Shri Narendra Modi addressing Valedictory Function of Vibrant Gujarat 2013

Published By : Admin | January 13, 2013 | 15:41 IST

मुझे लगता है कि मैं सबसे पहले एक महत्वपूर्ण कार्य पूरा कर दूँ और बाद में सारी बातें बताऊँ। मैं यहाँ खड़ा हुआ हूँ आपको इन्वीटेशन देने के लिए। आप लिख लीजिए, 11 जनवरी 2015, सातवीं वाइब्रेंट समिट के लिए मैं आपको निमंत्रण देता हूँ। ऐसा ही निमंत्रण जब मैंने 2011 में दिया था तो दूसरे दिन हमारे मीडिया के मित्रों ने मेरी पिटाई की थी कि अभी चुनाव बाकी हैं और मोदी 2013 का इन्वीटेशन कैसे दे रहे हैं..! इस बार ऐसा संकट नहीं है, तो मैं आप सबको बड़े उमंग और उत्साह के साथ, नए सपनों के साथ, नई उम्मीदों के साथ फिर एक बार वाइब्रेंट गुजरात समिट में आने का निमंत्रण देता हूँ और मुझे विश्वास है कि आप आवश्य आएंगे।

मित्रों, ये जो वाइब्रेंट समिट का आपने अनुभव किया, देखा, सुना... विश्व भर के जितने भी लोग आते हैं उन सब के लिए एक अजूबा है। मित्रों, इन्टरनेशनल कॉन्फरेंसिस में मैं भी गया हूँ, सेमिनार्स में मैं भी गया हूँ, लेकिन इतने बड़े स्केल पर, इतनी माइन्यूट डिटेल के साथ, इतनी विविधताओं के साथ, इतनी सारी मल्टीपल एक्टीविटीस् को जोड़ कर के शायद ही विश्व में कोइ इवेंट आयोजित होता होगा। इस काम को सफल करने में अनेक लोगों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है, जिम्मेवारी उठाई है, परिश्रम किया है। मैं इस मंच से इसे सफल बनाने वाले सभी लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, गुजरात की जनता की तरफ से इस कार्य को सफल बनाने में जुड़े हुए सभी का अभिनंदन करता हूँ..! भाइयों-बहनों, इस इवेंट में अनेक पहलुओं पर लोगों का ध्यान जाता है, लेकिन एक बात की और भी नजर करने की आवश्यकता है। करीब 121 देशों के लोग यहां आए, ये पूरा नजरिया उन्होंने देखा। पल भर के लिए कल्पना कीजिए मित्रों, ये 121 देशों के 2100-2200 लोग जब अपने देश जाएंगे, अपने लोगों से बात करेंगे तो क्या कहेंगे..? यही कहेंगे कि मैं हिन्दुस्तान गया था, मैं इन्डिया गया था, मैं भारत गया था..! इसका मतलब सीधा-सीधा है मित्रों, ये इवेंट से दुनिया के 121 से अधिक देशों में हम एक संदेश पहुंचाने में सफल हुए हैं कि ये भी एक हिन्दुस्तान है, हिन्दुस्तान का यह भी एक सामर्थ्य है..! मित्रों, हिन्दुस्तान के हमारे एक इवेंट ने 121 देशों में नए एम्बेसेडर्स को जन्म दिया है और ये हमारे देश के नए एम्बेसेडर्स, इनकी चमड़ी का रंग कोई भी क्यों ना हो, उनकी भाषा कोई भी क्यों ना हो, लेकिन जब कभी हिन्दुस्तान का जिक्र आएगा, मैं विश्वास से कहता हूँ ये 121 देशों के लोग हमारे लिए कुछ ना कुछ अच्छा बोलेंगे, बोलेंगे और बोलेंगे..! एक देश के नागरिक के लिए इससे बड़े गर्व की बात क्या हो सकती है मित्रों कि इतने देशों में इतने गौरवपूर्ण रूप से हमारे देश की चर्चा हो, हमारे देश की तारीफ हो, हमारे देश की अच्छाइयों की बात हो..! मित्रों, हर हिन्दुस्तानी के लिए ये सीना तान कर के याद करने वाली घटना घटती है और इसलिए, परिश्रम भले ही गुजरात के लोगों ने किया होगा, धरती भले ही गुजरात की होगी, इवेंट के साथ भले ही गुजरात का नाम जुड़ा होगा, लेकिन ये भारत की आन, बान, शान को बढ़ाने वाली घटना है, इस बात को हमें स्वीकृत करना होगा।

भाइयों-बहनों, मैं देख रहा था कि जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं, जिनके अपने कुछ सपने हैं, साधन भले ही सीमित होंगे लेकिन ऊंची उडान का जिनका इरादा है, कुछ नया करके दिखाने की जिनकी इच्छा है, ऐसे हजारों नौजवान इस समिट के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। इन सबको कभी दुनिया के हर देशों में जाने का अवसर नहीं मिलने वाला है और जब तक अवसर मिले तब तक इन्हें एक्सपोजर नहीं मिलने वाला है। मित्रों, इस इवेंट के कारण, इस एक्जीबिशन के कारण, दुनिया के इतने देशों के लोगों से बात करने के कारण, हमारे देश के, हमारे गुजरात के, जो उभरते हुए एन्ट्रप्रेनर्स हैं, जो उभरती हुई पीढ़ी है, उस पीढ़ी का एक विश्वास पैदा होता है कि हाँ यार, दुनिया इतनी बड़ी है, इतना सारा है तो चलिए हम भी किसी छोर को हाथ लगा लें, हम भी उस दिशा में आगे बढ़ जाएं, ये विश्वास पैदा करता है। मित्रों, कभी हम स्वीकार करें या ना करें, हम मानें या ना मानें, लेकिन हर व्यक्ति के अंदर एक फियर हमेशा अस्तित्व रखता है। मैं हूँ, आप हो, यहां बैठे हुए हर एक के मन में होता है। और वो फियर क्या होता है..? अपने आप में एक अननोन फियर होता है। आप अगर पहली बार मुंबई जाते हैं तो आपके मन में एक फियर रहता है। आपके लिए मुंबई अननोन है तो फियर रहता है कि कैसा होगा, कहाँ जाऊँगा, किसको मिलूँगा, कैसे शुरू करुँगा... आप के मन के अंदर एक छुपा हुआ भय रहता है। यह बहुत स्वाभाविक है। मित्रों, इस इवेंट के कारण दुनिया के इतने देशों को देखना, मिलना, समझना, सुनना... इसके कारण मेरे देश की, मेरे राज्य की जो नई पीढ़ी है उनके लिए अननोन फियर के जो सेन्टीमेंट्स हैं वो अपने आप खत्म हो जाता है और उनके अंदर विश्वास का बीज बो देता है। अगर वो यहाँ किसी न्यूजीलैंड के व्यक्ति को मिला है तो न्यूजीलैंड जाने से पहले उसको न्यूजीलैंड के विषय में विश्वास पैदा हो जाता है, अननेान फियर उसके दिल में होता नहीं है। मित्रों, एक मनोवैज्ञानिक परिणाम होता है और उस मनोवैज्ञानिक परिणाम की अपनी एक ताकत होती है। मैं नहीं मानता कि जो रुपयों-पैसों के तराजू को लेकर बैठे हैं उनके लिए इन बातों को समझना संभव होगा..! शायद मेरी दस समिट होने के बाद कई लोग ऐसे होंगे जिनको समझदारी शुरू हो जाएगी।

मित्रों, कोई कंपनी, कोई राज्य अरबों-खरबों रूपया खर्च करके पी.आर. एजेंसी हायर कर लें, दुनिया के अंदर वो कंपनी या कोई स्टेट अपनी ब्रांडिंग के लिए कोशिश करें, मैं दावे से कहता हूँ मित्रों, इतने कम समय में गुजरात ने जो अपना ब्रांडिंग किया है, शायद दुनिया की दसों ऐसी कंपनियां इक्कठी हों, ये स्थिति पैदा नहीं कर सकती है। और कैसे हुआ है..? वो इसलिए हुआ है कि हमने प्रारंभ से एक मंत्र लिया। लोग भिन्न-भिन्न माध्यम से गुजरात के विषय में जानते थे। मैँ पहली बार जब 2003 में लंदन गया था, समिट को सफल करने के लिए मैं लोगों से मिलने गया था। उधर आस्ट्रेलिया की तरफ भी गया था। लोगों को मैं बता रहा था कि आप गुजरात आइए। तब लोगों के मन एक जिज्ञासा थी और पूछते थे कि गुजरात कहाँ है..? मुझे कहना पड़ता था कि मुंबई से नार्थ में एक घंटे का फ्लाईट है। आज लोग कहते हैं कि मुंबई जाना है तो बस गुजरात के पास ही है। मित्रों, ये चीजें सामान्य नहीं है। इसके लिए सोच समझ करके हमने पुरूषार्थ किया है। और तब, मैं जब पहली बार गया था, उस समय हिन्दुस्तान की परंपरा क्या थी..? परंपरा ये थी कि हिन्दुस्तान के राजनेता विदेशों में जाते थे, निकलने से पहले अपने स्टेट में प्रेस कान्फ्रेंस करते थे, मुख्यमंत्री जाते थे और कहते थे कि हम इन्वेस्टमेंट के लिए जा रहे हैं। दुनिया के किसी देश में जाते थे, दो-चार एम.ओ.यू. करते थे, फिर वापिस आते थे और दुनिया को बताते थे कि हम इतने एम.ओ.यू. करके आएं हैं और उस टूर को सफल माना जाता था। और फिर कभी मीडिया उनको पूछता नहीं था कि भाई, आप वो जा कर आए थे उसका क्या हुआ..? उस समय का जमाना वैसा था। मित्रों, 2003 के पहले ईश्वर ने हमें क्या समझ दी होगी, क्या हमें ऐसा विचार दिया होगा, मैं ईश्वर का आभारी हूँ कि मैंने डे वन से काम किया। मैंने कहा कि हम दुनिया के देशों में जा कर के लोगों को समझाएंगे और बात करेंगे, लेकिन हम वो काम नहीं करेंगे जो आम तौर पर हिन्दुस्तान की सरकारें करती हैं। मित्रों, यहाँ मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूँ। मैं एक दृष्टिकोण में बदलाव कैसे आता है वो दिखाना चाहता हूँ। और मैं जब विदेशों में गया तो लोग मुझे कहते थे कि आप क्या चाहते हैं..? मैं कहता था कि मैं कुछ नहीं चाहता हूँ, मैं बस इतना ही चाहता हूँ कि सिर्फ एक बार गुजरात आईए। और मैं कहता था, फील गुजरात..! इतनी छोटी सी बात मैं कह कर आया हूँ दुनिया को, “फील गुजरात”..! आज मित्रों, जो लोग मेरे गुजरात की धरती पर आते हैं और मैं मेरी मिट्टी की कसम खा कर के कहता हूँ, इस मिट्टी ताकत इतनी जबर्दस्त है, हमारे पुरखों ने इतना परिश्रम करके संजाई हुई ये ऐसी मिट्टी है कि यहां आने वाला वाला हर व्यक्ति उसकी सुगंध से अभिभूत हो करके दुनिया के देशों में जाकर के अपनी बात बताता है। मित्रों, कल मंच पर से पूछा गया था कि पता नहीं गुजरात की मिट्टी में ऐसा क्या है..! ये सवाल बहुत स्वाभाविक है, हर किसी के मन में उठता है। पहले नहीं उठता था, अब तो उठता ही है। भाइयों-बहनों, इस मिट्टी में एक पवित्रता है और इस मिट्टी में हमारे पुरखों का पसीना है, इस धरती को हमारे पुरखों ने अपने खुद के पसीने से सींचा है और तब जा कर के ये धरती उर्वरा बनी है। और इस धरती के अन्न को खाने वाला भी उसी उर्वरा और शक्ति का भरा हुआ होता है जो दुनिया के साथ आंख से आंख मिला कर बात करने का सामर्थ्य रखता है।

भाइयों-बहनों, हम विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना चाहते हैं। अगर हम जगत को जानेंगे नहीं, जगत को समझेंगे नहीं, बदलती हुई दुनिया को पहचानेंगे नहीं, हम उनसे बात नहीं करेंगे तो हम एक कुंए के मेंढक की तरह अपनी दुनिया में मस्त रहेंगे और हो सकता है हमारी जिंदगी पूरी हो जाए तो भी हमें आनंद ही आनंद रहेगा कि बहुत कुछ हुआ। लेकिन जब बदलते हुए विश्व को देखेंगे, जहां समृद्घि पहुंच चुकी है उस विश्व को देखेंगे तो हमारे भीतर भी होगा कि अरे यार, ये तो यहाँ पहुंच गए, हमें तो पहुंचना अभी बहुत बाकी है..! और तब जाकर के दौड़ने की इच्छा जगती है, चलने का मन करता है, नए सपने जगते हैं और परिश्रम करने की पराकाष्ठा होती है और इसलिए परिवर्तन आने की संभावना पैदा होती है। और इसलिए भाइयों-बहनों, समय की माँग है कि हम बदले हुए युग में किसी भी विषय में विश्व से अलग नहीं रह सकते। अपने आप को दुनिया से अलग थलग करके, एक कोने में बैठ कर के हम अपनी दुनिया को आगे बढ़ाने के सपनों को कभी पूरा नहीं कर सकते। और इसलिए, बदलते हुए विश्व को समझने का अवसर इस प्रकार की समिट से मिलता है। मित्रों, मुझे खुशी है, गुजरात के सामान्य परिवार के लोग लाखों की तादात में ये एक्जीबिशन देखने के लिए पिछले पाँच दिन से कतार में खड़े हैं। क्यों..? उनको तो कुछ लेना-बेचना नहीं है, वो यहां जो देखेंगे उससे तो उनकी दुनिया बदल जाने वाली नहीं है। लेकिन हमने एक अर्ज पैदा की है। और ये हमारी सबसे बड़ी सफलता है कि मेरे राज्य के सामान्य से सामान्य नागरिक के भीतर हमने एक अर्ज पैदा की है, उसका भी मन करता है कि चलो यार, क्या अच्छा है, जरा देखें तो सही..! उसको लगता है कि हो सकता है आज देखेंगे तो कल पाएंगे भी सही..! मित्रों, एक ट्रांसफोर्मेशन है, एक बदलाव है, उस बदलाव को हमें समझने की आवश्यकता है। और इस समिट के माध्यम से मैं मेरे गुजरात की एक बहुत बड़ी शख्सियत और शक्ति, चाहे गाँव हो, तहसील हो, जिला हो, वहाँ पर समाज जीवन को संचालन करने वाली एक शक्ति रहती है, उस शक्ति के अंदर समिट के माध्यम से मैं नए सपनों को संजोने का, नई दिशा को पकड़ने का, एक नया आयामों की ओर जाने का एक नया अनफोल्डमेंट कर रहा हूँ। ये समिट उस अनफोल्डमेंट का कारण बन रही है। ये बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। मित्रों, किसी भी गुजराती को गर्व होता है। आगरा में 200 देशों के लोग ताजमहल देख कर जाएंगे तो भी आगरा का आदमी वो गौरव अनुभव नहीं करता है, क्योंकि ताजमहल ने बनाने वाले ने बनाया, ईश्वर की इच्छा थी कि उस महाशय का आगरा में जन्म हुआ और आने वाले को ये पता चला की ये दुनिया की एक अजायबी है तो चलो मैं भी एक फोटो खिचवां कर आ जाऊँ..! अपनापन महसूस नहीं होता है। लेकिन इस धरती पर अपने पसीने से कोशिश कर कर के दुनिया के 121 देशों के लोग आएं तो हमारे सब लोगों को लगता है कि यार, मेरे मेहमान हैं, ये मेरे अपने हैं..!

मित्रों, मैं एक और बात बताना चाहता हूँ। ये बात भी जो मैं कह रहा हूँ ये बहुत लोगों की समझ के बाहर की चीज है, वो समझेंगे उनके लिए मैं समझ छोड़ कर रखता हूँ। मित्रों, ये 121 देशों के लोगों का यहाँ आना, हर वाइब्रेंट समिट में आने वाले लोगों की संख्या भी काफी है। अनेक देश के लोग हैं जो हर वाईब्रेंट समिट में आते हैं। मित्रों, बार-बार यहाँ आने से इस धरती के प्रति उनको भी लगाव हो रहा है, उनको भी अपनापन महसूस हो रहा है। आपने देखा होगा, इतने सारे देशों के लोग, हर किसी की कोशिश है ‘नमस्ते’ बोलने की, हर किसी की कोशिश है ‘केम छो’ बोलने की..! वो अपने आप को इस मिट्टी के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहा है। यहाँ की परंपरा और यहाँ की संस्कृति से अपने आप को जोड़ने का उसमें उमंग है। इसका मतलब ये हुआ मित्रों, जिसको हम किसी थर्मामीटर से नाप नहीं सकते, किसी पैरामीटर से नाप नहीं सकते ऐसी एक घटना आकार ले रही है। और वो घटना क्या है? दुनिया के अनेक लोगों का गुजरात के साथ बॉन्डिंग हो रहा है। ये मेरी बात आने वाले दिनों में सत्य हो कर के सिद्घ होगी और मैं साफ मानता हूँ कि ये जो बॉन्डिंग है, वो अमूल्य है। इसका कोई हिसाब-किताब नहीं लगा सकते। और मैं विश्वास से कहता हूँ कि दिस बॉन्डिंग इज़ स्ट्रॉंगर दैन ब्रान्डिंग..! गुजरात के ब्रांड की जितनी ताकत है मित्रों, उससे ज्यादा गुजरात के साथ जो बॉन्डिंग हो रहा है, वो पिढ़ियां तक रहने वाला काम इस धरती पर हो रहा है। गुजरात में कोई भी घटना घटेगी, अच्छी हो या बुरी, आप विश्वास किजीए मित्रों, इन सब के देशों में गुजरात की चर्चा आवश्य होगी। अच्छी-बुरी घटना के साथ उनका भी मन जुड़ा होगा। मित्रों, एक अर्थ में गुजरात का एक विश्वरूप खड़ा हो रहा है। ऍक्स्पैन्शन ऑफ गुजरात, एक नया विश्व रूप गुजरात का खड़ा हो रहा है। मित्रों, इतने कम समय में एक राज्य का विश्वरूप बनना ये अपने आप में बहुत बड़ी सिद्घि है। और इस सिद्घि को नापने के लिए आज की प्रचलिए जो परंपराएं हैं, मान्यताएं हैं वो कभी काम नहीं आएंगी। एक दूसरे नजरिए से देखना पड़ेगा। भाइयों-बहनों, दुनिया के इतने सारे देश के लोग, हमारे उत्तर प्रदेश के व्यक्ति को भी गुजराती खाना खाना हो तो पूछता है कि यार, उसमें गुड़ तो नहीं डाला है ना..! दाल मीठी तो नहीं होगी ना..! उसके मन में सवाल रहता है। मित्रों, जिनको एक घंटा नॉन-वेज के बिना चलता नहीं है ऐसे 121 देश के नागरिक दो दिन अपनी परंपराएं छोड़ कर के हमारी गुजरात की जो भी वेजिटेरियन डिश है उसका मजा ले रहे हैं। मित्रों, ये छोटी चीज है क्या..?

मित्रों, इस समिट में मैंने कहा था कि मेरे दिमाग में हमारे देश की युवा शक्ति है, मेरे राज्य का युवा धन है। हम लंबे अर्से तक इंतजार नहीं कर सकते मित्रों, हमें हमारे राज्य के युवकों को सज्ज करना होगा। बदलते हुए विश्व के अंदर अपनी ताकत से सिर ऊंचा करके निकल पाएं ये स्थिति हमारे नौजवानों के लिए पैदा करनी होगी। और ये हम सबका दायित्व है, सरकार के नाते दायित्व है, समाज के नाते दायित्व है, शिक्षा संस्थाओं के नाते दायित्व है, हमें उन्हें सज्ज करना होगा। लेकिन एक-दो एक-दो प्रयासों से ड्रैस्टिक चेंज नहीं आता है, मित्रों। छुट-पुट प्रयासों से इम्पेक्ट क्रियेट नहीं होता है। इसके लिए तो सामूहिक रूप से, बड़े फलक पर और बड़े एग्रेसिव मूड में उस विराटता के दर्शन करवाने होंगे, तब जाकर के बदलाव आता है। मित्रों, कभी-कभी हमारे शास्त्रों से हम भी कुछ सीख सकते हैं। छोटे से कृष्ण ने मिट्टी खाई। मैं नहीं मानता हूँ कि मक्खन खाने वाले व्यक्ति को मिट्टी खाने का शौक होगा..! लेकिन कोई ना कोई तो रहस्य होगा, तभी तो मिट्टी खाई होगी। और मिट्टी छुप कर के नहीं खाई थी, माँ यशोदा देख ले उस प्रकार से खाई थी, माँ यशोदा को गुस्सा आए उस प्रकार से मिट्टी खाई थी और तब जाकर के माँ यशोदा ने मुंह खोला और पूरे विश्वरूप का दर्शन हुआ और तब जा कर के यशेादा ने कृष्ण की ताकत को स्वीकार किया था। मित्रों, मनुष्य का स्वाभाव है..! यशोदा को भी शक्ति का साक्षात्कार नहीं हुआ तब तक उसे शक्ति की अनुभूति नहीं हुई थी, इसलिए हमारी इस नई पीढ़ी को भी हमें शक्ति का साक्षात्कार करवाना होगा। और उस मूल विचार को लेकर के हमने इस बार नॉलेज को केन्द्र में रखते हुए विश्व के अनेक देशों से गणमान्य यूनिवर्सिटीज को बुलाया। मित्रों, मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूँ, आज तक पूरी दुनिया में कहीं पर भी दुनिया के अलग-अलग देशों की 145 यूनिवर्सिटीज एक रूफ के नीचे इक्कठी हुई हो और उस राज्य के लोग उस 145 लीडिंग यूनिवर्सिटीज के साथ बैठ कर के, दो दिन संवाद करके अपने राज्य के युवा जगत को कहाँ ले जाना उसकी ब्लू प्रिंट तैयार करते हो, ये घटना दुनिया में कहीं नहीं हुई है, दोस्तों। मुझे गर्व है वो घटना मेरे गुजरात में घट गई, इस वाइब्रेंट गुजरात के साथ घटी..! मित्रों, 145 युनिवर्सिटीज का एक साथ आना और गुजरात आज जहाँ है उसको ध्यान में रख के चर्चा कर के आगे बढ़ने के सपने संजोना और रोड मैप तैयार करना, ये अपने आप में एक बहुत बड़ी शुभ शुरूआत है।

मित्रों, हम इस बात को मान कर के चलते हैं कि भारत 21 वीं सदी का नेतृत्व करेगा। ये सदइच्छा हम सब के दिलों में पड़ी है। और विश्वास भी इसलिए पैदा होता है कि 21 वीं सदी ज्ञान की सदी है और जब-जब मानव जात ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है, हमेशा-हमेशा हिन्दुस्तान ने विश्व का नेतृत्व किया है। ये सदभाग्य है कि हमारे रहते हुए हमने उस ज्ञान युग में प्रवेश किया है और 21 वीं सदी हिन्दुस्तान की होने की संभावना है। अगर ये पिठीका तैयार है तो हम लोगों का दायित्व बनता है कि विश्व ने ज्ञान की जिस ऊंचाइयों को प्राप्त किया है, उस ज्ञान कि ऊँचाइयों को छूने का सामर्थ्य हमारी युवा पीढ़ी में आना चाहिए, हमारे एज्यूकेशन इंस्टीट्यूशन में आना चाहिए, हमारी संस्थाओं में उस प्रकार का नेचर बनना चाहिए। और उसके लिए एक प्रयास इस वाइब्रेंट समिट के साथ किया। मित्रों, पूरे विश्व को हम बूढ़ा होता हुआ देखते हैं। अपनी आँखों से देख रहे हैं कि विश्व बहुत तेजी से बुढ़ापे की ओर जा रहा है। दुनिया के कई देश हैं जहां अगर चौराहे पर खड़े हो कर घंटे भर लोगों को आते-जाते हुए देखोगे तो बड़ी मुश्किल से 2-5% नौजवान दिखेंगे, ज्यादातर बूढ़े लोग जा रहे होंगे..! आज विश्व में एक अकेला हिन्दुस्तान है जो विश्व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत, मेरे देश के 65% नागरिक 35 वर्ष से कम आयु के हैं..! जिस देश के पास इतनी बड़ी युवा शक्ति हो, ज्ञान का युग हो और जब हम स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती मना रहे हैं और आज जब स्वामी विवेकानंद का 150 वां जन्म दिन है, उस पल जब हम बात कर रहे हैं तब, क्या हम लोगों का दायित्व नहीं है कि हम सब लोग मिल कर के 150 साल जिस व्यक्ति के जन्म को हुए हैं और जिसने आज से 125 साल पहले सपना देखा था। 125 साल बीत गए, क्या कभी हमने सोचा है कि विवेकानंद जैसे महापुरुष के सपने क्यों अधूरे रहे..? क्या कमी रह गई..? उन्होंने सपना देखा था और विश्वास से कहा था कि मैं मेरी आंखों के सामने देख रहा हूँ कि मेरी भारत माता जगदगुरू के स्थान पर विराजमान है, दैविप्यमान तस्वीर मैं मेरी भारत माँ की देख रहा हूँ, ये स्वामी विवेकानंद ने कहा था। मित्रों, क्या समय की माँग नहीं है कि जब हम स्वामी विवेकानंद जी के 150 साल मना रहे हैं, तो उनके सपनों को साकार करने के लिए हम अपने आप को सज्ज करें, प्रतिबद्घ करें, प्रतिज्ञित करें और पुरूषार्थ की पराकाष्ठा कर-कर के इस भारत माता को जगदगुरू के स्थान पर विराजमान करने का सपना लेकर के आगे बढ़ें। जिस देश के पास इतनी बड़ी युवा शक्ति हो वो देश क्या कुछ नहीं कर सकता है..! उसकी भुजाओं में सामर्थ्य हो तो जगत की सारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए हम अपने आप को सज्ज क्यों नहीं कर सकते हैं?

मित्रों, इतने बड़े सपने को पूरा करना भी बहुत छोटी सी शुरूआत से संभव होता है। और हमने बल दिया है स्किल डेवलपमेंट पर। इस पूरे समिट में हम उस बात पर बल दे रहे हैं कि सारी दुनिया को वर्क-फोर्स की जरूरत है, स्किल्ड मैन पावर की जरूरत है। आज मैं यू.के. के लोगों के साथ बात कर रहा था, ब्रिटिश डेलिगेशन के साथ। वो मुझे पूछ रहे थे कि आपको क्या आवश्यकता है। मैंने उनको अलग पूछा, मैंने कहा कि आप बताइए, आपको दस साल के बाद किन चीजों की जरूरत पड़ेगी इसका हिसाब लगाया है क्या..? मैंने कहा हिसाब लगाइए और हमें बताइए, हम उसकी पूर्ति के लिए अभी से अपने आप को तैयार करेंगे। दुनिया को नर्सिस चाहिए, दुनिया को टीचर्स चाहिए, दुनिया को लेबरर्स चाहिए... और मित्रों, मेरा सपना है। अभी भी मैं कहता हूँ कि कुछ बातें हैं जो कुछ लोगों के पल्ले पड़ना संभव नहीं है, दोस्तों..! लोगों को लगता होगा कि यहां से मारूति एक्सपोर्ट हो, लोगों को लगता होगा कि यहाँ से फोर्ड एक्सपोर्ट हो, लोगों को लगता होगा यहाँ से उनकी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट हो... मित्रों, मेरा तो सपना ये है कि मेरे यहाँ से टीचर्स एक्सपोर्ट हों..! मित्रों, एक व्यापारी जब दुनिया में जाता है तो डॉलर और पाऊंड जमा करता है, लेकिन एक टीचर जाता है तो पूरी एक पीढ़ी पर कब्जा करता है..! ये ताकत होती है टीचर की..! और जब विश्व में माँग है और हमारे पास नौजवान हैं, तो क्यों ना इन दोनों का मेल करके हम दुनिया में हमारे टीचर्स को पहुँचाएं..! विश्व की आवश्यकता भी पूरी होगी और हमारे नौजवानों का भाग्य भी बदलेगा। मित्रों, पूरी सोच बदलने की आवश्यकता है और उस सोच को बदलने की दिशा में इस समिट के माध्यम से समाज और राष्ट्र के अंदर किस प्रकार के बदलाव आने चाहिए वो दुनिया के साथ मिल बैठ कर के हम सोच कर के आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। और मित्रों, इसी अर्थ में मैं इस इवेंट को सबसे सफल इवेंट मैं मानता हूँ।

2003 में हमने जब पहली बार वाइब्रेंट समिट की तो गुजरात के व्यापारी और उद्योगकार, हिन्दुस्तान के व्यापारी और उद्योगकार ये सब मिल के जितनी संख्या आई थी, 2013 में उससे चार गुना ज्यादा विदेश की संख्या आई है। उस समय सब मिला कर के जितने थे... हमने छोटे से टागोर हॉल में किया था और कहीं मीडिया की नजर में हमारी बुराई ना हो इसलिए मैंने कहा था कि पीछे यार, कुछ लोग बैठ जाना ताकि भरा हुआ दिखाई दे..! क्योंकि पहली बार प्रयोग करता था, लोग सवाल उठा रहे थे कि लोग गुजरात क्यों आएंगे..? उस नकारात्मक चीज में से ये रास्ता खोजने की कोशिश की और आज 2013 हम देख रहे हैं मित्रों, क्या हाल है..! मैं तो कहता हूँ मित्रों, कि मेरा ये वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, ये कन्सेप्ट डेवलप न हुआ होता तो शायद ये महात्मा मंदिर भी ना बनता। इतनी बड़ी व्यवस्थाएं खड़ी क्यों हो रही हैं..? ये व्यवस्थाएं इसलिए खड़ी हो रही हैं क्योंकि हमें लग रहा है कि हम विश्व के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए अपने आप को सज्ज कर रहें हैं। मित्रों, यहाँ जो व्यवस्था में नौजवान लगे हैं वे कॉलेज स्टूडेंस हैं, स्कूल स्टूडेंटस हैं, एक हफ्ते के लिए यहां उनकी स्पेशल ट्रेनिंग भी हो रही है, देख रहे हैं। मित्रों, उनकी आंखों में कॉन्फिडेंस देखिए आप, इतना बड़ा इवेंट उन्होंने सिर्फ देखा है। किसी को कहा इधर जाइए, किसी को कहा यहां बैठिए... यही काम किया होगा। इतने मात्र से व्यवस्था से जुड़े हुए लोगों की आँखों में इतनी चमक आई है, तो मित्रों, मेरे पूरे गुजरात में जो लोग इस निर्णय प्रक्रिया में शामिल होतें हैं उनके जीवन में कितना बड़ा बदलाव आएगा वो हम सीधा-सीधा देख सकते हैं, बाहर कुछ खोजने की जरूरत नहीं है, मित्रों।

भाइयों-बहनों, हमें गुजरात को नई-नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। हमने पिछले वर्ष एक छोटा सा प्रयोग किया। वो प्रयोग था एग्रीकल्चर सैक्टर के लिए। कभी मैंने देखा था कि इजराइल के अंदर जब एग्रीकल्चर फेयर होता है, तो मेरे गुजरात से कम से कम दो हजार किसान हजारों रुपया खर्च करके इजराइल के एग्रीकल्चर फेयर को देखने के लिए जाते हैं। कुछ कॉ-आपरेटिव वाले भी जाते हैं, लेकिन उनको तो खर्च का प्रबंध वहाँ से हो जाता है, लेकिन सामान्य किसान भी जाता है..! और तब मैंने सोचा कि मेरे किसानों के लिए भी मुझे कुछ करना चाहिए। हमने 2012 में पहली बार दुनिया के देश के लोगों को, एग्रो टेक्नोलॉजी क्षेत्र के लोगों को यहाँ बुलाया। इसी महात्मा मंदिर में ऐसा ही बड़ा मैंने किसानों का कार्यक्रम किया था और इतनी ही शान से किया था। प्रारंभ था, हिन्दुस्तान के करीब 14 राज्य उसमें शरीक होने के लिए आए थे। और उसकी सफलता को देख कर मित्रों, हमने निर्णय किया है कि हम जैसे वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट करते हैं, वैसे ही 2014 में, फिर ’16 में फिर ’18 में एग्रीकल्चर सेक्टर में टेक्नोलॉजी कैसे आए, फूड प्रोसेसिंग कैसे हो, वैल्यू एडिशन कैसे हो... इन सारे विषयों को मैं मेरे गाँव तक ले जाना चाहता हूँ, किसानों तक ले जाना चाहता हूँ और सारी दुनिया को मैं यहाँ लाना चाहता हूँ, मित्रों। मेरा किसान देखे, उसको समझे..! हम उस दिशा में प्रयास करना चाहते हैं। मित्रों, हमने विकास की नई ऊचाइयों को पार किया है उसमें आज मैं एस.एम.ईज के साथ बैठा था। और एक बात हमारे एस.एम.ई. सैक्टर में आज ध्यान में आई है कि हम अपनी कंपनी में जो भी उत्पादन करते हैं, घरेलू बाजार तक सोच कर के ना करें, हम दुनिया के बाजार में कदम रखना चाहते हैं, उस दिशा में हमारी छोटी-छोटी कंपनियाँ भी जाएँ। और मित्रों, सब संभव है। ये कोई चीन का ही ठेका नहीं है कि वो माल पैदा करे और हमारे बाजार में डाल दे। हम में भी दम है, हम दुनिया के बाजार में जा करके, सीना तान के माल बेच सकते हैं। मित्रों, ये मिजाज होना चाहिए। वरना कभी कभी मैंने देखा है कि जब व्यापारी मिलते हैं तो साब, क्या करें, व्यापार ही खत्म हो गया है। मैंने कहा, क्यों..? अरे छोड़ों साहब, पहले तो अम्ब्रेला बेचता था, लेकिन अब तो चाइना से इतनी बड़ी मात्रा में अम्ब्रेला आता है कि मेरा अम्ब्रेला बिकता नहीं है। अरे, रोते क्यों रहते हो, भाई..? हम चाइना के बाजार में जाकर अम्ब्रेला बेचने का मूड बनाएं, हम पूरी दुनिया को बेच सकते हैं, मित्रों..! मैं ये वातावरण बदलना चाहता हूँ और इसलिए मैं कोशिश कर रहा हूँ। हम एग्रीकल्चर सेक्टर में भी उसी प्रकार से जाना चाहते हैं।

मित्रों, आज अभी देखा, कनाडा से एक्सीलेंसी मिनीस्टर यहाँ आए हुए हैं, उन्होंने कहा कि वो यहाँ कनेडा का जो ऑफिस है उसको और अपग्रेड कर रहे हैं, उनको लगता है कि उनके रेग्यूलर काम के लिए जरूरी हो गया है। मुझे आज यू.के. के हाई कमीश्नर बता रहे थे कि यहाँ का जो ब्रिटिश एम्बेसी का यहाँ का जो चैप्टर है उसको वो इक्विवेलन्ट टू मुंबई बनाने जा रहे हैं। अब कितनी सुविधाएं बढ़ेंगी, मित्रों..! मित्रों, गुजरातीज आर बेस्ट टूरिस्ट्स..! इन्होंने हफ्ते में एक दिन थाईलैंड से विमान की सेवा शुरू करने के लिए कहा है। देखना, तीन महीने में हफ्ते में तीन दिन ना करें तो मुझे कहना..! मित्रों, ये जो छोटी-छोटी चीजें हैं जिसकी अपनी एक ताकत है, मित्रों। आप देखिए मित्रों, गुजरात को एशिया में अपनी एक पहचान बनानी चाहिए, एशिया के देशों में अपनी जगह बनानी चाहिए और जगह बनाने के लिए एक रास्ता है, भगवान बुद्घ..! बहुत कम लोगों का समझ आता होगा ये..! और मित्रों, थाइलैंड और गुजरात का ये नाता सिर्फ एक विमान की सेवा का नहीं है, थाइलैंड और गुजरात के बीच सीधी विमान की सेवा गुजरात की धरती पर जो बुद्घ की अनुभूति है और थाइलैंड जो बुद्घ का भक्त है। इस बुद्घ के माध्यम से थाइलैंड और गुजरात का जुड़ना, जापान और गुजरात का जुड़ना, श्रीलंका और गुजरात का जुड़ना, एश्यिन कंट्रीज के बुद्घिज़म का गुजरात के बुद्घिज़म का जुड़ना... और हम भाग्यवान हैं कि हमारे पास भगवान बुद्घ के रेलिक्स हैं। सारी दुनिया हमारे भगवान बुद्घ के रेलिक्स को हाथ लगा कर देख सकती है। हम इसके माध्यम से पूरे एशिया को गुजरात के साथ जोड़ना चाहते हैं। सिर्फ टीचर्स भेज कर के काम अटकने वाला नहीं है मेरा..!

मित्रों, बहुत सारे सपने मन में पड़े हुए हैं। और ये समय नहीं है कि सब बातें पूरी कर दूँ आज ही। लेकिन भाइयों-बहनों, ये राज्य सफलता की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए संकल्पबद्घ है। हम गुजरात के सामान्य से सामान्य जीवन की भलाई के लिए कोशिश करने वाले लोग हैं। मैंने देखा है कि इस बार एक सेमीनार पूरा अफोर्डएबल हाऊसिंग के लिए था और दुनिया की टॉपमोस्ट कंपनियाँ जल्दी से जल्दी मकान कैसे बने, सस्ते से सस्ता मकान कैसे बने, अच्छे से अच्छी टेक्नोलॉजी से मकान कैसे बने, कम से कम जगह में बड़े टॉवर कैसे खड़े किये जाएं... उन सारे विषयों पर आज चर्चा कर रहे थे। ये चर्चा क्या गरीब की भलाई के काम आने वाली नहीं है..? लेकिन ये कौन समझाए..! मित्रों, यहाँ कृषि के क्षेत्र में जो बदलाव आए हैं उसकी चर्चा करने के लिए डेलिगेशन्स यहाँ हैं और कृषि के क्षेत्र में क्या नई टेक्नोलॉजी ले कर के आएँ हैं उसकी चर्चा कर रहे हैं। मित्रों, हमने कनाडा के साथ एक एम.ओ.यू. किया और पहली बार हमारे गुजरात की एक कंपनी मल्टीनेशनल के रूप में कनाडा में जा कर के उद्योग शुरू कर रही है। उद्योग शब्द आते ही कई लोगों के कान भड़क जाते हैं..! उद्योग यानि पता नहीं कोई बड़ा पाप हो, ऐसा एक माहौल देश में बना दिया गया है..! मेरी ये कंपनी कनाडा में जा कर के क्या करेगी..? कनाडा में जा करके वहाँ की सरकार से मिल कर के वहाँ हम पोटाश का कारखाना लगाएंगे और वो पोटाश मेरे गुजरात के किसानों के खेत में काम आए इसके लिए मेहनत कर रहे हैं। उद्योग शब्द सुनते ही कुछ लोग को भड़क जाते हैं जैसे कि कोई पाप हो रहा हो..! मित्रों, जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव कैसे आए, क्वालिटी ऑफ लाइफ में कैसे परिवर्तन आए, विश्व की बराबरी करने का सामर्थ्य हमारे में कैसे पैदा हो... इस समिट के माध्यम से जीवन के सभी क्षेत्रों को स्पर्श करने का हमने प्रयास किया है। ये हमारी टैक्सटाइल इन्डस्ट्री के संबंध में हमारे बहुत बड़े सेमिनार हुए। ये जो इन्वेस्टमेंट के लिए काफी लोग आए हैं, वो टैक्सटाइल क्षेत्र में ज्यादा आए हैं। जो लोग उद्योग को गाली देने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं मैं उनको पूछना चाहता हूँ, मेरा किसान जो कॉटन पैदा करता है, उस किसान का पेट कैसे भरेगा अगर मेरी भारत सरकार कॉटन एक्सपोर्ट नहीं करने देती। मेरे किसान का कॉटन पैदा हुआ है और हजारों, लाखों, करोड़ों का नुकसान मेरे किसान को पड़ता है। तो क्यों ना मैं मेरे किसान के इस कॉटन पे वैल्यू एडिशन करूँ, क्यों ना मैं टैक्सटाइल इन्डस्ट्री लगा कर के मेरे किसान का कॉटन उठा करके रेडिमेड गारमेंट बना करके दुनिया के बाजार में बेचूँ..? क्या ये किसान की भलाई के लिए नहीं है? लेकिन पता नहीं क्यों एक एसा माहौल बना दिया गया है। ये विकृतियाँ और नकारात्मकता से गुजरात काफी बाहर निकल चूका है।

मित्रों, इस समिट का सबसे बड़ा संदेश ये है कि दुनिया के समृद्घ देश भी रिसेशन की चर्चा में डूबे हुए हैं, बाजार की मंदी का प्रभाव विश्व के समृद्घ देश अनुभव कर रहे हैं, पूरा विश्व इकॉनामी लड़खड़ा रही है इस चिंता में लगा हूआ है... मित्रों, ऐसे माहोल में, धुंधली सी अवस्था में, कन्फूजन की अवस्था में, उजाला कब होगा इसके इंतजार की अवस्था में, मैं दावे से कहता हूँ मित्रों, ये समिट पूरे विश्व को आर्थिक जगत के अंदर एक पॉजिटिव मैसेज देने का सामर्थ्य रखती है, दुनिया के हर समृद्घ देश को गुजरात की ये घटना एक पॉजिटिव मैसेज देने की ताकत रखती है। अनेक विषयों में हमने सिद्घि पाई है। ये सिद्घि परिवर्तन की एक नई आशा लेकर के आई है। मित्रों, इस गुजरात को महान बनाना है, भव्य बनाना है, समृद्घ बनाना है और स्वामी विवेकानंद जी के सपने पूरे हों, उन सपनों को पूरा करने के लिए गुजरात की जितनी जिम्मेवारी है उनको बखूबी निभाने का हमारा प्रयास है।

मैं फिर एक बार इस समिट के लिए विश्व के जितने देशों ने सहयोग किया उनका मैं आभारी हूँ। मैं विशेष रूप से कनाडा के प्राइम मिनिस्टर का आभारी हूँ, जिन्होंने विशेष रूप से कल अपने एक एम.पी. को भेज कर एक चिट्ठी मेरे लिए भेजी और हमें शुभकामनाएं दी और इसलिए मैं कनाडा के प्रधानमंत्रीजी का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने गुजरात पर इतना विश्वास रखा है। दुनिया का समृद्घ देश भारत जैसे देश के एक छोटे से राज्य के प्रति इतने आदर के साथ जुड़ने का प्रयास करे वो अपने आप में बेमिसाल है। मैं विश्व के सभी जो राजनेता यहाँ आए, राजदूत आए, विश्व के सभी देशों ने हिस्सेदारी की मैं उन सभी का हृदय से अभिनंदन करता हूँ, धन्यवाद करता हूँ और फिर एक बार आप सब आए, आपका बहुत-बहुत आभार..! और फिर एक बार 11 जनवरी, 2015 के लिए आपको मैं फिर से निमंत्रण देता हूँ, यू आर मोस्ट वेलकम, 11 जनवरी, 2015..! थैंक यू वेरी मच दोस्तों, थैंक्स अ लोट..!

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There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

എന്റെ പ്രിയപ്പെട്ട നാട്ടുകാരേ, നമസ്കാരം. 2025 വന്നെത്തിയിരിക്കുന്നു, നമ്മുടെ വാതിലിൽ മുട്ടിക്കൊണ്ടിരിക്കുന്നു. 2025 ജനുവരി 26 ന്നമ്മുടെ ഭരണഘടന അതിന്റെ 75 വർഷം പൂർത്തിയാക്കാൻ പോകുന്നു. ഇത് നമുക്കെല്ലാവർക്കും വളരെ അഭിമാനകരമായ കാര്യമാണ്. നമ്മുടെ ഭരണഘടനയുടെ ശില്പികള്‍ നമുക്ക് കൈമാറിയ ഭരണഘടന കാലത്തിന്റെ പരീക്ഷണത്തെ അതിജീവിച്ചു. ഭരണഘടന നമുക്ക്  നമ്മെ നയിക്കുന്ന വെളിച്ചമാണ്, അത് നമ്മുടെ വഴികാട്ടിയാണ്. ഇന്ത്യൻ ഭരണഘടന കാരണമാണ് ഇന്ന് ഞാൻ ഇവിടെ നില്‍ക്കുന്നത്, എനിയ്ക്ക് നിങ്ങളോട് സംസാരിക്കാൻ കഴിയുന്നത്. ഈ വർഷം ഭരണഘടനാദിനമായ നവംബർ 26 മുതൽ ഒരു വർഷം നീണ്ടുനിൽക്കുന്ന നിരവധി പ്രവർത്തനങ്ങൾ തുടങ്ങിയിട്ടുണ്ട്. രാജ്യത്തെ പൗരന്മാരെ ഭരണഘടനയുടെ പൈതൃകവുമായി ബന്ധിപ്പിക്കുന്നതിനായി constitution75.com എന്ന പേരിൽ ഒരു പ്രത്യേക വെബ്സൈറ്റും രൂപീകരിച്ചിട്ടുണ്ട്. ഇതിൽ, ഭരണഘടനയുടെ ആമുഖം വായിച്ച് നിങ്ങൾക്ക് നിങ്ങളുടെ വീഡിയോ അപ് ലോഡ് ചെയ്യാം. നിങ്ങൾക്ക് വിവിധഭാഷകളിൽ ഭരണഘടന വായിക്കാനും ഭരണഘടനയെക്കുറിച്ച് ചോദ്യങ്ങൾ ചോദിക്കാനും കഴിയും. മന്‍ കീ ബാത്തിന്റെ ശ്രോതാക്കളോടും സ്കൂളുകളിൽ പഠിക്കുന്ന കുട്ടികളോടും കോളേജുകളില്‍ പോകുന്ന യുവാക്കളോടും ഈ വെബ്സൈറ്റ് സന്ദർശിച്ച് അതിന്റെ ഭാഗമാകാന്‍ ഞാൻ അഭ്യർത്ഥിക്കുന്നു.

സുഹൃത്തുക്കളെ, അടുത്തമാസം 13 മുതൽ പ്രയാഗ് രാജിൽ മഹാകുംഭമേള നടക്കുന്നുണ്ട്. നിലവിൽ സംഗമതീരത്ത് വലിയ തയ്യാറെടുപ്പുകളാണ് നടക്കുന്നത്. കുറച്ച് ദിവസങ്ങൾക്ക്മുമ്പ് ഞാൻ പ്രയാഗ് രാജിലേക്ക് പോയസമയത്ത് ഹെലികോപ്റ്ററിൽ നിന്ന് കുംഭമേള പ്രദേശം മുഴുവൻ കാണാൻ കഴിഞ്ഞതിൽ വളരെ സന്തോഷം തോന്നിയിരുന്നു. എത്ര വിശാലം! എത്ര മനോഹരം! എത്ര ഗംഭീരം!

മഹാകുംഭമേളയുടെ പ്രത്യേകത അതിന്റെ വിശാലതയിൽ മാത്രമല്ല, അതിന്റെ വൈവിധ്യത്തിലുമുണ്ട്. കോടിക്കണക്കിന് ആളുകൾ ഈ പരിപാടിയിൽ ഒത്തുകൂടുന്നു. ലക്ഷക്കണക്കിന് സന്യാസിമാർ, ആയിരക്കണക്കിന് സംസ്കാരങ്ങൾ, നൂറുകണക്കിന് സമുദായങ്ങൾ, നിരവധി മഠങ്ങൾ തുടങ്ങി എല്ലാവരും ഈ പരിപാടിയുടെ ഭാഗമാകുന്നു. ഒരിടത്തും വിവേചനമില്ല, ആരും വലുതല്ല, ആരും ചെറുതല്ല. നാനാത്വത്തില്‍ ഏകത്വത്തിന്റെ ഇത്തരമൊരു രംഗം ലോകത്ത് മറ്റൊരിടത്തും കാണാൻ കഴിയില്ല. അതുകൊണ്ടാണ് നമ്മുടെ കുംഭമേള ഐക്യത്തിന്റെ മഹത്തായ കുംഭമേളയാകുന്നത്. ഈ വർഷത്തെ മഹാകുംഭമേളയും ഐക്യത്തിന്റെ മഹാകുംഭമേളയെന്ന മന്ത്രത്തെ ശക്തിപ്പെടുത്തും. കുംഭമേളയില്‍ പങ്കെടുക്കുമ്പോൾ ഐക്യത്തിന്റെ ഈ പ്രതിജ്ഞ നമ്മോടൊപ്പം തിരികെ കൊണ്ടുവരണമെന്ന് ഞാൻ നിങ്ങളോട് അഭ്യര്‍ത്ഥിക്കുന്നു. സമൂഹത്തിലെ വിഭാഗീയതയും വിദ്വേഷവും തുടച്ചുനീക്കുമെന്ന പ്രതിജ്ഞയും നമുക്കെടുക്കാം. ഏതാനും വാക്കുകളിൽ പറയേണ്ടിവന്നാൽ ഞാൻ ഇങ്ങനെ പറയും... 

മഹാകുംഭമേളയുടെ സന്ദേശം, രാജ്യംമുഴുവന്‍ ഒന്നാവണം.
മഹാകുംഭമേളയുടെ സന്ദേശം, രാജ്യംമുഴുവന്‍ ഒന്നാവണം.
ഇത് മറ്റൊരുരീതിയിൽ പറയേണ്ടിവന്നാൽ, ഞാൻപറയും..
തടസ്സമില്ലാതൊഴുകും ഗംഗപോലെ, നമ്മുടെ സമൂഹം അവിഭാജനീയം..  
തടസ്സമില്ലാതൊഴുകും ഗംഗപോലെ, നമ്മുടെ സമൂഹം അവിഭാജനീയം..

സുഹൃത്തുക്കളെ, ഇത്തവണ പ്രയാഗ് രാജിൽ രാജ്യത്തിന്റെയും ലോകത്തിന്റെയും വിവിധഭാഗങ്ങളില്‍ നിന്നുള്ള ഭക്തര്‍ ഡിജിറ്റൽ മഹാകുംഭമേളയ്ക്ക് സാക്ഷ്യം വഹിക്കും. ഡിജിറ്റൽ നാവിഗേഷന്റെ സഹായത്തോടെ, നിങ്ങൾക്ക് വിവിധ കടവുകൾ, ക്ഷേത്രങ്ങൾ, സന്യാസിമാരുടെ മഠങ്ങൾ എന്നിവയിലേക്കുള്ള വഴി ലഭിക്കും. ഈ നാവിഗേഷൻ സംവിധാനം പാർക്കിംഗ് സ്ഥലത്തെത്താനും നിങ്ങളെ സഹായിക്കും. ഇതാദ്യമായാണ് കുംഭമേളയിൽ  നിർമ്മിത ബുദ്ധി ചാറ്റ് ബോട്ട്  ( AI Chatbot)  ഉപയോഗിക്കുന്നത്. എ ഐ ചാറ്റ് ബോട്ട് വഴി കുംഭമേളയുമായി ബന്ധപ്പെട്ട എല്ലാത്തരം വിവരങ്ങളും 11 ഭാരതീയ ഭാഷകളിൽ ലഭിക്കും. ഈ ചാറ്റ് ബോട്ട് ഉപയോഗിച്ച്, വിവരങ്ങൾ ടൈപ്പ്  ചെയ്യുന്നതിലൂടെയോ സംസാരിക്കുന്നതിലൂടെയോ ആർക്കും ഏത് തരത്തിലുള്ള സഹായവും ആവശ്യപ്പെടാം. മേള നടക്കുന്ന പ്രദേശം മുഴുവൻ എ.ഐ അടിസ്ഥാനമാക്കിയ ക്യാമറകൾ ഉപയോഗിച്ച് നിരീക്ഷിക്കുന്നു. കുംഭമേളയിൽ ആരെങ്കിലും തന്റെ പരിചയക്കാരനിൽ നിന്ന് വേർപിരിയുകയാണെങ്കിൽ, ഈ ക്യാമറകള്‍ അവരെ കണ്ടെത്താൻ സഹായിക്കും. ഭക്തർക്ക്  ഡിജിറ്റൽ ലോസ്റ്റ് ആൻ്റ് ഫൗണ്ട് സൗകര്യവും ലഭിക്കും. ഗവൺമെൻ്റ് അംഗീകരിച്ച ടൂർപാക്കേജുകൾ, താമസം, ഹോംസ്റ്റേകൾ എന്നിവയെക്കുറിച്ചുള്ള വിവരങ്ങളും തീർത്ഥാടകർക്ക് മൊബൈലിൽ നൽകും. മഹാകുംഭമേളയ്ക്ക് പോകുകയാണെങ്കിൽ നിങ്ങളും, ഈ സൗകര്യങ്ങൾ പ്രയോജനപ്പെടുത്തുക, മാത്രമല്ല നിങ്ങൾ ‘#ഏകതാ കാ മഹാ കുംഭ്’നോടൊപ്പം സെൽഫി തീർച്ചയായും പങ്കിടുക.

സുഹൃത്തുക്കളേ, ‘മൻ കി ബാത്തിൽ’ അതായത് എം.കെ.ബി.യിൽ, നമ്മൾ ഇപ്പോൾ കെ.ടി.ബി.യെക്കുറിച്ച് സംസാരിക്കും, മുതിർന്നവർക്കിടയിൽ, പലർക്കും കെ.ടി.ബി.യെക്കുറിച്ച് അറിയില്ല. എന്നാൽ കുട്ടികളോട് ചോദിക്കൂ, കെ.റ്റി.ബി അവർക്കിടയിൽ വളരെ സൂപ്പർഹിറ്റാണ്. കെ.റ്റി.ബി. എന്നാൽ കൃഷ്, ത്രിഷ്, ബാൾട്ടിബോയ്. കുട്ടികളുടെ പ്രിയപ്പെട്ട ആനിമേഷൻ സീരീസിനെക്കുറിച്ച് നിങ്ങൾക്ക് അറിയാമായിരിക്കും, അതിന്റെ പേര് കെ.റ്റി.ബി- ഭാരത് ഹേ ഹം എന്നാണ്, ഇപ്പോൾ അതിന്റെ രണ്ടാം സീസണും എത്തിയിരിക്കുന്നു. അധികം ചർച്ച ചെയ്യപ്പെടാത്ത ഭാരത സ്വാതന്ത്ര്യ സമരത്തിലെ നായകന്മാരെയും നായികമാരെയും കുറിച്ച് ഈ മൂന്ന് ആനിമേഷൻ കഥാപാത്രങ്ങൾ നമ്മോട് പറയുന്നു. അടുത്തിടെ ഗോവയിൽ നടന്ന ഇന്റർനാഷണൽ ഫിലിം ഫെസ്റ്റിവൽ ഓഫ് ഇന്ത്യയിൽ കെ.ടി.ബി.യുടെ സീസൺ-2 വളരെ സവിശേഷമായ ശൈലിയിൽ അവതരിപ്പിച്ചു. ഈ പരമ്പര പല ഭാരതീയ ഭാഷകളിൽ മാത്രമല്ല വിദേശ ഭാഷകളിലും സംപ്രേക്ഷണം ചെയ്യപ്പെടുന്നു എന്നതാണ് ഏറ്റവും അഭിമാനകരമായ കാര്യം. ദൂരദർശനിലും മറ്റ് ഒ.റ്റി.റ്റി. പ്ലാറ്റ്‌ഫോമുകളിലും ഇത് കാണാൻ കഴിയും.

സുഹൃത്തുക്കളേ, നമ്മുടെ ആനിമേഷൻ സിനിമകളുടെയും സാധാരണ സിനിമകളുടെയും ടി.വി സീരിയലുകളുടെയും ജനപ്രീതി ഭാരതത്തിന്റെ സർഗ്ഗാത്മക വ്യവസായത്തിന് എത്രമാത്രം സാധ്യതകളുണ്ടെന്ന് കാണിക്കുന്നു. ഈ വ്യവസായം രാജ്യത്തിന്റെ പുരോഗതിയിൽ വലിയ സംഭാവന നൽകുന്നുവെന്ന് മാത്രമല്ല, നമ്മുടെ സമ്പദ്‌വ്യവസ്ഥയെ പുതിയ ഉയരങ്ങളിലേക്ക് കൊണ്ടുപോകുകയും ചെയ്യുന്നു. നമ്മുടെ സിനിമ-വിനോദ വ്യവസായം വളരെ വലുതാണ്. രാജ്യത്തെ പല ഭാഷകളിലും സിനിമകൾ നിർമ്മിക്കപ്പെടുകയും ക്രിയേറ്റീവ് കണ്ടന്റ് സൃഷ്ടിക്കപ്പെടുകയും ചെയ്യുന്നു. 'ഏക് ഭാരത് - ശ്രേഷ്ഠ ഭാരത്' എന്ന വികാരത്തെ ശക്തിപ്പെടുത്തിയതിനാൽ, നമ്മുടെ സിനിമാ-വിനോദ വ്യവസായത്തെയും ഞാൻ അഭിനന്ദിക്കുന്നു.

സുഹൃത്തുക്കളെ, 2024-ൽ നമ്മൾ സിനിമാമേഖലയിലെ പല മഹാരഥന്മാരുടേയും നൂറാം ജന്മദിനം ആഘോഷിക്കുകയാണ്. ഈ വ്യക്തികളാണ് ഭാരതീയ സിനിമയ്ക്ക് ലോകതലത്തിൽ അംഗീകാരം നേടിത്തന്നത്. രാജ് കപൂർ ഭാരതത്തിന്റെ മൃദുശക്തിയെ ലോകത്തിന് പരിചയപ്പെടുത്തിയത് സിനിമകളിലൂടെയാണ്. എല്ലാ ഹൃദയങ്ങളെയും സ്പർശിക്കുന്ന മാന്ത്രികത റഫി സാഹബിന്റെ ശബ്ദത്തിലുണ്ടായിരുന്നു. അദ്ദേഹത്തിന്റെ ശബ്ദം അത്ഭുതകരമായിരുന്നു. ഭക്തിഗാനങ്ങളോ പ്രണയഗാനങ്ങളോ നൊമ്പരമുണർത്തുന്ന ഗാനങ്ങളോ ആകട്ടെ, തന്റെ ശബ്ദംകൊണ്ട് എല്ലാ വികാരങ്ങളെയും അദ്ദേഹം ജീവനുള്ളതാക്കി. ഇന്നും യുവതലമുറ അദ്ദേഹത്തിന്റെ ഗാനങ്ങൾ അതേ തീവ്രതയോടെ കേൾക്കുന്നു എന്നതിൽ നിന്ന് ഒരു കലാകാരനെന്ന നിലയിൽ അദ്ദേഹത്തിന്റെ മഹത്വം അളക്കാൻ കഴിയും - ഇതാണ് കാലാതീതമായ കലയുടെ സ്വത്വം. അക്കിനേനി നാഗേശ്വര റാവു തെലുങ്ക് സിനിമയെ പുതിയ ഉയരങ്ങളിൽ എത്തിച്ചു. അദ്ദേഹത്തിന്റെ സിനിമകൾ ഭാരതീയ പാരമ്പര്യങ്ങളും മൂല്യങ്ങളും വളരെ നന്നായി അവതരിപ്പിച്ചു. തപൻ സിൻഹയുടെ സിനിമകൾ സമൂഹത്തിന് ഒരു പുതിയ കാഴ്ചപ്പാട് നൽകി. അദ്ദേഹത്തിന്റെ സിനിമകളിൽ സാമൂഹിക ബോധത്തിന്റെയും ദേശീയ ഐക്യത്തിന്റെയും സന്ദേശം അടങ്ങിയിരുന്നു. ഈ സെലിബ്രിറ്റികളുടെ ജീവിതം നമ്മുടെ സിനിമാ വ്യവസായത്തിനാകെ പ്രചോദനമാണ്.

സുഹൃത്തുക്കളേ, നിങ്ങൾക്ക് മറ്റൊരു സന്തോഷവാർത്ത നൽകാൻ ഞാൻ ആഗ്രഹിക്കുന്നു. ഭാരതത്തിന്റെ സർഗ്ഗാത്മക കഴിവുകൾ ലോകത്തിന് മുന്നിൽ അവതരിപ്പിക്കാനുള്ള ഒരു വലിയ അവസരമാണ് വരുന്നത്. അടുത്ത വർഷം, വേൾഡ് ഓഡിയോ വിഷ്വൽ എന്റർടൈൻമെന്റ് സമ്മിറ്റ് അതായത് വേവ്സ് ഉച്ചകോടി നമ്മുടെ രാജ്യത്ത് ആദ്യമായി സംഘടിപ്പിക്കാൻ പോകുന്നു. ലോകത്തെ വ്യവസായ പ്രമുഖർ ഒത്തുകൂടുന്ന ദാവോസിനെക്കുറിച്ച് നിങ്ങൾ എല്ലാവരും കേട്ടിട്ടുണ്ടാകും. അതുപോലെ, WAVES ഉച്ചകോടിയിൽ, ലോകത്തെ മാധ്യമ, വിനോദ വ്യവസായ രംഗത്തെ പ്രമുഖരും ക്രിയേറ്റീവ് ലോകത്തെ ആളുകളും ഭാരതത്തിലെത്തും. ഭാരതത്തെ ആഗോള ഉള്ളടക്ക നിർമ്മാണത്തിന്റെ കേന്ദ്രമാക്കി മാറ്റുന്നതിനുള്ള സുപ്രധാന ചുവടുവയ്പ്പാണ് ഈ ഉച്ചകോടി. ഈ ഉച്ചകോടിയുടെ ഒരുക്കങ്ങളിൽ നമ്മുടെ രാജ്യത്തെ യുവ സൃഷ്ടികർത്താക്കളും ആവേശത്തോടെ പങ്കെടുക്കുന്നു എന്ന് പറയാൻ എനിക്ക് അഭിമാനമുണ്ട്. 5 ട്രില്യൺ ഡോളർ സമ്പദ്‌വ്യവസ്ഥയിലേക്ക് നാം നീങ്ങുമ്പോൾ, നമ്മുടെ ക്രിയാത്മക സമ്പദ് വ്യവസ്ഥ  ഒരു പുതിയ ഊർജ്ജം കൊണ്ടുവരുന്നു. നിങ്ങൾ ഒരു തുടക്കക്കാരനോ, അറിയപ്പെടുന്ന കലാകാരനോ, ബോളിവുഡുമായി ബന്ധപ്പെട്ട ആളോ, പ്രാദേശിക സിനിമ-ടി.വി. വ്യവസായത്തിലെ പ്രൊഫഷണലോ, ആനിമേഷൻ, ഗെയിമിംഗ് അല്ലെങ്കിൽ വിനോദ സാങ്കേതിക വിദ്യയിൽ വിദഗ്ദ്ധനോ ആകട്ടെ - ഭാരതത്തിലെ മുഴുവൻ വിനോദ, സർഗ്ഗാത്മക വ്യവസായത്തോടും ഞാൻ അഭ്യർത്ഥിക്കുന്നു, നിങ്ങളെല്ലാവരും വേവ്സ് ഉച്ചകോടിയുടെ ഭാഗമാകണം.
എന്റെ പ്രിയപ്പെട്ട നാട്ടുകാരേ, ഇന്ന് ലോകത്തിന്റെ എല്ലാ കോണുകളിലും ഭാരതീയ സംസ്‌കാരത്തിന്റെ പ്രകാശം പരക്കുന്നതെങ്ങനെയെന്ന് നിങ്ങൾക്കെല്ലാവർക്കും അറിയാം. നമ്മുടെ സാംസ്കാരിക പൈതൃകത്തിന്റെ ആഗോള വികാസത്തിന് സാക്ഷ്യം വഹിക്കുന്ന മൂന്ന് ഭൂഖണ്ഡങ്ങളിൽ നിന്നുള്ള ശ്രമങ്ങളെക്കുറിച്ച് ഇന്ന് ഞാൻ നിങ്ങളോട് പറയാം. അവയെല്ലാം പരസ്പരം കിലോമീറ്ററുകൾ അകലെയാണ്. എന്നാൽ ഭാരതത്തെ അറിയാനും നമ്മുടെ സംസ്കാരത്തിൽ നിന്ന് പഠിക്കാനുമുള്ള അവരുടെ ആഗ്രഹം ഒന്നുതന്നെയാണ്.

സുഹൃത്തുക്കളേ, ചിത്രങ്ങളുടെ ലോകം എത്രത്തോളം നിറങ്ങളാൽ നിറയുന്നുവോ അത്രത്തോളം മനോഹരമാകും. നിങ്ങളിൽ ടി.വി.യിലൂടെ 'മൻ കി ബാത്ത്' വീക്ഷിക്കുന്നവർക്ക് ഇപ്പോൾ ടി.വി.യിൽ ചില പെയിന്റിംഗുകൾ കാണാൻ കഴിയും. ഈ ചിത്രങ്ങളിൽ ദേവീദേവന്മാരേയും നൃത്തകലകളേയും മഹത്തായ വ്യക്തികളേയും കാണുമ്പോൾ നിങ്ങൾക്ക് വളരെ സന്തോഷം തോന്നും. ഇവയിൽ നിങ്ങൾക്ക് മൃഗങ്ങളെ കാണാൻ കഴിയും, കൂടാതെ ഭാരതത്തിൽ കാണപ്പെടുന്ന മറ്റു പലതും. 13 വയസ്സുള്ള ഒരു പെൺകുട്ടി വരച്ച താജ്മഹലിന്റെ അതിമനോഹരമായ ഒരു പെയിന്റിംഗും ഇതിൽ ഉൾപ്പെടുന്നു. ദിവ്യാംഗയായ ഈ പെൺകുട്ടി വായ് കൊണ്ടാണ് ഈ പെയിന്റിംഗ് ഒരുക്കിയതെന്നറിഞ്ഞാൽ നിങ്ങൾ അത്ഭുതപ്പെടും. ഏറ്റവും രസകരമായ കാര്യം, ഈ ചിത്രങ്ങൾ നിർമ്മിച്ചവർ ഭാരതത്തിൽ നിന്നുള്ളവരല്ല, ഈജിപ്തിൽ നിന്നുള്ള വിദ്യാർത്ഥികളാണ്. ഏതാനും ആഴ്ചകൾക്ക് മുമ്പ്, ഈജിപ്തിൽ നിന്നുള്ള 23 ആയിരത്തോളം വിദ്യാർത്ഥികൾ ഒരു പെയിന്റിംഗ് മത്സരത്തിൽ പങ്കെടുത്തു. അവിടെ ഭാരതത്തിന്റെ സംസ്‌കാരവും ഇരുരാജ്യങ്ങളും തമ്മിലുള്ള ചരിത്രബന്ധവും പ്രതിപാദിക്കുന്ന ചിത്രങ്ങൾ തയ്യാറാക്കേണ്ടിയിരുന്നു. ഈ മത്സരത്തിൽ പങ്കെടുത്ത എല്ലാ യുവാക്കളേയും ഞാൻ അഭിനന്ദിക്കുന്നു. അവരുടെ സർഗ്ഗാത്മകതയെ എത്ര പ്രശംസിച്ചാലും മതിയാകില്ല.

സുഹൃത്തുക്കളേ, തെക്കേ അമേരിക്കയിലെ ഒരു രാജ്യമാണ് പരാഗ്വേ. അവിടെ താമസിക്കുന്ന ഭാരതീയരുടെ എണ്ണം ആയിരം വരില്ല. പരാഗ്വേയിൽ അത്ഭുതകരമായ ഒരു ശ്രമമാണ് നടക്കുന്നത്. എറിക്ക ഹ്യൂബർ അവിടെയുള്ള ഇന്ത്യൻ എംബസിയിൽ സൗജന്യ ആയുർവേദ കൺസൾട്ടേഷൻ നൽകുന്നു. ഇന്ന്, ആയുർവേദ ഉപദേശം തേടി നാട്ടുകാരും വലിയ തോതിൽ അവരെ സമീപിക്കുന്നു. എറിക്ക ഹ്യൂബർ എഞ്ചിനീയറിംഗ് ആണ് പഠിച്ചതെങ്കിലും അവളുടെ മനസ്സ് ആയുർവേദത്തിലായിരുന്നു. ആയുർവേദവുമായി ബന്ധപ്പെട്ട കോഴ്സുകൾ ചെയ്തിരുന്ന അവൾ കാലക്രമേണ അതിൽ പ്രാവീണ്യം നേടി.

സുഹൃത്തുക്കളേ, ലോകത്തിലെ ഏറ്റവും പഴക്കമുള്ള ഭാഷ തമിഴാണെന്നതും ഓരോ ഭാരതീയനും അതിൽ അഭിമാനിക്കുന്നുവെന്നതും നമുക്ക് അഭിമാനകരമായ കാര്യമാണ്. ലോകമെമ്പാടുമുള്ള രാജ്യങ്ങളിൽ ഇത് പഠിക്കുന്ന ആളുകളുടെ എണ്ണം തുടർച്ചയായി വർദ്ധിച്ചുകൊണ്ടിരിക്കുകയാണ്. കഴിഞ്ഞ മാസം അവസാനം ഫിജിയിൽ ഇന്ത്യാ ഗവൺമെൻ്റിൻ്റെ സഹായത്തോടെ തമിഴ് ടീച്ചിംഗ് പരിപാടി ആരംഭിച്ചു. കഴിഞ്ഞ 80 വർഷത്തിനിടെ ആദ്യമായാണ് തമിഴ് ഭാഷയിൽ പരിശീലനം ലഭിച്ച അധ്യാപകർ ഫിജിയിൽ ഈ ഭാഷ പഠിപ്പിക്കുന്നത്. ഇന്ന് ഫിജിയൻ വിദ്യാർത്ഥികൾ തമിഴ് ഭാഷയും സംസ്കാരവും പഠിക്കാൻ വലിയ താല്പര്യം കാണിക്കുന്നു എന്നറിഞ്ഞതിൽ എനിക്ക് ഏറെ സന്തോഷമുണ്ട്.
സുഹൃത്തുക്കളെ, ഈ കാര്യങ്ങൾ, ഈ സംഭവങ്ങൾ വെറും വിജയഗാഥകൾ മാത്രമല്ല. നമ്മുടെ സാംസ്കാരിക പൈതൃകത്തിന്റെ കഥകൾ കൂടിയാണ്. ഈ ഉദാഹരണങ്ങൾ നമ്മിൽ അഭിമാനം നിറയ്ക്കുന്നു. കല മുതൽ ആയുർവേദം വരെയും ഭാഷയിൽ നിന്ന് സംഗീതം വരെയും ലോകത്ത് തരംഗമായിക്കൊണ്ടിരിക്കുന്ന ഒരുപാട് കാര്യങ്ങൾ ഭാരതത്തിൽ ഉണ്ട്.
സുഹൃത്തുക്കളേ, ഈ ശൈത്യകാലത്ത് കായികവും കായികക്ഷമതയുമായി ബന്ധപ്പെട്ട നിരവധി പ്രവർത്തനങ്ങൾ രാജ്യത്തുടനീളം നടക്കുന്നു. ആളുകൾ ഫിറ്റ്നസ് അവരുടെ ദിനചര്യയുടെ ഭാഗമാക്കുന്നതിൽ എനിക്ക് സന്തോഷമുണ്ട്. കാശ്മീരിലെ സ്കീയിംഗ് മുതൽ ഗുജറാത്തിൽ പട്ടം പറത്തൽ വരെ എല്ലായിടത്തും കായിക ആവേശമാണ് കാണുന്നത്. #SundayOnCycle, #CyclingTuesday തുടങ്ങിയ പ്രചാരണങ്ങൾ വഴി സൈക്ലിംഗ് പ്രോത്സാഹിപ്പിക്കുന്നു.

സുഹൃത്തുക്കളേ, നമ്മുടെ രാജ്യത്ത് വരാനിരിക്കുന്ന മാറ്റത്തിന്റേയും യുവ സുഹൃത്തുക്കളുടെ ആവേശത്തിന്റേയും അഭിനിവേശത്തിന്റേയും പ്രതീകമായ ഒരു അതുല്യമായ കാര്യം ഞാൻ നിങ്ങളോട് പറയാൻ ആഗ്രഹിക്കുന്നു. നമ്മുടെ ബസ്തറിൽ ഒരു അതുല്യ ഒളിമ്പിക്‌സ് ആരംഭിച്ചതായി നിങ്ങൾക്കറിയാമോ? അതെ, ആദ്യമായി നടന്ന ബസ്തർ ഒളിമ്പിക്‌സോടെ ബസ്തറിൽ ഒരു പുതിയ വിപ്ലവം പിറവിയെടുക്കുകയാണ്. ബസ്തർ ഒളിമ്പിക്‌സ് എന്ന സ്വപ്നം യാഥാർഥ്യമായത് എന്നെ സംബന്ധിച്ചിടത്തോളം ഏറെ സന്തോഷം നൽകുന്ന കാര്യമാണ്. ഒരിക്കൽ മാവോയിസ്റ്റ് അക്രമത്തിന് സാക്ഷ്യം വഹിച്ച ഒരു പ്രദേശത്താണ് ഇത് സംഭവിക്കുന്നതെന്ന് അറിയുമ്പോൾ നിങ്ങൾക്കും സന്തോഷമാകും. ബസ്തർ ഒളിമ്പിക്സിന്റെ ചിഹ്നങ്ങൾ - 'ഫോറസ്റ്റ് ബഫല്ലോ' (കാട്ടുപോത്ത്), 'പഹാരി മൈന' (കാട്ടുമൈന) എന്നിവയാണ്. ബസ്തറിന്റെ സമ്പന്നമായ സംസ്കാരത്തിന്റെ ഒരു നേർക്കാഴ്ചയാണ് ഇത് കാണിക്കുന്നത്. ഈ ബസ്തർ ഖേൽ മഹാകുംഭമേളയുടെ അടിസ്ഥാനമന്ത്രം ഇതാണ് -
'കർസായ് താ ബസ്തർ ബർസായ് താ ബസ്തർ'
അതായത് ‘ബസ്തർ കളിക്കും - ബസ്തർ ജയിക്കും’.

7 ജില്ലകളിൽ നിന്നായി ഒരു ലക്ഷത്തി അറുപത്തയ്യായിരം കളിക്കാർ ആദ്യമായി ബസ്തർ ഒളിമ്പിക്‌സിൽ പങ്കെടുത്തു. ഇത് വെറുമൊരു കണക്കല്ല - ഇത് നമ്മുടെ യുവാക്കളുടെ നിശ്ചയദാർഢ്യത്തിന്റെ കഥയാണ്. അത്‌ലറ്റിക്‌സ്, അമ്പെയ്ത്ത്, ബാഡ്മിന്റൺ, ഫുട്‌ബോൾ, ഹോക്കി, ഭാരോദ്വഹനം, കരാട്ടെ, കബഡി, ഖോ-ഖോ, വോളിബോൾ - എല്ലാ കായികയിനങ്ങളിലും നമ്മുടെ യുവാക്കൾ തങ്ങളുടെ കഴിവ് തെളിയിച്ചിട്ടുണ്ട്. കാരി കശ്യപിന്റെ കഥ എന്നെ വളരെയധികം പ്രചോദിപ്പിക്കുന്നു. ഒരു ചെറിയ ഗ്രാമത്തിൽ നിന്നുള്ള കാരി അമ്പെയ്ത്തിൽ വെള്ളി മെഡൽ നേടിയിട്ടുണ്ട്. അവൾ പറയുന്നു - "ബസ്തർ ഒളിമ്പിക്‌സ് ഞങ്ങൾക്ക് കളിസ്ഥലം മാത്രമല്ല, ജീവിതത്തിൽ മുന്നോട്ട് പോകാനുള്ള അവസരവും നൽകി." സുക്മയിലെ പായൽ കവാസിയുടെ വാക്കുകൾ നൽകുന്ന പ്രചോദനവും ചെറുതല്ല. ജാവലിൻ ത്രോയിൽ സ്വർണ്ണമെഡൽ നേടിയ പായൽ പറയുന്നു - "അച്ചടക്കവും കഠിനാധ്വാനവും കൊണ്ട് ഒരു ലക്ഷ്യവും അസാധ്യമല്ല". സുഖ്മയിലെ ദോർണാപാലിലെ പുനെം സന്നായുടെ കഥ നവഭാരതത്തിന്റെ പ്രചോദനാത്മക കഥയാണ്. ഒരു കാലത്ത് നക്‌സലൈറ്റ് സ്വാധീനത്തിൽ പെട്ടിരുന്ന പുനെം ഇന്ന് വീൽചെയറിൽ ഓടിനടന്ന് മെഡലുകൾ നേടുകയാണ്. അദ്ദേഹത്തിന്റെ ധൈര്യവും ആത്മവിശ്വാസവും എല്ലാവർക്കും പ്രചോദനമാണ്. കൊടഗാവിലെ അമ്പെയ്ത്ത് താരം രഞ്ജു സോറിയെ 'ബസ്തർ യൂത്ത് ഐക്കൺ' ആയി തിരഞ്ഞെടുത്തു. വിദൂര പ്രദേശങ്ങളിലെ യുവാക്കൾക്ക് ദേശീയ തലത്തിലെത്താൻ ബസ്തർ ഒളിമ്പിക്‌സ് അവസരം നൽകുന്നുവെന്ന് അദ്ദേഹം വിശ്വസിക്കുന്നു.

സുഹൃത്തുക്കളേ, ബസ്തർ ഒളിംപിക്‌സ് ഒരു കായികവേദി മാത്രമല്ല, ഇത് വികസനത്തിന്റെയും കായികമത്സരങ്ങളുടേയും സംഗമവേദിയാണ്. ഇവിടെ നമ്മുടെ യുവാക്കൾ അവരുടെ കഴിവുകൾ മാറ്റുരയ്ക്കുകയും നവഭാരതം കെട്ടിപ്പടുക്കുകയും ചെയ്യുന്നു.

- ഞാൻ നിങ്ങളോട് അഭ്യർത്ഥിക്കുന്നു, നിങ്ങളുടെ പ്രദേശത്ത് ഇത്തരം കായിക പരിപാടികൾ സംഘടിപ്പിക്കുന്നതിന് വേണ്ട പ്രോത്സാഹനം നൽകുക.
- നിങ്ങളുടെ പ്രദേശത്തെ കായിക പ്രതിഭകളുടെ കഥകൾ 
#ഖേലേഗാ ഭാരത് - ജീതേഗ ഭാരതുമായി പങ്കിടുക.
- പ്രാദേശിക കായിക പ്രതിഭകൾക്ക് വളരാനുള്ള അവസരം നൽകുക.
ഓർക്കുക, സ്‌പോർട്‌സ് ശാരീരിക വളർച്ചയിലേക്ക് നയിക്കുക മാത്രമല്ല, സ്‌പോർട്‌സ്‌മാൻ സ്പിരിറ്റിലൂടെ സമൂഹത്തെ ബന്ധിപ്പിക്കുന്നതിനുള്ള ശക്തമായ ഒരു മാധ്യമം കൂടിയാണ്. അതിനാൽ ധാരാളം കളിക്കുക, കളിയിലൂടെ പ്രശോഭിക്കുക.

എന്റെ പ്രിയപ്പെട്ട നാട്ടുകാരേ, ഭാരതത്തിന്റെ രണ്ട് വലിയ നേട്ടങ്ങൾ ഇന്ന് ലോകത്തിന്റെ ശ്രദ്ധയാകർഷിക്കുന്നു, ഇത് കേട്ട് നിങ്ങൾക്കും അഭിമാനിക്കാം. ഈ രണ്ട് വിജയങ്ങളും കൈവരിച്ചത് ആരോഗ്യരംഗത്താണ് – ഇതിൽ ആദ്യത്തേത് മലേറിയയ്‌ക്കെതിരായ പോരാട്ടത്തിൽ. നാലായിരം വർഷമായി മലേറിയ മനുഷ്യരാശിക്ക് വലിയ വെല്ലുവിളിയാണ്, സ്വാതന്ത്ര്യം ലഭിക്കുമ്പോൾ ആരോഗ്യരംഗത്ത് നമുക്കുണ്ടായിരുന്ന ഏറ്റവും വലിയ വെല്ലുവിളികളിൽ ഒന്നായിരുന്നു മലേറിയ. ഒരു മാസം മുതൽ അഞ്ച് വയസ്സ് വരെ പ്രായമുള്ള കുട്ടികളെ കൊല്ലുന്ന പകർച്ചവ്യാധികളിൽ മലേറിയ മൂന്നാമതാണ്. ഇന്ന്, ഭാരതീയർ ഒരുമിച്ച് ഈ വെല്ലുവിളിയെ ശക്തമായി നേരിട്ടുവെന്ന് എനിക്ക് ഉറപ്പിച്ച് പറയാൻ കഴിയും - ലോകാരോഗ്യ സംഘടനയുടെ റിപ്പോർട്ട് പറയുന്നു - "ഭാരതത്തിൽ 2015 നും 2023 നും ഇടയിൽ മലേറിയ കേസുകളുടെ എണ്ണത്തിലും തുടർന്നുണ്ടായ മരണത്തിലും 80 ശതമാനം കുറവുണ്ടായി. ഇത് ഒരു ചെറിയ നേട്ടമല്ല. ജനപങ്കാളിത്തത്തോടെയാണ് ഈ വിജയം നേടിയതെന്നതാണ് ഏറ്റവും സന്തോഷകരമായ കാര്യം. ഭാരത്തിന്റെ ഓരോ കോണിൽനിന്നും, ഓരോ ജില്ലയിൽനിന്നും എല്ലാപേരും ഈ പ്രചാരണത്തിന്റെ ഭാഗമായി. അസമിലെ ജോർഹട്ടിലെ തേയിലത്തോട്ടങ്ങളിലെ മലേറിയ നാല് വർഷം മുമ്പുവരെ ജനങ്ങളെ ആശങ്കയിലാക്കിയിരുന്നു. എന്നാൽ തേയിലത്തോട്ട നിവാസികൾ ഒറ്റക്കെട്ടായി ഇതിനെ തുടച്ചുനീക്കാൻ ശ്രമിച്ചപ്പോൾ വലിയതോതിൽ വിജയം കണ്ടു. ഈ ശ്രമത്തിൽ, അവർ സാങ്കേതികവിദ്യയെയും സമൂഹ മാധ്യമത്തെയും പൂർണ്ണമായും ഉപയോഗിച്ചു. അതുപോലെ, ഹരിയാനയിലെ കുരുക്ഷേത്രജില്ലയും മലേറിയ നിയന്ത്രിക്കുന്നതിന് വളരെ നല്ല മാതൃകയാണ് അവതരിപ്പിച്ചിരിക്കുന്നത്. ഇവിടെ, മലേറിയ നിരീക്ഷണത്തിൽ പൊതുജനപങ്കാളിത്തം വളരെ വിജയകരമായിരുന്നു. തെരുവ്നാടകങ്ങളിലൂടെയും റേഡിയോയിലൂടെയും സന്ദേശങ്ങൾ ഊന്നിപ്പറഞ്ഞത് കൊതുകുകളുടെ പ്രജനനം കുറയ്ക്കുന്നതിനുള്ള പ്രവർത്തനങ്ങൾക്ക് ഏറെ സഹായകമായി. രാജ്യത്തുടനീളമുള്ള ഇത്തരം ശ്രമങ്ങളിലൂടെയാണ് മലേറിയയ്‌ക്കെതിരായ പോരാട്ടം കൂടുതൽ വേഗത്തിൽ മുന്നോട്ട്  കൊണ്ടുപോകാൻ നമുക്ക് കഴിഞ്ഞത്.

സുഹൃത്തുക്കളെ, നമ്മുടെ അവബോധവും നിശ്ചയദാർഢ്യവുംകൊണ്ട് നമുക്ക് എന്തും നേടാനാകും എന്നതിന്റെ മറ്റൊരു ഉദാഹരണം ക്യാൻസറിനെതിരായ പോരാട്ടമാണ്. ലോകപ്രശസ്ത മെഡിക്കൽ ജേണലായ ലാൻസെറ്റിന്റെ പഠനം തീർച്ചയായും ഏറെ പ്രതീക്ഷ നൽകുന്നതാണ്. ഈ ജേണൽ പ്രകാരം ഭാരതത്തിൽ കൃത്യസമയത്ത് ക്യാൻസർ ചികിത്സ ആരംഭിക്കാനുള്ള സാധ്യത ഗണ്യമായി വർദ്ധിച്ചു. കൃത്യസമയത്ത് ചികിത്സ എന്നാൽ ക്യാൻസർരോഗിയുടെ ചികിത്സ 30 ദിവസത്തിനുള്ളിൽ ആരംഭിക്കുന്നു എന്നതാണ്, ആയുഷ്മാൻ ഭാരത് യോജന ഇതിൽ വലിയ പങ്കുവഹിച്ചു. ഈ പദ്ധതിമൂലം 90 ശതമാനം ക്യാൻസർരോഗികൾക്കും കൃത്യസമയത്ത് ചികിത്സ ആരംഭിക്കാൻ കഴിഞ്ഞു. പണ്ട് പണമില്ലാത്തതിനാൽ പാവപ്പെട്ട രോഗികൾ ക്യാൻസർ പരിശോധനകളെയും ചികിത്സയെയും ഭയപ്പെട്ടിരുന്നു. എന്നാൽ ഇപ്പോൾ, ‘ആയുഷ്മാൻ ഭാരത് യോജന’ അവർക്ക് വലിയ പിന്തുണയായി മാറിയിരിക്കുന്നു. ഇപ്പോൾ അവർ ചികിൽസിക്കാൻ സ്വയം മുന്നിട്ടിറങ്ങുകയാണ്. ‘ആയുഷ്മാൻ ഭാരത് യോജന’ ക്യാൻസർ ചികിത്സയിലെ സാമ്പത്തികപ്രശ്‌നങ്ങൾ ഒരു പരിധിവരെ കുറച്ചു. ഇന്ന് ക്യാൻസർ ചികിത്സയെക്കുറിച്ച് മുമ്പെന്നത്തേക്കാളും ആളുകൾ കൂടുതൽ അവബോധമുള്ളവരായി മാറിയിരിക്കുന്നു എന്നതാണ് നല്ല കാര്യം. ഈ നേട്ടത്തില്‍ നമ്മുടെ ആരോഗ്യപരിപാലനസംവിധാനത്തിന്റെയും ഡോക്ടർമാരുടെയും നഴ്‌സുമാരുടെയും സാങ്കേതികജീവനക്കാരുടെയും എത്രമാത്രം പങ്കാളിത്തമുണ്ടോ, അതുപോലെ എന്റെ സഹോദരീ സഹോദരന്മാരെ, നിങ്ങൾക്കും വലിയ പങ്കുണ്ട്. എല്ലാവരുടെയും ശ്രമങ്ങൾ ക്യാൻസറിനെ പരാജയപ്പെടുത്താനുള്ള ദൃഢനിശ്ചയത്തെ ശക്തിപ്പെടുത്തി. ഈ വിജയത്തിന്റെ ക്രെഡിറ്റ് ബോധവൽക്കരണം പ്രചരിപ്പിക്കുന്നതിൽ ഗണ്യമായ സംഭാവന നൽകിയ എല്ലാവർക്കും അവകാശപ്പെട്ടതാണ്. ക്യാൻസറിനെ പ്രതിരോധിക്കാൻ ഒരേയൊരു മന്ത്രമേയുള്ളൂ - Awareness, Action, Assurance. Awareness എന്നാൽ ക്യാൻസറിനെയും അതിന്റെ ലക്ഷണങ്ങളെയുംകുറിച്ച് ബോധവാനായിരിക്കുക, Action, എന്നാൽ സമയബന്ധിതമായ രോഗനിർണയവും ചികിത്സയും, Assurance എന്നാൽ രോഗികൾക്ക് എല്ലാ സഹായവും ലഭ്യമാണെന്ന വിശ്വാസമാണ്. നമുക്ക് ഒരുമിച്ച് ക്യാൻസറിനെതിരായ ഈ പോരാട്ടം വേഗത്തിൽ മുന്നോട്ട് കൊണ്ടുപോകാം, കഴിയുന്നത്ര രോഗികളെ സഹായിക്കാം.

എന്റെ പ്രിയപ്പെട്ട നാട്ടുകാരേ, ഇന്ന് ഞാൻ നിങ്ങളോട് പറയാൻ ആഗ്രഹിക്കുന്നത് ഒഡീഷയിലെ കാലാഹാണ്ടിയിൽ വെള്ളത്തിന്റെ ദൗര്‍ലഭ്യവും, വിഭവ ദൗർലഭ്യവും ഉണ്ടായിരുന്നിട്ടും വിജയത്തിന്റെ പുതിയ കഥയെഴുതുന്ന ഒരു ശ്രമത്തെക്കുറിച്ചാണ്. ഇതാണ് കാലാഹാണ്ടിയുടെ 'പച്ചക്കറിവിപ്ലവം'. ഒരുകാലത്ത് കർഷകർ നാടുവിടാൻ നിർബന്ധിതരായിരുന്നിടത്ത്, ഇന്ന് കാലഹണ്ടിയിലെ ഗോലമുണ്ടബ്ലോക്ക് ഒരു പച്ചക്കറികേന്ദ്രമായി മാറിയിരിക്കുന്നു. എങ്ങനെയാണ് ഈ മാറ്റം ഉണ്ടായത്? വെറും 10 കർഷകരടങ്ങുന്ന ഒരു ചെറിയ സംഘത്തിലൂടെ ആയിരുന്നു തുടക്കം. ഇവർ സംഘം ചേർന്ന് ഒരു FPO സ്ഥാപിച്ചു - 'കർഷക ഉത്പാദക സംഘടന', കൃഷിയിൽ ആധുനിക സാങ്കേതികവിദ്യ ഉപയോഗിക്കാൻ തുടങ്ങി, ഇന്ന് ഇവരുടെ എഫ്‌.പി.ഒ. കോടികളുടെ ബിസിനസ്സ് ചെയ്യുന്നു. ഇന്ന് 45 സ്ത്രീ കർഷകർ ഉൾപ്പെടെ 200-ലധികം കർഷകർ ഈ എഫ്.പി.ഒ.യുമായി ബന്ധപ്പെട്ടിരിക്കുന്നു. ഇവർ ചേർന്ന് 200 ഏക്കറിൽ തക്കാളിയും 150 ഏക്കറിൽ കയ്പയ്ക്കയും ഉത്പാദിപ്പിക്കുന്നു. ഇപ്പോൾ ഈ എഫ്.പി.ഒയുടെ വാർഷിക വിറ്റുവരവും 1.5 കോടിയിലേറെയായി ഉയർന്നു. ഇന്ന് കാലാഹാണ്ടിയിൽ നിന്നുള്ള പച്ചക്കറികൾ ഒഡീഷയിലെ വിവിധ ജില്ലകളിൽ മാത്രമല്ല, മറ്റ് സംസ്ഥാനങ്ങളിലും എത്തുന്നു, അവിടെയുള്ള കർഷകർ ഇപ്പോൾ ഉരുളക്കിഴങ്ങ്, ഉള്ളി എന്നിവയുടെ പുതിയ കൃഷി സാങ്കേതികവിദ്യകൾ പഠിക്കുന്നു.

സുഹൃത്തുക്കളേ, നിശ്ചയദാർഢ്യവും കൂട്ടായ പ്രയത്നവുംകൊണ്ട് നേടിയെടുക്കാൻ കഴിയാത്തതായി ഒന്നുമില്ലായെന്ന് കാലാഹാണ്ടിയുടെ ഈ വിജയം നമ്മെ പഠിപ്പിക്കുന്നു. ഞാൻ നിങ്ങളോട് എല്ലാവരോടും അഭ്യർത്ഥിക്കുന്നു:-
•    നിങ്ങളുടെ പ്രദേശത്ത് FPO പ്രോത്സാഹിപ്പിക്കുക
* കർഷക ഉത്പാദക സംഘടനകളിൽ ചേരുകയും അവയെ ശക്തിപ്പെടുത്തുകയും ചെയ്യുക.
ഓർക്കുക – ചെറിയ തുടക്കങ്ങളിൽനിന്നുപോലും വലിയ മാറ്റങ്ങൾ സാധ്യമാണ്. നമുക്കു വേണ്ടത് നിശ്ചയദാർഢ്യവും ഐക്യബോധവുമാണ്.

സുഹൃത്തുക്കളേ, ഇന്നത്തെ 'മൻ കി ബാത്തിൽ' നമ്മുടെ ഭാരതം നാനാത്വത്തിൽ ഏകത്വത്തോടെ എങ്ങനെ മുന്നേറുന്നുവെന്ന് കേട്ടു. അത് കായികമേഖലയായാലും ശാസ്ത്രം, ആരോഗ്യം, വിദ്യാഭ്യാസം തുടങ്ങിയ മേഖലകളായാലും - ഭാരതം എല്ലാ മേഖലകളിലും പുതിയ ഉയരങ്ങൾ തൊടുകയാണ്. ഒരു കുടുംബമെന്ന നിലയിൽ, നമ്മൾ എല്ലാ വെല്ലുവിളികളെയും അഭിമുഖീകരിക്കുകയും പുതിയ വിജയങ്ങൾ നേടുകയും ചെയ്തു. 2014-ൽ ആരംഭിച്ച 'മൻ കി ബാത്ത്' രാജ്യത്തിന്റെ കൂട്ടായ ശക്തിയുടെ ജീവനുള്ള രേഖയായി മാറിയതായി 116 അദ്ധ്യായങ്ങളിലൂടെ ഞാൻ കണ്ടു. നിങ്ങൾ എല്ലാവരും ഈ പരിപാടി നെഞ്ചിലേറ്റി, നിങ്ങളുടേതാക്കി. എല്ലാ മാസവും നിങ്ങൾ നിങ്ങളുടെ ആശയങ്ങളും പരിശ്രമങ്ങളും പങ്കിട്ടു. ചിലപ്പോഴൊക്കെ ഒരു   യുവ നൂതനാശയം ആകർഷിച്ചു, ചിലപ്പോൾ മകളുടെ നേട്ടത്തിൽ അഭിമാനിച്ചു. നിങ്ങളുടെ എല്ലാവരുടെയും പങ്കാളിത്തമാണ് രാജ്യത്തിന്റെ എല്ലാ കോണുകളിൽ നിന്നും പോസിറ്റീവ് എനർജി ഒരുമിച്ച് കൊണ്ടുവരുന്നത്. ഈ പോസിറ്റീവ് എനർജി വർദ്ധിപ്പിക്കുന്നതിനുള്ള ഒരു വേദിയായി 'മൻ കി ബാത്ത്' മാറി, ഇപ്പോൾ 2025 വാതിലിൽ മുട്ടുകയാണ്. വരും വർഷത്തിൽ, 'മൻ കി ബാത്തിലൂടെ' കൂടുതൽ പ്രചോദനാത്മകമായ ശ്രമങ്ങൾ നമുക്ക് പങ്കിടാം. രാജ്യത്തെ ജനങ്ങളുടെ സദ് ചിന്തയും നവീകരണ മനോഭാവവും കൊണ്ട് ഭാരതം പുതിയ ഉയരങ്ങൾ തൊടുമെന്ന് എനിക്ക് ഉറപ്പുണ്ട്.  നിങ്ങൾക്ക് ചുറ്റുമുള്ള അതുല്യമായ ശ്രമങ്ങൾ #Mannkibaat-മായി പങ്കിടുന്നത് തുടരുക. അടുത്ത വർഷത്തെ എല്ലാ ‘മൻ കി ബാത്തി’ലും നമുക്ക് പരസ്പരം പങ്കുവെക്കാൻ ഒരുപാട് കാര്യങ്ങൾ ഉണ്ടാകുമെന്ന് എനിക്കറിയാം. നിങ്ങൾക്കെല്ലാവർക്കും 2025ന്റെ ഒരായിരം ശുഭാശംസകൾ. ആരോഗ്യവാന്‍മാരായിരിക്കുക, സന്തോഷവാന്മാരായിരിക്കുക, ഫിറ്റ് ഇന്ത്യ പ്രസ്ഥാനത്തിൽ പങ്കാളികൾ ആവുക, സ്വയം ആരോഗ്യം ശ്രദ്ധിക്കുക. ജീവിതത്തിൽ മുന്നേറുക. വളരെ നന്ദി.