സാങ്കേതികവിദ്യ എല്ലാവരുടെയും ജീവിതത്തിന്റെ അവിഭാജ്യ ഭാഗമായി മാറിയിരിക്കുന്നു: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
സേവനങ്ങള്‍ ഫലപ്രദമായി ലഭ്യമാക്കുന്നതിന് ഗവണ്‍മെന്റ് സാങ്കേതിക വിദ്യ ഉപയോഗപ്പെടുത്തുന്നു: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
സ്കൂളുകളിലെ അടൽ ടിങ്കറിങ് ലാബുകൾ വഴി ഞങ്ങൾ നവീനതയെ പ്രോൽസാഹിപ്പിക്കുകയും ചെറുപ്പക്കാരുടെ ഇടയിൽ ഒരു സാങ്കേതിക മനോഭാവം വികസിപ്പിക്കുകയും ചെയ്യുന്നു: പ്രധാനമന്ത്രി
വിജ്ഞാനശാസ്ത്രം സര്‍വ്വവ്യാപിയാണ്, സാങ്കേതികവിദ്യ പ്രാദേശികമായിരിക്കണം: പ്രധാനമന്ത്രി നരേന്ദ്ര മോദി

Your Excellency, प्रधानमंत्री जुसैप्पे कोन्ते जी,कैबिनेट में मेरे सहयोगी Dr. हर्षवर्धन जी,Tech Summit में मौजूदTechnology की दुनिया से जुड़े भारत और इटली के सभी साथी, देवियों और सज्जनों!

नमस्कार!

चाओ, कोमे स्‍ताई!

इटली से यहाँ आए सभी अतिथियों का विशेष रूप से हार्दिक स्वागत है!

बेनवेनुतो इन इंडिया!

Friends,

ये 24th(twenty Fourth) Tech Summit है। इससमिट में Partner Country के रूप में इटली की भागीदारी और साथ ही प्रधानमंत्री कोन्ते जी की गरिमामय उपस्थिति, ये हमारे लिए गौरव का विषय है।

यहां आने से पहले, अपनी आधिकारिक मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री श्री कोन्ते जी के साथ मेरी विस्तार से चर्चा हुई है। भारत के साथ संबंधों के प्रति उनका उत्साह और उनकी प्रतिबद्धता मैंने खुद अनुभव की है।

ये साल हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि येभारत और इटली के Diplomatic Relations का 70वां साल है। इसी सालScience and Technology के क्षेत्र में हमारे सहयोग को 40 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री कोन्ते जी की भारत यात्रा का एक अलग ही महत्व है।

Friends,

ये वो समय है जब Technology के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। आज करीब-करीब हर व्यक्ति का जीवन Technology से किसी ना किसी रूप में जुड़ा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में तो Technology के क्षेत्र में बहुत तेज़ी से परिवर्तन हुए हैं। इसकी रफ्तार इतनी तेज है कि एक टेक्नोलॉजी का प्रभाव समाज के आखिरी छोर तक पहुंच भी नहीं पाता कि उससे बेहतर टेक्नोलॉजी आ जाती है। ऐसे में सभी देशों के सामने बदलती हुई टेक्नोलॉजी के साथ चलने की चुनौती है, तो अनेक नए अवसर भी हैं।

भारत ने तो टेक्नोलॉजी को सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण, समावेश, सक्षम सरकारी तंत्र और पारदर्शिता का माध्यम बनाया है। सरकारी सेवाओं की प्रभावी Last Mile Delivery को टेक्नोलॉजी के माध्यम से सुनिश्चित किया जा रहा है। विशेषतौर पर Digital Technology का एक व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है, ताकि सामान्य जन को और आसानी से सुविधाओं का लाभ मिल सके। Technology को हम Ease of Living का एक महत्वपूर्ण माध्यम मानते हैं।

Friends,

आज दुनिया की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम में से एक भारत में चल रही है। सरकारी मदद सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाई जा रही है। बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर बुढ़ापे की पेंशन तक की अनेक सुविधाएं आज ऑनलाइन हैं। 300 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं को उमंग App के माध्यम से एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है।

डिजिटल पेमेंट आजकल करीब ढाई सौ करोड़ ट्रांजेक्शन प्रति माह की रफ्तार से बढ़ रहा है। देशभर में 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स से गांव-गांव में ऑनलाइन सेवाएं दी जा रही हैं।

पिछले 4 वर्षों में भारत में एक जीबी डेटा की कीमत 90 प्रतिशत से ज्यादा तक कम हुई है। भारत में ये सस्ता डेटा, देश के हर व्यक्ति तक डिजिटल टेक्नोलॉजी को पहुंचाने का प्रभावी माध्यम बन रहा है।

Friends,

भारत अब IT Software Power की अपनी पहचान को Next Level पर ले जाने के लिए आगे बढ़ रहा है।हम भारत में Scientific Temper से Technological Temperament विकसित करने पर जोर दे रहे हैं।

देशभर में अटल टिंकरिंग लैब के माध्यम से स्कूलों में Innovation के लिए, भविष्य की तकनीक के लिए Temperament विकसित किया जा रहा है। अटल Innovation Mission के माध्यम से देश भर में ऐसे युवाओं का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, जो चौथी औद्योगिक क्रांति का मज़बूत स्तंभ बनेंगे।

सरकार के इन तमाम प्रयासों का ही नतीजा है कि World Intellectual Property Orgnisation (WIPO) की Global Innovation Index की रैंकिंग में हम 21 स्थान ऊपर आ गए हैं। इसके अलावा आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Start-Up Ecosystem भारत में ही है।

भारत में जो Innovation हो रहे हैं उसमें Quality पर भी जोर दिया जा रहा है। भारत का स्पेस प्रोग्राम इसका बेहतरीन उदाहरण है और इसकी सफलता तो इटली ने भी महसूस की है।

आज भारत इटली समेत दुनिया के अनेक देशों के सैटलाइट बहुत कम खर्च पर अंतरिक्ष में भेज रहा है। ये सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का लाभ घर-घर तक पहुंचाने में उपयोगी साबित हो रही हैं।

साथियों, आज जब दुनिया IndustryFour Point Zero की चर्चा कर रही है तब, भारत और इटली की प्राचीन सभ्यताओं के बीच Science और technology में सहयोगको मजबूत करने से नए तो अवसर बनेंगे ही, बल्कि चुनौतियों का सामना भी हम प्रभावी ढंग से कर पाएंगे।

Friends,

आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत का विशाल Domestic Market, युवा जनसंख्या, Technology और Innovation का Ecosystem, साथ मिलकर दुनिया की ग्रोथ का एक ताकतवर इंजन सिद्ध होने वाला है।

वहीं विज्ञान और प्रोद्योगिकी में इटली के पास भी समृद्ध विरासत है। Manufacturing की दुनिया में इटली का नाम उत्तम क्वालिटी के लिए जाना जाता है। इसलिए, भारत और इटली साथ मिल कर High Quality Research में अपना सहयोग और अधिक मजबूत कर सकते हैं। इस सहयोग के माध्यम से हम वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिएसाझा Technological Solutions तैयार कर सकते हैं।

यही कारण है कि दोनों देशों के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने, पर्यावरण को स्वच्छ बनाने, मानव कल्याण के लिए Science और Technology में सहयोग मजबूत करना पहले की तुलना में सर्वाधि‍क आवश्यक है। मुझे इस बात की खुशी है कि दोनों देशों का वैज्ञानिक समुदाय और Business Leaders मिल कर Research और Innovation के Cutting Edge क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। Renewable Energy, Environmental Science, Neuro Science, और IT से ले कर सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण जैसे क्षेत्रों में हमारा व्यापक सहयोग है।

Friends,

सहयोग के इस मार्ग को मजबूत करने के साथ  ही हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना भी है कि Research and Development के परिणाम प्रयोगशालाओं तक ही सीमित न रहें, बल्कि इनका लाभ समाज, जनता तक भी पहुंचे।इसलिए ही मैं हमेशा कहता हूं कि "Science is Universal, Technology has to be local”.

भारत में हमने अपनी ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण के लिए Science and Heritage Research Initiative, यानि SHRI (श्री), की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और Restoration के लिए Technology से जुड़े समाधान ढूंढना है। Technology, Tourism और History – तीनों का संगम इस पहल में दिखाई देता है।

मुझे विश्वास है कि Science, Technology और Innovation को बढ़ावा देकर विकास की नई गति सुनिश्चित होगी। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के विकास में भी इनकी महत्वपूर्णभूमिका होगी। यही इस Tech Summit का उद्देश्य रहा है।

मुझे विश्वास है कि बीते दो दिनों के दौरान Summit में हुई चर्चाओं में से दोनों देशों के बीच Technology Transfer, Joint Ventures और Market Access को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। यह Summit हमारे साझा भविष्य की चर्चा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

Friends,

आज भारत-इटली द्विपक्षीय Industrial Research and Development Cooperation कार्यक्रम के अगले चरण की शुरूआत की घोषणा करते हुए मुझे बहुत ही खुशी हो रही है।इससे हमारे उद्योग और रिसर्च संस्थान बिना किसी बाधा के नए उत्पाद और Prototypes विकसित कर सकेंगे। Know how”, को समय की मांग हैShow how”में परिवर्तित हो सके।

दोनों देशों में आर्थिक संबंध और मजबूत करने के लिए हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि Joint Commission on Economic Cooperation (JCEC) के मार्गदर्शन में एक CEO फोरम का भी गठन हो। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच two-way investments को बढ़ाने के लिए, व्यापार करने में आ रही अड़चनों को भी दूर करने के लिए एक Fast Track Mechanism बनाने पर भी सहमति बनी है।

मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि भारत और इटली, LAD यानि Life Style Accessories Design के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। इसमें भी लेदर सेक्टर, Transportation & Automobile Design यानि TAD पर विशेष फोकस किया जाएगा।

साथ ही, मुझे ये बताते हुए भी प्रसन्नता हो रही है कि दोनों देश सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण, Renewable Energy, Life Sciences and Geo-hazards जैसे चुनिन्दा क्षेत्रों मेंकौशल पर आधारित Indo-Italian Centres of Excellence की स्थापना करेंगे। इनसे न सिर्फ उच्च श्रेणी के विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और उद्योगआपस में जुड़ेंगे, बल्कि हमारे सामने आरही चुनौतियों का तकनीकी समाधान भी निकाला जा सकेगा।

Friends,

Tech Summit की सफ़लता के लिए मैं सभी आयोजकों को हृदयपूर्वकबधाई देता हूँ। मैं इटली सरकार को भी ह्रदय से धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने एक पार्टनर देश के रूप में जुड़ने का हमारा निमंत्रण स्वीकार किया। Tech Summit के सभी Participantsका भी बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आप सभी का योगदान और उपस्थिति इस Summit की सफलता के लिए महत्वपूर्ण रही है।

मैं एक बार फ़िर प्रधानमंत्री कोन्ते जी का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। यही नहीं, उन्होंने भारत-इटली की नई पार्टनरशिप के नवनिर्माण को अपने व्यक्तिगत मार्गदर्शन, दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता का अनमोल उपहार भी दिया है।

ग्रात्सिए मिल्‍ले!

बहुत बहुत धन्यवाद!!!

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India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!