारा क्या होगा? शिकायत करूं? बुरा नहीं मानोगे न ...? बिल्कुल नहीं मानोगे ...?

देखिये 2014 में जब चुनाव हुआ लोकसभा का। मैं स्वयं प्रधानमंत्री के नाते भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार था। ...और तब मैं अलीगढ़ आया था, इसी मैदान में आया था, मैं खुद चुनाव लड़ रहा था, लेकिन मैदान आधा भी नहीं भरा था। ... और आज, आज मैं देख रहा हूं जहां मेरी नजर पहुंच रही है, लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। एक प्रकार से ये केसरिया सागर, मेरे सामने उफान पर नजर आ रहा है भाइयों-बहनों। जब आंधी तेज होती हैं न, तेज आंधी होती है तो छोटी उमर का इंसान भी उस आंधी में टिक नहीं पाता, इसलिए कोई सहारा ढ़ूंढता है। अगल-बगल में पैर हो तो पकड़ लेता है, कोई खम्बा भी नजर आ जाए तो पकड़ लेता है।

भाइयों-बहनों।

इस बार भाजपा की आंधी तेज है कि यहां के मुख्यमंत्री किसी को भी पकड़ लेते हैं। कहीं इस आंधी में खुद ही कहीं उड़ न जाएं, बह न जाएं इस चिंता में और लोगों को पकड़ने में लगे हुए हैं लेकिन ये आंधी उनको न टिकने देगी, न बचने देगी भाइयों-बहनों। उत्तर प्रदेश की जनता परिवर्तन चाहती है। उत्तर प्रदेश की जनता न्याय चाहती है, न्याय।

भाइयों-बहनों।

खासकर के मेरे नौजवानों मेरी माताएं-बहनें, मेरे छोटे कारोबारी, मेरे छोटे-छोटे किसान, भाई-बहन ये लड़ाई आपके न्याय के लिए लड़ाई है, ये आपको न्याय दिलाने के लिए लड़ाई है। कोई मुझे बताए दिल्ली में केंद्र में हमारी सरकार बनी, हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बहुत बड़ी लड़ाई छेड़ दी। किसी को भी बद् इरादे से, किसी भी प्रकार की परेशानी किये बिना भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ी जा सकती है ये दिल्ली सरकार ने करके दिखाया। जबसे आपने मुझे केंद्र में बिठाया है, एक के बाद एक कदम उठाये हैं।     

भाइयों-बहनों।

ये राजनैतिक दल तो पहले भी थे, 2014 के चुनावों में भी थे, लेकिन इन राजनैतिक दलों का गुस्सा अभी जितना नजर आता है, पहले कभी इतना गुस्सा नजर आता था? मोदी पर इतना गुस्सा करते थे? मोदी को इतनी गाली देते थे? ये मिलजुल करके रोज नया, रोज नया फतवा निकालते हैं। कारण क्या है? मालूम है? कारण क्या है मालूम है?

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भाइयों-बहनों।

मैं ऐसे स्क्रू टाइट कर रहा हूं, ऐसे स्क्रू टाइट कर रहा हूं। ...बेईमानों के प्रति उदासीनता रखने वाले, बेईमानों को परिश्रय देने वाले, गुनहगारी को बढ़ाने वाले, या तो आंख मूंदने वाले, उन सबको लग रहा है कि 70 साल के पाप का हिसाब अब देना पड़ेगा। कोई आया है, जो पापियों का हिसाब मांग रहा है।

भाइयों-बहनों।

हमने लोगों को जो सरकार से पैसा मिलता है, स्कॉलरशिप का मिलता होगा, बुढ़ापे में पेंशन का मिलता होगा और सुविधाओं के लिए मिलता होगा, दिव्यांगजनों को मिलता होगा, वृद्ध माताओं को मिलता होगा, हमने सिर्फ कहा कि बैंक में एकाउंट खोलो और आधार के द्वारा उनको पैसे दो।

भाइयों-बहनों।

ऐसी-ऐसी जगह ध्यान में आयी हैं, ऐसे-ऐसे राज्यों के नाम सामने आए हैं कि जहां बेटी कभी पैदा ही नहीं हुई थी लेकिन उसका विधवा का पेंशन लिया जाता था। ये चोरी है कि नहीं है ...? ये गरीब के पैसे लूटने का तरीका है कि नहीं है ...? हमने आधार और जनधन एकाउंट के द्वारा लोगों को सीधे पैसे देना शुरू किया। अलग-अलग योजनाएं अभी को शुरुआत की है लेकिन करीब-करीब 40 हजार करोड़ रुपया, आप कल्पना कर सकते हैं भाइयों-बहनों। 40 हज़ार करोड़ रुपया जो हर वर्ष सरकार की तिजोरी से ये चूहे आकर के चुपचाप खा जाते थे। वो 40 हज़ार करोड़ रुपया बचा लिया।

ये 40 हज़ार करोड़ गरीब के काम आएगा के नहीं आएगा ...? गरीब का भला होगा के नहीं होगा ...? मध्यम वर्ग के लोगों को भला होगा के नहीं होगा ...? नौजवान के लिए रोजगार बढ़ाएगा के नहीं बढ़ाएगा ...?  पहले क्या होता था जो पहुंच पाते थे वो मार ले जाते थे इन सारी चीजों को मैंने रोक लगा दी, तो मुझपे गुस्सा होगा के नहीं होगा ...? मुझपे नाराजी होगी के नहीं होगी ...? मोदी को पराजित करने के लिए सारे जमावड़े करेंगे के नहीं करेंगे ...?

भाइयों-बहनों।

ये लोग सिर्फ चुनाव जीतने के लिए ही इकट्ठे नहीं आये हैं, ये इसलिए इकट्ठे आये हैं कि अगर अलग-अलग रहे और मोदी का राज्यसभा में भी बहुमत हो गया तो मोदी ऐसे कानून बनाएगा, ऐसे कानून बनाएगा कि चोर लुटेरों को लिए कोई जगह नहीं बचेगी, इसका डर है। इसका डर है भाइयो, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं।

आप देखिये।

8 नवंबर रात को 8 बजे टीवी पर आकर मैंने कहा हजार और पांच सौ के नोट बंद। तूफान मच गया, तूफान। जिन्होंने थप्पे के थप्पे रखे थे, अब उनके लिए मजबूरी आ गई कि भई बैंक में जमा करना ही पड़ेगा। बैंक में जमा करना ही पड़ेगा। कुछ लोगों ने गंगा में बहा दिया, कुछ लोगों ने जला दिया।

भाइयों-बहनों।

70 साल तक जिस प्रकार से देश को लूटा गया और हज़ार-हज़ार की नोटों की थप्पियां लगी दीं, एक रात में भाइयों-बहनों उनको सरकार के शरण आने के लिए मजबूर कर दिया, बैंकों में जमा करने के लिए मजबूर कर दिया गया। अब वो सोच रहे थे कि मोदी ने तैयारी नहीं की है। ...इसलिए बैंकों में जमा करेंगे तो काला सफेद हो जाएगा। ...लेकिन उनको मालूम नहीं था कि मोदी ने बैंकों में पहले व्यवस्था करके रखी है कि जो जमा करेगा, उसकी पूछ कहां निकलती है? सारा कारोबार पकड़ा जाएगा। सारा कारोबार और ये पैसे गरीब के काम आए, ईमानदार के काम आए, देश के नौजवानों का भविष्य बनाने के लिए काम आए इस काम के लिए, हम लड़ाई लड़ रहे हैं भाइयों-बहनों। ...और इसके लिए मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों का आभारी हूं कि आपने मुझे जो समर्थन दिया, आपने जो सहयोग दिया। ये देश दुनिया के सामने सर ऊंचाकर के खड़ा हो गया है कि अपने सपने पूरा करने के लिए सवा सौ करोड़ देशवासी कैसी ताकत दिखाते हैं? ये पूरी दुनिया ने देख लिया है भाइयों। इस ताकत के भरोसे भारत का भाग्य बदल रहा है।

आप मुझे बताइये!

ये अलीगढ़, पहले अलीगढ़ के ताले सारे हिंदुस्तान में बिकते थे। बिकते थे कि नहीं बिकते थे ...? अलीगढ़ का ताला एक नाम हो गया था कि नहीं हो गया था ...? लेकिन पिछले सालों उत्तर प्रदेश में ऐसी सरकारें चलीं, ऐसी सरकारें चलीं कि अलीगढ़ का ताला, अलीगढ़ के ही काम आया। यहां के छोटे-छोटे कारखाने, सैकड़ों की तादाद में उसको अलीगढ़ का ही ताला लग गया। सैकड़ों कारखाने बंद हो गये। ...और बंद क्यों हुए? ये एक लखनऊ में बैठी हुई सरकार बिजली नहीं दे पा रही थी, बिजली नहीं दे पा रही थी।

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भाइयों-बहनों।

उत्तर प्रदेश में बिजली का हाल ये है कि लोग अंदर-अंदर बातें करते हैं। बस में जाएं, ट्रेन में बैठे हों, दुकान के पास खड़े हों तो लोग पूछते हैं कि अरे तेरे यहां आई थी क्या? तो दूसरा कहता है कि नहीं मेरे यहां तो नहीं आई। तीसरे मंगल को आई थी, तो बोले हमारे यहां तो तीन दिन से आई ही नहीं है। बिजली आती ही नहीं है। ...और कभी बिजली आ जाए तो लोग आनंद मनाते हैं, यार आज बिजली आ गई।

भाइयों-बहनों।

वक्त बदल चुका है। ...और विकास। विकास की मेरी सीधी-सीधी परिभाषा है। हम जब विकास की बात करते हैं तो तीन मजबूत पिलर के ऊपर विकास की इमारत बनाना चाहते हैं। जब मैं विकास की बात करता हूं तो ‘वि’ का मेरा मतलब है विद्युत, बिजली। ‘का’   का मेरा मतलब है कानून व्यवस्था और ‘स’ का मेरा मतलब है सड़क। विकास यानि विद्युत, कानून व्यवस्था और सड़क। इन तीन मजबूत पिलर के ऊपर विकास की भव्य इमारत बनाई जा सकती है। अगर बिजली ही नहीं है तो अलीगढ़ के कारखाने बंद होना बड़ा स्वाभाविक है। अलीगढ़ के नौजवानों को रोजगार के लिए, अलीगढ़ छोड़कर के शहरों की झुग्गी-झोपड़ी में जीने के लिए मजबूर होना बहुत स्वाभाविक है।

...और इसलिए भाइयों-बहनों।

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया है, उत्तर प्रदेश की जनता ने मुझे प्रधानमंत्री बनाया है। हमने देश के अंदर नौजवान अपने पैरों पर खड़ा हो, इसलिए मुद्रा योजना ले आए। करोड़ों की तादाद में बिना कोई गारंटी नौजवान बैंक से लोन ले सकता है। ...और लाखों-करोड़ों रुपया कम रकम नहीं, करोड़ों नौजवानों को लाखों-करोड़ों रुपया हम दे चुके हैं। ...और एक-एक नौजवान अपने पैरों पर खड़ा है जो दूसरे को रोजगार देने की ताकत पे अब आगे बढ़ रहा है।

एक जमाना था। सामान्य मानवी को दो हजार, पांच हजार रुपया चाहिए तो साहूकार से लेने जाना पड़ता था और उसका परिणाम ये होता था कि साहूकार इतना ब्याज लेता था, इतना ब्याज लेता था गरीब, मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग का मानवी ब्याज देते-देते थक जाता था। हमने कहा, धोबी हो, नाई हो, सब्जी बेचने वाला हो, दूध बेचने वाला हो, किराने की दुकान चलाने वाला हो, छोटे-छोटे कपड़े का कारोबार करता हो, अखबार बेचता हो, सामान्य मानवी हो, उसको भी पचास हजार रुपया अगर उसको मुद्रा योजना से चाहिए तो बैंक बिना गारंटी दे देगी। ये काम हमने करके दिखाया और लोगों को लाभ मिला है।

...लेकिन भाइयों-बहनों।

उत्तर प्रदेश में सरकार को विकास में कोई लेना-देना नहीं है। मैं आज उत्तर प्रदेश के नौजवानों को विश्वास दिलाना चाहता हूं। हमने केंद्र में एक निर्णय किया है जिसका अभी केशव प्रसाद जी उल्लेख कर रहे थे। भ्रष्टाचार नौकरी पाने के लिए नौजवानों से रुपये ऐठ लिए जाते थे। इंटरव्यू कॉल आता था, उसको भी पता था कि रिटन एक्जाम तो पास कर लिया लेकिन इंटरव्यू तो पास करना होगा तो किसी की सिफारिश लगेगी किसी की पहचान लगेगी। वो नेताओं के घर चक्कर काटता था। उनके कुर्ते पकड़ता था कि भाई साहब नौकरी दिलवा दीजिए, इंटरव्यू आया है। वो एमएलए के पास ले जाता था, मंत्री के पास ले जाता था। बोली-बोली जाती थी और गरीब आदमी अपनी जमीन गिरवी रखकर के, अपना मकान गिरवी रखकर के, मां अपना मंगलसूत्र गिरवी रखकर के बेटे को नौकरी मिले इसलिए रिश्वत देती थी भाइयों। ये बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। ये नौजवानों से लूटा जा रहा है बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...।

आप मुझे बताइये।

दुनिया में ऐसा कोई विज्ञान है क्या कि इंटरव्यू में आप रूम में जाएं, तीस सेकेंड़ खड़े रहें, आधी मिनट और इंटरव्यू लेने वाले आपको देखें। आपका नाम पूछे और दूसरे दरवाजे से आप निकल जाएं। क्या इतने में इंटरव्यू हो जाता है क्या? क्या इतने में आपको जान लेता है क्या? ये सारा कारोबार भ्रष्टाचार के दरवाजे थे, भ्रष्टाचार के अडंगे थे।

और चोर लुटेरे लोग लुटते थे, भाइयों बहनों।

हमने दिल्ली में केंद्र में सरकार बनाते ही वर्ग तीन और चार में, क्योंकि सरकार में सबसे ज्यादा वही लोग होते हैं, इंटरव्यू लेना ही बंद कर दिया। नो इंटरव्यू। आपको जितना मार्क्स मिला है। कम्प्यूटर में डाल दो, कम्प्यूटर तय करेगा कि पहले दो हजार लेने हैं तो कौन हैं। ऑर्डर भेज दो। नौकरी पर लगा दो। भ्रष्टाचार गया कि नहीं गया ...। भाई भतीजावाद गया कि नहीं गया ...। जातिवाद गया कि नहीं गया। मेरा तेरा गया कि नहीं गया ...। रुपए बचे कि नहीं बचे ...।

भाइयों बहनों।

एक निर्णय। एक निर्णय करोड़ों-करोड़ों की जिंदगी बना देता है। ये काम दिल्ली में, केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर सकती है। उत्तर प्रदेश क्यों न करे?  मैंने उत्तर प्रदेश सरकार से बार-बार कहा कि भ्रष्टाचार के दरवाजे बंद करो

लेकिन इसके लिए तो समाज के प्रति समर्पण का भाव जरूरी होता है, तब जाकरके होता है। आप मुझे बताइए। नौकरी पाने के लिए किसी विशेष जाति में जन्म लेना जरूरी है क्या ...? किसी विशेष जाति में जन्म नहीं लिया तो नौकरी नहीं मिलेगी। ये क्या हिन्दुस्तान का संविधान कहता है क्या ...? आप मुझे बताइए। आप लोगों को नौकरी में अन्याय हुआ है कि नहीं हुआ है ...। जाति के आधार पर अन्याय हुआ है कि नहीं हुआ है ...। भाइयों बहनों। नौकरी की भर्तियों में जो अन्याय हुआ है, लखनऊ में हमारी सरकार बैठने के तुरंत बाद, एक-एक नौजवान को न्याय दिलाने के लिए, हम कानूनी प्रक्रिया करेंगे। ...और नौजवानों को न्याय दिलाकरके रहेंगे। देश ऐसे नहीं चल सकता है।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। उत्तर प्रदेश में सूरज ढलने के बाद, मैं उस हिन्दुस्तान की बात कर रहा हूं, जिसके पूर्वजों के पराक्रम की दुनिया में गुणगान हुआ करता था। आप हमें दिल की आवाज दीजिए दोस्तों। माताएं बहनें विशेष रूप से आवाज दें, आशीर्वाद दें। मैं आपसे पूछता हूं कि क्या सूरज ढलने के बाद, क्या उत्तर प्रदेश में सूरज ढलने के बाद, कोई बहन बेटी अकेली घर से बाहर जा सकती है क्या ...? जा सकती है क्या …? जा सकती है क्या ...। क्या माताओं बहनों को सुरक्षा मिलनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। माताओं बहनों की रक्षा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। ये गुंडागर्दी खत्म होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। ये गुंडागर्दी को आश्रय देने वालों को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं चाहिए ...।

और इसलिए अलीगढ़ के मेरे भाइयों बहनों।

मैं पूरे उत्तर प्रदेश को आज कहना चाहता हूं। उत्तर प्रदेश को गुंडागर्दी से बचाइए। एक बार, ये गुंडागर्दी को आश्रय देने वाले राजनेताओं को निकालोगे तो अपने आप बहन बेटियों की सुरक्षा की गारंटी बन जाएगी भाइयों बहनों। जो परेशान होता है, वो पुलिस थाने में भी जाने की हिम्मत नहीं करता है। अगर पुलिस थाने में जाए शिकायत करने जाएं और अगर पता चले कि वो गुंडा तो किसी नेता का साथी है तो फरियादी को ही दो डंडे मारे जाते हैं।

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भाइयों बहनों।

ये सबकुछ बदलना है। उत्तर प्रदेश ने मुझे इतना प्यार दिया है कि मुझे भी उत्तर प्रदेश को कुछ देना है। इसलिए भाइयों बहनों। मुझे ये बदलना है। आप मुझे बताइए। पहले गैस का चूल्हा लेना हो, घर में गैस कनेक्शन लेना हो। आप मुझे बताइए। मिलता था क्या ...। करप्शन होता था कि नहीं होता था ...। बिचौलिए को पैसे देने पड़ते थे कि नहीं देने पड़ते ...।

भाइयों बहनों।

हमारे देश में करोड़ों माताएं लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाती है। और लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाती है। इसके कारण उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं, एक दिन में उस मां के शरीर में जाता है। क्या गुनाह है मां बहनों का? जो अपने बच्चों को खाना पकाकर के दे और लकड़ी का चूल्हा जलाने से 400 सिगरेट का धुआं उनके शरीर में जाए और उनको बीमारी का शिकार होना पड़े।  

भाइयों बहनों।

एक जमाना था। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को गैस की 25 कूपन मिलते थे। और वो कूपन से गैस कनेक्शन लेने के लिए एमपी के यहां लोग कतार लगा देते थे। मंत्री के यहां कतार लगा देते थे। केंद्र में जबसे हमें आपने बिठाया है, हमने कहा, कोई कतार वतार नहीं लगेगी। ये गैस का कनेक्शन घर जाकर के मिलेगा।

भाइयों बहनों।

गरीबों को अब तक, अभी तो योजना छह महीना पहले शुरू की है। अब तक 1 करोड़ 80 गरीब परिवारों में गैस का चूल्हा, गैस का कनेक्शन दे दिया। अगर बदलाव लाना है तो लाया जा सकता है। ये उत्तर प्रदेश में, जब हिसाब-किताब करता था। मैंने भारत सरकार से पूछा कि हिन्दुस्तान में कितने गांव हैं, जहां आजादी से 70 साल के बाद भी बिजली का खंभा नहीं लगा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है, बिजला का एक लट्टू नहीं लगा है, कितने गांव है।

भाइयों बहनों।

18 हजार गांव ऐसे मिले जो बिना बिजली के 18वीं शताब्दी में जिंदगी गुजारा करते थे। 21वीं सदी में हिन्दुस्तान के 18 हजार गांव बिना बिजली के 18 वीं सदी की तरह गुजारा कर रहे थे। और किसी राजनेता को परवाह नहीं थी। किसी सरकार को परवाह नहीं थी, क्योंकि तो वो तो वोट बैंक नहीं थी। क्योंकि वो बिखरे हुए गांव थे। वो क्या बिगाड़ लेते चुनाव में, इसलिए किसी को परवाह नहीं थी। मैंने सरकार के अधिकारियों को बताया। एक हजार दिनों में, समय दिया उनको। 1000 दिन में 18 हजार गांवों में बिजली का खंभा लग जाना चाहिए, तार लग जाना चाहिए, बिजली का लट्टू चालू करके दिखाना होगा।

भाइयों बहनों।

मुझे दुख के साथ कहना पड़ेगा कि उसमें सबसे ज्यादा गांव उत्तर प्रदेश में थे, जो 18वीं सदी में जी रहे थे। मैंने बीड़ा उठाया और उत्तर प्रदेश के उन गांवों में बिजली पहुंचाई। अभी तो 1000 दिन पूरे नहीं हुए, बड़ी मुश्किल से 50-60 गांव अभी बाकी हैं, ऐसे मुझे बताया गया है। भाइयों बहनों। आने वाले दिनों में वो काम भी पूरा हो जाएगा।

मेरे किसान भाइयों बहनों।

कोई ऐसा वर्ष, कोई ऐसा वर्ष गया है, जब गन्ना किसानों को समय पर भुगतान हुआ हो। किसानों को पैसे मिले हों, ऐसा कभी हुआ है। 2014 में जब मैं चुनाव लड़ रहा था लोकसभा। सारे इलाके में सब मेरे कान में कहते थे, साहब। गन्ना किसानों का बकाया है, कुछ कीजिए। तब मैंने चुनाव में कहा था। एक बार दिल्ली में हमारी सरकार बनने दो। ये पुराना बकाया जो है, उस पर प्राथमिकता के आधार पर उसकी जांच पड़ताल करूंगा जो हो सकता है करूंगा। भाइयों बहनों। जिस दिन हमने दिल्ली में शपथ ली। 22 हजार करोड़ रुपया, गन्ना किसानों के 22 हजार करोड़ रुपया बकाया था।

भाइयों बहनों।

हमने अलग-अलग योजना बनाई। और हमने तय किया। हम मिल वालों को पैसे नहीं देंगे। हम सीधा किसान के खाते में पैसे जमा करेंगे। 32 लाख किसानों के खाते में सीधा पैसा जमा कराया। और करीब-करीब 98 प्रतिशत से ज्यादा भुगतान कर दिया। मैं जरा पूछना चाहता हूं, अखिलेश जी की सरकार को। क्या कारण है? अभी भी, आपके निकट जो चीनी मिलें हैं, अभी भी कुछ किसानों को भुगतान क्यों नहीं करते हैं? उन चीनी मिल वालों से आपका क्या नाता है? आपकी सरकार अपने कानून नियमों का उपयोग करके गन्ना किसानों को पैसे क्यों नहीं दिलवाती है।

भाइयों बहनों।

बगल में हरियाणा है। हरियाणा में भी गन्ना किसान हैं। उत्तर प्रदेश से हरियाणा में भाजपा सरकार गन्ना किसानों को ज्यादा पैसे देती है। किसानों को समय पर भुगतान करती है। अगर भाजपा की सरकार हरियाणा में कर सकती है तो उत्तर प्रदेश में अखिलेश जी की सरकार क्यों नहीं कर सकती है? मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का अभिनंदन करता हूं। बहुत महत्वपूर्ण उन्होंने घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि गन्ना के किसानों को 14 दिनों में भुगतान कर दिया जाएगा, 14 दिनों में भुगतान। बहुत बड़ा फैसला है। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी बधाई के अधिकारी हैं। इतना बड़ा फैसला किया है। मैं उनको एक और बधाई देता हूं। उन्होंने छोटे और मंझले किसानों की कर्ज माफी की भी घोषणा की है। और मुझे विश्वास है, सरकार बनते  ही  पहला काम इन किसानों के कर्ज के विषय में भारतीय जनता पार्टी ने जो घोषणा की है, उसको लागू करके रहेंगे।

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश का हमारा किसान गेहूं पैदा करता है। उत्तर प्रदेश का हमारा किसान धान पैदा करता है। क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश की सरकार जो दाम भारत सरकार तय करती है, उस मूल्य के आधार पर गेहूं खरीदने से कतराती क्यों है? धान खरीदने से कतराती क्यों है? किसानों को उसके नसीब पर क्यों को छोड़ दिया जाता है? व्यापारियों को, किसानों को लूटने का मौका क्यों छोड़ दिया जाता है। सरकार इनरवेंशन क्यों नहीं करती है?

भाइयों बहनों।

बगल में हरियाणा। गेहूं की खेती वहां भी होती है। जो किसान उत्पादन करता है, करीब-करीब 70 फीसद खुद सरकार खरीदती है, उचित मूल्य पर खरीदती है। किसान को कोई लूट नहीं सकता है। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। 60-65 फीसदी माल सरकार खरीदती है। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। चावल की खरीदी 60-70 प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी की सरकार करती है। आपको पता है! भाजपा की सरकार 70 फीसदी किसानों का पैदावार खरीद करती है। लेकिन उत्तर प्रदेश में, किसानों के नाम पर वोट मांगने वाली अखिलेश जी की सरकार कितना करती होगी बताइए? भाजपा वाले 60 फीसदी करते हैं, ये कितना करते होंगे। 50 ...नहीं करते हैं। 40 ...नहीं करते हैं। आपको जानकर दुख होगा।

मेरे किसान भाइयों।

जाग जाओ! जाग जाओ! आपको अंधेरे में रखा है। कैसे लूटा है? कैसे बर्बाद किया है आपको? आप जानकर हैरान हो जाएंगे। सिर्फ तीन प्रतिशत, सिर्फ तीन प्रतिशत खरीदी ये उत्तर प्रदेश की सरकार करती है। किसान को उसके नसीब पर छोड़ दिया जाता है। आप हमें मौका दो, हम स्थिति बदलकर रखेंगे भाइयों। ये स्थिति बदलकरके रखेंगे। हमने गन्ने में, गन्ना किसान दुनिया में चीनी का दाम मर जाए, गन्ना का किसान मर जाए। दुनिया में चीनी इधर-उधर हो जाए, गन्ना किसान मर जाए। हमने निर्णय किया। हम गन्ना की किसान की मदद करने के लिए इथनॉल बनाने का अभियान चलाया। 25 करोड़ लीटर इथनॉल बनाकरके हमने गन्ना किसानों को बड़ी मदद की। और विदेशों से जो तेल आता था, उसको कम करने में इथनॉल ने बहुत मदद की। किसान को कैसे बचाया जा सकता है। हमने करके दिखाया है।

आप मुझे बताइए।

कभी यूरिया के लिए किसान को रात-रातभर कतार में खड़ा रहना पड़ता था कि नहीं रहना पड़ता था ...। यूरिया मांगने पर मिलता था क्या ...। किसान को यूरिया चाहिए तो ब्लैक में खरीदना पड़ता था कि नहीं ...। और किसान दुकानदार के यहां खड़ा हो जाए तो पुलिस आकरके लाठियां मारती थी कि नहीं मारती थी।

भाइयों बहनों।

ये इसलिए होता था क्योंकि यूरिया चोरी होती थी। नाम तो किसान का होता था लेकिन यूरिया कैमिकल के कारखानों में रॉ मैटेरियल के रूप में चला जाता था। किसान को यूरिया नहीं मिलता था। और काला बाजारी करने वाले, काले धन का उपयोग करने वाले किसानों को काले बाजारों से यूरिया खरीदने को मजबूर किया जाता था। हमने आकरके बड़ा महत्वपूर्ण काम कर दिया। यूरिया को नीम कोटिंग कर दिया। 100 फीसदी नीम कोटिंग कर दिया। और जब यूरिया का नीम कोटिंग कर दिया। अब वो यूरिया खेती के सिवाय किसी के भी काम में नहीं आता है। फैक्टरी के काम नहीं आ सकता है, केमिकल के रॉ मैटेरियल के काम नहीं आ सकता है। यूरिया की चोरी अटक गई। किसान को आवश्यकतानुसार मिलने लगा। किसान का ब्लैक मार्केटिंग से यूरिया खरीदना बंद हो गया। किसानों का खर्चा कम हो गया है। एक निर्णय किसानों की जिंदगी बदलता है कि नहीं बदलता है ...। बदलता है कि नहीं बदलता है। बदलता है कि नहीं बदलता है ...। एक बार हमें सेवा का अवसर दो। हम उत्तर प्रदेश को आपके सपनों का उत्तर प्रदेश बनाकरके रखेंगे। ये मैं कहने आया हूं।

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भाइयों बहनों।

मैं मेरे दलित भाइयों से विशेष रूप से कहना चाहता हूं। हमारे देश में दलितों के नाम पर राजनीति करने वालों ने बाबा साहेब का कैसा अपमान किया है, वो हम भली भांति जानते हैं। जब तक कांग्रेस की सरकार थी बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया गया। कांग्रेस को कोई अधिकार नहीं है। और कांग्रेस को साथ देने वालों को भी बाबा साहेब के नाम पर राजनीति करने का कोई हक नहीं है।

भाइयों बहनों।

हमने आकरके बाबा साहेब अंबेडकर के पंचतीर्थ का निर्माण किया है। बाबा साहेब के पंचतीर्थ निर्माण जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी को सेवा करने का अवसर मिला है। हमने करके दिखाया। मऊ जहां बाबा साहेब का जन्म हुआ था। जब तक मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार न बनी। उस बाबा साहेब के जन्म स्थान को उपेक्षित कर दिया गया था। आज मऊ में एक भव्य तीर्थ बनाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है।

भाइयों बहनों।

लंदन में जहां बाबा साहेब की पढ़ाई हुई थी। वो मकान हराजी हो रही थी, नीलामी हो रही थी, बिक्री हो रही थी, बोली जा रही थी। हम पहुंच गए। भाजपा की सरकार बन गई। हमने फैसला कर लिया, जिस धरती पर बाबा साहेब ने पढ़ाई की थी। वो मकान बिक्री करने नहीं दी जाएगी। उसकी नीलामी नहीं होने दी जाएगी। सरकार खुद खरीदेगी। लाखों करोड़ों रुपया खर्च करके वो मकान ले लिया गया। और लंदन में भी बाबा साहेब अंबेडकर का तीर्थ क्षेत्र बनाने का काम हमने करके दिखाया। नागपुर में जहां बाबा साहेब जी ने जहां बुद्ध की दिक्षा ली थी, उस भूमि को भी भव्य स्मारक बनाने का अवसर भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तब मिला। मुंबई में जहां बाबा साहेब अंबेडकर की अंत्येष्टि हुई थी। उस भूमि को, इंदू मिल की जमीन हमारे दलित भाई, कितने ही दशकों से मांग कर रहे थे। लेकिन सरकारें मानती नहीं थी। केंद्र में आपने मुझे बिठाया। हमने मुंबई में जहां बाबा साहेब की अंत्येष्टि हुई थी। उस चेत्य भूमि के अंदर, जहां अंतिम संस्कार हुआ था। हमने भव्य स्मारक बनाने का प्लान किया। मैंने खुद जाकरके शिलान्यास करके आया था। पूरी इंदू मिल की जमीन, हमने बाबा साहेब अंबेडकर के स्मारक के लिए लगा दी। पूरे मुंबई में भव्य स्मारक पूरे हिन्दुस्तान को प्रेरणा देगा। दुनिया में न्याय के लिए लड़ने वाले के लिए प्रेरणा की भूमि बन जाएगी। मुंबई में, नागपुर में, मऊ में, लंदन में और दिल्ली में भी जिस मकान में बाबा साहेब अंबेडकर रहते थे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने निर्णय किया था। बाद में, जितनी सरकारें आई, उस काम को रोक दिया। फिर से केंद्र में हमारी सरकार आई। हमने आगे बढ़ाया। वो पांचवां तीर्थ भी निर्माण होकरके खड़ा हो जाएगा। बाबा साहेब अंबेडकर के लिए पंचतीर्थ निर्माण करने वाला अगर कोई है तो भारतीय जनता पार्टी की प्रतिबद्धता है। दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित के लिए वर्ग के लिए काम करना ही हमारा इरादा है। इसी का परिणाम है कि हमने करके दिखाया है।

भाइयों बहनों।

जब हमने Demonetisation किया। पांच सौ हजार की नोट बंद की। remonetisation  का काम भी चल रहा है। साथ-साथ emonetisation का भी काम शुरू किया। ...और इसलिए हमने डिजिटल करंसी, ऑनलाइन पेमेंट, डिजि धन, उसको भी बल देने की दिशा में काम शुरू किया। हमने जो ऐप बनाई। वो भी इस देश के महापुरुष बाबा साहेब के नाम पर भीम ऐप बनाई। आज करोड़ों लोग अपने मोबाइल बैंक फोन पर भीम ऐप डाउनलोड करके अपने मोबाइल फोन को ही बैंक बना देते हैं। ...और अपना पूरा आर्थिक कारोबार भीम ऐप के द्वारा कर रहे हैं। और जब हमने भीम ऐप बनाई तो भी भीम राव अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाले लोग हैं, उनके पेट में चूहे दौड़ने लग गए। परेशान हो गए। ये मोदी होता कौन है। ऐप बनाए तो भीम का नाम लेता है, अंबेडकर का नाम लेता है। अरे भीम राव अंबेडकर थे जिन्होंने रुपए पर सालों पहले रुपए पर थीसीस लिखी थी। भीम राव अंबेडकर थे कि पढ़लिखकर के एक बहुत उत्तम अर्थशास्त्री के रूप में  जगह बनाई थी। भीम राव अंबेडकर थे जिनकी सोच थी कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का जन्म हुआ था। जिस आदमी ने इतना बड़ा आर्थिक चिंतन किया हो। अगर हिन्दुस्तान की नई व्यवस्था भीम ऐप के नाम पर चलती है। हमें इस बात पर गर्व है। जिसकी पीड़ा होती है, होती रहे। हम इस काम को आगे बढ़ाने वाले लोग हैं।

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश आप जानते हैं। अगर हम बजट में घोषित करें कि 10 हजार करोड़ रुपया लोगों को दे दिया जाएगा। तो चारो तरफ तालियां बजेगी कि नहीं बजेगी ...। बजेगी कि नहीं बजेगी ...। बजेगी कि नहीं बजेगी ...।

भाइयों बहनों।

हमने ऐसा काम किया। कुछ भी घोषणा किए बिना, कोई गाजे बाजे के बिना, सामान्य मानवी के जेब में, पूरे देश को मिलाकरके 10 हजार करोड़ रुपयों की बचत हुई एक साल में। और एक साल ही नहीं, हर वर्ष ये बचत होने वाली है 10 हजार करोड़ रुपया। आपको लगेगा कि मोदी ने क्या जादू किया? ये कैसा जादू है कि हमें पता भी नहीं चला और पैसा बच गया।

भाइयों बहनों।

हमने पूरे देश में एलईडी बल्ब लगाने का बड़ा अभियान चलाया। एलईडी बल्ब। पहले कांग्रेस के जमाने में मिलता था 300, 350, 375 रुपए में। हमने नियमों का उपयोग किया। बारीकी से देखा और सिर्फ 70-80 रुपए में एलईडी बल्ब बाजार में लाकरके खड़ा कर दिया। और जिसके घर में बिजली का उपयोग होता था, जिसने भी एलईडी बल्ब लगाया, पहले जितना बिल आता था, किसी का बिल आधा हो गया, किसी का 60 प्रतिशत हो गया। किसी का 65 फीसदी हो गया। हर महीना बिल बचने लगा। जिस-जिस ने एलईडी लगाया है, उन सबका बिल बचने लगा है। जिन्होंने नहीं लगाया, उनको मैं कहता हूं, घर में लट्टू बदल दीजिए, एलईडी बल्ब लगा लीजिए। बच्चों को दूध पिलाने का पैसा ऐसे ही बच जाएगा। काम ऐसे होता है। जनता पर कोई बोझ न पड़े। बिजली भी बचे, पैसे भी बचे, अच्छी उर्जा भी मिले। ये काम करना, उस दिशा में काम करना। ये करके हमने दिखाए हैं।

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश। दंगा जैसे रोज का कारोबार हो गया है। आप मुझे बताइए भाइयों बहनों। ये दंगे बंद होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए ...। ये मार काट बंद होना चाहिए कि नहीं चाहिए ...। भाई से भाई को लड़ाना बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। सुख चैन की जिंदगी जीने के लिए हर एक को अवसर मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए।

भाइयों बहनों।

आपको भी जानकर के हैरानी होगी। दुनिया भी चौक जाएगी। अगर हिन्दुस्तान पर जो लोग टीवी पर भाषण सुन रहे होंगे। वो भी चौंक जाएंगे। ये राजनेताओं ने उत्तर प्रदेश की गुंडागर्दी को कोसने वाली सरकारों ने क्या किया है। यहां पर दो सरकारें एक-दूसरे से स्पर्धा करती है।मायावती जी की सरकार कहती है, मैं साइकिल वालों से आगे निकल जाऊंगी। साइकिल वाले कहते हैं, हम तुमसे आगे निकल जाएंगे। दोनों के बीच में स्पर्धा होती है, किस बात के लिए स्पर्धा होती है। पहले मायावती के समय में तीन महत्वपूर्ण सामान्य मानवी के सुरक्षा के मुद्दे, गंभीर प्रकार के तीन गुनाह, उसमें उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक पर था, मायावती के जमाने। पूरे देश में सबसे ज्यादा, तीन प्रकार के गंभीर गुनाह सबसे पहला नंबर गुनाहगारी में उत्तर प्रदेश था। फिर ये नौजवान आए। उनको लगा मैं पीछे क्यों रहूं? मायावती का तीन था। इन्होंने पांच कर दिया। पांचों प्रमुख जो गुनाह माने जाते हैं, इन पांचों प्रमुख गुनाह के अंदर आज उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर पहुंचा दिया गया है।

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश में ये जो पांच प्रमुख गुनाह है। एक दिन में, मैं लंबी बात नहीं करता है। एक दिन में 7650 वारदात होती है, 7650 वारदात होती है उत्तर प्रदेश में। एक दिन में उत्तर प्रदेश में 24 मां-बेटियों पर बलात्कार होता है। उत्तर प्रदेश में 24 घंटे में 21 मां-बेटियों पर बलात्कार करने का प्रयास होता है। आप मुझे बताइए। माताओं बहनों की रक्षा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। ये बलात्कारियों को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। ये गुनाहगारी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...।  

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश में एक दिन में 13 हत्याएं होती है, 13 हत्याएं। एक दिन में 13 हत्याएं। एक दिन में 33 अपहरण होते हैं। किडनैपिंग होते हैं। एक दिन में उत्तर प्रदेश 19 दंगे होते हैं। उत्तर प्रदेश में एक दिन में 136 चोरी की घटनाएं घटती है। ये तो जो लोग हिम्मत करके पुलिस थाने में जाकरके लिखवा पाते हैं, उनकी बातें हैं। जो लिखवा नहीं पाते, जो पुलिस थाने नहीं जा पाते हैं, उनका हिसाब तो अलग ही है।

भाइयों बहनों।

ये कलंक मिटना चाहिए कि नहीं मिटना चाहिए ...। ये मुट्ठीभर लोग बेखौफ होकरके, राजनेताओं का आश्रय पाकरके सामान्य व्यक्तियों की हत्या करना, लूट करना, अपराध करना, ये उनका पैशन बन गया है। इसे रोकना है। और इसलिए मेरे अलीगढ़ के भाइयों बहनों। मेरे उत्तर प्रदेश के भाइयों बहनों। ये गुंडागर्दी, ये जमीन माफिया, ये भू माफिया, ये खनिज माफिया, ये अपहरण करने वाले माफिया, ये माताओं बहनों से बलात् करने वाले माफिया, इन सबको उत्तर प्रदेश से निकालना है बहनों भाइयों। ...या तो जेलों में होंगे या उत्तर प्रदेश की धरती पर कदम रखने की हिम्मत नहीं करेंगे। ये करके रहना है।

और इसलिए।

इसलिए उत्तर प्रदेश को स्कैम से मुक्त करना है। उत्तर प्रदेश को स्कैम से मुक्त करना है। उत्तर प्रदेश को स्कैम नहीं चाहिए। उत्तर प्रदेश को कमल चाहिए। उत्तर प्रदेश को उज्जवल भविष्य चाहिए। उत्तर प्रदेश के बच्चों को पढ़ाई चाहिए। उत्तर प्रदेश के किसान को सिंचाई चाहिए। उत्तर प्रदेश के नौजवान को कमाई चाहिए। उत्तर प्रदेश के बुजुर्गों को दवाई चाहिए। ये करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार आपके पास आई है।

भाइयों बहनों।

इतनी बड़ी मात्रा में, ये आपकी मौजूदगी बता रही है, कोई किसी को गले लग जाए। ये आंधी उनको बचा नहीं सकती है। ये आंधी उनको उखाड़करके फेंक देगी। उनके पापों के कारण उन्हें जाना है। उन्होंने उत्तर प्रदेश को लूटा है, इसलिए उनको जाना है। उन्होंने बहन बेटियों को बलात्कारियों से बचाया नहीं। इसलिए उनको जाना है। ...इसलिए भाइयों बहनों। इसलिए ऐसे लोगों को हटाइए। ऐसे लोगों से उत्तर प्रदेश को बचाइए। इसलिए आपसे मांग करने आया हूं। बड़ी भारी मात्रा में भारतीय जनता पार्टी के सभी विधायकों को भारी बहुमत से विजयी बनाएं। मेरे साथ मुट्ठी बंद करके बोलिए। भारत माता की जय। पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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78-ാം സ്വാതന്ത്ര്യ ദിനത്തില്‍ ചുവപ്പ് കോട്ടയില്‍ നിന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി ശ്രീ നരേന്ദ്ര മോദി നടത്തിയ പ്രസംഗം

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78-ാം സ്വാതന്ത്ര്യ ദിനത്തില്‍ ചുവപ്പ് കോട്ടയില്‍ നിന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി ശ്രീ നരേന്ദ്ര മോദി നടത്തിയ പ്രസംഗം
From 'Kavach' Train To Made-In-India Semiconductor Chip: Ashwini Vaishnaw Charts India’s Tech Future

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Uttar Pradesh is no longer just a land of possibilities but of competence and accomplishments: PM Modi in Varanasi
April 11, 2025
QuoteIn the last 10 years, the development of Banaras has gained a new momentum: PM
QuoteMahatma Jyotiba Phule and Savitribai Phule ji worked throughout their lives for the welfare of women empowerment: PM
QuoteBanas Dairy has changed both the image and destiny of thousands of families in Kashi: PM
QuoteKashi is now becoming the capital of Good Health: PM
QuoteToday, whoever goes to Kashi, praises its infrastructure and facilities: PM
QuoteIndia today is carrying forward both development and heritage together, Our Kashi is becoming the best model for this: PM
QuoteUttar Pradesh is no longer just a land of possibilities but of competence and accomplishments!: PM

नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव!

मंच पर विराजमान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, उपस्थित मंत्रीगण, अन्‍य जनप्रतिनिधिगण, बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकर भाई चौधरी और यहां इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए मेरे सभी परिवार जन,

काशी के हमरे परिवार के लोगन के हमार प्रणाम। आप सब लोग यहां हमें आपन आशीर्वाद देला। हम ए प्रेम क कर्जदार हई। काशी हमार हौ, हम काशी क हई।

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साथियों,

कल हनुमान जन्मोत्सव का पावन दिन है और आज मुझे संकट मोचन महाराज की काशी में आपके दर्शन का सौभाग्य मिला है। हनुमान जन्मोत्सव से पहले, काशी की जनता आज विकास का उत्सव मनाने यहां इकट्ठी हुई है।

साथियों,

पिछले 10 वर्षों में बनारस के विकास ने एक नई गति पकड़ी है। काशी ने आधुनिक समय को साधा है, विरासत को संजोया है और उज्ज्वल बनाने की दिशा में मजबूत कदम भी रखे हैं। आज काशी, सिर्फ पुरातन नहीं, प्रगतिशील भी है। काशी अब पूर्वांचल के आर्थिक नक्शे के केंद्र में है। जौने काशी के स्वयं महादेव चलाव लन… आज उहे काशी पूर्वांचल के विकास के रथ के खींचत हौ!

साथियों,

कुछ देर पहले काशी और पूर्वांचल के अनेक हिस्सों से जुड़ी ढेर सारी परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। कनेक्टिविटी को मजबूती देने वाले अनेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, गांव-गांव, घर-घर तक नल से जल पहुंचाने का अभियान, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल सुविधाओं का विस्तार और हर क्षेत्र, हर परिवार, हर युवा को बेहतर सुविधाएं देने का संकल्प ये सारी बातें, ये सारी योजनाएं, पूर्वांचल को विकसित पूर्वांचल बनाने की दिशा में मील का पत्थर बनने वाली हैं। काशी के हर निवासी को इन योजनाओं से खूब लाभ मिलेगा। इन सभी विकास कार्यों के लिए, बनारस के लोगों को, पूर्वांचल के लोगों को मैं ढेर सारी बधाई देता हूं।

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साथियों,

आज सामाजिक चेतना के प्रतीक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती भी है। महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले जी ने जीवन भर, नारी शक्ति के हित, उनके आत्मविश्वास और समाज कल्याण के लिए काम किया। आज हम उनके विचारों को, उनके संकल्पों को नारी सशक्तिकरण के उनके आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं, नई ऊर्जा दे रहे हैं।

साथियों,

आज मैं एक बात और भी कहना चाहूंगा, महात्मा फुले जी जैसे त्यागी, तपस्वी, महापुरुषों से प्रेरणा से ही देश सेवा का हमारा मंत्र रहा है, सबका साथ, सबका विकास। हम देश के लिए उस विचार को लेकर के चलते हैं, जिसका समर्पित भाव है, सबका साथ, सबका विकास। जो लोग सिर्फ और सिर्फ सत्ता हथियाने के लिए, सत्ता पाने के लिए, दिन रात खेल खेलते रहते हैं, उनका सिद्धांत है, परिवार का साथ, परिवार का विकास। आज मैं सबका साथ, सबका विकास के इस मंत्र को साकार करने की दिशा में पूर्वांचल के पशुपालक परिवारों को, विशेष रूप से हमारी मेहनतकश बहनों को विशेष बधाई देता हूं। इन बहनों ने बता दिया है, अगर भरोसा किया जाए, तो वो भरोसा नया इतिहास रच देता है। ये बहनें अब पूरे पूर्वांचल के लिए नई मिसाल बन चुकी हैं। थोड़ी देर पहले, उत्तर प्रदेश के बनास डेयरी प्लांट से जुड़े सभी पशुपालक साथियों को बोनस वितरित किया गया है। बनारस और बोनस, ये कोई उपहार नहीं है, ये आपकी तपस्या का पुरस्कार है। 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का ये बोनस, आपके पसीने का, आपके परिश्रम का तोहफा है।

साथियों,

बनास डेयरी ने काशी में हजारों परिवारों की तस्वीर और तक़दीर दोनों बदल दी है। इस डेयरी ने आपकी मेहनत को इनाम में बदला और सपनों को नई उड़ान दी और खुशी की बात ये, कि इन प्रयासों से, पूर्वांचल की अनेकों बहनें अब लखपति दीदी बन गई हैं। जहाँ पहले गुज़ारे की चिंता थी, वहाँ अब कदम खुशहाली की तरफ बढ़ रहे हैं। और ये तरक्की बनारस, यूपी के साथ ही पूरे देश में दिखाई दे रही है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। 10 साल में दूध के उत्पादन में करीब 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, डबल से भी ज्यादा। ये सफलता आप जैसे देश के करोड़ों किसानों की है, मेरे पशुपालक भाइयों और बहनों की है। और ये सफलता एक दिन में नहीं मिली है, बीते 10 सालों से, हम देश के पूरे डेयरी सेक्टर को मिशन मोड में आगे बढ़ा रहे हैं।

हमने पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से जोड़ा है, उनके लिए लोन की सीमा बढ़ाई है, सब्सिडी की व्यवस्था की है और सबसे बड़ा महत्वपूर्ण एक काम, जीव दया का काम भी है। खुरपका-मुंहपका, Foot and Mouth Disease से पशुधन को बचाने के लिए मुफ्त वैक्सीन प्रोग्राम चलाया जा रहा है। कोविड की मुफ्त वैक्सीन की तो सबको चर्चा करनी याद आती है, लेकिन ये सरकार ऐसी है, जिसके सबका साथ, सबका विकास में मेरे पशुओं को भी मुफ्त में टीकाकरण हो रहा है।

दूध का संगठित कलेक्शन हो इसके लिए देश की 20 हजार से ज्यादा सहकारी समितियों को फिर से खड़ा किया गया है। इसमें लाखों नए सदस्य जोड़े गए हैं। प्रयास ये है कि डेयरी सेक्टर से जुड़े लोगों को एक साथ जोड़कर आगे बढ़ाया जा सके। देश में गाय की देसी नस्लें विकसित हों, उनकी क्वालिटी अच्छी हो। गायों की ब्रीडिंग का काम साइंटिफिक अप्रोच से हो। इसके लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन चल रहा है। इन सारे कामों का मूल यही है कि देश में जो पशुपालक भाई बहन हैं, वो विकास के नए रास्ते से जुड़ें। उन्हें अच्छे बाजार से, अच्छी संभावनाओं से जुड़ने का अवसर मिले। और आज बनास डेरी का काशी संकुल, पूरे पूर्वांचल में इसी प्रोजेक्ट को, इसी सोच को आगे बढ़ा रहा है। बनास डेयरी ने यहां गिर गायों का भी वितरण किया है और मुझे बताया गया है कि उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। बनास डेयरी ने यहां बनारस में पशुओं के चारे की व्यवस्था भी शुरू कर दी है। पूर्वांचल के करीब-करीब एक लाख किसानों से आज ये डेयरी दूध कलेक्ट कर रही है, किसानों को सशक्त कर रही है।

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साथियों,

अभी कुछ देर पहले मुझे यहां कई बुजुर्ग साथियों को आयुष्मान वय वंदना कार्ड सौंपने का अवसर मिला है। मैंने उन साथियों के चेहरे पर जो संतोष का भाव देखा, मेरे लिए वो इस योजना की सबसे बड़ी सफलता है। इलाज को लेकर घर के बुजुर्गों की जो चिंता रहती है, वो हम सब जानते हैं। 10-11 साल पहले इस क्षेत्र में, पूरे पूर्वांचल में, इलाज को लेकर जो परेशानियां थीं, वो भी हम सब जानते हैं। आज स्थितियां बिल्कुल अलग हैं, मेरी काशी अब आरोग्य की राजधानी भी बन रही है। दिल्ली-मुंबई के बड़े-बड़े जो अस्पताल, ये अस्पताल अब आज आपके घर के पास आ गए हैं। यही तो विकास है, जहाँ सुविधाएं लोगों के पास आती हैं।

साथियों,

बीते 10 वर्षों में हमने सिर्फ अस्पतालों की गिनती ही नहीं बढ़ाई है, हमने मरीज की गरिमा भी बढ़ाई है। आयुष्मान भारत योजना मेरे गरीब भाई-बहनों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। ये योजना सिर्फ इलाज नहीं देती, ये इलाज के साथ-साथ विश्वास देती है। उत्तर प्रदेश के लाखों और वाराणसी के हजारों लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। हर इलाज, हर ऑपरेशन, हर राहत, जीवन की एक नई शुरुआत बन गई है। आयुष्मान योजना से यूपी में ही लाखों परिवारों के करोड़ों रुपये बचे हैं, क्योंकि सरकार ने कहा, अब आपके इलाज की जिम्मेदारी हमारी है।

और साथियों,

जब आपने हमें तीसरी बार आशीर्वाद दिया, तो हमने भी आपको सेवक के रूप में स्नेह स्वरूप अपने कर्तव्य को निभाया है और कुछ लौटाने का नम्र प्रयास किया है। मेरी गारंटी थी, बुजुर्गों का इलाज मुफ्त होगा, इसी का परिणाम है, आयुष्मान वय वंदना योजना! ये योजना, बुजुर्गों के इलाज के साथ ही उनके सम्मान के लिए है। अब हर परिवार के 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग, चाहे उनकी आय कुछ भी हो, मुफ्त इलाज के हकदार हैं। वाराणसी में सबसे ज़्यादा, करीब 50 हज़ार वय वंदना कार्ड यहां के बुजुर्गों तक पहुंच गए हैं। ये कोई आंकड़ा नहीं, ये सेवा का, एक सेवक का नम्र प्रयास है। अब इलाज के लिए जमीन बेचने की जरूरत नहीं! अब इलाज के लिए कर्ज लेने की मजबूरी नहीं! अब इलाज के लिए दर-दर भटकने की बेबसी नहीं! अपने इलाज के पइसा क चिंता मत करा, आयुष्मान कार्ड से आपके इलाज के पइसा अब सरकार देई!

साथियों,

आज काशी होकर जो भी जाता है, वो यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर की, यहां की सुविधाओं की बहुत प्रशंसा करता है। आज हर दिन लाखों लोग बनारस आते हैं। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करते हैं, मां गंगा में स्नान करते हैं। हर यात्री कहता है, बनारस, बहुत बदल गया है। कल्पना कीजिए, अगर काशी की सड़कें, यहां की रेल और एयरपोर्ट की स्थिति 10 साल पहले जैसी ही रहती, तो काशी की हालत कितनी खराब हो गई होती। पहले तो छोटे-छोटे त्योहारों के दौरान भी जाम लग जाता था। जैसे किसी को चुनार से आना हो और शिवपुर जाना हो। पहले उसको पूरा बनारस घूम कर, जाम में फंसकर, धूल-धूप में तपकर जाना पड़ता था। अब फुलवरिया क फ्लाईओवर बन गइल हो। अब रास्ता भी छोटा, समय भी बचत हो, जीवन भी राहत में हौ! ऐसे ही जौनपुर और गाजीपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आने-जाने में और बलिया, मऊ, गाजीपुर जिलों के लोगों को एयरपोर्ट जाने के लिए वाराणसी शहर के भीतर से जाना होता था। घंटों लोग जाम में फंसे रहते थे। अब रिंग रोड से कुछ ही मिनट में, लोग इस पार से उस पार पहुंच जाते हैं।

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साथियों,

केहू के गाजीपुर जाए के हौ त पहिले कई घंटा लगत रहल। अब गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़ हर शहर में जाने का रास्ता, पहुंचने का रास्ता चौड़ा हो गया है। जहां पहले जाम था, आज वहाँ विकास की रफ्तार दौड़ रही है! बीते दशक में वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी, उस पर करीब 45 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। ये पैसा सिर्फ कंक्रीट में नहीं गया, ये विश्वास में बदला है। इस निवेश का लाभ आज पूरी काशी और आसपास के जिलों को मिल रहा है।

साथियों,

काशी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर हो रहे इस निवेश को आज भी विस्तार दिया गया है। हजारों करोड़ के प्रोजेक्टस का आज शिलान्यास किया गया है। हमारा जो लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है, उसके विस्तारीकरण का काम तेजी से चल रहा है। जब एयरपोर्ट बड़ा हो रहा है, तो उसको जोड़ने वाली सुविधाओं का विस्तार भी ज़रूरी था। इसलिए अब एयरपोर्ट के पास 6 लेन की अंडरग्राउंड टनल बनने जा रही है। आज भदोही, गाजीपुर और जौनपुर के रास्तों से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर भी काम शुरु हुआ है। भिखारीपुर और मंडुवाडीह पर फ्लाईओवर की मांग लंबे समय से हो रही थी। हमके खुशी हौ कि इहो मांग पूरा होए जात हौ। बनारस शहर और सारनाथ को जोड़ने के लिए नया पुल भी बनने जा रहा है। इससे एयरपोर्ट और अन्य जनपदों से सारनाथ जाने के लिए शहर के अंदर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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साथियों,

अगले कुछ महीनों में, जब ये सारे काम पूरे हो जाएंगे, जो बनारस में आवाजाही और भी आसान होगी। रफ्तार भी बढ़ेगी और कारोबार भी बढ़ेगा। इसके साथ-साथ, कमाई-दवाई के लिए बनारस आने वालों को भी बहुत सुविधा होगी। और अब तो काशी में सिटी रोपवे का ट्रायल भी शुरू हो गया है, बनारस अब दुनिया के चुनिंदा ऐसे शहरों में होगा, जहां ऐसी सुविधा होगी।

साथियों,

वाराणसी में विकास का, इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई भी काम होता है, तो इसका लाभ पूरे पूर्वांचल के नौजवानों को होता है। हमारी सरकार का बहुत जोर इस पर भी है कि काशी के युवाओं को स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने के लगातार मौके मिलें। और अब तो 2036 में, ओलंपिक भारत में हो, इसके लिए हम लगे हुए हैं। लेकिन ओलंपिक में मेडल चमकाने के लिए मेरे काशी के नौजवानों आपको अभी से लगना पड़ेगा। और इसलिए आज, बनारस में नए स्टेडियम बन रहे हैं, युवा साथियों के लिए अच्छी फैसिलिटी बन रही है। नया स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स खुल गया है। वाराणसी के सैकड़ों खिलाड़ी उसमें ट्रेनिंग ले रहे हैं। सांसद खेल प्रतियोगिता के भी प्रतिभागियों को इस खेल के मैदान में अपना दम दिखाने का अवसर मिला है।

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साथियों,

भारत आज विकास और विरासत, दोनों एक साथ लेकर चल रहा है। इसका सबसे बढ़िया मॉडल, हमारी काशी बन रही है। यहां गंगा जी का प्रवाह है और भारत की चेतना का भी प्रवाह है। भारत की आत्मा, उसकी विविधता में बसती है और काशी उसकी सबसे सुंदर तस्वीर है। काशी के हर मोहल्ले में एक अलग संस्कृति, हर गली में भारत का एक अलग रंग दिखता है। मुझे खुशी है कि काशी-तमिल संगमम् जैसे आयोजन से, एकता के ये सूत्र निरंतर मजबूत हो रहे हैं। अब तो यहां एकता मॉल भी बनने जा रहा है। इस एकता मॉल में भारत की विविधता के दर्शन होंगे। भारत के अलग-अलग जिलों के उत्पाद, यहां एक ही छत के नीचे मिलेंगे।

साथियों,

बीते वर्षों में, यूपी ने अपना आर्थिक नक्शा भी बदला है, नजरिया भी बदला है। यूपी, अब सिर्फ संभावनाओं की धरती नहीं रहा, अब ये सामर्थ्य और सिद्धियों की संकल्प भूमि बन रहा है! अब जैसे आजकल ‘मेड इन इंडिया’ की गूंज हर तरफ है। भारत में बनी चीजें, अब ग्लोबल ब्रांड बन रही हैं। आज यहां कई उत्पादों को GI टैग दिया गया है। GI टैग, ये सिर्फ एक टैग नहीं है, ये किसी जमीन की पहचान का प्रमाण पत्र है। ये बताता है कि ये चीज़, इसी मिट्टी की पैदाइश है। जहां GI टैग पहुंचता है, वहां से बाजारों में बुलंदियों का रास्ता खुलता है।

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साथियों,

आज यूपी पूरे देश में GI टैगिंग में नंबर वन है! यानी हमारी कला, हमारी चीजें, हमारे हुनर की अब तेजी से अंतरराष्ट्रीय पहचान बन रही है। अब तक वाराणसी और उसके आसपास के जिलों में 30 से ज्यादा उत्पादों को GI टैग मिला है। वाराणसी का तबला, शहनाई, दीवार पर बनने वाली पेंटिंग, ठंडाई, लाल भरवां मिर्च, लाल पेड़ा, तिरंगा बर्फी, हर चीज़ को मिला है पहचान का नया पासपोर्ट, GI टैग। आज ही, जौनपुर की इमरती, मथुरा की सांझी कला, बुंदेलखंड का कठिया गेहूँ, पीलीभीत की बांसुरी, प्रयागराज की मूंज कला, बरेली की ज़रदोज़ी, चित्रकूट की काष्ठ कला, लखीमपुर खीरी की थारू ज़रदोज़ी, ऐसे अनेक शहरों के उत्पादों को GI टैग वितरित किए गए हैं। यानी यूपी की मिट्टी में जो खुशबू है, अब वो सिर्फ हवा में नहीं, सरहदों के पार भी जाएगी।

साथियों,

जो काशी को सहेजता है, वह भारत की आत्मा को सहेजता है। हमें काशी को निरंतर सशक्त करते रहना है। हमें काशी को, सुंदर और स्वप्निल बनाए रखना है। काशी की पुरातन आत्मा को, आधुनिक काया से जोड़ते रहना है। इसी संकल्प के साथ, मेरे साथ एक बार फिर, हाथ उठाकर कहिए। नमः पार्वती पतये, हर हर महादेव। बहुत बहुत धन्यवाद।